Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
21-03-2019, 09:37 AM
(This post was last modified: 05-09-2019, 09:05 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मम्मी
मम्मी ने पैंतरा बदला, वो उठ बैठीं और सीधे ‘उनके’ हाथ मोड़कर तेजी से तकिये के नीचे दबा दिए और बोली- “
"हिलना मत…”
एकदम सख्त लहजें में वो बोलीीं और अपनी दोनों जाँघे फैला के सीधे उनके चेहरे के ऊपर बैठ गयीीं।
उनकी ‘रामप्यारी’ पे छोटी-छोटी झांटो का गुच्छा था, जो गोरी गुलाबी जाँघों के बीच बहुत खूबसूरत लग रह था।
‘इन्होंने’ जो हरकत वहां की थी, बस दो तार की चासनी जैसा गाढ़ा रस रह-रह के टपक रहा था।
“बस चुपचाप लेटे रहो, अच्छे बच्चे की तरह। जरा भी मत हिलना बस जैसे बोलूं वैसे करना…”
मम्मी ने इंस्ट्रक्शन दिया ।
और उन्होंने आज्ञाकारी बच्चे की तरह से हामी में सर र्हलाया।
"मुंह खोल, चूस साले, मादरचोद…”
मम्मी ने उनके खुले मुूँह पे अपनी बुर को रगड़ते हुये बोला।
और उन्होंने खूब जोर-जोर से चूसना शुरू कर र्दया।
“हाूँ ऐसे जीभ अंदर डाल, मादरचोद…”
मम्मी ने एक बार जाँघों को थोड़ा ऊपर उठा के अपनी बुर कीफांको को फैलाते हुए कहा।
और जोर से उनके ऊपर बैठते हुए अपनी मोटी-मोटी जाींघों से उनके सर को कस के दबोच लिया ।
वो एक सूत भी सर नहीं हिला सकते थे।
“चाट मादरचोद चाट,देखूं मेरी समधन छिनार ने क्या है अपने मुन्ने को। भोंसड़ी के ,अंदर डाल जीभ, रंडी के जने…”
और जिस तरह से वो सपड़-सपड़ चाट रहे थे,
लग रहा था मम्मी की गालियों से उनका जोश और दूना हो रहा है।
और मम्मी भी उन्हें तंग करने पे तुली थीीं। अब उनका एक हाथ सीधे ‘उनके’ पे और अपने बड़े-बड़े नाखूनों से उसे वो जोर-जोर से चकोटी काट रही थीीं।
डंडा उनका एकदम तन्नाया था।
“मस्त चाटता है तू, लगता है समधन ने बचपन से ही ट्रेनकिया है, एकदम पक्का चूत चटोरा।
और जोर से मादरचोद, हाूँ हाूँ…”
मम्मी के चेहरे से लग रहा था कक उन्हें जबरदस्त मजा आ रहा है लेकिन उन्होंने गियर चेंज कर दिया ।
और खुद दोनों हाथ से उनका सर पकड़ के जोर-जोर से धक्के मार रही थीीं जैसे उनका मुूँह चोद रही हों।
उनकी आूँखों में मस्ती का नशा छाया हुआ था, और उन्होंने मुझे इशारा किया
मैं खुद खड़ा लण्ड देखकर ललचा रही थी
बस, मेरी ललचायी जीभ ने नीचे पेल्हड़ से (बाल्स) यात्रा शुरू की।
पहले बस जीभ की नोक लगायी और धीरे-धीरे उसे सपड़-सपड़ चाटना शुरूकिया ।
और कुछ ही देर में एक बाल मेरे मुूँह में, मैं उसे रसगुल्ले की तरह चूस रही थी।
और मेरा हाथ उनके गोल गुदाज चूतड़ों को सहला रहा था, दबा रहा था।
एक ऊूँगली सीधे गाण्ड के छेद पे, उन्हें जैसे करेंट लग गया।
मम्मी ने मुश्कुरा के तारीफ से मेरी और देखा और अपने मुंह के धक्के की रफ्तार तेज कर दी।
वो जोर-जोर से उनके मुंह पे अपना भोंसड़ा रगड़ रही थी।
मेरी जीभ अब मस्त चाटते हुए उनके चर्म दंड पे टहल रही थी,
और अचानक एक बाज की तरह मैंने उनके सुपाड़े को अपने होंठों में दबा लिया,
लेकिन थोड़ी देर तड़पाने के बाद, मेरे होंठों ने उनका चमड़ा सरकाया, और सुपाड़ा खोल दिया मोटा, पहाड़ी आलू जैसा पगलाया।
लेकिन आज तो मैं और मम्मी मिल के उन्हें तंग करने के ही मूड में थे।
मैंने मुूँह ऊपर उठा लिया और मेरीउँगलियाँ लण्ड के बेस को जोर से दबाने लगी और किर मेरी जुबान की नोक ने,
उनके सुपाड़े के पी होल, पेशाब के छेद में सुरसुरी कर दी। लण्ड एकदम गनगना गया।
उनका मन कर रहा था की बस मैं एक पल के लिए सुपाड़ा चूस लूूँ, चुभला लूूँ।
मम्मी उनकी प्यास समझ रही थी। एक पल के लिए उन्होंने जाँघे थोड़ी फैलायीं , चूतड़ थोड़े ऊपर किये और बोली-
“क्यों बहुत मन कर रहा है न, दे दे बेटी। लेकिन उसके पहले चल मेरी गाण्ड चाट
ऐसे ऊपर से नहीीं, जीभ पूरी तरह गाण्ड के माल तक अंदर जानी चाहिए , पूरी लसलस , तब मिलेगी , क्यों?
और उन्होंने मुझे आँख मार दी।
किर उन्होंने अपनी गाण्ड दोनों हाथों से खूब फैलाई और गाण्ड का छेद सीधे उनके मुूँह पे,
और मम्मी ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया।
वो जोर-जोर से गाण्ड चाट रहे थे, चूस रहे थे और मम्मी के चेहरे को देखकर लग रहा था की
अब जीभ गाण्ड के अंदर घुस गयी है, गोल-गोल अंदर तक घूम रही है।
“ओह मादरचोद, आह… उह्ह… समधन ने बढ़िया सिखाया है, जीभ थोड़ा और अंदर,
हाँ रंडी के जने, भूँड़वे की औलाद और जीभ घुसा, हाूँ बस अब गोल-गोल,
पूरा-पूरा मक्खन चाट ले तब समझूंगी नम्बरी पैदायशी खानदानी मादरचोद, अब ससुराल में मैं और मेरी बेटी तुझे इसी नाम से …”
उनके होंठ एकदम मम्मी की गाण्ड से चिपके थे जैसे फेविकोल लगा हो।
और अब मैं भी खूब मजे से गन्ना चूस रही थी, एक साथ माँ बेटी का मजा।
मम्मी लगता है झड़ने के कगार पे पहुूँच गयी थी, लेकिन वो उठ गयीं और मुझे भी हटने का इशारा ककया।
लण्ड अब उनका पागल हो रहा था मस्ती से बौराया। एकदम टनाटन था।
मुझे लगा शायद वो अब उस पे चढ़ के चोदेंगी, लेकन मम्मी तो मम्मी थी।
पहले तो उन्होंने उन्हें खूब धमकाया,हिलना मत जरा सा एक दो तमाचे भी प्यार से गाल पे मारे।
मम्मी को मालूम था की उनका दामाद उनके जोबन का दीवाना है।
बस अपने दोनों हाथों में अपने 38डीडी के उभारों को लेकर उन्हें दिखा के के सहलाया, मसला, और दोनों हाथों में ले उन्हें ललचाया।
अगर मम्मी का सख्त हुक्म नहीं होता ऐसे लेटे रहो तो… फिर तो…
उसके बाद मम्मी ने वो किया जो न मैं सोच सकती थी न ‘वो’।
उन्होंने अपने दोनों मस्त मम्मों के बीच लण्ड को पकड़ ललया और जकड़ के, खूब जोर-जोर से उन्हें
चूची चोदन का मजा देने लगीीं।
“उह… ओह… अह्ह्ह… नहीींई… ओह्हह्हह्हह्हह… ” वो सिसकी ले रहे थे मजे से चूतड़ उचका रहे थे।
लगा जब वो कगार पे पहुूँच गए तो मम्मी ने एक पल केलिए अपनी मस्त कड़ी कड़ी गोल गोल गोरी गदरायी चूँचियाँ हटा ली
और किर एक हाथ से जोर से उनके सख्त लण्ड को पकड़ा और अपने कड़ेसख्त निपल को सीधे उनके पी हाल में, पेशाब के छेद में डाल के…
मस्ती से वो और जैसे ये काफी नहीं था , मम्मी ने अपनी ऊँगली की एक टिप सीधे उनके पिछवाड़े ,...
हचक कर , पूरी कलाई के जोर से , एक पोर तक पूरा अंदर पेल दिया
थोड़ी देर इसी तरह तंग करने के बाद मम्मी ने छोड़ा और अब मम्मी सीधे उनके तने, कड़े, खड़े लण्ड के ऊपर,
दोनों हाथों से उनकी कमर पकड़ के जैसे कोई तगड़ा मर्द किसीनयी नवेली सुकुमार कन्या की ले रहा हो।
थोड़ी देर अपनी रसीली बुर फैला के उन्होंने सुपाड़े पे रगड़ा।
वो चूतड़ उचका-उचका के दिल की बात बात कह रहे थे।
मम्मी बिचारी कितनी देर अपने दामाद को तड़पाती, उनकी कमर को पकड़ के एक जोर का धक्का मारा, उतना तगड़ा जैसे कोई कच्ची कुँवारी कली की सील तोड़ रहा हो और गप्प से सुपाड़ाअंदर ।
लेककन मम्मी को तो तड़पाने में मजा आ रहा था।
थोड़ी देर तड़पाने के बाद मम्मी ने उन्हें चोदना शुरू कया। क्या कोईमर्द चोदेगा।
और साथ में ललचाना भी। वो अपनी दोनोंबड़ी बड़ी सख्त गोरी रसीली मांसल चूचियां बार-बार उनके मुूँह के पास ले जा के ललचाती और जब वो सर उठा के निपल चूसने की कोशिश करते थे तो वो हटा लेती थीीं।
बार-बार छेड़ने और तंग करने से ‘वो’ और जोश में आ रहे थे।
मम्मी ने उनके दोनों कन्धों को हाथ से दबा के पूछा-
"बोल, चाहिए क्या?
“हाूँ… मम्मी हाूँ दो न बहुत मस्त है जोबन आपके…”
वो गिड़गिड़ाए
उनके छाती पे अपनी ग़द्दर चूचियां जोर-जोर से रगड़ते मम्मी ने छेड़ा-
"हे बोल, भूँड़वे, तेरी माूँ को गदहे चोदें, अपनी महतारी और बाप कीबहन के अलावा और
किसको किसको अपने घर में चोदा?
