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Incest भाई ने सलवार उतारकर चोदा
#21
रचना की चूत का पानी
10/01/2020Desi Kahani

 मैं अपने ऑफिस में था और अपने ऑफिस का काम कर रहा था कि तभी दीदी का फोन आया और दीदी मुझसे फोन पर बातें करने लगी। दीदी उस वक्त कुछ परेशान नजर आ रही थी मैंने उनसे जब उनकी परेशानी का कारण पूछा तो उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। मैंने दोबारा से उन्हें पूछना चाहा परंतु उन्होंने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया। मुझे यह तो मालूम चल चुका था कि वह बहुत ज्यादा परेशान है और उनकी परेशानी का कारण मैं जानना चाहता था। जब मैं शाम के वक्त घर लौटा तो पापा से मैंने इस बारे में पूछा लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। अगले दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी इसलिए मैं दीदी से मिलने के लिए उनके घर पर ही चला गया। जब मैं उनको मिलने के लिए उनके घर पर गया तो उनके चेहरे को देखकर मुझे साफ तौर पर पता चल चुका था कि वह काफी परेशान है। मैंने उनसे उनकी परेशानी की वजह जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया परंतु मैंने जब उन्हें कहा कि दीदी तुम्हें मुझे बताना होगा कि आखिर तुम इतनी क्यों परेशान हो?

दीदी ने भी मुझे कहा कि मेरी परेशानी की वजह मेरे पति हैं। दीदी की शादी को हुए 4 वर्ष हो चुके हैं लेकिन यह पहली बार था जब दीदी ने मुझे इस बारे में बताया था। जब दीदी ने मुझे जीजा जी के बारे में बताया तो मैं काफी ज्यादा गुस्से में था और मैं चाहता था कि मैं उनसे बात करूं। जीजा जी दीदी से डिवोर्स लेना चाहते थे और उन्होंने ना ही हमसे इस बारे में कुछ डिस्कशन किया था और ना ही दीदी ने हमें कुछ बताया था। दीदी ने जब हमें इस बारे में बताया तो मैं बहुत ज्यादा गुस्से में था और मैं जीजा जी से बात करना चाहता था। मैंने जब जीजा जी से इस बारे में बात की तो उन्होंने मुझे कहा कि हम दोनों के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है इसलिए मुझे लगता है कि हम दोनों को अलग हो जाना चाहिए। मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था लेकिन अचानक से ही दीदी और जीजा जी के बीच में झगड़े इतने ज्यादा बढ़ चुके थे कि वह लोग अलग होना चाहते थे। मैं काफी ज्यादा परेशान था और जब यह बात पापा और मम्मी को मालूम चली तो वह लोग भी अब काफी परेशान हो चुके थे।

पापा और मम्मी बहुत परेशान थे मैंने और पापा ने जीजा जी से इस बारे में बात करनी चाही लेकिन हम लोग दीदी के घर को टूटने से बचा ना सके। दीदी का डिवोर्स जीजाजी से हो चुका था दीदी पूरी तरीके से टूट चुकी थी और मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। दीदी घर में रहती थी लेकिन वह किसी से भी बात नहीं करती थी दीदी ने अपने कमरे को ही अपनी दुनिया बना लिया था और काफी समय तक ऐसा ही चलता रहा। धीरे धीरे दीदी को भी यह बात समझ आने लगी थी कि इन सब से कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। शायद इसी वजह से दीदी ने अब नौकरी करने का फैसला किया और दीदी ने जब नौकरी करने का फैसला किया तो मैं भी समझ चुका था कि दीदी के जीवन में अब सब कुछ ठीक चलने लगा है। दीदी के जीवन में पहले की तरह ही खुशियां वापस लौटने लगी थी और वह हम लोगों से पहले की तरह ही बातें करने लगी थी।

अब घर में भी खुशियां लौट आई थी दीदी अपनी जॉब में पूरी तरीके से ध्यान लगाने लगी थी और वह बहुत ज्यादा खुश थी। समय बीतता जा रहा था और एक दिन दीदी ने मुझे कहा कि राकेश आज हम लोगों को कहीं घूमने के लिए जाना चाहिए। मैंने दीदी से कहा कि हां दीदी वैसे भी आज मेरी छुट्टी है और आज हम लोग कहीं घूमने चलते हैं। हमारी पूरी फैमिली काफी लंबे समय के बाद एक साथ कहीं घूमने के लिए गए थे। हम लोगों ने साथ में समय बताया तो सब लोग बड़े ही खुश थे और मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगा जिस तरीके से हम लोगों ने उस दिन साथ में समय बिताया। मुझे बहुत ही अच्छा लगा था और दीदी भी बहुत ज्यादा खुश थी दीदी के चेहरे की खुशी बयां कर रही थी कि दीदी अपनी जिंदगी में खुश है। हम लोग भी इस बात से बड़े खुश थे जिस तरीके से उस दिन हम सब लोगों ने साथ में समय बिताया। मैं काफी लंबे समय से अपने दोस्तों के टच में नहीं था लेकिन उस दिन जब मैं अपने दोस्त महेश को मिला तो मुझे काफी अच्छा लगा। मेरी महेश से काफी लंबे समय बाद मुलाकात हो रही थी और महेश को मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा था।

महेश ने मुझे कहा कि तुमसे आज कितने सालों के बाद मुलाकात हो रही है। मैंने भी महेश को कहा कि मुझे भी आज काफी अच्छा लग रहा है जिस तरीके से तुम से आज मेरी मुलाकात हुई है और मैं बड़ा खुश हूं। मैं और महेश काफी लंबे समय बाद एक दूसरे को मिल रहे थे महेश ने मुझे कहा कि मैं चाहता हूं कि हम लोग अपने कुछ पुराने दोस्तों को मिले। महेश ने एक पार्टी अरेंज की जिसमें कि हमारे साथ पढ़ने वाले सारे दोस्त मिले। मुझे काफी अच्छा लगा उस दिन मैं बड़ा खुश था और अपने पुराने दोस्तों से मिलकर हम लोगों ने अपनी पुरानी यादें ताजा की। उस दिन के बाद महेश से मेरी अक्सर फोन पर बातें होती रहती थी और जब भी मेरी महेश से बात होती तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता और महेश को भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे को मिलते और एक दूसरे से अपनी बातों को शेयर किया करते। महेश अपने पापा के बिजनेस को संभाल रहा है।

एक शाम मैं अपने ऑफिस से घर लौट रहा था उस दिन जब मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो घर पर मामा जी आए हुए थे मामा जी से मैं काफी लंबे समय बाद मिल रहा था और उनसे मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा। मामा जी अक्सर हमारे घर पर आते जाते रहते हैं लेकिन काफी लंबे समय के बाद वह घर पर आए थे। मामा जी ने मुझसे पूछा बेटा तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है मैंने मामा जी को कहा कि मेरी जॉब तो अच्छी चल रही है। कुछ देर तक मैं मामाजी के साथ ही बैठा रहा। मैं मामाजी के साथ बैठा हुआ था और मुझे काफी अच्छा लगा जब मैं उनके साथ बातें कर रहा था। काफी लंबे समय के बाद मैं मामाजी के साथ बैठा था और मुझे बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से मैं उनके साथ बैठा था और मैं बड़ा ही खुश था। मामा जी ने उस दिन मुझे कहा कि बेटा तुम शादी कर लो तुम्हारी शादी की उम्र हो चुकी है लेकिन मैं शादी नहीं करना चाहता था।

मैं चाहता था कि पहले दीदी की जिंदगी में सब कुछ ठीक हो जाए क्योंकि कहीं ना कहीं पापा और मम्मी भी चाहते थे कि दीदी दोबारा से शादी कर ले और इसी वजह से मैंने उन्हें कहा कि अभी फिलहाल मैं शादी नहीं करना चाहता हूं।  हमारे ऑफिस में रचना काम करती है। मैं रचना को बहुत ही ज्यादा पसंद करता हूं लेकिन कभी भी मैं रचना को अपने दिल की बात नहीं कह पाया था लेकिन एक दिन रचना मेरे पास आकर बैठी। उस दिन हम दोनों ने साथ में लंच किया मुझे रचना के साथ बात कर के अच्छा लगा। रचना से मेरी काफी देर तक बात हुई मुझे भी बहुत अच्छा लगा। अब रचना और मैं फोन पर एक दूसरे से बात करने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे के साथ जब भी बातें करते तो हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे से बातें करते उससे हम दोनों को बहुत अच्छा लगता। रचना और मैं फोन पर एक दूसरे से बातें करने लगे थे।

एक दिन फोन पर हम दोनों की गरम बातें हुई उस दिन जब हम दोनों की फोन पर बातें हुई तो अगले दिन मैं रचना के साथ सेक्स करने के लिए तड़पने लगा था और वह भी तड़प रही थी। रचना और मैं एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे। अब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स करने का मन बनाया था, ऑफिस खत्म होने के बाद रचना और मैं होटल में रुके हम दोनों जब उस दिन होटल में रुके तो मैंने उसके होठों को गर्म करने की कोशिश की थी वह बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। मुझे भी बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से वह गर्म हो चुकी थी मैं उसके स्तनों को दबाने लगा था मैंने रचना के स्तनों को दबाना लगा था। मैंने उसके कपड़ों को उतार दिया था मैंने रचना के कपड़ों को उतारा और उसकी योनि को चाटने लगा।

रचना की चूत से पानी निकालने लगा था उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी निकाल रहा था वह चाहती थी मैं उसकी चूत में लंड को घुसा दूं। मैंने अपने लंड को रचना की योनि के अंदर घुसा दिया। उसकी योनि में मेरा लंड जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से खून निकलने लगा है। मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढा रहे थे उससे रचना को मजा आने लगा था और मुझे भी मजा आ रहा था। वह अपने पैरों के बीच में मुझे जकडने की कोशिश करती जा रही थी मुझे बड़ा अच्छा लगता जब मैं उसे धक्के दिए जा रहा था। मेरे धक्को मै और भी तेजी आती जा रही थी। मैंने उसे बहुत देर तक चोदा जब मुझे एहसास होने लगा मैं ज्यादा देर तक रह नहीं पाऊंगा मैंने उसकी योनि में अपने माल को गिरा दिया था। मैं और रचना बड़े खुश थे उस दिन के बाद हम दोनों के बीच ना जाने कितनी बार सेक्स संबध बने।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#22
सुनीता का गदराया हुआ बदन
06/01/2020Desi Kahani

Angry मेरे कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही मेरी मुलाकात सुनीता से हुई थी हम दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे और हम दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती भी थी लेकिन जब हम दोनों का कॉलेज खत्म हो गया तो सुनीता की फैमिली चंडीगढ़ चली गई थी। सुनीता के पिताजी का ट्रांसफर चंडीगढ़ हो चुका था और वह लोग अब चंडीगढ़ में ही रहने लगे थे और मैं अभी भी दिल्ली में ही रहकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर रहा था। मैंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली थी और उसके बाद मैं दिल्ली में ही एक अच्छी कंपनी में जॉब करने लगा। जब मेरी जॉब दिल्ली में लग गई तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हुआ मेरी फैमिली भी इस बात से बड़ी खुश थी कि मैं दिल्ली में ही जॉब कर रहा हूँ। सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था पापा भी अब जल्द ही रिटायर होने वाले थे। जब पापा रिटायर होने वाले थे तो वह चाहते थे कि उससे पहले हम लोग कहीं साथ में घूमने के लिए जाएं।

जब इस बारे में पापा ने बड़े भैया से बात की तो वह भी कहने लगे कि हां हम लोगों को कहीं जाना चाहिए। हम लोग जयपुर घूमने के लिए जाना चाहते थे पापा के रिटायरमेंट से कुछ समय पहले ही हम लोग जयपुर चले गए थे। जब हम लोग जयपुर गए तो जयपुर में हमने काफी अच्छा समय साथ में बिताया, हमारी पूरी फैमिली साथ में थी और सब लोग बड़े ही खुश थे। जयपुर में हम लोग करीब पांच दिनों तक रुके और पांच दिन बाद हम लोग वहां से दिल्ली वापस लौट आए थे। मुझे सबके साथ बहुत अच्छा लगा था सब लोग इस बात से खुश थे कि हमारी पूरी फैमिली साथ में घूमने गई थी। एक दिन मैं अपने ऑफिस के लिए जा रहा था तो मुझे उस दिन सुनीता का फोन आया और सुनीता से उस दिन मैंने थोड़ी देर बात की।

मैंने उसे कहा कि मैं तुमसे ऑफिस से फ्री हो जाने के बाद फोन पर बात करता हूं वह कहने लगी ठीक है जब तुम फ्री हो जाओ तो मुझसे बात करना। जब मैं शाम के वक्त अपने ऑफिस से फ्री हुआ तो मैंने सुनीता को फोन किया और सुनीता ने मुझे बताया कि वह दिल्ली आई हुई थी इसी वजह से वह मुझे फोन कर रही थी। मैंने उसे कहा कि मैं तुमसे कल मुलाकात करता हूं वह कहने लगी कि ठीक है हम लोग कल मिलते हैं और अगले दिन मैं सुनीता को मिलने वाला था। जब अगले दिन मैं सुनीता को मिलने के लिए गया तो सुनीता से काफी लंबे अरसे के बाद मेरी मुलाकात हो रही थी और मुझे बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम लोगों ने एक दूसरे से मुलाकात की थी। सुनीता के साथ मैंने काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया था। सुनीता से मैं काफी लंबे सालों बाद मिला था तो उससे मेरी बात भी काफी देर तक हुई और उसके बाद हम दोनों की बात काफी समय तक नहीं हो पाई थी।

एक दिन मैंने सुनीता को फोन किया और उससे मैंने फोन पर बातें की। सुनीता और मैं एक दूसरे से फोन पर बातें कर रहे थे हम दोनों की बातें काफी लंबे समय के बाद हुई थी। सुनीता ने मुझे बताया कि वह कुछ समय बाद ही अपने एक रिलेटिव के यहां पर आने वाली है। मैंने उसे कहा कि ठीक है जब तुम दिल्ली आओ तो मुझसे जरुर मिल कर जाना तो वह कहने लगी ठीक है। जब वह दिल्ली आई तो उसने मुझे फोन किया और उस दिन हम लोगों की मुलाकात हुई। जब हम दोनों की मुलाकात हुई तो मुझे काफी अच्छा लगा सुनीता और मेरे बीच काफी अच्छी दोस्ती है लेकिन अब यह दोस्ती कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ने लगी थी। मैंने कभी सुनीता के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन जब सुनीता और मैंने अपने रिलेशन को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा तो हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। हम एक दूसरे से मिलना भी चाहते थे परंतु हम दोनों की मुलाकात काफी लंबे समय तक हो नहीं पाई थी सुनीता और मेरी सिर्फ फोन पर ही बातें हो पाती थी। हम दोनों जब भी एक दूसरे से फोन पर बातें करते तो हम दोनों को अच्छा लगता था।

