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Adultery हार तरफ चुत हि चुत (BIG & HOT STORY)
#61
मैने कहा आओ ज़रा थोड़ा सा घूम फिर कर आते है तो सोफीया बोली अभी मुझे थोड़ा सा काम है तो शाम को चलते है मैने कहा ठीक है , फिर मैं भी अपनी पॅकिंग करने लग गया उसके बाद मैने सोचा की थोड़ी सी पूछताछ कर लेता हूँ हालाँकि मुझे उस चीज़ का ऑर्डर नही था पर ऐसे ही मेरे मन मे आया तो मैं दूसरे रूम मे गया और कुर्सी पर बैठ गया



मैने कहा हाँ तो भाई , चल अब फटाफट से बता दे कि तूने डिपार्टमेंट से गद्दारी क्यो की और क्या क्या इन्फर्मेशन उन लोगो से शेअर की पर ये जो एजेंट्सद होते है ना ये बड़े ही ढीठ होते है अब जो आसानी से मूह खोल दे वो साला कलंक ही है एजेंट के नाम पर तो मैने कहा ठीक है भाई मत बता पर तुझे भी अब पता तो है ही कि जो तेरे साथ बीतेगी तो भी वो कुछ ना बोला



मेरे मन मे तो आया कि इसकी गान्ड तोड़ दूं पर फिर जाने दिया , तो लंच करके मैं सो गया तो शाम को सोफी ने ही उठाया और कहा कि कितना सोते हो तुम मैने कहा यार आजकल तो नींद ही पूरी नही होती है वो मुझे ड्रिंक देते हुए बोली ये लो और रेडी हो जाओ हम लोग बाहर रहे है तो मैने कहा पर यहाँ इन कमिनो की सेक़ुरिटी तो वो बोली डॉन’ट वरी आइ विल मॅनेज ऑल थिंग्स



तो करीब घंटे भर बाद हम लोग बीच के लिए निकल पड़े शाम हो रही थी बड़ी मस्तानी हवा चल रही थी वाइट टॉप और ब्लू जीन्स मे सोफी बड़ी ही कमाल लग रही थी उसकी मोटी टाँगे जीन्स मे क़ैद बड़ी ही कातिल लग रही थी मैने कहा आज तो बड़ी ही हॉट लग रही हो तो वो ब्लश करने लगी कार ड्राइव करते हुवे मैं उसकी थाइस को रब करने लगा तो वो बोली ड्राइविंग पर ध्यान दो ना



पर मैं पूरे मूड मे था उस से छेड़खानी करने के तो मैने अपनी पॅंट की ज़िप को खोला और अपने टूल को बाहर निकाल लिया और सोफी का हाथ उसपर रख दिया तो वो बोली कही भी शुरू हो जाते हो मैने कहा जब साथ मे इतना हॉट पीस हो तो कंट्रोल करना मुश्किल होता है वो मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबाने लगी उसके गरम हाथो के स्पर्श से लंड मे जान आने लगी तो वो जल्दी ही खड़ा हो गया



मैने कहा सोफी, डार्लिंग, प्लीज़, किस इट, तो वो झुकी और मेरे लंड पर किस करने लगी मज़ा ही आ गया थोड़ी देर तक पूरे लंड पर किस करने के बाद उसने अपना मूह खोला और धीरे धीरे से उसको अपने मूह मे लेने लगी उसकी गरम सांसो से एक अलग ही अनुभूति हो रही थी सोफी ने फिर लंड को अपने दाँतों तले दबा लिया तो मेरे होंठो से सिसकारी निकल गयी



मैं बोला काट कर खाने का इरादा है क्या तो वो बोली तुम बस ड्राइविंग पर ही ध्यान दो ये मेरा पहला केस था जहाँ मैं गाड़ी चलाते हुए किसी को लंड चुस्वा रहा था धीरे धीरे सोफी पूरी मस्ती मे आकर लंड को चूसने लगी थी पूरा लंड उसके थूक मे सन चुका था मेरी जाँघो के बीच झुकी हुवी उस मस्त लेडी के कहने ही क्या थे और कितनी शिद्दत के साथ वो लगी हुवी थी



लंड चूस्टे हुवे सोफी बोली युवर डिक ईज़ सो सो हॉट आंड माइ पुसी इस गोयिंग वेट नाउ उसके होतो की पकड़ इतनी टाइट थी लॅंड पर की मई मस्ती क सागर मे गोते खाने लगा था उसने लंड को जड़ तक अपने गले मे उतार लिया था बराबर उसका मूह उपर नीचे होते हुए मुझे जन्नत का द्वार दिख रहा था मैं तो बुरी तरह से ही पिघल ने लगा था



करीब 15-20 मिनट तक वो ऐसे ही मेरे लंड पर झुकी हुई अपना काम करती रही और फिर मुझे तो झड़ना था ही लंड से सफेद रस की पिचकारी निकली और उसके मूह मे जाने लगी सोफी गटगट मेरे सारे पानी को पी गयी मेरी तो हालत ही पस्त हो गयी फिर उसके कार के डेस्क से टिशू लिया और अपने चेहरे को सॉफ करते हुए बोली युवर क्रीम ईज़ सो टेस्टी बीच भी आने वाला था तो मैने अपने कपड़े ठीक कर लिए

गाड़ी को पार्किंग मे लगा कर हम दोनो टहलने लगे मैने उसका हाथ अपने हाथ मे पकड़ा हुए था बाते करते हुए मैने पूछा तुम इस प्रोफेशन मे कब से हो तो वो बोली हो गये 14-15 साल बस सोच रही हू कि थोड़े दिन मे रिटाइयर्मेंट ले लूँ और शांति से किसी लंड पर ज़िंदगी बिताऊ तो मैं मुस्कुरा दिया . पता नही क्यो आज बीच पर भीड़ कुछ कम लग रही थी



सोफी बोली आओ पानी मे चलते है उसने बॅग से अपने लिए बिकनी निकाली और उसको पहनते हुए बोली तुम भी शॉर्ट्स डाल लो तो मैं भी चेंज करने लगा बिकनी मे उसका भरा हुवा शरीर बड़ा ही हॉट लग रहा था पता ही नही चला की कब मेरा लंड फिर से तन गया मैने उसके होंठो पर एक किस किया और फिर चल पड़े हम समुंदर की लहरो मे कभी हम एक दूसरे के उपर पानी उडेलते तो कभी पानी मे डुबकी लगाते जब लहर तेज़ी से आती तो खरा पानी पल भर मे ही सारॉबार कर जाता



करीब आधे घंटे तक हम लोग पानी मे एक दूसरे से मस्ती करते रहे फिर हम बाहर आ गये मैं दौड़ कर दो बॉटल बियर ले आया तो वही किनारे पर बैठ कर हम चुस्किया लेने लगे थोड़ा थोड़ा सा अंधेरा होने लगा था मैने कहा डियर, आओ ज़रा उधर पेड़ों की तरफ घूमने चलते है तो उसने मुझे एक स्माइल दी और फिर हम दोनो पेड़ो की तरफ आ गये उधर आते ही मैने उसको अपनी बहो मे भर लिया और किस करने लगा उसके होंठो पर कुछ बियर की बूंदे लगी हुई थी जिसे मैं चाट गया



सोफी बोली तुम हमेशा ही इतने उतावले रहते हो क्या मैने कहा पहले का तो पता नही पर जब से तुमको देखा है तो बस फिर कुछ याद नही वो बोली बाते अच्छी करते हो तुम , वो बिल्कुल मुझसे सटी हुई थी उसके रसीले होंठो को पीते पीते मैने उसकी पैंटी को नीचे सरका दिया और उसके कुल्हो को अपने हाथो मे थाम लिया सोफी ने भी अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और किस का जवाब देने लगी

अब मैने उसकी ब्रा को भी खोल कर हटा दिया और उसके मोटे मोटे चुचो को दबा ने लगा तो सोफी गरम होने लगी उसकी निप्पल्स 1 इंच के लगभग बाहर को तन गये थे तो मैं उसके बूब्स को लिक्क करने लगा उसकी स्किन बहुत ही ज़्यादा सॉफ्ट थी वो अपना हाथ नीचे की ओर ले गयी और मेरे लंड को हिलाने लगी दो गरम जिस्म उस वातावरण मे भड़क उठे थे



मैं एक हाथ से उसकी चूची को दबा रहा था तो दूसरी को अपने मूह मे भरे हुए था सोफी की धड़कन बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी करीब बीस पचीस मिनट तक हम लोग ऐसे ही एक दूसरे की अगन को भड़काते रहे फिर मैने सोफी को वही नीचे रेत पर पटक दिया और उसकी जाँघो को फैला दिया उसकी गोरी गोरी चूत के फड़कते होंठ मुझे आमंत्रण दे रहे थे



मैं उस पर झुका और उसकी प्यारी सी चूत को अपने मूह मे भर लिया सोफी उस गरम रेत पर तड़प उठी उसके तन बदन मे एक मस्तानी आग भड़क उठी थी उसकी चूत से बहता हुआ नमकीन पानी का स्वाद मेरी जीभ और होंठो पर लग रहा था मैं चटखारे लेते हुए सोफी की चूत को चाटने लगा तभी उसने पास रखी बियर की बॉटल उठाई और अपनी योनि पर बूंदे टपकाने लगी तो कसम से फिर मज़ा ही आगया



वो थोड़ी थोड़ी देर मे कुछ कुछ बूंदे चूत पर गिरते जाती जिन्हे मैं झट से पीए जा रहा था 5-7 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा फिर मैं वहाँ से हट गया और सोफी को डॉगी स्टाइल मे होने को कहा तो वो झट से ही पोज़िशन मे आ गयी मैने उसके कुल्हो को सहलाया और फिर अपने लंड को उसकी गरम चूत से सटा दिया उस दिन तो काम अधूरा रह गया था पर आज ऐसी कोई बंदिश नही थी



लंड पर गीली चूत के पानी का अहसास होते ही वो फुफ्कार्ने लगा तो मैने भी अब देर ना करते हुए उसको चूत मे उतारने लगा तो सोफी आहे भरने लगी सोफी ने अपनी दोनो जाँघो को आपस मे चिपका लिया तो चूत थोड़ी सी टाइट सी हो गयी और उसकी पंखुड़िया लंड पर दबाव डालने लगी पर वो लंड ही क्या चूत को चीर ना सके तो जैसे ही मैने अगला धक्का लगाया लंड चूत को फैलाता हुआ अंदर प्रविष्ट हो गया



मैने सोफी की कमर को पकड़ लिया और अब हमारी चुदाई स्टार्ट हो गयी सोफी की चूत इतनी गरम हो गयी थी कि मुझे लगा कि कही लंड की खाल आज जल ही ना जाए पर ये तो खाली मेरा वहम ही था काफ़ी देर तक मैं उसको डॉगी स्टाइल मे ही चोदता रहा फिर मैं उसके उपर आ गया और उसको किस करते हुवे रगड़ने लगा सोफी की जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी



और हम दोनो के रगड़ खाते हुए जिस्म एक अलग सा ही घर्षण कर रहे थे दोनो के बदन इस कदर एक दूजे मे समा गये थे कि बस कहना ही क्या आधा घंटा से भी ज़्यादा हम लोग एक दूसरे मे समाए रहे मैने कहा सोफी अंदर ही डिसचार्ज हो जाउ क्या तो वो बोली नो नो उधर नही तो मैने लंड को बाहर खिचा और फिर उसके पेट पर ही अपना पानी छोड़ दिया




मैं भी उसके बगल मे ही लेट गया और अपनी सांसो को संभालने लगा कुछ देर बाद मैने देखा की सोफी अभी भी आँख बंद किए लेटी है तो माब् उठा और अपना शॉर्ट्स पहन ने लगा कुछ देर बाद उसने भी बिकनी को पहन लिया फिर हम चेंजिंग रूम मे जाकर नहाए और तैयार हो कर बाहर आए उसके बाद मैं उसको लेकर वही पास की स्ट्रीट पर डिन्नर के लिए ले कर गया



डिन्नर के बाद हम दोनो बाते कर रहे थे मैने कहा सोफी तुम्हारी बड़ी याद आएगी तो वो बोली अरे हम लोग टच मे रहेंगे और फिर मैं तो 6-7 महीने मे इंडिया आती ही रहती हू तो फिर मिलना भी होता रहेगा और फिर मैने तुम्हारा फ़ेसबुक एकाउंट तो बना ही दिया है तो हम बात करते ही रहेंगे फिर उसने मेरा मूड चियर अप करने के लिए मुझे किस किया


मैने पूछा रिटाइर होने के बाद क्या करोगी तो वो बोली कुछ नही बस पीस से रहूंगी पैसो की तो कोई प्राब्लम है नही मेरे खुद के पास बहुत मनी है और फिर हज़्बेंड प्रोफेसर है तो उनकी भी अच्छी सॅलरी है बस बाकी की ज़िंदगी फॅमिली के साथ ही एंजाय करते हुवे बिताउन्गी इतना ही प्लान है तुम बताओ क्या सीन है मैने कहा कुछ नही बस वापिस जाते ही गर्लफ्रेंड की फॅमिली से बात करूँगा और फिर शादी करनी है



वो बोली गुड आइडिया, रात काफ़ी हो गयी थी और अगली सुबह मुझे निकलना भी था तो फिर हम लोग वापिस आ गये सुबह हुई तो सब लोग अपने अपने बॅग पॅकिंग मे लगे थे आज इस टीम को बिखर जाना था जब तक कि कोई दूसरा मिशन ना हो , तो फिर सब एक दूसरे को अलविदा कहकर अपने अपने रास्ते हो लिए, फ्लाइट का ज़्यादा तर सफ़र सोकर ही कटा और फिर एक थका देने वाले सफ़र के बाद आख़िर मैने मुंबई एरपोर्ट पर लॅंड कर ही लिया



एरपोर्ट से बाहर आया थोड़ा फ्रेश वग़ैरा हुआ फिर बॉस के लिए मेसेज छोड़ा और कहा कि दो चार दिन मुंबई मे ही बिताकर आउन्गा और रिपोर्ट ई-मैल कर दूँगा सुबह के 5 बज रहे थे एक कॉफी पी और फिर एक टॅक्सी हाइयर कर ली पुणे के लिए अब मेरे और निशा के बीच बस कुछ था तो ये थोड़ा सा सफ़र टॅक्सी वाले ने रेडियो पे कुछ रोमॅंटिक सॉंग्स प्ले कर रखे थे तो दिल एक बार फिर से कुमार शानू की आवाज़ मे डूबता चला गया

एक तो इंतज़ार और एक ड्राइवर भी मिला तो ऐसा कि पूछो ही मत जैसे तैसे करके आख़िर मैं पहुच ही गया मैने ड्राइवर से कहा कि किसी गिफ्ट शॉप पे रोकना थोड़ी देर कुछ गिफ्ट्स लेने है तो खरीदारी मे भी थोड़ा सा टाइम लग गया मुझे पल पल भारी हो रहा था दिल मे उमंग , आँखो मे सनम की सूरत लिए आख़िर मैं पहुक ही गया स्टेट बॅंक ऑफ इंडिया की उस आलीशान इमारत के सामने जहाँ पर मेरी सबसे प्यारी दोस्त काम करती थी



तेज तेज कदमो से चलता हुआ मैं अंदर गया ना जाने क्यो मेरी धड़कने कुछ ज़्यादा ही बढ़ गयी थी मैं रिसेप्षन पर गया और वहाँ बैठी लेडी से पूछा की मॅम, लोन ऑफीसर निशा का कॅबिन कॉन सा है तो उसने मेरी ओर देखा और कहा किस डिपार्टमेंट मे, मैने कहा जी लोन ऑफीसर है ना , तो वो बोली सर आइ मीन वो कॉन से डिपार्टमेंट मे है लाइक ऑटोमोबाइल लोन्स, होम लोन्स, एट्सेटरा, मैने कहा वो तो नही पता तो बोली प्लीज़ वेट कीजिए मैं चेक करके बताती हू



4-5 मिनट बाद उसने बताया कि सर इधर निशा मॅम है वो पर्सनल लोन डिपार्टमेंट मे है पर आप अभी उनसे नही मिल सकते शी’ज करंटी इन मीटिंग ना जाने क्यो मुझे कोफ़्त सी होने लगी थी मैने तेज आवाज़ मे कहा तू बस उसका कॅबिन बता कहाँ है मेरी आवाज़ सुनते ही दो सेक्यूरिटी गार्ड्स डोडकर आए और मुझे पकड़ लिया मेरा दिमाग़ खराब होने लगा मैने कहा हाथ छोड़ वरना अगले पल जॉब जाएगी तेरी


गार्ड मुझसे उलझते हवुए बोला कॉन है तू डीसी, है एसपी है नेता है मैने कहा देख भाई एक तो मैं बड़ी दूर से आया हूँ तू दिमाग़ खराब ना कर वरना फिर बाद मे मुझे दोष ना दियो तो वो अकड़ने लगा रिसेप्षनिस्ट बोली इस बंदे को बिल्डिंग से आउट करो , तो मेरा दिमाग़ घूम गया मैने कहा साली तू आउट करेगी मुझे तेरा काम है लोगो की हेल्प करना जिसकी गवरमेंट सॅलरी देती है मैने जेब से अपना आइ कार्ड निकाला और उसके हाथ मे देते हुवे बोला



देख गोर से कि मैं कॉन हूँ , हालाँकि मैं ऐसा कोई सीन उधर क्रियेट नही करना चाहता था पर हो ही गया पल भर मे ही उस लड़की के चेहरे का रंग उड़ गया वो सर सर. करने लगी मैने फिर सेक्यूरिटी वालो को धमकाते हुए कहा सालो आम इंसान को तो कुछ नही समझते हो तो वो भी माफी माँगने लगे मैने कहा बता कहाँ है निशा का कॅबिन



तो उसने कहा सर थर्ड फ्लोर पे रूम 56 , लिफ्ट बाहर राइट साइड से है , मैने उसकी तरफ देखा घूरकर और फिर लिफ्ट की ओर चल पड़ा थर्ड फ्लोर पर पहुचते ही मुझे पीओन मिला शायद रिसेप्षन से उपर बताया गया था उसने मुझे निशा के कॅबिन मे बिठाया और बोला सर मेडम बस दस मिनट मे आती ही होंगी आप प्लीज़ वेट करे मैं आपके लिए कॉफी लेकर आता हूँ तो मैने कहा नही अभी उसकी ज़रूरत नही है तू बस पानी ही पिला दे



2-3 गिलास पानी पिया तो कुछ मूड ठीक हुआ गला जो सूख गया था वो भी तर हो गया कुछ देर बाद कॅबिन का गेट खुला और निशा ने आते ही बोली यस, कहिए क्या हेल्प कर सकती हूँ मैं आपकी , और क्या कारण था कि नीचे इतना हंगामा कर दिया आपने मैं पलटा तो देखा कि ये तो कोई और ही है मैने कहा जी आप कॉन मुझे तो निशा मेडम से मिलना है



तो वो बोली सर मैं उनकी असिस्टेंट हू , निशा. मॅम बहुत ही बिज़ी है आज तो आपका मिलना पासिबल नही हो पाएगा आपका लोन का जो भी काम है आप पेपर्स मुझे दे दीजिए मैं देख लूँगी और कल बॅंक होली डे है और फिर दो चार छुट्टिया भी है तो प्लीज़ आप थर्स्डे को ही क्न्सर्न कीजिएगा मैने कहा होल्ड,होल्ड कीजिए मॅम आप को शायद कुछ ग़लत फ़हमी हुई है



मैं यहा पर किसी लोन के सिलसिले मे नही आया हू मैं निशा का फ्रेंड हूँ बड़ी मुश्किल से ढूँढा है उसे आप प्लीज़ मेरी मुलाकात करवाईए , वो बोली सर आप को वेट करना होगा मीटिंग ख़तम होने तक का मैने कहा और ये कब ख़तम होगी तो नेहा जी ने बताया कि सर कोई एग्ज़ॅक्ट टाइम तो होता नही है अब डीस्कशन कितनी देर चलता है ये तो डिपेंड करता है ना



जबकि मैं तो व्याकुल हो रहा था निशा को देखने को और ये लोग अपने रूल्स अपनी मजबूरियो का रोना रो रहे थे मैने झुंझलाते हुए कहा आप एक काम कीजिए कि जाकर बस उसे इतना मेसेज दे दीजिए कि उसका वो दोस्त आया है उस से मिलने जिसे वो अरसे पहले भूल आई थी उस से जाकर बस इतना कह देना कि नीचे रिसेप्षन पर मनीष इंतज़ार कर रहा है उसका



और मैं फिर वहाँ से निकल कर नीचे आ गया और विज़िटर्स के सोफे पर बैठ गया कुछ ही मिनट बीते होंगे कि मैने देखा निशा , मेरी निशा लगभग दौड़ते हुवे विज़िटर्स हॉल की तरफ आ रही थी मैं सोफे से उठ खड़ा हुआ और उसकी तरफ चलने लगा वो मेरे से बस कुछ ही दूर थी हमारी आँखे आपस मे टकराई और निशा भाग कर मेरे गले लग गई



और मैने भी उसको अपनी बाहों मे समेट लिया कुछ देर तक वो मेरे सीने से लगी रही उसकी धड़कनो को सॉफ सॉफ सुन पा रहा था मैं फिर उसने इधर उधर देखा तो झट से मुझसे दूर हो गयी , वो बोली मनीष तुम , तुम अचानक यहाँ कैसे तो मैने एक तमाचा उसके गालो पर जड़ दिया और फुट फुट कर रोने लगा मैं रोते हुवे बोला कमिनि कहाँ चली गयी थी मुझे अकेला छोड़ कर


जानती है कितना तडपा हूँ मैं तेरे लिए हर पल तिल तिल करके जिया हूँ मैं तेरे लिए कहाँ कहाँ नही ढूँढा मैने तुझे , कोई मंदिर मस्जिद नही जहाँ तेरे मिलने की दुआ नही की हो मैने और तू यहाँ ऐश से रह रही है तेरे घर, मुंबई कहाँ कहाँ भटकता रहा मैं हर एक सांस मे बस तुझे ही याद किया और तुझे एक पल भी अपने दोस्त की ज़रा सी भी याद ना आई



निशा की आँखो से भी आँसू छल छला आए थे पर वो मेरे आँसू पोंछते हुए बोली बस मनीष बस तुम यूँ ना रोओ मुझे तकलीफ़ होती है , मैने कहा अगर इतनी ही तकलीफ़ होती है तो फिर मुझे छोड़कर गयी ही क्यो थी वो बोली मैं सब बता दूँगी तुम दो पल इधर ही बैठो मैं अभी छुट्टी लिख कर आती हू घर चलती हूँ निशा ने मेरे आँसू पोंछे और फिर बोली बस मैं दो मिनट मे आ रही हू




निशा

बिल्कुल भी तो नही बदली थी वो जैसा पहले हुआ करती थी वैसे ही आज भी थी बिल्कुल सीधी-सादी सिंपल सी लड़की हाँ वजन कुछ बढ़ गया था पर बाकी पूरी तरह से सादगी से भरी हुई नेवी ब्लू कलर की साड़ी दोनो हाथो मे बस एक एक चूड़ी और होंठो पर हल्की सी लिपीसटिक बस यही था सजने के नाम पर उसके पास वो कहते है ना कि समय की आँधी मे भी कुछ लोग अपने आप को मजबूती से थामे रखते है कुछ ऐसी ही तो थी निशा,


आते ही उसने मेरा हाथ थामा और पार्किंग की तरफ चल पड़ी वहाँ उसने अपनी कार को स्टार्ट किया और फिर हम दोनो उसके घर की ओर चल पड़े मैने कहा अच्छी कार है तो उसने बता या कि कुछ दिन पहले ही ली है मेरी निगाह तो एक पल के लिए भी उस के चेहरे से हट ही नही रही थी आज बड़ी ही खुशी का दिन था मेरी जिंदगी मे , मुझे आख़िर मेरी दोस्त का दीदार हो ही गया था



वो बड़े प्यार से मुझे देखते हुए बोली , ऐसे क्या देख रहे हो मैने कहा बस तुम्हे ही देख रहा हूँ बिल्कुल भी नही बदली पहले जैसी ही छुई मुई सी हो वो बोली तुम भी कहाँ बदले हो एक नज़र मे ही पहचान गयी मैं तो मैने कहा तू बहुत ज़ालिम निकली ऐसा भी कोई किसी के साथ करता है क्या तो वो बोली अब माफ़ भी करदो ना तुम गुस्से मे बिल्कुल भी अच्छे नही लगते हो



तो मैं उसके सर पर चपत लगाते हुए बोला ये गुस्सा भी बस तुम्हारी वजह से ही है ना तुम ऐसे रूठ कर जाती ना मैं गुस्सा होता तो वो बोली मनीष अब तुमसे मेरी ज़िंदगी का कुछ भी तो छुपा नही है ये तो भगवान का शूकर है कि टाइम पर नोकरी मिल गयी तो बस गुज़ारा हो रहा है ज़िंदगी की उलझनों मे कुछ ऐसे उलझी की बस पता ही नही चला की वक़्त कैसे गुजर गया पर मैं वही खड़ी रह गयी



पर अभी इन सब बातों का टाइम नही है अभी तुम मेरे पास हो तो मैं अपने मूड को बिगाड़ना नही चाहती हूँ , वैसे भी मुझे पता है कि तुम्हे भूख लगी होगी तो चलो रेस्टोरेंट चलते है कुछ खा पी लेते है मैने कहा आज अपने हाथो का बना खाना नही खिलाओगी या अब हम इतने पराए हो गये है की बाहर से ही टरकाना चाहती हो तो निशा मेरे होंठो पर उंगली रखती हुवे बोली मनीष , खबरदार जो तुमने दुबारा ऐसा कहा तो



तुम मेरे लिए कभी भी पराए नही हो सकते हो , तुम भी ये अच्छी तरह से जानते हो ये बोलते बोलते निशा एमोशनल हो गयी तो मैने कहा निशा, अब फिर से रुलाओगी क्या तो फिर वो कार चलाने लगी और कुछ हल्की फुल्की बाते करते हुवे हम उसके फ्लॅट मे आ गये 12थ फ्लोर पर उसका दो बेडरूम का सेट था अंदर आते ही दिल को ऐसा सुकून सा मिला की जैसे मैं किसी मंदिर मे आ गया हू




उसने मेरा बॅग अंदर रखा और बोली मैं चेंज करके आती हूँ तब तक तुम भी फ्रेश हो जाओ काफ़ी थके थके से लग रहे हो मैने कहा हाँ बातरूम कॉन सी साइड है तो उसने मुझे बताया थकान तो हो रही थी पर निशा के साथ होने का अहसास भी तो था मैने अपने कपड़े उतारे और नहाने लगा मैने शवर चालू किया और खुद को भिगोने लगा ठंडा पानी जैसे बदन को चीरता ही चला गया पर अपने को क्या फरक पड़े



मैने लगाने के लिए साबुन उठाया तो मेरे होंठो पर एक मुस्कान आ गयी थी उफफफफफफफफ्फ़ ये लड़की भी ना आज भी ये मार्गो साबुन यूज़ करती है बस यही तो उसकी सादगी थी जो उसे औरो से जुदा करती थी ,25-30 मिनट तक अच्छे से रगड़ रगड़ कर नाहया तब जाके शरीर थोड़ा सा रिलॅक्स हुआ मेरा मैं बाहर आया तो देखा कि निशा ने भी ड्रेस चेंज कर ली थी और एक टीशर्ट और पयज़ामा डाल दिया था



उसने जूस का गिलास मुझे पकड़ाया और बोली तो बताओ आर्मी ऑफीसर क्या चल रहा है लाइफ मे और तुमने मुझे आख़िर ढूँढा कैसे , तो मैने कहा बात ये है कि आजकल मैं आर्मी मे नही हूँ तो शॉक्ड होते हुए बोली तुमने जॉब छोड़ दी मैने कहा अरे नही तुम पूरी बात तो सुनो , दरअसल आज कल मैं इंडियन इंटेलिजेन्स मे हूँ डेप्युटेशन पर तो बस उसी मे ही काम कर रहा हू तो वो मुस्कुराते हुवे बोली अच्छा जी तो आपने मेरी जासूसी कर ली
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#62
मैने कहा यार अब क्या करता पता है कहाँ कहाँ धक्के खाए पर तुम्हारा कोई पता ही नही चल रहा था तो फिर आख़िर एसबीआइ का डेटाबेस हॅक करके तुम्हारा पता लिया वो बोली स्मार्ट हो गये हो आजकल मैने कहा पर तू ये सब छोड़ और बता की आख़िर ऐसा क्या हो गया था कि गाँव को हमेशा क लिए ही बाइ बोल दिया तो वो बोली मैं खाना बना रही हूँ बाद मे बात करेंगे



तो मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा कि निशा, बता ना तो वो बोली, मनीष तुम तो जानते ही हो कि पिताजी कारगिल युद्ध मे शहीद हो गये थे तो उनकी पेन्षन से माँ ने मुझे जैसे तैसे करके पढ़ाया लिखाया एक खेत हिस्से आया था और छोटा सा घर था काका-ताऊ का हाल तो तुम्हे पता ही था सब लालची कही के कभी मदद करने तो आए नही पर निगाह उस खेत पर थी



फिर तुमसे दोस्ती हो गयी थी तो मैं अपने हालत भूलने लगी थी पर फिर तुम भी चले गये फोज मे और मुझे भी बॅंक मे नोकरी मिल गयी तो मैं मुंबई आ गयी पर पीछे से चाची – ताई माँ से लड़ाई झगड़ा करने लगे एक दिन मैं गाँव मे गयी हुई थी तो मेरे आगे ही काफ़ी बड़ा झगड़ा हो गया उनसे तो फिर मैं माँ को लेकर यहाँ आ गयी मेरी सॅलरी अच्छी थी तो मुझे वैसे भी ज़रूरत नही थी किसी रिश्तेदार की



माँ ही मेरा सब कुछ थी जब मैं उन्हे ही अपने पास ले आई तो फिर वैसे भी गाँव का अब कोई मतलब रह नही गया था



मैने कहा पर तूने मुझे भुला दिया तो वो बोली ऐसा नही है मनीष बस तुम और तुम्हारी यादे ही तो है मेरे जीवन मे जिनके सहारे बस कभी कभी मुस्कुरा लेती हू , मैं तुम्हे चिट्ठि लिखा करती थी मैने कहा हाँ पर फिर तुम्हारी तरफ से जवाब आने बंद हो गये तो मैने फिर घर के पते पर भी कई लेटर्स पोस्ट किए पर तुम्हारा कोई जवाब कभी आया ही नही

मैने कहा यार खडकवासना से मुझे फिर देहरादून जाना पड़ा कुछ हालत ऐसे हुए कि फोन टूट गया तो सारे कॉंटॅक्ट्स डेलीट हो गये और जब मैं घर गया तो पता चला कि घरवालो ने नया घर बना लिया है और मम्मी ने मेरा सारा पुराना समान जला दिया है तो सब कुछ ख़तम ही हो गया मेरे लिए पर चाची ने तुम्हारी कुछ चिट्ठिया बचा ली थी उन्ही से पता चला कि तुम मुंबई मे हो



तो फिर मैं उधर भी गया पर मकान मालिक बोला निशा तो गयी खाली करके तो फिर मैं हताश हो गया पर तुम ने भी कभी चिट्ठी नही डाली फिर दुबारा तो निशा बोली, मनीष मैं एक बार तुम्हारे घर गयी थी तो तुम्हारी मम्मी ने मुझे लताड़ दिया और कड़े शब्दो मे कहा कि मेरे बेटे से दूर रहना , वैसे तो उनकी बात का मुझे बुरा नही लगा पर फिर मैने सोच लिया कि शायद वक़्त की तरह तुम भी बदल गये होंगे तो फिर हिम्मत नही हुई दुबारा चिट्ठी डालने की



उफफफफफ्फ़ ये मम्मी भी ना पता नही क्या क्या करती रहती है आख़िर क्या ज़रूरत थी निशा से झगड़ा करने की, मैने निशा से कहा चल जो हुआ वो हुआ पर अभी मैं हर पल तेरे साथ ही हूँ और तू मेरे तो वो मुस्कुरा पड़ी बोली आओ तुम्हे कुछ दिखाती हूँ और मुझे अपने बेडरूम मे ले गयी तो मैने देखा कि दीवारो पर कुछ पुरानी तस्वीरे टॅंगी हुवी थी जिनमे वो और मैं थे



हमारे पुराने दिनो की बस वो थी और मैं था मैने कहा अब तक है तुम्हारे पास वो बोली बस मेरी तो यही अमानत है तो मैने उसे अपने गले से लगा लिया और अपनी बाहों मे कस लिया निशा रोते हुए बोली मनीष अब मुझे छोड़ कर कही नही जाना मैं बहुत ही अकेली हूँ कुछ भी नही मेरे पास बस तुम्हारी यादो के सिवा तो मैने कहा बस निशा इंतज़ार ख़तम हुआ अब मैं आ गया हू



तभी मैने पूछा माँ कहा है तो उसने एक फोटो की ओर इशारा किया जिसपर एक फूल माला चढ़ि हुई थी वो बोली सालभर पहले दमे के अटॅक की वजह से वो मुझे छोड़कर चली गयी और फुट फुट कर रोने लगी उफफफफफफफफफ्फ़ भगवान क्या तुम्हे सारे दुख इसे ही देने थे और एक मैं था जो पता नही क्या क्या सोचता रहता था कि निशा मुझे भूल गयी है



मैने उसे चुप कराते हुए कहा निशा तू बिल्कुल भी अकेली नही है मैं हूँ ना तेरे पास और खबरदार जो अब एक भी आँसू गिराया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा मैने उसे पानी का गिलास देते हुवे कहा ले थोड़ा सा पानी पी ले निशा फिर मेरी गोद मे अपना सर रख कर लेट गयी और मैं उसका हाथ थामे पता नही कब तक उस से बाते करता रहा ऐसे ही उसकी आँख लग गयी उसके गालो पर आँसुओ की रेखा देख कर मेरा कलेजा जैसे फट ही गया



जब निशा की आँख खुली तो अंधेरा हो गया था वो शरमाते हुवे बोली अरे मैं इधर ही सो गयी तुमने हटा या क्यो नही तो मैने कहा इतना तो हक़ है ही मुझे तो वो मुस्कुराइ और बोली चलो अब मेहमान आए है तो शानदार डिन्नर की तैयारी करती हूँ और हम किचन मे आ गये वो बोली आज तुम्हारी मनपसंद पनीर की सब्ज़ी बनाती हूँ तुम आराम करो या चाहो तो टीवी देख लो मैं ज़रा बाजार जाकर जल्दी से आती हूँ



तो मैने कहा मैं भी चलता हू तो फिर हम बाजार को निकल पड़े तो मेरी नज़र एक वाइन शॉप पर पड़ी मैने कहा याद है तुझे एक बार हम ने जयपुर मे हवमहल के पास सड़क पर बैठ कर बूज़ किया था तो वो हँसते हुए बोली हाँ और फिर मैने कितनी उल्टिया भी की थी , मैने कहा चल आजा फिर से उस याद को ताज़ा करते है तो वो बोली नही मनीष नही



खमखाँ मुझे नशा हो जाएगा तो फिर ………. ……… मैने कहा मैं हूँ ना तुझे संभालने को चल आजा और फिर मैं भाग के दो कॅन बियर ले आया और वही सड़क क किनारे पाटड़ी पर बैठ कर हम लोग चिल मारने लगे मैने उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया और पूछा यार तूने शादी की क्या तो एक ठंडी सांस लेकर बोली म , म मुझसे कॉन शादी करेगा



