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बॉलीवुड सितारों का परिवार
#21
(07-12-2018, 07:12 AM)rahulraj Wrote: Mst update ....Dron ke flash mein hema chud gayi waha shuruwaat esi hai to aage kya hoga ....Waiting for update

Thnx
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#22
(07-12-2018, 07:55 AM)Prince Wrote: Nice story plot happy to read it.
Waiting for another update.

Thnx ,ese hi saath banaye rakhein
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#23
nice plot with good writing skills ....
keep it up ....
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#24
(07-12-2018, 02:49 PM)annami123 Wrote: nice plot with good writing skills ....
keep it up ....

Thnx , ese hi saath banaye rakhein
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#25
Upate 3 

द्रोण औऱ सोनाक्षी के साथ मेहमान कक्ष में पहुंचा तो माल्या अपनी एक कम उम्र सहायिका के साथ बैठा कुछ बात कर रहा था । [Image: Collage-Maker-20181207-205132726.jpg]
माल्या 60 साल एक ठरकी व्यापारी था और इस बात के लिए बदनाम था कि लोग जितने कपड़े नही बदलते वो उतनी पत्नियां बदलता है । वो मोटा और स्थूल बदन वाला था । माल्या ने कई साल पहले द्रोण को नरक वासियों से बचाया था तब से वो द्रोण का खास दोस्त था । कई साल पहले वो हीवुड में बस गया था और आज कई सालों बाद द्रोण से मिल रहा था । 
द्रोण की नज़र न चाहते हुए भी माल्या की सहायिका पर कुछ देर के लिए टिक गई । लड़की बेहद कामुक और आकर्षक थी बिल्कुल चीनी गुड़िया जैसी गोरी इतनी की मानो छूने से दाग लग जाए और नाज़ुक ऐसी की पकड़ने भर से टूटने का डर । छोटे लाल-लाल रसभरे होंठ और 32b-22-34 का कातिलाना बदन उसने सफेद रेशमी फ्रॉक पहन रखी थी जिसमें उसकी गोरी, मुलायम और बाल रहित टाँगे घुटनों के ऊपर तक नज़र आ रहीं थीं । 
द्रोण को देखते ही माल्या सोफ़े से उठ गया और गर्म जोशी से द्रोण के गले लग गया ।
माल्या-मेरे खास दोस्त तुम तो बिल्कुल भी नहीं बदले हो ,कहो कैसे हो ।
द्रोण-जैसा पहले था बिल्कुल वैसा ही हूँ ,पर तुम कुछ बूढे हो गए हो , तुम्हें इस बूढ़े कि याद बिना किसी काम के तो आई नहीं होगी तो सुनाओ कैसे आना हुआ । फिर द्रोण ने सोनाक्षी कि तरफ मुड़ते हुए कहा "कुछ खाने का प्रबंध करो ,यह मेहमान काफी दूर से आए होंगे ।
सोनाक्षी-जी गुरु जी ।
माल्या (पीली साड़ी में सोनाक्षी के गदराए बदन को निहारते हुए )-अपने साथ एंजला बेबी को भी लेती जाओ और द्रोण के इस आश्रम का दर्शन करवा दो । 
सोनाक्षी और एंजला बेबी मेहमान कक्ष से बाहर चली  जाती हैं तो माल्या द्रोण को आँख मारते हुए कहता है ,काफी गदराई हुई सहायिका रखी है इस बार । "तुम्हारी सहायिका भी काफी कड़क मालूम होती है ,कँहा से हाथ लगा ऐसा माल?" द्रोण अपने लिंग को सहलाते हुए कहता है ।
माल्या -क्यों पसंद आ गयी क्या ?
द्रोण-यार ऐसा कोरा माल सालों बाद देखा ,मन तो कर रहा है अभी पेल दूँ तूने मज़े किये की नहीं ?
माल्या(हँसते हुए)-यार बेटी है मेरी ।
द्रोण(शर्म से लाल होते हुए)-यार मुझे माफ़ कर मैं नहीं जानता था कि तेरी बेटी है वो ।
माल्या-कोई नहीं यार ,मैं समझता हूँ ,फिर जिस लड़की को देखकर लन्ड झटके न मारने लगे वो लड़की ही क्या ।
द्रोण-बात तो तेरी सही है । 
माल्या -तू बता यह सोनाक्षी सिन्हा कौन है ,देखने से तो रानियों जैसी लगती है तेरी सहायिका कैसे बन गयी ? 
द्रोण-लम्बी कहानी है यार।
माल्या(एक पुरानी बोतल निकलते हुए)-तो मुझे कौन सा काम है अभी सुना तो इसकी दास्तान । 300 साल पुरानी है खास तेरे लिए लाया हूँ इस शराब को चख भी लेंगे और तेरी इस गर्म लौंडिया की कहानी का मज़ा भी ले लेंगे ।
माल्या ने दो पेग बनाए और एक द्रोण को देते हुए चियर्स कहा । द्रोण ने शानदार शराब की चुस्की लेते हुए कहानी शुरु की -
सोनाक्षी चंपारण के राजा की बेटी है ,राजा ने अपनी बेटी को बड़े नाज़-नखरों से पाला और जवान होने पर उसकी शादी कुरु देश के राजा भाम से कर दी , राजा भाम सोनाक्षी से बेहद प्यार करता था पर क्योंकि उसका लिंग खड़ा होने के बाद भी केवल 5 इंच लम्बा ही हो पाता था वो सोनाक्षी की काम अग्नि को कभी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाया ,परन्तु फिर भी सोनाक्षी ने किसी पर पुरुष की और नज़र उठा कर नहीं देखा । 
कुरु देश की सीमा नरक देश के साथ लगती है और अक्सर नरक वासी चुपके से देश की सीमा में प्रवेश कर लेते हैं। वैसा ही एक घुसपैठिया था बिन्दु नाम का एक छोटा गोबलिन ,वो कोई 2.5 फुट ऊंचा गंदी पिलपिली चदमडी वाला था शकल तो उसकी और गन्दी थी बड़ी बड़ी आँखे ,पिचका हुआ चेहरा और लम्बी नाक पर उसका लिंग कोई 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था ,पर क्योंकि गोबलिन्स में स्त्रियां नहीं होती इसलिए वो अभी तक संभोग न कर पाया था । 
सोनाक्षी की शादी के कुछ दिनों बाद बिन्दु कुरु देश में घुसा उस दिन सोनाक्षी अपने महल के बाहर खड़ी गरीबों में कपड़े बांट रही थी , बिन्दु की नज़र सोनाक्षी पर पड़ी और वो सोनाक्षी को चोदने के सपने देखने लगा , अपने सपनों में वो सोनाक्षी को अपना मोटा लन्ड चूसवाता ,उसके मोटे नरम मम्में दबाता और सोनाक्षी की चुचियाँ चूसता और अगल -अगल आसनों में सोनाक्षी को चोदता । पर सोनाक्षी एक रानी थी और वो एक गन्दा भद्दा गोबलिन इसलिए वो सोनाक्षी को दूर से ही देखकर अपना लन्ड हिलाकर अपने मन को समझा देता । यह सिलसिला एक साल तक चलता रहा पर चोदना तो दूर वो सोनाक्षी के महल में भी दाखिल नहीं हो पाया । 
एक बार सोनाक्षी पूजा के लिए जंगल के बीचोबीच बने एक प्रचीन मंदिर में पूजा कर वापिस आ रही थी कि उसके काफिले पर डाकुओं ने हमला कर दिया और उसके सभी सैनिकों को कत्ल कर दिया । डाकू सोनाक्षी की डोली की तरफ बढ़ ही रहे थे कि सोनाक्षी को बचाने के लिए सोनाक्षी की एक नोकरानी ने सोनाक्षी के कपडे पहन लिए और अपने कपडे सोनाक्षी को पहना जंगल में भगा दिया । 
सोनाक्षी जो काफी डर गई थी जंगल में बिना किसी दिशा को जाने समझे अपनी नाक की सीध में तब तक भागती रही जबतक की वो थककर बेहोश नहीं हो गयी । 
उसे कई घंटों के बाद होश आया तो उसने खुद को एक घने जंगल में अकेला पाया । वो सोचने लगी कि अगर किसी ने पहचान लिया कि मैं रानी हूँ तो राजा की क्या इज़्ज़त रह जायेगी । पर अपने बदन नोकरानी का लबादा देख उसे कुछ राहत हुई कि कमसेकम इन कपड़ों में उसे कोई पहचाने गा नहीं । ठीक इसी वक्त बिन्दु की नज़र सोनाक्षी पर पड़ी उसका तो जैसे सौभाग्य खुल गया रानी सोनाक्षी सिन्हा उससे कुछ कदमों की दूरी पर थी और रो रही थी और नोकरानी के झीने से लबादे में रानी का अंग-2 नज़र आ रहा था । बिंदु को समझने में देर न लगी कि क्या हुआ होगा ।पहले तो उसने सोचा क्यों न वो अपने जादू से सोनाक्षी पर काबू कर ले और उसे चोद डाले पर फिर उसे ख्याल आया कि सोनाक्षी कोई आम इंसान तो है नहीं क्या पता राजा के गुरुओं ने सोनाक्षी को भी जादू सिखा दिया हो और राजा के गुरुओं के बारे उसने सुन रखा था कि राजा के गुरु बड़े शक्तिशाली हैं नरक वासियों को देखते ही भस्म कर देते है । काफी देर सोचने के बाद उसने सोनाक्षी को सहानुभूति के जरिये पाने का निष्चय किया । बिंदु ने पेड़ की पतली पतली टहनियों को तोड़ा और एक टोकरी बानाई फिर वो जंगल से मीठे -2 फल थोड़ लाया , नारियल के खोल में उसने पानी भर लिया और बोरी जैसे एक फटे पुराने लबादे को पहन वो सोनाक्षी के पास पहुंचा ।
बिन्दु(झुकते हुए)-महारानी को बिंदु का नमस्कार । 
सोनाक्षी(उसे देखकर डर जाती है)- कौन हो तुम ।
बिंदु-महारानी मैं नरक वासी हूँ एक गोबलिन लेकिन मैंने नरक छोड़ दिया है क्योंकि वँहा का समाज मुझे पसंद नहीं मैं इंसानों के जैसे रहना रहना चाहता हूं।मैं यँहा के राजा को ही अपना राजा मानता हूं और आपको रानी , रानी जी मैं आपके लिए कुछ फल और पानी लाया हूँ ।
सोनाक्षी सोचती है कि कितना मरियल सा है बेचारा पर बदलना चाहता है तभी अपना घर परिवार छोड़कर जंगल में रह रहा है और देखो तो मेरे लिए कितनी चीज़े लाया है । यही सोचकर वो उसका विश्वास कर लेती है । और उसकी दिए हुए फल खा लेती है और पानी पी लेती है । खाने के बाद उसके बदन में फिर जान आ जाती है वो जल्दी से जल्दी महल वापिस पहुँचने की सोचती है । 
सोनाक्षी-तुम्हारा शुक्रिया ,तुम्हारा नाम क्या है छोटे दोस्त ?
बिन्दु- आप क्यों शुक्रिया करती हैं मैं तो आपका सेवक हूँ , मेरा नाम बिंदु है रानी जी ।
सोनाक्षी-यँहा से महल कितनी दूरी पर है ? 
बिंदु(सोनाक्षी के उभरते हुए निप्पल घूरते हुए)-दो दिन की दूरी पर वो झूठ बोलता है ।
सोनाक्षी-पर अभी सुबह ही मैं मंदिर आई थी ।
बिंदु-नहीं रानी जी आप लगातार दो दिन भागती रही हैं । आप बहुत डर गईं थीं इसलिए आपको दिन रात की कोई सुध ही नहीं थी ,पूरे दो दिन से आपके साथ था ताकि आपकी रक्षा कर सकूँ ।
सोनाक्षी-अच्छा ,तुम बहुत अच्छे हो यह बताओ बिन्दु क्या तुम शहर का रास्ता जानते हो ?
बिन्दु-जी रानी जी ।
सोनाक्षी-तो मुझे जल्दी वँहा ले चलो , राजा परेशान हो रहे होंगे ।
बिन्दु सोनाक्षी को महल की तरफ ले जाने की जगह जंगल के और अंदर ले जाता है । चार-पाँच घंटो तक चलने के बाद जब उसे यकीन हो जाता है कि यहाँ राजा के सिपाही नहीं पहुँच सकते तो वो अपनी अगली चाल चलता है । 
वो चलते एक जोरदार चीख के साथ चक्कर आने का नाटक करते हुए ज़मीन पर गिर पड़ता है और बेहोश होने का नाटक करने लगता है । सोनाक्षी अपने मुलायम गोरे-2 हाथों से उसे उठाने की कोशिश करती है तो उसके बदन में करंट सा दौड़ जाता है ऐसा कोमल स्पर्श आज तक बिन्दु को नहीं मिला था । लेकिन वो अपना नाटक जारी रखता है उसका तीर सही निशाने पर लगा था ।
यह सोचकर कि बेचारे बिन्दु को कुछ न हो जाए सोनाक्षी पानी खोजने लगती है बड़ी खोजबीन करने पर पसीने से तरबतर होकर कुछ पानी ला पाती है और बिन्दु के मुँह में बूँद कर डालती है ।
बिन्दु अपना सिर मलता हुआ होश में आने का नाटक करता है और अपनी आंखें खोलता है ।
सोनाक्षी-भगवान का लाख लाख शुक्र है कि तुम्हे कुछ नहीं हुआ ।
बिन्दु-जब तक आपको महल न पहुंचा दूँ मैं मरूँगा नहीं रानी जी । 
सोनाक्षी-ओह तुम कितने अच्छे हो ,पर तुम्हें यह क्या हो गया था ?
बिन्दु-बस भूख के कारण चक्कर आ गया था....
सोनाक्षी-तुम यँहा आराम करो मैं तुम्हारे लिए कुछ फल तोड़ लाती हूँ ।
बिन्दु-नहीं रानी जी उसकी जरूरत नहीं ,हम गोबलिन  फल और सब्जी नही खाते ।
सोनाक्षी-माँस ? मैं किसी छोटे जानवर का शिकार करने कोशिश करती हूँ।
बिंदु-नहीं महारानी जी उसकी भी ज़रूरत नहीं मैं बिल्कुल ठीक हूँ ।
सोनाक्षी-तुम्हें मेरी कसम सच सच बताओ तुम्हारा भोजन क्या है ?
बिन्दु-दुध।
सोनाक्षी- मैं दूध लाने की कोशिश करती हूँ ,तुम यहीं आराम करना ।
बिन्दु अच्छे से जनता था कि इतने घने जंगल में दूध नहीं मिल सकता इसलिए वो सोने का नाटक करने लगता है । काफी समय बाद जब वो सोनाक्षी को थकाहारा और खाली हाथ वापिस आता देखता है तो उसका दिल यह सोचकर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है कि आज तो वो सोनाक्षी के स्तनों का दूध जमकर पियेगा । उसे करीब आता देख वो अपने हाथ पैर जमीन पर मार-मारकर तड़पने का ढोंग शुरू कर देता है । 
सोनाक्षी की आँखों में आँसू आ जाते हैं कि एक जीव उसके कारण उसकी आँखों के सामने मर रहा है और कुछ नही कर सकती । फिर यह सोचकर कि वो भी तो स्त्री है भगवान ने उसे भी स्तन दिए हैं वो प्रसन्न हो जाती है और बिन्दु के चेहरे को दोनों हाथों से थामते हुए कहती है" बिन्दु तुम मेरा दूध पी लो"
बिन्दु(अपनी खुशी छिपाते हुए)-नहीं रानी जी यह अपराध मुझसे न करवाइए ।
सोनाक्षी-तुम्हें मेरी कसम बिन्दु । यह कह कर वो अपना लबादा उतार देती है और उसके गुबारों से फूले हुए स्तन नंगे हो जाते हैं और क्योंकि सोनाक्षी ने लबादे के अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था इसलिए वो पूरी की पूरी नंगी हो जाती है। "यँहा तो दूध के साथ चूत फ्री मिल रही है" बिन्दु ने मन में सोचा ।
सोनाक्षी बिन्दु की बगल में कंधे के बल लेट जाती है और उसका चेहरा सहलाते हुए कहती है "बिन्दु पीओ ...शर्माओ मत" ।
[Image: Collage-Maker-20181207-211948465.jpg]
बिन्दु चालाकी से अपना लबादा ऊपर खींच लेता है और सोनाक्षी की तरफ पलटी खाते हुए अपना गंदा मुँह सोनाक्षी गुलाबी-गुलाबी चूची पर लगा देता है और चूसने लगता है ।"आह...आह" सोनाक्षी सिसक उठती है ।नीचे बिन्दु का लन्ड पूरा अकड़ जाता है और सोनाक्षी की योनि से रगड़ खाने लगता है । अपने स्तंनो पर बिन्दु का सिर लगा होने के कारण सोनाक्षी को नीचे का कुछ नज़र नहीं आता वो सोचती है कि बिन्दु का लिंग अनजाने में उसकि चूत से रगड़ खा रहा है ।
बिन्दु बड़ी चालाकी एक तरफ सोनाक्षी का स्तन पान करता रहता है तो दूसरी तरफ अपने लौड़े के टोपे को उसकी चूत के दाने से रगड़ने लगता है । सोनाक्षी को धीरे-2 मज़ा आने लगता है और वो आँखे बंद कर "आह आह" करते हुए क्रिया का मज़ा लेने लगती है । इसी मौके की तलाश तो बिन्दु कर रहा था वो एक जोरदार झटके के साथ अपना 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लौड़ा सोनाक्षी की राजसी चूत में आधा घुसा देता है । 
[Image: Collage-Maker-20181207-212834988.jpg]
"आह....बीईई...नन..दु यह क्या किया " सोनाक्षी आँखें खोलते हुए कहती है । 
बिन्दु(सोनाक्षी के निप्पल को मुँह से निकालते हुए)-गलती से चला गया रानी जी आप कहती हैं तो निकाल लूँ ?
सोनाक्षी(अब इतनी गर्म हो चुकी थी कि न कहना उसके बस में नहीं था )-आह..अब डाल दिया है तो करले बस जल्दी करियो ।
बिन्दु(नादान बनते हुए)-क्या कर लूँ रानी जी ?
सोनाक्षी- झटके मार न बुद्धू ।
बिन्दु-जैसा आप कहें रानी जी , आपकी चूत तो बड़ी टाइट है राजा जी लगता है अच्छे नहीं चोदते आपको ।कहते हुए बिन्दु एक ही झटके में बाकी का लन्ड भी सोनाक्षी की चूत में डाल देता है ।
सोनाक्षी- हाय... मर गयी रे ...निकाल बाहर बिन्दु ...तेरे लन्ड ने तो मेरी फाड़ डाली रे .....। सोनाक्षी दर्द से तड़प उठी ।
बिन्दु(वो लन्ड को चूत में ही रहने देता और सोनाक्षी के मम्में दबाते हुए बोलता)-रानी जी इसमें मेरे लन्ड की नहीं राजा जी के लन्ड की गलती है ।
सोनाक्षी(दर्द से बिलबिलाते हुए)-इसमें उनके लन्ड की क्या गलती है ,मुझे पता होता इतने छोटे से गोबलिन का इतना बड़ा लन्ड होगा तो मैं तुझे झटका मारने को न कहती ।
बिन्दु(पूरे लन्ड को बाहर निकाल कर फिर एक ही झटके में पूरा लन्ड जड़ तक सोनाक्षी की चूत में डालते हुए)-मेरी बीवी आप जैसी चुदास होती तो रोज़ ऐसा चोदता की चूत का भोसड़ा बन जाता । 
बिंदु से अब और नहीं रुका जा रहा था उसका लन्ड लावा उगलने के लिए उतावला हो रहा । वो सोनाक्षी को पीठ के बल पलटते हुए तेज़ी से झटके देना शुरू कर देता है । "आह ....सोना मेरी राँड़ क्या चूत है तेरी जैसे मखन... तेरा पति पक्का छक्का है....बोल सोना किसा लन्ड पसंद आया तुझे" । सोनाक्षी को ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी चुदाई का आनंद मिल रहा था वो भूल चुकी थी वो एक रानी है और एक गन्दे गोबलिन का लन्ड उसकी चूत में घुसा हुआ है और वो उसे किसी बाजारू रंडी की तरह चोद रहा है । "आह...आह....बिन्दु तेरा लन्ड तो मस्त है ....मेरे पति का तो तेरे से आधा भी नहीं है चोद और दम लगा के चोद ओह ....इस चूत को मसल फाड़ दे अपने मोटे लौड़े से " 
[Image: Collage-Maker-20181207-213217377.jpg]
बिन्दु उसके साथ फिर चिपक गया और उसके मोटे स्तनों के बीच उसने अपना मुँह गाड़ दिया स्तंनो को अपने हाथों से उन्हें अपने चेहरे पर दबाते हुए हुए वो सोनाक्षी की चूत को अपने तेज़ झटकों से पेलने लगा । वो उसके स्तंनो में मुँह गड़ाए कमर हिला हिलाकर झटके मार रहा था सोनाक्षी की चूत में बिन्दु का लिंग तूफान मचा रहा था सोनाक्षी की चूत रह रह कर पानी छोड़ रही थी ।
सोनाक्षी और बिन्दु चुदाई में इतना खोए हुए थे कि उन्हें पता भी न चला कि एक 12 फुट ऊंचा दैत्य उनकी तरफ बढ़ता चला आ रहा है जिसका लन्ड मुरझाई अवस्था में भी 10इंच लम्बा है और लटकते हुए साँप जैसा लग रहा था ।
दैत्य बिन्दु और सोनाक्षी के पास पहुँचा और उन्हें गौर से देखने लगा कि आखिर एक गोबलिन एक इंसानी महिला के ऊपर लेता कर क्या रहा । बिन्दु को झटके मरता देख उसका लन्ड भी तन कर 15इंच लम्बा और 5 इंच मोटा लोहे का डंडा बन गया । उसने बिन्दु को गर्दन से पकड़कर पीछे खींचा तो पक की आवाज़ के बिंदु का लन्ड सोनाक्षी की चूत से बाहर आगया । फिर दैत्य ने बिन्दु को दूर फेंक दिया और सोनाक्षी की टाँगे दोहरी करते हुए उसके ऊपर चढ़ गया । 
इस अचानक हुए हमले से सोनाक्षी की सारी गर्मी उतर गई "नहीं मत करो" वो चिल्लाई । पर दैत्य ने उसके मुँह इतने ज़ोर से थपड़ मारा की सोनाक्षी की आँखों में आँसू आ गए । और वो दैत्य से कुछ दूर जा गिरी । उसका केवल बदन ही नहीं दिल भी दुख रहा था क्यूँकि जिस सोनाक्षी ने आजतक किसी की ऊंची आवाज भी न सुनी थी उसे कोई इस तरह मार भी सकता है यह उसने सपने में भी न सोचा था ।उसने दैत्य से दूर जाने के लिए भागने की कोशिश की पर वो अपनी जगह से उठ भी नहीं सकी लेकिन फिर भी किसी तरह वो पीछे की और घिसटने लगी । लेकिन दैत्य ने दो-तीन कदम लिए और उसके पास पहुँच गया । दैत्य ने उसे उसकी बाहों से पकड़ कर इतनी आसानी से उठा लिया मानो किसी खिलौने को उठा रहा हो सोनाक्षी हवा में झूलने लगी ।
दैत्य सोनाक्षी को उठा कर पास गिरे हुए पेड़ तक ले गया फिर उसने सोनाक्षी को उसकी कमर से पकड़कर उठा लिया और उसको ऊपर नीचे करता हुआ अपने लन्ड का निशाना उसकी चूत पर सेट करने लगा तीन-चार बार ऐसा करने के बाद उसने सोनाक्षी को हवा में काफी ऊपर तक उठाया और नीचे लाते हुए सीधे उसकि चूत को अपने लन्ड से भिड़ा दिया उसने यह इतनी ताकत से किया था कि उसका लन्ड सोनाक्षी के गर्भाशय से इतनी जोर से टकराया की सोनाक्षी कुछ देर के लिए होश खो बैठी पर दैत्य को उस पर कोई तरस नहीं आया और वो उसे कमर से पकड़ कर अपने लन्ड पर ऊपर नीचे करता रहा जब तक कि वो थक नहीं गया और आखिर में वहीं उसे अधमरी हालत में छोड़कर चला गया वो तो भगवान की कृपा थी उसपर जो वो मुझे मिल गयी औऱ मैंने कई दिन तक दुर्लभ जड़ीबूटियों और तंत्र - कि मदद से उसका इलाज किया ।
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#26
(07-12-2018, 09:33 PM)Tanu Wrote: Upate 3 

