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And Yes...
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मंटू बंटू
कम्मो भौजी
मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था ,
घर में भौजी अकेले हैं , बस।
दरवाजे पर जब पहुँच कर उन्होंने पूछा तो टिपिकल कम्मो भौजी वाली गारी से स्वागत हुआ ,
" स्सालों , बहन के भंडुआ , पहले ये बताओ की चिकनों अपने पिछवाड़े वैसलीन लगा के आये हो की नहीं , ये मत कहना की तेरी बहने अगवाड़े पिछवाड़े वैसलीन लगा के निकल गयी अपने यारों से मरवाने और तुम सब के लिए कुछ छोड़ा नहीं , ...
चल पहले दोनों आंगन में निहुर , सच्चे कोल्हू वाले कडुवे तेल की बोतल रखी हूँ , भले छरछराये परपरायेगा , लेकिन सटासट सटासट घुसेगा , ...
और नयकी भौजी नहीं है , लेकिन मैं अकेले काफी हूँ , तुम दोनों की पिचकारी पिचकाने के लिए ,... "
और उन दोनों को अंदर कर के , दरवाजा खटाक से उन्होंने बंद कर लिया।
" सीधे से उतार दो वरना कहीं फट फटा गयी , और ऐसे गए तो ऐसे चिकने हो , कोई निहुरा के मार लेगा तो हमें मत कहना ,
दोनों ने फ्लोरल बिना बांह वाली पतली बनयाइन ऐसी टी शर्ट पहन रखी थी , और कम्मो ने साफ़ साफ़ वार्निंग दे दी ,
हर रोज होली में शर्ट तो फटती ही थी ,
लेकिन बंटू बोला , " अरे भौजी के रहते हमें हाथ लगाना पड़े , आप उतार दीजिये न "
बस कम्मो का हाथ और सबसे पहले मंटू की शर्ट , लेकिन उन्हें अपने लालची बदमाश देवरों की शरारत का पता नहीं था और वो भी बंटू , बदमाशों का सरदार ,
भौजी के दोनों हाथ मंटू की शर्ट में उलझे थे और झट से बंटू ने भौजी का आँचल पकड़ कर , पहले तो जितना पेटीकोट में फंसा था उसे ढीला किया और जब तक वो रोकती , आधी साड़ी बंटू ने खींच के और रही सही मंटू ने ,
दोनों देवर तो टॉपलेस हो गए पर भौजी भी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ,
यही नजारा तो देवर देखना चाहते थे ,
भौजी के जोबन जबरदस्त थे , और खूब टाइट छोटे लो कट ब्लाउज में शैतान बच्चे की तरह उछलते कूदते , किसी का भी खूंटा खड़ा हो जाए
और ये दोनों तो देवर थे , तो खूंटा खड़ा झंडा लहराने लगा , बारमूडा में तम्बू तन गया।
पेटीकोट भी आगे जाँघों के बीच चिपका , पिछवाड़े से बड़े बड़े भारी नितम्बों की दरार में दुबका ,...
" तुम लोग भी कहोगे की भाभी नहीं है तो भौजी ने कुछ खिलाया पिलाया नहीं , तानी ताकत हो जाए तो होली होगी आज जबरदस्त "
कम्मो स्टोर में घुस गयी और दरवाजा भी उठँगा लिया ,
खाना पीना तो बहाना था , असली चीज रंग का स्टॉक , ... कालिख , पेण्ट की ट्यूब , पक्के रंगो की पुड़िया कोंछ में , एक जग में घोल के खूब गाढ़ा रंग बनाया ,
फिर भांग वाली गुझिया , ठंडाई , समोसा , कम्मो भौजी रंग , पेण्ट कालिख इकठ्ठा कर तो रहीं थीं लेकिन मन और इरादा दोनों कुछ और था ,
देवरों की चमड़े की पिचकारी से रंग खेलने का , जब से उन्होंने दोनों का कोमल को मुठियाते देखा था , एकदम मोटा मूसल , तभी से , प्लानिंग तो उन लोगों की पक्की थी , वो स्टोर में अनुज के साथ और दोनों देवर अपनी नयकी भौजी पर , ... वहीँ आंगन में
बहुत जोर की खुजली कम्मो भौजी की गुलाबो में मच रही थी , और कल जब से अनुज ने इसी आँगन में उन्हें रगड़ रगड़ कर , क्या ताकत है उसके अंदर , एकदम मस्त ,... और ये दोनों तो उससे भी बाइस लगते हैं , जैसे कल अनुज को पटक के लिया था न उसी तरह से आज , उन्होंने तय कर लिया था पहले मंटू पर नंबर लगाएंगी ,
और मंटू बंटू भी , बस वही सोच रही थी , आज तो बस सफ़ेद रंग वाली होली , ..एक बार उन्होंने चेक कर लिया था सभी दरवाजे बंद है , लेकिन तब भी , बंटू बाहर जाकर , बाहर का दरवाजा उसने बंद कर लिया और पीछे के दरवाजे से आकर वो भी
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जोबन के साथ पिछवाड़ा
कम्मो भौजी के जोबन के साथ उनका पिछवाड़ा भी उसे बहुत ललचाता था , एकदम गोल गोल बड़े बड़े चूतड़ ,...
कितना मजा आएगा गाँड़ मारने में ,
गाँड़ मारने का उसे बहुत शौक था , कॉलेज में चिकने लौंडों की नेकर सरका कर , निहुरा कर , और भी लेकिन जो मज्जा कम्मो भौजी की गाँड़ मारने में आने वाला था , उसे मालूम था भौजी आसानी से पिछवाड़े हाथ नहीं लगाने देंगी , और बहुत कसी टाइट भी होगी,... लेकिन वो भी नंबरी चोदू था , ...