सुनीता भी अब किसी कंपनी में जॉब करने लगी थी और वह चंडीगढ़ में ही जॉब करती है इसलिए हम दोनों एक दूसरे से शाम के वक्त ही फोन पर बातें किया करते थे। जब भी हम दोनों की बातें होती तो हम दोनों को अच्छा लगता था और अब हमारे रिलेशन को भी काफी लंबा समय हो चुका था। मैं चाहता था कि हम दोनों एक दूसरे को मिले लेकिन हम दोनों की मुलाकात हो नहीं पाई थी ना तो मैं अभी तक सुनीता से मिल पाया था और ना ही सुनीता मुझसे मिल पाई थी। सुनीता अपने ऑफिस के काम के चलते बहुत ज्यादा बिजी थी इसलिए वह मुझसे मिल नहीं पाई थी। मुझे भी अपने ऑफिस में इस बीच काफी ज्यादा काम था इसलिए हम दोनों एक दूसरे को मिल नहीं पाए थे लेकिन अब हम दोनों ने सोच लिया था कि हम एक दूसरे से मुलाकात करेंगे और हम दोनों ने एक दूसरे से मुलाकात करने का फैसला कर लिया था। जब मैं सुनीता को मिलने के लिए चंडीगढ़ गया तो सुनीता से मिलकर मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा और उसे भी काफी अच्छा लगा। मैं चंडीगढ़ में कुछ दिनों तक रहने वाला था और सुनीता से मिलकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश था।

जिस तरीके से हम दोनों की मुलाकात हुई और इतने लंबे समय के बाद हम दोनों एक दूसरे से मिले उससे हम दोनों बड़े ही खुश थे। सुनीता और मैंने साथ में काफी अच्छा समय बिताया और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम दोनों साथ में थे और एक दूसरे के साथ समय बिता रहे थे। मैं जिस होटल मे रूका था वहां पर मैंने सुनीता को बुला लिया था वह भी मुझसे मिलने आ गई थी। मौसम बडा ही खुशगवार था और हम दोनो साथ मे थे। मै और सुनीता साथ मे बैठे थे और बाते कर रहे थे लेकिन बात करते करते मेरा हाथ उसकी जांघ पर चला गया और मै उसे गरम करने लगा था। मैंने जब सुनीता की जांघो को सहलाया तो वह गरम हो गई थी। वह मचलने लगी थी मैंने सुनीता की जींस मे हाथ डाल दिया वह मजे में आ गई वह मुझे कहने लगी मुझे इतना ना तड़पाओ। मैंने सुनीता से कहा मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने अब सुनीता के गुलाबी होंठों को चूमना शुरू कर दिया था उसके गुलाबी होठों को चूमकर मुझे बड़ा अच्छा लगा था और मैंने उसके होंठों को चूमा तो वह भी अपने कपडे उतारने लगी। सुनीता का नंगा बदन मेरे सामने था।

उसके गदराए बदन को देख कर मैं अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पा रहा था। ना मैं अपने आपको रोक पा रहा था ना ही वह अपने आपको रोक पा रही थी। हम दोनों अपने आप पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे। मैंने सुनीता के स्तनो को दबाना शुरू कर दिया था वह पूरी तरीके से मचलने लगी थी। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनो एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। अब हम दोनों पूरी तरीके से गरम हो चुके थे मैंने सुनीता से कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। सुनीता ने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और वह मेरे लंड को हिलाए जा रही थी। मैं बहुत ज्यादा गर्म होने लगा था और वह भी बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी अब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लग थे। हम दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। सुनीता ने मेरे लंड को मुंह मे ले लिया था वह उसे सकिंग कर रही थी। मैं और सुनीता बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे मैंने उससे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।

सुनीता ने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया था जिसके बाद तो मैं सुनीता कि चूत चूत को चाटना चाहता था। मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया मैं जब उसकी योनि को चाटने लगा मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा था और उसे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे थे। अब हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी हम दोनों गरम हो चुके थे। अब हम दोनों अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पा रहे थे ना तो मैं अपने आप को रोक पा रहा था और ना ही सुनीता अपने आप पर कंट्रोल कर पा रही थी। मैंने सुनीता के पैरो को चौडा किया और उसकी चूत पर अपने लंड को लगा दिया था। उसकी चूत से निकलता हुआ पानी अब और भी ज्यादा बढ़ने लगा था। मेरे लंड पर सुनीता की चूत का पानी लग चुका था मैं और सुनीता गरम हो गए थे। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे मैंने सुनीता की योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया था। सुनीता की चूत में मेरा लंड जाते ही उसकी योनि से खून बाहर की तरफ को निकल आया था।

उसकी चूत से खून निकलने लगा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैं सुनीता की चूत पर तेजी से प्रहार कर रहा था। मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था मैं उसे तेजी से धक्के दिए जा रहा था। मैं जिस तरीके से सुनीता को धक्के दे रहा था उससे हम दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था। सुनीता की गरम सिसकारियां बढ चुकी थी। अब हम दोनों को बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। हम दोनों ने एक दूसरे का साथ बहुत अच्छे से दिया। सुनीता ने अपने पैरो के बीच मे मुझे जकड लिया था मैंने सुनीता की चूत में अपने वीर्य को गिरा दिया था। वह बहुत खुश थी हम दोनो ने उसके बाद भी सेक्स किया और हम दोनो को मजा आया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#23
मनीषा मेरे सामने नंगी लेट गयी
02/01/2020Desi Kahani

Angry मेरे और आशा के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था मैं बहुत ही ज्यादा परेशान था। मैं सोचने लगा कि क्या आशा के साथ मुझे डिवोर्स ले लेना चाहिए या नहीं। पहले हम दोनों के बीच सब कुछ ठीक था हम दोनों की शादी को अभी एक वर्ष ही हुआ है लेकिन हम दोनों के बीच जिस तरह से रोज झगड़े होने लगे थे उससे हम दोनों ही बहुत ज्यादा परेशान थे। मैं इस वजह से अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था और मुझे अपने ऑफिस से रिजाइन देना पड़ा। मैंने एक दिन आशा से इस बारे में बात करने का फैसला किया आशा और मेरी शादी को एक वर्ष ही हुआ था। जब हम दोनों की शादी हुई थी तो उसके बाद हम दोनों की जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक से ही आशा का बदलता हुआ स्वभाव देखकर मैं बहुत ही ज्यादा परेशान होने लगा था। मुझे यह भी लगने लगा था कि हम दोनों को अलग ही हो जाना चाहिए। आशा मुझे बिल्कुल भी नहीं समझती थी आशा और मेरी अरेंज मैरिज हुई थी और इस बात से पापा और मम्मी भी बहुत ज्यादा परेशान थे।

भैया ने भी मुझे कई बार समझाने की कोशिश की और कहा कि देखो तुम्हें आशा से बात करनी चाहिए। मैंने भी आशा से कई बार इस बारे में बात की लेकिन मुझे नहीं लगा कि हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा समय तक रह पाएंगे इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर ही लिया था। मैंने पूरा मन बना लिया था की मैं आशा से अलग हो जाऊं। हम दोनों एक दूसरे को डिवोर्स दे चुके थे मैं भी अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका था और आशा भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी थी। हम दोनों की मुलाकात उसके बाद कभी हुई ही नहीं मैं भी अब एक नई कंपनी ज्वाइन कर चुका था और वहां पर मैं अपनी जॉब पर पूरी तरीके से ध्यान दे रहा था। आशा और मेरे डिवोर्स को हुए काफी लंबा समय बीत चुका था और अब पापा और मम्मी भी कई बार मुझे समझाते और कहते कि रजत बेटा तुम्हे शादी कर लेनी चाहिए। मैं शादी करना ही नहीं चाहता था परंतु कई बार मुझे ऐसा भी लगता कि जैसे मुझे शादी कर लेनी चाहिए।

मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए लेकिन जब मैं मनीषा से मिला तो मनीषा से मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा। मनीषा और मेरी मुलाकात मेरे दोस्त ने एक पार्टी में करवाई थी और उसके बाद मनीषा और मेरी मुलाकात हमेशा ही होने लगी। जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा खुश रहते। मैं मनीषा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करता हूं। जब भी मनीषा मेरे साथ होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था। एक दिन मैं और मनीषा साथ में बैठे हुए थे उस दिन जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मैं मनीषा के साथ बातें कर रहा था। मुझे उस दिन लगने लगा था कि मुझे मनीषा को अपने प्यार का इजहार कर ही देना चाहिए और मैंने पूरा मन भी बना लिया था। मैंने उस दिन मनीषा को प्रपोज कर दिया और जब मैंने मनीषा को प्रपोज किया तो वह भी मना ना कर सकी। वह मेरे बारे में सब कुछ जानती है और उसे मेरे बारे में सब पता था।

जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ में अपने रिलेशन को आगे बढ़ा रहे थे उससे हम दोनों बड़े ही खुश रहते। मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब भी मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ में होते है। हम दोनों एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों बड़े ही खुश रहते थे। अब हम दोनों की जिंदगी बड़े अच्छे से चलने लगी थी और मैं बड़ा खुश था जब मैं मनीषा के साथ में होता। हम दोनों के रिलेशन को अब काफी ज्यादा समय हो चुका था मैं मनीषा को अच्छी तरीके से समझता हूं और वह भी मेरा साथ हमेशा ही अच्छी तरीके से दिया करती। जब भी मुझे कोई परेशानी होती तो मैं तुरंत ही मनीषा से अपनी बात को शेयर कर लिया करता जिससे कि मनीषा को भी अच्छा लगता और मुझे भी बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता था। मैं अब मनीषा के बारे में अपनी फैमिली में बताना चाहता था और मैंने जब मनीषा के बारे में घर में बताया तो सब लोग मनीषा को मिलना चाहते थे।

मैंने एक दिन मनीषा को अपने घर पर सब से मिलाने का फैसला किया और उस दिन जब मैंने मनीषा को सब लोगों से मिलवाया तो वह लोग बड़े ही खुश हुए। हम दोनों को भी इस बात की खुशी थी कि अब हम दोनों के रिश्ते को हमारे घर वालों की रजामंदी मिल चुकी है। मनीषा ने भी अपनी फैमिली में इस बारे में बता दिया था। उसके परिवार में पहले इस बात को लेकर कोई तैयार नहीं था लेकिन समय के साथ-साथ वह लोग भी तैयार हो गये। जब मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ में होते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। मुझे और मनीषा को बहुत ही अच्छा लगता जब भी हम लोग एक दूसरे के साथ में होते हैं और एक दूसरे के साथ में समय बिताया करते है। एक दिन मनीषा के किसी दोस्त की पार्टी थी तो मनीषा ने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा, पहले तो मैंने मनीषा को मना किया। मैंने उसे कहा कि मैं वहां पर किसी को भी नहीं जानता हूं परंतु मनीषा की जिद करने की वजह से मुझे उसकी बात माननी पड़ी और मुझे मनीषा के दोस्त की पार्टी में जाना पड़ा।

हम दोनों जब साथ में गए तो मनीषा के दोस्तों को भी मेरे और मनीषा के रिलेशन के बारे में पता चल चुका था और फिर हम लोगों ने वहां पर उस पार्टी का खूब इंजॉय किया। हम दोनों को ही बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से हम लोग उस दिन साथ में थे। क्योंकि उस दिन मुझे और मनीषा को काफी लेट हो चुकी थी इसलिए हम दोनों से बाहर ही रूकना चाहते थे। मनीषा ने काफी ज्यादा ड्रिंक भी कर ली थी जिस वजह से वह घर जाने की हालत में भी नहीं थी। हम दोनों एक होटल में ही साथ में रुके थे। मैं और मनीषा  एक दूसरे से बातें कर रहे थे। मैंने अपने हाथ को मनीषा की जांघ पर रख दिया था। जब मैंने उसकी जांघों पर अपने हाथ को रखा तो वह मचलने लगी थी। मै उसकी गर्मी को बढाने लगा था। मनीषा इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था। मैंने जब मनीषा को गरम करना शुरू किया तो उसे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। जब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे तो मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया मैंने मनीषा के बदन से कपड़े उतार दिए थे।

वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी उसके नंगे बदन को देखकर मैं पूरी तरीके से गर्म होता जा रहा था और मेरी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ रही थी। मेरी गर्मी इतनी बढ़ने लगी थी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मैंने मनीषा के सामने अपने मोटे लंड को किया। मैंने मनीषा से कहा मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है मनीषा को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने मनीषा के स्तनों को चूसना शुरू किया तो उसे अच्छा लगने लगा थख और मै उसके निप्पल को चूसने लगा वह गर्म होने लगी थी उसके गोरे बदन को देख मेरी गर्मी और भी ज्यादा बढ़ रही थी। मैंने उसके दोनों स्तनों को आपस में मिलाने के बाद उसके स्तनो पर लंड रगडना शुरू कर दिया था वह बहुत ज्यादा गर्म होती जा रही थी और मैं भी बहुत ज्यादा गर्म हो चुका था। अब हम दोनों की गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ गई थी मैं मनीषा की चूत मे लंड को घुसाना चाहता था। मैंने मनीषा की चूत मे लंड डाला। हम दोनों को मजा आ रहा था मनीषा को बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से हम दोनो एक दूसरे की गर्मी को बढा रहे थे।

जब मैंने मनीषा की योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो हम दोनों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी और हम दोनों बहुत गरम होने लगे थे। मैं और मनीष एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे तरीके से शारीरिक संबंध बनाने लगे थे। हम दोनो को एक दूसरे के साथ में सेक्स कर के बहुत अच्छा लग रहा था और मैं मनीषा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से करता जिस से उसकी सिसकारियां बढती जा रही थी। मैंने देखा मनीषा की चूत से खून निकल रहा है और मेरी गर्मी भी बढने लगी है। मैं उसे बहुत ही अच्छे तरीके से चोदता जा रहा था। मेरी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने मनीषा की चूत में अपने वीर्य को गिराया तो मनीषा खुश हो गई वह कहने लगी तुमने आज मेरी इच्छा को पूरा कर दिया है।

मनीषा और मेरे बीच जिस प्रकार से सेक्स हुआ था उस से हम दोनो खुश थे। उसकी टाइट और गुलाबी चूत मारकर मै खुश था। हम दोनो दोबारा से सेक्स करना चाहते थे। मुझे मजा आने लगा था वह मेरे ऊपर से आ चुकी थी। वह जिस तरीके से सेक्स के मजे ले रही थी हम दोनों को मजा आ रहा था। वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती जा रही थी उसे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी अब ना तो मैं अपने आप को रोक पा रहा था ना ही मनीषा अपने आपको रोक पा रही थी। मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा ले रहे थे। मेरे वीर्य की पिचकारी जैसे ही मनीषा की चूत में गिरी वह खुश हो गई और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था जिस तरह हम दोनों ने साथ में सेक्स किया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#24
अंकिता के स्तन चूसने का मजा

