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Thriller कामुक अर्धांगनी
bhai ye story bandh ho gayi kya?
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Bhai mast story hai age b likho yr iski maa ko b chudwao iske smne
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Bahi javed hero tah na
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ताबड़तोड़ तरीके से लड़ का चूत पर प्रहार होते मधु कामवासना मे हिचकौले मारने लगी और अपने हाथों को अपने ही मदमस्त चुचियों पर रख दबाते आहे भर्ती बोली अहह अहह क्या सुख है रे दो लौड़े एक साथ लेने मे कहाँ मेरे नामर्द पति के झटके कहाँ तुम दोनों का वॉर उफ्फ्फ फाड् दे दोनों मेरी जवानी खा जा बिरजू ओह मेरे कालू ऐसा चोद की तेरी मालकिन रंडी बन जाए उफ्फ्फ अहह करती मेरी मधु सातवें आसमान पर थी और इधर मेरी प्यारी शालिनी भाभी के मखमली मुलायम चुचियों को मसलता मे निप्पलों को चूस खिंचे जा रहा था और भाईसाहब अपने धर्मपत्नी की चुदी चूत लपलप चाटे जा रहे थे ।
 
भाभी के कोमल हाथ मेरे नामर्द बदन पर चिंगारी की तरह सिहरन दौड़ा रहे थे जो मेरे बेकार लुल्ली को अकारण मर्द होने का आभास दिला रहा था ऐसे मनोइस्थि मे मेरा मन हज़ारों खयालो मे खोए हुआ था और अपने अर्धाग्नि की चीत्कार सुन ऐसा लग रहा था कि मेरा जीवन सबसे सुखद पल मे कट रहा है और इस बीच मधु की तेज चीत्कार ने सारे माहौल को बदल डाला ।
 
गांड मे लड़ यू ही पड़ा रहा पर चूत से लड़ खिंच सबने मेरी अर्धाग्नि को पिचकारी मारते देखा एक पतली गाढ़े सी सफेद मलाई उसके चूत से धार बन कालू के बदन से टकराती कुछ छीटे शर्मा जी के जिस्म से स्पर्श करती भाभी के चिकने योवन पर बरसती हुई सबको भिगोते चली गई ।
 
भाभी ने झुक कर मधु के चूत को हाथ से रगड़ते बोला वाह अब तू समझी क्या सुख है मर्दो के नीचे चल बाकी भी निकाल दे और अपने तीन उँगलियों को मोड़ कर भाभी ने मधु के चूत को बड़े बेरहम अंदाज़ मे झंगझोर दिया और मेरी पत्नी चित्कार मारती हाँफने लगी और बोली भाभी भाभी और उसका निढाल बदन देख कोई भी समझ सकता था कि आखिर ये औरत आज वो सुख भोगी है जो हर मर्द आ दायित्व है औरत को देने का ।
 
कालू ने थोड़े देर सब्र रखा फिर भाभी के हाथ को जबरन हटा कर बोला ये चूत का रस मेरे लौड़े के लिए है और उठ चढ़ एक झटके मे मधु के लस लसलसाते चूत मे लड़ पेल कर जानवर की तरह चुदाई करने लगा और मधु बंद आँखों से कालू के कंधों को पकड़ी आहे भर्ती ऐसे हाँफने लगी मानो मधु एक अलग दुनिया मे हो और यथा सीघ्र मधु का बदन पूरी तरह अकड़ गया और वो ऊपर की और उठ एकदम से बिरजू पर गिर पड़ी और कालू हँसते बोला मालकिन अब तूने मेरे लड़ सही नहलाया है और वो बेसब्र सा फच फचाते चूत को चोदता अपना वीर्य त्याग करने लगा और ऊपर निढाल हो कर हाँफने लगा जो देख भाभी ने आहे भरते बोला देखा देवर जी ऐसे प्यास बुझती है एक औरत की ।
 
 
शर्मा जी मेरी पत्नी की और देखते रहे और भाभी ये देख बोली क्यों जी मधु की चूत से मलाई खाओगे क्या ,
 
शर्मा जी शर्म से पानी पानी हो गए पर भाभी ने भी अपने टांगों से उनके सीने पर अंघुटे को दबाते बोला अब काहे की शर्म नामर्द है दोनों मेरे देवर और आप यही एक रास्ता है कि बीवी को गैरों से सुख भोगते देखना नही तोह कहीं बाज़ारू बन गई तो जी नही पाएँगे आप दोनों ।
 
कालू हल्का महसूस करते मधु के पसीने से तरबतर बदन से उठ कर अलग होते खड़ा हुआ और भाभी ने उसे कहा इधर आ चल मेरे देवर को चाटने दे तेरा ये गीला लड़ और अपने पति को बड़े बेशर्मी से भाभी बोली जाईये चाट के मेरी देवरानी की चूत सूखा दीजेए जल्दी एक एक बूंद पी लेना है आपको आखिर मर्द का बीज पियेंगे तभी सायद कभी कभी मर्द सा महसूस कर पाएंगे ।
 
कालू ने अपने लड़ को भाभी के गोरे चुचियों पर रख कर सहलाया और मैंने जीभ से भाभी के चुचियों पर लगा पानी चाट लिया और कालू के लड़ को मुँह मे ले कर चूसने लगा और भाभी कालू के जिस्म को सहलाते बोली वाह ये पसीना जो तूने बहाया है ना मेरे देवरानी को सुख दे कर तूने मुझे खुश कर दिया कालू और इधर शर्मा जी के मुँह लगते ही मधु ने उनका सर दबाते बोला भाईसाहब आह आपके जीभ मे जो नशा है वो बिल्कुल मेरे गांडू पति जैसा है ।
 
