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26-03-2019, 02:18 PM
// शिल्पा के साथ ट्रेन का सफ़र (Completed) //
हैलो दोस्तों मेरा नाम ज्योति सिंह है और में नई स्टोरी शेयर करने जा रही हूँ । ये कहानी मेरी नहीं है और न ही मेरे द्वारा लिखी गयी मगर ये उन कहानियो में से है जो मैंने कुछ साल पढ़ी थी और मुझे काफी पसद आयी । उम्मीद है की आपको भी पसंद आएगी ।
इस कहानी का सारा श्रेय कहानी के असली लेखक को जाता है , मै तो बस जरिया हो आप तक ये कहानी पहुंचने का ।
कहानी बहुत छोटी है इसलिए बस आनंद लीजिये
अब इस कहानी को शुरू करते है।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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Update 1
मुझे एक बार काम के सिलसिले में दिल्ली से चेन्नई जाना था। प्रोग्राम देर से बना था इसलिए मुझे कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाई थी, मैं स्टेशन पर जाकर टीटी से सीट के लिए बात कर रहा था कि अचानक एक 20-21 साल की लड़की मेरे पास आई और कहने लगी- मेरे पास फर्स्ट एसी का एक एक्स्ट्रा टिकट है, अगर आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो आप मेरे साथ चल सकते हैं।
मैंने तुंरत ही हाँ कह दिया। कन्फर्म टिकट और हसीन साथ और क्या चाहिए। ट्रेन में जाकर मुझे पता लगा कि वोह एक एसी केबिन का टिकट है।
मैंने उससे पूछा- तुम्हें डर नहीं लगेगा अकेले मेरे साथ?
वो बोली- नहीं, तुम ऐसे लगते नहीं हो, वैसे भी अकेले सफ़र करने में भी तो डर है।
सफ़र शुरू होने के थोड़ी देर बाद टीटी टिकट चेक कर गया, फिर वो भी बाथरूम जाकर अपनी ड्रेस बदल कर आ गई।
मैं लेट कर एक नॉवल पढ़ने लगा तभी उसने मुझे दूसरा झटका दिया। उसने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया और अपने सामान से एक वोड्का की बोतल निकाल ली और मुझसे पूछने लगी- तुम लोगे क्या?
मैं हैरान था, मैंने हाँ कह दिया। थोड़ी देर में दोनों को नशा होने लगा। हम लोग आपस में काफी खुल गए थे।
फिर उसने कहा- चलो, ताश खेलते हैं।
थोड़ी देर के बाद वो बोली- तुमने कभी स्ट्रिप पोकर खेला है?
यह सुनकर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं समझने लगा कि यह लड़की चाहती क्या है, मैंने कहा- खेला तो नहीं है पर अगर तुम चाहो तो खेल सकता हूँ।
वो बोली- ठीक है पर पूरे कपड़े नहीं उतारेंगे और तुम मेरे साथ कुछ उल्टा सीधा नहीं करोगे !
मैंने कहा- ठीक है।
पहला गेम मैंने जीता।
उसने शर्त के अनुसार अपनी शर्ट उतार दी। अन्दर उसने काली सिल्की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें से उसके गोरे मम्मे झांक रहे थे।
मेरा सर घूमना शुरू हो गया। मेरी नज़र अब उसके मम्मों पर बार बार जा रही थी, ध्यान भंग होने के कारण मैं अगले दोनों गेम हार गया और अब मैं सिर्फ अपने अंडरवियर में था जिसमें मेरा लंड खड़ा हुआ साफ़ दिख रहा था।
वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराकर बोली- और खेलना है?
मैंने कहा- मैं हार गया तो पूरा नंगा हो जाऊंगा !
वो बोली- तो क्या मैं भी तो हार सकती हूँ !
हमने अगला गेम खेला और वो जानबूझ कर हार गई। उसने अपना पजामा उतारा तो उसकी दूधिया जांघें देखकर मेरी आह निकल गई।
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हमने अगला गेम खेला और वो जानबूझ कर हार गई। उसने अपना पजामा उतारा तो उसकी दूधिया जांघें देखकर मेरी आह निकल गई।
वो बोली- और खेलना है?
मैंने कहा- पर तुम तो कह रही थी कि पूरे कपड़े नहीं उतारेंगे?
वो बोली- मैं उतारने को तैयार हूँ अगर तुम मेरे साथ कुछ उल्टा सीधा न करो तो !
मैंने कहा- ठीक है।
मैं अगला गेम हार गया।
उसने बोला- चलो उतारो !
मैंने धीरे से अपना अंडरवियर उतार दिया और मेरा आठ इंच का मोटा लंड बाहर निकल आया जिसे देख कर वो मुस्कुराने लगी।
उसने कहा- और खेलना है?
मैंने कहा- और क्या ! मैं भी तुम्हें नंगा देखना चाहता हूँ !
वो मुस्कुराई और खेलने लगी, और बार बार मेरे मोटे लंड को देखती रही।
अगला गेम वो हार गई और जैसे ही उसने अपनी ब्रा उतारी उसके सफ़ेद मम्मे मेरे सामने प्रकट हो गए।
मैंने अपने आप को कैसे संभाला मैं ही जानता हूँ।
पर इस धीरे धीरे होने वाले इस गेम में मुझे मज़ा आ रहा था। अगला गेम वो जानबूझ कर हार गई।
मैंने कहा- तुम्हारी पैंटी मैं उतारूंगा !
उसने कहा- ठीक है ! पर शर्त याद है न? तुम कुछ उल्टा सीधा नहीं करोगे !
मैंने कहा- है तो बड़ा मुश्किल ! पर कोशिश करूंगा !
वो मेरे सामने खड़ी हो गई और मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी और उसकी चिकनी चूत के दर्शन किये।
मैं उसके बाद बैठ तो गया पर कण्ट्रोल करना बड़ा मुश्किल हो रहा था। मैंने धीरे से अपना लंड सहलाना शुरू कर दिया।
वो हंस कर मेरे पास आई और बोली- कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो तुम तड़प कर मर जाओगे !
उसने अपने हाथ से मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया, फिर वो मेरे सामने नीचे बैठ गई और मेरे लंड को चाटने लगी, फिर धीरे धीरे उसने उसको चूसना शुरू किया।
मैं नियंत्रण से बाहर होता जा रहा था, मैंने उसके बाल पकड़ लिये और उसके मुँह को जोर जोर से चोदने लगा।
मुझे झड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी, वो मेरा पूरा जूस पी गई। उसके बाद वो मेरे बगल में बैठ गई।
मैंने पूछा- आज तक तुम कितने लंडों का स्वाद चख चुकी हो?
वो बोली- मैंने गिना नहीं !
मैंने पूछा- और कबसे चुदवा रही हो?
“कई सालों से !”
“पहली बार कैसे हुआ था?”
वो बोली- ठीक है, जब तक तुम्हारा लंड दुबारा खड़ा होता है, तुम्हें पहली बार का किस्सा बताती हूँ।
वो मेरे बगल में बैठ गई और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर धीरे धीरे सहलाते हुए मुझे बताने लगी- य बात तब की है जब मैंने नया नया अपनी जवानी की दहलीज़ पर कदम रखा था, मेरी सहेलियाँ अपनी चुदाई के किस्से मुझे सुनाती थी, पर मैं तब तक कुँवारी ही थी। मेरे पापा के एक दोस्त हमारे साथ रहने हमारे घर आये। मैंने महसूस किया कि जबसे वो घर आये हैं बार बार मुझे देखते थे और मुझसे बात करते थे।
एक रात को जब सब सो गए तो वो मेरे कमरे में आये और बोले- मेरा आज अकेले मन नहीं लग रहा ! अगर तुम्हें कोई परेशानी नो हो तो तुम्हारे कमरे में सो जाऊँ?
मैंने कहा- ठीक है, जैसा आपका मन।
लाइट बंद होने के बाद थोड़ी देर में मेरी आँख लग गई। अचानक मैंने महसूस किया कि अंकल मेरी चादर में घुस गए हैं और मुझसे सट कर लेट गए हैं।
मैंने अंकल से दूसरी तरफ करवट ले ली। उन्होंने भी मेरी तरफ करवट ली और मुझसे फिर सट गए, उनका लंड मुझे अपनी गांड पर महसूस होने लगा। उन्होंने धीरे से हाथ आगे बढ़ाया और मेरे दाहिने मम्मे पर टिका दिया, फिर वो उसको धीरे धीरे मसलने लगे।
पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा पर फिर मज़ा आने लगा। उन्होंने फिर अपना हाथ मेरी शर्ट के अन्दर डाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और आगे हाथ ले जा कर मेरे मम्मे मसलने लगे।
मैंने करवट ली और सीधी हो गई। उन्होंने मेरी शर्ट और ब्रा ऊपर उठाई और मम्मे चूसने और चाटने लगे।
मैं अब गरम होने लगी थी, मेरी चूत गीली हो रही थी। अंकल ने एक हाथ मेरी पैंटी में डाला और मेरी चूत को छेड़ने लगे।
मैं काबू से बाहर हो रही थी, मेरे मुँह से आह….. आह….. की आवाजें निकल रही थी।
फिर अंकल ने नीचे जाकर मेरी पैंटी और पजामा दोनों एक साथ उतार दिए। उन्होंने मेरी टाँगे मोड़ कर फैला दी और चूत को पूरी तरह खोल दिया। मेरी उनचुदी बुर देखकर उनसे रहा न गया।
अंकल अपनी पैंट और अंडरवियर दोनों उतार दिए और अपना लंड मेरी चूत के पास ले आये। उन्होंने मुझसे धीरे से पूछा- पहले किया है?
मैंने कहा- नहीं !
ठीक है ! मैं धीरे से करूंगा। शुरू में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़ा आएगा।
फिर उन्होंने अपने लंड पर थोड़ा सा तेल लगाया और मेरी चूत से धीरे धीरे बाहर से ही रगड़ने लगे।
मैं धीरे धीरे पागल होती जा रही थी, फिर अचानक उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चीख निकल गई।
अंकल ने मेरे मुँह पर हाथ रखा फिर मुझे धीरे धीरे चोदने लगे, मेरा दर्द धीरे धीरे आनंद में बदलने लगा, उनके धक्के तेज होने शुरू हो गए थे और मैं पागल हुई जा रही थी। मेरी आह आह की आवाज़ से पूरा कमरा भर गया।
फिर अचानक अंकल झड़ गए। वो मेरे ऊपर से उतरे और कपड़े पहन कर अपने कमरे में चले गए।
मुझे पहली बार ज़िन्दगी में इतना मज़ा आया था ! मैं कभी भूल नहीं सकती !
उसकी कहानी सुनकर मेरा लंड फिर पूरी तरह तैयार था।
वो मुस्कुराकर बोली- अब मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी ! जो करना है कर लो !
मैंने कहा- अब मैं भी कहाँ रुकने वाला हूँ !
और मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया, उसके मम्मों को मैं जोर जोर से मसल रहा था।
वो सीट पर लेट गई और मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो पागल होने लगी और चिल्लाने लगी।
मेरा लंड बेताब हो चला था।
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वो सीट पर लेट गई और मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो पागल होने लगी और चिल्लाने लगी।
मेरा लंड बेताब हो चला था।
उसने फिर उठकर दोनों सीटों के बीच में चादर बिछाई और लेट कर कहा- नीचे चुदाई करेंगे ! ज्यादा मज़ा आता है !
उसने लेट कर अपनी टांगों को फैला दिया। मैंने नीचे जाकर उसकी चूत में अपना आठ इंच का लम्बा मोटा लंड घुसेड़ दिया।
उसकी चूत मेरा पूरा लंड पी गई। फिर मैंने उसको पेलना शुरू किया। इतनी देर रुकने के बाद कसम से उसको चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
वो भी चिल्लाने लगी थी। ट्रेन अपनी पूरी स्पीड पकड़ चुकी थी और हम भी फुल स्पीड पर थे।
करीब आधे घंटे तक मैं उसको पेलता रहा उसके बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। उस दौरान वो कम से कम तीन या चार बार झड़ी होगी।
फिर मैं अपने लंड को उसकी चादर से पोंछ कर सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर में वो भी उठकर आ गई।
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Update 2
आपने अभी तक पढ़ा कि कैसे ट्रेन के सफ़र में शिल्पा की चुदाई की शुरुआत की और उसने मुझे अपने अंकल द्वारा अपनी पहली चुदाई का किस्सा सुनाया।
मैं उसको चोदने के बाद फिर सीट पर आ कर बैठ गया। वो भी थोड़ी देर में मेरे बगल में बैठ गई और पूछा- मज़ा आया?
मैंने कहा- हाँ, तुम तो प्रोफेशनल हो !
वो बोली- हाँ अब तो काफी अनुभव हो गया है।
मैंने पूछा- फिर तुम्हारे अंकल ने तुम्हें अगले दिन भी चोदा होगा?
वो बोली- नहीं वो मुझे लंड का चस्का लगाकर अगले दिन ही चले गए और मैं तड़प कर रह गई। रोज़ अपने आप ही अपनी चूत रगड़ कर काम चलाती रही।
मैंने पूछा- फिर दुबारा मौका तुम्हें कब मिला?
वो बोली- बताती हूँ !
उन दिनों गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी तो मैं अकेली घर पर ही रहती थी। मम्मी पापा दोनों सुबह निकल जाते थे।
मैंने घर पर ही इन्टरनेट पर गन्दी वेबसाइट्स देखना शुरू कर दिया। फिर लड़कों के साथ चैट करती थी और उनके साथ इन्टरनेट पर ही सेक्स का मज़ा लेती थी।
पर ऐसे मुझे मज़ा नहीं आ रहा था। फिर एक दिन हमारे घर जो कामवाली आती थी वो अपने लड़के को एक दिन अपने साथ काम में हाथ बंटाने के लिए लेकर आई। वो जब तक खाना बनाती थी उसका लड़का घर का झाडू पोंछा करता था।
मुझे एक शरारत सूझी, वो जब काम करने आया, मैं अपने कमरे में अपने बेड पर अपनी स्कर्ट थोड़ी ऊपर करके उलटी लेट गई, और सोने का नाटक करने लगी।
थोड़ी देर में वो लड़का मेरे कमरे में पौंछा लगाने आया। मैंने धीरे से आँखें खोलकर सामने शीशे में देखा, वो बेड के बगल में खड़ा हुआ मेरी टांगों को देख रहा था। उसने फिर अपने लंड को पजामे के ऊपर से रगड़ना शुरू किया। फिर उसने अपना पजामा और अंडरवियर नीचे किया और लंड बाहर निकाल लिया और मेरी टांगों को देखकर मुठ मारना शुरू किया।
मैं उसको शीशे में देख रही थी और चाह रही थी कि वो लंड मेरी चूत की शोभा बढ़ाये। पर वो आगे उससे ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाया।
अगले दिन मैं अपनी पूरी स्कर्ट को उल्टा करके लेट गई। वो मेरे कमरे में आया, फिर अपना लंड निकला और मुठ मारने लगा।
मुझे गुस्सा आ रहा था, एक लड़की अपनी खोल के उसे निमंत्रण दे रही थी और वो मुठ मारने में लगा था।
उस दिन उसने बस इतनी हिम्मत की अपना लंड पीछे से आकर मेरी पैंटी से रगड़ने लगा, थोड़ी देर में वो झड़ गया और मुझे वहीं तड़पता छोड़ कर चला गया।
अगले दिन मैंने पैंटी ही नहीं पहनी और लेट गई। पर उस दिन वो मेरे कमरे में बस झांक कर चला गया।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कोई ऐसा मर्द भी हो सकता है जो ऐसा मौका छोड़कर चला जाये।
थोड़ी देर में कामवाली दरवाज़ा बंद करके चली गई।
मुझे नींद आ गई। अचानक घर में किसी के घुसने की आवाज़ हुई, मैं जाग गई, मैं समझ गई कि कामवाली का लड़का छोटू ही होगा और अब मुझे तृप्त करने आया है।
मैं अपने बेड पर सीधी हो कर अपनी आँखें बंद करके लेट गई. वो मेरे कमरे में आया और मेरे बेड पर चढ़ गया।
मैंने अपनी आँखें नहीं खोली उसने मेरे बगल में आकर मेरे मम्मों को सहलाना शुरू किया। उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर मेरे होठों को चूमना शुरू किया।
मैं निहाल हो गई। फिर मेरी स्कर्ट ऊपर उठाकर अपनी ऊँगली से मेरी चूत को छेड़ना शुरू किया, उसने फिर मेरी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
मैंने अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दी और आह अ आह की आवाजें निकालनी शुरू कर दीं। अचानक मैंने महसूस किया कि मेरे मम्मों को भी कोई और दबा रहा था।
मैंने आँख खोली तो देखा कि छोटू अपने दोस्त को अपने साथ लेकर आया है और अब तक उसका दोस्त ही मुझे छेड़ रहा था, अब छोटू ने भी मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए।
लेकिन अब मैं लंड के लिए इतना तड़प रही थी कि मैंने विरोध नहीं किया और दोनों के साथ मज़े लेने का फैसला किया।
छोटू ने इस बीच मेरी शर्ट ऊपर उठा दी और मेरे मम्मों को मेरी ब्रा के ऊपर से चूमने लगा। उसका दोस्त मेरी चूत के साथ खेल रहा था।
मैंने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और छोटू ब्रा को ऊपर उठाकर मेरे चूचियां चूसने लगा।
नीचे उसके दोस्त दोस्त ने मेरी टांगों को मोड़ कर फैला दिया और मेरी चूत चाटने लगा। मैं पागल हो चली थी।
इसी के लिए तो इतने दिन से तड़प रही थी. मेरी चूत और मेरे मम्मे चूसे जा रहे थे और मैं पागल हो रही थी।
फिर अचानक उन दोनों ने मुझे छोड़ दिया और उठकर दरवाज़े की तरफ चल दिए। मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैं घबरा गई कि आज भी क्या मैं प्यासी रह जाउंगी।
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?
वो बोले- आज नहीं, फिर करेंगे !
मैं बोली- प्लीज़, ऐसे छोड़ के मत जाओ !
उन्होंने कहा- ठीक है, पर तुम्हें वही करना होगा जो हम कहेंगे !
मैंने कहा- ठीक है !
छोटू का दोस्त बोला- यहाँ नहीं करेंगे, ड्राइंगरूम में आओ।
वह जाकर सोफे पर बैठ गया और बोला- अब अपने कपड़े उतारो।
मैंने पहले अपनी टीशर्ट और ब्रा उतारी फिर अपनी स्कर्ट उतार कर उनके सामने नंगी खड़ी हो गई।
वो बोला- अब कुतिया बनकर यहाँ आओ और मेरा लंड निकाल कर चूसो !
मैं अपने हाथों पैरों पर कुतिया की तरह चलकर उसके पास पहुंची, फिर मैंने उसकी पैंट की जिप खोलकर उसका लंड बाहर निकाला और मैंने उसको अपने मुंह में लिया।
मैं पहली बार किसी का लंड चूस रही थी इसलिए मुझे बड़ी मुश्किल हो रही थी।
वो बोला- साली, अच्छे से चूस ! मज़ा नहीं आ रहा !
और मेरा सर नीचे दबाकर जोर जोर से मेरे मुँह को चोदने लगा।
शुरू में मुझे मुश्किल हुई पर बाद में सब आसान हो गया। वो मेरे मुंह में झड़ गया और उसने अपना सारा जूस मुझसे चुसवाया।
वो बोला- अब छोटू का भी लंड चूस !
मैं कुतिया बन कर छोटू के पास गई और उसका लंड निकाल कर चूसने लगी।
उसका दोस्त मेरे पीछे से आकर मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा। थोड़ी देर में उसका फिर खड़ा हो गया।
इधर छोटू के लंड का भी पानी निकल गया, उसे भी मैं पूरा पी गई।
उसके दोस्त ने अब कहा- चल अब तेरी इच्छा भी पूरी कर देते हैं ! चल कारपेट पर लेट जा !
मैं नीचे लेट गई और टाँगें मोड़ कर फैला दी।
वो बोला- तू साली बहुत बड़ी रंडी बनेगी !
उसने नीचे आकर लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मैं इतनी देर से इसी पल का इंतज़ार कर रही थी। फिर उसने मुझे चोदना शुरू किया। मैं पागल होती जा रही थी। बगल में छोटू आकर लेट गया और मेरे मम्मे चूसने लगा। अब छोटू का लंड भी फिर खड़ा हो गया।
जैसे ही मेरी पहली चुदाई ख़त्म हुई उसका दोस्त बोला- चल अब तू इस रांड को चोद !
छोटू ने भी मुझे दबाकर चोदा। पर उसके बाद भी मेरा मन नहीं भरा।
वो जब जाने लगे तो मैंने पूछा- कम से कम मुझे अपना नाम तो बताते जाओ !
वो बोला- मैं सुनील हूँ ! और लगता है तेरी प्यास बुझी नहीं ! तुझे पूरे मोहल्ले से चुदवाना पड़ेगा !
इस तरह उसकी दूसरी चुदाई का किस्सा ख़त्म हुआ और मेरा लंड उसको दूसरी बार चोदने के लिया तैयार था।
पर उससे पहले मैंने पूछा- तुमने अपना नाम नहीं बताया?
वो बोली- शिल्पा !
मैंने कहा- शिल्पा, क्या तुम फिर चुदने को तैयार हो?
वो बोली- मैं तो हमेशा ही चुदने के लिया तैयार रहती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, अब मैं नीचे लेटता हूँ, तुम मुझे ऊपर से चोदो !
मैं नीचे लेट गया उसने दोनों घुटने मेरी दोनों तरफ़ रखकर मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ा और उसको अपनी चूत में घुसा लिया।
अब वो ऊपर से धक्के मारने लगी, उसके मम्मे मेरे ऊपर झूल रहे थे। मैंने उनको अपने हाथ से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया।
उसको भी आनंद आ रहा था, उसके धक्के धीरे धीरे तेज होने लगे और वो थोड़ी देर में झड़ गई। साथ में मैं भी झड़ गया।
// सुनील पंडित //
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उसको भी आनंद आ रहा था, उसके धक्के धीरे धीरे तेज होने लगे और वो थोड़ी देर में झड़ गई। साथ में मैं भी झड़ गया।
update 3 ....
