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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलने लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और कमला दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गई. अमर ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाजुक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुंवारी बुर में उतारकर एक गहरी सांस लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. कमला के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.
अमर एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भींच कर पकड़ा हो. कमला के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ अमर धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से कमला होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आन्खे खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "अमर भैया, मैं मर जाऊंगी, उई मां, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूं."
अमर ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड कमला की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिंचा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. अमर ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने कमला के गालों पर बहते आंसू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. कमला के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी कमला, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."
टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब कमला और जोर से रोने लगी तो अमर ने कमला के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो कमला को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इन्तजार करने लगी. पर अमर अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.
सम्हलने के बाद उसने कमला से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूंगा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुंवारी चूत में तो मां-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूंगा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया. दस मिनिट बाद कमला की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. अमर जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गई. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' जैसी निकलने लगी. रोना बन्द कर के कमला ने अपनी बांहे अमर के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर अमर के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह अमर को बेतहाशा चूंमने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. हाःय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैं इसी लायक हूं।"
अमर हंस पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता कमला, तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" कमला ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.
भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. अमर तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. कमला को मजा तो आ रहा था पर अमर के लंड के बार अंदर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर अमर के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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काफ़ी देर यह सम्भोग चला. अमर पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. कमला कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि अमर का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.
अमर तो अब पूरे जोश से कमला पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इन्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्तान्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ कमला फिर बेहोश हो गई. अमर उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खींचने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया. गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब कमला की बुर में छूटा तो वह होश में आई और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बन्द करके राहत की एक सांस ली. उसे लगा कि अब अमर उसे छोड़ देगा पर अमर उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. कमला रोनी आवाज में उससे बोली. "भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर." अमर हंसकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. "अभी क्या हुआ है कमला रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है." कमला के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. अमर हंसने लगा और उसे चूमते हुए बोला. "रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूंगा जरूर और फिर आफिस जाऊंगा." उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आंखो को चूमना शुरू कर दिया. उसने कमला से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंह में लेकर कमला के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा. थोड़ी ही देर में उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया और उसने कमला की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से कमला की बुर अब एकदम चिकनी हो गई थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. 'पुचुक पुचुक पुचुक' की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. कमला बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर अमर ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पांच मिनट में झड़ गया. झड़ने के बाद कुछ देर तो अमर मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह 'पुक्क' की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. कमला बेहोश पड़ी थी. अमर उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया. रेखा वापस आ गई थी और बाहर बड़ी अधीरता से उसका इन्तजार कर रही थी. पति की तृप्त आंखे देखकर वह समझ गई कि चुदाई मस्त हुई है. "चोद आये मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को ?" अमर तॄप्त होकर उसे चूमता हुआ बोला. "हां मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत रो रही थी, दर्द का नाटक खूब किया पर मैने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर." रेखा वासना के जोश में घुटने के बल अमर के सामने बैठ गई और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर कमला की बुर का पानी और अमर के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी. अमर कपड़े पहन कर ऑफ़िस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? रेखा बोली "इस बच्ची की रसीली बुर पहले चूसूंगी जिसमें तुंहारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊंगी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अंग है. आज ही सब सिखा दूंगी उसे" अमर ने पूछा. "आज रात का क्या प्रोग्राम है रानी?" रेखा उसे कसकर चूमते हुए बोली. " जल्दी आना, आज एक ही प्रोग्राम है. तुंहारी बहन की रात भर गांड मारने का. खूब सता सता कर, रुला रुला कर गांड मारेम्गे साली की, जितना वह रोयेगी उतना मजा आयेगा. मै कब से इस घड़ी की प्रतीक्षा कर रही हूं"
अमर मुस्कराके बोला "बड़ी दुष्ट हो. लड़की को तड़पा तड़पा कर भोगना चाहती हो." रेखा बोली. "तो क्या हुआ, शिकार करने का मजा अलग ही है. बाद में उतना ही प्यार करूम्गी अपनी लाड़ली ननद को. ऐसा यौन सुख दूम्गी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुंहारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की माम्ग करेगी. पर आज तो उसकी कुम्वारी गांड मारने का मजा ले लेम." अमर हम्स कर चला गया और रेखा ने बड़ी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया.
कमला होश में आ गई थी और पलंग पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में खूब दर्द हो रहा था. रेखा उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. "क्या हुआ मेरी कमला रानी को? नंगी क्यों पड़ी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?" बेचारी कमला शर्म से रो दी. "भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला." रेखा आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. "चोद डाला, अपनी ही नन्हीं बहन को? कैसे?" कमला सिसकती हुई बोली. "मै गंदी किताब देखती हुई पकड़ी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपड़े जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड़ कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैने जब खूब मिन्नत की तो छोड़ दिया" रेखा ने पलंग पर चढ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. "ऐसा? देखूं जरा" कमला ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. रेखा झुक कर चूत को पास से देखने लगी. कच्ची कमसिन की तरह चुदी हुई लाल लाल कुन्वारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली "कमला, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोड़ी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फ़ूंक मार कर अभी ठण्डी कर देती हूं तेरी चूत." बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फ़ूंकने लगी. कमला को थोड़ी राहत मिली तो उसका रोना बन्द हो गया. फ़ूंकते फ़ूंकते रेखा ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. कमला चहक उठी. "भाभी, क्या कर रही हो?" "रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?" रेखा ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा. "बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना." कमला ने मचल कर कहा. रेखा चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली. "असल में तुंम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ़ जाने का मन होता है तो तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान है." अब तक कमला काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी बुर रेखा के मुंह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी. कमला की अधीरता देखकर रेखा बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गई कि अपने दोनो हाथों से कमला की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना कमला को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गई. बात यह थी कि कमला को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री और स्त्री सम्बन्धो के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. कमला भी ये किसी सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे. अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो कमला जैसे स्वर्ग में पहुंच गई. उसकी चूत का रस रेखा की जीभ पर लिपटने लगा और रेखा मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और अमर के वीर्य का मिलाजुला स्वाद रेखा को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.
अब रेखा भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघे रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. कमला ने हाथो में रेखा भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा. "भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंम्हारी चूचियां और चूत देखनी है." रेखा उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आंखो से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी. रेखा ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर कमला की चूत में एक बिजली सी दौड़ गई. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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अब रेखा के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जांघिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. "भाभी यह कन्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमे." रेखा ने मुस्करा कर कहा "एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते है कि रात भर मुझे चोद लेते है." "भाभी रुको, इन्हें मै निकालूंगी." कहकर कमला रेखा के पीछे आकर खड़ी हो गई और उसकी मान्सल पीठ को प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर कमला अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. "भाभी, कितनी मस्त चूचियां है तुंम्हारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते है." रेखा के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने कमला के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. कमला आखे बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी. रेखा के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गई. "हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निपल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मै अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊंगी." कमला ने मन भर कर भाभी की चूचियां चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. "भाभी अब जल्दी से मां बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मै ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना." और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. "जरूर पिलाऊंगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते है. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया." रेखा कमला के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली. अपने निपल में उठती मीठी चुभन से रेखा निहाल हो गई थी. अपनी पैंटी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघो में कमला के शरीर को जकड़कर उसे हचकते हुए रेखा अपनी बुर उस की कोमल जांघो पर रगड़ने लगी. रेखा के कड़े मदनमणि को अपनी जांघ पर रगड़ता महसूस करके कमला अधीर हो उठी. "भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़" "तो चल आजा मेरी प्यारी बहन, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी" कहकर रेखा अपनी मांसल जांघे फैला कर पलंग पर लेट गई. एक तकिया उसने अपने नितम्बों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी. वासना से तड़पती वह कमसिन लड़की अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गई. रेखा की रसीली बुर ठीक उसकी आंखो के सामने थी. घनी काली झांटो के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था. "हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटे हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?" उसने बालों में उंगलियां डालते हुए पूछा.
"नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटे बहुत अच्छी लगती हैं." रेखा मुस्कराती हुई बोली. "हां भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ़ जाएं तो मैं भी नहीं काटूंगी." कमला बोली. उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. रेखा वासना से कराह उठी और कमला का मुंह अपनी झांटो पर दबा कर रगड़ने लगी. वह इतनी गरम हो गई थी कि तुरन्त झड़ गई. "हाय मर गई रे कमला बिटिया, तेरे प्यारे मुंह को चोदूं, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू" दो मिनट तक वह सिर्फ़ हांफ़ते हुए झड़ने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कराकर उसने कमला को बुर चूसने का सही अन्दाज सिखाना शुरू किया. उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लाईटोरिस को जीभ से रगड़ा जाता है. थोड़ी ही देर में कमला को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. रेखा पड़ी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही. "चूस मेरी प्यारी बहना, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी बिटिया ऽ , शा ऽ बा ऽ श." काफ़ी झड़ने के बाद उसने कमला को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. कमला ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुम्बन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. रेखा ने अपनी जीभ कमला के मुंह में डाल दी और कमला उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था. रेखा अपनी जीभ से कमला के मुंह के अन्दर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूड़े, तालू, गला कुछ भी नहीं छोड़ा रेखा ने. शैतानी से उसने कमला के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अन्दर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खांस पड़ी. रेखा ने उसके खांसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और कमला की अपने मुंह में उड़ती रसीली लार का मजा लेती रही.
आखिर जब रेखा ने उसे छोड़ा तो कमला का चेहरा लाल हो गया थी. "क्या भाभी, तुम बड़ी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो." रेखा उसका मुंह चूमते हुए हंस कर बोली. "तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था."
फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने कमला को सिखाया कि कैसे निपलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निपलों को दांत से काट लेती थी तो कमला दर्द और सुख से हुमक उठती थी. "निपल काटो मत ना भाभी, दुखता है, नहीं , रुको मत, हा ऽ य, और काटो, अच्छा लगता है."
अन्त में उसने कमला को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया."देख कमला बहन, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बड़ा मजा आता है पर अगर अकेले हो, तो कोई बात नहीं."
कमला भाभी की ओर अपनी बड़ी बड़ी आंखो से देखती हुई बोली "भाभी उस किताब में एक औरत ने एक मोटी ककड़ी अपनी चूत में घुसेड़ रखी थी." रेखा हंस कर बोली "हां मेरी रानी बिटिया, ककड़ी, केले, गाजर, मूली, लम्बे वाले बैंगन, इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूंगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूं. मेरी तरफ़ देख."
रेखा रण्डियों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गई और अपनी अंगूठे से अपने क्लाईटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. कमला ने भी ऐसा ही किया और आनन्द की एक लहर उसकी बुर में दौड़ गई. रेखा ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी. भाभी की देखा देखी कमला भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. रेखा ने उसे समझाया. "रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर." धीरे धीरे रेखा ने दो उंगली घुसेड़ लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी.
कमला को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड़ पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उंगलियां जब खुद की कोमल बुर में चली गईं तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पड़ी. रेखा हंसने लगी. "अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है इसलिये अब तेरी चारों उंगलियां चली जायेंगी अन्दर. वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है." दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. रेखा अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निपलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलने लगी. कमला ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूंम उठी. अपनी चूचियां खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सड़का लगा रही थी. रेखा बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. कमला ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. रेखा ने शैतानी से मुस्कराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही कमला ने अपना मुंह खोला, रेखा ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उंगलियां उसके मुंह में दे दी. रेखा ने भी कमला का हाथ खींच कर उसकी उंगलियां मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. "यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते."
कई बार मुट्ठ मारने के बाद रेखा बोली. "चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी - नाईन का आसन सिखाती हूं. दो औरतों को आपस में सम्भोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बड़ा सुख मिलता है." रेखा अपनी बांई करवट पर लेट गई और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. "आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा." कमला उल्टी तरफ़ से रेखा की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गई. पास से रेखा की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी. रेखा ने उसका सिर पकड़ कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे कमला के मुंह पर रख दिये. "चुम्बन ले मेरे निचले होंठों को जैसे कि मेरे मुंह का रस ले रही थी." जब कमला ने रेखा की चूत चूमना शुरू कर दिया तो रेखा बोली. "अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया" कमला अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. रेखा ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके कमला का सिर अपनी जांघों मे जकड़ लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी. भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर कमला को मानो स्वर्ग मिल गया. कमला मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. रेखा ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर रसपान करने लगी. कमला ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड़ लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की अवाजें उठ रही थी. रेखा ने बीच में कमला की बुर में से मुंह निकालकर कहा. "रानी मेरा क्लाईटोरिस दिखता है ना?" कमला ने हामी भरी. "हां भाभी, बेर जितना बड़ा हो गया है, लाल लाल है." "तो उसे मुंह में ले और चाकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड़, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी बहना, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमे." रेखा ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झड़ा ली और आनन्द की सीत्कारियां भरती हुई कमला के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी. कमला को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी रेखा की जीभ से चुदती रही. रेखा ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लाईटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तड़प कर झड़ गई. कमला का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकि उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झड़ा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी ननद कुछ शांत हुई.
थोड़ा सुस्ताने के लिये दोनों रुकीं तब रेखा ने पूछा. "कमला बेटी, मजा आया?" कमला हुमक कर बोली "हाय भाभी कितना अच्छा लगता है बुर चूसने और चुसवाने मे." रेखा बोली "अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ सिक्सटी - नाइन करने से बढ़कर कोई सुख नहीं है हम जैसी चुदैलों के लिये, कितना मजा आता है एक दूसरे की बुर चूस कर. आह ! क्रीड़ा हम अब घन्टों तक कर सकते हैं." "भाभी चलो और करते हैं ना" कमला ने अधीरता से फ़रमाइश की और रेखा मान गई. ननद भाभी का चूत चूसने का यह कार्यक्रम दो तीन घन्टे तक लगातार चला जब तक दोनों थक कर चूर नहीं हो गई. कमला कभी इतनी नहीं झड़ी थी. आखिर लस्त होकर बिस्तर पर निश्चल पड़ गई. दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटकर प्रेमियों जैसे सो गई. शाम को रेखा ने चूम कर बच्ची को उठाया. "चल कमला, उठ, तेरे भैया के आने का समय हो गया. कपड़े पहन ले नहीं तो नंगा देखकर फ़िर तुझ पर चढ़ पढ़ेंगे" कमला घबरा कर उठ बैठी. "भाभी मुझे बचा लो, भैया को मुझे चोदने मत देना, बहुत दुखता है."
रेखा ने उसे डांटा "पर मजे से हचक के हचक के चुदा भी तो रही थी बाद मे, 'हाय भैया, चोदो मुझे' कह कह के". कमला शरमा कर बोली. "भाभी बस आज रात छोड़ दो, मेरी बुर को थोड़ा आराम मिल जाये, कल से जो तुम कहोगी, वह करूंगी". "चल अच्छा, आज तेरी चूत नहीं चुदने दूंगी." रेखा ने वादा किया और कमला खुश होकर उससे लिपट गई. अमर वापस आया तो तन्नाया हुआ लंड लेकर. उसके पैन्ट में से भी उसका आकार साफ़ दिख रहा था. कमला उसे देख कर शरमाती हुई और कुछ घबरा कर रेखा के पीछे छुप गई. दोपहर की चुदाई की पीड़ा याद कर उसका दिल भय से बैठा जा रहा था. "भाभी, भैया से कहो ना कि अब मुझे ना चोदे, मेरी बुर अभी तक दुख रही है. अब चोदा तो जरूर फ़ट जायेगी!" रेखा ने आंख मारते हुए अमर को झूठा डांटते हुए कहा कि वह कमला की बुर आज न चोदे. अमर समझ गया कि सिर्फ़ बुर न चोदने का वादा है, गांड के बारे में तो कुछ बातें ही नहीं हुई. वह बोला "चलो, आज तुम्हारी चूत नहीं चोदूंगा मेरी नन्ही बहन, पर आज से तू हमारे साथ हमारे पलंग पर सोयेगी और मै और तेरी भाभी जैसा कहेंगे वैसे खुद को चुदवाएगी और हमें अपनी यह कमसिन जवानी हर तरीके से भोगने देगी." अमर के कहने पर रेखा ने कमला की मदद से जल्दी जल्दी खाना बनाया और भोजन कर किचन की साफ़ सफ़ाई कर तीनों नौ बजे ही बेडरूम में घुस गये. अमर ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और अपना खड़ा लंड हाथ में लेकर उसे पुचकारता हुआ खुद कुर्सी में बैठ गया और भाभी ननद को एक दूसरे को नंगा करने को कहकर मजा देखने लगा. दोनों चुदैलों के मुंह में उस रसीले लंड को देखकर पानी भर आया. कमला फ़िर थोड़ी डर भी गई थी क्योंकि वह कुछ देर के लिये भूल ही गई थी कि अमर का लंड कितना महाकाय है. पर उसके मन में एक अजीब वासना भी जाग उठी. वह मन ही मन सोचने लगी कि अगर भैया फ़िर से उसे जबरदस्ती चोद भी डालें तो दर्द तो होगा पर मजा भी आयेगा. रेखा ने पहले अपने कपड़े उतारे. ब्रेसियर और पैंटी कमला से उतरवाई जिससे कमला भी भाभी के नंगे शरीर को पास से देखकर फ़िर उत्तेजित हो गई. फ़िर रेखा ने हंसते हुए शरमाती हुई उस किशोरी की स्कर्ट और पैन्टी उतारी. ब्रेसियर उसने दोपहर की चुदाई के बाद पहनी ही नहीं थी. रेखा उस खूबसूरत छोकरी के नग्न शरीर को बाहों में भरकर बिस्तर पर लेट गई और चूमने लगी. रेखा की बुर कमला का कमसिन शरीर बाहों में पाकर गीली हो गई थी. साथ ही रेखा जानती थी कि आज रात कमला की कैसी चुदाई होने वाली है और इसलिये उसे कमला की होने वाले ठुकाई की कल्पना कर कर के और मजा आ रहा था.

