24-02-2021, 07:15 PM
मस्त अपडेट, अब आगे धमाकेदार तूफान।
Romance मोहे रंग दे
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25-02-2021, 05:57 AM
कोमल जी गुड्डो और उसकी मम्मी का एक साथ रगड़ाई जरूर हो।पूरी तरह से हो।बस यही गुजारिस है।
बाकी आप खुद ही समझदार है ,कहानी की जो मांग हो उस तरह से कहानी को ले चलिए।आप के साथ यू ही बना रहे। आप की लेखन शैली है उसका तो कोई जबाब नही है,ऐसा लगता है सारी कहानी चलचित्र की भांति सामने चल रही हो। सबसे अच्छी बात होती है कि यह हिन्दी (देवनागरी लिपि)लिखित इस फोरम की सबसे अच्छी कहानियों में से एक है।
26-02-2021, 12:41 PM
08-03-2021, 12:10 PM
(25-02-2021, 05:57 AM)Donn007 Wrote: कोमल जी गुड्डो और उसकी मम्मी का एक साथ रगड़ाई जरूर हो।पूरी तरह से हो।बस यही गुजारिस है। जैसा आपने चाहा वही होगा , बस कहते हैं न सहज पके सो मीठा होय ,... तो थोड़ा कभी धीमी आंच कभी कभी तेज
08-03-2021, 12:11 PM
08-03-2021, 12:13 PM
थोड़ा सा हट के
देवर की हालचाल , और बनारस में अनुज जब घर लौट के आयी तो बाद में कम्मो ने उसकी और देवर की होली , सारी बातें बतायीं , जो मैंने अभी शेयर की। रात को मैंने अपने देवर का हाल चाल लिया , अनुज ने तो बस थोड़ा बहुत ,... लेकिन जिसकी ली जाती है वो स्साला कभी पूरी बात बताती हैं , पर मेरी जासूस थी न , गुड्डो और उससे भी बढ़कर , गुड्डो की मम्मी ,... मेरी जेठानी की भौजी तो मेरी भी तो भौजी लगेंगी , और ननद भाभी में बात चीत , फिर अनुज के जाने के पहले ही मैंने ,..उन्हें खूब अच्छी तरह , मेरे देवर का स्वागत खूब अच्छे तरह से हुआ। एक कमरा उसके लिए अलग से पहले से सेट करके रखा था , अटैच्ड बाथरूम भी , एक टेबल , कुर्सी , उस पर टेबल लैम्प , जिस से उसके पढ़ने , एक्जाम में कोई दिक्कत न हो , पहुँचते ही उसका सामान गुड्डो ने रख लिया , भाभी ने उसका कमरा दिखाया , ... लेकिन उसे तुरंत कोचिंग में जाना था , वहीँ बगल में ही सेंटर था ,... उसके बाद लौटकर , फिर चार दिन बाद ही निकालता होली के अगले दिन , इम्तहान वाले दिन ,... लेकिन जब लौट के आये तो सबसे पहले गुड्डो ने हड़काया " ऐसे बाहर जातें हैं , हूश की तरह बाल भी ठीक से नहीं झाड़े ,... ये तेरा शहर नहीं है , बनारस है , कम से कम अपनी नहीं तो हम लोगों की इज्जत का ख्याल करते , नाक कटवाओगे तुम ,... " ये कहने की बात नहीं , गुड्डो ने उसकी शर्ट और पैंट उतरवाकर , उसके बदले में सिर्फ एक शार्ट देकर , और जब उसने चड्ढी नहीं उतारी तो फिर डांट पड़ी , " उतारो उसे भी , थोड़ा उसे भी हवा लगने दो ,... " बस बनियाइन और शार्ट में तबतक गुड्डो की मम्मी आ गयी और वो अपने देवर की ओर से गुड्डो पर , " फालतू में उसे डांट रही हो , तुम क्या कर रही हो , चलो उसका बाल अब से झाड़ दो , अब से ये सब जिम्मेदारी तेरी " बेचारे देवर को क्या मालूम था माँ बेटी की जुगलबंदी , ... वो कुर्सी पर बैठा था और वहां कोई शीशे विशे का जुगाड़ तो था नहीं ,... बस गुड्डो ने बड़े प्यार से बड़ी देर तक बाल झाड़े , मांग काढ़ी और फिर कहीं दीवाल पर से चिपका हुआ बड़ा सा शीशा उखाड़ के ले आयी , और तारीफ़ सुनने का इन्तजार करते हुए बोल पड़ी , " अच्छा है न , ." बेचारे अनुज से न बोलते बन रहा था न , किसी तरह से बोल फूटे, " सीधी मांग, .... ?" अब गुड्डो का नंबर था ठुनकने का , ... " यार तू भी न एक तो इतनी अच्छी मांग काढ़ी , मैं तो ऐसे ही काढ़ती हूँ , मम्मी भी , तो मुझे यही आती है ,... " लेकिन अब गुड्डो की मम्मी का नंबर था , उन्होंने अपनी बेटी को हड़का लिया , अरे सूनी मांग अच्छी लगती है , जाके जल्दी ,... "
08-03-2021, 12:13 PM
उनकी बात पूरी होने के पहले ही सिन्दूर की डिबिया ले कर , गुड्डो हाजिर थी ,
" लीजिये डाल दीजिये , ... " " तू क्या सोचती है मैं छोडूंगी इस चिकने को , लेकिन तूने इतने प्यार से इनकी इतनी अच्छी मांग काढ़ी थी , चल डाल सोचते नहीं ,... " और गुड्डो ने सिन्दूर दान कर दिया , और उसके बाद गुड्डो की मम्मी ने भी ,... खाली मांग कितनी खराब लगती थी ,... " कम्मो ने इतना सिखा पढ़ा कर भेजा था पर बनारस वालियों के आगे , बड़े बड़े पानी मांग जाते हैं ,... और जब गुड्डो सिन्दूर की डिब्बी वापस रखने गयी तो बड़ी हिम्मत कर के , कम्मो का सब सिखाया, उनके बोल फूटे, " सिन्दूर दान के बाद भी तो ,... " गुड्डो की मम्मी ऐसी हंसती थी की सिगरा पर हँसे तो चौक में सुनाई दे , जोर से हंसी , बोलीं " एकदम होगा क्यों नहीं होगा , लेकिन जिसकी मांग में सिन्दूर पड़ता है , उसी की ली जाती है धूमधाम से ,... यहाँ तो लौण्डेबाजों की लाइन लगी थी जब से तेरे आने का सुना उन्होंने , लेकिन तेरा इम्तहान, जिस दिन तेरा इम्तिहान ख़तम होगा , उसी रात चार की बुकिंग है, यही इसी कमरे में ,... और फिर वही हंसी ,... और गुड्डो की मम्मी ने बात आगे बढ़ाई , मैं मजाक एकदम नहीं कर रही , हाँ इस खूंटे के बारे में ,.... तो तेरी बहन को मैंने बुला लिया है , वो आ जायेगी इम्तहान के अगले दिन , बस इसी कमरे में हम लोगों के सामने ,... मना लेना मन भर सुहाग रात , या सुहागदिन ,... " लेकिन तब तक गुड्डो अंदर आ गयी थी , उसने पूछ लिया ," क्या कह रहे थे ये ," " कहेंगे क्या, ... अपने माल को याद कर रहे थे, क्या नाम है उसका गुड्डी इनकी बहन ,... " मम्मी उसकी बोलीं ,... गुड्डो भी कौन कम थी , वो भी बनारस वाली , बोली " बड़ी लम्बी उमर है उसकी , अभी उसी की बात हो रही थी उसी की सहेली से , ... बोल रही थी जैसे ये यहां आये हैं वहां छैलों की लाइन लगी है , अभी चौथे का नंबर चल रहा है। " लेकिन गुड्डो की मम्मी के मन में कुछ और चल रहा था बोलीं , इतना चिक्क्न माथा , ऐसा खाली , ... " और अपनी बड़ी सी टिकुली उनके माथे पर लगा दी , उसके बाद खाना , लेकिन ससुराल में खाना तो बिना गाली के होती नहीं ,... पर उसके बाद उन दोनों ने उसे पढ़ने के लिए छोड़ दिया था बस उसी शर्त के साथ मांग , सिन्दूर टिकुली हटाने की सोचे भी नहीं , अब तो घर में ही रहना है , बस तीन चार घंटे में एक बार कभी हार्लिक्स , कभी दूध कभी काफी , ज्यादातर गुड्डी ,... कभी उसकी मम्मी भी ,...
