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Incest मेरी हवस का नाम कंचन दीदी
#1
मेरी हवस का नाम कंचन दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
चन दीदी बहुत दिनों बाद घर आयी थी. दीदी के आने से मैं काफी खुस था, क्युकी मैं दीदी का दीवाना था. दोस्तों कंचन दीदी की उम्र ३२ साल है. दीदी की शादी को ५ साल हो गए है. दीदी गोरी चिट्टी और लम्बी है. उनका बदन शादी के बाद काफी भर गया था. बदन के एक एक अंग से जवानी का रस टपकता है. दीदी का फिगर ४०-३०-४० है. दीदी की चौड़ी छाती में दूध से भरी हुई चूचियां दो पहाड़ो के जैसी लगती है. बड़ी बड़ी चूचियां को संभालना उनके ब्लाउज के बस की बात नहीं है. इसलिए हमेशा उनका क्लीवेज दिख ही जाता है और गोरी गोरी नंगी चूचियों के दर्शन हो जाते है. और सबसे खतरनाक तो उनकी भारी भरकम चुत्तड़ है. जब वो मटक मटक कर चलती है तो उसकी हिलती हुई बड़ी सी गांड किसी का भी लंड खड़ा करदे.

दोस्तों मेरा नाम रोहित है और मैं कंचन दीदी से १० साल छोटा हूँ. पर कंचन दीदी मेरे सपनो की रानी है. हर रात मैं उन्हें चोदने का ख्वाब देखता रहता हूँ. और वो ख्वाब जल्द ही पूरा हुआ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
एक बार मेरे घरवाले एक रिलेटिव के यहाँ गए हुए थे. घर पर सिर्फ मैं और कंचन दीदी ही थे. मैं अपने रूम में पढाई कर रहा था. तभी दीदी मेरे कमरे में आयी.

दीदी: क्या रोहित तू दिन भर सिर्फ पढता ही रहता है… मैं बोर हो रही हूँ
मैं: हाँ दीदी एग्जाम आने वाले है
दीदी: अरे यार कुछ मस्ती भी किया कर हमेशा किताबो में घुसा रहता है.. चल मैं चाय बना रही हूँ फिर अपन गप्पे लड़ाते है
दीदी किचन में चाय बनाने लगी. कंचन दीदी ने आज ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी. गोरे बदन पर ट्रांसपेरेंट साड़ी बहुत मस्त लग रही थी. दीदी का बैक मेरी तरफ था. जो पूरी तरह से खुला हुआ था सिर्फ एक डोर से ब्लाउज बंधी हुई थी. दीदी की नंगी गोरी पीठ बहुत ही सेक्सी लग रही थी. साड़ी में कसी दीदी की भारी गांड देखकर मेरे अंदर का शैतान जाग रहा था. मैं दीदी की बड़ी गांड को मारने के सपने देख रहा था. इतनी विशालकाय चुत्तड़ किसी का भी इमां हिला सकती है.
दीदी तब तक चाय बना चुकी थी, जब वो चाय देने के लिए झुकी तो मुझे उनकी बड़ी बड़ी चूचियां के दर्शन हो गए. दीदी मेरे बगल में बैठ गयी और बातें करनी लगी. उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा हटा हुआ था जिससे से उनका क्लीवेज साफ़ साफ़ दिख रहा था और आधे से ज्यादा चूचियां नंगी थे. मैं चुप चुप कर उनकी चूचियों के साइज नाप रहा था.
दीदी: और भाई कैसा चल रहा है कॉलेज
मैं: बढ़िया दीदी
दीदी: और दोस्त बनाये की नहीं कॉलेज में
मैं: हाँ दीदी कुछ दोस्त बने है पर कम है
दीदी: और गर्लफ्रेंड?
मैं: क्या दीदी आप भी
दीदी: अरे मैं सीरियसली पूछ रही हूँ, तेरी उम्र में तो लड़के गर्लफ्रेंड के साथ घूमते है
मैं: नहीं दीदी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है
दीदी: इसलिए घर पर पड़ा रहता है.. गर्लफ्रेंड बना ले और घुमा कर
मैं: नहीं दीदी मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है
दीदी: क्या तुझे लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है?
मैं: दीदी मुझे अपनी उम्र की लड़कियां पसंद नहीं आती
दीदी: अरे यार… फिर तुम्हे कौन अच्छी लगती है
मैं: मुझे दीदी थोड़ी बड़ी लड़की पसंद आती है… ३० से उप्पर वाली
दीदी: अच्छा तुझे औरतो में इंटरेस्ट है… क्या अच्छा लगता है उनमे
मैं: क्या दीदी आप मुझे बेशर्म बना रही हो
दीदी: अरे भाई मैं तो तेरी दोस्त हूँ … तू मुझे बेझिझक बता सकता है.
मैं: ठीक है दीदी … शादीशुदा औरतो का बदन हर जगह से भरा हुआ होता है
दीदी: खुल के बता भाई
मैं: दीदी मुझे औरतो की बड़ी बड़ी चूचियां और भारी गांड अच्छी लगती है
दीदी: ओह्ह्ह्हह ऐसा है… तू तो साला बड़ा हरामी निकला..
मैं: क्या दीदी…
मैं बात करते हुए दीदी की चूचियों को ताड़ रहा था. दीदी की सांसे तेज चलनी लगी थी, सायद मेरी बातों से वो गरम हो रही थी. हर सांस के साथ चूचियां हवा में उछल रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
दीदी: कोई है नजर में तेरे बड़ी औरत जिसे तू पसंद करता है