और उसके किस्से सुनते हुए मैंने उसको दो बार चोदा। नीचे चुदाई करने के बाद हम लोग उठ गए, उसने मेरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया और हम सीट पर बैठ गए।
मैंने उससे पूछा,”तो क्या सुनील और छोटू ने तुम्हें अगले दिन फिर चोदा?”
अगले दिन जब कामवाली और छोटू काम करके चले गए मैं बेसब्री से उनका इंतज़ार करने लगी। आधे घंटे बाद सुनील और छोटू आ गए। सुनील कहने लगा कि छोटू देख साली कैसे हमसे चुदने के लिए हमारा इंतज़ार कर रही है।
मैं उन दोनों के बीच में सोफे पर बैठ गई और दोनों ने मेरे मम्मे दबाने शुरु किये और सुनील ने मुझे जोर से समूच किया। मैं गरम होने लगी थी। उन्होंने मेरी शर्ट ऊपर उठा दी, मैंने अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और वो ब्रा को ऊपर उठाकर मेरी एक एक चूची चूसने लगे।
मैंने भी दोनों के लंडों पर हाथ रगड़ना शुरू कर दिया। थोडी देर बाद मैं सुनील के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसकी पैंट खोलकर उसका अंडरवियर थोड़ा नीचे करके उसके लंड को बाहर निकाल दिया।
मैंने उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और चाटने लगी, फिर मैंने उसको थोड़ा थोड़ा अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
सुनील ने मेरा सर पकड़ा और नीचे दबा दिया। उसका पूरा लंड मेरे मुँह में घुस गया। मैं उसको फिर मज़े ले लेकर चूसने लगी। छोटू कभी मेरी गांड पर और कभी मेरे मम्मों पर हाथ फेरता रहा। सुनील सोफे पर पीछे होकर बैठ गया और मुझसे अपनी लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा।
तभी दरवाज़े की घंटी बज गई। मैं रुक गई, सुनील बोला- तू रुक मत ! बहुत मज़ा आ रहा है ! दरवाज़े पर छोटू देख लेगा !
छोटू दरवाज़ा देखने चला गया और मैं फिर सुनील का लंड चूसने में मस्त हो गई। सुनील फिर मेरे मुँह में झड़ गया।
मैं उसका लंड को चाटकर साफ़ कर रही थी कि अचानक छोटू कमरे में दो और लड़कों को लेकर घुसा, मैं सुनील का लंड चाटने में इतनी मस्त थी कि मैंने ध्यान नहीं दिया।
मेरे पीछे से आवाज़ आई,”यार यहाँ तो काम पहले ही चालू है !”
मैं घबरा कर खड़ी हो गई।
सुनील हंसने लगा, बोला,”हम दोनों मिल कर तो तुम्हारी प्यास नहीं बुझा पाते तो आज मैंने किशोर और रवि को भी बुला लिया है।”
मैंने कहा,”मैं चार चार को नहीं झेल पाऊँगी।”
सुनील बोला,”तू चिंता मत कर, जितना तू झेल सकती है, तेरे साथ उतना ही करेंगे ! बस तू मेरी बात मानती जा।”
मैंने कहा,”ठीक है !”
फिर वो बोला,” हम गाना लगाते हैं और तू हमारे सामने नाच नाच कर कपड़े उतार !
मैं समझ गई कि वो मुझे स्ट्रिप टीज़ करने के लिए कह रहा है। मैंने पहले भी इन्टरनेट पर सेक्स के दौरान कई बार स्ट्रिप टीज़ किया हुआ था।
छोटू ने गाना लगा दिया और वो चारों सोफे पर बैठ गए।
मैंने नाचना शुरू किया। मैंने फिर धीरे से अपनी शर्ट के बटन एक एक कर के खोल दिए, फिर उसको उतार कर किशोर के मुँह पर फ़ेंक दिया।
मेरी ब्रा के हुक पहले ही खुले हुए थे, मैंने उसको भी निकाल कर रवि के ऊपर फ़ेंक दिया। वो दोनों मेरी मस्त जवानी देख कर उत्तेजित होने लगे।
मैं नाच रही थी और मेरे दूधिया मम्मे उछल रहे थे। किशोर और रवि दोनों अपने लंडों को पैंट के बाहर से ही रगड़ने लगे, फिर मैंने अपना पजामा भी नीचे उतार दिया और उनको अपनी मस्त जांघों के दर्शन कराये।
फिर मैं कुतिया की तरह चल कर किशोर के पास गई और घुटनों पर बैठ कर उसकी पैंट खोलने लगी। पैंट की जिप खोलकर उसका अंडरवियर थोड़ा सा नीचे करके मैंने उसका लंड बाहर निकाल लिया और चाटना शुरू कर दिया। दूसरा हाथ मैंने रवि के लंड पर रख दिया।
रवि ने अपनी पैंट खोलकर लंड बाहर निकाला और मेरे हाथ में दे दिया। इस तरह एक तरफ मैं किशोर के लंड को चाट और चूस रही और दूसरे हाथ से रवि के लंड को छेड़ रही थी।
छोटू फर्श पर लेट कर मेरे नीचे आ गया और मेरे लटकते हुए मम्मों को चूसने लगा। सुनील का लंड भी ये सब देखकर दुबारा से खड़ा हो गया और मेरे पीछे आ गया। उसने मेरी पैंटी घुटनों तक करके मेरी टांगों को थोड़ा सा फैलाया और अपना लंड मेरी चूत पर पीछे से रगड़ने लगा। फिर अचानक ही उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया और मुझे चोदने लगा।
मैं चार चार लौंडों को एक साथ संतुष्ट कर रही थी यह सोच कर बहुत उत्तेजित हो रही थी। थोड़ी देर में सुनील मेरी चूत में झड़ गया। फिर उसने छोटू को इशारा किया। छोटू ने मेरे पीछे आकर अपना लंड अपनी मालकिन की चूत में घुसा दिया और धक्के मारने लगा। थोड़े ही दिन में छोटू चोदने में एक्सपर्ट हो गया था।
फिर वो भी मेरी चूत में झड़ गया। अब किशोर और रवि की बारी थी मुझे चोदने की।
मैं दो दो लंडों से चुदने के बाद भी और चुदना चाहती थी। किशोर ने भी पीछे से आकर मुझे कुतिया की तरह चोदना शुरू किया। आगे मैं रवि का लंड चाटने और चूसने लगी। सुनील और छोटू दोनों बगल से मेरे मम्मों को मसल रहे थे। जब किशोर भी मेरी चूत में झड़ गया तो रवि मेरे पीछे आया और मेरी गांड में ऊँगली करने लगा।
सुनील बोला- साले, गांड मारेगा क्या?
रवि ने कहा- हाँ।
मैं घबरा गई और कहने लगी- प्लीज़, मेरी गांड मत मारो ! चूत ही चोद लो ! इसका तो है भी इतना बड़ा !!! पता नहीं मेरा क्या होगा ! मैं मर जाऊँगी।
सुनील बोला- देख किसी न किसी दिन तो तूने गांड मरवानी ही है ! शुरुआत आज ही कर देते हैं।
फिर उसने छोटू से तेल मंगवाया जो रवि ने थोड़ा अपने लंड पर लगाया और थोड़ा मेरी गांड में। धीरे से उसने फिर अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रख दिया और थोड़ा थोड़ा करके अन्दर डालने लगा। अब उसने हल्के हल्के धक्के मारने शुरू किये।
मुझे दर्द हो रहा था पर मैं झेल रही थी।
थोड़ी देर में दर्द कम हो गया और मज़ा आने लगा। उसके धक्के तेज़ होते जा रहे थे। पहली बार मैं अपनी गांड मरवा रही थी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर में वो भी मेरी गांड में झड़ गया। फिर सुनील ने छोटू को नीचे लेटने को कहा और मुझसे कहा कि मैं उसके ऊपर चढ़ जाऊँ।
मैं छोटू पर चढ़ गई और उसका लंड अपनी चूत में ले लिया। अब मेरे पीछे से सुनील आया और अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया। अब मेरी गांड और चूत दोनों में एक एक लंड था। उसने पीछे से धक्के मारने शुरू किये और मैं चूत और गांड दोनों में एक साथ चुदने लगी।
बाकी दोनों आगे आकर मेरी चूचियाँ चाट रहे थे। थोड़ी देर में दोनों मेरी चूत और गांड में झड़ गए।
इस तरह मैं उन चारों से बारी बारी अपनी चूत और गांड में 3-4 घंटे तक चुदवाती रही। फिर मम्मी और पापा के आने का समय हो गया तो वे चले गए।
अगले दिन मेरी चुदाई के बाद सुनील बोला कि कल अमित का जन्मदिन है और हम उसे एक स्पेशल तोहफा देना चाहते हैं।
मैंने पूछा- क्या?
तो वह बोला-तुम !
मैंने कहा- क्या मतलब?
सुनील बोला- हम चाहते हैं कि अमित अपना जन्मदिन तुम्हें चोदकर मनाये !
मैंने कहा- वहाँ तो इतने सारे लोग होंगे ! अगर सब मुझे चोदेंगे तो मैं मर ही जाऊंगी !
सुनील बोला- नहीं, तुम्हें सिर्फ अमित ही चोदेगा ! बाकी को मैं रोक लूगा।
मैं तैयार हो गई।
अगले दिन वो मुझे अमित के घर ले गया।
जैसे ही हम अंदर घुसे तो मैंने देखा कि आठ दस लोग बैठे दारु पी रहे हैं।
मैंने सोचा यह सब मिलकर मेरे ऊपर चढ़ गए तो मेरा दम निकल जाएगा। मुझे वहाँ देखकर सब चौंक गए।
सुनील ने मुझे सब से मिलवाया फिर बोला- आज मैं अमित के लिए एक खास तोहफा लेकर आया हूँ, शिल्पा !
लोग तब भी नहीं समझे।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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सुनील ने मुझे सब से मिलवाया फिर बोला- आज मैं अमित के लिए एक खास तोहफा लेकर आया हूँ, शिल्पा !
लोग तब भी नहीं समझे।
तो सुनील ने गाना लगाया और मुझसे बोला- चलो, शुरू हो जाओ !
