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Adultery चुदक्कड़ गाँव की रासलीला
#21
update 19



रामू के लन्ड के झटकों से चंपा की चूत इतनी चिकनी हो गई थी कि हर धक्के के साथ फच फच की आवाज आ रही थी काफी समय तक रामू चंपा को चोदता रहता है , चंपा थक जाती है और एक बार झड़ जाती है



चंपा - आह रामू थोड़ा आराम करने दे मार देगा क्या ? आह



रामू - आह आह करके दो चार धक्के देता है और चंपा के ऊपर ढेर हो जाता है



चंपा की चूत से दोनों के प्रेम रस बेहने लगते हैं



चंपा रामू के बाल सहलाते हुए - बड़ा जानदार है रे तू रामू , चल अब जा यहां से मुझे भूख लगी है



रामू - इतनी जल्दी ! चल पहले मेरा लन्ड चूसके खड़ा कर मुझे एक बार फिर से तेरी सुराख भरनी है



चंपा बहुत चुदासी औरत थी वो थकने वालो में से नहीं थी



चंपा - अच्छा ठीक है देखती हूं कितना दम है तेरे लन्ड में



रामू - बहन की लौड़ी , दम की बात करती है , काफी दिनों से तेरी फुरसत से चुदाई नहीं हुई , साली अब देख तेरा क्या हाल करता हूं



ऐसा बोलते ही रामू अपना लन्ड चंपा के बालों को पकड़ के उसके मुंह में ठूंस देता है और चंपा बड़े ही चाव से उसका लन्ड चूसने लगती है फिर धीरे धीरे रामू का लन्ड फिर से कड़ा होने लगता है रामू के लन्ड से चंपा की चूत कि खुशबू आ रही थी जिसकी वजह से चंपा की चूत के दोनों होंठ लपलपा रहे थे



रामू चंपा को अपनी गोदी में उठाकर बिस्तर पर घोड़ी बना देता है



चंपा - रुक जा रामू क्या कर रहा है , ऊपर आ ना



रामू - चुप साली रण्डी , काम पीछे का है



चंपा - नहीं नहीं रामू देख ऐसा मत कर । वहां बहुत दर्द होता है मर जाऊंगी मैं



रामू चंपा की गान्ड पर हल्के हल्के थप्पड़ मारकर मसलते हुए कहता है - साली पहली बार ले रही है क्या ! खेतों में कितनी बार तेरी गान्ड मार चुका हूं फिर भी इतने नखरे दिखा रही है



चंपा - आह आह नहीं आह



रामू के थप्पड़ अब चंपा की गान्ड पर कुछ ज़्यादा ही जोर से पड़ने लगे थे जिससे उसके चूतड़ लाल हो जाते हैं वो अब मना तो नहीं कर रही थी बस सिसकियां भर रही थी



रामू अपनी दो उंगलिया चंपा की चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगता है जिससे वो चिपचिपी हो जाती है और फौरन वो उन्हें पीछे से चंपा की गान्ड में घुसाने लगता है चंपा का मुंह खुलता चला जाता है और गान्ड की सुराख भी



चंपा - आह रामू मेरे राजा मत कर , रात भर खड़ा करके मार मेरी चूत मै कुछ नहीं बोलूंगी पर गान्ड में मत दाल रामू आह



रामू की दोनों उंगलियां अब जोर जोर से जल्दी जल्दी चंपा की गान्ड में अंदर बाहर होने लगती है और चंपा की सुराख खुलती चली जाती है



चंपा किसी तरह रामू की दो उंगलियों को बर्दाश्त कर रही थी पर रामू बिना कोई चेतावनी दिए ही अपने लन्ड का सूपड़ा चंपा की गान्ड के छेद पर लगा देता है और अपनी उंगलियां बाहर खींचकर अपने लन्ड को अंदर की तरफ पेल देता है



चंपा - आह हरामजादे मर गई रे



चंपा चीख पड़ती है उसकी आंखों से आंसू निकल आते हैं पर बेरहम रामू नहीं रुकता वो अपने लुनद को और गहराई में उतारता चला जाता है



रामू अपने लन्ड को बाहर खींच के अंदर की तरफ ठोक देता है और फिर चंपा की गान्ड मारने लगता है रामू जानता था कि ये साली पहले बहुत चिल्लाती है पर जब इसकी गान्ड एक बार अच्छे से खुल जाती है तो और मारने के लिए कहती है



चंपा धीरे धीरे मस्त होती जा रही थी जोर जोर से चीखने वाली चंपा की आवाज अब सिसकियों में बदल गई थी



चंपा अपनी कमर को और पीछे करके - आह आह मां करके सिसक रही थी , रामू का हर धक्का उसको आगे की तरफ धकेलता पर वो फिर से अपने गान्ड उछालते हुए पीछे की तरफ हो जाती



रामू की रफ्तार अब बढ़ती जा रही थी , रामू आगे की तरफ झुककर चंपा की बड़ी बड़ी चूचियों को पीछे से अपने हाथों में थामकर सटासट अपना लन्ड चंपा की गान्ड में घुसाता चला जाता है - आह मेरी जान चंपा तेरी चूत से ज़्यादा गरम और नरम तो तेरी गान्ड है बहुत मज़ा आ रहा आह ये ले ।



चंपा - आह आह मार ले। मेरे राजा मै तुझे अपना सब कुछ दे चुकी हूं कभी भूलना मत मुझे , अपनी चंपा को ऐसे ही प्यार करना , नहीं रह पाऊंगी मै तेरे लन्ड के बिना आह



रामू का लन्ड चंपा की गान्ड में तूफान मचाने लगता है कुछ समय बाद वो हांफते हुए चंपा की गान्ड में झड़ने लगता है और झड़ने के बाद वो अपने लन्ड को गान्ड से बाहर खींचता है , चंपा की गान्ड की सुराख रामू के प्रेम रस से भरी हुई थी और चंपा बेहोश होके बिस्तर पर पड़ी हुई थी। रामू अपने कपड़े पहन कर चंपा को सीधा करता है और उसके होंठों को चूम कर अपने घर की तरफ निकल जाता है
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#22
Update 20



सुबह रामू करीब ७ बजे सो के उठता है और नहा धोकर नाश्ता करने आंगन में आता है तो देखता है कि सविता के चेहरे पर उदासी के बादल छाए हुए थे और बेला भी बड़ी उदास दिखाई दे रही थी



रामू - क्या बात है मां आप दोनों इतनी उदास क्यों दिखाई दे रही हो?



सविता - रामू तेरे मौसा जी की तबीयत बहुत खराब हो गई है अभी सुबह - सुबह तेरी धन्नो मौसी का फोन आया था , मेरा मन बड़ा घबरा रहा है



रामू - आप चिंता क्यों करती हो मां मै आपको धन्नो मौसी के घर छोड़ आता हूं आपको उनसे बात करके अच्छा लगेगा



बेला - हां मां रामू सही बोल रहा है आप एक बार हो आओ धन्नो मौसी के घर।



सविता - तू भी चलेगा मेरे साथ मै अकेली नहीं जाऊंगी ।



रामू - अच्छा ठीक है पर कितने दिन रहना पड़ेगा?



सविता - १ हफ्ता कम से कम ।



रामू कुछ सोचता है - अच्छा ठीक है पर खेतों का ध्यान कौन रखेगा इतने दिन ?



बेला - तू अपने दोस्त जग्गू से बोल दे ना वो रख लेगा अपने खेतों का ध्यान बस ७ दिन की ही तो बात है



रामू - ठीक है और बेला तू भी चलेगी ना धन्नो मौसी के घर ?



बेला - अरे रामू मै क्या करूंगी वहां जाकर मेरा मन नहीं लगेगा



रामू गुस्से में - यहां अकेली रह के क्या करेगी।



बेला नाराज़ होती हुई - ठीक है



सविता - बेला अपने कुछ कपड़े रख ले और रामू के भी रख लेना



रामू - बस मुझे थोड़ा समय दो मां मै अभी आया फिर हम धन्नो मौसी के घर निकलते है



सविता - कहां जा रहा है ?



रामू तबतक निकल जाता है और सीधा वो हवेली पहुंचता है सेठ हीरालाल हुक्का पी रहा था



रामू - मालिक मुझे कुछ दिन की छुट्टी चाहिए



हीरालाल - काम करते हुए तुझे एक हफ्ता नहीं हुआ तू छुट्टी मांगने लगा



रामू - मालिक मौसा जी की तबीयत बहुत खराब है इसलिए जाना जरूरी है



हीरालाल - ओह वो प्यारेलाल है ना तेरा मौसा



रामू - आपको कैसे पता मालिक ?



हीरालाल - वो तेरे बाप मुरली का चेला था , वो मेरे यहां ही काम करता था जब तेरे बाप की मौत हुई थी तब उसने काम करना छोड़ दिया था , अच्छा तुझे कितने दिन की छुट्टी चाहिए ?



रामू - मालिक बस ७ दिन की



हीरालाल - ठीक है



रामू - शुक्रिया मालिक



फिर रामू वहां से अपने घर की तरफ निकल जाता है और घर आते वक़्त वो जग्गू को भी बोल देता है कि ७ दिन तक वो उसके खेतों का भी ध्यान रखे



रामू जब घर पहुंचता है तो सविता आंगन में एक बक्सा लेके बैठी हुई थी और बेला के हाथ में एक बैग था



सविता - कहां गया था लल्ला?



रामू - ये बस की टिकट लेने गया था आपने सामान रख लिया ना मां



सविता - हां लल्ला



रामू - चलो चलते हैं मां



फिर रामू , ब्ला और सविता घर में ताला लगाकर बस स्टैंड की तरफ निकल जाते हैं



करीब २ घंटे बाद वो धन्नो के गांव पहुंचते है और देखते ही देखते सभी धन्नो के घर पहुंच गए



रामू बाहर से दरवाज़ा खटकाता है कुछ समय बाद अंदर से धन्नो दरवाज़ा खोलती है



धन्नो के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा हुआ था और बाल भी बिखरे हुए थे , ऐसा लग रहा था कि उसकी किसी ने ज़बरदस्त चुदाई की हो



सविता - क्या हुआ दीदी ऐसे क्या देख रही हो !



धन्नो - कुछ नहीं सविता। तुमने बताया नहीं की तुम लोग आज ही आने वाले हो ?



सविता - दीदी सब इतनी जल्दी जल्दी में हुआ की समय ही नहीं मिला कुछ बताने का।



धन्नो - कोई बात नहीं अंदर आ जाओ।



(Update १२ dhanno ke pariwar ka introduction hai padh lena)



फिर तीनों अंदर आते हैं



धन्नो रामू को देखकर बोलती है - अरे रामू कितना बड़ा हो गया है तू



रामू मन में सोचता है - मौसी तू भी अपनी ढलती उम्र में और भी जवान होती जा रही हाई



रामू फिर धन्नो की बड़ी बड़ी चूचियों को घूर घूर कर देखने लगता है



धन्नो रामू की नजरों का पीछा करके भाप लेती है कि रामू की नजर उसकी चूचियों पर है



तभी रसोई से घर की बहू लता चाय लेकर आती है



रामू - नमस्ते भाभी जी



लता - नमस्ते देवर जी ऐसा कहकर लता साइड में खड़ी हो जाती है और अपने पल्लू से अपना सर ढक लेती है



धन्नो गुस्से में - ये क्या है बहू , तुम्हे पता है ना रामू चाय नहीं पीता , जाओ उसके लिए गरम दूध लेकर आओ



लता - माफ करना मां जी , मै अभी लेके आती हूं



रामू - कोई बात नहीं भाभी मैं चाय ही पी लूंगा



धन्नो - यहां क्यों खड़ी है घर के काम कर , इतने काम पड़े हैं कौन करेगा ! तेरा बाप



लता फिर सीधे रसोई में घुस जाती है



सविता - क्या बात है दीदी आप इतना चिल्ला क्यों रही हो बेचारी पर।



धन्नो - बेचारी और ये, कोई बात नहीं है मेरी बन्नो तू इन सबमें मत पड़



फिर रामू सविता और बेला प्यारेलाल (धन्नो का पति) से मिलते हैं , प्यारेलाल की हालत बहुत खराब हो चुकी थी उसको लकवा मार गया था जिसे उसके कमर से नीचे का शरीर बिल्कुल भी काम नहीं करता था वो लोग उससे मिलते है और बातों ही बातों में शाम हो जाती है



फिर घर की औरतें मिलकर रात का खाना बनाती है और रामू अपने बड़े भइया भीमा से मिलने उसके कमरे में आ जाता है भीमा सोकर उठा ही था



रामू - प्रणाम भईया



भीमा - अरे रामू तू कब आया?



Continues....
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#23
Update 21



गांव में जग्गू अपने और रामू के खेतों का ध्यान रख रहा था तभी उसको सामने से ज़हीर आता हुआ दिखा।



जग्गू - क्यों बे भड़वे कहां था इतने दिन ?



ज़हीर - मेरे मामू की शादी थी ना



जग्गू - ओह अच्छा और सुना तेरी बहन लुबना कैसी है ?



ज़हीर - तुझे क्या करना कैसी भी हो



जग्गू - सच बोलूं तो बड़ी चिकनी दिखती है तेरी बहन लुबना , बचपन में छुपा छुपी के खेल में मैंने उसको कसके निचोड़ा है पता नहीं उसको याद भी होगा कि नहीं



ज़हीर - ये क्या बक रहा है तू जग्गू



जग्गू - ये सब छोड़ तू ये बता तूने कोई लड़की पटाई गांव में या नहीं



ज़हीर - माल तो एक से एक हैं गांव में पर कोई भाव नहीं देता।



जग्गू मन में - हां सले तेरी बहन लुबना भी कोई कम नहीं है किसी से , साली एक बार दे दे तो मज़ा आ जायेगा



ज़हीर - क्या सोचने लगा जग्गू ?



जग्गू - कुछ नहीं , वैसे तू क्या करेगा लड़की पटाकर , तुझे तो हम जैसे लडके पसंद है



ज़हीर - हां वो बात भी है जग्गू और ऐसा कहती ही ज़हीर जग्गू क्की जांघ सहलाने लगता है



जग्गू ज़हीर की कमर पर हाथ फेरने लगता है - आज बड़ा दिल कर रहा है ज़हीर



ज़हीर - रामू का खेत पास में है अगर वो आ गया तो हम दोनों की गान्ड मार लेगा



जग्गू - वो सात दिन बाद आएगा , रामू अपनी मौसी के घर गया है



ज़हीर जग्गू की बात सुनके खुश हो जाता है फिर वो दोनों झोपडी में आ जाते हैं



ज़हीर - जल्दी करना जग्गू नहीं तो अम्मी मुझे ढूंढते हुए यहां आ जाएगी और धीरे करना बहुत दुखता है जग्गू



जग्गू - साले नाटक तो ऐसे कर रहा है जैसे तेरी बहन की चूत मांग रहा हूं



फिर जग्गू ज़हीर को अपनी तरफ खींच के झुका देता है



ज़हीर का दिल बहुत जोर से धधकने लगता है पिछले साल शुरू हुए ये खेल अब जग्गू के लिए आए दिन का खेल हो चुका था , बेला जग्गू को देने को तैयार नहीं थी तो जग्गू को ज़हीर से ही काम चलाना पड़ता था और ज़हीर था भी लड़की जैसा गोरा सा बदन , पतली सी कमर और नाजुक नाजुक हाथ



जग्गू भले ही बेला से सच्चा प्यार करता था पर जग्गू की नजर बड़े समय से ज़हीर की बहन लुबना पर भी थी जग्गू सबसे पहले ज़हीर को अपनी उंगली पर नचाना चाहता था वो जानता था कि अगर ज़हीर उसकी मुट्ठी में आ गया तो एक दिन उसकी बहन लुबना भी उसके नीचे आके पीस जाएगी , जग्गू को बेला दे नहीं रही थी इसलिए वो ज़हीर की बजाता रहता था



यहां माहौल कुछ ऐसा बन गया था



ज़हीर - आह आह जग्गू जाने दे ना अब । कोई देख लेगा आह धीरे कर उह आह



जग्गू - देखने दे कुछ नहीं होता । मेरे खेतों में कोई नहीं आता



ज़हीर - आह जग्गू बहुत दर्द होता है तेरे बहुत बड़ा है आह



जग्गू - आह साले लेते समय अपनी गान्ड तो ऐसे हिला रहा है जैसे और जम के लेना हो तुझे