मेरा रंग देखा है कॉन अपनी पत्नी के रूप मे काली कलूटी दुल्हन चाहेगा मैने कहा यार ऐसा क्यो बोलती है तू कितनी तो सुंदर है तू मुझसे पूछ तो वो बोली और सच कहूँ तो अब कुछ फरक भी नही पड़ता आदत जो हो गयी है अकेले रहने की मैने कहा पर अब तू अकेली नही रहेगी तू मेरे साथ देल्ही चल रही है और हाँ ना मत करना बता दे रहा हू


वो बोली पर मैं नही आ सकती नोकरी जाना होता है पर जब भी छुट्टी होगी तो पक्का आउन्गि मैने कहा तू तो चलेगी मेरे साथ और जल्दी ही काफ़ी देर तक हम उधर ही बैठे रहे बाते करते रहे फिर हम ने समान खरीदा और घर पे आ गये खाना बनाने , खाने मे ही रात का 1 बज गया था फिर हम दोनो ने मिलकर बर्तन सॉफ किए



जब निशा फ्रिज मे बचा हुआ समान रख रही थी तो मैं उसके पीछे गया और उसके बालो से रिब्बन को खोल दिया तो उसकी जुल्फे खुल कर उसकी कमर तक आ गयी मैं उसके बालो को सहलाने लगा तो वो बोली तुम बिल्कुल भी नही बदले हो आख़िर कोई कैसे ऐसे रह सकता है मैने कहा तुम भी तो वैसे ही हो कितनी सादगी भरी है तुम्हारे अंदर कितनी सॉफ दिल और सच्ची हो तुम तो वो मुस्कुरा कर रह गयी



मैने एक तकिया और चद्दर ली और सोफे पर पसर गया तो वो मुझे दूध का गिलास देते हुए बोली अरे यहाँ क्यो सो रहे हो बेड कब काम आएगा चलो वहाँ पर और मुझे खीच कर बेडरूम मे ले आई और दूध पीते पीते हम लोग बाते करने लगे ये दिन मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था आज मुझे पक्का विश्वास हो गया था कि दुनिया मे भगवान नाम की शक्ति भी होती है आख़िर मेरी दुआ जो कबूल हो गयी थी

अगले दिन जब मैं उठा तो निशा पूजा कर रही थी, उसने मुझे एक स्माइल दी और इशारा किया कि अभी आ रही हू मैं सोफे पर बैठ गया मैने फोन ऑन किया और इंडिया का सिम कार्ड डाला तो पता चला कि अशोक भाई के अनगिनत मेसेजस और कॉल्स आए हुए थे तो मैने उन्हे कॉल किया वो बोले अबे कहा था तू और ना कोई फोन ना और कॉंटॅक्ट पता है मुझे कितनी चिंता हो रही थी मैने कहा अब बात क्या है वो बताओ पहले



तो पता चला कि भाई साब की शादी पक्की हो गई है मैने पूछा तारीख तो बताओ तो बोला अगले महीने की17 को मैने कहा भाई बड़ी जल्दी कर दिया काम तो वो बोले भाई अब घरवालो को लड़की पसंद आ गयी तो फिर देर किस बात की , तू भाई, अपनी छुट्टिया ले लियो और दस पंद्रह दिन पहले ही आ जाना शादी का काम है काफ़ी काम करनी होंगे मेरी भी मदद हो जाएगी



और ले तू पहले मम्मी से बात कर तो मैं मामी से बात करने लगा मामी बोली पक्का आना है तो मैने कहा मामी आपको पता तो चल गया ही होगा कि मम्मी और मेरे मे थोड़ी बोलचाल हो गयी थी तो शादी मे वो भी आएँगी तो फिर मेरा आना मुश्किल होगा मामी बोली एक लगाउन्गी कान पे अभी इतना बड़ा नही हुआ है और फिर वो तेरी माँ है तेरा बुरा थोड़ी ना चाहेंगी


मुझे कुछ नही पता बस तू टाइम से आ जाना वरना मैं नाराज़ हो जाउन्गी मैने कहा ठीक है आ जाउन्गा अब जाउ तो मरा ना जाउ तो मरा पर मामी को नाराज़ भी तो नही कर सकता था और फिर एक अरसा ही हो गया था मुझे मामा के गये हुए तो सोचा की जाता हूँ इसी बहाने घरवालो के दर्शन भी कर लूँगा इतने मे निशा ने चाइ पकड़ा दी मैने कहा निशा तेरी पोस्टिंग देल्ही नही हो सकती क्या वो बोली अगर कोई तगड़ी सिफारिश हो तो हो जाए वरना देखो कब तक इधर ही रहना होगा



मैने फिर अपने बॉस को फोन किया और रिक्वेस्ट करते हुए कहा कि सर मिनिस्ट्री मे आप अपनी पॉवर का इस्तेमाल करके मेरी एक दोस्त है उसकी देल्ही पोस्टिंग करवा दीजिए तो वो बोले भ्रष्टाचार कर रहे हो ऑफीसर वो भी अपने बॉस के साथ मैने कहा सॉरी सर , पर आप ही मदद कर सकते हो तो वो बोले अरे मैं मज़ाक कर रहा था अब तेरा इतना सा भी काम नही कर सकता तो क्या फ़ायदा ऐसी पोस्ट का तू डीटेल्स मैल कर्दे मुझे मैं मॅटर देख लेता हू



मैने कहा निशा ज़रा मेरा लॅपटॉप तो देना और फिर उस से उसकी सर्विस की पूरी डीटेल्स लेकर बॉस को मैल कर दी मैने कहा मैने कहा था ना कि तू मेरे साथ देल्ही चल रही है जल्दी ही तुझे ट्रान्स्फर लेटर मिल जाएगा वो बोली अपनी पोजीशन और पॉवर का ग़लत फ़ायदा उठा रहे हो तुम मैने कहा क्या फ़ायदा अगर मैं अपनी दोस्त के काम ना आ सका तो



निशा मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली क्यो करते हो इतनी परवाह मेरी, आख़िर क्या लगती हूँ मैं तुम्हारी, हम आपके है ही कॉन तो मैने उसके फूल से चेहरे को अपने हाथो मे लिया और उसकी आँखो मे देखते हुए बोला जिनके पास जवाब होता है वो दूसरो से सवाल नही किया करते है निशा मेम्साब बाकी जो है वो तुम्हे अच्छी तरह से पता है



वो बोली बाते बड़ी करना सीख गये हो मैने कहा तुम्हारी जुदाई ने सिखा दिया है वरना हम तो बस खामोश ही रहा करते थे वो हस्ते हुए बोली तो जनाब शायर भी हो गये है मैं कहा कुछ और दिन अगर तुम ना मिलती तो पता नही क्या क्या हो जाते फिर मैने कहा चल यार कही बाहर चलते है तो वो बोली ठीक है और फिर तैयार होकर हम बाहर घूमने चले गये



पहले एक मूवी देखी फिर वही माल मे ही लंच किया मैं निशा के लिए ज्वेल्लेरी खरीदना चाहता था तो फिर मैं उसे लेके एक फेमस ज्वेल्लेर के शोरुम मे चला गया आख़िर कई प्रॉडक्ट्स देखने के बाद मैने उसके लिए एक हार और सोने की चूड़िया खरीद ली और वही पर उसके हाथो मे पहनाते हुए बोला आज से तेरी कलाइयाँ कभी सुनी नही रहेंगी



निशा बोली किस हक़ से तुमने ये कंगन मेरी कलाईयों मे पहनाए है मैने कहा पता नही पर तेरी सूनी कलाइयाँ अच्छी नही लगती मुझे तो निशा बोली एक लड़की को कंगन पहनाने का मतलब समझते भी हो तुम , मैने कहा तुम्हे पता है वही बहुत है मेरे लिए और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया पेमेंट करने के बाद कुछ और शॉपिंग की और फिर थक कर घर आ गये




खाना बाहर खाकर आए थे और फिर मैं बहुत ही थका हुआ था तो बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गयी सुबह मैं उठ कर बाहर जा ही रहा था कि दरवाजे पे निशा से टक्कर हो गयी तो मेरा बॅलेन्स बिगड़ गया एक तो शरीर नींद मे ही था तो गिरने से बचने के लिए मैने उसकी कमर को थाम लिया पर वो भी अचानक से इस घटना से संभाल नही पाई और हम दोनो फरश पर गिर गये



निशा मेरे नीचे दब गयी मुझे तो कई देर तक पता ही नही चला कि आक्च्युयली मे हुआ क्या है तो फिर वो मुझे धक्का देते हुवे बोली अब उठो भी कि यही पर प्लाट कटवा लिया है तो मैं उसके उपर से उतर गया वो झुंझलाते हुए बोली देख कर नही चल सकते हो क्या हाई राम और इतना बोझ मुझ पर लाद दिया खुद तो हड्डिया तुड़वाओगे मुझे भी मरीज बनाओगे



मैने कहा जानबूझकर थोड़ी ना गिरा अब जाने भी दे तो वो बोली बताओ नाश्ते मे क्या खाओगे मैने कहा जो तेरी मर्ज़ी हो वो बना ले अपनी कोई विशेष डिमॅंड होती नही है आजकल फिर मैं नहाने चला गया तो नाश्ते के बाद हम दोनो लेटे हुए बाते कर रहे थे निशा ने पूछा क्या सच मे तुम मेरा ट्रान्स्फर करवा दोगे मैने कहा लो जी इन्हे मज़ाक लग रहा है जब देल्ही आएगी तो मान लेना



मैं बोला यार अब इतने दिन जुदा रही है तो थोड़े दिन मेरे साथ भी तो रहना बनता है ना, तो वो मुस्कुराने लगी फिर हम दोनो अपने पुराने आलबम्स देखने लगे तो ऐसे ही वो 5-6 दिन पता नही कैसे कट गये उसके साथ टाइम इतना तेज भागा कि लगा ही नही की एक हफ़्ता हो गया है पर जनाब ये टाइम होता है वो कहाँ किसी के लिए रुकता है तो निशा की छुट्टिया ख़तम हो गयी थी

दूसरी तरफ मुझे भी वापिस जाना था मैने फिर से बॉस से बात की तो उन्होने कहा कि तेरा काम हो गया है एक दो दिन मे तेरी दोस्त को ट्रान्स्फर लेटर मिल जाएगा , मैने कहा तो सर मैं उसको लेकर ही वापिस आउन्गा तो वो बोले हाँ पर एक मिशन भी रेडी है आते ही काम पर लग जाना मैने कहा पक्का सर बस इधर का काम निपटा लूँ तो दोस्तो तीन दिन मे आख़िर निशा का तबादला देल्ही हो ही गया

फिर दो दिन बस समान पॅक करने मे लग गये पॅकर्स & मोवेर्स को मैने अपना देल्ही का अड्रेस दे दिया था एक अकेली जान का भी इतना ज़्यादा समान हो सकता है मैने सोचा नही था तो फिर समान देल्ही के लिए लोड करवाने के बाद फिर हुँने भी देल्ही की फ्लाइट पकड़ ली हालाँकि निशा ट्रेन से ट्रॅवेलिंग करना चाहती ती पर मेरे पास टाइम नही था काफ़ी काम पेंडिंग छोड़ा हुआ था मैने



तो फिर रात के करीब साढ़े ग्यारह बजे के आस पास हम लोग पालम एरपोर्ट उतर गये फॉरमॅलिटीस पूरी की फिर कॅब लेकर घर पर आ गये लॉक खोला तो धूल भरे घर ने हमारा स्वागत किया निशा बोली कैसा हाल कर रखा है तुमने इधर का तो मैने कहा यार वो मैं कई दिनो से आया ही नही हूँ इधर तो इसीलिए तो वो बोली चल कोई नही मैं सफाई कर लेती हूँ



तो मैने मना करते हुए कहा कि अरे नही तुम भी थकि हुवी हो मैं खाना ऑर्डर करता हूँ सफाई वफ़ाई बाद मे करेंगे तो निशा बोली मनीष मेरी एक विश पूरी करोगे , मैने कहा यार ये भी कोई कहने की बात है क्या तो वो बोली मैने देल्ही की चाँट के बारे मे बड़ा सुना है पर कभी मोका नही लगा तो मैं आज इधर हूँ तो अभी मेरा बड़ा दिल कर रहा है





मैने कहा बस इतनी सी बात चल फटा फट से कपड़े चेंज करले फिर चलते है बाहर तो वो बोली 12 हो रहे है रात के , और मैने सुना है कि देल्ही की रात सेफ नही होती तो हम फिर कभी चलेंगे मैने कहा यार चल अभी पर वो मना करने लगी तो मैने फिर जब खाना ऑर्डर किया तो निशा के लिए कुछ स्पेशल ऑर्डर कर दिया बस अब देखना था कि जब वो खाने का पॅकेट खोलेगी तो उसका क्या रियेक्शन होता है



दरअसल मैने रेस्टोरेंट से डिन्नर के साथ साथ कुछ चाट, पपड़ी और दही भल्ले, आलू टिक्की जितनी चीज़ो के भी नाम मुझे याद थे सब का ऑर्डर कर दिया था जब तक निशा नहा कर बाहर आई मैने थोड़ी बहुत सफाई कर दी थी अब था अकेला बंदा तो मेरे पास इतना कुछ फर्नीचर भी नही था बल्कि मैं तो सोता भी नीचे ही था गुड दी बिछा कर



मैने कहा निशा आज आज अड्जस्ट कर ले कल ही मैं तेरे लिए बेड खरीद लाउन्गा तो वो बोली कोई बात नही , और फिर वैसे भी दो चार दिन मे मेरा सामान भी आ ही जाएगा तो हम वो ही शेर कर लेंगे , सच मे यार उसकी ये सादगी ही उसकी खूबसूरती थी वरना एक बॅंक ऑफीसर के कितने नखरे होते है आप समझ सकते है ही पर सबसे अलग थी मेरी निशा



तो फिर जैसे ही ही डेलिवरी बॉय खाने का पार्सल देने आया तो मैं बहाना बना कर बाथरूम मे घुस गया और निशा को कहा की पार्सल कलेक्ट कर ले जब मैं वापिस आया तो निशा ने डिन्नर प्लेट्स मे लगा दिया था मुझे देखते ही वो उठी और मेरे सीने से लग गयी और बोली मनीष कितना ख़याल रखते हो मेरा, इतनी भी फिकर ना किया करो मेरी अगर मुझे तुम्हारी आदत हो गयी तो



मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा पिछले कुछ दिनो मे पता है मैं एक अलग ही तरह की ज़िंदगी जी रही हूँ तुमने एक पल मे ही मेरी ज़िंदगी के मायने बदल दिए है मैं उसके बालो मे हाथ फिराते हुए बोला निशा तुम्हे क्या पता कितना अधूरा था मैं तुम्हारे बिना जानती हो जब भी गाँव जाता था तो मंदिर की बगीची मे मैं घंटो बैठ कर बस तुम्हारे साथ बिताए हुए पॅलो को याद किया करता था



कभी कभी तो ये सोच कर कि तुम पास हो ख़यालो मे ही तुमसे गुफ़्तुगू करने लग जाता था जब भी मैं तन्हा हो ता था हर पल बस तुम्हारा ही ख़याल होता था बस यही सोचता रहता था कि कहाँ गयी तुम , किस हाल मे होगी ये कहते कहते मेरी आँखो मे पानी आ गया तो निशा मेरे आँसू पोछते हुए बोली अब मैं साथ हू तुम्हारे चलो अब आओ और खाना खा लो ,



ठंडा हो रहा है और वैसे भी रात काफ़ी हो गयी है तो मुझे नींद भी आ रही है तो फिर हम ने अपना भोजन किया और फिर बिस्तर पर आ गये फिर बात करते करते पता ही नही चला कि कब नींद आई पता नही कितने बज रहे थे कि मेरी नींद खुल गयी दरअसल हुआ हूँ कि सोते सोते निशा ने अपनी एक टाँग मेरे उपर रख दी थी और मुझसे बिल्कुल छिपकर कर सो रही थी



उसकी गरम साँसे मुझे मदहोश करने लगी थी पर मैं अपनी भावनाओ को कंट्रोल करना चाहता था कही निशा मुझे ग़लत ना समझ ले और फिर अपनी भावनाए वैसे भी भड़क जाए तो फिर प्राब्लम हो जाती है तो मैने उसे अपने से परे किया पर उस दो पल मे ही मेरी धड़कने बढ़ गयी थी, तो फिर मैने करवट बदली और सो गया अगली सुबह मुझे एजेन्सी मे रिपोर्ट करनी थी



तो मैने निशा को कुछ ज़रूरी बाते बताई पास वाली मार्केट का अड्रेस दिया और फिर कहा कि मुझे आते आते रात हो जाएगी तो तुम देख लेना फिर मैं ऑफीस आ गया कुछ पुरानी फाइल्स रीड की बॉस आए नही थी अभी तक मुझे मेरी रिपोर्ट भी सब्मिट करनी थी तो दोपहर बाद वो आए कुछ परेशान लग रहे थे उन्होने मुझे कॅबिन मे बुलाया और एक प्रॉजेक्ट की फाइल देते हुए कहा कि इस फाइल को अच्छे से रीड कर्लो और अपनी बेसिक तैयारी कर्लो मैने कहा सर मैं मॅटर देख लेता हूँ तो मैं अपनी डेस्क पर आया और फाइल को रेड करने लगा और जैसे जैसे मैं वो सब पढ़ता गया मेरे माथे पर एक शिकन आ गयी कहाँ मैं सोच रहा था कि निशा के साथ टाइम स्पेंड करूँगा और कहाँ अब ये नया प्रॉजेक्ट पूरा करना था मैं बॉस के कॅबिन मे गया



और पूछा सर हमें कब निकलना है तो उन्होने कहा परसों चलते है मैने कहा यस सर फिर कुछ और मुद्दो पर डीस्कस्स करने के बाद मैं वापिस आ गया और कुछ इन्फर्मेशन्स को रीड करने लगा काम करते करते रात के दस बज गये थे तो फिर मैने अपना बॅग उठाया और घर की ओर हो लिया जब मैने बेल बजाई तो उस प्यारी सी लड़की ने दरवाजा खोला और मुस्कुराते हुए मेरा स्वागत किया


मैं तो घर की हालत देख कर सोचने लगा कि ये मेरा रूम ही है क्या निशा ने सब कुछ सॉफ करके अच्छे से व्यस्थित कर दिया था मैने पूछा तुमने खाना खाया तो पता चला कि वो मेरी ही राह देख रही थी मैने कहा यार मेरा कोई फिक्स नही है तू अपनी सेहत का ध्यान रखा कर , और हां मैं कुछ दिनो के लिए बाहर जा रहा हूँ वापिस आने मे थोड़ा टाइम लग जाएगा….

निशा बोली पर मैं अकेले कैसे रह पाउन्गी तो मैने कहा पर डियर ये तो हमारे काम का दस्तूर है ही मेरा काम ही ऐसा है कि आज यहाँ तो कल कही ओर पर तुम चिंता ना करना मैं जल्दी ही आ जाउन्गा और फिर एक-दो दिन मे तुम भी तो ड्यूटी पे जाना शुरू कर दोगि और तुम चिंता ना करो इधर तुम्हे किसी भी तरह की कोई प्राब्लम नही आएगी बस मस्त रहो



अब मैं क्या करू काम भी करना ज़रूरी था आख़िर उसी बात की तो सॅलरी मिलती थी मुझे पर दिल मेरा भी निशा के साथ रहने को कर रहा था पर फोज ने यही चीज़ बड़े बेहतरीन तरीके से सिखाई थी कि चाहे हालत कुछ भी हो अपने एमोशन्स को काबू मे रखो तो मैने कहा चल वो सब छोड़ और खाना खिला दो सुबह से कुछ खाया भी नही है तो निशा बोली हाथ मूह धो लो मैं परोस देती हूँ



तो फिर हम खाना खाने लगे मैने कहा अरे यार दाल क्यों बना दी तुमने तो वो बोली खाकर तो देखो अच्छी बनी है मैने कहा यार अब फोजी आदमी को बस दाल ही नही भाती है पर चलो अब तुमने बनाई है तो अच्छी ही होगी और फिर हम हँसी मज़ाक करते हुए पेट भरने लगे निशा ने पूछा घर कब जाओगे मैने कहा नही यार अब घर नही जाउन्गा अपना तो दाना पानी उठ गया है उधर से



निशा बोली माँ-बाप तो कहने के ही होते है जब तुम शादी मे जाओगे तो कोशिश करना मम्मी से सुलह करने की सब अड्जस्ट हो जाएगा कितने सुलझे हुए विचारों की लड़की थी ये और मैं कितना स्वार्थी हो गया था पर मैं भी तो मजबूर था डिन्नर के बाद मैने कहा आओ ज़रा वॉक करके आते है तो फिर हम अपने कॅंपस से बाहर निकल आए और रोड पर घूमने लगे



अचानक से निशा ने पूछा तुम शादी कब कर रहे हो मैने कहा यार तुझे सब पता तो है फिर क्यो पूछ रही है वो बोली ऐसे ही मैने कहा जब भी होगी तुझे तो पता चल ही जाएगा ना तो वो बोली हाँ वो तो है ही आख़िर मैं तुम्हारी स्पेशल गेस्ट जो हूँ और हँसने लगी फिर हम ने एक आइस्क्रीम खाई और घर आ गये अगले दिन मुझे निकलना भी था तो पॅकिंग की और फिर थोड़ी देर के लिए सो गया



अगले दिन जब मैं जाने को था तो उसने पूछा वैसे तुम जा कहाँ रहे हो मैने कहा दुबई, मैने उसको कुछ बुनियादी बाते समझाई उसका बॅंक चाँदनी चौक एरिया मे था तो उसको रूट वग़ैरहा समझाया और एक नंबर दिया मैने कहा अगर पीछे से तुम्हे कोई परेशानी हो तो इस नंबर पर कॉल करना मदद मिल जाएगी पता नही क्यो मुझे उसकी इतनी फिकर थी जबकि कई सालों से वो अकेली ही तो रह रही थी



अगले दिन मैं बॉस के साथ एरपोर्ट पहुच गया , अब मैं बता ता हूँ कि हम दुबई क्यो जा रहे थे दरअसल इंटरनॅशनल पीस समिट हो रहा था तो बॉस ने बोला था कि इस तरह की समिट्स मे डेलिगेशन मे कुछ एजेंट्स भी जाते है उनका काम होता है अदर कंट्रीज़ के डेलिगेशन्स से ख़ुफ़िया इन्फर्मेशन निकलवाना तो इस बार बॉस ने मुझे भी ले लिया था साथ



दुबई, रेगिस्तान मे बसी हुई जन्नत खूबसूरत इतना कि बस शब्दो मे बताना बड़ा ही मुश्किल 5 दिन का समिट था तो जाते ही बस थोड़ी बहुत देर आराम किया और फिर शाम को तैयार हो लिए उन की कॉन्फ्रेंसे के लिए सभी देशो के डेलिगेशन्स आए हुवे थे बस मेल मिलाप की फॉरमॅलिटीस ही चल रही थी पर चूँकि बॉस ने मुझे पहले ही बता दिया था कि



ख़ुफ़िया एजेंट्स भी होते है और फिर मुझे इतना ज़्यादा एक्सपीरियेन्स भी नही था तो मैं थोड़ा सा सावधान सा ही था मेन कॉन्फ्रेंस काफ़ी बोरिंग सी थी और मेरे पल्ले भी कुछ खास पड़ नही रहा था तो मैं बाहर आ गया और एक ड्रिंक लेने चला गया कुछ देर बाद बॉस की कॉल आई तो उन्होने पूछा कि कहाँ हो तुम मैने बता दिया वो बोले हॉल मे आ जाओ



कुछ देर मे इंडिया-पाकिस्तान की कंबाइन प्रेस कॉन्फ्रेंसे होने वाली है तो अपने जैसे भी होंगे ज़रा नज़र मार लेना और चूँकि ये इंटरनॅशनल समिट है तो थोड़ा सा प्रोफेशनलिसम दिखाओ ये कोई टाइम है क्या ड्रिंक लेने का तो मैने अपना शॉट वापिस रखा और बोला सर दो मिनट मे पहुचता हूँ और तेज तेज कदमो से हॉल की तरफ जाने लगा

बॉस ने मुझे इशारा किया और मैने अपनी सीट पकड़ ली प्रेस की तरफ से आ रहे सवालो का जवाब दिया जाने लगा और मैं अपनी आँखे इधर उधर दौड़ाने लगा तो मेरी नज़र पाकिस्तानी डेलिगेशन पर पड़ी जब मैने गोर से उधर देखा तो मेरे दिमाग़ ने एक झटका खाया , क्या ये वही थी,नही नही मुझे ज़रूर कोई ग़लत फहमी हुई है तो मैने बड़े ही गोर से दुबारा देखा



मैं गहरी सोच मे पड़ गया ये तो वही है पर ये यहाँ कर क्या रही है, पाकिस्तान डेलिगेशन के साथ इसका मतलब तो …….. ……….. …….. तो नही ऐसा नही हो सकता ये ज़रूर कोई और ही होगी क्या पता मेरी नज़रे धोखा खा रही हो तभी मेरी निगाहें उसकी नज़रो से मिली और उस मोहतार्मा का भी वही हाल हो गया जो मेरा हो रहा था एसी हाल मे भी उसके
माथे पर पसीने की कुछ बूंदे चल चला आई थी उफ़फ्फ़ साला ऐसा भी हो सकता है क्या हम तो खुद को ही तीस मार ख़ान समझते थे पर आज पता चला कि मैं तो बस एक चूतिया ही था, भरी महफ़िल मे हम दोनो रुसवा होने लगे थे एक दूजे की निगाहो के वार से मैने पास रखी बॉटल से दो घुट पानी पिया और अपनी सांसो को दुरुस्त किया आज मुझे पता चला था कि ये राह जो मैने चुनी थी कितनी मुश्किल भरी हो सकती है



मुझे अब कुछ पता नही था दिल तो कर रहा था कि अभी जाकर उस से पुछु कि तुम यहाँ पर कैसे,,……………………… ………………. ……………



जबकि जब वो अगर यहाँ पर थी तो मुझे ये भी पता तो था ही कि वो कॉन है क्या सख्शियत है उसकी पर वो सब झूठ था जो उसने मुझे बताया था कितनी आसानी से उसने मुझे अपने जाल मे फसा लिया था उफ्फ पर मैने भी सोच लिया था कि बस अब इसकी खबर तो लेनी ही है चाहे कुछ भी हो इसको धर ही लूँगा मैं अब मैं सोच रहा था तभी हमारी आँखे फिर से टकराई…….. ……………. …………. ………………ऑर

ऑर इस बार कुछ पॅलो तक हम आँखो आँखो मे एक दूसरे को देख ते ही रहे ,महक थी वो कहाँ वो जब एक चाइ की दुकान वाली बनी थी और अब यहाँ मैं एक पल मे ही समझ गया था कि ये गजब की एजेंट है आइएसआइ की, और हम तो बस एक नोसिखिए से ज़्यादा कुछ नही थे उसने अपने दुपट्टे को संभालते हुए एक गहरी नज़र मुझ पर डाली और उठ कर बाहर को चल दी



मैने अपनी कुर्सी छोड़ी और नज़र बचा कर मैने भी एग्ज़िट का रास्ता ले लिया मैं दौड़ कर उधर गया तो उसकी बस झलक सी ही दिखी बाहर को जाते हुए तो मैं तेज़ी से उस और दौड़ा बिल्डिंग से बाहर आते ही देखा कि उसने एक टॅक्सी ली और आगे बढ़ गयी मैने तुरंत ही अपने लिए भी एक टॅक्सी ली और उसके पीछे चलने को कहा करीब आधे घंटे बाद उसकी कॅब रुकी तो मैं भी उतर गया



वो एक छोटा सा केफे था महक अंदर एंटर हो गयी तो मैं भी घुस गया और उसके सामने वाली चेर पर बैठ गया कुछ देर तक हम दोनो बस एक दूजे की आँखो की भाषा पढ़ते रहे अब बात अलग हो गयी थी बल्कि मुझे प्रोटोकॉल यू तोड़ना ही नही था अगर ये ट्रॅप है तो मैं फस गया था बुरी तरह से वैसे भी अक्सर हमारे जैसे लोग खूबसूरती का शिकार हो ही जाया करते है



आख़िर मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा महक या जो भी नाम है तुम्हारा तुम यहाँ कैसे तो बड़ी ही सन्जीदगी से उसने जवाब दिया कि अब इस सवाल का कोई फ़ायदा नही है क्योंकि जवाब तो आप को पता लग गया ही है इस हमाम मे हम सब नंगे ही है और अब तो आप से ये भी नही पूछ सकती कि आप यहाँ कैसे बस इतना समझ लीजिए कि हम लोग अपने अपने वतन के लिए अपना अपना काम कर रहे है



बात तो उसकी सही थी और ये एक ऐसा सवाल था कि जिसका कोई जवाब हो ही नही सकता था पर मैं क्या करूँ वो जो कुछ दिनो की दोस्ती सी हो गयी थी उस से जब कितनी मासूम थी वो और आज उसी चेहरे के अंदर एक नक़ाब था अब क्या कहें हम किसी से अपना हाल ए दिल जनाब बस इतना जान लीजिए कि आँसू भी अपना ही नमक ना जाने मेरा मन मान ने को तैयार नही हो रहा था



कि महक आइएसआइ से जुड़ी हो सकती है पर यही सच्चाई थी, आख़िर हम सबने अपने अपने चेहरो पर नक़ाब ही तो ओढ़ रखे थे हर किसी के लिए हम अलग अलग सख्सियत ही तो थे, महक मुझे चाइ का कप पकड़ाते हुए बोली जनाब चाइ लीजिए पर मैने कप नही पकड़ा तो वो बोली जनाब फिकर ना करे कुछ मिलाया नही है इसमे और उसने दो चुस्किया ले ली उस कप मे से



फिर वो बोली आप चिंता ना करे , हमारी ये मुलाकात पूरी तरह से महफूज़ है तो मैने वो कप ले लिया और चाइ पीने लगा वो बोली सोचा नही था कि इस तरह आपसे दुबारा मुलाकात होगी , वरना मैं तो बस आपके साथ बिताए कुछ पलों को ही बस दिल मे कही समेटे हुए थी मैने कहा मैने भी नही सोचा था कि तुमसे इस तरह …… ……….. ………. मैने कहा तो अब क्या



तो वो बोली , तो कुछ नही आप अपना काम कीजिए और मैं अपना बस यही हक़ीक़त है और हमें इसे मान ना ही होगा वरना अंजाम तो आप बखुबी समझते है मैने कहा तो अपनी दुस्मन को यहीं पर गोली मार दूं तो महक एक कातिल अदा के साथ बोली हुजूर मर तो हम उस रात ही गये थे जब आपकी बाहों मे पनाह ली थी अब तो बस साँसे ही चल रही है आपकी अमानत है आप जब चाहे ले लीजिए
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#63
काश वो शाम ना होती, काश वो बात ना होती , काश ना वो होती ना मैं होता और ना होता वो दस्तूर तो वो मेरी एक दोस्त थी जिसके साथ थोड़े से पल उस वादी मे जिए थे मैने उसका तो पता नही पर एक तरफ दिल आ गया और दूसरी तरफ दिमाग़ जो चीख कर कह रहा था कि दुश्मन है वो दुश्मन है अब मेरी दुविधा तो बस मैं ही जानू तो मुझे अपना फ़ैसला लेना था



मैने कहा देखो महक या जो भी तुम्हारा नाम है तो उसने कहा सनम नाम है मेरा पर आप महक ही बुलाए अच्छा लगता है तो मैने कहा अगर मैं चाहू तो दो पल मे तुम्हे पकड़ सकता हू तुम हमारे लिए इंपॉर्टेंट साबित हो सकती हो तो उसने कहा यही बात आप पर भी लागू होती है जनाब ये साली एक अजीब सी सिचुयेशन खड़ी हो गयी थी मेरे सामने पर वो कहते है ना कि हम हम है बाकी सब पानी कम है



तो मैने एक पल मे ही गन निकल ली और उस पर तान दी पर वो भी शातिर थी पलक झपकने के पहले हम दोनो एक दूसरे के टारगेट पर थे वो बोली जनाब ये खेल आप के लिए नये होंगे पर मुझे आदत है इन खिलोनो से खेलने की गन अंदर रख लीजिए और वैसे भी ये दुबई है तो आप इधर ओपन्ली कोई पंगा नही चाहेंगे ना महक बोली एक दोस्त के नाते बस इतना ही चाहूँगी कि आज के बाद


हमारी कभी कोई मुलाकात ना हो क्योंकि अब जब भी मुलाकात होगी तो चीज़े अलग होंगी पर इतना ज़रूर है कि आप दोस्त थे और हमेशा रहेंगे कुछ नाते सर्हदो से परे होते है क्या बात कह गयी वो उस लाइन मे , मैने कहा तो एक जाम हो जाए वो बोली जनाब फिर कभी तो फिर उस छोटी सी मुलाकात के बाद हम अपने अपने रास्ते पर हो लिए ना उसने मूड़ के देखा और ना मैने



पर वो कहते है ना कि कुछ बाते भूली नही जाती है बस समझ लीजिए कुछ ऐसा ही था मैं फिर होटेल आया तो बॉस बोले कहाँ गुम हो गये थे तो मैने कहा सर बस इधर की स्पीच समझ नही आ रही थी तो बाहर निकल गया था बॉस बोले यार एक मेसेज इंटर्सेप्ट हुआ है कि अफ़ग़ानिस्तान बॉर्डर पर मिलाइटंट्स का एक नया ट्रैनिंग कॅंप खुला है और अपने दोस्तो का जो डेलिगेशन आया है उसमे से दो बन्दो का कॉंटॅक्ट उधर से है मैने कहा आप हुकम करो सर उठा लेते है अभी तो बॉस हँसते हुए बोले तू कभी नही सुधरेगा

बॉस बोले उठाना नही है बस तू थोड़ी बहुत इन्फर्मेशन निकाल ले बाकी फिर देखेंगे इधर कोई आक्टिविटी नही चाहिए वरना अगर लीक हो गयी तो इंटरनॅशनल समुदाय मे अपनी रेप्युटेशन पे फरक पड़ेगा फिर मैं अपने रूम मे चला गया फ्रेश वग़ैरा होकर बस कपड़े चेंज कर ही रहा था कि रूम का इंटरकम बज उठा तो मैने कॉल पिक करली



दूसरी तरफ महक थी उसने कहा जनाब खाने पर आपका इंतज़ार रहेगा अगर हो सके तो इतना अता फरमाइए और उसने अपना रूम नंबर बता दिया तो मैने भी सोचा कि जब दोस्ती है तो फिर निभाते है तो हम भी चल पड़े रूम नंबर 1581 की तरफ किसी सदियो से बिछड़ी हुई महबूबा की तरह मेरा इस्तकबाल किया उसने रूम मे लाइट ऑफ थी बस मोमबतियो से रोशनी की हुई थी



महक ने एक सुनहरा सा गाउन पहना हुआ था जो उसके गोरे बदन पर बड़ा ही जच रहा था दो पल के लिए मेरी नज़रे वही पर ठहर गयी तो वो मुस्कुराते हुए बोली मुझे उम्मीद थी कि आप हमारी मेहमान नवाज़ी को कबूल ज़रूर करेंगे मैने कहा जब आपने बुलाया है तो खाकसार को आना ही था महक ने खाना प्लेट मे डालते हुवे कहा आपका शुक्रिया मैं कैसे कहूँ