मैं: दीदी आप बुरा तो नहीं मानोगी
दीदी: बोल ना भाई…शर्मा क्यू रहा है
मैं: दीदी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो
दीदी: क्या मैं….. साले अपनी बड़ी बहन पर ही गन्दी नजर रखता है
मैं: दीदी मैंने बोला था आपको बुरा लग जायेगा…
दीदी: अच्छा ठीक है… चल बुरा नहीं मानती… क्या अच्छा लगता है मुझमे
मैं: उफ्फ्फ दीदी आप ऊपर से निचे तक माल हो. आपका बदन जवानी के रस से भरा हुआ है..तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियां, पतली कमर और आपकी भारी गांड सब कयामत है
दीदी: आआह्ह्ह्हह भाई और क्या सोचता है मेरे बारे में
मैं: दीदी मैं आपकी इन आमो को दबा दबा कर चूसना चाहता हूँ, आपकी चौड़ी गदरायी चुत्तड़ को मसलना चाहता हूँ. और अपना लंड आपकी बूर में डाल कर चोदना चाहता हूँ
दीदी: आअह्ह्ह्ह भाई मैं तेरी बड़ी बहन हूँ तू मेरे बारे में ऐसा सोचता है
मैं: दीदी आप जैसी माल के लिए तो मैं बहनचोद भी बन जाऊ. देख अपने भाई का लंड तेरी गदरायी जवानी देख कर कैसा अकड़ गया है
मैंने दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ दीदी की चूचियों पर रख दिया और दबाने लगा.. दीदी भी मेरे लंड को सहला रही थी..
दीदी: ओह्ह्ह्हह रोहित मेरे भाई .. मुझे नहीं पता था की तेरे जैसा जवान लड़का मुझे चोदना चाहता है..
मैं: आह्ह्ह्ह कंचन दीदी आप तो मेरे लिए काम की देवी हूँ.. जिसे मैं भोगने के लिए तड़प रहा हूँ
दीदी: अह्ह्ह्हह भाई… बहुत दिनों बाद जवान लंड खाऊँगी मैं
दीदी ने मेरी पैंट उतार दी और मेरे लंड को सक करने लगी. दीदी मेरे ९” के लौड़े को मुंह में डालकर बहुत सेक्सी अंदाज में चूस रही थी..
दीदी: उफ्फ्फ्फ़ बहुत प्यारा लंड है भाई तेरा…
मैं: अह्ह्ह्ह दीदी ऐसे ही चुसो.. कंचन मेरी जान अपने भाई का लंड लोगी ना अपनी चुत में
दीदी: हाँ भाई ऐसा जवान और बड़ा लंड लेने के लिए मेरी चुत भी मचल रही है
दीदी ने चूस कर मेरा लंड झाड़ दिया. मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा. दीदी अह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह की आवाजे निकल रही थी.. इतनी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने का अलग ही मजा होता है. अब मैं उनकी नंगी पीठ को किश करने लगा और ब्लाउज की डोरी खोल दी. ब्लाउज में कैद दो बड़े बड़े तरबूज अब हवा में उछल रहे थे. दीदी की चूचियां मेरी उम्मीद से भी बड़ी थी. मैं चूचियों को चूस चूस कर दबा रहा था. मैं बहुत देर तक दीदी की चूचियों से खेलता रहा और दीदी की भारी चुत्तड़ो को भी खूब दबाया. फिर मैंने दीदी की साड़ी उतर दी और पेटीकोट भी. दीदी अब नंगी मेरी बिस्तर पर लेटी थी. मैंने दीदी की चिकनी बूर को चूसने लगा.. दीदी की आहे निकल रही थी और चुत काफी गीली हो गयी थी..
