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Misc. Erotica DESI HINDI SHORT SEX STORIES
#61
जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-2

पिछले पार्ट में आप लोगों ने पढ़ा था कि कैसे मामी ने अपनी ज़िंदगी के बारे में मुझे बताया था. मैं उनको किसी पराए मर्द के साथ सेक्स करने तक की बात कहने लगा था.

अब आगे..
इस तरह की बातों के बाद एक दिन की बात है. मुझे मामी से खबर मिली कि मामा ने सूरत में अपनी जॉब छोड़ दी है और अब वो मामी को लेकर गांव जा रहे हैं.
मैंने मामा से बात की, तो वो बोले कि हां फैक्ट्री मालिक का काम सही नहीं चल रहा है, तो उसने एक महीना का वेतन एड्वान्स देकर बोला है कि आप लोग कहीं और जगह जॉब ढूंढ लो.
मैंने कहा- तो आप गांव क्यों जा रहे हैं? वहां कोई दूसरी जगह काम नहीं मिल रहा है?
उन्होंने कहा- मैंने बहुत कोशिश की, मगर अब मेरा इधर से मन हट गया है. मैं गांव ही जाना चाह रहा हूँ.
मैं उनसे कुछ नहीं कह सका.
कुछ दिनों बाद मामा सूरत से वापस गांव आ गए और गांव में मामी और बच्चों को छोड़ कर मम्मी के कहने पर दिल्ली हमारे पास आ गए. चूंकि मामा को सेल्स में काफी अच्छा अनुभव था. तो पापा ने अपने एक परिचित वाले की गारमेंट की शॉप पर बात करके उनकी नौकरी वहीं लगवा दी.
नौकरी लगने के बाद मामा की लाइफ फिर से गाड़ी पर आ गई थी. मामा हमारे पास ही रहते और इधर से ही अपने काम पर चले जाते. ऐसा करते करते अभी कुछ ही दिन बीते थे.
इन दिनों मामी अब भी रोज रात को मुझसे फोन पर बात करती थीं. मुझसे ही वो मामा के हाल-चाल भी पूछ लेती थीं.
एक रात की बात है. मैं और मामी बात कर रहे थे. रात के करीब 12:30 बज गए थे. इस वक़्त सब कोई घर में सो रहा था और मैं अपने रूम में था.
मैंने पूछा- मामी आप मुझसे मामा के हाल-चाल क्यों पूछती हो, उनसे खुद ही पूछो ना.
वो बोलीं कि जब भी उनसे बात करती हूँ तो उनके पास टाइम ही नहीं होता. एक तुम ही हो, जिससे मैं अपना सारा दुख-सुख कह देती हूँ और मेरा दिल हल्का हो जाता है.
फिर मैंने पूछा- अब आपकी रातें वहां कैसे कट रही हैं?
इस पर मामी बोलीं- कैसी रात कटती हैं … तुम सब समझ ही रहे हो … इस तन्हा रात में मैं तुमसे बात कर रही हूँ. अब तो मेरी लाइफ में सारी रातें काली होना ही लिखी हैं.
मैं समझ गया कि मामी की प्यास अब चरम पर आ गई है.
तभी मामी बोलीं कि तुम बताओ … तुम्हारी रातें कैसे कट जाती हैं?
इस पर मैंने कहा कि बस रोज रात को ब्लू फ़िल्में देख लेता हूँ … और मुठ मार कर सो जाता हूँ. आज रात तो आप से बात कर रहा हूँ … आज फिल्म देखने का कोई मतलब ही नहीं है.
मामी बोलीं- क्यों आज रात मुठ नहीं मारोगे?
मैंने कहा- मामी आज तो ज़रूर मुठ मारूंगा … मेरे 9 इंच के लंड की नसें मानो अब फट कर बाहर आ जाने वाली हैं.
मामी बोलीं- ऐसा क्या हो गया?
मैंने आज खुल कर कह दिया- मुझे आपकी जवानी परेशान कर रही है. मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
ऐसा बोलते ही मेरे एक हाथ ने लंड को हिलाना शुरू कर दिया और मेरे मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.
मेरी बात सुनकर मामी बोलीं- लगता है … तेरी स्थिति मेरी तरह ही है.
मैंने कहा- नहीं मामी, मेरी स्थिति तो आपसे भी बुरी है. आपने तो फिर भी लंड का स्वाद ले लिया है … मैंने तो आज तक किसी के साथ सेक्स ही नहीं किया है.
इस पर मामी बोलीं- तुम अपना लंड किसी की में भी पेल दो, जो भी तेरा नौ इंच का लंड अपनी चुत में लेगी, वो बड़ी खुशकिस्मत होगी. तुम्हें शायद मालूम नहीं है कि 9 इंच का लंड सबके पास नहीं होता है.
इस बात पर मैंने थोड़ी असहजता दिखाई और पूछा- क्यों मामा का इतना लम्बा नहीं है क्या?
वो ‘हुंह..’ करके बोलीं- तेरे मामा का अगर पूरा खड़ा भी हो जाए, तो भी 4 इंच से ज़्यादा बड़ा नहीं होगा.
मैंने अपना लंड सहलाते हुए बोला- तो आप मेरा ही ले लो ना मामी.
इस पर मामी हंस कर बोलीं- मामा को दे दो … मैं उनसे ही ले लूंगी.
मैं हंसने लगा. उधर मामी भी हंसने लगीं. मैंने अपनी मुठ मारने की रफ़्तार बढ़ा दी और आवाजें निकालने लगा.
मामी मुझे गरम करते हुए बोलीं- किसकी में पेल रहा है?
मैंने कहा- मामी, आपकी चुत में पेल रहा हूँ.
मामी मुझे उत्तेजित करते हुए बोलीं- जरा धीरे धीरे कर … मुझे लग रही है.
मैंने कहा- मामी अपने दूध पिलाओ न.
मामी बोलीं- हां पी ले … मैंने कब रोका है … आ जा जल्दी से दोनों चूस ले.