वह अमर को बोली. "क्योंजी, वहां लंड को पकड़कर बैठने से कुछ नहीं होगा, यहां आओ और इस मस्त चीज़ को लूटना शुरू करो." अमर उठ कर पलंग पर आ गया और फ़िर दोनों पति पत्नी मिलकर उस कोमल सकुचाती किशोरी को प्यार करने के लिये उसपर चढ़ गये.

रेखा कमला का प्यारा मीठा मुखड़ा चूमने लगी और अमर ने अपना ध्यान उसके नन्हें उरोजों पर लगाया. झुक कर उन छोटे गुलाब की कलियों जैसे निपलों को मुंह में लिया और चूसने लगा. कमला को इतना अच्छा लगा कि उसने अपनी बांहे अपने बड़े भाई के गले में डाल दीं और उसका मुंह अपनी छाती पर भींच लिया कि और जोर से निपल चूसे.

उधर रेखा ने कमला की रसीली जीभ अपने मुंह में ले ली और उसे चूसते हुए अपने हाथों से धीरे धीरे उसकी कमसिन बुर की मालिश करने लगी. अपनी उंगली से उसने कमला के क्लाईटोरिस को सहलाया और चूत के पपोटों को दबाया और खोलकर उममें उंगली करनी लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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उधर अमर भी बारी बारी से कमला के चूचुक चूस रहा था और हाथों में उन मुलायम चूचियों को लेकर प्यार से सहला रहा था. असल में उसका मन तो हो रहा था कि दोपहर की तरह उन्हें जोर जोर से बेरहमी के साथ मसले और कमला को रुला दे पर उसने खुद को काबू में रखा. गांड मारने में अभी समय था और वह अभी से अपनी छोटी बहन को डराना नहीं चाहता था. उसने मन ही मन सोचा कि गांड मारते समय वह उस खूबसूरत कमसिन गुड़िया के मम्मे मन भर कर भोम्पू जैसे दबाएगा.

कमला अब तक मस्त हो चुकी थी और भाभी के मुंह को मन लगा कर चूस रही थी. उसकी कच्ची जवान बुर से अब पानी बहने लगा था. रेखा ने अमर से कहा. "लड़की मस्त हो गई है, बुर तो देखो क्या चू रही है, अब इस अमृत को तुम चूसते हो या मैं चूस लू?"

अमर ने उठ कर कमला के सिर को अपनी ओर खींचते हुआ कहा "मेरी रानी, पहले तुम चूस लो अपनी ननद को, मैं तब तक थोड़ा इसके मुंह का स्वाद ले लूम, फ़िर इसे अपना लंड चुसवाता हूं. दोपहर को रह ही गया, यह भी बोल रही होगी कि भैया ने लंड का स्वाद भी नहीं चखाया"

अमर ने अपने होंठ कमला के कोमल होंठों पर जमा दिये और चूस चूस कर उसे चूमता हुआ अपनी छोटी बहन के मुंह का रस पीने लगा. उधर रेखा ने कमला की टांगें फ़ैलाईं और झुक कर उसकी बुर चाटने लगी. उसकी जीभ जब जब बच्ची के क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो एक धीमी सिसकी कमला के अमर के होंठों के बीच दबे मुंह से निकल जाती. उस कमसिन चूत से अब रस की धार बह रही थी और उसका पूरा फ़ायदा उठा कर रेखा बुर में जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर उस अमृत का पान करने लगी.

अमर ने कमला को एक आखरी बार चूम कर उसका सिर अपनी गोद में ले लिया. फ़िर अपना बड़ा टमाटर जैसा सुपाड़ा उसके गालों और होंठों पर रगड़ने लगा."ले कमला, जरा अपने भैया के लंड का मजा ले, चूस कर देख क्या मजा आयेगा. डालू तेरे मुंह मे?" उसने पूछा.

कमला को भी सुपाड़े की रेशमी मुलायम चमड़ी का स्पर्श बड़ा अच्छा लग रहा था. " हाय भैया, बिलकुल मखमल जैसा चिकना और मुलायम है." वह किलकारी भरती हुई बोली. अमर ने उसका उत्साह बढ़ाया और लंड को कमला के मुंह में पेलने लगा.

"चूस कर तो देख, स्वाद भी उतना ही अच्छा है." रेखा ने कमला की जांघों में से जरा मुंह उठाकर कहा और फ़िर बुर का पानी चूसने में लग गई. कमला अब मस्ती में चूर थी. वह अपनी जीभ निकालकर इस लंड और सुपाड़े को चाटने लगी. अमर ने काफ़ी देर उसका मजा लिया और फ़िर कमला के गाल दबाता हुआ बोला. "चल बहुत खेल हो गया, अब मुंह में ले और चूस."

गाल दबाने से कमला का मुंह खुल गया और अमर ने उसमें अपना सुपाड़ा घुसेड़ दिया. सुपाड़ा बड़ा था इस लिये कमला को अपना मुंह पूरी तरह खोलना पड़ा. पर सुपाड़ा अन्दर जाते ही उसे इतना मजा आया कि मुंह बंद कर के वह उसे एक बड़े लॉलीपॉप जैसे चूसने लगी. अमर ने एक सुख की आह भरी, अपनी छोटी बहन के प्यारे मुंह का स्पर्श उसके लंड को सहन नहीं हो रहा था. "हाय रेखा, मैं झड़ने वाला हूं इस छोकरी के मुंह मे. निकाल लू लौड़ा? आगे का काम शुरू करते हैं."

रेखा को मालूम था कि अमर अपनी छोटी बहन की गांड मारने को लालायित है. उसने जब लंड का साइज़ देखा तो समझ गई कि अगर झड़ाया नहीं गया और इसी लंड से बच्ची की गांड मारी गई तो जरूर फ़ट जाएगी. इसलिये वह भी बोली. "ऐसा करो, मुट्ठ मार लो कमला के मुंह मे, उसे भी जरा इस गाढ़े गाढ़े वीर्य का स्वाद चखने दो. मै तो रोज ही पीती हूं, आज मेरी ननद को पाने दो यह प्रसाद."

अमर दीवाना हुआ जा रहा था. उसने एक हाथ से कमला के सिर को पकड़ कर सहारा दिया कि धक्कों से आगे पीछे न हो और दूसरे हाथ से लंड का डण्डा मुट्ठी में लेकर जोर जोर से आगे पीछे करता हुआ हस्तमैथुन करने लगा. मुंह में फ़ूलता सिकुड़ता लज़ीज़ सुपाड़ा उस किशोरी को इतना भाया कि जीभ रगड़ रगड़ कर आंखे बन्द कर के वह उस रसीले फ़ल को चूसने लगी.

अमर को इतना सुख सहन नहीं हुआ और पांच ही मिनिट में वह एकदम स्खलित हो गया. "हा ऽ य री ऽ प्यारी बच्ची, तूने मुझे मार डाला, रेखा रानी, यह तो चूसने में उस्ताद है, ऊ ऽ आह ऽ ऽ " कमला मलाई जैसा गाढ़ा गरम गरम वीर्य बड़े स्वाद से निगल रही थी. पहली बार वीर्य निगला और वह भी बड़े भाई का! अमर का उछलता लंड उसने आखरी बूंद निकलने तक अपने मुंह में दबाए रखा जब तक वह सिकुड़ नहीं गया.

कमला भी अबतक रेखा के चूसने से कई बार झड़ गई थी. रेखा चटखारे ले लेकर उसकी बुर का पानी चूस रही थी. अमर बोला "चलो, बाजू हटो, मुझे भी अपनी बहन की चूत चूसने दो." कमला मस्ती में बोली "हां भाभी, भैया को मेरी बुर का शरबत पीने दो, तुम अब जरा मुझे अपनी चूत चटाओ भाभी, जल्दी करो ऽ ना ऽ" वह मचल उठी.

रेखा उठी और उठ कर कुर्सी में बैठ गई. अपनी भरी पूरी गुदाज टांगें फ़ैला कर बोली "आ मेरी रानी, अपनी भाभी की बुर में आ जा, देख भाभी की चूत ने क्या रस बनाया है अपनी लाड़ली ननद के लिये."

कमला उठकर तुरंत रेखा के सामने फ़र्श पर बैठ गई और भाभी की बुर अपने हाथों से खोलते हुए उसे चाटने लगी. उस कोमल जीभ का स्पर्श होते ही रेखा मस्ती से सिसक उठी और कमला के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां घुमाती हुई उसे पास खींच कर और ठीक से चूसने को कहने लगी. "हाय मेरी गुड़िया, क्या जीभ है तेरी, चाट ना, और मन भर कर चाट, जीभ अन्दर भी डाल ननद रानी, असली माल तो अन्दर है." कमला के अधर चाटने से रेखा कुछ ही देर में झड़ गई और चुदासी की प्यासी कमला के लिये तो मानों रस की धार उसकी भाभी की बुर से फ़ूट पड़ी.

