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Misc. Erotica एक था राजा, एक थी दासी
#21
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#22
9
कुछ देर तक आराम करते करते, अचानक दासी को एक विचार आया की अगर वक्षकुमारी का कोई अपरहण कर ले और उन्हें फिर राजा लिंगवर्मा ढूँढ लाए और इस तरह वह राजकुमारी का दिल जीत ले तथा इससे योनपुर के राजा भी उनसे बहुत खुश हो जाएँगे और उनका विवाह राजकुमारी से आसानी से हो जाएगा और फिर उसने जब यह विचार राजा लिंगवर्मा को सुनाया तो वो बहुत खुश हो गये और उन्होंने तुरंत ही, रूपाली के होंठ चूम लिए और बोले – रूपाली, अगर यह योजना सफल होती है तो हम आपको धन में तोल देंगे और आपको जीवन भर, किसी के आगे झुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी… !!
रूपाली ने कहा – हाँ महाराज, मगर यह सब तब होगा ना जब राजकुमारी का अपहरण हो… !! मगर, वो तो कड़े पहरे में रहती हैं… !! और उनके रक्षकों की घेरे में सेंध लगाकर, उनका अपरहण करना बड़ा मुश्किल होगा… !!
यह सुन, राजा मुस्कुराया और बोला – यह सब, आप हम पर छोड़ दें… !! बस, हमें यह जानकारी आप दें की राजकुमारी किस किस समय, क्या क्या करती हैं… !! और आज ही रात को, हम वापस कामपुर जाएँगे और इस योजना के लिए काम प्रारंभ कर देंगे… !!
Ab aage
रूपाली बोली – महाराज, आप आज रात निकलेंगे तो फिर आज पूरे दिन आप कहा रुकेंगे, योनपुर में… !!
इस पर राजा बोला – यहाँ पर… !!
यह सुन, रूपाली थोड़ी सोच में पड़ गई।
यह देख, राजा बोला – क्यूँ आपको कोई परेशानी है, क्या… !! ??
रूपाली बोली – नहीं नहीं, महाराज… !! मुझे कोई परेशानी नहीं है… !! मगर, आप मुझ जैसे ग़रीब की कुटिया में… !! और फिर, मैं आपको क्या भोजन करा सकूँगी… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – नहीं, हमें यहाँ कोई परेशानी नहीं है… !! और हमने जो परेशानी आपको दी थी, उसके सामने तो यह कुछ भी नहीं… !! हम बस उसका प्रयाश्चित करना चाहते हैं… !!
रूपाली ने कहा – महाराज, भूल जाइए उस दिन को… !! जो आप मुझे दे रहे हैं उसके बदले में वो तो बहुत बड़ा सम्मान है… !! कृपया कर, अगर आप बुरा ना मानें तो आज के दिन के लिए, मुझे अपनी रानी बना लीजये… !!
राजा समझ गया की रूपाली चुदना चाह रही है, उसने कहा – क्यूँ नहीं… !! हम आपके लिए, इतना तो ज़रूर कर सकते हैं… !! और फिर राजा ने रूपाली को अपनी बाहों में ले लिया और उसका पूरे बदन को चूमने लगा और कभी उसके मुलायम होठों को चूसता तो कभी उसकी गर्दन के नीचे चूमता..
फिर, धीरे धीरे उसकी चूचियाँ चूसता और फिर और नीचे जाते हुए, उसकी नाभि को चूमते हुए उसकी चूत पर जाकर रुक गया और धीरे धीरे उसकी चूत को चूसने लगा।
रूपाली मदहोश होने लगी, वो हल्के हल्के मीठे दर्द के कारण, करहाने लगी।
राजा उसकी चूत के अंदर, अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा।
रूपाली, बिलकुल मदहोश हो गई।
फिर, राजा वापस उसके होठों को चूमने लगे और फिर अपने लंड को रूपाली की चूत पर रख एक ज़ोर का झटका दिया और रूपाली चीख पड़ी और राजा का लंड आधा, रूपाली की चूत में चला गया।
राजा थोड़ी देर रुका और दर्द से छटपटा रही, रूपाली के बदन को थोड़ा सहलाया और उसके होंठ चूम उसे संभाला और फिर दूसरा झटका दिया।
इसमें, रूपाली की और ज़ोर से चीख निकल गई।
राजा डर गया की कहीं आस पड़ोस वाले ना सुन लें.. यह सोच, उसने रूपाली के मुंह पर हाथ रख दिया और रूपाली की चीख तो दब गई.. मगर, उसकी आँख से आँसू छलक उठे..