जग्गू फिर जोर जोर से दस बारह धक्के लगाता है और झड़ जाता है



फिर जहीर जल्दी से अपनी पैंट पहनता है और लड़खड़ाते हुए अपने घर की तरफ चल देता है



जग्गू हस्ते हुए - अबे साले ठीक से तो चाल



ज़हीर कुछ नहीं बोलता और बोलने की हालत में भी नहीं था। ज़हीर लड़खड़ाते हुए कुछ दूर पहुंचता है कि तभी उसको गन्ने के खेत से अजीब सी आवाज आती है वो आवाज ज़हीर को जानी पहचानी सी लग रही थी इसलिए ज़हीर बिना कोई आवाज किए दबे पांव गन्ने के खेत में घुस जाता है और उस आवाज का पीछा करने लगता है
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#24
Update 22



ज़हीर जैसे जैसे आवाज का पीछा करते जा रहा था वैसे वैसे उसको वो आवाज जानी पहचानी सी लगने लगी थी



ज़हीर ने गन्नों के पीछे छुपकर देखा तो हरिया चाचा खड़ा अपनी धोती में से लन्ड को बाहर निकाले हुए सामने खड़ी उसकी अम्मी रुबीना से बातें कर रहा था



जहीर की तो पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई उसको यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी अम्मी बेशरम होके हरिया का लंड देखते हुए उससे बातें कर रही थी



हरिया - देख कैसे डंडे की तरह खड़ा होकर तेरी मस्तानी चूत में घुसने के लिए मरा जा रहा है ये



रुबीना - बेशरम कहीं के चल जा यहां से । वैसे भी आज सारा दिन मुझे अकेले ही काम करना है वहां ज़हीर अलग बीमार पड़ गया है



हरिया - रुबीना मै तेरा सारा काम कर दूंगा बस एक बार अपनी ये मस्तानी चूत चटा दे मुझे



रुबीना का चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था और वो अपनी सलवार समेटकर चारा काटने में लग गई और हरिया अपना लंड खोलकर उसके सामने बैठ गया



रुबीना मंद मंद मुस्कुराती हुई - हरिया बहुत काम है मुझे , क्यों मेरे पीछे पड़ा है



इधर ज़हीर को बड़ा ही अजीब लग रहा था उसके हाथ अपने आप उसके लौड़े तक पहुंच गए थे ये उसके लिए एक नया एहसास था



हरिया - मैंने बोला ना मेरी बेगम तेरा सारा काम कर दूंगा



हरिया के मुंह से बेगम शब्द सुन रुबीना के नीचे वाले होंठ फड़फड़ाने लगे



रुबीना - तू जा यहां से हवेली की रंडियों को चोद मेरे पास क्यों आया है



हरिया - ओह तो ये बात है मेरी बेगम को जलन हो रही है अरे मेरी बेगम रानी हवेली की नौकरानियों में वो बात कहां जो तुझमें है



रुबीना - अब ज़्यादा मक्खन मत लगा नासपीटा कहीं का , हफ्ते भर बाद तुझे मेरी याद आती है



हरिया - हवेली में बहुत काम होते है मुझे , इसलिए तेरे लिए समय नहीं निकाल पाता



रुबीना - ऐसा क्या काम है तेरे लिए जो मुझसे भी जरूरी है



फिर रुबीना उठकर जाने लगती है तभी हरिया पीछे से उसकी कमर पकड़ कर उसको घास में गिरा देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है



हरिया - अरे मेरी रण्डी बेगम तू फिकर मत कर । आज तुझे खेतों और गन्नों के बीच पूरी नंगी रखूंगा और सारा दिन तेरी चूत मारूंगा , ऐसा कहते हुए हरिया रुबीना की बड़ी बड़ी चूचियों को उसकी कमीज़ के ऊपर से ही मसलने लगता है



रुबीना - आह उह छोड़ कमीने कोई देख लेगा आह



इधर ये सब देखकर ज़हीर की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उसको अपना लन्ड बाहर निकले बिना रहा नहीं गया



हरिया - चुप साली बड़े नखरे दिखा रही है ज़्यादा नखरे दिखाए ना तो कभी नहीं आऊंगा फिर मेरे लन्ड को याद करके अपने भोसड़े हो शांत करते रहना।



रुबीना - ऐसा मत बोल कमीने , एक तो वो मौलाना किसी काम का नहीं और अब तू भी ऐसे बोल रहा है



और ऐसा बोलते ही रुबीना ने अपने गुलाबी होंठ हरिया के काले होंठों पर रख दिए , दोनों एक गहरे चुम्बन में खो गए



हरिया - उम्माह, ये हुई ना बात अब चल अपने धंधे पर लग जा



हरिया की बात सुनकर रुबीना एकदम से उठी और हरिया की लंड को झुककर अपने मुंह में भरकर चाटने लगी , रुबीना उसके आंडों को खूड कस कसकर दबाते हुए उसके लन्ड के सूपड़े को चूसने लगी



हरिया उसके मोटे मोटे दूध को खूब कस कसकर मसल रहा था और एक हाथ से रुबीना की सलवार नीचे करके उसकी गान्ड की गुदा में अपनी उंगली डालकर कुरेदने लगा



ज़हीर की अम्मी रुबीना की गान्ड एकदम ज़हीर के मुंह के तरफ थी और उसकी फैली हुई गुदाज गान्ड और उसका भूरा छेद देखकर ज़हीर का लन्ड झटके देने लगा



हरिया ने रुबीना का सलवार खोलकर उसके मोटे मोटे दूध को दबाते हुए चूसना और चूसते हुए दबाना शुरू कर दिया



रुबीना अपने हाथों से हरिया के गोटे दबा दबाकर खेल रही थी और उसके मोटे काले लंड को बड़े चाव से चूस रही थी



तभी हरिया ने रुबीना के बालों के पकड़कर उसको घास पर लेटा दिया और फिर उसकी मोटी जांघों को फैलाकर चूम लिया



जैसे ही हरिया ने रुबीना की चूत का चाटना शुरू किया तो रुबीना तड़प उठी और उठकर उसने हरिया के लंड को अपनी चूत के छेद से भिड़ा दिया



हरिया ने बिना कुछ बोले कसकर एक झटका मारा और उसका पूरा लंड सटाक से रुबीना की गुलाबी चूत को चीरता हुआ अन्दर जड़ तक समा गया , रुबीना ने हरिया को अपनी बाहों में दबोचकर उसके लन्ड की ओर अपनी चूत को जोर से उठा दिया , रुबीना की इस हरकत से हरिया का लन्ड उसकी चूत में पूरी तरह फिट हो गया , हरिया रुबीना की बड़ी बड़ी चूचियों को कस कसकर दबाते हुए उसकी चूत को ठोकने लगा



इधर अपनी अम्मी रुबीना को हरिया चाचा से चुदाते हुए देखकर ज़हीर ने अपने लंड को जोर जोर से हिलाने लगा वो अब झड़ने के बिल्कुल करीब था



रुबीना अपनी गान्ड उठा उठकर लंड ले रही थी और हरिया खूब उचक उचक्के रुबीना की चूत ठोक रहा था रुबीना का भारी भरकम बदन हरिया के बदन से चिपका हुआ था जब हरिया रुबीना की चूत ठोकता तो रुबीना की जांघो के बीच से थप थप की आवाज आने लगती , हरिया पूरी ताक़त से रुबीना की चूत चोद रहा था और रुबीना आह आह करती हुई खूब कस कसकर अपनी चूत मरवा रही थी हरिया के लंबे लंड से।



इधर ज़हीर आह आह करते हुए पूरी ताकत से अपना लन्ड हिलाने लगा अपनी अम्मी को चुदाते हुए देखकर और आखिर में झड़ ही गया और अपनी पैंट ऊपर करके वहां से भागकर अपने घर आ गया



उधर रुबीना से भी रहा नहीं गया। हरिया ने रुबीना की चूत को बहुत बुरी तरह रौंद दिया था



रुबीना - आह हरिया अपना लंड निकाल मै झाड़ने वाली हूं आह



हरिया ने जैसे ही अपना लन्ड बाहर निकाला तो उसकी चूत का सारा रस हरिया के लंड पर फ़ैल गया



हरिया - चल साली अब मुझे भी ठंडा कर जल्दी से



रुबीना जल्दी से अपने घुटनो के बल बैठ गई और हरिया के लंड को अपनी दोनों मुट्ठी में पकड़कर जोर जोर से हिलाने लगी और उसके लन्ड के सूपड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी



हरिया - आह आह बेगम रानी बस आह मै गया आह



हरिया हाफ्ते हुए रुबीना के मुंह में झड़ने लगा और झड़ने के बाद वो आके रुबीना के बगल में लेट गया और उसके होंठों को चूम लिया



हरिया - मज़ा आया ना मेरी रानी



रुबीना - हां बहुत पर !



हरिया - पर क्या ?



रुबीना - मुझे ये मज़ा रोज़ चाहिए



हरिया - मेरी रानी बेगम कुछ दिन रुक जा फिर तुझे ये मज़ा रोज़ मिलेगा



रुबीना - रहने दे हरिया तू बस बोलता रहता है



हारिया - मै जल्दी ही कुछ बड़ा करने वाला हूं



रुबीना - क्या ? ये बात तुम बहुत सालों से बोल रहे हो कुछ होता तो तुझसे है नहीं



हरिया - बस जल्दी ही वो समय आने वाला है जब मै हवेली का मालिक बन जाऊंगा



रुबीना की तो जैसे पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई हरिया के मुंह से ये बात सुनकर



रुबीना - कैसे ?



हरिया - जागीरदार और उसके परिवार को ज़िंदा जलाके और कैसे। हाहाहा



रुबीना - क्या ? हरिया तू पागल हो गया है क्या , ये बात किसी को पता चल गई तो गांव वाले तुझे ज़िंदा जला देंगे



हरिया - ये काम मै नहीं करूंगा मेरी रानी



रुबीना - तो कौन करेगा ?



हरिया - ये काम रामू करेगा



रुबीना - वो बेचारा क्यों मारेगा जागीरदार को



हरिया - वो मारेगा जागीरदार को जब उसको पता चलेगा कि उसका बाप मुरली हवेली से गायब हुआ था



रुबीना - क्या ?



हरिया - ये बात किसी को बताना नहीं ! समझी



रुबीना - ठीक है चल हरिया अब मैं चलती हूं



रुबीना अपने घर की तरफ निकल जाती है और हरिया हवेली आ जाता है
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#25
Update 23



रामू - प्रणाम भइया



भीमा - अरे रामू तुम कब आए ?



रामू - मै तो सुबह ही आ गया था आप कहां थे सुबह से ?



भीमा - मै तो रात से यहीं सो रहा था अपने कमरे में



रामू - अरे भइया रात को ट्रक चलते हो क्या जो सुबह से एक बार भी नींद नहीं खुली कतई घोड़े बेचकर सो रहे थे हाहाहा



भीमा - अरे नहीं रामू वो तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए रात को दवाई खाके सोया था और अब नींद खुली है



रामू - ओह और सुनाओ ज़िन्दगी कैसी कट रही है



भीमा उदास होकर - बस कट ही रही है अब वो मज़ा कहां !



रामू - क्या बात है भइया बड़े उदास दिख रहे हो



भीमा - अब तुम तो देख ही रहे हो रामू मेरे बापू बस कुछ ही दिन के मेहमान है अपने परिवार को पता नहीं मै कैसे संभाल पाऊंगा



रामू - भईया जो इस दुनिया में आया है उसको एक ना एक दिन ये दुनिया छोड़ कर जाना होता है मै हूं ना भइया आप चिंता मत करो



भीमा - दारू पिएगा



रामू - नहीं भइया , जब भी कोई नशीली पदार्थ के सेवन करता हूं तो कोई ना कोई कांड कर बैठता हूं आज नहीं फिर कभी



भीमा - ऐसा क्या कांड कर दिया तूने बता तो मुझे



रामू - अब आपसे क्या छुपाना भइया पिछले साल की ही बात है वो जग्गू है ना मेरा दोस्त उसने मुझे चरस पिला दिया था उस दिन मैंने एक लड़की को पकड़ के ज़बरदस्ती अपने गन्ने के खेत में चोद दिया था



भीमा हैरान होते हुए - किसको ?



रामू - भइया वो हरिया चाचा की बहन चंपा को



भीमा - साले हरिया चाचा की बहन को चोद दिया , फिर ?



रामू - फिर क्या भइया उसके बाद से चंपा और मेरे बीच चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया



भीमा - कसम से रामू बड़ा ही कमीना निकला तू



रामू - अब इसमें मेरी क्या गलती भइया।



भीमा - अपनी उम्र से ६ साल बड़ी औरत को चोदने में तुझे शरम नहीं आई , साले उसको बुआ बोलता था तू



रामू - एक बार गलती से चोद क्या दिया साली को वो रण्डी मेरे लंड की गुलाम बन गई और वैसे भी भइया चूत लड़की की हो या बड़ी उम्र की औरत की लंड को कोई फर्क नहीं पड़ता और चंपा कोई मेरे रिश्ते में बुआ थोड़ी ना लगती है



भीमा - वो रिश्ते में तेरी बुआ लगती तो ?



रामू - क्या बात कर रहे हो भइया कुछ भी बोल रहे हो , आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए।



भीमा - ठीक है मेरे बाप माफ कर मुझे और सुना और किसकी चूत चोद चुका है



रामू - अरे भइया खेतों से फुरसत मिलेगी तभी तो किसी पर ध्यान जायेगा मेरा । आप सुनाओ भइया मुझे चाचा कब बना रहे हो ?



भीमा गुस्से में - पता नहीं मैंने अपने जीवन में क्या पाप किए थे जो इस रण्डी से शादी हो गई मेरी



रामू - क्या हुआ भइया क्या बात है



भीमा - कुछ नहीं , तू जा यहां से मुझे दारू पीनी है



रामू - अच्छा ठीक है



रामू फिर कमरे से बाहर निकल जाता है , रामू मन में सोचता है कि कोई बात तो है जो भीमा उससे छुपा रहा है और तभी उसको याद आता है कि धन्नो मौसी का रवैया भी सुबह लता भाभी के प्रति अजीब सा था धन्नो मौसी भी लता भाभी पर एक छोटी सी बात पर गुस्सा कर रही थी



रात को सभी ने खाना खा लिया था और सोने के लिए धन्नो ने आंगन में ही गद्दे डाल दिए थे क्योंकि घर में २ कमरे ही थे एक में प्यारेलाल और धन्नो सोते थे तो दूसरे में भीमा और लता।



नीचे गद्दे पर बीच में सविता सो गई थी और उसके आजू बाजू में रामू और बेला सो गए थे



रात को करीब २ बजे किसी के दरवाजे के खुलने की आवाज से रामू की नींद खुल गई। जीरो बल्ब की रोशनी में रामू ने देखा कि उसकी धन्नो मौसी घर के बाहर जा रही है रामू को लगा शायद धन्नो मौसी खेत में शौच के लिए जा रही होगी लेकिन तभी दूसरे कमरे का दरवाज़ा खुला और भीमा भी दबे पांव घर से बाहर चला गया। रामू को कुछ समझ नहीं आया उसको लगा शायद भीमा बाहर ठंडी हवा खाने गया हो, रामू फिर चुपचाप अपनी आंखें बंद करके सो गया।



अगले दिन सुबह जब रामू की आंख खुली तो उसके पास कोई नहीं था उसने रसोई में देखा तो वहां उसकी मां और सविता खाना बना रही थी वो और उसकी बहन टीवी देख रही थी , रामू ने जाके बक्से से अपने कपड़े निकाले और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया
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#26
Update 24



रामू नहा धोकर बाथरूम में से सिर्फ तौलिया लपेटकर ही बाहर निकल आता है सामने लता खटिए पर बैठी मिलती है और शर्म के मारे वो अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लेती है तो रामू झट से अपने कपड़े पहन लेता है



रामू - कुछ काम था क्या भाभी ?