मैं: दीदी मैं सपने में आपको ऐसी ही नंगी करके चोदता हूँ
दीदी: आआह्ह्ह्हह भाई आजा करले अपना सपना पूरा … घुसा अपना मोटा लंड मेरी चुत में और बनजा बहनचोद
मैंने दीदी की बूर की फांको को फैलाया और अपना लंड का सुपाड़ा अंदर रखा. एक करारा शॉट मारके अपना लंड दीदी की बूर में पेल दिया.. दीदी दर्द से चिल्लाने लगी
दीदी: उईईईईई माँ … मार डाला रे …साले अपनी बहन को चोद रहा है रंडी को नहीं
मैं: ओह्ह्ह मेरी कंचन जानेमन … तू मेरे लिए किसी रंडी से कम नहीं है…
दीदी: आह्ह्ह्हह बहनचोद साले मुझे रंडी बोल रहा है…. चल आ इस रंडी की आग को शांत कर
मैं: उफ्फ्फफ्फ्फ़ दीदी आज तो मैं आपकी बूर फाड़ दूंगा..
मैं लम्बे लम्बे शॉट्स मरने लगा. मेरा लंड बहुत तेजी से कंचन दीदी की बूर चोद रहा था. उनकी हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियां को मैं दबा दबा कर चुदाई कर रहा था..दीदी भी बहुत मजे लेकर चुद रही थी. उनकी आँहो से पूरा रूम गूंज रहा था…
दीदी: आअह्ह्ह्ह भाई बहुत दिनों बाद ऐसा तगड़ा लंड गया है मेरी चुत में…
मैं: ओह्ह्ह्हह … दीदी क्या बदन पाया है अपने.. मन करता है दिन रात आपको नंगी करके बस चोदता रहू..
दीदी: उउउउउ ईईईई भाई और तेज मार मेरी चुत … आअह्ह्ह्ह भाई बुझा ले अपनी हवस.. रगड़ कर चोद ले मुझे
मैं: उफ्फ्फ्फ़ दीदी डॉगी स्टाइल में आ जाओ …
दीदी अब डॉगी स्टाइल में मेरे सामने खड़ी थी… दीदी की चौड़ी भारी गांड मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मेरा मन दीदी की गांड मारने का भी कर रहा था… पर मैं सिर्फ अभी दीदी की बूर चोदना चाहता था. मैंने दीदी की गांड को पकड़ा और अपना लंड उनकी बूर में फिर से पेल दिया और चोदने लगा. दीदी की गांड बहुत बड़ी थी, जिसे पकड़ कर चोदने में बहुत मजा आ रहा था. हर शॉट के साथ दीदी की चुत्तड़ मेरे कमर से टकरा रही थी, जिसे देख कर मेरा जोश और बढ़ रहा था. मैं दीदी की हिलती हुई चूचियों को पीछे से मसल रहा था. मेरा लंड ताबड़ तोड़ दीदी की बूर को चोद रहा था..
दीदी: अह्ह्ह्हह भाई… इतना मजा मुझे कभी नहीं आया चुदने में… फ़क मी डार्लिंग
मैं: उफ्फफ्फ्फ़ ऐसा बदन तो सिर्फ चोदने के लिए होता है दीदी
मैं १ घंटे से दीदी को चोद रहा था. फिर मैं दीदी को सम्भोग की पोजीशन में लिया. अब मैं दीदी को किश करते हुए चोद रहा था. दीदी ने अपनी टांगो से मेरी कमर को जकड रखा था और वो गांड उछाल उछाल कर चुद रही थी..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
दीदी: ओह्ह्ह्हह्हह मेरे भाई कितना चोदेगा मुझे … १ घंटा हो गया है ..