फिर क्या था, जब वो संभाली तो राजा ने चुदाई का दौर आगे बड़ाया और लंड अंदर बाहर करने लगा..
पहले, धीरे धीरे और फिर तेज तेज… !! और रूपाली भी मदहोश सी हो गई और अपनी चुदाई का आनंद उठाने लगी… !! जो उसने, उस रात ना उठाया था… !!
उसकी सिसकारियों में, आज दर्द के जगह उतेजना थी और राजा उसकी सिसकारियों से और उतेज़ित हो रहा था और उसकी चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था.. तभी, रूपाली झड़ गई और थोड़ी देर बाद ही, राजा उसकी चूत में झड़ गया..
रूपाली, राजा से लिपट गई और राजा ने भी उसे दूर नहीं हटाया।
उसका लंड ढीला पड़ चुका था.. मगर, फिर भी रूपाली की चूत में ही था..
पूरे दिन, राजा ने रूपाली को कई बार चोदा और फिर रात के अंधेरे में, राजा कामपुर के लिए निकलने लगा।
उसने रूपाली को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसके होठों को चूमा और फिर उसके घर से विदाई ली और आधी रात्रि के बाद, वो वापस कामपुर आ गया और अपने कक्ष में जाकर उसने थोड़ी देर आराम किया।
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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#23
10
पहले, धीरे धीरे और फिर तेज तेज… !! और रूपाली भी मदहोश सी हो गई और अपनी चुदाई का आनंद उठाने लगी… !! जो उसने, उस रात ना उठाया था… !!
उसकी सिसकारियों में, आज दर्द के जगह उतेजना थी और राजा उसकी सिसकारियों से और उतेज़ित हो रहा था और उसकी चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था.. तभी, रूपाली झड़ गई और थोड़ी देर बाद ही, राजा उसकी चूत में झड़ गया..
रूपाली, राजा से लिपट गई और राजा ने भी उसे दूर नहीं हटाया।
उसका लंड ढीला पड़ चुका था.. मगर, फिर भी रूपाली की चूत में ही था..
पूरे दिन, राजा ने रूपाली को कई बार चोदा और फिर रात के अंधेरे में, राजा कामपुर के लिए निकलने लगा।
उसने रूपाली को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसके होठों को चूमा और फिर उसके घर से विदाई ली और आधी रात्रि के बाद, वो वापस कामपुर आ गया और अपने कक्ष में जाकर उसने थोड़ी देर आराम किया।
Ab aage
प्रातः काल ही, उसने अपना एक गुप्तचर बुलाया और उससे सारी योजना समझाई और फिर उसने उससे कहा की यह कार्य, आपको ही करना है… !! आपको इसके लिए, जो सैनिक चाहिए, आप अपने आप चुन सकते हैं… !! मगर, इस योजना की जानकारी, सिर्फ़ आपको ही होनी चाहिए… !! इसकी खबर कामपुर और योनपुर में किसी को नहीं चलनी चाहिए… !! अगर, किसी स्थिति में योजना विफल हो जाए और आप सब पकड़े जाएँ तो भी आप लोग हमारा नाम नहीं लेंगे… !! इसके बदले, हम आप के परिवार की हम पूरी जिम्मेदारी लेंगे और उनका पूरा ध्यान रखेंगे और अगर, यह योजना सफल होगी तो हम आप सब को सोने में तोल देंगे… !!
गुप्तचर ने कहा – महाराज, आप चिंता ना करें… !! मैं कसम लेता हूँ की मैं किसी भी तरह, इस योजना को विफल नहीं होने दूँगा और अगर, होती भी है तो इसमें आपका नाम कही नहीं आएगा… !!