हम दोनों इसी तरह की सेक्सी बातें करते हुए फोन सेक्स करते रहे.
कुछ देर बाद मेरे लंड ने दम तोड़ दिया. मैंने लंड का सारा पानी वहीं बिस्तर पर एक कागज पर गिरा दिया और राहत की सांस भरने लगा.
इस बात का अंदाजा शायद मामी को हो चुका था, तो फिर मुझसे बोलीं- निकाल दिया पानी?
मैंने हैरान होते हुए पूछा- आपको कैसे पता चला?
वो बोलीं- तेरी सांसें बता रही हैं कि तुमने अभी ही अपना पानी निकाला है!
इस पर हम दोनों हंसने लगे. थोड़ी देर बाद हम दोनों ने गुड नाईट बोला और सो गए.
दो दिन बाद मामा की पहली तनख्वाह आ गई, तो वो मम्मी को देने लगे.
मम्मी ने उनको समझाया और बोला- बच्चों और बहुरानी को यहीं लेकर आ जाओ … और यहीं रह कर बच्चों का कॉलेज में एडमिशन करवा दो … क्योंकि बच्चों के कॉलेज के दिन खराब हो रहे हैं.
ये बात सुनकर मामा बाहर चले गए. उनके जाते ही मेरे पापा थोड़ा मम्मी से नाराज़ हो गए कि एक तो पहले ही ये हम पर बोझ है और तुम इसकी बीवी बच्चों को भी बुलवाने की कह रही हो?
पापा ये नाराज़गी दिखाते हुए मम्मी से झगड़ने लगे.
पापा ने मामा से तो कुछ कहा नहीं, पर मामा इस बात को समझ ज़रूर गए थे कि अब उनका यहां ज़्यादा दिन रहना ठीक नहीं है.
कुछ ही दिनों में मामा ही ने एक फ्लैट किराए पर ले लिया और अगले महीने ही वो मामी और बच्चों को लेकर उस फ्लैट में रहने आ गए. उनका ये फ्लैट हमारे घर से करीब ही था. हालांकि मुझे ये बात अब तक नहीं मालूम थी.
मम्मी ने मामा को काफी समझाया भी था कि जब घर है ही, तो फिर रेंट पर फ्लैट लेने की क्या ज़रूरत है.
पर मामा बोले- नहीं नहीं … दीदी ऐसी कोई बात नहीं … सूरत में भी तो मैं किराए पर ही रहता था.
मामा की इस बात को सुनकर मम्मी ने उनसे ज्यादा कुछ नहीं कहा.
अब मामी दिल्ली आ गई थीं. उन्होंने अपने परिवार को उस फ्लैट में व्यवस्थित कर लिया.
दो दिन बाद मामी हमारे घर आईं, तो मैं उनका मादक जिस्म देख कर एकदम मस्त हो गया था. हम दोनों एक दूसरे को देख कर बस मुस्कुरा रहे थे. ना ही मामी मुझसे ज़्यादा कुछ बोल रही थीं … और ना ही मेरी हिम्मत हो रही थी कि उनसे खुल कर बात कर सकूं.
मामी ने मुझसे इशारे में एक तरफ आने के लिए भी कहा, मगर न जाने मेरी सारी चंचलता किधर घुस गई थी.
उस दिन मामी चली गईं … मगर मुझे अभी भी नहीं मालूम था कि मामी दिल्ली रहने आ गई हैं. मुझे लगा कि मामी कहीं घूमने जा रही हैं. शाम को मामी नहीं आईं … और मुझे भी कुछ काम लग गया, तो मैंने सोचा कि मामी वापस चली गई हैं.
दूसरे दिन, मैं छत पर बैठा पढ़ रहा था, अचानक मामी छत पर आ गईं. मैं थोड़ा असहज हो गया कि मामी रात को घर पर ही रही थीं और मैंने उनसे बात ही नहीं की.
मामी ने पूछा- तुम फोन पर जैसे हो … रियल में वैसे क्यों नहीं लगते?
मैंने थोड़ा संभलते हुए कहा कि नहीं मामी … ऐसी कोई बात नहीं है.
मामी पूछने लगीं- फिर जैसे फोन पर बात करते हो, सामने से वैसे क्यों नहीं करते.
मामी मुझसे ये सब पूछ रही थीं और मेरी निगाहें अब मामी के उभरे हुए चूचों पर टिक गई थीं. मेरी मामी पहले से थोड़ी सी मोटी हो गई थीं … लेकिन उनकी चूचियां मुझे पहले से भी ज़्यादा मोटी दिख रही थीं. आज मामी लाल रंग की साड़ी और स्लीवलैस ब्लाउज पहने हुए थीं. उनके बदन से वो ड्यू वाली खुशबू हवा में मदहोशी फैला रही थी.
उस मदमस्त कर देने वाली महक से मुझे लग रहा था कि अभी मैं मामी को अपनी बांहों में भर लूं और उनको पूरा का पूरा खा जाऊं.
मुझे इतनी गहरी सोच में डूबा हुआ देख कर मामी ने मुझे हल्का सा धक्का दिया और बोलीं- कहां खो गया?
मैंने मुस्कुराते हुए का कहा- नहीं नहीं … कहीं नहीं … मामी … बस कुछ नहीं.
फिर हम दोनों बातें करने लगे. थोड़ी ही देर में हम दोनों में वो वाली बातें आ गईं, जैसे फोन पर हुआ करती थीं.
मैंने एक बार सीढ़ी से नीचे झांक कर देखा. उधर कोई नहीं था.
मैंने मामी से धीरे से कहा- मामी आपके चुचे सच में कमाल के हो गए हैं … ऐसे लगते हैं, जैसे पके हुए आम हों.
इस पर मामी ने भी मज़ाक करते हुए बोलीं- तो कभी फ्लैट पर इसी बहाने से आ जाइओ. उधर इन आमों का जूस भी पी लेना.
मामी के मुँह से फ्लैट शब्द सुनकर मुझे थोड़ा अचंभा सा हुआ.