Shy अक्षिता और मैं एक दूसरे से काफी दिनों से मिल नहीं पाए थे क्योंकि मैं अपने ऑफिस के काम के चलते बिजी था और वह भी काफी ज्यादा बिजी थी तो एक दिन अक्षिता ने मुझसे फोन पर बात की। जब हम दोनों ने एक दूसरे से फोन पर बात की तो हम दोनों को काफी अच्छा लगा अक्षिता ने मुझसे कहा कि मुझे तुमसे मिलना है। मैंने अक्षिता को कहा कि ठीक है मैं कल तुमसे मुलाकात करता हूं और अगले दिन जब हम दोनों एक दूसरे को मिले तो अक्षिता ने मुझे बताया कि वह पुणे जा रही है। जब मैंने अक्षिता से इस बारे में पूछा कि आखिर वह पुणे क्यों जा रही है तो उसने मुझे बताया कि वह अब वहीं पर जॉब करने वाली है। मैंने अक्षिता से कहा कि चलो यह तो बहुत ही अच्छी बात है कि तुम वहीं पर जॉब करने वाली हो।
अक्षिता अब पुणे में ही जॉब करने वाली थी और उसकी नौकरी पुणे में लग चुकी थी इसलिए वह बहुत ज्यादा खुश थी और मैं भी काफी खुश था कि अक्षिता की जॉब लग चुकी है। अक्षिता पुणे जा चुकी थी और उसके बाद हम दोनों की बातें सिर्फ फोन पर ही हुआ करती थी हम दोनों एक दूसरे से फोन पर ही बातें किया करते थे। जब भी हम दोनों की बातें फोन पर होती तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। काफी लंबा समय भी हो चुका था हम दोनों एक दूसरे को मिले नहीं थे। मैं मुंबई में था और अक्षिता पुणे में ही रहने लगी थी लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि अक्षिता का अफेयर उसके ऑफिस में काम करने वाले किसी लड़के से हो जाएगा। वह अब उस लड़के को प्यार करने लगी थी इसी वजह से वह मुझसे दूर होती जा रही थी अक्षिता मुझसे काफी दूर हो चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे से अलग हो चुके थे।
मैंने कुछ समय मे अपना बिजनेस शुरू कर दिया था और मैं  बहुत ज्यादा खुश था जिस तरीके से मेरा बिजनेस चल रहा था और मेरी जिंदगी भी अब अच्छे से चलने लगी थी। मैं अक्षिता को भूल कर अब आगे बढ़ चुका था और मेरे जीवन में सब कुछ ठीक चलने लगा था मेरा बिजनेस भी अच्छे से चल रहा था। मैं काफी खुश था जिस तरीके से मेरा बिजनेस चल रहा था। एक दिन मैं अपने दोस्त से मिला मैं अपने दोस्त से काफी समय के बाद मिला था उससे मिलकर मुझे बड़ा ही अच्छा लगा। वह मुझे कहने लगा कि वह कुछ दिनों के लिए लोनावला घूमने के लिए जा रहा है तो मैंने भी रजत को कहा कि मैं भी तुम्हारे साथ आना चाहता हूं। रजत और मैं कुछ दिनों के लिए लोनावला जाने का प्लान बना चुके थे रजत का लोनावला में फार्महाउस है और जब हम लोग लोनावला गए तो हम लोग बड़े ही खुश थे और हम लोगों ने वहां पर खूब इंजॉय किया।
लोनावला घूमने के बाद हम लोग वापस मुंबई लौट आए थे और मुझे काफी काम था इस वजह से मैं काफी बिजी था। जब उस दिन मैं अपने घर लौटा तो उस दिन पापा ने मुझसे कहा कि बेटा आज हम लोग एक पार्टी में चल रहे हैं क्या तुम हमारे साथ चलोगे। पापा के किसी दोस्त के घर पर एक छोटी सी पार्टी थी तो मैंने भी सोचा कि मैं भी पापा मम्मी के साथ चला जाता हूं और मैं उस दिन पापा और मम्मी के साथ चला गया। जब मैं उनके साथ पार्टी में गया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैं काफी खुश था जिस तरीके से वहां पर सब लोग एक दूसरे से मिले। पापा ने मुझे अपने दोस्तों से भी मिलवाया तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगा था और फिर हम लोग घर लौट आए थे। जब हम लोग घर लौटे तो उस वक्त काफी ज्यादा रात हो चुकी थी इस वजह से मुझे बहुत थकान सी महसूस हो रही थी। मैं जब अपने रूम में गया तो कुछ देर मैं अपने मोबाइल में गेम खेलता रहा उसके बाद मैं सो गया था। अगले दिन मेरी बात मेरे दोस्त रजत के साथ हुई रजत ने मुझे कहा कि आज मुझे तुमसे मिलना है तो मैंने रजत को कहा कि ठीक है मैं तुमसे मिलता हूं और मैं उससे मिलने के लिए चला गया।
मैं जब रजत के घर पर गया तो रजत ने मुझे कहा कि आज तुम मेरे साथ चलो। मैंने रजत से कहा कि आखिर हमें चलना कहां है लेकिन उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया और हम लोग उस दिन कोमल से मिलने चले गए। कोमल से मुझे रजत ने मिलाया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा रजत ने मुझे बताया कि वह कोमल से जल्द ही शादी करने वाला है। मैंने रजत को कहा कि यह तो बड़ी ही अच्छी बात है। उस दिन मैं कोमल को पहली बार ही मिला था मुझे उससे मिलकर अच्छा लगा। कोमल से मिलने के बाद हम दोनों घर लौट आए थे। जल्द ही कोमल और रजत की शादी होने वाली थी जब उन दोनों की शादी होने वाली थी तो मैं भी रजत की शादी में गया। उस दिन शादी में मेरी मुलाकात अंकिता से हुई अंकिता से मिलकर मुझे अच्छा लगा। मुझे अंकिता से कोमल ने मिलवाया था और यह पहली बार ही था जब मैं अंकिता से मिला। हम लोगों की मुलाकात उस दिन के बाद हमेशा ही होने लगी, मैं अंकिता को मिलने लगा था और हम एक दूसरे को डेट भी करने लगे थे।
हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता है जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ में होते है और एक दूसरे के साथ समय बिताया करते है। हम एक दूसरे के बहुत ज्यादा नजदीक आ चुके थे और हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे। मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब भी मैं और अंकिता साथ में समय बिताया करते है। अंकिता और मैं एक दूसरे को बहुत ही ज्यादा प्यार करने लगे थे और अब हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते। अंकिता और मैं जब भी मिलते तो हमें बड़ा अच्छा लगता। अंकिता और मैं अंकिता का बर्थडे सेलिब्रेट करना चाहते थे अंकिता का जन्मदिन जल्द ही आने वाला था और मैंने अंकिता का बर्थडे सेलिब्रेट करने का फैसला किया। जब उस दिन मैंने अंकिता का बर्थडे सेलिब्रेट करने के बारे में सोचा तो मैंने इस बारे में रजत से बात की और रजत ने मेरी मदद की।
अंकिता का बर्थडे हम लोगों ने सेलिब्रेट किया और हम सब लोगों ने बहुत ही इंजॉय किया। अंकिता बहुत ही ज्यादा खुश थी और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था जिस तरीके से हम लोगो ने अंकिता का जन्मदिन सेलिब्रेट किया। अब हम दोनों की जिंदगी में सब कुछ अच्छे से चल रहा था और हम दोनों चाहते थे कि जल्द ही हम दोनों एक हो जाएं लेकिन अंकिता के परिवार वाले शायद इस बात के लिए तैयार नहीं थे। मुझे लगा कि अंकिता की फैमिली हम दोनों की शादी के लिए मान जाएगी लेकिन वह लोग इस बात के लिए तैयार नहीं थे और हम दोनों को फिलहाल एक दूसरे से शादी करने का ख्याल अपने दिमाग से हटा चुके थे। हम दोनों को इस बात की बड़ी सी खुशी थी कि हम दोनों साथ में हैं और हम दोनों का रिलेशन बहुत ही अच्छे से चल रहा है। हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और हम दोनों की जिंदगी में अब काफी खुशियां हैं लेकिन हम दोनों की शादी अभी तक नहीं हो पाई है। हम दोनों एक दूसरे के साथ में ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते हैं।
अंकिता और मेरे बीच में सेक्स संबंध बन चुके थे। एक दिन हम दोनों साथ में थे उस दिन मैं अंकिता के साथ सेक्स संबंध बनाना चाहता था। मैंने अंकिता से कहा आज मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है। उस दिन वह भी इस बात के लिए तैयार थी वह मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैंने उस दिन अंकिता के साथ सेक्स संबंध बनाने के बारे में सोचा हम दोनों मेरे एक दोस्त के घर चले गए और वहां पर हम दोनों साथ में बैठे हुए थे। मेरा मन अंकिता के साथ सेक्स करने का था मैंने अंकिता के होठों को चूमना शुरू किया तो मैं पूरी तरीके से गर्म होने लगा था और अंकिता भी गर्म होने लगी थी। मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी वह मुझे कहने लगी मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही हूं। मैंने अंकिता के सामने अपने लंड को किया और अंकिता ने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया वह उसे सकिंग करने लगी। अंकिता मेरे लंड को चूस रही थी उससे हम दोनों को मजा आ रहा था और हमारी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी। हम दोनो रह नहीं पा रहे थे मैंने अंकिता के बदन से उसके कपड़े उतार कर उसे बिस्तर पर लेटा दिया था और मैं उसके स्तनों का रसपान करने लगा।
मुझे उसके स्तनों को चूसने में मजा आ रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। वह जिस तरीके से मेरा साथ दे रही थी उस से हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होते चले गए थे। मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था उसने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया मैंने अंकिता की चूत को कुछ देर तक चाटा और उसकी योनि को चाटने के बाद मैंने उसकी योनि में अपने मोटे लंड को प्रवेश करवा कर उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था जिस से मुझे मजा आने लगा था और अंकिता को भी बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे और हमारी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने अंकिता की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को तेजी से करना शुरू कर दिया था अंकिता भी जोर से चिल्लाने लगी थी। अंकिता की सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी। अंकिता की गर्मी बढ रही थी मैं भी पूरी तरीके से गर्म होता जा रहा था वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और ना तो अंकिता अपने आपको रोक पा रही थी। मैंने जैसे ही अंकिता की योनि में अपने माल को गिराया तो वह खुश हो गई थी। हम दोनों को बड़ा मजा आया जब मैंने और अंकिता ने एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
गीतिका की गर्मी शांत की

clps महिमा और मेरे बीच के झगड़े बढ़ते ही जा रहे थे और मेरे पास अब कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था सिवाय महिमा से अलग होने का। मैंने भी सोच लिया था कि मैं महिमा को डिवोर्स दे दूंगा क्योंकि इसमे महिमा की भी सहमति थी इसलिए हम दोनों ने अपने रिश्ते को खत्म करने के बारे में सोच लिया था और हम दोनों ने डिवोर्स ले लिया था। महिमा और मैं कॉलेज में साथ में पढ़ा करते थे और हम दोनों के बीच कॉलेज के समय से ही प्यार था। हम दोनों की लव मैरिज थी। हालांकि हम दोनों के परिवार वाले हम दोनों की शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं थे लेकिन फिर भी हम दोनों ने शादी कर ली थी। हमने कोर्ट मैरिज की और मैं और महिमा साथ में रहने लगे थे। मुझे लगा था कि महिमा और मैं एक दूसरे के साथ बहुत खुश है लेकिन समय के साथ साथ अब सब कुछ बदलता चला गया था।
महिमा और मेरे बीच में बहुत सारी प्रॉब्लम होने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे से झगड़ने भी लगे थे जिस वजह से महिमा और मैं अब एक दूसरे से अलग होना चाहते थे। हम दोनों एक दूसरे से अलग हो चुके थे। हालांकि यह मेरे लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं था क्योंकि मैं महिमा को बहुत ज्यादा प्यार करता था और महिमा भी मुझे काफी प्यार करती थी लेकिन ना जाने हम दोनों के बीच क्यों इतने झगड़े होने लगे थे। हम दोनों अलग हो चुके थे लेकिन फिर भी मैं महिमा को अभी तक भूल नहीं पाया हूं। मैं और महिमा बेंगलुरु में साथ में रहा करते थे लेकिन जब मेरा डिवोर्स महिमा के साथ हुआ तो उसके बाद मैं जयपुर लौट आया था और महिमा भी जयपुर में ही रहने लगी थी। हम दोनों जयपुर के रहने वाले हैं और हमारी शादी के बाद हम दोनों बेंगलुरु में रहने लगे थे लेकिन अब मैं जयपुर आ चुका था।
जयपुर आने के बाद पापा चाहते थे कि मैं उनके बिजनेस को संभाल लूं। हालांकि मैंने पहले पापा को इस बारे में मना किया था लेकिन फिर पापा ने मुझे मना लिया और फिर मैं पापा के बिजनेस को संभालने लगा था। मैं पापा के बिजनेस को संभालने लगा और पापा भी इस बात से बड़े खुश थे। समय बीता जा रहा था और सब लोग चाहते थे कि मैं अब शादी कर लूं लेकिन मैं इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था कि मैं शादी करूं। पापा मम्मी को मैंने साफ तौर पर मना कर दिया था। वह लोग मुझे कहने लगे कि बेटा तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए परन्तु मेरे दिमाग से अभी तक महिमा का ख्याल निकल नहीं पाया था और मैं नहीं चाहता था कि मैं किसी और से शादी करूं। एक दिन मैं अपने घर लौटा उस दिन शाम के 7:00 बज रहे थे, जब मैं घर लौटा तो उस दिन हमारे पड़ोस में रहने वाले राजेंद्र अंकल हमारे घर पर आए हुए थे।
राजेंद्र अंकल और पापा की काफी अच्छी बनती है इसलिए वह हमारे घर पर अक्सर आया करते हैं लेकिन उस दिन उनके आने का मकसद कुछ और ही था। उस दिन वह अपने किसी रिश्तेदार की लड़की का रिश्ता मेरे लिए लेकर आए थे। जब इस बारे में मुझे मां ने बताया तो मैंने मां को कह दिया कि मैं शादी नहीं करना चाहता हूं। मां मुझे कहने लगी कि देखो बेटा तुम्हें शादी तो करनी ही पड़ेगी, हम लोग चाहते हैं कि तुम अपने जीवन में आगे बढ़ जाओ और जब तुम शादी कर लोगे तो तुम्हारे जीवन में सब कुछ ठीक हो जाएगा। मां के कहने पर मैं भी उनकी बात मान चुका था और मैं जब पहली बार गीतिका को मिला तो मुझे गीतिका से मिलकर अच्छा लगा।
गीतिका बात करने में बड़ी ही अच्छी है और वह बड़ी बिंदास लड़की है लेकिन मैं शादी के लिए अभी भी तैयार नहीं था और मैंने पापा मम्मी को साफ तौर पर मना कर दिया था। उसके बाद मैं गीतिका को एक दिन मिला था गीतिका ने मुझसे बात की तो मुझे भी लगा कि मुझे गीतिका से बात करनी चाहिए। हम दोनों ने एक दूसरे से बात की तो हम दोनों को ही अच्छा लगा हम दोनों साथ में बैठे हुए थे और मैं गीतिका को समझने की कोशिश कर रहा था। गीतिका से बात करना मुझे अच्छा लगा और गीतिका को भी मुझसे बात करके काफी अच्छा लगा। हम दोनों की काफी बातें हुई और मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब उस दिन मैं और गीतिका साथ में थे। हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया उसके बाद मैं गीतिका को काफी लंबे समय तक तो नहीं मिल पाया था लेकिन जब मैं गीतिका को एक दिन मिला तो उस दिन गीतिका से मेरी बात हुई और मुझे भी लगा कि गीतिका बहुत ही अच्छी लड़की है और गीतिका और मुझे अब एक दूसरे से बातें करनी चाहिए।
हम दोनों ने एक दूसरे से बातें करना शुरू कर दिया था हम एक दूसरे से फोन पर बातें करने लगे थे और मुझे गीतिका से बात कर के बड़ा अच्छा लगता। जब भी मैं गीतिका के साथ होता तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश होता और वह भी बहुत ज्यादा खुश होती जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे से बातें किया करते। हम दोनों की फोन पर भी काफी ज्यादा बातें होने लगी थी और मैं गीतिका को काफी अच्छे से समझने लगा था। शायद यही वजह थी कि गीतिका और मैं एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करने लगे थे और अब हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे। हालांकि गीतिका को मेरे जीवन से जुड़ी सारी बातें पता थी लेकिन उसके बावजूद भी गीतिका को इससे कोई परेशानी नहीं थी। मैं बहुत ज्यादा खुश था जिस तरीके से गीतिका और मैं एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार हो चुके थे। हमारी फैमिली को इससे कोई ऐतराज नहीं था और मेरे पापा और मम्मी बहुत ही ज्यादा खुश थे जब मैंने उनसे शादी के बारे में बात की।
मैं अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था और गीतिका ने मेरे जीवन में आगे बढ़ने में काफी मदद की। मैं बड़ा खुश था जिस तरीके से मैं और गीतिका अपने जीवन में आगे बढ़ चुके थे। गीतिका से मेरी शादी होने वाली थी और हम दोनों बड़े ही खुश थे। शादी की अब सारी तैयारियां हो चुकी थी मेरी और गीतिका की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। हमारी शादी से पापा और मम्मी बड़े खुश हैं और अब गीतिका मेरी पत्नी बन चुकी थी। शायद मेरे लिए इससे बड़ी खुशी की बात कुछ और नहीं थी कि गीतिका मेरे जीवन में आ चुकी थी। गीतिका के मेरे जीवन में आने से मेरे जीवन में पूरी तरीके से बदलाव आने लगा था और मैं बहुत ज्यादा खुश था। हम दोनों की शादी को दो महीने से ऊपर हो चुका था और गीतिका ने घर की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी। वह घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने लगी थी इस बात से पापा और मम्मी बड़े खुश थे।
गीतिका ने घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना शुरू कर दिया था। मैं भी बड़ा खुश था जिस तरीके से गीतिका और मैं एक दूसरे के साथ होते उससे हम दोनों को बड़ा अच्छा लगता। गीतिका ने घर की सारी जिम्मेदारी को बखूबी निभा लिया था मैं भी बड़ा खुश था जिस तरीके से गीतिका ने घर की सारी जिम्मेदारी को निभा लिया था। गीतिका और मैं कुछ दिनों के लिए गीतिका के पापा मम्मी से मिलने के लिए गए। उस रात जब गीतिका और मैं साथ में थे तो मैंने गीतिका को अपनी बाहों में भर लिया था वह मेरी बाहों में थी। वह कहने लगी आज आप बड़े मूड में नजर आ रहे हैं। मेरा गीतिका के साथ सेक्स करने का मन था और गीतिका भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए तड़प रही थी। मैंने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए जिस तरीके से हम दोनो एक दूसरे को महसूस कर रहे थे उस से गीतिका बड़ी ही खुश थी और मैं भी बड़ा खुश था।
हम दोनों गरम होते जा रहे थे मैंने गीतिका के स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था और गीतिका के स्तनों का रसपान करने में मुझे मजा आने लगा था। उसके निप्पलो को चूसकर मुझे बड़ा आनंद आता वह भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे थे। हम दोनों पूरी तरीके से तड़पने लगे थे। मैं और गीतिका बहुत ज्यादा खुश थे। मैंने अपने लंड को गीतिका के सामने किया तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे सकिंग करने लगी थी। उसने मेरे लंड को चूसा जब मैंने गीतिका की चूत को चाटा तो वह अपने पैरों को खोलने लगी थी उसकी योनि से बहुत ज्यादा अधिक मात्रा में गिला पदार्थ बाहर निकलने लगा था। मैंने गीतिका की चूत को चाटना शुरू किया गीतिका की चूत गीली हो चुकी थी और मैंने उसकी चूत में लंड को डाल दिया था। मेरा लंड गीतिका की चूत मे चला गया था मुझे मजा आने लगा था। गीतिका को भी मजा आ रहा था वह जिस तरीके से मेरा साथ दे रही थी।
मैं उसे बडे ही तेज गति से धक्के दिए जा रहा था हम दोनों एक दूसरे का साथ का साथ दे रहा था मुझे मजा आ रहा था। हम दोनों को मजा आने लगा था गीतिका की मादक आवाज बढने लगी थी। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के दिए जाओ। मैंने गीतिका के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था जिससे कि मेरी आग और भी ज्यादा बढने लगी थी। मेरा लंड गीतिका की योनि के अंदर बहार बड़ी आसानी से होने लगा था मुझे मजा आने लगा था। मैं जिस तरीके से उसे धक्के दे रहा था हम दोनों को बड़ा अच्छा लग रहा था। अब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को काफी बढा कर रख दिया था। मेरा वीर्य बाहर की तरफ गिर चुका था और गीतिका बड़ी खुश थी हम दोनों ने जिस प्रकार सेक्स का मजा लिया। हम दोनों के बीच सेक्स संबध बनते ही रहते है लेकिन मुझे उस दिन गीतिका को चोदने में बड़ा मजा आया था और गीतिका को भी बड़ा मजा आया था जिस तरीके से उसने और मैंने सेक्स किया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
मृदुला की गर्मी शांत की

