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Misc. Erotica DESI HINDI SHORT SEX STORIES
#41
चाहत चुदवाने की

मेरी शादी 25 वर्ष की उम्र में एक सीधे-सादे व्यक्ति के साथ हुई।
मैं शुरू से ही पुरुषों से ज्यादा मेल-मिलाप नहीं रखती थी, क्योंकि मैं जानती थी कि मौका मिलते ही ये चुदाई करने से बाज नहीं आने वाले हैं। इनकी नजर हमेशा औरत के चूत और चूचियों पर ही रहती है।
शादी से पहले मैं ये सब नहीं करना चाहती थी, लेकिन शादी के बाद स्थिति ऐसी बदल जाएगी, ये मैंने पहले कभी नहीं सोचा था।
सुहागरात के दिन मेरे पति ने मुझसे सिर्फ थोड़ी सी बात की, लेकिन कोई भी शारीरिक स्पर्श या सम्भोग आदि कुछ नहीं किया।
अगले दो दिन भी कुछ नहीं।
ऐसी स्थिति में मेरी चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी।
शादी से पहले तो कुछ भी नहीं किया, अपनी चूत को बचा के रखा, लेकिन अब! क्या अब भी ऐसे ही जिंदगी चलती रही?
तो इतनी सुन्दर काया और तनी हुई चूचियों, उभरे हुए नितम्ब तथा मस्तानी चूत जिसकी अभी तक सील भी नहीं टूटी थी, का क्या अर्थ रह जायेगा?
यह सोच कर मैं बहुत परेशान रह रही थी।
मेरी परेशानी को देख कर मेरी भाभी ने मुझसे जब इसके बारे में पूछा तो मैंने सब कुछ खुलकर बता दिया।
इसके समाधान में उन्होंने मुझे समझाया- तुम स्वयं ही इसकी कोशिश करो, हो सकता है कि शर्मीले स्वभाव के वजह से वो ऐसे नहीं करना चाहते हों।
अगली रात मैंने ऐसा ही किया और अर्धनग्न अवस्था में उनके पास गई ताकि मुझे देख कर उनको जोश जगे तथा सम्भोग आदि की स्थिति बने, वरना बिना चुदाई के ही जीवन न गुजारना पड़े।
मेरे पति ने मेरी तनी हुई चूचियों एवं सेक्सी अंदाज को देखकर बस थोड़ी ही प्रतिक्रिया दी।
मैं समझ गई कि अब सारी स्थिति मुझे ही संभालनी पड़ेगी।
यह सोचकर मैंने लाइट बुझाकर उनके पास लेट गई और उनके कच्छे को ऊपर से ही सहलाने लगी जिससे मुझे उनके लिंग के उभार का पता चला।
काफी देर बाद मैंने कच्छे के अन्दर हिम्मत कर के अपना हाथ डाला तो पाया कि उनका लिंग पतला तथा औसत लम्बाई का था।
काफी मशक्कत के बाद उनका लिंग खड़ा हुआ जिससे मेरी उम्मीदें बढ़ चलीं कि मेरी चुदाई का रास्ता अब साफ़ हो चला था। इसके बाद मैंने उन्हें उत्तेजित किया जिससे उन्होंने मेरी चूचियों को सहलाना और मसलना शुरू किया।
यह मेरा पहला अनुभव था जोकि मुझे मदहोश किये जा रहा था। अब उन्होंने मेरी चूत की तरफ अपना हाथ फेरना चालू किया जिससे मेरी चूत धीरे-धीरे गीली होने लगी।
अब मैं समझ गई कि अब मेरी चुदाई में ज्यादा देर नहीं है। मैंने भी उनका साथ देना चालू रखा।
कच्छे को सरका कर उन्होंने मेरी चूत पर अपने लण्ड को रख कर धक्का मारा, जिससे वो थोड़ा अंदर की ओर सरकने लगे।
मुझे थोड़ी सी पीड़ा होने लगी लेकिन मैं भविष्य का रास्ता साफ़ करना चाहती थी, सो मैंने इसकी परवाह न करते हुए उनका मनोबल ऊँचा रखा।
मैंने भी अपनी तरफ से भी नितम्ब उठा कर पूरा लेने किए लिए धक्का लगाना शुरू किया, जिससे लण्ड अंदर की ओर चीरता हुआ मेरी चूत में समा गया।
इसके साथ ही खून भी निकालने लगा, जो मेरी सील टूटने का संकेत था।
उस औसत दर्जे के लण्ड से भी मेरी सील टूट गई थी।
करीब 10 मिनट में ही धक्कम पेल के बाद मेरे पति का वीर्य छूट गया और वो लण्ड बाहर निकाल कर सो गए।
मैं अभी ठीक से चुद भी नहीं पाई थी। आगे भी कुछ इसी तरह से चलता रहा।
मैंने अपने इस दर्द को फिर से भाभी को बताया जिसे उन्होंने समझते हुए सब्र से काम लेने की बात कही, लेकिन अधूरी चुदाई का दर्द मुझे परेशान कर रहा था।
एक दिन मैं भाभी के कमरे में गई, उस समय वहाँ और कोई नहीं था। वहाँ पर एक बेहद अश्लील किताब पड़ी हुई थी जिसमें चुदाई के बहुत से चित्र थे, चूत, लण्ड, चूचियों के चित्र दिखाई दे रहे थे। यह देख कर मेरे अन्दर आग सी लगने लगी, मैं यह भी भूल गई कि यहाँ पर कोई आ सकता है।
मैंने एक-एक पन्ना पलट कर काफी बारीकी से सारे चित्रों को देखा। मेरा हाथ अपने आप ही मेरी चूत पर चला गया और मैं उसे सहलाने लगी जैसे कि चुदाई की तैयारी चल रही हो।
तभी मेरी भाभी आई और मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया।
मेरी सारी बातें जानने के वजह से उन्होंने मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहा, बस इतना बताया कि तुम्हारे जेठ इस तरह की किताबें पढ़ते हैं और हर रात तुम्हारी भाभी को अलग-अलग आसनों से चोदते हैं।
यह सब सुनकर मेरी चूत गीली होने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं अपने रूम में चली आई और सोचने लगी कि कितनी धन्य होंगी वो औरतें जिन्हें बढ़िया से चोदने वाले पति मिले होंगे।
कुछ दिनों के बाद मेरे यहाँ दो लोग किराये पर रहने के लिए आए जो कि स्टूडेंट थे।
एक का नाम यश और दूसरे का राज। दोनों ही शरीर से स्वस्थ और मांसल थे।
दोनों ही स्वभाव से अच्छे थे। धीर-धीरे हमसे मेल-जोल बढ़ने लगी तथा हम लोग खुल कर बातें करने लगे।
मेरे अन्दर की आग शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मेरी नजरें बातें करते हुए अक्सर उनके लण्ड को ऊपर से ही पढ़ने की कोशिशें करने लगतीं।
मेरा बातों-बातों में अक्सर मुस्कुराना, मेरी पहाड़ की तरह उठी हुई चूचियों और पीछे की तरफ उठे हुए नितम्ब की तरफ धीरे-धीरे उनका भी ध्यान होने लगा तथा मेरी ओर उनकी रूचि बढ़ने लगी।
एक दिन जब मैं किसी काम से उनके रूम में गई तो देखा कि जय सिर्फ कच्छे में ही सोया था और बीच वाले कटे हुए जगह से उसका मोटा और लम्बा लण्ड बाहर की तरफ निकला हुआ था और वो नींद में था।
मैं शरमाकर जल्दी ही बाहर चली आई, लेकिन उसका लम्बा और मोटा लण्ड मुझे भूल नहीं रहा था। मैं सोचने लगी, काश मेरे पति के पास भी ऐसा ही होता तो मेरी जवानी कितनी तृप्त होती।
अब जब भी वो मिलता मैं उसे चाह भरी नज़रों से देखने लगी, वह भी मेरी नज़रों को पहचान गया था।
एक दिन जब घर में कोई नहीं था और लाइट चली गई। वो कुछ माँगने के बहाने मेरे रूम में आया। मैं उस समय सिर्फ साये और ब्रा में थी।
उसने मुझे देखा तो उसका लण्ड खड़ा हो गया, फिर भी उसने बाहर जाने की कोशिश कि तो मैंने सही समय समझकर उसे टोका, “यहाँ आओ अपना काम तो बताओ।”
यह कहकर जैसे ही मैं उसकी और बढ़ी उसकी नजरें मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर जाकर टिक गईं।
मैं उसके पैंट के अन्दर से उफान मार रहे लण्ड की तरफ देखने लगी।
हम दोनों एक दूसरे में खोने लगे।
शादी न होने के वजह से उसकी भूख भी साफ़ दिखाई दे रही थी।
उसने मेरी चूचियों को पीछे से आकर पकड़ लिया।
मैंने भी छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं कि उसका लिंग अभी भी मुझे याद था, इसलिए चूत के घायल होने की चिंता भी थी।
लेकिन चुदाई की इच्छा सब पर भारी पड़ रही थी। एक हाथ उसका मेरी चूचियों पर तथा एक मेरी चूत की तरफ था।
मैंने भी साहस कर के उसका तम्बू की तरह उभरा लिंग पकड़ किया।
अब सब कुछ साफ़ था, वह भी अब समझ चुका था कि अब मेरी तरफ से कोई बाधा नहीं
है।
मेरी चूत गीली होने लगी।
उसने मेरा साया ऊपर की तरफ उठा दिया जिससे मेरी चूत जो कि काले झांटों से ढकी हुई थी, उसके सामने आ गई।
अब उसने आव देखा न ताव, झट से मुझे अपनी और खींचते हुए अपने पैंट के ऊपर ही मुझे बैठा लिया।
उसका उभरा हुआ लण्ड मुझे नीचे से स्पष्ट अनुभव हो रहा था।
मैंने भी यह सोच लिया था कि आज सारी शर्म छोड़ कर जम कर चुदूँगी, मैंने उससे कहा- मेरी चूत तो तुमने देख ली, अब अपना तो दिखाओ।
यह सुनकर उसने अपनी पैंट का जिप खोलकर अपना मूसल जैसा लण्ड बाहर निकाला, जो कि मेरी चूत को फाड़ने के लिए एकदम उतावला था।
उसने मुझे एक मंजे हुए आदमी की तरह से घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत को सहलाते हुए अपना लिंग लाकर उस पर टिका दिया।
मेरी चूत पहले से ही गीली होने के वजह से उसके सामने तैयार थी, उसको अपने अन्दर लेने के लिए।
जब उसने सटाकर जोरदार धक्का लगाया तो मेरी तो 'आह' निकल गई।
मैंने उससे कहा- धीरे से डालो न ! यह तुम्हारे लण्ड को झेलने में अभी नाकाबिल है, धीरे-धीरे ही करना, कोई जल्दी नहीं है। जब तक मेरे यहाँ हो, मेरी चूत हमेशा तुमसे चुदाने के लिए तैयार मिलेगी।
उसने मेरी चूत में धीरे-धीरे अपना पूरा लण्ड सरका दिया।
पहले से चुदने के लिए मानसिक रूप से इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी। अब अंदर-बाहर कर के उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया।
मैं भी उसका साथ देने लगी।
आज मुझे असली लण्ड की मार का पता चला।
मेरी चूचियाँ भी उससे हो रही चुदाई को उछल-उछल कर सलाम कर रही थीं।
लगभग 20 मिनट तक उसने मुझे कुतिया बना कर हचक कर चोदा। मेरी चूचियों को वो अपने हाथों से ऐसे मसल रहा था जैसे वे रसीले आम हों।
उससे चुद कर मुझे वास्तव में चुदाई के आनन्द का अनुभव हुआ। मैं उससे चुदते समय एक बार झड़ चुकी थी पर उस के लंड को तो मानो कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था।
अचानक उसने मुझसे चिपकते हुए जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।
उसके मुँह से बड़बड़ाने की आवाजें निकलने लगीं, “हा हा आई मैं जा जा रहा हूँ भाभी ई ई ले मेरा पूरा माल पी ले।”
और वो झड़ गया। मेरी पीठ से चिपक कर उसने अपने वीर्य की आखिरी बूँद तक मेरी चूत में छोड़ दी।
फिर हम दोनों अलग हुए।
सच में बहुत मज़ा आया उस दिन ...

कहानी रविराम69 द्वारा रचित (मुसाफिर - मास्तरराम)
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#42
दोस्त की माँ

रविराम69 (मस्तराम)

एक दिन की बात है, मैं अपने दोस्त के घर गया हुआ था, वो घर पर नहीं था, यह बात मुझे नहीं पता थी। मैं गया तो उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था, तो मैं ऐसे ही उसके घर में घुस गया, मेरा समय अपने घर कम और उसके घर में ज्यादा बीतता था तो उसके घर आना जाना रहता था।
तो हुआ यों कि मैं उसके घर में घुस गया और सीधे उसके कमरे में जाने लगा तो उसके बगल वाले कमरे से मुझे छन छन की आवाज़ आ रही थी जैसे कोई पायल या फिर कोई चूड़ी खनका रहा हो।मैं वापिस पीछे को आया और खिड़की के पास रुक गया और सुनने लगा, मुझे अंदर की आवाज़ ठीक से सुनाई तो नहीं दे रही थी पर इतना दिमाग था कि पहचान सकूँ कि यह किस किस्म की आवाज़ है।
थोड़ा ध्यान दिया आवाज़ की तरफ तो मेरा लंड एकदम से तन गया, अंदर से पेला-पेली की आवाज़ आ रही थी। मैंने बहुत कोशिश की अंदर झांकने की कि कौन है, क्योंकि इससे पहले भी मेरा दोस्त अपने घर में लड़की लाकर खा चुका था, अगर मेरा दोस्त होता तो मुझे भी मौका मिल जाता पर असल में है कौन, वो देखना था मुझे।
मैंने बहुत कोशिश की और अंत में कामयाबी मिली तो देखा कि मेरे दोस्त के मॉम-डैड थे, मुझे थोड़ा अजीब लगा पर यह सब चलता रहता है। मैंने देखा कि अंकल आंटी की टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख कर उनकी ठुकाई कर रहे थे।
मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा और देखता रहा, दस मिनट की चुदाई देख ली, मैंने उसके बाद जो हुआ तब मेरी फट गई।
हुआ ये कि हवा काएक तेज झोंका आया और खिड़की का अंदर का पर्दा उड़ गया और आंटी ने मुझे देख लिया कि मैं देख रहा हूँ, पर मुझे झटका तब लगा जब आंटी ने मुझे देख कर भी अनदेखा किया और अंकल से चुदवाती रही।
अब मुझे लगा कि मेरा वहाँ खड़े रहना खतरे से खाली नहीं है और मैं वहाँ से नौ दो गयारह हो लिया।
अगले दिन मैं फिर से उनके घर गया, पर मुझे बहुत शर्म सी आ रही थी। इस बार मैंने उनके घर की घंटी बजाई और फिर अंदर गया जब मेरे दोस्त ने दरवाजा खोला।
मैं अंदर गया तो उसने मुझसे पूछा- आज क्या हुआ तुझे, आज तूने घंटी बजाई? तू ठीक तो है ना? आज तुझे घंटी बजाने की क्या जरुरत पड़ गई। तब उसकी माँ वहीं बगल से निकल कर गई और मुझे तिरछी नजर से देखा।
मैं क्या बोलता उसे, मैंने बोला- अरे घंटी बजानी चहिये, इसे तमीज़ कहते हैं।
वो बोला- आज तुझे पक्का कुछ हुआ है, चल कोई बात नहीं आ चल कमरे में।
मैं उसके साथ बैठ गया और उसके कंप्यूटर में गेम खेलने लगा, कुछ देर के बाद वो बोला- तू खेल, मैं नहा कर आता हूँ !
और फिर वो नहाने चला गया।
मैं खेलता रहा तब तक उसकी मॉम भी उसी कमरे में आ गई और मुझे पानी दिया पीने को।
मैंने पानी लिया और पीकर गिलास वहीं बाजू में रख दिया। आंटी अब भी वहीं खड़ी थी और जब गिलास उठाने के लिए झुकी तो अपनी चुन्नी गिरा दी और मुझे अपने चुच्चों के दर्शन करा दिए।
मेरी फिर से सूख गई कि यह हो क्या रहा है आजकल।
अब आंटी मुझे देखने लगी और पूछने लगी- क्या देख रहे हो?
मैं क्या जवाब देता, मैं बोला- कुछ नहीं ! गलती से दिख गया।
फिर आंटी बोली- आज गलती से दिख गया और कल जो देखा वो भी क्या गलती थी?
मैंने उन्हें सोरी बोला और फिर आँखें नीची करके चुप बैठा रहा।
वो बोली- कोई बात नहीं पर अगली बार से ऐसा मत करना, अच्छी बात नहीं होती यह सब।
कुछ देर के बाद आंटी फिर से कमरे में आई और मुझे बोली- कल जो देखा और आज जो देखा किसी को बताना मत।
मैंने कहा- जी मैं ये सब बातें नहीं करता किसी से !
फिर आंटी चली गयी। मैं फिर थोड़ी देर के बाद अपने घर चला गया आंटी को बोल कर। घर जाकर मुझे याद आया कि मैं उनके घर में अपना घड़ी भूल गया।
शाम को मैं फिर उनके घर गया और आंटी से दोस्त के लिए पूछा तो वो बोली- वो दोपहर से कहीं गया हुआ है।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैंने आंटी को बोला कि मैं अपनी घड़ी उसके कमरे में भूल गया हूँ।
आंटी बोली- रुको, मैं लाकर देती हूँ।
आंटी फिर आई और बोली- तुम ही देख लो, मुझे नहीं मिल रही है।
मैं फिर उसके कमरे में गया, देखा कि मेरी घड़ी तो वहीं सामने रखी हुई है, मैंने घड़ी ली और आंटी के कमरे में यह बोलने के लिए गया कि मैंने घड़ी ले ली है, मैं जा रहा हूँ।
पर जब में उनके कमरे में गया तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मैंने देखा कि आंटी ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी है और मेरी तरफ ही देख रही हैं जैसे उन्हें मेरा ही इंतज़ार था कि मैं आऊंगा और उन्हें इस हाल में देखूंगा।
मैंने उन्हें देख कर बोला- आंटी, यह क्या? अभी तो आप साड़ी में थी और यह अचानक?
आंटी बोली- तुम्हारे लिए उतार दी।
मैं बोला- आंटी, मैं आपका मतलब नहीं समझा।
वो बोली- इतने भोले मत बनो, आओ मेरे पास आओ, और कल तुमने क्या क्या सीखा मुझे बताओ।
मैं आंटी की तरफ बढ़ा और आंटी से चिपक गया। फिर आंटी ने भी मुझे कस कर गले लगा लिया और मुझे चूमने लगी।
मैंने भी मौके को गंवाया नहीं और उनके होठों को चूसने लग गया।
मैं पहली बार किसी आंटी को चूम रहा था और मुझे आंटी को चूमने में काफी मज़ा आ रहा था। उनके होंठ एकदम किसी जवान लड़की की तरह थे, एकदम वही मज़ा मिल रहा था मुझे।
अब आंटी ने मुझे बिस्तर पे बिठा दिया और मेरे सामने घुटने के बल बैठ गई और मेरी पैंट की ज़िप खोलने लगी। मैं खड़ा हुआ और जल्दी से ज़िप खोल कर उनके सामने मैंने अपना लंड लटका दिया।
आँटी बोली- काफी अच्छा है तुम्हारा लंड !
और फिर उसे पकड़ कर दबाने लग गई। उनके दबाने से तो मेरे अंग अंग में करंट सा दौड़ पड़ा, अब कुछ देर के बाद उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और उसे कस कस कर चूसने लगी।
वो एकदम उनकी तरह चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में चूसते हैं, एकदम सर को आगे पीछे कर कर के चूस रही थी।
मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरा लंड चूसती रही, कुछ देर के चूसने के बाद उन्होंने मेरी पैंट और फिर शर्ट दोनों उतार दी और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगी, फिर एक हाथ से मेरे लंड को दबाए जा रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने उन्हें लेटा दिया और उनके चुचों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही काटने लगा। थोड़ी देर काटने के बाद उन्होंने खुद अपनी ब्लाउज़ उतार दी और फिर मुझे चूसने को कहा।
मैं उनके एक चुच्चे को चूसता तो दूसरे को मसलता रहता। दस मिनट तक मैं उनकी चूचियों को गर्म करता रहा और वो दस मिनट तक सिसकारियाँ भरती रही।
मैं अब उठा और उनके पेटीकोट के अंदर सर डाल दिया और उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को हल्के हल्के काटने लग गया। उनकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और उसमें से महक आ रही थी जैसे चूत में से आती है।
मैं उनकी पेटीकोट के अंदर ही पगला गया और उनकी पेंटी की बगल में से उनकी चूत में उंगली करने लगा।
पाँच मिनट के बाद मैंने अपना सर बाहर निकाला और उनकी पेटीकोट के साथ साथ उनकी पेंटी भी उतार दी। अब आंटी मेरे सामने पूरी नंगी थी, उनकी चूत पर काफी बाल थे, पर मुझे उससे कुछ फर्क नहीं पड़ा।
मैं दोबारा उनके चुचों पर टूट पड़ा और उन्हें कस कस कर चूसने लगा। वो अब सिसकारियों पे सिसकारियाँ भरने लगी- ओह ह्मम्म क्या मज़ा आ रहा है और जोर से चूसो इसे, खा जा इसे ऊह ओऊ हम्म्म येह्ह्ह्ह किये जा रही थी।
मैं उन्हें चूमते चूमते उनकी चूत की तरफ आ गया, और फिर उनके चूत के बालों को एक तरफ किया और उनकी चूत में जीभ रगड़ने लग गया। उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखा और मुझे अपनी चूत पर कस के दबा लिया, मैं उनकी चूत को और कस के रगड़ने लगा, मैं बीच बीच में उनकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होठों से काटने लगा और उनकी चूत की छेद को में अपने जीभ से धकेल भी देता बीच बीच में।
जितने बार उनकी छेद में जीभ से धक्का देता उतनी बार वो सिकुड़ जाती और उफ्फ्फ्फ्फ़ आह करने लग जाती।
अब वो बोली- और कब तक से चूसेगा, जल्दी से अपना प्यारा लंड डाल दे, मैं और नहीं रुक सकती, जल्दी कर।
मैं उठा और उनकी चूत पर लंड सटा दिया और धक्का दिया, पहले जब लंड घुसा तब वो हल्का सा चीखी और फिर शांत हो गई। मैंने धक्का देना शुरु कर दिया और कुछ 8-10 धक्कों के बाद वो भी अपना गांड उठा उठा कर मुझे अपनी चूत देने लगी। उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया, उनकी उंगलियों के नाख़ून मुझे चुभने लगे। मैं फिर भी उन्हें कस कस के धक्का देता गया और वो अपना गांड उठा उठा कर अपनी चूत देने लगी और मेरा लंड जल्दी जल्दी लेने लगी। वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने उन्हें अब घोड़ी बनने के लिए बोला तो वो बोली- गांड नहीं दूंगी चूत मार ले।
मैंने कहा- गांड नहीं मारनी, चूत ही मारूंगा मगर पीछे से।
वो बोली- ठीक है।
और फिर घोड़ी बन गई, मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड घुसा दिया, मैं अब लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर कर रहा था।
मैं फिर एकदम से रुक गया और एक ही झटके में मैंने लंड चूत से हटा के गांड में दे दिया और उनकी गांड फट गई।
वो एकदम से बुरी तरह चीख उठी और मुझे गालियाँ देने लगी, बोली- कुत्ते, तुझे मना किया था न गांड में नहीं तो फिर क्यों दिया?
मैंने उनकी बात नहीं सुनी और गांड मारता रहा, करीब दस मिनट बाद वो खुद अब अपनी गांड पीछे की तरफ धकेलने लगी, मैं आगे की तरफ शोट मारता और वो पीछे की तरफ !
हम दोनों पूरा मज़ा ले रहे थे, इसमे भी वो एक बार झड़ गई और फिर कुछ देर के बाद मैं भी उनकी गांड में झड़ गया।
जब मैंने लंड निकाला तो कुछ पलों के बाद उनकी गांड से मेरा मुठ निकलने लग गया, उन्होंने अपनी गांड में उंगली फेरी और मेरे मुठ को उंगलियो से लेकर चाट गई।
मैंने फिर उनके मुँह में अपना लंड दे दिया और साफ़ करने को बोला।
उन्होंने मेरे लंड को एकदम साफ़ कर दिया और हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे लेट कर चूमते रहे।
फिर मैंने उन्हें कहा- अब मैं चलता हूँ फिर कभी और करेंगे।
मैं उठा और कपड़े पहन लिए और वो भी अपनी साड़ी पहनने लगी, और फिर हम पाँच मिनट में ठीक ठाक हो गए।
मैंने आंटी से पूछा- अंकल, तो कल मस्त मजा दे रहे थे फिर मेरी जरुरत क्यों पड़ी?
आंटी बोली- उनका तरीका मस्त है पर जल्दी झड़ जाते हैं, और सिर्फ हफ़्ते में एक बार ही पेलते हैं। मुझसे नहीं रहा जाता, एक तो जल्दी भी झड़ जाते हैं और एक हफ्ता बैठ कर मुठ जमा करते हैं।
मैं उनको कुछ पल तक देखता रहा और फिर एक चुम्मी देके चला गया। इसके बाद तो मैंने आंटी को काफी बार पेल चुका हूँ।
दोस्तो कैसी लगी मेरी कहानी.
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#43
चौकीदार रवि का मूसल लंड

प्रेषक : रविराम69 "लॅंडधारी" (मस्तराम मुसाफिर)
Note:
All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories
मेरा परिचय
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दोस्तो, मेरा नाम रविराम है, दोस्त मुझे 'लॅंडधारी' रवि के नाम से बुलाते हैं। मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है। जब मेरा लंड खड़ा (टाइट) होता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े या किसी गधे का लंड हो । जिसके अन्दर जाये, उसकी चूत का पानी निकाल कर ही बाहर आता है, और वो लड़की या औरत मेरे इस लंबे, मोटे और पठानी लंड की दीवानी हो जाती है। आज तक मैंने बहुत सी शादीशुदा और कुवांरियों की सील तोड़ी है।

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मेरा नाम मधुरी है, सभी मुझे मधु कहकर बुलाते हैं. कपडे सूकाने के लिए मै आज जैसे ही बहार निकली मैंने देखा की आज भी वह नया चोकीदार मुझे देख रहा था, इस 26 साल के नए चोकीदार ने मुझे कितनी बार ही देखा होगा |
मै हमेंशा से मूसल लंड की दीवानी रही थी, और जब यह चोकीदार पिछले महीने यहाँ आया तो मैंने उसको थोड़ी थोड़ी लाइन देनी शरु कर दी थी, उसके बड़े बाजू और तगड़ा सीना देख मै समझ गई थी के वह जरुर एक मूसल लंड का मालिक होगा |
एकाद हफ्ते तक वह देखने में कतराता था, फिर शायद उसे भी पता चल गया की मेरी इच्छा है और वह फिर मुझे देखता बिना संकोच के | मुझे भी बस एक मोके की तलाश थी जब मै रवि, नए चोकीदार, को घर में ले आऊ और उसके लंड से अपनी प्यास बुझाऊं | मेरा पति ऐसे भी अब अपने काम को ज्यादा तवज्जो देता था, बीवी को सिर्फ चूत वाला मशीन बना दिया था, कपडे उतारो, पेलो और सो जाओ |
में मन ही मन में सोचती थी, की शादी के बाद काफी बदल गया है, लेकिन अब मैंने सोचना छोड़ दिया है, अब में केवल मौका देख रही हूँ इस रवि का लंड लेने का | मुझे आखिरकार मौका मिला इस मूसल लंड को लेने का
हफ्ते के बाद मेरे पति ने मुझे कहा की वोह कंपनी के काम से बंगलौर जा रहा है, उसने मुझे पूछा की क्या मै आना चाहूंगी, मैंने उसे कहा बिट्टू की एक्जाम है | आप अकेले चले जाओ | दुसरे दिन सुबह राकेश बेंगलोर निकल गया, मै सब्जी लेने के लिए सोसायटी से बहार जा रही थी.
मैंने रवि से स्माइल की | रवि ने भी स्माइल दे दी, मैंने उसे कहा, आप डयूटी पर कब तक है, रवि बोला, बीबी जी आज में पूरा दिन यही हूँ | मैंने उसे कहा, मेरे घर की टंकी में कुछ सामान गिर गया है क्या आप दोपहर को निकाल देंगे, इसके डेडी बाहर चले गए और में उन्हें कहना भूल गई |
रवि बोला ठीक है, मैं खाने के वक्त आपके यहाँ आ जाऊँगा | मेने सब्जी ला कर बिट्टू को उस दिन जल्दी स्कुल पहुंचा दिया, मैंने वेक्स करके चूत के आसपास के सारे बाल निकाल दिए | अपनी हलकी पतली पिली नाईटी डाल में रवि के आने का इन्तेजार करने लगी |
मूसल लंड वाला चोकीदार भी तयारी से आया था
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रवि लगभग 1 बजे आया, उसने डोरबेल बजाते ही मैंने एक बेल में दरवाजा खोल दिया, उसकी नजरे मेरे शरीर पर फिरने लगी | मैंने उसे कहा आइये, रवि आके बोला, कहा है टंकी मेडम | मैंने कहा बैठिये तो सही, दोपहर में सोसायटी में चोर नहीं आते है….! वोह भी हंस पड़ा और सोफे पर बेठा |
मैं उसके लिए पानी लायी और जान भुझ कर उसको अपने चुंचे दिखाते हुए झुकी, मैंने देखा की उसकी आँखे मेरे भरी चुंचे देखते ही जैसे की बड़ी हो गई | मेने ग्लास लेते वक्त उसे दुबारा चुंचे दिखाए| मैं तो कब से गर्म थी, बस एक बार रवि गर्म हो जाए तो हल्ला बोलना था उसके मूसल लंड पर |
मैंने उसकी उपरकी जेब देखी तो मैं दंग रह गई, ड्यूरेक्स के कंडोम का पाकिट था उसमे, राकेश की भी फेवरेट ब्रांड थी इसलिए में उसे ऊपर से हलकी झलक मै ही पहेचान गई, तो रवि भी तयारी के साथ आया था…..!!!
लंड दे दो अपना मूसल, मुझे इसकी बड़ी चाह है…!
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रवि ने पानी पीकर टंकी के बारे में पूछा, मैंने उसे किचन में टंकी दिखाई, जिसके अंदर मैंने पहेले से बिट्टू का खिलौना डाल दिया था | टंकी बहुत टेढ़ी जगह पर स्थित थी, उसमे से सामान निकालना थोड़ा कठिन था, और यही मेरा प्लान था | मैंने रवि को एक सीडी लाके दी, रवि उस पर चढ़के टंकी का दरवाजा खोलने लगा |
अब सीडी तो हिलनी ही थी उसके वजन से, मैं बोली में आपको पकड़ के रखती हूँ, सीडीका बेलेंस सही नहीं है | मैंने उसकी जांघो वाले भाग को दोनों हाथ से पकड लिया, कुछ इस तरह से की मेरे हाथ से उसके लंड का स्पर्श हो जाए, में देखना चाहती थी के उसका मूसल लंड तना है की नहीं | मेरा शक सही था, उसका लंड कोई लोहे के औजार की माफक तना था |
मैंने उसके जांघे पकडे रखी और हाथ को उपर निचे करने लगी | रवि टंकी से खिलौना निकाल ने में शायद जान भूजकर देरी कर रहा था, खेर मैं भी वही चाहती थी | मैंने अब बिना कोई देरी किए उसके लंड के ऊपर हाथ फेरना शरु कर दिया |
रवि बोला, बीबी जी क्या कर रही हो…
मैंने कहा कुछ नहीं, देख रही हूँ के हमारा नया चोकीदार मजबूत है या कमजोर….?
रवि बोला, मेडम कर लीजिए चेक….!
लंड हो तो मूसल लंड, बाकि सब में तो बसी होती है ठंड
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रवि का तना लंड मै थोड़ी देर तक सहलाती रही और वह सीडी पर ही खड़ा मजा ले रहा था, मैंने उसे अब निचे आने को कहा और उसे लेकर सोफे पर चली गई, सोफे पर बिठा मैंने उसकी खाखी पेंट निचे सरका दी और उसकी चड्डी भी उतार दी, सही मै उसका मूसल लंड बहुत बड़ा और सेक्सी था |
मैं अपने आप को बिलकुल नहीं रोक पायी और मैंने उसे अपने मुहं में भरकर उसकी सेक्सी चुसाई शरु कर दी | रवि आँखे बंध कर के लंड चुस्वाने की मजा लेता रहा | एकाद दो मिनिट लंड चूसने के बाद में खड़ी हुई और मैंने अपनी नाईटी और उसमे पहनी ब्रा उतार फेंकी, पेंटी तो मै पहेले से ही पहनी नहीं थी | रवि मेरा सुडोल शरीर देख दंग रह गया | वह उठा और मेरे दोनों चुचक अपने मुहं में भरकर चूसने लगा |
मेरी योनी पानी छोड़ने लगी और मै इस मूसल लंड को पाने के लिए बेताब हो गई | रवि ने मुझे वही सोफे पर टांगे फेला के बैठाया और ड्यूरेक्स अपने लंड पर चढ़ा दिया, मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और उसे अपनी योनिमुख पर रख दिया…!
रवि का एक झटका काफी था लंड को योनी की गहेराइयो में ले जाने में, कंडोम पर लगा लुब्रिकांत मस्त चिकना था, मुझे एक पल के लिए लगा की योनी फट गई हो, मेरे पति के मुकाबले रवि का लंड डबल था | मुझे कुछ देर में मजा आने लगा और रवि मुझे मस्त पेलने लगा | वह ओह ओह आह ऐसे बोल रहा था, शायद मेरी चूत उसे भी बहुत भा गई थी |
मेरी योनी झाग निकालने लगी क्यूंकि रवि 10-11 मिनिट तक मुझे कस के पेलता रहा, मेरी योनी में उसके मूसल लंड का प्रत्येक प्रहार मजा दे रहा था…! उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक आ जा रहा था. थोड़ी देर में उसका वीर्य निकलने लगा, मुझे कंडोम के अंदर रहे लंड से निकलता प्रवाह भी महेसुस हो रहा था |
रवि ने अपना लंड बहार निकाला और वोह कपडे पहेनने लगा, मैंने उसे अपनी पर्स से 500 रूपये दिए और उससे उसका मोबाइल नंबर भी ले लिया | इसके बाद में जब भी मेरा पति बाहर होता, रवि को बुलाकर उसके लंड से अपनी प्यास भुजा लेती थी, उसने मेरी गांड तक में अपना मूसल लड़ दे दिया है अब तो…मेरा जब भी दिल करता है मैं उसके मूसल लंड ले लेती हूँ....
~~~ समाप्त ~~~
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#44
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// जीजाजी का गधे का लंड लिए और अपनी सील खोली //

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बेटी को धन की सुख देने के लिए मेरी बाप ने मेरी शादी एक बूड़े मर्द के साथ कर दी. मेरे पति की मुझसे उनकी दूसरी शादी थी. पहली की मौत हो चुकी थी. उनका एक लड़की थी जिसकी शादी हो चुकी थी. शादी के पहले मुझे उनके और परिवार के बारे मे अधिक जानकारी नही थी.

सुहाग रात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई. वे देखने मे ही बहुत कमज़ोर दिख रहे थे. मेरी उमर उस समय सिर्फ़ 18 बरस थी. वे आते ही दरवाज़ा बंद कर लिए और मेरी बगल मे बैठ गए. वे मुझे पकड़ कर चूमा लेने लगे. कुछ् इधर उधर के बाते करने के बाद वे मेरी ब्लाउज खोल दिए. मैं ब्रा पहन रखी थी. कुछ देर उपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दिए. उसके बाद मेरी चुची को चूसने लगे.

मुझे अब अच्छा लगने लगा था. मैने धीरे से अपनी हाथ उनके लंड तरफ़ बढ़ाया. अभी तक कुछ भी नही हुआ था. वे अपने कपड़े खोल दिए और सहालाने के लिए बोलने लगे. मैने भी कुछ देर तक हाथ से सहलाती रही. खड़ा नही होने पर मुख मे लेने के लिए कहने लगे. क़रीब 10 मिनट के बाद भी जब नही खड़ा हो पाया तो मैं निराश हो गई. उनके लंड मे नाम मात्र का ही कडापन आया था.

अब वे मेरी साडी खोल दिए और अपने मुरझाए हुए लंड से मेरी बुर रगड़ने लगे. मैं तो उनके लंड के तैयार होने का इंतज़ार कर री थी. वे मेरी बुर को अब जीभ से चूसने लगे. अभी भी उनका लंड बहुत नरम था. मैं मन ही मन अपने को कोसती रही और बाप को शराप्ती रही. वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लंड चूसने मे मशगुल थी. मुझे अब सह पाना मुश्किल था. जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी.

वे अपना नरम नरम लंड मेरी गरम गरम बुर मे प्रवेश करने लगे .मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गाये.मैं तड़पती रह गई . मैं सोचने लगी कि पहले रात के चलते ऐसे होगया. मैं चुपचाप रह गई. वे भी ऐसे ही कह रहे थे. दूसरी रात भी मैंने बहुत कोशिश की मगर सब बेकार गया. इसी तरह महीनो बीत गाये. मैं जब भी बिस्तर पर तडपती रही.