मैंने पूछा- फ्लैट … कैसे?
वो बोलीं- हम पास वाले DDA फ्लैट में शिफ्ट हो गए हैं. तेरे मामा ने उसको किराए पर लिया हुआ है.
ये सुनकर मैं एक बार के लिए तो थोड़ा उदास हो गया. पर मामी बोलीं- टेंशन ना ले … सही किया, जो तेरे मामा ने फ्लैट किराए पर ले लिया. अब तेरा 9 इंच का केला मैं आराम से देख सकती हूँ.
मामी ये कहकर हंसने लगीं और जल्दी से अपनी गांड मटकाते हुए नीचे चली गईं.
दोस्तो, ये सुनकर मुझे तो पता नहीं क्या हो गया था. मैंने तो ये बात मामी से मज़ाक में बोली थी, लेकिन मामी के दिमाग में अभी भी मेरे 9 इंच के लंड वाली बात चल रही थी.
ये सोच सोच कर उस रात मैंने दो बार मुठ मारी. अब तो मेरे दिल और दिमाग़ पर बस मामी ही मामी छा गई थीं. मैं सारे दिन हर वक्त सिर्फ़ और सिर्फ़ मामी के ही सपने देखता रहा.
मैं सुबह ही मामी के फ्लैट पर चला गया और मामा व बच्चों से मिल आया. मामा को मुझे उधर पाकर अच्छा लगा.
मैंने मामा से कहा भी कि मुझे तो मालूम ही नहीं चला कि आपने फ्लैट किराए पर ले लिया है. उधर क्या दिक्कत थी?
मामा कुछ नहीं बोले … बस हल्के से मुस्कुरा दिए.
कुछ दिनों बाद ही मामा ने बच्चों को पास के एक कॉलेज में एड्मिशन दिलवा दिया और फिर जॉब पर जाने लगे. मेरी मामी से फोन पर रोज बात होती रहती थी.
मामा की जॉब सेल्स की थी और उनकी कंपनी भी काफ़ी दूर थी. मामा सुबह 8 बजे ही घर से निकल जाते थे और लेट नाइट ही घर आते थे.
एक दिन मेरी मम्मी को कुछ सामान मामी को देना था, तो वे बोलीं कि अतुल एक बार मामा को फोन करके पूछ ले कि वो आकर सामान ले जाएं.
मैंने मामा को फोन लगाया और अपनी मम्मी से बात करवाई. फ़ोन स्पीकर पर था, तो मैं भी आवाज़ सुन सकता था.
मामा बोल रहे थे- मैं तो कब का घर से निकल गया हूँ दीदी … तुम अतुल को घर पर भेज देना. उसकी मामी सामान ले लेगी.
मम्मी ने ओके कह कर फोन काट दिया.
फिर उन्होंने मुझसे कहा- तुम ज़रा अपनी मामी को फोन लगा कर पूछ कि वो घर पर है कि नहीं.
ये सब सुन कर मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था. मैंने फोन लगाया और झट से कहा- मामी जी मेरी मम्मी आपसे बात करेंगीं.
वहां से मामी की आवाज़ आई. वो बोलीं- दीदी जी नमस्ते.
मम्मी ने कहा- थोड़ी देर में मैं अतुल को कुछ सामान देकर भेज रही हूँ … तुम घर पर ही हो ना!
मामी ने कहा- हां दीदी जी … मैं घर पर ही हूँ … मैं कहां जाऊँगी.
मम्मी ने मुझे कुछ सामान दिया और बोलीं कि लो ये सामान मामा के घर देकर आओ.
मैंने कहा कि मैं थोड़ी देर उनके बच्चों के साथ भी खेल लूंगा. … तो मैं देर से ही आऊंगा.
इस पर मम्मी बोलीं- कोई बात नहीं … पर जल्दी आ जइयो.
मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हो रहा था.
मैंने मामी के घर जाने की तैयारी की. सबसे पहले मैं वॉशरूम में गया और अपनी झांट के बालों की शेविंग की और मामी के नाम की एक मुठ भी वहां मारी. फिर अच्छे से नहा धोकर सामान लेकर मामी के घर चल दिया.
उस समय दिन के लगभग 11 बज रहे होंगे.
मैं सामान लेकर मामी के फ्लैट के सामने खड़ा था. मैंने घंटी बजाई … बस थोड़ी देर में ही मामी नाइटी में बाहर आ गईं और दरवाजा खोलकर मुस्कुराते हुए बोलीं- आओ अतुल आओ … कैसे हो … मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी.
अब मैं क्या बताऊं मामी को कि मैं कैसा हूँ. बस आपको ही सोच कर मेरा सोच कर ही मेरा लंड फड़फड़ाता रहता है.
मैंने मामी को गौर से देखा, तो ऐसा लगा कि जैसे मामी ने अभी नहाया नहीं था. उनकी अलसाई जवानी इस समय कहर बरपा रही थी.
मामी ने मुझे अपने कमरे में ले जाकर बेड पर बिठाया और मेरे सामने कोल्ड ड्रिंक और नमकीन की प्लेट रखते हुए कहा- अतुल तू ये खा … जब तक मैं नहा कर आती हूँ.
मैंने उनसे पूछा- बच्चे कहां हैं?
मामी जाते जाते बोलीं कि वो तो कॉलेज गए हैं … दो बजे तक आएंगे.
उनके इस फ्लैट में उनके रूम में ही बाथरूम लगा हुआ था.
मामी मुझे नमकीन और कोल्डड्रिंक देकर नहाने चली गईं. उनकी मटकती गांड देख कर मेरे दिल में तो जैसे सांप लोट गया था.

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#62
जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-3

अब तक आप लोगों ने पढ़ा था कि कैसे मेरे और मामी के बीच बातचीत होना शुरू हुई और मेरे मामा की सूरत से नौकरी छूटने के बाद वो दिल्ली आ गईं. फिर कैसे मैं उनके फ्लैट किसी काम से गया. मामी मुझे बिस्तर पर बिठा कर मेरे सामने कोल्डड्रिंक और नमकीन रख कर नहाने चली गई थीं.