10-03-2021, 11:58 AM
कुछ अपनी कुछ उनकी
आजकल रातें किसी और ' काम' में गुजरती थीं, और हाँ वो उस ' काम ' वाले ' काम ' में कमी न उन्होंने न आने दी , न मैंने , बस फर्क ये पड़ा की शुरू के दिनों में रात होने का इंतजार उन्हें भी रहता था , और सच कहूं तो मुझे भी। लेकिन अब इतना इन्तजार न वो कर सकते थे न मैं , तो बस थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , शुरू के दोनों में ४-६ बार की जो आदत उन्होंने डाल दी थी , ३-४ बार रात में , ( गुड मॉर्निंग जोड़कर ) और एक दो बार दिन में कर्टसी मेरी जेठानी। वो कम नहीं हुयी थी , कभी कभी बढ़ भी जाती थी , बस फर्क दो थे , अब हम दोनों न दिन देखते थे रात और दूसरी बात , पहले हर बार वही पहल करते थे , अभी भी , लेकिन अब कभी कभी मैं भी , ... हाँ तो बात मैं कह रही थी रात का रूटीन बदलने की, तो एक कारण और सबसे बड़ा कारण थीं , उनकी सालियाँ और सलहजें , ... ससुराल का लालच , उन दस दिनों तक वो डिजिटल डेजर्ट में रहने वाले थे, फोन , मेरी दोनों सौतने, लैपी और आई पैड , सब बंद। तो टारगेट , काम सब कुछ अभी ख़तम करना था, ... लेकिन और भी बातें थी , मेरा भी एक लालच था , स्विट्जरलैंड में दस दिन फिर थोड़ा यूरोप का चक्कर , वो भी सड़ी गर्मीं में ,... इन्हे जो काम कर रहे थे उसका एक पेपर जून में प्रजेंट करना था , लासेन स्विट्जरलैंड में हनीमून तो हम लोग गए नहीं थे , पर जितने कपल्स हनीमून में इंज्वाय करते हैं उससे ज्यादा हमने घर में ही मजे लिए थे , हर रोज सुहागरात ,... पूरे हफ्ते भर का प्रोग्राम था स्विट्जरलैंड का , दो दिन की इनकी कांफ्रेंस थी , एक दो दिन और कुछ मीटिंग विटिंग , लेकिन तीन दिन सिर्फ एक काम , ... बस वही ,...सटासट सटासट ,... और इन्विटेशन में मैं भी शामिल हो गयी थी। मैं हर 'काम ' वाले ' ' काम ' में इनका साथ देती थी तो ये क्यों छोड़ देती थी , चलिए बताती हूँ साफ़ साफ़ , मैंने इंटर का कोर्स ( इंटरकोर्स तो इन्ही के साथ किया सबसे पहले ) करने के साथ फ्रेंच लैंग्वेज का एक डिप्लोमा किया था और मेरी एक पक्की सहेली जर्मन सीखती तो तो थोड़ा बहुत उस साली की टांग खींचने के चक्कर में बहुत हलकी फुलकी ,... तो बस ये जो पेपर पढ़ते थे , नेट पे कुछ फ्रेंच में भी और तर्जुमा करने का काम मेरे जिम्मे , इनके साथ में कुछ एक्सेल भी सीख गयी थी , तो सही अर्थों में सह धर्मिणी हो गयी थी , हाँ मैं भी नहीं , बात कर रही थी रात की और बात फ्रेंच पर आ गयी , असल में जब यहाँ रात होती थी तो उन सब जगहों पर दिन , खासतौर पर अमेरिका में , तो इन लोगों की ग्रुप मीटिंग कांफ्रेंस लेट इवनिंग या रात में , कुल ४-५ लोगों का ग्रुप था जो उस टॉपिक पर काम कर रहे थे , हाँ कभी कभी रीत भी आ के जुड़ जाती थी , ... अरे बताया था तो रीत के बारे में , बनारसी , लेकिन अब पक्की पंजाबन बन गयी थी , बनारस की थी तो इनकी साली अपने आप , और मुझसे बड़ी थी तो मैं कभी दी कहती , कभी वो डांटती , नाम लेने के लिए तो मैं नाम भी ले लेती , ये सब लोग मिल के उस टॉपिक पर , लेकिन में रोल इन्ही का था , और इस के चक्कर में बिना कुछ समझे मैं भी कन्वर्जेंस , ए आई , बिग डाटा , ब्लॉकचेन सब बोलने लगी थी। तो उस दिन कांफ्रेंस ख़तम होगयी थी , मैं व्हाटसएप पर झाड़ू लगाने में जुटी थी और ये कुछ पढ़ लिख रहे थे , उसी समय कुछ झुंझलाहट में मैं पूछ बैठी , असल में ये व्हाट्सएप ऐसी चीज, जिसके बिना भी रहना मुश्किल और जिसके साथ भी रहना मुश्किल, आखिर एक एक जोक कोई दो बार चार बार कितनी बार पढ़ेगा , फिर चलो डिलीट करो ,... और सबसे ज्यादा परेशानी ग्रुप में, न खोलो तो भी ये बात खुल जाती है ,... इसलिए मैं ज्यादा नहीं खाली ४०-४२ ग्रुप में हूँ , कितनों को तो मना कर दिया , अब आप पूछेंगे तो बाकियों में से भी ,... लेकिन कैसे ,...