मैने कहा उसकी कोई ज़रूरत नही है महॉल कुछ रोमॅंटिक सा बना दिया था उसने पर हसरते कुछ जुदा जुदा सी लग रही थी पर इसे ही तो ज़िंदगी कहते है ना जाने कब किस मोड़ पर ले आए आदमी को हमेशा तैयार ही रहना चाहिए खाने के बाद उसने जाम बना दिया और मुझे दिया तो मैने कहा तुम नही लोगि क्या तो वो बोली आप कुछ घूट ले लीजिए मैं इसी मे से ले लूँगी



और फिर हम बारी बारी से एक ही गिलास से पीने लगे महक की होंठो पर कुछ बूंदे शराब की छलक आई थी तो मैं उसके उपर झुका और उसके लबों पर अपनी जीभ फिराने लगा गुलाब की ताज़ा पंखुड़ियो से सुर्ख लबरेज होठ उसके मेरे सूखे होठ पल भर मे ही तर हो गये उसका शरबती स्वाद मेरी रूह मे उतरने लगा महक ने अपने मूह थोड़ा सा खोल दिया



और मेरी जीभ को अपने मूह मे लेकर चूस्न लगी उफ़फ्फ़ कयामत सा हुस्न उसका उस पल मैं सबकुछ भूल गया , भूल गया कि वो कॉन है और मैं कॉन हूँ बस याद था तो वो बिताई रात और एक आज की ये रात जब वो फिर से मेरे पास थी जब तक सांस टूटने के कगार पर नही आ गयी हम दोनो एक दूसरे को चूमते ही रहे एक मुक़ाबला सा हो गया था



शायद कुछ इसलिए भी कि अब फीलिंग्स थोड़ी अलग हो गयी थी मैने उसे बेड पर पटका और उसके उपर आते हुए फिर से उसके रस से भरे होंठों को दबोच लिया महक मेरी शर्ट के बटन्स खोलने लगी मैने अंदर बनियान नही डाली थी तो वो मेरे सीने के बालो पर हाथ फिराने लगी अब मैने उसके होंठो को छोड़ा और उसके गाउन की रेशमी डोरियो को खीच दिया

ऑरेंज ब्रा-पैंटी क्या खूब फॅब रही थी उस के बदन पर मैने उसकी ब्रा को खोल दिया तो वो बेड पर घूम गयी मैं उसकी पीठ पर अपने गरम चुंबन अंकित करने लगा तो महक की एक आह निकल गयी मैने अपने दाँतों के निशान उसकी पीठ पर छोड़ दिए थे महक पलटी और फिर मुझे नीचे गिरा कर मुझ पर सवार हो गयी और मेरे सीने पर किस करने लगी



साथ ही साथ उसने मेरी पॅंट भी खोल दी और मेरे लंड को कपड़ो की क़ैद से आज़ाद कर दिया तो जल्दी ही वो उसकी मुट्ठी मे था महक ने जल्दी से उसको अपने मूह मे ले लिया और किसी आइस क्रीम की तरह से उसको चूसने लगी तो मेरा बदन एक ना बताई जाने वाली मस्ती मे भरने लगा मैं उसके सर को अपने लंड पर दबाने लगा महक के थूक से लंड की खाल चमड़े की तरह शाइन करने लगी थी


महक की जीभ मेरे सुपाडे पर किसी हंटर की तरह चलते हुए मेरे बदन मे सुरसूराहट कर रही थी तो मैने उसे अपने उपर 69 मे घुमा लिया और उसकी गीली पैंटी को नीचे करते हुए बिना कुछ सोचे समझे अपने होठ उस गरम चूत पर रख दिए तो महक का बदन पल भर के लिए काँप ही गया और उसने अपने मोटे मोटे सुडोल कुल्हो मे मेरे चेहरे को भीच लिया



पल भर मे ही मेरी जीभ उसकी योनि के अंदर पहुच गयी थी बड़ी गरम चूत हो रही थी उसकी और पानी तो हद से ज़्यादा बह रहा था जल्दी ही मेरा मूह उसके खारे पानी से भर गया था दूसरी तरफ वो मेरे अंडकोषो से खेलती हुई मेरे लंड को चूमे जा रही थी उसकी गरम जीभ से मैं पल पल पिघले जा रहा था अब हम दोनो ही भूल चुके थे कि हम लोग कॉन है कहा है



फिर मैने उसे अपने उपर से हटाया और वाइन की पूरी बॉटल उसके बदन पर उडेल दी महक कुछ बोल पाती उस से फेले ही मैने उन नशे से भरी बूँदो को चाटना शुरू कर दिया तो मस्ती से उसका रोम रोम फड़कने लगा था उसके माथे से लेकर उसके पाँवो तक एक एक अंग को मैं चाटे जा रहा था महक की सिसकारिया बहुत ही बढ़ गयी थी रोम रोम पुलकित हो रहा था


वाइन से भीगी हुई चूत पर अब मैं अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगा था तो महक की जैसे साँसे ही बंद हो गयी थी महक ने अपनी टाँगे उठा कर मेरे चेहरे पर कस दी थी और उत्तेजना के सातवे शिखर को पहुचने लगी थी वो बेड की चादर को अपनी मुट्ठी मे मसल्ते हुए आहे भरने लगी थी और मेरा हाल भी उस से कुछ जुदा नही था हम दोनो के शरीर इस हद तक गरम हो चुके थे कि बस एक बरसात ही हमे ठंडा कर सकती थी



महक अपने मस्त बोबो को भीचते हुवे मुझे अपनी चूत का रस बहुत अच्छे से पिलाए जा रही थी उसकी हर एक सिसकी ये बता रही थी कि बस कुछ ही देर मे वो झड़ने वाली है तो मैं तेज तेज जीभ चलाने लगा उसकी योनि पर महक मेरी बाहों मे तड़प रही थी और मैं उसके हुस्न मे गुम हो जाने को तैयार था तभी उसकी टाँगो की पकड़ बेहद कड़ी हो गयी और उसकी कमर झटके खाने लगी महक की चूत से गरम पानी बहने लगा

उसके झड़ते ही मैने उसकी टाँगो को पकड़ कर चौड़ी किया और अपने सुपाडे को चूत पर रगड़ने लगा वो अपनी आँखे बंद किए हुए लंबी लंबी साँसे ले रही थी मेरे सुपाडे के गरम स्पर्श से महक चिहुन्क गयी और अगले ही पल मैने अपने फडफडाते हुए लंड को चूत पे लगा कर जो धक्का लगा या तो लंड उसकी कोमल फांको को फैलाते हुवे अंदर की ओर जाने लगा महक अपनी टाँगो को अड्जस्ट करते हुए लंड को चूत मे लेने लगी



अगले दो-तीन धक्को के साथ लंड महक की चूत मे घुस चुका था महक ने अपनी आँखे अभी भी नही खोली थी मैने उसकी कमर को पकड़ा और अपने हाथो से उधर दबाव बनाते हुए चूत पर घर्षण करने लगा ज्यो ज्यो मैं चूत पर धक्के लगाता तो उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचिया हिलने लगी थी महक अपनी चूची को दबाते हुवे चुदाई का मज़ा लेने लगी थी



उसकी टाँगे अपने आप उपर को उठने लगी थी और मैने भी अब अपना पूरा ज़ोर उसपर डालते हुए उसके होंठो को अपने मूह मे भर लिया और उसको चूमते हुए चोदने लगा ना जाने इस चुदाई मे मुझे कुछ अलग सी फीलिंग हो रही थी उसके लंबे नाख़ून मेरी पीठ पर उस रात की कहानी को लिख रहे थे पर ये नशा ही कुछ ऐसा था कि बस जीतने वाला हार जाता है और हारने वाला जीत जाता है



महक का कामुक बदन और मेरा जोश उस कमरे के अंदर एक तूफान सा आ गया था हम दोनो अपनी अपनी तरफ से पूरा दम लगाते हुए एक दूजे के शरीर मे समाए हुए थे मैं उसके गोरे गालो को चूमता कभी उसकी गर्दन पर काट ता तो वो भी कम नही थी वो अपना हाथ नीचे ले गयी और मेरे अंडकोषो को दबाने लगी तो मेरी नसों मे बहता हुआ खून और भी तेज़ी से दौड़ने लगा था



अब मैने उसको घुमा कर टेढ़ा कर दिया और उसके पीछे आते हुवे उसकी साइड से अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया और उसको कस कर पकड़ते हुए उसकी टाँग को थोड़ा सा उठा कर अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को चूत से सटा दिया तो महक और भी पीछे को हो गयी और उसी पल फिर से मेरा लंड रेंगते हुए उसकी टाइट चूत मे जाने लगा लंड के पूरी तरह से अंदर जाते ही



मैने उसके दोनो बोबो को मसलना शुरू कर दिया और उसकी चुदाई फिर से शुरू हो गयी महक की गान्ड से टकराती मेरी गोलियाँ एक अलग सी ही अनुभूति करवाए जा रही थी महक भी अब बार बार अपनी गान्ड को पीछे करते हुवे हिलने लगी थी तो चुदाई का आलम और भी मजेदार हो गया था महक की चुदाई थप थप करते हुए चल रही थी एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हम दोनो अपने अपने जिस्मो की उस जलती हुई आग को ठंडा करने की भरपूर कोशिश कर रहे थे मैं पूरी रफ़्तार से महक को चोदे जा रहा था और वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी दना दन धक्के पे धक्का लगा ते हुए हम दोनो एक दूजे के सामर्थ्य को तोल रहे थे मैं डिसचार्ज होने के करीब आ गया था तो मैने अपनी पूरी ताक़त झोक दी और फिर मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकलते हुए महक की चूत को भिगोने लगी

झड़ने के बाद मे मैने उसे अपने आप से चिपकाए रखा था थोड़ी देर बाद महक मुझ से अलग हो गयी और अपनी मस्त गान्ड को हिलाते हुए बाथरूम मे चली गयी मैं उठा और थोड़ा सा पानी पिया और खिड़की से बाहर को देखने लगा रात हो गई थी पर सहर रंगीन था मैं खिड़की के शीशे पर हाथ लगाए बाहर को देख रहा था कि महक आई और पीछे से मुझ से लिपट गयी



उसके हाथ मेरे सीने पर रेंगने लगी और थोड़ी देर बाद एक हाथ मेरे लंड पर आ गया तो वो उसके हाथो की गर्मी पाकर फिर से फूलने लगा महक मेरे शोल्डर पर अपने दाँतों से निशान बना ने लगी थी उसकी खुसबूदार साँसे मेरे कंधो पर पड़ते हुवे मुझ उत्तेजना का भान करवाने लगी थी थोड़ी देर मे ही मैं फिर से तैयार हो चुका था मैने उसको अपनी तरफ किया और



उसकी गुब्बारे जैसी चूचियो पर अपना मूह चलाने लगा तो उसकी छातियो मे फिर से तनाव आने लगा था उसकी चूची पीते पीते मैने उसकी गान्ड की दरार मे अपनी उंगली डाल कर सहलाना शुरू कर दिया था महक फिर से पागल होने लगी थी वही खड़े खड़े मैने उसको अपनी गोद मे उठा लिया और उसने लंड को अपनी चूत पा सेट किया और उस पर बैठ ती चली गयी



उसने अपने होठ फिर से मेरे होंठो से जोड़ लिए थे और मेरी बाहों मे उछलते हुए चूत को लंड पर उपर नीचे करने लगी थी हम दोनो की गरम साँसे एक दूसरे के मूह मे ही टकरा रही थी महक पूरी फुर्ती से उछल उछल कर लंड पर कूद रही थी मैं उसके चौड़े कुल्हो को पूरी मजबूती से थामे हुए था काफ़ी देर तक मैं ऐसे ही उसे अपनी बाहों मे झुलाता रहा



फिर वो मेरी गोद से उतरी और अपने हाथो को खिड़की पर जमाते हुवे मेरी तरफ पीठ करके अपनी गान्ड को बाहर की ओर करके झुक कर खड़ी हो गयी मैने अपने लंड पर थूक लगाया और उसने अपनी टाँगो को थोड़ा सा फैला दिया मैने लंड को चूत के मूह पर लगाया और स्रर्ररर से अंदर कर दिया महक ने एक आह भरी और अपनी गान्ड को पीछे की ओर धकेल दिया



अब मैं भी उस पर थोड़ा सा झूक गया और उसके कंधो को काट ते हुए उसकी चूत मे लंड अंदर बाहर करने लगा तो महक भी अपने कुल्हो को हिला हिला कर अपने जोश का सबूत दे रही थी उसकी पीठ पर उभर आई पसीने की नमकीन बूँदो को चाटने लगा था मैं. लिज़लीज़ी जीभ की आहट अपनी पीठ पर पाकर महक का बदन मस्ती से भर गया था और वो मेरी बाहों मे पिघलने लगी थी



महक ने अब अपनी दोनो जाँघो को आपस मे कस लिया था और उसकी चूत भी बहुत ज़्यादा गीली हो गयी थी मैने कुछ और धक्के लगाए ही थे कि महक पूरी तरह से खिड़की के शीशे पर झुक गयी और उसकी चूत से एक बार फिर से लावा बह चला तो उसकी चूत ने लंड को अपने मे बुरी तरह से कस लिया लंड उस दबाव को ज़्यादा देर तक नही सह पाया और वो भी उसकी चूत मे ही झड गया हम दोनो हान्फते हुए एक दूजे से अलग हुए

महक बेड पर लेट गयी और मैं बाथरूम मे पेशाब करने चला गया फिर आकर उसके पास ही लेट गया तो वो मुझसे चिपक गया मैं उसकी जुल्फे सहलाते हुए बोला तुम्हे मुझे यहाँ नही बुलाना चाहिए था तो वो बोली आज की रात ही तो है बीच मे कल से तो हम और हमारी राहें जुदा ही रहेंगी तो मैने सोचा कि पुरानी दोस्ती के कुछ पॅलो को जी लिया जाए



तो मैने उसके गालो को सहलाया और कहा तो ये बात है और उसकी गान्ड पर हाथ फिराने लगा उसकी गान्ड का छेद काफ़ी टाइट लग रहा था तो उसने पूछा जनाब के इरादे कुछ ठीक नही लग रहे है मैने कहा अब जब हम दोनो आज की रात साथ है तो फिर इरादे ठीक कैसे हो सकते है और उसकी गान्ड मे उंगली घुसाने लगा तो महक दर्द भरी सिसकारी लेते हुए बोली तो नवाबी शौक भी रखते हो




मैने कहा शोक बड़ी चीज़ है और फिर तुम हो तो बस तुम ही हो मैने महक के गालो पर अपना लंड फिराना शुरू कर दिया तो महक ने अपने मूह को थोड़ा सा खोला और अपने सुर्ख होठ लंड पर रख दिए और मेरे सुपाडे पर जो उसकी चूत के रस से सना हुआ था उसे चाटने लगी उसकी खुरदरी जीभ के असर से लंड में फिर से करेंट मे आने लगा था मैं उसके चेहरे पर झुके हुए उसे अपना लंड चूसने लगा था


सुडूप सुडूप करते हुए वो लंड को अपने गले की गहराइयो मे उतारने लगी थी उसकी लार से लंड एक बार फिर से भीग कर चमकने लगा था 10-12 मिनट तक वो बस लंड को अपने मूह मे ही भरे रही अब मैने उसे पलटाया और उसके मस्त कोमल कोमल कुल्हो की दरार पर लंड को घिसने लगा तो महक के बदन से सरसराहट होने लगी वो तड़प्ते हुवे बोली



ज़रा आराम आराम से करना उधर वरना कहीं चलने फिरने लायक ही ना रहूं मैं मैने कहा चिंता ना कीजिए बस मज़ा लीजिए मैने कहा कुछ लोशन वग़ैरह है क्या तुम्हारे पास तो उसने कहा कि मेरे बॅग मे पड़ा है मैने वहाँ से एक माय्स्टूराइसिंग क्रीम ली और अपने लंड पर और उसकी गान्ड पर अच्छे से लगा दी अब बारी थी उसकी गान्ड के छेद को खोलने की मैने उसकी टाँगो को थोड़ा सा फैलाया



और अपने पैरो की केँची बना कर उनमे फसा ली और फिर अपने लंड को गान्ड पर लगा कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा तो महक बोली प्लीज़ आप आराम से करना मैने कोई जवाब नही दिया बल्कि थोड़ा सा ज़ोर से धक्का लगा दिया तो मेरा सुपाडा आधा उसकी गान्ड मे फस गया महक ने अपने दर्द को दाँतों मे भीच लिया और उसके हाथ बेड की चादर पर कसते चले गये


मैने फिर से थोड़ा सा ज़ोर लगाया और कुछ और हिस्सा अंदर की ओर जाकर फस गया महक की गान्ड का छेद लंड की मोटाई के अनुसार चौड़ा हो गया था वो कराहने लगी थी पर अब जब लंड घुसना है तो घुसना है दो मिनट का दर्द तो झेलना ही पड़ेगा उसको तो फिर हौले हौले से मेरा लंड किसी साँप की तरह से सरकते सरकते हुए महक की गान्ड मे जाकर गुम सा हो गया



तो उसने भी राहत की सांस ली पर उसको राहत इतनी आसानी से थोड़ी ना मिलने वाली थी मैने लंड को सुपाडे तक बाहर खीचा और फिर से एक ज़ोर का झटका मारते हुए अंदर डाल दिया तो इस बार वो चीख ही पड़ी पर अपनी पकड़ पूरी मजबूत थी तो बस उसको कस के रखा और धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा महक की गान्ड का छेद पूरी तरह से खुल गया था उसकी आँखो से आँसू निकल आए तो मैं अपनी जीभ से उस नमकीन पानी को चाटने लगा वो बोली बड़े बेदर्द हो मेरी पूरी जान ही निकाल दी है मैने कहा काश मेरे बस मे होता तेरी जान लेना वो तो ले नही सकता तो बस गान्ड ले कर ही काम चला रहा हूँ वो बोली आहिस्ता से पर मैने पूरी ताक़त से धक्के लगाने शुरू कर दिए थोड़ी देर मे ही उसकी दर्द भरी आहे मीठी सिसकियो मे बदल गयी



मैं पूरी फुर्ती से उसकी गान्ड मारे जा रहा था कितने गरम गद्देदार कूल्हे थे उसके जब लंड उनके बीच से अंदर बाहर होता तो मज़ा इतना की बस पूछो मत पर मैं ज़्यादा देर उसकी गान्ड नही मार पाया महक ने मना कर दिया तो मैने अपने लंड को चूत मे सरका दिया और उसके बोबो को दबाते हुए उसकी चूत मारने ल्गा कितनी कड़क चूचिया थी उसकी



आज वो भी अपनी गरमा गरम जवानी का रस घोंट घोंट कर मेरे उपर न्योछावर करे जा रही थी और मैं किसी प्यासे भंवरे की तरह उसका बूँद बूँद करके रस पिए जा रहा था महक की साँसे पल पल भारी हो ती जा रही थी और मेरा खून वीर्य बनकर बहने को तैयार हुए जा रहा था महक की टाँगे अब बिल्कुल उपर को हो गयी थी और वो मेरी गर्दन मे अपने हाथ डाले हुए मुझे किस करती हुई



अपनी कमर हिला हिला कर अपनी तरह से भी धक्के लगा रही थी और उपर से मैं लगा हुआ था उसके उपर तो दो जिस्म एक जान का ही सीन हो रहा था महक की रस से भरी चूत रिस रिस कर बह रही थी और फिर उसके हाथो ने मेरी पीठ पर अपनी पकड़ इतनी मजबूत हो गयी उसकी टाँगे मेरी कमरपर चिपक ही गयी थी और फिर उसका बदन इतनी ज़ोर से अकड़ गया कि वो चीखते हुए झड़ने लगी और ठीक उसी पल मेरे लंड से निकलता हुआ वीर्य उसके काम रस से मिलने लगा

पता नही मैं कितनी देर महक के उपर ही पड़ा रहा फिर मैं साइड मे लेट गया थोड़ी देर बाद ही महक को नींद आ गयी मैने अपने कपड़े संभाले और बाहर आ गया रात भी अपने आख़िरी पहर मे थी तो मैं अपने कमरे मे आ गया और बेड पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगा तो मैने निशा को फोन लगा दिया कुछ घंटी जाने के बाद उसने कॉल पिक कर ली मेरी आवाज़ सुन कर वो बोली इतनी रात ही टाइम मिलता है क्या तुम्हे



मैने कहा सॉरी यार नींद खराब की तुम्हारी पर यार मेरा दिल नही लग रहा था तो सोचा दो पल तुमसे बात कर लेता हूँ तो नींद आ जाएगी वो बोली ये फिल्मी डायलॉग मत मारो और खुद भी सो जाओ और मुझे भी सोने दो सुबह मुझे बॅंक जाना है तो मैने कहा ठीक है अब आकर ही तेरी खबर लेता हू और दो चार बातों के बाद फोन रख दिया



और सोने की कोशिश करने लगा तभी मेरे फोन पर एक एमैल आया तो मैं उसे रीड करने लगा अब कहाँ नींद आनी थी मैने रूमसर्विस को दो गिलास दूध और कुछ ड्राइ फ्रूट्स का ऑर्डर दिया और फिर करीब आधे घंटे बाद मैं चुप चाप होटेल से बाहर खिसक लिया अब अपनी तकदीर मे दो पल का आराम कहाँ था ठंडी रात मे मैने पार्किंग मे खड़ी एक कार का लॉक तोड़ा



और उसे लेकर चल पड़ा अपनी मंज़िल की ओर करीब आधे घंटे बाद मैं एक बिल्डिंग के सामने खड़ा था सेक्यूरिटी गार्ड को छका कर मैं चुपके से एंटर कर गया और लिफ्ट लेकर 10थ फ्लोर की ओर चल पड़ा कुछ ही पॅलो मे मैं एक दरवाजे के सामने खड़ा था मैने अपनी गन पर साइलेनसर लगाया और मास्टर की से गेट को बिना आवाज़ किए खोल कर एंटर कर गया



दबे पाँव मैने तलाशी लेनी शुरू की तो पता चला कि फ्लॅट मे कोई नही था तो मैं अब चीज़ो को खंगालने लगा तो मुझे दो लॅपटॉप्स और कुछ फाइल्स जो किसी तरह का कोडेड ब्लूप्रिंट्स थे मिल गये अब मेरा वहाँ से खिसक लेना ही बेहतर था अपने रूम मे आया और काफ़ी देर तक उन ब्लूप्रिंट्स को समझन की कोशिश करने लगा पर कुछ खास समझ नही आया तो मैने लॅपटॉप को ऑन किया



कुछ प्रेज़ेंटेशन्स थे और बाकी मे बस मूवीस ही भरी थी पर उन प्रेज़ेंटेशन्स मे काफ़ी कुछ मसाला था तो मैने उसी टाइम अपने बॉस को जगाया और सारी बात बताई तो वो गंभीर स्वर मे बोले यार तूने तो यहाँ भी मोर्चा मार ही लिया बड़ी ही इंपॉर्टेंट इन्फर्मेशन है अब डेलिगेशन जाए भाड़ मे मैं उपर बात करता हूँ तुम जल्दी से एक शॉर्ट टीम बनाओ



और अपनी टास्क को हर हाल मे बिना किसी शक़ के कंप्लीट करना है और कोशिश करना कि यहाँ पर किसी को जान से नही मारना है वरना प्राब्लम हो जाएगी मैने कहा डॉन’ट वरी सर मैं अभी काम पर लग जाता हूँ और मैने अपनी ड्रेस चेंज करनी शुरू कर दी टाइम बहुत ही कम था और रात की फ्लाइट से हमे वापिस भी इंडिया जाना था कुछ घंटो की ही बात थी

बात कुछ यू थी कि लश्कर के कुछ लोग हमारे एनएसए चीफ जो कि हमारे साथ ही डेलिगेशन मे आए हुवे थे उनको किडनॅप करने का प्लान कर चुके थे पर हमारे एक सोर्स की वजह से हमे प्लान का पता चल गया था और हमारी परेशानी ये थी कि आज चीफ को आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट समिट मे देनी थी तो सब कुछ सेट था मैने तीन बार सेक्यूरिटी चेक कर ली थी



आने जाने का रूट भी देख लिया था कहाँ से क्या हो सकता है सबका एक मोक पायंट बना लिया था पर मैं जानता था कि अगर लश्कर की इनवोलव्मेंट होगी तो जाहिर है वो फ़िदायीन हमला करके चोका सकते है तो मैने खुद फ़ैसला किया कि मैं खुद चीफ के पीछे रहता हूँ पर्सनल असिस्टेंट बनकर सब काम पर्फेक्ट्ली था अपनी स्पीच के बाद चीफ ने टाय्लेट जाने की इच्छा की



और जैसे ही वो अंदर गये उन पर अटॅक हो गया , चूँकि मैं अब उनके साथ तो जा नही सकता था तो जैसे ही अंदर से हल्की सी आवाज़ आ ई मैं तुरंत ही बातरूम मे पहुच गया तो देखा कि चार लोग थे बॉस को पकड़ा हुआ था और उनका मूह रुमाल से बाँध दिया गया था पहले दो साइलेंट फाइयर मे ही मैने दो को तो उड़ा दिया था पर तभी उन दोनो ने चीफ को अपनी ढाल बना लिया



मैने कहा देख मेरा दिमाग़ खराब हो इस से पहले मामला सेट कर्लो मैं वादा करता हूँ कि तुम्हे जाने दूँगा पर तुम चीफ को इधर जाने दो तो उन्होने पश्तो भाषा और किसी और भाषा मे कुछ कहा जो मेरी बिल्कुल समझ नही आया पर इतना तो लगा कि ये लोग मेरी बात नही मानेंगे मैने माइक पर अपनी टीम मेंबर से कहा कि यार पूरी संभावना है कि



फाइरिंग होगी और गोलियो के साउंड से बात बिगड़ेगी तो तू इस फ्लोर के फाइयर अलार्म्स को ऑन कर्दे 3-4 मिनट मे मैं मामले को सम्हाल दूँगा उन्होने चीफ को कवर कर हुए था तो मैं भी बेबस सा था मेरी टीम ने उस पूरे फ्लोर पर अपनी मोजूदगी दर्ज कर दी थी और तभी फाइयर अलार्म बज उठा और स्प्रिंकलर्स से पानी टपकने लगा तो उन लोगो का ध्यान बँट गया और तभी चीफ ने अपनी उमर का ख़याल ना करते हुए



उनमे से एक की कलाई पर काट लिया तो उसने घबरा कर उन्हे धकेल दिया और अगले ही पल मैने उसे शूट कर दिया तो दूसरा वाला अँधा धुन्ध फाइयर करते हुए वॉशिंग रो की आड़ मे छुप गया मैने चीफ को खीचा और उनको साइड मे फेक दिया ताकि वो गोलियो की बोछार से सेफ रहे और खुद भी फाइयर करने लगा तभी मुझे मेसेज मिला कि होटेल की टीम

इधर ही आ रही है प्राब्लम को डिटेक्ट करने के लिए जितनी जल्दी हो सके काम पूरा करो मैने कहा चीफ को गेट से बाहर कर रहा हूँ बाहर सेक्यूरिटी दो तो फिर मैने जैसे तैसे करके चीफ को बाहर कर दिया और इसी थोड़ी सी लापरवाही मे मेरे कंधे को छूकर बुलेट निकल गया खून बहने लगा तो मैं दर्द से कराह उठा मैने पास के वॉश बेसिन को उखाड़ लिया और सामने की खिड़की पर दे मारा वो टर्रर्रैस्ट का ध्यान उधर बटा और उसी पल मे मैने स्लाइड करते हुए



उसके पाँव पर लात मार दी इस से पहले कि वो गिरता मैने उसका हाथ से पकड़ा और सामने की दीवार पर दे मारा उसका चेहरा शीशे से टकराया और पलक झपकने से पहले ही मैने उसका घुटना तोड़ दिया वो दर्द से करहने लगा मैने टीम को अंदर आने को कहा और कहा कि तलाशी लो साले के पास कही कोई एक्सप्लोसिव या साईनाइड तो नही है पर ऐसा कुछ नही मिला टाइम अब कम था मैने बॉस को कहा एक को ज़िंदा धर लिया है बॉस बोले



आइ विल मॅनेज, लिफ्ट का यूज़ करके पार्किंग लॉट मे पहुचो अपनी कार रेडी है और फिर अगले 5 मिनट मे हमारी कार दुबई की सड़को पर दौड़ रही थी

मेरे घाव से काफ़ी खून बह रहा था और दर्द भी बहुत हो रहा था बॉस का मेसेज आ गया था उन्होने बताया था कि चीफ को थोड़ी बहुत चोट लगी है बाकी कोई बड़ा इश्यू नही है बाकी जो तुम तोड़ फोड़ कर के गये हो मैं संभाल रहा हूँ तुम सीधा अबूधाबी के लिए निकलो वहाँ अपने आदमी मिलेंगे और फिर तुम वहाँ से सीधे देल्ही के लिए जा रहे हो



मैने कहा वो सब तो ठीक है सर मुझे मेडिकल ट्रीटमेंट की शायद ज़रूरत है तो वो बोले किसी भी तरह से अबूधाबी पहुचो सब इंतज़ाम है वहाँ पर तो फिर गाड़ी बस दौड़ती ही रही रास्ते मे कुछ पेनकिलर्स ले लिए थे और ज़ख़्म को बाँध लिया था पर आराम नही मिल रहा था तो खैर छुपते छुपाते रात को हम लोग उधर पहुच ही गये तो सबसे पहले मैने अपने घाव की ड्रेसिंग करवाई




पता ही नही चला कि कब दवाई के गहरे असर से नींद ने मुझे अपने आगोश मे ले लिया उठ ते ही रफ़ीक ने मेरा हाल पूछा और खाने की व्यवस्था की उसने बताया कि आप लोगो के नये पासपोर्ट रेडी है आप जब चाहे निकल सकते है आप बता दे तो मैं टिकेट्स का अरेंज्मेंट करवा देता हूँ मैने कहा वो सब तो ठीक है पर इस मेहमान का क्या तो वो बोला सर



आप इसे इधर ही छोड़ दे , इसे पानी के रास्ते से पहुचा दिया जाएगा मैने कहा बॉस से बात हुई तो उसने मुझे सब बताया वैसे भी अब इधर अपना कोई काम नही था तो मैने कहा ठीक है कल सुबह की टिककटेट्स करवा देना वो बोला हो जाएगा सिर अगले दिन हम ने देल्ही की फ्लाइट पकड़ ली लंड करते ही सबसे पहले आर&ऑ हेडक्वॉर्टर गया बॉस को तो दो दिन बाद आना था



तो मैं साइबर सेल गया और कुछ इंपॉर्टेंट इन्फर्मेशन के लिए बोला साथ ही अफ़ग़ान-पाकिस्तान बॉर्डर की जियोग्रॅफिकल इमेजस और उधर के लोकल अरेंज्मेंट की रिपोर्ट भी चाहिए थी मुझे काम करते करते रात काफ़ी हो गयी थी सोचा कि अब इतनी रात को निशा को तंग करना ठीक नही है तो फिर मैं ऑफीस मे ही काम करता रहा कुछ पेंडिंग पड़े प्रॉजेक्ट्स की फाइल भी क्लियर कर के रख दी
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#64
तो करीब 11 बजे मैं एजेन्सी से बाहर निकाला अपना बॅग उठाए और ऑटो पकड़ कर घर आ गया तो देखा की ताला लगा हुआ था चुपके से गेट खोला और फटकार के सो गया शाम करीब 7 बजे डोर बेल की आवाज़ से मेरी आँख खुली मैने गेट खोला तो निशा को देख कर दिल खुश हो गया उसने पूछा तुम कब आए मैने कहा बस दोपहर को आया था



उसने अपना बॅग रखा और बोली कॉफी बनाती हूँ तुम्हारे लिए मैने कहा नही तुम थकि हुई आई हो चेंज कर्लो मैं बना ता हूँ किचन मे गर्मी सी लग रही थी तो मैने शर्ट उतार कर रख दी पर मैं भूल गया था कि निशा से चोट छुपानी है वरना खम्खा चिंता करेगी पर ध्यान नही रहा था जब मैं कॉफी कप्स लेकर बाहर आया तो वो मेरे बाजू पर बँधी पट्टी को देख कर बोली अरे ये क्या हुआ है चोट कैसे लगी तो मैने कहा कुछ नही यार कुछ खरोचे लग गयी है वो बोली क्या करते रहते हो तुम अगर कोई सीरीयस इंजुरी हो जाती तो मैने कहा छोटा –मोटा चलता रहता है डियर उसके आने से इस दो कमरो के घर मे जैसे रोनक सी आ गयी थी बड़े करीने से सज़ा सा दिया था उस मकान को उसने कॉफी पीते पीते



मैं सोचने लगा कि जब मिथ्लेश मेरे जीवन मे आ जाएगी तो कितना अच्छा रहेगा बिल्कुल ऐसे ही वो मेरा ख़याल रखा करेगी, जब मैं शाम को थक कर आउन्गा तो वो मेरा हाल पूछेगी जब मैं बाहर रहूँगा तो मेरा इंतज़ार करेगी मैं इन्ही ख़यालो मे गुम था कि तभी निशा बोली कहाँ खो गये हो जल्दी से बताओ डिन्नर मे क्या खाओगे मैने कहा जो मर्ज़ी हो बना लो



उसके किचन मे जाते ही मैने झट से अपना इंडिया वाला सिमकार्ड फोन मे डाला और मिता को कॉल किया फर्स्ट रिंग मे ही उसने फोन उठा लिया और मुझ पर अपने सवालो की बरसात कर दी वो बोली कमिने कहाँ चला गया था तू पता है कितने दिन हो गये कितना परेशान थी मैं एक एक पल , पता है मेरा मन कितना घबरा रहा था मैने कहा यार ऐसी जगह पोस्टिंग थी


यहाँ नेटवर्क होता ही नही है बड़ी मुश्किल से आज कॉल किया है तब जा कर वो शांत हुई और फिर बोली कब आओगे मिलने के लिए मैने कहा यार अभी मामा के बेटे की शादी है तो 5-7 दिन उधर ही जाना होगा उसके बाद उधर से ही सीधा तेरे पास आता हूँ तो वो बोली ठीक है जब भी आओ बता देना मम्मी भी बोल रही है अजमेर आने को तो मैं उन्हे उसी टाइम बुला लूँगी



फिर तुम भी मिल लेना कुछ भी करके मना लेना सबको अब शादी मे कितनी देर है मैने कहा यार मैं तो खुद जल्दी से अपनी अमानत को अपने घर लाना चाहता हूँ पर क्या करू लाइफ का एक पल का भी पता नही है आज यहा कल कहाँ बस अबकी बार कर ही डालते है तो फिर बाते लंबी खिचती ही चली गयी अब कई दिनो बाद जो फोन किया था तो फिर दिल के अरमान शब्दो के रूप मे बाहर आने ही थे



मिता बोली आज कल तुम पराए पराए से लगने लगे हो पता नही क्यो मैने कहा यार कम से कम तू तो ऐसा ना बोल पता है कितनी मुश्किल भरी रही है मेरे सामने चलने को हाथ मे बुलेट का घाव हुआ पड़ा है तो मिता घबराते हुए बोली ओह! माइ गॉड कैसे लगी चोट तुम्हे और अभी तबीयत कैसी है मैने कहा इतना ओवर्रिक्ट ना कर अभी सब ठीक है इधर ऐसा तो चलता ही रहता है