वो थोड़ा सा मुश्कुराये और किर मुझे देखकर मेरी ओर इशारा करके कुछ हिचकिचाते हुए कबूल कर लिया
“मम्मी, इसकी बड़ी ननद को…”
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
मादरचोद ,बहनचोद
“मम्मी, इसकी बड़ी ननद को…”
मेरी तो फट के हाथ में आ गयी। बड़ी ननद को भी, मम्मी ने आज क्या-क्या पता लगाया।
मम्मी ने किर पूछा- “क्यों शादी के पहले चोदी थी, या…”
मम्मी की काट के वो जोर से मुश्कुराते बोले-
“मैंने कित्ता बोला बोला वो नहीं मानी बोली- “शादी के बाद भैया, चाहे जितनी बार ले लो… "
चोदा तो शादी के बाद, लेकिन उसके पहले मेरे हथियार की की दीवानी थी वो।
कॉलेज से हम दोनों साथ आते थे,
और आते ही कपड़े बाद में बदलते थे, वो मेरी नेकर खोल के, सीधे मुूँह में लेकर जबरदस्त चूसती थी।
पूरी मलायी गटक लेती थी।
मैं भी उसकीस्कर्ट उठा के चूसता, कम से कम दो बार पानी निकालता था उसका।
सब कुछ करवाती थी। लण्ड चूत पे रगड़वाती थी, गाण्ड पे रगड़वाती थी लेकिन बस अंदर नहीं घुसेड़ने देती थी , चूत के ऊपर से तो खूब रगड़ता था लंड मैं , बस अंदर नहीं घुसेड़नी देती थी।
मैं भी उसकी शादी के चार दिन बाद हमारे यहाँ भाई चौथी लेकर जाता है बस, मैंने उसी के बिस्तर पे पे पटक के पेल दिया ।
फिर तो क्या मायका क्या ससुराल,
और जीजू का थ्रीसम का मन था
तो कई बार तो मैंने और जीजू ने मिल के के उसकी सैंडववच बनायी…”
मैं भी सोच-सोच के मुश्कुरा रही थी। तभी तो ननदोई जी और ये इतने ज्यादा खुले हैं। मेरे भाई की दोनों ने मिल के गाण्ड मारी। और अब छुटकी का प्लान है, ननदोई जी का तो है भी खूब मोटा, अब बस मैं भी इनके और ननदोईजी के साथ सैंडववच बनूूँगी
इसी बीच मम्मी ने अगला सवाल पूछ दिया -
"और इसकी छोटी ननद?"
उन्होंने जो जवाब दिया उससे मुझे भी पड़ी और उन्हें भी।
मम्मी ने हड़काया- “छोटी, मतलब…”
वो कुछ हिचकिचाते बोले-
“छुटकी से दो चार महीने छोटी होगी…”
मम्मी ने और जोर से हड़काया- “बुद्धू हो तुम। इसका मतलब वो कब की चुदने लायक हो गयी है… तुम क्या सोचते हो तेरी स्साली छुटकी चोदने लायक नहीं हुयी है अभी , ”
मम्मी का गुस्सा मेरी ओर-
“छोटी ननदों को फुसलाने ,, पुचकारने, पटाने का कामकिसका है? भाभी का न।
तो सारी गलती तेरी है। अपने तो रोज रात, बिना नागा, उसके भाई का लण्ड गपागप घोंटती हो और चिंता है है तुम्हें छोटी ननद की, उसके भी तो खुजली मचती होगी।
बेचारी बैगन, मूली, खीरे से काम चलाती होगी। तेरी जिम्मेदारी है उसकी सील तुड़वाने की…”
मैं मम्मी को उनके सामने कैसे बताती की उसकी सील तो ऐन होली के दिन मेरे भाई ने तोड़ दी।
और उसके बाद उस ख़ुशी में मैंने उसे पाव भर अपनी कुप्पी से सीधे सुनहला शरबत भी पिलाया .
मम्मी किर चालू हो गयीं
“सुन भाभी का फर्ज है की अपनी ननद की कच्ची चूत में से अपने सैंया का , उसके भइया का लण्ड, अपने हाथ से पकड़ के डलवाये। ननद को पुचकारे, समझाए, थोड़ा जोर जबरदस्ती करे। अरे कच्ची कली है, नया माल है तो थोड़ा, पटाना,फुसलाना , मनाना , बहलाना … यही तो काम है भाभी का। सुन, ससुराल पहुूँच के रंगपंचमी के पहले, दामाद जी का अपनी छोटी ननद के , एक दो बार तू चुदवा देगी उसके बाद तो खुद ही उसकी चूत में चींटे काटेंगे…”
“एकदम मम्मी…” मैंने तुरंत हामी भरी।
और अब मम्मी का रुख उनकी ओर मुड़ गया-
“ये तो बेवकूफ है, लेकिन देखो इसीलिए तुम्हारे सामने बोल रही हूूँ। अगर ये जरा भी गड़बड़ करे न तो मुझे बताना। अब तुम सोचो न, तुम दोनों का फायदा है। तुम्हारी बड़ी बहन तो कुछ दिन बाद ससुराल चली ही जायेगी। और इसके भी महीने मेंपांच दिन तो छुट्टी के, तो क्या करोगे उन पांच दिन में, जवान हो, हथियार भी जबरदंग है , मस्त टनाटन है तो, वो इसकी छोटी ननद पटी रहेगी तो काम चलेगा न।
उन पांच दिनों में में उसका बाजा बजाना। मैं तो कहती हूूँ कुछ दिन उसे उसे अपने पास, सुला…
सब खेल तमाशे सीख जायेगी…”
और इसी के साथ मम्मी की चूत जो खेल तमासे कर रही थी वो मैंने पढ़ा, सुना था, लेकन देखा नहीीं था।
नट क्रैकर, जी बस काम सूत्र में पढ़ा था। इसमें औरत लिंग को पूरी तरह अन्दर लेने के बाद, बजाय धक्के लगाने के अपनी चूत की मसल्स सकोड़ती हैं, वो भी इस तरह की सबसे पहले, चूत के सबसे बाहरीभाग की मसल्स सिकुड़ेगी कस के , निचोड़ते हुए । जिससे लण्ड के बेस पे दबाव पड़ेगा और किर धीरे-धीरे, और ऊपर की ओर… दस सेकेन्ड के अन्दर वो पूरे लण्ड को नचोड़ के रख देगी।
और दुबारा लण्ड के बेस से सुपाड़े तक, एक लहर की तरह।
मुझे मम्मी की चूत की मसल्स की स्ट्रेन्थ अच्छी तरह मालूम है। एक बार उनकी चूत में मैंने ऊूँगली की थी, पूरी । और उन्होंने जरा सा यही कया और मुझे लगा की मेरी ऊूँगली की हड्डी टूट जायेगी। कोई नारमल मर्द होता तो दो तीन लमनट में पानी फ़ेंक देता, ये तो ‘ये’ थे जो बिना रुके , पूरी रफ़्तार से , आधे घंटे तक पूरी स्पीड से चोद सकते थे।
पतानहीं ‘नट क्रैकर’ का कमाल था या जिस तरह मम्मी मेरी छोटी ननद के बारे में बातें कर रही थीीं, उससे उनको जो जोश चढ़ा था। बाजी पलट गयी।
अब वो ऊपर और मम्मी नीचे।
लेकन ये पोज थोड़ी देर रहा, फिर तो उनका फेवरिट पोज, डागी स्टाइल,
मम्मी को कुतिया बना के उन्होंने एक बार में भर अपना,बित्ते से भी लम्बा मेरी कलाई से भी मोटा लण्ड, ठूंस दिया जड़ तक। फिर तो क्या कुत्ते कुतिया चुदाई चुदाई करते होंगे। हचक-हचक के।
और जब वो रुक जाते तो मम्मी, उनसे दूने जोर से, अपने मोटे-मोटे चूतड़ से पीछे की ओर धक्के मारतीीं। चोदते समय भी उनकी निगाहें मम्मी के चूतड़ों से चिपकी थीं , सहलाती ललचाती।
मैं देख-देख के झड़ गयी।
लेकन जब वो झड़े, तो एक बार फिर मम्मी उनके नीचे दबी हुई ।
मम्मी और वो साथ-साथ झड़े।
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
22-03-2019, 07:13 PM
(This post was last modified: 07-09-2019, 07:32 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बियर ,... मम्मी की बियर
मैं देख-देख के झड़ गयी।
लेकिन जब वो झड़े, तो एक बार किर मम्मी उनके नीचे दबी हुई थीं।
मम्मी और वो साथ-साथ झड़े।
और कम से कम दो अूँजुरी भर गाढ़ी, थक्केदार मलायी निकली होगी। मम्मी की कुंइया एकदम ऊपर तक भरी छलछला रही थी ,
अपने दामाद के वीर्य से लबरेज़ , कुछ तो छलक कर , बहते हुए ,... उनकी गोरी मांसल जाँघों पर भी ,
थोड़ी देर तक वो दोनों अखाड़े थके पहलवानो की तरह पड़े रहे, फिर मम्मी ने मुझे देखा, और इनसे इशारा किया की वो बगल में रखी कुसी पर बैठ जाएँ
और मुझसे अपनी फैली के बीच भरी मलायी की ओर इशारा करते, बोला-
“अरे, तेरा ही माल है, देख क्या रही है। गपक ले…”
मुझे दुबारा कहने की जरूरत नहीं थी।
क्या मस्त क्रीम -पाई थी। और मैं सपड़-सपड़ चाटने लगी।
पहले मम्मी की जाँघों पे लगी, लपटी, चुपड़ी मलायी चाटी, फिर बुर के बाहर लगी, लिथड़ी ।
फिर जीभ अंदर डाल कर सीधे मम्मी की बुर में से , एक बूँद मैं नहीं छोड़ने वाली थी
इनकी मलाई तो मैं कितनी बार गपक चुकी थी लेकिन अपनी मॉम के भोंसडे में से उनके दामाद की मलाई , ... आज स्वाद दस गुना बढ़ गया था
मैं भी तो मम्मी की बेटी थी। लगे हाथ मेरी जीभ, मम्मी की क्लिट भी चाट लेती थी, जीभ की टिप से खड़े उत्तेजित दाने को छेड़ देती थी।
और असर मम्मी पे जबरदस्त हुआ।
मारे जोश के वो किर नीचे से चूतड़ उचकाने लगी, उनकी बड़ी-बड़ी चूँचियाँ पथराने लगीीं, निपल किर से कड़े हो गए।
मैं उनकी बुर को अंगूठे और तरजनी से फैला के के, अंदर जीभ डाल के मलायी पूरी की पूरी गपक करने ही वाली थी, की मम्मी ने रोक दिया
उनकी आूँखें अपने दामाद पे लगी थी।
हम लोगों की ‘प्रेम लीला’ देखकर उनका खूंटा किर से तन्ना गया था,
एकदम 9 इंच का खड़ा, मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा , बौराया।
मम्मी ने मुश्कुरा के मुझसे बोला-
“तू अकेले-अकेले खा पी रही है, और मेरा बेचारा दामाद बैठ के टुकुर-टुकुर देख रहा है, जबकी अभी उसने इतनी मेहनत भी की है…”
किर उनकी ओर मुूँह करके मम्मी ने पूछा-
बीयर पीते हो न?