मेरी बड़ी बहन जीजाजी के साथ तबादला होकर उसी शाहर मे आ गयी. एक दिन मेरी बहन मुझसे मिलने मेरी घर पर आ गई. वे मेरा हाल ख़बर पूछने लगी. मैं चुप हो गई. जब वे ज़िद करने लगी तो मुझे सबकुझ बताना ही पड़ा. वे निराश हो गई और कुछ सोचने लगी. मैंने पूछने लगी तुम कैसी हो. जीजाजी कैसे हैं. वे कह रही थी की तुम्हारे जीजाजी तो बहुत तगडे है. वे मुझे बहुत मज्जे देते हैं. मन ही मन मैं इर्ष्या करने लगी.

वे बोलने लगी की मैं कल तक कुछ सोचती हू. कल 12 बजे मेरी घर आ जाना. वही पैर बैठ कर बाते करेंगे. मुझे कुछ आशा दिखाई देने लगी. सुबह होते ही मैं जल्दी जल्दी काम निपटा कर तैयार हो गाई. ठीक 12 बजे मैं दीदी के घर पहौच गई. वे मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.

वे मुझे अपने बेड रूम मे ले गई .दीदी अपने रूम मे टीवी चला रही थी. वे बोलने लगी की तुम कुछ देर तक वीडियो देखो मैं काम निपटा कर आती हूँ. एक सीडी वही पर रखा हुआ था जिसपर लिखा हुआ था हम दोनो. मैंने उसी सीडी को लगा कर देखने लगी. सीडी देखते ही मैं घबरा गई और दरवाज़े की तरफ़ देखी. दीदी बाथरूम मे थी. मुझे और अधिक देखने का इच्छा जागृत होगई. इस सीडी मे तो जीजाजी और दीदी का रंगीन खेल भरा हुआ था.

जीजाजी का गधे का लंड लंड तो देखते ही बनता था. लग रहा था की दीदी बहुत रोएगी. मगर वा तो मज़े ले रही थी. मैं सोचने लगी काश मुझे कोई ऐसे चोदने वाला मिलता.

उसी समय दीदी अंदर आगई और कहने लगी तुम को यह कैसा लग रहा है? मैंने सीडी बंद कर दी. उसी समय जीजाजी भी आगये. मुझे देखते ही वे मुस्कुरा दिए. दीदी कहने लगी अरे साली तरफ़ भी तो देखो. वह बेचारी शादी होने के बाद भी कुँवारी है.

दीदी कहने लगी आज तुम्हारे जीजाजी को तुम्हारे लिए ही मैंने बुलाया है . कल तुमसे मिलने के बाद मैने इनको सब कुछ बता दिया था. दीदी कहने लगी अब तुम लोग अपना काम करो मैं बाहर देखती हूँ. जीजाजी कह रहे थे तुम तो बहुत सेक्सी लगती हो. तुम्हारे स्तन तो काफ़ी बड़े है और वे दीदी के जाने के बाद बिना रूम बंद किए ही मेरी स्तन दबाने लगे. वह कह रहे थे की जब तुम्हारे दीदी ही है तो उससे छिपाना क्या.

ऐसे तो साली तो आधी घर वाली होती ही हैं. लेकिन मैं तुम्हारे इच्छा के बिपरीत कुछ नही करूँगा. मैं चुप चाप थी. मैं सोचने लगी की कही वे चले ना जाए. इससे अच्छा मौक़ा अब नही आने वाला मैं मुसकुराने लगी.जीजाजी समझ गए की मैं सहमत हू. वे अब मेरा ब्लोउज और ब्रा खोल दिए . मेरे चुचि को मसलने लगे . मैं भी अब सहयोग करने लगी थी. जीजाजी के लॅंड का उभार अब पैंट पैर दिखाई देने लगा था. मैंने उनका पैंट पैर हाथ डाला तो वे पैंट खोल दिए.

अब उनका लॅंड बाहर निकल चुका था. मैं अपने हाथ से उनके लॅंड को सहालाने लगी. अपने पति का लॅंड से जीजाजी का लॅंड को तुलना कर रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगी की मेरी दीदी कितनी लॅकी है की उसे ऐसे लॅंड वाला पति मिला है. कुच्छ देर तक मैं उनके लॅंड को देखती रही. इतने मे जीजा जी कहने लगे कैसा है मेरा हथियार? तुम्हारे पति का कैसा हैं?

मैं कहने लगी, जीजाजी उनका तो खडा ही नही होता हैं. मैं महीनो से तरप रही हू. आपका लॅंड तो काफ़ी मोटा और बड़ा है. दीदी को तो बहुत दुखता होगा. उसी समय दीदी आ गई. बोलने लगी अरे केवल देखते ही रहोगी. मैं बोलने लगी दीदी इनका तो बहुत मोटा है, मैं नही सह पाऊँगी. दीदी कहने लगी हां, मोटा तो है लेकिन सहना ही पड़ेगा. पहली बार मुझे भी बहुत दर्द हुआ था. लेकिन अब तो मजा आता है.

जीजाजी को दीदी कहने लग बेचारी तुम्हारा घोड़-लॅंड देख कर डर गई है. मेरे बहन को मत रूलाना. बेचारी अभी तक तो कुँवारी जैसे ही तो है. इतन कह कर दीदी फिर चली गई. जीजाजी अब मेरी साड़ी और पेटी कोट भी खोल दिए .वे मेरे बुर को चटने लगे. मुझे बेड पैर सूता दिए और अपना लॅंड मेरे बुर मे डाल कर चूसने के लिए कहने लगे.

वे मेर उपर चढ़े हुये थे . अपनी जीभ से मेरी टिट चाट रहे थे. मुझे काफ़ी मजा आरहा था. मैंने भी दोनो हाथो से उनका सिर पाकर कर दबाने लगा. ज़ोर ज़ोर से लॅंड चूसने के लिए कह रहे थे. उनका लॅंड का स्वाद लेने मे मुझे भी मजा आरहा था. इतने ही मे अपना पूरा लॅंड मुख मे अंदर तक धकेलने लगे. जीजाजी का पूरा मोटा लंड मेरे मूह में भर गया था. मुझे तो पहली बार इतना तगड़ा लॅंड मिला था. मैं मज़े से उनका लॅंड चुस रही थी और जीजाजी मेरे बुर चुस रहे थे.

उसी समय मुख मे गरम गरम और नमकीन टेस्ट आने लगा. वे और ज़ोर से लॅंड अंदर किए. मुझे तो मजे का स्वाद आरहा था. कुछ देर तक और चूसती रही. वे बाहर लिए और बाथरूम मे चले गए. बाथरूम से आने के बाद वे फिर मुझसे अपना लॅंड सहलवाने लगे. क़रीब ५ मिनट के बाद वे फिर तैयार होगए. जीजा जी का लॅंड फिर से पहले जैसे ही कठोर और मोटा होचुका था. इस बार वे मुझे पट सुला दिए.

मेरे गाड़ मे थोडा थूक लगाए और एक अंगुली घुसा कर बाहर भीतर करने लगे. मैंने कहने लगी जीजाजी इसमे भी करोगे क्या. इसमे तो बिल्कुल भी नही सहा जायगा. आज बुर मे ही कर लो. फिर कभी इसमे. जीजाजी नही माने और कहने लगे गाड़ लिए बिना मैं तुम्हारा बुर नही लूंगा. अगर मेरा शर्त मंज़ूर है तो बोलो नही तो छोड़ देता हूँ.
मुझे तो आज चुदाई का भरपूर मजा लेना था. मैं चुप रही. मैं मुसकूरा दी और कहने लगी आप बहुत बदमाश हो, आज मैं सब कुछ सहने को तैयार हूँ.

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#45
शादीशुदा बहिन कंचन की प्यासी चूत  


मेरा नाम रवि है। बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 25 साल की थी और मैं बंगलौर में इंजीनियरिंग पढ़ रहा था। मैं पटियाला का रहने वाला हूँ। मेरे एक्जाम समाप्त हो गए थे तो कुछ दिनों की छुट्टियों में घर आया था। मेरी छोटी बहन कंचन की शादी कुछ ही दिन पहले हुई थी। मेरे जीजा पेशे से सैनेटरी वेयर के थोक विक्रेता थे, उन्होंने काफी पैसा कमा रखा था। कंचन की उम्र 20 साल की थी, वो हमारे पैतृक घर के पास ही रहते थे! उसकी जवानी पूरे शवाब पर थी, झक्क गोरा बदन और कंटीले नैन नक्श और गदराये बदन की मालकिन थी।

जब जीजा जी दुकान चले जाते थे तो मैं और कंचन दिन भर ऊपर बैठ कर गप्पें हांका करते थे। सच कहूँ तो वो मुझे अपना दोस्त मानती थी। बचपन से ही वो मेरे सामने बड़े ही सहज भाव से रहती थी, अपने कपड़े भी मेरे सामने ठीक से नहीं पहनती थी, उसके वक्ष की आधी दरार हमेशा दिखती रहती थी, कभी कभी तो सेक्स की बात भी कर लेती थी। जब भी मुझे अकेली पाती थी तो हमेशा द्वीअर्थी बात बोलती थी, जैसे बछड़ा भी दूध देता है, तेरा डंडा कितना बड़ा है? तुझे स्पेशल दवा की जरुरत है, आदि !
दिन भर मेरे कालेज और बंगलौर के किस्से सुनती रहती थी। जब मेरे बंगलौर जाने के कुछ शेष रह गए तो एक दिन कंचन ने कहा- हम भी बंगलौर घूमने जाना चाहते हैं।
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं ! आप दोनों मेरे साथ ही इस शनिवार को चलिए, मैं आप दोनों को पूरी सैर करवा दूँगा।
कंचन ने अपनी इच्छा जीजा जी को बताई तो जीजा जी तुरंत मान गए। मैंने उसी समय इन्टरनेट से तीन टिकट एसी फर्स्ट क्लास में बुक करवा लिए। शनिवार को हमारी ट्रेन थी, शनिवार को सुबह हम तीनों ट्रेन से बंगलौर के लिए रवाना हुए। अगले दिन शाम सात बजे हम सभी बंगलौर पहुँच गए। मैंने उनको एक बढ़िया होटल में कमरा दिला दिया। उसके बाद मैं वापस अपने होस्टल आ गया। होस्टल आने पर पता चला कि कालेज के गैर शिक्षण कर्मचारी अपनी वेतनवृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे हैं और इस दौरान कालेज बंद रहेगा। मेरे अधिकाँश मित्रों को यह बात पता चल गई थी इसलिए सिर्फ 25-30 प्रतिशत छात्र ही कालेज आये थे।
मैं अगले दिन करीब 11 बजे अपने जीजा जी के कमरे पर गया, वहाँ वे दोनों नाश्ता कर रहे थे। कंचन ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा दिया। मैंने देखा कि जीजा जी कुछ परेशान हैं।
पूछने पर पता चला कि जिस कम्पनी का उन्होंने फ्रेंचाइजी ले रखा है उस कम्पनी ने दुबई में जबरदस्त सेल ऑफ़र किया है, अब जीजा जी की परेशानी यह थी कि अगर वो वापस कंचन को पटियाला छोड़ने जाते और वहाँ से दुबई जाते तो तब तक सेल समाप्त हो जाती और अगर साथ में लेकर दुबई जा नहीं सकते थे क्योंकि कंचन का कोई पासपोर्ट वीजा था ही नहीं।
मैंने कहा- अगर आप दुबई जाना चाहते हैं तो आप चले जाएँ क्योंकि मेरा कालेज अभी एक सप्ताह बंद रह सकता है। मैं कंचन को या तो पटियाला पहुँचा दूँगा या फिर आपके वापस आने तक यहीं रहेगी। आप दुबई से यहाँ आ जाना और फिर घूम फिर कर कंचन के साथ वापस पटियाला चले जाना।
जीजा जी को मेरा सुझाव पसंद आया।
कंचन ने भी कहा- हाँ जी, आप बेफिक्र हो कर जाइए और वापस यहीं आइयेगा। तब तक भैया मुझे बंगलौर घुमा देगा। आपके साथ मैं दोबारा घूम कर वापस आपके साथ ही पटियाला जाऊँगी। जीजा जी को कंचन का यह सुझाव भी पसंद आया।
लैपटॉप पर इन्टरनेट खोल कर देखा तो उसी दिन के दो बजे की फ्लाईट में सीट खाली थी। जीजा जी ने तुरंत सीट बुक की और हम तीनों एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े। दो बजे जीजा जी की फ्लाईट ने दुबई की राह पकड़ी और मैंने एवं कंचन ने बंगलौर बाज़ार की। कंचन के साथ लंच किया, घूमते घूमते हम मल्टीप्लेक्स आ गए। शाम के सात बज गए थे, कंचन ने कहा- काफी महीनों से मल्टीप्लेक्स में सिनेमा नहीं देखा, आज देखूँगी।
मैंने देखा कि कोई नई पिक्चर आई थी, इसलिए सारी टिकट बिक चुकी थी। उसके किसी हाल में कोई एडल्ट टाइप की इंग्लिश पिक्चर की हिंदी वर्सन लगी हुई है, फिल्म चार सप्ताह से चल रही थी इसलिए अब उसमें कोई भीड़ नहीं थी। मैंने दो टिकट सबसे कोने के लिए और हम हाल के अन्दर चले गए। मुझे सबसे ऊपर की कतार वाली सीट दी गई थी और उस पूरी कतार में दूसरा कोई भी नहीं था। हमारी कतार के पीछे सिर्फ दीवार थी, मैंने जानबूझ कर ऐसी सीट मांगी थी। मेरा आगे वाले तीन कतार के बाद कोने पर एक लड़का और लड़की अकेले थे, उस कतार में भी उसके अलावा कोई नहीं था। उससे अगली कतार में दूसरे कोने पर एक और जोड़ा था, इस तरह से उस समय 300 दर्शकों की क्षमता वाले हाल में सिर्फ 20-22 दर्शक रहे होंगे। पता नहीं इतने कम दर्शकों के लिए फिल्म क्यों लगा रखी थी।
कंचन मेरे दाहिने ओर बैठी, कंचन के दाहिने दीवार थी। तुरंत ही फिल्म चालू हो गई। फिल्म शुरू होने के तुरंत बाद ही मेरे बाद के चौथे कतार में बैठे लड़के एवं लड़की ने होठों से चूमाचाटी करना चालू कर दिया। हालांकि बंगलौर के सिनेमा घरों में इस तरह के नजारे आम बात हैं, हर शो में कुछ लड़के लड़की सिर्फ इसलिए ही आते हैं।
कंचन ने उस जोड़े की तरफ मुझे इशारा करके कहा- हाय देख तो रवि भैया ! कैसे खुलेआम चूम रहे हैं।
मैंने कहा- कंचन, यहाँ आधे से अधिक सिर्फ इसलिए ही आते हैं। सिनेमा हाल ऐसे काम के लिए बेस्ट हैं। तुम उस कोने पर बैठे उस जोड़े को तो देखो, वो भी यही काम कर रहे हैं। अभी तो सिर्फ एक दुसरे को किस कर रहे हैं, आगे देखना क्या क्या करते हैं। तुम ध्यान मत देना इन सब पर ! सब मस्ती करते हैं, यही तो जिन्दगी है।
कंचन- तूने भी कभी मस्ती की या नहीं इस तरह से सिनेमा हाल में?
मैंने कहा- अभी तक तो नहीं की लेकिन अब के बाद पता नहीं !
तुरंत ही फिल्म में सेक्सी सीन आने शुरू हो गए, कंचन ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- हाय राम, जरा देखो तो यह कैसी सिनेमा है।
मैंने कहा- कंचन, यह बंगलौर है, यहाँ सब इसी तरह की फिल्में लगती हैं, चुपचाप आराम से ऐसी फिल्मों के मज़े लो! पटियाला में ये सब देखने को नहीं मिलेगा।
वो पूरी फिल्म सेक्स पर ही आधारित थी, कंचन अब गर्म हो रही थी, वो गर्म गर्म साँसें फेंक रही थी, उसका बदन ऐंठ रहा था, शायद वो पहली बार किसी हाल में एडल्ट फिल्म देख रही थी।
मैंने पूछा- क्यों कंचन? पहले कभी देखी है ऐसी मस्त फिल्म?
कंचन- नहीं रवि भैया! कभी नहीं देखी।
मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके पीछे से ले जाकर उनके कंधे पर रख दिया। मैंने देखा कि कंचन अपने हाथ से अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से सहला रही हैं, शायद सेक्सी सीन देख कर उसकी चूत गीली हो रही थी। मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, मैंने भी अपना बायाँ हाथ अपने लंड पर रख दिया। मैंने धीरे धीरे कंचन के पीठ पर हाथ फेरा, उन्होंने कुछ नहीं कहा, वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी। मैंने उसकी पीठ पर से हाथ फेरना छोड़ दाहिने हाथ से उनके गले को लपेटा और अपनी तरफ उसे खींचते हुए लाया। कंचन मेरी तरफ झुक गई।
मैंने पूछा- क्यों कंचन, मज़ा आ रहा है फिल्म देखने में?
कंचन ने शर्माते हुए कहा- धत्त रवि ! मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है।
मैंने कहा- क्यों ? इसमें शर्माना कैसा? तुम और जीजा जी तो ऐसा करते होंगे न? तेरे एक हाथ जहाँ हैं न उससे तो लगता है कि मज़े आ रहे हैं तुम्हें !
कंचन- हाय राम, रवि बड़ा बेशर्म हो गया है तू रे बंगलौर में रह कर ! बड़ा देखता है यहाँ-वहाँ कि कहाँ हाथ हैं, कहाँ नहीं?
मैंने कंचन के कान को अपने मुँह के पास लाया और कहा- जानती हो कंचन? ऐसी फिल्म देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगता है।
कंचन ने अपने होंठ मेरे होंठों के पास लगभग सटाते हुए कहा- क्या होने लगता है?
मैंने अपने लंड को घिसते हुए कहा- वही, जो तुझे हो रहा है ! मन करता है कि यहीं निकाल दूँ !
कंचन- सिनेमा हाल में निकालते हो क्या?
मैंने- कई बार निकाला है, आज तुम हो इसलिए रुक गया हूँ।
कंचन- रवि आज यहाँ मत निकाल, बाद में निकाल लेना।
थोड़ी देर में फिल्म की नायिका अपना मुम्मा मसलवा रही थी, हम दोनों और गर्म हो गए तो मैंने कंचन के कान में अपने होंठ सटा कर कहा- देख कंचन, साली का मुम्मा क्या मस्त हैं ! नहीं?
कंचन- ऐसा तो सबका होता हैं।
मैंने- तुम्हारा भी ऐसा ही है क्या?
कंचन- और नहीं तो क्या?
मैंने- तेरा मुम्मा छूकर देखूँ क्या?
कंचन- हाँ रवि, छू कर देख ले।
मैंने अपना दाहिना हाथ से उसका मुम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और आराम से अपने मुम्में दबवाने लगी। मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उसके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया, फिर ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनके बड़े बड़े मुम्में को मसलने लगा, वो मस्त हुई जा रही थी।
मैं- अपनी ब्लाउज खोल दो ना ! तब मज़े से दबाऊँगा।
उसने कहा- यहाँ?
मैंने कहा- और नहीं तो क्या? साड़ी से ढके रहना, यहाँ कोई नहीं देखने वाला।
वो भी गर्म हो चुकी थी, उन्होंने ब्लाउज खोल दिया, लगे हाथ ब्रा भी खोल दिया और अपने नंगे मुम्मों को अपनी साड़ी से ढक लिया। मैंने मज़े ले लेकर नंगे मुम्मों को सिनेमा हाल में ही दबाना चालू कर दिया।
मैं जो चाहता था वो मुझे करने दे रही थी, मुझे पूरी आजादी दे रखी थी। मैंने अपने बाएं हाथ से उनके बाएं हाथ को पकड़ा और उनके हाथ को अपने लंड पर रख दिया और धीरे से कहा- देखो ना ! कितना खड़ा हो गया है।
कंचन ने मेरे लंड को जींस के ऊपर से दबाना चालू कर दिया।
अब मैंने देख लिया कि कंचन पूरी तरह से गर्म है तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज से निकाला और उसके पेट पर ले जाकर नाभि को सहलाने लगा, धीरे धीरे मैंने अपने हाथ को नुकीला बनाया और नाभि के नीचे उसकी साड़ी के अन्दर डाल दिया। कंचन थोड़ी चौड़ी हो गई जिससे मुझे हाथ और नीचे ले जाने में सहूलियत हो सके। मैंने अपना हाथ और नीचे किया तो उसकी पेंटी मिल गई, मैंने उसकी पेंटी में हाथ डाला और उनके चूत पर हाथ ले गया।
ओह क्या चूत थी ! एकदम घने बाल ! पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी। मैं काफी देर तक उसकी चूत को सहलाता रहा और वो मेरे लंड को दबा रही थी। मैंने अपने दाहिने हाथ की एक उंगली उसकी चूत के अन्दर घुसा दी।वो पागल सी हो गई।
उन्होंने आसपास देखा तो कोई भी हमारे पास नहीं था, उन्होंने अपनी साड़ी को नीचे से उठाया और जांघ के ऊपर तक ले आई, फिर मेरे हाथ को साड़ी के ऊपर से हटा कर नीचे से खुले हुए रास्ते से लाकर अपनी चूत पर रख कर बोली- अब आराम से कर, जो करना है।
अब मैं उसकी चूत को आराम से मसल रहा था, उन्होंने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया था। मैंने उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की तो उसने अपनी जांघें और चौड़ी कर ली।
उन्होंने मेरे कान में कहा- तू भी अपनी जींस की पेंट खोल ना, मैं भी तेरा सहलाऊँ।
मैंने जींस की ज़िप खोल दी, लंड डण्डे की तरह खड़ा था, कंचन ने बिना किसी हिचक के मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी।मैं भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। वो सिसकारी भर रही थी। मेरा लंड भी एकदम चिपचिपा हो गया था।
मैंने कहा- कंचन, अब बर्दाश्त नहीं होता. अब मुझे मुठ मार कर माल निकालना ही पड़ेगा।
कंचन- रवि आज मैं मार देती हूँ तेरी मुठ ! मुझसे मुठ मरवाएगा?
मैंने कहा- तुम्हें आता है लंड की मुठ मारना?
कंचन- मुझे क्या नहीं आता? तेरे जीजा जी का लगभग हर रात को मुठ मारती हूँ। सिर्फ हाथ से ही नही… किसी और से भी..
मैंने कहा- किसी और से कैसे?
कंचन- तुझे नहीं पता कि लंड का मुठ मारने में हाथ के अलावा और किस चीज का इस्तेमाल होता है?
मैंने कहा- पता है मुझे ! मुंह से ना?
कंचन- रवि तुझे तो सब पता है।
मैंने कहा- तुम जीजा जी का लंड अपने मुंह में लेकर चूसती हो?
कंचन- हाँ रवि, बड़ा मजा आता है मुझे और उनको !
मैंने कहा- तुम जीजा जी का माल भी पीती हो?
कंचन- बहुत बार ! एकदम नमकीन मक्खन की तरह लगता है।
मैंने- तुम तो बहुत एक्सपर्ट हो, मेरी भी मुठ मार दो आज अपने हाथों से ही सही !
कंचन ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो। कंचन सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरी मुठ मारने लगी। पहली बार कोई महिला मेरी मुठ मार रही थी, मैं ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया, धीरे से बोला- हाय कंचन, मेरा निकलने वाला है।
कंचन ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा, सारा माल मैंने कंचन की साड़ी में ही गिरा दिया।
फिर मैं कंचन की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा, कंचन भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई, उनका माल भी निकलने लगा, उन्होंने तुरंत अपनी चूत में से मेरी उंगली निकाली और साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला।
दो मिनट बाद अचानक बोली- रवि, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में !
मैंने कहा- क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है?
कंचन- नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे !
मैंने- क्या काम है मुझसे?
कंचन- वही जो अभी यहाँ कर रहे हो, वहाँ आराम से करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है चलो।
और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।
कमरे में आते ही कंचन ने अपनी साड़ी उतार फेंकी, लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। कंचन ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मैं सिर्फ अण्डरवीयर में था।
वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी, मेरे पूरे बदन को चूमने-चाटने लगी।
कंचन- रवि, आ जा ! अब जो भी करना है आराम से कर ! मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है, मेरी प्यास बुझा दे, चीर डाल मुझे !
मैंने अपना अंडरवीयर खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति कंचन की तरफ निशाना साधे खड़ा था। मैं आगे बढ़ा और अपना लंड अपनी प्यारी छोटी बहन के हाथों में थमा दिया।
कंचन मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- बाप रे बाप ! रवि, कितना बड़ा लंड है रे तेरा, जैसे किसी गधे का लंड हो इतना बड़ा, हाय !
मैंने कंचन की चूचियों का दबाते हुए कहा- कंचन, तू बड़ी मस्त है ! जीजा जी को तो खूब मज़े देती होगी तू !
कंचन- तू भी ले न मज़े ! तू तो मेरा सगा भाई है, तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर ! अब से तू मेरा दूसरा खसम है !
मैंने- हाँ कंचन ! क्यों नहीं !
कंचन- हाय, रवि कितना अच्छा लगता है अपने बड़े भाई से ये सब करवाना, सच बता कितनियों को चोदा है तूने अब तक?
मैंने- अब तक एक भी नहीं कंचन डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा।
मैंने कंचन की ब्रा को खोला और मुम्मों को नंगा करके आज़ाद कर दिया। उसके मुम्में तो ऐसे थे कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों के मुम्में भी वैसे नहीं देखे थे, एकदम चिकने और गोरे, एक तिल का भी दाग नहीं था !
मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। कंचन सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसे लिटा लिया, उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसकी कच्छी पर आया, वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी फ़ुद्दी को चूसने लगा।
कंचन पागल सी हो रही थी।
मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया। आह ! क्या शानदार चूत थी ! लगता ही नहीं था कि पिछले चार महीने से इसकी चुदाई हो रही थी ! गोरी गोरी चूत पर काली काली झांटें ! ऐसा लगता था चाँद पर बादल छा गए हों ! मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया, अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था। मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली और स्वाद लिया, फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा।
कंचन जन्नत में थी, उसने अपनी दोनों टांगों से मेरे सर को लपेट लिया और अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसकी चूत से माल निकलने लगा। मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया।
कंचन बेसुध होकर पड़ी थी, वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
मैंने कहा- सच बता कंचन, जीजा जी से पहले कितनों से चुदवाया है तूने?
कंचन- तेरे जीजा जी से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे रवि!
मैंने कहा- हाय, किस किस ने तुझे भोगा री?
कंचन- जब मैं कॉलेज में थी तब कॉलेज की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा। फिर जब मैं उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था, हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे, तब उसने मुझे वहाँ एक बार चोदा। एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे जीजा जी से हो गई।
मैंने- तब तो मैं चौथा मर्द हुआ तेरा न?
कंचन- हाँ ! लेकिन सब से प्यारा मर्द !
मैं उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होंठ को अपने होंठों में लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कभी वो मेरी जीभ चूसती, कभी मैं उसकी जीभ चूसता। इस बीच मैंने उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में उंगली डाल दी। कंचन ने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गई और हल्का सा घुसा दिया। अब शेष काम मेरा था, मैंने उसकी जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना घोड़े जैसा लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया।
वो दर्द में मारे बिलबिला गई।
बोली- अरे, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे !
लेकिन मैं जानता था कि यह कम रंडी नहीं है, इसे कुछ नहीं होगा, मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो कस कर अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था बल्कि उसकी चीखों में मुझे मजा आ रहा था।
70-75 धक्कों के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गई। अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गई थी, अब वो मज़े लेने लगी। उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा- हाय रे मेरे दूसरे खसम, बड़ा जालिम है रे तू ! मुझे तो लगा मार ही डालेगा !
मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, मैं तुझे कैसे मार सकता हूँ रे ! तू तो अब मेरी जान बन गई है और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?
कंचन हंसने लगी. बोली- लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा ! मज़ा आ रहा है तुझसे चुदवा कर!
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया, मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, माल निकलने वाला है।
कंचन- निकाल दे ना वहीं अन्दर !
अचानक मेरे लंड से माल की धार बहने लगी और मैंने पूरा जोर लगा कर कंचन की चूत में अपना लंड घुसा दिया। कंचन कराह उठी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया, मेरा लंड उसकी चूत में ही था।
मैं उसके नंगे बदन पर से उठा, समय देखा तो नौ बजने को थे, मैंने पूछा- कंचन नहाएगी?
कंचन- हाँ रवि, चल !
मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटी और हम दोनों बाथरूम में आ गए। वहाँ मैंने कंचन को बाथटब में डाल दिया, फिर शावर को टब की ओर घुमाया और चला दिया। अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था। मैं कंचन के ऊपर लेट गया, अब हम ठण्डे पानी में एक दूसरे के आगोश में थे, मेरे होंठ उसके होंठों को चूम रहे थे। मेरा एक हाथ उसके मुम्मों से खेल रहा था, और दूसरा हाथ उसकी चूत के छेद में उंगली कर रहा था।
और वो भी खाली नहीं थी, वो मेरे लंड को दबा रही थी। दस मिनट तक ठण्डे पानी में एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया, मैंने उसकी टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20 मिनट तक आराम से चोदता रहा। इस दौरान मेरे और उसके होंठ कभी अलग नहीं हुए।
अचानक मेरे लंड ने माल निकलना चालू किया तो मैं उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होंठों का दबाव उसके होंठों पर और ज्यादा बढ़ गया। जब मैं उसके होंठों को छोड़ा तो उसने कहा- कितनी देर तक चोदते हो, मेरी जान, तुम्हें पता है मेरा दो बार माल निकल चुका था इस चुदाई में ! मैं कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होंठों से ताला लगा दिया था।
मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरे लंड का करिश्मा?
कंचन- मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज ! अब चल कुछ खा पी लें ! अभी तो पूरी रात बाकी है।
मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया। थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी, मैं तौलिया लपेट कर बाहर आया और खाना मेज पर रखवा कर वेटर को वापस किया। कमरे का दरवाजा बंद करके मैंने कंचन को आवाज दी तो कंचन नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गई। मैंने भी तौलिया खोल दिया। फिर हम दोनों ने जम कर चिकन-पुलाव खाया और बीयर पी। कंचन पहले भी बियर पीती थी, जीजा पिलाता था। मेरे कहने पर उसने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली। उसके बाद मैंने उसकी कम से कम 10-12 बार चुदाई की।
कभी उसकी चूत की चुदाई, तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुँह की चुदाई, कभी चूची की चुदाई !
साली कंचन भी कम नहीं थी, एकदम रंडी की तरह रात भर चुदवाती रही, सारी रात मैंने उसे लूटा। सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई की, तब जाकर कंचन को थकान हुई। तब बोली- भैया, अब मैं थक गई हूँ, अब बाथरूम चल ना!
हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे। टब में एक बार उसकी चुदाई की। फिर वापस कमरे में आकर नाश्ता मंगवाया और नाश्ता करके हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे। हम दोनों नंगे थे, उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया, लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया। मैं कंचन के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड़ दिया।

तभी जीजा जी का फोन आया लेकिन मैंने कंचन की चुदाई बंद नहीं की, कंचन ने मुझसे चुदवाते हुए अपने खाविन्द यानि मेरे जीजा जी से बात की। उन्होंने कहा कि वो दुबई पहुँच गए हैं, फिर कंचन से पूछा कि क्या तुम रावो के साथ बंगलौर घूमी या नहीं।

कंचन ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फोन पर कहा- उसे फुर्सत ही नहीं मिलती है। जब आप आयेंगे तभी मैं आपके साथ घूमूंगी। तब तक आपका इंतज़ार करती हूँ। फोन रख कर उसने बगल से सिगरेट उठाई और जला कर कश लेते हुए कहा- क्यों रवि? तब तक तुम मुझे जन्नत की सैर करवाओगे न?
मैंने हँसते हुए अपने लंड के धक्के उसके चूत में तेज किया और कहा- क्यों नहीं कंचन डार्लिंग ! लेकिन तू हैं बड़ी कमीनी चीज !
कंचन ने भी मेरे लंड के धक्के पर कराहते हुए मुस्कुरा कर कहा- तू भी तो कम हरामी नहीं है, पक्का बहनचोद है तू ! अपना गधे जैसे लंड से अपनी प्यारी बहिन को चूत फाड़ डाली |
मैंने कहा- पक्की रंडी है तू साली ! एकदम सही पहचाना मुझे ! तुझ पर तो मेरी तभी से नजर थी जब से तू फ्रॉक पहन के घूमा करती थी। अब जाकर मौका मिला है तुझे चोदने का।
कंचन- हाय मेरे हरामी राजा, पहले क्यों नहीं बताया, इतने दिन तक तुझे प्यासा तो ना रहना पड़ता।
मैंने कहा- सब्र का फल मीठा होता है मेरी जान !
तब तक मेरे लंड का माल उसके चूत में निकल चुका था, अब मैं उसके बदन पर निढाल सा पड़ा था और वो सिगरेट के कश ले रही थी।
और फिर अगले 6 दिन तक हम दोनों में से कोई कमरे के बाहर भी नहीं निकला जब तक कि जीजा जी दुबई से वापस नहीं आ गए।

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#46
छोटी चाची बड़ी चाची की एक साथ चुदाई- 1

दोस्तो, मैं साहिल … आपको तहे दिल से और सभी कुंवारी कन्याओं और भाभियों को लंड खड़ा करके नमस्कार करता हूँ.

यह मेरी पहली देसी सेक्स आंटी स्टोरी है. मेरा नाम तो आप जान ही चुके हैं. मैं 25 साल का हूँ. मेरा परिवार आम परिवारों की तरह ही बड़ा है. मेरे परिवार में मेरे अम्मी अब्बू, बड़े चाचा-चाची, छोटे चाचा-चाची और उनके बच्चे … हम सब साथ में ही रहते हैं.
हमारा मकान तीन मंजिला है. सबसे नीचे की मंजिल में अब्बू-अम्मी का कमरा है. बीच में दोनों चाचाओं के कमरे हैं. सबसे ऊपर मेरा कमरा और एक गेस्टरूम है.
मेरे परिवार में सब खुले विचारों के लोग हैं. हमारा कन्ट्र्क्शन का बड़ा काम है. अब्बू और दोनों चाचा साथ में ही काम करते हैं.
मैं अपनी पढ़ाई करता हूँ और थोड़ा बहुत अब्बू के ऑफिस का काम भी कर लेता हूँ.
मेरे घर पर नौकर भी काम करते हैं … इसलिए अम्मी और दोनों चाचियां अपने अपने सवेरे के काम निपटा कर हमेशा बन संवर कर तैयार ही रहती हैं. वे सब कपड़े भी बड़े बड़े गले के बैकलैस और स्लीवलैस ही पहनती हैं. वो तीनों पार्टियों में और क्लब में आना जाना पसंद करती हैं.
अब्बू और चाचा को ऑफिस के काम से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती है, इसलिए अम्मी और चाचियां अपने काम या खरीदी के लिए खुद ही अपनी कार लेकर बाज़ार चली जाती हैं.
मेरी चाचियों की उम्र कुछ 40-42 के आस पास होगी. मेरे और चाचा के सभी दोस्त, मेरी दोनों चाचियों के दीवाने हैं. और हो भी क्यों नहीं … वे दोनों हैं ही इतनी कयामत कि क्या कहूँ. उन दोनों के बड़े बड़े चुचे, बड़ी बड़ी गांड, लम्बी हाईट, ग़ोरा रंग. मोहल्ले में न जाने कितने ही लोग उन्हें देख कर अपने लंड की पिचकारियां छोड़ते होने.
मैं खुद भी उन्हें देख कर गर्मा जाता था, पर परिवार की वजह से मैं कुछ कर नहीं सकता था. बस आते जाते उनके हिलते हुए चुचे और थिरकती गांड देख कर लंड सहला लिया करता था.
एक दिन मैं और मेरा दोस्त अपने कॉलेज से घर आ रहे थे.
मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- चलो, आज कहीं कॉफ़ी पीने चलते हैं.
मेरे पास भी कुछ काम तो था नहीं, तो मैंने हां कर दी.
हम दोनों एक कैफे में पहुंचे, तो वहां पर मैंने देखा कि मेरे घर की कार पार्किग में खड़ी है.
मैंने ये देखा, तो एक मिनट रुक कर सोचने लगा. फिर मैं कैफे में चला गया.
हम दोनों अन्दर एक ऐसी जगह बैठ गए जिधर से मुझे कैफे में आने जाने वाले हर आदमी पर नजर जा सकती थी.
कुछ देर बाद मेरी बड़ी चाची एक लड़के के साथ हाथ में हाथ डाल कर बाहर निकल रही थीं. उस वक्त उन्होंने काला स्लीवलैस ब्लाउज और गुलाबी साड़ी पहनी हुई थी. उनके टाईट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े चुचे साफ़ नजर आ रहे थे.