लता - नहीं मै तो बस नाश्ते का पूछने के लिए आई थी



रामू - ठीक है ले आओ नाश्ता



लता मुस्कुराती हुई नाश्ता लेने चली जाती है और नाश्ता लेके आती है



रामू नाश्ता करते हुए लता से पूछता है - मौसी जी और भइया कहीं दिखाई नहीं दे रहे भाभी



लता - वो हमारे नए खेत में गए हैं वहां कुंवे की खुदाई का काम शुरू है



रामू - अरे वाह । मुझे भी अपने खेतों में कुंवे खुदवाने हैं मुझे भी ले चलिए ना भाभी , मुझे आपके नए खेत का रास्ता नहीं मालूम



लता - नहीं मै नहीं जा सकती



रामू - पर क्यों ?



लता - मुझे घर पर बहुत काम है आप पूछते पूछते चले जाना



रामू - अरे भाभी आप मुझे खेत दिखाकर वापस आ जाना



लता कुछ सोचकर - अच्छा ठीक है पर आप उनसे या मां जी से ये मत कहना कि मै आपके साथ खेत तक आई थी



रामू - ठीक है नहीं कहूंगा



नाश्ते के बाद रामू और लता खेत की तरफ चल देते है



रामू - भाभी एक बात पूछूं ?



लता - हां पूछो ना



रामू - रहने दो भाभी आप बुरा मान जाओगी



लता - ओहो पूछो भी नहीं मानूंगी बुरा



रामू - वो भाभी मै ये पूछना चाहता था कि जबसे मै यहां आया हूं तबसे मै गौर कर रहा हूं कि आप मुझे अजीब नजरों से क्यों देख रही हैं?



लता मुस्कुरा देती है - वो क्या है ना आपकी सूरत मेरे भाई से मिलती है मै जब भी आपको देखती हूं तो मुझे ये महसूस होता है कि मै अपने भाई को देख रही हूं



रामू - ओह तो ये बात है मै भी ना



लता - क्या ?



रामू - कुछ भी तो नहीं



लता - अच्छा खेत आ गया अब मै चलती हूं



रामू - अरे रुको भाभी यहां कोई नजर नहीं आ रहा ! कहां हैं धन्नो मौसी और भीमा भइया ?



लता घबराती हुई आवाज में - चलो घर चलते हैं शायद वो घर चले गए होंगे



रामू - रुको भाभी मै एक बार झोपड़ी ने देख लेता हूं



लता - नहीं नहीं देवर जी वहां मत जाओ



रामू अजीब नज़रों से लता को देखता है और चुपचाप झोपड़ी के पास चला जाता है वो झोपड़ी का दरवाज़ा खोलने ही वाला था कि अंदर से आ रही आवाज को सुनकर उसके हाथ रुक जाते हैं



लता भागते हुए रामू के पास आती है और बोलती है - चलो यहां से



रामू लता का हाथ पकड़कर झोपड़ी में बनी खिड़की के पास ले जाता है रामू समझ रहा था कि गांव का कोई लैला मजनू अंदर अपनी रासलीला में मगन है पर जैसे ही रामू खिड़की से अंदर झांकता है तो उसके हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं



झोपड़ी के अंदर धन्नो और भीमा थे भीमा चारपाई पर लेटा हुए था और उसके पास बैठी धन्नो उसके पैर दबा रही थी ये देखकर रामू को अजीब सा लगता है क्योंकि धन्नो के हाथ भीमा की जांघ पर थे और वो जांघ को दबाते दबाते भीमा के लंड को भी छू रही थी



रामू और लता आखें फाड़े ये देख रहे थे



भीमा - मां आज रहने दो ना , बदन बहुत दर्द कर रहा है



धन्नो - इसलिए तो तेरे शरीर की मालिश कर रही हूं मै जानती हूं कि वो तेरी पत्नी लता तुझे सोने नहीं देती है और दिन में मेरे पास आने के बाद तेरा जिस्म दर्द करने लगता है



भीमा - अरे मां ऐसी बात नहीं है



धन्नो - बस बस रहने दे सब जानती हूं मै , वैसे भी बूढ़ी औरत किसे अच्छी लगती है तेरे बापू तो अब किसी काम के रहे नहीं और बेटा है वो भी अपनी जवान बीवी की ओखली में मुंह डाले पड़ा रहता है



भीमा - चुप कर साली , १८ साल की उम्र से तुझे पेल तरह हूं अभी तक तेरी आग नहीं बुझी



धन्नो - बेटा ये आग मरने के बाद ही शांत होती है देख ना मेरी चूची भी कैसे सूख गई है बिना पानी के ूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूू



भीमा - रुक साली अभी बताता हूं तुझे



भीमा धन्नो को नीचे गिरा देता है और खुद उसके ऊपर आकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को मुंह में भरकर चूसने लगता है



धन्नो - आह चूस ले बेटा , रोज़ बस एक बार ही तो मांगती हूं तुझसे उसमे भी तू आना कानी करने लगा है आह



भीमा - मां तू बहुत कमीनी है रोज़ रोज़ करने के बाद भी रोती रहती है और देख लता को कई कई हफ्तों तक हाथ भी नहीं लगाता फिर भी मुंह से एक लफ्ज़ भी नहीं कहती वो।



धन्नो - कहां से बोलेगी ? बोलकर तो देखे फिर देखना मै क्या करती हूं उसका आह साली रण्डी कहीं की आह धीरे



भीमा अपनी जुबान धन्नो के मुंह में डालकर उसकी जुबान चूसने लगता है



धन्नो - उम्म उम बेटा मेरे मुंह में डाल ना अपना डंडा बड़ा मीठा लगता है मुझे उसका स्वाद



भीमा खड़ा होकर अपनी धोती सरका देता है और धन्नो के बालों को पकड़कर उसको थोड़ा ऊपर उठाता है धन्नो जैसे ही अपना मुंह खोलती है भीमा अपना लन्ड धन्नो के मुंह में पेल देता है धन्नो भी बड़े चाव से भीमा का लन्ड चूसने लगी थी



भीमा - आह मां इतनी जोर से मत खींचो ना आह



धन्नो भीमा की बात पर ध्यान दिए बिना हूं उसका लन्ड चूस चूस कर खड़ा कर देती है और अपनी दोनों टांगो को खोलकर लेट जाती है



धन्नो - चल आजा मेरे राजा बड़ी प्यासी हूं तेरे लंड के लिए



भीमा - पहले थोड़ा रसपान तो करने दो मां कहकर वो धन्नो की पैंटी उतारने लगता है



धन्नो अपने दोनो हाथों से सिसकियां भरते हुए अपनी चूचियां मसलने लगती है



भीमा जैसे ही धन्नो की चूत से उसकी पैंटी को उतारकर अलग करता है वैसे ही रामू को अपनी धन्नो मौसी की चूत के दर्शन हो जाते हैं ये सब नज़ारा देखकर रामू की पैंट में तम्बू बन चुका था और लता की सांसें तेज चल रही थी जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां रामू की पीठ पर बार बार घिस रही थी अंदर भीमा अपनी मां धन्नो की चूत पर अपनी जीभ से झाडू मारने लगता है और धन्नो अपनी गान्ड उछालते हुए भीमा के सर को अपनी चूत पे दबाने लगती है



धन्नो - ऊपर ऊपर की मलाई क्या खा रहा है असली माल तो अंदर है बेटे , घुसा दे अपनी जुबान अंदर मेरे लाल आह



भीमा अपनी जुबान धन्नो की चूत में पेल देता है



धन्नो - आह एक दिन तू मुझे इस तरह से मार देगा बेटा आह बस भी कर अब , देखता नहीं तेरी मां की चूत क्या चाहती है



भीमा धन्नो की आंखों में देखकर - उउम्म क्या चाहती है मेरी मां की चूत ?



धन्नो - अपने बेटे भीमा का लन्ड चाहती है तेरी मां की चूत , डाल दे ना रेे



भीमा धन्नो के दोनों पैर खोल देता है और थोड़ा सा धन्नो की चूत से निकला पानी अपने लन्ड पर लगाता है



भीमा धन्नो की आंखों में देखते हुए - ये ले मां आह ।।।।



धन्नो - हाए मर गई भीमा आह



भीमा का लन्ड रामू की तरह नहीं था पर भीमा के लंड में इतनी ताकत थी कि वो किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता था भीमा धन्नो की चूत में अंदर तक अपना लन्ड पेलकर चोदने लगता है और धन्नो अपने बेटे भीमा से चिपक कर नीचे से अपनी गान्ड उछालने लगती है



धन्नो - आह काश मेरा एक बेटा और होता तो दोनों बेटों का आगे पीछे से लेती आह



भीमा - क्यों मेरा कम पड़ता है क्या मां तुझे ?



धन्नो - नहीं बेटा तू नहीं समझेगा



लता की चूत खड़े खड़े पानी छोड़ने लगती है और वो रामू का हाथ पकड़कर खेत से बाहर ले आती है दोनों कुछ दूर चलकर एक कुंवे के पास बैठ जाते हैं दोनों एक दूसरे को ना देख रहे थे और ना ही कुछ बोल रहे थे
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#27
update 25



दोनों बिल्कुल चुपचाप बैठे हुए थे और आखिर में लता अपनी चुप्पी तोड़ती है



लता - इसलिए मै तुम्हे यहां नहीं लाना चाहती थी



रामू - तो क्या आपको पहले से ये सब पता था ?



लता - हां जब मै शादी करके नई नई इस घर में आई थी उसके चार दिन बाद ही मां जी ने उनके और तुम्हारे भइया के रिश्ते के बारे में बता दिया था



रामू - भाभी आप फिर भी यहीं रही , अपने मां बाप के घर नहीं गई



लता - शादी के बाद लड़की का ससुराल ही उसके लिए सब कुछ होता है देवर जी , वो मर के है वहां से निकलती है



रामू - मुझे तो यकीन नहीं हो रहा की एक बेटा अपनी मां के साथ ये सब भी कैसे कर सकता है



लता - दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं देवर जी



रामू - कैसा लगता होगा जब एक बेटा अपनी ही मां के साथ ! मुझे तो सोचने में भी अजीब सा लगता है



लता - अच्छा ही लगता होगा देवर जी वरना एक जवान आदमी अपनी बीवी को छोड़कर अपनी मां पर नहीं चढ़ता



रामू लता की आंखों में आसूं देख लेता है और बोलता है - भाभी आपको कैसा लगता है भीमा भइया और धन्नो मौसी को इस तरह देखकर ?



लता - चलो घर चलते हैं बहुत देर हो रही है



रामू खड़ा होता है और लता के साथ चलने लगता है और दोनों घर आ जाते हैं
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#28
Update 26



रामू और लता घर पहुंच जाते हैं दोपहर का समय था सब खाना खाकर सो जाते हैं शाम को रामू की नींद करीब ६ बजे खुलती है वो हाथ मुंह धोकर आता है तो देखता है कि उसकी चारपाई पर भीमा बैठा है



भीमा - रामू दारू के ठेके पर चलेगा क्या ?



रामू - नहीं भाई आप जाओ मेरा मन नहीं है



भीमा - तू चल तो सकता है ना , मै नशे में ठेके से अकेले कैसे आऊंगा ?



रामू - ठीक है मै भी चलता हूं फिर



फिर दोनों ठेके पर आ जाते है रामू शराब नहीं पीता था पर भीमा जी भरकर पीता था और वो पीता चला जाता है जब उसका कोटा पूरा हो जाता है और वो ठीक से चल भी नहीं पाता तो रामू उसको अपने कंधे का सहारे से घर वापस लाने लगता है भीमा शराब के नशे मै कुछ बड़बड़ाने लगता है



भीमा - रामू बड़ा ही कमीना निकला रे तू , बड़ा ही किस्मत वाला है तू , रगड़ रगड़ कर चोदता होगा उस चंपा रानी को क्यों?



रामू - कैसी किस्मत भइया , साला छुप छुपकर चुदाई करनी पड़ती है किस्मत तो आपकी है शादी जो हो गई है



भीमा - कौन तेरी भाभी ? वो रण्डी तो झूठन है अपने भाई की



रामू - क्या मतलब??



भीमा - मतलब वो अपने भाई से लगी हुई थी , उसके मां बाप ने उस झूठन को मेरे गले बांध दिया साली अपने भाई से चुदाती थी हरामजादी



रामू के दिमाग की नसें फड़फड़ाने लगती हैं उसको यकीन नहीं होता कि लता भाभी अपने भाई के साथ।।।।



रामू - आप झूठ बोल रहे हो ना भइया



भीमा - अरे रामू मेरी बात झूठी निकले तो मूत देना मेरे मुंह पर



रामू भीेमा को सहारा से उसके कमरे में ले जाता है लता कमरे में साड़ी पहन रही थी भीमा को नशे में देखते ही लता उसको सहारा देने आगे बढ़ती है तो भीमा उसके हाथ झटक देता है और बिस्तर पर गिर जाता है और कुछ ही पलों में वो सो जाता है



फिर सब रात का खाना खाते हैं और फिर रामू आपनी मां सविता और बहन बेला के साथ आंगन में गद्दे पर सो जाता है रामू का मन आज बहुत विचलित था वो कभी अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी भाभी अपने भाई के साथ चुदाई करती थी और धन्नो मौसी अपने है सगे बेटे के साथ।।।। रामू को तो ये सोच सोच कर अजीब सा लग रहा था , वो यही सब सोचते सोचते सो गया



सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया



रामू बाथरूम से बाहर आया तो उसने देखा कि सविता उठ चुकी थी और रसोई में धन्नो मौसी के साथ नाश्ता तैयार कर रही थी सुबह के ७ बजे थे



तभी रामू ने देखा कि उसकी लता भाभी झाड़ू लेके छत पर जा रही है।



रामू अपनी भाभी के पीछे पीछे छत पर आ गया , उसने देखा कि लता भाभी झुक कर झाड़ू लगा रही थी जिससे लता की बड़ी बड़ी चूचियों की दरार रामू को साफ साफ दिखाई दे रही थी। रामू अपनी भाभी को झाड़ू लगाते देखकर गरम हो रहा था



लता ने भी अपनी तिरछी नजर से रामू की नजर का पीछा किया तो उसने पाया कि रामू लगातार उसकी बड़ी बड़ी चचियों को घूरे जा रहा है। ये देख लता के निचले होंठ फड़फड़ाने लगे



लता - ऐसे क्या घूर रहे हो देवर जी , अपना मुंह दूसरी तरफ करो



रामू - क्क क्यों ?



लता - करो भी , मुझे पिशाब जोर से लगी है



रामू अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है पर कुछ देर बाद वो फिर से उस तरफ देखता है जहां लता खड़ी थी। लता मुस्कुराती हुई रामू को देखती है और अपनी झाड़ू को पटक के छत के कोने में जाके खड़ी हो जाती है और अचानक अपनी साड़ी और पेटीकोट उठाकर नीचे बैठकर रामू की तरफ देखते हुए मूतने लगती है इस बार वो रामू को दूसरी तरफ देखने को नहीं कहती और मूतने की बाद वो अपनी साड़ी ठीक करके रामू के सामने आके खड़ी हो जाती है



लता - एक बात पूछूं देवर जी ?



रामू - हां पूछो भाभी



लता - देखो रामू बुरा मत मानना। अब तुमने इतना कुछ देख ही लिया है तो तुम मुझसे एक दोस्त की तरह बात कर सकते हो मै तुमसे वादा करती हूं कि किसी से कुछ नहीं कहूंगी



रामू - ठीक है ।



लता - तो बताओ कि तुम्हे तुम्हारी मां कैसी लगती है?



रामू - सच कहूं तो मां मुझे साड़ी में बहुत अच्छी लगती है , मां का हिलता हुए पेट मुझे बहुत पसंद है और....



लता - और ?



रामू अपना सर झटकते हुए - और कुछ भी नहीं। भाभी आप अपना दिमाग बेकार में ऐसी बातों में मत लगाओ , वैसे भी इस समय मेरा मन बहुत विचलित है



लता - क्यों किसी ने कुछ कहा तुम्हे ?



रामू - हां



लता - किसने और क्या कहा ?



रामू - रहने दो भाभी मै चलता हूं



लता रामू का हाथ पकड़ के - रुको , मुझे बताओ कि आखिर बात क्या है



रामू - वो भाभी कल शाम को मै भाइया के साथ घूमने गया था तो



लता - तो तुम्हारे भइया ने कुछ कहा क्या तुमसे ?



रामू - हां। अब वो मै आपको कैसे बताऊं ?