“अरे मम्मी नेकी और पूछ-पूछ…” हूँस के उन्होंने बोला।
मम्मी उठ के निकली लेककन दरवाजे के पास से रुक के बोलीीं-
“कोई बदमाशी नहीीं तुम दोनों की… और हाँ (आपने दामाद से बोली) हाथ भी मत लगाना उसे, वरना हाथ बाँध दूंगी , खबरदार , छूना भी मत उस मस्त मूसल को , ससुराल में इसपर हक़ सिर्फ साली , सलहज और सास का है …”
हम लोग वैसे ही रहे।
मैं उनके तन्नाये लण्ड को देखती रही, लेकिन आँखों ही आँखों उन्होंने अपने दिल की बात कह दी।
बस मैं किसी तरह उन्हें मम्मी की गाण्ड दिलवा दूूँ।
और मेरी आँखों ने भी हामी भर दी। मेरे लिए मेरे पिया की इच्छा सबसे ऊपर,
और तब तक मम्मी आयी,
बीयर का बड़ा सा मग (कम से कम दो कैन) और ऊपर खूब झाग आलमोस्ट बहता हुआ,
और अपने दामाद को उन्होंने मग पकड़ा दिया ।
लेककन जिस तरह उन्होंने घुसते हुए जबरदस्त आँख मुझे मारी थी ये साफ़ था की
उसमें कम से कम आधा तो मेरी मम्मी की ‘परसनल बीयर उनकी सुनहलीशराब’ उसमें मिली थी।
अब तो उनका नशा दूना होना था। सास की ‘शराब’ पी के।
मैंने किसी तरह अपनी मुस्कराहट रोकी।
मेरी ससुराल में मेरी होली की शुरुआत भी तो मेरी सास की 'सुनहली शराब ' सुबह सुबह पी के हुयी थी , और सिर्फ मेरीअपनी सास की नहीं , मेरी चचिया सास , गाँव के रिश्ते की सास ,
आधा दर्जन से ऊपर सास लोगों की 'सुनहली शराब ' ,मैंने होली के दिन सुबह सुबह ,...
तो ये भी अपनी सास का , अपनी ससुराल में ,
मैंने मम्मी की चूत फैला के मलायी खाना शुरू किया ,
लेकन अबकी 69 की पोज में,
मम्मी ऊपर मैं नीचे।
मम्मी ने उन्हें चेताया-
“हे जल्दी बियर ख़तम करो। अगर बियर ख़तम होने के पहले, हम में से कोई झड़ गया न, तो बस गाण्ड मार लेंगे तुम्हारी…”
मैंने मम्मी के कान में हलके से बोला
"-लेकिन अगर बीयर पहले ख़तम हो गयी तो?
मम्मी ने धीरे से हड़काया-‘चुप’
मैं उनकी ट्रिक समझ रही थी। जल्दी के चक्कर में उन्हें इस बात का ध्यान नहीीं रहेगा की बीयर की काकटेल में क्या मिला है? मम्मी की असली ‘सुनहरी बीयर ' मम्मी की झांटों से छानकर ’।
मैंने मम्मी की बुर के अींदर अपनी जीभ पूरी घुसेड़ ली। एकदम अंदर तक मलायी भरी थी। इन्होंने पिचकारी सीधे मम्मी की बच्चेदानी पे मारी थी। एकदम लबरेजथी मम्मी की बुर, और मेरे तो मजे हो गए सपड़-सपड़ चाट रही थी। और साथ में मम्मी की रस मलायी भी।
थोड़ी देर में मम्मी पे भी चूत चटाई का नशा चढ़ने लगा और मुझ पे भी। चूत चाटने के साथ मैंने उनकी क्लिट भी चूसनी शुरू कर दी।
वो हम दोनों की चूत चटाई देख रहे थे। मजे से। बीयर ख़तम होने के कगार पे थी पर उनका ध्यान बीयर पे एकदम नहीीं था।
•
Posts: 27
Threads: 0
Likes Received: 7 in 6 posts
Likes Given: 1
Joined: Jan 2019
Reputation:
1
Bahut hi badiya likha hai.
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
(27-03-2019, 02:31 PM)Jangid3785 Wrote: Bahut hi badiya likha hai.
Thanks so much next post soon
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
उनकी सास का ,...
मैंने देखा की वो मेरे चेहरे की ओर देख रहे थे, लेकिन कुछ देर में समझ गयी।
69 में मैं नीचे थी और मम्मी ऊपर,
और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर मम्मी के बड़े-बड़े चूतड़ ऊपर-नीचे हो रहे थे,
वो उसे देख रहे थे, और ललचा रहे थे।
और मैं उन्हें ललचाता हुये देख रही थी।
लेकिन थे तो वो मेरे साजन, मैंने आग में थोड़ा और घी छोड़ा। मम्मी की बुर चूसते हुए मेरे हाथ अब मम्मी के भारी-
भारी नितम्बो को सहला रहे थे, दबा रहे थे और
फिर मैंने मम्मी के चूतङों को दोनों हाथों से फैला के जोर से खोला तो… एकदम जादू की तरह असर हुआ उन पे।
मैं कनखखयों से देख रही थी। लण्ड उनका पत्थर का हो गया। एकदम 90° डिग्री । और एक घूूँट में सारी बची हुई बियर ( जिस्मने आधे से ज्यादा मम्मी की अपनी ख़ास परसनल सुनहरी बियर मिली थी) उन्होंने गटक ली। मुझे बहुत मजा आ रहा था उनकी ये हालत देख के, लेकिन अभी तो शुरूआत थी।
चूसते हुए उन्हें र्केदिखा घप से मैंने दो उँगलियाँ मम्मी की बुर में पेल दीं और देर तक गोल-गोल घुमाती रही।
जब वो रस से बुरी तरह गीली हो गयी,
तो अब एक बारकिर, मम्मी की गाण्ड पूरी ताकत से फैला के, उसका कसा संकरा छेद उन्हें ,
अपने बावरे बौराये साजन को दिखा के , ... वो सच में अपने सास के पिछवाड़े के लिए पागल हो रहे थे।
मेरी तर्जनी मम्मी की गांड में एक पोर तक घुसी उनके दामाद को दिखाती ललचाती , आगे पीछे हो रही थी।
अब उनसे नहीं रहा गयी और चुपके से आके वो मेरे सर (और मम्मी के चूतड़ों) की ओर बैठ गए। एकदम मुझसे सट के।
मैं समझ गयी लोहा गरम है। अब मैंने अपनी कलाई के जोर से पूरी ताकत से मम्मी की गांड में अपनी तर्जनी दो पोर तक एक झटके में घुसेड़ दी ।
घुसी वो मम्मी कीगाण्ड में लेकिन सिसकारी उनकी निकली ।
थोड़ी देर मम्मी की कसी गांड में आगे पीछे , करके, बाहर निकला के वो ऊँगली मैंने उनकी ओर जब की, तो झट से उन्होंने मुूँह खोल के मेरी तर्जनी को ,
मम्मीकी गांड में से निकली ऊँगली को गप्प कर लिया
और लालीपाप की तरह उसे चूसने लगे,
मेरी एक और ऊँगली , मेरी मंझली ऊँगली पकड़ कर अपने मुंह के अंदर घुसेड़ लिया
और उसे भी सक करने लगे। दोनों ऊँगली , मम्मी की गांड से निकली तर्जनी और मंझली दोनो , उनके थूक से लथपथ
मैं उनका इशारा समझ गयी और अगली बार वो दोनों उंगलिया , मेरे साजन के मुंह से निकल कर उनके सैलाइवा से लिसड़ी पड़ी , मम्मी की गांड के अंदर गयीं , वोभी जड़ तक।
और बिना बाहर निकाले मैं देर तक गोल गोल घुमाती रही, गाण्ड की दीवालों से सटा के करोचते हुए,
और वो एक नदीदे बच्चे की तरह उसे देखते रहे,
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
मम्मी की गाँड़
और बिना बाहर निकाले मैं देर तक गोल गोल घुमाती रही, गाण्ड की दीवालों से सटा के करोचते हुए,
और वो एक नदीदे बच्चे की तरह उसे देखते रहे,
मेरी दोनों उँगलियाँ , तर्जनी और मंझली , मम्मी की गाँड़ में एकदम जड़ तक धंसी थी , गांड की दीवारों पर रगड़ती , खूब लसलसी , गीली गीली , गुई सी ,...
मैंनेदोनों ऊँगली चम्मच की तरह मोड़ कर , ... कस कस के मैं करोच रही थी , खरोंच रही थी।
मेरे मन में , अभी कल की ही तो बात थी , होली की सुबह मेरी सास ने मेरी गांड में इसी तरह अपनी दोनों उँगलियों को ,... और सबके सामने ,
... मेरी चचेरी सास , गाँव की सास , दोनों ननदें , जेठानी , घर में काम करने वालियां ,... और मेरी बड़ी ननद उन्होंने सास को चढ़ा दिया ,
... ममी जरा भाभी को मंजन करा दो न ,
और मेरे पिछवाड़े से निकल कर मेरी सास की दोनों उँगलियाँ सीधे मेरेमुंह के अंदर ,
मेरे दांतों पर रगड़ रगड़ कर ,...
( और जब मैं यहाँ आ रही थी तो मेरी सास ने मेरे कान में कहा था , लौट के आओ बहु तो रोज सास का असलीपरसाद ,.. असली होली तो लौट के आओगी तो तब होगी वो भी पूरे तीन दिन तक , रंगपंचमी तक ).
ये सोच सोच कर मम्मी की गांड में मेरी उंगलिया और ताकत से रगड़ रगड़ कर ,
गोल गोल ,... चार पांच मिनट तक ,...
और जब दोनों उँगलियाँ बाहर निकलीं , इनकी सास की गाँड़ का माखन ,
और बिना उनको कोई सोचने का मौका दिए , मैंने सीधे दोनों उँगलियाँ , ... अपने साजन के मुंह में धकेल दीं , एकदम जड़ तक , इनके हलक तक ,...
लेकिन मेरे ' ये ' भी न ,.. खूब मजे से चूसने लगे , खूब रस ले ले के ,...
और थोड़ी देर में मेरी दोनों उँगलियाँ एकदम साफ़ चिकनी ,...
मैं भी मम्मी की बुर चाटते-चाटते बीच-बीच में इनके मोटे खड़े पगलाये लण्ड को भी मुंह में लेकर चूस लेती थी।
लेकिन उनके लण्ड को अभी मेरे होंठ नहीं बल्कि कुछ और चाहिए था,
और वो मौका मिल गया।
मैंने मम्मी की अब क्लिट जोर जोर से चूसनी शुरू कर दी
और जैसे ही मैंने उसे हलके से काटा, एकदम एक्सप्लोजन हुआ,
मम्मी जोर-जोर से झड़ने लगीं और साथमें मैं भी।
सारी दुनियां से बेखबर वो आंधी में पत्ते की तरह काँप रही थी। जोर से झड़ने लगीं वो ,
और मुझे मालूम था इस हालत में मम्मी एकदम मस्ती में बेहोश रहती हैं ,
और मेरे साजन ने उस मौके का पूरा फायदा उठाया।
मैंने अपनी लम्बी तगड़ी टाूँगें मम्मी की पीठ पे पूरी तरह कैंची की स्टाइल में जकड़ रखी थी। वो जरा भी हिल डुल नहीं सकती थीं , 69 की पोज में मम्मी मेरे ऊपरथीं।
और साथ ही में मेरे दोनों हाथ खूब जोर लगा के उनकी गाण्ड का छेद फैलाये हुये थे ,
कस के।
और मम्मी दुनिया से बेखबर बार बार झड़ रहीं थी , काँप रही थीं ,
बस
बस उन्होंने मुट्ठी सा मोटा सुपाड़ा मम्मी की कसी , संकरी , फैली गाँड़ में सटाया,
अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े बड़े ३८ ++ साइज चूतड़ों को पकड़ा बस ,..