अब आगे:
मुझे उनके बिस्तर से उनके ही बदन की खुशबू आ रही थी. थोड़ी देर बाद वाशरूम से पानी के गिरने की आवाज आ रही थी. मैं समझ चुका था कि मामी नंगी होकर नहाने लगी हैं. नंगी मामी के बदन का सोच कर मेरा हथियार अंगड़ाई लेने लगा. मेरा वॉशरूम में झांकने का मन हुआ, पर एक अनजाना सा डर भी लग रहा था.
फिर मुझे ध्यान आया कि मामी से डरना कैसा … नाराज हुईं, तो पैर पकड़ लूंगा.
ये सोच कर मैं उठ गया और मैंने धीरे से वॉशरूम के पास जाकर उसके दरवाजे की एक झिरी से अन्दर देखने की कोशिश की. मुझे अन्दर हल्का हल्का ही नज़र आ रहा था. धीरे धीरे मुझे अन्दर की सब कहानी समझ आने लगी.
मैंने देखा कि मामी सामने ही मिरर के सामने एक स्टूल पर बैठ कर अपने नीचे कुछ कर रही थीं. अचानक मुझे उनके हाथ में शेविंग ब्रश और मामा का शेविंग रेज़र दिखा. मुझे ये समझते देर ना लगी कि मामी अपने नीचे चुत की शेविंग कर रही हैं.
मैं उनको लगातार झिरी से देखे ही जा रहा था.
थोड़ी देर बाद मामी वहां से हटीं और नहाने लगीं. मामी अन्दर पूरी नंगी नहा रही थीं और वो दरवाजे की तरफ ही देख कर अपने चुचे मसल रही थीं. वो अपनी टांगें फैला कर चिकनी चुत में उंगली कर रही थीं. शायद मामी को पता चल चुका था कि मैं उनको झिरी से देख रहा हूँ.
फिर थोड़ी देर बाद मामी ने ये सब कुछ करना बंद किया और नहाने लगीं. पर इतना देखने में मेरा तो बिलकुल ही बुरा हाल हो चुका था. मेरा लंड तो आज मानो दस इंच का हो चुका था … क्योंकि इससे पहले मैंने सिर्फ़ ब्लू फिल्म में ही चुत देखी थी, पर आज मामी की चुत थोड़ी दूर से ही सही, पर रियल में देख ली थी.
कुछ देर बाद मैं बिस्तर पर आकर लेट गया. एक मिनट देर बाद वॉशरूम का दरवाजा खुला और अन्दर से मामी निकल कर बाहर आ गईं.
मामी जैसे ही बाहर आईं … पूरा रूम मानो खुशबू से भर गया था. मामी ने केवल काले रंग की ब्रा और काले रंग का पेटीकोट पहना था. उनका ये पेटीकोट उनकी ब्रा के ऊपर तक चढ़ा हुआ था जिससे उनकी गोरी पिंडलियां मुझे उत्तेजित कर रही थीं. मामी मुझे एक अलग ही नजर से देख रही थीं.
मैं मामी को देख कर मुस्कुरा दिया.
मामी इठलाते हुए अपने बालों को झाड़ने लगी और मुझसे बात करते हुए पूछने लगीं- और बताओ अतुल … मम्मी पापा कैसे हैं … और घर में सब कैसा चल रहा है?
मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए बोला- सब ठीक ही चल रहा है मामी.
हम दोनों ऐसे ही बात करने करने लगे.
अचानक ही मामी ने कहा- अरे ये क्या … तुमने कोल्ड ड्रिंक और नमकीन नहीं लिया?
मैंने कहा- हां मामी बस खा ही रहा था.
अचानक मामी ने पेटीकोट नीचे करते हुए मुझसे कहा- अतुल ज़रा मेरी ब्रा के सभी हुक सही से लगा देना प्लीज़!
ये बोलते हुए शीशे से ही मामी मुझे इशारे से अपने करीब बुलाने लगीं.
उस वक़्त मैं खड़ा होने की सिचुयेशन में नहीं था … क्योंकि मेरा लंड मेरे पैंट में ही तम्बू बना रहा था. फिर भी मैं खड़ा होकर मामी के सामने आ गया. मैं समझ गया कि मामी शीशे में से ही मेरे खड़े होते लंड को देख रही हैं.
मैंने मामी के ब्रा के हुक को पकड़ा तो दोस्तो पूछो मत … मेरी कितनी बुरी हालत हो गई थी. मामी के सिर के बाल मेरी नाक को छू रहे थे … और उनके बदन की खुशबू मानो मुझे पागल कर रही थी.
मैंने महसूस किया कि मामी थोड़ा पीछे होकर मेरे लंड से अपनी गांड को टच कर रही हैं.
मैं थोड़ा पीछे हो गया और मामी की ब्रा के हुक लगाने लगा.
लेकिन मेरे पीछे होते ही मामी ने भी थोड़ा पीछे होकर मेरे लंड से अपने गांड की दरार को टच किया.
ये सब देखकर तो अब मैं भी नहीं रुका. मैंने उनके दो हुक बंद करते हुए अपने लंड को भी हल्का सा उनकी गांड की दरार में सटा दिया. मेरा लंड मानो फटने को रेडी हो गया था … जैसे अभी तुरंत ही पानी छोड़ देगा. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड की नसें फट जाएंगी.
मुझे ब्रा के हुक का ध्यान ही नहीं रहा. मैंने आगे हाथ करते हुए हल्के से मामी के चूचों को दबा दिया और उनकी गर्दन पर पीछे से किस किया.
मामी तो मानो इस सबके के लिए जैसे पहले से ही तैयार थीं. मामी ने मेरी गर्दन पकड़ ली और अपनी गर्दन पर फिराने लगीं.
