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Adultery एक नंबर के ठरकी (from internet)
#81
Update plj
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#82
waiting for update.................
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#83
plz. update
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#84
WWWWWWWWOOOOOOOOOOOOOWWWWWWWWWWWWWW
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#85
Should i continue this story
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#86
(19-04-2021, 09:16 AM)Deadman2 Wrote: Should i continue this story

Yes, definitely ... Continue please.
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#87
Update kAro bhAi
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#88
और इन दस मिनटों में बाहर क्या हुआ, ये भी देखते है ।

जब राहुल ने सबा को अपनी जगह पर बैठने को कहा था तो उसे अपने बीच बिठाकर सभी ठर्कियों की तो मौज ही हो गयी थी...कारण था उसकी ड्रेस.... आज सबा ने जो ड्रेस पहनी हुई थी , उसका गला काफ़ी खुला था...और बिना दुपट्टे वाला था.. इसलिए जब वो उन हरामियों के बीच बैठी तो उसके आधी से ज़्यादा नंगी छातियों की सफेदी देखकर पत्तो पर तो किसी की नज़र ही नही गयी.... सब उसके मुम्मो को अपनी-2 आँखो से चोदने में लगे थे...

उनमे से सिर्फ़ शशांक को छोड़कर किसी को भी ये अंदाज़ा नही था की राहुल अंदर क्या कर रहा है... सब अपने-2 मन में बस यही दुआ माँग रहे थे की जल्दी बाहर ना निकले... और इन सबसे अंजान, अपनी पहली गेम खेल रही सबा थोड़ा नर्वस सी होकर अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ पत्तो पर लगाकर बैठी थी... उसे तो ये भी पता नहीं था की आज की ये गेम उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाने वाली है... और ना चाहते हुए भी वो उन सभी ठर्कियों की उस चाल में फँसने वाली थी जो काफ़ी पहले से शशांक ने उसके बारे में सोचकर रखी हुई थी.



पहली बाजी शुरू हुई और सबके सामने पत्ते आ गये...इस बार का वैरीएशन था मुफ़लिस...यानी सबसे छोटे पत्ते वाला जीतेगा..

सबकी देखा-देखी सबा ने भी 500 की 2 ब्लाइंड चल दी... घर पर राहुल के साथ तो वो फ्री में खेल लेती थी (वो अलग बात थी की जीतने वाला अपनी मर्ज़ी से चुदाई करता था) लेकिन आज करारे नोटों के साथ खेलते हुए सबा को एक अलग ही रोमांच का अनुभव हो रहा था...आज वो खुद पैसे जीतकर राहुल को दिखा देना चाहती थी की वो भी कुछ कर सकती है इस खेल में ...

सबसे पहले कपूर साहब ने अपने पत्ते उठाए...उन्होने कुछ देर तक पत्तो को घूरा और फिर 1 हज़ार की चाल चल दी..

गुप्ता जी ने भी पत्ते देखकर 1 हज़ार की चाल चल दी..सरदारजी ने हर बार की तरह एक और ब्लाइंड चली..और शशांक जो कब से अपने पत्ते उठा कर बैठा था, उसने भी एक चाल चल दी..

यानी सबा का नंबर आते-आते 3 चाल आ चुकी थी...उसने धड़कते दिल से अपने पत्ते उठाए...उसके पास 2,5 और 9 आया था...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे...उसे तो खुद के पत्ते छोटे ही लग रहे थे...क्योंकि एक बार घर पर भी ऐसी मुफ़लिस वाली गेम खेलते हुए राहुल ने बताया था की 10 के अंदर जो भी पत्ते आते है उनसे ये गेम खेली जा सकती है...लेकिन सबा को थोड़ा डाउट हो रहा था की जब सामने से 3 चालें आ जाए तो क्या तब भी गेम आगे खेलनी चाहिए या नही..

उसने कुछ देर सोचने के बाद चाल चल ही दी...ये सोचते हुए की जो होगा देखा जाएगा , अपनी पहली ही गेम में वो डरपोक नहीं कहलाना चाहती थी
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#89
सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा लिए और उन्हे देखकर बड़े ही जोश के साथ 1 के बदले 2 हज़ार की चाल चल दी..

अब आलम ये था की टेबल पर 5 लोग थे और सभी की चाल आ चुकी थी...ऐसा शायद पहली बार हो रहा था...