और हचक के पेल दिया अपना तगड़ा मोटा सुपाड़ा गांड में , अपनी पूरी ताकत से ,
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
बस
बस उन्होंने मुट्ठी सा मोटा सुपाड़ा मम्मी की कसी , संकरी , फैली गाँड़ में सटाया, अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े बड़े ३८ ++ साइज चूतड़ों को पकड़ा बस ,.. और हचक के पेल दिया अपना तगड़ा मोटा सुपाड़ा गांड में , अपनी पूरी ताकत से ,
एक ही धक्के में सुपाड़ा पूरा धंस गया था ,
..... मेरे साजन को तो गाँड़ मारने में पूरी पी एच डी हासिल थी ,
जब वो नौवें में पढ़ते थे तभी दर्जा आठ का कोईलौंडा था , चिकना नमकीन , उसकी नेकर सरका के उन्होंने ठोंक दिया था ,...
और अभी कल होली के दिन सुबह सुबह , ननदोई जी के साथ मिल के , अपने साले को,... मेरे ममेरे भाई को ,...
मैं देख रही थी , ... कैसे वो छटपटा रहा , लेकिन अपना मोटा बित्ते भर का लंड उसकी गाँड़ में जड़ तक ,... और रात में ट्रेन में मेरेसामने ही निहुरा के , उसकी ले ली थी ,...
वो छटपटाता रहा , चीखता चिल्लाता रहा ,...
पर अब तक मैं भी अपने साजन की संगत में सिख गयी थी , चाहे लड़का हो या लड़की , बिना बेरहमी के गांड नहीं मारी जा सकती।
और इस समय तो मैं अपने साजन का पूरा साथ दे रही थी , उनकी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकती थी , ...
मम्मी कुछ रिएक्ट करतीं की मेरे होंठों ने फिर एक बार उनके क्लिट को काट लिया
और जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया । और वो एक बार किर झड़ने लगी।मुझे मम्मी को झाड़ने की हर ट्रिक मालूम थी ,
और झड़ते समय उनकी हालत ऐसी बेहाल , ... थेथर उन्हें कुछ भी हो जाय , वो हिल नहीं सकती थीं , ऐसी झड़ते समय उनकी हालत हो जाती थी।
इसी मौके की तो उन्हें तलाश थी।
69 की पोजीशन में मम्मी मेरे ऊपर थी यानी आलमोस्ट डॉगी पोज में ,
उनके दामाद सुपाड़ा उनके पिछवाड़े धंस चुका था , बस
बस उन्होंने अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े बड़े गोल गोल मांसल नितम्बो
थोड़ा सा उठाया , कस के दबोचा और एक और करारा धक्का मारा।
फिर लगातार पांचछह धक्के , हर धक्का पहले वाले से ज्यादा तेज ,...
मम्मी अब चीख रही थी , चिल्ला रही थीं , उन्हें गालियां दे रही रही थीं पर ,
पर
गाण्ड का छल्ला पार हो गया था और
अब मम्मी की गाण्ड ने खुद उनके लण्ड को दबोच रखा था। वो लाख कोशिश करें लण्ड निकल नहीं सकता था।
हम दोनों, पति पत्नी एक दूसरे को देखकर
और आूँखों ही आूँखों में हाई फाइव किया।
अपनी सास की मस्त गांड में लौंड़ा धसाने के साथ साथ ,
उनके चेहरे पर जो चमक थी , आँखों में जो ख़ुशी नाच रही थी , उस ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकतीथी।
थोड़ी देर वो हम दोनों के बीच दबी फंसी रही, किर मैं निकल आयी आयी
और जिस कुसी पे थोड़ी देर पहले वो बैठे थे वहां बैठ के मजे से देखने लगी।
सास दामाद की मस्ती ,
सास अब एकदम कुतिया वाले पोज में ,
... इनकी फेवरिट और
गांड मारने , मरवाने के लिए बेस्ट
क्या धुंआधार पेलाई थी।
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
कातिक की कुतिया
एक बार तो वो अभी कुछ देर पहले ही झड़े थे वो इसलिये कम से कम आधे घण्टे तक नान-स्टाप, और वही हुआ। जैसे कोई धुनिया रुई धुने, बस उसी तरह।
सच में तूफ़ान मेल मात ,... और मम्मी भी एकदम निहुरी , कातिक की कुतिया की तरह और ये पीछे से चढ़े , ...
मैं इनकी शैतानी समझ रही थी , एक तो इनका घोडा मार्का लंड और ऊपर से बदमाशी ,
... कस के दोनों हाथों से उन्होंने अपनी सास की कमर पकड़ ली ,
और बसथोड़ा सा , ज़रा सा बाहर , खूंटा निकाला
और फिर पूरी ताकत के साथ हचक के पेल दिया ,
फिर आलमोस्ट सुपाड़ा तक निकाल के दुबारा ,
तिबारा ,...
हर बार इनका मोटा सुपाड़ा इनकी सास के गांड के छल्ले को रगड़ता दरेरता घिसटता ,
अंदर घुस रहा था और फिर उसे वो उसी जगह पर से रगड़ते हुए बाहरनिकालते ,
बस पांच छ धक्के के बाद मम्मी जोर से चीखीं ,
" क्या करते हो , .... उह्ह्ह ओफ़्फ़फ़फ़फ़ , नहिई लगता है , ओह्ह उईईईईईई रोक , रुक ,... नहीं ,... "
और जवाब में निहुरि मम्मी की ३६ डी डी साइज की चूँचियाँ जोर से उन्होंने दबोच ली ,
और लगे कस के मसलने रगड़ने।
मुझे याद आ रहा था ये और मेरे ननदोई मेरे ममेरे भाई से मेरी मम्मी के जोबन के बारे में बाते कैसे लस लस के बातें कर रहे थे ,....
सच में मम्मी के उभार हैं ही ऐसे , खूब बड़े बड़े लेकिन एकदम कड़े कड़े , बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम खड़े तने , ....
और मेरे उभार भी , और सिर्फ मेरे क्यों मेरी दोनों छोटी बहनों के भी , अपनी उमर की लड़कियों से उनके उभार २० नहीं २२ होते हैं ,
और ये कैसे ननदोई जी से बोल रहे थे , मम्मी की चूँची पकड़ कर हचक हचक मारने के बारे में ,
और अभी पूरी ताकत से , मम्मी की दोनों गदरायी चूँचियाँ पकड़ के
कस कस के पूरी ताकत से मम्मी की गांड , अब हर धक्के में पूरा का पूरा लंड ,
एकदम जड़ तकघुस जा रहा था ,
और अब मम्मी की सिसकियों के साथ जबरदस्त गालियां उनकी समधन के लिए ,
" मादरचोद , लगता है बचपन से मेरी समधन ने गांड मरवा मरवा के , क्यों मरवाती थी न मेरी समधन तुझसे गांड , बोल भोंसड़ी के रंडी के जने ,
उन्होंने जवाब एक जबरदस्त धक्के से दिया ,
और लंड जड़ तक उनकी सास की गांड में धंस गया था ,
और क्या जबरदस्त दोनों चूँचियाँ मम्मी की मसली उन्होंने ,
उईईईईई ,... जोर से मम्मी की सिसकी निकल गयी ,
फिर तो कोई धुनिया जैसे रुई धुनें , वैसे
दोनों चूँची पकड़ के हचक हचक के , हर बार उनका मोटा बित्त्ते भर का खूंटा आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर , और फिर एक जोरदार धक्के के साथ ,
रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , उनकी सास के गांड के छल्ले पर घिसटते वो मोटा सुपाड़ा ,
सीधे जड़ कोई दूसरा होता तो , रो रो के ,....
लेकिन वो मेरी मम्मी थीं , दामाद की असली सास ,...
कभी दर्द से चीखतीं , कभी सिसकतीं तो कभी गालियों से उनकी माँ बहन सब एक कर देतीं , ... ,
और थोड़ी देर में उनके हर धक्के का जवाब मम्मी धक्के से और गाली से दे रही थीं।
" रंडी के पूत , बचपन में अपनी माँ को गांड मरवाते देख के सीखा या अपनी माँ बुआ की गांड मार मार के ,
जबरदस्त सिखाया है तुझे मेरी रंडी छिनार समधन ने मान गयी उनको ,... "
मुझसे ज्यादा कौन जानता था उनके ऊपर माँ बहन की गाली का असर , ... किसी दिन वो थोड़ा थके ,... या उनका मन थोड़ा ,...
या तीसरे चौथे राउंड में कुछ हलके पड़ते तो ,... बस मैं अपनी नंदों का नाम उनके साथ जोड़कर , बस वियाग्रा मात ,...
और आज भी वही हुआ , ... मम्मी की गालियों का असर ,... उनके लंड की तूफानी स्पीड सुपरसानिक हो गयी ,
सास की कसी मस्त गांड में
पर कुछ देर बाद मम्मी भी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं , कुतिया की तरह निहुरी ,कस के दोनों हाथों से तकिये को दबोचे ,... और
मैंने जब अपने साजन के चेहरे को देखा तो सिर्फ ख़ुशी ,... इतना खुश मैंने उन्हें कभी नहीं देखा था , एकदम मस्ती से चूर ,...
उन्होंने अपने को अपनी सास के हवाले कर दिया था ,
अब धक्के वो नहीं मार रहे थे बल्कि उनकी सास ,
अपनी कमर आगे पीछे ,... पूरा ९ इंच ,
धीमे धीमे पीछे पुश कर के घोंट लेती फिर धीरे धीरे आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल के ,
पूरी ताकत से वो धक्का मारतीं और मेरे सैयां ,का दामाद का पूरे बित्ते भर का डंडा अपनी गाँड़ में ,...
मैं देख रही थी कैसे सरक सरक कर मेरे बालम का खूंटा उनकी सास की गांड में सटासट अंदर बाहर ,... और अब वो सिर्फ अपनी सास की कमर पकडे हुए थे
मेरे सैंया के चेहरे पर ऐसे भाव आ रहे थे जो मैंने कभी नहीं देखे थे , ख़ुशी , मजा , मस्ती और हल्का सा दर्द ,...
मैं अपनी मुस्कराहट रोक नहीं पायी , मेरी मम्मी भी न ,....
मैंने बताया था नट क्रैकर , ... मम्मी से मैंने भी सीखा था ,... चूत की मसल्स को पहले हलके हलके फिर जोर से इतने कस के निचोड़ना , सिकोड़ना ,... की अगरकोई अंगुली डाले हो बुर में तो अंगुली फ्रैक्चर हो जाए , और मैं सोच नहीं सकती थी लेकिन मम्मी ने अपनी पिछवाड़े की मसल्स भी उसी तरह ट्रेन किया था ,...
दूसरा कोई होता तो एक मिनट में झड़ जाता ,... लेकिन ये मेरे साजन थे , मेरे प्यारे , मेरे सब कुछ , मेरे बालम ,...