वो लड़का चाची से काफी चिपक रहा था. बाहर जाते हुए न जाने कैसे, चाची ने मुझे देख लिया. मुझे देखते ही चाची एकदम से घबरा कर वहां से तेज कदमों के साथ चली गईं. मैं भी जल्दी से उठा और कैफे से निकल कर अपने घर आ पहुंचा.
घर आकर मैंने देखा कि चाची की कार घर पहुंच गई थी.
मैंने चाची के कमरे में जाकर देखा तो चाची बाथरूम में नहा रही थीं.
तभी पीछे से छोटी चाची ने मुझे देख लिया और बोलीं- यहा क्या कर रहे हो … उधर तुम्हारी अम्मी तुम्हें बुला रही हैं.
और तभी बड़ी चाची बाथरूम से निकल आईं.
मैंने उन्हें देखा कि वो मुझे देख रही थीं. इस समय उन्होंने झीना सा गाउन पहन रखा था. उस गाउन का गला काफी बड़ा था. चाची के दोनों चुचे उसमें से साफ़ दिख रहे थे.
मेरे दिमाग में चाची के बारे में सेक्सी विचार तो पहले से ही थे. इसी लिए मेरी कामुक नजरें चाची के चूचों पर ही जमी हुई थीं. चाची भी ये सब देख रही थीं.
खैर एक पल बाद मैंने खुद को संभाला और कमरे से बाहर जाने लगा.
तभी बड़ी चाची मुझसे बोलीं- उस कैफे में रोज जाते हो … या आज मुझे देखने ही आए थे?
उनकी बात सुनकर मैं तो सकपका गया और बिना कुछ जवाब दिए कमरे से बाहर चला आया.
मेरे बाहर आते वक्त दोनों चाचियों ने जोर का ठहाका लगाया और हंसने लगीं.
मैं उन दोनों की हंसी सुनता हुआ नीचे आ गया.
रात को सबने साथ खाना खाया. खाना खाते वक्त मेरे अब्बू, दोनों चाचा से कहीं जाने की बात कर रहे थे.
मैंने पूछ लिया- बाहर कौन जा रहा है?
अब्बू ने कहा- तुम्हारे दोनों चाचा काम के सिलसिले में चार दिन के लिए बंगलोर जा रहे हैं.
मैं काफ़ी देर से देख रहा था कि चाचा लोगों के बाहर जाने की खबर सुन कर दोनों चाचियां हौले हौले से मुस्कुरा रही थीं.
अब्बू ने चाचाओं से बात खत्म की और खाना खा कर सब अपने अपने कमरे में चले गए. मैं भी अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गया.
रात के नौ बज चुके थे. मैं चाचा के कमरे से गुजर रहा था.
तभी बड़े चाचा ने मुझे आवाज दी- साहिल, तुम अभी हमारे साथ एयरपोर्ट छोड़ने चलना.
मैंने कहा- ठीक है.
चाचा की फ्लाइट का टाईम साढ़े ग्यारह बजे का था. मैं कमरे में जाकर टीवी देखने लगा.
थोड़ी देर के बाद चाचा ने मुझे आवाज दी. मैं चाचा के कमरे में पहुंचा तो देखा चाचा अपने बैग में सामान चैक कर रहे थे. चाची पास में खड़ी थीं. चाची मुझे देखते ही मुस्कुराने लगीं.
चाचा ने मुझे देख कर कहा- चलो.
चाची अभी भी पीछे से मुस्कुरा रही थीं. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों में अटक गया था.
चाचा ने जोर से कहा- चलो साहिल … क्या सोच रहे हो!
मैंने अपने आपको संभाला और घर से बाहर निकल कर कार की तरफ़ चलने लगा.
हम तीनों कार से एयरपोर्ट पहुंचे, तब ग्यारह बज चुके थे. दोनों चाचा बोले- बेटा काफी वक्त हो गया है … तू घर चला जा, हम चले जाएंगे.
मैं कार से सामान उतार कर चाचा से बाय बोल कर चला आया.
रास्ते भर मेरे सामने चाची का चेहरा घूम रहा था. मैं घर में घुस कर अपने कमरे में जाने लगा. अब्बू-अम्मी सो गए थे.
ऊपर चढ़ा, तो देखा बड़ी चाची जाग रही थीं.
मैं अपने कमरे में जाने लगा, तो चाची ने आवाज दी- साहिल.
मैं उनके दरवाजे तक पहुंच गया- क्या हुआ?
चाची ने मुझे कमरे में अन्दर बुलाया. मैंने देखा कि चाची ने अब सिर्फ़ एक जाली वाली नाईटी पहनी थी. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों पर चला गया. नाईटी से उनके चूचों के निप्पल साफ़ दिख रहे थे.
इतने में चाची बोलीं- तुमने मुझे देख लिया था न?
मैंने पूछा- हां, वो लड़का कौन था?
उन्होंने बिंदास कहा- वो मेरा ब्वॉयफ्रेंड है.
मैंने कहा- चाचा को पता है?
चाची ने कहा- नहीं, लेकिन तुम भी मत बताना प्लीज़.
मैंने उनसे पूछा- क्यों, चाचा में क्या कमी है?
चाची एकदम से झल्लाने लगीं- तुम समझते नहीं हो.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोलीं- तुम्हारे चाचा को काम से फ़ुर्सत ही कहां है. इतनी जवान और खूबसूरत बीवी घर पर है, पर मेरी तरफ वे देखते ही नहीं हैं.
मैं चाची की तरफ हैरानी से देखने लगा.
चाची मुझसे पूछने लगीं- क्या तुमको नहीं पता कि जवान बीवी को क्या चाहिए होता है?
मैंने पूछ लिया- क्या चाहिये होता है?
वो बोलीं- ज्यादा भोले मत बनो साहिल, मुझे मालूम है कि तुम्हें सब पता है. क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- हां एक है तो सही.
चाची ने पूछा- लेटने वाली है या गाड़ी के पीछे बैठने वाली है.
वो इतना कह कर मुस्कुराने लगीं और बोलीं- कैफे वाली बात किसी को नहीं बताओगे, तो मैं तुम्हें एक गिफ़्ट दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, मैं नहीं कहूँगा.
चाची से बातें करते वक्त मेरी नजरें उनके उठे हुए मस्त चूचों पर ही बार बार जा रही थी. चाची ये सब ध्यान से देख रही थीं.
फिर चाची ने कहा- अच्छा अपनी आंखें बन्द करो, तुम्हें अब ही एक गिफ़्ट मिलेगा.
मैंने आंखें बन्द कर लीं.
कुछ आधा मिनट के बाद मैंने कहा- और कितनी देर लगेगी?
तभी मेरे होंठों पर किसी के होंठ टच हुए. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि अब तो चाची भी तैयार हैं.
फिर जैसे ही मैंने अपनी आंखें खोलीं, छोटी चाची मेरे होंठों पर किस कर रही थीं.
मैंने हैरानी से देखा, तो वे दोनों देख कर मुस्कुराने लगीं. मुझे मालूम ही नहीं चला था कि छोटी चाची भी कमरे में आ गई होंगी.
तभी बड़ी चाची बोलीं- आज हम दोनों तुझे लेटना सिखाएंगे.
बड़ी चाची ने अपने पर्स से एक टेबलेट निकाली और मुझे खाने का बोलीं.
मैंने पूछा- क्या है ये?
बड़ी चाची ने कहा कि तुम अभी नए हो और जवान भी … और हम दो हैं. तुम हम दोनों को अच्छी तरह चोद पाओ, इसलिए ये स्टेमिना बढ़ाने की दवा है. इससे तुम ज्यादा टाइम चुदाई कर पाओगे.
छोटी चाची दूध का गिलास भर कर लायी थीं.
मैंने उनके मुँह से ‘चोद पाओ’ शब्द सुना तो खुश हो गया. मैंने झट से उनके हाथ से वो टेबलेट ले ली और मुँह रख कर ऊपर से दूध का गिलास पीकर गोली खा ली.
मैंने दूध पिया तो मेरे होंठों की बगल से दूध की लकीर बन गई. ये देख कर दोनों मेरे गालों को चूमने लगीं और बारी बारी से मुझे किसिंग करने लगीं. हम तीनों फ़ोरप्ले करने लगे.
मैंने खुलते हुए कहा- हां तो रंडियों, अब ज्यादा मत तड़पाओ … लंड लेने की तैयारी शुरू कर दो.
मेरी बात सुनकर उन दोनों ने आपस में कान में कुछ कानाफूसी की और हंसने लगीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
छोटी चाची बोलीं- आज तो हम दोनों पूरा मजा लेंगी.
इसके बाद बड़ी चाची कम्पयूटर की तरफ़ बढ़ीं और उन्होंने कम्पयूटर चालू कर दिया. फिर एक पेन ड्राईव लगा कर उसमें ब्लू फ़िल्म लगा दी. उस ब्लू फिल्म में दो महिलाएं, एक पुरुष का लंड हाथ में लेकर आगे पीछे कर रही थीं.
बड़ी चाची मेरे पास आकर बोलीं- आज फ़िल्म में जो भी होगा, वही हम भी करेंगे.
हम तीनों मूवी देखने लगे. उसमें करीब तीस मिनट की चुदाई थी.
मूवी देखते ही मेरा लंड पैंट के अन्दर कड़क होने लगा. पेन्ट के अन्दर ही लंड अंगड़ाइयां ले रहा था. हम तीनों बेड पर बैठ कर चुदाई की फिल्म का मज़ा ले रहे थे.
मेरे दोनों हाथ चाचियों के बदन पर चल रहे थे. चाचियों के हाथ मेरे सीने पर और पेन्ट के उभरे हुए हिस्से पर चल रहे थे.
तभी अचानक मैंने कहा- दरवाजा तो लगा दो.
बड़ी चाची ने मुझे बेड पर धक्का देकर गिरा दिया और छोटी चाची उठ कर दरवाजा बंद करने चली गईं.
अब मैं पूरी तरह से अपनी चाचियों की चुदाई के लिए तैयार था. दोनों चाचियां बेड के पास खड़ी गईं और एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं. इस दौरान वो दोनों एक दूसरे के होंठों पर किस भी कर रही थीं.
कुछ देर बाद दोनों के जिस्म पर केवल पैंटी ही रह गईं. दोनों एक दूसरे के चुचे सहला रही थीं. मैंने पहली बार इतने बड़े बड़े चुचे एक साथ देखे थे.
फ़िर बड़ी चाची ने मुझे गाली देकर कहा- मादरचोद … मुझे ही नंगी करवाएगा या खुद भी लंड निकालेगा?
मैं बेड पर ही उठ खड़ा हुआ और नीचे उतर कर मैंने दोनों को अपनी बांहों में ले लिया. अब हम तीनों एक दूसरे को किस कर रहे थे. वे दोनों मुझे लगभग नौंच रही थी. कुछ ही पलों में मेरा लंड मेरे काबू से बाहर हो गया था. ऐसा लग रहा था कि गोली ने अपना असर दिखाना चालू कर दिया था.
बड़ी चाची ने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और छोटी चाची अपने एक हाथ मेरे लंड को पजामे के ऊपर से टटोल रही थीं. फ़िर उन दोनों ने एक एक हाथ से मेरा पजामा नीचे सरका दिया.
मैंने भी देर नहीं की और पजामे को पैर की मदद से पूरा उतार दिया.
अब हम तीनों के शरीर पर केवल लंड चुत को ढंकने वाले अंडरगारमेंट्स ही रह गए थे.
दोनों रंडियों की कामुक नजर मेरे अंडरवियर पर ही टिकी थी.
छोटी चाची मचलते हुए बोलीं- तेरी चाबी तो बाहर आने को मचल रही है.
ये कहते हुए वो मेरे लंड को सहलाने लगीं.
उनकी बात पर हम तीनों ही हंस दिए.
अब दोनों ने एक एक हाथ से एक दूसरे के चुचे मसलना शुरू कर दिए थे और दूसरे हाथ से मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहला रही थीं. मुझसे कन्ट्रोल नहीं हुआ, तो मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
दोनों ने मेरे छह इंच के मोटे लंड को देखा तो वाओ कहते हुए लंड को हाथ में ले कर आगे पीछे करने लगीं.
मेरा गोरा लंड तन कर खम्बे सा खड़ा था और चमक रहा था.
छोटी चाची बोलीं- तेरी गर्लफ्रेंड ने अपनी चुत में कितनी बार इसको लिया है. तूने तो उसकी चुत को बहुत बार चोदी होगी.
ये कह कर दोनों हंसने लगीं.
मैं दोनों चाचियों के बड़े बड़े चूचों को नीचे झुक कर अपने मुँह में लेने लगा. बड़ी चाची के चुचे, छोटी चाची से थोड़े ज्यादा बड़े थे. मैंने इतने बड़े बड़े चुचे पहली बार देखे थे … तो मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था. जब मैंने उनके चूचों को मुँह में लेना चालू किया, तो उनकी सिसकारियां फूट पड़ीं.
मैंने दोनों के चूचों को बारी से मसलता और चूसता जा रहा था. इससे दोनों के गले से ‘आह … आह …’ की आवाज निकलने लगी.
दोनों के हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे और वे अपने मुँह से बड़बड़ा रही थीं.
छोटी चाची- आह दीदी … क्या मस्त लंड है साले का.
बड़ी चाची बोलीं- हां साला घर का माल हमें दिखा ही नहीं.
मुझे भी आज समझ आ गया था कि दोनों चाची मेरे लंड का कचूमर निकाल कर ही रहेंगी.

अगले भाग में आपको साहिल की दोनों चाचियों की एक साथ चुदाई का रस सेक्स कहानी के रूप में पढ़ने मिलेगा.
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#47
छोटी चाची बड़ी चाची की एक साथ चुदाई- 2

साहिल की कलम से ही आगे,

इस तरह से वे दोनों घुटनों के बल नीचे बैठ गईं और मेरे छह इंच लम्बे और काफी मोटे लंड को बड़ी हसरत से देखने लगीं.

इतने में छोटी चाची ने मेरे लंड के सुपारे को अपनी जुबान से चाटना शुरू कर दिया. उनकी जीभ लंड के सुपारे से टच हुई तो मेरे पूरे बदन में एकदम करंट सा दौड़ गया. ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था.
मैंने सीत्कार भरते हुए उनके सरों पर अपने हाथ जमाए और पूछा- साली रंडियो, लंड चूसना कहां से सीखा?
तो छोटी चाची बोलीं- आह … इसने सिखाया है सब!
बड़ी चाची हंसती हुई छोटी चाची के दोनों चुचों को एक साथ करके अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
इस तरह से हम तीनों एक दूसरे गर्म कर रहे थे और वासना में मादक सिसकारियां भी भर रहे थे.
बड़ी चाची ने मेरा लंड छोटी चाची के हाथ से लिया और बोलीं- साली कुतिया अकेले ही लंड खाएगी क्या?
फ़िर वे दोनों भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड पर टूट पड़ीं. एक रांड मेरे लंड के सुपारे को मुँह में लेकर चूस रही थी, तो दूसरी मेरे आंडों को चूसने में लगी थी.
इस सबसे मैं तो जैसे आसमान में उड़ने लगा था. दोनों ब्लू फिल्म में सीन देख देख कर मेरे लंड को चूसे जा रही थीं.
पूरे कमरे में ‘उह्ह्ह्ह … ऊग्ग्ग … उह्ह्ह्ह …’ की कामुक आवाजें ही आ रही थीं. एक चाची मेरा लंड मुँह में लेतीं, तो दूसरी मेरे गोटे चूसने लगतीं. मैं तो पागल हुआ जा रहा था और अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा था.
वे नीचे दोनों एक दूसरे को गालियां देती हुई कुछ ज्यादा ही कामुक होती जा रही थीं.
मेरे लंड को गालियां देती हुई कह रही थीं- साला इतना मस्त लंड घर में ही था … और हम बाहर लंड खोज रही थीं.
एक लंड, तो दूसरी अंडकोष को मुँह में ले रही थीं. उनके लंड चाटने और थूक की वज़ह से मेरा लंड एकदम चमक रहा था. मैं भी उन दोनों के बाल पकड़ कर लंड को उनके मुँह में अन्दर तक डालने लगा था.
बड़ी चाची ने अपना अनुभव दिखाते हुए लंड को अपने गले से नीचे तक ले लिया और पूरा मुँह में ले लिया. वो अपनी जुबान से मेरे लंड की जड़ पर फिराने लगीं. वो इंग्लिश और हिंदी में अपने अपने पतियों को गालियां भी दे रही थीं.
‘आह साले नामर्द … भैन के लौड़े हमारे गांडू खाविन्द इतनी खूबसूरत चुत भी नहीं चोद पा रहे हैं … और ये मादरचोद इतना बड़ा लंड घर में अपनी गांड में घुसाए बैठा था.’
वो मेरे लंड पर चपत भी लगा रही थीं और ‘सो बिग कॉक … नाईस बिग कॉक … उह्ह्ह यस फ़क माय माउथ … यू बास्टर्ड.. सो हार्ड कॉक …’ कहे जा रही थीं.
मैं भी ‘आआआ … उह्ह्ह …’ की आवाजें निकाल रहा था.
थोड़ी देर के बाद मैंने उनको ऊपर उठाते हुए खड़ा किया और उनके चूचों को चूसने लगा.
दोनों चाचियां अब सिर्फ गालियों में ही बातें कर रही थीं- आह खा ले मेरे हरामी भतीजे … खा ले भोसड़ी के इन्हें … तेरा नामर्द चाचा तो इन्हें देखता भी नहीं है.
वो जोर जोर से सिसकारियां लेते हुए मेरे बालों को नौंच खसोट रही थीं. मेरे हाथ पीछे से उनकी गांड का नाप ले रहे थे. दोनों अपने हाथों से अपने चुचे मेरे मुँह में घुसेड़ रही थीं और गालियां दे रही थीं. वे एक दूसरे को किस भी कर रही थीं.
दस मिनट तक ऐसा ही चलता रहा. फ़िर मैं बोला- चाबी तो देख ली, ताला नहीं दिखाओगी रंडियो.
ये सुनकर वे दोनों मुझसे थोड़ी दूर होकर सामने सोफ़े पर जा कर बैठ गईं और मुझे पास आने का इशारा करने लगीं.
मैं उनके पास जाने लगा, मेरा लंड सांप की तरह फन हिला रहा था. मैं पास पहुंचा, तो फिल्म में देख कर दोनों अपनी अपनी पेन्टी में हाथ डाल कर खुद को उत्तेजित कर रही थीं.
मैं उनके पास पहुंच कर अपने घुटनों के बल बैठ गया.
छोटी चाची बोलीं- देख उधर फ़िल्म में … ऐसा ही करना है.
फ़िर दोनों ने अपने पैर ऊपर उठाए और कहा- चलो भतीजे, अपनी चच्चियों के ताले भी देख लो.
मैंने झट से एक एक करके उन दोनों की पैन्टी उनकी टांगों से अलग कर दी.
अब दोनों की एकदम गुलाबी चुत मेरे सामने थी.
जैसे ही अपना हाथ मैंने चुत पर रखा, तो दोनों कसमसाने लगीं और ‘आह्ह्ह … उह्ह्ह …’ करने लगीं.
मैंने फ़िल्म की तरफ़ देखा, तो पुरुष उन दोनों महिलाओं की चुत बारी बारी से चाट रहा था. ये सब मेरे साथ पहली बार था, इसलिए कुछ भी दिमाग से काम नहीं चल रहा था, बस हुए जा रहा था.
फ़िर मैंने भी फ़िल्म जैसा ही करना चालू कर दिया. छोटी चाची की चुत ज्यादा गुलाबी थी, तो पहले उसी से चालू किया. जैसे ही मैंने अपनी जुबान उनकी चुत पर फ़िराना चालू की, वो गांड उछालने लगीं.
मैं अपने एक हाथ की उंगली को बड़ी चाची की चुत में डालने लगा.
दोनों ही ‘आह्ह्ह्ह … ऊउईई … सक माय पुस्सी …’ की आवाजें निकालने लगीं.
मैंने पाली बदली, अब बड़ी चाची की चुत चूसने का नम्बर था.
बड़ी चाची तो और भी ज्यादा कामुक हुई जा रही थीं. वो भी चुत चटने से सिसकारियां लेने लगीं.
यह सिलसिला दस मिनट तक चलता रहा. फ़िर छोटी चाची उठीं और मेरे बराबर बैठ कर वो भी बड़ी चाची की चुत साथ में चाटने लगीं.
बड़ी चाची बिना पानी की मछली जैसी तड़पने लगीं और उन्होंने गालियां देना चालू कर दिया- याआआअ … ऊऊह … सक यस … यू बिच सक माय पुसी.. आह गुड .. साले चोदू तेज कर भड़वे … साले मादरचोद … जोर से चाटो!
मैंने अब अपनी जगह बदली और छोटी चाची के पास जाकर उनको घोड़ी की तरह बना दिया. उन्होंने झट से अपनी गांड फैला कर चुत खोल दी. मैं पीछे से अपना लंड उनकी चुत में पेलने लगा.
मैंने निशाना लगाया पर उनकी चूत छोटी होने की वजह से मेरा लंड फ़िसल गया. मैंने फिर से ट्राई किया, लेकिन फिर असफल रहा. मैंने फिर से कोशिश की और अब की बार लंड का सुपारा अन्दर चला गया.
लंड का सुपारा छोटी चाची की चुत में जैसे ही घुसा, उन्होंने बड़ी चाची की चुत को अपने मुँह से छोड़ कर एक गहरी कराह भरी और बोलीं- अरे … ये ताला बहुत दिन से बन्द पड़ा है … जरा प्यार से चोद मादरचोद. इसका तो बॉयफ्रेंड है, मेरा तो चार महीने से उंगलियों से काम चल रहा है.
मैंने लंड अन्दर पेलते हुए कहा- अब कोई शिकायत नहीं होगी मेरी जान … मेरा लंड मिलता रहेगा.
इतने में सामने से बड़ी चाची बोलीं- पूरा डाल और जोर से इसकी चुत में पेल … साली की फट जाना चाहिए.
बड़ी चाची की बात सुन कर मैंने एक जोर का धक्का दे मारा. अबकी बार आधे से ज्यादा लंड चुत के अन्दर घुसता चला गया था. उधर बड़ी चाची ने छोटी चाची का मुँह जोर से अपनी चुत में दबा दिया था, तो छोटी चाची की चीख उनके गले में ही घुट कर रह गई.
मैं धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.
छोटी चाची- आह्ह्ह … उम्म्ह्ह … उह्ह्ह … यस फक माय पुस्सी … यू फक सो गुड.
उनकी मदमस्त आवाजें निकलने लगीं. इसी के साथ वो बड़ी चाची की चुत भी चाट रही थीं.
बड़ी चाची भी कराह रही थीं- यस यस यस … ओह्ह्ह माय पुस्सी … यु सक सो गुड.
उन दोनों की मादक आवाजें मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
करीब दो मिनट तक मैंने अपनी चाल स्लो ही रखी, फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा तेज किया. अब छोटी चाची भी मेरा साथ देने लगी थीं. मेरा छह इंच का लंड चुत में पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगा था. आगे से बड़ी चाची भी गालियां और सिसकारियां निकाल रही थीं.
पूरे कमरे में चुदाई का संगीत गूंजने लगा था.
‘आ आह … आह्ह उईई …’ की मधुर आवाजें आ रही थीं. मैं छोटी चाची की कमर पकड़ कर उनकी चूत में लंड पेले जा रहा था.
कुछ मिनट के बाद दोनों चाचियों का पानी थोड़ा आगे पीछे निकला. पहले छोटी की बुर झड़ी, फिर बड़ी की चुत ने फव्वारा छोड़ दिया. मैंने अपना लंड छोटी चाची की चुत से निकाल कर दोनों के सामने कर दिया और खुद झुक कर बड़ी की चुत के रस को चाटने लगा.
दोनों की मादक आवाजें आ रही थीं- ऊउह्ह्ह यम्मी … उह्ह्ह्हह.
उन दोनों ने मेरा लंड का प्री-कम चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
मैंने बड़ी चाची से कहा- अब तेरे ताले का नम्बर है कुतिया … बहुत आग है तेरे ताले में.
अब मैं घुटनों के बल बैठा और बड़ी चाची की चूत पर लंड का निशाना लगा कर रेडी हो गया.
बड़ी चाची की चुत भी थोड़ी बड़ी थी. मैंने एक धक्का मारा, तो चुत बड़ी और छोटी चाची के चाटने की वजह से लंड लगभग तीन इंच अन्दर घुसता चला गया. लंड मोटा होने की वजह से चाची को थोड़ा दर्द हुआ.
मैंने पूछा- क्या हुआ कुतिया?
तभी छोटी चाची जो अब सोफ़े पर आकर बैठ गई थीं, वो बोलीं- मेरे घोड़े तू डाल जोर से … ये तो नाटक कर रही है साली.
मैंने एक और धक्का दे मारा, तो मेरा पूरा लंड चुत के अन्दर चला गया.
बड़ी चाची ने कसमसाते हुए अपना सर ऊपर उठाया और जोर की आह भरी.
मैंने उनकी आह को अनसुना करते हुए तेज धक्के देना चालू कर दिए.
बड़ी चाची गालियां देते हुए अपनी कमर ऊपर उठाने लगीं.
मैंने अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी और छोटी चाची के चूचों को मुँह में लेने लगा.
छोटी चाची अपनी एक उंगली से बड़ी चाची के चुत के दाने को सहला रही थीं.
मैं कभी बड़ी चाची के निप्पल दबाता, तो कभी छोटी चाची के निप्पल को. कभी उनके होंठों को किस करता.
कुछ मिनट तक ऐसे ही चुदाई का खेल चलता रहा. फिर मैंने बड़ी छोटी को बड़ी चाची के बाजू में सोफे के ऊपर खड़ा कर दिया और उनके सर को बड़ी चाची की मुँह के पास करते हुए झुका दिया. इससे छोटी चाची की चुत मेरे मुँह के सामने आ गई थी और मैं चुत चाटने लगा.
दस मिनट की चुदाई के बाद बड़ी चाची ने छोटी चाची को जोर से जकड़ लिया और अपने दांतों को भींचने लगीं.
मुझे नीचे उनकी चुत में गर्म लावा फूटने का अहसास हुआ तो मैं समझ गया कि चाची का काम हो गया.
बड़ी चाची एकदम से निढाल पड़ गईं और तभी चुत चाटे जाने से छोटी चाची की चुत से भी पानी निकल गया.
हम तीनों ही मजा लेने लगे थे. मेरा लंड अभी भी खड़ा था. दवा का असर भरपूर था. मैं सोफे पर बैठ गया और छोटी चाची को ऊपर आने का बोला.
वो अपनी चुत को मेरे लंड पर रख कर अन्दर बाहर करने लगीं.
मैं तो पूरे जोश में था ही, तो मैंने फ़ुल स्पीड जल्दी पकड़ ली और लंड अन्दर बाहर करने लगा. मैं पास में बैठी बड़ी चाची को किस करने लगा.
दस मिनट की छोटी चाची की मेहनत के बाद मैंने कहा- आह चाची … मैं झड़ने वाला हूँ … माल कहां निकालूं?
चाची ने कहा- जरा रुक.
वो उठ कर लंड के सामने बैठ गईं और ‘यस यस यस … कम ऑन … शेक फ़ास्ट कम ऑन …’ बोलने लगीं. मैं उनके सामने खड़ा हो गया और लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगा.
तभी तेज पिचकारियों के साथ मैंने चाची के मम्मों पर वीर्य की बौछार कर दी. उन दोनों के बड़े बड़े चूचे पूरी तरह से वीर्य से सन गए थे.
छोटी चाची मेरे वीर्य को उंगली से लेकर टेस्ट करने लगी और बोलीं- इसका टेस्ट तो बड़ा अच्छा है.
बड़ी ने भी वीर्य चखा और मेरे लंड को मुँह में लेकर उसका बचा हुआ रस भी खा लिया.
फिर हम तीनों साथ में नहाए. दोनों चाची मेरे गालों पर किस कर रही थीं और छोटी चाची कहने लगीं कि मेरे राजा तू तो लम्बी रेस का घोड़ा निकला. आज से हम दोनों तेरी गुलाम हो गईं.
फ़िर बड़ी चाची कहने लगीं- हां, आज से बाहर वाले सब लंड बंद … अब से बस तू ही हमारा परमानेंट चोदू हो गया.
ये कहते हुए दोनों ऐसे ही अगल बगल आ कर मेरे सीने के निप्पलों और पेट पर किस करके नहाने लगीं.
नहाने के बाद कमरे में आकर वो दोनों मेरे आजू बाजू लेट गईं.
मैंने बड़ी चाची से पूछा- आपने ये सब कहां से सीखा?
वे बोलीं- मेरी एक सहेली है, उसने ही ये सब बताया है.
फ़िर रात में एक बार हम तीनों ने फ़िर से सेक्स किया और सो गए. सवेरे जल्दी उठ कर छोटी चाची ने मुझे भी उठाया और अपने कमरे भेज दिया. क्योंकि अम्मी मेरे कमरे में मुझे रोज उठाने आती हैं. मुझे मेरे कमरे में नहीं देख कर उन्हें रात की बात पता चल सकती थी.
ये सब चार दिनों तक बिंदास चलता रहा.
फ़िर दोनों चाचा बंगलोर से वापस आ गए, तो चुदाई में ब्रेक लग गया. मगर जब भी हमें मौक़ा मिलता, हम तीनों खूब चुदाई करते.
दोनों चाची अब मेरे खाने पीने का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखने लगी थीं और दोनों मुझे हर वक़्त अपने साथ रखने लगी थीं. उन्होंने मुझे अम्मी की चुदास के बारे में भी बताया था. मगर मैं अपनी अम्मी को चोदने की हिम्मत न कर सका.
दोस्तो, इधर साहिल की सेक्स कहानी खत्म हुई. उसने अपनी दोनों आंटियों को चोदने के बाद मुझे कई मेल किए, जिसके बाद मैंने वहां जाने का फैसला किया. वहां जाकर मैंने उसकी दोनों चाचियों की तीन दिन तक होटल में जम कर चुदाई की. वो भी मेरे लंड की मुरीद बन गईं.
फिर साहिल की अम्मी, उसकी चाचियों के लिए बड़ी समस्या थीं … जिसके लिए मैंने उनको सुझाव दिया कि अपनी अम्मी की भी किसी से सैटिंग करवा दो, तो उन तीनों ने मिल कर बड़ी चाची के बॉयफ्रेंड को साहिल की अम्मी के लिए पसंद कर लिया. मैंने उस लड़के को साहिल की अम्मी का बॉयफ्रेंड बनने में मदद की. अब वहां किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं है.
कुछ दिन बाद साहिल से बात हुई कि उसकी अम्मी को भी पता चल गया कि दोनों चाचियां उसके बेटे से ही चुदवाती हैं. उन्होंने ऐतराज जताया तो बड़ी चाची ने अम्मी को धमकाते हुए कहा कि आपने हमारे बारे में किसी से कुछ कहा, तो हम भी आपके बारे में बता देंगे.
ये सुनकर सभी ने चुप रहने का फैसला किया. साहिल की अम्मी ने भी कोई विरोध नहीं किया.

यह सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, जरूर बताना. मुझे इन्तजार रहेगा.
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#48
आइसक्रीम, मालिश और माँ की चुदाई

हेलो दोस्तो और उनकी माताओ…

मेरा नाम विधान है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 20 साल और रंग गोरा है बिल्कुल अपनी माँ की तरह!
मेरे लंड का साइज़ आठ इंच है।
मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरे घर में तीन लोग रहते हैं… मॉम, डैड और मैं!
मेरे डैड जॉब करते है जिस वजह से वो घर से बाहर रहते हैं, इस वजह से माँ की प्यास नहीं बुझ पाती है।
मेरी माँ का नाम सुप्रिया है, उनकी उम्र 38 साल है पर वो अभी भी 28 साल की ही लगती हैं।
मेरी माँ बहुत ही सेक्सी और सुन्दर और गोरी है, उनकी फिगर 36-30-36 का है। वो हमेशा घर में साड़ी में ही रहती है। एक बात और… मेरी माँ साड़ी नाभि के बहुत नीचे पहनती है और मैं उनकी नाभि पर फ़िदा हूँ। उनकी नाभि गोल और डीप है जो उनकी साड़ी से दिखाई देती है… और मैं उनकी नाभि को चाटने और उनको चोदने के सपने देखता हूँ।
अब ज्यादा टाइम ना लेते हुए अपनी कहानी शुरु करता हूँ… यह घटना गर्मियों की है। आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली की गर्मियाँ अच्छे अच्छों की हालत खराब कर देती है।
घर में मैं और माँ.. हम दोनों ही रहते थे.. और माँ घर में साड़ी पहना करती थी। माँ इतनी गर्मियों में भी साड़ी पहन कर काम कैसे कर लेती थी… पता नहीं… पर मुझे बहुत मजा आता था क्योंकि माँ अपनी साड़ी नाभि से चार इंच नीचे पहनती थी और मैं दिन भर उनकी नाभि और चिकनी पेट को देखता रहता था… पर उन्हें चोदने का कभी नहीं सोचा था।
गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी, मैं दिन भर घर में बनियान और कैप्री में बैठ कर माँ को घूरा करता था।
एक दिन डिनर करने के बाद हम अपने अपने कमरे में लेटे हुए थे और मैं अन्तर्वासना पर सेक्स कहानियाँ पढ़ रहा था। उसमें मुझे एक कहानी मिली जो माँ बेटे की चुदाई की कहानी थी।
मैं उसे पढ़ने लगा। तभी पहली बार मैंने अपने माँ की चुदाई के बारे में सोचा और मुठ मारने लगा।
मुठ मारने के बाद मुझे कुछ मीठा खाने का मन हुआ तो मैं आइसक्रीम लेकर माँ के कमरे में चला गया।
मैंने वहाँ जाकर देखा तो माँ ने अपने हाथों पर मेहंदी लगाई हुई थी और बिस्तर पर लेटी थी।
मैं उनके पास गया और उनको आइस क्रीम खाने का ऑफर किया पर उन्होंने मना कर दिया। मैं वहीं बैठ कर आइसक्रीम खाने लगा और माँ से बातें करने लगा।
तभी अचानक लाइट ऑफ हो गई और गर्मी से हम दोनों का बुरा हाल हो गया।
मेरी माँ को अंधेरे से बहुत डर लगता है। माँ से गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी, वो पसीने से भीगने लगी।
मैंने अपने मोबाइल की फ़्लैश लाइट ऑन की और माँ क पास आकर बैठ गया और आइसक्रीम खाने लगा।
तभी मैंने माँ को देखा, वो गर्मी से बेहाल थी, मैंने माँ को बोला- मम्मी.. आप को गर्मी नहीं लग रही है?
तो उन्होंने कहा- बहुत गर्मी लग रही है बेटा!
मैंने कहा- मम्मी.. आप इस साड़ी की जगह कुछ हल्का पहन लो।
तब उन्होंने मुझे अपनी मेहँदी दिखा कर कहा- अभी तक ये सूखी नहीं है… तो मैं कैसे चेंज करूँगी।
मैंने कुछ नहीं कहा और आइस क्रीम खाने लगा।
तभी माँ ने कहा- मेरे पल्लू में पिन लगी है.. उसे खोल के मेरा पल्लू नीचे कर दे… मुझे बहुत गर्मी लग रही है।
मैं बहुत खुश होने लगा और माँ की साड़ी का पल्लू उनके बदन से अलग कर दिया और उनकी नाभि को देखने लगा।
मम्मी के सोफ्टी जैसे पेट और नाभि को देख कर मेरा उसे चूमने और चाटने का मन हो रहा था, तभी माँ ने अपने सिर का पसीना पोछने के लिए हाथ उठाया और उनका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया और पूरी आइस क्रीम माँ की साड़ी और पेट पर गिर गई।
माँ ठण्डी आइस क्रीम के स्पर्श से सकपका गई और मुझसे माफ़ी मांग कर बोली- सॉरी बेटा, गलती से हाथ लग गया।
और मैं बोला- कोई बात नही… मैं साफ़ कर देता हूँ..
मैं- माँ.. आपकी साड़ी पर आइस क्रीम गिर गई है.. क्या करूँ?
माँ- सबसे पहले साड़ी उतार कर पानी में डाल दे.. वरना दाग लग जाएगा।
मैं- ओके माँ!!
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।
माँ बेड से उठी और मैंने उनकी साड़ी निकाल दी.. अब वो केवल ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने थी।
मेरा लंड एकदम लोहे की तरह टाइट हो गया, मैंने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी तो मेरा लंड का उभार केप्री में से दिखने लगा… माँ ने भी इस बात को नोटिस किया।
मैं माँ के मम्मों को घूर रहा था… और माँ मेरे कैप्री के उभार को… मेरे लंड के उभार को देखकर माँ का चेहरा लाल हो रहा था।
मैंने गौर किया कि माँ की ब्लाउज पूरी तरह से पसीने में भीग चुकी है… और उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी, जिसकी वजह से माँ के निप्पल साफ़ दिखाई दे रहे थे।
तभी माँ बोली- जल्दी से मेरे शरीर पर लगी आइस क्रीम साफ़ कर दे।
मैं- माँ… कैसे साफ़ करूँ? यहाँ तो कोई बेकार कपड़ा भी नहीं है?
माँ मस्ती में बोली- चाट कर साफ़ कर दे!
मैं- सच माँ?