काफ़ी देर तक बाते होती ही रही फिर मैने फोन कट कर दिया कुछ देर बाद निशा आके बोली तो झूठ क्यो बोला कि मामूली घाव है मैने कहा यार बस तुम चिंता करती इसी लिए नही बताया तो वो मेरे कंधे पर सिर टिकाते हुए बोली अब इतनी पराई भी नही हूँ मैं जो अपना हाले दिल छुपाने लगे हो मैं उसके सर को थपकते हुवे बोला पागल तुझसे कभी कुछ छिपाया है क्या मैने आजतक




तुम और मैं दो नो एक ही तो है मैं तुमसे कहाँ जुदा हूँ तो वो बोली चलो ज़्यादा फिल्मी बाते ना बनाओ और आ जाओ खाना खाते है मैने कहा चलो फिर अगले कुछ दिनो तक बस यही दिनचर्या चलती रही अपने दिन बीत रहे थे निशा साथ थी तो पता ही नही चला कि कब दिन हो कब रात ऐसे ही करके बस भाई की शादी मे करीब 8-9 दिन ही बचे थे तो मैने 15 दिन के लिए छुट्टी ले ली और जाने की तैयारिया करने लगा





उसकी हसरत है सामने बिठा के देखू

मैं मुखातिब हूँ और तेरा हाल भी पूच्छू

सीने मे छुपि है आग मुलाकात की ख्वाहिशों की

मेहंदी लगे हाथो मे तेरा नाम छुपा के रखूं

तू अश्क़ ही बन के समा जा मेरी आँखो मे

चाहत तो बस इतनी है मैं आईना देखु तो तेरा अक्स ही देखूं

ए इश्क़-ए-मोहब्बत पूच्छू इन्न गूछो सितारो और हवाओ से

तुझसे ही मगर आके कभी तेरा नाम ना पूच्छू

ए मेरे तमन्नाओ के सितारे तू बस यू ही रौशन रहे

तेरे आने तक तो मैं ये जिस्म शब-ए-गम को ना सौपुं

एक तेरी हसरत ही मेरी मुकाम हुई है

पूच्छू खुदा से भी तो तेरे सिवा कुच्छ ना पूच्छू

इश्क़ जालिम है जान पे बन आई है जान के भी

अब जिंदगी-ए-सफ़र को क्या पढ़ु पढ़ु तो बस तेरे ही नाम का कलमा पढ़ु

पता नही क्यो मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था एक बैचैनि सी लग रही थी मुझे,मैं अपना सर निशा की गोद मे रख कर लेट गया तो वो मेरे बालो मे अपनी उंगलिया . हुए बोली क्या बात है कुछ परेशान से लग रहे हो मैने कहा पता नही यार कभी कभी ऐसा हो जाता है कि मन भटकने सा लगता है वो बोली जॉब का प्रेशर है क्या



मैने कहा अरे नही यार बस ऐसे ही , लगता है कि जैसे एक ख़ालीपन सा है मेरे अंदर , लगता है जैसे कुछ छूट रहा है मेरे हाथो मे वो बोली स्ट्रेस हो गया है एक काम करो मैं तेल की मालिश कर देती हूँ सर मे आराम मिलेगा तो मैने मना करते हुए कहा नही बस तुम पास हो तो फिर किसी दवाई, किसी उपचार की ज़रूरत नही है इस दुनिया मे बस एक तुम ही तो हो जो इस कदर समझती हो मुझे



मैने कहा तू भी चल मामा के यहाँ पर बोर हो जाएगी तो उसने कहा नही , मैं कैसे आ सकती हूँ, फिर फॅमिली भी आएगी मैं कोई कॉंट्रोवर्सी नही चाहती और फिर चाह कर भी नही जा सकती बॅंक मे बहुत काम है आजकल देल्ही मे जॉब करना बड़ा ही मुश्किल है और हमारी ब्रांच तो वैसे ही इतनी बिज़ी रहती है मैने कहा यार पर मुझे तेरी चिंता लगी रहेगी तो वो बोली अच्छा जी




जैसे आपसे पहले तो मैं जी ही नही रही थी, भला मुझे क्या होगा तुम जाओ और अच्छे से शादी एंजाय करना और कुछ फोटो भी ले कर आना

हां पक्का लेकर आउन्गा मैने कहा , फिर मैने अशोक भाई को फोन किया और कहा कि मैं कल आ रहा हूँ शाम तक पहुच जाउन्गा तो उसने कहा कि आते ही फोन कर देना आज कल साधन शाम को कम ही चलते है तो मैं सहर आ जाउन्गा पिक करने को मैने कहा ठीक है भाई

अगले दिन मैने निशा को कहा कि मुझे कोई 10-12 दिन तो लग ही जाएँगे आने मे तो वो बोली कोई बात नही मैं इंतज़ार कर लूँगी फिर हम तैयार हुए ब्रेकफास्ट किया फिर हम दोनो अपने अपने रास्ते निकल गये वो बॅंक चली गयी और मैने मेट्रो पकड़ ली धोला कुआँ के लिए ना जाने क्यो मुझे निशा की बड़ी फिकर थी तो मैने सोर्सस का उपयोग करते हुए दो गार्ड्स की ड्यूटी लगा दी उसकी प्रोटेक्षन को



पर इस तरह कि उसे कुछ पता भी ना चले मैं नही चाहता था कि मेरी वजह से उसको कोई भी परेशानी या तकलीफ़ हो आख़िर वो मेरी ज़िम्मेदारी थी फिर मैने अपनी बस पकड़ ली सफ़र लंबा था तो कानो मे हेडफोन लगाए और आँखो को बंद कर लिया मामा के शहर पहुचते पहुचते शाम हो चली थी मैं बस से उतरा मूह धोया फिर भाई को फोन कर दिया तो आधे घंटे मे वो मुझे लेने आ गया




उस से गले मिला दो चार बाते की और फिर चल पड़े मैने कहा तू पीछे बैठ बाइक मैं चलाता हूँ काफ़ी दिनो से मैने बाइक को हाथ भी नही लगाया था , कैसे चलाता थी ही नही मेरे पास बाइक तो , और फिर इतने सालो बाद मामा के घर जाने की खुशी भी थी मन को बड़ा ही अच्छा लग रहा था आख़िर अपने तो अपने ही होते है परिवार मे जो खुशी मिलती है वो हम लाखों करोड़ो रुपयो से भी नही खरीद सकते है



शादी मे अभी हफ़्ता भर था तो अभी इतने मेहमानो का आना शुरू नही हुआ था मैं नीम के नीचे बाइक को पार्क कर ही रहा था कि इतने मे लिली के दर्शन हो गये वो लपक कर मेरे पास आई और बोली अरे मनीष तुम इतने दिनो बाद मिलना हो रहा है कहाँ रहते हो तुम इधर का तो जैसे रास्ता ही भूल गये हो मैने कहा अब क्या करू फोजी आदमी हूँ छुट्टिया गिनती की ही मिलती है क्या कर सकते है



तुम बताओ कैसी हो तो वो बोली मैं तो मस्त हूँ , एकदम, शादी हो गयी है अशोक की शादी मे आई हूँ मैने कहा अरे वाह ब्याह कर लिया और बताया भी नही तो वो बात बदलते हुवे बोली तुमने शादी की क्या मैने कहा अरे कहाँ कोई अच्छी लड़की मिल ही नही रही जो भी अच्छी वाली थी वो तो सब ब्याह करके फुर्रर हो गयी तो लिली हँसते हुए बोली सुधरे नही हो तुम अभी तक




मैने कहा अब सुधर के करना भी क्या है तो वो बोली चलो मैं चलती हूँ बाद मे मिलूंगी ज़रा दुकान तक जाना है मैने कहा ठीक है फिर मैं भी अंदर चला गया सब लोग मुझे देखते ही खुश हो गये नानी के पाँव छुए मामी से गले मिला तो फिर कुछ आधा घंटा मिलने मिलाने की ओपचारिकताओ मे चला गया चाइ-नाश्ते के बाद मैने अपने कपड़े चेंज किए और मामा से बात करने लगा



वो पूछने लगे कि आजकल कहाँ पोस्टिंग है तो मैने झूट बोलते हुए कहा कि आजकल तो मैं ग्लसियार मे पड़ा हूँ कुछ देर उनसे बाते होती रही फिर छोटे भाई बहनो ने पकड़ लिया बोले भाई हमारे लिए क्या गिफ्ट लेकर आए हो अरे तेरी उनका तो ख़याल ही मेरे माइंड से निकल गया था मैने कहा अभी माफी दो भाई लोगो कल सुबह ही सहर तुम सबको सहर ले जाकर शॉपिंग करवाता हूँ तब जाकर वो माने



काफ़ी दिनो बाद परिवार का साथ मिला था तो मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था रात के खाने के बाद मैं और अशोक भाई छत पर बैठे थे मैने कहा यार लिली तो पहले से भी मस्त पटाखा हो गयी है वो बोले हाँ यार पर अब मुझसे बात नही करती वो मैने कहा क्यो महाराज तो पता चला कि भाई और उसका किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था और फिर उपर से उसकी शादी भी हो गयी थी



भाई बोला तू ट्राइ कर ले तेरी तरफ देख भी रही थी मैने कहा अरे ना भाई अपने बस का कहाँ खुद देगी तो ही मैं ले सकु सूं वरना जाए तो जाए भाई बोले मैने तो बता दिया है आगे तू देख लिए थोड़ी देर बाद हम नीचे आ गये सर्दियो के दिन , जनवरी का महीना और फिर गाँव की सर्दी का तो आप सबको पता ही है मैं नीम के नीचे लकड़िया जलाकर बैठा हुआ था टाइम कुछ ज़्यादा तो नही था करीब साढ़े आठ हो रहे थे पर



ब्याह का घर था तो चहल पहल सी थी , और फिर मोहल्ले की औरते गीत गाने आती थी तो वो ही सब चल रहा था तभी लिली आकर मेरे पास बैठ गयी और बोली अकेले अकेले आग ताप रहे हो मैने कहा अब क्या करे आप तो खफा खफा सी लग रही है मैं बोला अब तो आदत सी हो गयी है अकेले रहने की वो बोली ऐसा क्यो भला मैने कहा अब आप तो घास डालती नही हो आपके घर आए है



मेहमान है आपके अब खातिरदारी ना करोगी तो शिकायत तो करूँगा ही तो वो बोली तो बताओ किसी तरह की खातिर दारी कारवाओगे मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा ये तो आप ही जाने तभी कुछ आहट सी हुई और फिर वो भागकर अंदर चली गयी कुछ देर बाद जब ठंड ज़्यादा लगने लगी तो मैं भी रज़ाई की शरण मे चला गया


अगली सुबह का आगाज़ कोशल्या मामी के हाथो की गरम चाइ की प्याली से हुआ मामी बोली बड़े दिन लगाए इधर आने मे अब तो लगता है कि हमें तो तुम भूल ही गये हो मैने उनका हाथ पकड़ कर खाट पा बिठाते हुए कहा अरे मेरी प्यारी मामी आपको भूल कर कहाँ जाएँगे पर अब कुछ मजबूरियाँ हो जाती है तो क्या कर सकते है वो बोली कभी कभी फोन तो कर ही सकते हो या नही मैने कहा जी अब से ज़रूर करूँगा और आपको शिकायत का कोई मोका नही दूँगा



अब ज़िंदगी ही कुछ ऐसी हो गयी थी कि बस चलते ही जा रहा था पर ना कोई मंज़िल थी ना कोई रास्ता मैं मामी की जाँघो को सहलाते हुए उनसे बाते कर रहा था कि तभी रॉकी आ गया तो मामी जल्दी से उठ कर बाहर चली गयी रॉकी बोला भाई आज आपने प्रॉमिस किया था कि बाज़ार चलना है मैने कहा हम भाई चलते है पर ज़रा नहा-धो तो लेने दे या फिर ऐसे ही लेकर चलेगा तो वो बोला आप जल्दी से तैयार हो जाओ मुझे काफ़ी सारी शॉपिंग करनी है



मैने कहा ठीक है भाई और फिर करीब 9 बजे सारे छोटे भाई-बहनो को लेकर मैं सहर चला गया एक शॉप से दूसरी शॉप वो लोग घूमते ही रहे पर उनकी खुशी मे ही मेरी खुशी भी तो कही छुपी हुई थी उनको शॉपिंग करवाते करवाते दोपहर से कुछ ज़्यादा ही हो गया था तो फिर हम सब हाइवे पर एक ढाबे मे लंच के लिए गये लंच कर ही रहे थे कि तभी अशोक का कॉल आ गया कि यार रुक्मणी(बग्गी) आने वाली है उसके पास काफ़ी सामान भी है



तो तू उसे पिक कर ही लियो मैने तेरा सेल नंबर उसे दिया है वो तुझे पहुचते ही कॉल करेगी मैने कहा ठीक है मैं ले आउन्गा उसे, बुग्गी दरअसल मेरी नानी की भतीजी थी जो कि हम से कुछ साल ही बड़ी थी पर उस से भी पुरानी दोस्ती सी थी आक्च्युयली वो हमारे ग्रूप का एक हिस्सा थी बचपन मे बड़ी शराराते की थी हम सबने मिल कर तो करीब 3 बजे बुग्गी की कॉल आई तो मैने उसकी लोकेशन पूछी और उसे पिक करने के लिए चला गया मैने रॉकी से कहा कि ये पैसे ले और जो खरीदना है खरीद लेना और फिर जीप के स्टॅंड पर अजाना




तब तक मैं बुग्गी को ले आता हूँ, इतने दिन बाद मिलने जा रहा था तो पहचान करना मुस्किल ही था मैने उसे कहा कि मैं सरस की डेरी के पास हूँ तुम आ जाओ तो वो बोली मैं आती हू जब मैने उसे देखा तो देखता ही रह गया बीते दिनो मे कितना कुछ बदल गयी थी मतलब की थर्कि की नज़रो से कहूँ तो एक दम टंच माल हो गयी थी आँखो पर मोटा सा चश्मा रखा था और पेट भी कुछ बाहर सा निकल आया था मैने उसे गले लगाया तो वो बोली कैसे हो



मैने कहा पहले तो ठीक था पर आपको देखा तो पता नही क्या हो गया वो बोली फ्लर्ट कर रहे हो मैने कहा जो चाहे समझ लीजिए तो वो बोली सफ़र से थक गयी हूँ मैने उसका सामान लिया और कहा आओ चलते है पास ही एक चाइ की दुकान थी तो मैने उसे वहाँ पर बिठाया और एक कोल्ड ड्रिंक उसको दी वो पीते हुए बोली कहा छुमन्तर हो गये हो तुम जब से जॉब लगी है तब से ना कोई खबर,ना कोई फोनकॉल कभी याद नही आई क्या अब मैं क्या कहता बस अपना वो ही घिसा पिता बहाना जिस पर कोई विश्वास करता नही था



तो मैने बात बदलते हुए कहा अब सारी बाते इधर ही कर लोगि या घर भी चलोगि साढ़े चार बजे लास्ट जीप जाएगी फिर धक्के खाते रहना तो फिर हम जीप स्टॅंड तक आ गये रॉकी और भाई बहन उधर बैठे थे तो फिर बुग्गी उनसे बात चीत करने लगी तभी मुझे कुछ ध्यान आया तो मैने कहा मैं अभी आता हूँ और मैं वाइन शॉप से दो बॉटल वोडका ले आया अब दो चार पेग तो लगाना बनता ही था तो फिर हम सब बाते करते हसी मज़ाक करते घर पर आ गये



मामी बोली क्या ज़रूरत थी इनपर इतने पैसे खर्च करने की मैने कहा कोई ना मामी इन्सब के लिए ही तो कमा रहे है इनपर नही करेंगे तो क्या फ़ायदा सॅलरी का मैने कहा बुग्गी आई है आप मिल लो मैं ज़रा हाथ-मूह धोकर आता हूँ तो फिर मैं बाथरूम मे घुस गया मैं सोचने लगा कि यार कितना अच्छा होता है उन लोगो का जीवन जो सिविल जॉब करते है ड्यूटी की और घर पर और एक हम है जो होकर भी नही है तो फिर मैं बाहर आया चाइ बन चुकी थी तो चुस्किया लेते लेते बाते करने लगे सच मे कुछ पुरानी यादे ताज़ा हो गयी थी


फिर सब अपने अपने काम धंधो मे लग गये थे कल भाई को बान बैठना था एक रसम होती है शादी की , तो कुछ छोटी-मोटी तैयारिया करनी थी तो उसी मे लगे हुए थे मैं नानी के पास जाकर बैठ गया और बाते करने लगा तो बुग्गी भी उधर आ गयी और बाते करने लगी पर कुछ देर बाद ही नानी अंदर चली गयी तो बस हम दोनो ही बचे उसने पूछा मनीष , क्या चल रहा है मैने कहा कुछ भी नही तुम्हे तो पता ही है कि कैसिजॉब है तो ना ही पूछो तो अच्छा है



बल्कि तुम बताओ कि क्या कर रही हो वो बोली कुछ नही होटेल मॅनेज्मेंट करके जयपुर ले मरिडियन मे काम कर रही हूँ मैने कहा यार मस्त जॉब है तेरी , वो बोली क्या मस्त है 14-14 घंटे काम करना पड़ता है मैने कहा मैं भी तो 24 घंटे ड्यूटी करता हूँ काम तो काम है वो बोली वो सब छोड़ो और ये बताओ कि हमारे घर क्यो नही आते मैने कहा यार बताया ना कि बहुत प्राब्लम होती है छुट्टियो की ओर फिर घर आ गये तो फिर पता ही नही चलता कि अब दिन बीत गये पर अब कुछ दिन इधर हूँ तो साथ ही रहेंगे मज़ा आएगा पुराने दिनो को ताज़ा करेंगे




वो बोली हाँ वो तो है अब सब लोग काफ़ी दिनो बाद मिल रहे है तो अच्छा रे-यूनियन हो जाएगा फुल धमाल होगा मैने कहा बिल्कुल फिर वो भी अंदर चली गयी मैं भी फिर बाहर खेतो की ओर घूमने चल दिया थोड़ा सा आगे की ओर निकल गया था तो देखा की दूर से लिली चली आ रही थी , तो मैं तेज तेज चलते हुए उसके पास गया और बोला सवारी कहाँ से आ रही है मालिको तो वो अपनी चोटी को घूमाते हुए बोली तुमसे मतलब कही भी जाउ मैने कहा तेवेर तो देखिए हुजूर के उफ़फ्फ़ ये गुस्सा अच्छा नही लगता आपके इस हसीन चेहरे पर



तो वो तुनक कर बोली आज कहाँ गये थे दोपहर मे आई थी तुम्हे बुलाने को मैने कहा यार वो ज़रा सहर तक जाना पड़ गया था शाम का मोसम था ठंडी हवा चल रही थी मोका भी था दस्तूर भी था अचानक से ही मैने लिली का हाथ पकड़ा और उसे पास के सरसो के खेत मे खीच लिया और उस के बोलने से पहले ही उसके होटो को चूम लिया ……………………….. …………………………….. ……………………….. …………………………….. ……………..




मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था और होठ उसके लबो पर सजे हुए थे तो उसने जल्दी से खुद को मेरी पकड़ से आज़ाद करवाया और थोड़ा घबराते हुए बोली क्या कर रहे हो , मरवाओगे क्या मैने कहा इधर कॉन आने वाला है तो वो बोली अभी शाम का टाइम है खेत मे कोई भी आ सकता है कही किसी ने देख लिया तो मुसीबत ना खड़ी हो जाए मैने कहा तो फिर कब मिलोगि लिली बोली तुम सदा ही इतने उतावले क्यो रहते हो मैने कहा यार पहले भी तुमने मना कर दिया था अबकी बार तो गाड़ी पार लगा दो



वो बोली मैं चॉबारे मे सोती हूँ, तुम 11:30 के बाद दीवार कूद कर आ जाना मैं किवाड़ खुला ही रखूँगी मैने कहा ठीक है फिर एक किस किया और हम अपने अपने रास्ते हो लिए लंड तो खड़ा हो ही गया था तो जैसे तैसे करके उसको शांत किया पर अब मुझे कहाँ चैन पड़ने वाला था घर पे कोशल्या मामी भी किसी ना किसी बहाने से बड़े लटके झटके दिखा कर मुझे पागल कर रही थी पर उन्हे क्या पता था कि मेरी मंज़िल आज कहीं ऑर है



खाने के बाद मैं उसी नीम के पेड़ के पास आग जलाकर बैठा था कि तभी बुग्गी दूध का गिलास लेकर आई और बोली लो भाभी ने दिया है तुम्हारे लिए जैसे ही वो जाने के लिए मूडी मैने कहा कहाँ जा रही हो आओ ज़रा बाते करते है तो वो भी मेरे पास बैठ गयी मैने कहा गुलाबी शॉल खिलता है तुम पर तो वो बोली ये तो बस ऐसे ही ओढ़ लिया मैने कहा पर अच्छी लग रही हो तो वो बोली अच्छी लगती तो टच मे रहते तुम मैने कहा यार



अब तुमसे क्या छिपाऊ, मेरी ज़िंदगी ना जाने किस ढर्रे पर चल रही है कुछ पता ही नही है बस जी रहा हूँ इतना ही कह सकता हूँ तो वो बोली और क्या लोग आर्मी मे नही है जो प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को बॅलेन्स करके चलते है मैने कहा देख यार अब मैं इतना उलझा हुआ हूँ कि पता नही कि कहाँ पर इन सब का छोर है पर मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूँ पर मेरी हर कोशिश नाकाम होज़ा ती है दिल तो बहुत करता है कि मैं भी अपनो के साथ रहूं , खुशी मे खुश रहूं दुख मे दुखी पर अब ये सब पासिबल नही है लाइफ थोड़ी अलग हो गयी है वो बोली ये सब डिपेंड करता है कि तुम कितने फ्लेक्सिबल हो



मैने उसके हाथ को अपने हाथ मे लिया और उसकी मुलायम हथेली को सहलाते हुए बोला बात दरअसल ये है कि बस ये समझ लो कि इस ज़िंदगी को भारत सरकार ने गिरवी रख लिया है जिसके बदले मे हर महीने एक मोटी तनख़्वाह का भुगतान करती है काश मैं तुम्हे बता सकता कि मैं आज भी वो ही हूँ जो बचपन मे हुआ करता था पर मेरे हालात बदल गये है मेरी वो मासूमियत कही खो सी गयी है कुछ तो बदल गया है काश मैं तुम्हे वो सब बता पाता पर यू समझ लो कि मैं हरपल साथ होकर भी अकेला ही हूँ

पर जैसा की मैने तुमसे वादा किया है हम जब तक यहाँ है हर पल को जियेंगे ताकि अपने आने वाले समय के लिए कुछ यादे जमा कर सके वो मुस्कुराते हुए बोली हाँ वो तो है वो बोली दूध पी लिया है तो गिलास दे दो मैं जाती हूँ फिर मैने कहा क्या करोगी उधर जाकर बैठो ना इधर पास मेरे वो बोली मुझे कई काम है और फिर गीत गाये जा रहे है तो क्या पता एक दो ठुमके मैं भी लगा लूँ तुम्हे तो पता ही है मुझे नाचने का कितना शोक है मैने कहा जैसे आपकी मर्ज़ी तो फिर वो अंदर चली गयी और मैं दो पल उसे जाते हुए देखता रहा




मैने मोबाइल लिया और मिता को कॉल लगा दी , तो पता चला कि आजकल मेम्साब की नाइट ड्यूटी लगी हुई है मैने कहा कोई ना तुम ड्यूटी करो बाद मे बात करलेंगे तो वो बोली ऐसा भी इधर कोई एमर्जेन्सी नही चल रहा जो मैं तुमसे बात ना कर सकूँ मैने कहा कैसी हो तुम, वो बोली तुम्हे क्या पड़ी है मेरी अगर कुछ चिंता होती तो इतनी देर ना लगाते कब का आ जाते मुझसे मिलने को मैने कहा यार पता नही क्या बात है जी भर कर तुम्हारे साथ टाइम बिता ही नही पाता हूँ



बस तुम जल्दी से दुल्हन बन कर मेरे पास आ जाओ ताकि मैं फिर अपनी हर साँस को तुम्हारे साथ जी सकूँ अब मुझसे बर्दाश्त नही होता है सच कहूँ तो मैं अब थक सा गया हूँ मुझे एक सहारे की ज़रूरत है, मैं बस गिरने ही वाला हूँ तो तुम मेरे पास रहो मुझे थामने के लिए मिता बोली- आज क्या फोजी ने पेग लगा लिए है जो बड़ी बहकी बहकी बाते कर रहा है मैने कहा यार अब अपने दिल की बात तुम्हे बता ने के लिए मुझे शराब के सहारे की ज़रूरत नही है


वो कहने लगी मैं मज़ाक कर रही थी मुझे पता है कि तुम अपने दिल की बात अगर मुझसे शेर नही करोगे तो फिर किस से करोगे मैं बस इतना चाहती हूँ कि तुम जल्दी से जल्दी मेरे पास आ जाओ मेरी नज़रे तरस गयी है तुम्हारा दीदार करने को मैने कहा बस शादी ख़तम होते ही आता हूँ तुमहरे पास फिर कम से कम एक हफ़्ता तो तुम्हारे नाम है वो बोली तुम वादे ना किया करो अक्सर तुम भूल जाते हो उनको निभाना मैने कहा अबकी बार नही भूलूंगा



वो बोली-कैसा चल रहा है उधर मैने कहा कुछ खास नही कल से भाई बान बैठेगा फिर शुरू होगा शादी का महॉल उसने विश दी , मैने कहा काश तुम होती इधर वो बोली जल्दी से ब्याह कर्लो मेरे साथ फिर आने वाली सारी शादियो मे जमकर धमाल करना है मैने कहा वो तो है बस इस शादी के बाद अपनी सहनाई ही बजनी है मैं तो कब से घोड़ी चढ़ने के लिए बेताब हूँ बस तुम दुल्हन का जोड़ा पहन ने मे देर कर रही हो वो बोली काश अगर मेरा दिल बोल पाता तो मैं उसकी आवाज़ तुम्हे बता पाती की कितना बैचैन है वो इस समय




पर कभी कभी डर सा भी लगता है कि कही घरवाले ना माने तो मैने कहा बस इतना समझ लो मिथ्लेश बस मनीष की ही है इस ज़माने से लड़ जाउन्गा मई तुम्हारे लिए मुझे मरना मंजूर है पर ये तेरे दीवाने का वादा है कि तेरी माँग मे बस मेरे नाम का ही सिंदूर होगा और बस कुछ दिनो की बात तो है ही जल्दी ही तुम मेरी बाहों मे होगी मिता बोली हर पल भगवान से बस यही दुआ मांगती हूँ , देखो कब तक क़ुबूल होती है मैने कहा होगी वो सबकी सुनता है हमारी भी सुनेगा




उस से बाते करने के बाद अक्सर मेरे दिल पर बोझ कुछ ज़्यादा बढ़ जाया करता था पर अपने हर मर्ज़ की दवा भी तो वो ही थी मैने फिर अशोक भाई को सब बता दिया था कि यार लिली को रगड़ने जा रहा हूँ तो थोड़ा संभाल लेना वो बोले ठीक है भाई तू फुल एंजाय कर मैं देखता हूँ वो बोले मैं तो उपर ही सोता हूँ तेरा बिस्तर भी उधर ही लगा देता हूँ तो सब को लगेगा कि तू उपर ही है तू अपना काम करके आ जाना मैने कहा ठीक है भाई तो अपना टाइम होते ही मैं दीवार कूद कर लिली के चॉबारे मे दाखिल हो गया




गेट तो खुला ही हुआ था पर कमरे मे अंधेरा था तो मैने अंदाज़े से ही पलंग को ढूँढा तो रज़ाई ओढ़े हुए कोई लेटा हुआ था मैने सोचा लिली है तो मैं जोश मे आकर सीधा उसके उपर ही कूद गया जैसे ही मेरा बोझ उधर पड़ा तो जो भी उधर सो या तो वो चोर चोर करके चिल्लाते हुए उठ गया मेरी तो गान्ड ही फट गयी थी साली लिली ने मज़ाक कर दिया मेरे साथ अंधेरे का फ़ायदा उठा कर मैं तुरंत भागा और सीधा अपने बिस्तर पर आकर ही दम लिया फिर मैं ऐसा सोया कि सुबह ही आँख खुली रात वाली बात को सोच कर मेरा तो दिमाग़ खराब हुआ पड़ा था




मैने सोचा आज साली दिख जाए आज इसकी खबर लेता हूँ आज तो इसकी चूत मार कर ही रहूँगा फिर चाहे बलात्कार का केस ही क्यो ना लग जाए मैं बाहर वाली बैठक मे अपनी शर्ट प्रेस कर रहा था कि तभी वो उधर से गुजरती हुई मुझे दिखी मैने आवाज़ देकर उसे बुलाया तो वो झट से आ गयी मैने उसकी बाँह मरोड़ते हुए कहा कमिनि कल तो मुझे मरवाने का पूरा इंतज़ाम कर दिया था वो बोली यार क्या बताऊ कल शाम को जब मैं तुझ से मिलके गयी तो उसके थोड़ी देर बाद ही मेरा भाई आ गया



तो मेरी जगह वो सो गया और मैं तुम्हे बता नही पाई मैने कहा वो सब मुझे नही पता मैने सोच लिया है अभी इसी वक़्त तेरी लूँगा वो बोली पागल हुए हो क्या जगह तो देख लो , कोई भी आ सकता है मैने कहा माँ चुदाये दुनिया दारी अब और अभी लूँगा कह दिया तो कह दिया वो अपनी बाह छुड़ाने के चक्कर मे थी पर मेरी पकड़ का अंदाज़ा था नही उसको मैने फुर्ती से उसकी सलवार का नाडा खोल दिया तो सलवार उसके पैरो मे आ गिरी वो रोने की सी शकल बना ने लगी बोली छोड़ दे मुझे खुद तो मरेगा मुझ भी बदनाम करवाओगे क्या



मैने कहा मुझे कुछ नही पता अब ना बख्सुन्गा तुझे रात से मेरा बुरा हाल कर रखा है तुमने और मैं उसकी कच्छि के उपर से ही उसकी चूत को मसल्ने लगा तो उसकी हालत टाइट हो गयी एक तरफ चूत की गर्मी और दूसरी तरफ किसी के आने का डर लिली की सिचुयेशन बड़ी खराब हो चली थी वो बोली तेरे हाथ जोड़ती हूँ अभी मुझे जाने दे जैसे ही मोका लगता है मैं पक्का तुझे दे दूँगी मैने कहा ना मैं ना करूँ तेरा विश्वास तो उसने मेरे सर पर हाथ रखा और कहा कि मनीष तेरी कसम खाती हूँ कुछ भी करके आज के आज ही पक्का तुझे दे दूँगी पर अभी ज़िद ना कर



तो मैने कहा ठीक है जा उसने फॉरन अपना नाडा बँधा और खिशक गयी मैं वापिस कपड़े प्रेस करने लगा पर ध्यान तो उसकी तरफ ही था करीब घंटे भर बाद की बात है मैं नीम के नीचे बैठ कर अपने जूते पोलिश कर रहा था तभी लिली ने मुझे इशारे से कहा कि छप्पर मे आ जाओ तो मैने इधर उधर देखा और फिर झट से छप्पर मे घुस गया अंदर बस पशुओ को खिलाने वाली घास थी जिसे
सुखा कर रखा गया था और एक साइड मे उपले का ढेर लगा हुआ था

लिली ने फटा फट अपनी सलवार और कच्छि को उतारा और साइड मे रख दिया और बोली ले जल्दी से करले और मेरा पीछा छोड़ मुझे बहुत काम है मैने कहा जल्दी है तो जा मैं तो आराम से ही करूँगा देनी है तो प्यार से दे वरना पकड़ ले अपना रास्ता तो वो बोली ओह मेरे बाप तुझे जैसे करना है तू कर ले पर कर ले अब बाते ना बना मैं ने कहा ये हुई ना बात चल अब आजा मैने अपना पयज़ामा और कच्चा उतार दिया और अपना लंड उसकी हाथ मे दे दिया वो उसे अपनी मुट्ठी मे भरते हुए बोली कितना गरम है ये और कितना मोटा भी



मैने कहा अब जैसा भी है तेरी चूत का तो अभी के लिए ये ही साथी है मैं आगे को होते हुए उसके लबों को चूसने लगा तो उसकी पकड़ लन्द पर और भी कस गयी दो चार मिनिट तक अच्छे से उसके होटो का स्वाद लिया फिर एक उंगली उसकी चूत मे सरका दी तो उसने अपनी टाँगो को भीच लिया और सिसकी लेने लगी मैने कहा डार्लिंग आज अच्छे से चोदुन्गा तुझे मैं अपनी उंगली ज़ोर ज़ोर से चूत के अंदर बाहर करने लगा तो लिली की टाँगे काँपने लगी मैने फिर उसका सूट भी उतार दिया अब वो बिल्कुल नंगी खड़ी थी मैने कहा लंड चुसेगी क्या तो वो घुटनो के बल बैठ गई और लंड को अपने मूह मे डाल लिया गपा गॅप करके वो अपना मूह लंड पर चलाने लगी उसके मूह की गर्मी से लंड मस्ताने लगा था 5 मिनिट तक वो लंड को चूस्ति रही फिर मैने उसको पंजो के बल झुकाया और उसकी कमर मे हाथ डालते हुए अपने थूक से भीगे हुए लंड को लिली की चूत पर लगा दिया मैने कहा करूँ तो वो बोली ना आरती करले तू अब क्या हुआ तुझे तो मैने एक धक्का लगाया तो लंड थोड़ा सा चूत की दीवारो मे घुस गया



लिली थोड़ा सा आगे को सरक गयी पर मेरे हाथ उसकी कमर पर थे तो फॉरन से ही मैने उसे पीछे की ओर खीच लिया और अगले ही शॉट मे आधा लंड उसकी चूत मे घुस गया उसकी चूत का छल्ला फैलने लगा तो वो आह भरने लगी और मैने एक कस कर और झटका लगाया तो पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे घुस गया और मेरे अंडकोष उसके चुतड़ों से सॅट गये वो बोली है रे मार दी रे इतनी ज़ोर से घुसा के फाड़ेगा क्या मेरी चूत को



मैने कहा चुप कर साली , फटी हुई को और क्या फाड़ुँगा कितने लंड तो ले चुकी है अब मेरे लंड के लिए नखरे दिखा रही है वो बोली कमिने ज़्यादा बाते मत कर कोई सुन लेगा तो परेशानी हो जाएगी मैने कहा तो चुप रह तू और करने दे मुझे मैं अब उसके मस्त बोबो को दबाने लगा काफ़ी कड़े निप्पल्स थे उसके तो मज़ा आ रहा था वैसे भी किसी भी औरत के बोबो को दबाओ तो वो और भी गरम होने लगती है तो मैं उसकी मीडियम साइज़ वाली चूचियो को मज़े से दबाते हुए



उसकी चूत मे लंड को अंदर बाहर करने लगा धीरे धीरे लिली भी अपने कुल्हो को पीछे को पटाकने लगी थी मस्ती अब बढ़ने लगी थी जाड़े के मोसम मे चूत मारने का अपना ही मज़ा होता है ये मुझसे बेहतर कॉन जानता था उस टाइम मे थोड़ी देर बाद वो बोली पाँव दुखने लगे है मैने कहा घास पर लेट जा वो बोली ना रे ना फिर बदन मे खुजली हो जाएगी मैने कहा तो ऐसे ही चुद पर वो ना मानी तो मैने उसे अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी बाहों मे झूलने लगा