लता रामू का हाथ पकड़ के अपने सर पर रख देती है - तुम्हे मेरी कसम रामू बोलो क्या बात है



रामू - वो भाभी कल भइया ने रात को नाशे में मुझसे कहा कि तुम अपने भाई की झूठन हो , मुझे भइया की बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं है भाभी



लता - उन्होंने तुमसे बिल्कुल सच कहा है रामू , मै अपने भाई की झूठन हूं मै अपने भाई के साथ सो चुकी हूं और वो सब कर चुकी हूं जो एक भाई बहन अपने सपने में भी सोच नहीं सकते ।



रामू - पर भाभी आप इतनी समझदार औरत होकर भी।।।। आपसे ये सब कब हुआ ?? और कैसे हुआ ??



लता अपनी ज़िन्दगी की किताब को रामू के सामने खोल देती है



ये बात तबकी है जब मै १९ साल की थी..... Continues
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#29
Update 27



लता अपनी ज़िन्दगी की किताब को रामू के सामने खोल देती है।



ये बात तबकी है जब मै १९ साल की थी और मेरा भाई मोनू १८ साल का।



मेरा बाप जयप्रकाश एक शराबी और जुवारी आदमी था दिन रात जुआ खेलना शराब पीना उसकी आदत है। माँ उसका हर सितम सहते रही। दोनों रोज़ लडते थे और दूसरे दिन मिल भी जाते थे।



एक दिन मै पानी पीने उठी तो मुझे माँ के रोने की आवाज़ सुनाई दी। मै जब उनके कमरे के पास गई तो मैंने माँ को चीखते सुना। बापु उन्हें मार रहा था पता नहीं किस बात पे। मैंने दरवाज़ा खटकाया तो कुछ देर बाद माँ बाहर आई मैंने उनसे पूछा की बापू तुम्हें क्यों मार रहें है।



पर माँ ने मुझे कुछ नहीं कहा और मुझे सोने को कहके वापस कमरे में चले गई।



मै कुछ देर वही खड़ी रही कुछ देर बाद माँ की चीखें और सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी मै डर के मारे भाई को उठाने गई।



जब भाई मेरे साथ माँ के कमरे के पास आया तो माँ के रोने की आवाज़ बंद हो चुकी थी और हलके हलके सिसकने की आवाज़ सुनाये दे रही थी । मै और मेरा भाई मोनू हम खिडके में से झाकने लगे हम बहुत डर गए थे। मुझे लगा की बापु नशे में माँ को जान से ना मार दे।



जब मै और भाई खिडकी के पास पहुंचे तो अंदर का नज़ारा देख दोनों की नज़रें झुक गई।



वो दोनों सम्भोग कर रहे थे माँ उलटी लेटी हुई थी और बापू उनके कमर पे थप्पड मारते हुए उन्हें पीछे से चोद रहे थे।



हमे वहां से जाना चाहिए था पर हम दोनों वहां से नहीं हटे।

वो दोनों तो कुछ देर बाद सो गये पर हमारे जवान जिस्म जग चुके थे। मै भाई से नज़रें चुराके अपने कमरे में जाके लेट गई।



कुछ देर बाद भाई मेरे कमरे में आया और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। मै उसे देखते रह गई दोनों की साँसे एक रफ़्तार में चल रही थी।



वो बिना कुछ बोले मेरे ऊपर आकर मुझसे चिपक गया



वो कुछ भी नहीं बोल रहा था। बस एक एक करके उसने पहले खुद के फिर मेरे सारे कपडे निकाल दिए। मै उस वक़्त तक सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी और सितम तो तब हुआ जब भाई ने अपनी ज़ुबान उस जगह लगाई जिसे आज तक मेरे सिवा किसी ने नहीं देखा था।



वो मुझे सर से ले के नीचे तक चूमता रहा चाटते रहा मै मचल रही थी भाई के जिस्म को अपने नाख़ून से नोच रही थी। पर नहीं जानती थी की भाई क्या क्या करेगा मेरे साथ।



उसने बस एक बार मेरे कानो को अपने मुंह में लेके धीरे से मुझसे पूछा।



लता मै तुझे अपना बना लूँ।



और मै हवस की आग में जलते हुए उससे कह बैठी हाँ भाई मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो।



उसके बाद उसने मुझसे कोई बात नहीं किया बस उसका वो हिस्सा मेरे अंदर घुसता चला गया और मै भाई के मुंह में चीख़ती चली गई क्योंकि उन्होंने मेरे होंठो को अपने होंठो में भर लिया था।



मै अपने भाई मोनू से बहुत प्यार करती थी और ये प्यार दिन ब दिन परवान चढ़ता रहा उस रात के बाद हमने कई रातें एक साथ पति पत्नी की तरह गुज़ारी।



एक दिन माँ और बापू बाहर गए हुए थे। तभी भाई ने मुझे पीछे से पकड़ के अपने कमरे में ले गया और हम अपने प्यार को और मज़बूत करने में लग गए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था।



जब हम भाई बहन एक दुसरे में खोये हुए थे तभी बापू वहां आ गये और उन्होंने एक लकड़ी से भाई और मेरी खूब पिटाई की। भाई को उन्होंने घर से निकाल दिया।



मै मार और दर्द से चीख रही थी मुझे नहीं पता था की बापू की नियत मुझपे भी ख़राब है।



उन्होंने अपने सारे कपडे निकाल दिए। मै बहुत डर गई थी। मै जानती थी की सारी गलती मेरी है और अगर मै चिल्लाई तो मै ही कसूरवार कहलाऊँगी। बापू के इरादे मै जान चुकी थी वो मुझे जो करने के लिए कहते गए मै करती गई। उनके जिस्म के हर हिस्से को मैंने चुमा उन्होंने जैसा कहा मैंने अपने मुंह में लिया उनके लंड को उन्होंने कितनी देर तक मुझसे चुसवाया और फिर उन्होंने अपने बाप होने का फ़र्ज़ भी निभा दिया।



मै चीख़ते रही चिल्लाती रही पर ना माँ को रहम आया न बापू को कोई रहम आया।



कुछ महिने ऐसे ही गुज़रते रहे माँ और मै रोज़ बापू के सामने पेश होते माँ मुझे मारती भी और प्यार भी करती थी मै एक तरह से ज़िंदा लाश बन चुकी थी जिसका सिर्फ एक काम था अपने बापू की इच्छा का पालन करना।



उन्होंने हर गंदे तरीके से मुझे भोगा उन्होंने मेरे साथ कितनी बार बिना मेरी मर्जी के संभोग किया । मुझे जैसा बोलते थे मैं वैसा करती थी। उन्होंने बाप होने का फर्ज अच्छी तरह से निभाया और मुझे जब जहां चाहा वैसे चोदा।



उस दौरान तुम्हारे भाई भीमा का रिशता हमारे घर आया। माँ तो मुझसे परेशान थी ही उसने जल्दी से मेरी शादी करवा दी और मै यहाँ आ गई। मां ने शादी के तोहफे के रूप में मुझे एक बहुत क़ीमती तोहफ़ा भी दिया। तुम्हारे भैया को मेरी मां ने सारी बात बता दी बस ये नहीं बताया की मेरा बापू भी वो सब कर चूका है मेरे साथ।



उस दिन से लेके आज तक मुझे न पति का सुख मिल पाया न एक औरत होने का।



लता बोलते बोलते रो पडती है।



रामू ये सब सुनके उसे अपने से चिपका लेता है।



रामू - बस बस चुप हो जाओ भाभी । मै भी तो आपके भाई जैसा हूँ ना आप ने ही तो कहा था की मै बिलकुल आपके भाई जैसा दिखता हूँ।



लता हंस पडती है - तो क्या ?



रामू - मेरा मतलब भाभी फिर आपके भाई मोनू का क्या हुआ ? वो घर से भाग कर कहां गया ?



लता - मोनू उस दिन गांव से शहर की तरफ भागा था लेकिन अगले दिन गांव में उसकी लाश आई । किसी ने बताया कि वो ट्रक के नीचे आ गया था शायद उसने शरम के मारे आत्महत्या कर ली हो ! या गलती से वो ट्रक के नीचे आ गया हो.... खैर छोड़ो रामू मै ये बात भुला चुकी हूं



रामू गुस्से में - भाभी मेरा मन तो कर रहा है कि आपके मां बापू को ज़िंदा जला दूं



लता - अब इसकी कोई जरूरत नहीं है उन दोनों को उनके कर्मों का फल मिल गया है बापू के पेट में कीड़े लग गए थे और समय पर इलाज न मिलने के कारण वो तिल तिल कर मरते रहे सालों तक फिर खत्म हो गए और मां अब बेसहारा हो चुकी थी उसको कोई सहारा नहीं देने आया और वो भी तिल तिल के मर गई। दोनों की चिता को मैंने अपने हाथों से आग दी थी।



रामू - ओह । भाभी जब आपने मुझे अपना भाई माना है तो ये भाई आपसे वादा करता है कि आपको इस घर में अपनी सास और पति के दिल में वो जगह , वो सम्मान ज़रूर दिलवाएगा जिसकी आप हकदार है



लता रामू को देखती रह जाती है



फिर रामू छत से नीचे उतर आता है और नाश्ता करने लगता है
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#30
Update 28



रामू नाश्ता करने के बाद सविता और बेला के साथ गांव में कुछ रिश्तेदारों से मिलने निकल गया।



गांव में एक से एक जवान लड़के थे। रिश्तेदारों से मिलना तो बस बहाना था दरअसल रामू और सविता मिलकर बेला के लिए अच्छा सा रिश्ता देख रहे थे।



शाम हो चुकी थी। रामू , सविता और बेला घर आ चुके थे। धन्नो आंगन में सबके लिए चाय लेकर आई



धन्नो - बन्नो क्या हुआ इतनी परेशान क्यों नजर आ रही है



सविता - अरे दीदी बात ही कुछ ऐसी है। बड़े समय से बेला के लिए लड़का देख रहे हैं पर इसको कोई पसंद ही नहीं आता है २४ साल की घोड़ी हो गई है और १ साल गुजर गया तो कौन करेगा इससे शादी



बेला गुस्से में उठ के छत पर चली जाती है



रामू - ऐसा क्यों बोलती हो मां , मै इस साल एक अच्छा सा लड़का देखकर इसकी शादी रचा दूंगा



धन्नो - रामू बेटा बेला की उम्र २४ साल हो चुकी है इसलिए मै तो कहती हूं जल्दी से जल्दी इसके लिए कोई रिश्ता देख ले वरना १ साल और बीत गया तो बेचारी ज़िन्दगी भर कुंवारी बैठी रहेगी



रामू - ये क्या बोल रही हो मौसी मै हूं ना बस अब मेरा लक्ष्य बेला की शादी करना ही है



धन्नो - ठीक है जैसा तुझे सही लगे



रामू - मौसी मुझे लगता है कि बेला के मन में ज़रूर कुछ चल रहा है वरना पिछले २ साल में इतने अच्छे रिश्ते आए थे उसके लिए वो इतने सारे रिश्ते नहीं ठुकराती।



धन्नो - रामू बेटा कहीं कोई चक्कर तो नहीं चल रहा बेला का।



सविता - शुभ शुभ बोलो दीदी मेरी बेटी वैसी नहीं है



रामू - नहीं मौसी बेला बड़ी सीधी लड़की है पर हां थोड़ी शैतान है और गांव में किसी लड़के में इतनी हिम्मत कहां जो मेरी बहन पर नजर उठा कर देखे।



सविता - हां दीदी रामू बिल्कुल सही कह रहा है



धन्नो - अरे हमारे पड़ोस में एक लड़की थी हम उसको बहुत सीधा समझते थे और दिखने में भी वो बड़ी भोली भाली सी थी। पिछले ही महीने अपने प्रेमी के साथ भाग गई अपने मां बाप और भाई को अकेला छोड़ कर , एक बार भी उस कमीनी ने अपने परिवार के बारे में नहीं सोचा।



धन्नो के मुंह से ये बात सुनकर रामू और सविता के हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं



रामू - मौसी ऐसा कुछ नहीं है मै बेला से बात करता हूं और मौसी आप किसी दूसरे विषय पर बात करो मां से।



सविता - समझा देना लल्ला अपनी बेला को



रामू - जी मां



रामू फिर छत पर आ जाता है , बेला एक कुर्सी पर बैठी होती है और रामू को देखते ही वो खड़ी हो जाती है



रामू - बेला कोई ऐसी बात तो नहीं जो तू मुझसे छुपा रही है



बेला डर जाती है कि कहीं रामू को उसके और जग्गू के बारे में पता तो नहीं चल गया



bela- क्यों ?



रामू बेला का हाथ पकड़ के - देख बेला हमेशा मैंने तुझे एक बड़े भाई से भी बढ़कर एक बाप की तरह पाला है मैंने तेरे लिए किसी भी चीज की कोई कमी नहीं रखी।



बेला - ऐसा क्यों बोल रहा है रामू अगर बापू भी ज़िंदा होते तो वो भी इतना नहीं करते जितना तूने मेरे लिए किया है



बेला की आंखें नम हो जाती हैं



रामू - तेरा कहीं कोई चक्कर तो नहीं चल रहा ना, देख अगर ऐसा कुछ है तो बता दे मुझे



बेला - नहीं भाई



रामू - सच में ? देख अगर झूठ बोली तो मै तुझे कभी माफ नहीं करूंगा



बेला रोने लगती है और रामू उसको अपने सीने से लगा लेता है



बेला - भाई तू अब जिससे बोलेगा मै उससे शादी कर लूंगी, भाई और बाप दोनों का फ़र्ज़ निभाया है तुमने और मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया भाई जिससे तू शर्मिंदा हो



रामू - मुझे पता था तू अपने भाई की बहुत इज्जत करती है



बेला ने रामू से झूठ बोला पिछले २ सालों से बेला का जग्गू के साथ चक्कर चल रहा था जग्गू और बेला एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे भले ही बेला और जग्गू ने कभी संभोग नहीं किया था। बेला को अपने से ज़्यादा जग्गू की फिकर थी इसलिए उसने जग्गू के लिए झूठ बोल दिया



बेला - भाई अगर सच में मेरा किसी के साथ चक्कर चल रहा होता तो?



रामू - तो क्या ? बात करता उससे और अगर लड़का अच्छा होता तो उससे तेरी शादी कर देता



रामू की बात सुनकर बेला की ऐसी हालत हो गई थी कि काटो तो खून नहीं। बेला को लगता था अगर रामू को उसने सच बता दिया तो रामू जग्गू की चमड़ी उधेड़ देगा पर अब बेला रामू से झूठ बोलकर खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार चुकी थी



बेला को लगता था कि रामू भी गांव में दूसरे लड़कियों के भाइयों की तरह होगा लेकिन रामू सबसे अलग था उसने कभी भी बेला के हाथों और पैरों में बेड़ियां नहीं बांधी थी बेला को खुली आजादी दे रखी थी और अब बेला रामू को सच भी नहीं बोल सकती थी



बेला - रामू तेरे जैसा भाई दुनिया की हर बहन हो मिले। भाई मुझे तुझसे कुछ कहना है



रामू - बोल क्या कहना है?



बेला - भाई वो , वो भाई दरअसल , वो ये बात थी भाई , मै ये कहना चाहती थी तुझसे भाई



रामू - बोल ना बेला क्या बोलना चाहती है



बेला - भाई तू और चंपा बुआ उस दिन झोपड़ी में....



रामू की हालत ऐसी हो गई थी जैसे उसका दिल ही धड़कना बंद कर दिया हो



तभी रामू को वो दिन याद आता है उस दिन वो कोई और नहीं बेला थी और वो गमला बेला से ही टूटा था इसका मतलब ये था कि बेला ही झोपड़ी के बाहर खड़ी रामू और चंपा की रासलीला देख रही थी



बेला - भाई मै किसी से नहीं बोलूंगी



रामू - पक्का !



बेला - हां भाई पर तुझे कोई और नहीं मिली वो चंपा बुआ ही मिली थी



रामू - इसमें उसकी क्या गलती बेला उसकी शादी की उम्र निकल गई । तू भी उस बेचारी को बुआ बोल रही है



बेला - मै तो मज़ाक कर रही थी भाई , वैसे चंपा दीदी बहुत सुंदर है तो फिर तुमने क्या सोचा है



रामू - मतलब?



बेला - मेरा मतलब तू उससे शादी करना चाहता होगा ?



रामू - मैंने सोचा नहीं अभी तक और लोग क्या कहेंगे चंपा मुझसे उम्र में ६ साल बड़ी है



बेला - ये क्या बात हुई भाई वो सब करने से पहले तुझे उम्र नहीं दिखी चंपा दीदी की ??