द्रोण औऱ सोनाक्षी के साथ मेहमान कक्ष में पहुंचा तो माल्या अपनी एक कम उम्र सहायिका के साथ बैठा कुछ बात कर रहा था । [Image: Collage-Maker-20181207-205132726.jpg]
माल्या 60 साल एक ठरकी व्यापारी था और इस बात के लिए बदनाम था कि लोग जितने कपड़े नही बदलते वो उतनी पत्नियां बदलता है । वो मोटा और स्थूल बदन वाला था । माल्या ने कई साल पहले द्रोण को नरक वासियों से बचाया था तब से वो द्रोण का खास दोस्त था । कई साल पहले वो हीवुड में बस गया था और आज कई सालों बाद द्रोण से मिल रहा था । 
द्रोण की नज़र न चाहते हुए भी माल्या की सहायिका पर कुछ देर के लिए टिक गई । लड़की बेहद कामुक और आकर्षक थी बिल्कुल चीनी गुड़िया जैसी गोरी इतनी की मानो छूने से दाग लग जाए और नाज़ुक ऐसी की पकड़ने भर से टूटने का डर । छोटे लाल-लाल रसभरे होंठ और 32b-22-34 का कातिलाना बदन उसने सफेद रेशमी फ्रॉक पहन रखी थी जिसमें उसकी गोरी, मुलायम और बाल रहित टाँगे घुटनों के ऊपर तक नज़र आ रहीं थीं । 
द्रोण को देखते ही माल्या सोफ़े से उठ गया और गर्म जोशी से द्रोण के गले लग गया ।
माल्या-मेरे खास दोस्त तुम तो बिल्कुल भी नहीं बदले हो ,कहो कैसे हो ।
द्रोण-जैसा पहले था बिल्कुल वैसा ही हूँ ,पर तुम कुछ बूढे हो गए हो , तुम्हें इस बूढ़े कि याद बिना किसी काम के तो आई नहीं होगी तो सुनाओ कैसे आना हुआ । फिर द्रोण ने सोनाक्षी कि तरफ मुड़ते हुए कहा "कुछ खाने का प्रबंध करो ,यह मेहमान काफी दूर से आए होंगे ।
सोनाक्षी-जी गुरु जी ।
माल्या (पीली साड़ी में सोनाक्षी के गदराए बदन को निहारते हुए )-अपने साथ एंजला बेबी को भी लेती जाओ और द्रोण के इस आश्रम का दर्शन करवा दो । 
सोनाक्षी और एंजला बेबी मेहमान कक्ष से बाहर चली  जाती हैं तो माल्या द्रोण को आँख मारते हुए कहता है ,काफी गदराई हुई सहायिका रखी है इस बार । "तुम्हारी सहायिका भी काफी कड़क मालूम होती है ,कँहा से हाथ लगा ऐसा माल?" द्रोण अपने लिंग को सहलाते हुए कहता है ।
माल्या -क्यों पसंद आ गयी क्या ?
द्रोण-यार ऐसा कोरा माल सालों बाद देखा ,मन तो कर रहा है अभी पेल दूँ तूने मज़े किये की नहीं ?
माल्या(हँसते हुए)-यार बेटी है मेरी ।
द्रोण(शर्म से लाल होते हुए)-यार मुझे माफ़ कर मैं नहीं जानता था कि तेरी बेटी है वो ।
माल्या-कोई नहीं यार ,मैं समझता हूँ ,फिर जिस लड़की को देखकर लन्ड झटके न मारने लगे वो लड़की ही क्या ।
द्रोण-बात तो तेरी सही है । 
माल्या -तू बता यह सोनाक्षी सिन्हा कौन है ,देखने से तो रानियों जैसी लगती है तेरी सहायिका कैसे बन गयी ? 
द्रोण-लम्बी कहानी है यार।
माल्या(एक पुरानी बोतल निकलते हुए)-तो मुझे कौन सा काम है अभी सुना तो इसकी दास्तान । 300 साल पुरानी है खास तेरे लिए लाया हूँ इस शराब को चख भी लेंगे और तेरी इस गर्म लौंडिया की कहानी का मज़ा भी ले लेंगे ।
माल्या ने दो पेग बनाए और एक द्रोण को देते हुए चियर्स कहा । द्रोण ने शानदार शराब की चुस्की लेते हुए कहानी शुरु की -
सोनाक्षी चंपारण के राजा की बेटी है ,राजा ने अपनी बेटी को बड़े नाज़-नखरों से पाला और जवान होने पर उसकी शादी कुरु देश के राजा भाम से कर दी , राजा भाम सोनाक्षी से बेहद प्यार करता था पर क्योंकि उसका लिंग खड़ा होने के बाद भी केवल 5 इंच लम्बा ही हो पाता था वो सोनाक्षी की काम अग्नि को कभी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाया ,परन्तु फिर भी सोनाक्षी ने किसी पर पुरुष की और नज़र उठा कर नहीं देखा । 
कुरु देश की सीमा नरक देश के साथ लगती है और अक्सर नरक वासी चुपके से देश की सीमा में प्रवेश कर लेते हैं। वैसा ही एक घुसपैठिया था बिन्दु नाम का एक छोटा गोबलिन ,वो कोई 2.5 फुट ऊंचा गंदी पिलपिली चदमडी वाला था शकल तो उसकी और गन्दी थी बड़ी बड़ी आँखे ,पिचका हुआ चेहरा और लम्बी नाक पर उसका लिंग कोई 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था ,पर क्योंकि गोबलिन्स में स्त्रियां नहीं होती इसलिए वो अभी तक संभोग न कर पाया था । 
सोनाक्षी की शादी के कुछ दिनों बाद बिन्दु कुरु देश में घुसा उस दिन सोनाक्षी अपने महल के बाहर खड़ी गरीबों में कपड़े बांट रही थी , बिन्दु की नज़र सोनाक्षी पर पड़ी और वो सोनाक्षी को चोदने के सपने देखने लगा , अपने सपनों में वो सोनाक्षी को अपना मोटा लन्ड चूसवाता ,उसके मोटे नरम मम्में दबाता और सोनाक्षी की चुचियाँ चूसता और अगल -अगल आसनों में सोनाक्षी को चोदता । पर सोनाक्षी एक रानी थी और वो एक गन्दा भद्दा गोबलिन इसलिए वो सोनाक्षी को दूर से ही देखकर अपना लन्ड हिलाकर अपने मन को समझा देता । यह सिलसिला एक साल तक चलता रहा पर चोदना तो दूर वो सोनाक्षी के महल में भी दाखिल नहीं हो पाया । 
एक बार सोनाक्षी पूजा के लिए जंगल के बीचोबीच बने एक प्रचीन मंदिर में पूजा कर वापिस आ रही थी कि उसके काफिले पर डाकुओं ने हमला कर दिया और उसके सभी सैनिकों को कत्ल कर दिया । डाकू सोनाक्षी की डोली की तरफ बढ़ ही रहे थे कि सोनाक्षी को बचाने के लिए सोनाक्षी की एक नोकरानी ने सोनाक्षी के कपडे पहन लिए और अपने कपडे सोनाक्षी को पहना जंगल में भगा दिया । 
सोनाक्षी जो काफी डर गई थी जंगल में बिना किसी दिशा को जाने समझे अपनी नाक की सीध में तब तक भागती रही जबतक की वो थककर बेहोश नहीं हो गयी । 
उसे कई घंटों के बाद होश आया तो उसने खुद को एक घने जंगल में अकेला पाया । वो सोचने लगी कि अगर किसी ने पहचान लिया कि मैं रानी हूँ तो राजा की क्या इज़्ज़त रह जायेगी । पर अपने बदन नोकरानी का लबादा देख उसे कुछ राहत हुई कि कमसेकम इन कपड़ों में उसे कोई पहचाने गा नहीं । ठीक इसी वक्त बिन्दु की नज़र सोनाक्षी पर पड़ी उसका तो जैसे सौभाग्य खुल गया रानी सोनाक्षी सिन्हा उससे कुछ कदमों की दूरी पर थी और रो रही थी और नोकरानी के झीने से लबादे में रानी का अंग-2 नज़र आ रहा था । बिंदु को समझने में देर न लगी कि क्या हुआ होगा ।पहले तो उसने सोचा क्यों न वो अपने जादू से सोनाक्षी पर काबू कर ले और उसे चोद डाले पर फिर उसे ख्याल आया कि सोनाक्षी कोई आम इंसान तो है नहीं क्या पता राजा के गुरुओं ने सोनाक्षी को भी जादू सिखा दिया हो और राजा के गुरुओं के बारे उसने सुन रखा था कि राजा के गुरु बड़े शक्तिशाली हैं नरक वासियों को देखते ही भस्म कर देते है । काफी देर सोचने के बाद उसने सोनाक्षी को सहानुभूति के जरिये पाने का निष्चय किया । बिंदु ने पेड़ की पतली पतली टहनियों को तोड़ा और एक टोकरी बानाई फिर वो जंगल से मीठे -2 फल थोड़ लाया , नारियल के खोल में उसने पानी भर लिया और बोरी जैसे एक फटे पुराने लबादे को पहन वो सोनाक्षी के पास पहुंचा ।
बिन्दु(झुकते हुए)-महारानी को बिंदु का नमस्कार । 
सोनाक्षी(उसे देखकर डर जाती है)- कौन हो तुम ।
बिंदु-महारानी मैं नरक वासी हूँ एक गोबलिन लेकिन मैंने नरक छोड़ दिया है क्योंकि वँहा का समाज मुझे पसंद नहीं मैं इंसानों के जैसे रहना रहना चाहता हूं।मैं यँहा के राजा को ही अपना राजा मानता हूं और आपको रानी , रानी जी मैं आपके लिए कुछ फल और पानी लाया हूँ ।
सोनाक्षी सोचती है कि कितना मरियल सा है बेचारा पर बदलना चाहता है तभी अपना घर परिवार छोड़कर जंगल में रह रहा है और देखो तो मेरे लिए कितनी चीज़े लाया है । यही सोचकर वो उसका विश्वास कर लेती है । और उसकी दिए हुए फल खा लेती है और पानी पी लेती है । खाने के बाद उसके बदन में फिर जान आ जाती है वो जल्दी से जल्दी महल वापिस पहुँचने की सोचती है । 
सोनाक्षी-तुम्हारा शुक्रिया ,तुम्हारा नाम क्या है छोटे दोस्त ?
बिन्दु- आप क्यों शुक्रिया करती हैं मैं तो आपका सेवक हूँ , मेरा नाम बिंदु है रानी जी ।
सोनाक्षी-यँहा से महल कितनी दूरी पर है ? 
बिंदु(सोनाक्षी के उभरते हुए निप्पल घूरते हुए)-दो दिन की दूरी पर वो झूठ बोलता है ।
सोनाक्षी-पर अभी सुबह ही मैं मंदिर आई थी ।
बिंदु-नहीं रानी जी आप लगातार दो दिन भागती रही हैं । आप बहुत डर गईं थीं इसलिए आपको दिन रात की कोई सुध ही नहीं थी ,पूरे दो दिन से आपके साथ था ताकि आपकी रक्षा कर सकूँ ।
सोनाक्षी-अच्छा ,तुम बहुत अच्छे हो यह बताओ बिन्दु क्या तुम शहर का रास्ता जानते हो ?
बिन्दु-जी रानी जी ।
सोनाक्षी-तो मुझे जल्दी वँहा ले चलो , राजा परेशान हो रहे होंगे ।
बिन्दु सोनाक्षी को महल की तरफ ले जाने की जगह जंगल के और अंदर ले जाता है । चार-पाँच घंटो तक चलने के बाद जब उसे यकीन हो जाता है कि यहाँ राजा के सिपाही नहीं पहुँच सकते तो वो अपनी अगली चाल चलता है । 
वो चलते एक जोरदार चीख के साथ चक्कर आने का नाटक करते हुए ज़मीन पर गिर पड़ता है और बेहोश होने का नाटक करने लगता है । सोनाक्षी अपने मुलायम गोरे-2 हाथों से उसे उठाने की कोशिश करती है तो उसके बदन में करंट सा दौड़ जाता है ऐसा कोमल स्पर्श आज तक बिन्दु को नहीं मिला था । लेकिन वो अपना नाटक जारी रखता है उसका तीर सही निशाने पर लगा था ।
यह सोचकर कि बेचारे बिन्दु को कुछ न हो जाए सोनाक्षी पानी खोजने लगती है बड़ी खोजबीन करने पर पसीने से तरबतर होकर कुछ पानी ला पाती है और बिन्दु के मुँह में बूँद कर डालती है ।
बिन्दु अपना सिर मलता हुआ होश में आने का नाटक करता है और अपनी आंखें खोलता है ।
सोनाक्षी-भगवान का लाख लाख शुक्र है कि तुम्हे कुछ नहीं हुआ ।
बिन्दु-जब तक आपको महल न पहुंचा दूँ मैं मरूँगा नहीं रानी जी । 
सोनाक्षी-ओह तुम कितने अच्छे हो ,पर तुम्हें यह क्या हो गया था ?
बिन्दु-बस भूख के कारण चक्कर आ गया था....
सोनाक्षी-तुम यँहा आराम करो मैं तुम्हारे लिए कुछ फल तोड़ लाती हूँ ।
बिन्दु-नहीं रानी जी उसकी जरूरत नहीं ,हम गोबलिन  फल और सब्जी नही खाते ।
सोनाक्षी-माँस ? मैं किसी छोटे जानवर का शिकार करने कोशिश करती हूँ।
बिंदु-नहीं महारानी जी उसकी भी ज़रूरत नहीं मैं बिल्कुल ठीक हूँ ।
सोनाक्षी-तुम्हें मेरी कसम सच सच बताओ तुम्हारा भोजन क्या है ?
बिन्दु-दुध।
सोनाक्षी- मैं दूध लाने की कोशिश करती हूँ ,तुम यहीं आराम करना ।
बिन्दु अच्छे से जनता था कि इतने घने जंगल में दूध नहीं मिल सकता इसलिए वो सोने का नाटक करने लगता है । काफी समय बाद जब वो सोनाक्षी को थकाहारा और खाली हाथ वापिस आता देखता है तो उसका दिल यह सोचकर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है कि आज तो वो सोनाक्षी के स्तनों का दूध जमकर पियेगा । उसे करीब आता देख वो अपने हाथ पैर जमीन पर मार-मारकर तड़पने का ढोंग शुरू कर देता है । 
सोनाक्षी की आँखों में आँसू आ जाते हैं कि एक जीव उसके कारण उसकी आँखों के सामने मर रहा है और कुछ नही कर सकती । फिर यह सोचकर कि वो भी तो स्त्री है भगवान ने उसे भी स्तन दिए हैं वो प्रसन्न हो जाती है और बिन्दु के चेहरे को दोनों हाथों से थामते हुए कहती है" बिन्दु तुम मेरा दूध पी लो"
बिन्दु(अपनी खुशी छिपाते हुए)-नहीं रानी जी यह अपराध मुझसे न करवाइए ।
सोनाक्षी-तुम्हें मेरी कसम बिन्दु । यह कह कर वो अपना लबादा उतार देती है और उसके गुबारों से फूले हुए स्तन नंगे हो जाते हैं और क्योंकि सोनाक्षी ने लबादे के अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था इसलिए वो पूरी की पूरी नंगी हो जाती है। "यँहा तो दूध के साथ चूत फ्री मिल रही है" बिन्दु ने मन में सोचा ।
सोनाक्षी बिन्दु की बगल में कंधे के बल लेट जाती है और उसका चेहरा सहलाते हुए कहती है "बिन्दु पीओ ...शर्माओ मत" ।
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बिन्दु चालाकी से अपना लबादा ऊपर खींच लेता है और सोनाक्षी की तरफ पलटी खाते हुए अपना गंदा मुँह सोनाक्षी गुलाबी-गुलाबी चूची पर लगा देता है और चूसने लगता है ।"आह...आह" सोनाक्षी सिसक उठती है ।नीचे बिन्दु का लन्ड पूरा अकड़ जाता है और सोनाक्षी की योनि से रगड़ खाने लगता है । अपने स्तंनो पर बिन्दु का सिर लगा होने के कारण सोनाक्षी को नीचे का कुछ नज़र नहीं आता वो सोचती है कि बिन्दु का लिंग अनजाने में उसकि चूत से रगड़ खा रहा है ।
बिन्दु बड़ी चालाकी एक तरफ सोनाक्षी का स्तन पान करता रहता है तो दूसरी तरफ अपने लौड़े के टोपे को उसकी चूत के दाने से रगड़ने लगता है । सोनाक्षी को धीरे-2 मज़ा आने लगता है और वो आँखे बंद कर "आह आह" करते हुए क्रिया का मज़ा लेने लगती है । इसी मौके की तलाश तो बिन्दु कर रहा था वो एक जोरदार झटके के साथ अपना 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लौड़ा सोनाक्षी की राजसी चूत में आधा घुसा देता है । 
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"आह....बीईई...नन..दु यह क्या किया " सोनाक्षी आँखें खोलते हुए कहती है । 
बिन्दु(सोनाक्षी के निप्पल को मुँह से निकालते हुए)-गलती से चला गया रानी जी आप कहती हैं तो निकाल लूँ ?
सोनाक्षी(अब इतनी गर्म हो चुकी थी कि न कहना उसके बस में नहीं था )-आह..अब डाल दिया है तो करले बस जल्दी करियो ।
बिन्दु(नादान बनते हुए)-क्या कर लूँ रानी जी ?
सोनाक्षी- झटके मार न बुद्धू ।
बिन्दु-जैसा आप कहें रानी जी , आपकी चूत तो बड़ी टाइट है राजा जी लगता है अच्छे नहीं चोदते आपको ।कहते हुए बिन्दु एक ही झटके में बाकी का लन्ड भी सोनाक्षी की चूत में डाल देता है ।
सोनाक्षी- हाय... मर गयी रे ...निकाल बाहर बिन्दु ...तेरे लन्ड ने तो मेरी फाड़ डाली रे .....। सोनाक्षी दर्द से तड़प उठी ।
बिन्दु(वो लन्ड को चूत में ही रहने देता और सोनाक्षी के मम्में दबाते हुए बोलता)-रानी जी इसमें मेरे लन्ड की नहीं राजा जी के लन्ड की गलती है ।
सोनाक्षी(दर्द से बिलबिलाते हुए)-इसमें उनके लन्ड की क्या गलती है ,मुझे पता होता इतने छोटे से गोबलिन का इतना बड़ा लन्ड होगा तो मैं तुझे झटका मारने को न कहती ।
बिन्दु(पूरे लन्ड को बाहर निकाल कर फिर एक ही झटके में पूरा लन्ड जड़ तक सोनाक्षी की चूत में डालते हुए)-मेरी बीवी आप जैसी चुदास होती तो रोज़ ऐसा चोदता की चूत का भोसड़ा बन जाता । 
बिंदु से अब और नहीं रुका जा रहा था उसका लन्ड लावा उगलने के लिए उतावला हो रहा । वो सोनाक्षी को पीठ के बल पलटते हुए तेज़ी से झटके देना शुरू कर देता है । "आह ....सोना मेरी राँड़ क्या चूत है तेरी जैसे मखन... तेरा पति पक्का छक्का है....बोल सोना किसा लन्ड पसंद आया तुझे" । सोनाक्षी को ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी चुदाई का आनंद मिल रहा था वो भूल चुकी थी वो एक रानी है और एक गन्दे गोबलिन का लन्ड उसकी चूत में घुसा हुआ है और वो उसे किसी बाजारू रंडी की तरह चोद रहा है । "आह...आह....बिन्दु तेरा लन्ड तो मस्त है ....मेरे पति का तो तेरे से आधा भी नहीं है चोद और दम लगा के चोद ओह ....इस चूत को मसल फाड़ दे अपने मोटे लौड़े से " 
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बिन्दु उसके साथ फिर चिपक गया और उसके मोटे स्तनों के बीच उसने अपना मुँह गाड़ दिया स्तंनो को अपने हाथों से उन्हें अपने चेहरे पर दबाते हुए हुए वो सोनाक्षी की चूत को अपने तेज़ झटकों से पेलने लगा । वो उसके स्तंनो में मुँह गड़ाए कमर हिला हिलाकर झटके मार रहा था सोनाक्षी की चूत में बिन्दु का लिंग तूफान मचा रहा था सोनाक्षी की चूत रह रह कर पानी छोड़ रही थी ।
सोनाक्षी और बिन्दु चुदाई में इतना खोए हुए थे कि उन्हें पता भी न चला कि एक 12 फुट ऊंचा दैत्य उनकी तरफ बढ़ता चला आ रहा है जिसका लन्ड मुरझाई अवस्था में भी 10इंच लम्बा है और लटकते हुए साँप जैसा लग रहा था ।
दैत्य बिन्दु और सोनाक्षी के पास पहुँचा और उन्हें गौर से देखने लगा कि आखिर एक गोबलिन एक इंसानी महिला के ऊपर लेता कर क्या रहा । बिन्दु को झटके मरता देख उसका लन्ड भी तन कर 15इंच लम्बा और 5 इंच मोटा लोहे का डंडा बन गया । उसने बिन्दु को गर्दन से पकड़कर पीछे खींचा तो पक की आवाज़ के बिंदु का लन्ड सोनाक्षी की चूत से बाहर आगया । फिर दैत्य ने बिन्दु को दूर फेंक दिया और सोनाक्षी की टाँगे दोहरी करते हुए उसके ऊपर चढ़ गया । 
इस अचानक हुए हमले से सोनाक्षी की सारी गर्मी उतर गई "नहीं मत करो" वो चिल्लाई । पर दैत्य ने उसके मुँह इतने ज़ोर से थपड़ मारा की सोनाक्षी की आँखों में आँसू आ गए । और वो दैत्य से कुछ दूर जा गिरी । उसका केवल बदन ही नहीं दिल भी दुख रहा था क्यूँकि जिस सोनाक्षी ने आजतक किसी की ऊंची आवाज भी न सुनी थी उसे कोई इस तरह मार भी सकता है यह उसने सपने में भी न सोचा था ।उसने दैत्य से दूर जाने के लिए भागने की कोशिश की पर वो अपनी जगह से उठ भी नहीं सकी लेकिन फिर भी किसी तरह वो पीछे की और घिसटने लगी । लेकिन दैत्य ने दो-तीन कदम लिए और उसके पास पहुँच गया । दैत्य ने उसे उसकी बाहों से पकड़ कर इतनी आसानी से उठा लिया मानो किसी खिलौने को उठा रहा हो सोनाक्षी हवा में झूलने लगी ।
दैत्य सोनाक्षी को उठा कर पास गिरे हुए पेड़ तक ले गया फिर उसने सोनाक्षी को उसकी कमर से पकड़कर उठा लिया और उसको ऊपर नीचे करता हुआ अपने लन्ड का निशाना उसकी चूत पर सेट करने लगा तीन-चार बार ऐसा करने के बाद उसने सोनाक्षी को हवा में काफी ऊपर तक उठाया और नीचे लाते हुए सीधे उसकि चूत को अपने लन्ड से भिड़ा दिया उसने यह इतनी ताकत से किया था कि उसका लन्ड सोनाक्षी के गर्भाशय से इतनी जोर से टकराया की सोनाक्षी कुछ देर के लिए होश खो बैठी पर दैत्य को उस पर कोई तरस नहीं आया और वो उसे कमर से पकड़ कर अपने लन्ड पर ऊपर नीचे करता रहा जब तक कि वो थक नहीं गया और आखिर में वहीं उसे अधमरी हालत में छोड़कर चला गया वो तो भगवान की कृपा थी उसपर जो वो मुझे मिल गयी औऱ मैंने कई दिन तक दुर्लभ जड़ीबूटियों और तंत्र - कि मदद से उसका इलाज किया ।
तनु जी क्या अपडेट दी है लन्ड का बम्बू बना दिया मज़ा आ गया । कितना इंतजार कार्रवाओगी जल्दी अपडेट दो । भाई लोग जिसको भी यह कहानी अच्छी लगी हो कमेंट करो लेखक का हौसला बढ़ाओ।
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#27
(08-12-2018, 12:48 PM)rahulraj Wrote: तनु जी क्या अपडेट दी है लन्ड का बम्बू बना दिया मज़ा आ गया । कितना इंतजार कार्रवाओगी जल्दी अपडेट दो । भाई लोग जिसको भी यह कहानी अच्छी लगी हो कमेंट करो लेखक का हौसला बढ़ाओ।