मैंने नाचना शुरू किया तो लोगों को कुछ समझ में आया कि क्या हो रहा है। मैंने धीरे धीरे अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू किये और लोग मस्त होने लगे। सबके लंड खड़े होने लगे थे।
मैंने अपनी शर्ट उतारकर अमित के ऊपर फ़ेंक दी। मेरी काली सिल्की ब्रा में से छलकते हुए मेरे गोरे मम्मों को उछलते हुए देखकर सबकी आह निकल गई।
फिर मैंने धीरे धीरे अपनी जींस नीचे उतार दी और सबको अपनी टांगों के दर्शन कराये। कुछ लोगों ने अपने लंड मसलने शुरू कर दिए थे। अमित अभी भी बस मुझे देखे जा रहा था। मैं उसके पास गई और उसकी गोद में बैठ गई। उसने पीछे से मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए।
बाकी लोग भी मेरे पास आने लगे तो सुनील ने उन्हें रोक दिया और कहा- आज शिल्पा सिर्फ अमित की है, कोई और उसे नहीं छूएगा।
अमित ने अब पीछे से मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और उसे उतार दिया। सब मेरी चूचियों को ललचाई नज़र से देखने लगे। कुछ लोगों ने अपने लंड बाहर निकाल लिए और मुठ मारने लगे थे।
मैं फिर नीचे उतर कर घुटनों पर अमित के सामने बैठ गई। मैंने अमित की पैंट खोली और उसका लंड बाहर निकाल लिया और उसको चाटने और चूसने लगी।
थोड़ी देर में मैं पैंटी उतारने के लिए उसके सामने खड़ी हो गई।
पर तभी सुनील ने पीछे से आकर मेरी पैंटी नीचे खींच दी और मेरी चिकनी चूत उसको दिखाकर बोला- यह है तेरे जन्मदिन का तोहफा ! आज चोद ले इसे जितना चोदना है !
Update 4 ...
मैंने अपनी शर्ट उतारकर अमित के ऊपर फ़ेंक दी। मेरी काली सिल्की ब्रा में से छलकते हुए मेरे गोरे मम्मों को उछलते हुए देखकर सबकी आह निकल गई।
फिर मैंने धीरे धीरे अपनी जींस नीचे उतार दी और सबको अपनी टांगों के दर्शन कराये। कुछ लोगों ने अपने लंड मसलने शुरू कर दिए थे। अमित अभी भी बस मुझे देखे जा रहा था। मैं उसके पास गई और उसकी गोद में बैठ गई। उसने पीछे से मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए।
बाकी लोग भी मेरे पास आने लगे तो सुनील ने उन्हें रोक दिया और कहा- आज शिल्पा सिर्फ अमित की है, कोई और उसे नहीं छूएगा।
अमित ने अब पीछे से मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और उसे उतार दिया। सब मेरी चूचियों को ललचाई नज़र से देखने लगे। कुछ लोगों ने अपने लंड बाहर निकाल लिए और मुठ मारने लगे थे।
मैं फिर नीचे उतर कर घुटनों पर अमित के सामने बैठ गई। मैंने अमित की पैंट खोली और उसका लंड बाहर निकाल लिया और उसको चाटने और चूसने लगी।
थोड़ी देर में मैं पैंटी उतारने के लिए उसके सामने खड़ी हो गई।
पर तभी सुनील ने पीछे से आकर मेरी पैंटी नीचे खींच दी और मेरी चिकनी चूत उसको दिखाकर बोला- यह है तेरे जन्मदिन का तोहफा ! आज चोद ले इसे जितना चोदना है !
अमित ने खड़े होकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और मुझे चूमने लगा। बगल में लोगों ने सीटियाँ मारनी शुरू कर दी और तरह तरह की आवाजें निकालने लगे।
छोटू बोला- आज छोड़ना नहीं अमित, फाड़ दे साली की। बहुत मस्त माल है !
मैं चोंक गई कि यह छोटू को क्या हो गया है अपनी मालकिन के बारे में क्या बोल रहा है।
फिर मैं जाकर वहाँ एक मेज़ पर लेट गई। अपने चूतड़ किनारे पर लाकर मैंने अपनी टाँगे हवा में उठाकर फैला दीं। मेरी खुली चूत देख कर वो पागल हो गया।
उसने मेज़ की बगल में खड़े होकर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और धक्के मारने लगा। बाकी सब लोग अपने अपने लंड लेकर मेरे पास आ गए और मुठ मारने लगे।
एक एक करके वो झड़ने लगे और अपने लंड का पानी मेरे ऊपर डाल दिया। मैं वीर्य में नहा गई। फिर सबने एक एक करके अपने लंड मुझसे चटवाकर साफ़ करवाए।
इतने लंडों का स्वाद मैंने ज़िन्दगी मैं पहली बार चखा था, बहुत मज़ा आया।
इधर अमित मुझे पेले जा रहा था। मेरे मम्मे भी उसके धक्कों से बार बार उछल रहे थे।
लोगों ने बारी बारी आकर मेरी चूचियों का स्वाद भी चखा। थोड़ी देर बाद अमित मेरे अन्दर झड़ गया।
मैं पूरी गन्दी हो चुकी थी। मैं बाथरूम मैं नहाने गई तो अमित मेरे पीछे पीछे आ गया, उसने कहा- रांड, तुझे आज मैं नहलाता हूँ !
उसने शावर चलाया और मेरा शरीर ऊपर से नीचे तक मलने लगा। बाहर से सभी यह नज़ारा देख रहे थे। नहलाने के बाद अमित बोला- चल, अब तू कुतिया बन जा ! मुझे तेरी गांड मारनी है।
मैं वहीं कुतिया बन गई और वो पीछे से मेरी गांड मारने लगा।
थोड़ी देर के बाद वो मेरी गांड में झड़ गया। उसको तृप्त करके मैं वहां से चली आई। उसके बाद मैं मोहल्ले की रंडी बन गई और सुनील के सभी दोस्तों से चुदवाया।
मैं बहुत खुश रहने लगी थी क्योकि मेरी चूत कि प्यास बुझाने के लिए मुझे रोज़ लंड मिल जाते थे। उसके बाद मैं कई बर्थ-डे पार्टियों में चुदने गई। ज़िन्दगी बहुत हसीन हो गई थी।
उसका किस्सा सुनने के बाद मैं फिर गरम हो गया और बोला- चल अब तेरी गांड मारता हूँ।
वो घुटने ज़मीन पर रखकर सीट पर उलटी लेट गई और मेरे लिए अपने दोनों हाथों से गांड का छेद खोल दिया और बोली- ले भोंसड़ी वाले ! मार मेरी गांड !
मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया और उसकी गांड मारने लगा। ट्रेन में मैं भकाभक उसकी गांड मार रहा था। थोड़ी देर के बाद मैं उसकी गांड में झड़ गया।
मुझसे अपनी गांड मरवाने के बाद वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और मेरे लंड से खेलने लगी, मैं भी दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियां दबा रहा था।
मैंने पूछा- फिर क्या हुआ शिल्पा?
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मुझसे अपनी गांड मरवाने के बाद वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और मेरे लंड से खेलने लगी, मैं भी दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियां दबा रहा था।
मैंने पूछा- फिर क्या हुआ शिल्पा?
वो बोली- बहार के दिन ज्यादा नहीं थे। कुछ दिनों के बाद पापा का वहाँ से दिल्ली तबादला हो गया और मुझे वहाँ से जाना पड़ा। जाने से पहली रात मैं सुनील के घर बहाने से गई, वहाँ सुनील और उसके दोस्तों से मैंने पूरी रात चुदवाया। उसके बाद हम दिल्ली आ गए।
दिल्ली में हम एक अपार्टमेन्ट में रहने लगे। कई दिनों तक लंड के बिना मैं तड़पने लगी।
भड़ास निकालने के लिए कभी इन्टरनेट का सहारा लेती थी कभी भीड़ वाली बस में घुस कर लोंडों से दबवाती थी पर मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ रही थी।
मेरे घर के बगल में एक बाहरवीं कक्षा का लड़का शम्पी रहता था। उसके पापा ने मेरे पापा से विनती की कि मैं उसे अंग्रेजी पढ़ा दूं, नहीं तो फिर से वो फेल हो जाएगा। मुझे कुछ उम्मीद की किरण दिखाई दी।
मैंने उसको कहा कि वो तीन से पाँच बजे के बीच आ सकता है। मैंने जानबूझ कर उसे तब बुलाया जब कोई घर में नहीं होता था।
मैंने देखा कि वो बहुत शर्मीला है। एक दो दिन के बाद मैंने सोचा इसकी शर्म निकालनी होगी। मैंने अब टी-शर्ट के ऊपर बटन खोलकर उसको थोड़े थोड़े अपने मम्मे दिखाने शुरू किये। स्कर्ट भी अब मैं अब घुटनों के ऊपर तक पहनने लगी। उस पर कुछ कुछ यह असर होने लगा था कि उसका लंड मुझे देखकर खडा होने लगा था। वो बहुत शर्मीला था, मुझे लगा कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैं एक दिन लेट हो गई तो देखा वो फ्लैट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा है। मैंने उसको अपने कमरे में बैठाया और किताब निकालने को कहा। मुझे तभी एक शरारत सूझी- मैं कमरे में ड्रेसिंग टेबल के सामने गई और उसके सामने ही कपड़े बदलने लगी। मैंने शर्ट उतार दी और अलमारी में से टी-शर्ट ढूँढने लगी। मैंने शीशे में देखा कि वो मुझे ब्रा में देख कर लगातार घूर रहा था। मैंने टी-शर्ट पहनी और अपनी जींस उतार दी और उसे अपनी टांगों के दर्शन कराये।
फिर मैं अपनी मिनी स्कर्ट पहन कर उसके पास आ गई। मैंने देखा कि उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो गया है, मैंने सोचा आज लोहा गरम है, मार देती हूँ हथौडा !
मैंने उससे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
वो बोला- नहीं !
“कभी किसी को किस किया है”
“नहीं”
मैंने मन में सोचा- बहनचोद ! तूने ज़िन्दगी में किया क्या है !
फिर मैंने कहा- तुम्हारा किसी लड़की को किस करने का मन नहीं करता?
वो बोला- करता तो है !
“कभी कॉलेज में किसी लड़की को गलत जगह पर छुआ है”
“हाँ, एक बार राजीव के उकसाने पर प्रैक्टिकल की क्लास में !”
क्या यहाँ छुआ था? मैंने अपनी छाती को अपनी उंगली से छूकर कहा।
नहीं पीछे छुआ था ! उसने मेरे चूतड़ों की तरफ इशारा करके कहा।
“मज़ा आया था?”
“हाँ”
“तुम अपने आप को खुद संतुष्ट करते हो कभी?”
“समझा नहीं ?”
मैंने उसके लंड की तरफ इशारा करके कहा- इसे रगड़कर मज़ा लेते हो?
“हाँ”
“दिन में कितनी बार?”
“2-3 बार”
“किसके बारे में सोचते हो जब उसे रगड़ते हो?”
“क्लास की लड़कियों के बारे में !”
“मेरे बारे में सोचकर रगड़ा है कभी?”
वो थोड़ा हिचकिचाकर बोला- नहीं !
मैंने मुस्कुराकर कहा- झूट बोल रहे हो !
उसने कुछ जवाब नहीं दिया। मैंने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करके कहा- कभी किसी के देखे हैं?
“नहीं”
“मेरे देखोगे?”
“पर आप तो मेरी दीदी हैं !”
मैंने कहा- वो सब भूल जाओ ! बस यह बताओ कि देखने हैं या नहीं !
“हाँ”
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, फिर पीछे से ब्रा के हुक खोलकर वो भी उतार दी और उसको अपने गोरे मम्मे दिखाए।
मैंने पूछा- छूकर देखेगा?