माँ – हम्म…
बोल कर मुस्कुराने लगी।
मम्मी बेड पर लेट गई और मैं उनके पेट पर लगी आइसक्रीम चाटने लगा। माँ के पेट में लगी आइसक्रीम का मजा ही कुछ और था।
फिर मैंने देखा कि माँ की गहरी और गोल नाभि में आइसक्रीम भरी हुई थी। मैं माँ की नाभि में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा और इस वजह से माँ गर्म होने लगी और उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैंने माँ की नाभि पर लगी आइसक्रीम चाट ली और फिर उसके बाद लाइट आ गई तो माँ ने कहा- जाओ.. अपने कमरे में सो जाओ।
मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में आ गया और माँ के बारे में सोच सोच कर मुठ मारने लगा और कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
अगली सुबह मेरी आँख खुली तो मैं उठकर बाहर हॉल में गया… तो माँ उठ चुकी थी और उन्होंने केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था।
यह देख कर मेरा लंड फिर से तन गया और मेरे पैंट से बाहर आने को बेताब हो रहा था।
मैंने माँ को पीछे से जाकर हग किया और मेरा लंड माँ की गांड में टच होने लगा… तो माँ मुस्कुराने लगी और कहा- बेटा.. जल्दी से नाश्ता कर ले…
फिर मैंने माँ से पूछा- मम्मी.. आपने आज साड़ी क्यू नहीं पहनी?
मम्मी ने कहा- मेरे बदन में दर्द हो रहा है और मुझे तुझसे मालिश करवानी है।
मैं बहुत खुश होने लगा और मैंने सोच लिया कि आज माँ को किसी भी तरह चोदना ही है।
मैंने और माँ ने जल्दी से नाश्ता खत्म किया।
अब माँ अपने रूम के बेड पर जाकर उल्टी लेट गई और मैं बॉडी ऑयल लेकर माँ के पास आ गया।
फिर मम्मी ने अपना पेटीकोट जांघों तक ऊपर कर दिया और मैं मम्मी की टांगों की मालिश करने लगा।
मैंने माँ से कहा- माँ… आपके पेटीकोट में आयल लग रहा है.. और मुझे मालिश करने में भी प्रॉब्लम हो रही है… आप इसे उतार दो!
माँ ने मेरी तरफ देखा और सेक्सी सी मुस्कान के साथ कहा- तू ही उतार दे!
मैंने झट से माँ के पेटीकोट का नाड़ा खींच कर उसे उतार दिया।
अब माँ केवल पेंटी और ब्लाउज में थी।
मैं माँ की जांघों की मालिश करने लगा… कभी कभी मैं माँ की गांड और चुत को उंगली से छू देता.. तो माँ सिहर जाती थी।
फिर मैंने माँ की पीठ की मालिश शुरू कर दी और माँ से बिना पूछे ही उनकी ब्लाउज की डोरियाँ खोल दी।
अब माँ पीछे से पूरी तरह नंगी थी… मैं उनकी मालिश करने लगा।
यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
थोड़ी देर बाद माँ ने खुद ही अपना ब्लाउज भी उतार दिया, माँ अब बेड पर सिर्फ एक पेंटी में मेरे सामने लेटी हुई थी।
मन तो कर रहा था कि अभी पेंटी खोल कर माँ की चुत में अपना लंड डाल दूँ।
फिर मैं माँ की मालिश करते हुए उनके मम्मों को भी टच कर देता… कुछ देर पीठ की मालिश करने के बाद माँ ने कहा- बेटा मेरे कूल्हों की भी थोड़ी मालिश कर दे।
माँ के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड पूरे उफान पर पहुंच गया, मैंने माँ से बिना पूछे ही उनकी पेंटी उतार फेंकी।
माँ थोड़ा शरमा गई।
मैंने माँ की गांड पर खूब सारा तेल डाला और वो तेल गांड की दरार से होता हुआ माँ की चूत तक जाने लगा। मैंने माँ की गांड की मालिश शुरु की और मैं बीच बीच में माँ की गांड के छेद और चूत में उंगली कर रहा था जिसके कारण माँ गर्म होने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए एक हाथ से अपनी केप्री को नीचे कर दिया और अपना खड़ा हुआ लंड निकाल कर माँ की गांड से हल्के हल्के रगड़ने लगा… मुझे लगा कि शायद माँ को ये सब पता नहीं है।
इसी बीच माँ सीधी हो गई और उन्होंने मेरा तना हुआ लंड अपने हाथों में पकड़ लिया और मेरी आँखों मे आँखें डाल कर मुझे देखने लगी और फिर मेरे लंड को दबाने लगी।
मैं भी माँ के बड़े मम्मों को देख कर तुरंत उन्हें चूसने लगा और उनकी चूत में उंगली करने लगा।
धीरे धीरे माँ मदहोश होने लगी।
मैंने माँ से कहा- माँ… मैं आपकी चूत को चाटना चाहता हूँ।
माँ ने तुरंत अपनी टाँगें फैला ली और कहा- बेटा… खा जा अपनी माँ की चूत को और चोद दे इसे… मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ.. मेरे लाल!
माँ अभी भी अपने हाथों से मेरे लंड को सहला रही थी।
मैं तुरंत माँ की गुलाबी चिकनी चूत को चाटने लगा और उनके मम्मों को दबाने लगा। माँ की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंज रही थी।
फिर कुछ देर बाद मैं और माँ 69 के आसन में आ गये।
माँ मेरा लंड चूसने लगी और मैं माँ की चिकनी चूत!
इस बीच माँ झड़ गई और फिर मैं माँ की नाभि चूसने लगा और माँ फिर से गर्म होने लगी और बोलने लगी- चोद दे… अपनी माँ को और फाड़ दे मेरी चूत…
मैंने माँ की चूत में अपना लंड टिकाया और एक ही झटके में आधा लंड अंदर डाल दिया और माँ चीख़ने लगी।
मैंने बिना रुके एक और धक्का मारा और अपना पूरा लंड माँ की चूत में पेल दिया और माँ दर्द से कराहने लगी- आह्ह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आइइ इइइ… मेरी चूत… फाड़ दी तूने…
मैंने बिना रुके धक्के मारने शुरू किए और फिर माँ भी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी।
काफ़ी लम्बी चुदाई के बाद मैं झड़ गया और अपना सारा वीर्य माँ की गुलाबी चूत में डाल दिया।
चुदाई के दौरान माँ भी 2-3 बार झड़ चुकी थी।
फिर मैं और माँ साथ में नहाये और उसके बाद हमने फिर एक बार चुदाई की और फिर हमें जब मन करता, हम अलग अलग पोजीशन्स में चुदाई करते हैं।
कभी कभी मैं माँ की चूत और मम्मों पर आइसक्रीम लगा कर उन्हें चूसता और चाटता हूँ… और माँ मेरे लंड पर आइसक्रीम लगा कर चूसती और चुदवाती है, इसी तरह हम अकसर चुदाई करते हैं।

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#49
मां द्वारा बेटों को चुदाई की शिक्षा-1

यह कहानी दो लड़कों और उनकी मां की है जिसमें उनकी मां का किरदार मैं निभा रही हूँ।

आज मैं आप को बताऊंगी कि कैसे मेरे दोनों बेटों ने मेरी चुदाई की… कैसे मैंने उनसे अपनी चूत चटवाई… कैसे बेटों से अपने मम्मे मसलवाए, मैंने उन्हें अपना दूध पिलाया… कैसे मेरे बेटों ने मेरी गांड मारी… कैसे मैंने उनसे अपनी चूत मरवाई… कैसे मैंने अपने दो बेटों से एक साथ चुदवाया… कैसे उन्होंने अपने लंड से मेरी चूत और गांड की खुजली मिटाई।
मेरी उम्र 39 साल है, मेरा फिगर 38 32 38 का है। जैसा आप मेरे फिगर को देखकर समझ ही गये होंगे कि मेरे मम्मे और गांड दोनों ही काफी बड़े और कसे हुए हैं, और उभरे हुए हैं जो किसी के भी लंड में बिजली पैदा कर सकते हैं।
शादी के बाद से ही मुझे सेक्स की आदत सी पड़ गई थी, शुरुआत में तो मेरे पति मुझे रोज चोदते थे, फिर उन्होंने मुझे चोदना कम कर दिया क्योंकि मेरे पति एक बैंक में मैंनेजर हैं पर उनकी पोस्टिंग दूसरे शहर में है, वो महीने में तीन या चार दिन की छुट्टियों पर ही घर आते हैं और फिर लगातार तीन चार दिन तक मेरी चुदाई करते हैं।
वे अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डालते और कुछ देर की चुदाई के बाद झड़ जाते थे पर ज्यादा दिनों से चुदासी होने के कारण मैं कभी संतुष्ट नहीं हो पाई, ठीक तरह से चुदाई ना होने के कारण में मायूस रहने लगी थी।
कभी-कभी मैं अपनी चूत में उंगली करके खुद को झड़ा लेती थी।
वैसे तो मैं दिखने में काफी आकर्षक हूँ, मेरा फिगर भी अच्छा खासा है, मैंने कई बार टीवी पर भी देखा और पढ़ा भी है कि समय पर संभोग न कर पाने के कारण बुढ़ापा जल्दी आता है और शरीर भी बैठने लगता है।
यह बात सत्य भी है… अपने से कम उम्र आदमी के साथ संभोग करने से आपकी इच्छा शक्ति और शरीर दोनों ही फिट रहते हैं… समय पर सेक्स करते रहने से औरतों की खूबसूरती और निखर जाती हैं।
मैंने एक इंग्लिश चैनल पर देखा था कि एक औरत अपने शरीर और चेहरे पर मर्दों का स्पर्म लगाती है जिससे उसकी खूबसूरती बरकरार रहे!
तो मैंने भी सोचा कि मुझे भी ऐसा एक बार ट्राई करना चाहिए… पर मुझे स्पर्म मिलेगा कहाँ से?
तभी मुझे मेरे बड़े बेटे के बारे में ख्याल आया… जैसा कि मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि मेरे दो बेटे हैं बड़े बेटे का नाम अरुण है, छोटे का नाम अवि है।
मुझे अपने बड़े बेटे पर थोड़ा शक था कि कहीं वह कुछ गलत तो नहीं सीख रहा… क्योंकि मेरे दोनों बेटे रात में हमारे ही साथ सोते थे और कभी रात में जब मेरे पति मुझे चोदते थे… तो मुझे ऐसा लगता था कि मेरा बड़ा बेटा हमारी चुदाई देखता है।
मुझे उसकी नजरों से ऐसा लगता था कि जैसे वो अपनी आंखों से सामने वाली औरत को नंगी करके देखता है। मैंने उसकी आंखों में भी कई बार अपने प्रति वासना के भाव को देखा है।
तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना अपने बड़े बेटे पर कुछ आजमाया जाए।
एक बार छुट्टी के दिन मैंने अपने बड़े बेटे को सुबह नहलाने का ठान लिया… मैंने सुबह दस बजे उसे उठाया और नहाने के लिए बोला।
तो अरुण बोला- मम्मी… मैं थोड़ी देर से नहाऊंगा!
और फिर सो गया।
मैंने अरुण से कहा- तेरे शरीर पर बहुत मैल इकट्ठा हो गया है इसलिए आज मैं तुझे ठीक से नहलाऊंगी!
मेरे इतना बोलते ही अरुण के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई और फिर वह चुपचाप उठकर मेरे साथ बाथरूम जाने लगा।
उस समय मैंने एक पतला सा गाउन पहना हुआ था।
बाथरुम पहुंचकर मैंने अरुण से कपड़े उतारने के लिए बोला तो वह आनाकानी करने लगा… पर फिर थोड़ा समझाने के बाद उसने अपने कपड़े उतार दिए और केवल अंडर वियर में ही मेरे सामने खड़ा था।
मैंने उसके ऊपर पानी डाल कर उसे नहलाना शुरु किया और फिर उसको साबुन मलने लगी… मेरा हाथ कभी-कभी उसके अंडरवियर के पास भी जा रहा था।
कमर तक साबुन लगाने के बाद मैंने अरुण से बोला- चल अब अपनी चड्डी उतार दे जिससे मैं ठीक तरह से साबुन लगा सकूं…
पर शर्म के मारे अरुण ने अपनी चड्डी नहीं उतारी तो मैंने जबरदस्ती ही उसकी चड्डी उतार दी।
अरुण की चड्डी उतारते समय उसने अपने लंड को अपने हाथों से छिपा लिया तो मैं अरुण से बोली- मुझसे इतना क्यों शर्मा रहा है… जब तू छोटा था… तब मेरे साथ नंगा होकर ही नहाता था!
तो उसने अपने हाथों को अपने लंड से हटा दिया।
चड्डी उतारते ही मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी… अरुण का लंड अभी बैठा हुआ था पर फिर भी वह करीब साढ़े तीन इंच लंबा लग रहा था।
मैंने साबुन लेकर अपने हाथों को अरुण के लंड पर मलना शुरु कर दिया।
अरुण बोला- मम्मी, मुझे गुदगुदी हो रही है!
और धीरे धीरे उसका लंड खड़ा हो गया… तो अरुण ने मुझसे अपने लंड को छोड़ने के लिए कहा।
तो मैंने उससे कहा- इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है… यह सब नेचुरल है।
अरुण का लंड अभी भी मेरे हाथ में ही था, मैं उसके लंड को देख कर दंग रह गई… उसका लंड करीब सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा था।
मैं अरुण के लंड को देख कर इतना खो गई… कि कब साबुन लगाते लगाते मैं उसके खड़े लंड को सहलाने लगी और फिर थोड़ी देर बाद अरुण बोला- मम्मी… मेरा सूसू निकलने वाला है!
और फिर तुरंत ही वह मेरे हाथों में झड़ने लगा। मैंने उसके वीर्य को अपने हाथों पर इकट्ठा कर लिया।
अरुण थोड़ा घबरा गया और कहने लगा- मम्मी… मैंने जानबूझ कर यह सब नहीं किया।
तो मैं बोली- कोई बात नहीं!
फिर अरुण मुझसे बोला- मम्मी… मेरी सुसू इतनी गाढ़ी और सफेद क्यों है… ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ?
तब मुझे समझ आया कि इसे सेक्स के बारे में अभी कुछ भी नहीं पता।
मैंने अरुण से कहा- क्या… इससे पहले कभी तुझे ऐसा नहीं हुआ?
तो अरुण ने मना कर दिया और कहने लगा- मम्मी… जब आपने मेरी नुनू को पकड़ा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था… पर फिर तभी मेरी सुसु निकल गई!
तो मैं अरुण से बोली- अब तू बड़ा हो गया है!
और फिर उसे नहलाकर अपना गाउन उतारने लगी… मैं उसके सामने केवल ब्रा और पेंटी में थी।
अरुण का वीर्य अभी भी मेरे हाथों में लगा हुआ था तो मैंने उसको बाहर भेज दिया और फिर मैंने उसके वीर्य को अपने शरीर पर और चेहरे पर मल लिया और मैं भी नहा कर बाहर आ गई, घर के काम करने में लग गई पर मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि यह सब मैं आज पहली बार कर रही थी।
दोपहर को दो बजे अरुण मेरे रूम में आया और मेरे पास आकर लेट गया… तो मेरे दिमाग में आया… क्यों ना इसको आगे की शिक्षा दी जाए।
मैंने अरुण से पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
तो उसने मना कर दिया।
फिर मैंने उससे हंसते हुए कहा- अब तू बड़ा हो गया है… कोई गर्लफ्रेंड बना ले।
अरुण बोला- मम्मी… उससे क्या हो जाएगा?
तो मैंने कहा- फिर तू उसके साथ डेट पर जाना और उसके साथ ऐश करना!
तभी मेरा छोटा बेटा वहाँ आ गया और फिर हम दोनों चुप हो गए।
रात को हम तीनों साथ में सोए… मेरा छोटा बेटा सुबह के समय कॉलेज जाता था और बड़ा बेटा दोपहर के समय!
अगले दिन सुबह मेरा छोटा बेटा चला गया और फिर थोड़ी देर बाद अरुण के भी कॉलेज जाने का समय हो गया।
मैंने अरुण को आज फिर नहलाया और फिर उसके लंड पर साबुन मलते मलते वह फिर झड़ गया… तो मैं बनावटी गुस्सा करते हुए बोली- तू यह रोज रोज क्या कर देता है?
अरुण बोला- मम्मी… आप जब भी मेरी नूनू से हाथ लगाती हो तो यह बड़ा हो जाता है और फिर सूसू कर देता है।
तो मैंने अरुण से कहा- बेटा यह सूसू नहीं है… यह वीर्य होता है… और यह निकलना अच्छा होता है।
मेरी बात शायद अरुण को समझ नहीं आई थी… पर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया था।
अरुण जिज्ञासावश बोला- क्या?
तो मैंने उसको समझाते हुए कहा- जब लड़का बड़ा हो जाता है… तो ऐसा होने लगता है!
और फिर उसे बताना शुरू किया कि छोटे बच्चों के पास नूनू होती है और जब बच्चे बड़े हो जाते है तो उनकी नुनू… लंड बन जाती है।
फिर मैंने अरुण से कहा- अब तू अपने लंड को इस तरह आगे पीछे किया कर… इससे तुझे बहुत मजा आया करेगा!
मैंने उसके लंड को अपने हाथों में ले लिया और फिर उसके खड़े लंड को आगे पीछे करते हुए मुठ मारनी शुरू कर दी।
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अरुण काफी उत्तेजित हो रहा था… उसका लंड और लंड का सुपारा दोनों ही लाल पड़ गये थे। करीब दस मिनट बाद वह फिर से मेरे हाथों में झड़ गया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और अपने लंड को मेरे हाथों की मुट्ठी के बीच में रगड़ने लगा।
मैंने अरुण से पूछा- मजा आया?
तो अरुण मुस्कुराते हुए बोला- हां मम्मी… बहुत मजा आया…
मैंने उसे समझाया- यह चीज किसी को मत बताना और जब भी यह सब करना हो… तो बाथरुम में ही जाकर करना या फिर मुझे बता दिया करना!
उसके बाद अरुण कॉलेज चला गया।
शाम तक मेरे दोनों बच्चे कॉलेज से वापस आ चुके थे, फिर वे दोनों खेलने चले गए… रात को मेरे दोनों बेटे मेरे साथ सो गए।
अगले दिन अरुण मेरे पास आकर बोला- मम्मी… मैंने आज भी मुठ मारी और मुझे आज भी बहुत मजा आया!
और मुझे थैंक्स बोलते हुए मुझसे लिपट गया… वह मेरे ऊपर ही शरीर से एकदम चिपका हुआ था… जिससे मेरे मम्मे उसके शरीर में गड़ने लगे और फिर थोड़ी देर बाद वह खुद अलग हो गया।
शाम को जब मेरा छोटा बेटा खेलने गया हुआ था, तब मैंने उनके रूम में जाकर देखा तो अरुण अपने लंड को हाथ में लेकर हिला रहा था।
मैं उसके पास जाकर उसे टोकते हुए बोली- यह क्या कर रहे हो? मैंने तुम्हें यह सब सिखाया इसका मतलब यह नहीं कि तुम दिन भर इसी में लगे रहो!
फिर उसे समझाते हुए कहा- देखो अरुण… इसे ज्यादा मत करो, इससे सेहत पर भी असर पड़ सकता है।
तो अरुण ने कहा- सेहत पर इसका असर कैसे पड़ेगा मम्मी?
तो मैं उसे अपने कमरे में ले आई और उसको बताना शुरू किया…
मैंने उससे कहा- यह बहुत ही कीमती होता है और इसी से बच्चे पैदा होते हैं… अगर तुम बार बार यह सब करोगे तो तुम कमजोर हो जाओगे और फिर शादी के बाद तुम्हें और भी प्रॉब्लम हो सकती हैं।
अरुण मेरी बात को समझते हुए बोला- मम्मी… बच्चे कैसे पैदा होते हैं?
मैंने अरुण को सब बता दिया कि कैसे एक पति अपनी पत्नी के नग्न शरीर, उसके स्तन… उसकी नंगी चूत गांड को देखकर आकर्षित होता है। फिर पति अपनी पत्नी की चूत को चाटता है और पत्नी अपने पति के लंड को चूसती है… और फिर पति अपनी पत्नी की चूत में अपना लंड डालकर सम्भोग करता है और फिर उनके रस से एक सुंदर सा बच्चा पैदा होता है।
मेरी बात अरुण पूरी तरह से समझ चुका था और वह बोला- मम्मी… मैं अपने रस को ज्यादा व्यर्थ नहीं किया करूंगा!
पर वह बहुत उत्तेजित हो चुका था, अरुण मुझसे बोला- मम्मी… जिस तरह एक औरत अपने पति को अपना पूरा शरीर दिखा सकती है… क्या आप भी मुझे अपने बूब्स दिखा सकती हो?
और फिर वो मेरे बूब्स देखने की जिद करने लगा।
तो मैंने अरुण को गुस्से से डांट दिया और उससे कहा- एक मां बेटा ऐसा नहीं करते!
मैं वहां से उठ कर चली गई।
ऐसे ही दो तीन दिन बीत गए, नहाने के बाद अरुण मुझे छुप कर कपड़े बदलते हुए देखता था। उसे लगता था कि मुझे पता नहीं चलता.. पर मैं उसकी सभी हरकतों को नोट कर रही थी… मैं भी उसे सताने के लिये जब कपड़े बदलती थी तो उसकी तरफ पीठ कर लिया करती थी… और वो बेचारा अपने लंड को ही रगड़ता रह जाता था।
फिर कुछ दिन बाद मैंने शाम के समय अपने बेटों के कमरे में जाकर देखा तो मेरे दोनों बेटे आपस में मुठ मारने की बातें कर रहे थे… पर मेरे बड़े बेटे ने छोटे बेटे को यह नहीं बताया कि उसे यह सब किसने सिखाया।
मैं यह सब दरवाजे पर छुप कर देख रही थी, अरुण ने खुद का और अवि का पैंट उतार दिया और दोनों एक दूसरे के सामने ही कमर से नीचे तक बिल्कुल नंगे हो गए।
अरुण और अवि दोनों के लंड ही पूरी तरह से खड़े हो चुके थे… मेरे दोनों बेटों के ही लंड काफी बड़े और मोटे थे।
अरुण उठा, उसने अपने बैग में से एक मैगज़ीन निकाली जिसमें एक बिल्कुल नंगी लड़की का फोटो था, उसने वो फोटो ले जाकर अवि को दिखाया।
उस नंगी लड़की को देखकर दोनों के लंड किसी रॉड की तरह सख्त और लाल हो गए थे।
अरुण ने उस लडकी के नंगे मम्मों को देखते हुए अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, फिर अवि ने भी अरुण को देखते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद वो दोनों झड़ गये।
मैंने उस वक्त उन दोनों को कुछ बोलना ठीक नहीं समझा, मैं अपने रूम में वापस आ गई। मुझे अब कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करना चाहिए।

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#50
मां द्वारा बेटों को चुदाई की शिक्षा-2

अब तक आपने पढ़ा कि किस प्रकार मैंने अपने दोनों बेटों को मुठ मारना सिखाया और उन्हें वीर्य के इस्तेमाल के बारे में बताया।

अब आगे:
तो रात के समय मैंने अरुण को अपने पास बुलाया और उससे आज शाम को हुई घटना के बारे में पूछा तो अरुण बोला- मम्मी… ये सब तो मैं अवि को इसलिए बता रहा था ताकि वो भी इसका मजा ले सके! उसे भी ये सब करके बहुत अच्छा लगा।
पर अरुण बोला- मम्मी आप चिंता मत करो, मैंने अवि को यह नहीं बताया कि ये सब मुझे आपने सिखाया है।
उस समय तो मैं उसे कुछ नही बोल पाई पर अब मुझे सब कुछ सोच समझ कर करना था और शायद यही उन दोनों को चुदाई की शिक्षा देने का सही समय था।
अब मुझे कुछ ऐसा करना था कि इसकी पहल मेरे दोनों बेटों की तरफ से हो।
अगले दिन रविवार था और मेरे दोनों बेटे मेरे ही साथ बेड पर सो रहे थे। थोड़ी देर बाद अरुण अपने दोस्तों के साथ बाहर चला गया और अवि घर पर ही था।
अवि छोटा था तो वो मेरे सामने नंगा नहाने में नहीं हिचकिचाता था और कई बार तो मैं भी उसके सामने नंगी नहा लिया करती थी। मैंने अवि को उठाया और उससे अपने साथ ही नहाने के लिए कहा तो वो तैयार हो गया।
अवि बाथरूम में नंगा ही मेरे सामने खड़ा था, मुझे भी नहाना था तो मैं भी कपड़े उतारकर केवल पेंटी में ही उसके साथ नहा रही थी।
तभी दरवाजे पर अरुण की आवाज आई तो अवि दरवाजा खोलने चला गया।
अवि के साथ अरुण भी बाथरूम में आ गया और मुझे नंगी देखकर मेरे ही साथ नहाने बैठ गया। अब हम तीनों साथ में नंगे नहा रहे थे। अरुण ने पहली बार मुझे नंगी देखा था… तो मेरे उभरे हुए मम्मों के कारण उसका लंड तन चुका था और वो मेरे मम्मों को घूरे जा रहा था।
मैंने उन दोनों के शरीर को अच्छे से साबुन से धोया और फिर उन दोनों के लंड पर अपने दोनों हाथों से साबुन लगाने लगी। आज अवि का लंड भी खड़ा हो होने लगा था और उसके साथ ये पहली बार हो रहा था…वो भी पूरी तरह से उत्तेजित था…फिर मैं उन दोनों के लंडों को सहलाने लगी।
अवि मुझसे बोला- मम्मी, आप ये क्या कर रही हो?
तो मैंने उसे कहा- वही जो कल तुम दोनों भाई अंदर बैठकर कर रहे थे।
मेरी बात पर दोनों बिल्कुल चुप रहे…
पर अगले ही पल मैंने उनसे बोला- अगर कभी भी तुम दोनों को ऐसा करने का मन हुआ करे तो मेरे पास आ जाया करो! पर यह बात किसी को बताना मत!
तो वे दोनों खुश हो गए।
थोड़ी देर बाद दोनों मेरे ही हाथों में झड़ गये, झड़ने के बाद अवि ने भी वही सवाल किया- यह सफेद सफेद पानी क्या होता है?
तो मैंने अरुण से कहा- अरुण, तू अवि को सब बता देना कि यह क्या होता है और इससे क्या होता है।
मेरे दोनों बेटे नहा कर बाथरूम से बाहर चले गए, मैंने उन दोनों के वीर्य से अपने चेहरे को और अपने बदन को धोया और फिर मैं भी नहाकर बाहर आ गई।
अब मैं अपने दोनों बेटों को चुदाई की शिक्षा देने के लिए साथ में तैयार कर रही थी।
उसी शाम को मेरी ननद घर आई और अवि को अपने साथ उनके घर लेकर चली गई, घर पर अब मैं और अरुण ही थे!
रात को अरुण जब मेरे साथ लेटा हुआ था तो मैंने अरुण से पूछा- कल तूने अवि को भी मुठ मारना सिखा दिया पर तेरे हाथ में वो किताब कौन सी थी?
अरुण चुप रहा पर मेरे जोर देने पर वो बोला- मम्मी, आप कभी अपने बूब्स नहीं दिखती थी.. पर मेरा बूब्स देखना का बहुत मन करता था.. तो मैं इस किताब में से नंगी लड़कियों को देखकर मुठ मारता हूँ।
अरुण की बात सुनकर मैंने उससे बोला- पहले मुझे वह किताब ला कर दो!
तो अरुण भाग कर अपने रूम में गया और वहां से वह मैगजीन उठा लाया, उसने वो मैगजीन लाकर मेरे हाथ में थमा दी।
मैंने उस मैगजीन को खोलकर देखा तो उसमें बहुत सारी लड़कियों की नंगी तस्वीरें थी।
मैंने उस मैगजीन को उठाकर अपनी अलमारी के अंदर रख दिया और वापस आकर अरुण के पास बैठ गई।
अरुण मुझसे बोला- मम्मी, मुझे वह मैगजीन वापस चाहिए? आप तो कुछ दिखाती नहीं हो तो मुझे इन्हीं को देखकर अपना काम चलाना पड़ता है।
मैं अरुण को प्यार करते हुए बोली- मेरा बेटा नाराज है… मैंने आज सुबह ही तो बाथरूम में तुझे नहलाया था तब देख तो लिया था तूने मेरे बूब्स को?
तो वह कुछ नहीं बोला।
तब मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने मम्मों पर रख दिया… तो अरुण बिल्कुल पागलों की तरह मुझे देखने लगा।
मैंने उससे कहा- ऐसे क्या देख रहा है मुझे? पर अब जैसा मैं कहूं वैसा ही करना!
तो अरुण मान गया।
मैंने उसके सामने अपना ब्लाउज और फिर अपनी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही मेरे दोनों मम्मे अरुण के सामने खुलकर आजाद हो गए और अरुण ने अपने दोनों हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया, मुझसे बोला- मम्मी… क्या मैं आपके बूब्स दबा सकता हूँ?
तो मैंने उसे हां बोल दिया।
अरुण ने अपने हाथों से मेरे मम्मों को मसलना शुरु कर दिया और फिर धीरे-धीरे वो मेरे मम्मों को चाटने लगा। उसको मेरे मम्मे दबाने में बड़ा मजा आ रहा था और अब मुझे भी पूरी तरह से मजा आने लगा था।
अरुण एक हाथ से मेरे एक मम्मे को दबा रहा था और दूसरे मम्मे को चाट रहा था।
धीरे धीरे मेरा हाथ अरुण के लंड पर पहुंच गया… उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। मैंने अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
तो अरुण मुझसे बोला- मम्मी… यह आप क्या कर रही हो?
तो मैंने अरुण से कहा- वही जो तू रोज करता है!
अरुण मेरी बात नहीं समझ पाया।
तो मैंने उससे कहा- आज मैं तुझे सब बता दूंगी!
मैंने अरुण से कपड़े उतारने के लिए कहा तो वह कपड़े उतार कर मेरे सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया… उसका लंड अब और भी ज्यादा लंबा लग रहा था। शायद मेरे नंगे बदन को देख कर वह काफी उत्तेजित था।
मैंने भी उसके सामने अपनी साड़ी उतार दी और फिर अपनी पेंटी भी उतार दी… अब मां बेटे के सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।
मुझे नंगी देख कर अरुण ने अपना लंड सहलाना शुरु कर दिया… वह मेरे नंगे शरीर को निहारे जा रहा था… उसकी नजर मेरी नंगी चूत और गांड पर ही थी।
जैसा कि मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि मैंने अरुण को चुदाई के बारे में पहले ही सब बता दिया था। मैं बिस्तर पर जाकर सीधे लेट गई और फिर अरुण से अपने ऊपर लेटने के लिए बोला, मैंने उसे कहा- अपने सिर को मेरे पैरों की तरफ रखना और अपने पैरों को मेरे सिर की तरफ!
अरुण वैसे ही आकर मेरे ऊपर लेट गया… मैंने अरुण से अपनी चूत चाटने के लिए बोला तो अरुण मेरी चूत चाटने लगा और मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर मैंने अरुण से चूत के अंदर दो उंगली डालने के लिए कहा।
अरुण ने वैसा ही किया, उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत के अंदर घुसा दिया और उन्हें अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद अरुण मेरे मुंह के अंदर ही झड़ गया, उसका सारा रस मेरे मुंह के अंदर भर गया जिसे मैंने निगल लिया।
अरूण अभी भी अपनी उंगलियों को मेरी नंगी चूत के अंदर बाहर कर रहा था, मैं भी झड़ने वाली थी तो मैंने अरुण को अपने से अलग कर दिया और फिर हम दोनों उठ कर बैठ गए।
तब अरुण बोला- मम्मी… आज मुझे सबसे ज्यादा मजा आया और आपने मेरा वीर्य भी पी लिया।
मैंने अरुण की बात का जवाब देते हुए कहा- अभी तो यह शुरुआत हुई है, आगे और भी ज्यादा मजा आएगा!
फिर मैंने अरुण के लंड को दोबारा सहलाना शुरु कर दिया जिससे उसका लंड दोबारा तन गया।
अब मैंने अरुण को तेल की शीशी लाने के लिए कहा तो वह उठ कर तेल की शीशी ले आया।
मैंने अपने हाथों पर तेल लेकर अरुण के लंड पर मलना शुरु कर दिया तो अरुण ने मुझसे पूछा- मम्मी, अब आप आगे क्या करने वाली हो? और आप मेरे लंड पर तेल क्यों लगा रही हो?
मैंने कहा- बेटा, अब तेरा लंड मैं अपनी चूत के अंदर डलवाने वाली हूं… और तेल की मालिश इसलिए कर रही हूं क्योंकि पहली बार लंड को चूत के अंदर डालते समय लंड की टोपी की खाल थोड़ी खिंचने लगती है जिससे दर्द होता है… पर तेल लगाने से लंड बिना किसी दर्द के बिल्कुल आराम से चूत के अंदर चला जाता है।
मैंने अरुण से कहा- मेरा राजा बेटा क्या अब मेरी चुदाई के लिए तैयार है?
तो उस ने कहा- हाँ मम्मी… पूरी तरह से!
मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, मैंने फिर अरुण को अपने ऊपर लिटाया और उसके लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने लगी क्योंकि अरुण बिल्कुल नया खिलाड़ी था और यह उसकी सबसे पहली चुदाई थी, इस पूरी चुदाई के दौरान मुझे ही सारी सावधानियां बरतनी थी।
अरुण के लंड को अपनी नंगी चूत पर सेट करने के बाद मैंने उसे अंदर की तरफ धक्के लगाने के लिए कहा तो अरुण धीरे धीरे धक्के देने लगा।
पहले धक्के में अरुण के लंड का सुपारा मेरी चूत में घुस गया और फिर मैंने उससे जोर के धक्के लगाने के लिए कहा तो उसने फिर एक जोरदार धक्का मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया।
मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकल गई, अरुण ने फिर एक जोरदार धक्का मारा और उसका पूरा सात इंच का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ सीधा अंदर घुस गया…मैं दर्द से चीख पड़ी… दर्द के कारण मेरे मुँह से जोरों से ‘ओईई..ई.. माआआ.. मर गगई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह.. आऊह… ओह…’ की आवाज़ें आ रही थी।
क्योंकि आज बहुत दिनों बाद मेरी चूत के अंदर कोई लंड गया था… और वह भी काफी लंबा और मोटा था… मेरे मुंह से चीख निकलते ही अरुण डर गया, मुझसे बोला- क्या हुआ मम्मी… अगर आपको दर्द हो रहा हो तो मैं अपना लंड निकाल लेता हूं।
मैंने उससे कहा- मुझे कुछ नहीं हुआ, मैं ठीक हूं।
फिर मैंने अपने बेटे को मेरी चूत में धक्के लगाने के लिए कहा… तो अरुण अपने लंड को बाहर करके अंदर की तरफ धक्के देने लगा, मैं भी अपनी गांड और कमर उठा कर उसके हर धक्कों का जवाब दे रही थी और मजे से उसके लंड से चुद रही थी।
मैं सीत्कार रही थी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. ओऊहहह.. चोददो मुझे.. आहह ओहह माआ.. और जोरर से चोदददो… फक्कक मीईई…
कुछ देर की चुदाई के बाद मैं अपने चरम पर थी तो मैं अरुण को और तेज… और तेज… कहते हुए झडने लगी, उसने भी अपने धक्कों की गति को बढ़ा दिया।
अरुण मुझसे बोला- मम्मी, मेरा भी होने वाला है!
और वह भी मेरे ही साथ झड़ने लगा, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया, वो अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर छोड़ने लगा और मेरे ऊपर लेट गया।
दस मिनट बाद अरुण उठा, उसने मेरे होंठों पर किस किया और मेरे बगल में लेट गया।
मैंने चौंक कर अरुण से पूछा- तू किस करना कैसे सीख गया?
तो अरुण बोला- मम्मी.. मैंने पिक्चरों में यह सब देखा है.. तो मैं वहीं से सीख गया!
और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा।
थोड़ी देर बाद जब मैंने अरुण को देखा तो उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था… मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा- अरुण, यह तो फिर से खड़ा हो गया है।
अरुण बोला- मम्मी, लगता है इसे आपकी चूत बहुत पसंद आई है.. शायद इसलिए यह दोबारा आपकी चूत के अंदर जाना चाहता है!
वह दोबारा मेरे ऊपर आकर लेट गया।
उस रात मैंने और अरुण ने तीन-चार बार चुदाई की और हर बार अरुण ने मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।
अगले दो दिन तक बिलकुल यही सिलसिला रहा। अरुण दोपहर को कॉलेज जाता और कॉलेज से आकर हम दोनों चुदाई किया करते थे।
तीसरे दिन अवि घर पर आ गया तो अब अरुण रात को मुझे नहीं चोद पाता था…
तो मैं अवि को भी अपने इस चुदाई के खेल में जोड़ने के बारे में सोचने लगी।
आगे की कहानी अगले भाग में…
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#51
मां द्वारा बेटों को चुदाई की शिक्षा-3

अब तक आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने बड़े बेटे अरुण को पटाया और उसको चूत चुदाई सिखाई।

अब आगे:
अगले कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, अवि के कॉलेज जाने के बाद अरुण मेरी चुदाई करता और फिर वह भी कॉलेज चला जाता था।
शाम तक मेरे दोनों बेटे वापस आ जाते थे और फिर दोनों खेलने चले जाते थे।
एक दिन जब अवि कॉलेज गया था, उस समय मैं झुककर जमीन से कुछ सामान उठा रही थी। मैंने उस वक्त एक ढीला सा गाउन पहना हुआ था जिस कारण मेरी गांड बाहर को उभर आई थी।
तभी अरुण पीछे से आकर मेरी गांड से चिपक गया और अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ने लगा।
मैंने मुस्कुराकर अरुण से कहा- उठ गया मेरा राजा बेटा…
तो अरुण बोला- हां मम्मी… मैं भी उठ गया और मेरा लंड भी उठ गया है!