10-03-2021, 12:01 PM
व्हाट्सएप
ये व्हाट्सएप ऐसी चीज, जिसके बिना भी रहना मुश्किल और जिसके साथ भी रहना मुश्किल, आखिर एक एक जोक कोई दो बार चार बार कितनी बार पढ़ेगा , फिर चलो डिलीट करो ,... और सबसे ज्यादा परेशानी ग्रुप में, न खोलो तो भी ये बात खुल जाती है ,... इसलिए मैं ज्यादा नहीं खाली ४०-४२ ग्रुप में हूँ , कितनों को तो मना कर दिया , अब आप पूछेंगे तो बाकियों में से भी ,... लेकिन कैसे ,... मेरी कॉलेज की सहेलियों का ही चार चार ग्रुप है , एक तो कॉलेज का , एक मेरी क्लासमेट्स का , और एडल्ट्डस ओनली नाम से , जिसमें सिर्फ मेरी खास खास २५- २६ सहेलियां बस , उसके बाद इनके मायके के सात आठ ग्रुप , एक तो मेरी ननदों का जिसमें मैं जुगाड़ कर के घुस गयी हूँ , इनकी सारी ममेरी चचेरी मौसेरी फुफेरी बहने, कुल २७ हैं , और हर रोज सब तीन चार मेसेज तो करती ही हैं , दो गुड्डी रानी की सहेलियों के ग्रुप में भी , और अगर इनके मायके के सात आठ हैं , तो मेरे मायके के इसके दूने न भी हों तो इससे ज्यादा तो होने ही चाहिए , किसी का गुड मॉर्निंग का जवाब न दो तो वो मुंह फुला लेगा , और किसी के जोक पर स्माइली न चिपकाओ तो वो अलग और झगड़े इतने की पूछिए मत , ... और दिन में दो बार झाड़ू न लगाओ तो मेमोरी का नाटक , और जब मैं ज्यादा ही झुंझालने लगी तो ये मेरे पास गरम गरम काफ़ी का प्याला लाकर पूछने लगे , " क्या हो गया ,... दो चार ग्रुप छोड़ क्यों नहीं देती " सच में चाय और काफी दोनों में इनका जवाब नहीं था, ... जबरदस्त बनाते थे. मेरी सास का चक्कर जरूर किसी चाय वाले के साथ , चाय पर चर्चा के साथ , मैंने खोल कर इनकी ओर बढ़ा दिया , एक मस्त माल की फोटो थी , एकदम गर्मायी कच्ची कली , और वो शर्मा गए ,... " पहचान कौन " मैंने चिढ़ाया , ... एक बार वो फिर से झेंप गए , शरमाने में कोई कम्पटीशन हो तो ये लौंडियों को पीछे छोड़ देंगे , मेरी भौजी और इनकी सलहज का सिर्फ एक सजेशन था , इन्हे किसी तरह इनकी ममेरी बहन के ऊपर चढ़ा दूँ तो इनकी सरम लाज सब छूट जाएंगी , और वैसे भी इनकी सास ने इन्हे मेरे सामने साफ साफ़ बोल दिया था की बस वो ससुराल पहुँच जाएँ , आगे का काम उनकी सास और सलहज मिल के कर दूंगी , सरम सब पिछवाड़े के अंदर ,.. फोटो इनकी फुफेरी बहन की थी , ... " अब बता स्साली इत्ती मस्त माल के दरसन तो तुझे किसी पॉर्न साइट पर भी नहीं होंगे जो मेरी ननदों के ग्रुप पर होते हैं तो कैसे छोड़ दूँ " उनकी वीडियो कांफ्रेंस ख़त्म हो गयी थी आधे घंटे का इंटरवल , इसलिए काफी ,... " अच्छा तो ग्रुप भी नहीं छोड़ोगी तो बताओ तेरी परेशानी क्या है ,... " एकदम एवमस्तु वाली मुद्रा में उन्होंने सवाल किया और मैं एकदम चालू हो गयी। "वो जो नकली बुद्धि और बड़का डाटा की बात तुम लोग हरदम करते रहते हो न , ( मेरा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डाटा के लिए शब्द ) तो बस , अब रोज तो मैं मेसेज डिलीट करती रहती हूँ , दोनों टाइम , तो ये नहीं पता कर सकते की किस तरह का मेसेज मैं डिलीट करुँगी और किस तरह का पढूंगी , फिर मन लीजिये एक जोक मैं एक ग्रुप में पढ़ चुकी हूँ , लाइक भी कर दिया , फिर दूसरे ग्रुप में भी कर दिया तो आगे के ग्रुप में अगर मैंने नहीं पढ़ा तो उसे डिलीट कर दे , मुझे रोज रोज के झाड़ू पोंछे से तो मुक्ति दिलाये ,... " वो बहुत ध्यान से सुन रहे थे , फिर बोले लेकिन मानलो उसने बिना पूछे डिलीट कर दिया तो कल तुम कहोगी नहीं मुझे वो चाहिए तो , बात में उनके दम था तो मैंने बीच का रास्ता निकाला तो चलो २४ घण्टे का समय रख दो , उसके बाद दो चार दिन ट्रैश में , उसके बाद ख़तम कर दे , तो कुछ तो ये सफाई अभियान जो रोज चलाना पड़ता है , उससे मुक्ति मिले , और दूसरी बात , ग्रुप तो मैं छोड़ नहीं सकती मान लो उसमें ५० मेंबर हैं ३० -४० तो रोज मैं बिना पढ़े डिलीट करती हूँ , तो कम से कम उनकी बात, डिलीट कर दे ,... ऊँगली तक जाती है , ये ऊँगली इतनी मेहनत तोहरी बहिनी की बिल में करे तो वो स्साली तेरे लिए पट जाती , ... " हो तो सकता है , मोबाइल स्पेसिफिक , परसन स्पेसिफिक ,... पर " मेरे प्याले में और काफी डालते हुए , चिढ़ाते बोले , फिर तुम कहोगे , प्राइवेसी ,... मैं झुंझला उठी , प्राइवेसी गयी तेल लेने , मैं कुछ लिखती हूँ मजाक में भी तो उससे जुड़े ऐड सपने में भी दिखने लगते हैं , पर वो इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं थे , एकदम मशीन वाली आवाज निकालते बो, ले, मेसेज पूरी तरह एन्क्रिप्टेड होते हैं , हम आपकी प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखते हैं , मुझे हंसी आ गयी पर मैंने अपने गुस्से वाले टोन बरक़रार रखी , " अभी कोई डंडा फटकारता आ जाये न तो सारी प्राइवेसी की , ... अभी एक बॉलीवुड वाली की तीन साल पुरानी , ... पता नहीं किसे वो माल कह रही थी , मैं तो तेरी सारी बहनों को ही माल कहती हूँ ,... और सिक्युरिटी तो चलो मान लिया ,... सारे चैनल , यू ट्यूबर , मैं जो कह रही हूँ वो सुनते नहीं ऊपर से बात टाल रहे हो , अरे मैं खाली झाड़ू पोंछा का काम काम करने को कह रही हूँ ,... " लेकिन बात टालने में वो एक्सपर्ट , मेरे हाथ से काफी का प्याला ले कर किचेन में चले गए और जब लौटे तो उन्होंने बात बदल दी और उलटे मुझपर सवाल दाग दिया . …. बस पीटा नहीं मैंने इनको, " कोमल तुम्हारा नाम क्या है। " मैं मारने के लिए कोई चीज ढूंढती उसके पहले उन्होंने दूसरा सवाल दाग दिया , जो थोड़ा मुश्किल था , " अच्छा चल तेरे नाम का पहला अक्षर क है न , तो ये बताओ अक्षर क्या है , और क्यों हैं ? "