फॅक-फॅक करता हुआ मेरा लंड उसकी चूत मे उपर नीचे हो रहा था जोश मे आकर मैं उसके गालो को अपने दाँतों से खाने लगा तो वो बोली काट मत निशान लग जाएगा तो जवाब देना मुश्किल हो जाएगा होठ पी ले ना तो मैने उसके होटो पर अपने दाँत लगाने लगा उसने अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और चुदाई का मज़ा लने लगी मैं अपने हाथो मे उसके कूल्हे थामे लगातार उसको चोदे जा रहा था बड़ा ही मज़ा आ रहा था फिर वो बोली मेरा होने वाला है थोड़ा और तेज तेज करो तो मैने फिर से उसको झुका दिया और पूरी रफ़्तार से चोदने लगा



तो उसने अपनी जाँघो को भीच लिया और मेरे लंड पर अपनी चूत का रस छोड़ते हुए झड़ने लगी मैं भी बिल्कुल किनारे पर ही आ गया था तो मैने अब अपने धक्को की रफ़्तार हद से ज़्यादा बढ़ा दी और फिर उसको अपनी बाहों मे बुरी तरह से भीचते हुए अपना पानी चूत मे गिरने लगा दो मिनिट तक मैं उस से ऐसे ही चिपका रहा फिर वो मुझसे अलग हुई और अपनी कच्छि से चूत को सॉफ करते हुए बोली अंदर ही क्यो छोड़ दिया मैने कहा अब माँ ना बनाऊ क्या तुझे तो वो बोली एक नंबर के कमिने हो तुम



उसने फटा फट अपनी सलवार पहनी और अपने बालों को सही करते हुए बोली हद तोड़ दिए तुमने तो मेरे मैने कहा पर मज़ा तो बड़ा ले रही थी तुम वो बोली मज़े की सज़ा भी मिलती है मैने कहा अब कब देगी तो बोली ले मेरे फोन मे अपना नंबर फीड कर्दे मोका होगा तो फोन कर दूँगी तो मैने अपना नंबर उसे दे दिया कुछ देर बाद वो निकल कर अपने घर चली गयी और मैं वापिस आकर अपने काम मे लग गया
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#65
चुदाई के बाद थोड़ी सी थकान होने लगी थी और मैं सुबह से नहाया भी नही था तो मैं बड़ी मामी के पास गया और कहा कि मैं नहा कर आता हूँ तब तक आप मेरे लिए रोटी बना दीजिए तो वो बोली आज तुम्हारे लिए चावल बना रही हूँ मैने कहा आज भी चावल ही खिलाओगे क्या तो वो बोली तुम्हे क्या खाना है तो मैं उनके चुतड़ों को सहलाते हुए बोला मामी आपको भी पता है मुझे क्या चाहिए तो मामी अपनी बड़ी बड़ी आँखो से मुझे देखते हुए बोली वो सब बाद मे देखेंगे मैने कहा ठीक है मैं आता हूँ




और नहाने चला गया करीब आधे घंटे बाद मैं तैयार होकर आया तो बुग्गी बोली आ जाओ खाना खाते है मैने कहा तुमने अभी तक नही खाया तो वो बोली मैं तुम्हारी ही राह देख रही थी आओ बड़ी भूख लगी है मैने कहा कहा चलो फिर लंच करने के बाद मैने कहा यार मैं कोषल्या मामी के घर जा रहा हूँ तुम चलोगि क्या तो वो बोली हाँ क्यो नही वैसे भी मैं इधर बोर हो रही हूँ मैने कहा तो फिर आओ हम दोनो बाते करते हुए मामी के घर की ओर चल पड़े कच्ची पगडंडी पर वो मेरे आगे चल रही थी मैं उसके पीछे की अचानक ही मेरा पैर फिसल गया और गिरने से बचने के लिए मैं उसका कंधा पकड़ना चाह रहा था पर हाथ मे उसके चुचे आ गये जो मेरे पूरे वजन से दब गये



बुग्गी तो जैसे चीख ही पड़ी मैने तुरंत ही उस से माफी माँगी और कहा वो पैर फिसल गया था तो गिरने से बचने की कोशिश मे उधर हाथ लग गया वो बोली कोई बात नही फिर हम उधर पहुच गये तो देखा कि बस रॉकी ही था उधर वो बोला भाई अच्छा हुआ आप आ गये मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ मेरे आने तक आप इधर ही रहना और फिर वो चला गया तो रह गये हम दोनो अचानक से ही बुग्गी ने पूछा कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड है मैने कहा है ना



वो पूछने लगी कैसी है वो मैने कहा अच्छी है ,वो बोली अरे मतलब कि सुंदर है मैने कहा मुझे तो लगती है अब बाकी का मैं क्या जानू तो वो चुप हो गयी कुछ देर बाद मैने कहा तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड है तो वो बोली नही मेरा तो कोई नही है मैने कहा झूठ क्यो बोलती हो आजकल तो सबके होते है तो मेरे फोर्स करने पर आख़िर उसने बता दिया कि वो भी रीलेशन शिप मे है तो मैने कहा जब प्यार किया तो छुपाना क्यो वो बोली प्यार व्यार कुछ नही है बस दोस्ती है



मैने कहा जो भी है एक्सेपट करो उसको , घबराना क्या वो बोली कहाँ आसान होता है हम लड़कियो के लिए ये सब मैने कहा इस मामले मे सबका हाल टाइट ही होता है पर होसला नही छोड़ना बुग्गी बोली तुमने किस किया है मैने कहाँ हाँ बहुत बार बल्कि मैं तो किस करता ही रहता हूँ तो वो बोली ज़रा बताओ कैसे किया तुमने तो मैने कहा करके बताऊ क्या दो पल सोचने के बाद वो बोली ओके करके बताओ तो मैने उसे खड़ी किया औ उसके गालो को अपने हाथो मे थामते हुए अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए उफफफफफफफफफ्फ़ बड़े ही मुलायम होठ थे उसके




एक बार जो लिप्स आपस मे जुड़े तो फिर अलग ना हो पाए मैं बड़ी ही बेतक्कलुफ्फि से उसको किस करने लगा था और ना जाने क्यो वो भी मेरा साथ देने लगी थी जब तक मेरी साँसे शरीर से प्राण चोदन को ना हो गयी मैं उसके होंठो से चिपका ही रहा पर फिर अलग होना ही पड़ा मैने देखा तो उसके निचले होठ से खून निकल आया था मैने उसे पोंछ दिया वो कुछ नही बोली मैं भी कुछ देर खामोश ही रहा फिर चुप्पी तोड़ते हुए उसने कहा कि काफ़ी देर हो गयी है हमे वापिस चलना चाहिए मैने कहा ठीक है पर फिर ना जाने मुझे क्या हुआ अगले ही पल मैं फिर से उसे चूमने लगा

पता नही क्यो मैं खुद पर काबू नही रख पा रहा था और उसके मन मे क्या चल रहा था वो भी मैं समझ नही पा रहा था मैने अपना हाथ उसकी जीन्स के बटन पर रख दिया और उसको खोल ही रहा था कि तभी बाहर से कुछ आवाज़ आई तो मैं फॉरन उस से अलग हो गया तो देखा कि रॉकी वापिस आ गया है तो फिर हम वापिस बड़ी मामी के घर आ गये मेरे लबों पर एक नया सा अहसास था भाई के बान बैठने की रस्मे चल रही थी तो बस वो ही देख रहे थे



आँखो मे आस थी कि एक दिन मुझे भी ये रस्मे निभानी है अब इच्छा तो सबकी होती ही है तो अपनी आँखो मे भी कुछ सपने थे कुछ अरमान थे पता नही क्यो आँखे भर सी आई थी तो मैं वहाँ से उठ कर उपर चॉबारे मे चला गया तो देखा कि आज बेड को निकाल कर रख दिया गया था और नीचे गद्दे बिछे हुए थे तो मतलब आज इधर सोना था तो मैं ऐसे ही कुछ देर के लिए लेट गया तो बुग्गी आ गयी और बोली मैं तुम्हे कहाँ कहाँ ढूँढ रही थी और तुम इधर पड़े हो



मैने कहा हाँ बताओ क्या बात है वो बोली कुछ नही है वैसे तो पर मेरा भी जी नही लग रहा था तो सोचा कि कुछ देर तुमसे ही बाते करलू मैने कहा ठीक है बैठो फिर हम अपनी घिसी पिटी बाते करने लगे थोड़ी देर बाद पूरी मंडली ही उधर आ गई तो हमे कुछ ज़्यादा शेरिंग का मोका नही मिला तो शाम तक ऐसा ही चलता रहा . शाम को मैं खेतो को तरफ टहल रहा था तो सरोज मामी के दर्शन हो गये पहले से और भी गान्डस हो गयी थी



वो बोले भानजे सा , हमे तो भूल ही गये हो कब के आए हो अभी तक अपनी प्यारी मामी के घर का चक्कर नही लगाया तो मैने कहा जी वो काम इतना था कि फ़ुर्सत ही नही मिलती तो वो बोली ठीक है कल दोपहर मे देख लेना तुम्हे तो पता ही है कि दोपहर मे मैं अकेली ही रहती हू तो मैने कहा जी अच्छा खेतो के पास ही एक कुँए पर पानी की खेली बनी हुई थी मैं उस पर ही बैठ गया और सोचने लगा आख़िर कल फॅमिली जो आ रही थी

हालाँकि मैने सोच लिया था कि मैं जहाँ तक हो सकेगा नॉर्मल ही रहूँगा अब अपनी पर्सनल प्रॉब्लम्स की वजह से भाई की शादी मे कोई सीन करना भी उचित नही था और वैसे भी अपने को अब आदत भी होने लगी थी अकेलेपन की तो फिर क्या फरक पड़ना पड़ता था, फिर रात को हम सब बनवारे मे डॅन्स कर रहे थे मैने दो-चार पेग टिका लिए थे तो पाँव अपने आप ही चल रहे थे मामी भी हमारे साथ डॅन्स करने लगी थी तो मैने कोशल्या मामी को कहा कि डार्लिंग आज अपना भी कुछ जुगाड़ कर दो



तो मामी बोली घर मे अब मेहमान है और फिर मैं काम मे लगी हूँ पर जल्दी ही कोई मोका देख कर तुम्हारा भी जुगाड़ कर दूँगी देर रात तक बस वो सब ही चलता रहा फिर तक कर हम सब सो गये सारे लोग हम चॉबारे मे ही पड़े थे मेरे पास रॉकी सो रहा था और थोड़ी दूरी पर बुग्गी सोई पड़ी थी पर रात को पता नही कितना टाइम हो रहा था मुझे मेरे शरीर पर कुछ सुर सुराहट महसूह हुई तो मेरी आँख खुल गयी तो मैने देखा की रॉकी की जगह बुग्गी मेरे पास लेटी हुई है और उसका एक हाथ मेरे लंड पर है जिसे वो हल्के हल्के से दबा रही है मैने सोचा अब इतनी रात को इसको क्या हुआ असल मे मेरे लिए तो ऑपर्चुनिटी थी पर साथ मे ही छोटे भाई बहन भी सोए पड़े थे तो पहली बार थोड़ा सा डर सा लग रहा था वैसे तो बुग्गी मेरी रज़ाई मे घुसी पड़ी थी पर फिर भी डर तो डर होता है कोई भी पानी-पेशाब के लिए उठ जाए तो फिर अपनी इज़्ज़त नीलम होने मे देर ना लगे






रुक्मणी ने अपना हाथ मेरे अंडरवेर मे डाल दिया और मज़े से मेरे लंड को सहलाने लगी थी तो लंड महाराज भी अपने रंग मे आने लगे थे मेरी साँसे तो जैसे मेरे गले मे अटकने ही लगी थी तो मैने सोचा ले तू भी अपनी कर ले खेल ले इस लंड से थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को सहलाती रही फिर उसने मेरा एक हाथ अपने बोबो पर रख दिया और अपने हाथ का दबाव उस पर डालते हुए दबाने लगी तो मेरा हाल भी खराब होने लगा



उसकी साँसे मेरे चेहरे से टकराने लगी थी रज़ाई का तापमान अचानक से ही कुछ ज़्यादा हो गया था उपर से मैं जो दारू के शॉट लगा कर सोया था तो अब वो फिर से मेरे दिमाग़ मे चढ़ने लगी थी तो आख़िर मैने भी अपना हाथ उसकी सलवार के उपर से ही उसकी योनि पर रख दिया और हल्के से दबा दिया तो उसी टाइम रुक्मणी का शरीर जड़ हो गया वो समझ गयी थी कि मैं भी जागा हुआ हूँ अब हालात कुछ यूँ थे कि हम दोनो को ही पता था कि माजरा क्या है और दोनो ही जाहिर नही करना चाहते थे


पर अपने को अब मज़ा आने लगा था तो मैं सलवार के उपर से ही उसकी चूत को दबाने लगा अच्छा लग रहा था पर उसकी हालत टाइट होने लगी थी मैने नाडे को खोलना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर बोली कुछ नही तो मैं धीमे से घूमकर उसके उपर आ गया और उसके हसीन लबो पर अपन होंठ रख दिए और एक प्यारा सा किस कर दिया उस किस से ही हम दोनो के तन बदन मे एक आग सी जल गयी 2-4 मिनिट तक किस करने के बाद मैने फुसफुसाते हुएकहा कि चॉबारे से बाहर आ जा




फिर मैं सावधानी से उठ कर बाहर आ गया और फिर दो पल के बाद वो भी आ गयी आते ही मैने उसे दीवार से सटा दिया और उसको चूमने लगा रुक्मणी ने भी अपने रसिले होंठो को मेरे लिए खोल दिया था और होंठों को पीटे पीते ही मैने उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया और पेंटी के उपर से ही चूत को सहलाने लगा तो वो भी ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठो को चूसने लगी थी फिर मैने धीरे से कच्छी को उसके घुटनो तक सरका दिया और उसकी बिना बालो वाली चूत से खेलने लगा बाहर बेशक कड़ाके की ठंड भी पर अब वो ठंड हमारा कुछ नही बिगाड़ सकती थी



रुक्मणी का हाथ मेरे लंड पर कस गया था और उसकी नाज़ुक उंगलिया मेरे लंड पर अपना जादू चलाने लगी थी हम दोनो एक दूजे मे खोए हुए थे सारी दुनिया को भूल कर पर शायद उस रात मिलन होना लिखा ही नही था बस दो चल पलों बाद हम दो जिस्म एक जान होने ही वाले थे कि तभी रॉकी साहब को पानी की प्यास लगी और वो आवाज़ करते हुए जाग गये तो फिर जल्दी से हम ने अपने आप को संभाला और बिस्तर पकड़ लिया फिर थोड़ी देर मैने इंतज़ार भी किया कि वो आएगी पर फिर कुछ नही हुआ तो बस फिर सो गया



अगली सुबह मैं थोड़ा सा लेट उठा तो करीब करीब 9 बज रहे थे मैं चॉबारे से बाहर आया तो चारो तरफ धून्ध की गहरी चादर छाई हुई थी तो मैने अपनी जॅकेट डाली और नीचे आ गया तो सीढ़ियो पर ही बुग्गी से टकरा गया तो वो अपनी नज़रे नीचे करते हुए बोली मैं तुम्हे ही जगाने आ रही थी तुम्हे नीचे बुला रहे है मैने कहा चलता हूँ तो हम साथ साथ ही फिर नीचे आ गये तो ममाजी ने कहा कि मनीष तुम तैयार होकर ज़रा मेरे साथ सहर तक चलो कुछ खरीदारी करनी है



मैने सोचा कि इनके साथ चला गया तो फिर गया पूरा दिन पर मना भी नही कर सकता था तो मन मार कर कहा कि मैं फ्रेश हो कर आता हूँ फिर चलते है अब कॉन नहाए इतनी सर्दी मे तो मामा के साथ सहर गये काफ़ी सारा समान खरीदना था तो बाजार मे ही पूरा दिन बीत गया ना कुछ खाया पिया ना कुछ ऑर तो घर आते आते शाम के साढ़े पाँच बज गये थे और मैं बुरी तरह से थक गया था , सारा सामान गाड़ी मे लादकर जब वापिस आए तो पता चला कि




घरवाले भी पहुच चुके थे , मैने सबके पाँव छुए, मम्मी के भी आक्च्युयली मैं शो नही करना चाहता था कि हमारे बीच मे कोई डिस्प्यूट चल रहा है पापा बोले फोजी कब आए तो मैने कहा तीन दिन हो गये है फिर उन्होने पूछा कि कहाँ हो आजकल तो बताया कि देल्ही मे हूँ , तो वो बोले ठीक है पर पास हो तो घर भी आ जाया करो तो हमे भी अच्छा लगेगा मैने कहा जी जल्दीही आउन्गा आख़िर पापा मुझे थोड़ा बहुत समझते थे

मैं बहुत ही थका हुआ था तो मैने बड़ी मामी से कहा कि मामी मेरा पानी बाथरूम मे रख दो आज बहुत थक गया हूँ तो नहा कर ही शरीर ताज़ा होगा मामी बोली तुम पहले चाइ पी लो मैं पानी रख देती हूँ तो फिर थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम की तरफ चल पड़ा तो मामी उधर ही थी मैने कहा रख दिया पानी तो वो बोली हाँ रख दिया है तुम नहा लो तो मैने इधर उधर देखा और फिर उनका हाथ पकड़ कर झट से बाथरूम मे खीच लिया

मामी कसमसाते हुए बोली छोड़ो ना क्या कर रहे हो मैने कहा मामी प्लीज़ करने दो ना अभी मोका भी हैतो वो कहने लगी शादी का घर है तुम्हे तो कोई फरक नही पड़ता पर मुझे पड़ता है मैं बोला- मामी अब बाथरूम मे कॉन आएगा और वैसे भी मुद्दते ही हो गयी है आप से प्यार नही किया है तो अब मुझे ना रोको वो पर पर करने लगी पर अब मैं उनकी नही सुन ने वाला था



मैं उनके घाघरे के उपर से जाँघो को सहलाते हुए मामी मान भी जाओ ना
मामी- दबी आवाज़ मे ठीक है पर जल्दी से कर लो मुझे आज दो पल की भी फ़ुर्सत नही है

मैने कहा ये हुई ना बात और मामी के गालो को खाने लगा तो फिर मामी नेभी कोई और चारा ना देख कर अपनी भाए मेरी पीठ पर कस दी


मैं जल्दी से नंगा हो गया और मामी के घाघरे को उपर करके अपना लंड मामी के गुदाज कुल्हो पर रगड़ने लगा तो मामी बोली रूको घाघरा उतार देती हूँ कही गीला ना हो जाए तो फिर उन्होने घाघरा और अपनी पैंटी को उतार कर खूँटि पर टांक दिया मैं ब्लाउज खोलने लगा तो उन्होने माना कर दिया और कहने लगी की नीचे से तो उतार ही दिया है इस ऐसे ही रहने दो मैने मामी को अपने से चिपका लिया और उनके चुतड़ों को सहलाने लगा मामी ने मेरे लंड को अपनी मांसल जाँघो के बीच मे दबा लिया



गुज़रते वक़्त के साथ मामी के योवन मे और भी निखार चढ़ गया था 45-46 की उमर मे भी बड़ा ही गदराया सा जिस्म था उनका फॅट था पर बॉडी के अनुसार ढला हुआ और उनकी गान्ड के तो कहने ही क्या थे उनके जैसे चूतड़ मैने किसी भी औरत के नही देखे थे उस गीले गीले किस से मामी भी गरम होने लगी थी और गरम औरते मुझ बड़ी ही पसंद थी मामी के होंठो को काफ़ी देर तक मैने खाया मामी बोली कर लो ना जल्दी से और मुझे फारिग करो , मुझे सच मे ही फ़ुर्सत नही है मैने कहा करता हूँ डार्लिंग इतने दिनो बाद तुम्हारे बदन का दीदार किया है तो अच्छे से देखने दो




मामी बोली तुम बात को समझ नही रहे हो, कही किसी ने देख लिया तो क्या होगा , और फिर मेहमानो से भरा घर है मैने कभी तुम्हे मना थोड़ी ना किया है पर तुम हालत को भी ज़रा समझो , तो मैने मामी को दीवार से सटा दिया और उनकी एक टाँग को उठा कर अपनी कमर पर रखत हुई अपने लंड को गीली चूत पर रख ही दिया मामी बोली देखो क्या दिन आ गया है तीन दिन बाद बेटे की शादी है और माँ इधर रंग रलियाँ मना रही है



मैने कहा माँ की चूत भी तो मस्त है तो मामी मेरे सीने पर हल्के से मुक्का मारते हुए बोली बेशरम कही के और उसी पल मैने लंड को चूत की गहरी घाटियो मे उतार दिया मामी ने अपने बदन को टाइट कर लिया और अपने हाथ मेरे कंधो पर रख दिए मैने फिर से उनके होंठो का चुंबन लिया और धीरे धीरे से उनको चोदने लगा मैने कहा मामी आपकी चूत मारने का असली मज़ा तो बेड पर ही है जब बेड हिलता है तो आपकी गान्ड मस्त हो जाती है


मामी कुछ नही बोली बस चुद ती रही मैने थोड़ा सा नीचे झुक कर मामी की चूची को अपने मूह मे भर लिया और उसको चूसने लगा मामी बोली ज़ोर ज़ोर से करो वो चाहती थी कि मई जल्दी से झड जाउ और उनको फारिग करूँ और मैं भी समझ रहा था उनकी परेशानी पर अपने बस मे क्या जब छूटे तब छूटे थोड़ी देर बाद मैने उन्हे घुमा दिया अब उनका मूह दीवार की तरफ हो गया और मैं पीछे से लंड डाल कर उनको चोदने लगा तो कसी हुई जाँघो के दरमियाँ से गुज़रते हुए लंड
की रागड़ाई से बड़ा ही मज़ा आ रहा था मामी की कमर को थामे हुए बस चोदे ही जा रहा था और वो भी अब मस्ता ती जा रही थी चूत से बहकर गीला पानी उनकी जाँघो को भिगोने लगा था मामी हान्फते हुए बोली उफ फफफफ्फ़ कितनी देर और लगाओगे मैने कहा बस दो चार मिनिट और होने ही वाला है और मैं तेज तेज धक्के लगा ने लगा और फिर आख़िर मैने अपना पानी मामी की चूत मे गिरा ही दिया मेरा होते ही मामी झट से मुझसे अलग हो गयी और पानी के डिब्बे से अपनी चूत को सॉफ करते हुए बोली, मैं जानती हूँ कि तुम्हे मज़ा नही आया



पर थोड़ी फ़ुर्सत लगते ही तुम्हारा ख़याल भी करूँगी मैने कहा कोई ना देख लेना फिर मैने गेट को हल्का सा खोल कर झाँका तो गलियारा खाली पड़ा था तो मामी झट से निकल गयी और मैं नहाने लगा , नहाने के बाद मैने प्लॉट मे एक कोने मे खाट बिछाई और लेट गया मैं अपना मोबाइल देख रहा था की तभी मुझे रेडियो का ऑप्षन दिखा मैने कभी इतना ध्यान ही नही दिया था कि कॉन से अप्स है




तो कई दिन बाद मैं सीसी सुन रहा था पुरानी याद ताज़ा हो गयी जब मैं स्कल के दिनो मे छत पर या अपने कमरे मे हर रात सीसी पे गाने सुना करता था , और रेडियो सिटी अपना पसंदीदा चॅनेल हुआ करता था तो वो ही लगा दिया , वो गाना आज भी याद है मुझे जिसके बोली कुछ यू थे कि” बस इतनी तुमसे गुज़ारिश है “ अच्छा लगा गाना तो दिल का दर्द अचानक से ही कुछ ज़्यादा सा बढ़ गया आँखे बंद कर ली मैने और तभी मेरी आँखो के सामने निशा का चेहरा आ गया

तो मैने झट से आँखे खोल दी , सच तो था कि वो गाना बस मेरे अकेलेपन की ही व्याख्या कर रहा था आख़िर सबकी ज़िंदगी मे कभी ना कभी ऐसा होता ही है कि जब वो खुद को अकेला महसूस करने लगता है, उसे एक साथी की ज़रूरत होती है ये ज़िंदगी भी अजीब होती है , हर पल बस देती है तो तकलीफ़ हम सोचते है कि खुश है , पर दिल को पता होता है कि कुछ तो कमी है, कुछ तो है जो नही मिला और फिर मेरी ज़िंदगी की बिसात थी ही कितनी पल भर की खुशी और उमर भर का गम

मैं गाने सुनता हुआ अपने विचारो मे खोया हुआ था कि तभी लिली आ गयी हाथो मे एक कटोरी लिए मैने कहा क्या है तो बोली आज गाजर का हलवा बनाया था ज़रा चख कर तो बता कैसा बना है मैने कहा अभी मूड नही है तो वो मेरे पास ही बैठ गयी और बोली कमिने तेरे लिए लेकर आई हूँ और नखरे कर रहा है खाना है तो खा वरना मैं ही खा लेती हूँ तो मैने कहा जब मेरा है तो मैं ही खाउन्गा काफ़ी टेस्टी हलवा था मैने कहा तो फिर क्या सोचा तूने



वो बोली किस बारे मे, मैने कहा देने के बारे मे वो बोली कल ही तो किया था मैने कहा तुझसे मन भरता ही नही तो वो बोली भाई तो शादी के बाद ही जाएगा तो घर पे नही बुला सकती और अब थोड़ी सी गहमा गहमी है तो मुश्किल ही है जुगाड़ का मैने कहा देख ले तेरे घर आए है कही मेहमान ये ना कहे कि खातिर दारी ना हुई तो वो बोली हद से ज़्यादा नीच-कमीना है तू ला कटोरी वापिस दे मैं जाती हूँ तो वो मूड कर चलने लगी और मैं 61-62 करते हुए उसके चुतड़ों को दूर तक निहारता ही रहा

मैं खाट पर ही लेटा पड़ा था , मम्मी की वजह से मैं थोड़ा कट सा रहा था तो सोचा कि इधर ही ठीक है कुछ देर बाद बुग्गी भी आ गयी और पास मे रखी कुर्सी पर बैठ ते हुए बोली इधर क्यो लेटे हो शाम का टाइम है ठंड भी बढ़ने लगी है मैने कहा हुजूर ऐसे ही बस पता नही कभी कभी दिल उदास सा होता है तो वो बोली बताने से बोझ हल्का हो जाता है पर तुम शेयर करना ही नही चाहते हो तो फिर कैसे होगा



मैने कहा यार कुछ है ही नही शेयर करने को जो तुम्हे बताऊ , वो बोली अगर कुछ ना होता तो तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी होती ही नही, मैने कहा देख एक छोटे से गाँव का लड़का जो तकदीर के भरोसे आर्मी मे सेलेक्ट हो गया कॉलेज टाइम मे ही उसकी एक दोस्त बन गयी जिस से पता नही कब प्यार हो गया उस कच्ची जवानी मे इन आँखो ने कुछ सपने सज़ा लिए आने वाले जीवन के लिए पर किसी को इतनी सी बाद रास नही आ रही है मैं अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहता हूँ




और जो लड़की मम्मी ने देखी है उसे भी मैं पहल से ही जनता था , मिला था उस से देहरादून मे और मेरी अच्छी दोस्त भी है वो पर मोहब्बत नही है उस से अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूँ, अगर अपनी मोहब्बत से ब्याह ना किया तो मैं खुश नही रह पाउन्गा और अगर उस से ब्याह कर लू तो घर छूट रहा है मम्मी ने तो घर से निकाल ही दिया है जबकि मैने नोकरी की ही इस लिए थी कि मिथ्लेश के साथ अपनी गृहस्थी बसा सकूँ अब तुम ही बताओ मैं करू तो क्या करू



बुग्गी ने एक ठंडी सांस ली और बोली मनीष हम जहाँ रहते है ना उधर ये प्यार मोहब्बत कुछ जमता नही है गाँवो मे जो ये किस्से होते है ना वो अक्सर सेक्स पर जाकर ख़तम हो जाते है गलियों का प्यार बस इतनी देर ही परवान चढ़ता है और फिर ये सब फ़िल्मो का भी असर होता है एक रोमॅंटिक मूवी देखी नही कि फिर दो चार दिन उसके सुरूर मे ही दिल डूबा रहता है , पर मैं ये भी जानती हूँ कि इस दुनिया मे कुछ फीलिंग्स होती है जो हमे जब पता चलती है जब हम किसी से कुछ इस तरह से जुड़ जाते है , जैसे तुम मिथ्लेश से जुड़े हो पर हमारे कुछ और भी काम है, हमारे घरवाले है , एक मिनिट के लिए तुम ज़रा अपनी मम्मी के नज़रिए से सोचो 9 महीने उन्होने तुम्हे अपने पेट मे रखा, कष्ट सहे फिर तुम्हे पाला तुम्हारे हर नखरो को सहा तुम्हारी हर सही-ग़लत माँग को पूरा किया चाहे वो उनके बस की हो या नही और फिर एक माँ के रूप मे अपने बेटे के लिए उनकी भी कुछ इच्छाए है , हालाँकि मैं ये नही कह रही हू की तुम ग़लत हो




तुम अपनी जगह पर सही हो और वो अपनी जगह पर और घर से क्या निकाला गुस्से मे अक्सर ऐसा हो जाता है जब कुछ निकल जाता है मूह से मैं जानती हूँ जब भी तुम घर जाओगे वो तुम्हारा स्वागत ही करेंगी मैने कहा – अब तुम ही बताओ कि मैं करू तो क्या करू अगर मिता का हाथ छोड़ा तो बेवफा कहलाउंगा और मम्मी की ना मानी तो नालयक अब तुम ही बताओ क्या करू मैं इस जमाने मे क्या मेरा इतना भी नही कि अपने मासूम दिल को खुल कर धड़कने दूं मैं तुम ही बताओ आख़िर क्या समाधान है इस समस्या का



बुग्गी बोली ये और कुछ नही तुम्हारे प्यार का इम्तिहान है बस कोशिश करते रहो अगर प्यार सच्चा है तो गाड़ी पार लग ही जाएगी पर इतना कहना ज़रूर मान ना कि फॅमिली से दूर ना जाओ माँ-बाप को ना भूलो आख़िर उनका भी कुछ हक़ है तुम पर मैने कहा यार मैं कहाँ भूल रहा हूँ मैं तो खुद परेशन हूँ तुम्हे क्या दिखता नही है हम बात कर ही रहे थे कि मामा जी भी आ गये तो हमारा टॉपिक अधूरा रह गया छोटे वाले ममाजी बड़े ज़िंदा दिल इंसान थे



बातों का दौर कुछ इस कदर चला कि फिर काफ़ी देर तक उधर ही महफ़िल जमती रही फिर कोशल्या मामी खाने के लिए बुलाने आ गयी वो बोली आप सब खाना खा लो फिर बनवारे की तैयारी भी करनी है तो हम उठ कर घर की तरफ चल दिए बैठक मे दारू का दॉर चल रहा था पापा भी उधर ही थे , आज उनके हाथो मे काफ़ी दिनो बाद जाम देखा था मैने तो मैं मूड ही रहा था की उन्होने आवाज़ देकर मुझे अपने पास बुला लिया मैने कहा जी पापा



वो बोले फोजी कहाँ रहता है तू पापा के पास आया ही नही तो मैने कहा जी वो सुबह से कामों मे बिज़ी था तो टाइम नही मिला उन्होने एक पेग बनाया और मुझे देते हुए बोले- ले दो घूट पी ले तो शायद बाप से बात करने लगे, वैसे भी अब तू बड़ा हो गया है तो तेरे अपने फ़ैसले है , पापा ने उस एक बात मे ही काफ़ी कुछ कह दिया था मैने कहा पापा ऐसी कोई बात तो है नही फिर आपको ऐसा क्यों लगा तो वो बोले बेटे मैं तेरा बाप हूँ



बचपन से जानता हूँ तुझे आज बेशक लेफ्टिनेंट हो गया है अफ़सर हो गया है पर आज भी तू इस बाबू के बेटे के नाम से ही जाना जाता है उन्होने फिर गिलास को अपने मूह से लगाया और एक ही सांस मे खाली करते हुए बोले बेटे ये जो बाप होता है ना ये भी एक अजीब ही कॅरक्टर होता है माँ से भी ज़्यादा अपनी औलाद को प्यार करता है पर कभी कभी जता नही पाता पर तुझ से क्या कहूँ तू तो बड़ा आदमी हो गया है एक मिड्ल क्लास बाबू की तू भला क्यो सुन ने वाला



मैने कहा पापा आपके लिए तो मैं हमेशा से ही बेटा ही हूँ , वो बोले अगर बेटा होता तो कभी सोचा कि घर पे एक बाप भी है जो अब थोड़े दिन मे बस रिटाइर ही होने वाला है , माँ ने दो बात क्या बोल दी साहब घर ही छोड़ आए पर ये ना सोचा कि घर पे मम्मी के अलावा एक पापा भी है , जो तुझे बेटा कम दोस्त मानते है कभी सोचा कि बाप के पास भी एक दिल होता है जो उसकी कड़क छवि मे कही दब कर रह जाता है, कभी सोचा तूने कि घर पर माँ-बाप है जिनकी सूनी आँखो मे बस एक आस है बेटे के नाम की और बेटा है कि बस सब भूल गया है पापा की आवाज़ भारि हो चली थी
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#66
आज ज़िंदगी मे पहली बार उनकी आँखो मे मैने नमी देखी थी , ये ना समझना की पापा नशे मे है तो कुछ भी बोल रहे है मेरे बेटे हाँ पर इतना ज़रूर है कि अगर आज मे नशे मे ना होता तो शायद तुझसे कभी अपने मन की बात बोल भी नही पता वो कहने लगे बेटे – मेरी इन बातों का शायद तेरे लिए कोई मोल ना हो पर जिस दिन तेरी खुद की औलाद होगी ना उस दिन तू समझेगा कि बाप क्या बोलता था ले एक पेग ले ले मुझसे कैसी शरम , दारू अंदर जाएगी तो शायद तेरे अंदर भी हिम्मत हो जाए कि बाप से दो बात कर ले जब से आए है तुझे देखा कि बस दूर दूर बाहर है, अब शायद हमारी परवरिश मे ही कोई कमी कमी रह गयी होगी कि अपनी औलाद अपना खून ही देखो कैसे दूर दूर हो रहा है मेरी आँखो से जो इतने दिनो से गुबार जमा हुआ था मन मे वो सारी फीलिंग्स आँसू बन कर बहने लगी मैं पापा के गले लग गया और फुट फुट कर रोने लगा काफ़ी देर तक बस मैं रोता ही रहा रोता ही रहा अपने पापा की गले लग कर



वो बोले रोता क्यो है , अगर माँ बेटे के बीच कुछ शिकवा था भी तो क्या तू मेरे आने की वेट नही कर सकता था घर ही छोड़ कर चला आया ये तूने अच्छा नही किया मनीष , मेरे बेटे क्या तुझे अपने बाप पर ज़रा सा भी भरोसा नही था आख़िर ऐसा क्या हो गया था जो आपस मे बैठ कर सुलझाया नही जा सकता था तुझे तेरी पसंद की लड़की से शादी करनी थी ना तो कर ले किसने रोका तुझे ना मैने उस दिन मना किया ना आज करता हूँ पर बेटे माँ-बाप को यू रुसवा कर दिया तूने