उसने मेरे गाउन को पकड़कर मेरी जांघों से ऊपर उठाकर मेरी कमर तक ऊपर उठा दिया।
मैंने अंदर पेंटी नहीं पहनी थी जिस वजह से मेरी कमर से नीचे तक का हिस्सा बिल्कुल नंगा हो गया और मेरी गांड और चूत दोनों अरुण के सामने बिल्कुल नंगे हो गए।
फिर अरुण ने घुटनों के बल बैठ कर मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया, मेरे झुके होने के कारण मेरी गांड का छेद भी खुल गया था जिसे अरुण एकटक निहारे जा रहा था।
तभी मैं उठ कर सीधी खड़ी हो गई और दीवार से जाकर टिक गई। अरुण का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मेरी चूत भी पानी उगल रही थी। अरुण ने अपनी चड्डी उतारी और उठ कर रूम में गया और अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाकर वापस आ गया।
फिर उसने आकर अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखा और तुरंत ही अपने लंड को मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया और जोरदार धक्कों के साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया।
इस जोरदार चुदाई के कारण मेरे मुंह से सिसकारी निकल रही थी, मैं आह… अरुण… और जोर से चोदो मुझे…’ करते हुए सिसकारने लगी।
ज्यादा देर तक खड़े रहने के कारण हम दोनों की टांगें दुख रही थी तो मैंने अरुण से कहा- चल बेटा, आगे की चुदाई हम बिस्तर पर लेट कर करेंगे।
अरुण मेरे साथ उठकर बिस्तर पर चल दिया।
मैंने अरुण को चोदने की लगभग सारी पोजीशन सिखा दी थी। बेड पर लेटते ही मैं घोड़ी बन गई और अरुण पीछे से आकर अपने लंड को मेरी चूत के अंदर धकेलने लगा, अगले ही धक्के में अरुण का लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए अंदर घुस गया।
मैं दर्द से कराह उठी, मैंने अरुण से कहा- बेटा… जरा धीरे कर, मुझे दर्द होता है!
तो अरुण ने कहा- सॉरी मम्मी!
और अरुण अपने लंड को तेजी से मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गई और अरुण भी मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया, उसका गर्म वीर्य मेरी उबलती हुई चूत के अंदर बह रहा था।
उसके बाद मैं बिस्तर पर उल्टी ही लेट गई और अरुण मेरे ऊपर लेट गया। अरुण का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर था।
मैं अरुण से बोली- चलो अब हम दोनों नहा लेते हैं, तुझे कॉलेज भी जाना है!
हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए, अरुण का लंड मेरी चूत से बाहर निकलते ही मेरी चूत से उसका वीर्य बह कर बाहर आने लगा।
हम दोनों उठ कर बाथरूम की तरफ चल दिए।
बाथरूम में पहुंच कर मैंने अपना गाउन उतार दिया और बिल्कुल नंगी हो गई, मेरे मम्मे भी खुलकर एकदम आजाद हो गए और फिर अरुण भी कपड़े उतार कर नंगा हो गया।
बाथरूम में जब मैं अरुण को नहला रही थी तो उसका लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैं अपने हाथों में साबुन लेकर अरुण के लंड पर मलने लगी और अरुण से बोली- तेरा कभी मन नहीं भरता क्या?
अरुण बोला- मम्मी, क्या करूं… आपको नंगी देख कर मुझसे रहा ही नहीं जाता!
फिर अरुण ने कहा- मम्मी, क्या एक बार और मैं आपको चोद सकता हूँ?
मैंने कहा- नहीं बेटा, अब बाद में करेंगे… वरना तू कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा।
तो अरुण बोला- मम्मी, मेरा लंड खड़ा है तो आप मेरी मुट्ठी मार दो ना?
मैंने हंसते हुए अरुण के लंड को अपने हाथों में पकड़ा और उसे हिलाने लगी।
अरुण के लंड को सहलाते वक्त मैंने अरुण से कहा- अरुण, तू तो मजा ले लेता है… पर बेचारा अवि… उसे यह सब कौन सिखाएगा… उसे तो अभी कुछ पता ही नहीं है।
अरुण बोला- मम्मी, आप उसे भी यह सब सिखा दो ना?
मैंने कहा- सिखा तो दूंगी पर कहीं वह मुझे गलत न समझने लगे?
अरुण बोला- मम्मी, मैं रोज रात को सोते वक्त अवि की मुठ मारता हूं और वह भी मेरी मुट्ठ मारता है।
मैंने अरुण से कहा- तुम दोनों मेरे ही साथ सोते हो पर मुझे तो कभी पता ही नहीं चला और मैंने तुम दोनों से यह भी कह रखा है कि जब तुम दोनों का मुठ मारने का मन हुआ करे तो मुझे बता दिया करो.. पर अवि ने तो मुझे कभी नहीं बताया।
अरुण बोला- मम्मी, अवि आपसे यह सब बोलने में शर्माता है और मैंने आपको यह इसलिए बताया ताकि आज जब मैं और अवि एक दूसरे की मुट्ठ मारेंगे तब मैं आपको जगा दूंगा, फिर आप अभी को भी यह सब सिखा देना और उसे कुछ भी गलत नहीं लगेगा, मैंने एक बार आपके कहने पर उसे चुदाई के बारे में भी सब बता दिया था।
मैंने मुस्कुराते हुए अरुण से कहा- मेरा बेटा तो बड़ा ही समझदार हो गया है।
तभी अरुण बोला- मम्मी… मैं झड़ने वाला हूँ!
मैंने अरूण के लंड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी… थोड़ी ही देर बाद अरुण मेरे मुंह में झड़ गया, मैंने उसका सारा वीर्य निगल लिया।
फिर मैंने अरुण को नहला कर बाथरुम के बाहर भेज दिया और मैं भी नहा कर बाहर आ गई, फिर तैयार होकर अरुण कॉलेज चला गया।
शाम तक मेरे दोनों बच्चे वापस आ गए।
रात को खाना खाकर हम तीनों बिस्तर पर आकर सोने लगे, अरुण मेरी बगल में लेटा हुआ था, उसने धीरे से मेरे कान में कहा- मम्मी, आप तैयार हो जाओ!
इतना कहकर उसने अवि की तरफ करवट ले ली और कुछ देर बाद वे दोनों एक दूसरे के लंड सहलाने लगे।
वे दोनों एक दूसरे के लंड को अपने हाथों में लेकर हिला रहे थे जिससे बिस्तर भी थोड़ा थोड़ा हिलने लगा।
तभी अरुण ने अवि से बोला- अवि मैंने तुझे चुदाई के बारे में सब बता दिया है तो क्या तेरा मन नहीं करता किसी को चोदने का?
अवि ने कहा- हां भैया… मेरा चुदाई करने का बहुत मन करता है पर कर भी किसके साथ सकता हूं?
तो अरुण बोला- मम्मी के साथ तो कर सकता है ना!
अवि बोला- वो कैसे?
तो अरुण ने उसे कहा- देख तू मम्मी से बोलना कि मम्मी आप मुझे शादी के बाद जो करते हैं, वो सिखा दो।
अवि बोला- नहीं, मुझे शर्म आती है! और अगर मम्मी ने मना कर दिया तो?
तो अरुण ने कहा- हमारी मम्मी बहुत अच्छी है, वो सिखाने के लिए कभी मना नहीं करेंगी।
तभी अवि ने अरुण से पूछा- भैया, आपको चुदाई के बारे में इतना सब कैसे पता है, आपको यह सब किसने सिखाया?
तो अरुण ने बेहिचक अवि से कहा- मुझे भी ये सब मम्मी ने ही सिखाया है।
अवि ने चौंकते हुए अरुण से पूछा- तो क्या आपने मम्मी के साथ चुदाई भी की है?
अरुण ने कहा- हाँ… मम्मी ने ही मुझे चोदना सिखाया और वो तो तुझे भी सिखाना चाहती है पर तू तो उनसे शर्माता है।
तभी मैं बिस्तर से उठी, कमरे की लाइट चालू की, फिर मैं उन दोनों के नंगे लंड देख कर बोली- अच्छा… तो तुम दोनों इतनी रात को एक दूसरे की मुठ मार रहे हो?
तो वे दोनों मेरी तरफ देखने लगे… अवि थोड़ा डर गया था पर अरुण फिर भी अवि के लंड को सहला रहा था।
मुझे देखकर अवि अरुण को खुद से दूर करने लगा और उसने अपना हाथ अरुण के लंड से हटा दिया पर अवि का लंड अभी भी अरुण के हाथ में ही था।
वो दोनों उठकर बैठ गए और मैं उनके बगल में जाकर बैठ गई, दोनों के लंड पूरी तरह से खड़े थे और लाल पड़ चुके थे।
मैंने उन दोनों से कहा- क्या हुआ? रुक क्यों गये? अपना काम जारी रखो!
तो अवि ने मुझसे कहा- मम्मी, आप कब जागी?
तो मैंने अवि से कहा- बस अभी ही मेरी नींद खुली।
अवि को लग रहा था कि मैंने उन दोनों की कोई बात नहीं सुनी तो वो थोड़ा सहज हो गया। पर अब उसे पता चल चुका था कि अरुण मेरी चुदाई कर चुका है।
वो दोनों एक दूसरे से अलग होकर बैठ गए और मैं उनके सामने बैठी हुई थी।
मैंने अरुण की तरफ देखा तो उसने मुझे आँख मार कर आगे बढ़ने का इशारा किया।
उन दोनों की चड्डी जांघो तक नीचे उतरी हुई थी।
अवि मेरे ज्यादा नजदीक बैठा हुआ था तो मैंने उसे कहा- अवि, तेरा मुठ मारने का इतना ही मन करता है तो मुझसे क्यों नहीं बोलता? तू अपने भाई से मुठ मरवा सकता है पर मुझसे भी तो बोल सकता है।
अवि बोला- मम्मी, मुझे आपसे बोलने में शर्म आती है!
तो मैंने अवि के खड़े लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी।
अवि चुप हो गया और उत्तेजित होकर अपनी मुठ मरवाने लगा।
तभी अरुण भी उठकर मेरे पास आकर बैठ गया और मेरे एक हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।
मैं समझ गई कि अरुण क्या चाहता है, मैं एक हाथ से अरुण के लंड को भी सहलाने लगी, मेरे दोनों बेटों के लंड मेरे दोनों हाथों में थे।
तभी अरुण ने मुझसे कहा- मम्मी, आज अवि बोल रहा था कि उसे इसके आगे भी सीखना है.. तो मैंने इसे बता दिया कि मम्मी ने मुझे तो सिखा दिया है अगर तुझे भी सीखना हो तो मम्मी को बोल देना।
मैंने अवि की तरफ देखकर पूछा- अवि तुझे भी चुदाई सीखनी है क्या?
तो वो मुस्कुरा कर बोला- हां मम्मी… मेरा भी चुदाई सीखने का मन करता है।
मैंने अवि से कहा- अगर तू पहले ही मुझसे बोल देता तो मैं तुझे पहले ही ये सब सिखा देती… पर कोई बात नहीं, अब मैं तुझे सब सिखा दूंगी… और मुझसे शर्माना छोड़ दे, बचपन से मेरी गोदी में नंगा खेला है तू!
मैंने अपने दोनों लड़कों से कपड़े उतारने के लिए कहा, वे दोनों पूरे नंगे हो गए, मैं भी अपना गाउन उतार कर ब्रा पेंटी में उनके सामने बैठ गई।
मैंने कहा- अरुण, तू मेरी ब्रा उतारेगा और अवि तू मेरी पेंटी उतारेगा!
मैं उन दोनों के बीच आकार बैठ गई।
उन दोनों ने मेरी ब्रा और पेंटी उतार कर मुझे पूरी नंगी कर दिया।
अब हम तीनों एक दूसरे के नंगे शरीरों को निहार रहे थे।
फिर मैंने अवि को अपनी टांगों के बीच बैठाया और उससे मेरी चूत चाटने के लिए कहा तो वो मेरी चूत के पास आकर अपना मुंह और नाक मेरी चूत पर रगड़ने लगा और मेरी चूत पर जीभ फिराने लगा।
अरुण मेरे बगल में बैठा हुआ यह सब देख रहा था तो मैंने अरुण से बोला- अरुण जा तेल या क्रीम की डिब्बी ले आ…
वह उठकर क्रीम की डिब्बी ले आया।
मेरी फुद्दी से भी पानी रिसने लगा था तो मैंने अवि से कहा- अवि, अब आगे के लिए तैयार हो जाओ!
मैंने अरुण से कहा- अरुण, तू अवि के लंड पर जाकर क्रीम लगा दे और उसे आगे का सब बताते रहना!
अरुण ने उठकर मेरे होठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया और अवि के पास चला गया। अवि भी यह देखकर हँसने लगा।
फिर अरुण ने अवि का लंड अपने हाथ में लिया और उस पर क्रीम लगाने लगा, अरुण ने अवि के सुपाड़े पर बहुत सी क्रीम लगा दी थी क्योंकि उसे पता था कि पहली बार में दर्द होता है।
मैंने अवि से कहा- अवि… अब मेरे ऊपर आकर लेट जाओ और अपने लंड को मेरी चूत के अंदर धीरे धीरे डालो!
अवि मेरे ऊपर आकर लेट गया, हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे के बदन का स्पर्श कर रहे थे।
अवि का चेहरा मेरे मम्मों पर आ रहा था तो अवि मेरे मम्मों के बीच अपना चेहरा रगड़ने लगा और फिर मेरे मम्मों को दबाने और चाटने लगा।
फिर अरुण ने अवि के लंड को पकड़कर मेरी चूत के छेद पर लगाया और अवि ने अपने लंड को चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया।
अवि के लंड का सुपारा चूत के अंदर घुसते ही वो हल्की सी आवाज में कराह उठा ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ अवि?
तो अवि ने कहा- मुझे हल्का सा दर्द हो रहा है मम्मी!
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मैंने उससे कहा- कुछ नहीं होगा… पहली बार में सबको ऐसा होता है!
और उससे लंड को अंदर घुसेड़ने के लिए कहा।
अवि ने अपने दोनों हाथों को मेरे मम्मों के बगल से खड़े करके उनके बल ऊपर उठकर दम लगाने लगा जिससे हमारे शरीरों के बीच थोड़ी दूरी हो गई थी।
फिर धीरे धीरे अवि ने अपना पूरा लंड मेरी चूत की खाई में उतार दिया और आगे पीछे होकर झटके देने लगा। अब अवि अपने लंड से मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी उत्तेजित होकर सिसकारियाँ ले रही थी और अपनी कमर उठा उठा कर अवि से चुद रही थी।
अरुण वहीं खड़ा होकर हमारी चुदाई देख रहा था तो मैंने इशारा करके उसको अपने पास बुलाया और उसके मुंह को पकड़ कर अपने मम्मो पर रख दिया।
अरुण मेरे मम्मों को अपने मुंह में लेकर उनका दूध पीने लगा और उन्हें मसलने लगा।
अवि का जोश बढ़ाने के लिए मैं सिसकारती हुई बोली- आहहह अवि… मेरे प्यारे बेटे… और जोर से चोदो मुझे.. आआहहह… अवि चोदो मुझे… हां ऐसे ही… और जोर से चोदो अपनी मम्मी को!
अपनी गति को बढ़ाते हुए और मुझे चोदते चोदते अवि मेरी ही चूत में झड़ने लगा और काँपते हुए मेरे ऊपर गिर गया।
मां बेटे की चूत चुदाई की कहानी जारी रहेगी। आपको कहानी कैसी लग रही है। आप नीचे कमेंट्स कर सकते हैं
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#52
मां द्वारा बेटों को चुदाई की शिक्षा-4

मैं अपने छोटे बेटे को चूत चुदाई करना सिखा रही थी अपनी चूत उससे चुदवा कर… मेरा बड़ा बेटा पास खड़ा देख रहा था।

यह अवि की पहली चुदाई थी तो वो जल्दी झड़ गया और फिर अपने लंड को मेरी चूत से निकालकर मुझसे अलग होकर मेरे बगल में लेट गया।
मैंने उठकर अवि के माथे पर एक चुम्बन किया और उससे पूछा- कैसा लगा अवि?
अवि बोला- मम्मी, मजा तो बहुत आया पर मैं बहुत थक गया हूं!
तो मैंने अवि से कहा- कोई बात नहीं, अब तू आराम कर!
अरुण अभी भी मेरे मम्मों को सहला और मसल रहा था, उसका लंड मेरी चुदाई के लिए बेक़रार हो रहा था… और फिर मैं भी अभी तक झड़ी नहीं थी।
अवि के हटते ही अरुण मुझसे लिपट गया, बोला- मम्मी, अब मेरी बारी है आपको चोदने की! अवि और आपकी चुदाई देख कर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है!
मैंने अरुण से कहा- तो तुझे रोका किसने है?
मेरे इतना बोलते ही अरुण ने मेरे होठों को अपने मुंह में लेकर चूमना शुरू कर दिया, उसका एक हाथ मेरे मम्मों पर था और दूसरे हाथ से उसने अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाया और एक ही धक्के में उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया, मेरी चीख मेरे मुंह में ही घुटकर रह गई।
अरुण ने मेरी चूत की जोरदार ठुकाई शुरू कर दी।
मेरी चूत पहले से ही अवि के वीर्य से भरी हुई थी जिस कारण अब बैडरूम में फच फच… और मेरी सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी।
हम दोनों की चुदाई देखकर अवि का लंड फिर से खड़ा हो गया, वो अपने एक हाथ से मेरे मम्मों को सहलाने लगा। अवि का लंड फिर से पूरा तन चुका था।
मैंने मुस्कुराते हुए अवि से बोला- एक राउंड और लेना है क्या?
तो अवि ने हां कर दी।
मैंने सोचा कि क्यों ना अवि से अपनी गांड मरवा ली जाए… और फिर दोनों मुझे एक साथ चोदेंगे। तो मैंने अरुण से चुदाई रोकने के लिए कहा और अरुण को खुद से अलग कर दिया, फिर मैंने उठकर अवि के लंड पर फिर से क्रीम मल दी और फिर ढेर सारी क्रीम अपनी उंगलियों पर लेकर अपनी गांड के छेद पर लगा ली।
अरुण समझ चुका था कि अब मम्मी अवि से अपनी गांड मरवाने वाली है।
मैंने अरुण को अपने नीचे लेटाया और खुद उसके ऊपर जाकर उसकी कमर पर बैठ गई। मैंने अरुण के लंड को अपनी चूत पर लगाया और फिर धीरे धीरे उस पर बैठने लगी जिस वजह से अरुण का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया और फिर मैंने अपने शरीर का आगे का भाग अरुण के शरीर पर रख दिया जिस वजह से मेरी गांड पीछे की तरफ उभर आई और मेरी गांड का छेद खुल गया।
अब मैंने अवि को बुलाया, उसे मेरे पीछे घुटनों के बल बैठने के लिए कहा तो वह उठकर मेरे पीछे बैठ गया और अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर लगाकर उसे अंदर धकेलने लगा।
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मैंने कभी अपनी गांड नहीं मरवाई थी जिस वजह से मेरी गांड का छेद बहुत कसा हुआ था तो मैं अवि से बोली- अवि बेटे, जरा धीरे करना, नहीं तो मम्मी को बहुत दर्द होगा!
तो अवि बोला- ठीक है मम्मी!
क्रीम लगी होने की वजह से अवि का सुपारा आसानी से मेरी गांड में घुस गया और फिर वो धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगा। नीचे से अरुण भी मेरी चूत की चुदाई कर रहा था, मेरी कमर ऊपर उठी हुई थी जिससे अरुण का लंड आसानी से मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
अवि अपने सुपारे से ही मेरी गांड को चोद रहा था और फिर उसने एक जोरदार धक्का मारा… तो उसका लगभग चार इंच लंड मेरी गांड में घुस गया।
मैं जोर से चीख पड़ी- ओईई..ई… माआआ… मर गगई… आहहह… अवि… बोला… था..ना… जरा धीरे कर… फाड़ दी ना मेरी.. गांड… आआहहह… उउईई…
अवि ने कुछ नहीं कहा, मुझे भी पता था कि गांड मरवाने में दर्द होगा पर फिर भी मैं चुदासी हो रही थी। मैंने अपने दोनों बेटों से रुकने के लिए कहा, फिर थोड़ी देर बाद जब दर्द बंद हुआ तो वे दोनों फिर मुझे चोदने लगे।
अवि ने अपने उतने ही लंड को मेरी गांड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और फिर मैं भी उत्तेजित होकर अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लंड को चूत और गांड में ले रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगी- ऊफ्फ… आआहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह… ओऊह… चोददो ममुझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर… से चोदद दो फक… मीईई…
अरुण भी मेरे ही साथ मेरी चूत के अंदर ‘आहहह… मम्मी… मै..भी… गया…’ बोलते हुए झड़ने लगा।
अवि अभी भी मेरी गांड मार रहा था, वो भी मेरी गांड को भींचते हुए मेरी तरफ झटके खाते हुए मेरी गांड के अंदर झड़ गया।
मेरे दोनों छेद मेरे बेटो के वीर्य से सराबोर हो गए थे और फिर उन दोनों ने अपने लंड बाहर निकाल लिए और मैं उन दोनों के बीच में जाकर लेट गई।
मेरी चूत और गांड से बह रहे वीर्य से चादर गीली हो रही थी। हम तीनों वैसे ही नंगे आपस में लिपटकर सो गए।
उस दिन के बाद से हम सब लोग घर में नंगे ही रहने लगे और रात को भी बिल्कुल नंगे ही सोते थे। अब अरुण और अवि जिसका भी जब मन करता है, वो मेरी चुदाई कर लेता है और गांड भी मार लेता है, मैं उनसे कभी मना नहीं करती हूं। रात को हम तीनों मिल कर एक साथ चुदाई करते है।

end
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#53
बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा-1

मुकुल राय बिहार के छोटे से शहर का रहने वाला है। वह सरकारी नौकरी में हैं। उसकी बीवी मिशाली एक बैंक में काम करती है। जो सुबह 9 बजे चली जाती है और शाम तक बैंक में ही रहती है। मुकुल राय की एक बेटी है जिसका नाम परीशा है।

परीशा एक खिलती हुई कली है। बेहद खूबसूरत परीशा पर जवानी कुछ ज्यादा ही मेहरबान है, उसका हर अंग सांचे में ढला हुआ है। मुकुल राय अपनी बेटी से बहुत प्यार करता है। मुकुल राय को सेक्सी कहानियां पढ़ने का बहुत शौक है। इन कहानियों में भाई बहन, मां बेटे, और बाप बेटी की कहानियां पढ़ कर धीरे-धीरे उसका नजरिया बदलने लगता है और उसकी बेटी के प्रति उसका नजरिया धीरे-धीरे बदलने लगता है।
वह अपनी बेटी की जवानी को हासिल करने के लिए तड़पने लगता है। वह जब भी अपनी बेटी को कम कपड़ों में देखता है उसका लंड खड़ा हो जाता है। बीवी तो सुबह ही बैंक के लिए चली जाती है। लेकिन मुकुल राय अपनी बेटी की कच्ची जवानी देख देख कर अपने लंड को सहलाता रहता है।
मुकुल राय एक दिन सुबह परीशा के कमरे के बाहर से गुजर रहा था कि उसे फोन पर बात करने की आवाज सुनाई दी।
परीशा- नहीं … नहीं सर प्लीज सर।
फिर उधर से कुछ कहा गया।
परीशा- प्लीज सर … ओके मैं आ रही हूँ।
इतना सुनकर मुकुल राय को शक हो गया की जरूर दाल में कुछ काला है। वह परीशा को ऑफिस जाने को कहकर जल्दी ही घर से निकल गया। बाहर आकर मेन रोड पर एक दुकान में बैठकर चाय पीने लगा।
कुछ ही देर बाद परीशा घर से कॉलेज ड्रेस में जाती दिखाई दी। जबकि अभी कॉलेज जाने में बहुत देर था। इतना पहले वह क्यों जा रही है। मुकुल राय उसका पीछा करने लगा। कॉलेज ज्यादा दूर नहीं था, यही कोई 1 किलोमीटर था।
परीशा कॉलेज में घुस गई अभी कॉलेज में कोई नहीं आया था।
परीशा सीधे ऊपर चली गई। ऊपर लिखा था ओनली फॉर स्टाफ। मुकुल राय भी छुपकर ऊपर चला गया। वह धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था तभी उसे परीशा की आवाज एक कमरे से सुनाई दी।
मुकुल राय ने जल्दी से अपने मोबाइल को साइलेंट किया और उसकी कैमरे की लाइट बंद करके कैमरा चालू कर दिया।
फिर वह उस रूम की खिड़की तक पहुँचा और खिड़की की झिरी से देखा कि एक 50 साल की उम्र का आदमी खड़ा था। वह परीशा का टीचर था और परीशा उसके आगे बैठकर उसका लंड सहला रही थी।
खिड़की पुरानी थी जो लकड़ी की बनी हुई थी इसलिए उसमें झिरी बन गई थी। मुकुल राय ने खिड़की को थोड़ा सा दबाया तो मालूम पड़ा कि वह खुली हुई थी। उसने मोबाइल का वीडियो कैमरा चालू करके उन लोगों की तरफ करके मोबाईल अंदर रख दिया, फिर दरार से देखने लगा।
अब टीचर ने परीशा को अपने लंड को चूसने को बोला। लेकिन परीशा बार बार मना कर रही थी। लेकिन जब टीचर ने गुस्से में धमकी दी तो परीशा मज़बूरी में उसका लंड चूसने लगी। अब वह टीचर परीशा के बालों को पकड़कर उसके मुँह में अपना लंड पेलने लगा।
साथ ही साथ उसने परीशा की स्कर्ट के बटन को खोलकर उसकी छोटी छोटी चूचियों को भी मसलने लगा। अब परीशा भी धीरे धीरे गर्म होने लगी थी क्योंकि अब वह भी उसके मोटे लंड को मज़े से चूस रही थी।
टीचर तो इतना गर्म हो गया था कि परीशा के मुँह में ही झड़ गया। जिसे परीशा ने फर्श पर थूक दिया और अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकल गई।
मुकुल राय ने भी अपना मोबाइल निकाला और छुपते छुपाते कॉलेज से बाहर निकल गया। आज उसका ड्यूटी जाने का मन नहीं था इसलिए वह घर आ गया।
घर पर कोई नहीं था; उसकी बीवी ऑफिस चली गई थी और परीशा के पास से आ ही रहा था।
अपने कमरे में आकर उसने वीडियो देखा तो वीडियो पूरा क्लियर था। लेकिन वह समझ नहीं पाया की यह टीचर उसकी बेटी को कैसे ब्लैकमेल कर रहा है।
वह आराम करने लगा।
तभी लंच टाइम पर दरवाजा खुलने की आवाज़ आई तो जाकर देखा तो परीशा आ गई थी।
मुकुल राय- अरे बेटी तुम इतना जल्दी कैसे आ गई? तबियत तो ठीक है ना?
परीशा- पापा मेरा सर थोड़ा भारी था इसलिए आ गई। लेकिन आप आफिस नहीं गए?
मुकुल राय- सुबह गया था बेटी … आज जल्दी काम खत्म हो गया तो चला आया। तुम फ्रेश हो के आओ, मुझे तुमसे कुछ काम है।
परीशा- ओके पापा, अभी आती हूँ।
परीशा 10 मिनट बाद फ्रेश होकर आई। मुकुल राय पहले पढ़ाई के बारे में बात करता है, फिर धीरे धीरे परीशा से असली बात पर आता है।
मुकुल राय- देखो बेटी, तुमको कोई भी प्रॉब्लम है मुझे बताओ। मैं तुमको कुछ नहीं बोलूंगा।
लेकिन जब बार बार पूछने पर परीशा ने कुछ नहीं बताया तो मुकुल राय ने अपने मोबाइल में उसका वीडियो दिखाया जिसे देखकर परीशा अपना सर नीचे झुका लिया और फूट फूट कर रोने लगी।
मुकुल राय ने परीशा को बांहों में भर लिया और उसे चूमते हुए चुप कराने लगा।
धीरे धीरे परीशा चुप हो गयी।
तब मुकुल राय ने उससे पूछा- किस मज़बूरी में तुम ऐसा कर रही थी।
तब परीशा बताने लगती है।
एक हफ्ते पहले की बात है, एक लड़का बहुत दिनों से मेरे पीछे पड़ा हुआ था। रोज मेरा पीछा करता, मुझसे बात करने की कोशिश करता। हर समय मुझे देखकर मुस्कुरा देता। लेकिन मुझे कोई असर नहीं हुआ। लेकिन 3-4 दिन पहले रात को मेरी नींद खुल गई। मुझे जोरो से पेशाब लगी हुई थी। जब मैं पेशाब करके आ रही थी तो मम्मी की आवाज आप लोगों के कमरे से सुनाई दी तो मैंने कीहोल से देखा कि आप और मम्मी सेक्स कर रहे थे।
वो नजारा देखकर मैं काफी गर्म हो गई थी। इसी का असर था कि मैं भी उस लड़के से दोस्ती करना चाहती थी ताकि मैं अपनी प्यास बुझा सकूँ। मुझे वह अच्छा लगता था इसलिए मैं भी उसे देखकर मुस्कुरा दी।
फिर एक दिन उसने मुझे एक लेटर दिया और मुझे कॉलेज शुरू होने के 1 घंटे पहले मुझे कॉलेज के पीछे मिलने को बुलाया।
जाने क्या मन में आया कि मैं उससे मिलने चली गई।
कॉलेज के पीछे जब मैं उस लड़के से मिली तो उसने मुझे बांहों में भर लिया और मेरे होंठों और गालों को चूमने लगा। फिर उसने मेरी शर्ट उठाकर मेरे मम्मो को भी चूसने लगा। जब मुझे होश आया तो मैंने उसे धक्का दिया और वहाँ से भाग आई।
लेकिन बाद में मुझे मालूम चला कि उस टीचर ने खिड़की से मेरा उस लड़के के साथ पूरी वीडियो शूट कर लिया था। जिसमें बहुत साफ साफ वीडियो था।
बाद में उस टीचर ने मुझे बुलाया और मुझे वो वीडियो दिखाया तो मेरे होश उड़ गए। तब से वह मुझे ब्लैकमेल कर रहा है।
मुकुल राय- अब तक कितनी बार तुमको बुलाया है।
परीशा- आज तीसरा दिन था। लेकिन असली प्रॉब्लम संडे को है। उसने मुझे धमकी दी है की संडे को किसी बहाने उसके घर जाना है। उसकी बीवी एक दिन पहले ही अपने घर जाने वाली है। नहीं जाने पर वो वीडियो नेट पर डाल देगा।
यह बोलकर फिर परीशा रोने लगती है। मुकुल राय परीशा को चुप कराने लगता है- अच्छा बेटी, तुमने बोला नहीं वो वीडियो डिलीट करने के लिए?
परीशा- बोला था पापा … लेकिन वो बोल रहा है कि संडे को मेरे घर आओ। अगर मैंने उसे खुश कर दिया तो वो वीडियो डीलीट कर देगा। वो मेरे साथ सेक्स करना चाहता है पापा।
मुकुल राय- तुम चिंता मत करो बेटी, मैं हूँ ना! मैं आज ही वो वीडियो लाकर तुम्हें दूंगा। तुम अपने हाथों से डिलीट करना। तुम्हें इतनी बड़ी प्रॉब्लम से निकालूँगा तो बदले में मुझे क्या मिलेगा?
परीशा- आप जो बोलोगे मैं वो करुँगी पापा! आज के बाद आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी।
यह कहकर अपने पापा से लिपट जाती है और उनके गाल पर किस करके चली जाती है।
मुकुल राय सोच में गुम हो जाता है। कुछ देर सोचने के बाद अपनी बेटी और उस टीचर की वीडियो की 2 मिनट का एक पार्ट अलग करता है जिसमें लड़की का चेहरा नहीं खता। सिर्फ टीचर का चेहरा दीखता है और कोई कॉलेज ड्रेस पहने लड़की उसका लंड चूस रही है। ये साफ दिख रहा है।
उस वीडियो को वह उस टीचर के व्हाटसअप पे भेज देता है और लिख देता है कि 1 घंटे के अंदर शहर के बाहर एक ख़ाली मकान में आओ। साथ में धमकी भी दे दी कि किसी को खबर की तो ये वीडियो कॉलेज के प्रिंसीपल और सिक्युरिटी के पास भेज दी जायेगी।
मुकुल उस खाली घर में पहुच गया. चूंकि टीचर भी डर गया था तो वह जाकर उस मकान के बाहर खड़ा हो जाता है।
अंदर से जब मुकुल राय देखता है वह अकेला आया है तो वह नकाब पहन कर खिड़की से कड़क आवाज़ में उस टीचर से उसकी मोबाइल मांगता है। जब टीचर अपना मोबाइल देता है तो मुकुल राय उसका कोड मालूम कर लेता है उसका सिम निकालकर दे देता है।
मुकुल राय मोबाइल चेक करता है तो वो वीडियो मिल जाता है और मोबाइल अपने पास रख लेता है और बोलता है- जल्दी से भाग जा यहाँ से … नहीं तो मेरे आदमी तुझे गोली मार देंगे। आज के बाद किसी लड़की को ब्लैकमेल किया तो वो दिन तेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होगा। भाग साले जल्दी।
टीचर वहाँ से ऐसे भागता है जैसे उसके पीछे भूत लग गए हों। फिर मुकुल राय पीछे से निकलकर अपने घर आ जाता है।
घर आकर अपने रूम में जब वो वीडियो देखता है तो अपनी कमसिन बेटी की संतरे जैसी चूचियों की चुसाई देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता है। यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।
फिर मुकुल राय ने परीशा को बुलाया। जब परीशा आ गई तो मुकुल राय ने वो मोबाईल दिखाया- देखो बेटी, यही मोबाईल है ना?
परीशा ख़ुशी के मारे अपने पापा से लिपट गई और बोली- जल्दी से वो वीडियो डिलीट करो पापा प्लीज!
मुकुल राय- पहले देख तो लो वो वीडियो है या नहीं।
फिर मुकुल राय ने गैलरी खोला और वो वीडियो चला दिया।
वीडियो देखते ही परीशा शरमा गई- प्लीज पापा जल्दी डिलीट करो ना!
मुकुल राय- अरे बेटी पूरा तो देखने दो। मैं भी तो देखूं मेरी बेटी अंदर से कितनी सुन्दर है।
परीशा- प्लीज पापा।
कहानी जारी रहेगी.