भाभी के कहे अनुसार मैंने कालू का लड़ बिल्कुल साफ कर दिया पर चूसता रहा जो देख भाभी हँसते बोली देवर जी क्या चाहते हो फिर से ये खड़ा हो गया तो तेरी गांड फाड् देगा , मै कालू के लड़ को हाथ से पकड़ बोला भाभी दो जवान प्यासी औरतों के बीच दो जवान मर्द और दो जवान नामर्दों के साथ यही होगा न और क्या हो सकता है ।
 
कालू ने भाभी के स्तनों को सहलाया और मैं लड़ चूसता रहा इधर मधु के चूत मे जीभ डाले शर्मा जी मलाई खाए जा रहे रहे थे कि बिरजू बोला मालकिन ये रंडी बाज़ार से माहौल देख मेरा लड़ मचल रहा और उसने लड़ गांड से निकाल शर्मा जी के मुँह पर लगा कर बोला चूस दो मालिक मेरा लड़ निकालो मेरा पानी ये सुनते शर्मा जी गांड से निकले बिरजू का लड़ मुँह मैं ले चूसने लगे और बिरजू मधु के दूध को मसलते बोला चूस ज़ोर से चूस निकाल मेरा पानी चूस गांडू चूस ऐसा सुन कर मेरी भाभी की हसी निकलने लगी और भाभी बोली बिरजू तेरे मालिक को तेरा पानी चाहिए पिला दे ।
 
मधु ने अपने गर्दन को हल्का बिरजू की और घुमाया और बिरजू जीभ निकाल मधु के जीभ को सहलाया है था कि बिरजू ने पिचकारी मारी और शर्मा जी के मुँह मे अपना वीर्य त्यागा और हाँफते बोला पूरा चूस गांडू रुक मत और शर्मा जी ने भी कस कर चूस बिरजू के लड़ को परम आनंद देते संतुष्ट कर दिया और मधु ने बिरजू के हाथों पर अपना हाथ रखते बोला बिरजू कस से दबा न लाल कर दे मेरे उभारों को और इधर शर्मा जी ने जैसे है बिरजू के लड़ को साफ किया मधु बोल उठी मेरी गांड चाट लिजेए न जीभ डाल कर भाईसाहब ।
 
ऐसे रंडी माहौल मैं मेरा रोम रोम मचलते रहा और भाभी ने अपने स्तनों को कालू के हाथों और मधु अपने स्तनों को बिरजू के हाथों मसलवाते हल्के आहो से चारों और माहौल चुदासी बना कर बोली चलो दोनों ने आज रात आखिर अपना काम कर है दिया और अब तो बस ये दोनों नामर्द भी समझ है गए कैसी जिंदगी जिनी है इनको अब से ।
 
कहानी को मैं अब इससे ज्यादा नहीं लंबी करने वाला परन्तु कुछ रोचक कहानियों के साथ आप सबसे वापस जुड़ने वाला हुँ जो मेरी अर्धाग्नि पर ही केंद्रित रहेगी ।
आप सबके स्नेह प्यार और आशीर्वाद के लिए तहे दिल से धन्यवाद
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Bhut shandaar welcome back brother
Update continue rakhna yaar ab
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Bht mst bhai maza agya welcome back bhai bht wait krwaya ab jldi se update ki line lga dijiye
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उक्त रात्रि समाप्त होने के पश्चात तड़के सुबह कालू और बिरजू अपने घर लौट गए और भाभी शर्मा जी संग रात की थकान मिटाने निकल गए इधर मेरी अर्धाग्नि नग्न भारी आँखों से सबको विदा कर बैठी हुई थी और दरवाज़े को बंद कर मैं अर्धाग्नि के पास बैठ कर उसके चिकने जिस्म को उँगलियों से सहलाने लगा और वो धीरे धीरे मेरे बाहों मे सिमट गई ।
 
उसके जिस्म से एक अलग महक मेरे सासों मे समाने लगी और मैं मधु को कस कर अपने नंगे जिस्म से चिपका कर बस उसके बदन के गर्मी को अपने बदन पर महसूस करने लगा ।
 
काफी देर हम दोनों यू ही शांत एक दूसरे के बाहों मैं सिमटे रहे और बिना किसी बात चीत के बस एक दूजे को सहलाते रहे ।
 
मधु के गोरे चिकने बदन पर मर्दों के निशान साफ झलक रहे थे और उसकी केसों की दशा सम्पूर्ण रूप से लूटी औरत के भाती दिख रही थी ।
 
सुबह का पहला पहर है था हल्की मंद मंद भोर ही हुई थी जो हल्की ठंडी हवाओं के साथ आती है जिस वजह से मधु का बदन सिहरन महसूस करने लगा था और इस सब के बीच अपनी पत्नी को लंबे समय के बाद अकेला पा कर मेरा मन प्रसन्नता से गदगद था ।
 
मधु कॉफी शांत चुप चाप सी थी मानो वो पूर्ण रूप से संतुष्ट हो ओर ऐसा हो भी क्यों नहीं आखिर ऐसी चुदाई मिले जो कि योवन के सारे रस छलका दे तो बाकी प्यास बचती भी कहा है ।
 