जब कम्मो गुझिया समोसे की प्लेट , ठंडाई और सब खाने पीने का सामान लेकर पहुंची तो दोनों लड़के अच्छे , सीधे साधे बच्चों की तरह , लेकिन मंटू ने मना कर दिया और अपने होंठों की ओर इशारा कर के कहा की कम्मो भौजी अपने होंठों में लेकर खिलाएं , तभी वो खायेगा ,
कम्मो ने बड़ी सी डबल भांग वाली गुझिया अपने होंठों के बीच दबा कर सीधे , आधी से ज्यादा मंटू के मुंह में , लेकिन मंटू भी कम नहीं था , एक हाथ से उसने कम्मो भौजी का सर पकड़ा और कस के अपनी जीभ उनके मुंह में ठेल दी , कम्मो भी , जवान लड़के की जुबान चूसने का मौका , कोई जैसे मोटा लंड चूसे , उस तरह मंटू की जुबान वो चूस रही थी ,
और अपने एक हाथ से मंटू की कमर कस के पकड़ ली थी , मंटू का भी एक हाथ भौजी की कमर में उन्हें कस के दबोचे , और कम्मो ने अब दूसरी गुझिया भांग वाली , अपने हाथ से लेकर फिर अपने मुंह में लेकर मंटू के मुंह में , ... दोनों एक दूसरे से चिपके ,
और दोनों बंटू को भूल गए थे , जो अपने दोनों हाथों पर कस कस के गाढ़ा लाल , काही रंग का कॉकटेल बना रहा था , और फिर पीछे से,
मंटू ने पहले ही एक हाथ से कम्मो का सर पीछे से और कमर पूरी ताकत से पकड़ रखी थी ,
बंटू एकदम से दबे पाँव ,... एकदम हलके हलके ,आज कम्मो भौजी ने जो लाल लाल कसा टाइट ब्लाउज पहन रखा था , उसमें पीछे हुक लगे थे , खाली तीन , आलमोस्ट बैकलेस ,...
बस , पहले एक हुक , फिर दूसरा हुक और जब तक तीसरा हुक , कम्मो समझ गयी थी हमला किधर से हो रहा है , कसमसाते हुए उसने अपने को छुड़ाने की कोशिश की , पर आगे से मंटू ने कस के पकड़ रखा था और इस धींगामुश्ती में ,... तीसरा हुक टूट गया और ब्लाउज पीछे से खुल गया , और बंटू के हाथ के रंगा का कॉकटेल , पूरी तरह से भौजी की पीठ पर , रंग पेण्ट ,
ब्लाउज के हुक टूट गए थे , ब्लाउज खुल गया था पर दोनों जोबन आजाद नहीं हुए थे , ब्लाउज टाइट होने से अभी भी बड़े गदराये उभारों पर अटका था , लेकिन अब दो देवर , दो उभार ,
बराबरी से बंट गए , दो दिन पहले की तरह दायां वाला बंटू के हाथ में पीछे से हाथ बढाकर उसने दबोच लिया ,
और अब ब्लाउज में नीचे से हाथ डालना ज्यादा आसान हो गया था मंटू ने उधर से सेंध लगा दी ,
क्या मस्त दोनों देवर जोबन का रस ले रहे थे , रंग के बहाने रगड़ाई मसलाई के साथ बंटू कभी निपल्स को पकड़ के पल कर देता तो कभी ऊँगली से फ्लिक कर देता , भौजी सिसक उठतीं ,
मंटू के हाथ में रंग नहीं था , लेकिन बड़ी ताकत थी उसके हाथ में कस कस के मसल रगड़ रहा था ,
जब दोनों देवर जोबन का रस ले रहे थे तो भौजी ने अपने टारगेट पर सेंध लगा दिया , मंटू आगे था बस दोनों हाथों से थोड़ा सा झुक कर के उसकी बारमूडा नीचे तक ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,... जबरदस्त तन्नाया , बौराया मोटा खूंटा , बस कम्मो भौजी ने गपुच लिया और इतनी जोर से मुठियाया की पहले ही झटके में सुपाड़ा खुल गया ,
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देवर भौजी
जब दोनों देवर जोबन का रस ले रहे थे तो भौजी ने अपने टारगेट पर सेंध लगा दिया , मंटू आगे था बस दोनों हाथों से थोड़ा सा झुक कर के उसकी बारमूडा नीचे तक ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,... जबरदस्त तन्नाया , बौराया मोटा खूंटा , बस कम्मो भौजी ने गपुच लिया और इतनी जोर से मुठियाया की पहले ही झटके में सुपाड़ा खुल गया ,
मंटू न रोकना चाहता था भौजी को न रोक सकता था , न रोकना चाहता था , रोकने के लिए उसे भौजी के ब्लाउज से हाथ बाहर निकालना पड़ता , और कौन देवर कम्मो ऐसी रसीली भावज के ब्लाउज से हाथ बाहर निकालता ,
कम्मो ने अपने पैर से दबा के बारमूडा अब एकदम से निकाल दिया ,
मंटू और बंटू के एक एक हाथ भौजी के ब्लाउज में घुसे थे और दूसरी से रंग का खेल हो रहा था , बंटू ने मंटू के हाथ में पेण्ट की ट्यूब पकड़ा दी थी और वो ट्यूब से ही रंग पहले भौजी के चिकने पेट पर , पतली कमर पर और फिर वही रंग जोबन पर ,
पर भौजी को फरक नहीं पड़ रहा था , बस वो गरिया रही थीं ,
" सालों तेरी बहनों की बुर मारुं , अरे हमहुँ को तो रंग निकाल लेने दो , "
और जैसे ही उन्होंने दोनों देवरों का हाथ पकड़ने की कोशिश की , तो बस झटके में , लालची देवर इतनी मीठी मिठाई क्यों छोड़ते ब्लाउज की , ब्लाउज फट कर ,
" अच्छा तूने मेरा ब्लाउज फाड़ा है न अब तुम दोनों की गाँड़ मैं फाड़ूंगी , ... " खिलखिलाते हुए कम्मो उन से छुड़ाते हुए आंगन के दूसरे कोने की ओर ,
बंटू अब तक बचा था , बरमूडा भी बचा था , भौजी ने एक बाल्टी रंग उठा के सीधे बंटू पर , बल्कि बंटू के बारमुडे पर , और अपने पेटीकोट से अपना रंग का खजाना निकाल कर , कालिख की दो तीन परत , और अबकी पीछे से उन्होंने बंटू को दबोचा , सारी कालिख बंटू के गाल पर और जैसे बंटू ने उनका हाथ पकड़ने की कोशिश की , पीछे से मंटू ने दूसरी बाल्टी का रंग सीधे भौजी का पेटीकोट खिंच कर , पेटीकोट के अंदर ,
घलघल छलछल ,
लेकिन कम्मो भौजी का टारगेट तो कुछ और था , जब बंटू और मंटू रंग लगाने में जुटे थे , उन्होंने बंटू का बारमूडा खींच कर फर्श पर ,
क्या मस्त मोटा खूंटा था
कम्मो के जोबन जब बंटू के हाथ मसल रहे थे तो ये खूंटा सीधे लग रहा था पेटीकोट फाड़ कर , कम्मो भौजी के पिछवाड़े घुस जाएगा ,
कम्मो को अच्छा भी लग रहा था , वो मजे से गिनगीना रही थी ,
पर बंटू ने अपने बारमूडा को नहीं बचायाु उसने और मंटू ने मिलकर न सिर्फ भौजी के पेटीकोट का नाड़ा खोला बल्कि तोड़ दिया और उसे पेटीकोट से बाहर निकाल दिया , अब चाह के भी न वो पेटीकोट पहन सकती थीं न ब्लाउज
तीनों देवर भौजी एक तरह
और भौजी यही तो चाहती थी , वो मुड़ी और जो कल उन्होंने अनुज के साथ किया था वही मंटू के साथ जिसने उनका नाडा तोडा था ,
वहीँ आँगन में पटक कर , और उसके ऊपर चढ़ कर ,
खूंटा तना हुआ था ,
बस देवर भौजी की असली होली , अबकी एक झटके में भौजी ने देवर का सुपाड़ा गप्प कर लिया।कम्मो ने मान लिया , देवर की ताकत खूब बड़ा और उतना ही कड़ा सुपाड़ा ,
लेकिन बिना रगड़े ललचाये,
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(17-03-2021, 01:10 PM)UDaykr Wrote: Been a while and pleased to see many updates, nly comment lacks !