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#54
बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा-2

मुकुल राय- ओके बेटी ओके … पहले मेरी बात ध्यान से सुनो। परीशा बेटी, तुम जानती हो कि लोग सेक्स करते हैं लेकिन यह नहीं जानती कि आजकल ज्यादातर लोग अपने घर में ही सेक्स कर लेते हैं। मेरा दोस्त बंसल अपनी दोनों बेटियों के साथ सेक्स करता है क्योंकि अगर वह उनके साथ सेक्स नहीं करेगा तो वह भी किसी ना किसी के पास अपनी जिस्म की आग शांत करने के लिए जायेंगी।

फिर वे दोनों भी तुम्हारी तरह किसी न किसी तरह के चक्कर में फँस सकती हैं। सेक्स करते समय कोई आदमी लड़कियों का वीडियो बना ले तो समझ लो लडकियों की कितनी बदनामी होगी, उनमें से किसी के पास भी आत्महत्या के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचेगा। इसलिए मेरा दोस्त ऐसा कर रहा है। एक दिन मैं उसके घर गया था तो मैंने उसे अपनी बेटी के साथ सेक्स करते देख लिया था तब उसने मुझे बताया था।
आजकल हर जगह यही चल रहा है किसी ना किसी लड़की का रोज नेट पर सेक्स का वीडियो अपलोड हो रहा है. इसीलिए मैं चाहता हूं कि भले ही हम लोग घर में कुछ भी करें लेकिन बाहर हमारी इज्जत खराब नहीं होनी चाहिए। हम लोग घर में ही एक दूसरे की प्यास को शांत कर सकते हैं। इसमें गलत क्या है। तुम अभी छोटी हो, अभी तुम्हारी शादी होने में बहुत टाइम बाकी है. इसीलिए मैं चाहता हूं की तुम अभी इस चक्कर में कम रहो।
अगर तुम्हें कभी अपने जिस्म में गर्मी महसूस हो तो मेरे पास आकर अपनी गर्मी शांत करना मेरे साथ तुम्हारा रिश्ता बहुत दिन तक चलने वाला है क्योंकि तुम्हारी शादी चार पाँच साल बाद में होगी। मैं चाहता हूं कि तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लो। तब तक हम दोनों जिंदगी के मजे लेते रहेंगे फिर जब तुम कहोगी तो तुम्हारी शादी तुम्हारी पसंद के लड़के से कर दूंगा।
परीशा- ठीक है पापा … अगर आप ऐसा सोचते हैं तो यह भी ठीक ही है. मैं भी एक बार फंसकर जान चुकी हूँ कि आप जो बोल रहे हैं वही सही है।
मुकुल राय- देखो बेटी, पहली बार सेक्स करते समय थोड़ा सा दर्द होता है। तुम सिर्फ उस दर्द को बर्दाश्त कर लेना उसके बाद तुम्हें अपनी जिंदगी का सबसे ज्यादा मजा महसूस होगा।
तुमको मुझसे एक वादा करना होगा कि तुम आज जो हुआ वह या तुम अपने सेक्स वाली बात किसी को भी नहीं बताओगी; अपनी किसी खास सहेली को भी नहीं. मैं भी जानता हूं कि यह मुश्किल है लेकिन मैं भी तुम्हारी चुदाई की सभी बातें किसी को नहीं बताऊंगा।
तुम्हारी मम्मी या किसी को भी नहीं … यह सिर्फ हमारे पास राज रहेगा. तुम उनके सामने कभी भी शो मत करना कि मेरे साथ तुम्हारा कोई गलत रिश्ता है। अगर तुम मुझे अपनी मम्मी के साथ देखोगी कुछ भी करते हुए तो तुम उसको इग्नोर कर देना।
सारी बातें समझाकर मुकुल राय वो वीडियो डिलीट कर देता है। फिर दोनों उस मोबाइल को चेक करते है उसके बहुत सारी ब्लू फिल्म थी। जिसमें बाप बेटी भाई बहन जैसी ब्लू फिल्में थी। मुकुल राय एक बाप बेटी की फ़िल्म प्ले कर देता है जिसे देखकर परीशा गर्म होने लगती है।
फ़िल्म बहुत ही गर्म थी जिसे देखकर मुकुल राय का लंड पूरा रॉड बन जाता है। वह अपना लंड निकालकर परीशा के हाथों में पकड़ा देता है। परीशा अपने पापा का लंड अपने हाथों में सहलाने लगती है उसको बहुत शर्म लग रही थी लेकिन ब्लू फिल्म देख कर वह बहुत गर्म हो चुकी थी।
वह धीरे से नीचे बैठ जाती है और अपने पापा के लंड को अपने कोमल हाथों से सहलाने लगती है.
मुकुल राय धीरे धीरे परीशा के कपड़े निकालने लगता है। वह अपनी बेटी परीशा को पूरी नंगी कर देता है. परीशा की चूचियाँ बहुत ही मस्त थी। मुकुल राय उसे मसलने लगता है. फिर मुकुल राय अपने भी सारे कपड़े उतार देता है।
अब परीशा ने मुकुल राय के लंड को थाम दूसरे हाथ से उसके सुपारे को बहुत कोमलता से सहलाया।
“आआह्ह्ह … परीशा बेटी!” मुकुल राय के मुंह से एक हल्की सिसकारी निकल गयी।
परीशा ने एक बार लंड की त्वचा को देखा और फिर मुकुल राय के चेहरे की तरफ देखते हुए नीचे झुककर अपने नर्म मुलायम होंठ उसके खड़े लंड के सुपारे पर रख दिए।
“उंहहह ह्ह्ह” मुकुल राय धीमे से आहें भरने लगा।
परीशा के नाज़ुक गर्म होंठ बहुत ही कोमलता से लंड की नर्म त्वचा को जगह जगह चूम रहे थे, धीमे धीमे लंड की कोमल त्वचा पर पुच पुच करती वो चुम्बन लेने लगी, मुकुल राय को अपनी बेटी के नाज़ुक होंठों का स्पर्श उस संवेंदनशील जगह पर बहुत ही प्यारा महसूस हो रहा था।
हाँ … बेटी … बहुत अच्छा लग रहा है.” मुकुल राय की बात सुन परीशा के होंठों पर भी मुस्कान फ़ैल गयी, मुकुल राय की बात से थोड़ा उत्साहित होकर परीशा और भी तेज़ी से लंड के सुपारे को चूमने लगी.
कुछ ही पलों में मुकुल राय अपनी बेटी के होंठों के स्पर्श के उस सुखद एहसास में डूबने लगा।
“आआहह … बेटी … प्लीज बेटी ऐसे ही करते रहो.” परीशा तो जैसे यही सुनना चाहती थी, उसने लंड को ऊपर उठाया और जड़ से लेकर टोपे तक लंड पर चुम्बनों की बरसात कर दी, फिर उसके होंठ खुले और उसकी जीभ बाहर आई, उसने जीभ की नोंक से लंड की त्वचा को सहलाया, गीली नर्म जीभ का एहसास होते ही मुकुल राय के मुख से खुद ब खुद सिसकारी निकल गयी।
परीशा की जीभ उस सिसकी को सुन और भी गति से लंड की निचली त्वचा पर रेंगने लगी, परन्तु उसे थोड़ा सा अजीब सा भी महसूस हो रहा था, उसे लग रहा था कि मानो मुकुल राय के लंड पर कोई द्रव लगा था जो बाद में सुख गया था और उसका अजीब सा पर अच्छा स्वाद परीशा को अपनी जीभ पर महसूस हो रहा था, पर उसने इसकी ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और लंड चुसाई में लगी रही।
“अह्ह्ह ह्ह्ह्ह … बेटी बहुत अच्छा लग रहा है … बहुत … बहुत मज़ा आ रहा है.” मुकुल राय के मुख से लम्बी लम्बी सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयी थी, अपने पापा के मुख से आनंदमयी सिसकी सुन परीशा के होंठों की मुस्कान उसके पूरे चेहरे पर फ़ैल गयी. उसकी जीभ अब सिर्फ सुपारे पर ही नहीं बल्कि उसके आस पास तक घूम रही थी. परीशा बेपरवाह अपनी जीभ लंड की जड़ से लेकर सिरे तक घुमा रही थी।
मुकुल राय के लिए तो यह एक जबरदस्त मज़ा था, इस मज़े से उसकी हालत खराब होती जा रही थी. पूरे जिस्म में गर्मी सी महसूस होने लगी थी, उसके लंड का तनाव पल पल बढ़ता ही जा रहा था।
जैसे जैसे लंड का आकार बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे परीशा की जीभ की स्पीड बढ़ती जा रही थी. लंड का कठोर रूप अब उसके सामने था और वो रूप उसके तन बदन में आग लगा रहा था. उसके पूरे बदन में होने वाली झुरझुरी उसकी हवस को बयान कर रही थी, उसका अंग अंग फड़कने लगा था।
धीरे धीरे उसकी चूत में रस बहना चालू हो चूका था, वो अपने आप पर काबू खोती जा रही थी, उसकी सांसें गहरी होती जा रही थी और उसका सीना उसकी साँसों के साथ तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था, बदन में कम्कम्पी सी दौड़ रही थी।
इधर मुकुल राय का लंड पूरा कड़क हो चूका था, अब परीशा से और बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. उसने अगले ही पल झट से मुकुल राय के लंड के सुपारे को अपने रसीले होंठों में भर लिया और अपनी जीभ उस पर रगडते हुए उसे जोर जोर से चूसने लगी।
मुकुल राय के आनन्द में कई गुना बढ़ोतरी हो गई थी, अपने पापा के मुख से निकलती ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ ने परीशा को और भी उत्तेजित कर दिया. धीरे धीरे उसके होंठ लंड के ऊपर की ओर जाने लगे. जैसे जैसे परीशा के होंठ ऊपर को बढ़ रहे थे, दोनों बाप बेटी की साँसें और सिसकियाँ गहरी होती जा रही थीं।
परीशा के होंठ अब सुपारे के नीचे वाले हिस्से की भी सवारी करना शुरू कर चुके थे।
वासना की आग में मुकुल राय और परीशा दोनों का बदन कांप रहा था, बुखार की तरह तप रहा था, परीशा के होंठ अपने पापा के लंड के चारों और बुरी तरह कस गए, और मुकुल राय के लंड का आधे से ज्यादा हिस्सा परीशा की गले की गहराइयों में ओझल हो चुका था।
मुकुल राय को लगा शायद वो गिर जाएगा और उसके बदन ने एक ज़ोरदार झटका खाया।
“आहह्ह्ह … म .. उफ्फ” मुकुल राय सुपारे की अति संवेदनशील त्वचा पर अपनी बेटी की रसीली गर्म जीभ की रगड़ से कराहने लगा, उसके हाथ ऊपर उठे और अपनी बेटी के सर पर कस गए।
परीशा तो जैसे पूरे जोश में आ गई, उसने होंठ कस कर अपनी जीभ तेज़ी से चलानी शुरू कर दी, उसका एक हाथ अपने पापा की कमर पर चला गया और दूसरे से वो उनके आंडों को सहलाने लगी।
अब परीशा का मुंह भी लंड पर आगे पीछे होने लगा था, उसके गीले मुँह में धीरे धीरे अन्दर बाहर होते लंड ने मुकुल राय को जोश दिला दिया। वो अपनी बेटी के सर को थामे अपना लंड उसके मुंह में जोर जोर से पेलने लगा, हर शॉट में अब उसका लंड परीशा के गले की गहराइयों को नाप रहा था, और अब मुकुल राय तेज़ी से अपने लंड को आगे पीछे करते हुए गहराई तक अपनी बेटी के मुँह को चोदने लगा।
जब मुकुल राय का लंड परीशा के गले को टच करता तो उसके मुख से गूं गों गों … की आवाज़ निकलती।
उधर मुकुल राय तो जैसे किसी और ही दुनिया में था, आँखें बंद किए वो अपनी बेटी के मुंह में अपना लंड पेलता जा रहा था। उसको लग रहा था कि वह कोई कुँवारी चूत चोद रहा है।
परीशा को हालाँकि लंड के इतने तेज़ तेज़ धक्कों से थोड़ी दिक्कत हो रही थी मगर वो हर संभव प्रयास कर रही थी अपने पापा के लंड की ज़बरदस्त चुसाई करने का. उसकी जीभ अन्दर बाहर हो रहे लंड के सुपारे को रगड़ती तो उसके होंठ सुपारे से लेकर लंड के मध्य भाग तक लंड को दबाते, लंड अन्दर जाते ही उसके गाल फूल जाते और बाहर आते ही वो पिचकने लगते।
जल्द ही मुकुल राय को अपने अंडकोष में दवाब सा बनता महसूस होने लगा, उसे अहसास हो गया वो झड़ने के करीब है. उसने अब अपनी बेटी के मुँह को और भी तेजी से चोदना शुरू कर दिया.
उधर परीशा के लिए अब इस गति से अन्दर बाहर हो रहे लंड को चुसना संभव नहीं था, वो तो बस अपने होंठों और जीभ के इस्तेमाल से जितना हो सकता लंड को सहलाने की कोशिश कर रही थी। खुद वो अपनी टांगें आपस में रगड़ कर उस सनसनाहट को कम करने की कोशिश कर रही थी जो उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी. चूत से रस निकल निकल कर उसकी जांघें गीली कर चुका था।
तकरीबन 10 मिनट की भीषण चुसाई के बाद अचानक मुकुल राय को लगने लगा जैसे उसकी शक्ति का केंद्र बिंदु उसका लंड बन गया है. वो झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था पर वो चाहता था कि उसके पानी की हर एक बूंद परीशा की गले की गहराइयों में उतर जाए, इसलिए अब उसके धक्के और भी ज्यादा तेज होते जा रहे थे।
परीशा को भी यह अहसास होने लगा था था कि अब शायद उसके पापा झड़ने वाले हैं इसलिए उसने अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर दिया।
मुकुल राय परीशा के सिर को पकड़कर जोर जोर से अपना लंड उसके मुंह में पेल रहा था और फिर अगले ही पल मुकुल राय के बदन में एक तेज़ लहर उठी और वो भलभला कर झड़ने लगा।
उसके लंड से वीर्य की बौछार होने लगी जो परीशा के गले में जाकर उसे तृप्त कर रही थी।
परीशा भी एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह मुकुल राय के पानी की आखिरी बून्द भी पी लेना चाहती थी.
जब मुकुल राय पूरी तरह झड़कर शांत हो गया तो परीशा ने जीभ की नोक से सुपारे के छेद से निकल रही वीर्य को भी चाट लिया।
मुकुल राय- उन्ह्ह्ह … ह्म्प्फ़्फ़ … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह यस … ओह्ह बेटी उम्ह्ह.
मुकुल राय लगातार सिसकारता ही जा रहा था।
परीशा की जीभ आखिरी बार पूरे लंड पर घूमने लगी और वो उसे चाट कर साफ़ करने लगी, लंड पूरा साफ़ होने के बाद उसने सुपारे को अपने होंठों में एक बार फिर से भरकर चूसा और फिर अपने होंठ उसपे दबाकर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया।
कहानी जारी रहेगी.
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#55
बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा-3

कुछ देर आराम करने के बाद मुकुल राय ने परीशा को बेड पर सुला दिया और उसकी छोटी सी कुंवारी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। कुछ ही देर में परीशा उत्तेजना से तड़पने लगी।

मुकुल राय झुक कर उसकी चूत को धीरे से चूम लिया और दरार को नीचे से ऊपर तक चाटा, कई कई बार चाटा और समूची चूत को मुंह में भर लिया और झिंझोड़ डाला।
आनन्द के मारे परीशा के मुंह से किलकारी निकल गई. फिर ऊपर हाथ ले जाकर उसके दोनों मम्में पकड़ लिए और चूत का दाना, वो छोटा सा भागंकुर अपनी जीभ से टटोलने लगा और इसे अपनी मुंह में लेकर चूसा और चूत की गहराई में जीभ घुसा कर प्यार से, बहुत ही निष्ठा पूर्वक उसकी शर्बती चूत चाटने लगा।
वो बेचारी इतना सब कैसे सहन कर पाती, बदले में वो अपनी चूत उठा उठा कर अपने पापा के मुंह पे मारने लगी।
अब मुकुल राय अपनी नाक चूत की गहराई में रगड़ता हुआ चाटने लगा।
मुश्किल से 5 ही मिनट बीते होंगे कि वो भलभला कर झड़ गई। “हाय पापा…” वो इतना ही बोल पाई और अपनी जांघें ताकत से अपने पापा के सिर पर लपेट दीं और झड़ने लगी।
चूत रस का नमकीन स्वाद मुकुल राय के मुंह में आ गया। करीब दो तीन मिनट तक वो यूं ही अपने पापा के सिर को अपनी चूत पर जांघों से दबोचे रही फिर धीरे से पैर खोल दिए और चित लेट के गहरी गहरी साँसें लेने लगी।
मुकुल राय उसकी जांघ पर सर रखे हुए लेटा रहा।
“प्लीज पापा, मेरे पास आओ!” उसकी आवाज बदली बदली सी थी जैसे किसी कुएं के भीतर से बुला रही हो.
मुकुल राय ऊपर खिसक कर उसके पहलू में लेट गया और उसे अपने सीने से लगा लिया। वो मासूम अबोध किशोरी सी अपने पापा से चिपक गई और अपनी अंगुली से उनकी छाती पर जैसे कुछ लिखती रही।
“क्या लिखा मेरे सीने पर?” मुकुल राय उसका सिर प्यार से सहलाते हुए पूछा।
“ऊं हूँ!”
“बता ना?”
“म्मम्म कुछ नहीं …” वो बोली और मुकुल राय को अपनी बांहों में कस लिया।
“कैसा लगा ये सब?” मुकुल राय उसे चूमते हुए पूछा.
परीशा- बहुत अच्छा … बहुत ही प्यारा प्यारा। जब आप मेरी चूत चाट रहे थे तो जैसे मेरे बॉडी में फूल ही फूल खिल गये थे, सारे बदन में रंगीन फुलझड़ियाँ सी झर रहीं थीं। मैंने सोचा भी नहीं था कि ये सब इतना मस्त मस्त लगेगा!
“और अब कैसा लग रहा है?” मुकुल राय ने पूछा।
“लग रहा है मैं बहुत हल्की फुल्की सी हो गई हूँ। मेरे भीतर से कुछ बह के निकल गया है। जो मुझे हरदम बेचैन किये रहता था.” परीशा ने बताया।
कुछ ही देर बाद मुकुल राय परीशा की छोटी छोटी टाइट चूचियों को पूरा मुँह में भरकर चूसने लगा। उसके छोटे छोटे निप्पल को दाँतों से काटने लगा। 5 मिनट में ही मुकुल राय ने दोनों चूचियों को काट कर चुस कर लाल कर दिया।
अब परीशा भी पूरी गर्म होकर सिसियाने लगी।
दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे, मुकुल राय अपने लंड को परीशा की छोटी सी कुंवारी चूत पर रगड़ने लगा, परीशा अपनी गांड ऊपर उठाकर लंड को जल्द से जल्द अंदर लेना चाहती है लेकिन मुकुल राय परीशा को और गर्म कर देना चाहता है ताकि उसको कम से कम दर्द हो।
तब परीशा ने मुकुल राय के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो मुकुल राय के लंड का सुपारा उसकी चूत की फांकों को फैलाता हुआ छेद पर जा लगा. परीशा की कुँवारी चूत की फाँकें मुकुल राय के लंड के सुपारे के चारो तरफ फैलते हुए कस गई।
अपनी चूत के छेद पर अपने पापा के लंड का गर्म सुपारा महसूस करते ही परीशा के बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कौंध गई हो, परीशा का पूरा बदन थरथरा गया.
परीशा की चूत उसकी चूत से निकल रहे कामरस से एकदम गीली हो चुकी थी. परीशा ने अपनी आँखों को बड़ी मुश्किल से खोल कर मुकुल राय की तरफ देखा और फिर काँपती आवाज़ में बोली- पापा धीरे-धीरे ही अंदर करना, मैं ये सब पहली बार कर रही हूँ, इसलिए मुझे दर्द होगा, पर आप चिंता मत करना, चाहे मुझे कितना भी दर्द हो, आप अपना लंड मेरी कुँवारी चूत में पूरा घुसाना।
अब मुकुल राय ने धीरे धीरे अपने लंड के सुपारे को परीशा की चूत के छेद पर दोबारा दबाना शुरू किया, जैसे ही उसके लंड का सुपारा परीशा की गीली चूत के छेद में थोड़ा सा घुसा, परीशा एकदम सिसक उठी, मुकुल राय के लंड का सुपारा परीशा की चूत की सील पर जाकर अटक गया, मुकुल राय भी इस रुकावट को साफ महसूस कर पा रहा था.
परीशा की चूत की झिल्ली, मुकुल राय के लंड के सुपारे से बुरी तरह अंदर को खिंच गई जिसके कारण परीशा के बदन में दर्द की एक तेज लहर दौड़ गई. उसके चेहरे पर उसके दर्द का साफ पता चल रहा था।
मुकुल राय- क्या हुआ बेटी? ज्यादा दर्द हो रहा है क्या?
परीशा- आहह हां पापा … दर्द हो रहा है.
मुकुल राय- बाहर निकाल लूँ?
परीशा- नहीं पापा बाहर मत निकालना … यह दर्द तो हर लड़की को जिंदगी में एक ना एक बार तो सहन करना ही पड़ता है. पापा आप बस ज़ोर से धक्का मारो और एक ही बार में मेरी चूत फाड़ दो।
मुकुल राय- अगर तुम्हें दर्द हुआ तो?
परीशा- मैं सह लूँगी … आप मारो न धक्का।
मुकुल राय ने अपनी पूरी ताक़त अपनी गान्ड में जमा की और अपने आप को अगला शॉट मारने के लिए तैयार करने लगा. परीशा ने अपने दोनों हाथों से मुकुल राय के बाजुओं को कस के पकड़ लिया, और अपनी टाँगों को पूरा फैला लिया.
परीशा – पापा…पापा फाड़ दो अब.
मुकुल राय ने कुछ पल के लिए परीशा के चेहरे की तरफ देखा, जो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, उसने अपने होंठों को दांतो में दबा रखा था। जैसे वो अपने आप को उस दर्द के लिए तैयार कर रही हो. उसके माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई थी. मुकुल राय ने एक गहरी साँस ली और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोरदार धक्का मारा।
मुकुल राय के लंड का सुपारा परीशा की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया. मुकुल राय का आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में परीशा की कुँवारी चूत के अंदर जा चुका था.
“हाय मम्मी … मर गई हाई ए अहह पापाआआआ … बहुत दर्द हो रहा है.” परीशा छटपटाती हुई अपने सर को इधर उधर पटक रही थी, उसे अपनी चूत में दर्द की तेज लहर दौड़ती हुई महसूस हो रही थी.
परीशा के इस तरह से दर्द के कारण बिलबिलाने से मुकुल राय भी घबरा गया, उसने परीशा की ओर देखा, उसकी बंद आँखों से आँसू बह कर उसके गालों पर आ रहे थे।
“बेटी मैं बाहर निकाल लेता हूँ.” मुकुल राय ने परीशा की ओर देखते हुए कहा.
परीशा अपनी आँखों को खोलते हुए- नहीं नहीं पापा, बाहर मत निकालना … पूरा अंदर कर दो … मेरी फिकर मत करो.
मुकुल राय- पर बेटी …
परीशा- मैंने कहा ना मेरी परवाह मत करो … आप अपना लंड पूरा मेरी चूत में पूरा डाल दो.
मुकुल राय ने अपने लंड की तरफ देखा, जो परीशा की टाइट चूत के छेद में घुस कर फँसा हुआ था, और फिर उसने एक बार फिर से पूरी ताक़त के साथ झटका मारा, इस बार उसके लंड का सुपारा उसकी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा।
परीशा- उन्ह्ह्ह … ह्म्प्फ़्फ़ … ओहह हहहह … यस ओहह … हहह … यस! ओहह उम्ह्ह पापाऽऽ … पापाऽऽ … योर डिक पापा … स्स्स्साऽऽ सो बिग … पापा!
परीशा ने दर्द से छटपटाते हुए अपने हाथों से मुकुल राय के बाजुओं को इतनी कस के पकड़ा कि उसके नाख़ून मुकुल राय के बाजुऑन में गड़ने लगे. मुकुल राय को अपने लंड के इर्द गिर्द परीशा की टाइट चूत की दीवारें कसी हुई महसूस हो रही थी, उसके लंड में तेज गुदगुदी सी होने लगी।
दोनों थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे. मुकुल राय अब धक्के लगाने को उतावला हो रहा था पर परीशा ने उसकी कमर में अपनी टाँगों को लपेट रखा था, जिसकी वजह से मुकुल राय हिल भी नहीं पा रहा था.
कुछ लम्हे दोनों यूँ ही लेटे रहे.
फिर धीरे-धीरे परीशा का दर्द कुछ कम होने लगा और उसे अपनी चूत में अजीब सी सरसराहट होने लगी। अब उसे मज़ा आने लगा था और उसने अपनी टांगों को जो कि उसने अपने पापा की कमर पर कस रखी थी, को ढीला कर दिया.
जैसे ही मुकुल राय की कमर पर परीशा की टाँगों की पकड़ ढीली हुई, मुकुल राय ने अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में परीशा की चूत से बाहर खींचा और फिर से एक झटके के साथ परीशा की चूत में पेल दिया।
धक्का इतना जबरदस्त था कि परीशा का पूरा बदन हिल गया।
परीशा- आह शीईइ पापा उंह धीरे उन्ह्ह्ह … ह्म्फ … उम्म्ह… अहह… हय… याह… यस ओह यस! ओह्ह उम्ह पापाऽऽ … पापाऽऽ!
उसने फिर से अपने पैरों को मुकुल राय के चूतड़ों के ऊपर रख कर उसे अपनी तरफ दबा लिया।
जब उसे अपनी चूत की दीवार पर मुकुल राय के लंड के सुपारे की रगड़ महसूस हुई तो वो एकदम से मस्त हो गई, फिर थोड़ी देर रुकने के बाद परीशा ने मुकुल राय से धीरे से कहा- पापा अब अपने लंड को धीरे से बाहर निकालो … मुझे कुछ देखना है.
यह कहते हुए उसने फिर से अपने पैरो की पकड़ ढीली की और मुकुल राय ने घुटनों के बल बैठते हुए धीरे-2 अपने लंड को बाहर निकालना शुरू किया.
फिर से वही मज़े की लहर परीशा के रोम-रोम में दौड़ गई. उसे मुकुल राय के लंड का सुपारा अपनी चूत के दीवारों पर रगड़ ख़ाता हुआ साफ महसूस हो रहा था.
“ओह्ह पापा … मेरी चूत में … आह आह बहुत मज़ा आ रहा है … ओह्ह उम्ह्ह.” परीशा बोली।
मुकुल राय ने जैसे ही अपना लंड परीशा की चूत से बाहर निकाला तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गई, उसका लंड खून और परीशा के चूत से निकल रहे कामरस से सना हुआ था।
परीशा ने अपने पास रखे एक कपड़े को अपनी चूत पर दबा दिया ताकि उसमें से खून निकल कर बेडशीट पर ना गिरे. फिर उसने अपनी चूत को उस कपड़े से रगड़ कर साफ किया और फिर मुकुल राय की तरफ देखा, जो हैरत से उसकी तरफ देख रहा था।
परीशा- क्या हुआ पापा आप ऐसे क्या देख रहे हो?
मुकुल राय- बेटी, तुम तो काफी समझदार हो।
“हाँ जानती हूँ.” परीशा खिलखिलाकर बोली।
फिर परीशा उठ कर बैठी और मुकुल राय के लंड को हाथ में लेकर उसे कपड़े से अच्छे से साफ किया, फिर उस कपड़े को साइड में रखते हुए, बेड पर लेट गई, परीशा ने अपनी बांहों को खोल कर मुकुल राय को आने का इशारा किया।
मुकुल राय परीशा ऊपर झुक गया, परीशा ने उसे अपनी बांहों में कस लिया और उसके आँखों में झाँकते हुए बोली- आई लव यू पापा!
और फिर दोनों के होंठ फिर से आपस में मिल गए और दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे। फिर से वही उम्ह्ह आहह उन्घ्ह की आवाजें उनके मुँह से आने लगी।
मुकुल राय का लंड अब उसकी चूत की फांकों पर रगड़ खा रहा था. मुकुल राय भी मस्ती में उसके होंठों को चूसता हुआ उसके निप्पलों को अपनी उंगलियों से भींचते हुए उसकी चूचियों को दबा रहा था. परीशा की चूत में खलबली सी होने लगी, वो नीचे से अपनी गान्ड को हिलाते हुए अपने पापा के लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने की कोशिश कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद अचानक से मुकुल राय के लंड का सुपारा परीशा की चूत के छेद पर अपने आप जा लगा, परीशा का पूरा बदन एकदम से थरथरा गया, उसने अपने होंठों को मुकुल राय के होंठों से अलग किया और फिर मुकुल राय की आँखों में देखते हुए मुस्कुराने लगी, फिर उसने अपने आँखें शरमा कर बंद कर ली, उसके होंठों पर मुस्कान फ़ैली हुई थी.
मुकुल राय ने भी बिना देर किए, धीरे-2 अपने लंड के सुपारे को परीशा की चूत के छेद में पेलना शुरू कर दिया.
“उंह पापा … सीईईईई अहह … बहुत मजा आ रहा है.” परीशा बोली।
मुकुल के लंड का सुपारा परीशा की चूत के छेद और दीवारो को फ़ैलाकर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बढ़ने लगा, परीशा के बदन में मस्ती की लहरे उमड़ रही थी, उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारे मुकुल राय के लंड को अपने अंदर कस कर निचोड़ रही थी।
धीरे-2 मुकुल राय का पूरा लंड परीशा की चूत में समा गया, परीशा ने सिसकते हुए मुकुल राय को अपनी बांहों में कस लिया और उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाने लगी।
“आह पापा … और पेलो उंह आ … सीईईई आह पापा मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.”
मुकुल राय ने परीशा के मासूम चेहरे को अपनी तरफ घुमाया और फिर अपने होंठों को उसके पतले होंठों पर रख दिया, परीशा ने अपने होंठों को खोल दिया।
मुकुल राय ने थोड़ी देर परीशा के होंठों को चूसा और फिर अपने होंठों को हटाते हुए, उसकी जाँघों के बीच में घुटनों के बल बैठते हुए अपनी पोज़िशन सेट की और अपने लंड को धीरे-2 आगे पीछे करने लगा।
मुकुल राय के लंड के सुपारे को परीशा अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके एकदम मस्त हो गई. वो अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेने लगी- अह्ह्ह पापा हाईए … मेरी चूत … आह मारो … और ज़ोर से मारो … आह फाड़ दो अह्ह्ह आह!
धीरे-2 मुकुल राय अपने धक्कों की रफ्तार को बढ़ाने लगा, पूरे रूम में परीशा की सिसकारियों और बेड के हिलने से चर-2 की आवाज़ गूंजने लगी. परीशा पूरी तरह मस्त हो चुकी थी, उसकी चूत उसके काम रस से भीग चुकी थी जिससे बाप मुकुल का लंड चिकना होकर बेटी की चूत के अंदर बाहर होने लगा था. परीशा भी अपनी गान्ड को धीरे-2 ऊपर की ओर उछाल कर चुदवा रही थी.
“हाई … ओईए … अहह … मेरी चूत अह्ह्ह्ह … पापा बहुत मज़ा आ रहा है. आह चोदो मुझे … अह्ह्ह्ह और तेज करो … मैं झड़ने वाली हूँ … आह उहह उंघह पापा ममैं गईए अहह.” परीशा धीरे धीरे आहें भर रही थी।
मुकुल राय के जबरदस्त धक्कों ने कुछ ही मिनट में परीशा की चूत को पानी पानी कर दिया था. उसका पूरा बदन रह रह कर झटके खा रहा था। मुकुल राय अभी भी लगातार अपने लंड को बाहर निकाल निकाल कर परीशा की चूत में पेल रहा था.
परीशा झड़ने के बाद एकदम मस्त हो गई थी, उसकी चूत से इतना पानी निकला था कि मुकुल राय का लंड पूरा गीला हो गया था।
अब परीशा अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी थी और लंबी लंबी साँसें ले रही थी.
कुछ देर बाद परीशा ने अपनी आँखें खोल कर मुकुल राय की तरफ देखा जो पसीने से तर बतर हो चुका था और अभी भी तेज़ी से धक्के लगा रहा था. अब रूम में सिर्फ़ बेड के चरचराने से चू चू की आवाज़ आ रही थी. जैसे जैसे मुकुल राय झटके मारता, बेड हिलता हुआ हल्की हल्की चू चू की आवाज़ कर रहा था।
परीशा बेड के हिलने की आवाज़ सुन कर शरमा गई और अपने मुँह को साइड में घुमा कर मुस्कराने लगी.
मुकुल राय अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए- क्या हुआ?
परीशा मुस्कुराती हुई- कुछ नहीं.
मुकुल राय- फिर मेरी तरफ देखो ना!
परीशा- नहीं पापा … मुझे शर्म आती है.
मुकुल राय ने अपने दोनों हाथों से परीशा के चेहरे को अपनी तरफ घुमाया. पर परीशा ने पहले ही अपनी आँखें बंद कर ली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान फ़ैली हुई थी. मुकुल राय ने परीशा के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसते हुए अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर कुछ ही पलों में उसके लंड में तेज सुरसुरी हुई, उसका लंड परीशा की चूत में झटके खाने लगा और फिर वो परीशा के ऊपर निढाल हो कर गिर पड़ा.
परीशा और मुकुल राय दोनों एक साथ झड़ कर शांत हो गए।
कुछ देर बाद परीशा अपनी ब्रा पेंटी पहनकर बाथरूम चली गयी।
कुछ देर बाद पिता मुकुल ने एक बार फिर से बेटी परीशा को गर्म करके पेला जिसमें परीशा को बहुत ज्यादा मज़ा आया क्योंकि अब परीशा को दर्द नहीं हो रहा था।
कहानी जारी रहेगी.
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#56
बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा-4

दूसरे दिन भी जब मिशाली बैंक चली गयी, तब मुकुल राय परीशा को अपनी बांहों में भर लिया और दोनों चुदाई में वयस्त हो गए। उसके बाद परीशा कॉलेज चली गयी, मुकुल ऑफिस.

फिर दोपहर बाद परीशा घर आ गयी और मुकुल भी बहाने से छुट्टी लेकर आ गया. दोनों साथ में ही नहाये जहाँ बाथरूम में ही मुकुल राय ने परीशा की जबरदस्त चुदाई की।
इस चुदाई से परीशा बहुत गर्म हो गयी तो बोली- पापा कल आप ऑफिस से छुट्टी ले लेना। कल हम दिन भर साथ रहेंगे। कल मेरा जन्मदिन है, मैं आपको एक सरप्राइज़ गिफ्ट देने वाली हूँ।
मुकुल राय बहुत खुश होता है और परीशा को बाथरूम में ही दोबारा कुतिया बना के पेलने लगता है। परीशा भी अपनी गांड पीछे करके अपने पापा के हर धक्के का जबाब देने लगती है।
आधे घंटे की चुदाई के बाद मुकुल राय अपना सारा माल अपनी कमसिन बेटी के मुँह में भर देता है जिसे परीशा चाट जाती है.
फिर दोनों बाप बेटी फ्रेश होकर बाहर आ जाते हैं।
अगले दिन मिशाली परीशा को जन्मदिवस की मुबारकबाद देकर बैंक चली जाती है।
मिशाली के बैंक जाने के बाद परीशा मुकुल राय के रूम में सिर्फ ब्रा और पेंटी में आकर बेड पर लेट जाती है। मुकुल राय भी अपने कपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवियर में आता है और वो परीशा के बिल्कुल करीब आता है।
मुकुल राय परीशा की पेंटी में हाथ डालते हुए- अरे बेटी, तेरी चूत तो अभी सूखी है; मैं इसे 5 मिनट में गीली कर दूँगा।
परीशा- अगर नहीं कर पाये तो?
मुकुल राय- कर दिया तो मैं जो कहूँगा तुझे करना होगा. अगर नहीं किया तो तू जो कहेगी; मैं करूँगा … प्रोमिस!
परीशा- प्रोमिस.
वैसे मुकुल राय मंझा हुआ खिलाड़ी था। इसकी दो वजह थी एक तो उसका हथियार काफ़ी दमदार था और दूसरा वो बहुत संयम से काम लेता था किसी भी परिस्थिति में वो विचलित नहीं होता था। इसलिए उसे पूरा विश्वास था कि वो हर हाल में बाज़ी ज़रूर जीत जाएगा।
हालांकि परीशा की रगों में भी उसका ही खून था मगर परीशा इन सब मामलों में एक्सपर्ट नहीं थी। उसने तो अपनी ज़िंदगी में बस अपने पापा के साथ सेक्स किया था। इस वजह से उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था।
मुकुल राय एकदम धीरे से परीशा के पीछे आता है और और उसके कंधे पर अपने लब रखकर एक प्यारा सा किस करता है. और अपने दोनों हाथों को धीरे से बढ़ाकर परीशा के दोनों बूब्स को धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता है। परीशा मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती है और उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती है।
मुकुल राय फिर अपने होंठ परीशा के पीठ पर रखकर फिर से उसी अंदाज़ में हौले हौले चाटना शुरू करता है. परीशा की पैंटी पूरी भीग चुकी थी। वो तो बड़े मुश्किल से अपने आप को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
परीशा- पापा बस भी करो; मुझे कुछ हो रहा है।
मुकुल- क्या हो रहा हैं बता ना? क्या तेरी चूत गीली हो गयी है? हां शायद यही वजह है.