इसी बीच दूसरे टेबल पर सुमन ने सभी का ध्यान बाँट रखा था...उसने सभी के सामने वोड्का के बड़े-2 ग्लास फिर से भरकर रखवा दिए थे...और साथ ही तंबोला की गेम को भी काफ़ी रोचक मुकाम तक पहुँचा दिया था... इसलिए किसी को भी दूसरे टेबल पर देखने की जरुरत ही महसूस नही हो रही थी.. और ना ही डिंपल सरदारनी और राहुल की अनुपस्थिति का एहसास हो रहा था..जो इस वक़्त अंदर जबरदस्त चुदाई में व्यस्त थे..

सबा ने देखा की सभी की चाल आ चुकी है और वो सोच रही थी की ये अभी ही होना था...काश राहुल वहां होता...लेकिन अब उसे राहुल से ज़्यादा गेम की चिंता थी...

सबने सरदारजी के बाद, उनकी देखा देखी 2-2 हज़ार की चाल चल दी...सबा ने भी सोचा की अब इस गेम में पैर फँसा ही दिया है तो देखी जाएगी...क्योंकि कल के जीते हुए पैसो के बाद कुछ रिस्क तो लिया ही जा सकता था...उसने भी 2 हज़ार की चाल चल दी..

वो जानती थी की जीतना तो किसी एक को ही है...और वो अगर कॉन्फिडेंस से खेलती रही तो शायद वो भी जीत सकती है...

उसने जब 2 हज़ार फेंके तो कपूर साहब बोल पड़े : "आज तो सबा भाभी बड़े तैश मैं है...ये सबको झाड़ कर मानेगी...''

उसने जब 'झाड़ कर' बोला तो सबा की आँखे गोल होती चली गयी...झाड़ने का मतलब तो सेक्स में होता है...लेकिन जिस तरीके से उन्होने वो शब्द बोला था, ऐसा लग रहा था की वो नॉर्मल सी बात है...वो बोलकर हँसे भी नही...इन्फेक्ट कोई भी नही हंसा...इसलिए सबा ने भी कोई रिएक्शन नही दिया...वो समझ गयी की इस शब्द का मतलब ''पैसे झाड़ना'' है...वो सेक्स वाला झाड़ना नही...अपनी गंदी सोच पर वो खुद ही मुस्कुरा दी.

उसकी इस मुस्कुराहट को हर ठरकी तिरछी नज़रों से देख रहा था...उन सभी के बीच ,आँखो-2 में ही, बिना बोले ही, इस बात पर सहमति हो चुकी थी की इस गेम में वो सबा से हर तरह का मज़ा लेंगे...चाहे उसे बुरा ही लगे जाए...क्योंकि आज जैसा मौका वो हाथ से नही जाने देना चाहते थे.

कपूर साहब ने पैसे फेंककर गेम को आगे बढ़ाया ..

गुप्ता जी ने भी 2 हज़ार निकाले और नीचे फेंकते हुए बोले : "लो जी....मेरे कड़क खंबे जैसे कड़क नोट मेरी तरफ से...''
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#90
इस बार सबा का माथा ठनका ....क्योंकि गुप्ता जी ने जिस अंदाज से खड़े खंबे की उपमा दी थी, वो लंड के सिवा कुछ और हो ही नही सकता था... और ना चाहते हुए भी उसकी नज़र गुप्ता जी के लंड की तरफ चली गयी जो उनकी पेंट में मे किसी खंबे जैसा ही खड़ा हुआ था..पराए मर्दों के बीच बैठी हुई सबा अचानक डर सी गयी... वो सोचने लगी की ये कहा फँस गयी वो... लेकिन फिर उसे अंदर ही अंदर एक अलग से रोमांच का अनुभव भी हुआ... ये वो अनुभव था जो वो स्कूल या कॉलेज टाइम में महसूस किया करती थी..

वो हमेशा से ही पढ़ने में अव्वल रही थी, इसलिए उसकी दोस्ती भी ऐसे लोगो से ही होती थी जो उसकी तरह पड़ने में तेज थे.. लेकिन वो जब भी दूसरे बदमाश टाइप के लड़को का ग्रुप देखती तो उसे अंदर ही अंदर ना जाने क्या हो जाता था की वो उनकी तरफ आकर्षित सी हो जाती थी... उन बदमाश लड़को के बोलने के स्टाइल, गाली गलोच के साथ बात करने का तरीका, हर बात में सेक्स से रिलेटेड टॉपिक को बीच में लेकर आ जाना, ये सब उसे अंदर से रोमांचित सा कर देता था...लेकिन समाज के डर से, अपने दोस्तों में अच्छी इमेज को बनाए रखने की वजह से और अपने माँ-बाप का नाम ना खराब हो जाए, इस डर से वो उन सबसे दूर ही रहा करती थी...