ये होते ही मेरे अन्दर से सारी शर्म-हया निकल चुकी थी. मैंने मामी को उनके पेटीकोट पर से ही रगड़ना चालू कर दिया. उनकी ब्रा, जिसके अभी दो हुक भी सही से नहीं बंधे थे … मैंने उसको उतार कर फेंक दिया. मामी मेरे सामने सिर्फ़ पेटीकोट में खड़ी थीं और मैं मामी के सामने अपने जींस टी-शर्ट में था.
मामी ने पलट कर मुझे पागलों की तरह अपनी बांहों में भर लिया और किस करने लगी थीं. मैं भी मामी को पागलों की तरह चाट रहा था.
कोई 5 मिनट की चूमा चाटी के बाद मामी ने मुझे पलंग पर धक्का दे दिया और मेरी जींस निकालने लगीं. मैंने अपनी टी-शर्ट निकाली और जींस भी खोल दी. मैं मामी के सामने सिर्फ़ अंडरवियर में पड़ा था. मामी मेरे सामने सिर्फ़ पेटीकोट में खड़ी थीं. उनकी आंखों में एक मर्दखोर औरत की वासना की लालिमा साफ़ दिख रही थी.
मैं उनके चूचों को सिर्फ सपनों में ही देख कर चूसता था, पर आज मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि असलियत में मेरे सामने उनके नंगे तने हुए चुचे हैं.
उनके बड़े बड़े चुचे देख कर मेरे मुँह में पानी भर आया.
मैंने आव देखा … न ताव … बस उनको अपने ऊपर खींच कर उनके चूचों पर झपट पड़ा. मैंने एक को मुँह में ले लिया और पीने लगा … दूसरे को दबाने लगा.
मामी भी मेरा खूब साथ दे रही थीं. वो मादक सिसकारियां निकाल निकाल कर कहे जा रही थीं- आंह … आह … हां पी ले … आम का रस जितना पीना है … चूस ले..
कुछ देर तक मैं उनको ऐसे ही किस करता रहा और उनके चुचे चूसता रहा. अब मुझे मामी की चुत देखनी थी … तो मैंने मामी से कहा कि मामी अपना पेटीकोट उतारो ना … मुझे आपकी क्लीन शेव्ड चुत देखनी है.
मामी ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराते हुए देखा और ये बोलते हुए पेटीकोट उतारने लगीं कि मुझे मालूम था कि तू मुझे वाशरूम के दरवाजे की झिरी से देख रहा है.
फिर कुछ ही पलों में मामी मेरे सामने नंगी खड़ी थीं. आज पहली बार मैंने किसी औरत की चुत लाइव देखी थी. उनकी चुत इतनी गुलाबी थी … मानो मामी ने अपनी चुत में गुलाबी लिपस्टिक लगा रखी हो.
मैंने मामी की चुत पर नाक को रखा और उसको सूंघने लगा. दोस्तों मैं बता नहीं सकता कि मामी की चुत से क्या मस्त खुशबू आ रही थी.
मामी ने भी मुझसे ज़िद की- तू भी मुझे अपना 9 इंच का सांप दिखा न!
बस फिर क्या था … मैंने लंड सहलाते हुए कहा- ढक्कन खोल लो मामी … आपका सांप नीचे खड़ा खड़ा फुंफकार रहा है.
मामी ने मुस्कुराते हुए मेरे लंड को अंडरवियर से सहलाया और अगले ही मेरा अंडरवियर मेरे बदन से अलग नीचे फर्श पर पड़ा था. मेरा 9 इंच का लौड़ा खुले में हाहाकार मचा रहा था. मेरा 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड उनकी आंखों के सामने फड़फड़ा रहा था
मेरे लपलपाते लंड को देखकर मामी वासना भरी आंखों से बोलीं- हाई रे. … सच में ये तो 9 इंच से कम नहीं है.
बस ये कहते हुए मामी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया. वो बोलीं कि हाई कितना कड़क है ये … मैंने तो पहले बार इतना सख्त केला देखा है.
मैंने कहा- केला खा लो मामी … आपके लिए ही छीला है.
मेरे ये बोलते ही मामी ने मेरा लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया.
आह दोस्तो … मैं बता नहीं सकता कि उस टाइम मुझे कितना मजा आ रहा था.
कुछ पल लंड चूसने के बाद मामी ने मेरी आंखों में झांका, तो मैंने उनकी चुत चूसने के लिए कहा. फिर हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए और एक दूसरे का आइटम चूसने-चाटने लगे. मैं कभी मामी की चुत चाटता, तो कभी मामी के चुचे दबाता. कभी मामी को जांघ पर किस करता. मामी भी मेरा खूब साथ दे रही थीं.
ये करते करते हम दोनों को लगभग बीस मिनट हो चुके थे और अब मैं झड़ने वाला भी था. मैंने उनसे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.
मामी बोलीं- मेरे मुँह में ही झाड़ दे … कितने साल हो गए ये अमृत पिए.
मैंने मामी के मुँह में ही लंड का पानी झाड़ दिया. मामी ने भी मेरा लंड अपने जीभ से पूरा साफ कर दिया. मामी भी झड़ चुकी थीं … मैंने भी उनकी चुत का नमकीन अमृत चाट लिया था.
कुछ देर हम दोनों ऐसे ही नंगे एक दूसरे पर ऊपर पड़े रहे और मामी मुझसे कहती रहीं कि आज ना जाने कितने सालों बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. अब तुम्हारे मामा का तो खड़ा भी नहीं होता.
मैंने मामी के माथे पर चूमते हुए कहा- कोई बात नहीं मामी … आपका ये भांजा आपकी सेवा में हमेशा हाज़िर रहेगा.
फिर मैंने घड़ी की तरफ देखा. अभी सिर्फ़ 12:30 ही हुए थे. हम दोनों ने एक दूसरे को किस करना चालू कर दिया.
मैंने मामी को बिस्तर पर लिटा दिया और फ़्रिज़ से एक आइसक्यूब लाकर उनके होंठों से लेकर उनके पैरों तक उस आइसक्यूब को अपने मुँह में लेकर फिराया. फिर उनकी चुत पर जाकर उस आइसक्यूब को वहां पूरा पिघला दिया.