रामू - देख बेला ये सिलसिला पिछले साल ही शुरू हुआ है और मैंने अभी इस बारे में सोचा नहीं है



बेला - तो सोच ले क्योंकि मैंने रत्ना चाची को मां से बात करते सुना था कि हरिया चाचा चंपा दीदी की शादी सेठ हीरालाल के किसी दोस्त से कर रहे हैं और वो 55 साल का कोई बूढ़ा और अमीर आदमी है



रामू - क्या ?



बेला - हां भाई । चल नीचे चलते हैं रात के खाने का समय हो गया है



रामू - ठीक है चल



फिर दोनों छत से नीचे आ जाते हैं
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#31
Update 29



सब रात का खाना खा चुके थे अब सोने का समय भी हो गया था रामू को आज नीचे गद्दे पर सोने का मन नहीं था क्योंकि आज सुबह के बारे में सोच सोचकर उसको दिल ही दिल में बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी



सविता आंगन में गद्दा बिछा रही थी और धन्नो अपने कमरे में रजाई लेने गई थी



रामू - मां मुझे आज नीचे गद्दे पर सोने का मन नहीं है मेरी पीठ अकड़ जाती है आप मेरे लिए चारपाई लगा दो ना



सविता - ठीक है लल्ला



तभी धन्नो वहां रजाई लेकर आ जाती है



धन्नो - ये चारपाई किसके लिए लगा रही है बन्नो



सविता - लल्ला के लिए लगा रही हूं दीदी। लल्ला को नीचे गद्दे पर सोने की आदत नहीं है ना दीदी। पीठ अकड़ जाती है लल्ला की



धन्नो - अरे तो चारपाई क्यों लगा रही है , चल रामू मेरे साथ कमरे में सो बिस्तर पर



रामू - पर मौसी....



धन्नो - पर वर कुछ नहीं रामू तू मेरे साथ ही सोएगा बिस्तर पर



रामू - ठीक है मौसी



फिर सविता आंगन में नीचे गद्दे पर बेला के साथ सो जाती है रजाई ओढ़कर और रामू धन्नो के साथ उसके कमरे में आ जाता है



धन्नो के कमरे में बड़ा सा बिस्तर था जिसपर एक तरफ प्यारेलाल (धन्नो का पति) सोया हुए था , रामू बिस्तर पर जाके दूसरी तरफ सो गया और धन्नो दोनों के बीच में आकर लेट गई।



रामू को लेटे हुए एक घण्टा बीत चुका था पर दिमाग में लता की बात घुम रही थी वो यही सोच रहा था के ये कैसा परिवार है। एक तरफ माँ अपने बेटे से चुदवाती है वही घर की बहु अपने भाई के नीचे सो चुकी है।



रामू और धन्नो एक ही रज़ाई में सोये हुए थे।



कुछ देर बाद धन्नो की आँख खुलती है और वो रामू को जगता देख उसे पूछ लेती है।



धन्नो धीमे आवाज़ में - क्या बात है बेटा नींद नहीं आ रही।



रामू - मौसी सर्दी बहुत है।



धन्नो रामू के क़रीब खिसक जाती है।



धन्नो - यहाँ आ और धन्नो ये कहते हुए रामू को अपने से चिपका लेती है।



रामू का गठीला बदन जब धन्नो के गदराए जिस्म को छूता है तो रामू को कल का वो नज़ारा याद आ जाता है जब भीमा अपने लंड से धन्नो की चूत की कुटाई कर रहा था।



धन्नो चुपचाप लेटी हुई थी और रामू का मुंह ठीक उसके चूचियों के सामने था।



रामू अपनी ऑखें बंद करके अपने मुंह को थोड़ा और आगे की तरफ बढ़ा देता है जिससे उसके होंठ धन्नो के ब्लाउज को छूने लगते हैं।



धन्नो ऑखें खोल लेती है और फिर दुबारा बंद कर लेती है।



कुछ देर शांत रहने के बाद रामू अपने होंठों से धन्नो की चूचियों को चुम लेता है।



धन्नो के मुंह से एक हल्की सी - ह्ह्हह्ह्ह्ह सिसकी बाहर निकलती है जिसे रामू सुन लेता है।



रामू ने अपनी धन्नो मौसी के साथ ये सब करने का कभी सपने में सोचा भी नहीं था पर जो उसने देखा था उसके बाद उसका दिल कुछ और कह रहा था और दिमाग कुछ और।



रामू कुछ देर अपने जगह से हिलता भी नहीं पर धन्नो की चूत जाग चुकी थी मर्द का स्पर्श पाके कोई भी औरत भला कैसे चुपचाप सो सकती थी।



इस बार धन्नो अपनी चूचियों को रामू के मुंह पे घीसने लगती है। ब्लाउज से आ रही गंध रामू के दिमाग में चढने लगती है और रामू ज़रा सा मुंह खोलकर धन्नो की ऊपर वाली चूची को मुंह में ले लेता है।



धन्नो अपने हाथों से रामू के बाल पकड़ लेती है। दोनो कुछ नहीं बोल रहे थे।



अचानक धन्नो रामू का सर अपने चूचियों से हटा देती है और जब कुछ पलों बाद दुबारा रामू का मुंह उस जगह आता है तो उसके होश उड़ जाते है। रामू ने मन में ठान लिया था कि अब वो पीछे हटने वाला नहीं है।



धन्नो देखती है कि रामू उसकी आंखों में देख रहा है। धन्नो जल्दी से अपनी ब्लाउज और ब्रा को नीचे करके अपनी बड़ी बड़ी चूचियां रामू के मुंह के करीब ले आती है और उसके होंठों में अपने मोटे मोटे निप्पल डालने की कोशिश करने लगती है



रामू अपना मुंह खोल देता है और धन्नो के निप्पल्स उसके मुंह में चले जाते है।



रामू अब अपने आप में नहीं था वो निप्पल चुसते हुए अपना एक हाथ नीचे करके बिना देरी किये धन्नो की साड़ी के अंदर से उसकी गीली पैंटी में डाल देता है।



धन्नो - आहह बेटा।



पहली बार धन्नो के मुंह से कुछ शब्द निकलते हैं और वो रामू के सर को अपनी चूचियों में दबा देती है।



रामू के हाथ की दो मोटी मोटी उँगलियाँ धन्नो की चूत को सहलाते हुए अंदर चली जाती है।



दोनो पसीना पसीना हो जाते हैं



एक तरफ रामू बुरी तरह धन्नो के निप्पल्स को बारी बारी से चूस रहा था और नीचे अपने उँगलियों से धन्नो की चूत को अंदर तक चीर रहा था। रामू जितनी ज़ोर से अपनी उँगलियाँ धन्नो की चूत में डालके हिलाता उतनी ज़ोर से धन्नो रामू के सर को अपनी चूचियों में दबा देती।



इससे पहले रामू आगे बढ़ता धन्नो के पति यानी रामू के मौसा की आवाज़ आती है। - अरे धन्नो जाग रही हो क्या ? ज़रा एक ग्लास पानी ले आओ मुझे प्यास लग रही है



धन्नो रजाई के अंदर अपनी साड़ी और ब्लाउस ठीक करते हुए बोलती है - जी बस अभी लेकर आती हूं



फिर धन्नो उठ के रसोई से एक ग्लास पानी ले आती है और धन्नो का पति पानी पीने के बाद सो जाता है



जब वो ग्लास रसोई में रख के आती है तो देखती है कि रामू भी खर्राटे ले रहा है फिर धन्नो भी बिना कुछ सोचे सो जाती है
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#32
Update 30



जग्गू का घर -



सुबह का समय था घड़ी में करीब ६ बजे थे। माला आज जल्दी उठ गई थी क्योंकि आज माला का जन्मदिन था



माला आज काफी खुश थी। गांव का मौसम बहुत ठंडा था, माला ने अपनी धुली हुई साड़ी उठायी और गमछा उठाके बाथरूम में घुस गयी। माला ने आईने के सामने अपने बाल खोल दिये और फिर अपनी साड़ी वहीं उतार दी, फिर अपनी ब्लाउज उतारकर दरवाजे पर टांग दिया।



माला ने अपने पेटीकोट के नाड़े को खींचकर ढीला किया और दोनों पैरों को उसमे से निकाला। माला अब एक छोटी कच्छी और ब्रा में थी। कच्छी और ब्रा दोनों गुलाबी रंग के थे जिसपर फूल बने हुए थे। उसका गोरा चमकदार बदन बहुत ही मादक लग रहा था फिर माला ने शीशे में देखते हुए अपनी ब्रा की हुक खोल दी । ब्रा खुलते ही माला की बड़ी बड़ी चुचियाँ फुदककर बाहर आ गयी माला के चूचक हल्के भूरे रंग के थे।



इसके बाद उसने अपनी कच्छी को उतार दिया और दोनों ब्रा और कच्छी को वहीं दरवाज़े पर लटका दिया। फिर उसने अपनी बुर पर बढ़ी हुई केश की ओर देखा और मन में सोचा कि झाँठे काटे की ना। वैसे तो माला 43 की थी पर तन बदन का कसाव अभी भी 35 का ही था। फिर उसने अपनी बुर को ऊपर से सहलाया और मन में बोली कल साफ करूँगी।



माला फिर अपनी मस्त चौड़ी गांड को बाथरूम में रखे मचिया पे टिका दिया और अपने नंगे बदन पर मग से पानी डालने लगी। पानी उसके बदन पर मक्खन की तरह फिसल रहा था। वो बिल्कुल अद्भुत स्त्री लग रही थी। एक औरत के बदन में जो हर मर्द चाहता है वो सब था माला के पास। माला ने नहाने के दौरान वहीं बैठे बैठे पेशाब भी कर दिया। पेशाब की वजह से पानी हल्का पीला हो गया था जिसे उसने पानी से ही बहा दिया।



कुछ देर बाद उसने अपने जिस्म पर साबुन लगाया। अपनी काँखों, गर्दन , चुचियाँ, गांड, गांड की दरार, और अंत में बुर पर भी। सब जगह लगाने के बाद उसने खूब बदन को रगड़ा। वैसे तो वो इतनी गोरी थी कि मैल भी उसपर बैठे तो इतरा के, पर वो ऐसा होने नहीं देती थी। इसके बाद उसने साबुन को पानी से साफ किया और एक दम साफ हो गयी। चूंकि घर में उसका बेटा जग्गू अभी सो रहा था इसलिए बाथरूम से सिर्फ साया बांध के आ गयी।



साया उसके चुचियों के ठीक ऊपर बंधा था और गांड को बस ढके हुए था। उसकी जाँघे और गांड मोटी और हल्की चर्बीदार थी। उसका पेट भी ठीक ऐसे ही था।



अक्सर इस उम्र की औरतों को ये चीज़ें और कामुक बना देती हैं। भरी हुई चूतड़ों से औरतो की चाल निखर जाती है। क्योंकि जब वो चलती हैं तो चूतड़ों के हिलने से औरतें मर्दो के दिलों की धड़कने बढ़ाती हैं, ठीक वही चाल अभी माला की हो चुकी है। अपने भारी चूतड़ों की उछाल उसके काबू में नहीं थी। ठीक वैसे ही उसकी चूचियों की चाल होती थी पर ब्रा पहनने से उनकी हरकत काफी कंट्रोल रहती थी।



माला ने फिर साड़ी पहनी और फौरन स्लीवलेस ब्लाउज पहन लिया। जिसमे आगे आधी चुचियाँ साफ दिख रही थी और पीछे पूरी पीठ लगभग नंगी ही थी। ऐसा नहीं था कि माला इस तरह की ब्लाउज़ हमेशा पहनती थी पर आज उसका जन्मदिन था इसलिए उसने आकर्षक दिखने के लिए स्लीवलैस ब्लाउज़ पहना था।



तभी माला के कमरे का दरवाज़ा खटका।



माला ने दरवाजा खोला सामने उसका बेटा जग्गू खड़ा था।



जग्गू - जन्मदिन मुबारक हो मां। और ऐसा बोलते हुए उसने एक तोहफा अपनी मां की तरफ बढ़ा दिया



माला - मेरा प्यारा बेटा। तुझे याद था। फिर माला जग्गू का माथा चूमते हुए बोली - ये क्या है ?



जग्गू - मां वो तेरे लिए सिल्क की साड़ी लेकर आया हूं शहर से



माला - क्या ? शहर से ! कब ? ये तो बहुत मंहगी होगी ना ?



जग्गू - मां तू सवाल बहुत करती है जल्दी से देखकर बता तुझे मेरा तोहफा कैसा लगा



माला को दिल ही दिल में ये बात बड़ी अजीब लगी क्योंकि जग्गू ने आज से पहले कभी माला को इस तरह कोई तोहफा नहीं दिया था माला को लगा कि ज़रूर कोई तो बात है



माला - कोई बात है क्या जग्गू ?



जग्गू - नहीं मां क्यों?



माला ने सोचा कि एक तो उसका बेटा पहली बार उसके लिए कुछ लाया है और वो है कि उससे फालतू सवाल कर रही है



माला - कुछ नहीं। तू बाहर जा मै अभी ये साड़ी तुझे पहनकर दिखाती हूं



जग्गू - ठीक है



फिर जग्गू कमरे से बाहर चला गया ।



जग्गू मन में - आज मां बहुत खुश है आज मै अपने दिल की बात मां को बता कर ही रहूंगा कि मै बेला से प्यार करता हूं और बेला भी मुझसे उतना ही प्यार करती है। हे भगवान मां मान जाए।



इधर माला कमरे में अपनी संदूक से एक तस्वीर निकालती है और उस तस्वीर को अपने छाती से लगाकर बोलती है



माला - देखा आपने आपका बेटा कितना समझदार हो गया है अपनी मां का कितना ख्याल रखने लगा है अगर आप होते तो आपको अपने बेटे पर बहुत गर्व होता।



जग्गू बाहर से आवाज लगाता है - मां जल्दी करो मुझे खेतों में बहुत काम है



माला अपने आंसू साफ करती हुई - हां बस १ मिनट बेटा



फिर माला जल्दी से उस तस्वीर को अपने तकिए के नीचे दबा देती है और जल्दी से वो साड़ी पहनने लगती है जो जग्गू उसके लिए लेकर आया था



कुछ देर बाद माला अपने कमरे का दरवाज़ा खोलती है



माला उस साड़ी में बड़ी जंच रही थी। ऐसा लग रहा था कि स्वर्ग से कोई अपसरा धरती पर उतर आई हो



जग्गू - मां बहुत सुंदर लग रही है तू। मां मेरे लिए जल्दी से नाश्ता बना दे। मुझे खेतों में बहुत काम है



माला - ठीक है



जग्गू ने माला की तरफ एक नजर देखा और बोल दिया। माला को बड़ा अजीब लगा क्योंकि जग्गू ने ठीक से तारीफ तक नहीं की माला की। तारीफ करना तो छोड़ो ठीक से देखा भी नहीं माला को।



फिर माला जल्दी से जग्गू के लिए नाश्ता बनाकर लाती है



जग्गू - अरे हां मां तू शाम को तैयार रहना , आज रात का खाना हम बाहर खाएंगे



माला जग्गू की बात सुनकर बहुत खुश हो जाती है



माला - ठीक है बेटा तो मैं आज मिठाई की दुकान जल्दी बढ़ा दूंगी।



फिर जग्गू जल्दी से नाश्ता करके अपने खेतों में आ जाता है आज जग्गू ने सेठ हीरालाल से कहकर छुट्टी ले ली थी और शाम तक जग्गू अपने खेतों में ही काम करता रहता है



उधर रामू धन्नो मौसी के घर सुबह जल्दी उठ गया था रात को रामू और धन्नो के बीच जो भी हुआ उत्तेजना में हुआ। धन्नो की उम्र भले ही 45 साल हो चुकी थी लेकिन जवानी ने उसका साथ अभी तक नहीं छोड़ा था और रामू अपनी जवानी की चरम सीमा पर था इसलिए वो भी अपने आप को रोक नहीं पाया। सुबह सुबह ही रामू भीमा के साथ उसके खेतों की तरफ निकल गया था पता नहीं क्यों रामू को अपनी हरकत के बारे में सोच सोचकर बड़ी शर्मिंदगी मेहसूस हो रही थी। रामू पूरा दिन अपने भइया भीमा के साथ खेतों में ही काम करता रहा



इधर शाम हो चुकी थी और जग्गू अपनी मां माला के साथ बाहर खाना खाने आया था , गांव के बाहर एक छोटा सा रेस्टोरेंट था। बाहर खाना खाने जग्गू अपनी मां के साथ वहीं आता था



जग्गू - बोलो मां क्या ऑर्डर करू



माला - कुछ भी जो तेरा मन हो



जग्गू - अरे मां जन्मदिन आपका है या मेरा ?