यह सुन, राजा बड़ा खुश हुआ।
उसने गुप्तचर से कहा की वहाँ पर एक दासी है, रूपाली… !! जो राजकुमारी की प्रमुख दासी है और वो ही आपको जानकारी देगी की आपको राजकुमारी का अपरहण कब और कहाँ से करना होगा… !!
गुप्तचर बोला – जी, ठीक है… !! महाराज, अब मुझे आज्ञा दें… !! अब मुझे इस योजना के लिए, आदमियों का चयन करने जाना है… !!
राजा बोला – हाँ, आप जाइए और आपको जो सही लगे वो सैनिक चुन लीजिए… !!
गुप्तचर ने कहा – महाराज, मैं इस क्रिया के लिए सैनिक नहीं चाहता… !! मुझे कृपया कर, वो चार डाकू चाहिए जो बंदीग्रह में बंदी हैं… !!
राजा, थोड़ी सोच में पड़ गया।
फिर, उसने बोला की आपको उन पर पूरा भरोसा तो है ना… !!
गुप्तचर बोला – हाँ महाराज… !! मैं उन्हें जानता हूँ… !! वो धन के लिए, कुछ भी कर सकते हैं और कितने भी बड़े कार्य को आसानी से कर सकते हैं… !!
राजा बोला – ठीक है… !! आपको, उन पर भरोसा है तो उनको चुन सकते हैं… !! मगर, ध्यान रहे इसमें राजकुमारी को कुछ नहीं होना चाहिए… !! उनका अपरहण करते समय, उन्हें कोई चोट या उनके साथ कोई ग़लत हरकत नहीं होनी चाहिए… !! समझे आप… !!
गुप्तचर बोला – आप निश्चिंत रहें, महाराज… !! इस बात का, मैं पूरा ध्यान रखूँगा… !!
फिर गुप्तचर, उस दिन रात को उन चार डाकू के साथ योनपुर के लिए रवाना हो गया और सुबह होते ही, वो लोग योनपुर में पहुँच गये।
फिर राजा ने जैसा गुप्तचर को बताया था की रूपाली से संपर्क करे, वैसा ही उसने किया।
सुबह, जब गुप्तचर रूपाली के घर पहुँचा तो रूपाली महल के लिए रवाना हो ही रही थी।
गुप्तचर ने रूपाली से मिलकर, उसे राजा लिंगवर्मा की सारी योजना बताई।
रूपाली ने गुप्तचर को कहा की वो जब संध्या को महल से लौटेगी, तब उसे वक्षकुमारी का अपरहण, कब किया जा सकता है यह बताएगी… !! और फिर जब शाम को रूपाली वापस आई तो उसने गुप्तचर को कहा की कल रात्रि काल में, वक्षकुमारी का आसानी से अपरहण हो सकता है… !! क्यूंकी, कल नगर में योनपुर के राजा के चचेरे भाई के जनमदिन का उत्सव है और सारे पहरेदार उस उत्सव की देख रेख में रहेंगे और वक्षकुमारी भी उस उत्सव के लिए अपने महल से बाहर आएँगी… !! बस, तुम्हें वक्षकुमारी के दो निजी अंगरक्षकों को संभालना होगा… !! बाकी सिपाहियों का ध्यान, मैं भटका लूँगी… !!
गुप्तचर बोला – उनकी चिंता, आप ना करें… !! कल, उनकी जगह (उसने डाकुओं की तरफ इशारा करते हुए) यह जायेंगें… !! बस आप मुझे बताएँ, वो दो अंगरक्षक दिखते कैसे हैं और वो लोग रहते कहाँ हैं… !!