मामी अपनी गर्म चुत पर ठंडे बर्फ के टुकड़े से मचल उठी थीं.
इसके बाद मैंने उनकी बगलों को चाटना चालू किया. धीरे धीरे मैंने मामी के पूरे जिस्म को चाटा.
दोस्तो, मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे उनके जिस्म को चाटने में कितना मजा आ रहा था. वो भी कामातुर रांड की तरह मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
थोड़ी देर बाद मामी बोलीं- अब अतुल मुझसे रहा नहीं जा रहा है … अपने इस लंड को मेरी चुत में पूरा डाल दो.
मैंने उनकी चुत में अपनी एक उंगली डाली. उनकी चुत फिर से पूरी गीली हो चुकी थी. मेरी उंगली तुरंत अन्दर तक चली गई. फिर भी मैंने अपने लंड का आकर देखते हुए थोड़ा तेल लिया और अपने लंड के सुपारे पर लगा लिया. थोड़ा तेल मामी की चुत के अन्दर भी मल दिया.
फिर मैंने मामी को चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया और उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया, जिससे उनकी चुत अब पूरा खुले में सामने थी.
मैंने अपने लंड के सुपारे को उनकी चुत के मुँह पर लगाया. फिर मामी को अपनी भुजाओं में कस कर दबा लिया और मामी से पूछा- डाल दूँ मामी?
मामी ने आह भरते हुए कहा- पगले देर मत कर. … एक ही बार में पूरा का पूरा लंड डाल दे … फाड़ दे मेरी चुत आज … आज खून निकाल दे इसमें से … आज पूरी की पूरी प्यास बुझा दे अपनी मामी की.
ये सुनते ही में एक पूरी ताक़त लगा कर ज़ोर से धक्का मारा. मेरा लंड मामी की चुत को चीरता हुआ उनके अन्दर चला गया.
मामी के मुँह से चीख निकल गई और वो छटपटाने लगीं ‘आआह … आआह … मर गई..’
मामी चीखते हुए सीधा मेरे गले से लग गईं. मेरा लंड अब भी मामी की चुत में था और मामी की मादक सिसकारियां चीखों के मानिंद निकल रही थीं. इस वक्त रूम का दरवाजा बंद होने के कारण आवाज़ अन्दर तक ही थी. मैंने मामी को कस कर पकड़ कर अपनी बांहों में भर रखा था.
मैंने मामी को देखा, तो उनकी आंखों से थोड़े आंसू निकल रहे थे. लेकिन फिर भी वो लंड को बाहर निकालने को नहीं कह रही थीं.
मैंने धीरे धीरे अपनी कमर आगे-पीछे करनी चालू की और मामी ने भी अपनी कमर आगे-पीछे करनी चालू कर दी.
अब मुझे लग रहा था जैसे मुझसे ज़्यादा मजा मामी को आ रहा है. इसलिए तो आंखों से आंसू निकलने के बाद भी वो मुझसे लंड को बाहर निकालने को नहीं कह रही थीं.
मैंने अपनी कमर को कुछ तेजी से आगे-पीछे करनी चालू कर दी. मामी ने भी अपनी दांतों को भींचते हुए अपनी चुत में मेरे लंड को लेना शुरू कर दिया था.

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#63
जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-4

अब तक आप लोगों ने पढ़ा कि कैसे मैं मामी के घर तक पहुंचा और उनको वाशरूम के दरवाजे की झिरी से नंगा नहाते देखा.

फिर कैसे मैंने मामी के साथ चोदना शुरू किया, मामी मेरे लंड के नीचे बड़ी मस्ती से कराहते हुए मचल रही थीं और अपने दांत भींचे हुए लंड की रगड़ का आनन्द ले रही थीं.
अब आगे:
कुछ ही देर में चुदाई की मस्ती में हम दोनों ही डूब गए. अब तो मामी भी अपनी कमर को काफी तेज गति से आगे-पीछे कर रही थीं.
इस वक्त मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने अपनी तरफ से धक्के देना जरा कम कर दिए, तो मामी को शायद चुत में मजा कम मिलने लगा. इस समय उनको पूरी ताकत से लंड अन्दर लेना था, इसलिए वो खुद अपनी गांड उछालते हुए धक्का लगाने लगीं.
मैंने और भी मजा लेते हुए अपनी पकड़ को भी थोड़ी हल्का कर दिया. मुझे उनकी चुत में अपना लंड एक पिस्टन की तरह ऐसा फिट सा महसूस होने लगा था, जैसे वो किसी पेंच आदि से चुत में कस दिया गया हो और बिना नट बोल्ट खोले चुत से बाहर ही निकले.
अब मामी खुद पूरी ताकत से नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थीं और लंड मामी की चुत में जड़ तक प्रहार कर रहा था.
वो लंड की चोटों से मस्ती से बोल रही थीं- आह कितना मजा आ रहा है … पूरा अन्दर तक जा रहा है … आह आज फाड़ दे मेरी चुत को अतुल … फाड़ दे इस निगोड़ी को.
तभी अचानक मेरा हाथ नीचे उनकी चुत पर चला गया. मामी की चुत रस छोड़ रही थी. कुछ गीला गीला सा मेरे हाथ में भी लग गया. लेकिन इस गीले पानी में चिकनाहट नहीं थी. मैंने कौतूहलवश हाथ ऊपर करके देखा, तो ये खून था. मतलब आज मेरे मोटे और लम्बे लंड से मामी की चुत से हल्का सा खून भी निकल आया था.
मैंने मामी से कहा- ये क्या है मामी … आपके नीचे से तो खून निकल रहा है.
मामी मस्ती में धकापेल करते हुए बोलीं- हां तेरा मामा साला गांडू … उस मादरचोद का तो खड़ा ही नहीं होता … मुझे उसने दो सालों से नहीं चोदा है … तो खून तो निकलेगा ही ना. मैं कब से सोच रही थी कि तुझसे बोल दूं कि आकर मेरी चुत की प्यास बुझा दे, पर देख ना … प्यास मेरी कहां आकर बुझी.