माला - मेरे लिए छोले भटूरे कर दे



जग्गू - और ?



माला - और हां खाना खाने के बाद फालूदा खाएंगे



जग्गू - ठीक है मां



माला एक खाली टेबल देखकर वहां बैठ जाती है और जग्गू कुछ देर बाद खाना लेकर आता है



जग्गू - मां मैंने दो प्लेट राजमा चावल भी ऑर्डर कर दिया है राजमा चावल भी खा लेंगे सिर्फ छोले भटूरे से क्या ही होगा।



माला - जग्गू बेटा तू कोई गलत काम तो नहीं कर रहा?



जग्गू - मां मै कोई गलत काम नहीं करता , अब हमारे वो दिन गए जब हमें खाने के बारे में भी सोचना पड़ता था। मां रामू की वजह से खेती भी इस साल बड़ी अच्छी हुई है और तेरे जन्मदिन पर पैसे खर्च नहीं करूंगा तो कब करूंगा !



माला - ठीक है बेटा पर याद रखना गलत काम करने वाले को ऊपर वाला बक्षता नहीं है



जग्गू - अरे मां अब ज़्यादा ज्ञान ना दो। मै समझ गया



फिर दोनों खाना खाते है और खाना खाने के बाद जग्गू फालूदा लेकर आता है



आज माला बड़ी खुश थी। फालूदा खाने के बाद दोनों टहलते हुए घर की तरफ आने लगते हैं अब इतना ठूसा था तो पचाना भी तो था



जग्गू मन में सोचता है कि यही सही मौका है अपनी मां को अपने और बेला के समबंध के बारे में बताने का।



जग्गू - मां सुनो



माला - हां बोलो बेटा



जग्गू - मुझे आपसे कुछ कहना है



माला - मै सुबह ही समझ गई थी कि कोई बात तो ज़रूर है बोल क्या बात है



जग्गू - नहीं मां ये सब मैंने आपके लिए ही किया है ऐसी कोई बात नहीं है दरअसल बात दूसरी है



माला - क्या ? पहेलियां मत भुझा जग्गू। बता क्या बात है ?



जग्गू - मां वो , मां दरअसल , मां मै ये कहना चाहता हूं , मां मुझे



माला - मां मां क्या कर रहा है बोल ना क्या बात है ?



जग्गू - मां मै बेला से प्यार करता हूं मतलब हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं



जग्गू ने हिम्मत करके एक ही सुर में बोल दिया।



चटाक.... माला ने खींच के एक थप्पड़ जग्गू की कनपटी पर धर दिया , सड़क बिल्कुल सुनसान थी। वहां कोई नहीं था इन दोनों के आलावा



माला - क्या बोला फिर से बोल ?



जग्गू - आह मां। मां मै और बेला एक दूसरे से प्यार करते हैं



चटाक.... चटाक..... चटाक......



माला - कुत्ते हरामजादे ये सब कर रहा है तू खेतों में



जग्गू रोते हुए - मां प्यार ही तो किया है मैंने बेला से कोई गुनाह नहीं किया जो आप इतना गुस्सा हो रही हो



माला - हरामजादे बेला ही मिली थी तुझे



चटाक.... चटाक.....



जग्गू - बेला में क्या खराबी है मां



माला - जग्गू हड्डियां तोड़ दूंगी तेरी अगर अब बेला का नाम अपनी ज़ुबान पर लिया तो



जग्गू - पर क्यों मां ?



माला गुस्से में - बात खतम जग्गू। गांव में इतनी लड़कियां है किसी के भी साथ रंगरलियां मना बस बेला नहीं। समझा कि नहीं।



जग्गू - क्यों मां क्यों ?



माला धाहड़ते हुए - क्योंकि



माला इससे आगे नहीं बोलती



माला - तुझे मेरी कसम जग्गू आज के बाद तू बेला से बात नहीं करेगा



जग्गू - ठीक है मां पर अगर तुम्हारी कसम की वजह से मेरी बेला को कुछ हो गया तो मै अपनी जान दे दूंगा



जग्गू रोता हुआ भागकर घर आ जाता है। और फिर माला भी रोती हुई धीरे धीरे चलती हुई घर आ जाती है
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#33
Update 31



माला अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद उसके आंखों से कोसों दूर थी। दिल ही दिल में माला को बड़ा दुख हो रहा था गलती आखिर माला की भी थी उसने अपने दिल में इतने राज़ जो दबा रखे थे अगर जग्गू को वो बातें पता होती तो वो बेला से कभी प्यार करने की गलती नहीं करता।



माला ने फैसला किया कि उसे अपनी ज़िन्दगी की किताब के कुछ पन्नों को जग्गू के सामने खोलना पड़ेगा।



माला अपने तकिए के नीचे से एक तस्वीर लेकर जग्गू के कमरे की तरफ बढ़ती है। जग्गू का कमरा अंदर से बंद था और कमरे के अंदर से जग्गू के रोने की आवाज माला को साफ सुनाई दे रही थी



माला - जग्गू बेटा दरवाज़ा खोलो



जग्गू चीखते हुए - चली जाओ मां मुझे तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखनी।



माला - बेटा मेरी बात सुन ले। उसके बाद तू जैसा बोलेगा तेरी मां वैसा ही करेगी



जग्गू - चली जाओ मां, मैंने बोला ना मुझे कुछ नहीं सुनना।



माला - तू कहेगा तो मै तेरे लिए बेला का हाथ मांग लूंगी सविता और रामू से पर उससे पहले तुझे मेरी बात सुननी पड़ेगी।



माला के मुंह से ये बात सुनते ही जग्गू चुप हो जाता है और धीरे से अपने बिस्तर से उठकर दरवाज़ा खोलता है और फिर बिना कुछ बोले वापस बिस्तर पर आकर बैठ जाता है



माला भी बिस्तर पर जग्गू के बगल में आकर बैठ जाती है



जग्गू - बोलो मां क्या बोलना है तुम्हे



माला धीरे से - बेला तेरी बहन है जग्गू



जग्गू - ये क्या बेहूदा बात कर रही हो मां



माला - देख बेटा मै अपनी ज़िन्दगी के कुछ राज़ तुझे बताने आई हूं बेला तेरी सगी बहन नहीं है पर रिश्ते में वो तेरी बहन लगती है



जग्गू - कैसे मां और इस बात का क्या सबूत है आपके पास कि बेला मेरी बहन लगती है रिश्ते में। तुम कुछ भी बकती रहोगी और मै मान लूंगा



माला - तू बचपन में हमेशा मुझसे पूछता था ना कि तेरे बापू कौन है।



जग्गू - कौन?



माला अपने हाथ से वो तस्वीर जग्गू के हाथ में थमाकर - ये हैं तेरे बापू



जग्गू उस तस्वीर को देखकर - मां मैंने इन्हे कहीं देखा है इनकी तस्वीर मैंने किसी के घर देखी है



माला - रामू के घर तुमने इनकी तस्वीर को देखा होगा।



जग्गू को याद आता है कि रामू के कमरे में ये तस्वीर उसने देखी है



जग्गू - मतलब रामू की बापू ही मेरे बापू थे ये कैसे हो सकता है मां । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।



माला - मुरली ही तुम्हारे बापू थे वो कहानी झूठी थी कि तुम्हारे बापू किसी बाजारू औरत के साथ भाग गए थे। दरअसल बेटा मैंने कई साल रामू के बापू मुरली की रखैल के रूप में अपनी ज़िन्दगी गुजारी है और तुम उसी का नतीजा हो हालांकि मै और मुरली एक दूसरे से प्यार करते थे पर इस दुनिया में शादीशुदा मर्द से प्यार करने वाली औरत को दुनिया रखैल का ही दर्जा देती है ये राज़ तुम्हारे बापू मुरली के जाने के बाद मैंने दफन कर दिया था पर अगर मै ये बात तुम्हे नहीं बताती तो तुम पाप कर बैठते। अब समझे बेला रिश्ते में तुम्हारी बहन कैसे लगती है



माला के मुंह से ये बात सुनकर जग्गू की ऐसी हालत हो गई थी जैसे काटो तो खून नहीं



जग्गू - मां मुझे अकेला छोड़ दो।



माला - ठीक है बेटा पर ध्यान रहे रामू और बेला तुम्हारे भाई और बहन है उनके लिए कभी कुछ गलत मत सोचना और सविता काकी तुम्हारी बड़ी मां हैं वो तुम्हारी मां समान हैं और जितना सविता ने मेरे लिए किया है उतना शायद मेरे किसी अपने ने भी नहीं किया बेटा। सविता ने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया और मैं उसके पीठ पीछे उसके ही पति मुरली से प्यार कर बैठी। रामू का परिवार तुम्हारा भी परिवार है जग्गू बेटा



जग्गू - सच मां।



माला - सच बेटा। बस हवेली वालों से दूर रहना उन्होंने ही मेरी ज़िन्दगी उजाड़ी है



जग्गू - क्या ? पर कैसे मां ?



माला - कुछ राज़ को राज़ ही रहने दो बेटा। और अब बेला के प्रति अपनी सोच में परिवर्तन लाओ



जग्गू - मै कोशिश करूंगा मां।



फिर माला वहां से चली जाती है और अपने कमरे मे आकर सो जाती है और जग्गू भी यही सब सोच सोचकर सो जाता है
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#34
Update 32



रामू आंगन में चारपाई पर सो रहा था , रामू जाग रहा था उसके आंखों से नींद कोसों दूर थी। रात के करीब १ बज रहे थे , रामू अपनी धन्नो मौसी और भीमा भाईया का इंतजार कर रहा था कि कब वो घर से बाहर निकलते हैं आज रामू का प्लान दोनों को रंगे हाथ पकड़ने का था



तभी धीरे से धन्नो मौसी के कमरे का दरवाज़ा खुलता है और धन्नो दबे पांव घर से बाहर निकल जाती है फिर कुछ देर बाद भीमा के कमरे का दरवाज़ा खुलता है और भीमा भी अपने कमरे से भर निकल के चुपके से घर से बाहर निकल जाता है



दोनों के जाने के बाद रामू तुरंत भीमा के कमरे में घुस जाता है। लता अभी भी जाग रही होती है वो रामू को अपने कमरे में देख कर डर जाती है



लता - देवर जी आप यहां ? जाओ यहां से।



रामू - भाभी तुम मेरे साथ चलो बिना कोई सवाल किए। ठीक है।



लता - कहां ?



रामू - भाभी मेरे ऊपर भरोसा है तो मेरा हाथ थाम लो और चलो मेरे साथ



लता बिना कोई सवाल किए रामू का हाथ थाम लेती है और चुपचाप रामू के साथ चल देती है खेत की तरफ।



भीमा और धन्नो झोपड़ी में पहुंच गए थे।



रामू लता का हाथ पकड़कर झोपड़ी की खिड़की की तरफ ले आता है और दोनों वहां से झोपड़ी के अंदर झांक रहे थे



अंदर लालटेन की रोशनी में -



भीमा दना दन अपना लंड धन्नो की चूत में डाले उसे चोद रहा था।



लता के हाथ में पसीना आने लगता है वो बहुत घबरा रही थी उसे बिलकुल पता नहीं था की रामू क्या करने वाला है।



रामू झोपड़ी के दरवाज़े पर ज़ोर से लात मारता है और दरवाज़े के कुन्डे खुल जाते है रामू अंदर दाखिल होता है और सामने पड़े धन्नो और भीमा के गाण्ड मुंह चूत सब फटे के फटे रह जाते है।



भीमा झट से पास में पड़ी अपनी धोती उठाके पहनने लगता है पर रामू उसके हाथ से धोती खीच लेता है ।



रामू - वाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या नज़ारा है एक बेटा अपनी माँ के साथ वाह्ह।



लता भी तब तक झोंपडे के अंदर आ चुकी थी और उसे वहां देख दोनों की हालत और ख़राब हो जाती है।



भीमा - तू इसे यहाँ लेके आई है। है ना हरामजादी।



रामू भीमा का हाथ लता तक पहुँचने से पहले पकड़ लेता है।



रामू - भाभी मुझे यहाँ नहीं लाई।



भीमा - ओह्ह अब समझा मै। पहले भाई के साथ सोई और अब अपने देवर के साथ तभी तो ये तेरी इतनी तरफदारी कर रहा है।



धन्नो - अरे कुल्टा है ई।



रामू के दिमाग में अजीब सी हलचल होने लगती है और वो एक ज़ोरदार थप्पड पहले भीमा के मुंह पर और उसके बाद धन्नो के मुंह पर जड़ देता है दोनों चक्कर खा के गिर पड़ते है।



रामू - हरामखोर ये अपने भाई के साथ क्या कर चुकी है इसलिए तुम दोनों इसे गलियां देते हो। मारते हो । ताने देते हो और तुम दोनों जो कर रहे हो वो क्या है? हाँ बोलो। एक नम्बर के नीच इंसान हो तुम दोनों। मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कोई आपत्ती नहीं है लेकिन हर किसी को अपनी ज़िन्दगी जीने का पूरा पूरा हक़ है जिसके साथ चाहे उसके साथ। मगर भीमा तुमसे मुझे ये उम्मीद नहीं थी और मौसी तुम भाभी को कुल्टा बोल रही हो तो अपने बेटे के साथ ये सब करने वाली औरत को क्या कहते हैं पता है ना तुम्हें।



"भाभी अपने ज़िन्दगी में बहुत दर्द झेल चुकी है वो तुम्हारे घर की लक्ष्मी है। हो गई गलती उनसे भी। इंसान से गलती नहीं होंगी तो क्या भगवान से होगी। इंसान ग़लतियों का पुतला है पर इसका मतलब ये नहीं की तुम अपने गलतियाँ छुपाने के लिए दूसरों की गलतियाँ निकालते फिरो।"



"अब भी वक़्त है संभाल जाओ और एक दूसरे को दिल से माफ़ कर दो और तुम चाहे कैसे भी ज़िन्दगी गुज़ारो पर भीमा अपनी पत्नी को भी थोड़ा मान सम्मान प्यार दो। वो तुम्हारी रखैल नहीं तुम्हारी धरम पत्नी है उसे प्यार दो बदले में तुम्हें भी प्यार मिलेगा।"



"ये लो कपडे और घर चलो मै तो कुछ दिन के लिए यहाँ आया था। कुछ दिन बाद चला भी जाऊँगा। बस तुमसे हाथ जोड़ के एक ही बिनती करता हूँ। ये जीवन बहुत छोटा है इसे जलन और नफरत में ख़तम मत करो।"



धन्नो अपने कपडे पहन के लता के पास आती है और उसे अपने गले से लगा लेती है।



धन्नो - मुझे माफ़ कर दे बेटी मुझसे बहुत बडी गलती हो गई। पुरानी सारी बातें भुला के आज से हम सब एक नई ज़िन्दगी शुरू करेंगे।आज रामू ने हम दोनों की आँखें खोल दी हैं। रामू बेटा मै दिल से तेरा धन्यवाद करती हूँ अगर आज तुम हमारे ऑखों पे बँधी पट्टी नहीं हटाते तो शायद हमारी ज़िन्दगी ऐसे ही गुज़रती रहती। पर मै वादा करती हूँ कि लता को अब वही मान सम्मान इस घर में मिलेंगा जिसकी वो हक़दार है।



भीमा भी रामू और लता से माफ़ी माँगता है और चारो घर चले जाते हैं।



भीमा इतना शर्मिंदा था की वो सीधा अपने कमरे में चला जाता है।



धन्नो लता के पास आती है - जा बेटी अपने पति के पास उसे तेरे साथ की बहुत ज़रुरत है।