मैं: आआअह्ह्ह्हह दीदी आपका भाई तो पूरी रात आपको चोदेगा…
दीदी: आअह्ह्ह उईईईईई भाई…. फ़क मी हार्डर बेबी..
मैं दीदी को किश कर रहा था, उनकी फुटबॉल जैसी चूचियों को दबा दबा कर चोद रहा था.
दीदी: ओह्ह्ह्हह भाई फ़क योर सिस्टर डार्लिंग… माय स्वीट ब्रदर फ़क मी डीपर बेबी…
मैं: उफ्फफ्फ्फ़ दीदी आपके जैसी बहन भगवान हर भाई को दे ….
दीदी: उईईईईई भाई …. मेरा निकलने वाला है… कीप फकिंग माय पुसी …. और तेज चोद भाई..
मैं बहुत तेजी से दीदी को चोदने लगा. मेरा लंड घाचा घच दीदी की बूर में अंदर बाहर हो रहा था.. हमारी साँसे तेज हो रही थी… मैं दीदी की बड़ी बड़ी चूचियों को दबा दबा कर चूस रहा था और लम्बे लम्बे शॉट्स मार रहा था. आआअह्ह्ह्हह भाई और तेज …. चोद अपनी बहन को… दीदी की आवाजे गूंज रही थी… फिर हमदोनो झड गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
जब घर पर कोई नहीं था.