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
07-04-2019, 12:46 PM
(This post was last modified: 07-09-2019, 08:22 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
वो नीचे सास ऊपर
मैंने बताया था नट क्रैकर , ... मम्मी से मैंने भी सीखा था ,... चूत की मसल्स को पहले हलके हलके
फिर जोर से इतने कस के निचोड़ना , सिकोड़ना ,... की अगर कोई अंगुली डाले हो बुर में तो अंगुली फ्रैक्चर हो जाए , और मैं सोच नहीं सकती थी
लेकिन मम्मी ने अपनी पिछवाड़े की मसल्स भी उसी तरह ट्रेन किया था ,...
दूसरा कोई होता तो एक मिनट में झड़ जाता ,... लेकिन ये मेरे साजन थे , मेरे प्यारे , मेरे सब कुछ , मेरे बालम ,...
और कुछ देर पहले तो कटोरी भर मलाई अपनी सास की बुर में बच्चेदानी तक छोड़ी थी , ... इसलिए इतना जल्दी कुछ नहीं होने वाला था ,
इनकी सास कुछ भी करें ,...
लेकिन उनकी सास का दामाद ,... चाहे बुर चोदे या गांड मारे ,... एक आसन में
उनका मन भरने वाला नहीं था , ... और आज तो उनका फेवरिट माल ,
बस बिना मम्मी की गांड में से लंड निकाले उन्होंने पलटा मारा ,
और अब वो नीचे उनकी सास ऊपर ,...
और अब उनकी सास चोद रहीं थी , सास का दामाद चुद रहा था ,...
मैंने इनके साथ विपरीत रति का मजा बहुत बार लिया था ,
और इसकी सारी ट्रिक मम्मी ने ही मुझे सिखाई थी ,
खास तौर से पहले दूसरे राउंड के बाद , अगर पति थोड़ा थका हो , ... या कभी काम की थकान हो , तो पत्नी को कमान अपने हाथ में ले लेना चाहिए , ...
पर गुदा मैथुन में , मर्द नीचे ,... आज मैं पहली बार देख रही थी ,...
और सीख रही थी ,... मुझे मालूम था मेरे साजन को गुदा मैथुन कितना पसंद है ,
और जो मेरे साजन की पसंद है , वो मेरी पसंद ,...
मेरे लिए सिर्फ एक ख़ुशी है ,... जिसमें मेरा बालम खुश रहे ,... और मैं देख रही थी पहली बार वो नीचे लेट कर कैसे गुदा मैथुन ,...
मम्मी की गांड में एकदम जड़ तक ,.. और मम्मी ने उन्हें बरज दिया था की वो कुछ भी न करें जो करेंगी उनकी सास ही करेंगी ,
मम्मी धीमे धीमे ऊपर नीचे , ऊपर नीचे अपने दामाद के दमदार मोटे लम्बे खूंटे पर ,
जैसे कोई नटिनी बांस पर चढ़ती उतरती है , ...
और साथ में झुक के अपने मोटी बड़ी बड़ी रसीली चूँचियाँ
अपने दामाद के कभी सीने पर रगड़ देतीं तो कभी गालों पर
और ये बेचारे मुंह में लेने के लिए जब मुंह खोलते तो आँखों से उन्हें चिढ़ातीं अपने जोबन दामाद के प्यासे भूखे होंठों से दूर कर लेतीं ,
मम्मी के दोनों हाथों ने कस के अपने दामाद के दोनों हाथों को पकड़ रखा था एक इंच भी न वो हिल सकते थे न ऊपर उठ सकते थे ,...
और कभी अपने दामाद के होंठों में अपने खड़े कड़े निपल खुद ठेल देतीं ,...
लेकिन मानना पड़ेगा उनकी सास की कमर की ताकत को , एक मिनट के लिए भी मंम्मी के धक्के नहीं रुक रहे थे।
मैं भी कब की कुर्सी छोड़ के अपने साजन के एकदम बगल में सटी , सास दामाद का गुदा मैथुन देख रही थी ,...
मैंने कहा था , मम्मी को सिक्युरिटी दरोगा होना चाहिए थे ,... कुछ देर पहले ही मम्मी ने इनसे , मम्मी की समधन के साथ ,... मेरी बुआ सास के साथ ,... यहां तककी
मेरी बड़ी ननद के साथ भी,... सब कुछ उगलवा लिया था
और अब उनकी सास उनकी लौंडेबाजी के किस्से ,...
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
07-04-2019, 12:56 PM
(This post was last modified: 14-09-2019, 09:24 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
लौंडेबाजी के किस्से
मैंने कहा था , मम्मी को सिक्युरिटी दरोगा होना चाहिए थे ,...
कुछ देर पहले ही मम्मी ने इनसे , मम्मी की समधन के साथ ,... मेरी बुआ सास के साथ ,...
यहां तककी मेरी बड़ी ननद के साथ भी,... सब कुछ उगलवा लिया था
और अब उनकी सास उनकी लौंडेबाजी के किस्से ,...
किस लौंडे की उन्होंने कैसे पहली बार ली , .....
मालूम तो मुझे भी था की ये नौवें क्लास में थे और वो आठवें क्लास में था जिसकी उन्होंने सबसे पहले ली थी ,
लेकिन फुल डिटेल्स ,.... मम्मी ने सिर्फ एक बार पूछा और उन्होंने पूरा हाल खुलासा बता दिया ,
ये नौंवी क्लास में , और वो आठवीं में ,...
कहीं बाहर के कॉलेज से ट्रांसफर हो के आया था ,
... लेकिन आते ही पूरे कॉलेज में आग लग गयी , खूब गोरा , बल्कि गुलाबी ,... चिकना , नमकीन ,...
सारे कॉलेज के लौण्डेबाज ,...
लेकिन कोई उसको रोज कॉलेज छोड़ने लेने आता था , कोई नौकर उसका ,...
पहले तो इन्होने उस लड़के से दोस्ती की , पढ़ने में ये अच्छे थे ,
इसलिए दोस्ती भी ,...
बस एक दिन जल्दी छुट्टी हो गयी , ... और ये अपनी साइकिल पर उसे आगे बैठा कर ,...
घर वालों को क्या मालूम होगा की आज जल्दी छुट्टी हो गयी है , ...
रास्ते में आम की एक गझिन बाग़ थे , ... उसमे ,.... और ये बाग़ इन्ही की थी , मेरे ससुराल की ,...
बस थोड़ी देर बाग़ में मस्ती की , ...
उसके नेकर में हाथ डाल के उसकी छोटी सी नूनी पकड़ के आगे पीछे ,...
उसे हैण्ड प्रैक्टिस करना सिखाया , ... चौकीदार को इशारे से इन्होने फुटा दिया था , फिर उसी की कोठरी में ,.. .अंदर से बंद कर के , थोड़ा बहला फुसला के थोड़ा जबरदस्ती ,
नेकर सरका के निहुरा के ,...
बहुत चीखा चिल्लाया ,...
लेकिन ले ली इन्होने उसकी।
मैं एकदम सटी , अपने साजन का सर मैंने अपनी गोद में रख लिया था ,
... मेरे मुंह से निकल गया ' फिर ' ,
" फिर क्या ,... मैंने उसे धमकाया , अगर कॉलेज में किसी को बताया तो खुद बदनाम हो जाएगा ,...
उसका घर मेरे घर के रास्ते में पड़ता था , उसके घर वाले हमलोगों को जानते भी थे ,...
तो बस चार पांच दिन के बाद ,.... छोड़ने वाला तो आता था लेकिन लौटते हुए वो मेरी सायकिल के डंडे पर ,...
फिर तो कभी गन्ने के खेतमें ,
कभी अरहर तो कभी उसी आम के बाग़ में ,...
एक दिन तो उसके घर जब छोड़ने पहुंचा तो घर में कोई नहीं था ,
... तो उसके घर में ही , दो राउंड ,...
और उस दिन पहली बार उसे चुसवाया भी ,...
कुछ नहीं हुआ तो मेरे घर वो छुट्टी के दिन आ जाता था पढ़ने के बहाने , ...
और ,...
उन्होंने पूरा किस्सा सुना दिया।
और मारे ख़ुशी के मैंने और उनकी सास दोनों ने झुक के उन्हें चूम लिया।
" कब तक रहा वो तेरा लौंडा ,... "
मम्मी भी एकदम लड़कों की तरह कभी कभी , लेकिन उनके दामाद को यही अंदाज पसंद था ,....
" जलज ,... जलज नाम था उसका ,...
पन्दरह बीस दिन के अंदर ही कॉलेज में मशहूर हो गया की मैंने उसकी ले ली है , और वो मेरे खास लौंडे की तरह ,
लड़केउसके सामने ही बोलते ,... लेकिन वो बुरा नहीं मानता था ,... इंटर तक वो ,...
इंटर के बाद मेडिकल में चला गया ,... लेकिन जबतक वो कॉलेज में रहा ,...
कोई हफ्ता नागा नहीं गया होगा ,... "
" और आखिर बार ,... " मम्मी ने पूछा तो मैं काँप गयी।
दुहरा डर था मुझे , एक तो कहीं जो उन्होंने होली में मेरे किशोर, ११वें पढ़ने वाले ममेरे भाई चुन्नू की जो गाँड़ मारी थी , वो भी दो बार ,... वो मम्मी को ये बतायंगे कीनहीं और
दूसरा उससे भी ज्यादा ये की मम्मी कहीं बुरा न मान जाएँ की उन्होंने अपने साले को भी नहीं बख्शा ,...
लेकिन ,...
मम्मी को उन्होंने साफ साफ़ बता दिया की चुन्नू की उन्होंने होली के दिन , गांड मारी थी , दिन में भी और रात में भी ,...
ये भी की उस स्साले की एकदम कसी कोरी कुँवारी थी।
और मम्मी बजाय बुरा मानने के झुक के उन्होंने अपने दामाद का मुंह चूम लिया और
हचक के पांच छह करारे धक्के अपनी कमर उठा उठा के ,...
" भोंसड़ी के , पता नहीं मेरी समधिन ने किससे किससे चुदवा के
तुझे जना है , तेरे मामा से , या किसी गदहे घोड़े से , या कातिक में कुत्तों से ,...
लेकिन उस रंडी ने जना एकदम सही है , मेरी पसंद का दामाद। जानती हो , ( और अब मम्मी मुझसेबात कर रहीं थीं ) ,
... जब चुन्नू को तुझे लेने भेजा था मैंने न ,
तो बस यही मैं सोच रही थी , बहन के ससुराल कोई जाए , ... कोरा कुंवारा ,... और उसी तरह कहीं कोरा लौट आये तो ,...
मुझे पूरा विश्वास था की ,... "
और एक बार मम्मी ने झुक कर अपने दामाद की फेवरिट चीज ,
अपने गदराये जोबन उनके मुंह में दे कर ,...
वो चुसूर चुसूर अपनी सास की चूँची चूस रहे थे ,
और उनकी सास प्यार से उनके बाल सहलाते , उनकी तारीफ़ कर रही थीं ,
" सही किया तूने ,... चाहे ससुराल वाली या ससुराल वाला ,... छेद छेद में भेद करना कोई अच्छी बात थोड़े ही है। "
मैं भी बोल पड़ी ,...