लता रामू को देखते हुए कमरे में चली जाती है।



भीमा बिस्तर पे बैठा हुआ था।



लता को देखते ही वो उसको अपने पास बुला लेता है।



भीमा - लता मुझे सच में माफ़ कर दे मुझसे भूल हो गई।



लता अपनी ऊँगली भीमा के होंठों पे रख देती है।



लता - देखिये जो हुआ उसे याद करके हम अपने आने वाली ज़िन्दगी क्यों ख़राब करे। मै चाहती हूँ कि आप माँ जी से उतना ही प्यार करें जितना करते है। मै आप दोनों के बीच कभी नहीं आऊँगी बस अपने दिल के एक कोने में मुझे भी जगह दे दीजीए।



भीमा अपनी पत्नी लता पर झुकता चला जाता है



और लता दिल से रामू को धन्यवाद करते नहीं थकती। उस रात लता को असली मायने में एक पत्नी का सुख मिलता है भीमा से।।



रात के ३ बज रहे थे पर रामू को नींद नहीं आ रही थी ।



आज रामू का मन बहुत विचलित था आज तक उसके साथ ऐसा नहीं हुआ था। वो धन्नो और भीमा को तो समझा चुका था पर घर आने के बाद से उसके लंड में एक तरह की अकड़न सी आ गई थी।



रामू के आंखों के सामने धन्नो और भीमा ही घूम रहे थे। वो बार बार बस एक ही बात सोच रहा था कि एक बेटे को अपनी माँ के साथ वो सब करने में कैसा आनंद आता होगा। वो एहसास कैसा लगता होगा जब अपने ही माँ की चूत में बेटे का लंड जाता होगा। ये सोच सोच के उसका लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।



पर रामू करता भी क्या? उसने उठ के एक ग्लास पानी पिया और ज़्यादा ना सोचते हुए चुपचाप सो गया।
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#35
Update 33



सुबह का वक़्त था घड़ी में ७ बज रहे थे रामू आंगन में चारपाई पर सोया हुआ था, बेला भी वहीं नीचे गद्दे पर सो रही थी और सविता बाथरूम में नहा रही थी



धन्नो अपनी बहू लता के साथ रसोई में नाश्ता बना रही थी और भीमा कुन्वे की खुदाई की मशीन लेने के लिए शहर गया हुआ था



अचानक धन्नो के कमरे से बहुत जोर से कुछ गिरने की आवाज आई



धन्नो - लता मेरे कमरे से कुछ आवाज हुई। कहीं बिल्ली ने कुछ गिरा तो नहीं दिया। मै देखकर आती हूं



लता - जी मां जी



धन्नो फिर जैसे ही अपने कमरे में घुसी तो उसने देखा कि उसका पति नीचे ज़मीन पर गिरा पड़ा है और मुंह से खून की उल्टियां कर रहा है



धन्नो चिल्लाते हुए - हे भगवान



धन्नो ने फिर अपने पति को नीचे ज़मीन से उठाकर बिस्तर पर लेटाया। लता भी कमरे में आ चुकी थी



प्यारेलाल - मेरा समय आ गया है धन्नो



ये सुनते ही धन्नो की आंखों से आंसुओ की बरसात होने लगी और लता भी रोने लगी थी



धन्नो - ये आप क्या बोल रहे हैं कुछ नहीं होगा आपको



प्यारेलाल - मेरी बात ध्यान से सुनो धन्नो , मैंने एक चिठ्ठी लिखी है रामू के नाम , मुझसे वादा करो कि तुम वो चिठ्ठी रामू को अपने हाथों से दोगी।



धन्नो रोते हुए - हां दूंगी।



प्यारेलाल - कुछ राज़ लिखे हैं उसमे जो रामू को जान लेना चाहिए और कुछ राज़ मेरी मौत के साथ दफन हो जाएंगे। वो चिट्ठी मैंने अलमीरा में रखी है



और इतना बोलते ही प्यारेलाल ने एक जोर से सांस ली और फिर उसकी सांस अचानक रुक गई।



फिर धन्नो और लता चीख चीखकर रोने लगे। उन दोनों की चीखों की आवाज सुनकर रामू और बेला जाग गए और सविता भी जल्दी से नहाकर सीधा कमरे में आ गई



कुछ है देर में पूरे घर में बस रोने की चीखें गूंज रही थी। फिर धीरे धीरे गांव वाले आना शुरू हो गए थे



कुछ देर बाद भीमा भी शहर से कुन्वे की खुदाई की मशीन लेके अपने घर की तरफ आ रहा था। जैसे ही उसने अपने घर के बाहर गांव वाले देखे तो वो समझ गया और भागते हुए घर के अंदर आया और अपने बापू को देखकर रोने लगा।



कुछ देर बाद रामू , भीमा कुछ गांव वालों के साथ शव उठकर नदी पर ले गए जहां भीमा ने अपने बापू को अंतिम विदाई दी।



रात हो चुकी था भीमा और रामू को घर आते आते। घर में सब भूखे ही सो गए थे



ऐसे ही दिन बीत गए और अब रामू , सविता और बेला के अपने घर आने का समय हो गया था



सुबह सुबह बस पकड़कर रामू अपनी मां और बहन के साथ वहां से अपने गांव के तरफ निकल गया।



धन्नो ने वो चिठ्ठी नहीं दी रामू को जो उसके पति ने रामू के लिए लिखा था उसमे कुछ ऐसा लिखा था जो धन्नो कभी नहीं चाहती थी कि रामू को पता चले।



लता ने कई बार सोचा कि वो रामू को बता दे उस चिठ्ठी के बारे में पर लता अपनी सास के खिलाफ नहीं जाना चाहती थी पर लता के मन में था कि रामू ने क्या कुछ नहीं किया उसके लिए और फिर भी वो उसके साथ विश्वासघात कर रही है
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#36
Update 34



रामू अपनी मां और बहन के साथ अपने घर आ चुका था। घड़ी में सुबह के १० बज रहे थे



रामू फिर अपने खेतों में काम करने चला गया।



रामू ने खेतों में काम जल्दी से खत्म किया क्योंकि उसने चम्पा को मिलने बुलाया था अपने गन्ने के खेत में।



फिर रामू अपने गन्ने के खेत में आ गया और उस जगह की तरफ चल दिया जहां हमेशा चम्पा उसका इंतज़ार कर रही होती थी। जैसे ही चम्पा की नजर रामू पर पड़ी उसने भागकर रामू को अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगी



रामू - लगता है बड़े दिनों से प्यासी है मेरी जंगली बिल्ली



चम्पा उदास होती हुई - रामू शायद मेरा साथ तुम्हारे साथ बस यहीं तक था



रामू - क्या हुआ मेरी रानी ऐसे क्यों बोल रही है



चम्पा - तुमने सुना नहीं क्या? मेरी शादी तय हो गई है



रामू - तय हुई है ना बस। हुई तो नहीं



चम्पा - तो



रामू - तुझे उस बूढ़े आदमी से शादी करनी है या नहीं ?



चम्पा - नहीं। पर भइया ने मेरा रिश्ता पक्का कर दिया है उस बूढ़े आदमी के साथ



रामू - चम्पा तू घर जा और बस अपनी सुहागरात की तयारी कर



चम्पा - क्या तू मुझसे शादी करेगा रामू? तेरा दिमाग तो ठीक है



रामू - हां मै तुमसे शादी करूंगा और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गांव के लोग क्या सोचेंगे



चम्पा - ये कभी नहीं हो सकता। बात वो नहीं है रामू की मै तुझसे उम्र में ६ साल बड़ी हूं



रामू - तो क्या बात है ?



चम्पा - पहले मुझे उस बूढ़े आदमी से बचा।



रामू - ठीक है



चम्पा फिर वहां से अपने घर की तरफ निकल जाती है



रामू फिर शाम तक अपने खेतों में काम करता रहा और फिर खेतों से अपने घर की तरफ चल दिया।



घर में आकर रामू खाना खाता है फिर सविता उसके लिए दूध लेकर आती है



सविता - लल्ला मै क्या बोल रही थी कि आज मै आंगन में ही गद्दा बिछा कर सो जाती हूं वो क्या है ना लल्ला मेरा आज यहीं आंगन में सोने का मन कर रहा है। जबसे आंगन में सोने की आदत लगी है तबसे बस आंगन में ही नींद आती है। लल्ला क्या मै सो सकती हूं आंगन में?



रामू - हां मां क्यों नहीं आप कहीं पर भी सो। ये आपका ही घर है मै कौन होता हूं जो तुम्हे यहां आंगन में सोने से रोक लूंगा और मां मैंने तुझे कितनी बार कहा है हर बात पर मुझसे इजाजत मत लिया कर।



सविता - अरे लल्ला तू ही इस घर का मर्द है तू समझता क्यों नहीं!



रामू - मां तुम्हारी बातें बड़ी जटिल लगती हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आता।



सविता - मै समझाती हूं सुन , इस दुनिया में शुरू से ही मर्द ने औरत पर राज किया है क्यो मै बताती हूं। औरत एक नदी की तरह होती है जिसे हमेशा अपनी सीमा में रहना चाहिए और अगर सीमा के बाहर गई तो बर्बादी लाती है और तुम मर्द हमेशा से हम औरतों की सीमाएं यानी कि मर्यादाएं निर्धारित करते हो और यही होना चाहिए। हर औरत को मर्दों के बनाए हुए नियमो का पालन करना चाहिए। उनका हक है हमपर। मर्दों का काम कठिन है क्योंकि तुम लोगों को हमारे मन की बात पढ़नी होती है। हम औरतें बहुत बातें अपने मन में रखती हैं और उम्मीद करती है कि तुम इन्हे पूरा करो इसलिए हमारी कुछ ज़रूरतें होती है जिसको पढ़ना तुम्हारा काम है और पूरा करना भी।



रामू - मां ये तुम क्या कह रही हो मुझे तुम्हारे ऊपर काबू रखना होगा और एक औरत के तौर पर मै तुम्हारी मर्यादा निर्धारित करूं और अगर तुम गलती करोगी फिर मै क्या करूंगा ? तुम्हे मारूंगा ?



सविता - हां क्यों नहीं औरत को हमेशा माथे पर चढ़ाओगे तो गड़बड़ हो जाएगी । अगर तुम्हे लगता है कि वो अपनी औकात भूल रही है तो तुम उसके साथ जो भी करो वो जायज है। उसको उसकी मर्यादा में लाने के लिए जो कुछ भी करना पड़े तुम करोगे। ये बातें आजकल की लड़कियां नहीं समझती।



रामू - तुम तो बेहद पुराने ख्यालों की बात कर रही हो मां , अब जमाना बदल गया है



सविता - औरत के लिए ज़माना कभी नहीं बदलता लल्ला और ये बात तुम्हे कोई नहीं बोलेगा। लल्ला मै चाहती हूं कि तुम एक असली मर्द बनो, औरतों पर राज करना सीख गए ना तो ज़िन्दगी भर खुश रहोगे।



रामू - मां मुझे नींद आ रही है



सविता - ठीक है सो जाओ। दूध पी लिया ना



रामू - हां मां ये लो



फिर सविता ग्लास लेकर रसोई में चली गई और रामू चारपाई पर सो गया



सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया



रामू का दिमाग एकदम ठनकता है क्योंकि ये घटना उसके साथ लगातार दूसरी बार हुई थी पहली बार जब वो धन्नो मौसी के घर नीचे गद्दे पर सो रहा था और दूसरी बार आज और जबकि आज रात तो वो चारपाई पर सोया था तो नीचे गाद्दे पर कैसे आया? उसने अपने माथा झटका और बिना कुछ सोचे नहाने लग गया।



जब रामू बाथरूम से नहा कर बाहर आया तो सविता उसके लिए नाश्ता बना रही थी।







रामू नाश्ता करके अपने खेतों की तरफ निकल गया और अपने खेत में पहुंचकर उसने देखा कि कोई लड़का छुप - छुपकर हरिया चाचा के आम के बगीचे से झांक रहा है रामू को बड़ी हैरत हुई उसका लगा कोई साला गांव का लड़का होगा जो हौरिया चाचा के आम के बगीचे से आम तोड़ने आया होगा।



रामू जैसे ही उस लड़के को भगाने के लिए हरिया चाचा के आम के बगीचे की तरफ बढ़ा तो वो लड़का रामू को ठीक से नज़र आया वो लड़का बेहद पतला और कमसिन सा था जिसने अपना पजामा नीचे किया हुआ था और अपनी लुल्ली को जोर जोर से हिला रहा था ये लड़का और कोई नहीं। ज़हीर ही था।



रामू ज़हीर के पास पहुंच के पीछे से उसके मुंह पार हाथ रख दिया जिससे ज़हीर की चीख दब गई।



रामू धीरे से - बहन के लौड़े। तेरी मां को चोदु



रामू इतना ही बोला था कि उसको सामने से किसी के सिसकने की आवाज आई



रामू ने जब सामने की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई



आम के पेड़ के नीचे हरिया चाचा अपने मोटे लन्ड से ज़हीर की अम्मी रुबीना की चूत को दनादन पेल रहा था



रामू - तेरी जात का पैदा मारू तो ये गुल खिलाती है तेरी अम्मी हरिया चाचा के खेत में।



ज़हीर - धीरे बोलो रामू भाई , पहले यहां से चलो मैं तुम्हें समझाता हूं



रामू फिर ज़हीर को अपने खेत में लेकर आया।



रामू - रण्डी के पिल्ले बोल अब ये चुदाई कबसे चल रही है तेरी अम्मी और हरिया चाचा के बीच और तू साले हिजड़े के जने अपनी अम्मी को ही चुदाते देख अपनी लुल्ली हिला रहा था बहन के लौड़े।



ज़हीर डर गया था इसलिए वो सब सच सच बोल द्देता है - रामू भाई मुझे सच में नहीं पता कि अम्मी हरिया चाचा से कितने सालों से चुदवा रही है मैंने तो पिछले हफ्ते ही अपनी अम्मी और हरिया चाचा की रासलीला देखी है



रामू - तेरी मां को चोदु और तू क्या कर रहा था देखकर। भाग यहां से बहन के लौड़े।



ऐसा बोलते है रामू घुमा के एक लात ज़हीर की गान्ड पर मारता है और ज़हीर अपनी गान्ड दबाकर वहां से भाग जाता है।



रामू - अब देखना हरिया चाचा कैसे मै इस बात का फायदा उठाकर अपनी चम्पा का रिश्ता तुड़वाता हूं उस बूढ़े आदमी से।



रामू फिर अपने खेतों में काम करने लगा।
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#37
Update 35



रामू फिर शाम को अपने खेत से घर आया तो उसने देखा कि उसकी धन्नो मौसी आई हुई थी



सविता - अरे रामू तू आ गया । तू बैठकर बातें कर अपनी मौसी के साथ मै तेरे लिए दूध गरम करके लाती हूं



सविता उठकर रसोई में चली जाती है



रामू - मौसी तुम और यहां ?



धन्नो - अरे बेटा वो भीमा और लता को एकांत में थोड़ा समय चाहिए था इसलिए मैंने सोचा की यहां आ जाती हूं



रामू - पर मौसी अभी मौसा जी को मरे कुछ दिन ही हुए हैं और भइया भाभी को एकांत में समय चाहिए, मुझे कुछ समझ नहीं आया।



धन्नो - अरे बेटा वो ज़िंदा थे तो भी एक लाश की तरह ही थे। मै तो कहती हूं अच्छा हुआ उन्हें ऐसी ज़िन्दगी से शांति मिल गई



रामू - पर मौसी



धन्नो - देख बेटा किसी के जाने से कोई अपनी ज़िन्दगी तो जीना नहीं छोड़ सकता ना



रामू - हां मौसी वो तो है। मौसी मुझे माफ़ कर दो उस दिन मैंने आप पर हाथ उठाया



धन्नो - नहीं बेटा तुमने बिलकुल सही किया था अगर उस दिन तुमने मेरे ऊपर हाथ नहीं उठाया होता तो मेरी आंखें कभी खुलती ही नहीं



रामू - और मौसी उस रात जो हम दोनों के बीच हुआ उसके लिए भी....