उसके बाद मुझे मौका नहीं मिल पाया. घरवालों के होते हुए कंचन दीदी को फिर से चोदना बहुत ही मुश्किल था. कुछ दिनों में कंचन दीदी के घर जाने का वक़्त आ गया. मैंने अपने पेरेंट्स को बोला की मैं दीदी को उनके घर छोड़ आता हूँ. मैं और कंचन दीदी कार से उनके घर के लिए निकल गए. दीदी का घर हमारे घर से ५ घंटे की दुरी पर था..
फ्रेंड्स कंचन दीदी ३२ साल की कामुक महिला है. उनका बदन हर जगह से भरा हुआ है. दीदी दिखने में गोरी और सुन्दर है. और उनका 40-30-40 का फिगर तो बहुत ही जालिम है… दीदी ने आज ब्लैक कलर की साड़ी पहना हुआ था.. टाइट ब्लाउज में कैद दीदी की स्तन बड़े बड़े फूटबालो के जैसे लग रहे थे. डीप कट ब्लाउज से दीदी की चूचियां का मस्त क्लीवेज दिख रहा था.. गोरी गोरी नंगी चूचियां ब्लाउज से उछल उछल कर बाहर आने के लिए मचल रही थी.. दीदी की गोरी कमर ब्लैक साड़ी में बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. मैं कार ड्राइव कर रहा था और दीदी मेरे सामने वाले सीट पर बैठी हुई थी… मैं कार चलाते हुई हुए दीदी के सेक्सी बदन को ताड़ रहा था और ये सोच रहा था की अब कब चोद पाऊँगा मैं दीदी को..
कंचन: क्या भाई इतना उदाश क्यू है.. मैं जा रही हूँ इसलिए
मैं: और नहीं तो क्या दीदी.. मैं आपको बहुत मिस करूंगा
कंचन: मैं भी अपने प्यारे भाई को मिस करूंगी.. पर तूने तो अपनी बहन को अच्छे से प्यार भी कर लिया था.. अब क्यों दुखी है
मैं: कहा दीदी.. एक बार में क्या होता है.. फिर तो आपने दिया ही नहीं..
कंचन: क्या करू भाई.. घर में उसके बाद मौका ही नही मिला..
मैं: हाँ दीदी.. पर मैंने अपने लंड का करू जो उस दिन से तड़प ही रहा है… देखो अभी भी कैसे खड़ा है..
कंचन: सच में भाई ये तो पूरी तरह अकड़ा हुआ है.. चल मैं इसका कुछ करती हूँ..
कंचन दीदी ने अपना हाथ मेरे पैंट के ऊपर रख दिया और धीरे धीरे मेरे लंड को सहला रही थी.. अह्ह्ह्हह दीदी.. दीदी ने मेरी पैंट की ज़िप खोल दी और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया.. दीदी लंड को जोर जोर से हिलाने लगी.. दीदी की सॉफ्ट हाथो के स्पर्श से लंड पूरा अकड़ गया था..
कंचन: हाय राम ये तो पूरा हार्ड है
मैं: बस दीदी इसका प्यार है आपके लिए.. दीदी अपना साड़ी तो हटा दो ताकि आपके दूध के दर्शन हो जाये मुझे..
दीदी ने ब्लाउज के ऊपर से अपनी साड़ी हटा दी और मेरा लंड सोटने लगी.. ब्लाउज में कैद दीदी की अधनंगी चूचियां को देखकर मेरे लंड का बुरा हाल था, जिसे दीदी बहुत मस्ती से हिला रही थी…. अह्हह्ह्ह्ह दीदी… काश इस हाथ की जगह आपकी चुत होती तो लंड को और मजा आ जाता.. आह्हहहहह दीदी अपने ब्लाउज का बटन्स थोड़ा खोल दो..
दीदी ने ब्लाउज की ३ बटन्स खोल दी.. अब मैं दीदी के तरबूजों को पूरा नंगा देख सकता था…. मेरा कार चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था.. मैं किसी तरह धीरे धीरे ड्राइव कर रहा था… कार के साथ दीदी की चूचियां भी बहुत जोर जोर हिल रही थी.. उफ्फफ्फ्फ़ दीदी कितने बड़े बड़े दूध है आपके…
मैंने अपना एक हाथ दीदी की ब्लाउज के अंदर डाल दिया और दूसरे हाथ से स्टीयरिंग कर रहा था.. शाम का समय था इसलिए अँधेरे में बाहर से किसी को कुछ नहीं दिख रहा था… मैं एक हाथ से कभी लेफ्ट और कभी राइट चूची को दबा रहा था… दीदी भी आहे भर रही थी…. अह्ह्ह्हह्हह भाई तूने तो मेरी चुत भी गीली कर दी है… ओह्ह्ह्हह दीदी… और जोर से हिलाओ दीदी.. मेरा गिरने वाला है… फिर मैं बहुत जोर का झडा… दीदी ने मेरा मुरझाया हुआ लौड़ा मेरे पैंट में वापस डाला और अपनी साड़ी ब्लाउज ठीक किया..
कंचन: बस मन भर गया ना.. बहुत आग लगी थी तेरे अंदर..
मैं: हाँ दीदी बहुत मजा आया.. थैंक्स
कंचन: चल अब जल्दी गाडी चला… घर पहुंचते काफी रात हो जाएगी
मैं अब तेजी से गाडी चलाने लगा.. दीदी और मैं इधर उधर की बातें करने लगे.. रात के 8:30 बज गए थे.. मैंने एक रेस्टोरेंट में गाडी रोकी.. और हमदोनो खाना खाने लगे.. मैं पुरे टाइम दीदी के खूबसूरती और सेक्सी बदन को ताड़ रहा था.. दीदी की क्लीवेज लाइन बहुत ही डीप जिससे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. खाना ख़तम करने के बाद दीदी वाशरूम की तरफ जा रही थी. दीदी का सेक्सी बदन पीछे से देखकर मेरे अंदर का शैतान फिर से जागने लगा.. दीदी का बैक पूरा ओपन था.. ब्लैक ब्लाउज में दीदी की गोरी चिकनी पीठ बहुत ही मस्त लग रही थी और उसपर पतली सेक्सी कमर उफ्फ्फ बहुत ही खतरनाक सीन था.. सबसे खतरनाक दीदी की फूली और चौड़ी गांड है.. दीदी हिल पहन कर चल रही थी जिससे उनकी चुत्तड़ बहुत बाहर निकल आयी थी और ऊपर निचे हो रही थी..
कंचन दीदी की विशाल गांड साड़ी में बहुत ही टाइट बंधी थी. जिससे दीदी की भारी चुत्तड़ो का शेप पूरा दिख रहा था.. मेरे लंड में फिर से हलचल शुरू हो गयी.. जब दीदी वापस आयी तो मैंने साड़ी के ऊपर से दीदी की गांड को दबा दिया
मैं: चले दीदी..
कंचन: अह्ह्ह रोहित तू बहुत बदमाश हो गया है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
मैं: उफ्फ्फ्फ़ दीदी आज तो आप बहुत ही सेक्सी लग रही हो..