“हाँ”
मैंने उसका हाथ अपने मम्मे पर रख दिया वो उसे धीरे धीरे मसलने लगा।
मैंने कहा- मज़ा आ रहा है?
“हाँ”
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मैंने कहा- मज़ा आ रहा है?
“हाँ”
मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया और कहा- तेरा तो खड़ा हो गया है, तू अपनी दीदी को नहीं दिखायेगा? देखें तो तेरा कितना बड़ा है !
वो खड़ा हो गया और अपनी पैंट खोलकर अपना अंडरवियर नीचे कर दिया। मैं उसका लौड़ा देख कर मस्त हो गई। कितने दिनों से मेरी चूत एक लंड के लिए प्यासी थी। मैंने नीचे बैठ कर उसे चाटना शुरू कर दिया।
वो बोला- दीदी यह क्या कर रही हो?
मैंने कहा- तू चुपचाप बैठ जा और मज़े ले !
उसको बैठाकर मैंने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया। वो मस्त होने लगा और जल्दी ही झड़ गया।
मैंने कहा- बहनचोद, थोड़ी देर तो रुक जाता !
वो मेरे मुँह से गाली सुनकर घबरा गया। फिर मैंने उसके लंड का सब पानी चूस लिया और उसे चाटकर साफ़ कर दिया। उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने और भाग गया। मेरी चूत फिर तड़पती रह गई।
अगले दिन मैंने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी। वो आया तो मैंने पूछा- क्या हुआ ? कल मज़ा आया था?
उसने कुछ जवाब नहीं दिया। मैंने उसको अपने बगल में बिस्तर पर बैठा लिया और उसके दोनों हाथ पकड़कर अपने मम्मों पर ले गई और दबवाने लगी। फिर उसने खुद मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए। मैंने जल्दी से अपनी टी-शर्ट उतार दी। वो मेरे मम्मों को हाथ में लेकर बारी बारी से मेरी दोनों चूचियों को चूसने लगा। मैं मस्त होने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- अपनी दीदी की चूत देखेगा?
वो बोला- हां ! देखूंगा !
मैंने बिस्तर पर खड़े होकर अपनी स्कर्ट उतार दी और उसको अपनी चिकनी चूत के दर्शन कराए। मैं बिस्तर पर लेट गई और टाँगे फैला दी। फिर उससे कहा- ले चाट मेरी चूत को !
वो नीचे जाकर मेरी चूत चाटने लगा। मुझे मज़ा आने लगा था और आआह….. आह…. की आवाजें निकालने लगी। थोड़ी देर में मैं झड़ गई।
फिर मैंने उसकी पैंट और अंडरवियर को उतारकर उसका लंड चूसना शुरू किया। इससे पहले कि वो झड़ जाये मैं रुक गई और उससे बोली- चोदेगा अपनी दीदी को?
वो बोला- हाँ ! चोदूंगा !
मैंने फिर लेटकर अपनी टाँगें फैला दीं। उसने मेरे ऊपर आकर अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया, मेरी आह निकल गई, मैं बोली- हाय, आज कितने दिनों के बाद मेरी चूत की प्यास बुझी है ! बहनचोद आज अपनी दीदी की फाड़ के रख दे !
वो मुझे जोर जोर से धक्के मारने लगा।
मैं बोली- भोंसडी वाले मुझे गाली दे दे के चोद !
पर वो चुपचाप ही मुझे चोदता रहा और थोड़ी देर में झड़ गया।
अगले दिन मैं बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रही थी। साढ़े तीन बजे तक जब वो नहीं आया तो मैंने उसके घर फ़ोन किया, उसने फ़ोन उठाया तो मैंने पूछा- क्या हुआ? इतनी देर क्यों लगा दी?
वो बोला- बहन की लौड़ी, रंडी साली ! तुझे बड़ी जल्दी है चुदवाने की, अभी आता हूँ साली ! आज तेरी फाड़ के रख दूंगा।
यह कहकर उसने फ़ोन रख दिया। मैं सन्न रह गई और उसका बेसब्री से इंतज़ार करने लगी। वो जैसे ही घर में घुसा तो मुझे उठा लिया और मेरे बिस्तर पर पटक दिया। फिर अपनी पैंट खोलकर अंडरवियर उतारा और लंड बाहर निकालकर कहा- आजा रांड ! चूस इसे !
मैंने उसकी बात मान ली और उसका लंड चूसने लगी। वो फिर मेरा सर पकड़कर मेरे मुँह को जोर जोर से चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद उसने कहा- कुतिया, चल अब जल्दी से नंगी हो जा, अभी तेरी चूत फाड़ता हूँ।
मैं अपने कपड़े उतारकर नंगी होकर लेट गई।
उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और जोर जोर से चोदने लगा और गालियाँ देने लगा। उस दिन मुझे चुदने में बहुत मज़ा आया। फिर वो रोज़ रोज़ आकर मुझे गालियाँ दे दे कर चोदने लगा। मैं उससे रोज़ चुदवाने लगी, वह भी मज़े ले लेकर अपनी दीदी को रोज़ चोदने लगा।
थोड़े ही दिन बाद मुझे एक दूसरे लंड की चाह होने लगी। मैंने उसके दोस्त राजीव के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो कई लड़कियों को चोद चुका है।
मैंने कहा- मुझे भी उससे चुदवाओ न !
वो बोला- कैसे ?
मैंने कहा- तुम उससे कहो कि तुम्हारे बगल के घर में एक बहुत मस्त माल रहता है और तुम उसे चोदना चाहते हो उसमें तुम्हें उसकी मदद चाहिए। उससे बोलो कि तुम मेरे घर में आकर मुझे बेहोशी की दवाई देकर चोदना चाहते हो और उसमें उसकी मदद चाहिए।
मैंने जैसा समझाया था उसने वैसा ही किया। वो राजीव को लेकर मेरे घर आ गया और बोला दीदी आज से यह भी मेरे साथ पढ़ने आएगा। मेरी मस्त जवानी देखकर राजीव की आँखें खुली रह गई। उन दोनों को मैंने अपने कमरे मैं बैठाया।
शम्पी कहने लगा- दीदी, एक कप चाय पिलाओ !
मैंने तीनों के लिए चाय बनाई। फिर उसने चुपचाप से एक नकली बेहोशी की दवाई मेरी चाय में मिला दी। थोडी देर में मैं चक्कर आने की एक्टिंग करने लगी।
उन दोनों ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
शम्पी बोला- अब क्या करें?
राजीव ने कहा- करना क्या है, अब तुम्हारी दीदी को चोदेंगे !
यह कह कर वो मेरे मुँह को चूमने लगा और मेरे मम्मे दबाने लगा। फिर मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मे चूमने लगा। फिर दोनों ने मिलकर मुझे थोड़ा सा पलटकर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और ऊपर उठा दी।
राजीव बोला- बहनचोद, क्या मम्मे है साली के ! बहुत मस्त माल फँसाया है !
फिर शम्पी ने मेरी स्कर्ट नीचे कर दी और मेरी टाँगें देख कर राजीव बोला- आज तूने दिल खुश कर दिया शम्पी ! ऐसा माल तो मैंने कभी नहीं चोदा ! बहुत मज़ा आएगा !
मैं अंदर से बहुत उत्तेजित हो रही थी और इंतज़ार कर रही थी कि कब राजीव का लंड मेरी चूत की शोभा बढ़ाएगा।
फिर राजीव ने मेरी पैंटी उतार के मेरी चिकनी चूत के दर्शन किये। वो मेरी चूत देखकर बोला- साली कईयों से चुद चुकी है !
शम्पी बोला- तुझे कैसे पता?
राजीव बोला- बहुत चूतें देखी हैं मैंने ! एक नज़र में बता सकता हूँ !
उसने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी और मैं कसमसाने लगी।
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राजीव बोला- बहुत चूतें देखी हैं मैंने ! एक नज़र में बता सकता हूँ !
उसने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी और मैं कसमसाने लगी।
वो बोला- देख बहन की लौड़ी बहोशी में भी कसमसा रही है, इसकी चूत लंड के लिए कितनी बेताब है।
फिर वो दोनों नंगे हो गए। राजीव ने मेरी टाँगें फैला दी और अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। ऊपर शम्पी मेरे मम्मे चूसने में मस्त था। रजीव जोर जोर से धक्के मार कर मुझे चोदने लगा। मैं भी चुदाई का मज़ा लेने लगी। उसके झड़ने के बाद शम्पी मेरे ऊपर चढ़ गया और रोज़ की तरह अपनी दीदी को चोदने लगा।
राजीव बोला- साली बेहोश है ! नहीं तो इससे लंड चुसवाने में भी बहुत मज़ा आता !
थोड़ी देर बाद वो मुझे कपड़े पहना कर घर से चले गए।
अगले दिन वे दोनों फिर घर आये, मैंने उनसे पूछा- कल क्या हुआ था?
शम्पी बोला- कुछ नहीं दीदी, आपको चक्कर आ गया था और हम आपको बिस्तर पर लिटा कर चले गए थे।
मैं बोली- झूठ मत बोलो ! तुम लोगों ने कल मेरे साथ गलत काम किया है !
राजीव बोला- हाँ किया है ! तू चीज़ ही ऐसी है कि तुम्हें देखकर किसी का भी मन मचल सकता है !
मैंने कहा- तुम लोगों ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया !
राजीव बोला- तू तो ऐसे बात कर रही है कि इससे पहले तूने किसी से चुदवाई नहीं है !
मैंने कहा- पर तुम लोगों ने मेरी मजबूरी का फायदा उठाया है।
राजीव बोला- हाँ हमने तुम्हें चोदा है और आगे भी चोदेंगे !
मैंने कहा- मैं तुम्हें अब हाथ भी नहीं लगाने दूँगी।
राजीव ने फिर एक नया पैतरा फेंका, वो बोला- देखो, हमने कल तुम्हारी चुदाई का एक वीडियो बनाया है, अगर हमसे चुदवाओगी नहीं तो वो पूरे मोहल्ले को दिखा देंगे।
मैं बोली- प्लीज़, ऐसा मत करना ! जो बोलोगे मैं करूंगी !
वो बोला- ठीक है, पहले तो मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड निकाल और उसे चूस !
मैंने उसकी पैंट खोलकर पैंट और अंडरवियर दोनों उतार दिए और उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। शम्पी ने मेरी शर्ट और ब्रा खोल दी और मेरे मम्मे दबाने लगा। फिर मेरी ब्रा और शर्ट उसने उतार दिए। मैंने राजीव का लंड चूसना जारी रखा।
राजीव बोला- देख साली को कितना मज़ा आ रहा है ! चल शिल्पा आज तुझे हम दोनों मिल के और मज़ा देंगे ! चल बिस्तर पर जाकर कुतिया बन जा ! आज तुझे पीछे से चोदेंगे।
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26-03-2019, 03:12 PM
मैं अपनी जींस और पैंटी उतार कर बिस्तर पर कुतिया बन गई, राजीव मेरे पीछे से आया और कुतिया की तरह मुझे चोदने लगा। शम्पी ने अपने कपड़े उतारे और अपना लंड लेकर मेरे मुँह के पास आ गया और मैंने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में राजीव झड़ गया और बिना बोले ही मैं सीधी हो कर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर शम्पी से कहा- आजा बहनचोद अपनी दीदी की चूत फाड़ दे !