उनकी कही हर एक बात मेरे कलेजे को चीरे जा रही थी , और सच ही तो था मैं कभी एक अच्छा बेटा बन ही नही पाया था , बस भागता ही तो रहा था मैं अपनी जिंदगी भर , कभी सोचा ही नही था उनके बारे मे बस निकला भी तो क्या मैं एक नालयक , वो बिल्कुल सही थे पर मैं एक कमीना इंसान था हालत ने ये कैसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था मुझे , महॉल बड़ा ही टेन्स हो गया था तो मामा जी ने मुझे कहा कि बेटे तुम अंदर जाओ और फिर वो पापा को संभालने लगे मैं बैठक से तो बाहर निकल आया पर उस एक पल मे ही सब कुछ बेगाना सा लगने लगा था मैं साला जाउ तो कहाँ जाउ इतनी बड़ी दुनिया मे कही ऐसी जगह नही जहाँ दो पल का सुकून मिल सके




जहा दो पल बैठ कर मैं हँस सकूँ , अपने आप को कह सकूँ कि मैं खुश हूँ इतनी बड़ी दुनिया मे मेरा कही कुछ नही बस मुसाफिर बनकर रह गये थे हालातों के मारे हम करे भी तो क्या अरे आँसू भी अपनी आँख का ही नमक



फिर बस खराब तबीयत का बहाना कर के बिस्तर पर लेट गया और अपने एमोशन्स को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा ध्यान तब टूटा जब नीचे बनवारे के लिए बाजा बजने लगा मैं उठा और दो गिलास पानी पिया मैने सोचा कि अब मेरा यहाँ से चले जाना ही ठीक रहेगा वारना मैं तो दुखी रहूँगा ही मम्मी-पापा भी परेशान होंगे तो जब सारे लोग बनवारे मे नाचते गाते घरे से बाहर गली मे चले गये तो मैने चुपके से अपना बॅग पॅक किया और पिछली गली से बाहर निकल गया

रात के साए मे धुन्ध की चादर ओढ़े मैं गाँव से बाहर निकल आया और हताश कदमो से हाइवे की ओर चले जा रहा था जो की करीब 5 किमी दूर था ,,निकल तो आया था पर पता नही था कि जाना किधर है एक रास्ता जाता था देल्ही की तरफ जहाँ पर थी निशा मेरी प्यारी दोस्त और दूसरा जाता था जयपुर की तरफ जहाँ से मैं अजमेर जा सकता था यही सोचते सोचते मैं हाइवे तक पहुच ही गया



काफ़ी सर्द रात थी वो जॅकेट मे भी जबरदस्त सर्दी लग रही थी , हाइवे पर ही एक ठेका था तो मैने एक विश्की का हाफ ले लिया खीचने लगा मैने ठेके वाल से पूछा कि भाई इधर बस कहाँ मिलेगी तो वो बोला कि इधर तो नही मिलेगी थोड़ी आगे एक होटेल है उधर बस रुका करती हैं तो उधेर देख लो मैं जाके उस होटेल पर ही बैठ गया और इंतज़ार करने लगा


तभी फोन बज उठा,ये साला फोन भी अजीब चीज़ होता है कही भी बज जाता है तो मैने देखा कि अशोक भाई का फोन था वो बोले कहाँ है तू मैने कहा बस इधर ही हूँ वो बोले जल्दी से मेरे पास आ तो मैने कहा नही यार अब नही आ सकता मैं वापिस जा रहा हूँ तो वो बोले कहाँ जा रहा है तू , तू कही नही जाएगा अभी के अभी वापिस आ मैने कहा अब ना रोक भाई , जाने दे मुझे हम जैसों का कहाँ कोई घर हुआ करता है भाई




तू इस मुसाफिर को अब जाने दे , तो वो बोला यार ऐसा क्यो बोलता है क्या मेरा घर तेरा नही है और फिर जब भाई ही यूँ चला जाएगा तो फिर कैसी शादी होगी कब्से तो इतना चाव कर रहा था तू शादी का और अब तू ऐसे मूह छिपा कर जा रहा है मैने कहा भाई यार तू एमोशनल ना कर अभी तो वो बोला देख तुझे कसम है मेरी अगर तू गया तो चुपचाप घर आजा और सो जाना किसी को पता ही नही चलेगा


मैने कहा यार तू ज़िद ना कर तो वो बोला तू पहले बता है कहाँ पर तो मैने कहा शिवानी होटेल पर हूँ भाई बोला तू उधर ही रुक मैं बस दस मिनिट मे आता हूँ तो फिर मैने कहा यार तू कहाँ आ रहा है पर वो बोला , बोल दिया ना उधर ही रुक मैं आ रहा हूँ करीब पंद्रह मिनिट बाद वो आ गया आते ही उसने एक खीच कर चान्टा जचा दिया तो मैं कुर्सी से गिर गया



वो बोला साले , भाई को छोड़ कर जा रहा है शरम नाम की कोई चीज़ है या नही है मैं बोला मारा क्यो तो उसने एक और रख दिया और बोला तेरी सारी उतार दूँगा बना फिर रहा है देवदास की औलाद , मैने कहा भाई मेरे भाई फिर उसने मुझे अपने गले लगा लिया और बोला यार छोटे तेरे सिवा मेरा है ही कॉन और तू इस तरह छुप कर जा रहा है तो गुस्सा आयगा ही ना



मैं रोते हुए बोला यार भूक लगी है बहुत तेज तो बोला चल आजा , बोल क्या खाएगा तो फिर उसने खाने का ऑर्डर दिया और बोला चल मूह धोले कैसी रोनी सी शकल बना रखी है कल को तेरी भाभी आएगी तो क्या सोचेगी कि रोट्लु देवर है तो मैं मूह धोने चला गया फिर वो मुझे अपने हाथो से खाना खिलाते हुए बोला यार तू भी कमाल करता है एक फोजी होकर एमोशनल हो जाता है मैने कहा यार फोजी भी तो इंसान ही होते है क्या दिल नही धड़कता उनके सीने मे

तो वो बोला देख तुझे एक राज़ की बात बता ता हूँ जो फोजी होता है ना वो देखा जाए तो एक सरकारी कुली से ज़्यादा कुछ नही होता , और फिर कदर करता ही कॉन है फोजी की आधी उमर तो पोस्टिंग्स मे बोरिया-बिस्तर लेकर घूमते हुए कट जाती है जो बची वो दारू के नशे मे कट जाती है , तूने कभी गौर किया कि हम फोजी जो होते है कभी ड्यूटी पे पीते है क्या पर जब घर आते है तो खूब पीते है




मैने कहा क्यो भाई वो बोला वो इसलिए छोटे क्योंकि इस दुनिया मे फोजी की कोई इज़्ज़त होती ही नही है फोज मे अफसरो की गालियाँ खाओ, घर आओ तो कोई ये नही पूछता कि बेटा ठीक है, भाई कैसा है कैसे रहते हो उधर , तबीयत कैसी है किस हाल मे हो पूछता है क्या कोई मैने कहा नही भाई, बोला आते ही सब पूछते है क्या लाया क्या लाया माँ बाप पूछेंगे कि कितना पैसा लाया कितना जोड़ लिया



मैने कहा वो तो है बोला यार अपने दोस्त भी पीठ पीछे फोजी मेंटल मेंटल करते है एक सिक्युरिटीी की इज़्ज़त है पर अपनी नही फोजी के बच्चे, उसकी वाइफ वो फोजी को थोड़ी चाहते है वो तो बस देखते है कि कितना पैसा लाया है 6 महीने मे जो आया है बच्चों को पता चलता है कि बाप आ गया तो ये नही पूछेंगे कि पापा कितने दिन रहोगे हमारे साथ बल्कि ये पूछेंगे कि पापा कब जाओगे



और फिर अपन लोगो की ज़िंदगी होती ही कितनी है ना जाने कॉन सी गोली बुलावा लेकर आ जाए तो भाई मेरे जितने भी दिन है राज़ी खुशी रह ले ये रो कर नाराज़ होकर क्या करेगा भाई की बात एक दम सही थी भाई तो बड़ी घुटि हुई चीज़ थी मैने कहा पर भाई प्यार ,मोहब्बत भी कोई चीज़ होती है तो भाई बोला रे बावले सच मे तरस आता है तेरे पे तुझे ऑफीसर बना किस ने दिया




प्यार व्यार कुछ ना होवे, मुझे देख कितनी छोरी चोद ली सब गयी ब्याह करवा के रह रही है के ना अपने आदमियो के साथ अब गली मे भी मिल जावे तो देखे ना और उन दिनो लेटर लिखा करती थी कि तेरे बिना जी ना सकूँ तो भाई ये औरत की जात ही ऐसी होती है इनकी क्या टेन्षन और वैसे भी कपड़े उतारने के बाद सारी औरते एक जैसी होती है सोडा तो एक ही होवे सै



बाते करते करते काफ़ी देर हो गयी थी भाई बोला चल इब घर चाल घनी देर हो गी सै काल फिर लगन भी आवेगा तो दूल्हे ने फ्रेश दिखना चाहिए तो मैने कहा तू पीछे बैठ मोटरसाइकल मैं चलूँगा तो फिर बात करते करते हम लोग घर पर आ गये

अगली सुबह बुग्गी ने मुझे उठाया और चाइ का कप पकड़ाते हुए बोली कितना सोते हो तुम अब जल्दी से उठ जाओ आज लगन है तो काफ़ी कम पड़े है और तुम यहाँ पर पड़े हो मैने कहा तुम तो ऐसे कह रही हो कि जैसे मेरा लगन आ रहा है धनी को चिंता करनी चाहिए मुझे नही मैने कहा यार मुझे सुबह सुबह चाइ पीना पसंद नही है तो वो बोली फिर क्या पसंद है



तो मैने उसे अपनी ओर खीचा और उसके होंठो को चूम लिया तो वो शरमाते हुए वहाँ से भाग गयी और मैं भी अपने कपड़े पहन कर नीचे आ गया तो देखा कि टॅंट वाले आ चुके थे और प्लाट मे टॅंट लगा रहे थे कल से कढ़ावा तो चल ही रहा था पता चला कि पापा मामा के साथ कुछ खरीददारी करने बाजार गये हुए थे मैं दातुन करते हुए इधर उधर घूम रहा था




तो अशोक भाई ने कहा छोटू आजा , चल ज़रा नाई की दुकान तक चलते है थोड़ा शेविंग करवा आते है शाम को तो टाइम मिलेगा ही नही मैने कहा भाई तू जा तू दूल्हा है अपने को क्या अपन तो इधर ही दाढ़ी को रगड़ लेंगे कोण सा तेरी साली अपने को पसंद कर लेगी तो वो बोला चल ठीक है तू इधर ही काम देखलियो मैं आता हू भाई के जाने के बाद मै इधर उधर घूमने लगा फिर से




जिसे देखो सुबह से ही बना सँवरा घूम रहा था आख़िर भाई आज पार्टी तो थी तो अपने लिए करने को कुछ खास था नही बस मैं खाट पर बैठा देख रहा था कभी मिठाई चख ली तो कभी सब्ज़ी वग़ैरा बस मैं भी थोड़ा सा बोर सा होने लगा था ऐसे ही दोपहर हो गयी थी मेहमान और यार-दोस्तो का आना शुरू हो गया था मैने सोचा भाई फोजी अब तू भी ज़रा चमक जा



तो मैं शेविंग कर ही रहा था कि तभी रुक्मणी आई और बोली कि मनीष मुझे थोडा सा काम है हेल्प करोगे क्या मैने कहा बोलो डियर तुम्हारे लिए ही तो है वो बोली कि मैं अपनी मेकप किट भूल आई हूँ तो ब्यूटी पार्लर जाना है तो सहर तक चलो मैने कहा यार कमाल करती हो अब कोई टाइम है क्या तो वो बोली चलो ना प्लीज़ तो मैने कहा ठीक है अब तुम कह रही हो तो



मैने कहा मैं बाइक लाता हूँ तुम गली के कोने पर आओ फिर मैं बुग्गी को लेकर सहर की तरफ उड़ चला गाँव की हद से बाहर होते ही उसने मेरी कमर मे हाथ डाला और कस कर मुझसे चिपक कर बैठ गयी उसकी मस्त चूचिया मेरी पीठ मे दबाव डालने लगी थी ऐसे ही मज़े लेते हुए हम सहर आ गये वहाँ पर काफ़ी देर लग गयी भाई के फोन पर फोन आ रहे थे

कहाँ है तू वो सोच रहा था कि भाई कही फिर से भाग तो नही गया मैने कहा यार ये बुग्गी ब्यूटी पार्लर आई है तो उसके साथ ही हूँ वो बोला 4 बज गये है भाई जल्दी से आजा सासरे वाले आने ही वाले होंगे मैने कहा भाई बस आही रहा हू , जब बुग्गी बाहर आई तो मैं उसे देखते ही रह गया एक दम पटाखा लग रही थी टाइट जीन्स मे भी लंड तन गया मैने कहा चॅप्रेट लग रही हो आज तो ये बिजलिया किस्पर गिराने का इरादा है




तो वो हँसते हुए बोली क्या कुछ भी बोलते रहते हो अब चलो घर देर हो रही है तो हम वापिस घर आ गये घर आज बड़ी ही अच्छी तरह से सज़ा हुआ था क्या कमाल की डेकोरेशन थी तो करीब सात बजे लगन की रस्मे शुरू हो गयी जो करीब 9 बजे तक चलती रही इस बीच मैं रिश्तेदारो जैसे, मोसा जी , जीजा जी और भी जो जान पहचान वाले थे सब से मिलता रहा



बड़ा ही मज़ा आ रहा था सुनहरी लहनगा-चुन्नि मे बुग्गी तो सबके बीच चमक रही थी तो अपना मन भी नॉटी नॉटी होने लगा था पर करे भी तो क्या पर फिर सोच लिया कि आज की रात तो बुग्गी को चोदना ही है वरना मन नही लगेगा तो मैने टेंट के आए हुए बिस्तरो मे से दो जोड़ी बिस्तर उठाए और आँख बचा कर जो छप्पर था नीम के पास उसमे सेट कर दिए




यारो की महफ़िल चल रही थी बॉटल पे बॉटल खुल रही थी दारू पानी की तरह बह रही थी तो यारी दोस्ती मे एक एक करके अपना डॉटा भी ओवर होने ही जा रहा था पर अब किसी को मना भी नही कर सकते थे भाई की मेल थी आज तो जशन तो होना ही था तो फिर मैं पहुच गया सीधा ड्ज फ्लोर पर और फिर उधर ही डॅन्स बाजी होने लगी जब दारू लगा रखी हो तो फिर खाने का कहाँ ध्यान रहता है ऐसे ही रात का 1 बज गया था




टॅंट ऑलमोस्ट खाली सा ही पड़ा था मैं सोफे पर बैठा था कि बुग्गी मेरे पास आई और बोली खाना खाया मैने कहा नही रे अभी जा रहा हूँ खाने को तो उसने रॉकी को कहा कि दो प्लेट खाना लाओ तो रॉकी बोला आप रूको मैं अभी टेबल अरेंज करता हूँ तो फिर करीब दस मिनिट बाद हम दो चार लोग ही बचे थे उधर मैं और बुग्गी साथ साथ ही डिन्नर करने लगे थे



रॉकी बोला भाई मेरे कुछ फ्रेंड्स है तो मैं उन्हे छोड़ कर आता हूँ आप एंजाय करो मैने कहा ठीक है भाई , बुग्गी बोली काफ़ी ज़्यादा ड्रिंक कर ली है तुमने मैने कहा यार वो हो गयी अब सब दोस्त थे तो बस हो ही गयी वो बोली हॅंगओवर को उतारने के लिए नींबू लाउ मैने कहा नही रे इतनी तो हम हॅंडल कर ही लेते है बाकी जो नशा आज तुम्हारे रूप ने किया है वो तो उतरने से रहा



कुछ बाते चल रही थी इधर उधर की डिन्नर के बाद उस सर्द रात मे ठंडी हवा मे बस हम दोनो ही बचे थे कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए मैने कहा सोना नही है क्या तो वो बोली तुमसे बात करनी है मैने कहा बता क्या मदद करूँ तुम्हारी वो बोली कुछ नही ,तो बैठे बैठे दो बज गये थे लाइट ऑफ हो गयी थी मैं उठा और कहा आजा हम भी चलते है वो बोली कहाँ मैने कहा तू चल तो सही सवाल बहुत करती हो तुम तो फिर मैं उसे अपने साथ छप्पर पर ले आया

मैने अपनी उंगली उसके होंठो पर रखी और कहा तुम बस चुप रहो थोड़ा टाइम मेरे साथ बीताओ इस लिए ही हम इधर आए है वो बोली पर ये भी कोई जगह हुई मैने कहा यार आज इसे ही बेडरूम समझ ले मेरे लिए मैने उसके गालो पर उंगलिया फिराते हुए कहा रुक्मणी आख़िर क्यो मेरे इतने करीब आ गई हो तुम तो वो बोली करीब क्यो ना आउ आख़िर हम दोस्त है ना



फिर हम दोनो लेट गये मैने उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया और अपने सीने पर रख दिया रुक्मणी बोली क्या बात है बड़े सेनटी हो रहे हो मैने कहा सेनटी नही यार देख झूठ नही बोलूँगा आज तुम्हारा रूप देख कर दिल कर रहा है कि बस तुम्हे प्यार करू तो क्या तुम इजाज़त दोगि मैने उसकी हथेली को अपनी मे लेकर दबा दिया कुछ पल हमारे बीच कोई बात नही हुई पर हमारी धड़कनो को सॉफ सॉफ सुना जा सकता था

मैने बुग्गी को थोड़ा सा टेढ़ा करते हुए अपने उपर सा कर लिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा दारू का नशा अब मेरी नसों मे दौड़ते हुए वासना के नशे मे मिलने लगा था उसकी साँसे मेरी गर्दन पर पड़ कर मुझे मदहोश करने लगी थी मैने उसके ब्लाउज की चैन खोल दी तो ब्लाउज बाहों मे आ गया और मैं पीठ पर उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स से खेलने लगा



मैने कहा तुझे किस करूँ क्या तो उसने हौले से हूँ कहा तोमैने अपने होठ उसके लबों से लगा दिए और उसके लिपीसटिक से सने होंठो को चूमने लगा तो उसने अपने आप को मेरी बाहों मे सुपुर्द कर दिया और मेरे उपर चढ़ गयी किस करते टाइम मुझ से ज़्यादा जोश उसके होटो मे था मैने उसके घाघरे का नाडा भी सरका दिया था जो उसकी टाँगो से होते हुए नीचे को गिर गया था



मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ , सुतवा टाँगो और मांसल जाँघो पर रेंग रहे थे बड़ा ही सॉफ्ट सॉफ्ट सा जिस्म था उसका तो करीब 5-7 मिनिट तक एक दूजे के होटो को खाने के बाद मैने उसे हटाया और फटा फट से अपने कपड़े उतार फेके और अपने लंड पर उसका हाथ रख दिया तो वो उस से खेलने लगी मैने उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार फेकि और एक दूसरे के जिस्म का मुआयना करने लगे




जैसे ही मैने उसकी गोलाईयों को दबाया तो बुग्गी के मूह से सिसकी निकल गयी और वो बोली दर्द होता है तोमैने फिर से चूची को दबा दिया थोड़ी देर तक ऐसे ही शरीर को आपस मे रगड़ ने के बाद मैने उसे 69 मे कर दिया और अपना मूह उसकी टाँगो के बीच दे दिया उसकी बिना बालो की चूत जो कि मुझे पक्का यकीन था कि उसने आज ही शेविंग की होगी तो मैने बिना कुछ सोचे समझे अपना मूह उसकी चूत पर लगा दिया तो उसके बदन मे कंपकंपी आ गयी और उसने अपनी चिकनी टाँगो को मेरे चेहरे पर कस दिया और खुद आगे को झुक कर अपने मूह मे लंड को भर लिया तो अब हम दोनो एक दोनो के गुप्तांगो को बारी बारी से चाटने लगे थे जब मैं अपने दाँतों को उसकी चूत पर गढ़ा ता तो वो भी मेरे लंड पर काट लेती थी तो बड़ा ही मज़ा आरहा था मैं गोल गोल अपनी जीभ को घूमाते हुए उसकी चूत को चाट रहा था और वो बारी बारी से मेरे लंड और अंडकोष दोनो को चूस कर मुझे जन्नत का मज़ा दे रही थी करारी चूत का पानी पीकर मैं मस्त हो चुका था तो मैने अब पलटी खाकर उसे अपने नीचे ले लिया और उसकी जाँघो को फैलाते हुए गीली चूत पर लंड को सटा दिया और बिना देर किए लंड को चूत के छेद से सटा दिया




बुग्गी की मादक सिसकी मेरे कान मे पड़ते ही मुझे बड़ा जोश चढ़ा और मैने एक तेज का शॉट मारते हुए अपने लंड को चूत मे घुसाने लगा तो बुग्गी का शरीर अकड़ने लगा तो मैने फिर से एक और शॉट मारा तो काफ़ी लंड अंदर चला गया वो बोली दर्द हो रहा है आराम से करो तो फिर धीरे से मैने लंड को चूत मे डाल दिया बुग्गी ने अपनी उंगलिया मेरी उंगलियो मे उलझा ली और फिर मैने हल्के हल्के से उसकी चूत पर धक्के लगाने शुरू कर दिए थे बुग्गी काँपति हुई आवाज़ मे बोली बहुत मोटा है तुम्हारा मेरी तो फट गयी लगती है , मैने कहा घुस तो गया है तो अब बस मज़ा ही मज़ा है मेरी जान और उसके गालो को अपने दाँतों मे दबा लिया और एक खीच कर शॉट मारा तो वो बिलबिला उठी पर जल्दी ही चूत लंड के हिसाब से सेट हो गयी थी तो बुग्गी भी अब मज़ा लेने लगी थी उसके होटो पे लगी हुई लार मैं चूसे जेया रहा था तो बुग्गी भी अब रंग मे आने लगी थी



बड़ी ही खामोशी से उस टॅंट के गद्दे पर हम दोनो अपनी प्रेम लीला शुरू किए जा रहे थे बुग्गी की रस से भीगी हुई चूत मे मेरा लंड अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा था तो मस्ती के मारे उसकी टाँगे अब हवा मे उठने लगी थी उसके लंबे नाख़ून मेरी पीठ पर रगडे जा रहे थे उसने अपनी टाँगो की कैंची बना कर मेरी कमर मे डाल दी और अपनी जीभ को मेरी गर्दन पर फिराने लगी थी

बुग्गी का जिस्म मेरे हर झटके को सहता हुआ उसे और मुझे दोनो को मस्ती के सागर मे लहरो को सवारी करवाए जा रहा था अब मैं उस के उपर से उतर गया और उसको घोड़ी बना दिया और उसके चुतड़ों पर किस करने लगा तो बुग्गी और भी मस्त होने लगी दो चार मिनिट तक उसके कुल्हो को क़िस्स्करने के बाद मैने उसकी कमर मे हाथ डाला और अपने लंड को फिर से चूत की गहराइयो मे उतार दिया




तो फिर बारी बारी से उसकी गान्ड आगे पीछे होने लगी थी बुग्गी की हवा मे झूलती हुई चूचिया अपनी खनक्क फैला रही थी पता नही कितनी देर से हम दोनो चुदाई का आनंद ले रहे थे पर फिर बुग्गी की पकड़ कुछ ढीली होती चली गयी और वो हान्फते हुए झड़ने लगी तो उसकी चूत ने लंड को बुरी तरह से कस लिया तो चूत के दबाव से लंड की नसें भी अकड़ने लगी थी




और फिर कुछ देर बाद मैं भी झड़ने के कगार पर पहुच गया तो मैने फॉरन लंड को चूत से बाहर खीचा और उसके चुतड़ों पर अपने वीर्य की धार छोड़ दी और झड़ने के बाद मैं उसे अपनी बाहों मे लेकर बिस्तर पर पड़ गया

अगला दिन शादी का दिन था सुबह से ही घर मे चहल-पहल हो रही थी घर मे, सब अपनी तैयारियो मे लगे हुए थे और मैं बस एक कुर्सी पर बैठ कर माहौल को देख रहा था आज भाई भी शादीशुदा हो जाएगा , मैं सोचने लगा कि जल्दी ही मेरा भी घर बस जाएगा पर क्या ये खुशिया मुझे मिल पाएँगी क्योंकि मम्मी तो अपनी ज़िद पर अडी हुई थी और मैं भी अपनी मोहब्बत के आगे मजबूर था




ये साला दिल भी बड़ा हराम खोर होता है इसका कोई भरोसा नही था अब देखो ने सारे घर मे सभी लोग हसी खुशी बारात की तैयारियो मे लगे हुए थे गीत गाये जा रहे थे कुछ रस्मे चल रही थी और एक हम थे और हमारा रोट्डू दिल था जिस पर ना जाने कैसा बोझ था कुछ समझ ही नही आता था मैं वहाँ से उठ कर प्लॉट की ओर चल पड़ा




पर वहाँ भी चैन नही मिल रहा था मैने निशा को फोन लगाया तो वो बोली कि मैं अभी थोड़ी सी बिज़ी हूँ फ्री होते ही बात करती हूँ तो फिर जी और भी खट्टा हो गया तो मैं वहाँ से ठेके की तरफ निकल गया कुछ तो खलिश थी मेरे अंदर जो मैं समझ नही पा रहा था एक बियर ले तो ली पर गले से नीचे ना उतरी तो अब हम करे क्या तभी भाई को फोन आया और बोला कि यार कुछ समान लाना है सहर से तो हो आ तो मैने गाड़ी को सहर की तरफ मोड़ दिया




फिर दोपहर तक ही घर आना हुआ, निकासी की तैयारी हो रही थी बुग्गी बोली कहाँ गायब हो गये थे तुम तो मैने कहा कुछ काम से सहर गया था तो वो बोली मुझे नही साथ ले जा सकते थे मुझे भी चलना था मैने कहा यार अभी तू मेरा पीछा छोड़ मैं थोड़ा सा डिस्टर्ब हूँ तो वो बोली यार तेरे मूड का भी कोई भरोसा नही पता ही नही चलता कि कब अच्छा है और कब सॅड है




मैने कहा या ऐसी बात नही है बस कुछ अजीब सा लग रहा है तो वो बोली अपने आप को सम्भालो मनीष ऐसा कब तक चलेगा मेच्यूर हो जाओ ये बच्चों वाली हरकते ना किया करो थोड़े से ज़िम्मेदार बनो मैने कहा यार प्लीज़ अभी रहने दे तो वो मूह फूला कर चली गयी भाई रस्मे निभा रहा था तो मैने भी सोचा कि यार मूह क्यो सुजाए खंखा आल्बम मे फोटो खराब आएगी



बस अब थोड़ी बहुत देर मे भाई घोड़ी चढ़ने वाला था तो मैने भी अपने बारात वाले कपड़े पहन ने का सोचा मैं कपड़े चेंज कर ही रहा था कि पापा आ गये वो मुझे 100-100 के नोटो की गॅडी देते हुए बोले ले निकासी के लिए मैने कहा पापा है ना मेरे पास तो वो बोले रख ले और जल्दी तैयार होकर आजा मैने कहा पापा आज तो काफ़ी यंग लग रहे हो आप तो वो बस मुस्कुरा दिए



सच मे पापा से बढ़ कर वो मेरे दोस्त ही थे और वैसे भी जब बेटे के पाँव मे बाप की जूतिया आने लगे तो रिश्ता भी कुछ दोस्ताना सा हो ही जाता है तो फिर जैसे ही बंद वाले ने पुँगी बजाई तो फिर मैं भी जल्दी से नीचे उतर आया , भाई क्या खूब सज रहा था तो फिर नाच-गाना शुरू हो गया ये भी कैसा महॉल था चारो तरफ खुशिया फैली हुवी थी


तो अपन कहा पीछे रहने वाले थे अपन ने भी डॅन्स शुरू कर दिया आख़िर भाई की शादी थी तो फिर जो भी दिखा उसे ही खीच लिया ठुमके लगाने को जीजाजी,दीदी, पापा , भाई बहन और बुग्गी भी तो फिर करीब दो है घंटे जम कर उत्पात मचाया और जो ममाजी ने रुमाल की बीन बना कर नागिन डॅन्स किया तो उसके कहने ही क्या तो आख़िर भाई जी चल ही पड़े भाभी को ब्याहने के लिए



मैने भी कही ना कही सोचा कि यार ब्याह तो करवाना सर्दी मे ही चाहिए क्या मस्त मोसम होता है करीब डेढ़ घंटे के सफ़र के बाद हम भाभी के गाँव पहुच ही गये तो बारात का काफ़ी अच्छा स्वागत किया गया कुछ रस्मो के बाद फिर से नाचते गाते हुए हम लोग उनके घर की तरफ बढ़ने लगे अब बारात है तो लेट शेट तो चलता ही रहता है




फिर स्टेज का प्रोग्राम अतटनेंड करने के बाद भाई फेरो पर बैठ गया और मैं खाने के लिए टॅंट मे पहुच गया तो कोशल्या मामी से टकरा गया मैने कहा अकेले अकेले खाना खा रहे हो तो वो बोली तुम भी आ जाओ तो मैं मामी के साथ ही खाना खाने लगा खाते खाते मैने कहा मामी आज तो बड़ी चॅप्रेट लग रही हो दिल तो कर रहा है कि यही पर गिरा कर चोद दूं तो वो बोली क्या कुछ भी बोलते हो




मैने कहा मामी देखो आपको देख कर लंड कितना तन गया है पॅंट मे इसका कुछ जुगाड़ करना ही पड़ेगा आपको तो वो बोली कुछ तो देख लिया करो हम बारात मे आए हुए है मैने कहा मामी जब वापिस चलेंगे तो आप मेरी वाली गाड़ी मे आ जाना वैसे भी खाली ही है तो कुछ मेरा भला भी हो जाएगा तो वो मुस्कुराती हुई बोली पहले से ही प्लान बना रखा है क्या




मैने कहा अब क्या करे आप तो चान्स दे नही रही हो तो फिर कुछ ना कुछ जुगाड़ करना ही है वो बोली पर तुम्हारे मामा का क्या तो मैने कहा वो तो विदाई तक इधर ही रुकेंगे तो अपने को भी मोका मिल जाएगा तो फिर वो बोली ठीक है वैसे मैं भी तुम्हारे साथ थोड़ा टाइम बिताने का सोच रही थी तो मैने कहा तो फिर पक्का रहा बारात तो खाना खाकर निकल चुकी थी बस हम फॅमिली वाले ही रह गये थे




दो टुक एक के साथ दो किसी और के साथ खा कर अपन ने पेट भर लिया जीजाजी तो भाई के पास ही फेरो पर बैठे थे मामा और पापा और कुछ बुजुर्ग लोग भी अपनी पार्टी मे मगन थे करीब आधे घंटे बाद कोशल्या मामी ने तबीयत खराब होने का बहाना कर लिया तो मैने मामा से कहा कि मामी की तबीयत थोड़ी खराब हो गयी है तो हम लोग घर के लिए निकल रहे है वैसे भी इधर कोई काम नही है तो वो बोले ठीक है रात का टाइम है तो थोड़ा सा आराम से जाना

मैने कहा जी ठीक है तो फिर मैने मामी को लिया और कार स्टार्ट कर के वहाँ से निकल लिया , मामी मेरे साथ फ्रंट सीट पर थी वो बोली तो मोका निकाल ही लिया तुमने मैने कहा डार्लिंग अब तुम तो दूर दूर भाग रही थी तो क्या करता तो वो बोली मैं भी तो तरस रही थी तुमसे चुदने को पर क्या करू सारा घर मेहमानो से भरा हुआ है तो कही भी कोई देख ले तो प्राब्लम हो सकती थी तो क्या करती


मैने कहा तो अब तो तुम मेरे पास हो और हम अकेले भी है तो फिर हो जाए वो बोली पहले घर तो चलो मैने कहा घर की क्या ज़रूरत है गाड़ी मे ही कर लेते है एक बात तो तो वो मना करने लगी पर मैने अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मामी से कहा कि देखो कितना तड़प रहा है आपके लिए अब जल्दी से इसे किस करके इसे भी थोड़ी राहत पहुचा दो



तो मामी ने एक बड़ी ही सेक्सी अदा से अपनी ज़ुल्फो को सहलाते हुए मेरी ओर देखा और फिर अपने चेहरे को मेरे लंड पर झुका लिया मामी के नाज़ुक होठ लंड पर पड़ते ही मेरा पूरा बदन मस्ती से भीग उठा मैने कहा उफफफफफफफ्फ़ डार्लिंग क्या जुलम कर दिया तुमने जान ही निकाल ली है तुमने तो मेरी मामी ने अपने रसीले होठ लंड के चारो ओर कस दिए और धीरे धीरे से बड़े ही प्यार से उसे किस करने लगी मैं तो जैसे गाड़ी चलाना ही भूल गया था




मैने स्टीरिंग छोड़ा और मामी के सर को सहलाते हुए बोला मामी क्या जादू है आपके होटो मे कसम से आपके इसी स्पर्श के लिए ही तो मैं तड़प रहा था तो मामी ने अपने थूक से लंड को गीला करना शुरू कर दिया मैं धीरे धीरे से गाड़ी को चलाने लगा मामी अपने होटो का जादू मेरे लंड पर दिखाने लगी थी किसी आइस्क्रीम की तरह अब वो मेरे लंड को चूसने लगी थी



मैं अपना हाल इधर क्या लिखू बस बता ही नही सकता कि कितना अच्छा लग रहा था मुझे मैने गाड़ी को हाइवे से उतार कर कच्चे रास्ते पर डाल दिया और कुछ आगे चलने के बाद सुनसान खेतो की साइड पर गाड़ी को खड़ा कर दिया और लाइट बंद कर दी मामी बोली गाड़ी इधर क्यो रोक दी मैने उन्हे अपनी बाहों मे भरते हुए कहा डार्लिंग अब रुका नही जाता इधर ही कर लेते है



तो वो बोली नही कहा खुले मे गाड़ी लगा दी है अगर कोई आ गया तो मैने कहा टाइम तो देखो और फिर धुन्ध कितनी है और खेतों का इलाक़ा है पूरी तरह से सुनसान एक बार तो इधर ही दे दो अब रहा नही जा रहा है फिर घर चल कर दुबारा चुदाई कर लेंगे तो मामी बोली ठीक है पर जल्दी ही सॅल्टा देना मैने उनके गालो को चूमते हुए कहा डार्लिंग बस अब रहा नही जाता है



गालो को चूमने के बाद मैने कोशल्या मामी के रसीले होटो को अपने होंठो से जोड़ लिया कितने ही मुलायम क्रीमी होठ थे मेरे मूह से निकल ही गया कि मामी काश आप मेरी पत्नी होती तो सारी उमर आपको लंड पर ही बिठाए रहता कसम से आप जितनी मस्त औरत आज तक नही देखी है क्या खूब हो आप आप इतनी सेक्सी कैसे हो तो वो बोली अब मैं बुद्धी हो गयी हूँ 40 पार कर लिए है अब कहाँ पहले जैसी बात है मैने कहा डार्लिंग




आप तो बस आप ही हो ना कोई आप से पहले और ना कोई आपके बाद मैने उनकी साड़ी के पल्ले को हटाया और मामी के ब्लाउज के हुको को खोलने लगा तो वो बोली इधर कपड़े ना उतारो कही कोई मुसीबत ना हो जाए मैने कहा आप घबराओ मत मैं हूँ ना कब से तरस रहा हूँ अब आप अपने इस बदन का दीदार करवा दो जल्दी से तो फिर उन्होने कोई विरोध नही किया और 5 मिनिट बाद मामी कार मे पूरी नंगी बैठी थी