भले ही मम्मी दल बदल कर अपने दामाद की ओर चली गयी हों ,
लेकिन मैं अपने ससुराल वालों की ,... मैंने जोड़ा
" मम्मी एकदम सही कह रही हैं आप। और चाहे इनके ससुराल वाले हों या मेरे ससुराल वाले ,... छेद छेद में ,... गोल छेद लम्बे छेद में आपके दामाद एकदम भेद नहीं करते। "
चिढ़ाया मैंने था ,
दामाद ने बदला अपनी सास से लिया ,...
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
16-04-2019, 07:53 AM
(This post was last modified: 14-09-2019, 09:37 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सास नीचे
चिढ़ाया मैंने था , दामाद ने बदला अपनी सास से लिया ,...
और अब सास नीचे , पीठ के बल ,
... दामाद ऊपर ,...
लेकिन मजाल है जो इंच भर भी इनका लौंड़ा अपनी सास की गाँड़ से बाहर सरका हो ,...
सास के घुटने उन्होंनेमोड़ दिए थे , दोनों हाथ सास की बड़ी बड़ी चूँचियों पर और धक्के पर धक्का
मंम्मी मेरी भी अब बात बंद कर सिर्फ चूतड़ उठा उठा के दामाद से गांड मरवाने का मजा ले रही थीं ,
... मम्मी का सर मेरी जांघों के बीच ,
मम्मी की एक चूँची मेरी हथेली में और दूसरी मेरे साजन के ,...
" अच्छा ये बोल ,... तुझे मेरी समधन की गांड मारने में ज्यादा मजा आया इसकी बुआ सास की ,... "
मम्मी ने मेरी ओर इशारा कर के पूछा ,.. और साथ ही मम्मी का एक हाथ अब मेरे उभार पर सहलाते दबाते ,
जवाब में उन्होंने हचक के चार पांच धक्के मारे और बोला ,
" मम्मी मैंने ४०- ४५ लौंडो की गांड तो मारी ही होंगी और २०-२२ लड़कियों , औरतों की लेकिन सच बताऊँ ,.. अगर आप बुरा न मानो तो ,... "
और ये चुप हो गए ,...
" बोल न यार ,... "
मम्मी ने दुलरा कर कहा।
" जिसकी गांड अभी मार रहा हूँ , न , ... सच में गांड मारने में उतना मजा आज तक कभी नहीं आया , सच में कभी नहीं ,... "
रुक कर हिचकिचाते वो बोले।
मम्मी खुसी से निहाल और मम्मी से ज्यादा मैं , मेरा सीना ५६ इंच का हो गया। मैं बोलते बोलते रह गयी आखिर मम्मी किसकी हैं।
और मेरी जांघों में जो मम्मी का सर था ,
मुड़ कर सीधे मेरी बुलबुल पर और कस कर मम्मी ने उसे चूम लिया।
लेकिन तब तक झुक कर उन्होंने मम्मी के कान में कुछ कहा , कान पार कर मैने सुन भी लिया ,
वो बोल रहे थे एकदम फुसफुसा के
" असल में सिवाय एक के ,... उसे तो देख के ही एकदम टनटना जाता है , हरदम मन करता है , बस निहुरा कर ठांस दूँ ,... उस के लिए तो मैं कुछ भी ,... "
और मेरे कान खड़े हो गए , ... कौन है वो , ...
उन्होंने बहुत हलके से मम्मी के कान में बोला , धीमे से मैंने सुना
लेकिन मम्मी के जवाब ने मामला साफ़ कर दिया , मम्मी का एक हाथ मेरे उभार पर था ही , खूब कस के मम्मी ने उसे दबा दिया और इनसे बोलीं ,
" आखिर बेटी किस की ,...है "
और अब जब उन्होंने मेरी आँखों में आखें डाली तो मैं शर्मा गयी ,..
पर इनकी सास शरमाने वाली नहीं थी ,.. उन्होंने साफ़ साफ़ पूछ लिया
" ये बोल , बेटी की बेटियां ,... "
( मम्मी के कान में उन्होंने बोला था सिवाय ,.. आपकी बेटी के )
एक पल के लिए तो वो थोड़ा हिचके लेकिन मम्मी तो गले में ऊँगली डाल के सच निकलवा लेती थीं , और उन्होंने बोल दिया ,
" मम्मी आपकी दोनों बेटियां , मेरी सालियाँ भी ,... "
" तो तेरा मन मंझली और छुटकी का पिछवाड़ा देखकर भी मचलता है , है न। "
उनकी सास ने साफ़ साफ़ पूछा ,
पर अब मैं बीच में कूद गयी , मंझली तो ठीक है लेकिन छुटकी वो भी ,... पिछवाड़ा ,...
" मम्मी , छुटकी तो अभी छोटी है ,.. अभी तो वो ,... "
मैंने अपना ऑब्जेक्शन लगाया।
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
16-04-2019, 07:55 AM
(This post was last modified: 14-09-2019, 11:09 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
छुटकी
" मम्मी , छुटकी तो अभी छोटी है ,.. अभी तो वो ,... "
मैंने अपना ऑब्जेक्शन लगाया।
मेरी बात को एकदम इग्नोर करके मम्मी ने सीधे अपने दामाद से पूछा ,
" वो क्या नाम बता रहे थे उसका , हाँ जलज , .... जिसकी तूने पहली बार आम के बाग़ में ली थी , किस क्लास में पढ़ता था वो जब उसकी फटी थी ,... "
" मम्मी आठवें में ,... "
वो जोरदार धक्के मम्मी की गांड में लगाते बोले ,...
" उसके , जलज के अलावा,... भी कभी तुमने किसी आठवें क्लास वाले की ली थी ,... "
वो कस कस के मम्मी के उभार भी दबा रहे थे , धक्के भी लगा रहे थे , बिना रुके बोले ,...
" मम्मी कम से कम दर्जन भर आठ वाले ,... और दो चार की तो मुझसे पहले ही फट चुकी थी। "
मम्मी एक पल के लिए रुकीं , मेरी ओर मुड़ कर गंभीरता से देखा और सीरियस हो के मुझसे पूछा ,
" और ये तेरी बहन , छुटकी किस क्लास में पढ़ती है ,... "
मैं समझ गयी थी , फिर भी बोली ,
[
"मम्मी अभी कुछ दिन पहले ही वो नौंवे में गयी है ,... "
इसका मतलब फैसला हो चुका है अब बेचारी छुटकी की गांड की लिख दी गयी है।
आने के पहले ही मैंने सुना था जो ये ननदोई जी मेरे ममेरे भाई से कह रहे थे ,... छुटकी के बारे में ,...
एक तो इन्होने ननदोई जी से वायदा कर लिया था की छुटकीके पिछवाड़े की सील ननदोई जी ही खोलेंगे ,...
और लम्बाई में तो नहीं लेकिन मोटाई में ननदोई जी का इनसे भी २० था ,...
और दूसरे मेरे भाई से इन्होने साफ़ साफ़ बोल दिया था की तेरी वो छुटकी बहन आएगी कोरी लेकिन जब जायेगी तो उसकी गांड का छेद रंडी के भोंसडे से भी ज्यादाचौड़ा हो जाएगा , और उसके मुंह से गालियां झड़ेंगी।
इनके मन की बात हो गयी थी और इस ख़ुशी में अपनी सास की गांड मारते मारते एक झटके में तीन उँगलियाँ उन्होंने सास की बिल में ठेल दिया ,
साथ में अंगूठा मम्मी की क्लिट पर ,...
मम्मी झड़ने के कगार पर , लेकिन तभी इन्होने कुछ बोल दिया की मम्मी एकदम अलफ़ , इतना गुस्से में मैंने उन्हें कभी देखा नहीं था ,...
उन्होंने मम्मी से सिर्फ यह कह दिया था की हम लोग छुटकी को अपने साथ ले जायँ , अभी उसकी छुट्टी चल रही है , कुछ दिन बाद वापस आ जायेगी।
बस मम्मी एकदम आग बबूला , सब प्यार व्यार एक पल में ख़तम ,
गुस्से से उन्हें देखते बोलीं , ...
छुटकी कौन लगती है तुम्हारी ,...
मैं भी एकदम सकते में आ गयी , ... कुछ समझ में नहीं आ रही थी बात ,... और वो भी , एक पल के लिए सहम गए
मैं इनके पीछे खड़ी अपने जोबन से इनके पीठ पर , ... लेकिन मैं भी रुक गयी
फिर धीमे से बोले ,
" मम्मी , मेरी साली ,... "
मम्मी अभी भी उसी तरह गुस्से में ,... बोलीं ,...
" तो ,... स्साली है न तुम्हारी "
" हाँ ,... " हलके से वो बोले।
" तूने मेरी इस बेटी की ली थी , इसकी गांड मारी थी तो मुझसे पूछा था क्या ,... " मेरी ओर इशारा कर के , उन्होंने उसी मूड में पूछा।
न उनकी समझ में आ रहा था न मेरी , लेकिन मम्मी ने अचानक खिंच के अपनी ओर कर लिया और कस के अपने दामाद के होंठ चूमती बोलीं ,
" तू रंडी का जना एकदम बेवकूफ है , ... अरे साली है तेरी , तो मुझसे क्यों पूछता है , ले जाओ न जो करना हो करो। अगर आगे से समझ ले , भँड़वे के जानेपैदायशी गंडुवे तूने कभी भी मेरी किसी बेटी के लिए मुझसे पुछा , कुछ भी ,...
और सिर्फ मुझसे नहीं , मेरी इस बेटी से भी पूछने की भी कोई जरुरत नहीं है ,
न ही उस छुटकी से ,...
समझ गए ,... अगर गलती से भी तुमने पूछ लिया न ,...
मेरा हाथ देख रहे हो , चूड़ी और कंगन सहित तेरी गांड में , कोहनी तक पेल दूंगी ,
तेरी वो छिनार माँ खालीभरौटी , चमरौटी में चुदवाती रहती थी , कुछ सिखाया नहीं तुझे। अरे न ससुराल में कुछ पूछा जाता है , न ससुराल वालियों से ,
ले जाओ न ,... और एक तरह सेअच्छा भी है , यहाँ मंझली के हाईकॉलेज के इम्तहान है उसे ही तंग करेगी , वहां रहेगी तो कुछ उसका भी मन ,... "
मारे ख़ुशी के उन्होंने वो हचक हचक के अपनी सास की गांड मारनी शुरू की और साथ में तीन उँगलियों से सास की बुर भी वो चोद रहे थे हचाहच ,...
लेकिन झड़ने के पहले मम्मी ने एक बात और दामाद को बता दी ,
" सुन लो कच्ची कली , चीखेगी चिल्लायेगी ,... खासतौर पर पिछवाड़े डालोगे तो ,... लेकिन मेरी बात गाँठ बाँध लो , ".....
गलती से मेरे मुंह से निकल गया ,
" मुंह बंद करना चाहिए , चीख निकलने न पाए , "
एकदम नहीं ,.... मम्मी ने मेरी बात काट दी।
" चीखने चिल्लाने दो , टेसू बहाने दो , गाल पर नमकीन नमकीन आंसू बहे तो बहने दो ,... अरे बाद में यही तो याद रहताहै पहली बार कितना दर्द हुआ है कैसे कस के फटी थी , ... और यही कह के उसे चिढ़ा सकते हो ,.. और एक बात कभी एकबार में नहीं ,...कितना भी दर्द हो रहा हो ,... कम से कम एक बार और ,... फिर हरदम के लिए दर्द , धड़क निकल जायेगी। "
मम्मी ने बात पूरी की।
सास -दामाद के विचार एकदम मिलते थे।
और फिर जो मेरे साजन ने हचक के गांड मारी , मम्मी की बुर तीन तीन ऊँगली से चोद चोद कर ,...