खैर मैंने मधु के केसों को सहलाते पूछा क्या चाय बना लाऊ वो मेरे बदन को कस कर जकड़ते बोली बस कुछ देर ऐसे रहिए न चाय मैं ही बना लाऊंगी ये सुन मेरा रोम रोम सिहरने लगा मानो मधु योवन सुख पा कर मेरे से ज़्यादा प्यार करने लगी हो ओर मेरा मन गदगद होने लगा था ।
 
सच मे अगर एक औरत बिस्तर पर निढाल हो जाए मर्द से तो वो ऐसी गृहणि बन जाती है जो घर को स्वर्ग बना दे ऐसे मैं जब मैंने खुद ही अपनी अर्धाग्नि को पराए मर्दो से मस्ती करवा के निढाल होते देखा है तब कहाँ कोई कसर रहेगी मेरी पत्नी के प्रेम मैं ।
 
 
आप पाठकों को एक बात बताना चाहूँगा की मधु के गोरे बदन पर दोनों मज़दूरों के हाथों से बने निशान नीले पड़ चुके थे जो अलग अंदाज मैं गवाही दे रहे हो कि मदमस्त मस्ती लूटी थी योवन की ।
 
खैर कॉफी देर मधु मेरे आगोश मे यू है समाई रही फिर वो धीरे से मुझसे अलग हो मटकती चाय बनाने चली गई ,बर्तन की आवाज़ से मालूम पड़ रहा था कि वो चाय उबालते वक़्त बाकी काम भी कर रही थी और थोड़े देर बाद वो पानी और चाय के साथ बगल मे बैठी और हम दोनों ने चाय का आनंद लिया और फिर वो मुझे बोली आप नहा लिजेए मैं झाड़ू पोछा कर के नाहउँगी और सारा दिन सोऊंगी आपसे चिपक कर बड़ी थकान सी लग रही है ।
 
मैंने हाथ बढ़ा कर मधु के निप्पलों को सहलाया और बोला तुम काम कर लो न साथ नहाना है मुझे वो शर्मा के हँसते बोली क्या बात है आप जोश मैं लग रहे है ।
 
 
मैंने उसके निपल्ल को हल्के हाथों से मसल बोला नहाने से पहले जी भर चाटूँगा तुझे मेरी जान वो हँसते बोली आपकी ही हूँ जैसा चाहो मज़ा दूँगी आपने मेरे खुशी के लिए इतना कर दिया कि बस ये जवानी का हर कोना आप के लिए तड़प रहा ।
 
चाय चुस्की के बाद मधु घर मे काम करने लगी और सारे पँखे बंद होने की वजह से उसका नंगा योवन पसीने से भीग मेहकने के साथ चमकने लगा ।
 
एक घंटे बस मधु को काम करते देख मन ही मन पटक के चोदने का होने लगा था पर खुद के शरीर से मजबूर अपनी लुल्ली पर हल्का तनाव भी नही भरता देख बस ख़यालों मैं ही चोदने का सोचता रहा ।
 
आखिर जब मधु सारे काम खत्म कर थकी हारि पास आ बैठी तोह मैंने अपने झाघो को फैलाया और उसे अपने गोद मे बिठा कर अपना मुँह उसके दोनों मदमस्त चुचियों के बीच रख तेज़ सास लेता उसके बदन के पसीने से अपना पूरा चेहरा भिगोता आह भरने लगा और मधु मेरे बालों को कस कर खिंचती बोली कोई एक मर्द साथ होता तो क्या हम तीनों साथ नाहा के एक दो घंटे बाद न सोते ।
 
 
मधु अत्यधिक चुदासी हुई पड़ी थी ये मुझे समझ आ चुका था पर भोर छे बजे कौन मर्द मिलेगा ये सोच मेरे गांड की सुराख मे हलचल होने लगी थी कि मधु बोली बेचारा वसंत न जाने कहाँ होगा ।
 
मेरी जवानी मैं मानो उफान उठ गया हो ऐसा लगा जब मधु के मुँह से वसंत का नाम सुना वो आहे भर बोली उफ्फ कितनी गर्मी है एक मर्द के बहो मे ।
 
खैर मरता क्या न करता ऊपर से खुद लड़ का चस्का लगाए मेरा बदन हाथों से मोबाइल टटोलने लगा कि मधु बोली क्या ढूंढ रहे है ।
 
मधु जानती थी कि मर्द की बात होगी तो उसका नामर्द पति कभी न नहीं बोलेगा ।
 
मैं बोला वसंत को बुला लेता हूँ वो हँसते बोली आप क्यों बुला रहे है मैं है बुला लेती हूँ , सोच रही हूँ चलिए दोनों नहाते हैं क्या सोचेगा बेचारा रात भर चुदा कर बैठी भाभी मिल गई चलिए तरो ताज़ा हो कर वसंत के साथ मस्ती करेंगे फिर आराम से आराम करेंगे ।
 
मधु की उत्सुकता देख मे हाँ मे हाँ मिलाता रहा ओर उसके साथ गुसलखाने मे चूमा चाटि करते उसके योनि को जी भर चाट कर आनंदमय हो गया और वो साबुन लगा खूब कस के जिस्म को रगड़ रगड़ कर साफ करती इठलाती तोलिये को अपने गीले बालों मे बांधती बाहर की और चल पड़ी और मे भी अच्छे से नहा कर बाहर निकल आया और मधु के खिलखिलाकर हँसते चेहरे को देख समझ गया वसंत को जवानी की दावत पर बुलाया जा रहा था ।
 