अमर अब तक कमला के पीछे लेट गया था. सरककर उसने कमला के नितम्ब फ़र्श पर से उठाये और अपना सिर उसके नीचे लाकर फ़िर से कमला को अपने मुंह पर ही बिठा लिया. उसकी रसीली चूत चूसते हुए वह अपनी छोटी बहन के नितम्ब प्यार से सहलाने लगा. कमला तो अब मानों काम सुख के सागर में गोते लगा रही थी. एक तरफ़ उसे अपनी भाभी की बुर का रस चूसने मिल रहा था और दूसरी ओर उसके भैया उसकी चूत चूस रहे थे. वह तुरंत झड़ गई और मस्ती में ऊपर नीचे होते हुए अमर को अपनी बुर का रस पिलाते हुए उसका मुंह चोदने लगी.

अमर ने अपनी जीभ कड़ी करके उसकी चूत में एक लंड की तरह डाल दी और उस कमसिन चूत को चोदने लगा. साथ ही अब वह धीरे धीरे कमला के कसे हुई मुलायम चूतड़ों को प्यार से सहलाने लगा. सहलाते सहलाते उसने नितम्बों के बीच की लकीर में उंगली चलाना शुरू कर दी और हौले हौले उस कोमल गांड का जरा सा छेद टटोलने लगा.

अमर अब यह सोच कर दीवाना हुआ जा रहा था कि जब उस नन्ही गांड में उसका भारी भरकम लंड जायेगा तो कितना मजा आयेगा पर बेचारी कमला जो अपने भाई के इस इरादे से अनभिज्ञ थी, मस्ती से चहक उठी. गांड को टटोलती उंगली ने उसे ऐसा मस्त किया कि वह और उछल उछल कर अपने भाई का मुंह चोदने लगी और झड़कर उसे अपनी बुर से बहते अमृत का प्रसाद पिलाने लगी.

कमला आखिर बार बार झड़कर लस्त पड़ने लगी. कमला के मुंह में झड़ने के बावजूद रेखा की बुर अब बुरी तरह से चू रही थी क्योंकि वह समझ गई थी कि बच्ची की गांड मारने का समय नजदीक आता जा रहा है. कमला अब पूरी तरह से तृप्त होकर हार मान चुकी थी और अपने भाई से प्रार्थना कर रही थी कि अब वह उसकी बुर न चूसे. "भैया, छोड़ दो अब, अब नहीं रहा जाता, बुर दुखती है तुम चूसते हो तो, प्लीज़ भैया, मेरी चूत मत चाटो अब."

रेखा ने कमला का सिर अपनी झांटो में खींच कर अपनी चूत से उसका मुंह बंद कर दिया और जांघों से उसके सिर को दबा लिया. फ़िर बोली "डार्लिंग, तुम चूसते रहो जब तक मन करे, यह छोकरी तो नादान है, और उसकी गांड भी चूसो जरा, स्वाद बदल बदल कर चूसोगे तो मजा आयेगा"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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अगले दस मिनट अमर कमला की बुर और गांड बारी बारी से चूसता रहा. बच्ची की झड़ी चूत पर और नन्हे से क्लिट पर अब जब अमर की जीभ चलती तो वह अजीब से सम्वेदन से तड़प उटती. उसे यह सहन नहीं हो रहा था और बेचारी रोने को आ गई कि कब भैया उस पर तरस खाकर उसकी यह मीठी यातना समाप्त करे्गा. वह कमसिन छोकरी मुंह बन्द होने से कुछ नहीं कर सकी, सिर्फ़ रेखा की बुर में घिगियाकर रह गई.

रेखा उसका लंड चूसने लगी. चूसते चूसते अमर से पूछा "क्यों, सूखी ही मारोगे या मक्खन लाऊं" अमर मस्ती में बोला "सूखी मारने में बहुत मजा आयेगा मेरी जान" रेखा उस मोटे लंड को देखकर बोली "मैं तुमसे रोज गांड मराती हूं पर मुझे भी आज इस की साइज़ देखकर डर लगा रहा है, फ़ट जायेगी गाण्ड, मैं मक्खन लेकर आती हूं, आज चिकनी कर के मारो, अब तो रोज ही मारना है, सूखी बाद में चोद लेना"

रेखा उठकर मक्खन लाने को चली गई. अमर प्यार से औंधी पड़ी अपनी छोटी बहन के नितम्ब सहलाता रहा. लस्त कमला भी पड़ी पड़ी आराम करती रही. उसे लगा रेखा और भैया में उनके आपस के गुदा सम्भोग की बातें चल रही हैं, उसे क्या लेना देना था. बेचारी बच्ची नहीं जानती थी कि उस की गांड मारने की तैयारी हो रही है.

रेखा मक्खन लेकर आई और अमर के हाथ मे देकर आंख मारकर पलंग पर चढ़ गई. लेटकर उसने कमला को उठा कर अपने ऊपर औंधा लिटा लिया और उसे चूमने लगी. कमला के हाथ उसने अपने शरीर के गिर्द लिपटा लिये और अपनी पीठ के नीचे दबा लिये जिससे वह कुछ प्रतिकार न कर सके. अपनी टांगो में कमला के पैर जकड़ लिये और उसे बांध सा लिया.

कमला की मुलायम गोरी गांड देखकर अमर अब अपनी वासना पर काबू न रख सका. वह उठा और कमला की कुंवारी गांड मारने की तैयारी करने लगा. अब रेखा भी मजा लेने लगी. उसने कमला से कहा. "मेरी प्यारी ननद रानी, मैने तुझसे वायदा किया था ना कि भैया आज तुझे नहीं चोदेंगे" कमला घबरा गई. रेखा ने उसे दिलासा देते हुए कहा. "घबरा मत बिटिया, सच में नहीं चोदेंगे" फ़िर कुछ रुक कर मजा लेती हुई बोली "आज वे तेरी गांड मारेंगे"

कमला सकते में आ गई और घबरा कर रोने लगी. अमर अब पूरी तरह से उत्तेजित था. उसने एक उंगली मक्खन में चुपड़ कर कमला के गुदा में घुसेड़ दी. उस नाजुक गांड को सिर्फ़ एक उंगली में ही ऐसा दर्द हुआ कि वह हिचक कर रो पड़ी. अमर को मजा आ गया और उसने कमला का सिर उठाकर अपना लंड उस बच्ची को दिखाया. "देख बहन, तेरी गांड के लिये क्या मस्त लौड़ा खड़ा किया है."

उस बड़े महाकाय लंड को देखकर कमला की आंखे पथरा गई. अमर का लंड अब कम से कम आठ इंच लम्बा और ढाई इन्च मोटा हो गया था. वह अमर से अपनी चूत चुसवाने के आनन्द में यह भूल ही गई थी कि आज उस की कोमल कुंवारी गांड भी मारी जा सकती है.

अमर ने उसका भयभीत चेहरा देखा तो मस्ती से वह और मुस्काया. असल में उसका सपना हमेशा से यही था कि पहली बार वह कमला की गांड मारे तो वह जबर्दस्ती करते हुए मारे. इसीलिये उसने कमला को बार बार चूसकर उसकी सारी मस्ती उतार दी थी. उसे पता था कि मस्ती उतरने के बाद कमला सम्भोग से घबरायेगी और उस रोती गिड़गिड़ाते सुन्दर चिकनी लड़की की नरम कुंवारी गांड अपने शैतानी लंड से चोदने में स्वर्ग का आनन्द आयेगा.

रेखा भी अब एक क्रूरता भरी मस्ती में थी. बोली "बहन, तेरी गांड तो इतनी नाजुक और सकरी है कि सिर्फ़ एक उंगली डालने से ही तू रो पड़ती है. तो अब जब यह घूंसे जैसा सुपाड़ा और तेरे हाथ जितना मोटा लंड तेरे चूतड़ों के बीच जायेगा तो तेरा क्या होगा?"

कमला अब बुरी तरह से घबरा गई थी. उसकी सारी मस्ती खतम हो चुकी थी. वह रोती हुई बिस्तर से उठने की कोशिश करने लगी पर रेखा की गिरफ़्त से नहीं छूट पाई. रोते रोते वह गिड़गिड़ा रही थी. "भैया, भाभी, मुझे छोड़ दीजिये, मेरी गांड फ़ट जायेगी, मैं मर जाऊंगी, मेरी गांड मत मारिये, मैं आपकी मुट्ठ मार देती हूं, लंड चूस कर मैं आपको खुश कर दूंगी. या फ़िर चोद ही लीजिये पर गांड मत मारिये"

रेखा ने उसे दबोचा हुआ था ही, अपनी मांसल टांगें भी उसने कमला के इर्द गिर्द जकड़ लीं और कमला को पुचकारती हुई बोली "घबरा मत बेटी, मरेगी नहीं, भैया बहुत प्यार से मन लगा कर मारेंगे तेरी और फ़िर तुझे आखिर अब रोज ही मराना है. हां, दर्द तुझे बहुत होगा और तू गांड पहली बार चुदते हुए बहुत छटपटायेगी इसलिये मैं तुझे पकड़ कर अपनी बाहों मे कैद रखूंगी." रेखा फ़िर अमर को बोली. "शुरू हो जाओ जी" और कमला का रोता मुंह अपने मुंह में पकड़ कर उसे चुप कर दिया

अमर ने ड्रावर से रेखा की दो ब्रा निकालीं और एक से कमला के पैर आपस में कस कर बाम्ध दिये. फ़िर उसके हाथ ऊपर कर के पन्जे भी दूसरी ब्रेसियर से बांध दिये. "बहन ये ब्रा तेरी भाभी की हैं, तेरी मनपसंद, इसलिये गांड मराते हुए यह याद रख कि अपनी भाभी के ब्रेसियर से तेरी मुश्कें बांधी गई हैं." उसने कमला को बताया. रोती हुई लड़की के पीछे बैठकर अमर ने उसके चूतड़ों को प्यार करना शुरू किया. उसका लंड अब सूज कर वासना से फ़टा जा रहा था पर वह मन भर के उन सुन्दर नितम्बों की पूजा करना चाहता था.

पहले तो उसने बड़े प्यार से उन्हें चाटा. फ़िर उन्हें मसलता हुआ वह उन्हें हौले हौले दांतों से काटने लगा. नरम नरम चिकने चूतड़ों को चबाने में उसे बहुत मजा आ रहा था. कमला के गोरे गोरे नितम्बों के बीच का छेद एक गुलाब की कली जैसा मोहक सा दिख रहा था. अमर ने अपने मजबूत हाथों से उसके चूतड़ पकड़ कर अलग किये और अपना मुंह उस गुलाबी गुदा द्वार पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ उसने पूरी उस मुलायम छेद में डाल दी और अन्दर से कमला की गांड की नरम नरम म्यान को चाटने लगा. मख्खन लगी गांड के सौंधे सौंधे से स्वाद और महक ने उसे और मदमस्त कर दिया.

वह उठकर बैठ गया और एक बड़ा मक्खन का लौन्दा लेकर कमला की गांड मे अपनी उंगली से भर दिया. एक के बाद एक वह मक्खन के गोले उस सकरी गांड में भरता रहा जब तक करीब करीब पूरा पाव किलो मक्खन बच्ची की गांड में नहीं समा गया. रेखा ने कुछ देर को अपना मुंह कमला के मुंह से हटा कर कहा "लबालब मक्खन तेरी गांड में भरा रहेगा बेटी, तो गांड मस्त मारी जायेगी, लौड़ा ऐसे फ़िसलेगा जैसे सिलिंडर में पिस्टन."

बचा हुआ मक्खन अमर अपने भरी भरकम लंड पर दोनों हथेलियों से चुपड़ने लगा. उसे अब अपने ही लोहे जैसे कड़े शिश्न की मक्खन से मालिश करते हुए ऐसा लग रहा था जैसे कि वह घोड़े का लंड हाथ में लिये है. फ़ूली हुई नसें तो अब ऐसी दिख रही थीं कि जैसे किसी पहलवान के कसरती हाथ की मांस-पेशियां हो. उसने अपने हाथ चाटे और मक्खन साफ़ किया जिससे कमला की चूचियां दबाते हुए ना फ़िसले.
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रेखा कमला के गालों को चूमते हुए बोली "अब तू मन भर के चिल्ला सकती है कमला बहन पर कोई तेरी पुकार सुन नहीं पायेगा क्योंकि मैं अपनी चूची से तेरा मुंह बंद कर दूंगी. पर जब दर्द हो तो चिलाना जरूर, तेरी घिघियाने की आवाज से तेरे भैया की मस्ती और बढ़ेगी." फ़िर उसने अपनी एक मांसल चूची उस कमसिन किशोरी के मुंह में ठूंस दी और कस के उसका सिर अपनी छाती पर दबाती हुई अपने पति से बोली "चलो, अब देर मत करो, मुझ से नहीं रह जाता"

गांड मारने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. बड़ी बेसब्री से अमर अपनी टांगें अपनी बहन के शरीर के दोनों बाजू में जमा कर बैठ गया और अपना मोटे सेब जैसा सुपाड़ा उस कोमल गांड पर रख कर पेलने लगा. अपने लंड को उसने भाले की तरह अपने दाहिने हाथ से पकड़ा हुआ था ताकि फ़िसल ना जाये. पहले तो कुछ नही हुआ क्योंकि इतने जरा से छेद में इतना मोटा गोला जाना असम्भव था. अमर ने फ़िर बड़ी बेसब्री से अपने बांये हाथ से कमला के नितम्ब फ़ैलाये और फ़िर जोर से अपने पूरे वजन के साथ लौड़े को उस गुदा के छेद में पेला. गांड खुल कर चौड़ी होने लगी और धीरे धीरे वह विशाल लाल लाल सुपाड़ा उस कोमल गांड के अन्दर जाने लगा.