कंचन: ओफ्फफ्फ्फ़ चल अब जल्दी घर पहुंचने में लेट हो जाएगी…. अभी भी एक घंटे का सफर बाकी है
हमदोनो वापस कार में बैठे और चल पड़े.. दीदी को थोड़ी देर में नींद आ गयी और वो सो गयी.. मैं कार चला रहा था और दीदी के बदन को निहार रहा था.. दीदी की साड़ी का पल्लू थोड़ा हटा हुआ था जिससे उसके बड़े बड़े आम मस्त दिख रहे थे.. दीदी की मोटी मोटी चूचियां उनकी सांसो के साथ ऊपर निचे हो रही थी.. गोरी नंगी पेट बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. रात के १० बज चुके थे और अब हम दीदी के घर के काफी करीब पहुंच चुके थे… मैंने कार हाईवे से मोड़ कर एक सर्विस लाइन में ले गया जो दीदी के घर की तरफ जाती है.. रात की वजह से वो रोड काफी सुनसान था.. मैंने अपनी कार साइड करके रोक दी.. अचानक ब्रेक लगने के वजह से दीदी की भी नींद खुल गयी..
कंचन: अरे रोहित.. यहा कहा गाडी रोक दी थोड़ी देर में तो हम घर पहुंच जाते..
मैं: दीदी अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा है
कंचन: कण्ट्रोल नहीं हो रहा है मतलब
मैं: दीदी घर पहुंचने से पहले मैं आपको एक बार चोदना चाहता हूँ
कंचन: रोहित तू पागल हो गया है क्या.. पहले घर चल फिर मौका मिलेगा तो देखेंगे..
मैं: नहीं दीदी अब मुझसे रहा नहीं जाता.. आपके कामुक बदन ने मेरे अंदर की आग भड़का दी है अब आपको पेले भी ये शांत नहीं होगी..
कंचन: पर भाई यहाँ कहा करेंगे…. घर चल कर देखते है
मैं: नहीं दीदी घर में जीजाजी होंगे मौका नहीं मिलेगा… चलो ना कार की पीछे वाली सीट पर करते है
कंचन: भाई कोई आ जायेगा… बेकार का फंस जायेंगे हम
मैं: कुछ नहीं होगा दीदी.. पूरा रोड शुनशान है.. कितनी देर से कोई गुजरा नहीं है इस रोड से.. और वैसे भी कार में वन वे विंडो लगा हुआ है.. बाहर से किसीको कुछ नहीं दिखेगा की क्या हो रहा है… प्लीज दीदी मान जाओ ना..
मैंने दीदी को किश किया और उनकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से प्रेस करने लगा.. आह्ह्ह्हह उउउउउ रोहित तू ऐसे नहीं मानेगा.. जा पीछे मैं आती हूँ
मैंने कार के अंदर की लाइट जला दी और पीछे की सीट में जाकर बैठगया.. फ्रंट सीट्स को मैंने एडजस्ट कर दिया जिससे पीछे काफी जगह बन गयी.. थोड़ी देर दीदी भी पीछे और सामने से आकर मेरी गोद में बैठ गयी.. दीदी मुझे किश करने लगी… उफ्फफ्फ्फ़ भाई कब से तूने मेरी चुत गीली कर रखी है… मैं दीदी को बेतहासा चूमने लगा.. दीदी के चेहरे, होठो, नैक और छाती को किश करने लगा… मैंने दीदी की ब्लाउज के २ बटन्स खोल दिये और कंधे से ब्लाउज को सरका दिया… अब दीदी की क्लीवेज लाइन और डीप दिख रही थी.. बड़े बड़े चुच्चे अब और भी नंगे हो गए थे.. मैं दीदी की छाती को चुम रहा था और दोनों हाथो से उनकी चूचियों को दबा रहा था.. बहुत ही सॉफ्ट और भरे हुए आम थे जिसे दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था.. दीदी जोर जोर से मॉन कर रही थी…. आअह्ह्ह्ह रोहित तूने तो मेरी आग और भड़का दी है.. अब जल्दी से पेल दे अपनी दीदी को
मैंने अपना पैंट उतार दिया.. दीदी को थोड़ा ऊपर उठाया और साड़ी के अंदर से उनकी चड्डी उतार दी… फिर मैंने दीदी की साड़ी ऊपर की और दीदी को अपने लंड पर बैठाया.. लंड धीरे धीरे दीदी की बूर चीरता हुआ पूरा अंदर चला गया… उईईईईई माँ कितना मोटा लंड है भाई तेरा.. मेरी बूर फट जाती है तेरा लौड़ा लेकर.. अह्ह्ह्हह्हह उह्ह्हह्ह