कुछ देर में जब मम्मी झड़ी तो साथ में वो भी ,
और सब मलाई , कटोरी भर से भी ज्यादा और सब मम्मी की गांड में ,
और हम तीनों वैसे ही निढाल , उनका खूंटा मम्मी के पिछवाड़े ही धंसा पड़ा रहा ,...
और हम तीनों वैसे ही ,...
सुबह के पहले एक राउंड और उनका हुआ, मम्मी के साथ।
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
16-04-2019, 08:00 AM
(This post was last modified: 14-09-2019, 11:28 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गुड मॉर्निंग
सुबह के पहले एक राउंड और उनका हुआ, मम्मी के साथ।
………………………………………………………………………………………
और जब सुबह की पहली किरण आ ही रही थी, मम्मी किर एक बार चेहरे पे बैठी, और वो जोर-जोर से मम्मी की ‘रसमलाई’ चूस रहे थे।
जितना मजा मम्मी को आ रहा था, उससे ज्यादा उनको आ रहा था।
मैं अधखुली आूँखों से देख रही थी, मम्मी कसमसा रही थीं -
“छोडो न, बस आ रही हूूँ अभी…”
वो जिद कर रही थीं
लेकिन उनकी पकड़ से कौन छूट सकता है।
“क्यों…”
शरारत से जान के भी उन्होंने पूछा।
“आ रही है बड़ी जोर से…”
“आने दीजिये न…”
“हो जायगी, जाने दो ना…”
“हो जाने दीजिये न…”
नटखट अंदाज में वो बोले और उनकी जीभ की टिप ठीक उसी जगह,
सुबह की सुनहली धूप छन-छन के पड़ रही थी, और मम्मी से नहीं रुका गया, एक फिर दो सुनहली बूँद
“अगर एक भी बूँद बाहर गयी न तो बहुत पीटूँगी …”
उन्होंने छेड़ा,
और फिर छल छल छल छल,… घल घल घल घल सुनहली शराब की धार
मैं कनखियों से देख रही थी और सोच रही थी , कल मम्मी ने अपने दामाद को जो बीयर पिलाई थी , उसमें भी तो आधे से ज्यादा ,
मम्मी की यही ' सुनहली शराब ' मिली थी , और आज फिर सुबह सुबह मम्मी ने अपने दामाद को ' गुड मॉर्निंग ' करा दिया।
लेकिन फिर मुझे याद आया मेरी होली की शुरुआत भी तो ,
मेरी सासू माँ ने बड़े से ग्लास में भरकर सुबह सुबह ,... और सिर्फ वही क्यों ,... मेरी सभी गाँव की रिश्तेकी सास ,
मेरी बड़ी ननद , यहां तक की जेठानी ने भी ,...
और मैंने भी तो अपनी कच्ची उम्र वाली सबसे छोटी ननद को दबोच कर , यही शरबत ,...
और गुटुर गुटुर वो सब गटक गयी थी।
और कुछ देर में वो दोनों लोग सो गए
एक दूसरे की बांहो में चिपके लपटे।
मैं उठ के किचेन में चली गयी, काम धाम के लिए
अगला दिन शुरू हो गया था।
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
23-04-2019, 07:20 AM
(This post was last modified: 29-09-2019, 11:58 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
नया दिन ,...नयी सालियाँ
दिन बस चढ़ना शुरू ही हुआ था। लेकिन आज काम भी काफी था।
थोड़ी देर में आज भी होली का हंगामा शुरू होने वाला था। घण्टे भर में मैंने चाय, नाश्ते का काम पूरा किया और खाने की तैयारी कर ली।
मम्मी और वो अभी भी सो रहे थे, उसी तरह लपटे
आज होली बजाय आँगन के, पीछे बगीचे में होनी थी। आँगन से सटा, आँगन का दरवाजा उसी बगीचे में खुलता था।
खूब घने 40-50 पेड़ रहे होंगे और पीछे की ओर दीवाल भी थी। बाहर से कुछ नहीं दिखता था। उसी में एक चहबच्चा था, कच्चा गड्ढा, ज्यादा गहरा नहीीं, लेकिन इनकी कमर से थोड़ा ऊपर और हम लोगों के सीने तक।
बस उसी में पानी भर के, और वहां एक नल भी था, मोटे होज के साथ, पेड़ों की सींचाई के काम आता था, …
तब तक छुटकी और रीतू भाभी आये।
छुटकी अपनी चाय लेकर, बगीचे में चली गयी, होली का इंतज़ाम देखने।
और मैंने रीतू भाभी को खिड़की से दिखाया।
मम्मी और वो कैसे लिपटे चिपटे ।
खूंटा अभी भी उनका , उनकी सास के अंदर जड़ तक धंसा , और हाथ सास के गदराये बड़े रसीले जोबन को दबोचे।
बड़ी मुश्किल से रीतू भाभी ने अपनी हंसी रोकी और उन दोनों लोगों के लिए बेड टी लेकर गयीं ,
लेकिन तब तक वो उठ गए थे और उन्होंने बोला की वो मेरे और रीतू भाभी के साथ किचेन में ही चाय पिएंगे ।
मैं, रीतू भाभी और वो किचेन में चाय पी रहे थे की रीतू भाभी ने
छुटकी के ‘उद्द्घाटन’ की बात छेड़ दी।
और बातों-बातों में उन्होंने ये बात मान ली की, कल जब उन्होंने छुटकी के साथ ट्राई किया था तो एकदम सूखे, सिर्फ थूक लगा के।
फिर तो मैं चढ़ गयी उनके ऊपर अपनी छोटी बहन की ओर से-
“अरे यार क्लास 9 में पढ़ने वाली लड़की है, एकदम कच्ची कली। ठीक से ऊँगली भी नहीं गयी होगी मेरी बहन की चुनमुनिया में , एकदम कच्ची कोरी , कसी । अच्छी तरह से वैसलीन लगा के ट्राई करते, दर्द तो हुआ ही होगा, और ऊपर से तुम्हारा मूसल भी, धमधूसर है…”
मैंने बोला।
लेककन रीतू भाभी भी अपनी नन्दोई की ओर से ही बोलीं -
“अरे यार जब तक पहली चुदायी में चरपराय नहीं , चीख चिल्लाहट न हो , , गोरे-गोरे गाल पे टप-टप आंसू न टपकें,
तीन दिन तक लौंडिया , टाँगे फैला के न चले तो पहली चुदाई क्या…”
बहुत बहस हुई।
किर ये तय हुआ की आज तिझरिया को, खाने के एक दो घंटे बाद, नंबर लगेगा।
मैंने लाख मना किया लेककन उनकी और रीतू भाभी की जिद की मैं भी वहां रहूं ,
मेरे सामने वो अपनी सबसे छोटी स्साली की सील तोड़ेंगे।
और मुझे मानना पड़ा।
हाूँ बस रीतू भाभी इतना मान गयीीं की उनके सुपाड़े पे,
लेकिन सिर्फ सुपाड़े पे वैसलीन लगेगी और वो भी रीतू भाभी अपने हाथ से लगाएंगी , जिससे ज्यादा न लगे।
रीतू भाभी का मानना था की बस एक बार सुपाड़ा घुस जाय,
फिर तो उनकी छुटकी ननदिया , मेरी सबसे छोटी बहन , ९वें में पढ़ने वाली छुटकी ,...
वो लाख चूतड़ पटके लण्ड तो पूरा घोटना ही होगा साल्ली को।
लेकिन उसके बदले रितु भाभी भी न , एकदम पक्की भौजाई , ....
उन्होंने दो शतें और रख दी,
आगे से नो वैसलीन।
आज रात जब छुटकी हमारे साथ जायेगी ट्रेन में तो बस ज्यादा से ज्यादा थूक,
और जब छुटकी के पिछवाड़े का बाजा बजेगा, उस किशोरी का,
तो बस.... एकदम सूखे।
किर वो तैयार होने चले गए. घंटे भर में उनकी सालियाँ जो आने वाली थी,
छुटकी की सहेलियां , उसके साथ नौवीं में पढ़ने वाली ,, होली खेलने।
और रीतू भाभी अपनी छोटी ननद की सहायता करने चली गयीं पिछवाड़े बगीचे में, होली की तैयारी करने के लिए।
मम्मी तैयार होकर किचेन में आ गयी थीीं और हम दोनों ने मिल के घण्टे भर में खाने का काम निपटा लिया दस बज गए थे।
और हंसती खिलखिलाती , धड़-धड़ाती दो उठती जवानियाँ , कच्ची कलियाँ , कच्चे टिकोरों वाली किशोरियां आ गयीं अबीर और गुलाल की तरह,रंगो की छरछराती पिचकारी की तरह, छुटकी की सहेलियां ‘उनकी’ सालियाँ
रीमा और लाली।
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
23-04-2019, 07:32 AM
(This post was last modified: 29-09-2019, 12:15 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रीमा और लाली
दस बज गए थे।
और हंसती खिलखिलाती , धड़धड़ाती दो उठती जवानियाँ , कच्ची कलियाँ , कच्चे टिकोरों वाली किशोरियां आ गयीं
अबीर और गुलाल की तरह,रंगो की छरछराती पिचकारी की तरह, छुटकी की सहेलियां
‘उनकी’ सालियाँ
रीमा और लाली।
दोनों के जोबन के उभार बस आना शुरू ही हुए थे। एक टाप और जींस में थी तो दूसरी टाप और स्कर्ट में।
रीमा टाप और जींस में थी और उसकी फिगर एकदम छुटकी सी थी।
बस थोड़े थोड़े बड़े-बड़े टिकोरे सलोने कचकचा के काटने लायक गाल और छोटे-छोटे लौंडो मार्का चूतड़,
लेकन थी वो एकदम हरी मिर्ची , देखने से ही चुदवासी लग रही थी।
और लीला,
टाप और स्कर्ट में, वो थी तो छुटकी के क्लास की ही लेकिन शायद उम्र में उससे थोड़ी बड़ी थी और फिगर में तो एकदम…
उसकी चूँचियाँ एकदम टॉप फाडू और चूतड़ भी भारी।
वो दोनों आयीं और होली शुरू हो गयी।
लेकन जैसा उन्होंने सोचा था, वैसा हुआ नहीं ।
पहली बाजी सालियों के हाथ में रही।
और बस इसलिए की जैसे हर भाभी छिनार होती हैं, रीतू भाभी भी छिनार थीं , बल्कि जब्बर छिनार ।
और उन्होंने बड़े से बड़े दलबदलू को भी मात कर दिया , सीधे पाला बदलकर, अपनी छोटी चुलबुली ननदों के साथ हो गयीं ।
तीन ननदें और एक वो, मेरी रीतू भौजी , इनकी सलहज , ...