bangheadi मैं कानपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहा था क्योंकि काफी ज्यादा ठंड थी इसलिए मैंने सोचा क्यों ना चाय पी लूं। मैं जब चाय पीने लगा तो वहां पर कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे। मैं उनकी बातें सुन रहा था वह लोग आपस में काफी मजाक कर रहे थे। मैंने चाय पी और उसके बाद मैंने उस दुकानदार को पैसे दिए। मैं अब सीट पर बैठा हुआ ट्रेन के अंदर जार कर रहा था लेकिन अभी तक ट्रेन नहीं आई थी। कोहरा काफी ज्यादा था इस वजह से ट्रेन भी बहुत ज्यादा देर से आने वाली थी और मैं अभी भी ट्रेन का इंतजार कर रहा था। ट्रेन 2 घंटे के बाद आई मैं जल्दी से ट्रेन में चढ़ा और मैंने अपना सामान ट्रेन में रख लिया था। मैं अपनी सीट पर बैठा हुआ था और आसपास भी सब लोग बैठ चुके थे।
ट्रेन आधा घंटा कानपुर स्टेशन पर रुकी और उसके बाद ट्रेन चल पड़ी। अब मुझे भी नींद आने लगी थी क्योंकि रात का समय था मुझे भी काफी गहरी नींद आ रही थी तो मैंने भी सोने का फैसला किया। मैं अब सो चुका था जब सुबह मेरी आंख खुली तो मुझे लगने लगा शायद दिल्ली आने वाला है। जब मैं दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो मैंने अपने छोटे भाई को फोन किया। वह मुझे लेने के लिए रेलवे स्टेशन पर आ गया था और मैं वहां से अब घर चला आया। मैं घर पहुंचा तो उस दिन पापा भी घर पर ही थे। मैंने पापा ने कहा आज आप आज ऑफिस नहीं गए। पापा ने मुझे कहा नहीं मैंने आज ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। पापा चाहते थे वह मुझसे मिले इसलिए उन्होंने उस दिन घर से पर ही रहने का फैसला किया था। मैं काफी दिनों के बाद घर आ रहा था मैं कानपुर में ही नौकरी करता हूं और काफी लंबे समय के बाद में कानपुर से दिल्ली आया था।

मुझे अपने परिवार के साथ समय बिता कर अच्छा लगा और मैं काफी खुश था जिस तरीके से अपनी फैमिली के साथ मैंने समय बिताया। मेरी छुट्टियां खत्म हो जाने के बाद मुझे कानपुर वापस लौटना पड़ा। मैं जब कानपुर वापस लौटा तो कुछ दिनों तक मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और मुझे अपनी फैमिली की बहुत याद आ रही थी लेकिन मेरी मजबूरी थी और मैं अपनी जॉब में बिजी होने लगा। मैं अपनी जॉब में बिजी हो चुका था इसलिए मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था। मैं सुबह के वक्त ऑफिस जाता और शाम को घर लौटता कभी कभार मेरी फोन पर बातें पापा मम्मी से हो जाया करती थी और मुझे बड़ा अच्छा लगता। एक दिन मैं घर लौट रहा था रास्ते में उस दिन मुझे मृदुला मिली। मृदुला मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ा करती थी लेकिन मृदुला को देखकर मैं थोड़ा हैरान जरूर था कि मृदुला कानपुर में क्या कर रही है। मृदुला से जब मैं मिला तो मैंने मृदुला से पूछा तुम कानपुर में क्या कर रही हो?
मृदुला ने मुझे बताया उसकी फैमिली अब कानपुर में ही शिफ्ट हो चुकी है वह अब कानपुर में रहते हैं। मैंने मृदुला से कहा यह अजीब इत्तेफाक है कि तुम से मेरी मुलाकात हो गई मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम से मेरी मुलाकात हो जाएगी। मृदुला से मिलकर उस दिन मुझे बहुत अच्छा लगा और हम लोगों ने अपने कॉलेज के दिनों को याद किया। मैं मृदुला के साथ उस दिन काफी देर तक बैठा रहा और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया था। मैंने मृदुला का नंबर ले लिया। जब मैंने मृदुला का नंबर लिया तो उससे मेरी बात काफी दिनों तक हो नहीं पाई थी लेकिन एक दिन मृदुला ने मुझे फोन किया और उसने मुझसे मिलने की बात कही तो मैं भी उससे मिलने के लिए चला गया। हम लोग एक दूसरे को मिलते तो हमें काफी अच्छा लगता।
जब भी मैं मृदुला से मुलाकात करता तो मैं काफी खुश रहता  और मुझे बहुत ही अच्छा लगता। मृदुला से मेरी दोस्ती पहले से ही थी लेकिन हम दोनों एक दूसरे के काफी करीब आते जा रहे थे और यह दोस्ती प्यार में तब्दील होती जा रही थी। मैंने मृदुला के बारे में कभी भी ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन अब हम प्यार करने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे के साथ जब भी होते तो हमें बहुत ही अच्छा लगता। हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत ही अच्छा लगने लगा था और मैं काफी ज्यादा खुश था जिस तरीके से हमारा रिलेशन चल रहा था। मृदुला मुझसे प्यार करती हैं एक दिन मृदुला और मैं मूवी देखने के लिए साथ में गए। जब उस दिन हम दोनों ने मूवी देखी तो मैं काफी खुश था और मैंने मृदुला से कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है जिस तरीके से मैंने आज तुम्हारे साथ समय बिताया। मृदुला मुझे कहने लगी मुझे भी काफी अच्छा लग रहा है। उस दिन हम लोग घर लौट आए थे।
उस दिन के बाद हम दोनों जब भी एक दूसरे को मिलते तो अक्सर हम लोग मूवी देखने के लिए चले जाया करते थे क्योंकि मृदुला को मूवी देखने का बड़ा शौक था इस वजह से हम लोग मूवी देखने के लिए जाते। हम लोगों को बहुत अच्छा लगता और हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिता कर बड़े खुश होते। हम दोनों एक दूसरे के साथ प्यार के बंधन में बध चुके हैं उससे हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता और हम दोनों साथ मे बहुत ही अच्छा समय बिताते। मृदुला ने अब अपना ब्यूटी पार्लर खोल लिया था। मृदुला से मेरा मिलना हो नहीं पा रहा था। जब हम दोनों की मुलाकात होती तो हम दोनों को अच्छा लगता। काफी दिन हो गए थे हम दोनों एक दूसरे को मिले भी नहीं थे। मैंने मृदुला से मिलने का फैसला किया तो उसने मुझसे कहा काफी दिन हो गए हैं हम लोगों की मुलाकात भी नहीं हुई है।
हम लोग जब एक दूसरे को मिले तो हमें बहुत ही अच्छा लगा। मृदुला और मैं एक दूसरे को कम ही मिला करते थे लेकिन जब भी हम दोनों एक दूसरे से मिलते तो हमें बहुत ही अच्छा लगता और हम बहुत ही ज्यादा खुश होते। जिस तरीके से हम दोनों का रिलेशन चल रहा है उससे मुझे बड़ा ही अच्छा लगता और मृदुला को भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता। एक दिन मैं और मृदुला साथ में ही थे उस दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी। मृदुला और मैं एक दूसरे के साथ बैठकर बातें कर रहे थे। मैंने उस कॉफी का ऑर्डर किया तो हम दोनों साथ में बैठकर कॉफी पी रहे थे और हमें काफी अच्छा लग रहा था। हम दोनों साथ में थे और एक दूसरे का साथ हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता। उस दिन समय का पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों को साथ में बैठे हुए 2 घंटे से ऊपर हो चुके थे। कॉफी पीने के बाद जब मैंने मृदुला से कहा आज तुम मेरे साथ चलो तो मृदुला भी मेरे साथ आने के लिए तैयार हो चुकी थी और वह मेरे साथ आई तो मुझे काफी अच्छा लगा। हम दोनों साथ में बैठकर बातें कर रहे थे लेकिन मृदुला को अच्छे से मालूम था कि ब हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनने वाले थे। यह पहली बार था जब मैंने मृदुला के होंठों को चूमा तो उसने मुझे कुछ नहीं कहा।
अब हम दोनों गर्म होते चले गए और जैसे ही मैंने मृदुला के होंठो को चूम कर उसकी गर्मी को बढाया तो वह बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। मैंने अपने लंड को मृदुला के सामने किया तो मृदुला ने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया उसने मेरे लंड को हिलाना शुरू कर दिया। वह मेरे लंड को बडे अच्छे तरीके से हिलाए जा रही थी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जब वह ऐसा कर रही थी। मैंने मृदुला से कहा मुझे बड़ा मजा आ रहा है मैं मृदुला के होठों को किस कर रहा था और मृदुला मेरे लंड को सकिंग करने के लिए तैयार थी। मृदुला ने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया वहां उसे अच्छे से चूसने लगी उसे बड़ा मजा आने लगा था जब वह मेरे लंड की गर्मी को बढ़ाए जा रही थी। मृदुला ने मेरी गर्मी को बढा कर रख दिया था। लह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है मैंने मृदुला की चूत में लंड को लगा दिया और मृदुला की चूत से निकलता हुआ पानी और भी ज्यादा बढने लगा था। मृदुला मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जाएगा। मृदुला की चूत मे लंड नहीं जा रहा था इसलिए वह मेरी गर्मी को बढा रही थी। मेरी गर्मी काफी ज्यादा बढ गई थी। हम दोनो पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे। मैंने मृदुला की चूत मे लंड को घुसा दिया था मृदुला की चूत में मेरा लंड जा चुका था वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी। मृदुला की चूत के अंदर बाहर मै अपने लंड को किए जा रहा था।
मैंने मृदुला की योनि के अंदर से पानी निकल दिया था। मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी मुझे अच्छा लगने लगा था मैं उसका साथ दे रहा था। मैं मृदुला के चूत के अंदर अपने लंड को किए जा रहा था और उसकी योनि के अंदर काफी देर तक लंड को किया जिससे कि मेरा वीर्य मृदुला की चूत मे ही गिर गया। मृदुला की योनि में मेरा वीर्य गिर चुका था। मृदुला मेरे साथ दोबारा सेक्स संबंध बनाना चाहती थी उसने मेरे साथ दोबारा से सेक्स संबंध बनाने के बारे मे सोच लिया था। उसने मेरे लंड को चूसकर दोबारा से खड़ा कर दिया। मैंने मृदुला को कहा तुम मेरे लंड के ऊपर से आ जाओ। मृदुला मेरे लंड के ऊपर से बैठ गई। जब वह मेरे लंड के ऊपर से बैठी तो उसकी चूत में मेरा लंड घुस चुका था मैं उसको बड़ी तेज गति से चोदे जा रहा था। मैं मृदुला को बहुत तेजी से धक्के मार रहा था वह पूरी तरीके से गरम होती जा रही थी। उसने मुझे कहा मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है तुम मुझे बस धक्के मारते रहो। मैंने मृदुला को बहुत देर तक ऐसे ही धक्के दिए। जब मैं और मृदुला एक दूसरे की गर्मी को झेल नहीं पा रहे थे तो मृदुला ने अपनी चूतड़ों को मेरे लंड के ऊपर और भी तेजी से करना शुरू कर दिया।मैं मृदुला के स्तनो को चूस रहा था उसे मैं तेजी से धक्के मारे जा रहा था। जब मेरे वीर्य की पिचकारी बाहर आ गई तो मृदुला खुश हो गई थी। मैंने और मृदुला ने एक दूसरे के साथ में जमकर सेक्स का मजा लिया और मृदुला बड़ी खुश थी जिस तरीके से हम दोनों ने एक दूसरे का साथ दिया था। हम दोनों को ही बडा मजा आया जब मैंने और मृदुला ने एक दूसरे के साथ में सेक्स किया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
सविता की चूत दोबारा मारी