मधु के खिलखिलाते चमकते योवन बदन से पीछे से चिपक उसके गर्दन को चूम मैने अपने हाथों को उसके मचलते उभारों पर रख सहलाया और हल्की आह करती मधु बोली इतंज़ार न कराना देवर जी जल्दी से आ जाना और फ़ोन को बिस्तर पर फेंक मेरे पत्नी मेरे हाथों को ऊपर से पकड़ अपने बेताबी को महसूस कराती बोली सुनिए जी वसंत बोल रहा है वो आज दुकान नहीं खोलेगा सारा दिन यही मेरी छेदों मे मेहनत करेगा ऐसी बात सुन मे अपनी चहिती को अपने और मोड़ बोला ये तो अच्छा है ना दिन भर एक गबरू जवान लौड़े से चुदाई होगी तो ये जवानी निखार जाएगी ।
 
मधु शर्मा के मेरे बाहों मैं समा गई और बोली क्या बताऊँ आपको जितना चुदवाती उतना और मन करता चुदने का ।
 
अरे पगली मैंने कहा रोका तुझे जी भर मज़ा लो न एक दो क्या अनगिनत मर्दो से मस्ती करो मेरी जान क्योंकि ये जवानी एक बार की मेहमान है वो भी चंद दिनों तक ही रहती है बाकी योवन ढलने के बाद भवरे भी नही मंडराते ।
 
खुल कर रंडी नाच करती रहो नए नए मर्दो से अनुभव लो बाकी इस मोहल्ले मैं एक से एक रंडी है ही ये सुन मधु हँसते बोली आप भी न ।
 
 
मधु के होंठो को चूम मैं अंगवस्त्र धारण कर बाहर बैठ गया और वो अपने हुस्न को लिपस्टिक बिंदी काजल और मांग भर कर एक पतली नाइटी पहन मेरे पास आ बोली भूख लग रही मैगी बना लेती हूँ आप खाएँगे क्या ।
 
 
हाँ खा लूँगा बना लो और थोड़ी चाय भी बना लेना बोल मे पेपर उठा पढ़ने लगा और थोड़े देर मैं ही दस्तक हुई और वसंत घर मे दाखिल हो गया ।
 
मधु किचन से झाँक कर देखी ओर वसंत बशीभूत हो मधु की ओर चल पड़ा और मैंने दरवाज़ा बन्द कर वापस बैठ चाय के इंतज़ार मैं पेपर पढ़ता रहा ।
 
कहानी जारी रहेगी ।
 
 
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Bahut garam hai ye
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किचन से खिलखिलाती मधु की हँसी सुन कर मेरा हृदय प्रफुलित हो चला था मानो वसंत ने मधु को पीछे से अपने बाहों मे जकड़ लिया हो और उसके बदन की महक से उसके हाथ मधु के उभारों पर थिरक रहे हो और मधु अपने बदन को वसंत के हाथों छुवा कर मचल सी रही हो और दोनों के जिस्मों मे एक हल्की चिंगारी भड़क सी उठी हो
 
आउच उफ्फ आउच रुको उफ्फ्फ नहीं अहह प्लीज् धीरे अहह दर्द हो रहा उफ्फ हल्के से अहह ऐसी आवाज़ों से घर गुज़ उठा मानो वसंत मधु को भोर मे अपने बदन से चिपका कर बेकाबू हो चुका था और मधु के मदमस्त योवन को खाने को तड़प रहा था
 
काफी देर स्यम करने के पश्चात जब रह गया तो मधु की सिसकियाँ सुन खिंचा जाने लगा और देख कर मेरे जिस्म मे उबाल भर आया
 
वसंत के हाथों मधु की पतली सी नाइटी बेजार हो चुकी थी और उसके उभारों के पास फटी हुई थी जिस पर वसंत के दोनों हाथों ने रसभरे स्तनों को जकड़ कर निचोड़े जा रहा था और मधु इठलाती उसके जवां जिस्म को अपने जिस्म पर चिपका कर खुद को लुटाती आहे भरे जा रही थी मानो दो बिछुड़े योवन के प्यासे जोड़े बेसब्र बन एक दूजे से लिपट रहे हो ।
 
धीमी आंच पर चाय उबल रही थी पर मधु की आँखे हवस की आंधी मे बन्द थी और मैगी के भगोने मे पानी सूख रही थी
 
दोनों मे किसी को होश नहीं था ये देख मे पास जा कर बोला तुम दोनों बस करो भूख लगी है मुझे ,मधु हल्का सा झेंपती बोली आप ही अपने छोटे भाई को रोको कहती वो वसंत के जिस्म से अलग हो चाय छानने लगी और वसंत मंद मंद मुश्कान लिए बाहर हाल मे बैठ गया और मैं पास जा मधु के फटे नाइटी को देख बोला उतार लेती न वो हँसते बोली आप भी न नई ले लुंगी वैसे भी मर्दो को कपड़े फाड़ने मे ज़्यादा मज़ा आता है और वो ट्रे मे चाय मैगी साथ लेती बोली चलिए कुछ खा लिजेए ।
 