Looks like you have paced story based on Holi for Holi.
And Yes...
Can't wait to see another holi saga. You are going great and looking for much bigger picture.
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yess, it takes a lot of courage commitment and should i say , dhithayi and besharmi or sheer force of habit to keep on posting without any comments, i feel like singing in an auditorium without an audience,... and where even if i slow down or stop after cronning to walls somebody may come and shout, why you stopped. This is the tragic destiny of writers.
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Bhabhi bahut mast update
Kya mast likh rahi ho
Masti hi masti hai aap ki baaton me
Thanku so much ...
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(18-03-2021, 01:59 PM)@Kusum_Soni Wrote: Bhabhi bahut mast update
Kya mast likh rahi ho
Masti hi masti hai aap ki baaton me
Thanku so much ...
Yes, except for you i find hardly anybody who is reading this thread or posting comment, still i keep posting may be sheer habit or
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पूरा निचोड़ लिया। अगला अपडेट हाहाकारी होगा भाभी जान।
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(18-03-2021, 10:26 AM)komaalrani Wrote: yess, it takes a lot of courage commitment and should i say , dhithayi and besharmi or sheer force of habit to keep on posting without any comments, i feel like singing in an auditorium without an audience,... and where even if i slow down or stop after cronning to walls somebody may come and shout, why you stopped. This is the tragic destiny of writers.
Aise Na bolte, like is site pe log suru se hi aise hai bas ate aur jate hn but apka story ko log bhut pasand krte apko apke views dekhne chahiye, agar pasand na krte to kyu ate.
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भौजी चढ़ीं देवर की पिचकारी पर
और भौजी यही तो चाहती थी , वो मुड़ी और जो कल उन्होंने अनुज के साथ किया था वही मंटू के साथ जिसने उनका नाडा तोडा था ,
वहीँ आँगन में पटक कर , और उसके ऊपर चढ़ कर ,
खूंटा तना हुआ था ,
बस देवर भौजी की असली होली , अबकी एक झटके में भौजी ने देवर का सुपाड़ा गप्प कर लिया।कम्मो ने मान लिया , देवर की ताकत खूब बड़ा और उतना ही कड़ा सुपाड़ा ,
लेकिन बिना रगड़े ललचाये,
और ऊपर चढ़ के तो एक से एक पहलवानों , तगड़े से तगड़े मरदो का पानी छुड़ा देती थी , ये तो बेचारा नया बछेड़ा , लेकिन उसको रगड़ने में कम्मो को बहुत मजा आ रहा था ,
बस कस कस के उसने अपनी बुर में सुपाड़े को कस के भींचना शुरू कर दिया , पहले धीमे धीमे , फिर कस कस के ,
दोनों हाथों से कस के उसने मंटू के हाथों को कस के दबा लिया था ,
" भौजी करो न , करो न , " नीचे से उचकने की कोशिश कर रहा था वो पर कम्मो की पकड़ ,
थोड़ी देर तक उसे तड़पाने के बाद, कम्मो चालू हो गयी ,
" चल साले बहनचोद , अपनी सब बहनों का नाम बता तभी आगे धक्का मारूंगी , वरना ऐसे तड़प "
और साथ में दबे , नीचे पड़े किशोर देवर के निप्स कस कस के अपने नाख़ून से नोचने शुरू कर दिए ,
कुछ दर्द से कुछ मजे से वो सिसक रहा था , चीख रहा था ,
" चल बोल स्साले , अरे नाम बोल चोदने को नहीं बोल रही हूँ , बहनचोद , तेरी बहनो को चोदने के लिए हमारे गाँव वाले बहुत हैं बोल "
और मंटू ने नाम गिना दिया , कम्मो को मालूम तो था ही लेकिन फिर उसने बात आगे बढ़ाई ,
" अरे स्साले चल तेरी ममेरी , चचेरी , मौसेरी फुफेरी ,सब छिनार का नाम ले , वरना अभी उठ जाउंगी ,... "
और अभी तक रंग लगाने का कम्मो का मौका नहीं मिला था वो भी , ... आँगन में बह रहा रंग , पड़ी पुड़िया , पेण्ट की ट्यूब , सब की सब मंटू के सीने पर , पेट पर ,
मंटू ने नाम लेना शुरू किया और कम्मो ने सब का नाम ले ले के गरियाया और अब एक बार कस के धक्का ,
एक बार में ही आधा से ज्यादा लंड , कम्मो की बुर में , लेकिन कम्मो फिर रुक गयी , दोनों लौंडों ने जितना रंग उसके जोबन पर लगाया था सब रगड़ रगड़ कर उसी जोबन से देवर के गाल पर
और साथ साथ थोड़ी पकड़ ढीली की , अब नीचे से मंटू के धक्के भी चालू हो गए , जैसे सावन का झूला दोनों ओर से पेंग , एक धक्का कम्मो मारती तो दूसरा मंटू मारता , सटासट , गपागप , और बीच बीच में कम्मो रुक के , अपनी बुर में कस के उसके खूंटे को भींचती दबाती निचोड़ती ,
और फिर एक बार आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल कर , ... एक पल के लिए रुक कर , एक बार फिर कस के मंटू का हाथ पकड़ कर , क्या करारा धक्का मारा उसने ,