रूपाली ने गुप्तचर को उन दोनों का पूरा हुलिया बताया और साथ ही, वो कहाँ रहते हैं यह बताया।
गुप्तचर और चारों डाकुओं ने जाकर, उन दोनों अंगरक्षकों को उन्हीं के घर में बंदी बना दिया और फिर गुप्तचर ने चारों डाकुओं में से, दो उन दोनों अंगरक्षक के लगभग समान कद के डाकू चुने और उन्हें बिलकुल उन दोनों अंगरक्षकों के समान तैयार कर, सुबह सुबह ही महल के लिए रवाना कर दिया और फिर वो दोनों डाकू वक्षकुमारी के महल पहुँच उन दोनों अंगरक्षकों की तरह जाकर तैनात हो गये।
जब रात्रि काल में, वक्षकुमारी उत्सव के लिए निकली तो दोनों डाकुओं ने जो अब अंगरक्षक थे, अपने साथियों को इशारा कर दिया।
अब बस दासी रूपाली को, वक्षकुमारी के पास से सारे पहरेदार हटाने थे और जब राजकुमारी उत्सव में पहुँची तो दासी रूपाली उनके साथ ही खड़ी हो गई और फिर उसने धीरे से एक अंगरक्षक से कहा की मैं पहरेदारों को यहाँ से हटाकर, इशारा करूँगी… !! तभी तुम, राजकुमारी का अपरहण कर लेना… !!
उसने हाँ में सिर हिला दिया और फिर, रूपाली बहाने से एक एक कर हर पहेरेदार को वहाँ से हटाती रही और फिर अंत में, जब कोई पहरेदार राजकुमारी के आस पास नहीं बचा तब रूपाली ने दोनों अंगरक्षकों को इशारा कर बता दिया की कोई पहरेदार अब रूपाली के पास नहीं है।
इशारा मिलते ही… !! … !!
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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#24
11
जब रात्रि काल में, वक्षकुमारी उत्सव के लिए निकली तो दोनों डाकुओं ने जो अब अंगरक्षक थे, अपने साथियों को इशारा कर दिया।
अब बस दासी रूपाली को, वक्षकुमारी के पास से सारे पहरेदार हटाने थे और जब राजकुमारी उत्सव में पहुँची तो दासी रूपाली उनके साथ ही खड़ी हो गई और फिर उसने धीरे से एक अंगरक्षक से कहा की मैं पहरेदारों को यहाँ से हटाकर, इशारा करूँगी… !! तभी तुम, राजकुमारी का अपरहण कर लेना… !!
उसने हाँ में सिर हिला दिया और फिर, रूपाली बहाने से एक एक कर हर पहेरेदार को वहाँ से हटाती रही और फिर अंत में, जब कोई पहरेदार राजकुमारी के आस पास नहीं बचा तब रूपाली ने दोनों अंगरक्षकों को इशारा कर बता दिया की कोई पहरेदार अब रूपाली के पास नहीं है।
Ab aage
इशारा मिलते ही, एक अंगरक्षक ने तुरंत ही बेहोशी की दवाई के कपड़े से राजकुमारी का मुंह दबा दिया।
राजकुमारी चिल्ला पाती, उससे पहले वो बेहोश हो गई और फिर दोनों अंगरक्षकों ने चुपके से राजकुमारी की जगह एक राजकुमारी के समान वस्त्र पहना हुआ, पुतला बिठा दिया।
फिर, चुपके चुपके दोनों वक्षकुमारी को उत्सव से बाहर ले आए और फिर दोनों ने एक बैलगाड़ी में राजकुमारी को लेटा दिया और बैलगाड़ी चलाते हुए, योनपुर की सीमा पर आ गये।
वहाँ पर, गुप्तचर और दो डाकू उन दोनों का इंतेज़ार कर रहे थे।
गुप्तचर ने, दोनों डाकुओं को शाबाशी देते हुए कहा – अब तुम लोग, घोड़े पर चलो… !! बैलगाड़ी, मैं लेकर आता हूँ… !!
फिर गुप्तचर ने बैल की लगाम अपने हाथ में ली और अंधेरे जंगल में चल दिया और फिर वो सब एक गुफा के पास आकर रुके और फिर गुप्तचर ने वक्षकुमारी को अपनी गोद में उठाकर, गुफा के अंदर ले गया और उन्हें एक खंभे से बाँध दिया।
गुप्तचर ने सोचा की अगर, वो महाराज को योजना के सफल होने का समाचार देने गया तो पता नहीं पीछे से यह चारों डाकू राजकुमारी के साथ कुछ कर ना दे.. इसलिए, उसने थोडा सोचा और फिर एक डाकू की और इशारा कर बोला की जाओ, तुम जाकर महाराज को बताओ की योजना सफल रही… !!