कमला अब छटपटाने लगी. उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे. इतना दर्द उसे कभी नहीं हुआ था. उसका गुदा द्वार चौड़ा होता जा रहा था और ऐसा लगता था कि बस फ़टने की वाला है. अमर ने पहले सोचा था कि बहुत धीरे धीरे कमला की गांड मारेगा पर उससे रहा नहीं गया और जबर्दस्त जोर लगा कर उसने एकदम अपना सुपाड़ा उस कोमल किशोरी के गुदा के छल्ले के नीचे उतार दिया. कमला इस तरह उछली जैसे कि पानी से निकाली मछली हो. वह अपने बंद मुंह में से घिघियाने लगी और उसका नाजुक शरीर इस तरह कांपने लगा जैसे बिजली का शॉक लगा हो.

अमर को ऐसा लग रहा था जैसे कि किसी मुलायम हाथ ने उसके सुपाड़े को जोर से दबोच लिया हो, क्योंकि उसकी प्यारी बहन की टाइट गांड इस जोर से उसे भींच रही थी. वह इस सुख का आनन्द लेते हुए कुछ देर रुका. फ़िर जब कमला का तड़पना कुछ कम हुआ तो अब वह अपना बचा डण्डा उसकी गांड में धीरे धीरे उतारने लगा. इंच इंच कर के उसका शक्तिशाली लौड़ा कमला की सकरी गांड में गड़ता गया.

कमला का कोमल कमसिन शरीर बार बार ऐसे ऐंठ जाता जैसे कोई उसका गला दबा रहा हो. उसके चूची भरे हुए मुंह से सिसकने और कराहने की दबी दबी आवाजें निकल रही थीं जिन्हें सुन सुन के अमर और मस्त हो रहा था. करीब ६ इम्च लंड अन्दर जाने पर वह फ़ंस कर रुक गया क्योंकि उसके बाद कमला की आंत बहुत सकरी थी.

रेखा बोली "रुक क्यों गये, मारो गांड, पूरा लंड जड़ तक उतार दो, साली की गांड फ़ट जाये तो फ़ट जाने दो, अपनी डाक्टर दीदी से सिलवा लेंगे. वह मुझ पर मरती है इसलिये कुछ नहीं पूछेगी, चुपचाप सी देगी. हाय मुझे इतना मजा आ रहा है जैसा तुमसे पहली बार मराते हुए भी नहीं आया था. काश मैं मर्द होती तो इस लौंडया की गांड खुद मार सकती"

अमर कुछ देर रुका पर अन्त में उससे रहा नहीं गया, उसने निश्चय किया कि कुछ भी हो जाये वह रेखा के कहने के अनुसार जड़ तक अपना शिश्न घुसेड़ कर रहेगा. उसने कचकचा के एक जोर का धक्का लगाया और पूरा लंड एक झटके में जड़ तक कमला की कोमल गांड में समा गया. अमर को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका सुपाड़ा कमला के पेट में घुस गया हो. कमला ने एक दबी चीख मारी और अति यातना से तड़प कर बेहोश हो गई.

अमर अब सातवें आसमान पर था. कमला की पीड़ा की अब उसे कोई परवाह नहीं थी. मुश्कें बन्धी हुई लड़की तो अब उसके लिये जैसे एक रबर की सुंदर गुड़िया थी जिससे वह मन भर कर खेलना चाहता था. हां, टटोल कर उसने यह देख लिया कि उस कमसिन कली की गांड सच में फ़ट तो नहीं गई. गुदा के बुरी तरह से खिंचे हुए मुंह को सकुशल पाकर उसने एक चैन की सांस ली.

अब बेहिचक वह अपनी बीवी की बाहों में जकड़े उस पट पड़े बेहोश कोमल शरीर पर चढ़ गया. अपनी बाहों में भर के वह पटापट कमला के कोमल गाल चूमने लगा. कमला का मुंह रेखा के स्तन से भरा होने से वह उसके होंठों को नहीं चूम सकता था इसलिये बेतहाशा उसके गालो, कानों और आंखो को चूमते हुए उसने आखिर अपने प्यारे शिकार की गांड मारना शुरू की.

रेखा ने पूछा "कैसा लग रहा है डार्लिंग?" अमर सिर्फ़ मुस्कराया और उसकी आंखो मे झलकते सुख से रेखा को जवाब मिल गया. उसकी भी बुर अब इतनी चू रही थी कि कमला के शरीर पर बुर रगड़ते हुए वह स्वमैथुन करने लगी. "मारो जी, गांड मारो, खूब हचक हचक कर मारो, अब क्या सोचना, अपनी तमन्ना पूरी कर लो" और अमर बीवी के कहे अनुसार मजा ले ले कर अपनी बहन की गांड चोदने लगा.

पहले तो वह अपना लंड सिर्फ़ एक दो इंच बाहर निकालता और फ़िर घुसेड़ देता. मक्खन भरी गांड में से 'पुच पुच पुच' की आवाज आ रही थी. इतनी टाइट होने पर भी उसका लंड मस्ती से फ़िसल फ़िसल कर अन्दर बाहर हो रहा था. इसलिये उसने अब और लम्बे धक्के लगाने शुरू किये. करीब ६ इम्च लंड अन्दर बाहर करने लगा. अब आवाज 'पुचुक, पुचुक, पुचुक' ऐसी आने लगी. अमर को ऐसा लग रहा था मानों वह एक गरम गरम चिकनी बड़ी सकरी मखमली म्यान को चोद रहा है. उसके धैर्य का बांध आखिर टूट गया और वह उछल उछल कर पूरे जोर से कमला की गांड मारने लगा.

अब तो 'पचाक, पचाक पचाक' आवाज के साथ बच्ची मस्त चुदने लगी. अमर ने अब अपना मुंह अपनी पत्नी के दहकते होंठों पर रख दिया और बेतहाशा चूंमा चाटी करते हुए वे दोनों अपने शरीरों के बीच दबी उस किशोरी को भोगने लगे.

अमर को बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी नरम नरम रबर की गुड़िया की गांड मार रहा है. वह अपने आनन्द की चरम सीमा पर कुछ ही मिनटों में पहुंच गया और इतनी जोर से स्खलित हुआ जैसा वह जिन्दगी में कभी नहीं झड़ा था. झड़ते समय वह मस्ती से घोड़े जैसा चिल्लाया. फ़िर लस्त पड़कर कमला की गांड की गहराई में अपने वीर्यपतन का मजा लेने लगा. रेखा भी कमला के चिकने शरीर को अपनी बुर से रगड़ कर झड़ चुकी थी. अमर का उछलता लंड करीब पांच मिनट अपना उबलता हुआ गाढ़ा गाढ़ा वीर्य कमला की आंतो में उगलता रहा.

झड़ कर अमर रेखा को चूंमता हुआ तब तक आराम से पड़ा रहा जब तक कमला को होश नहीं आ गया. लंड उसने बालिका की गांड में ही रहने दिया. कुछ ही देर में कराह कर उस मासूम लड़की ने आंखे खोली. अमर का लंड अब सिकुड़ गया था पर फ़िर भी कमला दर्द से सिसक सिसक कर रोने लगी क्योंकि उसकी पूरी गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसी ने एक बड़ी ककड़ी से चोदी दी हो.

उसके रोने से अमर की वासना फ़िर से जागृत हो गई. पर अब वह कमला का मुंह चूमना चाहता था. रेखा उस के मन की बात समझ कर कमला से बोली "मेरी ननद बहना, उठ गई? अगर तू वादा करेगी कि चीखेगी नहीं तो तेरे मुंह में से मैं अपनी चूची निकाल लेती हूं." कमला ने रोते रोते सिर हिलाकर वादा किया कि कम से कम उसके ठूंसे हुए मुंह को कुछ तो आराम मिले.

रेखा ने अपना उरोज उसके मुंह से निकाला. वह देख कर हैरान रह गई कि वासना के जोश में करीब करीब पूरी पपीते जितनी बड़ी चूची उसने कमला के मुंह में ठूंस दी थी. "मजा आया मेरी चूची चूस कर?" रेखा ने उसे प्यार से पूछा. घबराये हुई कमला ने मरी सी आवाज में कहा "हां, भाभी" असल में उसे रेखा के स्तन बहुत अच्छे लगते थे और इतने दर्द के बावजूद उसे चूची चूसने में काफ़ी आनन्द मिला था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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रेखा अब धीरे से कमला के नीचे से निकल कर बिस्तर पर बैठ गई और अमर अपनी बहन को बाहों में भरकर उसपर चड़ कर पलंग पर लेट गया. उसने अपनी बहन के स्तन दोनों हाथों के पम्जों में पकड़े और उन छोटे छोटे निपलों को दबाता हुआ कमला का मुंह जबरदस्ती अपनी ओर घुमाकर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा. बच्ची के मुंह के मीठे चुम्बनों से अमर का फ़िर खड़ा होने लगा.

अमर ने अब अपने पंजों में पकड़े हुए कोमल स्तन मसले और उन्हें स्कूटर के हौर्न जैसा जोर जोर से दबाने लगा. हंसते हुए रेखा को बोला "डार्लिन्ग, मेरी नई स्कूटर देखी, बड़ी प्यारी सवारी है, और हौर्न दबाने में तो इतना मजा आता है कि पूछो मत." रेखा भी उसकी इस बात पर हंसने लगी.

चूचियां मसले जाने से कमला छटपटाई और सिसकने लगी. अमर को मजा आ गया और अपनी छोटी बहन कमला के रोने की परवाह न करता हुआ वह अपनी पूरी शक्ति से उन नाजुक उरोजों को मसलने लगा. धीरे धीरे उसका लंड लम्बा होकर कमला की गांड में उतरने लगा. कमला फ़िर रोने को आ गई पर डर के मारे चुप रही कि भाभी फ़िर उसका मुंह न बांध दे.

लौड़ा पूरा खड़ा होने पर अमर ने गांड मारना फ़िर शुरू कर दिया. जैसे उसका लम्बा तन्नाया लंड अन्दर बाहर होना शुरू हुआ, कमला सिसकने लगी पर चिल्लाई नही. रेखा मुस्काई और कमला से बोली. "शाबाश बेटी, बहुत प्यारी गाण्डू लड़की है तू, अब भैया के लंड से चुदने का मजा ले, वे रात भर तुझे चोदने वाले हैं."

रेखा उठ कर अब अमर के आगे खड़ी हो गई. "मेरी चूत की भी कुछ सेवा करोगे जी? बुरी तरह से चू रही है" अमर ने रेखा का प्यार से चुम्बन लिया और कहा. "आओ रानी, तुमने मुझे इतना सुख दिया है, अब अपनी रसीली बुर का शरबत भी पिला दो, मैं तो तुंहें इतना चूसूंगा कि तेरी चूत तृप्त कर दूंगा" रेखा बोली "यह तो शहद है बुर का, शरबत नहीं, बुर का शरबत तो मैं तुम्हें कल बाथरूम में पिलाऊंगी." रेखा की बात अमर समझ गया और उस कल्पना से की इतना उत्तेजित हुआ कि अपनी पत्नी की चूत चूसते हुए वह कमला की गांड उछल उछल कर मारने लगा.

अब उसने अपनी वासना काफ़ी काबू में रखी और हचक हचक कर अपनी छोटी बहन की गांड चोदने लगा. स्तन मर्दन उसने एक सेकंड को भी बंद नहीं किया और कमला को ऐसा लगने लगा जैसे उसकी चूचियां चक्की के पाटों में पिस रही हों. इतना ही नहीं, उसके निपल उंगलियों में लेकर वह बेरहमी से कुचलता और खींचता रहा।

"हफ़्ते भर में मूंगफ़ली जितने बड़े कर दूंगा तेरे निपल कमला. चूसने में बहुत मजा आता है अगर लम्बे निपल हो." वह बोला. बीच बीच में अमर रेखा की चूत छोड़ कर प्यार से कमला के गुलाबी होंठ अपने दांतों में दबाकर हल्के काटता और चूसने लगता. कभी उसके गाल काट लेता और कभी गरदन पर अपने दांत जमा देता. फ़िर अपनी बीवी की बुर पीने मे लग जाता.

इस बार वह घण्टे भर बिना झड़े कमला की मारता रहा. जब वह आखिर झड़ा तो मध्यरात्रि हो गई थी. रेखा भी बुर चुसवा चुसवा कर मस्त हो गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से तृप्त हो गई थी.

अपने शरीर का यह भोग सहन न होने से आखिर थकी-हारी सिसकती हुई कमला एक बेहोशी सी नींद में सो गई. बीच बीच में गांड में होते दर्द से उसकी नींद खुल जाती तो वह अमर को अपनी गांड मारते हुए और रेखा की चूत चूसते हुए पाती.

अन्त में जब सुबह आठ बजे गांड में फ़िर दर्द होने से उसकी नींद खुली तो देखा कि अमर भैया फ़िर हचक हचक कर उसकी गांड मार रहे हैं. कमला चुपचाप उस दर्द को सहन करती हुई पड़ी रही. भाभी वहां नहीं थी, शायद चाय बनाने गई थी. आखिर में अमर झड़ा और मजा लेते हुए काफ़ी देर उसपर पड़ा रहा. रेखा जब चाय लेकर आई तब वह उठा और लंड को आखिर कमला की गांड में से बाहर निकाला.