धन्नो - बस इससे आगे कुछ मत बोलना, उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। चुप हो जाओ सविता आ रही है बाकी बातें हम रात में एकांत में करेंगे।



रामू - जी मौसी



रामू हाथ मुंह धोकर दूध पीता है और फिर कुछ देर बाद सब खाना खाने आंगन में बैठ जाते हैं



खाना खाने के बाद सविता आंगन में गद्दा बिछा देती है धन्नो के लिए और खुद बेला के कमरे में जाकर सो जाती है बेला के साथ।



रामू अपनी चारपाई लगा रहा होता है तभी धन्नो रामू से बोलती है।



धन्नो - रामू मेरे साथ यहीं गद्दे पर सो जा बाबू , मुझे बहुत सर्दी लग रही है



रामू अपनी थूक गटकते हुए - पर मौसी मेरी पीठ अकड़ जाती है गद्दे पर।



धन्नो - चल झूठे चुपचाप आकर अपनी मौसी को गर्मी दे जल्दी नहीं तो तेरी मौसी की तबीयत खराब हो जाएगी। तू चाहता है क्या तेरी मौसी की तबीयत खराब हो जाए ?



रामू झट से नीचे गद्दे पर आकर रजाई ओढ़ लेता है। रामू और धन्नो एक ही रजाई ओढ़े हुए थे। रामू जैसे ही रजाई में आता है वैसे ही धन्नो रामू को अपने जिस्म से चिपका लेती है।



रामू - मौसी ये क्या कर रही हो ?



धन्नो के हाथ रामू के पजामे के अंदर पहुंच गए थे। वो उसके लन्ड को हल्के हल्के हाथों से सहलाने लगी थी



धन्नो - उस दिन तुमने मुझे अधूरा छोड़ दिया था और आज में उसी का हिसाब लेने आई हूं



धन्नो अपने होंठों से रामू के गालों को चूमते हुए बोल रही थी



रामू - उसके लिए मै शर्मिंदा हूं मौसी, ये मै नहीं कर सकता तुम रिश्ते में मेरी मौसी हो मतलब मां जैसी



इतना बोलते ही रामू उठकर खड़ा हो गया



धन्नो - नहीं बेटा, तुम गलत सोच रहे हो। मै तुम्हारी मौसी नहीं हूं बेटा



रामू - क्या ? तुम कहना क्या चाहती हो



धन्नो - यहां नहीं तुम मुझे कहीं एकांत में ले चलो फिर मैं तुम्हे सच्चाई बताती हूं



रामू फिर धन्नो का हाथ पकड़ के अपने खेतों में बनी झोपड़ी के अंदर ले आया



रामू - अब बोलो मौसी क्या बोलना चाहती हो



धन्नो - तू ये चिठ्ठी पढ़ ले बेटा। ये चिठ्ठी मेरे पति ने मरने से पहले तेरे लिए लिखी थी



रामू - क्या लिखा है इसमें



धन्नो - तू खुद ही पढ़ ले बेटा



रामू जल्दी से उस चिठ्ठी को पढ़ने लगता है



प्रिय रामू बेटा।



मै इस चिठ्ठी के माध्यम से तुम्हे कुछ राज़ की बातें बताना चाहता हूं जो सिर्फ धन्नो, मुझे , तुम्हारे बापू मुरली और तुम्हारी मां सविता को पता है



दरअसल बात ये है कि मै और धन्नो तुम्हारे मौसा और मौसी नहीं हैं बल्कि इस दुनिया में कोई तुम्हारे मौसा मौसी थे ही नहीं। मै और धन्नो तो तुम्हारे बापू और मां के घर के नौकर नौकरानी थे



यही सच है बेटा। तुम्हारे मां बापू के बड़े एहसान है हमारे परिवार पर और हमारा परिवार मरते दम तक तुम्हारे परिवार के नमक का कर्ज अदा करते रहेगा। अपना मन में किसी के लिए नफरत के बीज को मत पनपने देना रामू बेटा



मेरे परिवार का ख्याल रखना रामू बेटा।



रामू - ये क्या है धन्नो मौसी ? बोल दो ये सब झूठ है



धन्नो रोती हुई - ये सच है रामू बेटा



रामू ने तुरंत उस चिट्ठी को फाड़ दिया और गुस्से में अपने घर की तरफ चल दिया



कुछ देर बाद जब धन्नो घर पहुंची तो रामू आंगन में चारपाई पर सो रहा था और धन्नो सुबकती हुई नीचे गद्दे पर रजाई ओढ़कर सो गई
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#38
Update 36



अगले दिन रामू सीधा अपने खेतों में आ गया बिना नहाए धोए। उसने नाश्ता तक नहीं किया है अभी तक उसके दिमाग में रात का दृश्य चल रहा था



तभी उसको हरिया चाचा हवेली की तरफ जाता दिखा।



रामू ने आवाज देकर हरिया को अपने पास बुलाया।



रामू - कैसे हो चाचा? आजकल तुम बिलकुल गायब ही रहते हो



हरिया - अरे रामू बेटा उस जागीरदार का सारा काम हमें ही करना पड़ता है साली ज़िन्दगी झंड हुई गई है



रामू - आओ बैठो चाचा मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है



फिर हरिया और रामू कुन्वे के पास आकर बैठ जाते हैं



हरिया - बोलो रामू बेटा क्या बात है ?



रामू - चाचा सुना है आप चम्पा बुआ की शादी कर रहे हो किसी बूढ़े आदमी से।



हरिया - हां बेटा अब कर भी क्या सकता हूं उम्र जो हो गई है चम्पा की और इतनी उम्र में कौन जवान लड़का उससे शादी करेगा



रामू - चाचा पर आप चम्पा बुआ की ज़िन्दगी बर्बाद कर रहे हो उसकी उस बूढ़े आदमी से शादी करके।



हरिया - मेरी बहन के लिए क्या सही है और क्या गलत अब तू बताएगा मुझे।



रामू - पर चाचा चम्पा बुआ उस बूढ़े आदमी से शादी करना नहीं चाहती।



हरिया - ज़ुबान संभाल कर रामू। तुझे कैसे पता कि वो किससे शादी करना चाहती है और किससे नहीं!



रामू - चाचा दरअसल मैंने चाची और बुआ को बात करते सुना था।



हरिया गुस्से में - देखो रामू बेटा हमारे घर के मामलों में दखल मत दो , इससे बातें और बिगड़ जाएंगी।



रामू - लगता है चाचा तुमने अपनी बहन का सौदा कर दिया। बताओ क्या बोली लगाई है तुमने अपनी बहन की।



रामू के मुंह से ये बात सुन हरिया की आंखें गुस्से से लाल हो गई



हरिया चिल्लाते हुए - हरामजादे अगर तू मेरा भतीजा नहीं होता तो इस बात पर तेरी जान ले लेता। हरामजादे तुझे शर्म नहीं आई अपनी बुआ के बारे में ऐसा बोलने में!



रामू - क्या ? क्या बोला चाचा ? मै भतीजा।



हरिया गुस्से में क्या बोल गया इस बात का खयाल उसको बाद में आया



हरिया - कुछ नहीं।



फिर हरिया वहां से जाने लगता है



रामू - ठीक है तो मै भी आपके घर जाता हूं और चाची को बता देता हूं कि आपका चक्कर उस दूधवाली रुबीना काकी के साथ चल रहा है।



रामू के मुंह से ये बात सुनते ही हरिया के हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं वो एक जगह जम जाता है



हरिया - नहीं रामू तू अपनी चाची को कुछ नहीं बताएगा।



रामू - ठीक है तो बोलो फिर मै तुम्हारा भतीजा कैसे हो गया?



हरिया - वो रामू बेटा दरअसल तुम रिश्ते में मेरे भतीजे लगते हो और मै तुम्हारा चाचा



रामू - ये क्या बेहूदा बातें कर हो चाचा? माना की मै आपको बचपन से चाचा बोल रहा हूं इसका मतलब ये नहीं की मै आपका भतीजा हो गया और आप मेरे चाचा। मुझे अच्छे से पता है कि मेरे बापू ना तो कोई सगा भाई था ना बहन।



हरिया - हां तुमने सही कहा रामू बेटा। तुम्हारे बापू को कोई सगा भाई बहन नहीं था। मै तुम्हारे बापू मुरली का चचेरा भाई हूं और मेरी बहन चम्पा तुम्हारे बापू मुरली की चचेरी बहन।



हरिया के मुंह से ये बात सुनकर रामू की हालत इस वक़्त ऐसी बन गई थी जैसे उसके शरीर से आत्मा ही निकल गई हो , वो ज़िंदा लाश की तरह खड़ा था।



हरिया - रामू बेटा संभाल अपने आप को। ये सच है चाहे अपनी मां से पूछ लेना। तुम्हारी मां ही तुम्हे सारी सच्चाई बताएगी और हां रामू बेटा मैंने तेरी बुआ का सौदा नहीं किया बल्कि मै तो उस आदमी की जान लेना चाहता हूं



रामू - क्या ?



हरिया - चम्पा के साथ उस बूढ़े आदमी शादी का रिश्ता एक बहाना है बस। दरअसल मैं उस बूढ़े आदमी को कुत्ते की मौत मारना चाहता हूं



रामू को कुछ समझ नहीं आ रहा था



रामू - क्यों ?



हरिया - तुम्हे पता नहीं है रामू बेटा उस हीरालाल और उसके दोस्तों ने हमारे परिवार के साथ क्या किया है इसलिए मै एक एक करके सालों से हीरालाल के दोस्तों को कुत्ते की मौत मार रहा हूं और वो बूढ़ा आदमी जिसे मैंने अपनी बहन चम्पा का रिश्ता किया है उसको भी मै आज मार डालूंगा



ऐसा बोलते ही हरिया अपने कट्टे में गोलियां भरने लगता है और वहां से हवेली की तरफ चला जाता है



रामू को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कल रात से ये उसको दूसरा झटका लगा था उसको मन में ये बात सोच सोचकर बड़ी ग्लानि हो रही थी कि वो अपनी ही बुआ के साथ पिछले १ साल से संभोग कर रहा था और अगर चम्पा को पहले से पता था कि वो उसकी बुआ है तो उसने कभी बोला क्यों नहीं!



आज रामू का मन बड़ा ही दुखी था इसलिए वो गांव के ठेके पर आ गया और दारू पीने लगा और फिर ठेके से लड़खड़ाते हुए किसी तरह अपने खेतों की झोपड़ी में आया और सो गया
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#39
Update 37



रामू की नींद सीधा शाम हो खुलती है और फिर रामू खेतों से अपने घर की तरफ निकल जाता है नशा बिलकुल उतर चुका था उसके दिमाग से। सुबह से अन्न का एक दाना भी उसके पेट में नहीं गया था। रामू बिना खाना खाए आंगन में आकर अपनी चारपाई पर लेट जाता है



इधर सविता का रामू पर बिलकुल ध्यान ही नहीं था वो तो बस धन्नो से बातों में लगी हुई थी और बेला चंदा के साथ अपने कमरे में थी।



कुछ देर बाद सविता आंगन में आती है



सविता - अरे रामू तू कब आया? चल हाथ मुंह धो ले मै तेरे लिए खाना लगाती हूं



रामू - रहने दे मां मुझे भूख नहीं है मुझे अकेला छोड़ दे



सविता - क्या बात है रामू ? तू ऐसे क्यों बात कर रहा है



रामू - मां मुझे तुझसे कुछ बात करनी है।



सविता - बोल ना लल्ला क्या बात है ?



रामू - यहां नहीं। तुझे मेरे साथ छत पर चलना होगा



सविता - ऐसी क्या बात है ? जो तू मुझसे अकेले में करना चाहता है



रामू सविता का हाथ पकड़ कर छत पर ले आता है और छत का दरवाज़ा बाहर से बंद कर लेता है



सविता - क्या बात है लल्ला! दरवाज़ा क्यों बंद कर रहा है



रामू सविता की आंखों में देखते हुए - मां तू मुझसे कुछ छुपा रही है ना



सविता - क्या? ये तू क्या बोल रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा



रामू - मां मै वो राज़ जान गया हूं जो तू मुझसे आजतक छुपाती आई है



रामू की बात सुनते ही सविता की आंखें नम हो जाती हैं काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई थी।



सविता - क्या ? क्या जानता है तू लल्ला?



रामू - मां मुझे धन्नो मौसी और हरिया चाचा ने सब कुछ सच सच बता दिया



रामू के मुंह से ये बात सुनते ही सविता को चक्कर आ जाते हैं और वो बेहोश होकर गिरने ही वाली होती है कि रामू उसको संभाल लेता है और वहीं एक कुर्सी पर बैठा देता है।



सविता रोने लगती है और बोलती है - लल्ला मैंने सारी ज़िन्दगी भर अपना और तेरे बापू का वो राज़ एक राज़ ही रखा। उसके लिए मुझे माफ करदे लल्ला मै तेरी गुनहगार हूं



रामू ये बात सुनकर दहल गया।



रामू ने अभी तक वो बात बताई ही नहीं थी जो धन्नो और हरिया ने उससे बोली थी। रामू की मां सविता ने तो कोई नया ही राज़ खोल दिया था जिसे रामू अब जानना चाहता था



रामू - कोई बात नहीं मां लेकिन फिर भी वो बात मै एक बार तेरे मुंह से सुनना चाहता हूं



रामू ने ये बात को कुछ इस तरह बोला जिससे सविता को लगे कि वो सब कुछ जान गया हो।



सविता - लल्ला मै और तेरे बापू मुरली रिश्ते में भाई बहन थे लेकिन सौतेले। ये बात आज से ३० साल पहले की है। उस वक़्त मै महज़ १३ साल की थी। मेरे बापू और मुरली के बापू बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन मुरली के बापू मेरी मां के साथ भाग गए। हां लल्ला मेरी मां के गैर संबंध थे मुरली के बापू के साथ। उसके बाद मेरे बापू ने मुरली की मां को संभाला और फिर मेरे बापू ने मुरली की मां से शादी कर ली। इस तरह हम रिश्ते में भाई बहन बन गए लेकिन सौतेले। उस समय तुम्हारे बापू मुरली १५ साल के थे। मुझे मुरली की मां बिलकुल भी पसंद नहीं थी और ना ही मुरली को मेरे बापू। मुरली की मां और मेरे बापू ने एक दूसरे के साथ रंगरलियां मनाने के लिए शादी की थी। इस तरह मुझे और मुरली को ही एक दूसरे का ख्याल रखना पड़ता था और ऐसे ही एक दूसरे का ख्याल रखते रखते हम एक दूसरे से प्यार कर बैठे। समय गुजरता रहा और हमारा प्यार समय के साथ और भी गहरा हो गया।



"ऐसे ही एक दिन तुम्हारे बापू मुरली मेरा हाथ पकड़कर हमारे मां बापू के कमरे की खिड़की के पास लेकर आए और उस वक़्त से हमारी ज़िन्दगी बदल गई। अंदर मेरे बापू मुरली की मां के साथ संभोग कर रहे थे और फिर संभोग का सिलसिला मेरे और तुम्हारे बापू मुरली के बीच भी शुरू हो गया। ऐसे ही एक दिन मै तुम्हारे बापू मुरली के साथ संभोग कर रही थी पता नहीं कैसे मुरली के चचेरे भाई हरिया ने हमें संभोग करते देख लिया और ये बात उसने अपनी बहन चम्पा और हमारे घर के नौकर - नौकरानी प्यारेलाल और धन्नो को भी बता दी। उस वक़्त मां बापू घर पर नहीं थे इसलिए मुरली ने सभी को पैसों का लालच देकर मुंह बंद रखने को कहा।"



"फिर एक दिन मेरे बापू और मुरली की मां एक बस दुर्घटना में मारे गए और हम अनाथ हो गए। हमारे सभी रिश्तेदारों ने हमसे मुंह मोड़ लिया था। हम दोनों ही एक दूसरे का सहारा बने। लल्ला तुम शादी से पहले ही मेरी कोख में जन्म ले चुके थे फिर एक दिन हमने एक मंदिर में शादी की और रातों रात अपना गांव छोड़कर तुम्हारे बापू मुरली के चचेरे भाई हरिया के गांव में आ गए। यहां कोई भी हमें जानता नहीं था"



अपने ज़िन्दगी के किताब के पन्ने अपने बेटे रामू के सामने खोलकर सविता फूट फूट कर रोने लगी।



रामू अपनी मां सविता की बात सुनते सुनते ज़िंदा लाश बन गया था ऐसा लग रहा था जैसे रामू दिल की धड़कन रुक गई हो। आज जो राज़ उसकी मां ने उसके सामने खोला था उसकी रामू कल्पना भी नहीं कर सकता था



रामू अपनी मां से बिना कुछ बोले छत का दरवाज़ा खोला और एक नजर अपनी मां की तरफ देखकर वहां से चला गया।
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#40
next update kb hai bhai .
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