शम्पी मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे गलियाँ दे दे कर चोदने लगा। राजीव यह देखकर हैरान रह गया। बाद में हमने राजीव को सब सच सच बताया और हँसने लगे।
इस तरह शिल्पा ने अपनी चुदाई का किस्सा ख़त्म किया।
मैंने उससे कहा- तू साली रंडी नहीं कुतिया है जो हरेक कुत्ते के सामने अपनी चूत खोल के खड़ी हो जाती है ! चल इस बार तुझे कुतिया की तरह चोदता हूँ ! चल नीचे जाकर कुतिया बन जा !
वो नीचे जाकर कुतिया बन गई और मेरा इंतज़ार करने लगी। मैं उसके पीछे घुटनों के बल बैठ गया और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। थोड़ी देर में हम दोनों फिर झड़ गए। उसने मेरा लंड चाट के साफ़ किया और सीट पर लेट गई।
Update 6
पिछले किस्से के बाद मैं उसकी चुदाई करके उसकी बगल में लेट गया और उससे पूछा- अच्छा अब आगे बताओ !
वह बोली- फिर शम्पी और राजीव दोनों मुझे आकर रोज़ चोदने लगे। एक दिन मैं बहुत चुदासी हो रही थी तो राजीव को फ़ोन किया।
वो बोला- मेरे घर आ जाओ, यहीं चुदाई करेंगे !
मैं उसके घर पहुँची तो देखा कि घर का दरवाजा खुला हुआ है। अंदर गई तो एक कमरे से जोर जोर से आवाजें आ रही थी। मैंने सोचा कि इस साले राजीव से इतना भी कण्ट्रोल नहीं हुआ? मेरे आने से पहले ही अपनी नौकरानी को चोदने लगा।
मैंने कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा कि एक अधेड़ उम्र का आदमी कामवाली का काम लगा रहा है। मैं कुछ समझ पाती उससे पहले ही राजीव ने पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में ले लिया और बोला- यह मेरे पापा हैं और कामवाली का काम लगा रहे हैं।
मैं सन्न रह गई कि कैसा परिवार है, बाप अपने बेटे के सामने ही कामवाली को चोद रहा है।
राजीव मुझे ड्राइंग रूम में ले गया और हम सोफे पर बैठ गए। उसने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगा। इतने में उसका बाप बाहर आ गया। उसने बनियान और धोती पहनी हुई थी जिसके नीचे शायद कच्छा नहीं था क्योंकि उसका लंड हिलता हुआ साफ़ दिख रहा था। राजीव ने मेरी जांघ से अपना हाथ नहीं हटाया। उसका बाप मेरे बगल में आकर बैठ गया। मेरे दिमाग से वो दृश्य नहीं हट रहा था जिसमें मैंने उसके बाप का लंड मैंने उस नौकरानी की चूत में अन्दर-बाहर होते देखा था।
उसके बाप ने मेरे बारे पूछा- यह कौन है?
राजीव बोला- यह वही शिल्पा है जिसके बारे में मैंने आपको बताया था।
वो बोला- अच्छा तो यह है जिसके साथ तुम एक महीने से मस्ती कर रहे हो !
उसने मेरी दूसरी जांघ पर हाथ रख कर कहा- माल तो बहुत सही फंसाया है तूने ! देखें तो चखने में कैसी है यह !
कह कर उसका बाप मेरा मुँह पकड़कर मुझे चूमने लगा। उधर राजीव ने मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए। मैं सोफे पर पीछे होकर बैठ गई और दोनों बाप बेटों को मज़ा देने लगी। उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और ब्रा के हुक खोल दिए। मैंने हाथ ऊपर किये और उन्होंने मेरी शर्ट और ब्रा दोनों उतार दी। फिर दोनों मेरी एक एक चूची को चूसने लगे।
इतने में अन्दर से कामवाली बाहर निकली और बोली- मैं जा रही हूँ !
उन दोनों ने मेरी चूचियाँ चूसना जारी रखा। कामवाली मेरी तरफ देखकर मुस्कुराकर चली गई। फिर उसका बाप मेरे सामने खड़ा हो गया, उसकी धोती में से उसका लंड खड़ा होकर बाहर झांक रहा था। मैंने उसकी धोती खोल दी और उसका लंड अपने हाथ में लेकर चाटना और चूसना शुरू किया। पीछे से आकर राजीव ने मेरी स्कर्ट नीचे उतार दी और गांड पर हाथ फ़ेरने लगा।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी। उसके बाप ने राजीव को दरवाजा देखने को बोला और मुझे कहा- तू मेरा लंड चूसना जारी रख !
तभी पीछे से एक लड़की की आवाज़ आई- क्या बात है भैया ! आज तो पापा को चोदने के लिए नया माल मिला है !
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो राजीव एक लड़की के साथ खड़ा है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह कैसा चुदासा परिवार है किसी को कोई शर्म नहीं !
मैं खड़ी हो गई। राजीव ने पीछे से आकर मेरी पैंटी उतार दी और बोला- पापा देखो क्या मस्त चूत है इसकी !
उसके बाप ने मुझे कहा- चल भोंसड़ी वाली ! कुतिया बन जा ! अब मैं तुझे चोदूंगा।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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26-03-2019, 03:13 PM
मैं कुतिया बन गई और उसके बाप ने मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया। राजीव और उसकी बहन भी यह सब देख कर गर्म होने लगे। राजीव ने अपनी बहन को चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिए।
दोनों भाई बहन अपने बाप के सामने नंगे होकर चूमा चाटी करने लगे। उसका बाप मुझे पीछे से कुत्ते की तरह चोदता रहा। फिर उसकी बहन भी कुतिया बन गई और अपने भाई से बोली- आ बहनचोद ! चोद मुझे !
राजीव ने पीछे से अपनी बहन की चूत में लंड घुसा दिया और चोदने लगा। इधर थोड़ी देर में उसका बाप मेरी चूत में झड़ गया। उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और घुटनों के बल अपनी बेटी के पास गया। उसने अपने बाप का लंड चाट कर साफ़ कर दिया। फिर उसका बाप सोफे पर बैठ गया।
मैं उसकी गोद में जाकर बैठ गई। वो पीछे से मेरे मम्मे दबाने लगा और मैं उसके लंड से खेलने लगी और दोनों भाई बहन की चुदाई का मज़ा लेने लगे।
थोड़ी देर में राजीव अपनी बहन की चूत में झड़ गया। इतनी देर में उसके बाप का लंड फिर खड़ा हो गया और वो उठकर अपनी बेटी के पास चला गया।
उसकी बेटी बोली- बेटीचोद ! तू भी आ ! अपनी बेटी को चोद ! उसकी चूत की प्यास बुझा !
उसके बाप ने कहा- रंडी साली ! अपने भाई से चुदवा कर तेरी चूत की प्यास नहीं बुझी? अब अपने बाप से भी चुदवाना चाहती है?
यह कहकर उसने अपना लंड अपनी बेटी की चूत में घुसा दिया और उसे जोर जोर से मजे ले ले कर चोदने लगा। राजीव मेरे पास आकर बैठ गया। मैंने उससे पूछा- अगर तुम्हारी माँ को यह सब पता चल जाये तो उस पर क्या गुजरेगी।
वो हंसने लगा, बोला- मेरी माँ भी मुझसे कई बार चुदवा चुकी है और वो भी कम चुदासी नहीं है ! अभी ऊपर वाले कमरे में अपने ड्राईवर से चुदवा रही है।
तभी मैंने देखा कि उसकी माँ गाउन पहनकर अपने ड्राईवर के साथ नीचे उतर रही है। वो बोली- तुम लोगों ने मुझे बुलाया क्यों नहीं? हम लोग भी यहीं आ जाते।
फिर उसकी माँ ने सोफे के पास आकर अपना गाउन उतार दिया जिसके अन्दर उन्होंने कुछ नहीं पहना था। वो नंगी होकर अपने बेटे के सामने घुटनों के बल बैठ गई। फिर अपने बेटे का लंड हाथ में लेकर चाटने और चूसने लगी। उधर ड्राईवर ने भी अपने कपड़े उतार दिए और नंगा होकर मेरे सामने खड़ा हो गया। उसका लंड बहुत लम्बा और मोटा था। मैं समझ गई कि इसीलिए उसकी माँ उससे चुदवाती थी।
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मैंने उसका लंड चाटना और चूसना शुरू कर दिया। पूरे कमरे में चुदाई का माहौल था। बाप अपनी बेटी को चोद रहा था। माँ अपने बेटे का लंड चूस रही थी और मैं उनके ड्राईवर का लंड चूस रही थी। यह सब देखकर मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। थोड़ी देर में बाप अपनी बेटी की चूत में झड़ गया। बेटी ने फिर से अपने बाप का लंड चाट कर साफ़ किया। फिर वो फर्श पर लेट गई और टांगों को मोड़ कर फैला दिया और अपने ड्राईवर को इशारे से बुलाया। ड्राईवर ने मेरे मुँह से अपना लंड निकाल लिया और अपनी छोटी मालकिन की चूत में अपना लंड घुसा दिया।
मैंने सोचा- यह तो साली मुझसे भी बड़ी चुदासी निकली। अपने भाई और बाप से चुदवाकर अब अपने ड्राईवर से चुदवा रही थी।
उसका ड्राईवर भी मज़े ले लेकर अपनी छोटी मालकिन को जोर जोर से धक्के मारकर चोदने लगा। इधर राजीव नीचे लेट गया और उसकी माँ उसके ऊपर चढ़ गई और उसने अपने बेटे का लंड अपनी चूत में घुसा लिया और धक्के मारने लगी। उसके मम्मों को उसका बेटा दबा दबा कर उसे और मजे दे रहा था।
अगले राउंड में मैं ड्राईवर से चुदी। इस तरह बारी बारी से तीनों मर्द हम औरतों को कई घंटों तक चोदते रहे। इस तरह शिल्पा ने अपनी चुदाई का किस्सा ख़त्म किया। थोड़ी देर में एक स्टेशन आने लगा तो हमने अपने कपड़े पहन लिए।
वो बोली- मैं बाथरूम जाकर अपनी सफाई करके और कपड़े बदलकर आती हूँ।
स्टेशन आया तो टीटी दो 40-45 साल के दो आदमियों को लेकर केबिन में आया और बोला- अगर आपको कोई परशानी न हो तो थोड़ी देर मैं इनको यहाँ बिठा दूँ? सीट मिलते ही मैं इनको ले जाऊँगा। इतने में शिल्पा गाउन पहन कर आ गई। उसने उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। उसकी चूचियाँ उसमें से बाहर चमक रही थी। वो दोनों उसको घूरने लगे।