डाकू क्या करता, वो चल दिया राजा को सूचना बताने।
जब डाकू ने राजा को यह सूचना दी तो राजा फूला ना समाया..
उसने तुरंत, वक्षकुमारी को देखने की इच्छा प्रकट की और इधर रूपाली ने योजना अनुसार, नगर में हल्ला मचा दिया की राजकुमारी का अपरहण हो गया है।
वहाँ योनपुर के महाराज को जब यह सूचना मिली तो वो स्तब्ध रह गये और राजकुमारी की मां, फुट फुट के रोने लगी।
योनपुर के महाराज ने, तुरंत अपने सैनिकों और गुप्तचरों को, वक्षकुमारी की तलाश में लगा दिया और साथ ही, गुप्तचरों से कहा की वो पड़ोसी राज्य के राजाओ को खबर दे दें और उनसे हमारी मदद के लिए प्राथना करें।
उधर, राजा लिंगवर्मा उस गुफा के पास पहुँचा, जहाँ डाकुओं ने वक्षकुमारी को रखा था।
वो जब अंदर गया, तब राजकुमारी को बँधा देख उसे बड़ी खुशी हुई.. मगर, राजकुमारी तब भी बेहोश थी..
फिर, राजा ने गुप्तचर को बुलाकर उसके काम के लिए शाबाशी दी और उसे 1000 स्वर्ण मुद्रा भेंट करीं.. जो उसके और उसके साथी डाकुओं के लिए, इनाम था..
अब उसने गुप्तचर से कहा की राजकुमारी, बिलकुल ठीक है ना… !!
तो गुप्तचर ने बताया – हाँ, महाराज… !! राजकुमारी, बिलकुल ठीक हैं… !! बस, बेहोश हैं… !! कुछ देर में, होश में आ जाएँगी… !!
उसने कहा की ठीक है, अब आप लोग राजकुमारी के सारे वस्त्र उतार कर, उन्हें नग्न कर दें और उनको चोदने के सिवा जो करना चाहें, वो आप उनके साथ कर सकते हैं… !!
यह सुन, गुप्तचर और डाकू चौंक गये..
तब गुप्तचर ने कहा – महाराज, आप यह क्या कह रहे हैं… !! यह तो, हमारी होने वाली महारानी हैं और हम कैसे इन्हें नग्न कर सकते हैं… !!
तब राजा ने, नाराज़ होते हुए कहा – गुप्तचर, आप से जितना कहा है, उतना करें… !! बस, ध्यान रहे की आप में से कोई उन्हें चोदेगा नहीं, समझे की नहीं… !!
बिचारा गुप्तचर क्या करता, उसने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा – जैसी आपकी आज्ञा, महाराज… !!
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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#25
12
ठीक है, अब आप लोग राजकुमारी के सारे वस्त्र उतार कर, उन्हें नग्न कर दें और उनको चोदने के सिवा जो करना चाहें, वो आप उनके साथ कर सकते हैं… !!
यह सुन, गुप्तचर और डाकू चौंक गये..
तब गुप्तचर ने कहा – महाराज, आप यह क्या कह रहे हैं… !! यह तो, हमारी होने वाली महारानी हैं और हम कैसे इन्हें नग्न कर सकते हैं… !!
तब राजा ने, नाराज़ होते हुए कहा – गुप्तचर, आप से जितना कहा है, उतना करें… !! बस, ध्यान रहे की आप में से कोई उन्हें चोदेगा नहीं, समझे की नहीं… !!
बिचारा गुप्तचर क्या करता, उसने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा – जैसी आपकी आज्ञा, महाराज… !!
Ab aage
डाकू तो बहुत खुश हो गये की उन्हें अब एक कुँवारी लड़की का बदन छूने को मिलेगा और फिर राजा एक अंधेरे कोने में जाकर, बैठ गया की कोई उसे देख ना पाए और डाकुओं ने राजकुमारी के वस्त्र खोलने शुरू कर दिए।
शरीर पर अनजान स्पर्श पाकर, राजकुमारी भी होश में आने लगी और उसे महसूस हुआ की कोई उसकी चोली को खोल रहा है.. ..