मैं मामी के मुँह से इस समय एक चुदासी रंडी की भाषा सुनकर बेहद उत्तेजित हो गया था. मैंने भी मामी को गाली देते हुए चोदने का मन बना लिया.
मैंने भी मामी की कमर को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हें गाली देते हुए कहा- ले साली छिनाल, मां की लौड़ी … तुझे लंड खाने की अभिलाषा थी न … ले मादरचोदी … लंड खा.
मामी मेरे मुँह से गालियां सुनकर मस्त हो गईं और कहने लगीं- हां अतुल, मुझे अपनी रंडी बना कर चोद दे … तेरे मुँह से मुझे गाली सुनने में बड़ा मजा आ रहा है … चोद हरामी साले कुत्ते चोद मुझे कमीने … फाड़ दे मेरी चुत को … आह मजा आ रहा है.
ये कहते हुए मामी और तेज़ी से झटके मारने लगीं. मैं भी खूब कमर उठा-उठा कर मामी की चुत में झटके मार रहा था.
उसी समय मामी ने मुझसे ऊपर ले लेने के लिए कहा. मैंने मामी की चुत से लंड निकाले बिना ही उनको अपने ऊपर ले लिया. अब मामी मेरे लंड पर बड़ी मस्ती से कूद रही थीं. उनकी मदमस्त चूचियां मुझे लालायित कर रही थीं. मैंने उनको अपनी छाती की तरफ खींचा और उनकी दोनों चूचियों को बार बारी से चूसने लगा और मसलने लगा.
पूरे कमरे में हम दोनों की चुदाई की सिर्फ़ फच-फच की आवाजें आ रही थीं. साथ ही कमरा मामी की मादक सिसकारियों से गूंज रहा था.
कुछ ही देर में मामी चरम पर आ गईं और मेरे लंड पर झड़ कर मेरे सीने पर ही गिर गईं.
मगर मैं अभी बाकी था. इसके बाद मैंने मामी को डॉगी स्टाइल में चोदा. कुछ देर बाद, मैं भी झड़ने को आ गया.
मैंने मामी से पूछा कि मुझे रस निकालना है … किधर लोगी?
मामी बोलीं- तुम अपना माल मेरी चुत में ही छोड़ दो … मेरी चुत बहुत प्यासी है … इसे भी थोड़ा पानी पी लेने दो.
उनके ऐसा बोलते ही मैं मामी की चुत में ही झड़ गया. मेरे साथ वे भी झड़ गईं.
झड़ने के बाद मामी बोलीं- तू कितना अच्छा है रे … और ये तेरा लंड तो सच में महान औजार है. मैंने ऐसा लंड तो ब्लू फिल्म में ही देखा है.
हम दोनों थोड़ी देर यूं नंगे लेटे हुए एक दूसरे को सहलाते रहे और बात करते रहे.
अब घड़ी में एक बज गए थे और बच्चों के आने का टाइम भी हो चला था.
मैंने मामी को ये बताया, तो मामी ने कहा- तू चिंता मत कर … दो बजे तो उनके कॉलेज की ही छुट्टी होगी … फिर यहां आते आते उनको आधा घंटा और लग जाता है. हमारे पास तो अभी भी 1.30 घंटा बाकी है.
मैं समझ गया कि अभी मामी एक बार और लंड लेने की फिराक में हैं. मैंने कहा- क्या इरादा हैं जानेमन.
मामी ने मुस्कुराते हुए मुझसे बोला- अतुल मैं एक रिक्वेस्ट करूं?
मैंने कहा- बिल्कुल मामी … एक क्या जितनी मर्ज़ी उतनी कर लो, अब तो आपकी हर ख्वाहिश पूरी करना मेरा फ़र्ज़ है.
इस पर वो हल्के से मुस्कुराते हुए और शर्माते हुए बोलीं कि एक बार पीछे से भी कोशिश कर ना … मुझे अपनी गांड भी मरवा के देखनी है. मैंने तेरे मामा को बहुत बार बोला, लेकिन उनका तो पीछे के गेट पर आते-आते ही दम तोड़ देता है.
उनकी इस बात पर मैं हंसने लगा.
मामी ने मेरे लंड को सहलाते हुए बोला- ये दम तो नहीं तोड़ेगा ना?
वे भी हंसने लगीं.
मैंने कहा- मामी ये गेट तोड़ता है … दम नहीं.
इस पर वो बोलीं- अच्छा जी, चलो देखते हैं कि ये गेट तोड़ता है. … या दम तोड़ता है.
मामी मेरा लंड अपने हाथ में लेकर सहलाने लगीं और थोड़ी देर मैं ही मेरा 3 इंच मोटा और 9 इंच लंबा लंड तैयार था.
यह देख कर मामी ने कहा- तेरा हथियार तो किसी हाथी के लंड के जैसा लग रहा है … कितना मोटा और लंबा है.
ये सुन कर मैं हंसने लगा. मैंने भी मामी से कहा- चलो अब अपना गेट दिखाओ.
मामी पलंग पर लेट गईं और कमर के नीचे उन्होंने तकिया लगा लिया.
मैंने थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाया और थोड़ा उनकी गांड पर. मैं मामी की गांड के अन्दर भी उंगलियों से आयिल डाल दिया.
मैंने लंड हिलाते हुए कहा- मामी तैयार हो ना आप … संभल जाओ अब आपकी गांड का गड्डा खुदने वाला है.
मामी बोलीं- अतुल थोड़ा धीरे-धीरे डालियो … अचानक से मत घुसा दियो … नहीं तो मैं मर ही जाऊँगी.
मैंने उनकी गांड को सहलाते हुए कहा- चिंता मत करो मामी … मैं मरने नहीं दूंगा आपको.