मेरा 9″ का लौड़ा दीदी की बूर में पूरा धंस चूका था.. अब दीदी गांड उठा उठा कर मेरे लंड पर कूद रही थी.. मेरा लंड की फच फच करके दीदी की चुदाई कर रहा था.. अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह भाई और चोद भाई… फाड़ दे मेरी चुत बहनचोद..
उफ्फफ्फ्फ़ दीदी आप तो मेरे सपनो की रानी हो.. मस्त टाइट चुत है आपकी… अह्ह्ह्हह दीदी और चोदो अपने भाई को..
दीदी बहुत तेजी से लंड पर कूद रही थी.. दीदी चुदाई का पूरा मजा ले रही थी.. ओह्ह्ह्हह्ह भाई तेरा जवान लौड़ा मेरी चुत की बैंड बजा रहा है… आह्ह्ह्हह भाई और चोदो अपनी दीदी को… मैंने दीदी के ब्लाउज की साड़ी बटन्स उतार दिए और उनकी चूचियों को कैद से आजाद कर दिया.. मैंने दीदी की चूचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा… अह्हह्ह्ह्ह भाई और जोर से दबा इन्हे..
पूरा कार हमारी चुदाई की वजह से हिल रहा था.. वहा से एक यंग कपल गुजर रहा था उन्होंने कार को जोर जोर से हिलते हुए देख कर अंदाज लगा लिया की अंदर चुदाई चल रही है.. उन्होंने विंडो से झाकने की कोशिश भी की पर उन्हें कुछ दिखा नहीं.. पर हम सब अंदर से देख रहे थे… दीदी ने चुदाई की स्पीड कम नहीं की… फिर वो कपल हसते हुए वहा से चले गए और हमदोनो भी अंदर में हसने लगे..
दीदी पूरी ताकत से मेरे लंड पर कूद रही थी और लंड फचा फच दीदी की बूर चोद रहा था.. हर शॉट के साथ दीदी की चूचियां हवा में उछल रही थी, जिसे मैं चूस चूस कर दबा रहा था…
ओह्ह्ह्ह दीदी.. क्या रसीले आम है आपके.. मन कर रहा है बस इन्हे दबाता और चूसता रहु
अह्हह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह साले हरामी… तेरी नजर तो हमेशा मेरी चूचियों पर ही रहती है
उफ्फ्फ्फ़ दीदी आपकी चूचियां इतनी बड़ी बड़ी है की मुंह में पानी आ जाता है.. क्या मस्त भरी और तनी हुई चूचियां है आपकी…
मेरा लंड पूरा जड़ तक दीदी की बूर में घुस रहा था और बाहर हो रहा था.. मैं दीदी को हग करके जोर जोर से पेल रहा था….
ओह्ह्ह्हह रोहित.. फक मी डार्लिंग….
अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है दीदी… आई लव यू दीदी..
अह्ह्ह्हह रोहित… आई लव यू टू बेबी.. कीप फकिंग माय पुसी… अह्हह्ह्ह्ह आईईईई और चोद मेरे यार
दीदी अब मैं आपकी पीछे से मारना चाहता हूँ
उईईई अह्ह्ह्हह भाई पर यहाँ इतनी जगह नहीं है
दीदी बाहर में अच्छे से जो जायेगा..
तू आज मरवा कर ही रहेगा.. कोई आ गया तो
कोई नहीं आएगा.. मैं देखता रहूँगा
चल ठीक है..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
[b]मैं और दीदी कार के बाहर आ गए.. मैंने कार की हेडलाइट जला दी.. दीदी के बदन पर ब्लाउज नहीं था सिर्फ साड़ी थी.. दीदी ने साड़ी से अपने तरबूजों को ढक रखा था.. मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और दीदी की बैक पर किश करने लगा.. पतली साड़ी से ढकी हुई दीदी की चूचियां बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. मैं दीदी की चूचियों को दोनों हाथो से दबाने लगा… अह्ह्ह्हह रोहित…. बस कर कितना दबाएगा मेरे बॉल्स…[/b]