क्या कोई मर्द ऊपर चढ़ा ऐसा धक्का मारता जो ताकत कम्मो ने दिखाई , और एक बार में ही मंटू का सात इंच का पूरा खूंटा कम्मो ने घोंट लिया , एकदम जड़ तक ,
और जब मंटू का पूरा बांस एक बार में कम्मो के ,... तो एक बार कम्मो भी ,... जब सुपाड़ा उसकी बच्चेदानी से टकराया तो उसकी भी चूल हिल गयी , लंन्ड एकदम जड़ तक घुसा धंसा ,
कुछ देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे , फिर अबकी पहल नीचे से मंटू ने ही की , धक्के मारने की , और कुछ देर तक कम्मो सिर्फ साथ देती , फिर कम्मो धक्का मारती तो मंटू बस साथ देता ,
और इस बीच बंटू खाली नहीं बैठा था ,
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बंटू
भौजी क पिछवाड़ा
और इस बीच बंटू खाली नहीं बैठा था ,
उनकेबीच हो रही धका पेल चुदाई को देख कर उसका मन मचल रहा था , खूंटा उसका भी जबरदस्त खड़ा था , लेकिन उसका इरादा कुछ और था , उसने और मंटू ने मिल कर कई बार ' जुगलबंदी ' की थी , लेकिन कम्मो भौजी की बात और थी , एकदम रस की गाँठ थीं वो ,
जैसे ही कम्मो भौजी स्टोर में रंग का खजाना खोजने गयी थीं , इन दोनों ने भी अपना सारा जखीरा बरामदे में एक जगह छुपा दिया था , टी तो दोनों की पहुँचते ही कम्मो ने उतरवा दी थी और वो दोनों जानते भी थे , चाहते भी थे की कम्मो भौजी बरमूडा भी जल्द ही ,... फिर आज नयकी भौजी भी नहीं थीं तो झिझक भी थोड़ी बहुत रहती थी वो भी नहीं ,
बंटू का मन कम्मो भौजी के गदराये जोबन को देखकर जितना मचलता था , उससे ज्यादा भौजी के बड़े बड़े कड़े कड़े चूतड़ों को देखकर ,
कॉलेज से ही जब उसने चिकने नमकीन कमसिन लौंडो की नेकर सरकार , निहुरा कर ,... तभी से उसे पिछवाड़े का ,... लेकिन वो छेद छेद में भेद नहीं करता था ,
रंग, पेण्ट वो भी एकदम पक्के वाले , सब थे बंटू मंटू के जखीरे में लेकिन एक पुड़िया थी जो मंटू को भी नहीं मालूम थी , एकदम एटम बम्ब , ...
नत्था की स्पेशल बर्फी , जो भांग खिलाकर भौजी देवरों को टुन्न करके उनकी इज्जत लूटती थीं , उससे भी दस गुना बीस गुना ज्यादा असरदार , खास तौर पर लड़कियों औरतों के लिए , ... जो एकदम सीधी साधी अच्छी बच्चियां होती थी न , दुप्पटे के साथ किताबों से भी अपने आते उभारों को छुपाने वाली , बस थोड़ा सा उनके मुंह में किसी तरह से पहुंचा दे न ,... तो बस बिना कुछ कहे पांच मिनट में अपनी शलवार का नाड़ा खुद खोलने लगती थीं ,
और तीन चार राउंड तो मामूली , कम से कम चार घंटे तक असर रहता था उसका , ...
नहीं नहीं भांग नहीं थी ये ,एकदम इम्पोर्टेड। बॉलीवुड वालियां जिस ; ' माल' के लिए तड़पती थीं, व्हाट्सऐप और ,... हाँ वहीँ पर ये कमाल था , उस माल का बाप , ... और उसी की शुद्ध खोये वाली बर्फी में डाल कर, किसी तरह आधी बरफी भी कम्मो भौजी के मुंह में घुस गयी , तो उनके पिछवाड़े बंटू का बांस पूरा जाना तय था ,...
अपने दोनों हाथों में पेण्ट मलते , बंटू ऊपर से मंटू को पटक पटक कर चोदती कम्मो भौजी के बड़े बड़े उठते गिरते चूतड़ों को देख कर सोच रहा था ,
पूरी बर्फी उसने एक हाथ में ली , और आँगन में कम्मो भाभी के पास दबे पाँव
कम्मो ऊपर ,
मंटू नीचे
लेकिन नीचे से भी मंटू ने इतना जबदस्त धक्का मारा पूरा खूंटा भौजी की बुरिया में और सीधे बच्चेदानी पर लगी ठोकर ,... कम्मो ने मस्ती में आँखे बंद कर ली थी
और इससे अच्छा मौका क्या मिलता , खूब ताकत से एक हाथ से कम्मो के दोनों गाल दबाये और उन्होंने चिड़िया की तरह मुंह चियार दिया ,
पूरी की पूरी माल वाल बर्फी भौजी के मुंह के अंदर , और वो चुभलाने लगीं , आँखे खोल दी
पर देवर ने पहले तो होंठ उनके सील किये चार मिनट तक जब तक बर्फी पूरी तरह घुल नहीं गयी , फिर बोला ,
" हमने सोचा की भौजी इतनी मेहनत कर रहीं हैं , तानी उन्हें कुछ खिलाय पिलाय दें। "
" आपन बहिन उ हलवाई के यहाँ रखवाये थे की महतारी ,... बहुत मस्त बर्फी है ,"
मजे से आखिरी टुकड़ा चुभलाते भौजी ने अपने अंदाज में जवाब दिया और कचकचा के बंटू के गाल काट लिए , फिर कमर उठा के एक धक्का और ,
नीचे से मंटू के एक हाथ ने भौजी की पीठ पकड़ रखी थी और दूसरा हाथ ऊपर चढ़ी भौजी के जोबन का रस ले रहा था , बस दूसरा लड्डू बंटू के हाथ लग गया , लेकिन जोबन रस लगाने के साथ पक्का गाढ़ा लाल रंग का पेण्ट भी वो भौजी की खुली ३८ साइज की चूँची पर , और कुछ देर पर उसके दोनों हाथ कम्मो के जोबन का रस ले रहे थे , उसे रंग रहे थे ,
चोली के ऊपर से तो होली में सब रंगते हैं , देवर भौजी की होली तो चोली के अंदर वाली होती है , कुछ देर में भौजी के दोनों जोबना लाल लाल , और निपल बैंगनी ,... लेकिन बंटू का असली टारगेट तो कुछ और था ,
भौजी के बड़े बड़े मस्त चूतड़ , बड़ी मुश्किल से ऐसे चूतड़ मिलते हैं होली में रंग लगाने के लिए ,
और इन के लिए एकदम पक्के वाले रंग जिनसे रंगरेज ऐसे चुनरी रंगते हैं की जिंदगी भर रंग न छूटे , वो वाले लाल , काही , नीले रंग वो लाया था , साथ में पेण्ट के ट्यूब , जो प्रिंटर इस्तेमाल करते हैं वो वाले ,