मैंने लंड उनकी गांड के छेद पर लगाया और हल्का सा दबाव दिया. मगर ये क्या … मेरा लंड उनकी गांड के अन्दर जा ही नहीं रहा था. वो छेद पर ही मुँह मोड़ देता था. फिर मैंने मामी की गांड पर और ज़्यादा तेल लगाया, लेकिन इस बार भी लंड अन्दर ना जा सका.
मैंने मामी से इसका कारण पूछा, तो मामी बोलीं- गांड और चुत के छेद में बहुत अंतर होता है … चुत पानी छोड़ती है लेकिन गांड नहीं … चिकनाई की कमी की वजह से लंड अन्दर जाने में दिक्कत करता है.
मैंने उनकी बात सुनकर फिर से तेल लगाया और तीसरी बार कोशिश की. इस बार मेरे लंड ने गांड के बाहर ही पानी छोड़ दिया.
इस पर मामी हंसने लगीं और बोलीं- तेरा हथियार भी हार मान गया.
मुझे ये बड़ा अजीब लग रहा था कि ऐसे कैसे हुआ … लंड मामी की गांड में क्यों नहीं जा पा रहा था.
मैंने मामी से कहा, तो वो हंसने लगीं- तू तो कह रहा था कि तेरा लंड गेट तोड़ देता है.
मैंने उनसे कहा- अब मजाक मत करो … आप मुझे नेट पर गांड मारने की विधि देखने दो, फिर गांड मारूंगा.
मुझे पता था कि अन्तर्वासना पर एक पुराने ज्ञानवान लेखक शगुनhttps://www.antarvasnax.com/author/shagank/ ने गांड मारने का तरीका https://www.antarvasnax.com/sex-knowledg...vidhi/बताया हुआ है.
मामी हंसने लगीं.
फिर हम दोनों ने अन्तर्वासना पर ‘गांड कैसे मारें’ लेख पढ़ा और फिर समझ आया कि लंड क्यों गांड में नहीं जा रहा था.
हमने वैसा ही किया, जैसा लेख में बताया गया था.
मामी किचन से एक लम्बी मोटी मोमबत्ती लेकर आ गईं. वो मोमबत्ती मेरे लंड जितनी मोटी थी. मामी ने मोमबत्ती को पूरा तेल से चिकना कर लिया और अपनी गांड में भी बहुत सारा तेल लगा लिया. उस मोमबत्ती को मामी ने अपने हाथ से धीरे धीरे अन्दर डाला और कुछ ही पलों में मामी ने धीरे धीरे वो पूरी मोमबत्ती अपनी गांड मैं ले ली.
फिर मामी उस मोमबत्ती को आगे पीछे करने लगीं और देखते ही देखते मामी की गांड में अच्छी चिकनाई और ढीलापन आ गया.
फिर मामी ने कहा- अब डाल अपना लंड मेरी गांड में.
सच में दोस्तो … इस बार मेरा लंड बड़ी आसानी से मामी की गांड थोड़ा सा घुस गया. लंड का टोपा अन्दर जाते ही मामी की कसमसाहट भरी आवाज़ आने लगी और वे बोलीं- धीरे धीरे डालियो … एकदम से नहीं … बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने फिर से मामी को अपनी बांहों में जकड़ा और धीरे धीरे से पूरा लंड उनकी गांड में डाल दिया.
सच बताऊं दोस्तो … मामी की चुत मारने से ज़्यादा मजा तो उनकी गांड मारने में आ रहा था. मैंने अपनी कमर धीरे धीरे आगे पीछे करनी चालू की और मामी ने भी अपनी गांड उठा उठा कर लंड को अन्दर बाहर करना चालू किया.
मामी की मस्त आवाजें भी बड़ा सुकून दे रही थीं.
‘आह्ह … ऊह्ह्हह उउफ्फ …’ की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज उठा था. कुछ देर बाद मैंने अपनी पकड़ से मामी को आज़ाद कर दिया. अब मामी उछल-उछल कर मेरे लंड को अपनी गांड में ले रही थीं. मैंने मामी की गांड को कई पोज़ में मारी. पूरे कमरे मैं मानो बस फच फच की आवाज़ और सिसकारियों की आवाज ही आ रही थी.
मैं कुछ देर बाद झड़ने को आ गया, तो मामी बोलीं- अतुल मेरी गांड में ही अपना पानी निकाल दे.
ये सुनते ही मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.
फिर मामी ने मेरे लंड पर लगे पानी को चाट कर साफ़ किया और बोलीं- तू कितना अच्छा है रे.
मैंने भी उनको किस किया और बोला- मामी मुझे इतना खुश करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. मुझे एक बात पूछने का मन है.
मामी बोलीं- हां पूछ न..!
मैंने कहा- आपकी गांड में लंड देने में बड़ा मजा आया और शायद आपको भी मजा आया, इसका क्या राज है?
मामी हंसने लगीं और बोलीं- मैं पिछले दो साल से नहीं चुदी हूँ. मुझे लगता था कि अगर लम्बा खीरा या बैगन चुत में डाला, तो तेरे मामा को चुदाई करते वक्त ये लगेगा कि मैंने चुत में किसी का मोटा लंड ले लिया है. इसलिए मैंने अपनी गांड में बड़ी बड़ी चीजें डाल कर सुख लिया है. मगर अब तो तेरा मामा चुत चोदता ही नहीं है, तो मैंने तुम्हारा लंड चुत में ले लिया है.
मैं समझ गया कि मामी लंड लेकर बड़ी खुश हैं.
फिर हम दोनों कुछ देर नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे. अब घड़ी की तरफ देखा, तो 2 बज चुके थे.
मैंने और मामी ने अपने अपने कपड़े पहने. कपड़े पहनते हुए हम दोनों एक दूसरे को देख कर बस मुस्कुरा रहे थे.
दोस्तों उस दिन के बाद हमें जब भी मौका मिलता, मैं और मेरी मामी दोनों एक दूसरे को बहुत सारा सुख देते और मज़े करते.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी मामी की गांड की यह सेक्स कहानी आप मुझे ज़रूर बताइएगा.
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