इसलिए उसको प्यार भी अपने ग्रुप के सबसे शरीफ लड़के राहुल से हुआ और शादी भी उसने उससे ही की ... और धीरे-2 वो उन सब एहसासों को भूलती चली गयी... लेकिन आज जिस अंदाज से ये सोसायटी के मर्द उसके सामने बैठकर उसी अंदाज में बाते कर रहे थे, जो उसे ना जाने कब से पसंद थी तो उसका शरीर काँप सा उठा...और उसका अंग-2 कड़क सा हो उठा..और धीरे-2 उसके अंदर दबे हुए वो एहसास फिर से कुलबुलाने लगे..

शशांक का पूरा ध्यान सबा के उपर था...वो सामने से बोली जा रही हर बात पर सबा का रिएक्शन बड़ी बारीकी से नोट कर रहा था... और जब उसने देखा की वो बाते सुनकर सबा का सीना तेज गति से उठ-बैठ रहा है, वो बार -2 अपने होंठों पर जीभ फेर रही है...उसका शरीर काँप सा रहा है , तो उसे समझते देर नही लगी की वो सब सुनकर वो एक्ससाइटिड हो रही है...और ये उसने उसके निप्पल देखकर भी जाना, जो उसकी टी शर्ट पर बुरी तरह से उभरकर बाहर झाँक रहे थे..
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#91
शशांक समझ गया की अगर वो लोग ऐसी ही बाते करते रहे तो शायद काम बन सकता है....वो अपने तरीके से सोच रहा था, इस बात से अंजान की सबा पर ऐसी बातों का ये असर किसलिए हो रहा है, वो तो बस ये समझ रहा था की एक मर्द के साथ बँधे रहने के बाद,आज इतने मर्द जब सेक्सी बाते कर रहे है तो वो उत्तेजित हो रही है...इसलिए उसने आँखो ही आँखो में सभी को ऐसी ही बाते करते रहने के लिए जारी रहने को कहा...

अगला नंबर शशांक का था...उसने पत्ते फिर से देखे और बोला : "आज तो मेरे पत्तो की माँ चुद कर रहेगी...लेकिन मैं भी हार मानने वाला नहीं हूँ ...ये लो मेरे भी 2 हज़ार...आज सबा ही लेकर रहेगी हम सबकी....''

इतना कहते हुए शशांक ने पैसे बीच में फेंक दिए..

अपने पति के बॉस शशांक के मुँह से ऐसी गाली सुनकर एक पल के लिए तो सबा सकपका सी गयी...वो तो एकदम जेंटलमेन टाइप का बंदा था...आज से पहले तो उन्होने ऐसी कोई बात नही की थी जिसमे वो चीप भाषा का इस्तेमाल करे... लेकिन आज जिस तरीके से उसने ये बात इतनी आसानी से बोल दी, वो सबा ने एक्सपेक्ट नही किया था...किया तो उसके दोस्तों ने भी नही था..वो भी सबा के सामने शशांक को ऐसी गंदी भाषा का इस्तेमाल करते देखकर हैरान रह गये...लेकिन अंदर ही अंदर ये भी समझ गये की जब उनके ग्रुप के बॉस ने ऐसा कह दिया है तो उन्हे तो और भी आगे निकलना पड़ेगा इस मामले में ..और इसके साथ-2 सभी सबा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश भी कर रहे थे..

अब चाल चलने की बारी सबा की थी...उसने फिर से 2 हज़ार रुपय निकाले और नीचे फेंक दिए...और साथ ही बड़ी ही धीमी आवाज़ में बोली : "मैं कैसे मारूँगी शशांक जी...वो काम तो मर्दों का होता है...यहाँ तो मेरे पत्ते मारेंगे आप सभी को ...''

शशांक को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी...लेकिन उसकी तरफ से जवाब आता देखकर वो समझ गया की वो भी उनके रंग में रंगना चाहती है...शशांक के साथ-2 सभी उसकी बात सुनकर खुश हो गये...ये सोचकर की चलो इसी बहाने अब वो खुलकर उसके साथ बात तो कर सकते है...यानी अपने-2 दिल की बातें वो खुल कर उसे सुना सकते है..