Thnx rahul ji , ese hi saath banaye rakhein
Visit my story thread-:https://xossipy.com/thread-609.html
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#28
Bht he badiya update raha ......

Lodrs of Rings ki yaad dila di

keep Updating .......

Waiting for next ..
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#29
(06-12-2018, 12:44 PM)Tanu Wrote: Update 1.

कहानी की भूमिका -

दोस्तों आप सब को मेरी और से नमस्ते , कहानी शुरु होने से पहले मैं चाहती हूँ कि आपको इसकी विषयवस्तु से अवगत करवा दूँ । मेरी यह कहानी पौराणिक कथा (जैसे लॉर्ड्स ऑफ रिंग या हॉबिट)के रूप में होगी । यह आज से लगभग 5000 साल पहले की दुनियाँ के विषय में है जब जादू,भूत-प्रेत,दानव, परियां, राक्षस आम हुआ करते थे ।तब दुनियां चार भागों में बटी हुई थी -
              1.एल्फ़स जो सबसे शक्तिशाली थे और धरती के ध्रुवों पर रहते थे । उनके राज्य को हीवुड के नाम से जाना गया ।
               2.इंसान जो धरती पर रहते थे । जिनके राज्य को बिवुड कहा गया।
               3.बौने जो -पहाड़ो में गुफाएं बना कर रहते थे ।इनके राज्य को स्टोन वुड कहा गया 
               4.चौथे -प्रेत-राक्षस-दानव-गोबलिन्स-और प्रेत जो धरती के अंदर ,धरती के मध्यबिंदु के पास रहते थे । इनके राज्य को नरक कहा गया ।
कोई समय था जब इन चारों राज्यों में मैत्री थी और दुनिया में अमन था और हर कोई खुश था ,पर एक दिन एक देवता जिसका नाम "काम" था अपनी पत्नी "वासना" के साथ बैठा था और और बातों ही बातों में उसने वासना से कहा देवी वासना तुम्हें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि तुम्हें मेरे जैसा पति मिला हैं ,जो सब पतियों में श्रेष्ठ है। 
वासना -ऐसा क्यों भला ? तुम भी सभी पतियों की तरह हो ।
काम-मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इस संसार की किसी भी सुंदरी को मैं भोग सकता हूँ पर क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ इसलिए मैं ऐसा करता हूँ । 
वासना-यह नामुमकिन है तुम संसार की हर स्त्री को नहीं भोग सकते वासना ने स्त्री द्वेष से कहा ।
काम (इसे अपने परुषार्थ का अपमान समझता है)-मैं इस धरती को साक्षी मानकर प्रण लेता हूँ कि तुम जिस स्त्री की तरफ इशारा करोगी जबतक मैं उस स्त्री को भोग नहीं लेता अन और जल ग्रहण नहीं करूंगा । 
वासना पूरी धरती को अपनी शक्तियों के द्वारा छानमारा और एक शीलवान और पतिनिष्ठ स्त्री खोज ली । इस स्त्री का नाम अहिल्या था । अहिल्या एक बेहद ज्ञानी और ताकतवर गुरु विश्वा की पत्नी थी । अहिल्या बेहद सुंदर थी , ढूध सा गोरा रंग  ,नींली आंखें , पतला और छोटा तराशा हुआ नाक , दिल के आकार का फेस कट ,छोटे पर भरे-भरे होंठ जो ऊपर की और उठे हुए थे ,पतली मुलायम गर्दन जिसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि वो पानी पीती तो पानी साफ नजर आता । 38d के आकार बड़े -बड़े   गोलाकार स्तन जो सामने की तरफ से किसी गेंद की भांति आगे को उभरे हुए थे जिनपर गुलाबी गुलाबी बेरों के आकार की चुचियाँ थीं ,20 इंच की पतली सी कमर और पेट पर दिल के आकार की नाभि जैसे उसकी सुंदरता में कोई कमी रह गयी हो यह सोचकर ईश्वर ने उसे 38 के आकार के नितंबों से पूरी कर दी हो ।
देवी वासना ने जिस पल देव काम को अहिल्या दिखाई ,काम ने सोच लिया था किसी भी कीमत पर वो इस सुंदरी को भोगकर रहेगा और जब देव काम ने अपनी दैवी दृष्टि से अहिल्या की योनि को देखा तो उसका यह निर्णय प्रण में बदल गया । अहिल्या की योनि का मुख स्त्री के होठों की भांति बंद था ,मुख के अंदर कमल के फूल की आकार की पंखुड़ियों के समान सुर्ख गुलाबी रंग की दो पंखुड़ियां थी जिनके ऊपर की तरफ काजू के आकार का भखदाना, आजतक उसने जितनी भी योनियों में अपना 15इंच लम्बा और 5 इंच मोटा लिंग डाला था वो 10इंच से ज्यादा गहरी न थी पर अहिल्या की योनि पूरे 14 इंच गहरी थी ।देव काम यह सोचकर ही पागल हुआ जा रहा था कि जब उसका लिंग पूरा का पूरा अहिल्या की योनि के अंदर होगा तो उसे कितना आनंद आएगा । 
काम जनता था कि अहिल्या से बड़ी शीलवान स्त्री न कोई हुई है और न होगी क्योंकि उसे पता चला कि की केवल धरती ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड के सुंदर से सुंदर , बलवान से बलवान और बुद्धिमान से बुद्धिमान पुरुष को अहिल्या ठुकरा चुकी है और अहिल्या के पति गुरु विश्वा के रहते उसका बल भी काम नहीं आएगा इसलिए उसने छल का प्रयोग किया ।
एक दिन सुबह चार बजे जब गुरु विश्वा स्नान के लिए निकले तो देवी वासना ने उन्हें छल से कहीं और ले गयी ,क्योंकि वासना एक देवी थी विश्वा उसके साथ दिन भर चलते रहे ।
दूसरी तरफ जैसे ही गुरु विश्वा घर से निकले देव काम गुरु विश्वा का रूप धारण करके उनके घर में घुस गया ।  गुरु विश्वा 6.5 फुट ऊँचे और मजबूत बदन वाले पुरुष थे देव काम को इसका ख्याल नहीं रहा और दरवाजे से अंदर आते हुए उसका सिर चौखट से टकरा गया । खटके की आवाज़ से अहिल्या दौड़ती हुई आई औऱ उसने देव(अब उसे मैं यही लिखूँगी) जो उसके पति के रूप में था उसे थामते हुए बोली "ज्यादा चोट तो नहीं लगी" । केवल झीने सफेद अंगवस्त्र में होने के कारण देव उसका अंग-2 देख सकता था जिस कामुक बदन को पाने का सपना पूरा संसार देखता वो उसकी बाहों में था । "नहीं" उसने अहिल्या के गुलाबी होंठों को चूमते हुआ कहा जो चीनी से भी मीठे थे । "छोड़िए न हमें ,मुझे आपके लिए पूजा की सामग्री त्यार करनी है" अहिल्या सकुचाते हुए कहा (अहिल्या का विवाह गुरु विश्वा से एक वर्ष पूर्व हुआ था ,पर गुरु विश्वा ने व्रत लिया था कि जब तक वो ईश्वर को प्रसन्न नहीं कर लेते अपनी को छुएँ गे भी नहीं) । "मेरी आराध्य और ईश्वर तुम हो अहिल्या आज से मैं तुम्हारी पूजा करूँगा" देव ने अहिल्या की मखमली गर्दन को चूमते हुए कहा । "छोड़िए न ,आपका व्रत टूट जाएगा" अहिल्या ने शर्माते हुए कहा । "तो टूट जाए ,मेरा प्रेम तुम्हारे लिए किसी भी व्रत से बढ़कर है जब मैं तुम्हारे इस भरपूर यौवन को देखता हूँ तो मुझे ग्लानि होती है कि मैं तुम्हें संभोग के सुख नहीं दे पा रहा इसीलिए आज मैं इस व्रत को तोड़ दूँगा " देव ने अहिल्या के अंग वस्त्र को खोलते हुए कहा । 
अहिल्या का वस्त्र भूमि पर गिर गया और उसके सुन्दर सुडौल और फुटबॉल कि गेंद जितने बड़े बड़े स्तन नंगे हो गए , देव देखा कि अहिल्या की काया इतनी चौड़ी न थी  बल्कि उसके  स्तन कुछ ज्यादा ही बड़े थे ऐसा मानो की एक छरहरी काया की स्त्री के शरीर पर तरबूज लगा दिए हों । 
अहिल्या ने शर्म के मारे झट से अपने कोमल छोटे हाथ अपने स्तनों पर रख दिये  और दूसरी और घूम गयी । देव ने आगे बढ़कर अहिल्या को उसकि पतली कमर से पकड़ते हुए अपना लिंग उसके मोटे नितंबों के बीच लगा दिया और अहिल्या के कंधों को चूमते हुए बोला "तुम नहीं चाहती कि तुम्हारा पति तुम्हारा भोग करे जो इतना लज्जाशील हो रही हो?"
अहिल्या(अपनी गाँड़ के बीचोबीच लिंग को महसूस करते हुए)-आप नहीं जानते कि हर रात को जब मैं आपका अपनी भुझा से लम्बा और मोटा लिंग देखती हूँ,जिसका लन्ड मुंड ही 5 इंच से अधिक मोटा है तथा आधा किलो की कुकरमुते जैसा लगता और आपके संतरो से भी मोटे और बड़े अण्डकोष देखकर मेरी क्या हालत होती है मैं ही जानती हूँ ,पर मैं आपका व्रत नहीं तुड़वाना चाहती आपका व्रत मेरा व्रत है ।
देव अहिल्या के मुँह से गुरु विश्वा के लिंग की प्रशंसा सुनकर जलभुन गया उसने सोचा था कि उसका लिंग विश्वा का लिंग उसके लिंग से छोटा ही होगा । यही सोचकर उसने अपना रूप तो बदल लिया था परँतु लिंग का आकार नहीं । इसलिए उसने जल्दी अपने लिंग का तथा अण्डकोषों का आकार भी विश्वा जैसा कर लिया । अहिल्या को लगा मानो लिंग उनकी लुंगगियों को फाड़ता हुआ उसके गुदा छेद में समा जाएगा । वो अहिल्या के बड़े-बड़े स्तनों को दबोचते हुए बोला "तुम मेरे लिंग की प्रशंसा तो कर रही हो परँतु क्या इसे सहन भी कर पाओगी ?" 
अहिल्या-आह...ओह माँ इतना ज़ोर से क्यों दबाते हैं स्वामी यह काया मैंने 7 साल एक कठिन व्रत रखकर केवल आपके लिए ही तो पाई ।
अब देव खुद को रोक न पाया और उसने फूलों सी नाज़ुक अहिल्या को गोद में उठा लिया और शयनकक्ष की ओर चल पड़ा । अहिल्या ने जैसे ही देव कि आँखों में देखा वो उसकि आँखों मे प्रेम की जगह केवल वासना और वासना देखकर समझ गयी कि यह कोई मायावी है जो उसके स्वामी का रूप धरकर आया है "नीच छोड़ दे मुझे" वो देव की पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए चिल्लाई ,परँतु देव की बलशाली पकड़ से छूट न पाई । देव उसे शयनकक्ष में ले आया और उसे बिस्तर पर फेंकते हुए बोला " सुंदरी तुम बेशक शीलवान हो पर आज यह शील तुम्हारे किसी काम न आएगा आज तो मैं तुम्हें भोगकर ही यँहा से जाऊँगा" यह कहकर देव निर्वत्र हो गया और अपने असली रूप में आते हुए डर मारे बिस्तर के कोने में सिमटी बैठी अहिल्या कि और बढ़ने लगा । अहिल्या उसे अपने 15इंच लंबे और 5 इंच मोटे लिंग के साथ अपनी और बढ़ते देखती रही वो न हिली न डुली मानों पत्थर बन गयी हो । पर काम वासना में इतना लिप्त हो चुका था कि वो इस अलौकिक घटना को समझ न सका और उसने जैसे ही अहिल्या को छुआ वो भस्म हो कर तीन अंगुठियों में बदल गया । दूसरी और ठीक इसी वक्त गुरु विश्वा के साथ छल कर रही वासना पर बिजली गिरी और वो भस्म होकर दो अंगुठियों में बदल गयी । और एक आकाश वाणी गुरु विश्वा को सुनाई दी "वत्स आज काम ने अहिल्या का भोग करने के लिए वासना का सहारा लेकर तुम्हें छला है ,इसिलए मैंने दोनो को पांच दिव्य अंगुठियों में बदल दिया है एक समय चक्र की है ,दूसरी काया की ,तीसरी गति की,चौथी असँख्य शक्तियों की ,और पांचवी अपार धन की, तुम संसार में शकितयों के संतुलन के लिए जो व्रत कर रहे थे वो पूर्ण हुआ , अब यह हनहोनी जो घटी है उसे ठीक करो ,तथास्तु" । इसके बाद गुरु विश्वा ने समय चक्र की पीछे घुमाया औऱ देव काम का तथा उसकी पत्नी वासना का वध कर अपनी पत्नी के शील को भंग होने से बचा लिया । लेकिंन उसके बाद इन शक्तिशाली अंगुठियों को पा कर सारी धरती पर अपना राज कायम करने की ऐसी होड़ लगी कि चारों राज्य एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे ।
जादूगर द्रोण ने अपनी कहानी खत्म की और अपने शिष्यों रिया सेन, महेश और दिनेश को देखकर बोले कोई प्रशन हो तो पूछ लो ।

जारी........