इस स्पर्श को पाकर, उसने अपने हाथ से उसके हाथ हटाने का प्रयास किया.. मगर, उसके हाथ बँधे होने के कारण, वो हाथ हिला ना पाई।
राजकुमारी ने जैसे ही सामने देखा तो चार नकाब पहने, आदमी उसके बदन से वस्त्र खोलने में लगे थे और उसे तब पता चला की उसका अपरहण हो गया है और वो चिल्ला उठी – बचाओ… !! बचाओ… !!
मगर, उस अंधेरी गुफा मे कौन उसकी चीख सुनता और इतने में पहले डाकू ने उसकी चोली खोल, उसके चूचे निर्वस्त्र कर दिए।
उसके गोरे गोरे, गोल गोल और बड़े बड़े चूचे देख, सब स्तब्ध रह गये।
फिर दो डाकू, उसकी दोनों चुचियों को पकड़ उन्हें दबाने लगे और उसके घाघरे के नाडे को खोलने लगे और जैसे ही नाडा खुला घागरा सरकता हुआ, राजकुमारी के पंजों तक उतर गया और उसकी चूत भी नंगी हो चली और डाकुओं ने उसे राजा की और मोड़ा और उसकी चूत दिखाई..
वो बड़ी छोटी और चिकनी थी, उसकी चूत के होंठ गुलाबी थे और फिर डाकुओं ने उसे उल्टा कर उसके गोल गोल और गोरे गोरे चुत्तड़ राजा को दिखाए..
यह देख, राजा भी उतेज़ित हो गया और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया।
अब वक्षकुमारी बिलकुल नग्न हो चुकी थी और तीनों डाकू और गुप्तचर उसके बदन के हर अंग को छू रहे थे और राजकुमारी बस चिल्ला रही थी, अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए।
उसका चिल्लाना, राजा को और उत्तेजित कर रहा था और राजा अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा।
फिर, एक डाकू ने राजकुमारी की सुडोल चुत्तडों को चूमना शुरू कर दिया और एक उसकी चूत चूसने लगा तो बाकी उसकी चूचों को दबाने और चूचियाँ चूसने लगे।
राजकुमारी भी चिल्ला चिल्ला के हार चुकी थी और उसे पता चल गया था की उसे इधर, कोई बचाने नहीं आएगा।
राजकुमारी की चूत में, जब भी डाकू अपनी जीभ डालता तो वो पूरी कांप उठती और उसके मुंह से – उन्ह म्ह आ न्ह आ आ आ ह ह या न्ह इ स्स म्ह्ह्ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… !! की सिसकारियाँ निकल पड़ती।
इधर, दूसरा डाकू उसकी गाण्ड को अब अपनी उंगली से टटोलने लगा और गाण्ड पर जैसे उसकी उंगली टकराई तो राजकुमारी एक दम सरसारा उठी और अपनी गाण्ड आगे कर डाकू की उंगली से दूर की तो उसकी चूत में दूसरे डाकू की उंगली थोड़े अंदर तक चली गई और उसकी कुँवारी चूत को जब उंगली का स्पर्श पता चला तो उसने अपनी चूत पीछे खींची तो फिर उसकी गाण्ड में पीछे खड़े डाकू की उंगली हल्की घुस गई और फिर राजकुमारी को गाण्ड में उंगली महसूस हुई तो फिर उसने अपनी गाण्ड आगे कर दी और फिर उसकी चूत में आगे खड़े डाकू की उंगली घुस गई..
यह देख, सब ज़ोर ज़ोर से हंस पड़े.. मगर, राजकुमारी की आँखों से तो आँसू टपक रहे थे और वो उन लोगों से बोली – कृपया कर, हमारे साथ यह सब ना करें… !! हमारे पिताजी, आपको मुंह माँगा धन देंगे… !!
तब उनमें से, एक डाकू बोला – हमने धन तो बहुत कमाया है.. मगर, ऐसा बदन कहाँ मिलेगा… !! और फिर उस डाकू ने राजकुमारी की चूचियाँ चूसना शुरू कर दिया..