और इतना कहकर मुकुल राय एक पल में अपना हाथ नीचे ले जा कर परीशा की चूत को अपनी मुट्ठी में थाम लेता है। परीशा के मुख से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती है।
फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ परीशा की पैंटी के अंदर सरका देता है और उसके क्लिट को अपनी उंगली से मसलने लगता है. परीशा एकदम से बेचैन हो जाती है और जवाब में वो अपना लिप्स को अपने पापा के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगती है।
एक हाथ से मुकुल राय परीशा के बूब्स को मसल रहा था और दूसरे हाथों से वो परीशा की चूत को सहला रहा था. परीशा उसके लिप्स को चूस रही थी।
माहौल पूरा आग लगा देने वाला था. थोड़ी देर में मुकुल राय का हाथ पूरा गीला हो जाता है।
परीशा- पापा … अब बस भी करो मुझसे अब बरदाश्त नहीं हो रहा. आप जीत गये।
मुकुल राय- अरे मेरी जान … तूने इतनी जल्दी कैसे हार मान ली। अभी तो शुरूआत है। देखना आगे आगे मैं क्या करता हूँ।
इतना बोलकर मुकुल राय अपने दोनों हाथ परीशा की पीठ पर रखकर उसकी ब्रा का स्ट्रिप्स को खोल देता है और अगले पल परीशा झट से अपने गिरते हुए ब्रा को दोनों हाथों से थाम लेती है।
मुकुल राय अगले पल परीशा के ब्रा को पकड़कर उसके बदन से अलग कर देता है और परीशा भी कोई विरोध नहीं कर पाती. बस अपनी नज़रें नीची करके अपनी गर्दन झुका लेती है।
मुकुल राय भी झट से परीशा के सामने आता है और वो परीशा के बूब्स को देखने लगता है। फिर वो अपना लिप्स को परीशा के निपल्स पर रखकर उसे एकदम हौले हौले चूसने लगता है। ना चाहते हुए भी परीशा अपने पापा की हरकतों को इन्कार नहीं कर पाती और वो अपना एक हाथ अपने पापा के बालों पर फिराने लगती है।
मुकुल राय- परीशा बेटी, तुम्हारे ये दूध कितने मस्त हैं। जी तो करता है इन्हें ऐसे ही चूसता रहूं, निप्पलों को काट लूँ।
परीशा- तो चूसो ना पापा … मैंने कब मना किया है। जब तक आपका मन नहीं भरता आप ऐसे ही इन्हें चूसते रहो, काटते रहो।
फिर मुकुल राय एक हाथ से उसके निप्पल को अपनी उंगली में मसलने लगता है और दूसरी तरफ वो अपना मुँह लगाकर परीशा के बूब्स पीने लगता है। परीशा को तो लगता है कि अब उसकी जान निकल जाएगी।
मुकुल राय सब कुछ एकदम आराम से कर रहा था। उसे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं थी और वो जानता भी था कि ऐसे कुछ देर में परीशा का भी संयम जवाब दे देगा और वो सब कुछ करेगी जो वो चाहता है।
करीब 10 मिनट के बाद आख़िर परीशा का सब्र टूट जाता है और वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर मुकुल राय का लंड थाम लेती है, उसे अपने नाज़ुक हाथों से मसलने लगती है।
मुकुल राय यह देखकर मुस्कुरा देता है और अपना अंडरवियर उतारने लगता है. कुछ पल में वो एकदम नंगा उसके सामने हो जाता है।
परीशा एकटक अपने पापा के लंड को देखने लगती है. परीशा को ऐसे देखता पाकर मुकुल राय भी अपना लंड उसके सामने कर देता है।
मुकुल राय- ऐसे क्या देख रही है बेटी? सिर्फ देखती रहोगी क्या?
परीशा अपना थूक निगलते हुए- पापा, अब तो ये काफी बड़ा हो गया है।
फिर मुकुल राय परीशा को बिस्तर पर सीधा लेटा देता है और उसकी पैंटी भी सरका कर उसे पूरी नंगी कर देता है।
अब परीशा की चूत अपने पापा के सामने बे-परदा थी।
फिर मुकुल राय उसकी गर्दन पर अच्छे से अपनी जीभ फिराता है और एक हाथ से उसके बूब्स को कस कर मसलने लगता है. दूसरी उंगली उसकी चूत पर फिराने लगता है और अपना जीभ से उसके दूसरे निपल्स को चूसने लगता है। फिर धीरे धीरे नीचे आते हुए अपनी जीभ से परीशा की चूत को चूसने लगता है।
अब परीशा का सब्र जवाब दे देता है और वो ना चाहते हुए भी चीख पड़ती है- बस … पापा … आज .. मेरी … जान लोगे क्या? मैं … मर जाऊँगी … आह!
इतना कहते कहते उसकी चूत से उसका पानी निकलना शुरू हो जाता है और परीशा का ऑर्गस्म हो जाता है. वो वही एकदम शांत होकर अपने पापा की बांहों में पड़ी रहती है, उसकी धड़कनें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और साँसें भी कंट्रोल के बाहर थी।
बड़ी मुश्किल से वो अपनी साँसों को कंट्रोल करती है और अपनी आँखें बंद करके अपने पापा के लबों को चूम लेती है.
मुकुल राय- बेटी अब तेरी बारी है। चल अब तू मेरी प्यास को शांत कर!
इतना बोलकर मुकुल राय अपना लंड परीशा के मुँह के एकदम करीब रख देता है। परीशा बड़े गौर से मुकुल राय के लंड को देखने लगती है। फिर अपनी जीभ निकालकर धीरे से उसके लंड का सुपारा नीचे से ऊपर तक चाटने लगती है।
मुकुल राय के मुँह से सिसकारी निकल पड़ती है।
फिर वो परीशा के सर के बालों को खोल देता है और अपना हाथ परीशा के सर पर फिराने लगता है।
धीरे धीरे परीशा मुकुल राय के लंड पर अपना जीभ फिराती है। अचानक मुकुल राय को ना जाने क्या सूझता है … वो तुरंत परीशा के मुँह से अपना लंड बाहर निकाल लेता है।
परीशा हैरत भरी नज़रों से अपने पापा को देखने लगती है. मुकुल राय उठकर रसोई में चला जाता है और थोड़ी देर के बाद वो एक शहद की शीशी लेकर वापस आता है।
शहद की शीशी को देखकर परीशा के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है, वो भी अपने पापा का मतलब समझ जाती है।
मुकुल राय फिर शहद की शीशी को खोलता है और उसे अपने लंड पर अच्छे से लगा देता है। मुकुल का लंड बिल्कुल लाल रंग में दिखाई देने लगता है.
फिर वो परीशा के तरफ बड़े प्यार से देखने लगता है। परीशा मुस्कुरा कर आगे बढ़ती है और अपना मुँह खोलकर शहद से लिपटे अपने पापा के लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू करती है। एक तरफ लंड रस का नमकीन स्वाद और एक तरफ शहद का स्वाद दोनों का टेस्ट कुल मिलकर बड़ा अद्भुत था।
थोड़ी देर के बाद परीशा अपने पापा के लंड पर का पूरा शहद चाट कर सॉफ कर देती है।
मुकुल राय- बेटी, एक बार मेरा लंड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसो ना। तुझे भी बहुत मज़ा आएगा।
परीशा- पापा आपका दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया। भला इतना बड़ा लंड पूरा मेरे मुँह में कैसे जाएगा। नहीं मैं इसे पूरा अपने मुँह में नहीं ले पाऊँगी।
मुकुल राय- क्या तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती। मैं जानता हूँ बोलने और करने में बहुत फर्क होता है। ठीक है मैं तुझसे ज़बरदस्ती नहीं करूँगा। आगे तेरी मर्ज़ी!
और मुकुल राय के चेहरे पर मायूसी छा जाती है। अपने पापा को ऐसे मायूस देखकर परीशा तुरंत अपना इरादा बदल लेती है।
परीशा- क्यों नाराज़ होते हो पापा … मेरा कहने का ये मतलब नहीं था। मैं तो बस … अच्छा फिर ठीक है अगर आपकी खुशी इसी में है तो मैं अब आपको किसी भी बात के लिए मना नहीं करूँगी। कर लो जो आपका दिल करता है। आज मैं साबित कर दूँगी कि परीशा जो बोलती है वो करती भी है।
मुकुल राय भी मुस्कुरा देता है और परीशा के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल देता है। परीशा के मुख से एक तेज़ सिसकारी निकल जाती है।
मुकुल राय- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू खुशी खुशी मेरा लंड पूरा अपने मुँह में लेकर चूसे। मैं यकीन से कहता हूँ कि तुझे भी बहुत मज़ा आएगा। हां शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी फिर तू भी आसानी से इसे पूरा अपने मुंह में ले लेगी।
परीशा- जैसा आपका हुकुम सरकार … मगर मुझे तकलीफ़ होगी तो क्या आपको अच्छा लगेगा। पापा … बोलो?
मुकुल राय- अगर चुदाई में तकलीफ़ ना हो तो मज़ा कैसा। पहले दर्द तो होता ही है फिर मज़ा भी बहुत आता है। बस तू मेरा पूरा साथ दे; फिर देखना ये सारा दर्द मज़ा में बदल जाएगा।
मुकुल राय फिर शहद अपनी उंगली में लेता है और अपने टिट्स पर मलने लगता है और फिर अपने लंड के आखरी छोर पर भी पूरा शहद लगा देता है।
मुकुल राय परीशा को बेड पर लेटा देता है और उसकी गर्दन को बिस्तर के नीचे झुका देता है। परीशा को जब समझ आता है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मुँह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद अपने पापा के रहमोकरम पर थी। मगर वो अपने पापा की ख़ुशी के लिए उसे सब मंजूर था।
मुकुल राय भी परीशा के मुँह के पास अपना लंड रख देता है और फिर परीशा की ओर देखने लगता है। परीशा भी अपनी आँखों से उसे लंड अंदर डालने का इशारा करती है। मुकुल राय परीशा के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता है और परीशा भी अपना मुँह पूरा खोल देती है।
धीरे धीरे उसका लंड परीशा के मुँह के अंदर जाने लगता है। मुकुल राय करीब 5 इंच तक परीशा के मुँह में लंड पेल देता है और फिर उसके मुँह में अपना लंड आगे पीछे करके उसके मुँह चोदने लगता है।
परीशा की गर्म साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी। वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता है और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता है। परीशा की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती है।
वैसे यह परीशा का पहला था। वो अपने पापा का लंड कई बार चूस चुकी थी पर कभी अपने मुँह में पूरा नहीं ली थी इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था। मुकुल राय करीब 7 इंच तक परीशा के मुँह में लंड डाल देता है और परीशा की साँसें उखड़ने लगती हैं।
मुकुल राय एकटक परीशा को देखता है और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता है. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा परीशा के मुँह में चला जाता है. परीशा को तो ऐसा लगता है कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं।
तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने पापा की खुशी के लिए सारी तकलीफों को घुट घुट कर पी रही थी।
फिर मुकुल एक झटके से अपना लंड बाहर निकालता है तो परीशा को कुछ राहत मिलती है मगर मुकुल राय कहाँ रुकने वाला था, वो फिर एक झटके से अपना लंड उतनी ही स्पीड से वो परीशा के मुँह में पूरा लंड पेल देता है
इस बार मुकुल राय अपना पूरा लंड परीशा के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था। परीशा के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वहीं मर जाएगी।
परीशा ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक परीशा के हलक में अपना लंड फँसाए रखता है। परीशा के मुँह से गु … गु … गू … की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी।
जब उसकी बरदाश्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनों हाथों से अपने पापा के पैरों पर मारने लगती है.
मुकुल राय को भी तुरंत आभास होता है और वो एक झटके से अपना पूरा लंड परीशा के हलक से बाहर निकाल देता है। परीशा वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती है. वो वहीं धम्म से बिस्तर पर पसर जाती है।
मुकुल राय के लंड से एक थूक की लकीर परीशा के मुँह तक जुड़ी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि उसके लंड से कोई धागा परीशा के मुँह तक बाँध दिया हो। वो घूर कर एक नज़र अपने पापा को देखती है।
परीशा- ये क्या पापा … भला कोई ऐसे भी सेक्स करता है क्या? आज तो लग रहा था कि आप मुझे मार ही डालोगे। मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही थी आपको क्या मालूम। देखो ना अभी तक मेरा मुंह भी दर्द कर रहा है।
मुकुल राय- तू जानती नहीं है परीशा बेटी … मेरा एक सपना था कि मैं किसी भी लड़की के मुँह में अपना पूरा लंड पेलने का। मगर आज तूने मेरा सपना पूरा कर दिया। मैंने तेरी मम्मी के साथ बहुत सेक्स किया है मगर उसने कभी भी मेरे लंड अपने मुँह में पूरा नहीं लिया। बेटी हो तो ऐसी हो!

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#57
बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा-5

परीशा- अब तो आप खुश हो ना?

मुकुल राय- हां बेटी … अच्छा तुम मुझे गिफ्ट देने वाली थी ना? क्या है वो तेरी स्पेशल गिफ्ट?
परीशा मुस्कुराकर- आप गेस करके बताइए? आपकी इस समय सबसे बड़ी इच्छा क्या है, मैं वो पूरी करुँगी। वही आपका स्पेशल गिफ्ट होगा।
मुकुल राय- मेरा तो इस समय सबसे ज़्यादा मन तेरी गाण्ड मारने को कर रहा है. अगर तू मुझे इसकी इजाज़त दे तो?
परीशा- चलो पापा आज आपको अपनी गांड आपको गिफ्ट में दिया। आप जैसे चाहो मेरी गांड मार लो।
मुकुल राय झट से परीशा को अपनी बांहों में ले लेता है और उसके लब चूम लेता है।
मुकुल राय- तू सच में बहुत बिंदास है बेटी। मैंने आज तक तेरे जैसे लड़की नहीं देखी. सच में तेरा पति बहुत किस्मत वाला होगा।
परीशा- और आप नहीं हो क्या?
परीशा धीरे से मुस्कुरा देती है।
मुकुल राय- सच में तेरी जैसे बेटी पाकर तो मेरा भी नसीब खुल गया.
और इतना कहकर वो परीशा की गान्ड को कसकर अपने दोनों हाथों से भींच लेता है।
मुकुल राय- बेटी, मेरा लंड को पूरा खड़ा कर ना फिर मैं तेरी गांड मारूँगा।
करीब 5 मिनट तक परीशा मुकुल राय के लंड को पूरा थूक लगाकर चूसती और चाटती है. तब मुकुल राय का का लंड परीशा की कुँवारी गांड को फाड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
मुकुल राय- बेटी, पहले तेरी गदराई गांड से तो जी भर के प्यार कर लूँ।
वो बस देखने लगता है अपनी बेटी के गान्ड की खूबसूरती … उफफ्फ़ … क्या नज़ारा था. भारी भारी गोल गोल उभरे हुए गोरे गोरे चूतड़ … जिन्हें अपनी हथेलियों से बड़े ही हल्के से दबाता हुआ अलग करता है … दरार चौड़ी हो जाती है … दरार के बीच थोड़ी सी डार्कनेस लिए गान्ड के छेद की चारों ओर का गोश्त … गांड की सूराख पूरी बंद हुई … पर चारों ओर का गोश्त एकदम टाइट! बन्द सूराख इस बात की गवाही दे रहा था कि गान्ड में कोई लंड अंदर नहीं गया है … और पूरी दरार चिकनी और चमकती हुई.
उसने अपने अंगूठे से गान्ड की दरार को हल्के से दबाया … अंगूठा उसकी चिकनी गान्ड में फिसलता हुआ ऊपर की ओर बढ़ता गया। उफ़फ्फ़ इतनी चिकनी और मुलायम गान्ड मुकुल राय ने आज तक नहीं देखी थी.
परीशा अपने पापा की हरकतों से मस्त थी, मुस्कुरा रही थी.
वो अंगूठे के दबाव से सिहर उठी … उसने अपनी गान्ड थोड़ी सी ऊपर उठाते हुए कहा- हां … हां पापा, अच्छे से छू लो, दबा लो देख लो … आपके लौड़े के लिए सही है ना?
“बेटी … बहुत शानदार, जानदार और मालदार है तेरी गान्ड … उफ … सही में तुम ने काफ़ी मेहनत की है … ज़रा चाट लूँ बेटी?
यह बात सुन कर परीशा और भी मस्ती में आ जाती है और अपनी गान्ड और भी ऊपर उठाते हुए पापा के मुँह पर रखती है- पापा … पूछते क्यूँ हो … आप की बेटी है … आपकी प्यारी बेटी की गान्ड है … जो जी चाहे करो ना … चाटो … चूसो खा जाओ ना … पर लौड़ा पूरा जड़ तक अंदर ज़रूर पेलना!
और अपने पापा के मुँह से अपनी गान्ड लगा देती है.
मुकुल राय उसकी गान्ड नीचे पलंग पर कर देता है, दरार को फिर से अलग करता हुआ अपनी जीभ उसके सूराख पर लगाता है और पूरी दरार की लंबाई चाट जाता है..जीभ को अच्छे से दबाता हुआ … उफ्फ़ उसकी गान्ड की मदमस्त महक और एक अजीब ही सोंधा सोंधा सा स्वाद था.
दो चार बार दरार में जीभ फिराता है … जीभ के छूने से और जीभ की लार के ठंडे ठंडे टच से परीशा सिहर उठती है … और फिर मुकुल राय उसकी गान्ड के गोश्त को अपने होंठों से जकड़ लेता है और बुरी तरह चूसता है … मानो गान्ड के अंदर का पूरा माल अपने मुँह में लेने को तड़प रहा हो.
परीशा मज़े में चीख उठती है- आआआह … पापा … उईईई … देखो ना मेरी गान्ड कितनी मस्त है? अब देर ना करो … बस पेल दो ना अंदर … प्लीज्ज।
मुकुल राय किचन में जाकर तेल की शीशी लेकर आता है।
परीशा जब अपने पापा के हाथ में तेल की शीशी देखती है तो उसकी हालत बिगड़ जाती है। उसने बोल तो दिया था कि वो अपने पापा से अपनी गान्ड मरवायेगी मगर इतना मोटा और लंबा लंड वो अपनी गान्ड में कैसे बरदाश्त कर पाएगी ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था।
मुकुल राय तेल की शीशी खोलता है और थोड़ा सा तेल लेकर परीशा की गान्ड के छेद पर गिरा देता है. अपनी दोनों उंगलियों में अच्छे से तेल लगाकर वो उसकी गान्ड में धीरे धीरे उंगली पेलना शुरू कर देता है। कुछ देर के बाद वो अपनी दोनों उंगली को परीशा की गान्ड में डालकर अच्छे से आगे पीछे करने लगता है।
परीशा फिर से गर्म होने लगती है। उसको समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है; भला वो बार बार कैसे गर्म हो रही है।
मुकुल राय फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता है और कुछ परीशा की गान्ड में भी डाल देता है। फिर अपना लंड को परीशा की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे परीशा की गान्ड में पेलने लगता है।
परीशा के मुँह से चीख निकलने लगती है मगर वो अपने पापा को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती।
जैसे ही मुकुल राय का सुपारा अंदर जाता है, परीशा की आँखों से आँसू निकल जाते हैं। उसे इतना दर्द होता है, लगता है की किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो।
वो फिर भी अपने पापा के लिए वो दर्द को बरदाश्त करती है।
परीशा – उफ पापा, आप कितने बेरहम हो … पूरा घुसा दिया … उम्म्ह… अहह… हय… याह… इतना मोटा लौड़ा पूरा मेरी गान्ड में डाल दिया.
मुकुल राय- हां बेटी … पूरा ले लिया है तूने … ऐसे ही बेकार में डर रही थी.
परीशा- बेकार में … उउफ्फ़ … मेरी जगह आप होते तो मालूम चलता … अभी भी कितना दुख रहा है … धीरे करो पापा!
मुकुल- बेटी, अब तो चला गया है ना पूरा अंदर … बस कुछ पलों की देर है. देखना तू खुद अपनी गान्ड मेरे लौड़े पर मारेगी.
वो बेटी की पीठ चूमता बोला।
“धीरे पेलो पापा … हाय बहुत दुख रही है मेरी गान्ड …” परीशा सिसिया रही थी।
मुकुल राय का तेल वाला सुझाव वाकई में बड़ा समझदारी वाला था। तेल से लंड आराम से अंदर बाहर फिसलने लगा था। जहाँ पहले इतना ज़ोर लगाना पड़ रहा था लंड को थोड़ी सी भी गति देने के लिए अब वो उतनी ही आसानी से अंदर बाहर होने लगा था।
हालाँकि परीशा ने अपने पापा धीरे धीरे धक्के लगाने के लिए कहा था मगर पिछले आधे घंटे से किए सब्र का बाँध टूट गया और मुकुल राय ना चाहता हुआ भी अपनी कमसिन बेटी की गान्ड को कस कस कर चोदने लगा।
परीशा- हाए उउफफ्फ़ … आआह मार … डाअल्ल आआअ … ईईईईई … ओह माआआअ … हे भगवान … मेरी गान्ड … उफ फट गईईई।
बेटी चीख रही थी, चिल्ला रही थी मगर अपने पापा को रुकने के लिए नहीं कह रही थी। साफ था कि उसे इस बेदर्दी में भी मज़ा आ रहा था। वैसे भी वो रोकती तो भी मुकुल राय रुकने वाला नहीं था।
दाँत भींचे वह बेटी की गान्ड में पेलता जा रहा था और वो पेलवाती जा रही थी।
मुकुल राय- हाय … अब बोल बेटी … मज़ा आ रहा है ना गान्ड मरवाने में?
परीशा- आ रहा है पापा … हाए बहुत मज़ा आ रहा है … ऐसे ही ज़ोर लगा कर चोदते रहिए पापा … हाए मारो अपनी बेटी की कुँवारी गान्ड!
मुकुल राय- आह्ह बेटी … क्या मस्त गांड है तेरी इतनी गर्म और टाइट। मेरे लन्ड को बिलकुल जकड़ लिया है तेरी गांड ने। आज तेरी गांड को पूरी खोल दूंगा साली रंडी।
परीशा- छी पापा … कितनी गन्दी गाली देते हो अपनी बेटी को।
मुकुल- अरे बेटी, सेक्स के टाइम गाली देने से ज्यादा मज़ा आता है और उतेजना और बढ़ती है।
परीशा- ओह्हह पापा।
मुकुल राय- आअह्ह्ह बेटी तेरी गांड दुनिया की सबसे अच्छी गांड है अब तो मैं रोज अपना लौड़ा पेलूँगा। बेटी गांड में लण्ड पेलने का सबसे बड़ा फायदा क्या है तू जानती है।
परीशा- नहीं पापा, आप बताओ?
मुकुल राय- गांड हमेशा कुँवारी चूत का मज़ा देती है। गांड को छेद फिर से सिकुड़ जाता है जबकि चूत का छेद ज्यादा चुदाई या बच्चे पैदा करने से फ़ैल जाता है और कम मज़ा आता है। गांड मारने से गर्भ ठहरने का डर नहीं रहता है।
परीशा- हाँ पापा, ये बात तो है। पापा अब दर्द कम हो रहा है पूरा पेल दो अपना लंड मेरी गांड में!
मुकुल राय- ले बिटिया … ले … यह ले … मेरा लौड़ा अपनी गान्ड में!
मुकुल राय ने पूरी रफ़्तार पकड़ते हुए परीशा के चूतड़ों पर तड़ तड़ चान्टे मारने शुरू कर दिए।
परीशा- हाय … उउफ्फ़ … मारो … पापा … मारो अपनी बेटी की गान्ड … फाड़ो अपनी बेटी की गान्ड … हाय मारो फाड़ डालो। इसे … उफफ़ … हे भगवान … ले लो मेरी गान्ड … ले लो मेरे पापा।
और फिर मुकुल राय पूरी रफ़्तार से अपना लंड अंदर और अंदर पेलना शुरू करता है. वो तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड परीशा की गान्ड की गहराई में पूरा नहीं उतर जाता।
परीशा की हालत बहुत खराब थी; वो दर्द से उबर नहीं पा रही थी।
करीब 5 मिनट तक वो ऐसे ही अपना लंड को परीशा के गान्ड में रहने देता है। फिर धीरे धीरे वो उसकी गान्ड को चोदना शुरू करता है। परीशा के मुंह से दर्द और सिसकारी का मिश्रण निकलने लगता है और मुकुल राय तब तक नहीं रुकता जब तक वो परीशा की गान्ड से खून नहीं निकाल देता।
करीब 20 मिनट तक ज़बरदस्त गान्ड मारने के बाद आख़िरकार परीशा का बदन भी जवाब दे देता है और वो भी चिल्लाते हुए ज़ोर ज़ोर से झड़ने लगती है। साथ में मुकुल राय भी परीशा के गांड में अपनी मलाई छोड़ देता है।
वही दोनों बाप बेटी वही बिस्तर पर एक दूसरे की बांहों में समा जाते हैं और परीशा अपने पापा को अपने सीने से चिपका लेती है। मुकुल राय भी उसके सीने पर अपना सिर रखकर लेट जाता हैं।

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#58
बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा-6

बाप बेटी की गांड मार लेता है, दोनों थक कर काफी देर आराम करते हैं।

कुछ देर बाद मुकुल राय को अपने लंड पर गीली गर्म जीभ का अहसास हुआ तो उसने आँखें खोल दी। उसने देखा उसकी बेटी किसी कुतिया की तरह उसके लंड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी। मुकुल राय का लंड फिर से अकड़ने लगा था। परीशा लंड को तेजी से चूस रही थी। अब मुकुल राय का लंड परीशा के थूक से पूरा गीला हो गया था।
जब लंड पूरा खड़ा हो गया तो मुकुल राय ने परीशा को सुला दिया और अपना लन्ड एक ही झटके में पूरा 9 इंच का लंड अपनी बेटी परीशा की चूत में पेल दिया।
परीशा- आआऐ ईईइ … इसस्स्स … ऊऊऊ इइइइइ मआआ … मर गयी … आअहह … इससस्स … आ.
पापा के मोटे लंड ने परीशा की चूत के छेद को इतना ज़्यादा चौड़ा कर दिया था, ऐसा लगता था कि चूत फट ही जाएगी.
“क्या हुआ बेटी?” मुकुल राय ने लंड थोड़ा सा और अंदर बाहर करते हुए पूछा.
परीशा- पापा, इसस्स … बहुत … बहुत मोटा लंड है आपका. आप तो मेरी चूत फाड़ डालेंगे.
मुकुल राय- हम अपनी प्यारी बिटिया की चूत कैसे फाड़ सकते हैं?
पापा ने परीशा के होंठों का रसपान करते हुए बोले।
मुकुल राय ने परीशा की दोनों टाँगें मोड़ के उसके घुटने उसकी चुचियों से चिपका दिए थे. अब तो वह बिल्कुल लाचार थी और उसकी चूत पापा के मोटे तगड़े लंड की दया पे थी। हालांकि अब तक तो उसके पापा अपने लंबे तगड़े लंड से कितनी बार परीशा को चोद चुके थे, लेकिन आज पापा का लंड झेलना भारी पड़ रहा था।
इतने में मुकुल राय ने अपना लंड थोड़ा सा परीशा की चूत के बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया। आधे से ज़्यादा लंड फिर से चूत में समा गया।
परीशा- आ आऐ ययईईईई … ऊऊऊईईईई माआआ … आहह धीरे … अया … धीरे … इससस्स.
इससे पहले कि परीशा कुछ संभलती, मुकुल राय ने फिर से अपना लंड सुपारे तक बाहर खींचा और इस बार एक और भी भयंकर धक्का मार के पूरा लंड परीशा की चूत में उतार दिया।
परीशा- आआअहह … आाययइ … मार डाला … फाड़ डालिए … आपको क्या? इससस्स … बेटी की चाहे फॅट जाए!
पापा का मोटा लंड आख़िर जड़ तक परीशा की चूत में घुस गया था और उनके मोटे मोटे बॉल्स उसकी गांड के छेद पे दस्तक दे रहे थे। परीशा का बदन पसीने में नहा गया था।
मुकुल राय थोड़ी देर बिना हिले परीशा के ऊपर पड़े रहे और परीशा की चूचियों और होंठों का रसपान करते रहे। परीशा की चूत का दर्द भी अब कम होने लगा था। अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
“बेटी थोड़ा दर्द कम हुआ?” मुकुल राय परीशा की चूचियों को दबाते हुए बोले।
“हाँ पापा, अब जी भर के चोद लीजिए अपनी प्यारी बिटिया को.” परीशा उनके कान में फुसफुसाते हुए बोली।
अब मुकुल राय ने पूरा लंड बाहर निकाल के परीशा की चूत में पेलना शुरू कर दिया। सच! ज़िंदगी में चुदवाने में इतना मज़ा आएगा परीशा ने कभी सोचा नहीं था। अब परीशा को एहसास हुआ कि क्यूँ उसकी सहेलियां रोज़ चुदवाने के लिए उतावली रहती हैं।
अब परीशा की चूत बहुत गीली हो गयी थी. उसमें से फ़च … फ़च … फ़च का मादक संगीत निकल रहा था.
कुछ देर तक चोदने के बाद उन्होंने अपना लंड परीशा की चूत से बाहर खींचा और उसके मुँह में डाल दिया। पापा का पूरा लंड और बॉल्स परीशा की चूत के रस में सने हुए थे. परीशा ने पापा का लंड और बॉल्स चाट चाट कर साफ कर दिए।
अब मुकुल राय बोले- परीशा मेरी जान, अब तू कुतिया बन जा। अपने इन जानलेवा चूतड़ों के दर्शन भी तो करा दे.
“आपको मेरे चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं ना?” परीशा पापा के बॉल्स सहलाते हुए बोली।
मुकुल राय- हां बेटी, बहुत ही सेक्सी चूतड़ हैं तुम्हारे!”
परीशा- और मेरी गांड? मेरी गांड अच्छी लगी आपको?
मुकुल राय- तुम्हारी गांड तो बिल्कुल जानलेवा है बेटी। जब नहा के टाइट कपड़ों में घूमती हो तो ऐसा लगता है जैसे कपड़े फाड़ के बाहर निकल आएँगे। तुम्हारे मटकते हुए चूतड़ों को देख के तो हमारा लंड ना जाने कितनी बार खड़ा हो जाता है.”
परीशा- हाय पापा, इतना तंग करते हैं हमारे चूतड़ आपको? ठीक है मैं कुतिया बन जाती हूँ। अब ये चूतड़ आपके हवाले। आप जो चाहे कर लीजिए.
यह कह कर परीशा ने जल्दी से पापा के लंड के मोटे सुपारे को चूम लिया और फिर कुतिया बन गयी।
अब उसकी चूचियाँ बिस्तर पे टिकी हुई थी और चूतड़ हवा में लहरा रहे थे। परीशा चूतड़ चुदवाने की मुद्रा में उचका रखे थे।
पापा अपनी बेटी परीशा के विशाल चूतड़ों को देखकर गर्म हो गये। उन्होंने परीशा के दोनों चूतड़ों को अपने हाथ में दबोचा और अपना मुँह उनके बीच में घुसेड़ दिया।
अब परीशा कुतिया बनी हुई थी और मुकुल राय उसके पीछे कुत्ते की तरह परीशा के चूतड़ों के बीच मुँह दिए उसकी चूत चाट रहे थे।
फिर पापा ने परीशा के चूतड़ पकड़ के चौड़े किये और उसकी गांड के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगे. परीशा तो अब सातवें आसमान पे थी; बहुत ही मज़ा आ रहा था उसे।
इतने में मुकुल राय ने अपनी जीभ परीशा के गांड के छेद में घुसेड़ दी। परीशा ये ना सह सकी और एकदम से झड़ गयी। काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में परीशा की चूत और गांड चाटने के बाद उन्होंने दोनों हाथों से परीशा के चूतड़ों को पकड़ा और अपने मोटे लंड का गर्म गर्म सुपारा परीशा की लार टपकाती चूत पे टिका दिया.
परीशा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। तभी मुकुल राय ने एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया और उनका लंड चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया।
“आऐ ययईईई… आआअहह … आह.” परीशा के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गयी।
मुकुल- बेटी, ऐसे चिल्लाओगी तो आवाज बाहर तक जाएगी.
परीशा- आप भी तो हमें कितनी बेरहमी से चोद रहे हैं पापा.
मुकुल राय के मोटे मूसल ने परीशा की चूत को बुरी तरह से फैला के चौड़ा कर दिया था। अब मुकुल राय ने परीशा की कमर पकड़ के धक्के लगाना शुरू कर दिया। आसानी से उनका लंड परीशा की चूत में जा सके इसलिए अब उसने टाँगें बिल्कुल चौड़ी कर दी थी। मीठा मीठा दर्द हो रहा था। परीशा अपने ही बाप से कुतिया बन के चुदवा रही थी।
मुकुल राय- परीशा बेटी तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है.
फ़च फ़च.. फ़च… फ़च फ़च… फ़च… की आवाज़ें ज़ोर ज़ोर से आ रही थी। परीशा की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. वह इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने चूतड़ पीछे की ओर उचका उचका के अपने पापा का लंड अपनी चूत में ले रही थी।
मुकुल राय- परीशा मेरी जान, तुम्हारी मम्मी को चोद कर भी आज तक इतना मज़ा नहीं आया था. बहुत मज़ा आ रहा है बेटी।
परीशा- मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है पापा। इन दिनों मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी। आज जाकर मेरी गर्मी शांत हुई। और चोदो पापा।
परीशा तो वासना में पागल हुई जा रही थी। शायद अपने ही बाप से चुदवाने के अहसास ने उसकी वासना को और भड़का दिया था।
मुकुल राय परीशा के चूतड़ों को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए बोले- परीशा बेटी, सच इन चूतड़ों ने तो हमारा जीना ही हराम कर रखा था। आज इन्हें फाड़ने में बहुत मज़ा आया और तुम्हारा ये गुलाबी छेद!
यह कहते हुए उन्होंने एक उंगली परीशा की गदराई गांड में सरका दी।
“आआआहह… ईसस्स … ये क्या कर रहे हैं पापा?”
मुकुल राय- बेटी तुम्हारे पापा ने आज पहली बार इस छेद को प्यार किया है?
पापा अब परीशा की गांड में उंगली अंदर बाहर कर रहे थे।
“आईई ईई ई ईईईईईई …” परीशा समझ गयी थी कि अब पापा फिर से गांड मारना चाहते थे। परीशा को मालूम था कि पापा को गांड मारने का बहुत शौक है। अपने ही बाप से फिर से गांड मरवाने की बात सोच सोच कर वह बहुत उत्तेजित हो गयी थी और परीशा की चूत तो इतनी गीली थी कि रस बह कर उसकी टाँगों पे बह रहा था। आख़िर वही हुआ जिसका उसे अंदेशा था।
पापा परीशा की गांड में उंगली करते हुए बोले- परीशा बेटी, हम तुम्हारे इस गुलाबी छेद को भी प्यार करना चाहते हैं। इसमें अपना मोटा लंड डाल के पेलना चाहता हूँ।
“हाय पापा … आपको हमारे चूतड़ इतने पसंद हैं तो कर लीजिए जी भर के इस छेद से प्यार. आज के दिन मैं पूरी तरह से आपको खुश करना चाहती हूँ.”
मुकुल- शाबाश मेरी जान, ये हुई ना बात। हमें पता था कि हमारी प्यारी बिटिया हमें गांड ज़रूर देगी। अब अपने ये मोटे मोटे चूतड़ थोड़े से और ऊपर करो.
परीशा ने चूतड़ ऊपर की ओर इस तरह उचका दिए कि पापा का लंड आसानी से गांड में जा सके। पापा ने परीशा की गांड से उंगली निकाली और नीचे झुक के अपनी जीभ परीशा की गांड के छेद पे टिका दी। परीशा की तो वासना इतनी भड़क उठी थी कि अब और सहन नहीं हो रहा था।
वासना के नशे में वो धीरे धीरे परीशा की गांड चाट रहे थे और कभी कभी जीभ गांड के छेद में घुसेड़ देते। एक हाथ से वो मेरी गीली चूत सहला रहे थे।
मुकुल राय- सच बेटी, तुम्हारी गांड बहुत ही ज़्यादा स्वादिष्ट लग रही है. तुम्हारी गांड में से बहुत मादक खुशबू आ रही है.
परीशा को आज तक यह बात समझ नहीं आई थी कि लड़कों को लड़कियों की गांड चाटने में क्या मज़ा आता है।
अब पापा ने परीशा की चूत के रस में से सना हुआ लंड उसकी गांड के छेद पे टिका दिया.
हाय राम! परीशा के पापा उसकी गांड फिर से मारने जा रहे थे।
परीशा भी कुतिया बनी उस पल का इंतज़ार कर रही थी जब पापा का लंड उसकी गांड में घुसेगा।
पापा ने परीशा के चूतड़ों को पकड़ के चौड़ा किया और साथ ही एक ज़ोर का धक्का लगा दिया।
परीशा- आआई यईई … आआअहह … इसस्स स्स्स्स!
जैसे ही लंड का मोटा सुपारा परीशा की गांड में घुसा उसके मुँह से चीख निकल ही गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मुकुल राय- हाय मेरी जान! क्या मस्त गांड है तुम्हारी!
पापा ने बेटी के चूतड़ पकड़ के एक ज़ोर का धक्का लगा के आधे से ज़्यादा लंड परीशा की मोटी गांड में पेल दिया।
परीशा- आआईईई आआआआ … ऊऊऊओ … ईईस्स्स.
परीशा का दर्द के मारे बुरा हाल था। उसे पक्का विश्वास था कि आज तो फिर से उसकी गांड ज़रूर फटेगी. पापा से गांड मरवाने की चाह ने उसे अँधा कर दिया था।
मुकुल राय- परीशा बेटी जितना मज़ा तुम्हारी गांड मार के आ रहा है उतना मज़ा तो तुम्हारी मम्मी की गांड मार के कभी नहीं आया.
परीशा को सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की थी कि उसको चोदने में पापा को मम्मी से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था।
इस बार मुकुल राय ने पूरा लंड बाहर खींच कर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा लंड जड़ तक परीशा की गांड में पेल दिया।
परीशा- ऊऊईई ईईईई ई…आआआ आआआ आआह आ … आअहह … मर गयी … इसस्स!