(06-12-2018, 11:07 PM)Tanu Wrote:
UPDATE 2 ..

जादूगर द्रोण ने अपनी कहानी खत्म की और अपने शिष्यों रिया सेन, महेश और दिनेश को देखकर बोले कोई प्रशन हो तो पूछ लो ।
महेश(रिया सेन के अहिल्या जैसे कामुक-गुरु जी क्या सच में अहिल्या इतनी सुंदर थी ।
द्रोण-मूर्खो वाले सवाल नही , वार्ना चूहा बना दूँगा ।
[Image: Collage-Maker-20181206-225124807.jpg]
रिया(महेश की पैंट में बम्बू बने हुए लन्ड को कनखियों से देखते हुए, जिसे देखकर उसके सुंदर चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है )-गुरु जी क्या वो पाँच अंगूठियां अभी भी हैं ?
द्रोण- कोई नहीं कह सकता कि आज यह अंगूठियां कंहाँ है । पर इनके वजूद को कोई नहीं नकार सकता।
दिनेश-अगर यह पांचों अंगूठियां किसी को मिल जाएं तो क्या होगा ?
द्रोण-पूरी दुनियां का शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा क्योंकि केवल गुरू विश्वा में ही इतनी आत्मिक शक्ति थी कि इन अंगुठियों की शक्ति को काबू में रख सकें।
द्रोण ने अपनी बात खत्म ही की थी कि उनकी  सहायिका सोनाक्षी सिन्हा ने आकर बताया कि कोई व्यापारी माल्या आया है आप से मिलने । 
द्रोण ने अपने शागिर्दों को अपने अपने कमरों में जाने के लिए कहा और सोनाक्षी के पीछे चल पड़े ।

द्रोण एक फ़्लैश बैक
ग द्रोण चाहे आज एक ताकतवर जादूगर था पर द्रोण का बचपन बेहद कठिन था बचपन में ही वो अनाथ हो गया । उसके एक दूर के मामा ने उसे यह सोचकर गोद ले लिया कि चलो फ्री में एक नोकर मिल गया ऊपर से लोगों में रुतबा भी बढ़ेगा । 
द्रोण का मामा एक व्यापारी था और काफी अमीर भी था । घर में मामा के इलावा दो लोग थे द्रोण कि मामी नर्गिस जो बेहद रूपवती थी । 34-24-36 का फिगर ,लम्बे काले बाल ,गोरा रंग और चेहरा मासूमियत लिए हुए । द्रोण की ममरेरी बहन हिमा मालिनी बचपन से ही काफी आकर्षक थी । [Image: Hema-Malini-3.jpg]
लगभग अगले दस साल द्रोण का जीवन एक नोकर की भांति ही बीता , दिन भर काम करना पड़ता ऊपर से मामा खूब पिटाई करता और खाने में उसे घर का बचा खुचा ही मिलता । बस कुछ राहत उसे रात को ही मिलती । उसके लिए सबसे अधिक खुशी भरा काम था रात को सोती हुई हिमामालिनी को घंटों देखते रहना । 
समय बीतता गया और द्रोण 6 फुट लम्बा और 45इंच चौड़े सीने वाले युवक में बदल गया और उसके साथ-साथ हिमा भी भी कामुक युवती में मां जैसा गोरा रंग , गुदगुदे मुलायम गाल,लाल होंठ , बडा भारी सीना अक्सर उसकी साड़ी का ब्लाउज़ उसके खरबूजों जैसे बड़े और मोटे स्तनों ढकने के लिए नाकाफी साबित होता और वो बाहर झाँकने लगते । 
द्रोण को अपने मामा का एक ही गुण पसंद था और वो था उसके मामा का बेहद कंजूस होना इसी कारण तो मामा ने उसके सोने के लिए अलग कमरा नहीं बनवाया था और उसे हिमा के कमरे में सोने का मौका मिल गया था । अब हिमा की जवानी पूरे शबाब पर थी अक्सर रात को सोते वक़्त हिमा का पल्लू गिर जाता और द्रोण उसके मोटे कुहलों ,उसके गोरे-गोर पेट या फिर स्तनों का दीदार करते हुए मुठियाने लगता और सपनों में हिमा को चोदता । 
दूसरी तरफ हिमा का हाल भी द्रोण से कुछ बेहतर न था । उसकी सहेलियों के कई प्रेमी थे वो उसे चिढाते हुए कहती थीं तुझे क्या पता जो सुख एक जानदार लौड़े को चूत में लेने मिलता है उसका मुकाबला दुनिया का कोई दूसरा सुख नहीं कर सकता । वो भी अक्सर रात को सोने का नाटक करती परँतु थोड़ी सी आँखें खोल द्रोण को मुठियाते देखती रहती और अपनी कुंवारी चूत को सहलाती । जब पहली बार उसने द्रोण का लन्ड देखा देखा था तो उसके मुख से चीख निकलते निकलते रह गयी थी , द्रोण आँखें बंद किये अपने 12इंच लम्बे और 4इंच मोटे काले लिंग को आँखें बंद किए हिला रहा था और अचानक उसकी नींद खुली थी ,एक दम लोहे के खम्बे सा तना हुआ लिंग और घोड़े के अण्डकोषों जैसे बड़े बड़े अंडकोश तेजी से हिल रहे थे वो बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोक पाई थी ।
[Image: Collage-Maker-20181206-225641269.jpg]
रात का यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा पर रिश्तों की शर्म ने दोनों प्रेमियों को दिल की बात नहीं कहने दी ।
पर इन प्रेमियों के मिलन को तो ईश्वर ने लिख रखा था । तो कुछ यूँ हुआ हिमा के माता पिता को एक रिश्तेदार की शादी में कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा और पूरे घर में द्रोण और हिमा अकेले रह गए । दोपहर का वक़्त था हिमा बरामदे में बने चुहले पर खाना बना रही थी और द्रोण बरामदे की दूसरी और बैठा टोकरियाँ बना रहा था । 
यह दोनों प्रेमी चाहे शर्म में बंधे थे पर जानवर को क्या शर्म । द्रोण -हिमा को अचानक एक घोड़ी की तेज़ हिनहिनाहट सुनाई दी हिमा ने आवाज़ की तरफ देखा तो नज़ारा सन कर देनेवाला था एक बड़ा काला एक नई घोड़ी पर चढ़ा हुआ था और और अपने बड़े लिंग को घोड़ी की गाँड़ में घुसाने की कोशिश कर रहा था । हिमा ने द्रोण की तरफ देखा और द्रोण ने हिमा की तरफ और दूसरे ही पल दोनों एक दूसरे की तरफ दौड़ पड़े । और साँपो की तरह की एक दूसरे से घुथमगुथा हो गए । दोनों कि नज़रें मिली और दोनों समझ गए कि अब और नहीं रुका जाएगा उनसे । "द्रोण मैं तुमसे बेहद प्रेम करती हूँ ,यह दूरी मैं और नहीं सह सकती " हिमा ने द्रोण की आँखों में देखते हुए कहा । "मैं भी नहीं, हम आज ही कहीं भाग जाएँगे" द्रोण ने जवाब दिया और अपने खुरदरे मर्दाना होठों को हिमा के नरम और लाल होंठों पर लगा दिया" ।
हिमामालिनी का अनछुए बदन में जैसे बिजली का करंट लग गया हो वो द्रोण के सख्त ,खुरदरे और गर्म होंठों का स्पर्श अपने होंठों पर पाते ही कांप गयी। उसके होंठ मानों द्रोण के गर्म होंठों की गर्मी से पिघलने लगे उसने अपना एक हाथ द्रोण के पाजामे के अंदर डाल दिया और उसके सख़्त होते लिगं को सहलाने लगी उसे अपने हाथ में द्रोण का गर्म मोटा लौड़ा हर पल के साथ कुछ सख़्त औऱ बड़ा होता महसूस हो रहा था ।हिमा ने द्रोण के पाजामे का नाडा खोल उसके अजगर रूपी लन्ड को आज़ाद कर दिया और अपने गोरे-नरम हाथों से उसकि चमड़ी आगे पीछे करने लगी । 
द्रोण हिम के गुलाब के फूलों जैसे होंठों को चूस रहा था , चबा रहा था और उसके हाथ हिमामालिनी की साड़ी उतार रहे थे । पहले पल्लू फिर नाभि के पास की गांठ फिर उसका ब्लाऊज़ । 
इधर द्रोण के बड़े-2 मजबूत हाथ हिमा के मुलायम नेवल से होते हुए हिमा के स्तंनो तक पहुंचे और उधर काफी जद्दोजहद के बाद काले घोड़े ने अपना लन्ड नई नवेली जवान हुई घोड़ी की गाँड़ में पूरा घुसा दिया ,उधर घोड़ी हिनहिनाई और इधर अपने स्तंनो के दबाए जाने पर हिमा चिल्लाई पर उसकी चीख द्रोण के मुँह में दबी रह गाई । 
घोड़ी की तेज बिलबिलाती हिनहिनाहट और हिमा का छटपटाना जैसे द्रोण को पागल सा करते जा रहे थे । उसने हिमा के होंठों को छोड़ दिया और उसे घोड़ी के पोज़ में झुकाते हुए उसके पेटीकोट को ऊपर उठा कर हिमा की गाँड़ को नंगा कर दिया ,हिमा ने अपने सामने गड़े खम्बे को पकड़ कर पोजीशन सही की और अपनी टाँगे खोल ली।
हिमा ने जैसे ही टाँगे खोली उसकी गुलाबी-2 योनि का बन्द मुख दिखने लगा इकहरे के फूल के जैसी उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी है यह बात द्रोण को उसकी चूत से टपकती बूंदों से पता चल गया , द्रोण को महसूस हुआ कि जैसे उसके लिंग का टोपा माँस की झीली को तोड़कर बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहा है ,वर्जिन लन्ड होने की वजह से उसका टोपा अभी बाहर नहीं निकलता था और इस समय उसे कुछ दर्द भी महसूस हो रहा था । 
उसने अपना लौड़ा हिमा की चूत पर सेट कर दिया उंगलियों से हिमा की चूत हल्का सा खोलते हुए अपने लिंग का अग्र भाग उसमें फंसा दिया । अब एक भाई का कुँवारा लेकिन मोटा और लम्बा लन्ड बहन कि कुँवारी और कसी हुई चूत में जाने के लिए त्यार था । द्रोण ने अपने मजबूत हाथों से हिमा की पतली कमर पकड़ ली और अपनी कमर को आगे करना शुरू किया उसे लगा जैसे उसके लन्ड का माँस छिल जाएगा उसका फूला हुआ टोपा धीरे-2 माँस से बाहर आ रहा था । उसका टोपा रत्ती रत्ती करके माँस से बाहर आ रहा था और हिमा की चूत की आपस में चिपकी हुई दीवारों को खोलता जा रहा था हिमा साँस रोके अपने अंदर घुसते लन्ड को महसूस कर रही थी । द्रोण के लन्ड का टोपा कोन के आकार का था पीछे से बेहद मोटा जो अंदर घुसने का नाम नहीं ले रहा था आखिर द्रोण का सब्र टूट गया और उसने एक जोरदार घस्सा लगा दिया उसका टोपा माँस के अवरोधों को तोड़ते हुए तीर की तरह बाहर निकला और हिमा की चूत में घुस गया "आह....आह... मां" द्रोण और हिमा एक साथ चिल्लाए ।"भाई... बहुत मोटा है ...मर गयी मैं तो" हिमा खम्बे को नोचते हुए बोली ।" मुझे भी बड़ा दर्द हो रहा है टांका टूट गया मेरा तो" पसीने से लथपथ द्रोण ने जवाब दिया । 
[Image: Collage-Maker-20181206-230343019.jpg]
दूसरी तरफ उनके बिल्कुल सामने अब काला घोड़ा पूरी रफ्तार से घोड़ी को चोद रहा था और घोड़ी आँखें बंद किये मज़े ले रही थी । द्रोण को लगा जैसे घोड़ा उसका मजाक उड़ाते हुए कह रहा है "भाई मैं घोड़ा होते हुए भी तेरे से अच्छा चोद लेता हूँ और देख मेरी घोड़ी कैसी मस्त हुई जा रही है चुदाई से " । इस विचार ने जैसे द्रोण में फिर जोश भर दिया उसने फिरसे हिमा को कमर से कस कर पकड़ लिया और अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग करते हुए एक झटके में ही पूरा का पूरा 12 इंच का मूसल लन्ड हिमा की चूत में पेल दिया उसका निचला पेट हिमा के कुहलों से जा टकराया और उसका लन्दमुण्ड हिमा की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ उसके गर्भाशय से । 
"अअअअअ.... आआआ......" हिमा दर्द से बिल्कुल वैसे ही बिलबिला उठी जैसे घोड़े का लन्ड घुसने पर घोड़ी बिल्बिलाई थी । 
द्रोण नीचे झुकते हुए हिमा से चिपक गया और उसके गुबारों कि तरह लटक रहे स्तंनो को सहलाने लगा । लेकिन हिमा भी कोई बिदकने वाली घोड़ी नहीं थी बल्कि एक चुड़कड घोड़ी थी । आज उसकि लन्ड लेने की तम्मना ही पूरी नहीं हुई थी बल्कि चूत में लन्ड होने का एहसास उसपर नशे की तरह चढ़ता जा रहा था ।उसने कमर हिला कर द्रोण को चुदाई शुरू करने का इशारा किया और द्रोण ने भी देर न लगाते हुए चुदाई शुरू कर दी । एक तरफ वो हिमा को चोद रहा था तो दूसरी तरफ घोड़ा घोड़ी को न घोड़ा रुकने का नाम ले रहा था और न ही द्रोण । दर्द कब का खत्म हो चुका था हिमा अब चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी "आह आह....आह मां ...आह द्रोण ऐसे ही... " वो आहें भरते हुए कह रही थी । 
द्रोण भी खुलकर झटके लगा रहा था बिना रुके लगातार । कई मिनटों की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद द्रोण और हिमा एक साथ सनखलित हुए और फिर काफी देर तक एक दूसरे से लिपटे सोते रहे । 
अगली सुबह हिमा और द्रोण ने घर छोड़ दिया और शादी कर ली। इसके बाद ही द्रोण को अपना गुरु मिला जिसने उसे एक शातिर जादूगर बना दिया । 
हिमा एक लंबी ज़िन्दगी जीने के बाद 85 साल कि उम्र में मरी लेकिन द्रोण से जैसे मृत्यु भी डरती थी इसके क्या कारण हैं कि अपनी पत्नी की मौत के कई साल के बाद भी द्रोण ज़िंदा है यह केवल द्रोण को ही पता है ।
अगले अपडेट में जानिए की माल्या क्यों द्रोण से मिलने आया है और जानिए की सोनाक्षी सिन्हा कैसे एक रानी से द्रोण की सहायिका बनी।
 