अगला नंबर सरदारजी का था...वो पैसे फेंकते हुए बोले : "अरे भाभिजी...आप चाहो तो सब कर सकते हो...मारने के लिए मर्द होना ज़रूरी थोड़े ही होता है...हे हे...''

उसकी बात पर सब हंस दिए...और सबा भी....वो साफ़ -2 समझ रही थी की इन शब्दों का मतलब क्या है...और उनकी ये बातचीत किस दिशा में जा रही है....लेकिन ये सब समझने के बावजूद वो कुछ नही बोल रही थी...बल्कि एंजाय कर रही थी...और अब तो वो मन ही मन ये प्रार्थना भी कर रही थी की राहुल जल्दी ना आए...क्योंकि उसके आने के बाद तो कोई भी कुछ नही बोलेगा...और वो अभी ये नहीं चाहती थी की ये बातचीत बंद हो

सुमन भी बीच-2 में उनके टेबल पर देखकर वहां का जायजा ले रही थी...और अपने पति शशांक की आँखो में देखकर मंद-2 मुस्कुरा भी रही थी...

कपूर साहब को तो जैसे खजाने की चाबी मिल गयी थी...सभी को इतने खुले तरीके से बाते करता देखकर, और सबा को भी वैसी ही बातो में जवाब देते देखकर वो घोड़े की तरह हिनहीना उठे , और बोले : "आज तो सबा भाभी मूड में है...काश ये टेबल के बदले बेड होता तो इनके मूड का अच्छे से फायदा उठा लेते हम सभी.... हा हा...''

एक तरह से उसने सबा को सामूहिक रूप से चोदने की बात कह डाली थी....सभी के लंड ये सोचकर ही हिनहीना उठे की सबा उन सबसे चुदवायेगी ...और सबा भी ये सोचकर काँप सी गयी जैसे ये सब असली में होने जा रहा हो... एक बड़े से बेड पर वो बैठी है और उसके चारों तरफ ये सारे मर्द अपने हाथ में लंड लिए उसे ही घूर रहे है और अपने-2 लंड को मसल रहे है... ये सोचते हुए उसकी आँखे एकदम गुलाबी सी हो गयी.... उसकी चूत में अजीब सी खुजली होने लगी...जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपनी जांघे रगड़कर शांत किया....

लेकिन इन सबके बीच जो रोमांच का एहसास वो अपने शरीर पर महसूस कर पा रही थी, ये उन सभी एहसासों से कही ज़्यादा था जो उसने आज तक अपनी जिंदगी में महसूस किये थे..

सरदारजी बोले : "यार, मेरा तो एकदम से मूड कर गया है ये सुनकर, काश ऐसा हो सकता , मई तो सबसे पहले कूद पड़ता बेड पर ... ''

शशांक बीच में बोला : "यार गुरपाल, तुझसे अपनी बीबी की तो ली नही जाती, और तू सबा की लेने में लगा है...''

शशांक की बात सुनकर सरदारजी बोले : "तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे डिंपल ने तुझे आकर बोला है की सरदारजी मेरी ले नही रहे है....मेरा छोटा सिपाही हमेशा तैयार है, चाहे तो अभी कन्फर्म करवा देता हू डिंपल से...''

ये सब मज़ाक में चल रहा था...
शशांक : "भाई, मुझे तो सुमन ने बताया था की कल रात को , घर जाने के बाद उसका बहुत मन था लेकिन तूने ही मना कर दी....''

गुरपाल ये सुनकर झेंप सा गया....बात तो सच थी...कल रात को जुए की पार्टी के बाद वो काफ़ी थक सा गया था...
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#92
डिंपल के कहने के बाद भी उसका चुदाई का मन नही किया था....