रंग लगाने के साथ साथ जिस तरह से वो भौजी के नितम्बों को सहला रहा था , मसल रहा था , रगड़ रहा था ,
भौजी और मचल रही थीं , फागुन में जवान होते दो दो देवर , और जिस तरह से बंटू उनके पिछवाड़े मसल रहा था , वो समझ गयी थीं , स्साला बहनचोद पक्का रसिया है ,
बर्फी में मिले माल का असर भी भौजी के तन मन में घुल रहा था , असर दिखा रहा था ,
और रंग लगाते भौजी लगाते देवर की ऊँगली बार बार पिछवाड़े की दरार पर रगड़ देतीं और उस का असर भौजी पर सीधे होता , अगला धक्का दूनी ताकत से वो मारतीं
गच्चाक , अचानक पूरी ताकत से बंटू ने तर्जनी ठेल दी ,,
उईईईईई , भौजी के मुंह से चीख निकल गयी ,
सच्च में बड़ी ही कसी थी एकदम हाईकॉलेज वाली किसी कच्ची कोरी की तरह ,
बंटू घुसे हुए पोर को गोल गोल घुमा रहा था , उसने कितने कमसिन लौंडो की गाँड़ खोली थी , पहली पहली बार मारी थी , उन सालो की भी इतनी टाइट नहीं होती थी , पूरी ताकत से उसने फिर ऊँगली ठेली लेकिन एक सूत भी नहीं सरक पायी अंदर ,
उईईईईई अबकी और जोर से चीखीं कम्मो भौजी और वहीँ से गरियाया ,
"स्साले उधर नहीं , ... "
गोल गोल ऊँगली घुमाते बंटू ने जवाब भी उसी अंदाज में दिया ,
" काहें भौजी , उ का अपने गाँव वालन के लिए , हमरे गांडू स्सालों के लिए बचा रखा है , मैं बता देता हूँ , सालो को बोल दीजियेगा , हमार भौजी , और हमार भौजी की बहिनियो, हमरी सालियों की ओर आँख भी न उठाय के देखें , अरे बहुत मन करे न , तो तोहार आपने , महतारी के साथ ,... "
और फिर पूरी ताकत के साथ जो बंटू ने ठेला तो आधा पोर और अंदर गाँड़ के
" अरे साले , तोहरे साले हमारा बहिन ना तोहरी बहिनी क मरिहैं , तोहरी बहिनिया सोनू और अनुज क बहिनिया गुड्डी दोनों क गाँड़ मारेंगे , तोहरे स्साले , निकाल उंगली "
चीखते हुए कम्मो ने गरियाया।
ऊँगली तो बाहर निकल गयी लेकिन किसी ट्यूब का नोजल , कम्मो को लगा तो अंदर तो नहीं रंग लगा रहा है , फिर उन्हें ठंडा सा अंदर लगा ,
आज बंटू का इरादा भी पूरा था और प्लानिंग भी ,
बोरोलीन की ट्यूब , उसी की नोजल , और दबा के पूरी की पूरी ट्यूब की क्रीम भौजी की गाँड़ में , जो बचा खुचा था उसके मोटे सुपाड़े में
उसने जोर से नीचे दबे बंटू को आँख मारी , बस
इसके पहले भी वो दोनों कितनी बार जुगल बंदी कर चुके थे , बंटू ने जोर से मंटू को आँख मारी , बस मंटू ने धक्के की रफ़्तार नीचे से बढ़ाई , हर दूसरा धक्का , कम्मो भौजी के बच्चेदानी से टक्कर खा रहा था ,
ऊपर से अब पिछवाड़े का मोह छोड़ कर , एक हाथ से कस के बंटू भौजी के जोबन मीस रहा था और दूसरा जांघ के बीचों बीच उस जादू के बटन , भौजी की क्लिट पर , कभी सहलाता कभी दबाता , कभी क्लिट कस कस के रगड़ देता ,
बस दो चार मिनट में असर आ गया , कम्मो जोर जोर से झड़ने लगी , उसकी देह ढीली हो गयी , आँखे बंद हो रही थी ,
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क्या बात है भौजी। क्या मस्त लिखती हो, बिन बादल ही बरसात हो गयी।
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सट गया , धंस गया , अंड़स गया
आज बंटू का इरादा भी पूरा था और प्लानिंग भी ,
बोरोलीन की ट्यूब , उसी की नोजल , और दबा के पूरी की पूरी ट्यूब की क्रीम भौजी की गाँड़ में , जो बचा खुचा था उसके मोटे सुपाड़े में
उसने जोर से नीचे दबे बंटू को आँख मारी , बस
इसके पहले भी वो दोनों कितनी बार जुगल बंदी कर चुके थे , बंटू ने जोर से मंटू को आँख मारी , बस मंटू ने धक्के की रफ़्तार नीचे से बढ़ाई , हर दूसरा धक्का , कम्मो भौजी के बच्चेदानी से टक्कर खा रहा था ,
ऊपर से अब पिछवाड़े का मोह छोड़ कर , एक हाथ से कस के बंटू भौजी के जोबन मीस रहा था और दूसरा जांघ के बीचों बीच उस जादू के बटन , भौजी की क्लिट पर , कभी सहलाता कभी दबाता , कभी क्लिट कस कस के रगड़ देता ,
बस दो चार मिनट में असर आ गया , कम्मो जोर जोर से झड़ने लगी , उसकी देह ढीली हो गयी , आँखे बंद हो रही थी ,
बस इसी का इंतज़ार तो कर रहे थे दोनों , नीचे से मंटू ने कस के अपनी दोनों टांगों से भौजी की कमर को बाँध लिया और दोनों हाथ भौजी की पीठ पर , उसका मोटा लम्बा लंड अभी भी भौजी की बूर में एकदम जड़ तक घुसा धंसा ,
बंटू ने पूरी ताकत से भौजी को जकड लिया था वो जरा भी नहीं हिल सकती थीं और अभी जिस तरह से तूफ़ान में पत्ता कांपता है , उस तरह से हिलते हुए वोतरह काँप रही थी ,
अब आराम से बंटू ने भौजी के दोनों बड़े बड़े चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पूरी ताकत से फैलाया , दो आधे कटे तरबूज की तरह बड़े , मस्त
जैसे दो पहाड़ियों के बीच कोई दर्रा छिपा हो , उसी तरह , एक खूब छोटा सा भूरा छेद ,
दोनों अंगूठों को लगाकर बंटू ने उस छेद को जोर लगा के ,... और जो पूरी की पूरी बोरोलीन की ट्यूब उसने खाली की थी भौजी की गाँड़ में , क्रीम अभी बजबजा रही थी , बस जरा सा अंगूठा अंदर घुसा और फिर जैसे वो दो हिस्से में ,