(07-12-2018, 09:33 PM)Tanu Wrote: Upate 3 

द्रोण औऱ सोनाक्षी के साथ मेहमान कक्ष में पहुंचा तो माल्या अपनी एक कम उम्र सहायिका के साथ बैठा कुछ बात कर रहा था । [Image: Collage-Maker-20181207-205132726.jpg]
माल्या 60 साल एक ठरकी व्यापारी था और इस बात के लिए बदनाम था कि लोग जितने कपड़े नही बदलते वो उतनी पत्नियां बदलता है । वो मोटा और स्थूल बदन वाला था । माल्या ने कई साल पहले द्रोण को नरक वासियों से बचाया था तब से वो द्रोण का खास दोस्त था । कई साल पहले वो हीवुड में बस गया था और आज कई सालों बाद द्रोण से मिल रहा था । 
द्रोण की नज़र न चाहते हुए भी माल्या की सहायिका पर कुछ देर के लिए टिक गई । लड़की बेहद कामुक और आकर्षक थी बिल्कुल चीनी गुड़िया जैसी गोरी इतनी की मानो छूने से दाग लग जाए और नाज़ुक ऐसी की पकड़ने भर से टूटने का डर । छोटे लाल-लाल रसभरे होंठ और 32b-22-34 का कातिलाना बदन उसने सफेद रेशमी फ्रॉक पहन रखी थी जिसमें उसकी गोरी, मुलायम और बाल रहित टाँगे घुटनों के ऊपर तक नज़र आ रहीं थीं । 
द्रोण को देखते ही माल्या सोफ़े से उठ गया और गर्म जोशी से द्रोण के गले लग गया ।
माल्या-मेरे खास दोस्त तुम तो बिल्कुल भी नहीं बदले हो ,कहो कैसे हो ।
द्रोण-जैसा पहले था बिल्कुल वैसा ही हूँ ,पर तुम कुछ बूढे हो गए हो , तुम्हें इस बूढ़े कि याद बिना किसी काम के तो आई नहीं होगी तो सुनाओ कैसे आना हुआ । फिर द्रोण ने सोनाक्षी कि तरफ मुड़ते हुए कहा "कुछ खाने का प्रबंध करो ,यह मेहमान काफी दूर से आए होंगे ।
सोनाक्षी-जी गुरु जी ।
माल्या (
"आह....बीईई...नन..दु यह क्या किया " सोनाक्षी आँखें खोलते हुए कहती है । 
बिन्दु(सोनाक्षी के निप्पल को मुँह से निकालते हुए)-गलती से चला गया रानी जी आप कहती हैं तो निकाल लूँ ?
सोनाक्षी(अब इतनी गर्म हो चुकी थी कि न कहना उसके बस में नहीं था )-आह..अब डाल दिया है तो करले बस जल्दी करियो ।
बिन्दु(नादान बनते हुए)-क्या कर लूँ रानी जी ?
सोनाक्षी- झटके मार न बुद्धू ।
बिन्दु-जैसा आप कहें रानी जी , आपकी चूत तो बड़ी टाइट है राजा जी लगता है अच्छे नहीं चोदते आपको ।कहते हुए बिन्दु एक ही झटके में बाकी का लन्ड भी सोनाक्षी की चूत में डाल देता है ।
सोनाक्षी- हाय... मर गयी रे ...निकाल बाहर बिन्दु ...तेरे लन्ड ने तो मेरी फाड़ डाली रे .....। सोनाक्षी दर्द से तड़प उठी ।
बिन्दु(वो लन्ड को चूत में ही रहने देता और सोनाक्षी के मम्में दबाते हुए बोलता)-रानी जी इसमें मेरे लन्ड की नहीं राजा जी के लन्ड की गलती है ।
सोनाक्षी(दर्द से बिलबिलाते हुए)-इसमें उनके लन्ड की क्या गलती है ,मुझे पता होता इतने छोटे से गोबलिन का इतना बड़ा लन्ड होगा तो मैं तुझे झटका मारने को न कहती ।
बिन्दु(पूरे लन्ड को बाहर निकाल कर फिर एक ही झटके में पूरा लन्ड जड़ तक सोनाक्षी की चूत में डालते हुए)-मेरी बीवी आप जैसी चुदास होती तो रोज़ ऐसा चोदता की चूत का भोसड़ा बन जाता । 
बिंदु से अब और नहीं रुका जा रहा था उसका लन्ड लावा उगलने के लिए उतावला हो रहा । वो सोनाक्षी को पीठ के बल पलटते हुए तेज़ी से झटके देना शुरू कर देता है । "आह ....सोना मेरी राँड़ क्या चूत है तेरी जैसे मखन... तेरा पति पक्का छक्का है....बोल सोना किसा लन्ड पसंद आया तुझे" । सोनाक्षी को ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी चुदाई का आनंद मिल रहा था वो भूल चुकी थी वो एक रानी है और एक गन्दे गोबलिन का लन्ड उसकी चूत में घुसा हुआ है और वो उसे किसी बाजारू रंडी की तरह चोद रहा है । "आह...आह....बिन्दु तेरा लन्ड तो मस्त है ....मेरे पति का तो तेरे से आधा भी नहीं है चोद और दम लगा के चोद ओह ....इस चूत को मसल फाड़ दे अपने मोटे लौड़े से " 
[Image: Collage-Maker-20181207-213217377.jpg]
बिन्दु उसके साथ फिर चिपक गया और उसके मोटे स्तनों के बीच उसने अपना मुँह गाड़ दिया स्तंनो को अपने हाथों से उन्हें अपने चेहरे पर दबाते हुए हुए वो सोनाक्षी की चूत को अपने तेज़ झटकों से पेलने लगा । वो उसके स्तंनो में मुँह गड़ाए कमर हिला हिलाकर झटके मार रहा था सोनाक्षी की चूत में बिन्दु का लिंग तूफान मचा रहा था सोनाक्षी की चूत रह रह कर पानी छोड़ रही थी ।
सोनाक्षी और बिन्दु चुदाई में इतना खोए हुए थे कि उन्हें पता भी न चला कि एक 12 फुट ऊंचा दैत्य उनकी तरफ बढ़ता चला आ रहा है जिसका लन्ड मुरझाई अवस्था में भी 10इंच लम्बा है और लटकते हुए साँप जैसा लग रहा था ।
दैत्य बिन्दु और सोनाक्षी के पास पहुँचा और उन्हें गौर से देखने लगा कि आखिर एक गोबलिन एक इंसानी महिला के ऊपर लेता कर क्या रहा । बिन्दु को झटके मरता देख उसका लन्ड भी तन कर 15इंच लम्बा और 5 इंच मोटा लोहे का डंडा बन गया । उसने बिन्दु को गर्दन से पकड़कर पीछे खींचा तो पक की आवाज़ के बिंदु का लन्ड सोनाक्षी की चूत से बाहर आगया । फिर दैत्य ने बिन्दु को दूर फेंक दिया और सोनाक्षी की टाँगे दोहरी करते हुए उसके ऊपर चढ़ गया । 
इस अचानक हुए हमले से सोनाक्षी की सारी गर्मी उतर गई "नहीं मत करो" वो चिल्लाई । पर दैत्य ने उसके मुँह इतने ज़ोर से थपड़ मारा की सोनाक्षी की आँखों में आँसू आ गए । और वो दैत्य से कुछ दूर जा गिरी । उसका केवल बदन ही नहीं दिल भी दुख रहा था क्यूँकि जिस सोनाक्षी ने आजतक किसी की ऊंची आवाज भी न सुनी थी उसे कोई इस तरह मार भी सकता है यह उसने सपने में भी न सोचा था ।उसने दैत्य से दूर जाने के लिए भागने की कोशिश की पर वो अपनी जगह से उठ भी नहीं सकी लेकिन फिर भी किसी तरह वो पीछे की और घिसटने लगी । लेकिन दैत्य ने दो-तीन कदम लिए और उसके पास पहुँच गया । दैत्य ने उसे उसकी बाहों से पकड़ कर इतनी आसानी से उठा लिया मानो किसी खिलौने को उठा रहा हो सोनाक्षी हवा में झूलने लगी ।
दैत्य सोनाक्षी को उठा कर पास गिरे हुए पेड़ तक ले गया फिर उसने सोनाक्षी को उसकी कमर से पकड़कर उठा लिया और उसको ऊपर नीचे करता हुआ अपने लन्ड का निशाना उसकी चूत पर सेट करने लगा तीन-चार बार ऐसा करने के बाद उसने सोनाक्षी को हवा में काफी ऊपर तक उठाया और नीचे लाते हुए सीधे उसकि चूत को अपने लन्ड से भिड़ा दिया उसने यह इतनी ताकत से किया था कि उसका लन्ड सोनाक्षी के गर्भाशय से इतनी जोर से टकराया की सोनाक्षी कुछ देर के लिए होश खो बैठी पर दैत्य को उस पर कोई तरस नहीं आया और वो उसे कमर से पकड़ कर अपने लन्ड पर ऊपर नीचे करता रहा जब तक कि वो थक नहीं गया और आखिर में वहीं उसे अधमरी हालत में छोड़कर चला गया वो तो भगवान की कृपा थी उसपर जो वो मुझे मिल गयी औऱ मैंने कई दिन तक दुर्लभ जड़ीबूटियों और तंत्र - कि मदद से उसका इलाज किया ।

Very hot hot story ,very different plot , nice keep posting
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#30
(08-12-2018, 02:43 PM)annami123 Wrote: Bht he badiya update raha ......

Lodrs of Rings ki yaad dila di

keep Updating .......

Waiting for next ..

Thnx annami
Visit my story thread-:https://xossipy.com/thread-609.html
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#31
(08-12-2018, 02:53 PM)diksha Wrote: Very hot hot story ,very different plot , nice keep posting

Thnx dik
Visit my story thread-:https://xossipy.com/thread-609.html
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#32
(06-12-2018, 12:44 PM)Tanu Wrote: Update 1.

कहानी की भूमिका -

दोस्तों आप सब को मेरी और से नमस्ते , कहानी शुरु होने से पहले मैं चाहती हूँ कि आपको इसकी विषयवस्तु से अवगत करवा दूँ । मेरी यह कहानी पौराणिक कथा (जैसे लॉर्ड्स ऑफ रिंग या हॉबिट)के रूप में होगी । यह आज से लगभग 5000 साल पहले की दुनियाँ के विषय में है जब जादू,भूत-प्रेत,दानव, परियां, राक्षस आम हुआ करते थे ।तब दुनियां चार भागों में बटी हुई थी -
              1.एल्फ़स जो सबसे शक्तिशाली थे और धरती के ध्रुवों पर रहते थे । उनके राज्य को हीवुड के नाम से जाना गया ।
               2.इंसान जो धरती पर रहते थे । जिनके राज्य को बिवुड कहा गया।
               3.बौने जो -पहाड़ो में गुफाएं बना कर रहते थे ।इनके राज्य को स्टोन वुड कहा गया 
               4.चौथे -प्रेत-राक्षस-दानव-गोबलिन्स-और प्रेत जो धरती के अंदर ,धरती के मध्यबिंदु के पास रहते थे । इनके राज्य को नरक कहा गया ।
कोई समय था जब इन चारों राज्यों में मैत्री थी और दुनिया में अमन था और हर कोई खुश था ,पर एक दिन एक देवता जिसका नाम "काम" था अपनी पत्नी "वासना" के साथ बैठा था और और बातों ही बातों में उसने वासना से कहा देवी वासना तुम्हें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि तुम्हें मेरे जैसा पति मिला हैं ,जो सब पतियों में श्रेष्ठ है। 
वासना -ऐसा क्यों भला ? तुम भी सभी पतियों की तरह हो ।
काम-मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इस संसार की किसी भी सुंदरी को मैं भोग सकता हूँ पर क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ इसलिए मैं ऐसा करता हूँ । 
वासना-यह नामुमकिन है तुम संसार की हर स्त्री को नहीं भोग सकते वासना ने स्त्री द्वेष से कहा ।
काम (इसे अपने परुषार्थ का अपमान समझता है)-मैं इस धरती को साक्षी मानकर प्रण लेता हूँ कि तुम जिस स्त्री की तरफ इशारा करोगी जबतक मैं उस स्त्री को भोग नहीं लेता अन और जल ग्रहण नहीं करूंगा । 
वासना पूरी धरती को अपनी शक्तियों के द्वारा छानमारा और एक शीलवान और पतिनिष्ठ स्त्री खोज ली । इस स्त्री का नाम अहिल्या था । अहिल्या एक बेहद ज्ञानी और ताकतवर गुरु विश्वा की पत्नी थी । अहिल्या बेहद सुंदर थी , ढूध सा गोरा रंग  ,नींली आंखें , पतला और छोटा तराशा हुआ नाक , दिल के आकार का फेस कट ,छोटे पर भरे-भरे होंठ जो ऊपर की और उठे हुए थे ,पतली मुलायम गर्दन जिसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि वो पानी पीती तो पानी साफ नजर आता । 38d के आकार बड़े -बड़े   गोलाकार स्तन जो सामने की तरफ से किसी गेंद की भांति आगे को उभरे हुए थे जिनपर गुलाबी गुलाबी बेरों के आकार की चुचियाँ थीं ,20 इंच की पतली सी कमर और पेट पर दिल के आकार की नाभि जैसे उसकी सुंदरता में कोई कमी रह गयी हो यह सोचकर ईश्वर ने उसे 38 के आकार के नितंबों से पूरी कर दी हो ।
देवी वासना ने जिस पल देव काम को अहिल्या दिखाई ,काम ने सोच लिया था किसी भी कीमत पर वो इस सुंदरी को भोगकर रहेगा और जब देव काम ने अपनी दैवी दृष्टि से अहिल्या की योनि को देखा तो उसका यह निर्णय प्रण में बदल गया । अहिल्या की योनि का मुख स्त्री के होठों की भांति बंद था ,मुख के अंदर कमल के फूल की आकार की पंखुड़ियों के समान सुर्ख गुलाबी रंग की दो पंखुड़ियां थी जिनके ऊपर की तरफ काजू के आकार का भखदाना, आजतक उसने जितनी भी योनियों में अपना 15इंच लम्बा और 5 इंच मोटा लिंग डाला था वो 10इंच से ज्यादा गहरी न थी पर अहिल्या की योनि पूरे 14 इंच गहरी थी ।देव काम यह सोचकर ही पागल हुआ जा रहा था कि जब उसका लिंग पूरा का पूरा अहिल्या की योनि के अंदर होगा तो उसे कितना आनंद आएगा । 
काम जनता था कि अहिल्या से बड़ी शीलवान स्त्री न कोई हुई है और न होगी क्योंकि उसे पता चला कि की केवल धरती ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड के सुंदर से सुंदर , बलवान से बलवान और बुद्धिमान से बुद्धिमान पुरुष को अहिल्या ठुकरा चुकी है और अहिल्या के पति गुरु विश्वा के रहते उसका बल भी काम नहीं आएगा इसलिए उसने छल का प्रयोग किया ।
एक दिन सुबह चार बजे जब गुरु विश्वा स्नान के लिए निकले तो देवी वासना ने उन्हें छल से कहीं और ले गयी ,क्योंकि वासना एक देवी थी विश्वा उसके साथ दिन भर चलते रहे ।
दूसरी तरफ जैसे ही गुरु विश्वा घर से निकले देव काम गुरु विश्वा का रूप धारण करके उनके घर में घुस गया ।  गुरु विश्वा 6.5 फुट ऊँचे और मजबूत बदन वाले पुरुष थे देव काम को इसका ख्याल नहीं रहा और दरवाजे से अंदर आते हुए उसका सिर चौखट से टकरा गया । खटके की आवाज़ से अहिल्या दौड़ती हुई आई औऱ उसने देव(अब उसे मैं यही लिखूँगी) जो उसके पति के रूप में था उसे थामते हुए बोली "ज्यादा चोट तो नहीं लगी" । केवल झीने सफेद अंगवस्त्र में होने के कारण देव उसका अंग-2 देख सकता था जिस कामुक बदन को पाने का सपना पूरा संसार देखता वो उसकी बाहों में था । "नहीं" उसने अहिल्या के गुलाबी होंठों को चूमते हुआ कहा जो चीनी से भी मीठे थे । "छोड़िए न हमें ,मुझे आपके लिए पूजा की सामग्री त्यार करनी है" अहिल्या सकुचाते हुए कहा (अहिल्या का विवाह गुरु विश्वा से एक वर्ष पूर्व हुआ था ,पर गुरु विश्वा ने व्रत लिया था कि जब तक वो ईश्वर को प्रसन्न नहीं कर लेते अपनी को छुएँ गे भी नहीं) । "मेरी आराध्य और ईश्वर तुम हो अहिल्या आज से मैं तुम्हारी पूजा करूँगा" देव ने अहिल्या की मखमली गर्दन को चूमते हुए कहा । "छोड़िए न ,आपका व्रत टूट जाएगा" अहिल्या ने शर्माते हुए कहा । "तो टूट जाए ,मेरा प्रेम तुम्हारे लिए किसी भी व्रत से बढ़कर है जब मैं तुम्हारे इस भरपूर यौवन को देखता हूँ तो मुझे ग्लानि होती है कि मैं तुम्हें संभोग के सुख नहीं दे पा रहा इसीलिए आज मैं इस व्रत को तोड़ दूँगा " देव ने अहिल्या के अंग वस्त्र को खोलते हुए कहा । 
अहिल्या का वस्त्र भूमि पर गिर गया और उसके सुन्दर सुडौल और फुटबॉल कि गेंद जितने बड़े बड़े स्तन नंगे हो गए , देव देखा कि अहिल्या की काया इतनी चौड़ी न थी  बल्कि उसके  स्तन कुछ ज्यादा ही बड़े थे ऐसा मानो की एक छरहरी काया की स्त्री के शरीर पर तरबूज लगा दिए हों । 
अहिल्या ने शर्म के मारे झट से अपने कोमल छोटे हाथ अपने स्तनों पर रख दिये  और दूसरी और घूम गयी । देव ने आगे बढ़कर अहिल्या को उसकि पतली कमर से पकड़ते हुए अपना लिंग उसके मोटे नितंबों के बीच लगा दिया और अहिल्या के कंधों को चूमते हुए बोला "तुम नहीं चाहती कि तुम्हारा पति तुम्हारा भोग करे जो इतना लज्जाशील हो रही हो?"
अहिल्या(अपनी गाँड़ के बीचोबीच लिंग को महसूस करते हुए)-आप नहीं जानते कि हर रात को जब मैं आपका अपनी भुझा से लम्बा और मोटा लिंग देखती हूँ,जिसका लन्ड मुंड ही 5 इंच से अधिक मोटा है तथा आधा किलो की कुकरमुते जैसा लगता और आपके संतरो से भी मोटे और बड़े अण्डकोष देखकर मेरी क्या हालत होती है मैं ही जानती हूँ ,पर मैं आपका व्रत नहीं तुड़वाना चाहती आपका व्रत मेरा व्रत है ।
देव अहिल्या के मुँह से गुरु विश्वा के लिंग की प्रशंसा सुनकर जलभुन गया उसने सोचा था कि उसका लिंग विश्वा का लिंग उसके लिंग से छोटा ही होगा । यही सोचकर उसने अपना रूप तो बदल लिया था परँतु लिंग का आकार नहीं । इसलिए उसने जल्दी अपने लिंग का तथा अण्डकोषों का आकार भी विश्वा जैसा कर लिया । अहिल्या को लगा मानो लिंग उनकी लुंगगियों को फाड़ता हुआ उसके गुदा छेद में समा जाएगा । वो अहिल्या के बड़े-बड़े स्तनों को दबोचते हुए बोला "तुम मेरे लिंग की प्रशंसा तो कर रही हो परँतु क्या इसे सहन भी कर पाओगी ?" 
अहिल्या-आह...ओह माँ इतना ज़ोर से क्यों दबाते हैं स्वामी यह काया मैंने 7 साल एक कठिन व्रत रखकर केवल आपके लिए ही तो पाई ।
अब देव खुद को रोक न पाया और उसने फूलों सी नाज़ुक अहिल्या को गोद में उठा लिया और शयनकक्ष की ओर चल पड़ा । अहिल्या ने जैसे ही देव कि आँखों में देखा वो उसकि आँखों मे प्रेम की जगह केवल वासना और वासना देखकर समझ गयी कि यह कोई मायावी है जो उसके स्वामी का रूप धरकर आया है "नीच छोड़ दे मुझे" वो देव की पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए चिल्लाई ,परँतु देव की बलशाली पकड़ से छूट न पाई । देव उसे शयनकक्ष में ले आया और उसे बिस्तर पर फेंकते हुए बोला " सुंदरी तुम बेशक शीलवान हो पर आज यह शील तुम्हारे किसी काम न आएगा आज तो मैं तुम्हें भोगकर ही यँहा से जाऊँगा" यह कहकर देव निर्वत्र हो गया और अपने असली रूप में आते हुए डर मारे बिस्तर के कोने में सिमटी बैठी अहिल्या कि और बढ़ने लगा । अहिल्या उसे अपने 15इंच लंबे और 5 इंच मोटे लिंग के साथ अपनी और बढ़ते देखती रही वो न हिली न डुली मानों पत्थर बन गयी हो । पर काम वासना में इतना लिप्त हो चुका था कि वो इस अलौकिक घटना को समझ न सका और उसने जैसे ही अहिल्या को छुआ वो भस्म हो कर तीन अंगुठियों में बदल गया । दूसरी और ठीक इसी वक्त गुरु विश्वा के साथ छल कर रही वासना पर बिजली गिरी और वो भस्म होकर दो अंगुठियों में बदल गयी । और एक आकाश वाणी गुरु विश्वा को सुनाई दी "वत्स आज काम ने अहिल्या का भोग करने के लिए वासना का सहारा लेकर तुम्हें छला है ,इसिलए मैंने दोनो को पांच दिव्य अंगुठियों में बदल दिया है एक समय चक्र की है ,दूसरी काया की ,तीसरी गति की,चौथी असँख्य शक्तियों की ,और पांचवी अपार धन की, तुम संसार में शकितयों के संतुलन के लिए जो व्रत कर रहे थे वो पूर्ण हुआ , अब यह हनहोनी जो घटी है उसे ठीक करो ,तथास्तु" । इसके बाद गुरु विश्वा ने समय चक्र की पीछे घुमाया औऱ देव काम का तथा उसकी पत्नी वासना का वध कर अपनी पत्नी के शील को भंग होने से बचा लिया । लेकिंन उसके बाद इन शक्तिशाली अंगुठियों को पा कर सारी धरती पर अपना राज कायम करने की ऐसी होड़ लगी कि चारों राज्य एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे ।
जादूगर द्रोण ने अपनी कहानी खत्म की और अपने शिष्यों रिया सेन, महेश और दिनेश को देखकर बोले कोई प्रशन हो तो पूछ लो ।

जारी........

(08-12-2018, 02:43 PM)annami123 Wrote: Bht he badiya update raha ......

Lodrs of Rings ki yaad dila di

keep Updating .......