गुरपाल : "साली , इस सरदारनी के पेट में कोई भी बात पचती नहीं है ''

बेचारा खिसियानी हंसी हँसता हुआ ये बोल रहा था

और दूसरी तरफ सबा का चेहरा लाल हो चूका था, क्योंकि उसने भी वाली चुदाई की बात सुमन को बता दी थी , और जब सुमन ये डिंपल की बात उनकी बताई होगी , बेचारी किसी से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी

लेकिन शशांक समझ चूका था की उसके दिमाग में क्या चल रहा है

अब इस खेल को दूसरे मुकाम टाइम आ चुका था 



शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड को मसलते हुए कहा : "वैसे एक बात और भी है...जिसे सुनकर आप सभी को काफ़ी मज़ा आएगा...''
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#93
Bahut badhiya
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#94
मस्त अपडेट।
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#95
(20-04-2021, 11:05 PM)Johnyg484 Wrote: Bahut badhiya

Thanks man
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#96
(21-04-2021, 12:43 AM)bhavna Wrote: मस्त अपडेट।

Thanks bhavna
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#97
Wow, great erotic talk. Saba the target.
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#98
शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड को मसलते हुए कहा : "वैसे एक बात और भी है...जिसे सुनकर आप सभी को काफ़ी मज़ा आएगा...''

सबा का दिल जोरों से धड़क उठा...ऐसा लग रहा था की उसका दिल शरीर से निकलकर टेबल पर ही गिर पड़ेगा...वो सोचने लगी की उसके पति के बॉस ने अगर कल रात वाली इन सबके सामने बता दी तो वो क्या करेगी...इन सभी से वो कभी मुँह उठा कर बात भी नही कर सकेगी...ये सही था की अभी तक की बातों को वो काफ़ी अच्छे से एंजाय कर रही थी...गंदी बाते जब तक दूसरो के बारे में हो तब तक उसे पसंद थी...लेकिन उसके खुद के बारे में और वो भी सेक्स वाली बाते, ये उसके लिए बहुत ज्यादा था...उसे खुद पता नही था की अगर शशांक ने वो सब बोल दिया तो वो कैसे रिएक्ट करेगी..

शशांक ने शरारती हँसी से सबा की आँखो मे झाँका, दोनो की नज़रे मिली और आँखो ही आँखो मे सबा ने उसे ऐसा ना करने को कहा...लेकिन उसके मना करने के बाद भी शशांक ने बात शुरू कर ही दी..

शशांक : "कल रात एक और जगह ब्लास्ट हुआ था...और ऐसा ब्लास्ट जो आज से पहले कभी नही हुआ...''

सबा का शरीर काँप सा गया...उसने अपने पैरों से ज़मीन कुरेदनी शुरू कर दी...

कपूर साहब भी बड़े मज़े लेकर बोले : "तो सूनाओ भी यार....इतना भाव क्यो खा रहे हो...''

शशांक : "कल रात सुमन ने वो किया,जिसके लिए मैं कब से उसे तैयार कर रहा था...''

सबा का चेहरा हैरानी से शशांक की तरफ उठता चला गया...यानी वो उसकी नही बल्कि खुद की कहानी बता रहा था...शायद ये सबा की रीक़ुएस्ट का असर था....सबा ने एक बार फिर से आँखो ही आँखो मे उसे थेंक्स कहा....

शशांक ने धीरे से उसके करीब खिसक कर कहा : "वैसे मुझे तुम्हारी वाली स्टोरी भी पता थी जो तुमने सुमन को बताई थी ...लेकिन वो फिर कभी...लेकिन अभी के लिए इसे छुपाने का टैक्स देना होगा तुम्हे....''

टैक्स देने की बात सुनकर सबा मुस्कुरा दी....वो तो ऐसे बात कर रहे थे जैसे कोई बीएफ अपनी जीएफ को छेड़ते हुए कहता है...ये सोचकर उसकी चूत का पानी एक बार फिर से उभर आया...और वो सोचने लगी की ऐसा हो जाए तो वो क्या करेगी...अपने ही पति के बॉस के साथ....कैसे...

वो ये सोचने मे लगी हुई थी और गुप्ता जी की आवाज़ ने उसे फिर से वापिस खींच लिया, वो बोले : "अब बता भी दो भाई, ऐसा क्या काम था जो सुमन भाभी भी नही कर पा रही थी...वो तो हर काम में माहिर है, ही ही.ही...... ''

गुप्ता के दिमाग में बस यही विचार कोंध रहा था की शायद सुमन ने अपने दूसरे छेद में लंड डालने की इजाजत दे दी है कल शशांक को, तभी उसकी गांड मारकर वो इतना खुश है, लेकिन वो ऐसी बात तो सभी के सामने बताने से रहा , यही सोचकर गुप्ता जी की उत्सुक्तता बढ़ती जा रही थी.
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#99
वो लोग शायद समझ रहे थे की आज शशांक को कुछ ज़्यादा ही चढ़ गयी है, इसलिए वो अपनी कहानी इस तरह से सबके सामने सुना रहा है...पर शशांक अच्छी तरह से जानता था की वो ये सब किसलिए कर रहा है.