उधर वसंत के पास मधु बैठ बोली आपके छोटे भाई बहुत बदमाश हो गए है इतने ज़ोर से मेरे दूध दबाते है कि दर्द होने लगता है ये सुन वसंत ने अपने हाथों को मधु के स्तन पर रखते बोला भैया इतने बड़े है, ना दबाऊंगा ज़ोर से तो कैसे अच्छे से पकड़ पाउँगा ये सुन मधु हँसने लगी और वसंत ने निपल्ल खिंच बोला भाभी अपना दूध पिला दो चाय के साथ साथ ।
 
 
मधु ने वसंत को बच्चे की तरह अपने गोद पर लेटा लिया और बोली पियो न मेरे बदमाश देवर जी और वो चाय पीते बोली जो कहिए आपके छोटे भाई बड़े ही भोले भाले है देखिए कैसे मेरे निप्पल्स को चूस रहे है ।
 
 
वसंत दूसरे स्तन को दबाता दूध चूसता रहा और हम मिया बीवी मैगी खा कर चाय पीते रहे ।
 
 
आधा घंटा कब कैसे बीत गया पता नहीं चला और अब धूप की किरणें कमरे को रोसनमयी किए जा रही थी पर किसी के आँखों मे नींद की सिकन न थी ।
 
 
वसंत ने बारी बारी दोनों स्तनों से जी भर निप्पल पान किया और मधु उसके केसों को सहलाते बेटे की तरह उसको पुचकार कर अपने योवन के निप्पलों को चुस्वाये जा रही थी ।
 
मधु को इस तरह शालीन भाव से बैठे कामुक क्रीड़ा करते देख मेरा तन बदन गर्म होने लगा और मेरी लुल्ली छटपटा उठी ।
 
कहानी जारी रहेगी ।
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Nice update brother
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bahut khoob bhai
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तन बदन की गर्मी मेरे चेहरे से भापति मधु अपने आँखों को मारती मंद मंद मुश्काते अपने देवर के केसों को सहलाते निप्पलों को बदल मुझे चिढ़ाती जा रही थी
 
मेरा बदन एक दम से मधु को बाहों मे कस कर दबोच चूमने का हो चला था पर विवस्ता भी थी मेरे साथ कि एक दफे फिर योवन भड़का कर शांत करने के काबिल नही था मैं
 
 
वसंत के दांतों के बीच निप्पल्स खिंच कर चूसे जाने से उसका चेहरा कामुकता के भाव विभोर सा था पर मधु पहले की तरह उतावली नहीं जान पड़ रही थी आखिर जो औरत इनती देर लगातार योवन को चुदवा चुकी है उसके मन मे उबाल आसानी से कैसे सकता था
 
 
वसंत भी बिना किसी उन्मात के मधु के स्तनों को बच्चे की भांति बस निचोड़ पिए जा रहा था मानो उसने सच मे मधु को माँ मान लिया हो और वो स्तनों को बरी बारी दबाते योवन मे उतेजना का प्रभाव भी भरे जा रहा था जो देख मेरा नामर्द योवन तक उबाल मारने लगा था पर असहाय की तरह खुद को काबू कर मे क्रीड़ा देखने पर विवश था
 
 
मधु की पतली नाइटी बस अपने स्तनों को ही प्रदशित कर रही थी बाकी उसका जिस्म अभी भी पतली नाइटी के अंदर ही छिपा हुआ था जो समय अनुसार जल्द ही टुकड़ो मे बिखरने वाला था जो देखने की लालसा मेरे मन मे प्रचुर होते जा रही थी
 
 
आह देवर जी दाँतो से नहीं दुखता है उफ्फ धीरे खींचो अहह कहती वो अपने स्तनों से उठते दर्द को बयां किये जा रही थी पर उसका नटखट देवर निप्पलों पर दाँत लगा खुल कर वॉर कर अपने भाभी को मचलने पर विवश कर रहा था
 
 
मधु का हाथ धीरे से वसंत के कमर की ओर बढ़ने लगा और हौले से उसके ज़िप पर फेरते नज़रे मेरी ओर देख मन ही मन शायद बोले जा रही थी कि देखिए आपके भाई का लड़ एकदम कड़क हो गया दूध पी कर ,शरारती मधु अपने हाथों से वसंत का उभार पकड़ कर दबाए जा रही थी ,वसंत का लिंग पूर्ण रूप से कड़क था और मधु के हाथों मे फड़फड़ा रहा था और वसंत जान बूझ कर निप्पलों को ज़ोर से खिंचता मधु के चित्कारी निकाल अपने गर्म होने का एहसास कराता जा रहा था
 
 
कॉफ़ी देर यू मधु उसके लड़ को दबाती रही जो देख मेरा जी लड़ को देखने के लिए मचलने लगा और मैं इशारे से मधु को देख आँखों ही आँखों मे लड़ निकालने को बोला वो हँसते बोली खुद उतार दो मेरे बेटे के पैंट, वो तो माँ के दूध का प्यासा है अभी कहाँ कुछ और सूझ रहा इसे
 
 
मधु ने ऐसा बोल मुझे शर्मिंदा कर दिया पर वसंत स्तनों को चूसते रहा जिस वजह से मेरा सम्मान बचा महसूस करते मे हल्का मुँह फुला बैठा रहा जो देख मेरी प्यारी अर्धाग्नि बोली अजी आप भी ज़रा सी बात पर रूढ़ जाते है ये भी क्या कोई बात है ,आप ऐसे मुँह फुलायेंगे तो रहने दीजेए किसी से नहीं चुदना मुझे आप ही चाट चाट कर पानी पहले की तरह बहाते रहिए ,मधु ने वसंत को बोला चलो देवर जी घर जाओ बहुत दूध पी लिया अब निकलो बाकी अब मैं चली सोने
 