Waiting for next ..
Truly said ....
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#33
I am working on update .......
Visit my story thread-:https://xossipy.com/thread-609.html
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#34
अपडेट 4-एक तहखाना


सोनाक्षी कि दास्तान खत्म करने के द्रोण कि तरफ देखा जो इस समय अपना लन्ड हिला रहा था । इसका कुछ नहीं हो सकता द्रोण ने मन में सोचा ।
माल्या-यार तूने तो मूड बना दिया ,कसम दोस्ती की मेरा काम करवा दे तो जो तू बोले वो तेरा । 
द्रोण-यार पहले खाना-वाना खा लेते हैं तुझे तो व्यापार और चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नही हैं ।
माल्या-सही कहा तूने यार मैं कमाता इसलिए हूँ के चोद सकूँ और चुदाई इसलिए करता हूँ कि पैसे खर्च कर सकूँ ।
द्रोण-यह सब तो ठीक है पर इस सब में अपनी बेटी को घसीटना सही है क्या ?
माल्या-इसकी माँ को मैंने कई करोडों का दहेज देकर पाया था ,इससे वसूल भी तो करना है। यार मैं बिवुड की राजधानी में एक आलीशान रंडीखाना खोलना चाहता हूँ तू इसके लिए मुझे इज़ाज़त दिलवा दे ।
द्रोण-पाटलिपुत्र में तो कोठे पहले ही बहुत है तू भी खोल ले मना कौन करता है ?
माल्या-रंडी खाने हैं पर उनमें जाता कौन है ? कोई अमीर और इज़्ज़त दार वँहा जाने से पहले दस बार सोचता है । मैं ऐसा रंडी खाना खोलूँगा जो सिर्फ़ अमीर लोगों के लिए होगा देश विदेश की रंडियां होंगी उसमें इसके साथ-साथ अगर किसी महिला को मर्द चाहिए तो एक से एक चौदु रखूँगा । और जो सिर्फ देखना चाहते हैं उनके लिए चुदाई के शो होंगे प्राइवेट कैबिन में बैठो और मज़े लो ।
द्रोण-इसमें दिक्कत क्या है ? 
माल्या-पहली दिक्कत तो यह है कि राजा नहीं मान रहा दूसरी दिक्कत यह है कि मेरे पर कई करोड़ का कर्जा था राजा का जो मैं बिना दिए हीवुड चला गया ,इसलिए 
मंजूरी नही मिल रही हालांकि अब मैं सारा कर्ज़ा चुकाने के लिये तैयार हूँ ।
द्रोण-तो इसमें मैं तो कुछ नहीं कर सकता ।
माल्या-यार सब तू ही कर सकता है , तेरा वो शिष्य जान राजा का आर्थिक सलाहकार जो है ।
द्रोण-नहीं यार मैं इस तरह किसी भी सरकारी बंदे पर दबाव नही डाल सकता ।
माल्या-यार तू बस काम शुरू करवा दे जिसको जो भी देना हो मैं दूँगा । 
द्रोण-देखते हैं क्या हो सकता है । मेरे अभी ध्यान लगाने का समय है रात में बात करते है ।
द्रोण उठकर अपने कक्ष में चले जाते हैं और माल्या वहीं बैठा सोचता रहता कि आगे क्या किया जाए ।
दूसरी तरफ सोनाक्षी एंजेला बेबी को आश्रम घुमा रही थी । दोनो अब तक अच्छी दोस्त बन चुकी थीं और अब सोनाक्षी एंजेला को आश्रम के पीछे बने एक बड़े से बगीचे में घुमा रही थी तभी उनकी नज़र बगीचे के बीचोबीच बैठे रिया ,महेश और दिनेश पर पड़ी जो आपस मे बातें कर रहे थे । 
एंजला-यह कौन है ?
सोनाक्षी-गुरु जी के शिष्य ।
एंजला-गुरु जी शिक्षा भी देते हैं ?
सोनाक्षी-हाँ ,वो हर विषय की शिक्षा देते हैं पर उन्हें ही जो उनके दिल को भाते हैं ,वरना सालों अकेले ही तप करते हैं ।
एंजला-अगर मैं भी व्यापारी की बेटी न होती तो इस आश्रम में रह जाती ।
सोनाक्षी- गुरु जी पर भरोसा रखो वो सब सही करेंगे । उनके पास आए हुए दुखियारे को अपनी बात कहने की भी ज़रूरत नहीं पढ़ती और वो सब समझ लेते हैं ।चलो तुम्हें इन तीनों से मिलवाती हूँ ।
एंजला-भगवान करे ऐसा ही हो ।
सोनाक्षी एंजला का परिचय रिया ,दिनेश और महेश से करवाती है । और उन तीनों का एंजला से ।
[Image: Collage-Maker-20181208-222819993.jpg]
तभी रिया महेश के कान में कुछ कहती है ।"भई क्या फुसफुसाहट हो रही है ?" सोनाक्षी रिया को आँख मारते हुए पूछती है । 
"कुछ नहीं दीदी बस मुझे न पुस्तकालय से एक किताब लेनी थी ,मैं महेश से पूछ रही थी क्या वो मेरे साथ चलेगा ,इतने बड़े पुस्तकालय में अकेले जाते मुझे डर लगता है " रिया अटकते हुए जवाब देती है । 
"ठीक है महेश रिया का ध्यान रखना कहीं कोई साँप न इसे काट ले" सोनाक्षी महेश से कहती है । 
इस तरह रिया और महेश दिनेश को एंजला और सोनाक्षी के साथ पार्क में छोड़कर बाहर आ जाते हैं ।
महेश(पार्क से बाहर निकलने के बाद)- तुम्हें यकीन है कि गुरु जी ने अहिल्या की जो कहानी बताई है वो पूरी नहीं है ? 
रिया-हाँ ,पक्का यकीन है ।
महेश-कैसे?
रिया -याद है ना कि कहानी में काम अहिल्या की इज़्ज़त नहीं लूट पाता ?
महेश-हाँ ,पर इससे यह कैसे साबित होता है कि गुरु जी ने हमें पूरी कहानी नहीं बताई ? 
रिया-अरे बुद्धु याद नहीं कि आकाश वाणी में साफ-2 कहा गया कि जाओ और अहिल्या का शील उसे वापिस करो ।
महेश-हाँ यह तो है ।पर पूरी कहानी मिलेगी कंहाँ ?
रिया-प्रतिबंधित पुस्तकालय में।
महेश-जो तहखाने में है ?
रिया -हाँ ।
महेश -पर तहखाने पर तो ताला है अंदर कैसे जाएंगे?
रिया-ताला तो मैं जादू से खोल दूँगी ।
महेश-आश्रम में जादू करना मना है ।
रिया-पता ही नहीं चलेगा किसी को , तू डरपोकों वाली बात मत जल्दी चल इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा ।
महेश तहखाने में जाने से तो डर रहा था पर सफेद बटनों वाली कमीज और गुलाबी स्कर्ट से झाँकते उसके सुडौल अँगों को देखकर उसका मन बदल जाता है और फिर दिल में उसके यह बात भी थी कहीं रिया को वँहा कुछ हो न जाये इसलिए वो रिया के साथ जाने को त्यार हो जाता है । 
तहखाना आश्रम की तीन मंजिला इमारत के दो मंज़िल नीचे था । रिया और महेश किसी तरह तहखाने की तरफ जाने वाली सीढ़ी ढूंढते हैं और नीचे उतरते हैं । नीचे अंधकार ही अंधकार होता है रिया जादू का प्रयोग कर रोशनी करती है तो उन्हें वँहा तीन बन्द दरवाजे मिलते हैं पर ताला किसी पर नहीं होता ।"देख लो तुम ऐसे ही डर रहे थे यँहा तो कोई ताला नहीं है" रिया खुश होते हुए कहती है ।
महेश-मुझे तो डर लग रहा है यार चलो यँहा से चलते हैं ।
रिया(पहले दरवाजे को खोलते हुए) -तुम ऐसे ही डरते हो ।
महेश(हँसते हुए)-वाह दरवाजे के पीछे दीवार ,लो अब करो जादू दीवार पे ।
रिया(चिढ़ते हुए)- बातें मत करो जल्दी दूसरा दरवाजा खोलो ।
महेश दूसरे दरवाजे के पास जाता है और उसके हैंडिल को दोनों हाथों से  पकड़ के दरवाजा खोलने की कोशिश करता है ,खटाक की जोरदार आवाज़ होती है पर दरवाजा खुलने के बजाए कहीं से दरवाजे पर एक हड्डियों का हाथ प्रकट हो जाता है और महेश के हाथों को जकड़ लेता है ।
 "मरा रे मरा.... रिया पाप लगेगा तुझे ....तेरे कारण मैं कुँवारा ही मरने जा रहा हूँ " महेश चिल्लाता है । 
"डर मत यार अभी खोलती हूँ मैं इस हाथ को" रिया महेश के पास जाते हुए कहती है । वो ताकत से लेकर अपने सारे जादू लगा कर देख लेती है पर हड्डियों के हाथ से महेश के हाथ नहीं छुड़वा पाती है ।
"महेश यह पक्का पहेलियों वाला जादू है" रिया जैसे ही यह शब्द बोलती है दरवाजे पर कुछ शब्द उभर आते हैं ,रिया और महेश उन्हें एक साथ पढ़ते हैं -
"सोचो और खुल जाए दरवाजा इसलिए दो सही जवाब वरना कटेगा इसका सिर ताज़ा ताज़ा" 
महेश-रिया मैं अभी मरना नहीं चाहता ,किस मुसीबत में फंसा दिया तूने ।
रिया आगे पढ़ती है " कौनसी है ऐसी चीज़ जो जाती तो स्त्री के मुख में है सख्त, पर सारा रस छोड़ हो जाती है नरम"
महेश-रिया मैं तुझे बता रहा हूँ आज मेरा सिर कट के रहेगा , ऐसी कोई चीज़ नहीं होती जो रस छोड़कर नरम हो जाती हो 
रिया-चुप कर डफर मुझे सोचने दे ।
महेश-जल्दी कर न जंड देवी नहीं तो कट जाएगा मेरा सिर ।
रिया -क्या कहा तूने मुझे ?
महेश-देवी ।
रिया -उससे पहले यार।
महेश-जल्दी कर न।
रिया -नहीं उसके बाद 
महेश-जंड।
रिया -वाह तूने तो मुझे जवाब दे दिया ।
महेश-जंड है जवाब?
रिया-नहीं लन्ड है जवाब । 
दरवाजे पर अगला सवाल उभरता है " एक आम ऐसा जो काटा न जाए, तोड़ा न जाए ,खाया न जाए और चूसो तो निकले दूध" 
महेश(तपाक से जवाब देता है)-ऐसा फल है स्त्रियों के स्तन ।
रिया -बड़ी जल्दी जवाब दे दिया ,कैसे पता था तुझे इसका जवाब ।
महेश-इस सवाल का जवाब तो कोई बच्चा भी दे सकता था । 
रिया अगला सवाल पढ़ती है " बिना प्रयोग किए कोई मापक बताना है तुझे इसके लिंग का नाप " ।सवाल पढ़ने के बाद उसके सुंदर चेहरा शर्म से लाल हो जाता है । महेश और वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को घूरते रह जाते हैं ।
रिया(खामोशी तोड़ते हुए)-कितना लम्बा है तेरा लिंग ?
महेश-कभी नापा नहीं ।
रिया-कोई काम नहीं करता तू ।
महेश-लन्ड कौन नापता है यार । 
रिया-सोच क्या रहा बाहर निकाल ,मैं लम्बाई का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करती हूँ।
महेश (अपने जकड़े हुए हाथों की तरफ इशारा करते हुए)-मैं कैसे निकालूँ ?
रिया बेचारी शर्म से लाल हो जाती है कि अब उसे महेश की पैंट खोलकर उसके लिंग को बाहर निकालना होगा ।अपने सपनों में उसने महेश के लम्बे चौड़े शरीर को सोचकर उसके लन्ड का आकार सोचा था पर आज वो सच में देखने जा रही थी उसकी दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं । वो शर्माते-2 और अपनी नज़रें झुकाए महेश के पास आती है ताकि उसकी और महेश की नजरें न मिल सकें । रिया की इतना डरता देख महेश को उस पर तरस आ जाता है वो सोचता है किसी मासूम लड़की यह काम कैसे करेगी "रिया रहने दे यार जो होगा देखा जाएगा" वो कहता है  । महेश कि यह बात सुनकर रिया को खुद पर गुस्सा आने लगता यह सोचकर कि महेश उसके लिए मरने को भी तैयार है और वो उसके लिए उसका लन्ड नापने में भी झिझक रही है । 
रिया जल्दी से महेश की पैंट खोल उसका कच्छा नीचे सरका देती है । महेश का काला लन्ड आज़ाद होकर हवा में हिलने लगता है मुरझाई अवस्था में भी एक मध्यम आकार के केले जितना लम्बा और मोटा था । "कितना आकर्षक है इसका लिंग " रिया मन में सोचती है । 
रिया-खड़ा करो इसे ।
महेश-नहीं हो रहा वैसे तो तुमको देखते ही मेरा......।
रिया -अच्छा अच्छा ठीक है वो उसकी बात को बीच में काट देती है । कुछ कामुक सोचो यार तभी खड़ा होगा न ।
महेश-यँहा जान के लाले पड़े हैं , मैं मरने वाला हूँ तो कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा । 
रिया-कैसे खड़ा होगा यह ?
महेश-हिलाने से ।
रिया-उसके इलावा ।
महेश-कामुक ,नंगी तस्वीरों को देखने से । 
रिया -वो मैं कँहा से लाऊं यँहा । मुझे नंगा देखने से काम चल जाएगा ?
[Image: Collage-Maker-20181208-222950608.jpg]
महेश(खुश होते हुए, रिया की बात सुनने भर से ही उसका लिंग आकार लेने लगा था)- हम्म ।
रिया आँखे बंद करती है और फिर  अपनी शर्ट के बटन खोलती है ,और उसे उतार देती है अब उसके बदन पर केवल बनियान थी जिसमें से उसके गुबारों जैसे बड़े बड़े मम्में और उनकी उभरी हुई सख्त चुचियाँ साफ नजर आ रही थी "कितने बड़े और खूबसूरत हैं तुम्हारे स्तन रिया" महेश के मुँह से शब्द अनजाने में ही निकल पड़ते हैं ।रिया शर्म से लाल हो जाती है "बकवास मत करो यह बताओ कि काम हुआ या नहीं " वो दिखावटी गुस्सा करते हुए कहती है । "कुछ हुआ है" वो जवाब देता है पर रिया को केवल हुआ है सुनाई देता है वो जल्दी से आँखे खोलती है और अपने सामने महेश के आधे खड़े लन्ड को देखती है तो उसकि लम्बाई और मोटाई देखकर रिया का मुँह खुला का रह जाता है ।
रिया-चलो यह काम तो हुआ अब इसका नाप लेने का कोई तरीका खोजना होगा । 
महेश-अभी तो आधा ही खड़ा हुआ है यार ।
रिया(हैरानी से)-इससे बड़ा क्या होगा ।
महेश(उसको लगता है रिया समझ रही है कि वो झूठ बोल रहा है)-माँ कसम और बड़ा होगा ,तन के बिल्कुल सीधा हो जाता है अभी तो मुडा है । 
रिया-तंग आ गयी हूँ यार मैं । इस सब को जल्दी खत्म करना होगा आओ मैं इसे हिलाकर ही खड़ा करती हूँ । 
ठीक इसी समय सीढ़ियों पे किसी की आहट होती है रिया और महेश दोनों डर जाते हैं आवाज़ धीरे धीरे उनके पास आती जाती है रिया और महेश को लगता है कि आज हो न हो उनको यँहा इस अवस्था में पकड़ लिया जाएगा और उन्हें आश्रम से निकाल दिया जाएगा दोनों डर से जैसे जम ही जातें और आवाज़ पास आती जाती है ..।
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#35
Too hot update ....It was amazing...
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#36
Aah tanu...Bada mst post tha ....Jaldi se chudwa do....
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#37
(08-12-2018, 10:51 PM)diksha Wrote: Too hot update ....It was amazing...

(09-12-2018, 05:31 AM)rahulraj Wrote: Aah tanu...Bada mst post tha ....Jaldi se chudwa do....

Thnx guys keep reading
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#38
Thumbs Up 
(08-12-2018, 10:34 PM)Tanu Wrote: अपडेट 4-एक तहखाना