सबके हिस्से में एक-एक हाथ, एक-एक पैर आया, और चारों ने गंगा डोली करके सीधे उसी रंग से भरे चहबच्चे में,
लेकिन वो डूबे तो साथ में सालियों को भी खिंच ले गए,
बस रीतू भाभी बची और वो मेरे साथ गड्ढे के किनारे बैठ के कभी एक पक्ष की हौसला अफजाई करतीं तो कभी दूसरे की।
और वो, उन्होंने रीमा को , टॉप जींस वाली को , कस के दबोच लिया था पीछे से।
उनके हाथ उसके पानी के अंदर , ढके बड़े-बड़े टिकोरों का मजा पहले ले रहे थे,
लेकिन होली हो, साली हो और जीजा और साली की मस्त उभरती चूची के बीच कोई टाप रहे, सख्त नाइंसाफी है।
और वो नाइंसाफी तो कत्तई नहीं बर्दाश्त कर सकते थे।
कुछ ही देर में, रीमा का छोटा सा टाप चहबच्चे के बाहर,
उनका जबरदस्त हेलीकाप्टर शाट, और बाउंड्री के बाहर, बैठी रीतू भाभी ने तुरंत कैच किया ।
ननदों के वस्त्र हरण में हर भाभी की तरह उन्हें भी मजा आ रहा था।
वो और रीमा अब छिछले हिस्से में आ गए थे।
और उनके हाथ के नीचे रीमा के दबे कुचले उरोज साफ़ दिख रहे थे।
रीमा की छोटी-छोटी चूची दबाने के साथ मटर के दाने के बराबर निपल को भी वो कभी पुल करते, कभी पिंच करते।
हमला उन पे भी हो रहा था।
दो-दो किशोरियाँ , कच्ची उमर वाली छुटकी और लीला उनके पीछे पड़ी ।
दोनों के हाथ में रंग और पेंट की काकटेल, छुटकी का हाथ उनके गाल पे डबल कोट काही, बैंगनी, लाल रंग पोतने में लगा था तो लीला और आगे, उसका एक हाथ ‘इनकी’ शार्ट के सीधे अंदर , पिछवाड़े और दूसरा हाथ इनके टी-शर्ट के अंदर ।
मैंने अपनी छोटी बहनों का साथ देने का फैसला किया।
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
23-04-2019, 07:42 AM
(This post was last modified: 04-10-2019, 03:15 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
स्साली : रीमा और लाली
हमला उन पे भी हो रहा था।
दो-दो किशोरियाँ , कच्ची उमर वाली छुटकी और लीला उनके पीछे पड़ी ।
दोनों के हाथ में रंग और पेंट की काकटेल, छुटकी का हाथ उनके गाल पे डबल कोट काही, बैंगनी, लाल रंग पोतने में लगा था
तो लीला और आगे, उसका एक हाथ ‘इनकी’ शार्ट के सीधे अंदर , पिछवाड़े और दूसरा हाथ इनके टी-शर्ट के अंदर ।
मैंने अपनी छोटी बहनों का साथ देने का फैसला किया।
मैंने वहीँ से छुटकी और लीला को इशारा किया और अगले पल रीमा की तरह वो भी टापलेस थे। और तीनों सालियों के शोर के बीच, चहबच्चे के बाहर उनकी
टी शर्ट मैंने कैच की।
वो टॉपलेस हो गए , लेकिन उनके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा।
वो उसी तरह अपनी प्यारी साली की, रीमा की नयी नयी आयी कच्ची ३० बी साइज़ की छोटी छोटी चूँचियाँ जोर-जोर से रगड़ते रहे, रंग पोतते रहे।
हाँ अब एक हाथ सरक के सीधे, छुटकी की सहेली , रीमा की जींस के ऊपर, पहले बटन, फिर ज़िपर , और उनका हाथ अंदर , .... और अगले पल रीमा की सिसकारियाँ चालू,
हम सब समझ गए थे की, भरतपुर पे, उसके जीजा की हथेली ने कब्जा जमा लिया है।
लेककन रीतू भाभी, पक्की छिनार उन्हें इतने से सन्तोष थोड़े ही था।
जब तक ननद पूरी तरह नंगी , एकदम निसूती न हो जाय,... तब तक क्या होली,
वहीँ से उन्होंने ललकारा, अरे नन्दोई जी
ज़रा मेरे ननद रानी की जींस इधर, मेरे पास…
लोग जोरू के गुलाम होते है, मेरे वो अपनी सलहज के गुलाम थे।
अगले ही पल रीमा की जींस , उन्होंने चहबच्चे के बाहर फेंकी और रीतू भाभी ने उछल के एक हाथ से लपक के लांग आन पे कैच कर लिया ।
और उसके बाद रीमा की पैंटी भी।
अब वो लोग , रीमा को दबोचे , मेरे ' वो ' आलमोस्ट किनारे पे आ गए थे।
•
Posts: 2,727
Threads: 13
Likes Received: 1,217 in 788 posts
Likes Given: 494
Joined: Jan 2019
Reputation:
47
23-04-2019, 07:45 AM
(This post was last modified: 04-10-2019, 03:44 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
लुट गया भरतपुर… साल्ली का, होली में,
और जिस तरह से रीमा सिसक रही थी, उचक रही थी।
उससे साफ़ था की कम से कम एक ऊूँगली जड़ तक धंस चुकी थी और दूसरी,
उनकी कुूँवारी, कच्ची कली साली के जादुई बटन को क्लिट को जोर-जोर से रगड़ दबा रही थी।
वहाूँ पर पानी रीमा की कमर के बराबर था।
मैंने मुश्कुरा के छुटकी और लाली इशारा ककया,
और दोनों ने मिल के अपने जीजू के शॉर्ट के साथ वही सलूक किया जो उन्होंने रीमा की जींस के साथ किया था। और उठाकर सीधे मेरी ओर
अबकी उनके शार्ट को कैच करने की जिम्मेदारी मेरी थी। मैं अपनी छोटी बहनों का साथ दे रही थी , और मैंने कैच कर लिया।
शेर पिंजड़े से बाहर आ गया था, लेकिन कब तक।
दो नटखट, नवल नवेली, नए आ रहे जोबन के जोर से मदमाती, दो सालियाँ छुटकी और लाली थी न उसे गिरफ्तार करने को।
पकड़ने , रगड़ने को।
दोनों मिल के उसे मुठिया रहीं थीं , रंग पोत रही थीं।
उन्होंने रीमा के कान में कुछ कहा और रीमा, चहबच्चे का किनारा पकड़ के झुक गयी,
मैं और रीतू भाभी, साूँस थामे, देख रहे थे। हमारी दिल की धड़कने बढ़ रही थी।
हमें मालूम था की असली होली तो अब शुरू होने वाली है।
मैंने छुटकी और उसकी सहेली लीला को इशारा किया , और वो धीमे से दूसरे किनारे से चुपचाप हलके से निकल आयीं ,
इन्हे रीमा के पास अकेले छोड़कर, और हमदोनों के पास बैठ के देखने लगीं ।
अंदाज तो उन दोनों कच्ची कलियों को भी था की अब बस उनकी सहेली की फटने वाली है।
वो और रीमा ऐसी जगह थे जहाूँ पानी एकदम छिछला था और ‘बहुत कुछ’ बल्कि ' सब कुछ ' दिख रहा था।
कुछ देर उन्होंने रीमा के उभरते उभारों को जोर जोर से मसला, अपनी टाींगों को अपनी कच्ची उमर की साली की लम्बी गोरी टांगों के बीच में डाल के अच्छी तरहफैलाया ,
और अपना हथियार , उसकी गुलाबी परी के सेंटर पे सेट किया ।
रीतू भाभी ने छेड़ते हुए अपनी दोनों कुूँवारी ननदों से कहा-
“ठीक से देख, अभी तुम दोनों की भी ऐसे फटेगी …”
उनकी उँगलियों की की बदमाशी और उनके खूंटे की गुलाबी परी पे रगड़, मस्ती के मारे रीमा की हालत ख़राब हो रही थी।
“करो न जीजू…”
उसके होंठों से सिसकियों के बीच निकल रहा था। वो कच्ची कली , दर्जा नौ में पढ़ने वाली उनकी कोरी स्साली , मस्ता रही थी ,गरमा रही थी ,
बस, उनसे ज्यादा कौन जानता था लोहा गरम करना, और… ठीक समय पर हथोड़ा मारना।
और उन्होंने हथोड़ा मार दिया ।
रीमा बहुत जोर से चीखी।
लेकिन न वो रुके न उन्होंने होंठ बंद किये उसके। बस एक धक्का और मारा फिर दूसरा, तीसरा,
और हर धक्का पहले से दूना जोर से…
और वो रीतू भाभी की ननद , छुटकी की सहेली , इनकी स्साली , कली से फूल बन गयी।
आज होली जानबूझ के इसलिए बगीचे में थी, की इन पेड़ों के बीच न तो सालियों की चीखें सुनायी देंगी न मस्ती की आवाज।
जितना चीखना
हों , चीखें मन भर के।
उन्होंने अब रीमा को पुचकारना, चूमना शुरू कर दिया । उनके हाथ उसके कच्चे टिकोरों को प्यार से दबा रहे थे, सहला रहे थे।
कुछ ही देर में दर्द भरी चीख, मजे की सिसकारियों में बदल गयी। रीमा भी अपने छोटे-छोटे नितम्ब पीछे की ओर पुश करने लगी।
और अब उनके धक्कों की रफ्तार दूनी हो गयी। मोटा खूंटा सटासट अंदर बाहर हो रहा था
. रीमा झुकी , निहुरी थी , और ये पूरी ताकत से अपनी साली कीचुनमुनिया में हचक हचक के ठेल रहे थे , पेल रहे थे।
और जहाँ हम बैठे थे वहां से रीमा की बुलबुल में उनका मोटा मूसल अंदर बाहर होता साफ़ साफ़ दिख रहा था।
छुटकी और लीला , मेरे और रीतू भाभी के साथ अपनी सहेली की फटने की , गपागप घोंटने की हाल देख रहे थे
मैंने कनखखयों से छुटकी और लीला की ओर देखा, हम दोनों से ज्यादा मजा उन दोनों को आ रहा था।
भाभी हों, और ननद नन्दोई हों और गालियां न हों,
रीतू भाभी चालू हो गयीीं
चोदा, चोदा, अरे हमरी नन्दी के बुर चोदा,
चोदा, चोदा।
कुछ आज चोदा, कुछ कालह चोदा, कुछ होली के बाद चोदा।
चोदा, चोदा।
रीमा के चोदा, लीला के चोदा, अरे छुटकी को सारी रात चोदा।
चोदा, चोदा।
जीजा साली रंगों में डूबे, नहाये, ‘असली होली’ का मजा ले रहे थे। गपागप ,सटासट
और जब उनकी मोटी बित्ते भर की पिचकारी ने सफ़ेद रंग छोड़ा, अपनी प्यारी साली की कच्ची चूत में, वो दो बार किनारे लग चुकी थी। थोड़ी देर तक वो दोनों ऐसेही चहबच्चे में पड़े रहे, खड़े खड़े।
और किर जब वो निकले , उनकी सालियों छुटकी और लीला ने उन्हें घेर लिया।
•
Posts: 19
Threads: 0
Likes Received: 10 in 6 posts
Likes Given: 0
Joined: May 2019
Reputation:
0
Kam se kam batana to chahiye, new forum ka address... this is not at all fair...we r waiting for u at some other place and u r here.. seriously..we r hurt..
•
|