10-03-2021, 12:02 PM
कोमल तुम्हारा नाम क्या है
मुझपर सवाल दाग दिया . …. बस पीटा नहीं मैंने इनको, " कोमल तुम्हारा नाम क्या है। " मैं मारने के लिए कोई चीज ढूंढती उसके पहले उन्होंने दूसरा सवाल दाग दिया , जो थोड़ा मुश्किल था , " अच्छा चल तेरे नाम का पहला अक्षर क है न , तो ये बताओ अक्षर क्या है , और क्यों हैं ? " मैंने थोड़ा सर खुजलाया , इनकी माँ बहन को गाली दी मन ही मन, लेकिन मैं भी बनारस की , मैंने सोच कर बोल दिया , " अक्षर, मतलब भाषा का बिल्डिंग ब्लाक, सबसे बेसिक यूनिट,... " पर इन्हे संतुष्ट करना आसान नहीं था , उन्होंने ना ना में सर हिलाया और फिर पूछा , " नहीं नहीं , जैसे क , तो ये लिखा जाता है की बोला जाता है , ... " अब मुझसे नहीं रहा गया , इतना घुमा फिरा के हम बनारस वालियां नहीं बात करती , जो सुनने के लिए उनके कान तरस रहे थे मैंने बोल दिया , " स्साले बहन के भंडुए , जब बचपन में क, ख , ग पढ़ाया जा रहा था तो क्या गाँड़ मरा रहे थे , लेकिन वो तो नहीं हो सकता क्योंकि तेरी अब तक कोरी है , ससुराल में अपने ससुराल वालियों/ वालों से मारने के लिए बचा रखी है , तो अपनी बहिनों के लिए मोटा औजार ढूंढ रहे थे क्या जो अब मुझसे पूछ रहे हो ,... बोलते भी हैं , लिखते हैं ,... " वो जोर से हँसे , हँसते ही रहे , उनकी इसी हंसी पर तो सिर्फ मैं नहीं उनकी सारी ससुराल वालियां निहाल थीं , पर जो बात बतायीं उन्होनी , सच बताऊँ , किसी से बताइयेगा नहीं , कोमल के दिमाग में भी कभी नहीं आयी थी , ... जीभ, तालू , होंठ के संयोग से जो हवा मुंह से निकलती है , वो एक आवाज होती है , लेकिन हर आवाज अक्षर , या शब्द नहीं होती। उसी तरह हम लाइने , कुछ ज्यामितीय आकृतियां उकेरते हैं , लेकिन हर बार उस का भी अर्थ नहीं होता , लेकिन जब दोनों को मिलाकर, जैसे हमने एक लाइन , गोला , पूँछ ( ाजिसे कॉलेज में मास्टर जी सिखाते हैं क लिखने के लिए ) और उसको एक ख़ास अंदाज में बोलते हैं , तो ये दोनों का कन्वर्जेंस अक्षर होता है , और उसी के साथ जुड़ा होता है एक सोशल सैंक्शन , सभी लोग एक इलाके के , जो साथ साथ रहते हैं यह मान लेते हैं की इस ज्यामितीय आकृति के लिए यह जो आवाज निकल रही है वह क होता है , मैं चुपचाप सुनती रही , ये बात कभी मैंने सोची भी नहीं थी , कितनी बार क ख ग लिखा पर , पर मेरी आदत चुप रहने की नहीं थी तो मैं बोल पड़ी , " और उसी को जोड़ कर शब्द बनते हैं ,... " ज्यादातर इनकी हिम्मत नहीं होती थी मेरी बात काटने की , माँ बहन सब की ऐसी की तैसी कर देती मैं , और उपवास का डर अलग, लेकिन आज बात काटी तो नहीं लेकिन थोड़ी कैंची जरूर चलायी। " हाँ और नहीं , कई ट्राइबल सोसायटी में रिटेन लैंग्वेज अभी भी नहीं है , पर शब्द हैं गीत हैं कहानियां है , तो एकदम नैरो सेन्स में हम उन्हें लिटरेट नहीं मानते , लेकिन उनका अपना लिटरेचर अलग तरीके का है , लेकिन लिखने का फायदा है की सम्प्रेषण आसान हो जाता है , समय और स्थान के बंधन से हट कर , जो अशोक ने शिलालेख पर लिखा, वो हजारों साल बाद भी पढ़ कर उस समय के बारे में , पता चल जाता है , ... फिर जो यहाँ लिखा है उसे हजारो किलोमीटर दूर भी भेजा जा सकता है , तो कोई भी जीव, समाज , सभ्यता, संस्कृति अपने को प्रिजर्व करना चाहती है , तो लिखित भाषा उसमें सहायक होती है , ... " मेरा भी दिमाग अब काम करने लगा था , मैंने जोड़ा और साहित्य , " एकदम लेकिन उसके पहले व्याकरण , और फिर वही बात सामाजिक स्वीकृत की , मान्यता की और बदलाव की भी , संस्कृत ऐसी भाषा भी , व्याकरण के नियम , शब्दों के अर्थ सब बदलते हैं , लेकिन हर अक्षर जिसमें अर्थ छिपा रहता है एक डाटा है , अच्छा चलो ये बताओ ढेर सारा डाटा एक साथ कब पहली बार संग्रहित किया गया होगा , मैंने झट से जवाब दिया और जल्दी के चक्कर में गलत जवाब दिया , कंप्यूटर पर उन्होंने तुरतं बड़ी हिम्मत बात काटी , नहीं किताब , और समझाया भी , जब शिलालेख पर , गुफाओं में कुछ उकेरते थे तो समय और स्थान की सीमा रहती थी पर किताब के एक पन्ने पर कितनी लाइनें , कितने शब्द , फिर जो एक के बाद एक पन्ने को जोड़ कर रखने की तरकीब निकली तो कितनी बातें एक साथ एक जगह और भाषा के साहित्य में बदलने में किताबों का बड़ा रोल था , , मुझसे नहीं रहा गया मैं पूछ बैठी , और कंप्यूटर , वो फिर हंसने लगे , और मैं उनसे एकदम सट कर बैठ गयी , कंप्यूटर बड़ी , ... वो हर भाषा , चित्र , संख्या , आवाज को ० और १ में बदल देता है तो एक यूनिवर्सिलिटी ,... लेकिन ये पहली बार नहीं हो रहा है , टेलीफोन और उससे पहले टेलीग्राफ , मोर्स कोड , इलेक्ट्रिक करेंट को , फिर ग्रामोफोन रिकार्ड , ... सौ साल बाद भी गौहर जान को सुन सकते हैं ,... चलो एक और सवाल पूछता हूँ कन्वर्जेन्स का , दो एकदम शुरू की सबसे बड़ी खोजें , मिल कर क्या बनीं , और अबकी मैं सही थी , इंजन जोर से बोली मैं , एकदम सही , आग और पहिया , ... और सिर्फ ट्रेन के इंजिन में नहीं , टरबाइन , और पहली औद्योगिक क्रांति जिसने यूरोप को इतना आगे कर दिया , हम दोनों बड़ी देर तक बतियाते रहे , वो बताते रहे , की वो लोग मिल कर क्या कर रहे हैं जिस कंपनी में वो ज्वाइन करने जा रहे हैं , वहां क्या क्या होता है और फिर उन्होंने अगला सवाल पूछ दिया , तेरा पैन नंबर , आधार कार्ड , मैंने झट से बता दिया , और ये भी मेरा आधार मेरी पहचान। और बात दूसरी तरफ मुड़ गयी।