सोनाक्षी कि दास्तान खत्म करने के द्रोण कि तरफ देखा जो इस समय अपना लन्ड हिला रहा था । इसका कुछ नहीं हो सकता द्रोण ने मन में सोचा ।
माल्या-यार तूने तो मूड बना दिया ,कसम दोस्ती की मेरा काम करवा दे तो जो तू बोले वो तेरा । 
द्रोण-यार पहले खाना-वाना खा लेते हैं तुझे तो व्यापार और चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नही हैं ।
माल्या-सही कहा तूने यार मैं कमाता इसलिए हूँ के चोद सकूँ और चुदाई इसलिए करता हूँ कि पैसे खर्च कर सकूँ ।
द्रोण-यह सब तो ठीक है पर इस सब में अपनी बेटी को घसीटना सही है क्या ?
माल्या-इसकी माँ को मैंने कई करोडों का दहेज देकर पाया था ,इससे वसूल भी तो करना है। यार मैं बिवुड की राजधानी में एक आलीशान रंडीखाना खोलना चाहता हूँ तू इसके लिए मुझे इज़ाज़त दिलवा दे ।
द्रोण-पाटलिपुत्र में तो कोठे पहले ही बहुत है तू भी खोल ले मना कौन करता है ?
माल्या-रंडी खाने हैं पर उनमें जाता कौन है ? कोई अमीर और इज़्ज़त दार वँहा जाने से पहले दस बार सोचता है । मैं ऐसा रंडी खाना खोलूँगा जो सिर्फ़ अमीर लोगों के लिए होगा देश विदेश की रंडियां होंगी उसमें इसके साथ-साथ अगर किसी महिला को मर्द चाहिए तो एक से एक चौदु रखूँगा । और जो सिर्फ देखना चाहते हैं उनके लिए चुदाई के शो होंगे प्राइवेट कैबिन में बैठो और मज़े लो ।
द्रोण-इसमें दिक्कत क्या है ? 
माल्या-पहली दिक्कत तो यह है कि राजा नहीं मान रहा दूसरी दिक्कत यह है कि मेरे पर कई करोड़ का कर्जा था राजा का जो मैं बिना दिए हीवुड चला गया ,इसलिए 
मंजूरी नही मिल रही हालांकि अब मैं सारा कर्ज़ा चुकाने के लिये तैयार हूँ ।
द्रोण-तो इसमें मैं तो कुछ नहीं कर सकता ।
माल्या-यार सब तू ही कर सकता है , तेरा वो शिष्य जान राजा का आर्थिक सलाहकार जो है ।
द्रोण-नहीं यार मैं इस तरह किसी भी सरकारी बंदे पर दबाव नही डाल सकता ।
माल्या-यार तू बस काम शुरू करवा दे जिसको जो भी देना हो मैं दूँगा । 
द्रोण-देखते हैं क्या हो सकता है । मेरे अभी ध्यान लगाने का समय है रात में बात करते है ।
द्रोण उठकर अपने कक्ष में चले जाते हैं और माल्या वहीं बैठा सोचता रहता कि आगे क्या किया जाए ।
दूसरी तरफ सोनाक्षी एंजेला बेबी को आश्रम घुमा रही थी । दोनो अब तक अच्छी दोस्त बन चुकी थीं और अब सोनाक्षी एंजेला को आश्रम के पीछे बने एक बड़े से बगीचे में घुमा रही थी तभी उनकी नज़र बगीचे के बीचोबीच बैठे रिया ,महेश और दिनेश पर पड़ी जो आपस मे बातें कर रहे थे । 
एंजला-यह कौन है ?
सोनाक्षी-गुरु जी के शिष्य ।
एंजला-गुरु जी शिक्षा भी देते हैं ?
सोनाक्षी-हाँ ,वो हर विषय की शिक्षा देते हैं पर उन्हें ही जो उनके दिल को भाते हैं ,वरना सालों अकेले ही तप करते हैं ।
एंजला-अगर मैं भी व्यापारी की बेटी न होती तो इस आश्रम में रह जाती ।
सोनाक्षी- गुरु जी पर भरोसा रखो वो सब सही करेंगे । उनके पास आए हुए दुखियारे को अपनी बात कहने की भी ज़रूरत नहीं पढ़ती और वो सब समझ लेते हैं ।चलो तुम्हें इन तीनों से मिलवाती हूँ ।
एंजला-भगवान करे ऐसा ही हो ।
सोनाक्षी एंजला का परिचय रिया ,दिनेश और महेश से करवाती है । और उन तीनों का एंजला से ।
[Image: Collage-Maker-20181208-222819993.jpg]
तभी रिया महेश के कान में कुछ कहती है ।"भई क्या फुसफुसाहट हो रही है ?" सोनाक्षी रिया को आँख मारते हुए पूछती है । 
"कुछ नहीं दीदी बस मुझे न पुस्तकालय से एक किताब लेनी थी ,मैं महेश से पूछ रही थी क्या वो मेरे साथ चलेगा ,इतने बड़े पुस्तकालय में अकेले जाते मुझे डर लगता है " रिया अटकते हुए जवाब देती है । 
"ठीक है महेश रिया का ध्यान रखना कहीं कोई साँप न इसे काट ले" सोनाक्षी महेश से कहती है । 
इस तरह रिया और महेश दिनेश को एंजला और सोनाक्षी के साथ पार्क में छोड़कर बाहर आ जाते हैं ।
महेश(पार्क से बाहर निकलने के बाद)- तुम्हें यकीन है कि गुरु जी ने अहिल्या की जो कहानी बताई है वो पूरी नहीं है ? 
रिया-हाँ ,पक्का यकीन है ।
महेश-कैसे?
रिया -याद है ना कि कहानी में काम अहिल्या की इज़्ज़त नहीं लूट पाता ?
महेश-हाँ ,पर इससे यह कैसे साबित होता है कि गुरु जी ने हमें पूरी कहानी नहीं बताई ? 
रिया-अरे बुद्धु याद नहीं कि आकाश वाणी में साफ-2 कहा गया कि जाओ और अहिल्या का शील उसे वापिस करो ।
महेश-हाँ यह तो है ।पर पूरी कहानी मिलेगी कंहाँ ?
रिया-प्रतिबंधित पुस्तकालय में।
महेश-जो तहखाने में है ?
रिया -हाँ ।
महेश -पर तहखाने पर तो ताला है अंदर कैसे जाएंगे?
रिया-ताला तो मैं जादू से खोल दूँगी ।
महेश-आश्रम में जादू करना मना है ।
रिया-पता ही नहीं चलेगा किसी को , तू डरपोकों वाली बात मत जल्दी चल इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा ।
महेश तहखाने में जाने से तो डर रहा था पर सफेद बटनों वाली कमीज और गुलाबी स्कर्ट से झाँकते उसके सुडौल अँगों को देखकर उसका मन बदल जाता है और फिर दिल में उसके यह बात भी थी कहीं रिया को वँहा कुछ हो न जाये इसलिए वो रिया के साथ जाने को त्यार हो जाता है । 
तहखाना आश्रम की तीन मंजिला इमारत के दो मंज़िल नीचे था । रिया और महेश किसी तरह तहखाने की तरफ जाने वाली सीढ़ी ढूंढते हैं और नीचे उतरते हैं । नीचे अंधकार ही अंधकार होता है रिया जादू का प्रयोग कर रोशनी करती है तो उन्हें वँहा तीन बन्द दरवाजे मिलते हैं पर ताला किसी पर नहीं होता ।"देख लो तुम ऐसे ही डर रहे थे यँहा तो कोई ताला नहीं है" रिया खुश होते हुए कहती है ।
महेश-मुझे तो डर लग रहा है यार चलो यँहा से चलते हैं ।
रिया(पहले दरवाजे को खोलते हुए) -तुम ऐसे ही डरते हो ।
महेश(हँसते हुए)-वाह दरवाजे के पीछे दीवार ,लो अब करो जादू दीवार पे ।
रिया(चिढ़ते हुए)- बातें मत करो जल्दी दूसरा दरवाजा खोलो ।
महेश दूसरे दरवाजे के पास जाता है और उसके हैंडिल को दोनों हाथों से  पकड़ के दरवाजा खोलने की कोशिश करता है ,खटाक की जोरदार आवाज़ होती है पर दरवाजा खुलने के बजाए कहीं से दरवाजे पर एक हड्डियों का हाथ प्रकट हो जाता है और महेश के हाथों को जकड़ लेता है ।
 "मरा रे मरा.... रिया पाप लगेगा तुझे ....तेरे कारण मैं कुँवारा ही मरने जा रहा हूँ " महेश चिल्लाता है । 
"डर मत यार अभी खोलती हूँ मैं इस हाथ को" रिया महेश के पास जाते हुए कहती है । वो ताकत से लेकर अपने सारे जादू लगा कर देख लेती है पर हड्डियों के हाथ से महेश के हाथ नहीं छुड़वा पाती है ।
"महेश यह पक्का पहेलियों वाला जादू है" रिया जैसे ही यह शब्द बोलती है दरवाजे पर कुछ शब्द उभर आते हैं ,रिया और महेश उन्हें एक साथ पढ़ते हैं -
"सोचो और खुल जाए दरवाजा इसलिए दो सही जवाब वरना कटेगा इसका सिर ताज़ा ताज़ा" 
महेश-रिया मैं अभी मरना नहीं चाहता ,किस मुसीबत में फंसा दिया तूने ।
रिया आगे पढ़ती है " कौनसी है ऐसी चीज़ जो जाती तो स्त्री के मुख में है सख्त, पर सारा रस छोड़ हो जाती है नरम"
महेश-रिया मैं तुझे बता रहा हूँ आज मेरा सिर कट के रहेगा , ऐसी कोई चीज़ नहीं होती जो रस छोड़कर नरम हो जाती हो 
रिया-चुप कर डफर मुझे सोचने दे ।
महेश-जल्दी कर न जंड देवी नहीं तो कट जाएगा मेरा सिर ।
रिया -क्या कहा तूने मुझे ?
महेश-देवी ।
रिया -उससे पहले यार।
महेश-जल्दी कर न।
रिया -नहीं उसके बाद 
महेश-जंड।
रिया -वाह तूने तो मुझे जवाब दे दिया ।
महेश-जंड है जवाब?
रिया-नहीं लन्ड है जवाब । 
दरवाजे पर अगला सवाल उभरता है " एक आम ऐसा जो काटा न जाए, तोड़ा न जाए ,खाया न जाए और चूसो तो निकले दूध" 
महेश(तपाक से जवाब देता है)-ऐसा फल है स्त्रियों के स्तन ।
रिया -बड़ी जल्दी जवाब दे दिया ,कैसे पता था तुझे इसका जवाब ।
महेश-इस सवाल का जवाब तो कोई बच्चा भी दे सकता था । 
रिया अगला सवाल पढ़ती है " बिना प्रयोग किए कोई मापक बताना है तुझे इसके लिंग का नाप " ।सवाल पढ़ने के बाद उसके सुंदर चेहरा शर्म से लाल हो जाता है । महेश और वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को घूरते रह जाते हैं ।
रिया(खामोशी तोड़ते हुए)-कितना लम्बा है तेरा लिंग ?
महेश-कभी नापा नहीं ।
रिया-कोई काम नहीं करता तू ।
महेश-लन्ड कौन नापता है यार । 
रिया-सोच क्या रहा बाहर निकाल ,मैं लम्बाई का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करती हूँ।
महेश (अपने जकड़े हुए हाथों की तरफ इशारा करते हुए)-मैं कैसे निकालूँ ?
रिया बेचारी शर्म से लाल हो जाती है कि अब उसे महेश की पैंट खोलकर उसके लिंग को बाहर निकालना होगा ।अपने सपनों में उसने महेश के लम्बे चौड़े शरीर को सोचकर उसके लन्ड का आकार सोचा था पर आज वो सच में देखने जा रही थी उसकी दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं । वो शर्माते-2 और अपनी नज़रें झुकाए महेश के पास आती है ताकि उसकी और महेश की नजरें न मिल सकें । रिया की इतना डरता देख महेश को उस पर तरस आ जाता है वो सोचता है किसी मासूम लड़की यह काम कैसे करेगी "रिया रहने दे यार जो होगा देखा जाएगा" वो कहता है  । महेश कि यह बात सुनकर रिया को खुद पर गुस्सा आने लगता यह सोचकर कि महेश उसके लिए मरने को भी तैयार है और वो उसके लिए उसका लन्ड नापने में भी झिझक रही है । 
रिया जल्दी से महेश की पैंट खोल उसका कच्छा नीचे सरका देती है । महेश का काला लन्ड आज़ाद होकर हवा में हिलने लगता है मुरझाई अवस्था में भी एक मध्यम आकार के केले जितना लम्बा और मोटा था । "कितना आकर्षक है इसका लिंग " रिया मन में सोचती है । 
रिया-खड़ा करो इसे ।
महेश-नहीं हो रहा वैसे तो तुमको देखते ही मेरा......।
रिया -अच्छा अच्छा ठीक है वो उसकी बात को बीच में काट देती है । कुछ कामुक सोचो यार तभी खड़ा होगा न ।
महेश-यँहा जान के लाले पड़े हैं , मैं मरने वाला हूँ तो कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा । 
रिया-कैसे खड़ा होगा यह ?
महेश-हिलाने से ।
रिया-उसके इलावा ।
महेश-कामुक ,नंगी तस्वीरों को देखने से । 
रिया -वो मैं कँहा से लाऊं यँहा । मुझे नंगा देखने से काम चल जाएगा ?
[Image: Collage-Maker-20181208-222950608.jpg]
महेश(खुश होते हुए, रिया की बात सुनने भर से ही उसका लिंग आकार लेने लगा था)- हम्म ।
रिया आँखे बंद करती है और फिर  अपनी शर्ट के बटन खोलती है ,और उसे उतार देती है अब उसके बदन पर केवल बनियान थी जिसमें से उसके गुबारों जैसे बड़े बड़े मम्में और उनकी उभरी हुई सख्त चुचियाँ साफ नजर आ रही थी "कितने बड़े और खूबसूरत हैं तुम्हारे स्तन रिया" महेश के मुँह से शब्द अनजाने में ही निकल पड़ते हैं ।रिया शर्म से लाल हो जाती है "बकवास मत करो यह बताओ कि काम हुआ या नहीं " वो दिखावटी गुस्सा करते हुए कहती है । "कुछ हुआ है" वो जवाब देता है पर रिया को केवल हुआ है सुनाई देता है वो जल्दी से आँखे खोलती है और अपने सामने महेश के आधे खड़े लन्ड को देखती है तो उसकि लम्बाई और मोटाई देखकर रिया का मुँह खुला का रह जाता है ।
रिया-चलो यह काम तो हुआ अब इसका नाप लेने का कोई तरीका खोजना होगा । 
महेश-अभी तो आधा ही खड़ा हुआ है यार ।
रिया(हैरानी से)-इससे बड़ा क्या होगा ।
महेश(उसको लगता है रिया समझ रही है कि वो झूठ बोल रहा है)-माँ कसम और बड़ा होगा ,तन के बिल्कुल सीधा हो जाता है अभी तो मुडा है । 
रिया-तंग आ गयी हूँ यार मैं । इस सब को जल्दी खत्म करना होगा आओ मैं इसे हिलाकर ही खड़ा करती हूँ । 
ठीक इसी समय सीढ़ियों पे किसी की आहट होती है रिया और महेश दोनों डर जाते हैं आवाज़ धीरे धीरे उनके पास आती जाती है रिया और महेश को लगता है कि आज हो न हो उनको यँहा इस अवस्था में पकड़ लिया जाएगा और उन्हें आश्रम से निकाल दिया जाएगा दोनों डर से जैसे जम ही जातें और आवाज़ पास आती जाती है ..।

Majedar ...... Magic World ....

bht he accha likha hai ......
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#39
Thnx dear
Visit my story thread-:https://xossipy.com/thread-609.html
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#40
(06-12-2018, 12:44 PM)Tanu Wrote: Update 1.

कहानी की भूमिका -

दोस्तों आप सब को मेरी और से नमस्ते , कहानी शुरु होने से पहले मैं चाहती हूँ कि आपको इसकी विषयवस्तु से अवगत करवा दूँ । मेरी यह कहानी पौराणिक कथा (जैसे लॉर्ड्स ऑफ रिंग या हॉबिट)के रूप में होगी । यह आज से लगभग 5000 साल पहले की दुनियाँ के विषय में है जब जादू,भूत-प्रेत,दानव, परियां, राक्षस आम हुआ करते थे ।तब दुनियां चार भागों में बटी हुई थी -
              1.एल्फ़स जो सबसे शक्तिशाली थे और धरती के ध्रुवों पर रहते थे । उनके राज्य को हीवुड के नाम से जाना गया ।
               2.इंसान जो धरती पर रहते थे । जिनके राज्य को बिवुड कहा गया।
               3.बौने जो -पहाड़ो में गुफाएं बना कर रहते थे ।इनके राज्य को स्टोन वुड कहा गया 
               4.चौथे -प्रेत-राक्षस-दानव-गोबलिन्स-और प्रेत जो धरती के अंदर ,धरती के मध्यबिंदु के पास रहते थे । इनके राज्य को नरक कहा गया ।
कोई समय था जब इन चारों राज्यों में मैत्री थी और दुनिया में अमन था और हर कोई खुश था ,पर एक दिन एक देवता जिसका नाम "काम" था अपनी पत्नी "वासना" के साथ बैठा था और और बातों ही बातों में उसने वासना से कहा देवी वासना तुम्हें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि तुम्हें मेरे जैसा पति मिला हैं ,जो सब पतियों में श्रेष्ठ है। 
वासना -ऐसा क्यों भला ? तुम भी सभी पतियों की तरह हो ।
काम-मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इस संसार की किसी भी सुंदरी को मैं भोग सकता हूँ पर क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ इसलिए मैं ऐसा करता हूँ । 
वासना-यह नामुमकिन है तुम संसार की हर स्त्री को नहीं भोग सकते वासना ने स्त्री द्वेष से कहा ।
काम (इसे अपने परुषार्थ का अपमान समझता है)-मैं इस धरती को साक्षी मानकर प्रण लेता हूँ कि तुम जिस स्त्री की तरफ इशारा करोगी जबतक मैं उस स्त्री को भोग नहीं लेता अन और जल ग्रहण नहीं करूंगा । 
वासना पूरी धरती को अपनी शक्तियों के द्वारा छानमारा और एक शीलवान और पतिनिष्ठ स्त्री खोज ली । इस स्त्री का नाम अहिल्या था । अहिल्या एक बेहद ज्ञानी और ताकतवर गुरु विश्वा की पत्नी थी । अहिल्या बेहद सुंदर थी , ढूध सा गोरा रंग  ,नींली आंखें , पतला और छोटा तराशा हुआ नाक , दिल के आकार का फेस कट ,छोटे पर भरे-भरे होंठ जो ऊपर की और उठे हुए थे ,पतली मुलायम गर्दन जिसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि वो पानी पीती तो पानी साफ नजर आता । 38d के आकार बड़े -बड़े   गोलाकार स्तन जो सामने की तरफ से किसी गेंद की भांति आगे को उभरे हुए थे जिनपर गुलाबी गुलाबी बेरों के आकार की चुचियाँ थीं ,20 इंच की पतली सी कमर और पेट पर दिल के आकार की नाभि जैसे उसकी सुंदरता में कोई कमी रह गयी हो यह सोचकर ईश्वर ने उसे 38 के आकार के नितंबों से पूरी कर दी हो ।
देवी वासना ने जिस पल देव काम को अहिल्या दिखाई ,काम ने सोच लिया था किसी भी कीमत पर वो इस सुंदरी को भोगकर रहेगा और जब देव काम ने अपनी दैवी दृष्टि से अहिल्या की योनि को देखा तो उसका यह निर्णय प्रण में बदल गया । अहिल्या की योनि का मुख स्त्री के होठों की भांति बंद था ,मुख के अंदर कमल के फूल की आकार की पंखुड़ियों के समान सुर्ख गुलाबी रंग की दो पंखुड़ियां थी जिनके ऊपर की तरफ काजू के आकार का भखदाना, आजतक उसने जितनी भी योनियों में अपना 15इंच लम्बा और 5 इंच मोटा लिंग डाला था वो 10इंच से ज्यादा गहरी न थी पर अहिल्या की योनि पूरे 14 इंच गहरी थी ।देव काम यह सोचकर ही पागल हुआ जा रहा था कि जब उसका लिंग पूरा का पूरा अहिल्या की योनि के अंदर होगा तो उसे कितना आनंद आएगा । 
काम जनता था कि अहिल्या से बड़ी शीलवान स्त्री न कोई हुई है और न होगी क्योंकि उसे पता चला कि की केवल धरती ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड के सुंदर से सुंदर , बलवान से बलवान और बुद्धिमान से बुद्धिमान पुरुष को अहिल्या ठुकरा चुकी है और अहिल्या के पति गुरु विश्वा के रहते उसका बल भी काम नहीं आएगा इसलिए उसने छल का प्रयोग किया ।
एक दिन सुबह चार बजे जब गुरु विश्वा स्नान के लिए निकले तो देवी वासना ने उन्हें छल से कहीं और ले गयी ,क्योंकि वासना एक देवी थी विश्वा उसके साथ दिन भर चलते रहे ।
दूसरी तरफ जैसे ही गुरु विश्वा घर से निकले देव काम गुरु विश्वा का रूप धारण करके उनके घर में घुस गया ।  गुरु विश्वा 6.5 फुट ऊँचे और मजबूत बदन वाले पुरुष थे देव काम को इसका ख्याल नहीं रहा और दरवाजे से अंदर आते हुए उसका सिर चौखट से टकरा गया । खटके की आवाज़ से अहिल्या दौड़ती हुई आई औऱ उसने देव(अब उसे मैं यही लिखूँगी) जो उसके पति के रूप में था उसे थामते हुए बोली "ज्यादा चोट तो नहीं लगी" । केवल झीने सफेद अंगवस्त्र में होने के कारण देव उसका अंग-2 देख सकता था जिस कामुक बदन को पाने का सपना पूरा संसार देखता वो उसकी बाहों में था । "नहीं" उसने अहिल्या के गुलाबी होंठों को चूमते हुआ कहा जो चीनी से भी मीठे थे । "छोड़िए न हमें ,मुझे आपके लिए पूजा की सामग्री त्यार करनी है" अहिल्या सकुचाते हुए कहा (अहिल्या का विवाह गुरु विश्वा से एक वर्ष पूर्व हुआ था ,पर गुरु विश्वा ने व्रत लिया था कि जब तक वो ईश्वर को प्रसन्न नहीं कर लेते अपनी को छुएँ गे भी नहीं) । "मेरी आराध्य और ईश्वर तुम हो अहिल्या आज से मैं तुम्हारी पूजा करूँगा" देव ने अहिल्या की मखमली गर्दन को चूमते हुए कहा । "छोड़िए न ,आपका व्रत टूट जाएगा" अहिल्या ने शर्माते हुए कहा । "तो टूट जाए ,मेरा प्रेम तुम्हारे लिए किसी भी व्रत से बढ़कर है जब मैं तुम्हारे इस भरपूर यौवन को देखता हूँ तो मुझे ग्लानि होती है कि मैं तुम्हें संभोग के सुख नहीं दे पा रहा इसीलिए आज मैं इस व्रत को तोड़ दूँगा " देव ने अहिल्या के अंग वस्त्र को खोलते हुए कहा । 
अहिल्या का वस्त्र भूमि पर गिर गया और उसके सुन्दर सुडौल और फुटबॉल कि गेंद जितने बड़े बड़े स्तन नंगे हो गए , देव देखा कि अहिल्या की काया इतनी चौड़ी न थी  बल्कि उसके  स्तन कुछ ज्यादा ही बड़े थे ऐसा मानो की एक छरहरी काया की स्त्री के शरीर पर तरबूज लगा दिए हों । 
अहिल्या ने शर्म के मारे झट से अपने कोमल छोटे हाथ अपने स्तनों पर रख दिये  और दूसरी और घूम गयी । देव ने आगे बढ़कर अहिल्या को उसकि पतली कमर से पकड़ते हुए अपना लिंग उसके मोटे नितंबों के बीच लगा दिया और अहिल्या के कंधों को चूमते हुए बोला "तुम नहीं चाहती कि तुम्हारा पति तुम्हारा भोग करे जो इतना लज्जाशील हो रही हो?"
अहिल्या(अपनी गाँड़ के बीचोबीच लिंग को महसूस करते हुए)-आप नहीं जानते कि हर रात को जब मैं आपका अपनी भुझा से लम्बा और मोटा लिंग देखती हूँ,जिसका लन्ड मुंड ही 5 इंच से अधिक मोटा है तथा आधा किलो की कुकरमुते जैसा लगता और आपके संतरो से भी मोटे और बड़े अण्डकोष देखकर मेरी क्या हालत होती है मैं ही जानती हूँ ,पर मैं आपका व्रत नहीं तुड़वाना चाहती आपका व्रत मेरा व्रत है ।
देव अहिल्या के मुँह से गुरु विश्वा के लिंग की प्रशंसा सुनकर जलभुन गया उसने सोचा था कि उसका लिंग विश्वा का लिंग उसके लिंग से छोटा ही होगा । यही सोचकर उसने अपना रूप तो बदल लिया था परँतु लिंग का आकार नहीं । इसलिए उसने जल्दी अपने लिंग का तथा अण्डकोषों का आकार भी विश्वा जैसा कर लिया । अहिल्या को लगा मानो लिंग उनकी लुंगगियों को फाड़ता हुआ उसके गुदा छेद में समा जाएगा । वो अहिल्या के बड़े-बड़े स्तनों को दबोचते हुए बोला "तुम मेरे लिंग की प्रशंसा तो कर रही हो परँतु क्या इसे सहन भी कर पाओगी ?" 
अहिल्या-आह...ओह माँ इतना ज़ोर से क्यों दबाते हैं स्वामी यह काया मैंने 7 साल एक कठिन व्रत रखकर केवल आपके लिए ही तो पाई ।
अब देव खुद को रोक न पाया और उसने फूलों सी नाज़ुक अहिल्या को गोद में उठा लिया और शयनकक्ष की ओर चल पड़ा । अहिल्या ने जैसे ही देव कि आँखों में देखा वो उसकि आँखों मे प्रेम की जगह केवल वासना और वासना देखकर समझ गयी कि यह कोई मायावी है जो उसके स्वामी का रूप धरकर आया है "नीच छोड़ दे मुझे" वो देव की पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए चिल्लाई ,परँतु देव की बलशाली पकड़ से छूट न पाई । देव उसे शयनकक्ष में ले आया और उसे बिस्तर पर फेंकते हुए बोला " सुंदरी तुम बेशक शीलवान हो पर आज यह शील तुम्हारे किसी काम न आएगा आज तो मैं तुम्हें भोगकर ही यँहा से जाऊँगा" यह कहकर देव निर्वत्र हो गया और अपने असली रूप में आते हुए डर मारे बिस्तर के कोने में सिमटी बैठी अहिल्या कि और बढ़ने लगा । अहिल्या उसे अपने 15इंच लंबे और 5 इंच मोटे लिंग के साथ अपनी और बढ़ते देखती रही वो न हिली न डुली मानों पत्थर बन गयी हो । पर काम वासना में इतना लिप्त हो चुका था कि वो इस अलौकिक घटना को समझ न सका और उसने जैसे ही अहिल्या को छुआ वो भस्म हो कर तीन अंगुठियों में बदल गया । दूसरी और ठीक इसी वक्त गुरु विश्वा के साथ छल कर रही वासना पर बिजली गिरी और वो भस्म होकर दो अंगुठियों में बदल गयी । और एक आकाश वाणी गुरु विश्वा को सुनाई दी "वत्स आज काम ने अहिल्या का भोग करने के लिए वासना का सहारा लेकर तुम्हें छला है ,इसिलए मैंने दोनो को पांच दिव्य अंगुठियों में बदल दिया है एक समय चक्र की है ,दूसरी काया की ,तीसरी गति की,चौथी असँख्य शक्तियों की ,और पांचवी अपार धन की, तुम संसार में शकितयों के संतुलन के लिए जो व्रत कर रहे थे वो पूर्ण हुआ , अब यह हनहोनी जो घटी है उसे ठीक करो ,तथास्तु" । इसके बाद गुरु विश्वा ने समय चक्र की पीछे घुमाया औऱ देव काम का तथा उसकी पत्नी वासना का वध कर अपनी पत्नी के शील को भंग होने से बचा लिया । लेकिंन उसके बाद इन शक्तिशाली अंगुठियों को पा कर सारी धरती पर अपना राज कायम करने की ऐसी होड़ लगी कि चारों राज्य एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे ।
जादूगर द्रोण ने अपनी कहानी खत्म की और अपने शिष्यों रिया सेन, महेश और दिनेश को देखकर बोले कोई प्रशन हो तो पूछ लो ।