लंड निकलते हुए 'पंक' सी की आवज हुई. रेखा ने देखा कि एक ही रात में उस सकरी कोमल गांड का छेद खुल गया था और गांड का छेद अब चूत जैसा लग रहा था. अमर को देख कर वह बोली "हो गई शांति? अब सब लोग नहाने चलो, वहां देखो मैं तुमसे क्या करवाती हूं. आखिर इतनी प्यारी कुंवारी गांड मारने की कीमत तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी डार्लिन्ग" अमर मुस्कराया और बोला "आज तो जो तुम और कमला कहोगी, वह करूंगा, मैं तो तुम दोनों चूतों और गाण्डो का दास हूं"

"चलो अब नहाने चलो" रेखा बोली. कमला ने चलने की कोशिश की तो गांड में ऐसा दर्द हुआ कि बिलबिला कर रो पड़ी. "हाय भाभी, बहुत दुखता है, लगता है भैया ने मार मार के फ़ाड़ दी."
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रेखा के कहने पर अमर ने उसे उठा लिया और बाथरूम में ले गया. दोनो ने मिलकर पहले कमला के मसले कुचले हुए फ़ूल जैसे बदन को सहलया, तेल लगाकर मालिश की और फ़िर नहलाया. अमर ने एक क्रीम कमला की गांड के छेद में लगाई जिससे उसका दर्द गायब हो गया और साथ ही ठण्डक भी महसूस हुई. कमला अब फ़िर खिल गई थी और धीरे धीरे फ़िर अपने नग्न भैया और भाभी को देखकर मजा लेने लगी थी. पर उसे यह मालूम नहीं था कि वह क्रीम उसकी गुदा को फ़िर सकरा बना देगी और गांड मरवाते हुए फ़िर उसे बहुत दर्द होगा. अमर अपनी छोटी बहन की गांड टाइट रखकर ही उसे मारना चाहता था. अगर लड़की रोए नहीं, तो गांड मारने का मजा आधा हो जायेगा ऐसा उसे लगता था.

रेखा ने अमर से कहा. "चलो जी अब अपना वायदा पूरा करो. बोले थे कि जो मैं कहूंगी वह करोगे." अमर बोला "बोलो मेरी रानी, तेरे लिये और इस गुड़िया के लिये मैं कुछ भी करूंगा."

रेखा ने अमर को नीचे लिटा दिया और अपना मुंह खोलने को कहा. अमर समझ गया कि क्या होने वाला है, पर वह इन दोनों चुदैलों का गुलाम सा हो चुका था. कुछ भी करने को तैयार था. रेखा को खुश रखने में ही उसका फ़ायदा था. रेखा कमला से बोली. "चल मेरी प्यारी ननद, रात भर गांड मराई है, मूती भी नहीं है, अपने भाई के मुंह में पिशाब कर दे." कमला चकराई और शरमा गई पर मन में लड्डू फ़ूटने लगे. अमर की ओर उसने शरमा कर देखा तो वह भी मुस्कराया. साहस करके कमला अमर के मुंह पर बैठ गई और मूतने लगी.

उस बच्ची का खारा खारा गरम गरम मूत अमर को इतना मादक लगा कि वह गटागट उसे पीने लगा. कमला की बुर अब फ़िर पसीजने लगी थी. अपने बड़े भाई को अपनी पिशाब पिला कर वह बहुत उत्तेजित हो गई थी. मूतना खतम करके कमला उठने लगी तो अमर ने फ़िर उसे अपने मुंह पर बिठा लिया और उसकी चूत चूसने लगा. उधर रेखा ने अपनी चूत में अमर का तन्नाया लंड डाल लिया और उसके पेट पर बैठ कर उछल उछल कर उसे चोदने लगी. पीछे से वह कमला को लिपटाकर उसे चूंसने लगी और उसके स्तन दबाने लगी.

जब कमला और रेखा दोनों झड़ गए तो कमला उठी और बाजू में खड़ी हो गई. बोली "भाभी, तुम भी अपना मूत भैया को पिलाओ ना, मेरा उन्होंने इतने स्वाद से पिया है, तुम्हारा पी कर तो झूंम उठेंगे." रेखा को अमर ने भी आग्रह किया. "आ जा मेरी रानी, अपना मूत पिला दे, तू तो मेरी जान है, तू अपने शरीर का कुछ भी मेरे मुंह में देगी तो मैं निगल लूंगा." रेखा हंसने लगी. अपने पति के मुंह में मूतते मूतते बोली. "देखो याद रखना यह बात, तुंहे मालूम है कि मूतने के बाद अब किसी दिन मैं तुंहारे मुंह में क्या करूम्गी."

अमर अब तक उत्तेजित हो चुका था. बोला "मैं तैयार हूं अपनी दोनों चुदैलों की कोई भी सेवा करने को, बस मुझे अपनी चूत का अमृत पिलाती रहो, चुदवाती रहो और गांड मराती रहो. खास कर इस नन्ही की तो मैं खूब मारूंगा."

रेखा मूतने के बाद उठी और बोली. "इसे तो अब रोज चुदना या गांड मराना है. एक दिन छोड़ कर बारी बारी इसके दोनों छेद चोदोगे तो दोनों टाइट रहेंगे और तुंहें मजा आयेगा."

"तो चलो अब कमला को चोदूंगा." कहकर अमर उसे उठा कर ले गया. रेखा भी बदन पोछती हुई पीछे हो ली. उस बच्ची की फ़िर मस्त भरपूर चुदाई की गई. उसे फ़िर दर्द हुआ और रोई भी पर भैया भाभी के सामने उसकी एक न चली. रविवार था इसलिये दिन भर अमर ने उसे तरह तरह के आसनों में चोदा और रेखा कमला से अपनी चूत चुसवाती रही.

दूसरे दिन से यह एक नित्यक्रम बन गया. अमर रात को कमला को चोदता या उसकी गांड मारता. हर रात कमला को दर्द होता क्योंकि जो क्रीम उसकी चूत और गांड में लगाई जाती थी उससे उसके छेदों को आराम मिलने के अलावा वे फ़िर टाइट भी हो जाते. कॉलेज से वापस आने पर दिन भर रेखा उस बच्ची को भोगती. उसकी चूत चूसती और अपनी चुसवाती.

अमर रात को ब्लू फ़िल्म देखते समय कमला की गांड में लंड घुसेड़कर अपनी गोद में बिठा लेता और उसे चूमते हुए, उसकी छोटी छोटी मुलायम चूचियां मसलते हुए उछल उछल कर नीचे से गांड मारते हुए पिक्चर देखा करता. उधर रेखा उसके सामने बैठ कर उसकी कमसिन बुर चूसती. एक भी मिनट बिचारी कमला के किसी भी छेद को आराम नहीं मिलता. आखिर कमला चुद चुद कर ऐसी हो गई कि बिना गांड या चूत में लंड लिये उसे बड़ा अटपटा लगता था.

धीरे धीरे रेखा ने उसे करीब करीब गुलाम सा बना लिया और वह लड़की भी अपनी खूबसूरत भाभी को इतना चाहती थी कि बिना झिझक भाभी की हर बात मानने लगी. यहां तक कि एक दिन जब रेखा ने उससे चूत चुसवाते चुसवाते यह कहा कि पिशाब लगी है पर वह बाथरूम नहीं जाना चाहती, वह किशोरी तुरंत रेखा का मूत पीने को तैयार हो गई. शायद रेखा का मतलब वह समझ गई थी. "भाभी, मेरे मुंह में मूतो ना. प्लीज़ तुंहें मेरी कसम, मुझे बहुत दिन से यह चाह है."

"बिस्तर तो खराब नहीं करेगी? देख गिराना नहीं नहीं तो चप्पलों से पिटेगी." रेखा मन ही मन खुश होकर बोली. कमला जिद करती रही. आखिर वहीं बिस्तर पर रेखा की चूत पर मुंह लगाकर वह लेट गई और रेखा ने भी आराम से धीरे धीरे अपनी ननद के मुंह में मूता. वायदे के अनुसार कमला पूरा उसे निगल गई, एक बूंद भी नहीं छलकाई. अब रेखा को बाथरूम जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी क्योंकि रात को उसका पति और दिन में ननद ही उसके बाथरूम का काम करते थे.

चोद चोद कर उस लड़की की यह हालत हो गई कि वह कपड़े सिर्फ़ कॉलेज जाते समय पहनती थी. बाकी अब दिन रात नंगी ही रहती थी और लगातार चुदती, रात को बड़े भाई से और दिन में अपनी भाभी से. उसके बिना उसे अच्छा ही नहीं लगता था. उसके लंड की प्यास इतनी बढ़ी कि आखिर अमर ने रेखा को एक रबर का लंड या डिल्डो ला दिया जिससे उसकी चुदैल पत्नी भी दिन में अपनी ननद को चोद सके और उसकी गांड मार सके.
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Mami Ki Behan








…baat un dinon ki hai jab main apne mama ki saali par fida tha, mera uske saath halka fulka mazzak or flirt to chalta rehta tha lekin maine kabhi ye nahin socha tha ki hum ek din sex bhi enjoy karenge. Hua kuch yun ki main mama ji se milne unke ghar gaya hua tha to next day wahaan mami ki choti behan DISHA bhi aa gayi unse milne kyunki uske college ki chhuttiyan thi kuch dinon ke liye. Wo ek normal Indian girl hai jo colleges mein padthi hain, rang gora hai, bhara hua gadraya badan hai, juicy lips, lamba ooncha kad/height, boobs to aise jaise abhi seena phaad k baahar nikal padenge . Baatein bahut karti hai or uski voice bhi kafi chirpy hai, man karta hai bas uske saath baithe hue baatein karte raho or uski surili hansi sunte raho.

Hamare beech kuch na kuch to sulag raha tha jo aag banke niklne wala tha, main chori chupke se uski kalai pakad leta, kabhi usko aankh marta, kabhi flying kiss deta…wo bhi kabhi respond karti to kabhi dar k mare mujhe aankhein dikahti, hum dono bas enjoy kar rahe they. Maine uske saath uska haath dekhkar future batane k bahane se kaafi time usko touch kiya aur uska haath kiss bhi kiya. Jab main uske boobs o niharta to wo sharma jati….maine usko uski bra ka size bhi poochha, jo usne kai dinon tak mujhe nahin bataya lekin ek din jab mami bathroom me nahane gayi or mamaji office gaye to maine usko pakad liya or uske kurte ke peechhe k hook kholk uski bra ka size jo us par printed tha usko dekh liya, wo mujh par gussa dikhane lagi.
Usi samay maine uski soft peeth par haath phirana shuru kar diya jis kaaran wo excite hone lagi aur aankhein band karke mazza lene lagi, main apna haath uski bra k andar le gaya aur bade pyar se uske bhare bhare boobs ko dabane laga, saath hi saath uski komal soft peeth ki skin ko apni jeebh se chaatne bhi laga…ek madhoshi thi hum dono k beech…hum dono hi sulag rahe they or intezaar mein they ki kab mouka lage aur sabra k baandh ko todkar kamasutra ki nadi main dubkiyan lagayein, main usko sahlate or chathe-choomte hue uske gaalon tak pahuncha hi tha ki tabhi bathroom ki kadi khulne ki awaaz hui, matlab maami nahakar baahar aa rahi thi. Hum dono jaldi se ek duje se alag hue aur main room se bahar jaakar saamne khule compound mein dhoop sekne baith gaya. Disha bhi khud ko sambhalti hui kisi magazine ke page palate rahi, wo pani gili choot aur main apne tane hue khade lund ko sahlate hue apni aag ko dabakar ek dusre ko nihar rahe they….
Tabhi maine halke se apni zip ko niche kiya toh usne bhi meri taraf ankh martey hue apne raseele hothon par apne gulabi jeebh ko maadak anadaaz mein ghumaya. Aisa action dekhkar aisi aag lag rahi thi ki sab kuchh ignore kartey hue usko bahhon mein bhar loon or uski zabardast chudaai karoon,,or tab tak karoon jab tak wo cheekh na pade….uske is action k saath hi maine bhi apni jeebh se uski choot ki taraf chatne ka action kar diya or usne sharma k magazine mein apna chehra chhipa liya.
Mami in sab baton se bekhabar apne kaam mein lagi rahi or phir taiyyar hokar paas hi ek madier tha wahaan jane lagi, tabhi maine unse kaha – Mami chalo main bhi chalta hoon tumhare saath tab mami ne ek baar apni behan ki taraf dekha aur phir muskurakar mujhe mana kar diya. Maine bhi socha chalo achchha mouka hai Disha ke saath masti karne ka. Mami chali gayi…..
Main jhat se kamre mein ghusa aur disha ki taraf lapka, wo mujhse bachkar bhagti hui kabhi sofe par chadh jatii to kabhi bed par, tabhi main eek haath se uski taang pakad kar usko bed par gira liya aur uske upar chadh gaya. Main usko poori tarah apni giraft mein lekar choomne or chatne laga, maine uski chunari ko alag phenk diya or uske suit ke hook khol diye or is baar uski bra ki strips bhi khol di, ab uski peeth jo ek dam soft hai wo mujhe invite kar rahi thi ki main usko choomte chatttey hue kha hi jaaoon.
Uski bra kholne ki wajah se ab uske boobs ko pakadna aur bhi easy ho gaya tha, main uske nipples ko pakad kar chhed raha tha or wo uff…mmmm..ufff…aaiiii…oooohhh…ssshhhh…mmmm ki sensuous awazein nikal rahi thi. Saath hi saath maine ab usko seedha lita liya tha aur usko apne neeche dabakar uske raseele hothon ki taraf badha, aag to usmein bhi poori thi usne jhat se mere sar ko pakad kar mere hothon ko apne hothon se chpka liya aur phir hum dono ek duje mein kho gaye, main uske hothon par pehle jeebh ghumaya phir uske upper hooth ko choosne laga, lagbahag 05 minute k baad maine uske nicle honth ko pane hothon mein dabakar choosna aur chatna chaloo kiya wo siskiyan le le kar maza le rahi thi or mujhe excite kar rahi thi. Usne bhi is kiss mein sampoorna sahyog diya. Asli maza bhi tabhi aata hai jab sex mein dono hi partner ek duje ko equally respond karein or aanand ka anubhav karayein.
Maine uski aankhon ko chooma , phir gor soft gaal phir uski neck, earlobes, forehead phir uska cleavage..uff, itna such mil raha tha ki mann kar raha tha ki ye pal kabhi kahtm na ho…samajh hi nahin aa raha tha ki aagey badoon ya phir issi section par choomta or choosta rahoon…aur iske saaath saath disha ki madhosh sounds – ooooo….uummm.aaaahhhuuummm…oohhh dev…mmm hai fuck me …chodo mujhe….ssshhhs..uffff…really it was awesome..maza apne charam par tha..hum dodno ek dusre par khud ko ragad rahe they, masal rahe they…or bed k ek kone se dusre tak khud ko roll kartey hue oscillate kar rahe they, really sex mein jo maza hai wo duniya mein kissi or cheez mein nahin. Isko enjoy karna aana chahiye bas. Abhi hum kapdon mein hi they or kapdon ke upar se hi touch kartey hue maza le rahe they, maine dheere se apna haath uski choot ki traf bhadhaya or usne mere lund ko pant k upar se hi sahlana challoo kar diya . Ab maine usko kaha – Disha maza aa raha hai?
D- are yaar tumne to aag laga di hai..zabardsat maza de rahe ho tum..uummm…lage raho…jaanu..ummm