Shyभैया की शादी में मैं सविता से मिला सविता मेरी छोटी बहन ऋचा की दोस्त है वह उसकी काफी अच्छी सहेली है जिस वजह से भैया की शादी के बाद वह हमारे घर पर अक्सर आने लगी थी। मुझे सविता बहुत ही ज्यादा पसंद है लेकिन मेरे शर्मीले स्वभाव की वजह से मैं उसे कुछ भी कभी बोल नहीं पाया था परंतु यह बात मेरी बहन ऋचा को पता चल चुकी थी। एक दिन उसने मुझसे पूछा कि भैया क्या आप सविता को पसंद करने लगे हो तो मैंने ऋचा से कहा कि नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है। वह मुझे कहने लगी कि भैया मुझे मालूम है कि आप सविता को बहुत पसंद करते हो। अब मैं भी ऋचा से झूठ ना बोल सका और मैंने उससे कह दिया कि हां मैं सविता को पसंद करता हूं और उसके साथ मैं अपना जीवन बिताना चाहता हूं। उस दिन मुझे ऋचा ने सविता के बारे में बताया और कहा कि उसके घर की परिस्थितियां कुछ ठीक नहीं है उसके पापा बहुत ज्यादा शराब पीते हैं जिस वजह से उनके घर में काफी ज्यादा झगड़े होते हैं।
सविता की मम्मी ने हीं आज तक उसका हमेशा ही साथ दिया है और उसकी पढ़ाई भी उसकी मम्मी की वजह से ही हो पा रही है। मैंने उस दिन ऋचा से कहा कि मैं सविता से बहुत ज्यादा प्यार करता हूं तो ऋचा ने भी उसमें मेरी मदद की और जब भी सविता हमारे घर पर आती तो वह मेरी बात सविता से जरूर करवाती थी। एक दिन मैंने भी सविता को अपने प्यार का इजहार कर दिया उस दिन मैंने सविता को अपने प्यार का इजहार किया तो वह भी मेरी बात मान गई और उसे बहुत ही अच्छा लगा जब मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी थी। अब हम दोनों एक दूसरे के साथ में काफी ज्यादा खुश थे क्योंकि सविता को मेरा साथ अच्छा लगने लगा था और मुझे भी उसके साथ बहुत ही अच्छा लगता है। जब भी वह मेरे साथ में होती तो हम दोनों बहुत ही खुश होते। एक दिन सविता और मैं एक दूसरे के साथ में थे उस दिन जब हम दोनों एक दूसरे के साथ में बैठे हुए थे तो उस दिन मुझे सविता ने बताया कि वह कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के घर जा रही है। मैंने सविता को कहा कि सविता तुम्हारे मामा जी कहां रहते हैं सविता ने मुझे बताया कि उसके मामा जी जयपुर में रहते हैं। मैंने सविता को कहा तुम जयपुर कब जा रही हो तो वह मुझे कहने लगी कि हम लोग कल ही जयपुर जा रहे हैं। मैंने सविता को कहा मैं भी कुछ दिनों के बाद जयपुर जाने वाला हूं मेरा वहां पर कोई ऑफिस का टूर है तो सविता कहने लगी यह तो बहुत ही अच्छा है कम से कम इस बहाने हम दोनों वहां पर साथ में समय तो बिता पाएंगे और साथ में घूम भी लेंगे।

मैंने सविता को कहा ठीक है और उस दिन मैंने सविता को उसके घर छोड़ा फिर मैं अपने घर लौट आया। जब मैं अपने घर लौटा तो उस दिन मुझे मेरे ऑफिस का कोई जरूरी काम था और मैं वह काम करने लगा। अगले दिन मुझे ऑफिस जल्दी जाना था और मैं ऑफिस जल्दी चला गया। दोपहर के वक्त मुझे सविता का फोन आया और वह कहने लगी कि हम लोग जयपुर के लिए निकल चुके हैं। सविता और उसकी मां जयपुर जा चुके थे उसकी मम्मी से मेरी बात कभी हो नहीं पाई थी लेकिन जब मैं जयपुर गया तो जयपुर में सविता ने मेरी बात अपनी मम्मी से कारवाई। उसकी मम्मी से बात करके मुझे अच्छा लगा और मुझे सविता से बात कर के भी बहुत ही अच्छा लग रहा था हम लोगों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया था। उसकी मां को भी यह बात पता चल चुकी थी कि मेरे और सविता के बीच में जरूर कुछ ना कुछ चल रहा है।
उसकी मां ने जब सविता से इस बारे में पूछा तो सविता भी अपनी मां से कुछ छुपा ना सकी और उसने मेरे और अपने रिलेशन के बारे में अपनी मम्मी को सब कुछ बता दिया और अब उसकी मम्मी मुझसे मिलना चाहती थी। एक दिन जब मैं सविता की मम्मी को मिलने के लिए उनके घर पर गया तो उन्होंने मुझे उस दिन पूरी बात बताई और कहने लगी कि देखो राजीव बेटा मुझे तुमसे कोई भी परेशानी नहीं है लेकिन तुम सविता के पापा को जानते नही हो वह बहुत ज्यादा शराब पीते हैं जिस वजह से कई बार मेरे और सविता के पापा के बीच में झगड़े भी हो जाते हैं, जब भी हम दोनों के बीच में झगड़े होते हैं तो मुझे हमेशा ही लगता है कि कहीं इसका सविता पर कोई असर ना पड़े, मैंने सविता को कभी भी कोई कमी नहीं महसूस होने दी है और उसकी हर एक चीज को हमेशा मैंने पूरा किया है।
मैं सविता की मां की भावनाओं को समझ सकता था और उन्होंने सविता के लिए काफी कुछ किया था लेकिन अब मैं सविता से शादी करना चाहता था और उसकी मां को इस बात से कोई एतराज भी नहीं था लेकिन वह लोग चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे को थोड़ा और समय दे। हम दोनों एक दूसरे से मिला करते जब भी हम दोनों एक दूसरे से मिलते तो हम लोगों को बहुत ही अच्छा लगता है। साथ में समय बिता कर हम दोनों बहुत ही खुश थे जब भी सविता और मैं साथ में होते तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता। हम दोनों साथ में काफी अच्छा समय बिताया करते हैं जिससे कि मैं और सविता काफी खुश रहते थे। एक दिन सविता ने मुझे अपने घर पर बुलाया। जब उस दिन हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था। हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे। मैं सविता से बातें कर रहा था और वह मुझसे बातें कर रही थी लेकिन उस दिन सविता के घर पर कोई भी नहीं था मुझे नहीं मालूम था मैं सविता के सामने अपनी फीलिंग को बिल्कुल भी रोक नहीं पाऊंगा और जब उस दिन हम दोनों के बीच में किस हो गया तो मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था और ना ही सविता अपने आपको रोक पा रहा थी।
मैंने सविता के स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था मै सविता के स्तनों को दबाने लगा था मुझे मजा आने लगा और उसे भी बड़ा आनंद आने लगा था। वह उत्तेजित होती जा रही थी वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है। अब हम दोनों बहुत ही ज्यादा गर्म होने लगे थे। मैंने सविता की जांघों को सहलाना शुरु कर दिया था। मै जब उसकी जांघों को सहला रहा था तो हम दोनों को ही मजा आने लगा था और हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे। मैंने उसके कपड़ों को उतार दिया।
मैंने उसके बदन से उसके कपडो को उतारा तो वह मेरे सामने नंगी थी और हम दोनों सोफे में लेटे हुए थे। मै उसके स्तनों को देखकर अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सका और मैंने उसके सामने अपने लंड को किया। जब मैंने उसके सामने अपने लंड को किया तो सविता ने उसे अपने हाथों में ले लिया और वह उसे सहलाने लगी। जब वह मेरे लंड को सहलाती तो मुझे अच्छा लग रहा था और सविता को भी मजा आ रहा था। सविता ने बहुत देर तक मेरे मोटे लंड को अपने हाथों से सहलाया मुझे मजा आ रहा था जब वह मेरे लंड को चूसे जा रही थी वह गरम होती जा रही थी और मुझे भी गर्मी का एहसास हो रहा था। सविता ने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया और वह उसे अच्छे से चूसने लगी। जब वह ऐसा कर रही थी तो मुझे मजा आने लगा था और सविता को भी मजा आने लगा था। मैं और सविता एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे।
सविता को मजा आ रहा था लेकिन अब उसने मेरे लंड को दबाना शुरू कर दिया था। वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी उसने जब मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसना शुरू किया तो उसे बड़ा मजा आने लगा था और मुझे भी बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे। हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने सविता को कहा मैं बहुत ही ज्यादा गरम हो चुका हूं मैं सविता के बदन से कपड़े उतार रहा था। उसके बदन से कपड़े उतार कर मैं उसकी चूत को चाटने लगा था। उसकी चूत को चाटने लगा था उसे मजा आ रहा था।
सविता और मैं एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी झेल नहीं पा रहे थे। मैंने सविता को कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है उसने अपने पैरों को खोल था। उसने मुझे कहा तुम मेरी चूत में अपने लंड को घुसा दो। मेरा मोटा लंड जब उसकी चूत मे घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी। वह मुझे कहने लगी मेरी चूत में दर्द हो रहा है। मैं उसे तेजी से धक्के मार रहा था। मैं उसके स्तनों को दबाए जा रहा था जब मैं उसके स्तनों को दबाता तो उसे मज़ा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। सविता और मै एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे। हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही थी।
अब सविता और मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को पूरी तरीके से बढा कर रख दिया था। मैंने सविता की चूत को अच्छे से मारना शुरू कर दिया था और जब मेरा माल सविता की चूत में गिरा तो वह मुझे कहने लगी आज मुझे अच्छा लग रहा है। सविता की चूत आज भी उतनी ही टाइट है जितनी कि पहले थी। सविता की सील पैक चूत को मैंने ही तोडा था। सविता को मजा आ रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था जब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को दोबारा से बढ़ाने लगे थे। मैंने उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाकर सविता की गर्मी को दोबारा से बढ़ा दिया। मैंने अब सविता की योनि के अंदर दोबारा से लंड को घुसा दिया था। मेरा लंड सविता की चूत में जा चुका था और मैं सविता को बड़े ही अच्छे से चोदे जा रहा था।
वह मेरा साथ अच्छे से देती जा रही थी। मुझे मजा आ रहा था मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया था जिसके बाद वह बहुत जोर से सिसकारियां लेने लगी थी और जिस तरीके से वह सिसकारियां ले रही थी उससे मुझे अच्छा लग रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों ने साथ में काफी देर तक शारीरिक सुख का मजा लिया और मैंने उसकी चूत मे अपने माल को गिरा कर अपनी इच्छा को पूरा कर लिया था। मैंने सविता की चूत में अपने माल को गिरा दिया था और वह मेरे लंड को दोबारा से चूसने लगी। उसने मेरे लंड पर लगे वीर्य को साफ कर दिया और मुझे कहने लगी राहुल आज मुझे बहुत ही अच्छा लगा जिस प्रकार से मैंने तुम्हारे साथ शारीरिक सुख का मजा लिया। हम दोनों साथ में लेटे हुए थे और मैं सविता की चूत में उंगली को घुसाई जा रहा था वह मुझे  कहने लगी आप मेरी चूत एक बार और मार लीजिए। मैंने उसकी चूत दोबारा से मारी काफी देर तक मैंने उसकी चूत का मजा लिया था तब जाकर उसकी इच्छा पूरी हो गई और बहुत बड़ी खुश हो गई थी जिस तरीके से मैने उसके साथ सेक्स संबंध बनाए थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#28
बड़ी दीदी की काली काली चूत

Badi didi ki kaali kaali chut:
Shy
cool2 अमझार से और ये जबलपुर के पास एक छोटा सा गाँव है | मुझे यहाँ रहना र खेती करना बहुत पसंद है क्यूंकि यहाँ पर मेरी औकात है | अगर आपसे कोई कहे चलो बाहर चले जाओ और वहां रहके कुछ करो तो आप भी मना कर दोगे और यही मेरे साथ भी है | दोस्तों आप को बताना चौंगा कि मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और मुझे एक अच्छी नौकरी मिल रही थी पर मैंने उसे ठुकरा दिया और अपने गाँव में चैन से रहके दो वक्त की रोटी खा रहा हूँ |

दोस्तों जैसा मैंने आपको बताया मैं गाँव में खेती करता हूँ तो आपको ये भी पता होगा कि ये कितना मुश्किल काम है और इसमें कितनी मेहनत लगती है | खैर हम अमीर किसान हैं और हमारे पास साडी चीज़ें हैं इसलिए हमे किसी चीज़ की दिक्कत नहीं है पर सबसे बड़ी दिक्कत आती है गर्मी में | यहाँ पानी के लिए बस एक ही सहारा है और वो है नदी | नदी में ज्यादा पानी रहता नहीं है और सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिलती | मुझे पता नहीं कब ये सब ठीक होगा पर इस बार चुनाव के समय ये मुद्दा उठाना ज़रूरी है | इस बार हमारे गाँव से सुम्मी दीदी खड़ी हो रही थी चुनाव में और वो हमारी बहुत अच्छी रिश्तेदार है | मुझे वो पहले से ही पसंद थी पर वो काली है और उसका फिगर भी बिलकुल सूखा है और उसकी आँखे ऐसी हो गयी है जैसे उसने एक लाल का पौवा मारा हो | पर मुझे इससे क्या मुझे अपना लंड उसकी काली चूत में डालना था और उसके काले बदन पे अपने सफ़ेद सफ़ेद मुट्ठ की बारिश करवानी थी |


पर मैं करता भी तो क्या क्यूंकि मुझे खेत पे काम होता था और चुनाव में साथ रहने के लिए वो मुझे हमेशा चिल्लाती रहती थी | एक दिन वो मेरे खेत आई और मेरे खेत वाले घर में बैठ गयी | वो अकेली थी और मैं भी अकेला था | अब उसकी आंखे तो हमेशा चढ़ी रहती थी तो मैंने सोचा शायद आज इसका चुदवाने का मन है इसलिए यहाँ अकेले में आई है | मैंने कहा दीदी आज क्या हुआ यहाँ का रास्ता कैसे भूल गयीं आप | उसने कहा यार राज मुझे ना तुझसे एक मादा चाहिए तो मैंने कहा क्या मदद चाहिए दीदी बस आप बताओ | मैंने मन में सोचा दीदी बस मेरा लंड मांगलो और कुछ ना कहो | उसने कहा ठंडा पानी पिला दे यार | मेरे मूड की वहीँ मैय्या छुड़ा गयी और मैंने कहा दीदी मटके का पानी है चलेगा क्या ? उसने कहा अरे दौड़ेगा तू बस ले आ मेरे लिए | मैं गया और उसके लिए पानी लेकर आया | पानी पीने के बाद उसने कहा सुन मुझे ना कैसे भी करके जीतना है तो तू बस मेरे लिए कहीं न काहीं से फर्जी वोट का इंतज़ाम कर दे |