शशांक ने सुमन की तरफ देखा, जो उन्ही की बाते कान लगाकर सुन रही थी...और बोला : "ओपन में सैक्स ....कल हमने ओपन में सैक्स किया....बाल्कनी में ...''

ये सुनते ही सभी की आँखे बाहर निकल आई....यानी कल शशांक ने अपनी बीबी को बाल्कनी में खड़े करके चोदा ...बिल्कुल नंगा करके....और ये बात वो सभी को इस तरह बता भी रहा है , सैक्स के बारे में सभी के सामने अपने एक्सपेरिएंस शेयर करने का ये पहला वाक्या था

सरदारजी बोल पड़े : "ओह्ह्ह तेरी.....क्या बात है शशांक भ्रा....मेरा फ्लेट तो तेरी बिल्डिंग के बिल्कुल सामने है...काश मुझे पता होता तो मैं भी आकर दर्शन कर लेता भाभी जी के...हा हा ''

इतना कहते हुए गुरपाल की नज़र सुमन की तरफ चली गयी, जो उसे ही देखकर मुस्कुरा रही थी....

सुमन को अपनी तरफ देखते पाकर सरदारजी सकपका से गये और धीरे से बोले : "ओये मॅर गया....भाभिजी तो मेरी तरफ ही देख रही है...कही इन्होने सुन तो नही लिया...''

शशांक : "सुन भी लिया तो कोई बात नही....वो इन बातों का बुरा नही मानती....हम दोनो इस मामले में काफ़ी ओपन है....''

कपूर साहब बोले : "तभी तो आपने कल भाभी जी को खुल्ले में ही....चोद डाला.... हा हा...''

सभी उनकी बात सुनकर हंस दिए....सबा भी.... चुदाई बातें इतने ओपन तरीके से शायद पहली बार हो रही थी

सबा तो शशांक और सुमन की हिम्मत देखकर हैरान हुए जा रही थी....की कैसे उन दोनो ने इतनी बड़ी बाल्कनी में नंगे खड़े होकर सैक्स किया...उसकी कल रात वाली चुदाई की बात तो इसके सामने कुछ भी नही है...

अचानक उसके मन में आया की वो भी ट्राइ करेगी...आज ही करेगी....राहुल के साथ...रात को...अपनी बालकनी में.

और ये सोचकर वो मंद मंद मुस्कुराने लगी....तभी एक बार फिर से शशांक उसके कान के पास आकर बोला : "मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो....मुझे थॅंक्स कहने का यही तरीका है की आज तुम बाल्कनी में वो सब करना...और मैं भी सुमन के साथ वो करूंगा ..''

और इतना कहकर वो पीछे हो गया....सबा तो उसे देखती ही रह गयी की कितनी आसानी से इतनी बड़ी बात उसके पति के बॉस ने बोल डाली...उनका फ्लॅट भी गुरपाल वाली बिल्डिंग में ही था...यानी शशांक की बिल्डिंग के बिल्कुल सामने.

गुप्ता जी बोल पड़े : "अर्रे सरजी , सबा भाभी के कान में ही बताते रहोगे...हमे भी तो बताओ...कौनसी पोजीशन में किया सब...''

गुप्ता सोच रहा था की अभी तो इसे चढ़ी हुई है, शायद उकसाने पर और भी बातें उगल डाले

तभी पीछे से आवाज़ आई : "स्टेंडिंग ...डुग्गी स्टाइल "
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ये सुमन की आवाज़ थी....जो कुछ ज़्यादा ही खुलकर बोल पड़ी थी अचानक...अपनी मंडली में एक और भाभी की इस तरह से एंट्री होती देखकर सभी बहुत खुश हुए....सबा भी उसकी हिम्मत देखकर हैरान रह गयी...

अचानक सुमन ने सबा की तरफ देखा और बोली : "ये तो तुम्हारी भी फ़ेवरेट पोज़िशन है ना...क्यों सबा''

बेचारी का चेहरा शर्म से लाल हो उठा....हाँ के अलावा वो कुछ बोल ही नही सकी...

सभी खुली आँखों से सुमन और सबा को डुग्गी स्टाइल में चुदते हुए देखने की कल्पना करने लगे

गेम तो जैसे रुक सी गयी थी....वो भी आगे बढ़ानी ज़रूरी थी...
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