कहानी जारी रहेगी
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Bro give big update please
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बहुत ही ज़बरदस्त..
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aageg bhi likho bhai
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मधु उठ कर कमर मटकाती कमरे की चल पड़ी और वसंत का मन उत्तर गया ,मैंने वसंत से बोला जाओ मना लाओ अपनी भाभी को वो बोला नहीं आप ही मनाओ मैं नहीं गाली सुनने वाला और मैं कमरे मे जा कर मधु के पास बैठ कर हल्के हाथों से उसके बदन को सहलाने लगा और बोला क्या जान अपने प्यासे बेटे को छोड़ कर आ गई चलो न अब गुस्सा त्याग दो और उसको माँ का प्यार दे दो न ।
 
 
मधु चुप चाप सी लेटी रही और मैं वसंत को आवाज़ दे कर बुलाया ओर बोला देखो न तेरी माँ गुस्सा है ज़रा मना लो और मधु के नाइटी को ऊपर सरका कर मैंने उसके झाघो को सहलाया और वसंत ने ऊपर लेट मधु को बोला माँ मुझे दूध पिलाओ न बड़ी ज़ोर की भूख लगी है माँ ।
 
 
मधु सच मे खुद को माँ जान कर सीधा लेट कर वसंत के मुँह को अपने दूध पर रख नम आँखों से मुझे देखते बोलने लगी बस बेटे के लिए कर रही आपसे अभी भी बात नहीं करनी मुझे ।
 
मैं मधु के टांग को अपने ऊपर रख दबाने लगा और नाइटी सरका सरका कर ऊपर की ओर करते झाघो को सहलाते बोला मेरी जान कितनी कोमल जिस्म है ।
 
 
मधु की आँखे सच मे आँसू भर कर डबडबा रही थी पर वो अपने देवर को स्तन पान कराए मेरे हाथों को अपने बदन पर सहलाते विरोद नही कर रही थी ।
 
 
कॉफी देर तक मे मधु के बदन को सहलाता नाइटी कमर तक सरका चुका था ओर उसकी नर्म फूली चूत को हल्के उँगलियों से सहलाता जा रहा था ओर धीरे धीरे मधु की टांगे स्वतः ही खुलने लगी थी और मेरे एक उंगली की जगह अब सारा हाथ चूत के ऊपर आराम से फिसल रहा था और मधु ने आहिस्ता आहिस्ता अपने टांगो को मोड़ ऊपर कर लिया और अब मेरी दो उंगली मधु के चूत के नर्म हल्के गीले छेद मे आगे पीछे होने लगा और वो अपने बेटे के सर के बालों को सहलाते आह भर्ती बोली आप कसम खा लिजेए अगर फिर कभी मुँह फुलाएँगे तो मे कुछ नहीं करने वाली ,मैं मधु की ओर देख कसम खा कर झुक गया और अपने मुँह को उसके चूत पर लगा चाटने लगा और जीभ डाल हल्के गीले चूत का स्वाद चखने लगा था और वो एक हाथ मेरे सिर पर रख सहलाने लगी थी ।
 
 
वसंत दाँतो से ज़ोर से निपल्ल खींच काटने लगा ओर मधु उफ्फ बेटा धिरे कर न बोलती ओर गीली होने लगी थी पर वसंत अब सब्र नही कर पा रहा था और वो जानवर की तरह मधु को माँ बुलाता हवस से भर चुका था जिस वजह मेरे मुँह मे अधिक मात्रा मे चूत का रस भरने लगा था जो मैं चाट चाट पिए जा रहा था ।
 
 
मधु के दोनों स्तनों पर उसका बेटा टूट कर प्यार करने लगा था ओर हल्के हल्के नाइटी भी फट रही थी जो फट कर मधु के कोमल बदन को नंगा किए जा रही थी । नाइटी चर चर करती दो भागों मे फट कर दोनों तरफ सिमट गई और बेटे का हाथ अपनी माँ के नाज़ुक नाभी पर थिरकते उँगली से गहराई नापने लगा था और मधु इठलाते हुए कसमसा रही थी और उसकी चूत रसधार छोड़ मेरे मुँह को अपने रस से भिगो कर तृप्त करने लगी थी ।
 
 
वसंत मंझे बेटे की तरह अपने जवान कमसिन माँ के योवन को यू तड़पाता जा रहा था कि माँ खुद अपने हाथों को बढ़ा बेटे के सख्त लड़ को टटोलने लगी थी और बेटा कमर उठा माँ के हाथों को अपने पैंट के अंदर जाने का रास्ता दे रहा था ।
 