मैंने कहा ठीक है दीदी वो तो मैं कर दूंगा पर ये बताओ इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा ? उसने कहा अरे तू सोच भी नहीं सकता पगले ऐसा इनाम दूंगी तुझे | उसके बाद हमारी बात दुसरे मोड़ पर चली गयी और धीरे धीरे नाता लोगों पे आ गयी | उसने कहा सब साले गए गुज़रे हैं उनको बाद बदन की भूख है | मैंने कहा ये आप क्या कह रहे हो दीदी क्या सच में ऐसा है ? उसने कहा नहीं तो क्या मुझे ऐसे ही टिकेट मिल गयी | मैंने कहा मतलब आपने अपनी इज्ज़त बेच दी क्या ? उसने कहा नहीं अभी इतने बुरे दिन नहीं आये हैं पर हैं कई ऐसे जो मेरी चूत के पीछे पड़े हैं | मुझे ये सब उसके मुंह से सुनके हैरानी हो रही थी क्यूंकि आज तक मैंने कभी किसी औरत के मुंह से ये सब नहीं सुना था और शायद मुझे अच्छा भी लग रहा था क्यूंकि मुझे उसकी चूत ही चाहिए थी | हमारी थोड़ी देर तक ऐसे ही बात हुयी और उसके बाद उसने कहा चल मैं जा रही हूँ बस तू अपना काम देख लेना जो मैंने तुझे बोला है नहीं मेरी गांड मार लेंगे पार्टी वाले |


मैंने भी कह दिया अरे दीदी आप बस देखते जाओ मैं क्या करता हूँ | अब बात थी बात वाली क्यूंकि अपन जुबान दे चुके थे | इसलिए मैंने सोचा चलो कुछ तो करना ही पड़ेगा | मैं पूरे गाँव में घूमा और ऐसे लोगों की जानकारी ली जो कि मर चुके थे या फिर गाँव छोड के जा चुके थे | मैं अपने काम में सफल हो गया और मैंने सारी रूप रेखा तैयार कर ली | उसके बाद चुनाव आने वाले थे अगले महीने और मैं तैयार था और सुम्मी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लगी थी | मैंने भी एक मौका नहीं छोडा और उसे ये एहसास दिला दिया कि मैं ही उसका सबसे करीबी हूँ | दोस्तों अगर अपने किसी को ऐसा एहसास दिला दिया तो बस समझ लो आपका आधा काम हो गया | मैंने पैंतरा काम कर गया और उसके बाद मैंने अपना चुनावी काम चालु कर दिया | चुनाव के एक दिन पहले सुम्मी ने मुझे दो पेटी दारु दी और कहा सुन अपने घर के आस पास सबके घर में भेज दे और पैसे भी दिए और कहा साथ में पैसे बी देना ताकि वोट अपने पास ही आये |



मैंने दारु भिजवा दी और पैसे अपने पास रख लिए क्यूंकि मुझे दारु में कोई इंटरेस्ट नहीं था | अब चुनाव का दिन आ गया और उस दिन सब बूथ मेरे अंडर में थे और मुझे पता था मुझे क्या करना है | मैंने सारे फर्जी वोट डलवा दिए और चुनाव ख़त्म हो गए | उसके एक दिन बाद सुम्मी जीत गयी और मुझे उसके सुनोने दिख रहे थे | जीतने के बाद खू जश्न मनाया और उसके बाद सुम्मी दीदी ने मुझे रात में बुलाया और कहा तुझे मस्त तोहफा मिलेगा और इतना बोलते हुए वो अपने कपडे उतारने लगी | मैंने कहा दीदी ये हुई ना बात | उसने कहा सुन नाता से अच्छा कोई अपना मेरी चूत चोद ले | उसका बदन ज्यादा भरा नहीं था पर ठीक था और सच बताऊँ तो मुझे बस उसको चोदने का मन था | उसको किस करने में मुझे शर्म आ रही थी क्यूंकि वो काली थीं | पर मैंने ना चाहते हुए भी उसको किस करना चालु किया और उसके दूध दबाना भी चालु कर दिया | उसके दूध छोटे थे और मैं उन्हें ब्रा के ऊपर से ही मसल रहा था और वो भी मुझे किस किया जा रही थी |


उसके बाद उसने एक एक करके मेरे कपडे उतार दिए और मुझे नंगा करने लगी तो मुझे भी जोश आने लगा और मैंने उसके ब्रा को खोल दिया | उसके निप्पल भी काले थे पर मुझे क्या मैंने उनको चूसना चालु कर दिया | वो मेरे लंड को मसलने लगी और उसके बाद वो कहने लगी वाह क्या मस्त कड़क लंड है मुझे इससे चुदने में मज़ा आ जायेगा | मैंने कहा बस कुछ देर और उसके बाद तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा दीदी | फिर क्या मैंने उसको बैठा दिया और कहा मेरा लंड चूसो | जी ही उसने अपना मुंह मेरे लंड पे लगाया मुझे आनंद की अनुभूति होने लगी | मेरे मुंह से आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह निकलने लगी और उसके बाद वो मेरा लंड जोर जोर से खींच के चूसने लगी | मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज ये मेरा मुट्ठ नहीं मेरा लंड ही निकाल लेगी | पर कुछ भी हो मैं आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह करते हुए मज़े ले रहा था और वो लंड चूस रही थी |
उसके बाद मैंने सोचा कि इसकी चूत चाट लेता हूँ पर जैसे ही मेरी नज़र उसपर गयी मेरा मन बदल गया | मैंने सीधे उसको घोड़ी बनाया और अपने बड़े मोटे लंड को उसकी चूत में भर दिया एक बार में | वो वो चिल्लाने लगी और उसके बाद मैंने उसको भर ताकत से चोदना शुरू कर दिया | थोड़ी देर बाद वो आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह आअह्ह्ह्ह ऊऊउम्म्म्म ऊऊउफ़् आआह्हह्हह ऊऊऊह्हह करते हुए चुदवाने लगी | मैंने उसको पूरी रात चोदा और उसके बदन को अपने सफ़ेद मुट्ठ से नेहला दिया |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#29
दूर की फूफी और मेरा कुंवारा लंड
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#30
मेरा नाम समीर है और मैं रहने वाला एक शहर का हूँ | मेरी उम्र 22 साल है और मैं दिखने में मस्त गबरू जवान हूँ | मुझे देखकर किसी भी लडकी की नियत खराब हो जाये | दोस्तों मैं ज्यादा बकचोदी न करते हुए सीधे कहानी को शुरू करता हूँ | मैं आशा करूँगा की आप लोग मेरी कहानी को पढ़कर मज़े लेंगे और अगर आप लोगो को मेरी कहानी पसंद आती है तो मैं अपनी अगली कहानी को आप लोगो तक जरुर पहुचाने की कोशिश करूंगा |

ये कहानी तब की है जब मैं 18 साल का था | दोस्तों वो मेरे पापा की दूर की बहेन थी और मेरी फूफी हुई | उन दिनों वो मेरे घर आई हुई थी | मेरे चाचा जी लड़की की शादी थी जिसका नाम फुलजहाँ था | उसकी शादी की तैयारी बड़ी धूम धाम से हो रही थी | सब लोग शादी की तैयारी में व्यस्त थे और मैं रोज की तरह ही शाम होते ही अपने बिस्तर में जाकर सो जाता था |

दोस्तों उसी टाइम की बात है जब शादी के पहले एक पूरी रात सब जागते हैं और गाने गाते और बजाते हैं | उसी रात की बात है मैं अपने रूम में लेटा था और सब लोग गाने बजाने का कार्यक्रम देख रहे थे और औरते लोग गाने गाती हुई डोलक बजा रही थी | मैं ये सब अपने रूम में लेट कर सुन रहा था और मज़े ले रहा था |

उस रात मेरे घर में 10 – 15 लोग थे कुछ लोग तो मेरे घर के और आये मेहमान थे और कुछ मेरे मोहल्ले के लोग थे | वो सब मस्ती और इन्जॉय कर रहे थे | मैं ये सब सुनते हुए सोने लगा था तभी मेरी फूफी मेरे कमरे में आई और सोने के लिए मेरे पास लेट गयी | मैं टाइम सो नही रहा था केवल अपनी आँखों को बंद करे हुए लेटा था की मुझे नीद आ जाये |

फूफी मेरे भोले चेहरे को देखती हुई अपने कोमल हाथो से मेरे सर के बालो को सहलाती हुई बोली कितना प्यार बच्चा है | फूफी ये बात बोलती हुई मेरे सर को सहलाती हुई मेरे गालो पर एक किस की और मेरे साथ लेट गयी | दोस्तों उनके कोमल होठो के स्पर्स से मेरी नीद उड़ गयी थी और मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था | मेरे अन्दर अजीब सी फिलिंग आ रही थी और मेरे मन में उस रात फूफी के बारे में अजीब ख्याल आने लगे थे |

दोस्तों जब मस्त सेक्सी औरत पास में आकर लेट जाये और अंदर आग लगा दे तो नीद कैसे आ सकती है | उस रात मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था और मुझे कुछ समझ नही आ रहा था | तभी वो मेरे पास लेट गयी और अपनी गांड को घुमा कर मेरी तरफ कर दी | दोस्तों जब वो लेट गयी तो मेरी आंखे अपने आप खुल गयी और मैं उनकी सेक्सी कमर को देखने लगा | मैं जब उनकी कमर को देखने लगा तो मेरा लंड अपने आप ही खड़ा हो गया था और फूफी अपनी गांड को मेरे लंड से सेटा कर लेती हुई थी जिससे मेरे खड़े लंड का अहसास फूफी को हो चूका था | मेरा लंड जब फूफी के कुल्हो में ठोकरे मारने लगा तो उनके स्पर्स से मेरे जिस्म ने पसीना छोड़ दिया था और मैं पूरे पसीने से भीग चूका था |

अब जब फूफी को पता चल गया था की मेरा लंड खड़ा है तो वो अपनी गांड को मेरी तरफ और बढ़ा कर मेरे लंड से खेलने लगी | वो जब मेरे लंड से खेलने लगी तो मेरी नीद जा चुकी थी और मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं अब क्या करूँ | दोस्तों क्यूंकि मैंने इससे पहले ये सब कभी भी नही किया था तब मैं भी थोडा फूफी के साथ मस्ती करने लगा और उनके जिस्म में इधर उधर हाथ लगाने लगा | मैं जब फूफी के हाथ इधर उधर लगाने लगा तो वो मेरे हाथ को पकड लिया और मेरी तरफ घूम गयी | फिर मेरे हाथ को अपनी बड़ी बड़ी चुचियों पर रख दिया |

दोस्तों मेरे करंट से लग गया और मेरे माथे से पसीने की बूंद नीचे की और जाने लगी तो उस बूंद को फूफी ने अपनी जीभ को लगाकर चाट लिया और मेरे साथ मज़े करने लगी | वो भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए बहुत उतावली हो रही थी और तुरंत ही उन्होंने अपने कपडे निकाल दिए | दोस्तों जब उन्होंने अपने कपडे निकाल दिए तो मैं उनके संगमरमर से बदन को चकित नज़रो से देखने लगा | क्या बदन का एकदम भरा हुआ और संगेमरमर की तरह चमक रहा था | मैं उनको बिना कपड़ो के ऐसे ही 2 -3 मिनट तक घूरता रहा | दोस्तों क्या फिगर था मस्त सेक्सी आप लोगो उनके फिगर की तुलना हिन्दी मूवी की अभिनेत्री दबंग वाली सेनाक्षी सिन्हा से कर लो | ठीक उन्ही की तरह उनका मस्त फिगर था और मैं ये भी कहूँगा की ठीक उनकी ही तरह गोरी भी थी |

फिर फूफी ने मुझे पकड लिया और मेरे एक एक कपडे को निकाल दिया | वो मेरे कपडे निकालने के बाद मैंने उनके जिस्म के हर के अंग को टच करना शुरू किया क्यूंकि इससे पहले मैं कभी बिना कपड़ो के औरत को नही देखा था | दोस्तों मैंने इससे पहले कई बार सेक्सी मूवी दिखी थी और उसी तरह उनके जिस्म को टच कर रहा था | मैं उनके हर एक अंग को टच करने के साथ उनकी गहरी और मस्त नाभि को अपनी होठो से टच किया जिससे वो मचल गयी और मेरे सर को पकड कर सहलाने लगी |

फिर मैं उनकी नाभि से होता हुआ उनकी गुलाबी चूत तक पहुच गया | दोस्तों क्या मस्त चूत थी एकदम पाव रोटी की तर फूली और उनकी जांघे इतनी मस्त थी की मैं उनको देखता रहा | ये कार्यक्रम ऐसे ही 10 मिनट तक चलता रहा जिससे फूफी भी मदहोश ही चुकी थी और उठ कर अपने घुटनों के बल बैठ गयी और मेरे लंड को पकड कर हिलाती हुई मुंह में रख लिया |

फूफी ने मेरे लंड को जैसे ही मुंह में रक्खा तो उनके मुंह की गर्मी से मेरा लंड फूफी के मुंह में झटके मारने लगा और वो मेरे लंड को मुंह में रख कर चूसने लगी | वो मेरे लंड को मुंह में रख कर जोर जोर से अन्दर बाहर करती हुई चूसने लगी थी | मैं उनके सर के बालो को पकड कर अपने लंड को चूसा रहा था | दोस्तों ये लंड चुसाने का खेल ऐसे ही 5 मिनट तक चलता रहा | फिर फूफी ने अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को मेरे मुंह में दिया और चूसने को कहा |

मैं फूफी की चुचियों को मुंह में रख कर चुसने लगा | क्या चूचियां थी.. मेरे मुंह में आज अभी पानी आ गया | दोस्तों मैं कहानी लिख रहा हूँ पर मेरी आँखों के सामने वो सब आज भी घूम रहा है | तब मैं उनकी चुचियों को मुंह में रख कर ऐसे ही 4 – 5 मिनट तक चूसता रहा था और फूफी मेरे सर को पकड कर चुसाती रही थी |

फूफी बोली यार तुम मेरी चूत को चाटो और मुझे मज़ा दो | मैं अनाड़ी था और फूफी के कहने पर उनकी चूत को पहले अपनी उँगलियों से फैला दिया और फिर उनकी चूत में अपनी जीभ को घुसा दिया और चाटने लगा | मैं उनकी चूत को चाट रहा था और फूफी आह आह उई औच माई माँ आह और जोर से कर यार और जोर से कर माँ उई आह कर रही थी | मैं उनकी ये आवाजे सुनकर मज़े ले रहा था और चाट रहा था |

दोस्तों जब उनसे रहा नही गया तो वो अपनी चूत में अपनी उँगलियों को घुसा दिया और जोर जोर से हिलाने लगी थी | वो अपनी चूत में ऊँगली को डाल कर हिलाने लगी तो मैं उनका साथ देता हुआ उनके हाथ को पकड कर अन्दर बाहर करने लगा | वो ये कुछ देर तक करती रही | फिर मुझे सेक्सी मूवी की हिरोइन की तरह धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और फिर मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत के मुंह को टिका दिया |

वो मेरे लंड पर अपनी चूत के मुंह को रख कर टिका दिया था और धीरे धीरे नीचे की और जोर लगाने लगी जिससे मेरा लम्बा और मोटा लंड उनकी गुलाबी चूत में समाने लगा | दोस्तों कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समां गया और मुझे ऐसा लगा की जैसे मैंने अपना लंड किसी जलती आग में डाल दिया हो | मेरा लंड जैसे ही उनकी चूत में पूरा गया तो उनके मुंह से आह उह उई औच की आवाज निकल गयी और मेरे लंड पर उछल कूद मचलने लगी |