मैंने शिल्पा से कहा- ये लोग अभी थोड़ी देर में सीट मिलने के बाद चले जायेंगे।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं एक कम्बल ऊपर से डालकर उसे छेड़ने लगा। मैंने केबिन की लाइट बंद कर दी। अब वहां सिर्फ हलकी सी नाईट बल्ब की रौशनी थी लेकिन उसमें भी बहुत कुछ चमक रहा था। मैंने कम्बल के नीचे ही उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। हालांकि सामने से साफ़ पता चल रहा था कि मैं क्या कर रहा हूँ। वे दोनों भी उस नजारे का मज़ा लेने लगे।
फिर मैंने शिल्पा को सीट पर लिटा दिया और कम्बल ऊपर ले लिया। कम्बल के नीचे ही मैं उसका गाउन ऊपर उठाने लगा। इस प्रयास में कम्बल बीच बीच में ऊपर उठ जाता और उनको शिल्पा की टांगों के दर्शन हो जाते।
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Update 7
मैंने शिल्पा से कहा- ये लोग अभी थोड़ी देर में सीट मिलने के बाद चले जायेंगे।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैं एक कम्बल ऊपर से डालकर उसे छेड़ने लगा। मैंने केबिन की लाइट बंद कर दी। अब वहां सिर्फ हलकी सी नाईट बल्ब की रौशनी थी लेकिन उसमें भी बहुत कुछ चमक रहा था। मैंने कम्बल के नीचे ही उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए। हालांकि सामने से साफ़ पता चल रहा था कि मैं क्या कर रहा हूँ। वे दोनों भी उस नजारे का मज़ा लेने लगे।
फिर मैंने शिल्पा को सीट पर लिटा दिया और कम्बल ऊपर ले लिया। कम्बल के नीचे ही मैं उसका गाउन ऊपर उठाने लगा। इस प्रयास में कम्बल बीच बीच में ऊपर उठ जाता और उनको शिल्पा की टांगों के दर्शन हो जाते।
वो दोनों अपने अपने लंड को पैंट के बाहर से ही सहलाने लगे। फिर मैंने शिल्पा का गाउन उसके मम्मों के ऊपर तक उठा दिया। इस बार फिर उन्होंने एक पल के लिए उसके पूरे नंगे बदन के दर्शन कर लिए। मैंने अपना पजामा खोलकर अपना लंड निकाल लिया। उसकी टाँगे मोड़कर फैला दी और उसके ऊपर चढ़ गया और चोदने लगा। चुदाई का सीन देखकर उन दोनों से रहा न गया और अपना लंड निकालकर हमारे पास आ गए।
पहले ने अपना लंड शिल्पा के मुँह में घुसा दिया और उसका मुँह चोदने लगा, दूसरे ने हमारे ऊपर से कम्बल हटा दिया और नीचे बैठकर शिल्पा के मम्मे दबाने लगा। थोड़ी देर में मैं झड़ गया और
शिल्पा के ऊपर से हट गया। फिर उन दोनों ने एक एक करके शिल्पा को चोदा। तभी मैंने देखा कि टी टी भी पीछे खड़ा है और उसने भी अपना लंड निकाल लिया है। फिर वो भी शिल्पा के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।
तभी उन दोनों का स्टेशन आ गया और वो उतर गए। टी टी भी झड़ गया था। उसका लंड शिल्पा ने चाटकर साफ किया।
वो जाते हुए बोला- मैं फिर आऊंगा।
शिल्पा बोली- साथ में कोई और भी हो तो उसे भी ले आना ! मेरी चूत तुम्हारा इंतज़ार करेगी।
टीटी के जाने के बाद शिल्पा नंगी ही मेरे बगल में लेट गई, मैंने एक ऊपर से चादर डाल ली और उसके मम्मे दबाने लगा। उसने भी मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगी। उसके बाद शिल्पा ने अपनी चुदाई का अगला किस्सा सुनाया। वह बोली कि उसके बाद मैं राजीव के घर अक्सर जाकर उसके बाप और ड्राईवर से चुदवाने लगी।
अब आगे शिल्पा के ही शब्दों में !
एक दिन मुझे बाज़ार में अपनी एक पुरानी सहेलीमाधुरी मिली।माधुरी की शादी दिल्ली में हो गई थी और अपने पति और परिवार के साथ रहती थी।
उसने मुझे कहा- एक दिन तुम घर आओ और मेरे साथ रुको ! तुम्हारे साथ बहुत सारी बातें करनी हैं।
एक दिन मैं छुट्टी लेकर उसके घर गई। वह घर में अकेली थी। हम दोनों ने पहले बहुत बातें की। फिर मैंने उसको अपने चुदाई के किस्से भी सुनाये।
वह बोली- तूने तो बहुत एश की है।
फिर मैंने उसके पति के बारे में पूछा।
वह बोली- बहुत अच्छे हैं।
मैंने कहा- तुझे हर तरह से खुश रखते हैं?
वह बोली- हाँ, यहाँ परिवार में सब अच्छे हैं।
मैंने फिर शरारत से पूछा- और तेरे पति बिस्तर में कैसे हैं?
वह बोली- बहुत मज़ा आता है ! मस्त चुदाई करते हैं।
मैंने कहा- अच्छा ! पर मैं कैसे मान लूं कि वह मेरी दोस्त को भरपूर मज़ा देते हैं।
तो वो बोली- थोड़ी ही देर में वो आते होंगे, अभी घर में कोई नहीं है तू परदे के पीछे छुप जाना फिर देखना।
मेरे अन्दर उस ख़याल से ही झुरझुरी उठ गई। थोड़ी देर में उसका पति अशोक घर आ गया। मैं परदे के पीछे छिप गई। अशोक को देखकर मेरी आह निकल गई, वह एक लम्बा चौड़ा मस्त आदमी था। उसने घर में घुसते हीमाधुरी को बाहों में लेकर चूमा।
मैं माधुरी से जल कर रह गई कि साली को कैसा मस्त आदमी मिला है। मैं बेसब्री से उनके बीच कुछ होने का इंतज़ार करने लगी। मैं उस आदमी को नंगा देखना चाहती थी। थोड़ी ही देर में वह दोनों मस्त होने लगे और एक दूसरे को चूमने लगे।
फिर अशोकमाधुरी के सामने खड़ा हो गया औरमाधुरी ने उसकी पैंट और अंडरवियर दोनों नीचे कर दिए, उसका लंड बाहर निकल आया। उसको देखकर मेरी आह निकल गई।
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अनु ने घुटनों के बल बैठ कर उसको चूसना शुरू किया। मैं कसमसा कर रह गई। मेरा मन कर रहा था कि बाहर निकलकर उससे वह लंड छीन कर अपने मुँह में ले लूँ। मैं वही खड़ी खड़ी अपने मम्मे दबाने लगी और ऊँगली से चूत रगड़ने लगी।
तभी मैंने देखा किमाधुरी नंगी डाईनिंग टेबल पर लेटी हुई है और अशोक उसकी चूत में लंड घुसा कर धक्के मार रहा है। फिर थोड़ी देर में दोनों सोफे पर बैठ कर चूमा-चाटी करने लगे।
तभी मैंने देखा किमाधुरी मेरी तरफ देख रही है। उसने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया। अशोक अचानक मुझे देखकर चौंक गया फिर मुस्कुराने लगा।
अनु ने बताया- यह मेरी दोस्त शिल्पा है और बहुत देर से हमें चुदाई करते हुए देख रही है ! मुझे नहीं लगता कि यह और रुक पाएगी।
मैं अशोक के बगल में बैठ गई। बार बार मेरी नज़र उसके लम्बे, मोटे लंड की तरफ जा रही थी। अशोक ने मुस्कुराकर मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। मैं नीचे बैठ गई और उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैंने फिर अपने सारे कपड़े उतार दिए और अशोक के सामने नंगी हो गई।
मैं उसके सामने घुटनों पर बैठ कर उसका लंड चूसने लगी। तभी पीछे सेमाधुरी ने मेरी चूत में ऊँगली डाल कर उसक रगड़ना शुरू कर दिया। मैं मस्त होने लगी और थोड़ी देर में झड़ गई। अशोक भी मेरे मुँह में झड़ गया और मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, हम लोगों ने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए।माधुरी के सास-ससुर घर आ गए थे और थोड़ी देर में उसका देवर भी आ गया। हम सबने खाना खाया।
अनु ने मुझे कहा- घर फ़ोन कर दे और आज यहीं रुक जा।
मैं वैसे भी घर जाना कहाँ चाहती थी बिना अशोक के साथ चुदाई किये हुए। खाना खाने के थोड़ी देर के बाद बाद हम सोने चले गए।माधुरी मुझे अपने बेडरूम में ले गई। मैं बेसब्र हो रही थी लेकिनमाधुरी और उसका पति सब धीरे धीरे कर रहे थे और मेरी बेचैनी का मज़ा ले रहे थे।
अशोक ने कहा- आज मैं एक नई ब्लू फिल्म लाया हूँ, तीनों मिलकर देखते हैं।
अशोक ने फिल्म लगाई और हम दोनों के बीच में आकर लेट गया। थोड़ी देर में हम उसके चुदाई के सीन देखकर गर्म हो गए। मैंने देखा कि वे दोनों शुरू हो चुके थे। मुझसे भी रुका नहीं गया, मैंने पीछे से अशोक से चिपटना शुरू कर दिया और धीरे से हाथ उसके लौड़े पर ले गई जो कि पूरी तरह खड़ा हो चुका था।
मुझसे रुका नहीं गया मैं नीचे गई उसका पजामा नीचे किया और लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वह भी मजे ले ले कर मुझसे चुसवा रहा था।
फिर हम तीनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरे नंगे हो गए। मैं अशोक के ऊपर चढ़ गई और उसका लंड अपनी चूत में डाल कर चुदाई करने लगी। वो मेरे मम्मे कस कस के दबा रहा था- आह आह….। कितना मज़ा आ रहा था।
तभीमाधुरी ने भी मेरी एक चूची अपने मुँह में डाली और चूसने लगी। मुझे और मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए। फिर अशोक नेमाधुरी की चुदाई की और इस बार मैंनेमाधुरी की चूचियाँ चूसी, बड़ा मज़ा आया। उसके बाद थक कर हम सो गए।
रात में मेरी आँख खुली तो देखा किमाधुरी बिस्तर पर नहीं है। मुझे लगा कि शायद बाथरूम गई होगी। मुझे भी प्यास लग रही थी तो मैंने गाउन पहना और हाल में फ्रिज से पानी पीने लगी। तभी मैंने देखा कि एक कमरे की बत्ती जली हुई है और उसमें से आवाजें आ रही हैं।
मुझे लगा कि अंकल और आंटी इस उम्र में भी मज़े ले रहे हैं। मैं धीरे से कमरे के पास गई और दरवाज़े से अन्दर झाँका और नज़ारा देखकर दंग रह गई। अंकल नंगे बिस्तर के किनारे बैठे हुए हैं औरमाधुरी घुटनों के बल नीचे बैठ कर उनका लंड चूस रही है, पीछे से उसका देवर उसके मम्मे दबा रहा है और चूम रहा है।
मैंने मन ही मन कहा- बहनचोद साली एक और चुदासा परिवार !