मैने भी अपने कपड़े उतार दिए और कार की बॅक सीट को फोल्ड कर मिनी बेड के जैसे अड्जस्ट कर लिया और हम पीछे आ गये मामी की 34 इंची सुडोल छातियो को मसल्ते हुए मैं बोला डार्लिंग कितनी हॉट हो तुम तो वो मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली कितनी झूठी तारीफ करते हो तुम मैने कहा आप बेशक झूट मानो पर मैं तो सच ही कह रहा हूँ उनकी मोरनी सी गर्दन को को अपनी जीभ से चाटने लगा तो मामी की पकड़ मेरे लंड पर कस्ति चली गयी बड़े ही प्यार से मैं अपनी जीभ को उनके शरीर पर फेर रहा था फिर मैं उनके सीने पर आया और मामी की एक चूची को पीने लगा और दूसरी को दबाने लगा तो मामी के बदन मे भी बिजलिया रेंगने लगी थी मामी अपना आपा खोने लगी थी दस मिनिट तक दोनो चूचियो को पी पी कर मैने लाल कर दिया था
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#67
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Pl share the original story name & writers name.
Thanks
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#68
दोनो निप्पल्स तन कर एक दम को बाहर को निकल आए थे मामी अपने हाथ से मेरे अंडकोषो को दबाती हुई बोली इस आग को इतना क्यो भड़का रहे हो कितना तडपाओगे मुझे जल्दी से ले लो मेरी मैने कहा मामी पहले आपके बदन को जी भर के प्यार करूँगा आज की रात अपनी ही है तो फिर जल्दी किस बात की तो मामी ने अपने होठ मेरे होंठो पर सज़ा दिए तो मैं भी उनका साथ देने लगा

काफ़ी देर की चूमा चॅटी के बाद मैने मामी को सीट पर लिटा दिया और उनकी पतली पतली टाँगो को चौड़ा कर दिया और चूत पर अपना हाथ रख दिया तो पता चला कि एक भी बाल नही है मैने कहा सफाई कर रखी है तो वो बोली आज सुबह ही की है तो मैं चूत को दबाने लगा मामी सिसकियाँ लेने लगी फिर मैने एक उंगली चूत के अंदर डाल दी और घुमाने लगा तो



मामी बोली बस उंगली से काम नही चलेगा ज़रा इधर भी चुम्मि तो तो मैने कहा कि ये हुई ना बात और मामी की जाँघो के बीच अपने होंठो को झुका लिया और उस गरमा गरम चूत जो काम रस से भरी पड़ी थी वहाँ पर अपने होंठो को लगा दिया मेरे होठ उन मस्त पंखुड़ियो से टकराए तो उनका खारा पानी मेरे मूह मे समाने लगा तो मज़ा ही आ गया



मामी ने अपनी जांघे खूब अच्छे से फैला ली और मेरे चेहरे को अपनी छोटी सी चूत पर दबाते हुए मेरे बालो मे अपनी उंगलिया फिराने लगी मैं मामी की चूत को चाटने लगा ऐसी करारी चूत थी वो कि मेरा दिल बहुत करता था कोशल्या मामी को चोदने को उन्हे देखते ही मेरा लंड तन जाया करता था मामी दबी आवाज़ मे आहे भर रही थी तो मैने कहा गाड़ी के शीशे बंद है तो खुल के आहें भरो बाहर किसी को सुनाई नही देगा तो मामी को और भी जोश चढ़ गया बड़े ही प्यार से वो मुझे अपनी चूत का रस पिलाए जा रही थी और उनके गले से मस्तानी आहें अब खुल कर उबल रही थी मामी की चूत से टपकते रस से मेरे मूह का टेस्ट ही बदल गया था मामी की सिसकारिया अब बेहद बढ़ गयी थी फिर उन्होने कहा कि अब हट जाओ उधर से मैं ऐसे ही नही झड़ना चाहती



तो मैं वहाँ से हट गया और झट से उन्होने फिर से मेरे लंड को अपने मूह मे भर लिया फटा फट से उसे चूसने लगी लंड तो पहले से ही फन्फनाया पड़ा था और भी गरम होने लगा 5 मिनिट तक चूसने के बाद उन्होने मेरे लंड को अपने मूह से बाहर निकाल दिया और फिर सीट पर घोड़ी बन कर खड़ी हो गयी मामी का बेहद सुंदर पिछवाड़ा मुझे अपनी ऑर आकर्षित कर रहा था मैने अपने हाथो से उनकी मुलायम कुल्हो को खूब भीचा और फिर अपनी मस्ती से चूर लंड को मामी की गीली चूत से सटा दिया जैसेही सुपाडा मामी की चूत से भिड़ा मामी बोली चोलो अब घुसा दो अंदर तो मैने उनकी कमर पर एक हाथ रखा और लंड को आगे को सरका दिया तो लंड चूत की फांको को फैलाता हुआ अंदर को जाने लगा मामी आआआआआआआआआआ हह करते हुए ज़ोर से आहह भरने लगी



मैने कहा क्या हुआ तो वो बोली काफ़ी दिनो बाद तुम्हारा लंड ले रही हूँ तो बस मस्ती सी आ गयी है मैने उनकी पीठ चूमि और कहा डार्लिंग ये लंड तो तुम्हारा ही है कभी भी ले लिया करो पर तुम ही दूर दूर भागती हो तो मामी बोली अब नही भागुंगी मेरे राजा ज़रा अपनी लंड को अंदर तक तो घुसा दो ना क्यो बीच मे रोक रखा है तो मैने फिर से धक्का लगाया और अपने पूरे लंड को मामी की चूत मे पहुचा दिया



मामी बोली अब जाकर मुझे मज़ा आया है तेरे मामा तो मेरी चूत को बहुत ही कम मारते है गान्ड के छेद को तो इतना चौड़ा कर दिया है पर मेरी चूत तो बस प्यासी ही पड़ी रहती है आज इसकी प्यास को ऐसा भुझा दो कि फिर कभी ये निगोडी भड़के ही ना और मामी ने अपनी गान्ड को पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया मैने मामी के उभारों को अपनी मुट्ठी मे क़ैद कर लिया और जी भर कर दबाने लगा



तो मामी हाई हाई करने लगी मामी ने अपने बदन को थोड़ा सा उपर को उठा लिया ताकि मैं अच्छे से उनके बोबो को दबा सकूँ मामी की ये अदाए ही तो मुझे मार जाती थी कभी उनके बोबो को दबाता कभी मामी की नाभि को सहलाते हुए मैं पीछे से उनकी चूत पर धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था और वो हसीना मेरी बाहों मे अपनी जवानी को मुझे समर्पित कर रही थी मामी पूरी मस्ती मे डूब चुकी थी



और मैं भी , मैने अब उनको सीट पर लिटा दिया और उनके उपर चढ़ गया तो मामी ने खुद ही मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट कर लिया तो उनकी जीभ से अपनी जीभ लड़ाते हुए मैं फिर से उनको चोदने लगा मामी बड़ी ही बेताकल्लूफ़ी से मेरे होंठो को अपने होंठो से जोड़े जा रही थी कार हमारी चुदाई से हिल रही थी पर बाहर इतना अंधेरा और घहरी धून्ध थी कि कुछ दिखाई दे ही नही रहा था

मामी अब अपनी टाँगो को बुरी तरह से पटक रही थी चिकनी चूत मे दना दन लंड अंदर बाहर हो रहा था उस घर्षण से मामी को बड़ा ही मज़ा मिल रहा था मामी बोली सच मे आज चूत मरवाने का सुख मिला है काफ़ी दिनो बाद तुम भी कुछ दिन इधर ही रुक जाना महमानो के जाने के बाद मोका ही मोका होगा तो मैने कहा हाँ एक दो दिन तो रुक ही जाउन्गा



हम अपनी मंज़िल की तरफ तेज़ी से बढ़ रहे थे तो फिर से मैने तेज़ी से उनको चोदना शुरू कर दिया मामी ने मस्ती के मारे अपनी आँखे बंद कर ली थी करीब 5 मिनिट के बाद उनका शरीर ऐंठा और फिर ढीला पड़ गया मामी झड गयी थी मैं भी बस किनारे पर ही था तो तेज़ी से चूत पर धक्के लगाते हुए मैं भी झड़ने लगा लंड से निकलती हुवी गरम वीर्य की पिचकारिया मामी की चूत की दीवारो पर गिरने लगी

झड़ने के बाद भी करीब 10-15 मिनिट तक हम दोनो एक दूजे की बाहों मे लिपटे चूमा चाटी करते रहे फिर मामी बोली उठो ज़रा मुझे पेशाब करना है तो वो फिर नंगी ही गेट खोल कर बाहर आ गई और मूतने के लिए बैठ गयी शांत वातावरण मे उनकी चूत से बहते हुए पेशाब की सुर्र्रर सुरर्र करती हुई आवाज़ गूंजने लगी तो मैं भी बाहर आ गया और उनके साइड मे खड़े होकर ही पेशाब करने लगा



मूतने के बाद मामी गाड़ी मे घुसने लगी तो मैने उन्हे पीछे से पकड़ लिया और चूम ने लगा वो बोली बाहर बोहोत सर्दी है अंदर चलो कहीं मेरी कुलफी ना जम जाए मैने कहा थोड़ी देर ठंड मे ही मज़ा लो और उन्हे अपनी बाहों मे चिपका लिया उनकी नंगी चूचिया मेरी छाती से रगड़ खाने लगी तो फिर से मस्ती चढ़ने लगी मैं उनकी गान्ड को दबाते हुए बोला मामी अभी आपको इधर ही चोदता हूँ



वो बोली कितना जाड़ा पड़ रहा है मान ते क्यो नही तो मैने कहा मामी अब मेरी छोटी सी इच्छा भी पूरा नही करोगी क्या तो वो बोली तुम्हारे लिए तो कुछ भी कर जाउन्गी तो मैने कहा फिर जल्दी से लंड को खड़ा कर दो ताकि मैं अपनी प्यारी मामी की चूत ले सकूँ तो वो वही मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठ गयी और मेरे सोए हुए लंड को अपने मूह मे भर के उसे फिर से चुदाई के लिए तैयार करने लगी



मैं बोला मामी कितना अच्छा लंड चुस्ती हो आप तो वो और भी मस्ती से लंड को चाट ने लगी तो लंड भी जल्दी से फॉर्म मे आने लगा करीब 15 मिनिट तक मामी ने लंड को चूसा फिर मामी उठ खड़ी हुवी तो मैने उन्हे कार की डिग्जी पर झुका दिया उनके नरम चूतड़ मेरी तरफ हो गये मामी ने अपनी टाँगों को चौड़ा कर लिया और मैने आगे बढ़ कर अपने लंड को चूत से लगा दिया




अगले ही पल मेरा लंड मामी की चुदासी चूत मे घुसा हुआ था और मामी डिग्जी पर झुके हुए अपनी चूत मरवा रही थी मामी की कसी हुई चूत मे लंड मस्ती से अंदर बाहर हो रहा था मामी की खनकती चूड़ियो को आवाज़ मुझे तो जैसे पागल ही कर रही थी मैं बोला आपकी चूत मे इतना नशा है कि जी करता है कि मेरा लंड कभी चूत से बाहर आए ही ना



तो मामी अपनी तारीफ़ सुनकर खुश हो गयी मैने उनकी कमर मे हाथ डाल दिया और दूसरे हाथ को उनकी चूत पर रख कर आगे से मसल्ने लगा तो कोशल्या मामी बड़ी ही मस्त हो गयी मामी बोली जाड़े मे चुदने का तो मज़ा ही बड़ा अलग होता है अब बिल्कुल भी ठंड नही लग रही है बस तुम्हारे लंड को गर्मी मेरे जिस्म मे फैल रही है मैं बोला मामी अब तो मज़ा आया आपको तो वो बोली हाँ आ रहा है




तेरा ये लंड ही मेरी चूत का असली साथी है काश तू फोज की नोकरी मे ना होता तो किसी भी बहाने से तुझे अपने पास ही रख लेती और खूब चुदवाती पर अब क्या करूँ मेरे भाग ही खराब है और तुझे भी करने को बस फोज की ही नोकरी मिली मैने कहा अब क्या करूँ मामी जो है वो है, फिर मामी बोली मेरे पैर थकने लगे है तो मैं उन्हे गाड़ी के अंदर ले आया और


खुद लेट कर उन्हे अपने लंड पर बिठा लिया तो मामी लंड पर अपनी गान्ड को मटकाने लगी मैने अपनी उंगली मामी की गान्ड मे घुसा दी तो उन्होने अपने चुतड़ों को भीच लिया अब उनके दोनो छेद भरे हुए थे तो और भी मस्ती उनके अंदर भरने लगी मामी पूरे जोश से मेरे लंड पर कूद रही थी चूत के रस से सना हुआ मेरा लंड बड़ा ख़तरनाक हो चला था मैने अपनी गर्दन थोड़ी सी उपर को उठाई और मामी की चूची पर अपना मूह लगा दिया तो वो तिगुनी मस्ती मे डूबने लगी हालाँकि उनकी रफ़्तार थोड़ी कम हो गयी थी पर मस्ती पूरी पूरी थी और अपना हाल भी कुछ उन के जैसा ही था मामी बोली अच्छे से पियो मेरे बोबो को इनको भी बड़ी खुजली मची रहती है इनको आज निचोड़ ही डालो तो मैं अपने दाँत गढ़ाने लगा वहाँ पर पर उस दर्द मे भी उनको बस मज़ा ही मिल रहा था करीब 10-12 मिनिट तक मेरे उपर रहने के बाद मामी बोली अब तुम मेरे उपर आ जाओ




तो मैने उन्हे अपने नीचे ले लिया और उनकी एक टाँग को अपने कंधे पर रख कर चुदाई शुरू कर दी मामी की चूत से बहुत पानी बह रहा था तो पच पच करते हुए मेरा लंड तूफ़ानी गति से मामी को चोदे जा रहा था मैने मामी के कंधो पर अपने दाँत लगाने शुरू कर दिए तो मामी बोली खा जाओ मुझे पूरी की पूरी को आज की रात ऐसी बना दो कि जैसे अपनी सुहागरात ही है



मामी की रसीली बाते सुनते हुए उनको चोदने मे बड़ा ही मज़ा आ रहा था मामी मस्ती मे कुछ का कुछ बक रही थी तो मेरे कानो से धुआ निकल रहा था मामी मेरे नीचे पिस रही थी पर इसमे भी तो मज़ा ही मज़ा था और कोशल्या मामी तो खुद मलाई थी जिसे मैं आज खा रहा था मामी को ये रात पूरी तरह से मेरे नाम थी उनका उस रात बस एक्लोता हकदार मैं ही था और वो भी अपनी तरफ से कोई कसर नही रख रही थी

अब मामी ने मुझे बुरी तरह से कस लिया था और अपनी टाँगो को वी शेप पर कर दिया तो मेरे लंड पर भी पूरा दबाव पड़ रहा था तो मैं भी सखलन की ओर बढ़ने लगा और शायद मामी भी अपना रास्ता पकड़ चुकी थी तो करीब 5-7 मिनिट बाद मेरे लंड से उसका पानी निकल कर मामी की चूत मे गिरने लगा और तभी उनकी चूत ने भी अपना सबर खो दिया और वो भी झड़ने लगी हम दोनो साथ साथ ही झड गये थे क्या मज़ा आया था मुझे तो उस टाइम

उस चुदाई के बाद मामी ने अपने कपड़े पहन लिए और बोली अब घर चलो बाकी रही सही कसर उधर पूरा कर दूँगी तो मैने भी अपने कपड़े पहने फिर मामी के होटो को चूमा और गाड़ी गाँव के रास्ते पर डाल दी धुन्ध की घहरी चादर छाई हुई थी तो धीरे धीरे ही ड्राइव करना था मैने कहा मामी लंड को तो पकड़ लो तो गाँव आने तक मामी कभी मुझे अपने होटो का रस पिलाती रही और कभी मेरे लंड से खेलती रही



गाँव आने पर मामी ने कहा कि गाड़ी अपने घर की तरफ ले लो तो मैने गाड़ी उनके घर की तरफ मोड़ दी मामी बोली बड़ी जीजी के घर अब सुबह ही चलेंगे रात के ये जो कुछ घंटे बचे है तुम्हारे साथ ही गुज़ार लेती हूँ मैने कहा जैसी आपकी इच्छा है मेरी डार्लिंग और उनकी जाँघो को सहला दिया तो फिर करीब 10 मिनिट बाद हम उनके घर पर थे गाड़ी से उतरे और अंदर गये तो देखा कि कुछ रिश्ते दार बैठक मे पड़े है और कुछ सामने वाले कमरे मे सभी लोग घोड़े बेचकर सोए हुए थे तो मामी ने पर्स से चाबी निकाल कर अपने बेडरूम का ताला खोला और हम अंदर आ गये पूरे घर मे एक सन्नाटा सा फैला हुआ था तो मामी ने दरवाजा बंद किया और कहा कि चलो अपन भी थोड़ा सा आराम कर लेते है




मैने उनकी साड़ी को खोलना शुरू दिया तो वो बोली क्या कर रहे हो मैं पेटिकोट का नाडा खोलते हुए बोला डार्लिंग आज किसे सोना आज तो आपकी चूत गान्ड सबका मज़ा लूँगा पूरी रात तो मामी अपनी कच्छि उतारते हुए बोली मेरे राजा दिन निकलने तक तुम्हारी बाहों मे ही हूँ कर लो कुछ भी तो मैने उनकी गुलाबी रंग की ब्रा को भी खोल दिया और मामी बोली लाइट बंद करके बेड पे चलो




तो मैं उनके चुतड़ों को दबाते हुए बेड पर आ गया मामी ने लाइट बंद कर दी और रज़ाई मे आ गयी रज़ाई मे दोनो नंगे तो फिर शरारत तो करनी ही थी मैं मामी की जाँघो को सहलाते हुए बोला अभी गान्ड मरूं क्या तो वो बोली ठीक है कर लो पीछे भी मैने कहा पहले साथ साथ लंड और चूत को चूस्ते है मज़ा आएगा तो वो बोली जैसे तुम कहो मेरे राजा और हम दोनो69 मे आ गये



मैने जैसे ही अपनी जीभ को लंबा करते हुए चूत और गान्ड दोनो पर घुमा दिया तो मामी ने शरारत करते हुए मेरे सुपाडे पर अपने दाँत गढ़ा दिए तो मैने भी चूत के दाने को काट लिया तो मामी के बदन मे हलचल मच गयी उन्होने पूरी तरह से अपने पिछवाड़े को मेरे हवाले कर दिया और हम दोनो एक दूसरे के अंगो का टेस्ट करने लगे



रज़ाई का तापमान अचानक ही बढ़ने लगा था मामी ने मेरी गोलियो को अपने मूह मे लिया हुआ था और मज़े से उन्हे चूस रही थी तो लंड मे भी करंट दौड़ने लगा था मामी की मस्त जीभ का टच मेरी गोलियो पर मुझे उत्तेजित करने लगा था दस पंद्रह मिनिट तक मैं और मामी लंड चूत की चुसाइ करते रहे फिर मामी बोली बस अब तुम गान्ड मारलो फिर मैं चूत भी मर्वाउन्गी




तो मामी उल्टी हो कर लेट गयी मैने तकिया उनके पेट पर लगाया तो उनके चूतड़ उपर की तरफ उठ गये मैने मामी की गान्ड के छेद पर काफ़ी सारा थूक लगाया और फिर अपने लंड को गान्ड पर रगड़ने लगा तो मामी के चुतड़ों मे थिरकन होने लगी हालाँकि मामा ने पहले से ही उनकी गान्ड को काफ़ी चौड़ी किया हुआ था तो लंड को ज़्यादा परेशानी नही हुई
गान्ड मे जाने मे और बाकी का काम थूक ने कर दिया मेरा लंड मामी की गान्ड मे घुस चुका था और मैं मामी के उपर लड़ गया था मैं मामी के कान मे बोला कम गान्ड दिया करो मामा को तो वो बोली क्या करूँ उन्हे पता नही कहाँ से लत लगी है कि बस गान्ड ही चाहिए उन्हे तो क्या करूँ मैने कहा वो बाद मे सोचना अभी तो बस हम दोनो ही है



मैं उनके सेब से गालो को चूमते हुए गान्ड मे लंड को अंदर बाहर करने लगा तो मामी के चूतड़ भी हिल हिल कर रेस्पॉन्स करने लगे बेशक थोड़े छोटे चूतड़ थे साइज़ मे पर थे एक दम मस्त तो मामी की गान्ड चुदाई शुरू हो गयी थी मामी धीमे धीमे आवाज़ करते हुए अपनी गान्ड मरवाने लगी मैं उन पर लड़ हुए पूरी मस्ती लेते हुए मामी से प्यार भरी बाते करते हुए मामी की गान्ड मारे जा रहा था मामी ने भी अपनी गान्ड का दरवाजा मेरे लिए खोल दिया था तो काफ़ी देर तक मैं गान्ड मारता ही रहा फिर वो बोली अब चूत मे भी डाल दो ना उधर भी गर्मी बढ़ रही है तो मैने मामी को पलट दिया और अपने लंड को चूत के दाने पर रगड़ने लगा तो मामी को करंट लगना शुरू हो गया

थोड़ी देर चूत पर लंड को रगड़ने के बाद मैने उसे फिर से मामी की चूत मे डाल दिया और मामी मे समा गया उस रज़ाई के अंदर हमारे दो जिस्म एक दूसरे मे समाए हुए उन आनंद दायक पलों को जी रहे थे मैं मामी के उपर छाया हुआ था तो वो मेरे नीचे होकर भी मज़ा ले रही थी मामी की करारी चूत बहुत फड़ फडा रही थी उस रात हमारे होठ फिर से आपस मे लॉक हो गये थे और बेड के गद्दे को हिलाते हुए हम दोनो लगे हुए थे एक दूसरे के साथ


मामी कोषल्या भर भर के अपनी जवानी के प्याले मुझ पर लूटा रही थी आख़िर उनकी चूत भी तो मेरे लंड की प्यासी थी मामी बोली बड़ा मॅजा आ रहा है बस ऐसे ही धीरे धीरे मुझे चोदो तो कभी मैं चूत मारने लग जाता फिर लंड निकाल कर गान्ड मे घुसा देता और मामी भी ऐसे ही मज़ा लेते हुए चुद रही थी आधे घंटे से भी ज़्यादा देर तक हम दोनो चुदाई कर ते रहे



फिर मैने अपने लंड को बाहर निकाला और इस बार उनके मूह मे अपना रस डाल दिया जिसे वो झट से पी गयी तो उस रात सुबह का उजाला होने तक हम दोनो बिना एक पल सोए काम क्रीड़ा करते ही रहे मामी ने वो रात सच मे बहुत यादगार बना दी थी

फिर जब मेहमान लोग जागने लगे तो मामी जो कि बुरी तरह से थकि हुवी थी फ़ि भी वो उनके लिए चाइ बना ने के लिए रसोई मे चली गयी और मैं थोड़ी देर बिस्तर पर ही पड़ा रहा फिर थोड़ा सा उजाला हुआ तो मैं खेतो मे चला गया आया हाथ मूह धोया ठंड तो बहुत ही पड़ रही थी मामी ने कहा चाइ पियोगे तो मैने मना कर दिया और कहा कि मैं बड़ी मामी के घर जा रहा हूँ तो वो बोली ठीक है मैं भी थोड़ी बहुत देर मे आती हूँ



मैं मामी के घर आ गया भाई भी दुल्हन लेकर आ गया था पता चला कि दस पन्दरह मिनिट पहले ही आए है तो मैने भाभी को पकड़ लिया तो वो बोला अबे कहाँ गायब हो गाया था कितनी ज़रूरत थी तेरी उधर मैने कहा यार वो मामी की तबीयत खराब हो गयी थी तो मामा ने उनके साथ भेज दिया था तो मजबूरी हो गयी थी तो वो बोला चल कोई ना
पर तू उधर ही रुकता तो अच्छा रहता मैने कहा कोई ना इधर मस्ती कर लेंगे तो वो बोला हाँ वो तो है वो बोला यार एक झपकी ले लेता हूँ मैने कहा ठीक है फिर मैं जीजा के साथ बाते करने लगा और उधर ही नाश्ता भी कर लिया शादी हो गयी थी कुछ रस्मे बची हुई थी तो उन्ही की तैयारी थी तो अपना क्या काम अपन ने एक खाट प्लाट मे डाली और लेट गये



बुग्गी आ गयी मेरे पास और बोली मैं तो शाम तक जा रही हूँ मैने कहा कहाँ जा रही है तो वो बोली कि शादी हो गयी अब चलते है मैने कहा आज आज रुक जा तो वो बोली नही यार आज आज तक की ही छुट्टी है कल होटेल जाना होगा तो दोपहर तक निकल जाउन्गी तो रात तक जयपुर मैने कहा यार रुकती तो अच्छा लगता तो वो बोली मेरा अड्रेस देकर जाउन्गी कभी भी आ जाना

मैने कहा तेरी मर्ज़ी है वैसे मैं भी कल ही निकलने वाला हूँ फिर दूल्हा दुल्हन मंदिर जा रहे थे तो उनके साथ जाना पड़ा फिर भाभी की मूह दिखाई की तो दोपहर इन सब मे ही हो गयी थी बुग्गी के जाने का समय हो गया था तो फिर उसको शहर जाने वाली जीप तक बिठाने चला गया और वादा किया कि जब भी फुरसत होगी पक्का आउन्गा उस से मिलने के लिए



उसको जाते हुए देखता रहा पर अच्छा नही लगा जाना उसका पर कर भी तो क्या सकता था जाना भी ज़रूरी था शाम होने लगी थी ये सर्दियो के दिन भी कितनी जल्दी ढल जाते है पता ही नही चलता है बुग्गी को बिठा कर आ रहा था तो रास्ते मे लिली के दर्शन हो गये पूछा कहाँ तो बोली ज़रा दुकान तक आई थी मैने कहा यार कल चला जाउन्गा तो आज दे दे



वो बोली जगह कहाँ है , मैने कहा खेत मे या छप्पर मे वो बोली ना रिस्क नही लेना वो कुछ सोचके बोली कि आज भाई शायद खेत मे पानी देने जाए अगर वो गया तो मैं उपर चॉबारे मे तुझे बुला लूँगी मैने कहा मैं इंतज़ार करूँगा कुछ रिश्तेदार चले गये थे कुछ रह गये थे पापा ने कहा घर चलेगा क्या तो मैने कहा नही आ सकता छुट्टिया बस शादी तक ही थी



तो वो बोले पर अगली बार पक्का आ जाना मैने कहा जी ठीक है फिर कुछ ऑर मुद्दो पे भी बाते हुई पर पता नही क्यो मैं थोड़ा सा कट सा रहा था उनसे आज रात भाई की सुहागरात थी तो ऐसे ही उसके मज़े लिए जा रहे थे चुस्कियो का दौर चल रहा था अब अपन भी शामिल थे तो तगड़ा वाला टाइम पास हो रहा था फिर डिन्नर के बाद सबने अपने अपने बिस्तर ले लिए थे चॉबारे में



तो भाई के लिए बुक हो गया था तो मैने अपना डेरा नीम के पास वाले कॉटडे पर डाल लिया आधी रात तो ऐसे ही सबसे बाते करने मे बीत गयी थी फिर एक एक करके सब लोग बिस्तर मे घुस गये पर मुझे नींद नही आ रही थी मैने लिली को कॉल की तो उसने दबी दबी आवाज़ मे कहा कि भाई घर पर ही है तो वो नही आ सकती पर मुझे तो चूत की आग लगी थी मैने कहा तू अभी कहाँ है



तो वो बोली मैं तो नीचे वाले कमरे मे हूँ मैने कहा तेरे पास कॉन है बोली अकेली हूँ मैने कहा तो गली वाला दरवाजा खोल दे मैं तेरे कमरे मे आ जाता हूँ और किसी को पता भी नही चलेगा तो वो बोली चल ठीक है तेरे लिए रिस्क ले रही हूँ पर करते ही चले जाना मैने कहा ठीक है तो फिर दस मिनिट बाद मैं गली मे चला गया दरवाजे को छूते ही वो अंदर को झूल गया तो मैं कमरे मे दाखिल हो गया



उसने झट से दरवाजा बंद किया और बोली जल्दी से कर्लो और फिर जाओ कहीं बापू या कोई घरवाला ना जाग जाए मैने उसका हाथ पकड़ा और बेड पर ले आया उसने सलवार का नाडा खोलकर नीचे सरका दी अंदर कच्छि नही थी तो मैं चूत को सहलाने लगा उसने मेरे पयज़ामे को नीचे सरका के मेरे लंड को थाम लिया और हिलाने लगी
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#69
मेरी दो उंगलिया उसकी चूत मे घुसी पड़ी थी तो उसने अपनी जाँघो को भीच लिया और मेरी मुट्ठी मारने लगी मैने उसके सूट को उतार दिया और ब्रा भी उसकी चूचिया हवा मे झूल ने लगी मैने उनको दूसरे हाथ से दाबना शुरू कर दिया तो लिली भी गरम होने लगी मैने अपना मूह उसकी चूची पर लगा दिया तो लिली और ज़ोर से मेरे लंड को हिलाने लगी



कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा फिर मैं भी नंगा हुआ और उसके बदन से खेलना शुरू कर दिया वो मेरे लंड को चूत पर रगड़े जा रही थी मैने कहा जल्दी क्यो कर रही है तो वो दबी आवाज़ मे बोली कोई आ जाए ना मैने कहा कोई नही आएगा और उसके होठ चूम लिए अब गरम तो वो थी ही उसने अपनी टाँगे फैला दी तो मैने भी बिना देर किया अपने लंड को जन्नत के दरवाजे पे लगा दिया




गीली चूत मे लंड घुसता ही चला गया लिली मुझसे चिपक गयी और लंबी लंबी साँसे लेते हुए चुदने लगी फिर जब चुदाई का दौर शुरू हुआ तो वो भी अपना सारा डर भूल गयी और मेरी बाहों मे समाती चली गयी उसके गालो को काट ते हुए मैं उसे चोद रहा था लिली बोली तुम चोदते बहुत अच्छा हो ये तो टाइम खराब है कि मोका नही मिल रहा सही से



वरना पूरा मज़ा लेके ही ससुराल जाती मैने कहा चिंता ना कर और जितना भी मज़ा मिल रहा है ले ले वो मेरी पीठ सहलाने लगी उसको चोदते हुए मैं धीरे धीरे उसके होटो को पीने लगा तो वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी हमारी जाँघो के आपस मे टकराने से ठप ठप की आवाज़ हो रही थी और चूत मे तो लंड अपना कहर ढा ही रहा था तो थोड़ी देर बाद
मैने उसे सरका के बेड के किनारे पर ले आया और उसकी टाँगो को अपने कंधो पर रख कर उसे चोदने लगा तो उसकी छातिया बुरी तरह से हिलने लगी पूरी मजबूती से उसकी टाँगो को थामा हुआ था मैने लिली अपने बोबो को दोनो हाथों से दबाते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी मेरा पूरा लंड उसकी चूत के रस से भीगा हुआ था काफ़ी देर तक उसी पोज़िशन मे हम लगे रहे



फिर वो घोड़ी बन गयी और पीछे से चुदने लगी लिली बड़ी ही मुश्किल से अपनी आवाज़ पर कंट्रोल किए हुए थी और मैं बिना किसी कोताही के पूरी रफ़्तार से उसे चोदे जा रहा था लिली की नशीली आँखे मेरी आँखो मे देख रही थी वो बोली कितनी देर लगा रहे हो अब बस भी करो मैने कहा तेरा हो गया क्या तो वो बोली तुम अपना कर लो और फिर जाओ यहाँ से मुझे डर लग रहा है



मैने कहा चुदाई के टाइम नो डर ओन्ली मज़ा ही मज़ा मेरी कॅटटो तो मैने उसकी कमर को कस के पकड़ लिया और तूफ़ानी गति से लिली की चूत को भोसड़ा बना ने लगा तो वो भी मेरा साथ देने लगी थी अब मैं फिर से उसके उपर आ गया और दना दन चोदने लगा उसके पूरे चेहरे को मैं चूमे जा रहा था और वो मेरे चेहरे को तो करीब 25-30 मिनिट तक हम आपस मे घुत्थम घुत्था रहे



फिर मैने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया और उसके उपर ही पसर गया उसने धक्का देकर मुझे साइड मे कर दिया और मैं बेड पर लेट गया वो अपनी सलवार पहनते हुए बोली कर लिया ना अब जल्दी से जाओ मैने कहा थोड़ी देर तो रुक पर आख़िर उसने मुझे अपने घर से निकाल ही दिया मैने एक गाली बकि उसे और वापिस आ गया मैने सोचा कि मूत लेता हूँ तो मैं घर के पीछे की खाली जगह की ओर चला गया और मैने देखा कि




बिर्मा मामी उधर पीछे की दीवार के पीछे मूत रही है तो मेरी आँखो मे चमक आ गयी मैं उधर ही हो लिया मामी मुझे देख कर बोली तुम क्या कर रहे हो इस टाइम सोए नही अभी तक मैने मामी को दीवार से लगाते हुए कहा कि डार्लिंग बाकी बाते बाद मे अभी चूत देनी पड़ेगी तो वो बोली पागल हुए हो क्या इधर कोई भी पेशाब करने आ गया तो मैने कहा मैं कॉटडे मे सोया हूँ



उधर ही चलो ना वो मना करने लगी पर मैं उन्हे ले ही आया और कहा कि मामी थोड़ी देर तो लगेगी ना दे दो ना वैसे भी सभी तो सोए पड़े है कॉन इतने जाड़े मे तुम्हे ही देखने आएगा तो कुछ सोच कर वो बोली कि ठीक है पर कपड़े नही उतारूँगी मैने कहा ठीक है और खुद जल्दी से नंगा हो गया


मामी को रज़ाई मे लिया पर तभी मुझे ध्यान आया कि लंड पर लिली की चूत का पानी लगा है धो लेता हूँ वरना मामी के मूह मे देते ही वो समझ जाएँगी और फिर जवाब नही दिया जाएगा तो मैने कहा अभी आता हूँ और तुरंत ही लंड को धो के आया आते ही मैं मामी के उपर टूट पड़ा मामी के होटो को चबाने लगा तो वो मेरे लंड को सहलाने लगी



मैं बोला मामी नंगी हो जाओ ना कितनी मस्त हो आप तो थोडा बहुत चापलूसी करके उनको नंगा कर ही दिया मैने मामी को अपने उपर लिटा लिया और उनकी गोल मटोल गान्ड को सहलाने लगा वो बोली जल्दी कर्लो मैने कहा आज माँ बेटे दोनो चुदाई का मज़ा लेंगे चॉबारे मे अशोक चूत मार रहा है और इधर उसकी मम्मी चुदेगि तो मामी शरमाते हुए बोली कामीने हो तुम पक्के वाले