वो कसा चिपका छेद देखकर ही देवर का लंड बौरा रहा था , बस सुपाड़ा गाँड़ के दुबदबाते छेद से सट गया , एक हाथ से पकड़ कर बंटू ने जोर से ठेला , मुश्किल से खुले छेद में आधा बस जाकर सुपाड़ा अंड़स गया , अब उसका घुसना मुश्किल लग रहा था , एक तो भौजी की गांड का छेद इतना संकरा , दूसरे बंटू का सुपाड़ा भी फूल कर खूब मोटा हो गया था , पहाड़ी आलू ऐसा ,
अब बंटू ने पूरी ताकत से दोनों चूतड़ों को पकड़ा को पकड़ा और एक करारा धक्का मारा ,
उईईई उईईईईई , नीचे से कम्मो चीखी , जैसे पानी से बाहर निकल कर मछली तड़पती है एकदम उसी तरह वो तड़फड़ा रही थी , छूटने की कोशिश कर रही थी
पर नीचे से मंटू ने कस के अपने हाथों और पैरों से पूरी ताकत से कम्मो को भींच रखा था ,
एक धक्का और ,
दूसरा ,
तीसरा
और गप्पांक
सुपाड़ा पूरा अंदर , और भौजी की गांड ने कस के सुपाड़े को भींच लिया था जैसे कस के किसी बिछड़े पुराने दोस्त को भींच ले , .... और अब बंटू और मंटू दोनों ने समझ लिया था , भौजी लाख गाँड़ पटकें , गाँड़ से लंड अब बिना अच्छी तरह हचक के गाँड़ मारे निकलने वाला नहीं था ,
और ये बात दोनों के बीच फंसी कम्मो भी अच्छी तरह समझ रही थी , ये बात कम्मो भी अच्छी तरह समझ रही थी , ये बात नहीं की उसकी गाँड़ मारी नहीं गयी थी या गाँड़ मरवाने में उसे मजा नहीं आता था , खूब आता था। उसके आगे पीछे वाले दोनों छेद , चढ़ती जवानी में ही , मायके में ही खुल गए थे , एक बार अमराई में रात को एक लौंडे ने , और एक दो बार गाँव के एक ठाकुर ने ,
लेकिन शादी के पहले बस चार पांच बार , और पांच छह साल से शादी के बाद से एक बार भी नहीं , उसके मर्द को पिछवाड़े का शौक एकदम नहीं था , और अब तो साल में दस ग्यारह माह पंजाब रहता था , और आता तो थका मांदा , हफ्ते में दो तीन बार
आगे वाला
और कम्मो ने जो अपने देवरों नन्दोईयों को यार पाल रखा था न उन्हें ज्यादा शौक था पिछवाड़े का न मारने का सलीका ,
और अब देवर ने चूतड़ छोड़ कर दोनों बड़ी बड़ी चूँचियों को पकड़ लिया ,
चूँची पकड़ कर निचोड़ते हुए कस के गाँड़ मारने का मज़ा ही कुछ और है ,
पूरी ताकत से बंटू ने ढकेलना शुरू किया , लेकिन एक दो इंच , ढाई इंच और फिर लंड रुक गया ,
कम्मो भी समझ रही थी और बंटू भी असली इम्तहान तो अब है ,
गाँड़ का छल्ला ,
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भौजी संग होली का मज़ा
कम्मो भी समझ रही थी और बंटू भी असली इम्तहान तो अब है ,
गाँड़ का छल्ला ,
" भौजी तानी ढील करा न ,... " बंटू ने अर्जी लगाई , थोड़ा सा पीछे खींचा और जैसे कोई धनुर्धर कंधे तक प्रत्यंचा खींच कर बाण छोड़े ,
बस उसी तरह थोड़ा सा पीछे खींच कर पूरी ताकत से पेलना बंटू ने शुरू किया
कम्मो बिलबिला रही थी , चूतड़ पटक रही थी
देवर पेल रहा था , ठेल रहा था , और गाँड़ का छल्ला भी पार
भौजी की छरछरा रही थी , परपरा रही थी , चरचरा रही , फटी जा रही थी ,...
एक देवर ने नीचे से कस कर जकड़ रखा था , पकड़ रखा था ,
दूसरा देवर पूरी ताकत से पेले जा रहा था , ठेले जा रहा था धकेले जा रहा था।
कम्मो भौजी को कुछ भी नहीं महसूस हो रहा था सिवाय बंटू के अपनी गाँड़ में धंसे मोटे लंड के ,
बंटू का मोटा भी बहुत था , मेरी कलाई से कम नहीं रहा होगा , आधे के आसपास ठेल कर , करीब चार चाढ़े इंच धकेल कर ही , आधा अंदर , आधा बाहर बंटू रुका और अब मंटू ने नीचे से धक्के पर धक्के लगाने शुरू किये ,
पीछे से एक देवर का लंड आधा धंसा अंडसा फंसा हुआ था और नीचे से दूसरे देवर के धक्के बुर में चालू हो गए , और अब दोनों मिल कर , चार पांच धक्के नीचे से भौजी की बुर में लगाता तो दूसरा देवर चार पांच धक्के भौजी की कसी टाइट गाँड़ में ,
दो तिहाई से ज्यादा मूसल६-७ इंच बंटू ने ठूंस दिया , और अब मंटू रुका और हचक हचक के भौजी की गाँड़ बंटू ने मारनी शुरू की , पांच सात मिनट के धक्को के बाद , पूरा बित्ते भर का बीयर कैन ऐसा मूसल , भौजी की गाँड़ ने घोंट लिया ,
और अब बंटू रुक गया , मंटू के धक्के चालू हो गए , हर धक्का बच्चेदानी पर ,
फिर दोनों साथ साथ , साथ साथ निकालते साथ घुसेड़ते ,
लेकिन कुछ देर बाद जब दोनों रुक गए तो कम्मो भौजी कौन कम थी
चूत में लंड तो कई सिकोड़ के निचोड़ लेती हैं , पर गाँड़ से ,... पर कम्मो भौजी कम्मो भौजी थीं , मंटू और बंटू के लंड एक साथ सिकोड़ कर निचोड़ कर
और जब कम्मो भौजी रुकतीं तो वो दोनों देवर , दोनों छेद का मजा एक साथ , २० -३० मिनट की धुंआधार चुदाई , गाँड़ मराई के बाद सबसे पहले बंटू ने भौजी की गाँड़ में माखन मलाई , और उस का असर ये हुआ की भौजी भी दूसरी बार , इतनी जोर जोर से झड़ रही थीं उनकी बुर बार बार सिकुड़ रही थी
और अब मंटू ने भौजी की बुर में मलाई छोड़ना शुरू किया
रुक रुक कर , अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों भौजी का सफ़ेद रंग से भर गया , होली का भौजी का असली मजा , ...