10-03-2021, 09:04 PM
भाभी मुझ जैसी देसी औरत को भी आप ने शुद्ध हिंदी व्याकरण समझा दिया,
गजब अंदाज है आप का भी आप की कितनी कहानियां पढ़ी होगी सब मे वर्षो से एक बात ढूंढती फिरी हूँ मै ओर वो है आप का "हनीमून" उस मे एक वादा लिया हुआ है पति ने आप से वो में PM कर रही हूं आप को ताकी याद आ जाये आप को स्विट्जरलैंड जा रही हो,वर्षो की हसरत थी मेरी भी आप की भी आप सब हूबहू लिखना जो जो भोगो मस्ती वहाँ पे वो कामुख रतियाँ बालम की मनमर्जी वाली अगली कड़ी की राह देखूंगी आप की कुसुम
14-03-2021, 10:51 PM
(10-03-2021, 09:04 PM)@Kusum_Soni Wrote: भाभी मुझ जैसी देसी औरत को भी आप ने शुद्ध हिंदी व्याकरण समझा दिया, Thanks , story will take a turn soon
14-03-2021, 10:53 PM
मेरा आधार मेरी पहचान ,
मेरा आधार मेरी पहचान , ... मैं हँसते हुए बोली , और तेरा नाम तेरी पहचान नहीं , हँसते हुए मेरा गाल पिंच कर के वो बोले, चौबीस घंटे लग गए थे नाम पता करने में और तेरे आधे दोस्तों ने मेरी कितनी सहेलियों का नाड़ा भी खोल लिया था इतनी देर में , सुपर स्लो ,... मैंने उन्हें चिढ़ाया। मैंने उन्हें चिढ़ाया फिर अपने ज्ञान का परिचय भी दिया ,..देखिये आँख की पुतली , और ऊँगली के निशान भी इसमें नाम के साथ जुड़े हैं , मानती हूँ , कोमल जैसा कोई नहीं , लेकिन बहुरूपियों से बचने के लिए अच्छा हैं न फिर हर जगह इस्तेमाल हो जाता है , लेकिन आज वो मेरी लेने पर तुले थे , कहने लगे एकदम गलत , इनकम टैक्स, बैंक और भी पचासो जगह पैन कार्ड लगता है , फिर सामान खरीदो तो कार्ड और ऑनलाइन खरीदो तो डेबिट कार्ड और फोन दोनों , फिर कई जगह प्लेस आफ रेजिडेंस , इलेक्शन में वोट देबे जाओ तो वोटर कार्ड , राशन लेने जाओ तो राशन कार्ड , क्लब में जाओ तो मेंबरशिप कार्ड , मेट्रो में चढ़ो तो उसका कार्ड , बात तो उनकी सही थी थी और सही थी तभी तो मेरी उनसे शादी हुयी , छोटी मोटी बुद्धि वाले के हत्थे ये बनारस वाली चढ़ने वाली नहीं थी , मैं चुप रही , वो कभी कभी बोलते थे , लेकिन आज उनका बोलने का दिन था , बोल लें बेचारे दो दिन के बाद ससुराल में जैसे पहुंचेंगे बोलती बंद हो जाएगी , सिर्फ सहलज और साली वो भी बिना गाली के पानी नहीं मिलेगा , खाना तो छोड़ दीजिये , बात उन्होंने आगे बढ़ाई कभी ऐसा हुआ है की शॉपिंग के बाद याद आये की कार्ड रखना भूल गए , या कार्ड स्वाइप की मशीन नहीं काम कर रही है , अब ऐसी लूज बाल पर छक्का न मारना पूरे गाँव की नाक कटवानी होती , मैंने मुस्कराते हुए जवाब दिया , " अव्वल तो मैंने तेरे मायके वालों की तरह भुलक्क़ड नहीं हूँ , दूसरे मान लो , कभी भूल गयी भी तो वो तेरी एलवल वाली है न, मेरी छुटकी ननदिया , बस उसे गिरवी रख दूंगी , एक रात के बदले तो महीने भर की शॉपिंग हो जायेगी , स्साली माल तो है जबरदस्त ,... " अब उनकी बोलती तो बंद होनी ही थी , मेरी छुटकी ननद उनकी सबसे बड़ी कमजोरी थी , ...लेकिन बात उनकी मान ली मैंने , " हाँ मैंने देखा जरूर कितनी बार है लोगों को कभी कार्ड भूल जाएंगे तो कभी जिस फोन में ओटीपी आता है वो , उसी की बैटरी गायब ऐन मौके पे , ... बात तुम्हारी सही है " " अच्छा मान लो मैं तेरे लिए एक ऐसा कोई कार्ड हो , ऐसा कुछ भी एकदम यूनिक ,... एटीएम में भी वो काम करे , दूकान में भी ट्रेन में भी ,आन लाईन , ... " लेकिन मैं तो अब जिस चीज के पीछे पड़ गयी थी , और में अकेले क्यों मेरे मायके और ससुराल के सब लौंडे भी ,... और कौन वही एलवल वाली , उमर की बारी पर जुबना की भारी , तो मैं क्यों चुप रहती " वैसी तो एक ही चीज है , क्या मस्त चूजे हैं स्साली के , वो तेरी बहन कम माल ज्यादा , ... लेकिन एक बात मान लो यार मेरी , अभी भी दो दिन बचे हैं ससुराल जाने में , उसके बाद वही से नौकरी पर , जाने के पहले एक उसका उद्धघाटन कर दो , ...एक बार निवान हो जाए बस , फिर तो बाकी का काम तेरे स्साले , ... वही ऐसी चीज है जो हर जगह चलेगी, यार एक बार बस , ... स्साली की बिल में चींटे काट रहे हैं , ... एक बार ये मूसल घुसेगा न तो फिर ,... " अब वो तो हाँ कर नहीं सकते थे अपनी बहन के ऊपर चढ़ने के लिए और ना मैं सुन नहीं सकती थी , आखिर ससुराल में मेरी बहनों के ऊपर तो मायके में अपनी ऊपर क्यों नहीं , बहन बहन में भेद करना अच्छी बात थोड़े ही है। " अच्छा चल अभी छोड़ यार , मैं बात क्या कर रहा था तू न ,... " " अरे अभी आधी रात को थोड़ी कह रही हूँ , हाँ बस मेरे मायके जाने के पहले , अपनी मायके वाली की ज़रा एक बार तसल्ली बख्श ढंग से ले लेना , दिलवाने की जिम्मेदारी मेरी फाड़ने की तेरी ,... " मैं भी मान गयी , और उन्होंने जो जो बातें की मैं बस कान खोले , ... एकदम कोई सोच भी नहीं सकता था , और इसी काम पर वो वर्क कर रहे थे , इसी लिए मैं भी और बन्दे की बात में दम था , लेकिन जो उनका तरीका था , उन्होंने फिर एक सवाल दाग दिया , अच्छा बता , आधार से भी यूनिक क्या हो सकता है , मैं सोच में पड़ गयी , फिंगर प्रिंट्स आँख की पुतली , वो सब तो आधार में हैं , फिर क्या हो सकता है , मैं सोचती रही , सोचती रही , लेकिन मैं घटिया मर्डर मिस्ट्री बहुत पढ़ती थी , इसलिए मेरे मुंह से निकल गया , " डी एन ए "
14-03-2021, 10:54 PM
" डी एन ए "