दोस्तों वो मेरे लंड की सवारी करने लगी थी और मज़े ला रही थी | जब वो मेरे लंड पर उछल कूद कर रही थी तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था | मैं उनकी हिलाती हुई चूचियां देख रहा था जो उनके उछल कूद करने से हिल रही थी |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
उस रात मेरी फूफी मेरे लंड की सवारी कर रही थी और उठा पटक कर रही थी जिससे उनकी बड़ी बड़ी चूचियां साथ में उछल रही थी | मैं जिनको देखकर मज़े ले रहा था और वो जोर जोर से मेरे लंड के मज़े लेती हुई चुद रही थी | वो मेरे लंड से चुदने के साथ उत्तेजित करने वाली सिसकियाँ ले रही थी | वो मेरे लंड पर ऐसे ही 10 मिनट तक उछल कूद मचाती रही जिससे उनकी चूत से पानी निकलने वाला था तो उनकी स्पीड और तेज हो गयी जिससे उनकी चूत से पानी निकल गया | अब वो उछल कूद बंद कर दिया था जिससे उनकी उछल कूद मचाती हुई चूचियां भी शांत हो गयी |

फिर वो मेरे लंड के ऊपर से उतर कर नीचे आ गया और जब फूफी ने मेरे लंड को लोहे की तरह खड़े देखा तो वो बहुत ख़ुशी हुई | फिर मेरे लंड के मज़े लेने के लिए वो बेड के सिर को पकड कर ठीक एक कुतिया की तरह खड़ी हो गयी और मुझसे अपनी गांड में लंड को घुसाने को कहा |

मैं फूफी मुझे नही पता है की कैसे करूँ | मैंने अभी तक कभी किसी की गांड या चूत में नही लंड को घुसाया है | तब फूफी ने मुझसे कहा तुम कुछ मात करो बस अपने लंड को मेरी गांड के मुंह पर रख दो | मैं फूफी के कहने के अनुसार उनकी गांड के छेद पर लंड के मुंह को रख दिया और वो अपनी गांड का दबाव मेरे लंड पर बनाया जिससे मेरा लंड उनकी गांड को फाड़ते हुस पूरा समां गया | मेरा लंड जैसे ही उनकी गांड में घुसा तो उनके मुंह से आह आह उई माई की आवाज निकल गयी और गांड से खून की धार बा की और निकल आई |

दोस्तों उनकी गांड फट चुकी थी | फिर फूफी ने मुझसे कहा की धीरे धीरे धक्के मारो और मैं फूफी के कहे अनुसार उनकी गांड में धक्के मारने लगा | मुझे फूफी की चूत से ज्यादा मज़ा तो उनकी गांड मारने में आ रहा था | मैं उनकी गांड में धीरे धीरे धक्के मार रहा था जिससे कुछ ही देर में फूफी अपनी गांड को आगे पीछे करती हुई चुदने लगी साथ में आह उह उई औच की आवाजे भी करती | मैं उनकी गांड में ऐसे ही 10 मिनट तक धक्के मारता रहा और मेरे लंड से माल निकलने वाला था |

तब मैंने ये बात फूफी को बताया और वो मेरे लंड को अपने मुंह में रख कर चूसने लगी | मेरे लंड से निकलने वाला सारा माल पी गयी | वो मेरे लंड को तब तक चूसती रही जब तक मेरे लंड की एक एक बूंद नही निचोड़ ली थी | हम दोनों लोग लेट गए और उसके कुछ देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था तो मैंने उनकी फिर से एक बार चुदाई की थी |

उस रात उधर कार्यक्रम चल रहा था रतजगा का और मैं इधर फूफी के साथ रात जग रहा था | उस रात मैंने फूफी को खुश कर दिया था इसलिए अब फूफी मुझे रोज ही चुदने लगी थी | दोस्तों शादी के दुसरे दिन की बात है जब सब लोग चले गए थे पर उस दिन फूफी नही गयी थी क्यूंकि उस रात वो मेरे लंड से चुदना चाहती थी | उस रात भी वो मेरे कमरे में आ गयी और मेरे कपडे उतारने के बाद अपने कपडे उतर दिए थे |

फिर हम दोनों सेक्स करने लगे थे पर दरवाजा मेरा थोडा सा खुला था जिससे उनकी लड़की आयेशा ने हम दोनों को सेक्स करते देखा लिया और अपनी मम्मी पर घुस्सा होने लगी और बोली अभी पापा को फ़ोन करके बताती हूँ | उस टाइम मेरी हालत क्या थी आप सभी लोग सोच नही सकते और आयेशा फूफी को धमकी दे रही थी की वो पापा को बता देगी |

फूफी आयेशा को तरह से मानने की कोशिश कर रही थी पर वो फूफी को खुली चुनोती दे रही थी की वो पापा के घर के सब लोगो को उनकी इस करतूत के बारे में बताएगी | तब फूफी बहुत गुस्सा हुई फिर उसके बल पकडे और बेड पर पटक दिया और मुझसे दरवाजे को बंद करने को कहा |

मैं ठीक फूफी के कहने पर दरवाजा बंद कर दिया और फूफी ने मुझे आयेशा की जींस को उतारने का इशारा किया | मैं आयेशा की जींस को उतारने लगा और बहुत देर बाद उसकी जींस उतारने में कामयाब भी हुआ | दोस्तों उस टाइम आयेशा ऐसे तडफ रही थी जैसे कोई मछली बिना पानी के तडफ रही थी | कुछ ही देर में फूफी और मैंने मिलकर आयेशा को पूरी तरह से नंगा कर दिया | तब फूफी ने मुझे आयशा की चूत को चाटने को कहा और मैं उनके कहने के अनुसार आयेशा की चूत को चाटने लगा |

मैं आयेशा की कुवांरी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर चाट रहा था और वो मुझे गन्दी गन्दी गलियां दे रही थी | वो भी नन्ही सी जान 18 साल की कमसिन जवान लड़की तब तक हम दोनों का मुकाबला करती और वो छोड़ने को कह रही थी | तब मैंने उसकी छोटी सी चूत में अपनी उँगलियाँ घुसा दी जिससे उसके मुंह से आह माई छोड़ हरामी में मार जाउंगी मुझे जाने दो |

मैं फूफी की आज्ञा का पालन करता हुआ उसकी चूत को चाट रहा था जिससे कुछ ही देर में उसका बिरोध कम हुआ और आह आह उई माई की सेक्सी आवाजे करने लगी | आयेशा ने उतने टाइम में कई मार अपनी कमर को उठा उठा कर मेरे मुंह पर अपनी चूत को मारती रही थी पर मैं भी हार नही मानी और उसकी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर चाटता रहा था जिससे उसकी चूत मेरी गर्म जीभ का सामना नही कर पाई और अपना पानी छोड़ दिया |

आयेशा की चूत से निकलने वाला पानी नमकीन था जिसको मैं पी गया और उसकी चूत को चाट चाट कर साफ कर दिया | अब आयेशा भी गर्म हो गयी थी और लंड को चूत में लंड के लिए तैयार थी | तब फूफी ने मुझे हुकम किया की तुम इसकी चूत में लंड को घुसा दो | मैं भी उनके कहने पर एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह आयेशा की चूत के ऊपर लंड को रख कर धीरे से घुसाने लगा | आयेशा की चूत काफी टाईट थी जिसकी वजह से मेरा लंड उसकी चूत में नही घुस रहा था पर मैंने हार नही मानी और उसकी चूत में अपने लंड को घुसा ही दिया |

मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुस पूरा अन्दर तक समां गया और उसके मुंह से जोर की चीख निकल गयी | वो मेरे लंड को बा निकलने लगी पर मैंने उसकी कमर को कस के पकड लिया और जोरदार के धक्के मारने लगा | मैं उसकी चूत में जोरदार के धक्के मार रहा था और वो भी मेरा साथ देती हुई अपनी चूत को उठा उठा कर चुदने लगी | मैं उसको ऐसे ही कुछ देर तक चोदता रहा पर फूफी मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तडफ रही थी |

तब मुझसे बोली की तुम मेरे मेरी चूत में लंड को डाल दो ? दोस्तों अब आयेशा गर्म थी और चुदने के लिए तडपने लगी थी | फूफी मेरी यही चाहती थी की उसे भी पता चले की लंड लेने की तडफ क्या होती है | मैंने भी फूफी के कहने पर फूफी की चूत में लंड को घुसा दिया और चोदने लगा | मैं उनकी चूत में धक्के मारने लगा और वो मेरे धक्को के मज़े लेती हुई चुदने लगी साथ में आह उह उई औह की आवाजे करती थी | मैं उनको ऐसे ही ठीक पुरे 20 मिनट तक चोदता रहा और आयेशा अपनी चूत में उँगलियों को डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी |

तब मैंने अपने लंड को फूफी की चूत से निकाल कर आयेशा के मुंह में घुसा दिया और चुसाने लगा | आयेशा ने मेरे लंड को मुंह में लेने से माना कर दिया पर मैं उसके मुंह में लंड को घुसा कर चुसाने लगा और अपने लंड का माल उसके मुंह में ही निकाल दिया | उसे मेरे लंड से निकलने वाले पानी का स्वाद अच्छा लगा इसलिए मेरे लंड को चूसने लगी |

मेरे झड़ने के बाद दोनों माँ और बेटी ने मेरे लंड को खड़ा किया और मैंने फिर से माँ और बेटी दोनों की मस्त ठुकाई की थी | उस रात मैंने दोनों को एक एक करके चोदता रहा था और वो दोनों मस्त मज़े लेती हुई पूरी रात चुदी थी |

उस चुदाई के बाद आयेशा में मेरे लंड को दीवानी हो गयी थी और मेरे लंड से चुदने के लिए वो अक्सर मेरे घर आती रहती है | मैं अब उसे भी चोदता हूँ और अपनी फूफी को भी |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#32
चचेरी बहन की मस्त चुदाई
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#33
| मैं आप सभी लोगो को अपनी बहन के बारे में बता देता हूँ | मेरी बहन का नाम सुनीता है | मेरी बहन दिखने में दूध की तरह गोरी है और उसका मस्त सेक्सी फिगर है | उसके बड़े बड़े बूब्स उसकी पतली कमर और बड़ी चौड़ी गांड है जिसको देख कर किसी की भी नियत ख़राब हो जाये | उसकी उम्र 19 साल है और वो दिल्ली में पढाई करती है और वहीँ हॉस्टल में रहती है | कुछ दिन बाद की बात है जब उसके कॉलेज में छोट्टी हो गयी थी | तो उसकी सब सहेलियाँ अपने घर चली गई थी | तो वो भी चाचा के पास फ़ोन करके बोली की पापा मुझे भी घर आना है | तब चाचा ने मुझसे कहा तुम जाके ले आओ | तब मैं वहां से निकल लिया और मुझे दिल्ली आने तक बहुत टाइम हो गया | जब मैं दिल्ली पंहुचा तो फिर उसके कॉलेज गया तो उसकी सारी सहेलियाँ जा चुकी थी सिर्फ़ उसकी एक सहेली थी | वो भी दिखने में बहुत स्मार्ट थी | फिर मैं उसका समन गाड़ी में रख कर बैठने को कहा और वो दोनों बैठ गयी | फिर सुनीता ने कहा पहले इसको घर तब छोड़ दो | तब मैं उसको पीलीभीत तक छोड़ने गया और रात काफी हो गयी थी | तो उसकी सहेली ने कहा की आज रुक जाओ और सुबह निकलना | तो मैंने कहा नही कार से हैं आराम से निकल जायेंगे | फिर मैं उसकी सहेली को छोड़ कर निकाल पड़ा और मैं थोड़ी ही दूर निकला था की कार खराब हो गयी | फिर मैंने कार को किनारे में लगा कर वहीँ पर एक मिस्त्री से कार को बनाने के लिए बोला दिया और बता दिया जेसे ही कार बन जाये मुझे इस नम्बर पर कॉल कर देना | मैं पास के होटल में रूम लेकर रूक गया और फिर मैंने खाने के लिए ऑडर किया | कुछ ही देर में खाना आ गया और हमने खाना खा कर लेट गए |

मैं उसको अपने पास लेते देख कर मुझे अपने आप पर कन्ट्रोल नही हुआ तो मैं उसकी जांघों को सहलाने लगा | तो वो मेरी और देख कर हँसने लगी | मैं उसकी जांघों को सहलाते हुए उसके कान पर किस करते हुए उसकी गर्दन पर किस करने लगा | मैं उसको कुछ देर तक ऐसे ही किस करता रहा और वो मेरे सीने पर किस करने लगी | फिर मैं उसकी गर्दन से किस करते हुए उसके बूब्स पर किस करते हुए उसके पेट पर किस करने लगा | मैं उसको कुछ देर तक ऐसे ही किस करता रहा और कुछ देर में ही वो गर्म हो गयी | वो मेरे लंड को पेंट के ऊपर से मसलने लगी | फिर मैंने उसकी होठो पर अपने होठो को रख कर उसकी होठो को चूसने लगा | वो भी मेरा साथ देती हुई मेरे होठो को चूसने लगी | मैं उसकी होठो को चूसता रहा कुछ देर तक होठो को चूसने के बाद में उसकी बूब्स को कपडे के ऊपर से दबाने लगा | मैं उसके बूब्स को दबाते हुए उसके कपडे निकाल दिए और वो कुछ ही देर में मेरे सामने ब्रा और पेंटी में आ गयी और मैं उसके एक दूध को पकड कर उसके ब्रा के ऊपर से दबाते हुए उसके दूध को मुंह से चूसने लगा | मैं उसके दूध को ब्रा के ऊपर से चूसने लगा | तो वो अपने मुंह से सिसिकियाँ लेने लगी | कुछ देर तक ऐसे ही चूसते हुए उसका ब्रा खोल दिया और उसके एक दूध को मुंह में रख कर जोर जोर से चूसने लगा | मैं उसके बूब्स को मुंह में रख कर एक एक करके चूसने लगा | मैं उसके दूध को कुछ देर तक ऐसे ही एक एक करके चूसता रहा फिर मैंने उसकी पेंटी को निकाल कर उसकी चूत में अपने मुंह को घुसा कर उसकी चूत में जीभ को घुसा कर चाटने लगा | तू उसके मुंह से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह करती हुई चूत को सहलने लगी | मैं उसकी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा | वो अपने बूब्स को मसलने लगी और साथ में से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह करने लगी | मैं उसकी चूत में जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए उसकी चूत में अपनी ऊँगली को घुसा दिया जिससे उसके मुंह से से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह की सिसिकियाँ निकल गयी | मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली को अन्दर बाहर करते हुए उसको चोदने लगा | मैं उसको चूत में ऊँगली को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा | वो अपने मुंह से हलकी हलकी आवाज में से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ करने लगी | मैं उसकी चूत में कुछ देर तक ऐसे ही ऊँगली क अन्दर बाहर करता रहा | फिर मैंने अपने कपडे निकाल दिए और वो मेरे लंड को अपने हाथ में पकड कर हिलाती हुई अपने मुंह में रख कर चूसने लगी | वो एरे लंड को मुंह में अन्दर बाहर करती हुई चूसने लगी तो मेरे मुंह से हलकी हलकी आवाज में सिसिकियाँ निकल गयी | वो मेरे लंड को मुंह में रख कर चूसने लगी थी | मैंने अपने लंड को चुसाने लगा | वो मेरे लंड को मुंह में अन्दर बाहर करती हुई चूस रही थी | मैं उसके सर को पकड कर उसके मुंह में धक्के मारने लगा और अन्दर बाहर करते हुए उसके मुंह को चोदने लगा | मैं कुछ देर तक ऐसे ही उसके मुंह के चोदने के बाद उसकी टांगो को थोडा सा फेला कर उसकी छत में लंड को घुसा कर उसको चोदने लगा | तो उसके मुंह से धीमी धीमी आवाज में से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह करने लगी | मैं उसकी चूत में अपने लंड क अन्दर बाहर करते हुए उसको चोदने लगा | वो अपने बूब्स को मसलती हुई से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह कर रही थी | मैं उसकी चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर करते हुए चोद रहा था | मैं उसको ऐसे ही जोरदार धक्को से उसको चोद रहा था | वो अपनी चूत को हिला हिला कर चुद रही थी और साथ में से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह कर रही थी | मैं उसको कुछ देर तक ऐसे ही चोदता रहा और वो से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फफफफ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह करती हु चुदती रही | मैं उसको चोद ही रहा था की मिस्त्री का फोन आ गया और उसने कहा की सर कार बन गई है | मैं अभी तक चोद ही रहा था पर हमे घर भी पहुचना था | तो हमने कपड़े पहने और निकल पड़े |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34
फिर मैं और सुनीता कार में बैठ कर घर के लिए निकल पड़े और वो मुझे रास्ते में देख कर हँसने लगी | तब मैंने उससे पूछा तुम हँस क्यूँ रही हो | तो उसने कहा कुछ नही और हम ऐसे ही बाते करते हुए घर की और चल रहे थे की उसकी सहेली का फ़ोन आ गया | उसने पूछा घर पहुच गए तो सुनीता ने उसे बताया की रास्ते में कार ख़राब हो गयी थी तो वहां ज्यादा टाइम लगा गया था इसलिए हम लोग अभी नही पहुचे है | फिर उसने मुझसे बात करने के लिए कहा तो मैं उसकी सहेली से बात करने लगा | मैं आप सभी लोगो को बता देता हूँ की उसका नाम पायल है | वो दिखने में सुनीता से भी ज्यादा सेक्सी है और उसके बूब्स कुछ ज्यादा ही बड़े हैं और उसकी गांड बड़ी चौड़ी और गोल है | वो किसी हुस्न की मल्लिका से कम नही है | मैं उसको भी चोदना चाहता हूँ और मैं बात करते हुए घर पहुच गए | फिर मैंने कार से सामान उतार के घर में रख दिया और घर पर बताया चाचा से की रास्ते में कार ख़राब हो गयी थी |