अब मुकुल राय ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार के लंड परीशा के गांड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। हर धक्के के साथ उनके बॉल्स परीशा की चूत पे चिपक जाते।
पापा अब जोर जोर से परीशा की गांड मार रहे थे, साथ ही साथ चूत में भी अपनी उंगली पेलने लगे थे जिससे परीशा एक बार फिर झड़ गयी।
मुकुल राय के धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे और शायद वो झड़ने वाले थे।
अचानक परीशा को अपनी गांड में गर्म गर्म पिचकारियाँ सी महसूस हुई। उसके पापा झड़ गये थे। परीशा की गांड लबालब उनके वीर्य से भर गयी थी।
उन्होंने जैसे ही परीशा की गांड से अपना लंड बाहर खींचा, वीर्य गांड में से निकल कर परीशा की चूत और जांघों पे बहने लगा। परीशा पीठ के बल लेट गयी और अपनी गांड से निकला हुआ पापा का लंड अपने मुँह में ले लिया।
पूरा लंड, बॉल्स और जांघें परीशा की चूत के रस और उसके पापा के वीर्य के मिश्रण में सनी हुई थी। उनके लंड से परीशा को चूत और गांड दोनों की गंध आ रही थी।
परीशा ने बड़े प्यार से अपने पापा के लंड और बॉल्स को चाट चाट के साफ किया। उसके पापा भी लम्बे समय से बेटी की चूत गांड चुदाई कर रहे थे। वो भी तक कर निढाल हो गये थे।
फिर परीशा भी अपने कपड़े पहन कर अपने रूम में सोने चली गई।
अब मुकुल राय अपनी जिंदगी के सारे मजे ले रहे थे।
सुबह जब मिशाली बैंक चली जाती तो मुकुल राय परीशा को पूरी नंगी कर देते और खुद भी नंगे हो जाते। दोनों के पास लगभग एक घंटे का समय होता। एक घंटे तक मुकुल राय अपनी बेटी को घर के हर कोने में हर जगह चोदते। कोई ऐसा जगह नहीं जहाँ मुकुल पापा ने अपनी बेटी को पेला न हो; किचन से लेकर बाथरूम आँगन से लेकर ड्राइंगरूम तक।
शाम को भी मुकुल राय साढ़े चार बजे तक आ जाते। उस टाइम तक परीशा भी आ जाती जबकि मिशाली को आते आते 6 बज जाते। शाम को भी डेढ़ घंटे बाप बेटी की चुदाई होती। परीशा भी आते ही मुकुल राय से लिपट जाती और उनके लन्ड को चूसने लगती। लंड चूसने में परीशा का कोई जबाब नहीं था।
शाम को तो दोनों साथ ही नहाते जिसमें एक राउंड जबरदस्त चुदाई होती शावर के नीचे। मुकुल राय कभी परीशा को कुतिया बनाकर उसकी गांड मारते तो कभी अपनी गोद में उठाकर उसकी गांड मारते हुए पूरा घर घूम लेते।
परीशा को मुकुल राय ने समझा दिया था कि उसको जब ज्यादा देर मजा लेना हो, वह कॉलेज से छुट्टी करके अपने पापा को बता दे, फिर दोनों मजे करेंगे। लेकिन माँ मिशाली के घर में रहने पर कभी भी किसी भी समय अपने पापा के पास मजे के लिए नहीं आए।
अब मुकुल राय परीशा के साथ दिन में कभी भी कहीं भी मजे लेने लगा था क्योंकि वह जानता था कि अब परीशा को भी कोई प्रॉब्लम नहीं है। मुकुल राय अपने आप को दुनिया का सबसे किस्मत वाला समझ रहा है। उसकी बेटी परीशा जो उसका पत्नी की तरह ख्याल रखती है; वह जो कहे करने को तैयार।
उसकी बेटी परीशा जिसको रफ सेक्स भी पसंद है। मुकुल राय परीशा को अपनी सगी बेटी को अपनी प्रेमिका बना चुका है जो अपने पापा को खुश करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है।
परीशा को गर्भ निरोधक दवा की भी जरूरत नहीं क्योंकि मुकुल राय हमेशा अपनी बेटी के मुँह या गांड में ही अपना वीर्य गिराते है।
उनकी बेटी परीशा एक कच्ची कली थी जिसे मुकुल राय ने रस चूसकर धीरे धीरे उसको फूल बना दिया है।
क्योंकि इसका रस उसे बहुत दिन तक चूसना है।

the end
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#59
मेरी छात्रा की पहली चुदाई

मेरा नाम इशांत है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। हाइट 6 फुट 2 इंच है, दिखने में भी अच्छा हूं, लंड भी भगवान ने बढ़िया दिया है, लम्बा है और मोटा है।

कॉलेज टाइम तक 3-4 लड़कियों की चुदाई कर चुका था पर लन्ड महाराज को शांति मिलती ही नहीं थी।
कॉलेज खत्म हुआ प्लेसमेंट हुई नहीं और मैं जॉब की तलाश में इधर उधर धक्के खा रहा था यह घटना उन्हीं दिनों की है। मेरे एक दोस्त के भाई का ट्यूशन इंस्टिट्यूट है उसने जब मुझे वहां पढ़ाने के लिए कहा. पहले तो मैंने मना कर दिया पर फिर यह सोच कर हामी भर दी कि चलो कुछ नहीं से 8000/- ही बेहतर हैं।
मुझे ग्यारहवीं क्लास को मैथ पढ़ाना था, गिन कर चार स्टूडेंट्स थे पर अपनी एक स्टूडेंट दीक्षा को देखते ही मैं उस पर फिदा हो गया था। इतनी ग़ोरी की छूने से मैली होने का डर… देखने में बिल्कुल अदिति राव हैदरी… पर उससे भी मासूम होंठ इतने लाल कि देखते ही उन्हें चूसने को जी मचलना शुरू कर देता. इस सबके ऊपर से उसकी 5.1 फुट की छोटी सी हाइट के बावजूद उसके मम्मे कम से कम 34डी आकार के रहे होंगे और अप्सरा सी एक हाथ में समा जाने वाली कमर उसे किसी मर्द के लन्ड के लिए कहर बनाते थे।
पहले ही दिन से मैं उसे चोदने के सपने देखने लगा था। पर करता क्या… कोई मौका हाथ ही नहीं आ रहा था.
पर सही ही कहते हैं कि ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़ के देता है।
अक्टूबर अभी शुरू ही हुआ था कि मेरे घर वाले सभी 10 दिनों के लिए घूमने मसूरी चले गए मैं अपनी जॉब के कारण नहीं जा पाया, ऊपर से स्टूडेंट्स के टेस्ट चल रहे थे तो कैसे जाता।
एक दो दिन बाद मुझे दोस्त के भाई ने बुलाया और बताया कि दीक्षा मैथ में फेल हो गयी है और उसकी कमी को पूरा करने के मुझे उसे एक्सट्रा टाइम देना होगा।
हमने दीक्षा के माता पिता से बात की और वो दीक्षा को मेरे घर पढ़ने के लिए भेजने को राजी हो गए। मेरा दिल तो सातवें आसमान पर था क्योंकि मैं जानता था कि मैं पहला किला फतेह कर चुका हूँ।
मैंने जानबूझ कर दीक्षा को सुबह 6 बजे का टाइम दिया।
अगले दिन उसे आना था, मैं 5 बजे ही जाग चुका था पर जानबूझ कर सिर्फ बरमूडा और बनियान पहने बैठा रहा ताकि उसे अपने नागराज के दर्शन करवा के गर्म कर सकूँ।
पूरे 6 बजे घर की डोरबेल बजी और सोने की एक्टिंग करते हुए मैंने घर का दरवाजा खोला.
सामने दीक्षा थी सफेद शर्ट और ब्लू टाइट जीन्स पहने… लन्ड महाराज जो पहले ही जागे हुए थे, अब दीक्षा को सलामी देने लगे।
मैं- ओह दीक्षा तुम? मैं तो भूल ही गया था कि तुम्हें आज आना है।
मैंने अनजान बनते हुए कहा।
दीक्षा- सर… तो मैं वापिस जाऊं?
उसने शर्माते हुए कहा क्योंकि वो मुझे सिर्फ बुरमुडा और बनियान में देख रही थी।
मैं- नहीं नहीं… तुम अंदर आओ, मैं बस दो मिनट में फ़्रेश होकर आता हूँ।
मैंने देखा कि वो कनखियों से मेरे लौड़े को बार देख रही थी। मेरा निशाना सही जगह लग चुका था। मैं समझ गया कि यहाँ बात बनेगी, बस थोड़ी और कोशिश करनी है।
वैसे दीक्षा पढ़ने में काफी अच्छी थी. मेरे लिए यह हैरानी की बात थी कि वो कॉलेज टेस्ट में फेल हो गयी है।
मैं फ्रेश होकर आया और मैंने बात शुरू- दीक्षा, तुम इस बार फेल कैसे हो गई?
दीक्षा- पता नहीं सर… इस बार टेस्ट मुश्किल था।
मैं- दीक्षा मुझे पता है तुम होनहार स्टूडेंट हो, यह मुश्किल नहीं हो सकती। तो बताओ बात क्या थी?
दीक्षा- वो… वो… सर… मैं आपको नहीं बता सकती… प्लीज सर, मैं पहले ही परेशान हूँ आप मुझे और परेशान न करो।
उसकी ऐसी बात सुनकर तो मेरा सारा जोश ही ठंडा हो गया। मुझे लगने लगा पक्का इसका कोई बॉयफ्रेंड होगा और उसी से शायद कोई लड़ाई झगड़ा चल रहा होगा। अब कुछ होने की गुंजाइश नहीं बची थी।
मैंने खुद को सामान्य किया और उसे ट्रिग्नोमेट्री पढ़ाने लगा.
क्लास खत्म हुई और वो चली गयी।
मेरा तो दिमाग चकरा रहा था, मैंने खुद से कहा- लड़की गयी हाथ से! ऊपर से फालतू जो पढ़ाना पढ़ा सो अलग।
मैं टीवी ऑन करने के लिए उसका रिमोट टेबल से उठाने लगा तो देखता क्या हूँ पेन स्टैंड के नीचे एक चिट पड़ी थी जिस पर कुछ लिखा था। मैंने चिट उठा ली, उस पर केवल तीन शब्द लिखे थे ‘शाम 6 बजे’
मेरा दिमाग एक बार फिर चक्कर खा गया, समझ में नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है। पर एक बात जो मैं समझ गया वो यह कि दीक्षा जो भी बात करने वाली थी वो उसके लिए काफी मायने रखती थी इसलिए मैं 6 बजे तक कपड़े-वपड़े पहन कर तैयार हो गया।
दीक्षा पूरे 6 बजे आई।
मैंने दरवाजा खोला, उसने पिंक कलर का छोटा सा टॉप पहना हुआ था जो उसकी नाभि तक ही आ रहा था और नीचे शार्ट निक्कर थी सफेद रंग की। उसके घुंघराले बाल उसके गोरे-2 गालों से खेल रहे थे।
मैं उसे देखता ही रह गया…
मैंने उसे अंदर आने के लिए कहा, वो अंदर आ गयी और सोफे पर चुपचाप बैठ गयी। वो कोई बात नहीं कर पा रही थी, मैं कुछ पूछता तो वो हाँ या न में गर्दन हिला देती।
आखिर कुछ देर बाद वो उठकर मेरी बगल में बैठ गयी। उसके बदन की गर्माहट से मेरा बुरा हाल हुआ जा रहा था, लन्ड जीन्स के अंदर फड़फड़ाने लगा था पर मैंने उसे छुआ नहीं। मैं जानता था छोटी सी गलती सब खेल चौपट कर सकती थी।
दीक्षा- सर… मुझे आपसे एक बात करनी है.
मैं- दीक्षा, डरो मत, तुम्हारी हर मुश्किल को सुलझाने में मैं तुम्हारी मदद करूँगा। बताओ क्या बात है?
दीक्षा- सर… सर मैं एक लड़के से प्यार करती हूँ।
उसने रुक-रुककर डरते हुए कहा।
मेरा तो दिल बैठ गया ‘लो… जिस बात का डर था वो ही हुआ!’ पर मैंने खुद से कहा पर खुद को संभाले रखा।
मैं- यह तो अच्छी बात है दीक्षा, इसमें बुराई क्या है? प्यार तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है।
उसकी आँखों में आंसू देख कर मैं उसके पास गया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए मैंने अपनी बात जारी रखी- दीक्षा, बोलो क्या बात है?
दीक्षा- सर पहले आप प्रॉमिस करो आप नाराज़ नहीं हो जाओगे मेरी बात सुन कर!
मैं- बाबा प्रॉमिस… अब तो बोलो क्या बात है?
दीक्षा- सर… वो और कोई नहीं, आप ही हैं। मैं दिन रात आपके बारे में ही सोचती रहती हूं इसलिए… आई… लव… यू… स्स्स… !
वो अपनी बात भी पूरी न कर सकी कि उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
मैंने दीक्षा को बांहों में भर लिया और उसके गालों पर एक किस की और बोला- दीक्षा, आई लव यू टू!
दीक्षा ने मेरी आँखों में देखा और अपना चेहरा हल्का सा ऊपर उठाया और मेरे लबों को चूम लिया।
“आई लव यू!” उसने फिर कहा उसके इन शब्दों ने मेरे लिए अजीब उलझन पैदा कर दी, एक अजीब सी भावना मेरे दिल में उमड़ पड़ी जो शायद प्यार ही थी।
मेरे हाथ जो उसकी कमर पर थे अपने आप नीचे आ गए। मेरा दिल बैचैन हो उठा, मैंने उसे जाने के लिए कह दिया.
दीक्षा- आप नाराज़ हो गए न… इसीलिए मैं नहीं बता रही थी… प्लीज नाराज़ मत हो ना।
उसकी बच्चों सी मासूमियत ने मेरे अंदर तूफान ला दिया था। एक तरफ मैं उससे प्यार करने लगा था तो दूसरी तरफ मेरी वासना बढ़ती जा रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। जिसके कारण मेरा ग़ुस्सा बढ़ता चला गया और मैं उस पर बरस पड़ा- दीक्षा जाओ यहाँ से… वरना मैं कुछ कर बैठूँगा. तुम्हें पता भी है कि तुमने किस तरह के इंसान से प्यार कर लिया है?
मैंने उसे उसकी बाजू से पकड़ कर हिलाते हुए कहा।
और सोफे पर बैठ गया।
मुझे लगा था वो डर जाएगी और चली जायेगी… पर नहीं, वो जाने के बजाए मेरे पास आ गयी और मेरी गोद में मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई उसके विकसित स्तन मेरी मजबूत छाती से टकराने लगे, उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों से पकड़ लिया और जैसे एक माँ अपने बच्चे को चूमती है बिल्कुल वैसे ही चूमते हुई बोली- शोना क्या बात है… बोलो न?
उसके इस प्यार भरे लहजे से मैं और ज्यादा गुस्से और वासना से भर गया और उसकी टॉप को उतार कर फेंक दिया और बोला- यह चाहता हूँ मैं… बोलो दे सकोगी?
मैं सोच रहा था वो गुस्सा होगी, मारेगी या रोयेगी!
पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि चुपचाप अपनी ब्रा भी खोल दी। उसके गोल-2 स्तन बाहर लुढ़क पड़े।
मैंने उसके एक स्तन के गुलाबी चूचुक को अपने मुंह में ले लिया चूसने लगा.
वो सिसक उठी- आह… माँ…
उसकी सिसकारियों ने मुझे और जोश दिला दिया और मैं उसके खूबसूरत मम्मों पर भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा और उन्हें कभी चूसता. जब चूसते चूसते थक जाता तो उन्हें आटे की तरह गूंधने लगता।
उसकी कामुक आहें पूरे कमरे में गूंज रही थी।
मैं पूरा गर्म हो चुका था, अब और रुकता तो लन्ड पैंट में ही झड़ जाता। मैंने उसे कमर से पकड़ के उठाया और सोफे पर फेंक दिया और उसे मेरी पैंट खोलने को कहा।
मैं- खोल इसे मेरी जान, इसमें तेरे लिए एक तोहफा है।
दीक्षा- नहीं, मुझे शर्म आती है।
मैं- साली नाटक मत कर, खोल इसे!
मैंने उसकी एक चूची को ज़ोर से मसलते हुए कहा।
वो दर्द से कराह उठी और उसने मेरी बेल्ट खोल दी और रुक गयी।
वो डर भी रही थी, शर्मा भी रही थी और झिझक भी रही थी.
मैं समझ गया इसकी तो पहली बार है इसलिए मैंने थोड़ी चालाकी दिखाई और उसे सोफे पर लिटा दिया और और खुद भी उस लेट गया और उसके गालों पर किस करते हुए मैंने काफी बार उसे ‘आई लव यू!’ कहा।
धीरे-2 उसका डर एक बार फिर मुस्कुराहट में बदल गया, उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया। आज तक मैंने उसे वासना की नज़र से ही देखा था पर आज मैं देख पा रहा था कि सच में कितनी सुंदर है वो!
मैंने उसके होंठों पर हल्की सी किस की, उसने भी वैसा ही जवाब दिया और मेरे होंठ चूमने के लिए वो हल्की सी ऊपर उठी.
पर मैं पीछे हट गया… उसने फिर कोशिश की, मैं फिर पीछे हो गया… पर फिर मैंने नीचे होकर उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया.
दीक्षा किस करने में अच्छी थी, सेक्स उसमें नेचुरल था. हम दोनों के होंठ एक दूसरे में गुत्थमगुत्था हो गए, हमारी जीभें एक दूसरे के साथ कबड्डी खेलने लगी।
यह मेरी लाइफ की बेस्ट किस थी जिसके बाद मैं जान गया था कि दीक्षा ही वो लड़की थी जिसे मैं लाइफ पार्टनर बनाऊंगा।
मेरे हाथ उसके भरे-पूरे मम्मों को फिर सहलाने लगे थे पर इस बार प्यार से।
मैं धीरे-2 नीचे हुआ और उसकी निक्कर को खोल दिया। मैंने एक नज़र उसकी तरफ देखा तो उसने हामी में सिर हिला दिया।
मेरी तो खुशी का ठिकाना ही न रहा… मैं इतने जोश में आ गया कि अगले ही पल उसके बदन से उसकी निक्कर और पैंटी अलग होकर नीचे ज़मीन पर पड़े थे।
“आप तो बड़े बेसबरे हो?” उसने शर्माते हुए कहा।
“दिकू… बेसबरा मैं नहीं, कोई और है जो इस समय मेरी पैंट में फड़फड़ा रहा है और मुझे सता रहा है” मैंने अपनी जीन्स उतारते हुए कहा।
“चल झूठे… ऐसा कोई नहीं है.” उसने बच्चों की खिलखिला के कहा।
मेरी जीन्स उत्तर चुकी थी, मैं सिर्फ कच्छे में था। मैं कच्छा भी उतारने जा रहा था कि उसने मुझे रुकने का इशारा किया अपना सर हिला के।
मैं रुक गया, वो उठी और सोफे पर घुटनों के बल बैठ गयी. उसने अपने दोनों हाथ आगे किये और मेरे कच्छे को नीचे कर दिया।
लेकिन जैसे ही उसने मेरे कच्छे को नीचे किया मेरा मूसल जैसा लन्ड उसके गालों से जा टकराया।
“ओह माई गॉड!” उसके मुँह से यकायक निकल गया।
“क्या हुआ दिकू?” मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
“कितना बड़ा है… बिल्कुल मोटे डंडे जैसा!”
“क्या कितना बड़ा है?” मुझे उसे छेड़ने में मज़ा आने लगा था
“आपका वो और क्या!”
“वो क्या दिकू?”
“आपका नुन्नू और क्या!”
“नुन्नू? वो तो बच्चों का होता है।”
यह कहते हुए मैंने उसे सोफे पर लिटा और उसकी टाँगें फैलाकर उनके बीच घुटनों के बल बैठ गया। बिल्कुल छोटी सी गुलाबी रंग की बुर थी, उसका छेद नज़र ही नहीं आ रहा था, ऐसे लग रहा था जैसे उसकी चूत की फांकों के बीच छेद ही न हो।
जैसे ही मैंने उसकी बुर पर लौड़ा रखा हम दोनों को ज़ोर दार करंट लगा। उसकी छोटी सी बुर पर मेरा घोड़े जैसा लन्ड अजीब लग रहा था, एक पल के लिए तो मुझे भी लगा कि नहीं जाएगा। उसके मोम्मों को कस के पकड़ लिया, वो बिल्कुल वैसे हो दिखने लगे जैसे कि गुब्बारा बीच में से दबाने पर दिखता है।
मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया पर लन्ड अंदर जाने की जगह ऊपर को फिसल गया। एक दो और धक्के लगाए पर चूत ने तो लौड़ा लेने से साफ इंकार कर दिया।
मैं यह बिल्कुल नहीं चाहता था कि घोड़ी बिदक जाए… इसलिए मैंने हाथ से उसकी चूत की फांकों को थोड़ा खोला और टोपे को किसी तरह थोड़ा सा फंसा दिया। वो आँखें बंद करके लेटी हुई थी, जैसे बच्चे इंजेक्शन लगने से पहले आँखें बंद कर लेते हैं।
मैंने उसके कंधों को मजबूती के साथ पकड़ लिया और एक कसके धक्का लगाया. पक की आवाज़ के साथ मेरा तीन इंची टोपा उसकी फुद्दी में घुस गया।
वो दर्द से बिलबिला उठी- आ आ ओह माँ मर गई!
पर उसने ‘निकालो विकालो…’ जैसी कोई चीज़ नहीं कही बल्कि अपनी टाँगों को मेरे चारों ओर कस लिया और मुझे बाहों में भर लिया।
मैं दर्द को उसके चेहरे पर साफ देख सकता था।
मैं कुछ देर के लिए रुक गया मेरे लन्ड का टोपा अभी भी उसकी छोटी सी चूत में फंसा हुआ था।
मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया और उसके पसीने से भीगे हुए बालों को सँवारते हुए कहा- बस शोना बस… हो गया!
कुछ मिनट के लाड़ से वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने एक और धक्का दिया पर लन्ड कुछ ही अंदर जा पाया। ऊपर से उसकी साँसें तेज़ हो गयी, आंखें ऊपर चढ़ गई… उसने इतने ज़ोर से मुझे हग किया कि उसके नाखून मेरी पीठ में गड़ गए। मैं समझ गया कि ये नाजुक कली और नहीं सह पाएगी… पर मैं क्या करता लन्ड तो अभी तक लगभग बाहर ही था।
मैंने एक आखिरी कोशिश करने की सोची और पूरी ताकत से एक झटका पेल दिया और लन्ड सीधा जाके उसकी चूत की झिल्ली से टकराया पर शुक्र है भगवान का कि उसकी सील नहीं टूटी, वरना बेचारी का क्या होता ये कोई नहीं जानता।
“आ… आ… ओह… माँ…” उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में एक बार फिर गूँज उठी, उसका रंग सफेद पड़ गया झटका हल्का सा भी तेज होता तो पक्का वो बेहोश हो जाती।
अब मैंने उसके कंधे छोड़ दोबारा उसके मम्मे पकड़ लिए और आधे लन्ड से ही हल्के-2 झटके देना शुरू कर दिए. लन्ड उसकी चूत में गर्मी से पिघला जा रहा था, लग रहा था अब गया तो अब गया।
पर झटके देने जारी रखे मैंने… मुझे लग रहा था मैं पहले झड़ जाऊंगा पर वो 5-6 मिनटों में ही झड़ गयी उसकी चूत रस से लबालब भर गयी।
मैंने दो चार घस्से ही और लगाए कि मेरा भी टाइम आ गया। मैंने जल्दी से लन्ड बाहर निकाला और उसके पेट पर झड़ गया।
हम दोनों ही इतने थक चुके थे कि वहीं सोफे पर ही सो गए।
एक घंटे बाद मेरी नींद खुली, वो अभी सो रही थी। मैंने उसे जगाया और उठा के बाथरूम में ले गया वहां हमने गर्म पानी का शावर लिया, फ्रेश हुए।
समय काफी हो चुका था, वो पहले ही काफी लेट थी। हमने जल्दी से कपड़े पहने एक को किस करके विदा ली।
मैं उसे जाते हुए देख रहा था… वो हल्की-2 लंगड़ा के चल रही थी।
अजीब सी प्यार भरी अनुभूति मेरे दिल को हुई कि आखिर कोई सच्चा प्यार करने वाला मुझे भी मिल गया।
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#60
जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-1

दोस्तो, मैं अतुल दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट लगभग 5 फुट 9 इंच है. वैसे तो मैं सांवले रंग का हूँ, लेकिन लोग कहते है कि मैं बहुत स्मार्ट दिखता हूँ.

यह कहानी तब की है, जब मैं छोटा था और कॉलेज में पढ़ता था. उस टाइम हम लोग मामा की शादी में नानी के गांव गए थे. जब हम वहां पहुंचे, तो सबसे पहले मैंने मामा से मामी की फोटो मांगी. उस टाइम मोबाइल फोन का ही चलन नहीं था. तो ये व्हाटसैप आदि भी किधर से होता. यदि ये सुविधा होती तो अब तक मैं दिल्ली में ही मामी की फोटो मंगा सकता था. मामी की फोटो देखने की मेरे अन्दर बड़ी ही उत्सुकता थी.
जब मैंने मामा से फोटो मांगी, तो मामा ने कहा- तुम्हारी नानी के पास है, अन्दर जाकर देख लो.
मैं अन्दर नानी के कमरे में गया, तो वहां पहले से ही मेरे पेरेंट्स मामी की फोटो देख रहे थे.
मैंने भी देखी.
दोस्तो, मामी की फोटो देखते ही मानो मेरे अन्दर करंट सा दौड़ गया था. एक तरफ मेरे मामा जहां 32 साल के काले से और मोटे से इंसान थे, तो वहीं दूसरी तरफ मेरी मामी ने अभी अपनी ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष के एग्जाम दिए थे. वो अभी केवल 21 साल की थीं. उनका फिगर तो ऐसा था कि बस कुछ पूछो ही मत. आप देखते तो एकदम से उनकी पूरी कमर को अपने हाथों में भर कर उन्हने अपने सीने से लगाने का मन बनाने लगोगे.
उनका मुखड़ा इतना अधिक प्यारा था जैसे कोई फिरंगी लड़की हों. वो इतनी ज्यादा गोरी थीं, जैसे दूध में एक चुटकी सिंदूर डाल दिया हो. सच बताऊं, तो उस टाइम मामा को देख कर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि ऐसे काले मोटे भद्दे से दिखने वाले आदमी को इतनी मस्त माल जैसी बीवी कैसे मिल रही है.
मेरी होने वाली मामी के चूचे तो ऐसे उठे हुए थे मानो ब्लाउज फाड़ कर अभी बाहर आएंगे. उस टाइम मेरा लंड तो उनको देखते ही खड़ा हो गया था.
दूसरी तरफ मेरे फैमिली मेंबर सब लोग मामी को देख कर बड़े खुश थे कि चलो बहू सुंदर मिल गई है.
शादी का दिन नजदीक था. तीन दिन बाद वो समय भी आ गया, जब मेरा मामा घोड़ी पर चढ़ने जा रहा था.
मैं और परिवार के कुछ सदस्य मामा के साथ उनकी कार में बैठ गए. बाकी बारात भी शाम के करीब 4 बजे निकल चुकी थी. हम लोग शाम 7 बजे मामी के शहर आ पहुंचे. उन्होंने एक विवाह घर में हम सभी को रोकने की व्यवस्था की थी. सच में बड़ा ही शानदार विवाह घर था.
ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी आलीशान पंचतारा होटल में आ गया हूँ. उसी विवाह घर में खुले स्थान में पंडाल लगा हुआ था जिधर से शादी का कार्यक्रम होना था.
शाम होते ही हम सभी नाचते गाते बारात लेकर पंडाल में आ गए.
कुछ देर बाद मामी अपनी बहनों और सहेलियों के साथ वरमाला ले कर आईं. उनको देख कर मेरी तो हालत मानो ख़राब ही हो गई थी. मामी को जब सामने से देखा, तो वे फोटो से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे उनकी वो वाली फोटो अंधेरे में खींची गई थी.
मामी को लाइव सामने देख कर मैं बता नहीं सकता कि मुझे क्या महसूस हो रहा था. स्टेज पर ही मेरे पैंट में तंबू बन गया था.
मेरे मामा की किस्मत पर मैं रश्क कर रहा था. ना जाने मामा अपनी किस्मत कहां से लिखवा कर लाया था. मैं बस यही सोच सोच कर उस वक़्त बहुत दुखी भी था.
मेरे मामा की धूमधाम शादी भी हो गई. बारात मामी की विदा करवा कर वापस आ गई. अब वो रात भी आ गई, जब मेरा मामा, मामी के ऊपर चढ़ने वाला था.
मेरा कमरा मामा के कमरे से लगा हुआ था. या यूं कह लो कि हम दोनों के कमरों के बीच में एक ही दीवार थी, बस कमरे दो थे.
उस रात मुझे रात भर नींद नहीं आई. मैं रात भर बस दीवार पर कान लगा कर कुछ सुनने की कोशिश करता रहा, लेकिन मेरी फूटी किस्मत, मुझे कुछ सुनाई ही ना दिया.
अगले दिन हम जितने भी एक ही उम्र के थे, सब मामी के कमरे में आ गए. हम सब मामी के साथ बात करते रहे. चूंकि मेरा नेचर बहुत फ्रैंक टाइप का था, तो मैं बहुत जल्दी मामी के साथ घुलमिल गया.
मैंने मामी को अपनी दिलफेंक बातों से अपने साथ काफी करीब कर लिया था. उनसे बात करते करते मैं उनका काफ़ी अच्छा दोस्त बन गया था. मामी मुझसे हंस बोल रही थीं.
मेरे मामा सूरत की किसी गारमेंट्स फैक्ट्री में काम करते थे, तो उनको शादी के बाद जल्दी ही निकलना था. दो दिन बाद वो अकेले ही सूरत निकल गए. उनके जाने के कुछ दिन बाद हम लोग भी दिल्ली चले आए.
फिर टाइम यूं ही बीतता गया. मामा की शादी के कुछ साल बाद मोबाइल का जमाना आ गया. मैंने भी एक फ़ोन ले लिया. फोन के जरिए हर जगह फोन पर बातें होना सुगम हो गया.
अब तक मामी के दो बच्चे हो चुके थे और मामी भी मामा के साथ सूरत ही चली गई थीं.
जब भी मेरी मम्मी, मामा-मामी से सूरत बात करती थीं, तो मैं भी फोन पर उनसे बात कर लेता था. मामी मुझे बिल्कुल भी नहीं भूली थीं.
फिर समय ऐसे ही बीतता गया. मैं अब कॉलेज के फर्स्ट इयर में एड्मिशन ले चुका था. इसी के साथ मैंने अब इंटर क्लास की कोचिंग देना भी शुरू कर दिया था. मेरी खुद की कमाई शुरू हो गई थी.
एक दिन मैंने अपनी पहली कमाई से एंड्रॉएड फोन ख़रीदा. उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि इससे पहले हमारे घर मैं एंड्रॉएड फोन नहीं था. मैंने उस फोन में नेट का रीचार्ज करवा लिया था और अपनी दिल की ख्वाहिशें पूरी करने लगा था.
फिर एक दिन मैं कॉलेज मैं अकेला बैठा था, अचानक ना जाने कहां से मुझे मामी का ख्याल आ गया. मैंने अपनी मामी को फोन लगाया.
उधर से मामी की आवाज आई. मामी बोलीं- हैलो कौन?
मैंने बताया तो उन्होंने एकदम से खुश होते हुए कहा- अरे अतुल कैसे हो … आज इतने दिनों बाद अपनी मामी को कैसे याद कर लिया?
तो मैंने कहा- नहीं मामी … ऐसी तो कोई बात नहीं है … मैंने बात तो आपसे करता ही रहता हूँ. बस कुछ दिन पहले नया फोन लिया था, तो सोचा कि आपसे अपने इस नम्बर से बात कर लूं.
वो भी खुश होते हुए बोलीं- अच्छा क्या बात है … नया फोन किसने दिलाया है?
मैंने कहा- मामी … अपनी कमाई के पैसे से ही खरीदा है.
मैंने मामी के पूछने पर उन्हें अपनी कोचिंग के बारे में बता दिया. फिर मैंने बच्चों के बारे में और मामा के बारे में पूछा.
मामी ने कहा- तेरे मामा अपने ऑफिस गए हैं और बच्चे कॉलेज गए हैं.
उनका लड़का करीब 7 साल का हो गया था और लड़की करीब 5 साल की हो गई थी.
इसके बाद हम दोनों रोज करीब आधा एक घंटा बात कर ही लेते थे. उस समय मैं कॉलेज में होता था. मामी घर के सारे काम निपटा कर मुझे मिस कॉल कर देती थीं.
मैं पहली फुर्सत पाकर यहां से उनको कॉल कर लिया करता था. इस प्रकार धीरे धीरे मुझे मामी से बात करने की आदत सी पड़ गई और हम लोग घंटों बात करने लगे थे. हमारी बातों में थोड़ी दिल्लगी भी आ गई थी.
एक दिन मामी ने पूछा- कॉलेज में कितनी लड़कियां पटा ली हैं?
मैंने कहा- कहां मामी … कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं … होती तो क्या आपसे इतनी बातें करता.
इस बात पर मामी हंसते हुए कहने लगीं- तो क्या तू मुझसे गर्लफ्रेंड समझ कर बात करता है?
मेरे मन में तो आया कि हां मामी मैं तो आपको कबसे गर्लफ्रेंड बनाना चाहता हूँ. मगर मैं ऐसा कह नहीं सकता था.
हालांकि इसके बाद से मामी मुझसे खुल कर बात करने लगीं और मुझे भी उनके साथ बिंदास बातें करने में मजा आने लगा.
एक दिन मैंने बातों ही बातों में मामी से उनके सुहागरात वाली रात की बात पूछ ली.
इस पर उन्होंने शरमाते हुए कहा कि मुझे याद नहीं है कि उस रात क्या क्या हुआ था.
मैंने हंसते हुए कहा कि मामा ने तो पलंग ही तोड़ दिया होगा.
इस बात पर वो हंसने लगीं और बोलीं- बड़ा शरारती हो गया है तू … पलंग कैसे टूटता है, अब तो तू ये भी जानने लगा है.
मैंने कहा- हां मामी गर्लफ्रेंड नहीं पटी, तो क्या हुआ … मोबाइल में कई पलंगतोड़ कुश्तियां देख चुका हूँ.
मामी समझ गईं कि मैं ब्लू-फिल्म देखता हूँ.
वो बोलीं- कुश्ती देखने के बाद क्या करते हो?
मैंने भी कह दिया कि हाथ चला लेता हूँ.
मामी बोलीं- हाथ चला लेते हो मतलब क्या करते हो, मैं समझी नहीं साफ़ साफ़ बताओ न.
मैंने बात घुमाते हुए कह दिया कि अरे मामी क्या उल्टा सीधा सोचने लगी हो … मैं ताली बजा कर मजा लेता हूँ.
मामी हंस दीं और बात खत्म हो गई.
इस तरह मैं और मामी बातों में खुलते चले गए. सेक्स आदि की बातें भी होने लगी थीं.
फिर मैंने एक दिन ऐसे ही बातों ही बातों में उनसे पूछा कि मामी जी, अब मामा आपके साथ कितनी बार करते हैं?
उन्होंने कहा- तेरा मतलब सेक्स करने से है?
मैंने धीमे स्वर में हां कहा.
तो वो थोड़ा सा उदास होकर बोलने लगीं कि सच बोलूं तो मेरी शादी तो एक बूढ़े से हो गई है. घरवालों ने उनकी उम्र नहीं देखी. मैं सिर्फ़ 21 साल की ही थी और ये 35 साल के थे. उस टाइम तो थोड़ा बहुत ये कर भी लेते थे, पर अब ये दो महीने में एकाध बार भी कर लें, तो वही बहुत है.
ये बोल कर मामी थोड़ा सा उदास हो गई थीं. ये सब बातें जानकर मुझे मजा भी बहुत आ रहा था और थोड़ा अफ़सोस भी हो रहा था.
मैंने उनसे शादी के पहले के बारे में पूछा, तो बोलीं कि मेरे गांव का एक लड़का मुझसे बहुत प्यार करता था और वो मुझसे शादी भी करना चाहता था. पर मेरे घरवाले नहीं माने. वे बोले कि दूसरी कास्ट में शादी नहीं करेंगे.
मैंने पूछा- अरे … इसमें क्या बात थी.
वो उदास होते हुए बोलीं- काश मैं उस टाइम अपने घरवालों से लड़ी होती, तो आज मेरी ज़िंदगी खुशहाल होती.
मेरे और मामी की उम्र में, उम्र का कम ही फर्क था, तो इस पर मामी बोलीं कि तुम तो मेरी उम्र के ही हो, तुम ही बताओ कि मैं कैसे जी रही होऊँगी.
मैंने कहा- हम्म … मामी इस उम्र में शरीर की भूख मिटानी भी जरूरी है. हमारा क्या है, हम लोग तो हाथ चला कर अपनी आग निकाल लेते हैं … पर आपका तो उस तरह से करना भी आपकी आग को ज़्यादा भड़का देता होगा.
मामी बस एक ठंडी आह भर कर रह गईं.
मैंने उनसे कहा- मामी, मैं आपको एक दोस्त की हैसियत से कुछ कहूँ?
मामी ने हां कहा.
तो मैंने कहा- आप आसपास वहीं देख लो … कोई मर्द तो होगा.
इस पर वो बोलीं- ना रे बाबा ना … कहीं तुम्हारे मामा को पता चल गया, तो मुझे जान से ही मार ही देंगे.
अब बता यहां तक होने लगी थी कि मैं अपनी चुदासी मामी की चुदाई के लिए उनको लंड की तलाश के लिए कहने लगा था.

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