" डी एन ए " " एकदम सही ,'' और अपनी आदत के हिसाब से उन्होंने मुझसे हाथ मिला लिया , और फिर पूरी बात बतायी , जो वो सोच रहे थे उनकी टीम के लोग ,... एक कामन आईडेंटीफायर " टैटू , तुझे अच्छा लगता है न ,... " मैं कुछ बोलती उन्होंने सारी बात एक झटके में समझा दी , टैटू नहीं ..माइक्रो डॉट . कलाई पर या कहीं भी बस आलपिन के बराबर ,... हर कार्ड में क्या होता है , वो समझाते गए मैं सुनती गयी डाटा स्टोरेज , आधार कार्ड , एटीम कार्ड , कोई भी , फिर कम्युनिकेशन डिवाइस से इंटरैक्शन , बैंक से चेक करना खाते में पैसा है की नहीं , कितना निकाला गया , और मोबाइल से, ... तो बस ये सारी बातें उस टैटू में , सबसे बड़ी बात, बॉडी पर होने से डी एन ए से वो कनेक्ट होगा , फिर उन्होंने क्या होने वाला है ये भी समझा दिया , मान लो तुम दूकान में गयी , घुसते ही दूकान की डिवाइस ने उस टैटू से कॉनटेक्ट कर के तेरी आईडी रिकार्ड कर ली , और दूकान की सारी डिवाइसेज में , बस जैसे ही आपने कोई सामान शेल्फ से निकाल कर अपनी ट्राली में रखा , जैसे होटल के मिनी बार में रिकार्ड होता है , वो रिकार्ड हो गया , बस निकलने के पहले एक कम्यनिकेटर , एक छोटी सी डिवाइस जो घडी की तरह रिस्ट वाच में या अलग से पर्स में , बस वहां मेसेज आ जाएगा , आपने इतना सामान ले लिया है इतना बिल फिर आपको एक बटन दबाना होगा या ३० सेकेण्ड के इंटरवल के बाद अपने आप आप के बैंक से वो पैसा कर के मेसेज आ जाएगा , ... आखिर आज भी ऑनलाइन शॉपिंग में बैंक का सारा डाटा आपके कंप्यूटर में अपने आप आ जाता है , और वो कंफरममेशन लेगा , तो माल में सबसे ज्यादा टाइम कहाँ लगता है , " बिलिंग में " मैंने तुरंत जवाब दिया। " बस तो उसका टाइम बच गया , कैश का ट्रांजैक्शन कार्ड की स्वाइप , सब " उन्होंने समझाया और फिर जोड़ा लेकिन इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा हेल्थ इमरजेन्सी में , वो टैटू एक फिटनेस वाच की भी तरह १७ पैरामीटर बाड़ी के रिकार्ड हर पांच मिनट पर रिकार्ड करती रहेगी , और डाटा एक सेंट्रल प्वाइंट पर और अलार्म भी , मान लो कोई डाइबिटिक है , सोते में शुगर बहुत लो हो गयी ७० - ६० - तो बहुत तेज अलार्म बजेगा और इंडिकेशन भी आएगा की शुगर ड्राप हो रही है , और हेल्थ इमरजेंसी में इमरजेंसी के लेवल के हिसाब से मान लो अगर किसी को हार्ट की सीरियस प्राबलम हो गयी तो वो ब्लड प्रेशर के हिसाब से खुद नॉमिनेटेड हॉस्पिटल को , एम्बुलेंस को मेसेज करेगा और सबसे बड़ी बात क्लाउड सरवर पर से उसकी सारी मेडिकल हिस्ट्री , किसी भी पैथोलॉजी की हो , हॉस्पिटल की हो , दवा की हिस्ट्री सब कुछ उसके हॉस्पिटल पहुँचने के पहले हॉस्पिटल में , फिर उनके रिलेटिव्स को मेसेज ,... तो डाटा इकठ्ठा करना , उसे सार्ट आउट करना कम्युनिकेट करना एक पैसिव तरीके से , आज कल न्यूक्लियर फेमिली हैं लोग अकेले हैं तो फिर इमरजंसी कम्युनिकेशन , और हर आदमी का परसनल डाटा , मेडिकल , फाइनेंस ,शॉपिंग , फेमिली ,... " लेकिन तुम लोगों का क्या फायदा होगा " मुझसे नहीं रहा गया , " गूगल फेसबुक का क्या फायदा है , डेटा और डाटा की खरीद फरोख्त , फिर गूगल , फेसबुक का डाटा तो सर्च बेस्ड होता है यहाँ एक्चुअल परफॉर्मेंस बेस्ड तो होगा ही रिएक्शन की भी भी हम अनॅलिसिस कर सकते हैं , किसी मेसेज को पढ़कर क्या रिएक्शन है , ब्लड पेशर वो सब भी , और सबसे बड़ी बात हम लोग ब्लाक चेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेंगे तो डाटा की सिक्योरटी ,... " वो बोले , पर मुझसे नहीं रहा गया , " क्या सिक्योरटी ,... तीन साला पुरानी व्हाट्सऐप की बात भी , ...जरा सा डंडा फटकार कर ,... शाम को सब गाली गलौज के साथ चैनल पर अगले दिन यू ट्यूब पर , फिर ,... " उन्होंने हँसते हुए मुझे चुप करा दिया , ... मैं भी यही सोच रहा था , लेकिन सर्वर अगर सेट लाइट पर हों , और वो सेटलाइट किसी केमैन आइलैंड टाइप देश की ओर से लांच हो , तो एक्सेसिबिलिटी मुश्किल हो जाएगी ,... और हम लोग अपने इथिकल स्टैंडर्ड्स ,...रीत वो बनारस वाली , यही एथिकल चेक का काम कर रही है , सब लोग अपने अपने फील्ड के , नैनो रोबोटिक्स , इकोनॉमिक्स , साइकोलॉजी , अन्थ्रोप्लॉजी , ... हम ६-७ का ,... मैंने फिर बात काटी , ... बाकी तो लेकिन साइक्लोजी और ऐन्थ्रो ,... " ह्यूमन बिहेवियर , और फिर कल्चरल डिफरेंस , हर देश , देश में भी इलाके के लोगों के बिहैविअर , फिर डाटा , बिहैवियर को कैसे इन्फ्लून्ज करेगा , अभी तो जो स्विटजरलैंड में हम लोग चलेंगे , वहां कांसेप्ट पेपर , सभी लोग आएंगे ,... उसके बाद जहाँ मैं जॉब करूँगा , एक प्रोटोटाइप , अलग अलग आस्पेक्ट्स के ट्रायल , ... " लेकिन तब तक मेरा मन दूसरी ओर मुड़ चूका था उनका शार्ट मैंने उतारकर फर्श पर और मुसल को मुंह में चुभनळाने के पहले बोली , " स्साले , तुझसे सारा काम हो जाएगा , लेकिन मेरा एक काम नहीं हो सकता , ... " " बोल न पक्का , तेरी बात पक्की , जो कह ,... " वो हुमक कर बोले ,... मैं जीभ से सुपाड़े को सहला रही थी , ... " अरे कहना क्या स्साली मेरी उस छिनार ननद को चोद दे , फाड़ दे उस स्साली की कुंवारी कच्ची कसी चूत , कर दे खून खच्चर उसकी झिल्ली फाड़ कर , बस , .... " एक झटके में सुपाड़े को गप्प करते मैं बोली। " चल अभी तो उसकी भाभी का नंबर ,... " मेरे मुंह में लंड पेलते वो बोले , लेकिन मैं निकाल लिया और बोली , ... " पक्का , आज उसकी भाभी और मेरे मायके जाने से पहले भाभी की ननद " और अब मैं कस कस के चूस रही थी , रात बहुत चुकी थी , इसलिए सिर्फ दो राउंड हुआ लेकिन मैंने मन पक्का कर लिया था इनकी बहन की नथ इन्ही से उतरवाउंगी , भले उसके बाद उसके ऊपर उसी के गली के गदहे चढ़ें .