March 27, 2017
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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Me- To ab aage ka kya iraada hai…badhein aagey?
D- Hai mere yaar…jo karna hai karo ab saha nahin jaata, bahut gili ho rahi hoon….aaahhhh….umm..
Me- chalo to ho jao taiyyar aaj tumhein jeavan dikhata hoon…
D- Ohhhmmm…hai mere sweeti pie bas ho jao shuru….ride me baby…uuummm..uff….mmmm
Ab maine disha ko uthaya or uska kurta uski body se nikal kar alag kar diya, haaiii kya bataoon kya nazara tha uske boobs bra mein se azaad hokar saamne tane hue khade they..uska cleavage mujhko invite kar raha tha, main to josh main tha hi ye nazara dekhkar maine disha ko phir bed par litaya aur uske cleavage ko chomta chatta hua aage badha, maine uske nipples ko choosna shuru kiya, ek ko munh mein lekar choos raha tha or doosre ko haath se daba raha tha.
Disha mere baalon mein ungliyan ghuma rahi thi or ufff…maaa….huuunnmm…aaaiii…sshhhh…lovely….gr8..fuck..ki awazein nikal rahi thi. Jo sma tha that was unexplainable really in sabko kewal feel kiya ja sakta hai practically or enjoy kiya ja skata hai, isko bayaan karna kuchh mushkil hai. Nipples ke baad main uske gore chikne pet ko pehle to khoob shalaya phir meine usko chooma or choosa phir chata, kya maza aa raha tha..aa hhaa..
Maine uski nabhi mein jeebh ghusa di to wo uchhal padi, usne apni kamar aise uchka li jaise body ko arch bana rahi ho, usko gudgudi ho rahi thi aur sex ki maadakta bhi chha rahi thi. Ab maine aage badhte hue apne daanton se uski salwar ka naada khol diya or usko taangon se juda kar diya, uski makhmali taangein jo well waxed thi, ekdum chikni mere saamne thi, maine jeebh se unko kafi der chaata aur kai baar jagah jagah daant se kaata bhi…wo meri is harqat se chiikh padi our ooohhh…aaaahhh…mmmmm..uuiiimaa..ki awaazein nikalti hui uchhal uchhal k maza le rahi thi. Ab itne foreplay k baad lund ko sambhalna mushkil tha maine jaht se apne saare kapde utar phenke or lund ko azaad kar diya wo tankar khada tha or disha ko salami de raha tha, usko dekhkar disha ki aankhon mein chamak aa gai
D- hai..kya cheese hai yaar..ek dum mast, kitna tight hai or garam bhi..uuummma..wow maza aayega darling…
Me- ‘darling’ …matlab ling daaloon…
D- hai badmaash kya matlab nikala hai darling ka…inhin adaaon par to hum tumpe marte hain…hai sexy… itna kehkar usne lund ko apne soft haathon mein thaam liya or usko apne gulabi hothon par ragadne lagi, main to jaise jannat mein tha, kya maza a raha tha, phir usne lund ki skin ko aage peechhe kiya or lund ko munh mein le liya, aisi feeling to gazab ki hoti hai, itna maza aa raha tha ki kya bataaoon, mera lund ek dum rock
hard ho chukka tha or ab usko choot chahiye thi.
Me- Jaana ab choot k darshan kara do, ab control nahin ho raha…
D- Ok guru ho ja shuru…jee le apni zindagi..maar le billi…
Uski in baton ko sunkar to jash aur badh gaya, maine usko seedha litaya uski taangon ko failaya or panty ke upar se hi uski choot mein ungli ghusa di…wo chihuk padi..uummm..ufff…kya kar diya hai current lag gay…jaanu…uuiimmaaa…maine uski panty utar di jo kafi gili ho chuki thi, uski mehak badi maadak thi. Phir maine uski whitish choot ki gulabi pankhudiyon ko chhedna shuru kiya, usmein teen ungliyan ghusa di aur unhein zor se andar – baahar karne laga..wo siskariyan bharne lagi, chillane lagi pls darling ruk jao..gudgudi ho rahi hai..main mar jaaongi…mujhe ab ungli se nahin us mote munsal se chodo pls…
Maine uske hothon ko apne hothon ko apne hothon mein dabate hue apne nange badan ko uske nange badan k upar chadhate hue usko apne neeche daba liya, nange badan jab ek duje se chipakte hain to excitement aur badh jaati hai…ohh..aahhh..maine apne lund ko pakadkar uski choot ke hole par rakaha aur aankhon se usko signal diya wo taiyyar hi, uska ishara milte hi main eek jhatka diya to aadha lund andar ghus gaya wo cheek padi…ooohhma….mar gayi….hai maar dala…uuiiii..mmmmm…sshhh….
D- dev tumne mujhe cheer k rakh diya hai..main to mar gayi…mirchi lag rahi hai..uuooommm…shhhh..
Me- abhi thik ho jayega, thodi der baad u’ll be in heaven….
Ab maine uski neck ko kiss kartey hue uske boobs ko press bhi kiya or suck bhi kiya, she was feeling bit relaxation, phir maine aage badhne k liye lund ko bahar kheencha aur ek baar phir shot maara jiski wajah se mera lund ko uski choot mein jad tak sama gaya, usne mere dono hothon ko jor se apne hothon mein bhar liya aur oonnnhhh..aaahhh..mmm…mar gayi…is tarah ki awaazein nikalne lagi.
Ab jab wo kuchh shant hui phir to rukna mushkil hi tha, maine zabardast chudai shuru ki, ,,,andar bahar, ikshat baashat, ding dong…ooo- aah…lund chikni choot k andar fisal raha tha aisa lg raha tha jaise lund jannat ki sair kar raha hai..really choot se sahi jagah koi nahin hail und ke liye…uski garam or chikni choot mein dhakke pe dhakka laga raha tha main or wo taangein or pichhwada utha utha kar mere shot par shot se jawaab de rahi thi…
D- Oh dev I’m in heaven itna maza aa raha hai main bata naihn sakti…ur so good..mmuuaa…lage raho meri jaan. Meri chot ke devta…chadhe raho..love u sweetheart…maza aa raha hai…ooooooo…aa…hhhhahhhh..uummmm…main to gayiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii…offff…hoooonnnmmm…wow it was awesome. Itna kehkar wo jhad chuki thi, mera bhi nikalne wala tha to maine do teen dhakkke aur maar k lund ko bahar khench liya aur phir saara cum uski choot par jhad diya…wow what a relief..gazab..main lund ko jhadte hue uske upar let gaya aur wo mere peeth par haath pherne lagi, main usko choomta raha.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Garmi ke dophar