अब राजकुमारी समझ गई की आज उसकी इज़्ज़त नहीं बचेगी, इन डाकुओं से।
तभी राजा झड़ गया और फिर उसने गुप्तचर को इशारा कर बुलाया।
बेचारे का मन नहीं था की राजकुमारी की चूचियाँ छोड़े.. मगर, राजा का आदेश था तो छोड़ राजा के पास आया और बोला – कहिए महाराज… !! अब क्या आज्ञा है… !!
राजा बोला – अब आप पता करने जाइए की क्या, कोई संदेश आया योनपुर से… !! ??
गुप्तचर, तुरंत गुफा से निकल पता करने गया की कोई संदेश आया की नहीं और कुछ ही देर में, सूचना लेकर आया की योनपुर के राजा ने कामपुर से भी मदद माँगी है..
यह सुन, राजा ने खुशी जताई और बोला की आप इन डाकुओं को यही छोड़ हमारे साथ आएँ… !!
फिर राजा ने गुप्तचर को बताया की अगर, उन्हें अपनी योजना को पूरा करना है तो इन डाकुओं को मारना होगा… !!
जल्द ही, इस कहानी का अंतिम भाग..
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#26
13
बेचारे का मन नहीं था की राजकुमारी की चूचियाँ छोड़े.. मगर, राजा का आदेश था तो छोड़ राजा के पास आया और बोला – कहिए महाराज… !! अब क्या आज्ञा है… !!
राजा बोला – अब आप पता करने जाइए की क्या, कोई संदेश आया योनपुर से… !! ??
गुप्तचर, तुरंत गुफा से निकल पता करने गया की कोई संदेश आया की नहीं और कुछ ही देर में, सूचना लेकर आया की योनपुर के राजा ने कामपुर से भी मदद माँगी है..
यह सुन, राजा ने खुशी जताई और बोला की आप इन डाकुओं को यही छोड़ हमारे साथ आएँ… !!
फिर राजा ने गुप्तचर को बताया की अगर, उन्हें अपनी योजना को पूरा करना है तो इन डाकुओं को मारना होगा… !!
Ab aage
गुप्तचर ने बोला, क्यूँ महाराज?
तो वो बोले की हमें राजकुमारी की नज़र में नायक बनना है… हम इन तीनों को मार, राजकुमारी को अकेले बचा लाएँगा और उन्हें योनपुर के राजा के हाथ सोप देंगे…
वहाँ डाकू, अब पागल हो गये थे और जब उन्होंने गुप्तचर और राजा को बाहर जाता देखा तो सोचा की अगर अब वो राजकुमारी को चोद भी दें तो कौन उन्हें रोक लेगा..
यह सोच, वो सब भी निवस्त्र होकर, अपने तने हुए लण्ड राजकुमारी की और लेकर बड़े.
राजकुमारी, उनके बड़े बड़े लण्ड को देख डर गई की कहाँ उनकी कुँवारी चूत इनमें से एक लण्ड भी बर्दास्त नहीं कर सकती और कहाँ उसे इन तीनों से चुदवाना पड़ेगा और राजकुमारी उन तीनों से दया माँगने लगी की उसे छोड़ दें और ना चोदे.. मगर, अब कहाँ किसी की सुनने वाले थे और एक डाकू ने राजकुमारी की रस्सी, थोड़ी ढीली कर बोला – अगर, प्यार से चुदना चाहती है और चाहती है की ज़यादा दर्द ना हो तो हमारे लण्ड बारी बारी से चूस…
वो बेचारी, अब कुछ नहीं कर सकती थी और दर्द से बचने के लिए उसने अपना मुंह खोला और पहले डाकू के लण्ड को चूसने के लिए बड़ाया.. तभी, अचानक राजा लिंगवर्मा ने प्रवेश किया..
राजकुमारी ने जब राजा को आता देखा तो वो बहुत खुश हो गई और चिल्लाने लगी – महाराज, हमें बचाएँ… महाराज हमें बचाएँ…
और डाकू कुछ समझ पाते, इससे पहले राजा और गुप्तचर ने उनके पेट में तलवारे घुसेड दी, जिसमें से दो डाकू तो तुरंत मर गये.. मगर, एक ने राजा की और इशारा कार राजकुमारी से अंतिम शब्द कहे – धोका…
मगर, राजकुमारी को उस समय कुछ समझ ना आया और वो बहुत खुश थी की उसकी इज़्ज़त बच गई..