15-03-2021, 03:50 PM
Thanku so much sach a nice sexi update didi 2 राउंड बहुत है सुकून के लिए गुड्डी की फड़वा दो ना अच्छे से
17-03-2021, 12:08 PM
17-03-2021, 12:57 PM
बनारस का रस
अनुज तो बनारस चला गया था , वहां पहुँच के उसका फोन भी आ गया था , गुड्डो बहुत खुश थी , गुड्डो ने मुझसे बातें की लेकिन उससे ज्यादा खुश थीं , गुड्डो की मम्मी , और मैंने उनको भी खूब चढ़ाया , बनारस का नाम ले कर , देवर बचना नहीं चाहिए ,... और उन्होंने गुड्डो और मेरे देवर के सामने ही उसकी सात पुश्त गरियाई और बोला जैसे , इम्तहान देकर आएगा न , अगवाड़ा , पिछवाड़ा कुछ भी नहीं बचेगा। " बचना भी नहीं चाहिए , होली में बनारस गया है , बनारस का पूरा रस मिलना चाहिए , और अच्छी तरह इम्तहान लीजियेगा उसका , मेरी ओर से भी " मैंने आग में और घी डाला। हाँ तो कल रात का हाल तो मैं बता हु चुकी हूँ , मेरे देवर अनुज का कितना जोरदार 'स्वागत' हुआ , गुड्डो ने सीधी मांग काढ़ी और सिंदूरदान गुड्डो और उसकी मम्मी दोनों ने किया , लेकिन अगले दिन ,... बेचारा पढाई में बिजी था तब भी नहाते समय , ... मारे शरम के अनुज ने तो ज्यादा कुछ नहीं बताया , पर गुड्डो थी न , मैं उसकी पक्की हमराज ,... आखिर उस की नथ अनुज से मैंने ही तो उतरवाई थी , ढोलक लेने जाने के बहाने, अनुज ने दो बार उसकी ढोलक बजा दी थी , और उसके बाद बिना नागा , और सबसे बढ़कर गुड्डो की मम्मी रिश्ते में मेरी भाभी तो उन्होंने हाल खुलासा भी बताया और जमकर अच्छी वाली गारी भी दी , ... बिना गारी के ननद भौजाई का रिश्ता पक्का होता ही नहीं , अटैची तो उसके पहुँचते ही गुड्डो ने झपट ली थी , रात को सिर्फ शार्ट और बनयाइंन में , हाँ जब वो नहाने गया , ( बाथरूम कमरे में ही अटैच्ड था ) तो पहले गुड्डो , बनियाइन दे दो , धुलनी है , और उसके बाद एक छोटी सी टॉवेल दे दी , ... इसे पहन कर शार्ट उतार के दे दो , वो वही पहने रहोगे दस दिन तक ,... चलो उतारो , ... गुड्डो से वो निपट भी लेता लेकिन तबतक गुड्डो की मम्मी और वो गुड्डो पर अलफ ,... " तू क्या कर रही है , न ये न इनकी बहन , अपने से कपडे उतारती हैं , हाँ कोई और उतार दे तो मना भी नहीं करती ,... तो तू ही उतार दे न , और कौन नंगे हो जाएंगे , तौलिया तो पहने हैं , चल ,... " जब तक वो रोके टोके गुड्डी ने एक झटके में शार्ट खींच कर गपुच ली , और जब तक वो चलती गुड्डो की मम्मी ने उसे आँख के इशारे से रोक लिया , ... अब गुड्डो की मम्मी बाथरूम के दरवाजे पर , छोटा सा दरवाजा , ... आधा खुला , बिना उनसे रगड़े वो अंदर नहीं जा सकता और जैसे साली सलहज कोहबर छेंकती है बस उसी तरह गुड्डो की मम्मी बाथरूम का दरवाजा छेंके ,... उनके पीछे बनारस की रसीली किशोरी , हाईकॉलेज वाली , शरारत से मुस्कराती , एक हाथ में उनका शार्ट और बनियाइन पकडे , " ये टॉवल भी थोड़ी गन्दी लग रही है , इसको भी धूल दे, ..अब इनको नहाने ही तो जाना है , अंदर कौन सा टॉवल पहन के नहाएंगे ,... " गुड्डो की मम्मी ने मेरे और अपने देवर को देखते हुए मुस्कराते कुछ छेड़ते कहा , बेचारा अनुज , उसने जोर से टॉवेल पकड़ने की कोशिश की , पर बनारसी लड़कियों से पार पाना मुश्किल है , उसके पहले ही गुड्डो ने टॉवेल पकड़ के खींच ली , और हंसती खिलखिलाती छलांगे लगाती वो हिरणी कमरे के बाहर , लेकिन शेरनी अभी भी बची थी , न जाने कब की भूखी , शिकार को बल्कि शिकार का टकटकी लगाए देखते , बेचारा अनुज उसने दोनों हाथों से छिपाने की कोशिश की पर बेकार , उसकी भौजी की भी भौजी थीं वो , तुरंत शर्त लगा दी , दोनों हाथ ऊपर और १०० तक गिनती , तब ही मैं जाने दूंगी अंदर ,... क्या करता बेचारा , और ऊपर से भौजाई की रगड़ाई , " चल आज तुझे मैं नहला देती हूँ , अपने हाथ से , हर जगह साबुन लगा कर , रगड़ कर ,... पक्का ,... तंग करुँगी लेकिन ज्यादा नहीं , ... " और ज्ञान भी , " अरे दुल्हन का घूँघट खोल के रखा करो , कहो तो मैं ही खोल दूँ , तुझे मुंहदिखाई में अपनी ननद की ननद दे दूंगी , एलवल वाली ,... थोड़ा सा तेल वेळ लगा लेना " पूरे पांच मिनट बाद ही वो बाथरूम मेंघुस पाया और तब भौजाई की पारखी नज़रों ने लम्बाई मोटाई कड़ाई सब नाप ली
17-03-2021, 12:58 PM
भौजी
" अरे दुल्हन का घूँघट खोल के रखा करो , कहो तो मैं ही खोल दूँ , तुझे मुंहदिखाई में अपनी ननद की ननद दे दूंगी , एलवल वाली ,... थोड़ा सा तेल वेळ लगा लेना " पूरे पांच मिनट बाद ही वो बाथरूम में हाँ भौजी ने मुझे बहुत गरियाया , "छिनार , तेरी बुर में ,... क्या बोला था अच्छा है ,.. उसका ,... " मैं समझ रही थी उनका मतलब लेकिन भौजी के मुंह से गारी सुनने का रस अलग ही है ,... " अच्छा नहीं है भौजी आपको पसंद नहीं आया ,... " मैं जान बूझ कर बोली , "स्साली तेरी सारे खानदान की बुर में ,... अच्छा , क्या कहते हैं आज कल , सुपर अच्छा , ... मोटा कितना है , और लम्बा , जितना लोगों का खड़ा होने पर है उतना तो उसका सोते , ... मैं पक्की कह सकती हूँ स्साला नबरी चोदू होगा , लंबी रेस का घोडा ,... मन तो कर रहा था , वहीँ सुपाड़ा गप्पक लू , पर ,... एक बार इम्तहान होने दो ,..उसी रात रेप करुँगी इसका " तबतक मेरे दिमाग में एक सवाल आ गया और मैंने पूछ भी लिया , " भौजी आपने चीरहरण तो अच्छा कर लिया पर वहां गुड्डो , आपकी बेटी भी ,... और मेरी आगे की बात उनकी हंसी में डूब गयी। देर तक वो हंसती रही , फिर दर्जन भर गारी मुझे , मेरे पूरे खानदान को , फिर बोलीं " जिस दिन से बेटी नीचे से खून फेंकने लगे न , उसी दिन से वो बेटी नहीं सहेली हो जाती है , और चार साल हो गए हैं उसके ,... फिर उसके पापा तो अक्सर बाहर ही रहते हैं तो बस हमी दोनों , तो क्या झिझक लिहाज ,... " मैं बात गुड्डो की मम्मी से कर रही थी लेकिन मेरे मन में तारीफ़ के पुल कम्मो के लिए बंध रहे थे , एकदम सही अनुज को सिखाया पढ़ाया था भौजी ने , माँ बेटी को साथ साथ ,... लेकिन मैंने गुड्डो की मम्मी की हाँ में हाँ मिलाया और उनके मन की थाह लेने के लिए फिर पूछा भाभी ये बात आप एकदम सही कह रही हैं गुड्डो बहुत प्यारी है , मुझसे भी एकदम खुली, मैं उसे चिढ़ाती भी हूँ लेकिन उसके सामने कुछ भी छिपाती नहीं , अरे यही तो उमर होती है मजे लेने की , .... "एकदम सही कह रही हो , अरे मौका मिलने पर भी अगर मजा नहीं लिया तो फिर दुबारा मौका मिले न मिले , बस