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मैंने मन ही मन कहा- बहनचोद साली एक और चुदासा परिवार !
तभी मैंने महसूस किया कि अशोक मेरे पीछे नंगा खड़ा है। उसने मेरा गाउन उतार दिया और मुझे भी नंगा कर दिया। हम दोनों भी उस कमरे में चले गए।माधुरी के ससुर ने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरे मम्मे दबाने और चूसने लगा। फिर अपनी ऊँगली मेरी चूत पर ले गया और रगड़ने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था उस बुड्ढे के खेल में। फिर उसने अपना लंडमाधुरी के मुँह से निकाल कर मुझे चूसने के लिए कहा। मैं उसके सामने बैठ कर उसका लंड चूसने लगी।
तभी मैंने देखा कि अशोक की माँ हमारे बगल में नीचे घुटनों के बल नंगी बैठी है और उसका लंड चूस रही है।माधुरी का ससुर मेरे मुँह में झड़ गया और उसके बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनों वहाँ का सीन देखने लगे।माधुरी अपने देवर से चुद रही थी और अशोक की माँ उसका लंड चूस रही थी। मैंमाधुरी के ससुर की गोद में उसके लंड से खेल रही थी। थोड़ी देर मेंमाधुरी का देवर उसकी चूत में झड़ गया, तब तक मैं उसके ससुर के लंड को तैयार कर चुकी थी।
अनु के ससुर नेमाधुरी के पीछे जाकर उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया।माधुरी की आह निकल गई, वो बोली- भोंसड़ी के ! थोड़ा तो धीरे से घुसाया कर ! मेरी जान निकाल दी !
ससुर बोला- बहन की लौड़ी ! इतने दिनों से तेरी गांड मार रहा हूँ, अभी भी इतना दर्द होता है?
दूसरी तरफ तरफमाधुरी के देवर ने अपनी माँ के पीछे जाकर अपना लंड उसकी चूत में रगड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में उसका फिर खड़ा हो गया और उसने अपनी माँ को कुतिया की तरह चोदना शुरू कर दिया। मैं अकेले ही तड़प रही थी। पर उन लोगों ने मुझे ज्यादा तड़पने नहीं दिया, उसके बाद उन तीनों ने मुझे बारी बारी से चोदा।
कसम से,माधुरी के गांडू ससुर से अपनी गांड मरवाने में बहुत मज़ा आया। उस रात के बाद मैं कई दिनों तक उनके घर जाकर चुदवाती रही।
उसका किस्सा सुनकर मैं बोला- चल तू नीचे घुटनों पर बैठकर सीट पर औंधे मुँह लेट ! मैं फिर तेरी गांड मारूंगा।
उसने औंधे मुँह होकर दोनों हाथों से चूतड़ अलग करके अपनी गांड का छेद मेरे सामने खोल दिया, मैंने उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और उसकी गांड मारने लगा। तभी टी टी अपने दोस्त के साथ केबिन में घुसा। मैंने शिल्पा की गांड मारना जारी रखा। उन दोनों ने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार कर अपने लंड बाहर निकाल लिए। फिर उसका दोस्त मेरे पीछे आया और मेरी गांड के छेद में उंगली डालने लगा। मैं चौंक कर रुक गया और कहने लगा- प्लीज़ यह मत करो।
वो बोला- भोंसडी के ! चुप कर, नहीं तो अश्लीलता के जुर्म में अन्दर करवा दूंगा।
फिर उसने मेरी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया और मेरी गांड मारने लगा। उसी धक्के से मेरा लंड शिल्पा की गांड के अंदर-बाहर होने लगा। थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा। मैं गांड मार भी रहा था और मरवा भी रहा था। थोड़ी देर में उसका लंड मेरी गांड में झड़ गया और दूसरा टीटी आकर मेरी गांड चाटने लगा। फिर उसने भी अपना लौड़ा मेरी गांड के छेद में घुसेड़ दिया। उसका लंड भी मेरी गांड में झड़ गया।
मेरा गांड मरवाने का यह पहला अनुभव था। मैं नहीं जानता था कि गांड मरवाने में भी इतना मज़ा आता है।
मैं भी तब तक शिल्पा की गांड में झड़ चुका था। मैं उठकर सीट पर बैठ गया। पहला टी टी मेरे सामने नीचे बैठ गया और मेरा लौड़ा उसने अपने हाथ में लेकर उसे चाटना और चूसना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी आदमी से अपना लंड चुसवा रहा था। मुझे मज़ा आने लगा। उधर शिल्पा भी दूसरे टीटी का लंड चूसने लगी।
थोड़ी देर में मेरा खड़ा हो गया तो वो टीटी सीट पर उल्टा लेट गया। मैं समझ गया कि वो मुझसे अपनी गांड मरवाना चाहता है। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी गांड के छेद में अपना लंड घुसेड़ दिया और उसकी गांड मारने लगा। दूसरी सीट पर शिल्पा दूसरे टीटी से अपनी गांड मरवा रही थी। हम लोग काफी देर तक एक दूसरे की गांड मारते रहे। फिर अगला स्टेशन आ गया और वो दोनों टीटी स्टेशन पर उतर गए।
पर अगले स्टेशन के बाद जो होने वाला था उसके लिए न तो मैं तैयार था और न ही शिल्पा।
अगले स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी मैं पानी लेने के लिए नीचे उतरा। वहाँ पर काफी भीड़ थी शायद कोई रैली थी। मैं पानी लेकर डिब्बे में चढ़ा तो देखा कि शिल्पा एक कोने में बैठी है और पूरे डब्बे में लोग बैठे हुए हैं।
तभी धीरे से उनमें से एक बोला- लगता है साली का यार आ गया है !
और सब हँसने लगे।
मैं समझ गया कि अब शिल्पा की खैर नहीं ! वह भी डरी हुई बैठी थी। ट्रेन चलने लगी। थोड़ी देर तक कुछ नहीं हुआ तो मुझे लगा कि शायद शिल्पा की जान बच गई।
मैं भी सामने की सीट पर बैठ गया। पर शिल्पा बहुत देर तक खैर नहीं मना पाई। उसके बगल में जो लड़का बैठा था वो नींद का बहाना करके उसके ऊपर गिरने लगा।
पहले तो शिल्पा ने उसको अपने ऊपर से दो तीन बार हटाया फिर जब वो नहीं रुका तो पड़े रहने दिया।
उसने अपना सर शिल्पा की गोद में रख दिया। फिर धीरे से अपना हाथ उसकी जाँघों पर रखकर सहलाने लगा और उसकी जांघों को चूमने लगा।
शिल्पा ने सर पीछे किया और आँखें बंद कर ली।
मैं समझ गया कि अब शिल्पा का सामूहिक सम्भोग होने वाला है। यह सोचकर ही मैं उत्तेजित हो रहा था। उस लौंडे ने तब तक अपना हाथ उसके गाउन के अन्दर डाल दिया था और उसकी नंगी जांघ को सहला रहा था।
बाकी सब लोग भी अब यह नज़ारा देख रहे थे। सबके लंड खड़े होने लगे थे। उस डिब्बे में कम से कम 20-22 लोग थे और सबकी आँखों में भूख दिखाई दे रही थी।
वो लड़का अब शिल्पा का गाउन और ऊपर उठा रहा था और हमेशा की तरह शिल्पा ने पैंटी नहीं पहनी थी। उसने उसकी टांगें चौड़ी की और चूत चाटने लगा। शिल्पा अब उत्तेजित होने लगी और अपनी टाँगे और फैला दी।
लोगों ने अपने लंड निकाले और मुठ मारने लगे। एक और लड़का अपना लंड लेकर शिल्पा के मुँह के पास गया और उसे खोलकर उसमें अपना लंड घुसा दिया।
शिल्पा ने उसका लंड पकड़कर चूसना शुरू कर दिया। उसके बाद दो लड़के और शिल्पा के पास गए और उसका गाउन फाड़ दिया और उसे नंगा कर दिया. और उसकी चूचियाँ चूसने लगे।
पूरे डिब्बे में सब बेसब्रे और बेकाबू होकर शोर मचाने लगे और गालियाँ दे दे कर शिल्पा के साथ मस्ती करने लगे। फिर शिल्पा को नीचे लिटाया गया और उसकी टाँगे फैलाकर पहले लड़के ने उसको चोदना शुरू किया। बाकी लोग उसके शरीर को मसलते और कुचलते रहे। शिल्पा को भी आनन्द आ रहा था और उसने मजे में चिल्लाना शुरू कर दिया।
तो उन्होंने उसके मुँह में अपने लंड डाल डाल कर चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में शिल्पा पूरी तरह से वीर्य में नहा चुकी थी।
फिर उसको उल्टा लिटा कर लोगों ने उसकी गांड मारी। 2-3 घंटे तक उसकी लगातार चुदाई होती रही। वो कब बेहोश हो गई पता ही नहीं चला पर उन लोगों ने उसको चोदना जारी रखा जब तक उनका स्टेशन नहीं आ गया।
उसके बाद वो उसे अधमरा छोड़कर नीचे उतर गए। शिल्पा को करीब एक घंटे के बाद होश आया. उसके बाद वो बाथरूम में जाकर अपने को साफ़ करके कपड़े पहन कर आई और कई घंटे तक सोती रही। सुबह हम लोगों का स्टेशन आने वाला था तो मैंने उसको उठाया।
उसने आँख खोली और मुझ देखकर मुस्कुराने लगी। मैं आश्चर्यचकित था कि इतना होने के बाद भी वो कैसे मुस्कुरा सकती है।
उसने कहा- मुझे नहीं लगता था कि मैं इतने लोगों से चुदाई के बाद भी जिंदा बचूंगी। अब मुझे पता है कि मैं इतने लोगों को झेल सकती हूँ।
उसने मुझे अपनी ओर खींचा ओर मेर होठों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन दिया और बोली- यह सफ़र मुझे हमेशा याद रहेगा !
Completed (समाप्त)
// सुनील पंडित //
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(26-03-2019, 02:18 PM)suneeellpandit Wrote: // शिल्पा के साथ ट्रेन का सफ़र (Completed) //
हैलो दोस्तों मेरा नाम ज्योति सिंह है और में नई स्टोरी शेयर करने जा रही हूँ । ये कहानी मेरी नहीं है और न ही मेरे द्वारा लिखी गयी मगर ये उन कहानियो में से है जो मैंने कुछ साल पढ़ी थी और मुझे काफी पसद आयी । उम्मीद है की आपको भी पसंद आएगी ।
इस कहानी का सारा श्रेय कहानी के असली लेखक को जाता है , मै तो बस जरिया हो आप तक ये कहानी पहुंचने का ।
कहानी बहुत छोटी है इसलिए बस आनंद लीजिये
अब इस कहानी को शुरू करते है।
लेखक : माइक डिसूज़ा
नशीली आँखें
वो प्यार क्या जो लफ्ज़ो में बयाँ हो
प्यार वो है जो आँखों में नज़र आए!!
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(07-04-2019, 12:44 AM)raj500265 Wrote: nice one
अपना कीमती वक्त देने के लिए धन्वयद दोस्त
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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