मैं कुछ देर तक कम्मो भौजी को देखती रह गयी ,
उनके चेहरे की ख़ुशी , छिपी छिपी मुस्कराहट , शरारत ,... बड़ी देर तक ,... फिर हम दोनों साथ साथ हंसने लगे , मैंने जोर से उन्हें भींच लिया , और हलके से चूम भी लिया ,
हम दोनों में देवरानी जेठानी का तो रिश्ता लगता था , बहन बहन का भी , बनारस के नाते और सबसे बढ़कर खिलंदड़ी सहेलियों वाला ,
तो उसके बाद सफ़ेद रंग वाली होली खेलकर दोनों देवर चले गए ,
मैंने सीरियसली पूछा।
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भाभी उफ्फ्फ !
क्या चुदी है कम्मो वाह
2 - 2 जब चढते है नानी याद आ जाती है औरत को
होली पर इस से बढ़िया कुछ हो नहीं सकता
ओर ठुकाई होनी चाहिए
बढ़िया लेखन
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01-04-2021, 10:23 AM
(This post was last modified: 01-04-2021, 10:24 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
देवर भौजी की होली,
हम दोनों में देवरानी जेठानी का तो रिश्ता लगता था , बहन बहन का भी , बनारस के नाते और सबसे बढ़कर खिलंदड़ी सहेलियों वाला ,
"तो उसके बाद सफ़ेद रंग वाली होली खेलकर दोनों देवर चले गए , मैंने सीरियसली पूछा।
उन्होंने पहले बुरा सा मुंह बनाया ,
" इत्ते सीधे हैं तुम्हारे देवर, "
फिर एक हाथ की पाँचों उँगलियाँ दिखायीं ,
मैं दहल गयी , यानी पांच बार ,... फिर दूसरे पंजे की भी एक ऊँगली कम्मो भौजी ने खोल दी
यानी छह बार
और जोर से हँसते हुए मुझे भींच लिया और चूमते बोलीं
सच में जबरदस्त हैं स्साले दोनों , तीन तीन बार दोनों ने एक बार बंटू ने पिछवाड़े का मजा लिया था तो मंटू कैसे पिछवाड़ा छोड़ता उसने भी , और दो दो बार आगे वाली सहेली को सफ़ेद रंग से नहलाया , हाँ सैंडविच एक बार , उसके बाद बारी बारी से ,... "
फिर हाल खुलासा बताया ,
बंटू ने ही अगली बार फिर नंबर लगाया , आगे वाली सहेली में ,
लेकिन उसके पहले भौजी ने एक बार फिर दोनों देवरों को गुझिया समोसा , दहीबड़ा , खिलाया पिलाया , थोड़ी बहुत होली भी लेकिन अब तो उन्हें भी चमड़े की पिचकारी से ही होली खेलनी थी ,
दोनों का मन उनके गदराये गुबारों से नहीं भर रहा था तो उनका दोनों देवरों की पिचकारी से ,
और वहीँ रंग भरे आँगन में दोनों देवरों ने उन्हें पटक दिया , और चार बाल्टी रंग , और कहीं नहीं सीधे गुलाबो पर , और उसके बाद टांग उठा के बंटू ने अपने कन्धों पर रखा और एक धक्के में पिचकारी अंदर ,
होली अभी भी रुकी नहीं थी , मंटू रंग उनके गालों पर उभारों पर पेट पर पोत रहा था और भौजी एक से एक बढ़ कर गालियां , साथ में अब बंटू को पता चल रहा था किसी चुदवासी नार से पाला पड़ा है ,
हर धक्के के जवाब में उससे भी ज्यादा जबरदस्त धक्के , नाखुनो और दांत से गाल पर सीने पर खरोंचें , और महतारी बहिन कोई नहीं बच रही थी ,
मंटू भी नहीं ,
भौजी दोनों देवरो को बराबर , एक का बुर में था तो दूसरे को वो मुठिया रही थीं ,
भौजी दोनों देवरों की तारीफ़ कर रही थीं , लेकिन बंटू से कुछ ज्यादा , क्योंकि गरिया उसे ही ज्यादा रही थीं , ...
" मेरी गाँड़ के तो मादरचोद एकदम पीछे पड़ गया था।
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मस्त जुगल बंदी
" मेरी गाँड़ के तो मादरचोद एकदम पीछे पड़ गया था। "
मैंने अच्छी देवरानी की तरह जेठानी की तारीफ़ की , उनके बड़े बड़े नितम्बों को सहलाते , जिसकी देवरों ने आज भरपूर सेवा की ,... उन्हें मैंने छेड़ा ,
" अरे इतनी मस्त गाँड़ हो तो गाँड़ न मारना , गाँड़ और गाँड़ वाली के साथ नाइंसाफी है , और मेरे देवर , बहनचोद , मादरचोद, भंडुए , गंडुए , चाहे जो भी हों , उन्हें नाइंसाफी नहीं पसंद है , लेकिन आप तो कह रही थीं दोनों ने एक एक बार पिछवाड़े का मजा लिया और दो दो बार आगे का , तो बंटू ने दुबारा कैसे , पिछवाड़े सेंध लगाई ,... "
" अरे ये स्साला बंटू , इसकी बहन चोदू , जब निहुरा के चोद रहा था , उसी समय थोड़ी देर मेरी गुलाबो में धक्का मारने के बाद बस गोलकुंडा में , ... आठ दस धक्के वहां , फिर छेद बदल बदल कर , ... और जब चोदता भी था तो उस समय भी दो ऊँगली , पिछवाड़े डाल कर गोल गोल , ... अपने भाइयों से उसके बहन की गाँड़ न मरवाई तो ,... "
कम्मो भौजी ने मामला साफ़ किया। लेकिन मैं अपने देवरों की बुराई नहीं सुन सकती थी तो मैंने बंटू की साइड ली ,
" लेकिन बात तो सही है न , मेरे देवर न छेद छेद में भेद करते हैं और न बहन और भौजाई में " मैं हँसते हुए बोली।
कम्मो भौजी ने बोला की कैसी मस्त जुगल बंदी की दोनों ने , सैंडविच भले ही एक बार ही बनी हो लेकिन दोनों लगे हुए थे , मंटू ने उनकी गांड आगे से ही , चूतड़ खूब उठा के मारी हो , लेकिन अबकी भौजी चीख भी नहीं पा रही थीं क्योंकि दूसरे देवर ने अपना मूसल उनके मुंह में ठूंस रखा था , लेकिन भौजी ने भी बंटू और मंटू दोनों का न सिर्फ मोटा रसीला गन्ना चूस चूस कर , ... देवरों को बेहाल कर दिया बल्कि उनके रसगुल्ले भी ,...