खाली कुढ़ते रहो , सोचते रहो ऐसा करते तो ,... इसलिए मैं भी गुड्डो के साथ ,... हम दोनों खुश खुश ,... वो बोलीं और फोन रख दिया , अनुज उन्हें बुला रहा था। लेकिन जब वो बाहर निकला तो उसकी असली रगड़ाई , गुड्डो ने की ,... " मुझसे शर्मा रहे हो मैंने देखा नहीं है क्या , मम्मी पड़ोस में है , बाहर आओ तो टॉवेल मिलेगी ,... " बाहर आने के बाद ही टॉवेल मिली लेकिन रगड़ने पोंछने का काम गुड्डो ने खुद किया , पर बात फिर अटक गयी कपड़ों पर , नहाने के बाद , " तेरे कपड़ों को बेच के हमने बरतन ले लिए , कितने गंदे थे ,... और फटे पुराने , सिर्फ दो चम्मच मिले और एक छोटी कटोरी ,... अंत में गुड्डो ने बहोत मिनती करने के बाद अपना दो दिन से पहना बारमूडा उतार के दिया ,... नहीं ऐसे नहीं टॉवल पहन कर उतारा , और हाँ थोड़ी देर बाद वो वापस आयी तो अनुज की पेंट पहन के ,... लेकिन ये छेड़खानी एक दो बार ही , बाकी टाइम दोनों उसको पढ़ने दे रही थीं , यही नहीं गुड्डो की मम्मी ने काशी के कोतवाल की मनौती मानी थी , गुड्डो खुद सात शुक्रवार , और गुड्डो की मम्मी ने तो गंगा जी की आर पार की चुनरी भी मान ली थी , बस अनुज का सेलेक्शन हो जाए ,.... और बी एच यू , बनारस वाला इंजीनियरिंग कालेज मिल जाए
17-03-2021, 12:59 PM
शॉपिंग
और इनका कोई काम कभी पूरा नहीं होता था , ख़ास तौर से जब मामला इनकी साली सलहज का हो , और ऊपर से इनकी सालिया सलहज का फोन आ जाए न , ... तो बस वही दो बार जो हम लोग शॉपिंग कर के लाये थे उसे अपनी लिस्ट से उन्होंने मिलाया , और फिर उन्हें लगा की बहुत सी चीजें छूट गयी हैं। और उसी समय उनकी सलहज का फोन आ गया , मेरी रीतू भाभी का , और उनसे बात तो हम लोग स्पीकर फोन ऑन कर के ही करते थे , जिससे ननद और नन्दोई से वो एक साथ बात कर सकें , लेकिन उससे बढ़कर , जो चुन के गालियां अपने नन्दोई को देती थीं , उनके नन्दोई ने शॉपिंग की बारे में कुछ बोलने की कोशिश की , कि उनकी सलहज चालू हो गयीं , " सुन ला पूरे गांव के सार , तोहार पिछवाड़ा बची न होली में चाहे जितना शॉपिंग वापिंग कै ला , हाँ आपन उ बहिनिया ले आते , काव नाम हो ओकर , हाँ गुड्डी ,... तो बचत तो ना , हाँ ताजा कडुआ तेल लगाय के मारती हम लोग , तनी चरपरात , परपरात लेकिन पिरात कुछ कम , लेकिन तोहरी बहिनिया क तो होली में सट्टा लिखल होई पहले क , ... इसलिए गाँड़ तो तोहार हचक हचक के मारी जायेगी , ... और खाली साली सलहज नहीं , यह गाँव में लौण्डेबाज भी बहुत हैं , तो रोज रात को सोने के पहले वैसलीन लगा के अभी से चिकना कर ला , ... " उसके बाद आधे घंटे तक सलहज नन्दोई की रसीली बातें चलती रहीं , फिर उनकी सास का फोन आ गया , शादी के अगले दिन से ही मैं देख रही थी , मेरी मायके वालियां सब पक्की दलबदलू , ... फोन सब का आता था मेरे फोन पर , माँ हों , बहनें हों या भाभी , लेकिन उसके बाद बस दामाद जी कहाँ है , नन्दोई को फोन दो , दीदी जीजू से बात कराओ ,... मेरा काम खाली इन्हे फोन देने का होता था , और उसके बाद उनकी वीडियो कांफ्रेंस , यूरोप से काल थी ,... असल में मैंने , और मुझसे ज्यादा उनकी साली सलहज ने वार्निंग दे दिया था , ससुराल में कोई फोन , आई पैड कुछ नहीं , एक फोन कहीं भी किया उन्ही के पिछवाड़े डाल दिया जाएगा ( ये प्रोग्राम मेरी रीतू भाभी का था ) , सालियों ने कसम दिला दिया था , साली सलहज के अलावा कोई नहीं , यहाँ तक की मैं भी पास नहीं आ सकती थी , तो बेचारे वो ओवरटाइम कर रहे थे , और ११ दिन ,दस दिन ससुराल वाले और एक दिन पहले से कम्प्लीट छुट्टी , इ मेल भी नहीं , और अगले दिन सुबह से ही वो चालू हो गए , ये सामान छूट गया , ये साडी का रंग अच्छा नहीं है , बदल देते हैं , मझली का शलवार सूट एक और लेते हैं , नाउन की बहु ने कोहबर में उनसे पायल माँगा था , तो चौड़ी हजार घँघुरु वाली पाजेब ,... अगले दिन उन्हें एक मीटिंग के लिए बनारस जाना था , और उस के बाद तो सीधे ससुराल का प्रोग्राम इसलिए आज आखिरी दिन था , जब से ये तय हुआ था की मैं होली में मायके जाउंगी और उसके बाद अपनी पोस्टिंग पर , तो मेरी सास जेठानी भी मेरे जाने के बाद घर छोड़ना मुश्किल होगा , इसलिए जितने रिश्तेदार थे , आस पास सबके यहाँ , मैं जानती थी , इन्हे अकेले बाजार भेजा न तो फिर दो घण्टे बाद फोन आएगा और कुछ न कुछ गड़बड़ कर देंगे , इसलिए मैं भी उनके साथ और घर पर कम्मो थी ही , बाजार में अनुज के दोनों दोस्त मिल गए , बंटू और मंटू , मुझे देख के चहक के बोले , " भाभी , हम लोग तो आप के पास जाने की सोच रहे थे , लेकिन सोचा अनुज तो चला गया , ... " देवर को मैं क्यों छोड़ती , वो भी फागुन में , बिना छेड़े , मैं चढ़ गयी , बीच बाजार में , " अनुज से होली खेलनी थी क्या तुम दोनों को , फिर डर लगता है क्यों उसके बिना , जाओ घर में कम्मो भौजी मिलेंगी , मैं भी थोड़ी देर में पहुंचती हूँ , पिछली बार जो जो रंग बच गया था न वो आज होगा , डर के मारे फटी तो नहीं ,... " लेकिन तब तक उन्होंने बुला लिया , छुटकी की कुर्ती का रंग क्या होगा , ... दो उन्हें अच्छी लग रही थीं , पर उन्होंने कौन कन्फूजन करे , दोनों ले लिया। हाँ मैं लौटी तिझरिया को ही , लोग औरतों को ब्लेम करते हैं , औरतों लड़कियों का सामान कभी किसी मर्द से खरीदवा के देख लीजिये , फिर उन्हें अपने शहर के रेस्टोरेंट का नाम इम्प्रेस करने के लिए मुझे खिलाने का मौका मिल गया , इनकी और मेरी एक दो ड्रेस थीं उसे दूकान वाले ने बोला था एडजस्ट करने को , इसलिए भी टाइम तो लगना था , और जब चार बजे मैं घर पहुंची , तो कमरे में पहुँचते ही , एक राउंड ,... जब मैं नीचे उतरी तो कम्मो चाय के लिए मेरा इन्तजार कर रही थी और उसने पूरा हाल सुनाया , बंटू , मंटू के साथ जो हुयी , हाँ आज सफ़ेद रंग वाली हुयी थी वो भी जबरदस्त , कम्मो ने मान लिया देवर उसके टक्कर के थे , बंटू और मंटू का इरादा पक्का था और उनसे ज्यादा पक्का इरादा था कम्मो भौजी का , कल अनुज के पिचकारी से तीन राउंड सफ़ेद रंग की खेल कर उसका मन और ,... फिर उसके पहले मुझे मंटू बंटू की मोटी मोटी पिचकारी मुठोीयते देखकर भौजी के ऊपर और नीचे दोनों वाले मुंह में पानी आ रहा था , मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था , घर में भौजी अकेले हैं , बस। |
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