[b]उफ्फ्फ दीदी इन तरबूजों को मैं निचोड़ कर पूरा रस पि जाऊँगा..[/b]



[b]मैंने दीदी को कार के बोनट में हाथ रखकर झुकने बोला.. फिर मैंने पीछे से दीदी की साड़ी उठाई.. दीदी की गोरी चिकनी गांड अब मुझे नजर आ रही थी.. बहुत ही बड़ी गांड थी साली की.. मैंने अपना लंड दीदी की चुत पर रखा और कमर पकड़ कर जोर का शॉट मारा.. लंड घच से दीदी की चुत में घुस गया…..[/b]



[b]उईईईईई अह्हह्ह्ह्ह भाई.. मस्त करारा शॉट मारा है[/b]



[b]मैं दीदी की चौड़ी गांड पकड़ कर चोद रहा था… और दीदी जोर जोर से मॉन कर रही थी..[/b]



[b]अह्ह्ह्हह आईईईई भाई बीच में तू अपनी बहन को नंगा करके चोद रहा है.. तुझे शर्म नहीं आ रही है[/b]



[b]उफ्फ्फ्फ़ दीदी खुले आसमान में आप जैसी सेक्सी औरत को चोदने का लुत्फ़ ही अलग है..[/b]



[b]मैं दीदी की चूचियों को दबा दबा कर चोद रहा था… अह्ह्ह्हह भाई और पेल अपनी दीदी को..[/b]

मैं दीदी की गोरी पीठ को चुम रहा था, दोनों हाथो से उनकी चूचियां दबा रहा था और चोद रहा था… अह्ह्ह्हह भाई बहुत मजा दे रहा है अपनी दीदी को..

मैंने दीदी को जोर से पकड़ लिया और तेजी से पेलने लगा… अह्ह्ह्हह भाई फक मी डिअर… मैं दीदी की मोटी चूचियों को दबा दबा कर चुदाई कर रहा था…. दीदी की चूचियों को पीछे से दबा कर चोदने में अलग ही आनंद आ रहा था.. आईईईई उउउउउउउ भाई और जोर जोर से मार मेरा होने वाला है.. मैं और तेजी से दीदी को पेलने लगा.. और थोड़ी देर में हमदोनो फिनिश हो गए..

मैंने देखा रात के ११ बज चुके थे.. मैंने और दीदी ने जल्दी से अपने कपडे पहने और कार में बैठ गए.. हम फिर निकल पड़े सफर के लिए..

कंचन: वाह भाई बहुत सही चोदता है तू.. तेरा मन भरा की नहीं

मैं: हाँ दीदी बहुत मजा आया.. आई लव यू दीदी

कंचन: लव यू टू रोहित..

दीदी ने मुझे जोरदार किश दिया… १५ मिनट में हम दीदी के घर पहुंच गए.. जीजाजी हमारा वेट कर रहे थे.. राति काफी होने की वजह से जीजाजी ने मुझे वही रुकने बोला.. मैं वही पर रुक गया.. मैं रूम में जाकर कपडे चेंज किये और फ्रेश होकर बाहर आ गया.. हम तीनो थोड़ी देर बात किये फिर दीदी और जीजाजी सोने चले गए.. थोड़ी बाद कमरे से दीदी की आवाज आने लगी.. मुझे समझ में आ गया की जीजाजी चोद रहे होंगे दीदी को..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
Superb update more
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#10
(11-01-2021, 04:38 PM)neerathemall Wrote:
मेरी हवस का नाम कंचन दीदी

(11-01-2021, 07:16 PM)Rinkp219 Wrote: Superb update more

NamaskarNamaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#11
(11-01-2021, 04:38 PM)neerathemall Wrote:
मेरी हवस का नाम कंचन दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
(11-01-2021, 04:38 PM)neerathemall Wrote:
मेरी हवस का नाम कंचन दीदी

[Image: 63798944_017_02af.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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