 
मधु का हाथ पूरी तरह वसंत के लड़ को कस कर पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से वो मेरे चेहरे को अपने योनि पर दबा कर तड़प जाहिर किये जा रही थी और वसंत अपने सख्त हाथों से स्तन को बारी बारी निचोड़ता निप्पलों को चूसता ऐसे आग भड़का रहा था कि कोई भी स्त्री खुद को काबू मे रख नही सकती थी ओर ऐसे हौले हौले मधु मातृत्व दिखाती बिल्कुल चुदासी होने लगी थी जिस वजह से उसका हाथ मेरे बालों को बेदर्द तरीके से खींच कर मुझे जीभ लगातार चलाने को विवश किये जा रही थी ओर अंततः मधु अकड़ती कमर पूरी तरह हवा मे उठाती ज़ोर से चित्कारी मारती अहह उफ्फ अहह बोलती एक धार बहाती पसीने से तरबतर होती वापस बिस्तर पर निढाल हो चुकी थी और वसंत मुझे हटा कर अपनी माँ के टांगो को फैला कर एक पागल कुत्ते की भांति चूत लब लब करता चाटने लगा और मधु दोनों हाथों से उसके सर को सहलाती हाँफते हाँफते बोलने लगी बेटा पी लो अपने माँ के रस को चाट चाट लाल कर दो मेरी चूत बेटा ओर मधु का जवान बेटा माँ के आज्ञा का पालन करता चूत को चाटने लगा था और मैं पास खड़े मधु के भीगे बदन को देखता अपने वस्त्र उतार अपनी लुल्ली उसके होंठो पर रख दिया और वो मुँह खोल मेरे लुल्ली को दाँतो से दबा तेज़ दाँत गड़ाती खिंचने लगी और मेरी तड़प की अहह सुन वो और बेरहम बन मेरे लुल्ली के चमड़ी को खिंचती बोली आपने देखा आपके बेटे ने आपके सामने मेरी क्या दशा कर दी यू नंगी मे आज बेटे से योवन छलका कर अपने पति को दिखा रही ऊपर से इतना होने पर भी मेरी बदन के स्वामी की लुल्ली मे तनाव तक नहीं आया और मेरे बेटे के लड़ मे ऐसी अकड़ आ गई कि थोड़ी देर मे वो अपनी माँ चोदेगा ।
मधु की ये अश्लील बातें ही मेरे लिए कामुक्ता की चर्म साबित हुई और मेरे लुल्ली ने मधु के मुँह मे न जाने कितनी धार मार दी और वो मेरे छिलके को जीभ से अलग कर बाकी एक एक बूंद चूसती बोली वाह मेरे पति बस बेटे की बातों ने आपको निढाल कर दिया अभी तो वो अपनी माँ को झटकों से चीखने पर मजबूर करेगा अपनी माँ के मुँह मे अपना लिंग डाल गले तक आभास करवाएगा और फिर माँ के चूत को न जाने कितनी बार झड़ने पर मजबूर कर अपने गर्म स्वादिष्ट मुठ से मेरे मुँह चेहरे को नहला देगा ।
 
 
मधु बेबाक बोलती मेरे लुल्ली को निचोड़ एक चपत लगाती बोली चलिए अब आप दिन भर शांत तो रहेंगे बाकी आज दिन तो मेरे बेटे का है जो माँ चोदने आया है सुबह सुबह ।
 
 
कहानी जारी रहेगी ।
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मैं मधु के सिरहाने बैठ गया और वसंत चूत का रस चाटता रहा ओर मधु अहह बेटा उफ्फ्फ करती चटवाती आहे भर रही थी । वसंत आखिरकार अपने माँ के चूत को पूरी तरह चाट कर टांगो के बीच से ऊपर उठ मधु के कोमल लबों को चूसने लगा था ओर मधु उसके केसों को कस कर जकड़ती अपनी होंठो को चुस्वाये जा रही थी ।
 
 
वसंत का पूरा जिस्म मधु के जिस्म पर लेटा हुआ था और वो अपने टांगो को उठा कर उसके कमर पर जकड़ अपनी चूत हवा मे उठा उसके लड़ पर दबाती जा रही थी मानो अब मधु एक पल भी न रुक सकने के आगोश मे समा रही थी ।
 
 
वसंत होंठो को चूसते एक हाथ से मधु के बालों को खिंचता चेहरे को ऊपर की ओर उठाता जा रहा था और मधु बिल्कुल कामुक्ता के मुहाने पर जा कर आँखे बंद बस चर्मसुख का आनंद बटोरे जा रही थी ।
 
वसंत उठ कर एक झटके से अपने कपड़े उतारने लगा ओर मधु बिस्तर पर उठ उल्टा लेट बिस्तर के किनारे जा कर अपने हाथों से वसंत का लड़ पकड़ती बोली पहले चूस लेने दे बेटा फिर चोदना ,वसंत हँसते बोला मेरी माँ तुझे बिना चुसाये ऐसे भी नहीं चोदने वाला मै, आखिर तू मेरी माँ है हर सुख दे के तुझे प्यार करना है मुझे ।
 
 
मधु अपने बेटे के लड़ पर जीभ फेरती चाटने लगी थी और मुँह मे लड़ ले चूसते जा रही थी और मधु का जवान बेटा अपने माँ के बालों को मुठी मे पकड़ कर अपने लड़ को हलक तक डालने की फिराक मे था ,आखिर ऐसे गबरू जवान बेटे के लड़ के सामने माँ हार गई और बेटे ने संपूर्ण लड़ अपने माँ के मुँह मे डाल दिया और वो सकपका कर मचलती उसको अपने हाथों से धकेलती जा रही थी पर वो माँ के हलक पर लड़ लगाए बड़े बेशर्म तरीके से माँ को छटपटाता देख मंद मुश्काते जा रहा था ।
 