i zindgi kaa sabse hasin pal hota hai pahli chudai, aaj main aapke apnaa exprience share kar raha hu, maine kai saare kahaniya padhi par mujhe banawti lagaa, par maine aaj socha hai kyon naa mai aapko apni sachchi kahani pesh karun.
mera naam kaushal hai, ye kahani aaj se paanch saal pahle ki hai, meri umar uss samay 18 saal tha, main thoda shay kism kaa ladkaa tha meri koi bhi aaj tak girl friend nahi bani thi, mere ghar ke saamne ek shadi huyi thi, manoj bhaiyaa ki, manoj bhaiyaa Dilli me rahte the, wo shadi ke liye aaye aur phir shadi ho jaane ke baad wo ek mahine ke baad hi wapas hi duty pe chale gaye, ghar me sirf bhabhi aur manoj bhaiyaa ki wife Rambha thi, shadi ke ek do din baad hi main unse milne gaya tha jab mujhe khud hi manoj bhaiyaa bhabhi se milaane le gaya the. Uske baad to halki halki muskan unke saamne baadi khidki se hi milaa karti thi. Manoj Bhaiyaa ke jaane ke baad bhabhi ki muksaan sirf saamne baali khidki se hi milaa karti thi.
Ek din ki baat hai unki saas apne bimar bhai se milne chali gai, ab ghar me sirf Rambha bhabhi hi thi, ek din main college se aaya hi tha uss samay karib 12 baj rahe the kaafi garmi thi, log apne apne ghron me band the, maine dekhaa bhabhi ji khidki se jhaank rahi thi, maine muskuraa kar ishare se puchha kyaa haal hai, wo bhi aa
jao bataati hu, to maine kaha thik hai main khana khaa kar aur kapde change kar ke aata hu, main ghar gaya aur karib ek ghante baad main khana pinaa khaa kar unke ghar gaya, mere ghar ke taraf se unkaa darwaja pichhe baalaa padta tha, maine do tin baar khatkhayaa wo aakar darwaja kholi, hawaa kaafi chal rahi ti, wo bhi garam garam bhabhi halki se ghunghat li thi, wo sirf apne aap ko garam hawa ke jonko se bachaane ke liye, unke kamre me jaakar baitha, palang par. bhabhi paani laakar di aur puchhi kyaa puch rahe the, to maine kaha main puch raha tha kyaa haal hai? to boli pati ke binaa kyaa haal rahega, wo bhi jiski nai nai shadi hui hai, wo umar me mere se do ton saal ki badi hogi, par sharir kaafi solid the unkaa badan kaafi gadraya hua tha, wo badi hi hot lag rahi thi, unke gulabi hoth aur badi badi chuchiyan gajab dhaa rahi thi.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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meri najar unke blouse ke upar do khule huye hook ke taraf tha kyon ki waha se dono chuchiya ke bich kaa bhaag dikhai de raha tha, sach puchho doston mujhe to sihran ho rahi thi, lag raha tha main unke chooch ko dabaa du, meri jawani bhi fadfadaa rahi thi, bhabhi boli kyon ji ab batao kyaa bol rahe the, maine kaha kuchh nahi bhabhi ji younhi aapka haal chaal puch raha the to wo kahne lagi kaisa rahege ek shadi shuda ladki jiski shadi huye abhi ek mahine hi huye hai aur pati door dilli me hai. maine kaha haa bhabhi ye baat to hai, to maine kaha aap bhi kyon nahi chale gaye. to bhabhi boli, main abhi nahi jaa sakti, main ek saal baad jaungi tab tak wo apnaa arrangment sahi tarah se kar lenge. phir baat chit kaa silsilaa chalaa, uske baad bhabhi boli aapki koi girl friend hai ki nahi maine kaha nahi bhabhi abhi main sirf
padhai par dhyaan de raha hu, to bhabhi boli are apni jawani kyon kharab kar rahe ho, pataa lo kisi ladki ko thok do usko, kyaa bataun doston main to hairaan rah gaya unki baaton ko sunkar, maine kaha nahi ji, main aisa nahi kar sakta to wo boli kyon, aapkaa khada nahi hot, maine kaha bhabhi aap bahoot hi gandi gadni baa kar rahe
ho, main jaata hu, aur main kamre se nikalne lagaa, wo darwaje pe baith gai, main jaise hi nikalne lagaa, wo mere lauda ko choo di, unke chhute hi main piche ho gaya, par tab tak der ho chuki thi, unke chhune se mera land khada ho gaya. ab main apne land ko shant karne ki koshish karne lagaa, par hua nahi kyon ki bhabhi apnaa aanchal niche gira di thi aur unki dono chuchiyan aadha dikhai de raha tha, unki gore jism ko dekhkar main paagarl ho gaya, ab mera bhi man karne lagaa unko sparsh karne kaa, phir main jaane ko koshish karne lagaa, bhabhi phir se mere land ko chhui, iss baar maine bhi unko chuchi ko chhune ki koshish ki, par wo waha se bhaag gai aur kamre ke kone me chali gai, main bhi unke pichhe bhaaga aur pakadne lagaa,
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ek baar unke chuchi ko chua aur maine bhaagne lagaa tabhi wo daudi aur phir wo mere land ko chhoo di, phir main unkoe pakadne ke liya daudaa, phir maine piche se dono chuchiyon ko dabaa diya, ohhhh pahlaa ehsaas tha dono haatho se chuchi dabaane kaa, phir bhaga yahi silsilaa chalte rahe achanak wo baith gai aur maine unke chuchi ko piche se baith kar dabaane lagaa, wo shant ho gai, unhe achha lagne lagaa, maine kaha bhabhi kyaa aap mujhe chodne dogi, wo boli haa theek hai par ye baat kisi ko pataa nahi chalni chahiye.
aur phir uth kar baahar chali gai, idhar udhar dekh kar aai, din ke karib 2 baj rahe the, garmi ke din me baahar koi nahi ha, wo aate huye darwaja band kar di aur mere se lipat gai, maine unke hoth ko chumne lagaa aur wo dhire dhire apni saadi khol di, wo peticot aur blouse me thi, gadraaya hua badan maine chootad ko pakad kar apne land ke paas le gaya, uske baad wo mujhe apne baahon me bhar li dhier dhire maine unke blouse ko khol diya, aur chuchiyan pine lagaa, wo aah aah aah uff kar rahi thi, chuchi ke nipple ko main ungli se masalne lagaa wo si si si si karne lagi, phir unhone khood hi peticot kaa naadaa khol diya, wo andar kuchh bhi nahi pahni thi, gajab kaa ehsaas tha, kaale kaale baal mote mote jaangho ke bich me wo phir palang pe le gai, main hadbadaaya hua tha, maine unke upar let kar apnaa pent khol diya wo mujhe
apni chuchiyan pilaane lagi, aur unkaa aankh laal ho gaya tha, wo baar baar apne hoth ko daaton se dabaa rahi thi, gajab lag rahi thi, yaar, phir maine unke naabhi me ungli ghusai to wo kahne lagi, isme kyon ghusa rahe ho raajaa main to sab kuchh saup di hu,
maine unke choot ko chir kar dekhaa andar se laal lag raha tha, mere se raha nahi gaya aur maine apnaa land nikaalaa, aur choot par lagaa kar maine unke upar let gaya, par choot ke andar mera land nahi jaa raha tha, baar baar fisal raha tha, bhabhi boli chodne bhi nahi aata hai, aur unhone apne par kho thoda upar ki aur mera land
pakad kar, apne choot par rakh di aur boli maaro dhakkaa, ohhh pahglaa ehsaas tha pahli chudai kaa, maine jor jor se andar baahar karne lagaa, wo andgaadi le rahi thi, moti moti jaange aur bade bade solid chooch mujhe madhosh kar diya tha, wo aah aah aah uff uff kar rahi th, wo apnaa mota gaand utha utha kar chudwaane lagi, karib aadhe ghante me hi main jhad gaya, par bhabhi abhi pyaasi hi rah gai thi, boli mujhe abhi kuchh nahi hua, maine kaha mujhe kyaa pataa, aap santusht kaise hoge, boli raat ko aanaa, aaj hamdono raat bhar chudai karenge,
usi din raat ko das baje unke ghar pahucha ghar me baahana banaa kar ki aaj raat ko main apne dost ke ghar me sounga kyon ki mujhe college ka project banana hai, phir kyaa tha doston wo rangin raat jab bhabhi khooob chudwai aur maine bhi khoob choda, din me to fail ho gaya tha par raat ko bhabhi ko baap baap bolbaa diya tha, uske baad main ek mahine tak roj choda, phir main baahar padhne aa gaya, unki badi beti meri beti hai, jahan tak mujhe lagta hai. uss samay mere se hi pregnent hui thi. aapko meri kahani kaisi lagi jaroor battayen.
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Bari bhabhi ki chudai
clps
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Mujhe sucking me bahut interest hai aur main last 6 years se DK ka reader hoon aur maine almost sari stories read ki hai. To jaisa ki sabhi ki koi na koi story hoti hai, kuch log share nahi kar pate kuch share kar dete hai, To socha main apni bhi real story share kar doon.
Ye 2004 ki baat hai. Mere cousin bhai ki shaadi ko do saal hue the, main unke ghar aata jata rahta tha, To ek din bhabhi ghar me akeli thi bhai apni shop pe the, Waise to bahut baar hum akele ghar me rehte the par us din bhabhi ko pata nhi kya hua baato baato me wo meri girlfriend ke baare me puchne lagi, to main unko batane laga. Arre bhabhi ke bare me to aap logo ko bataya hi nahi. Bhabhi ka naam Seema hai or wo 5’6″ ki mast gadrayi hui gori patakha hai, unke boobs ka size 34″ kamar 30″ aur gaand 35″ ki hai, To main unhe aise hi batane laga ki meri girlfriend mast hai hum khub masti karte hai.
Bhabhi – Kya kya masti karte ho aap log.
Main – Wahi jo aap or bhai night m kate ho.
Bhabhi – Hum to kuch nahi karte sote hai.
Main – Kyo bhai aapke saath kuch nahi karte?
Bhabhi – Nahi, wo aate hai kuch baatain kar ke so jate hai, haan shuru me thoda bahut sex kar liya karte the.
Aisa bol kar bhabhi ne apna pallu niche kar diya jisse mujhe unki moti moti makhmali chuchiyon ke darsan ho gaye. Bhabhi ke muh se sex word sun kar mera mann kharab hone laga, To maine aage baat badhane ke liye apni girlfriend ki story start kardi ke main uske boobs press karta hoon, lips pe kiss karta hoon or uske boobs ko khub jam kar chusta hoon aur wo bhi mera pura saath deti hai, Itna sun kar bhabhi garam hone lagi aur bolne lagi ke, kuch hame bhi kar ke dikho to jaane.
Main to pehle hi teyar tha mera lund bhi ab meri jins me tight hone laga tha. Bhabhi ne mere lode pe hath rakh diya or boli ise badi jaldi ho rahi hai.
Maine bola – Jab aap jaisa maal samne ho to ye to bechain hoga hi.
Itna bol kar maine bhabhi ko bahon me bhar liya aur kuch der unke gadraye hue badan ko feel karne ke baad main unke chuttadon pe haath ferne laga, mast golmatol chutad the maja aa gaya. Fir maine apne hoth unke naram or rasile honthon pe rakh kar unhe chusna start kar diya, to bhabhi ne niche se apni chut mere lund pe ragdni start kardi, wo bhi pura maja le rahi thi, Mera ek haath unke baalo me tha or ek haath bhabhi ki gand pe. 10 Minute ke is smooch ke baad bhabhi puri tarah laal or garam ho gai or bolne lagi ke tune to mujhe pagal kar diya hai.
Main bola – Abhi dekti jaao aaj mast maja dilaunga.
Phir maine bhabhi ki saadi utaar di or blouse ke hook khol diye. Bhabhi ab peticot or net ki red bra me mast maal lag rahi thi. Fir maine paticot bhi utaar diya bhabhi ne apni chut ko net ki red panty se cover kiya hua tha jo ek dam phuli hui chikni or kaam ras labalab se thi. Main to use dekta hi reh gaya kya chut thi ek dum ras se bhari hui bich me se thodi si khuli hui gunjhiya jaisi. Fir main niche ghutno ke bal baith gaya or panty ke upper se hi uski chut ko haath se masla or panty ko nikal kar uski chut ko chusne or chachorne laga, bhabhi ke haath mere sar pe ghumne lage or vo siskarne lagi.
Thodi der me vo maon karne lagi aaaahhh mmm uuuuuu aaahhh maja aa raha hai or apni ek taang utha kar mere jangh per rakdi or phir vo akad kar barash gai. Maine uth kar unki bra utaar di, kya mast gulabi nipples the. Maine ek chuchi ko muh bhar kar chushna chalu kar diya or bhabhi ne mere sare kapde nikal diye or mere lund ko sahlane lagi.
Main badal badal kar unki chuchiyon ko chusne laga. Bhabhi phir se garam ho gai or bed ke niche baith kar mera lund chusne lagi or bolne lagi ki tera lund to tere bhaiya se bhi bada hai, aaj to maja aa jayega. Phir maine unke bed per let gaya or vo mere upper aa gai or mere lund ko pakad ker chut ke muh per tikaya or dhire dhire baitne lagi. Masti ke mare mera bura haal ho gaya aur phir bhabhi ne speed se uchal kud macha di. 10 Minute baad bhabhi boli mera hone wala hai ab aap upper aa jaao.
Ab bhabhi mere niche thi aur main uppar se unki chut ka baja bajane laga or boobs ko bhi chusne lagi. 10 mint baad hum dono ek saath jhad gaye aur mera saara maal bhabhi ne apni chut me samet liya. Main aise hi thodi der tak unke upper leta raha aur phir hum bathroom me fresh hone ke liye saath me gaye. Bhabhi ki to chaal hi badal gai.
Maine kaha – Kya baat hai bhabhi ji aapki to chaal hi badal gai.
Bhabhi boli – Aaj pahli baar tumne mujhe raj raj ke choda hai to chaal to badlegi hi.
Phir humne ek dusre ko saaf kiya par mera lund phir se tight ho gaya, to bhabhi boli abhi to adha ghanta isne meri chut ki kutai ki hai ye phir se taiyar ho gaya.
Maine bola – Jab aisi rasili chut ho to ye to dubki baar baar lagane ka mann karta hi hai ise kyo dosh de rahi ho.
Bhabhi ne phir se mere lode ko muh me lekar chuskiya lena start kar diya. 10 Minute baad maine camod per baith gaya or bhabhi dono taange chodi karke mere lund ko apni chut me lene lagi or main bhabhi ki chuchiyon ko chusne laga. Bhabhi masti me apni gaand ko mere lund per nacha rahi thi or aaaa ahhhh kar rahi thi. Thodi dar dhire dhire karne ke baad unhone mere kando per haath rakh kar jabardast dhakampel chalu kar di.
10 minute baad vo jhad gai aur phir maine unke haath camod per rak kar unhe kuttiya banaya or piche se unki chut me lund dal kar chudai chalu kar di, sach batau dosto doggy style me chut marne ka maja hi kuch or hai. Phir hum dono ek sath discharge ho gye. Kaise unhone mujhse gaand marwai vo aage ki kahani me tab tak ke liye mere khade land ka salam

Cool Cool Cool Cool





























Cool 




Cool
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Bete Se Chudwaya











cool2
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mera naam Pooja Patil hai, main pune me raheti hu, mere pati Army me hain aur meri age 39 hai, main pune me mere bete ke sath raheti hu mere bete ka naam Rohan hai jo ki 19 saal ka hai, abhi wo 12th me padhata hai, maindikhane me gori hu meri size 32-36D-38 hai.meri hight 5.3 feet hai or me apne bete ke sath akeli raheti hu.



Friends me bhi ek aurat hu aur mene bhi soch samajh ke ye faisla kiya hai, baat 2 saal pahale ki hai aur mere pati 3 month me ek baar ghar aate hai.me meri pyas bujhane ke leiye bahar ek admi se pichale 2 saal se chudwati thi, baat tab ki hai jab Rohan college jata tha us din me ghar par akeli thi aur maine us adami ko ghar bulaya tha aur ham dono bedroom me chudai kar rahe the tab Achanak Rohan ghar aya aur wo bedroom ka darwaja khatkhatane laga, main darr gai ki ab kya karu fir mene gaun pahen ke darwja khola to Rohan ne kaha ki mom aap kya kar rahi hai mene kaha ki kuch nahi beta bas yese hi Rohan ne mujase pucha ki mom ye uncle kon hai tab mene kaha ki ye mere friends hai Rohan mujhe yese puch raha tha ki mano usane kuch suna tha..us din main bahut hi dar gai thi acha hu Rohan ko is baare me kuch pata nahi chala, fir yese hi 1 saal gujar gaya me us admi se kabhi kabhi milti thi aur chudwati thi aur ab wo aadmi bhi out of city chala gaya tha tab main bilkul akeli mahesus kar rahi thi ab Rohan ko mene ek do baar muth marte dekha tha aur mere mann me Rohan ka lund aane laga tha.

Rohan mere sath bed pe sota tha aur raat ko Rohan bas underpant me hi sota tha aur kabhi kabhi raat ko Rohan ka lund meri gand ko touch karta tha, main jaan gai thi ki ab Rohan bada hu hai, aur usaka lund bhi bada hai ek raat ko jab me so rahi thi tab mene dekha ki rohan lund bahar nikal kar hila raha tha. Rohan ka lund lagbhag 6 incha ka tha mere pati ke lund se bhi bada tha, main samajh gai ki ab Rohan bhi bada ho chuka hai fir Rohan ne aapna pani nikal ke mere uper tang dal ke so gaya. yese hi kuch din gujar gaye aur ek din raat ko jab ham so rahe the tab meri aankh achanak khul gai aur mene dekha ki Rohan aapna lund bahar nikal ke meri gaand pe ragad raha hai.me chup chap yesi hi padi rahi aur Rohan ne meri gaun uper karke aapna lund meri gaand pe ragadane laga, mujhe bhi bahut maja aa raha tha, aur mene aapni gaand uper kar ke so gai aur thodi gaand faila di fir Rohan thoda sa ghabra gaya aur fir 2 min ke baad Rohan ne meri gaand ke uper aapna hath firane laga aur kiss kar ne laga fir Rohan ne meri gaand me ek ungali dali aur andar bahar karne laga mujhe bhi bahut maja aa raha tha. fir Rohan ne meri chot me ungali dal ke masalne laga aur fir muth mari aur aapna pani nikal diya, ab me samajh gai thi ki Rohan bhi mujhe chodana chahta hai.