एक दिन की बात है उस दिन घर पर कोई नही था | तो मैं और सुनीता ने उस दिन सेक्स किया | मैंने उस दिन सुनीता की मस्त चुदाई की और अब मैं उसको मौका मिलने पर चोदता था | उसे भी मुझसे चुदने में मज़ा आता था | मैं जब उस दिन उसको चोद रहा था | तब उसने मुझसे पूछा की तुम किसी से प्यार करते हो | तो मैंने कहा प्यार तो नही पर पसंद करता हूँ | तो उसने कहा बताओ तो मैंने उससे कहा अगर बता दूँ तो तुम मुझे उसकी चूत दिलाओगी | तब उसने कहा अगर मैं उसको जानती हूँ को कोशिश करूँगी | तो मैंने उसकी सहेली का नाम बताया पायल को मैं बहुत पंसद करता हूँ | तो उसने कहा जब मुझे तुम कॉलेज छोड़ने चलोगे तब मैं उसको तुमसे चोदवा दूँगी | मैंने कहा सच में तो उसने कहा की वो बहुत चुदक्कड है | उसे अपनी चूत को चुदवाने में बहुत मज़ा आता हैं और मैं उस दिन का इंतजार करने लगा जिस दिन चाचा मुझे सुनीता को कॉलेज छोड़ने के लिए कहे | फिर कुछ दिन बात उसका कॉलेज जाने का टाइम हो गया | फिर मैं उसको छोड़ने के लिए निकल गया | मैं पायल को लेने उसके घर होते हुए गया और हम तीनो लोग एक होटल मैं गए |

फिर हम तोनो लोग बैठ कर रूम में बात कर रहे थे और टीवी देख रहे थे की उसमे किस सीन देख कर पायल मेरे हाथ को पकड कर अपने अपनी जांघों पर रख कर | वो मेरी तरफ देख कर बेड पर लेट गयी | मैं उसके गले में किस करते हुए उसके कान के पास किस करने लगा | मैं उसको इसी तरह से कुछ देर तक किस करता रहा और वो कुछ ही देर में गर्म हो गयी | फिर वो अपने बूब्स को मसलते हुए मेरे सर को पकड कर अपने बूब्स को चूसने को कहने लगी | मैं उसके कपड़े को निकाल दिया और वो ब्रा और पेंटी में आ गयी | फिर मैं उसके बूब्स को ब्रा के उपर से दबाते हुए ओसके एक दूध को मुंह में रख चूसने लगा | तो उसके मुंह से सिसिकियाँ निकल गयी | मैं उसके बूब्स को दबाते हुए उसकी ब्रा भी खोल दी | ये देख कर सुनीता भी अपने बूब्स को मसलने लगी और मेरे लंड को पेंट के ऊपर से दबाने लगी | मैं उसके एक दूध को मुंह में रख कर चूसने लगा और दुसरे वाले को हाथ से मसलने लगा | मैं कुछ देर तक उसके बूब्स को एक एक करते चूसता रहा | फिर मैं उसकी पेंटी को निकाल कर उसकी चूत में अपने मुंह को घुसा कर चटाने लगा और सुनीता उसकी होठो पर किस कर रही थी | मैं उसकी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर कर रहा था और वो सुनीता की चूत को चाट रही थी | मैं उसकी चूत को चाटने के साथ में उसकी चूत में अपनी ऊँगली को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा | जिससे उसके मुंह से हलकी हलकी आवाज में उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह आह्ह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह्ह अह्ह्ह अहह द्ध्ह उह्ह्ह उफ़ करने लगी | मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली को अन्दर बहार करते हुए उसकी चूत को चोदने लगा | कुछ देर तक मैं उसकी चूत में ऐसे ही करता रहा और फिर अपने कपडे निकाल दिए | फिर वो दोनों मेरे लंड को मुंह में रख कर चूसने लगी | वो दोनों लंड को एक एक करके मुंह में अन्दर बाहर करती हुई चूसने लगी | मैं अपने लंड को मुंह में अन्दर बाहर करते हुए चूसा रहा था | वो मेरे लंड को मुंह अन्दर बाहर करती हुई चूस रही थी | वो मेरे लंड को कुछ देर तक मुंह में अन्दर बाहर करती हुई चूसती रही | फिर मैं उसकी टांगो को थोडा सा फेला कर उसकी चूत में ऊँगली डाल कर चूत में थूक लगा कर | उसकी चूत के मुंह पर लंड को रख कर उसकी चूत में लंड को घुसा कर चोदने लगा | तो उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फु फ्फ्फ्फ़ उह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फ्फ्फ ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ अह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाह फफफफ उह्ह करने लगी और सोनिता उसकी चूत को चाट रही थी | मैं उसकी चूत में धीरे धीरे अन्दर बाहर करता होवा उसको चोद रहा था | मैं उसको कुछ देर तक ऐसे ही चोदता रहा और फिर उसकी चूत से लंड को निकल कर सुनीता की टांगो को फेला कर चूत में लंड को घुसा कर चोदने लगा | तो उसके मुंह से उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फु फ्फ्फ्फ़ उह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फ्फ्फ ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ अह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाह फफफफ करने लगी और पायल अपनी चूत में ऊँगली को डाल कर अन्दर बाहर करने लगी | मैं सुनीता को जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था | वो उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फु फ्फ्फ्फ़ उह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फ्फ्फ ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ अह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाह फफफफ करती हुई अपनी चूत को हिला हिला कर चोदने लगी | मैं उसको ऐसे ही कुछ देर तक चोदने के बाद उसकी चूत से लंड को निकल कर | पायल को जमीन पर घोड़ी बना दिया और उसके मुंह में लंड को डाल कर चुसाने लगा | कुछ देर तक चुसाने के बाद मैंने उसके पीछे से चूत में लंड को डाल कर चोदने लगा | तो वो उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फु फ्फ्फ्फ़ उह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फ्फ्फ ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ अह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाह फफफफ अहह शह्ह शह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अहह करती हुई चुदने लगी | मैं उसकी चूत में जोरदार धक्को से चोदने लगा | तो वो अपनी चूत को आगे पीछे करती हुई चुदने लगी | मैं उसको कुछ देर तक एस ही जोरदार धक्को से चोदता रहा और कुछ ही देर में उसकी चूत से गर्म पानी की धार निकल पड़ी वो झड गयी | फिर मैं सुनीता की चूत में लंड को घुसा के अन्दर बाहर करते हुए उसको चोदने लगा | वो उह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ्फु फ्फ्फ्फ़ उह्ह फफफफ ह्ह्ह्ह फ्फ्फ ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ अह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाह फफफफ करती हुई अपनी चूत को हिला हिला कर चुदने लगी | मैं उसको जोर जोर के धक्को से चोदने लगा | मैं उसको जोरदार धक्को से चोदता रहा और 40 मिनट की मस्त चुदाई करने के बाद मेरे लंड ने सारा माल उसके पेट पर निकाल दिया | इस तरह से मैं दोनों की मस्त चुदाई की फिर हम तीनो ने कपडे पहन कर मुंह को धुला और फिर हम लोग कार में बैठ कर उनके कॉलेज तक छोड़ कर अपने घर चला गया |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#35
लाड़ में छोटे भाई को साथ सुलाई उसने रात में चोद दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#36
कभी भी जवान लड़के को अपने साथ नहीं सुनाने चाहिए या लड़कियों को जवान लड़के के साथ नहीं सोने चाहिए भले ही रिश्ते में कोई भी लगता हो। क्यों की जिस्म की आग सही नहीं जाती है और फिर कांड हो जाता है। जो आप सोच भी नहीं सकते वो हो जाता है। ना चाहते हुए भी आप वो सब कर देते जो आपको नहीं करने चाहिए। भले रिश्ते कोई भी हो। आज मैं अपनी कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर बताने जा रही हूँ।

कैसे मेरा छोटा भाई कल रात में मुझे चोद दिया और मैं कुछ नहीं कर पाई साथ देने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था। और मैं भी चुद गई। आज दिन में मुझे लग रहा था। की काश मैं अपने आप पर काबू कर लेती थी शायद ये नहीं होता। फिर ये भी आज मैं दिनभर सोचते रही की चलो जो हुआ अच्छा ही हुआ। पर अभी तक मैं ठीक से डिसाइड नहीं कर पाई हूँ की ये अच्छा हुआ या बुरा।

(08-01-2021, 01:54 PM)neerathemall Wrote:
लाड़ में छोटे भाई को साथ सुलाई उसने रात में चोद दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#37
मैं 32 साल की हूँ पर कुंवारी हूँ। मैंने शादी नहीं की और सोची हु करूँ भी नहीं। एक बार प्यार में धोखा खाई और मैंने उसी दिन प्रण कर ली की आज के बाद किसी मर्द के चंगुल में नहीं आउंगी इसलिए शादी नहीं की। मैं प्रोफेसर हु एक कॉलेज में। पर एक भारतीय लड़की हूँ। सुन्दर हु। पढ़ी लिखी और स्मार्ट हु। नए ज़माने की खूबियां भरी हुई है मेरे तन मन में। मैं हॉट और सेक्सी भी हु पर अपने लिए ना किसी और के लिए। अब कल जब से चुदी हूँ तब से कई चीजों बदल गई है और मेरी सोच भी बदल गई है। अब चाहती हूँ कोई अच्छा लड़का मिल जाये तो शादी कर ली जाये।

कल की बात है। मेरा भाई जो की 21 साल का है। इंजीनियरिंग कर रहा है। मेरा और मेरे मम्मी पापा का दुलारा है। बहुत प्यारा है। कल रात को हम लोग खाना खाकर थोड़े दे टीवी देखे। फ्री मैं और मेरा भाई छत पर टहलने चले गए। मम्मी पापा अपने कमरे में सो गया था। वो लोग ग्राउंड फ्लोर पर सोते है। मैं फर्स्ट पर सोती हूँ। और बगल वाले कमरे में मेरा भाई सोता है। तो रात के करीब ११ बज गए थे। तो हम दोनों ही नीचे आ गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#38
वो मेरे कमरे में ही आ गया बोला दीदी अभी नींद नहीं आ रही थी। इसलिए बात करते है। हम दोनों ही बेड पर लेट कर बात करने लगे। बिच बिच में वो अपने मोबाइल को छेड़ रह रहा था और मैं भी अपने मोबाइल पर लोगो की डीपी देख रही थी। तभी जोर की बारिश होने लगी। हम दोनों को बरसात बहुत पसंद है। हलकी हलकी ठंडी हवा चल रही थी। देहरादून की हवा भी अच्छी है। तो वो सोने लगा मैं बोली भाई जा अपने कमरे में। तुम्हे नींद आ रही है।

वो नखरे दिखाने लगा। दीदी तंग नहीं करो ना प्लीज ऐसा वो बोलकर आँख बंद कर लिए और फिर तुरंत भी पांच मिनट में नींद से सो गया। मुझे लगा की अब क्या उठाना सोने ही देती हूँ। मैं उठी बाथरूम गई और अपने कपडे चेंज की। मैं रात में सिर्फ बरमुंडा पेण्ट और ऊपर ढीली ढाली टी शर्ट पहनती हूँ। आजतक मैंने कभी भी ब्रा और पेंटी पहन कर नहीं सोई. मुझे नींद नहीं आती है टाइट कपडे में।
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#39
आकर मैं सो गई



Angry फिर मोबाइल पर नॉनवेज स्टोरी Shy खोलकर कहानियां पढ़ने लगी। आजकल बहुत ही हॉट कहानियां पढ़ने को मिल रही है इस वेबसाइट पर। तो मैं गर्म हो गयी। अपनी चूचियां सहलाते हुए कहानियां पढ़ने लगी मेरा भाई सो गया था। फिर अपने पेंट में हाथ डालकर अपनी चूत भी सहलाने लगी। चुत गीली हो चुकी थी। पर आज मैं ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकती थी। इसलिए मैं जल्द ही मोबाइल रख कर तक तकिया जांघ के बिच में दबा कर सोने लगी पर। कहानी की बात याद आ रही थी तो नींद भी नहीं था। Angel
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#40
मैं सीधा होकर सोने की कोशिश करने लगी। तभी मेरा भाई पलटा और मेरे ऊपर अपना पैर रख दिया। और अपना हाथ मेरी चूचियों पर। मैं सोची की हटा दूँ उसका हाथ तो वो नहीं हटाया और आआआ करने लगा नींद में तो सोची रहने देती हु नींद में है। पर मुझे कुछ कुछ होने लगा था। उसके बाद उसने थोड़ा थोड़ा दवाब देने लगा पर चूचियों पर। और करीब 10 मिनट में ही वो मेरी चूचियों को सहलाने लगा।

मुझे भी अच्छा लगने लगा, मैं कुछ नहीं बोली धीरे धीरे वो मेरे टी शर्ट को ऊपर कर दिया और चूचियों पर अब हाथ फेरने लगा मेरी निप्पल को को दोनों ऊँगली से दबाने लगा। मैं जोश में आ गई। मेरे अंदर आग लग चुकी थी। करती भी क्या अब तो आग लग गई थी। मुँह से सिसकारियां लेने लगी। उसने अब मेरे पेंट में हाथ डाल दिया जैसे ही उसका हाथ मेरी चूत पर पहुंचा तो चूत गीली थी। शायद मेरा भाई समझ गया था की दीदी जगी है और गरम हो गई है यही तो निशानी है किसी लड़की को जानने का जब उसकी चूत गीली हो जाये छेड़ने पर यानी की वो चुदने को राजी है।
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