फिर, उसे समझ में आया की वो राजा और गुप्तचर के सामने नंगी खड़ी है तो वो अपने पैरों को हल्का सा उठा कर अपनी चूत छुपाने लगी, तभी राजा ने इशारा कार गुप्तचर को बाहर भेज दिया और राजकुमारी के पास आकर बोला – घबराए नहीं, राजकुमारी… अब आप सुरक्षित हैं… और फिर राजकुमारी की रस्सी खोल, उन्हें आज़ाद किया..
राजकुमारी, तुरंत राजा के पैरों में गिर गईं और बोली – महाराज, हमें क्षमा करें… हमने आपको विवाह को ना बोला, फिर भी आप हमें बचाने आए…
राजा के मुंह पर सियार सी मुस्कुराहट आ गई और फिर उसने राजकुमारी को उठाया और बोला – नहीं, यह हमारा फर्ज़ था… आपने को जो अच्छा लगा, वो आपने समय किया था… इसमें, आपकी कोई ग़लती नहीं है… और फिर राजा ने राजकुमारी के घाघरा चोली, उठा कर राजकुमारी को दिए और बोला की आप वस्त्र पहने और बाहर आ जाएँ… फिर, हम आपको आपके महल सुरक्षित पहुँचा देंगे…
राजकुमारी ने अपने घाघरा चोली लिए और राजा गुफा के बाहर चला गया और फिर कुछ देर में राजकुमारी कपड़े पहने बाहर आ गई।
राजा ने उसे अपने घोड़े पर बिठाया और योनपुर चल दिया और जब उसने योनपुर के महाराज को उनकी बेटी लौटाई तो वो खुशी से पागल हो गये और राजा के पैर पर गिर गये.. मगर, राजा ने उन्हें उठाया और बोला – महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं… हम तो पड़ोसी राजा है… और यह तो हमारा कर्तव्य था की आपकी मुसीबत में, आपकी मदद करें…
योनपुर का राजा बोला – नहीं, यह तो आपकी माहानता है जो इतना बड़ा काम कर के भी आप इसे अपना कर्तव्या बता रहे हैं… नहीं तो हम तो राजकुमारी के वापस मिलने की उम्मीद ही त्याग चुके थे…
अब राजा ने योनपुर के राजा से कहा – नहीं, महाराज आप बेहद खुश हैं, इसलिए बड़ा चड़ा कर हमारी तारीफ़ कर रहे हैं… अच्छा महाराज, हमें क्षमा करें, हमें हमारे राज्य वापस जाना होगा…
इतने में वक्षकुमारी बोल पड़ी – अरे, आप इतनी जल्दी कैसे जा सकते हैं… आपने तो हमारी जान बचाई है… आज हमें अपने सत्कार का मौका दे..
राजकुमारी की बात पर योनपुर के महाराज ने भी राजा से निवेदन किया.. मगर, उसने रुकने से मना कर दिया और योनपुर के राजा से विदाई लेकर, वापस अपने राज्य के लिए रवाना हो गया और इस तरह वो राजकुमारी की निगाह में “महानायक” बन गया.. ..
समाप्त
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#27
Ha .....lekin is ke bad bi to continue karo bhai
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#28
Kuchh aur raj kamariya ...sasi ...ladhai ....takat shakti aise kuchh dal ke continue karo na bhai
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#29
osssssum
[+] 1 user Likes vbhurke's post
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#30
(03-02-2021, 02:07 AM)vbhurke Wrote: osssssum

शुक्रिया भाई
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#31
एक था राजा नहीं एक थी रानी होट पॉइन्ट ऑफ दिस स्टोरी
[+] 1 user Likes Dani Daniels's post
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#32
shandaar kahani yourock
[+] 1 user Likes akashkx11's post
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#33
(26-02-2021, 10:05 PM)akashkx11 Wrote: shandaar kahani yourock

thanks bhai
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