Fir agle din subha jab me nahane gai thi tab mene jan bhuj kar saban bahar rakh diya tha, aur fir mene Rohan ko awaj di ki Rohan beta me bathroom me naha rahi hu aur me sabun lene bhul gai plz mujhe wo sabun de do Rohan ne kaha thik hai mom deta hu, main bra aur panty me thi Rohan ne kaha ye le lo mom mene kaha beta thoda meri pit par sabun laga de Rohan ne kaha thik hai mom me andar aa jau kya mene kaha ha andar aa jao Rohan jab andar aaya tab wo meri pit dekh ke dekhta hi rah gaya aur usake pant me usaka lund tan gaya tha Rohan meri pit par dhire dhire sabun laga raha tha.mene Rohan se kaha ki beta agar tumhe sabun lagane me takhlif ho rahi hai to me bra nikal du kya Rohan ne kaha thik hai mom nikal do. jab mene bra nikali tab rohan ne kaha ab thik hai aur wo meri pith ko sabun lagate lagate meri chuche dekh raha tha..

Tab mene Rohan se kaha ki beta tum naha chuke ho aur tumhari pant bhig jayegi to tu pant nikal ke aa jao, aur fir Rohan pant utarne chala gaya aur sirf underpant me aa gaya, aur mene kaha ki ab thik hai sabun laga do aur ho meri mere boobs ko touch kar raha tha tab mene soch liya ki kyon na me usake taraf mud jau fir mene Rohan ki taraf mud gai aur me niche beth gai thi stul pe aur Rohan khada tha. ha ab meri pit par sabun lagao aur Rohan ka lund mere face ke samne tha aur wo fanfana raha tha ki tabhi mene Rohan ka lund pakad liya aur use bahar nikala tab Rohan ghabara gaya aur kaha ki sorry mom galati se bada ho gaya mene kaha koi baat nahi beta kitna bada hai dekhati hu aur mene Rohan ka lund pakad ke hilane lagi aur Rohan se kaha ki tere papa ke lund se bhi bada lund hai aur mene usaka lund chusana shuru kiya.

Aur Rohan se kaha ki beta tum bhi mujhe chodana chahate ho na tab Rohan thoda ghabraya tha to usane kaha yesi baat nahi hai mom fir mene kaha ki kal raat tum meri gand pe kiss kyon kar rahe the tab Rohan ne kaha ki mom aapko pata tha ki me aapki gaand par kiss kar raha hu. mene kaha ha mujhe pata tha bete ab aaj ateri Randi maa ko chod dal mere muh se yese shabd sun ke Rohan heran ho gaya aur kaha mom aap to 1 no ki chudakkad ho aapko chodane me bbahut maja aayega.

Aur fir usane meri panty nikal ke meri chut chati aur mujhe khade khade hi chodana shuru kiya. aaaahhhhhhhhhhhhhhh Rohan mujhe khade khade hi dhakke dene laga aur mere muh se ahhh hhhh hhhhh aaahhhh ahhhhhhhh ki awaj ane lagi me jhad gai aur fir Rohan bhi jhad gaya aur ham dono nahane ke baad yese hi nage bedroom me chale gaye. fir me khana banane chali gai tab Rohan naga hi tha aur meri piche aake khada ho gaya aur kaha ki mom plz gaun utar do na aur fir Rohan ne meri gaun utar di bas gaun ke under mene kuch bhi nahi pahena tha aur fir rohan ne mujhe kiss karna start kar diya .aaaaaaaaahhhhhhh uuuuummmmmm fir mene Rohan ka lund chusana shuru kiya aaahhhhhhhhhhhhh fir Rohan ne mujhe bedroom me le jake bed par lita diya aur kaha mom mera sapna tha ki me aapko chodu aur wo sapna akhir sach ho gaya, fir mene kaha ki Rohan ye baat kisi ko mat batana aur aaj se tum meri pati ki tarha seva karna mujhe har roj chodana

Aur fir Rohan mere uper aake mujhe pagalo ki tarha kiss karne laga fir meri tange faila ke meri chut ko chatane laga aur fir usane lund meri chut me dal diya aur jor jor se dhakke marne laga aaaaaaaaaaa.... yesa lag raha tha ki me bahut hi khush ho gai aur me bhi rohan ka sath dene lagi aaaaaaaa.. aaaahhhh rohan meri chut ko jor jor se chod raha tha aur m bahut hi maje leke chudwa rahi thi fir rohan ne mujase kaha mom mujhe aapki gaand marni hai aur mujhe dogi style me kar diya aur lund pel diya aaaaaaaa... kya lund tha rohan ka, main jor se chilai aaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh aur rohan jor jor se meri gand pe dhakke marne laga Adhe gante tak mujhe chodne ke bad wo meri gaand me hi jhad gaya. Aur meri gaand gili ho gai aur garam bhi, fir 15 min tak rohan ne meri gand chodi aur usne sara pani mere gaand me hi chod diya aur fir hum dono yese hi pade rahe aaahaaaaaa kya lund tha rohan ka mujhe Rohan se chudate hu bada maja aa raha tha.






































Exclamation Exclamation Tongue
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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neerathemallSmile
Bhabhi Ke Saath Suhagraat


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aat us time ki hai jab me jodhpur eng. kar raha tha 3rd year me ghar rent pe leke rehta tha. ghar ka first floor mera tha. kuch din baad hi mere pados me ek family rehne aayi usme 3 log the uncle aunty nd unki 8 saal ki beti. unka kapde ka bussines tha.
kuch din u hi beet gaye me bhi aapne college me busy tha. ek din me sham ko chat pe gaya to maine bhabhi ko dekha. kya btau yaaro mera to dekhne se hi salam karne laaga tha maine jaise-taise aaapne ko control kiya jb meri najar bhabhi pe padi to vo mujhe hi dekh rahi thi  maine jhat se smile ki or bhabhi ne bhi lite se smile de or niche chali gayi.me niche aaya or sabse pehle bhabhi ki nam ki muth mari ab maine soch liya tha is maal ko to ek bar chakhna hi hai.

Ek din ghar ke bahar nikta to uncle mil gaye maine socha ye hi raast hai bhabhi tak pauchne ka humari thodi bhut baat hone laagi or fir humari rooz baat hone me raz sham ko vollyball khelne jaata tha to uncle bhi kabhi-kabhi chal jate the.
Kuch din or beet gaye mujhe koi moka nai mil raha tha ek din uncle mere pass aaye or bole k wo 15 days ke liye kahi bahar ja rahe hai tum bhabhi ka khayal rakh na, meri to jaide lottery lag gai ho. maine jhat sr kaha aap nishcint hoke jaao me hu na.vo 2 din bad jane vale the me to bs wait hi kar raha tha. Or fir vo din aagaya uncle subh chale gaye.me subh 9 baje utha or tayaar hoke bhabhi ke pass gaya door bell bajayi unhone darwaja khola me to dekhte hi pagal ho gaya vo just naha ke aayi thi or shadi or blouse me thi unka blouse piche se pura gilla tha or black colur ki pra dikh rahi thi me to pagal ho raha tha mera lund pent me tent ban chuka tha.maine bhabhi se kaha koi problem ho to aap mujhe bulalena or mere number de diye agar urgent ho to phone kar dena.
Me raat me aapne room ki balcony me betha tha to maine dekha bhabhi apne gar ki balcony me khadi hai to maine mouka dekh ke puch liya kya kar rahi ho bhabhi
Bhabhi: kuch nai bs neind nai aa rahi thi to yaha aa gayi.
Me: han mujhe bhi nai aa rahi hai.
To maine bhabhi ko movie dekhne ka offer kiya to bhabhi tayaar ho gayi to me unke yaha aapna cd bag leke chala gaya.
Maine bhabhi se puch bollywood ya hollywood to bhabhi ne kaha koi bhi chalegi. to maine ek sexy hot holly movie chala di. me or babhi bed pe beth ke dekh rahe the movie but hot thi ek kissing secne aaya or mera lund khada ho gaya or shorts pehne hone ke karan vo tent ban gaya me aane haath se usse chupane laaga to bhabhi ne dekh liya or haasne lagi or boli koi nai hota hai me kush ho gay k baat ban jayegi or bahbhi ke cehre par ek ajeeb si chamak aa gayi. fir kuch der baad movie katam ho gayi or me aapne room pe aake mooth mari or sone hi ja raha tha ke bhabhi ka gud nite msg aaya or hum log baat karne laage.
2 din u hi beet gaye oe ab hum raz frequently msg pe baat karne laage kuch din baad hum sex pe bhi baat karne laage. fir dusre din maine bhabhi se movie chalne ko bola vo tayaar ho gayi me 11 baje bhabhi ke ghar gaya kya btau kya laag rahi thi sleaveless  low cut blouse or sarre me bhabhi mor me bile pe gaye me raaste me kai bar breake laaga raha tha. fir humne movie me couple tkt liya bhut kam log the maine bhabi ke kandhe par haath rakh diya unhone kuch nai kaha to meri himmat bhad gayi or maine unke boobs kar haath pherne laaga to bhabi meri or dekh ke smile di fir kya tha mujhe green signal mil gaya or maine unke gaal kar ek kiss de diya bhabhi ne bhi vapas response diya fir maine unke lips par kisss karne ki koshis ki par unhone mana kar diya boli yaha nai.aj raat me tumhare liye surprize hai. fir hum movie ke baad resturant gaye vaha maine unhe i love u kaha to vo sharma gayi or boli me to shadi ho rakhi hai to maine kaha but i love u .to bhabhi ne bhi kaha i love u too. lekin bs 15 din ke liye
Fir hum 7 baje ghar aagaye or me bhabhi ke msg ka intzar karne laaga. is bich maine 2 baar mooth mar li.fir me naha ke tayaar ho gya khana kaya jitne me bhabhi ka msg aa gaya or me jhat se unke ghar gaya darwaja khula tha me ander gay aor darwaja band kardiya lekin bhabhi nai dikhayi de rahi thi me unke bedroom me gaya.
Jaise hi me bed room me gay dekh ke surprize ho gaya bhabhi ek red saree me ghugat nikal ke bethi thi me to apni aako pe vishwas hi nai ho raha tha.maine room lock kiya or bhabhi ke pass gaya kya mast fragnes thi room me.maine bhabhi ka gunghat haataya wow kya laag rahi thi koi swarg ki aapsra ho unki aakhe band thi maine unki aakho pe kiss kiya or vo sharma gayi fir maine unke lips pe kiss karne laaga vo bhi mera saath de rahi thi or maine aane jeeb unke muh me daal di or vo chusne laage.
Fir hum bed pe ek dusare se chipak ke so gaye oe ek dusre ko laagatar kiss kar rahe the or me unke boobs press kar raha tha.fir me unke upper aa gaya or unke blouse le hook kholne laaga or mast pink colour ki bra dikhne laage oe bhabhi ne aapni brest pe haath cross kar liye.maine unko aane upper le liya or bra ka hook khol diya.or unke baade boond mere samne the or me joor-joor sr chusne laaga or niplles ko bite karne laaga bhabhi aaaahhhh aaaahhhh ummmuuummm ki awaze nikal rahi thi.
Fir maine bhabhi ka haath aapne khane 7inch ke lund pe rakh diya pehle to jhat se haath hata liya lekin maine fir rakh diya to lund haath me leke sehlane laage.
Is bich manine bhabhi ki sarri or peticoat uttar diye or bhabhi black colour ki panty me thi bs.fir maine aapne saare kapde uttar diye or bhabhi ko bhi pura nude kar diya or bhabhi ki choot chatne laage vo to jaise pagal hue ja rahi thi aaaaaaahhhhhh ummmuuummmm aahhhh awazeh pure room me ghunj rahi thi fir bhabhi ne ek dum se mera sir aapne choot pe daba diya or jhad gayi me unka saara raas pi gaya.
Fir maine der na karte hue aapna lund choot me ghusane laaga lekin ja hi nai rha tha fir maine ek joor ka jhatka mara or mera supara ander chala gaya bhabhi rone laage aahhhhhhhh ummmmmm ammmmmmm or bol rahi thi nikalo ishe me mar jaugi lekin maine ek or dhaka maara or mera pura lund unki choot ko pharta hua ander chala gay or vo chikh padi me unhe laagatat kiss kiye ja raha tha kuch der bd unka dard kam hua or vo niche se mera saath dene laage or me upper se jhatke de raha tha kuch der baad maine speed or tez kar di or pura kamara humari awaaz se ghunj raha tha fir me 15-20 min tak laagatar chudayi ke baad jhadne vaala tha itne me bhabhi 3 baar jhad chuki thi or maine 10-12 jhatko ke baad unke choot me hi jhad gaya or hum pure pasehe se bheege hue ek dusre se lipte paade the or pata hi nai chala humhe kab neind aagi fir jb hum uthe to humne ek saath baath liya next time btauga ki kaise maine unki gand mari or kaise me unhe pure din nanga hi rakhta tha.





























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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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