 
थोड़े देर बाद वो लड़ खिंच झटके से निकाल माँ के चेहरे पर मलते बोला माँ तेरा मुँह चूत से कम नहीं, मधु उसके लड़ को सहलाते अपने चेहरे पर घिसते सासों को बटोरते बोली बेटा तेरा लड़ ही है जो हर छेद तुझे चूत लगती है बाकी तेरी माँ की तोह एक ही चूत है पर तु तोह तीन चूत समझ कर हर जगह घुसने को मचलता रहता है और तेरे प्यार मे मैं विवश तुझे रोक कहाँ पाती हूँ मेरे बदमाश बेटे ।
 
 
मधु की बात पूरी होते ही बेटे ने वापस माँ के मुँह मे लड़ डाल बोलने लगा माँ ये जो तेरा कोमल गर्दन का छेद है वहाँ लड़ को बड़ा मजा आता है डाल के और हाँ माँ तेरी तीनों छेद मुझे नर्म गर्म चूत सी लगती है । मधु वापस से संघर्ष करती अपने बेटे को धक्का दे रही थी पर वो ज़रा भी हिल नही रह था ।
 
 
बेटा माँ के मुख को चोद कर गर्म हो रहा था और माँ तो पहले से खुद के योवन को बेटे के हाथों लुटवाने के लिए तत्पर लेटी थी ।
 
वसंत ने लड़ खिंच निकाल कर उसपर लगा थूक मधु के चेहरे पर मसलते बोला माँ चल आज बेटे की कुतिया बन जा तेरा कुत्ता बेटा तुझे पीछे से चोदेगा , मधु अपने बेटे का लड़ सहलाते बोली बेटा तेरी माँ तोह तेरी कुतिया ही है और वो अपने गांड को बेटे की तरफ करती टांगो को फैलाती घोड़ी बन कर अपने हाथ को नीचे से अपने चूत पर रखती बोली डाल बेटा बड़ी आग सी लगी है तेरी माँ के चूत मैं ।
 
 
बेटा माँ के गांड को सहलाता एक जोरदार थपड जड़ते बोला माँ तेरा बेटा हूँ तेरी दूध पी के जवान हुआ हूं आज सब आग पानी बन बहा दूँगा कहता वो कमर को पकड़ मधु के जिस्म को अपने हिसाब से आगे पीछे करता अपने लड़ को अपने माँ के चूत के मुहाने रख हल्के हल्के घिसते बोला माँ बड़ी कोमल फूली चूत है तेरी ,मधु उफ्फ डाल न बेटा बोलती अपने हाथ से उसके लड़ को अपने छेद पर रखती बोली चोद बेटा, देख तेरी माँ प्यासी है फाड़ दे मेरी चूत ओर वसंत हँसते गांड पर हाथों को फेरते बोला माँ तेरे जैसे माँ हर बेटे को मिले और वो कमर को ज़ोर से पकड़ कर लड़ के टोपे को छेद पर टिका एक तगड़े झटके से ख़ुद को आगे किया और माँ की आँखे आँसू से डबडबा गई और वो चीखती मर गई बेटा बोलती बिस्तर पर चेहरे को रखती तड़पने लगी और बेटा माँ के कमर को पूरे मजबूती के पकड़ा बोला माँ एक झटके मे डालने का मज़ा क्या खूब देती है तू और वो झुक कर मधु के बालों को कस कर खिंचते बोला कुतिया की तरह रहो माँ अभी तो बहुत झटके देगा तेरा बेटा तुझे और मधु के आँसू उसके गालों पर साफ दिख रहे थे पर वो चारों टांगो पर कुतिया बन बैठी थी और उसका बेटा लड़ को आगे पीछे करने लगा था जिसके फलस्वरूप उसकी माँ अहह उफ्फ्फ करती जा रही थी और बेटा अपने लड़ को बड़े आराम से जड़ तक डालता और बाहर निकाल कर फिर गहराई मे डाल चोदने लगा था ।
 
 
अपने अंघुटे को वसंत ने अपने माँ के गांड के छेद पर रख हल्के हल्के सहलाता जा रहा था जो सुखी चमड़ी होने के कारण मधु और चितकारी मारने लगी थी और बेटा जोश के साथ माँ को पेलने मे लगा गांड को तड़पन देते जा रहा था ।
वसंत ने मुँह से थूक गिरा कर अपने माँ के गांड पर मलते बोला, माँ तेरी गांड की छेद मेरे लड़ को बुला रही है ,मधु आह नहीं अभी चूत चोद बेटा गांड थोड़ी देर बाद अहह करती जा रही थी पर बेटा अपने अंघुटे को तोह गांड मे फसा चुका था ।
 
 
अजीबोगरीब कसम्मकस मे पड़ी मधु दोहरे वॉर से बिल्कुल उतावली कामुक अर्धाग्नि लग रही रही थी और उसके स्तनों पर अकड़न आ चुकी थी और वो झूले की तरह झूलते जा रहे थे और मधु की सिसकियां कमरे मे मधुरता फैलती भोर मे ही रात्रि का नज़ारा बिखेरी जा रही थी ।
 
 
 
कहानी जारी रहेगी ।
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लगता है मुझे लिखना बंद कर देना चाहिए ।???
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Nahi bhai likho kuch suggest karna tah
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Bhi tum bahut aacha likhte ho maine inbox mai suggest kiya hai please try you are best
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