जारी........

(08-12-2018, 10:34 PM)Tanu Wrote: अपडेट 4-एक तहखाना


सोनाक्षी कि दास्तान खत्म करने के द्रोण कि तरफ देखा जो इस समय अपना लन्ड हिला रहा था । इसका कुछ नहीं हो सकता द्रोण ने मन में सोचा ।
माल्या-यार तूने तो मूड बना दिया ,कसम दोस्ती की मेरा काम करवा दे तो जो तू बोले वो तेरा । 
द्रोण-यार पहले खाना-वाना खा लेते हैं तुझे तो व्यापार और चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नही हैं ।
माल्या-सही कहा तूने यार मैं कमाता इसलिए हूँ के चोद सकूँ और चुदाई इसलिए करता हूँ कि पैसे खर्च कर सकूँ ।
द्रोण-यह सब तो ठीक है पर इस सब में अपनी बेटी को घसीटना सही है क्या ?
माल्या-इसकी माँ को मैंने कई करोडों का दहेज देकर पाया था ,इससे वसूल भी तो करना है। यार मैं बिवुड की राजधानी में एक आलीशान रंडीखाना खोलना चाहता हूँ तू इसके लिए मुझे इज़ाज़त दिलवा दे ।
द्रोण-पाटलिपुत्र में तो कोठे पहले ही बहुत है तू भी खोल ले मना कौन करता है ?
माल्या-रंडी खाने हैं पर उनमें जाता कौन है ? कोई अमीर और इज़्ज़त दार वँहा जाने से पहले दस बार सोचता है । मैं ऐसा रंडी खाना खोलूँगा जो सिर्फ़ अमीर लोगों के लिए होगा देश विदेश की रंडियां होंगी उसमें इसके साथ-साथ अगर किसी महिला को मर्द चाहिए तो एक से एक चौदु रखूँगा । और जो सिर्फ देखना चाहते हैं उनके लिए चुदाई के शो होंगे प्राइवेट कैबिन में बैठो और मज़े लो ।
द्रोण-इसमें दिक्कत क्या है ? 
माल्या-पहली दिक्कत तो यह है कि राजा नहीं मान रहा दूसरी दिक्कत यह है कि मेरे पर कई करोड़ का कर्जा था राजा का जो मैं बिना दिए हीवुड चला गया ,इसलिए 
मंजूरी नही मिल रही हालांकि अब मैं सारा कर्ज़ा चुकाने के लिये तैयार हूँ ।
द्रोण-तो इसमें मैं तो कुछ नहीं कर सकता ।
माल्या-यार सब तू ही कर सकता है , तेरा वो शिष्य जान राजा का आर्थिक सलाहकार जो है ।
द्रोण-नहीं यार मैं इस तरह किसी भी सरकारी बंदे पर दबाव नही डाल सकता ।
माल्या-यार तू बस काम शुरू करवा दे जिसको जो भी देना हो मैं दूँगा । 
द्रोण-देखते हैं क्या हो सकता है । मेरे अभी ध्यान लगाने का समय है रात में बात करते है ।
द्रोण उठकर अपने कक्ष में चले जाते हैं और माल्या वहीं बैठा सोचता रहता कि आगे क्या किया जाए ।
दूसरी तरफ सोनाक्षी एंजेला बेबी को आश्रम घुमा रही थी । दोनो अब तक अच्छी दोस्त बन चुकी थीं और अब सोनाक्षी एंजेला को आश्रम के पीछे बने एक बड़े से बगीचे में घुमा रही थी तभी उनकी नज़र बगीचे के बीचोबीच बैठे रिया ,महेश और दिनेश पर पड़ी जो आपस मे बातें कर रहे थे । 
एंजला-यह कौन है ?
सोनाक्षी-गुरु जी के शिष्य ।
एंजला-गुरु जी शिक्षा भी देते हैं ?
सोनाक्षी-हाँ ,वो हर विषय की शिक्षा देते हैं पर उन्हें ही जो उनके दिल को भाते हैं ,वरना सालों अकेले ही तप करते हैं ।
एंजला-अगर मैं भी व्यापारी की बेटी न होती तो इस आश्रम में रह जाती ।
सोनाक्षी- गुरु जी पर भरोसा रखो वो सब सही करेंगे । उनके पास आए हुए दुखियारे को अपनी बात कहने की भी ज़रूरत नहीं पढ़ती और वो सब समझ लेते हैं ।चलो तुम्हें इन तीनों से मिलवाती हूँ ।
एंजला-भगवान करे ऐसा ही हो ।
सोनाक्षी एंजला का परिचय रिया ,दिनेश और महेश से करवाती है । और उन तीनों का एंजला से ।
[Image: Collage-Maker-20181208-222819993.jpg]
तभी रिया महेश के कान में कुछ कहती है ।"भई क्या फुसफुसाहट हो रही है ?" सोनाक्षी रिया को आँख मारते हुए पूछती है । 
"कुछ नहीं दीदी बस मुझे न पुस्तकालय से एक किताब लेनी थी ,मैं महेश से पूछ रही थी क्या वो मेरे साथ चलेगा ,इतने बड़े पुस्तकालय में अकेले जाते मुझे डर लगता है " रिया अटकते हुए जवाब देती है । 
"ठीक है महेश रिया का ध्यान रखना कहीं कोई साँप न इसे काट ले" सोनाक्षी महेश से कहती है । 
इस तरह रिया और महेश दिनेश को एंजला और सोनाक्षी के साथ पार्क में छोड़कर बाहर आ जाते हैं ।
महेश(पार्क से बाहर निकलने के बाद)- तुम्हें यकीन है कि गुरु जी ने अहिल्या की जो कहानी बताई है वो पूरी नहीं है ? 
रिया-हाँ ,पक्का यकीन है ।
महेश-कैसे?
रिया -याद है ना कि कहानी में काम अहिल्या की इज़्ज़त नहीं लूट पाता ?
महेश-हाँ ,पर इससे यह कैसे साबित होता है कि गुरु जी ने हमें पूरी कहानी नहीं बताई ? 
रिया-अरे बुद्धु याद नहीं कि आकाश वाणी में साफ-2 कहा गया कि जाओ और अहिल्या का शील उसे वापिस करो ।
महेश-हाँ यह तो है ।पर पूरी कहानी मिलेगी कंहाँ ?
रिया-प्रतिबंधित पुस्तकालय में।
महेश-जो तहखाने में है ?
रिया -हाँ ।
महेश -पर तहखाने पर तो ताला है अंदर कैसे जाएंगे?
रिया-ताला तो मैं जादू से खोल दूँगी ।
महेश-आश्रम में जादू करना मना है ।
रिया-पता ही नहीं चलेगा किसी को , तू डरपोकों वाली बात मत जल्दी चल इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा ।
महेश तहखाने में जाने से तो डर रहा था पर सफेद बटनों वाली कमीज और गुलाबी स्कर्ट से झाँकते उसके सुडौल अँगों को देखकर उसका मन बदल जाता है और फिर दिल में उसके यह बात भी थी कहीं रिया को वँहा कुछ हो न जाये इसलिए वो रिया के साथ जाने को त्यार हो जाता है । 
तहखाना आश्रम की तीन मंजिला इमारत के दो मंज़िल नीचे था । रिया और महेश किसी तरह तहखाने की तरफ जाने वाली सीढ़ी ढूंढते हैं और नीचे उतरते हैं । नीचे अंधकार ही अंधकार होता है रिया जादू का प्रयोग कर रोशनी करती है तो उन्हें वँहा तीन बन्द दरवाजे मिलते हैं पर ताला किसी पर नहीं होता ।"देख लो तुम ऐसे ही डर रहे थे यँहा तो कोई ताला नहीं है" रिया खुश होते हुए कहती है ।
महेश-मुझे तो डर लग रहा है यार चलो यँहा से चलते हैं ।
रिया(पहले दरवाजे को खोलते हुए) -तुम ऐसे ही डरते हो ।
महेश(हँसते हुए)-वाह दरवाजे के पीछे दीवार ,लो अब करो जादू दीवार पे ।
रिया(चिढ़ते हुए)- बातें मत करो जल्दी दूसरा दरवाजा खोलो ।
महेश दूसरे दरवाजे के पास जाता है और उसके हैंडिल को दोनों हाथों से  पकड़ के दरवाजा खोलने की कोशिश करता है ,खटाक की जोरदार आवाज़ होती है पर दरवाजा खुलने के बजाए कहीं से दरवाजे पर एक हड्डियों का हाथ प्रकट हो जाता है और महेश के हाथों को जकड़ लेता है ।
 "मरा रे मरा.... रिया पाप लगेगा तुझे ....तेरे कारण मैं कुँवारा ही मरने जा रहा हूँ " महेश चिल्लाता है । 
"डर मत यार अभी खोलती हूँ मैं इस हाथ को" रिया महेश के पास जाते हुए कहती है । वो ताकत से लेकर अपने सारे जादू लगा कर देख लेती है पर हड्डियों के हाथ से महेश के हाथ नहीं छुड़वा पाती है ।
"महेश यह पक्का पहेलियों वाला जादू है" रिया जैसे ही यह शब्द बोलती है दरवाजे पर कुछ शब्द उभर आते हैं ,रिया और महेश उन्हें एक साथ पढ़ते हैं -
"सोचो और खुल जाए दरवाजा इसलिए दो सही जवाब वरना कटेगा इसका सिर ताज़ा ताज़ा" 
महेश-रिया मैं अभी मरना नहीं चाहता ,किस मुसीबत में फंसा दिया तूने ।
रिया आगे पढ़ती है " कौनसी है ऐसी चीज़ जो जाती तो स्त्री के मुख में है सख्त, पर सारा रस छोड़ हो जाती है नरम"
महेश-रिया मैं तुझे बता रहा हूँ आज मेरा सिर कट के रहेगा , ऐसी कोई चीज़ नहीं होती जो रस छोड़कर नरम हो जाती हो 
रिया-चुप कर डफर मुझे सोचने दे ।
महेश-जल्दी कर न जंड देवी नहीं तो कट जाएगा मेरा सिर ।
रिया -क्या कहा तूने मुझे ?
महेश-देवी ।
रिया -उससे पहले यार।
महेश-जल्दी कर न।
रिया -नहीं उसके बाद 
महेश-जंड।
रिया -वाह तूने तो मुझे जवाब दे दिया ।
महेश-जंड है जवाब?
रिया-नहीं लन्ड है जवाब । 
दरवाजे पर अगला सवाल उभरता है " एक आम ऐसा जो काटा न जाए, तोड़ा न जाए ,खाया न जाए और चूसो तो निकले दूध" 
महेश(तपाक से जवाब देता है)-ऐसा फल है स्त्रियों के स्तन ।
रिया -बड़ी जल्दी जवाब दे दिया ,कैसे पता था तुझे इसका जवाब ।
महेश-इस सवाल का जवाब तो कोई बच्चा भी दे सकता था । 
रिया अगला सवाल पढ़ती है " बिना प्रयोग किए कोई मापक बताना है तुझे इसके लिंग का नाप " ।सवाल पढ़ने के बाद उसके सुंदर चेहरा शर्म से लाल हो जाता है । महेश और वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे को घूरते रह जाते हैं ।
रिया(खामोशी तोड़ते हुए)-कितना लम्बा है तेरा लिंग ?
महेश-कभी नापा नहीं ।
रिया-कोई काम नहीं करता तू ।
महेश-लन्ड कौन नापता है यार । 
रिया-सोच क्या रहा बाहर निकाल ,मैं लम्बाई का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करती हूँ।
महेश (अपने जकड़े हुए हाथों की तरफ इशारा करते हुए)-मैं कैसे निकालूँ ?
रिया बेचारी शर्म से लाल हो जाती है कि अब उसे महेश की पैंट खोलकर उसके लिंग को बाहर निकालना होगा ।अपने सपनों में उसने महेश के लम्बे चौड़े शरीर को सोचकर उसके लन्ड का आकार सोचा था पर आज वो सच में देखने जा रही थी उसकी दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं । वो शर्माते-2 और अपनी नज़रें झुकाए महेश के पास आती है ताकि उसकी और महेश की नजरें न मिल सकें । रिया की इतना डरता देख महेश को उस पर तरस आ जाता है वो सोचता है किसी मासूम लड़की यह काम कैसे करेगी "रिया रहने दे यार जो होगा देखा जाएगा" वो कहता है  । महेश कि यह बात सुनकर रिया को खुद पर गुस्सा आने लगता यह सोचकर कि महेश उसके लिए मरने को भी तैयार है और वो उसके लिए उसका लन्ड नापने में भी झिझक रही है । 
रिया जल्दी से महेश की पैंट खोल उसका कच्छा नीचे सरका देती है । महेश का काला लन्ड आज़ाद होकर हवा में हिलने लगता है मुरझाई अवस्था में भी एक मध्यम आकार के केले जितना लम्बा और मोटा था । "कितना आकर्षक है इसका लिंग " रिया मन में सोचती है । 
रिया-खड़ा करो इसे ।
महेश-नहीं हो रहा वैसे तो तुमको देखते ही मेरा......।
रिया -अच्छा अच्छा ठीक है वो उसकी बात को बीच में काट देती है । कुछ कामुक सोचो यार तभी खड़ा होगा न ।
महेश-यँहा जान के लाले पड़े हैं , मैं मरने वाला हूँ तो कुछ दिमाग में आ ही नहीं रहा । 
रिया-कैसे खड़ा होगा यह ?
महेश-हिलाने से ।
रिया-उसके इलावा ।
महेश-कामुक ,नंगी तस्वीरों को देखने से । 
रिया -वो मैं कँहा से लाऊं यँहा । मुझे नंगा देखने से काम चल जाएगा ?
[Image: Collage-Maker-20181208-222950608.jpg]
महेश(खुश होते हुए, रिया की बात सुनने भर से ही उसका लिंग आकार लेने लगा था)- हम्म ।
रिया आँखे बंद करती है और फिर  अपनी शर्ट के बटन खोलती है ,और उसे उतार देती है अब उसके बदन पर केवल बनियान थी जिसमें से उसके गुबारों जैसे बड़े बड़े मम्में और उनकी उभरी हुई सख्त चुचियाँ साफ नजर आ रही थी "कितने बड़े और खूबसूरत हैं तुम्हारे स्तन रिया" महेश के मुँह से शब्द अनजाने में ही निकल पड़ते हैं ।रिया शर्म से लाल हो जाती है "बकवास मत करो यह बताओ कि काम हुआ या नहीं " वो दिखावटी गुस्सा करते हुए कहती है । "कुछ हुआ है" वो जवाब देता है पर रिया को केवल हुआ है सुनाई देता है वो जल्दी से आँखे खोलती है और अपने सामने महेश के आधे खड़े लन्ड को देखती है तो उसकि लम्बाई और मोटाई देखकर रिया का मुँह खुला का रह जाता है ।
रिया-चलो यह काम तो हुआ अब इसका नाप लेने का कोई तरीका खोजना होगा । 
महेश-अभी तो आधा ही खड़ा हुआ है यार ।
रिया(हैरानी से)-इससे बड़ा क्या होगा ।
महेश(उसको लगता है रिया समझ रही है कि वो झूठ बोल रहा है)-माँ कसम और बड़ा होगा ,तन के बिल्कुल सीधा हो जाता है अभी तो मुडा है । 
रिया-तंग आ गयी हूँ यार मैं । इस सब को जल्दी खत्म करना होगा आओ मैं इसे हिलाकर ही खड़ा करती हूँ । 
ठीक इसी समय सीढ़ियों पे किसी की आहट होती है रिया और महेश दोनों डर जाते हैं आवाज़ धीरे धीरे उनके पास आती जाती है रिया और महेश को लगता है कि आज हो न हो उनको यँहा इस अवस्था में पकड़ लिया जाएगा और उन्हें आश्रम से निकाल दिया जाएगा दोनों डर से जैसे जम ही जातें और आवाज़ पास आती जाती है ..।

Tanu ji itni mst update ke baad kanhan gayeb ho gayi aap ?Jaldi update do
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