जब मंटू भौजी की गाँड़ हचक हचक के मार रहा था , तो बंटू ने उन्हें 69 का भी मजा दिया ,
और भौजी ने बताया की मेरे दोनों देवर चोदू तो हैं ही नंबरी , मस्त चूत चटोरे भी हैं ,
मैं कहते कहते रह गयी , भौजी एकदम आपके देवर की तरह ,
हाँ एक बात और सब रंग उन्होंने अगवाड़े पिछवाड़े ही नहीं डाला अपनी चमड़े वाली पिचकारी का , बल्कि भौजी के गदराये जोबन पर रसीली देह पर चंदा ऐसे मुखड़े पर भी अच्छी तरह से वीर्य स्नान कराया , सफ़ेद रंग की होली जबरदस्त हुयी भौजी की मेरे देवरों के साथ
हाँ एक बात कम्मो भौजी ने मुझे नहीं बतायी , लेकिन मैं समझ गयी , जाने के पहले उन्होंने दोनों देवरों से एडवांस बुकिंग आगे की भी करा ली ,
" देवर भौजी का फागुन , साल भर रहता है , खाली फागुन में नहीं ,... समझे लाला " दरवाजा बंद करते वो बोलीं तो दोनों देवरों ने एक साथ जवाब दिया ,
"एकदम भौजी , ये भी कोई कहने की बात है "
मैं तो दो तीन दिन में चली जाउंगी लेकिन कम्मो भी यहीं रहेंगी और मेरे देवर भी , फिर उनके पति के आने में अभी सात आठ महीने, मैंने बात मोड़ दी दूसरी तरफ, शिकायत करते
" आपने मेरे देवरों से तो सफ़ेद रंग वाली होली जबरदस्त खेल ली , लेकिन अपने देवर के साथ ,... " मैंने इनकी ओर इशारा किया
" अरे खेलूंगी , जबरदस्त खेलूंगी , साली सलहज सास पिचकारी का रंग लूटेंगी उसके पहले भौजाई का नंबर ,... और तेरे सामने खेलूंगी ,... "
उनकी ऊपर स्विट्जरलैंड के साथ कांफ्रेंस चल रही थी और मेरा भी गपियाने का मन था , तो मैंने भौजी को और छेड़ा ,
" भौजी इसके पहले भी डबलिंग , कभी ,... "
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होली का रस
उनकी ऊपर स्विट्जरलैंड के साथ कांफ्रेंस चल रही थी और मेरा भी गपियाने का मन था , तो मैंने भौजी को और छेड़ा ,
" भौजी इसके पहले भी डबलिंग , कभी ,... "
" कितनी बार , शादी के पहले भी , गन्ने के खेत में , अरहरिया में ,... लेकिन ऐसी जबरदस्त आज ही , अरे एक बार तो ट्रिपलिंग भी ,... "
हँसते हुए भौजी ने कबूल किया ,
जो मजा
गन्ने के खेत और अरहरिया में है उ डबल बेड पर भी नहीं है ,
और होली में तो भौजाई सब पकड़ के ऐसी रगड़ाई ,... एक बार भौजी के दो भाई आये थे , उन दोनों ने ही और भौजी के सामने ,
कम्मो भाभी की बात ने मुझे अपनी गाँव की होली की याद दिला दी ,
सच में भाभियाँ शायद ही कोई देवर बचता हो जिसका पाजामा न खुलता हो , कई कम उमर वालों को भी , बस दो दो भाभियाँ पकड़ लेती दोनों हाथ , तीसरी आराम से पहले पजामा का नाड़ा खोलती , फिर पाजामे से नाड़ा बाहर कर के नाड़ा आसपास के खेत में फेंक देती बस , कहतीं जाओ।
यही हाल नंदों की शलवार का होता ,
लेकिन मुझे कुछ और पूछना था , वो ट्रिपलिंग वाली बात ,
और कम्मो भौजी ने अपनी ससुराल की , शादी के बाद की पहली होली की बात बतानी शुरू कर दी।
" कब " मैं अब आश्चर्य चकित थी , ये किस्सा भौजी ने कभी नहीं सुनाया था ,
भौजी फ्लैश बैक में चली गयीं।
जैसा गाँव में होता है कम्मो भौजी की शादी कम उम्र में ही हो गयी थी , हाँ पर इस उमर में भी वो अच्छी खासी , देखने में भी जोबन में भी , जवानी आने के पहले ही गुड़ में चींटी की तरह लौंडे मंडराने लगते हैं , उसी तरह ,...
और उनके उमर की लड़कियां जब पाठशाला में , कॉलेज में तो कम्मो गन्ने के खेत की मास्टरनी बन चुकी थीं ,
शादी भी गाँव में हुयी और मर्द भी उनकी जोड़ी का ही मिला , पहले दिन से ही ,... रात भर चक्की चली,
घर में उनसे छोटी दो ननदें , एक देवर और सास,
ससुर नहीं थे,
एक ननद जो कम्मो से मुश्किल से साल भर छोटी थी , उसकी शादी सात आठ महीने पहले हो गयी थी , नन्दोई भी जबरदस्त ,
छोटी ननद , थोड़ी छोटी थी , इनकी ममेरी बहन गुड्डी की समौरिया या दो चार महीने छोटी ही रही होगी उस समय ,
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