मामी मेरे लंड को सहलाते हुए बोली ये हमेशा ही तना हुआ रहता है क्या मैने कहा जब आप जैसी गान्डस पास मे होतो इसका क्या कसूर है मामी बोली बाते ना करो चुदाई शुरू कर लो जल्दी से मैने मामी की चूत को पीना शुरू कर दिया तो दो मिनिट मे ही वो फुल गरम हो गयी और लंड लंड करने लगी अब मैने उनको टेढ़ी किया और पीछे से लंड को चूत मे डाल कर चूत मारने लगा बिर्मा मामी की लॅप लपाती हुई चूत मेरे लंड को खाने लगी थी और मेरे हाथ उनके बोबे दबा रहे थे मामी को उस पोज़िशन मे चुदना बेहद ही पसंद था क्योंकि ऐसे वो लंड को अंदर तक फील कर पाती थी और अपने को मामी की गरम चूत से मतलब था तो थोड़ी देर बाद मैं उपर आ गया मामी अपनी कमर को उचका उचका कर चुद रही थी

आख़िर इतना एक्सपीरियेन्स तो था कि मुझे जल्दी से झडा दे वो उनके होटो को तो चबा ही डाला मैने और नीचे मेरे लंड ने उनकी चूत की रेल बनाई हुई थी जैसे ही मामी झड़ने लगी मैने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी वो पूरा मज़ा लेते हुए झड रही थी और फिर साथ साथ ही मैं भी ढेर हो गया

मैं तो मामी को रोकना चाहता था पर वो फिर अपने कपड़े पहन कर नो दो ग्यारह हो गई तो मैं भी बस सो ही गया अगली सुबह मैं ज़रा देरी से उठा करीब दस बजे के आस पास फिर मैं अंदर गया तो भाई के ही दर्शन हो गये तो उसका रात का हाल चाल पूछा तो उसने बात को टाल दिया मैने कहा यार भाभी से तो मिलवा दे दो बाते हम भी करले तो फिर भाभी से मुलाकात मे ही 11 होगये



भूख भी लग आई थी मैने खाने को कहा तो पता चला कि देर वो जाएगी भाई बोला चल तैयार हो जा फिर मोहदे की रसम के लिए ससुराल चलना है मैने कहा ठीक है तभी मुझे याद आया कि मेरा ब्लेजर तो कोशल्या मामी के घर है तो मैं उधर ही हो लिया वहाँ जाकर पता चला कि रॉकी और दीदी तो अपने अपने कॉलेज जा रहे है मैने कहा यार इतनी जल्दी तो रॉकी बोला भाई बस शादी मे ही आए थे कॉलेज चालू है तो जाना ही पड़ेगा तो पता चला कि मामा भी उनको चोदने के लिए साथ ही जा रहे थे तो मैं रसोई मे मामी के पास गया और कहा कि फिर तो आज की रात तूफ़ानी होगी तो वो बोली चुप रहो अभी तो फिर खाना खा कर वो लोग चले गये मैने मामी को पकड़ लिया तो वो बोली क्या करते हो घर मे अभी कुछ मेहमान अभी भी है तो कंट्रोल करो वैसे भी रात तो अपनी है ही


मैने कहा कि मेरा ब्लेजर इधर ही रह गया तो वो बोली मेर अलमारी मे है अभी देती हूँ मैं फिर चलने लगा तो वो बोली थोड़ी देर रूको मैं भी चल ही रही हूँ तो फिर हम साथ साथ ही बड़ी मामी के घर पर चल दिए कल की चुदाई के बाद बड़ी मामी कुछ ज़्यादा ही लहरा रही थी कोशल्या मामी मज़े लेते हुए बोली इनको क्या हुआ कही कल खुराक तो नही दे दी तुमने




तो मैं बस हँस ही दिया मामी बोली पक्के वाले कमिने हो तुम तो , भाई के साथ जाना था तो उसके लिए ही तैयारिया हो रही थी तभी मिता का फोन आ गया तो मैं साइड मे चला गया बात करने के लिए उसने पूछा कि कब आ रहे हो तुम तो मैने कहा कि कल शाम तक पहुचता हूँ तो वो बोली ठीक है मैं माँ को एक दिन बाद को आने को कह देती हूँ मैने कहा ठीक है आख़िर अब हमे भी तो अपने बारे मे सोचना ही था तो



काफ़ी देर लग गयी उस से बाते करने मे , मैने प्लेट मे खाना डाला ही था कि भाई बोला क्या ठूंस रहा है सासरे मे भी डाइट लेनी है मैने कहा वो तू जाने अब भूख लगी है तो खाउन्गा तो ही हँसी खुशी के महॉल मे टाइम भी साला बड़ी तेज़ी से कट जाता है पता ही नही चला कि कब दो बज गये तो फिर हम लोग भाई की ससुराल के लिए चल पड़े उधर जाकर अपने को तो खैर करना ही क्या था




पर फिर भाई की एक साली थी तो उसी से थोड़ी फ्लर्टिंग चालू हो गयी पर वो ऐसे ही दो पल की चुहल बाजी थी आख़िर हमें तो मूड जाना था पर टाइम पास अच्छा हो रहा था थोड़ी ही देर मे हमें खाना परोस दिया गया उसकी ससुराल वाले बड़ी इज़्ज़त कर रहे थे जबकि मैं बस फॉरमॅलिटीस निभा रहा था मेरे मन मे तो कौशल्या मामी बसी पड़ी थी तो मेरा दिल उधर लगे भी तो कैसे


मैं अपने फोन को छेड़ने लगा तो मुझे याद आया कि सोफीया ने फेसबूक पर अकाउंट बनाया था मेरा तो मैने लॉगिन किया तो देखा कि रोमेनिया से किसी वेनेसा नाम की लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी तो मैने उसकी प्रोफाइल देखने के बाद उसे एड कर लिया और संयोग से वो उस टाइम ऑनलाइन थी तो हेलो हाई के बाद हमारी बाते शुरू होने लगी तो पता चला कि वो ब्यूकरेस्ट यूनिवर्सिटी मे पढ़ती है और हिन्दी भी सीख रही है



काफ़ी इंप्रेस हुआ मैं उस से तो पता चला कि वो इंडिया आने के लिए काफ़ी टाइम से ट्राइ कर रही है पर वीसा नही लग रहा तो फिर उसने पूछा कि तुम क्या करते हो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि क्लर्क हू मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेर्स मे तो उस दस पंद्रह मिनिट की चेटिंग मे ही हमारी एक अच्छी बॉनडिंग सी हो गयी थी उसका स्वाभाव मुझे पसंद आया फिर वो दुबारा मिलने का कह कर चली गयी



मैने सोफीया के लिए मेसेज छोड़ा और फिर लोगआउट कर लिया शाम के 5 सवा 5 बजे हम भाई की ससुराल से गाँव के लिए मूड लिए, तो घर पहुचते पहुचते अंधेरा सा हो गया था घर आकर हाथ-मूह धोया फ्रेश वग़ैरा हुए तो फिर बाते ही चल रही थी कि तभी कोशल्या मामी ने कहा कि आज तुम मेरे घर ही सो जाना बच्चे चले गये है



तुम्हारे मामा भी नही है तो घर खाली खाली सा लग रहा है मेरा भी मन लगा रहेगा तो मैने कहा ठीक है मामी जी फिर वो लोग खाने की तैयारीओ मे लग गये मैं भाई से फिर से मज़ा लेने लगा मैने कहा बता ना कितनी बार ली तो आख़िर उसने बता ही दिया कि 3 बार तो मैं और छेड़ने लगा उसको ऐसे ही बस टाइम कट रहा था फिर मैने भाई को बताया कि
कल मैं भी निकल जाउन्गा तो वो बोला यार रुक ना इधर ही तो मैने कहा यार तुझे तो पता ही है कि कैसे जुगाड़ किया था छुट्टियो का अब जाना तो पड़ेगा ही सिविल महकमे मे थोड़ी ना है अपन और वैसे भी अपनी मर्ज़ी कहाँ चलती है अब काम पर वापिस जाना तो होगा ही तो वो बोला ठीक है पर टच मे रहना मैने कहा हाँ यार फिर डिन्नर के बाद मैं मामी के साथ उनके घर आ गया


गहरे नीले रंग की साड़ी मामी के गोरे रंग पर क्या खूब फॅब रही थी मामी और मैं बस वेट कर रहे थे कि लोग कब सोए तो करीब साढ़े 9 बजे हम लोग उनके बेडरूम मे आ ही गये मामी और मैं बेड पर बैठे थे उन्होने पूछा सच मे तुम कल जा रहे हो मैने कहा जी हां अब जाना तो होगा ही वो बोली कुछ दिन और नही रुक सकते क्या



मैं उनको अपनी बाहों भरते हुए बोला मेरी प्यारी डार्लिंग अब नोकरी भी तो ज़रूरी है ना और फिर पक्का वाला प्रोमिस करता हूँ कि जब भी छुट्टी मिलेगी तो सबसे पहले आके पास ही आता हूँ तो वो बोली हर बार ऐसा ही कह कर निकल जाते हो फिर मैं इंतज़ार करती रह जाती हूँ मैने कहा मामी अभी पक्का आउन्गा तो वो खुश हो गयी मैं उनकी गोदी मे सर रख कर लेट गया




मामी मेरे बालो मे अपना हाथ फिराते हुए बोली ये मत सोचना कि मामी बस चुदाई के लिए ही तुझे चाहती है मामी प्यार भी बहुत करती है तुमसे मैने कहा पता है मुझे मैं मामी की नाभिमे अपनी उंगली डालने लगा तो मामी भी गरम होने लगी उन्होने अपना पल्लू हटा दिया तो उनकी चूचिया नुमाया होने लगी थी मामी ने अंगड़ाई लेते हुए अपने ब्लाउज को भी उतार कर बेड के साइड मे रख दिया



तो मैं उनकी गोद मे लेटे लेटे ही उनके बोबो से खेलने लगा मामी की आँखो मे नशा भरने लगा तो फिर मैने उन्हे बेड पर पटक दिया और उनकी चुचियों को सहलाते हुए चूमने लगा तो उनकी निप्पल्स अकड़ने लगी और फूल कर बाहर को निकल आई तो मैं बारी बारी से दोनो चूचियो का दूध निकालने की कोशिश करने लगा मामी की सिसकारिया कमरे मे गूंजने ने लगी



मैं उनके बोबो से खेल ही रहा था कि तभी बिजली चली गयी मामी उठी और लालटेन जलाने लगी उनकी नंगी पीठ मेरी तरफ थी बड़ी ही कामुक लग रही थी वो लौ की रोशनी मे तो मैने उनके पीछे जाकर उनको अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और उनकी नंगी पीठ पर अपने तपते होतो से चुंबन जड़ दिया मामी अपनी गान्ड को पीछे करके मेरे लंड पर रगड़ने लगी



मैं उनके पेट को सहलाने लगा कितनी नरम खाल थी उधर की पेट को सहलाते सहलाते मैं उनकी गर्दन के पीछे वाले हिस्से को चूमने लगा तो मामी ने मस्ती के मारे अपनी आँखे बंद कर ली और अपना हाथ पीछे ले जा कर पॅंट के उपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी और मैं बस उनके पेट को सहलाए जा रहा था धीरे धीरे से सुरूर चढ़ने लगा था



फिर मैं अपने हाथ उपर की ओर ले गया और उनकी नुकीली चूचियो पर रख कर उन्हे मसल्ने लगा तो मामी के मूह से आह निकल गयी मुझे तो कोई जल्दी थी ही नही तो मैं बड़े ही आराम से उनकी चूचियो की घुंदियो से खेल रहा था मामी के बदन मे उत्तेजना का नाग अपना फन उठाने लगा था फिर मैने मामी की साड़ी और पेटिकोट को खोल कर वही फर्श पर पटक दिया




लाल पैंटी जो कि बहुत ही छोटी सी थी क्या खूब फॅब रही थी उनकी जाँघो पर तो मैने पैंटी के अंदर हाथ डाला और उनकी चूत को सहलाने लगा तो मामी और भी मस्त होने लगी उनकी टाँगो मे सुर सुराहट होने लगी थी जैसे ही मेरे अंगूठे ने उनकी चूत के दाने को छुआ तो मामी का सबर जवाब दे गया वो पलटी और मुझसे चिपकते हुए किस करने लगी





मैं उनको चूमते चूमते उनके चुतड़ों को दबाने लगा तो मामी मुझसे और भी चिपट गयी मामी के बत्तख़ से होटो को चाटने का मज़ा ही कुछ निराला था एक बेहद ही पॅशनॅटिक किस के बाद मामी बेड पर आ गयी मैने उनकी पैंटी को उतार कर फैंक दिया और फिर अपने कपड़े भी उतार दिए मामी ने अपनी जाँघो को फैला दिया उनकी लॅप लपाती हुई चूत के दर्शन होते ही लंड महाराज भड़क ने लगे


मैं उनके पास लेट गया और उनको अपने से चिपका लिया वो मेरे लंड से खेलने लगी वो तेज़ी से अपने हाथ को लंड पर उपर नीचे कर रही थी जब मुझसे रहा नही गया तो मैने मामी को पोज़िशन मे लिया और लंड को चूत से मिलन के लिए तैयार कर दिया मामी बोली बस घुसाओ ना इतनी देर क्यो लगा रहे हो तो मैने दो चार तेज के झटके लगाए और अपने लंड को मामी की चूत की गहराइयो मे उतार दिया




मामी आआ हाआआआआआआअ आआआआआआ हह करने लगी पूरा लंड चूत मे जा चुका था तो मामी ने मेरे गाल पर किस किया और अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी तो मैं अपने कुल्हो को उचकाते हुए मामी को चोदने लगा तो मामी ने अपने पैरो को फ्लॅट कर लिया ताकि चूत और भी अच्छे से लंड पर कस जाए और चुदाई मे मज़ा आए तो धक्के पे धक्का लगाते हुए मैं मामी मे समाए जा रहा था और वो मुझ मे मामी ने अपने हाथ मेरी पीठ पर कसे हुए थे और पूरी मस्ती से अपनी चूत मरवा रही थी इस सेक्स मे वासना से ज़्यादा प्रेम का भाव था हम दोनो को कोई भी जल्दी नही थी बस कोशिश थी कि ज़्यादा से ज़्यादा एक दूजे मे समाए रहे मामी आज रात फिरसे मेरी दुल्हन बनी हुई थी और अपनी सुलगती जवानी की आग को मेरे प्यार के छींटो से बुझा रही थी




पूरे आधे घंटे तक हम दोनो बस उस एक ही पोज़िशन मे एक दूसरे मे समाए रहे फिर मैं उनकी चूत मे ही झड गया तो दोस्तो उस पूरी रात हम फिर से नही सोए उनको भी पता था कि अगले दिन मैं जाने वाला हूँ तो वो भी एक एक पल को लूटना चाहती थी और कुछ ऐसी ही हसरत मेरी भी थी तो पूरी रात मामी और मैं अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते रहे

अगले दिन दिल थोड़ा सा उदास सा हो रहा था नाश्ते के बाद मैं तैयार हो चुका था जाने के लिए हालाँकि सभी लोग चाहते थे कि मैं कुछ दिन और रुकु पर आज तो मुझे निकल ना ही था सब लोगो से मिलने के बाद आख़िर अपन वहाँ से रुखसत हो ही लिए सहर आकर जयपुर के लिए बस पकड़ ली सफ़र थोड़ा लंबा था तो कानो मे इयरफोन लगाया और सो गया फिर आँख सिंधी कॅंप बस स्टॅंड ही खुली



शाम के 4 बज रहे थे, बस से उतर कर बाहर के रेस्टोरेंट मे कुछ खाया पिया और फिर वापिस आके अजमेर की बस पकड़ ली ढाई-तीन घंटे और लग जाने थे अभी खिड़की वाली सीट पर बैठे मैं बाहर के नज़ारे देखता हुआ सफ़र के ख़तम होने का इंतज़ार कर रहा था आख़िर अपनी प्राण प्यारी से जो मिलना था आज तो वो सफ़र भी कट ही गया किसी तरह से



अजमेर बस स्टॅंड पे उतरते ही मैने मिता को फोन किया तो उसने कहा कि वो अभी रेलवे स्टेशन के पास वाले बाजार मे है तो उधर ही आ जाउ फिर साथ रूम पर चलेंगे तो मैने ऑटो लिया और उधर ही पहुच गया मिता की लोकेशन फिर से पूछी और फिर आख़िर कर अपनी डार्लिंग के दीदार हो ही गये हाथो मे सब्जियो से लदा हुआ थैला उसके हाथो मे देख कर हँसी आ गयी मुझे

मैं ऑटो वाले को किराया दिया और फिर मिता को गले से लगाया मैने कहा कितनी पतली हो गयी है तू तो वो बोली बस तुम्हारी जुदाई मे ही हो गयी हूँ अब तुम तो पता नही कहाँ लगे रहते हो तो मेरी फिकर कॉन करेगा मैने कहा यार अब तुझे तो सब पता ही है ना कि कैसी लाइफ है मेरी तो बार बार क्या शिकायत करनी बल्कि तुम्हे तो आदत डालनी चाहिए आख़िर एक फोजी की घरवाली जो बन ने जा रही हो



वो बोली सारी बात इधर ही करोगे या रूम पे भी चलोगे तो फिर हम पैदल पैदल ही रूम पर आ गये मैने अपना बॅग रखा और बेड पर बैठ गया मिता सामान रखने लगी कुछ भी तो नही बदला था उस छोटे से कमरे मे सब कुछ पहले जैसा ही था आज भी मिता चाइ बना ने लगी तो मैने रेडियो ऑन कर दिया धड़कन फिल्म का गाना सुनकर दिल रोमॅंटिक सा होने लगा था



चाइ का प्याला पकड़ते हुए उसकी उंगलिया जो मेरे हाथो से छुई तो दिल पे कुछ काबू सा ना रहा मैने चाइ साइड मे रखी और मिता को अपनी बाहों मे ले लिया वो बोली आते ही शुरू हो गये मैने कहा तेरी मेरी जुदाई भी तो कुछ ज़्यादा ही लंबी होती है ना मिलन का पल ना जाने कब आएगा तो वो बोली बस कुछ दिनो की बात है एक बार घर वालो से सब फाइनल हो जाए



तो अपनी गृहस्थी बसने का रास्ता भी खुले आख़िर कब तक हम लोग यूँही भटकते रहेंगे मैने कहा यार अब सच मे ही नही रहा जाता तुम्हारे बिना तो वो मेरे अंदर थोड़ा सा और सिमट ते हुए बोली और मैं अपना हाल किसे कहूँ कितनी अकेली हूँ मैं तुम्हारे बिना मैं उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला कि डार्लिंग मैं भी तो अधूरा ही हूँ ना तुम्हारे बिना कल तुम्हारी माँ से मिल तो रहे है



देखते है कि क्या होता है, वो प्रार्थना करते हुए बोली बस मेरी ये मन्नत पूरी हो जाए तो मेरा जीवन भी सफल हो जाए मैने कहा तुम चिंता ना करो सब ठीक ही होगा मिता बोली चाइ पी लो ठंडी हो रही है तो मैं चाइ की चुस्किया लेने लगा वो पूछने लगी कि शादी कैसी थी तो मैने सबकुछ बताया उसको तस्सल्ली से तो वो थोड़ा सॅड होते हुए बोली काश अगर अपनी शादी पहले हो गयी होती तो अपन भी एंजाय कर सकते थे

मैने कहा तो क्या हुआ और भी तो मोके आएँगे पर पहले अपनी शादी हो जाए बाकी तो बाद की बाते है चाइ पीने के बाद मैं बाथरूम मे घुस गया और वो डिन्नर की तैयारी करने लगी फिर खामोशी मे ही हमारा डिन्नर हुआ मिता को खाते वक़्त बात करना बिल्कुल भी पसंद नही था खाने के बाद हम दोनो वॉक के लिए निकल गये कुछ कुछ सी सिमिलॅरिटीस थी निशा और मिथ्लेश मे



दो नो ही मुझे जान से प्यारी थी दोनो ही सादगी से भरी हुई थी बेहद ही सिंपल लड़किया थी और खाना तो दोनो ही मस्त बना ती थी , वो बोली कहाँ खो गये तो मैने कहा यार कहीं तुम्हारी मम्मी मना ना करे और मेन बात तो तुम्हारे पिताजी से हाँ करवानी है वो है असली काम तो वो बोली मनीष अब तक तो हम लोग बस प्रेम की पढ़ाई कर रहे थे पर अब आख़िरी इम्तिहान देने की घड़ी आ गयी है



मैने कहा यार इम्तिहान से नही डरता हूँ बस डर है तो इस बात का कि कही तुम्हे खो ना दूं, तुम नही जानती कि तुम्हारे बिना जीने की कल्पना भी नही कर सकता मैं जब कभी ये ख़याल आ जाता है तो मेरा दिल कितना घबरा जाता है तुम क्या जानो तो वो बोली ये समाज ने भी कैसे बंधन बनाए है दो प्यार करने वाले अपनी मर्ज़ी से साथ जी भी नही सकते

अगले दिन मिता बहुत ही घबरा रही थी बार बार वो एक ही बात दोहरा रही थी कि अच्छे से बिहेव करना और सेट्टिंग कर लेना सर्दी के मोसम मे भी पसीना उसके माथे से टपक रहा था मैने कहा टेन्षन ना ले जो होगा ठीक ही होगा और फिर ये तो फर्स्ट स्टेप है माँ के बाद तेरे पिताजी से भी बात करनी है तो तू घबरा मत बल्कि घबराना तो मुझे चाहिए



पर असल मे टेन्षन मुझे भी थी आख़िर खुद अपने मुँह से अपने लिए शादी की बात करना वो भी इस सिचुयेशन मे थोड़ा सा अनकमफर्टबल सा महसूस हो रहा था दोपहर तक उसकी मम्मी आ ही गयी तो मैने भी उन्हे नमस्ते की हाई हेलो चाइ-पानी के बाद आख़िर वो घड़ी आ ही गयी तो मिता ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मम्मी ये मनीष है मैने इनके बारे मे आपको बताया था ना



तो माजी ने उसको इशारे से चुप रहने को कहा और मुझ से बात करती हुई बोली बेटा देखो मैं सीधी बात बोलती हूँ कि तुम दोनो जो भी सोच रहे हो वो कभी हो नही पाएगा बेटा मेरी बात का बुरा मत मान ना पर सरपंच जी कभी नही मानेंगे कि उनकी बेटी दूसरी जात वाले के घर ब्याही जाए और तुम तो जानते हो कि गाँवो मे इज़्ज़त के पीछे जान चली जाती है



मैने कहा आंटी जी पर मैं और मिता एक दूसरे को बहुत दिनो से जानते है और अब हम अलग होने का सोच लें ये तो चान्स ही नही है वो बोली बेटा नया खून हो तो तुम बात को समझते नही हो , हमारे घर मे औरतो की नही चलती है हर फ़ैसला मर्द ही लेते है और फिर तुम्हारी जात दूसरी हमारी जात दूसरी और दोनो गाओ का भाई चारा सरपंच जी एक मिनिट ही नही सुनेंगे और कही उन्हे भान भी हो गया की उनकी बेटी प्रेम करती है



गैर जात वाले से तो वो इसे मार ही डालेंगे मेरा इधर आने का यही मकसद है कि तुम दोनो को समझा सकूँ, ठीक है साथ पढ़ते थे तो दोस्ती हो गयी पर बेटा ये सब दोस्ती तक ही रहे तो ठीक रहेगा इस से आगे ना बढ़ो मेरी बेटी तो मुझसे सवाल जवाब करती है पर मैं तुमसे कहती हू मान जाओ और फिर क्या दुनिया मे लड़के लड़कियो की कमी थोड़ी ना है




तुम कही और ब्याह कर्लो हम इसका कहीं और कर देंगेओर फिर ब्याह के बाद तुम सब भूल जाओगे और अपनी अपनी गृहस्थी मे रम जाओगे मिता बोली मम्मी पर आप हमारी भी तो सुनो तो उन्होने उसे चुप करवाते हुवे कहा तुमसे भी बात करूँगी पर पहले मेरी बात ख़तम नही हुई है मैने अपनी 30 साल की गृहस्थी मे कभी तुम्हारे पिताजी के आगे मुँह नही खोला



जो फ़ैसला उन्होने कर दिया हम ने मान लिया और फिर ये प्यार मोहब्बत कुछ नही होते जब दो दो पड़ेंगे तो सब खुमारी उतर जाएगी और वैसे भी बेटा मिता की शादी हम अपने हिसाब से करेंगे तुम एक मामूली फोजी हो तो कैसे चलेगा तो मिता बोली मम्मी वो अफ़सर है फोज मे और बहुत पैसे भी है उसके पास तो ये बाते तो आप रहने ही दो तो वो बोली बेटा पर जात तो अलग अलग है ना ठाकूरो की छोरी जाटों के घर कैसे ब्याही जाएगी



कल को समाज क्या कहेगा, गाँव गली मे थू थू होगी आख़िर क्या तू ये चाहती है कि तुम्हारे पिताजी की इज़्ज़त दो पल मे धूल मे मिल जाए बेटा यही सच्चाई है जितना जल्दी तुम लोग मान लोगे उतना ही अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए और ना मनोगे तो सरपंच जीका गुस्सा तो तुम जानती ही हो दो मिनिट भी ना लगाएँगे अपनी इज़्ज़त के लिए बेटी का खून भी कर डालेंगे वो



और बेटा मैं भी तुम्हारी माँ जैसी ही हूँ, तो मैं क्या तुम्हारा बुरा चाहती हूँ बस दुनिया की हक़ीकत से रूबरू करवा रही हूँ ताकि कल को तुम परेशान ना पाओ अब बेटी दुखी होगी तो माँ का कलेजा भी रोएगा ना और जिस रास्ते पर तुम लोग चलने की सोच रहे हो ना बेटा उस रास्ते पर बस दर्द और रुसवाई ही मिलेगी तुम्हे इसके सिवा कुछ नही मिलेगा और जान जाएगी वो अलग


मिता को गुस्सा आने लगा था वो बोली मम्मी मैं तो शादी करूँगी तो मनीष के साथ ही वरना मैं कही नही करूँगी मैने कहा आंटी जी आपको हमारी मदद करनी होगी मैं नही जी सकूँगा मिथ्लेश के बिना नोकरि भी इसलिए ही की ताकि इस से शादी कर सकूँ कुछ भी कीजिए पर हमें अपना आशीर्वाद दे दीजिए हम नही रह पाएँगे एक दूसरे से जुदा होकर तो वो बोली बेटा मैं तो माँ हूँ अपने बच्चो की खुशी मे ही मेरी खुशी है पर मेरी इतनी हसियत नही है कि



मैं तुम लोगो की इस काम मे मदद कर सकूँ मैं अपने पति को जानती हूँ राज़ी राज़ी तो सपने मे भी तुम्हारा ब्याह नही हो पाएगा पर एक रास्ता है अगर तुम कहो तो बताऊ तो वो बोली कि बेटा तुम मिता को लेकर कही दूर भाग जाओ और ब्याह कर्लो पर फिर मुड़कर भी इधर ना आना हमारी थू-थू होकर रह जाएगी पर बेटी तो चैन पाएगी चले जाना दूर कही परदेश मे मे तो दिल पर पत्थर रख लूँगी की बेटी थी ही नही
मिता बोली मम्मी अगर ये करना होता तो कब का कर चुके होते तो आंटी बोली बेटी बस यो ही रास्ता है नही तो बस तेरे भाग मे इस छोरे का साथ कोन्या और फिर तू सारी ज़िंदगी कोसेगि कि माँ की बात मान लेती बेटी हम उस वंश का खून है जहा इज़्ज़त अपनी जाई से भी घनी प्यारी होवे सै,थारे प्रेम ने कोई ना सोचेगा काट के फेक देवेंगे थाने किते लाषो को चील कोवे ही खाएँगे



तुम भाग जाओ किते दूर, तो मैने कहा आंटी जी कोई चोरी ना कर रहे प्यार करे सै घर बसाना चाहवें सै ब्याह तो मिता की इच्छा से ही होगा बारात तो आपके घर आएगी ही तो आंटी बोली बेटा क्यो मोत के मुँह मे कूदो सो मैने कहा मिता कल के कल तू मेरे साथ तेरे घर चल रही है शादी की बात अब तुम्हारे पिताजी से ही होगी

तो आंटी बोली रूको तुम और मेरी बात सुनो पहले तुम ऐसा कुछ नही करोगे, क्यो अपने पैरो मे कुल्हाड़ी मार रहे हो मैने तुम्हे रास्ता दे दिया है कि यहा से दूर भाग जाओ और अपना घर बसा लो बस ये ही एक्लोता रास्ता है तुम्हारे मिलन का मैं किसी से भी नही कहूँगी कि मिथ्लेश कहाँ है मैने कहा ठीक है आंटी जी चलो मान भी लेते है मैं तैयार हूँ कोर्ट मॅरेज के लिए




पर आपकी बेटी तो चाहती है कि उसकी डोली बस आपके घर से ही उठे तो वो बोली बावली हो गयी है ये छोरी के बचपन से इसने घर का माहौल नही देखा जो ये सोच रही है , इसकी ये इच्छा इस जनम मे तो क्या किसी भी जनम मे नही पूरी होगी मेरे बच्चो तुम जो कदम उठाने की सोच रहे हो वो उस राह की कोई मंज़िल है ही नही और राह मे लाख तकलीफे है पर तुम कभी भी मंज़िल नही पा सकोगे



बेटा, ये कोई तुम लोगो की बच्पने की ज़िद नही है जो माँ-बाप पूरी कर देंगे बाकी तुम लोगो ने अगर फ़ैसला कर ही लिया है तो मैं तो रो कर सबर कर लूँगी और अब मैं इसके सिवा कुछ कर भी क्या सकती हूँ कुछ देर के लिए कमरे मे शांति छा गयी हमारे पास सीधा सा रास्ता था कि कोर्ट मे मॅरेज कर ले और सब लोगो की नज़र से दूर किसी सहर मे अपना छोटा सा आशियाना बसा ले



पर मिथ्लेश की भी तो हमेशा से ही बस यही इच्छा थी कि उसकी डॉली उसके घर से ही उठे पर दुल्हन वो मेरी बने अब करे भी तो क्या करे मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मिटा एक बार तुंमहरे पिताजी से भी बात करनी ही होगी फिर देखते है कि क्या होता है मैने कहा मिता हम अभी तुम्हारे घर चल रहे है तो वो बोली ठीक है पर मनीष संभाल लेना मेरी हर उम्मीद तुमसे ही है




उसकी मम्मी बार बार हमे मना करती रही पर एक ना एक दिन तो ये सब फेस करना ही था तो फिर अभी क्यो नही वो रात हम तीनो मे से कोई भी नही सोया सबके दिमाग़ मे कुछ ना कुछ चल रहा था अगले दिन शाम तक हम मिता के घर पहुच गये बचपन मे कई बार बाहर से तो उसके घर की झलक देखी थी पर आज अंदर जा रहा था , जब हम अंदर गये तो उसके पिताजी से साक्षात्कार हुआ




बड़े ही रोबीले से इंसान थे वो , तो वो मेरी ओर देखते हुए बोले कि माफ़ कीजिए आपको पहचाना नही तो मिता बोली पिताजी ये मेरे दोस्त है तो उन्होने उसे एक गहरी नज़र से देखा पर कहा कुछ नही फिर मेहमान खाने मे बिठा दिया गया कुछ चाइ नाश्ते की व्यवस्था की जाने लगी पर मैने डाइरेक्ट्ली मुद्दे की बात छेड़ दी तो उन्होने मेरी एक एक बात को पूरी तसल्ली से सुना




पर उनके चेहरे पर कोई भाव नही था तो मैं उनके रियेक्शन को समझ नही पा रहा था फिर उन्होने मिता को कहा कि छोरी तू भीतर जा, उसके जाने के बाद वो मेरी और मुखातिब हुवे और बोले कि देख छोरे, तने अभी बेरा ना है कि तू के कह रहा है और फिर तेरी हिम्मत भी गजब है तू खुद ही घर तक आ गया , देख मैं मान्यू सूं की आजकल छोरे-छोरी साथ पढ़या करे सै




तो बोल-चाल भी हो जाया करे है पर यो जो प्यार मोहबात है ना अपने इधर ना चलया करे और फेर थारे गाँव और म्हारे गाँव मे भाई चारा भी तो सै हम थारे गाँव की छोरिया ने बेटी माने सै और थारे लोग म्हारे गाँव की छोरिया ने तो तू क्यू गाँवो का भाई चारा खराब करना चाहवे सै और फेर तेरी जात अलग और ठाकुर भरपूर सींग अपनी छोरी दूसरी जात आले के ब्याह दे या तो हो ना सके



म्हरी भी गाँव बस्ती मे इज़्ज़त है समाज मे रसुख है और फिर थारी हसियत ही के सै म्हारे आगे बेरा सै छोरी के ब्याह मे कितना रुपया खरच करूँगा मैं मैने हाथ जोड़ते हुए कहा सरपंच जी इतना तो मैं कमा लेता हूँ की मिता सुख से रह लेगी आप बस बेटी को विदा कर दीजिए वो मेरे साथ बहुत खुश रहेगी तो वो बोले बस छोरे बहुत हुआ तेरी ज़ुबान पर आज के बाद मेरी छोरी का नाम नही आना चाहिए , नही तो ठीक नही होगा छोरी का मामला है और तू इस टाइम मेहमान बनकर आया है तो मैं सबर कर रहा हूँ जा चला जा और आज के बाद अगर मेरी छोरी के पास भी दिखा तो ठीक नही रहेगा मैने कहा पर मिता भी मुझसे बहुत प्यार करती है तो वो गुस्से से गरजते हुए बोले छोरे बस आख़िरी बार कह रहा हूँ कि चला जा इधर से



हमारे यहाँ महमानो का अनादर करने के रीत नही है काई ऐसा ना हो कि रीत टूट जाए उनके गुस्से की आवाज़ सुनकर मिथ्लेश भी भाग कर आ गई और रोते हुए बोली पिताजी मैं इसके बिना ना जी पाउन्गी तो वो बोले मर तो सकेगी ना ना जाने मेरी परवरिश मे कॉन सी कमी रह गयी जो इसी कुलच्छिनी बेटी मिली मन्ने
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#70
मैं उसके पिता के सामने जाकर खड़ा हो गया और उनकी आँखो मे आँखे डाल कर बोला



सर जी, फोजी हूँ घमंड खून मे दौड़ता है, अगर आप की भी ज़िद है तो मेरी भी सुन लीजिए चाहते तो भाग कर भी जा सकते थे पर ये ना मानी क्योंकि इसे आपकी झूठी इज़्ज़त का भान था और रही बात हमारी तो इतना वादा है मेरा कि मिथ्लेश की माँग मे मेरा ही सिंदूर होगा जब प्यार कर लिया है तो निभाना भी जानते है हम ब्याह तो होगा ही राज़ी राज़ी नही तो बेराजी अब आप फ़ैसला बता दो



उसके पिता ने बंदूक उठा ली और मेरे सीने पर तान दी मैने कहा मार दीजिए सदियो से प्यार करने वालो का यही तो अंजाम होते आया है वो गुस्से से बोले छोरे आग से ना खेल इस नयी पीडी की यही तो दिक्कत है सब कुछ करना है खुद अरे जो माँ-बाप थमने पाले पोसे है उनके बारे मे भी सोच लिया करो आज या प्यार कर रही है काल गाँव की कोई और छोरी करेगी परसो कोई और



सदियो से चले आ रही रीतियो को तोड़ के के साबित करना चाहो सो थम मैने कहा ठाकुर साहब काश आप कभी प्यार को समझ पाते कभी आप अपनी बेटी को समझ पाते वो बोले छोरे मैं अंतिम बार कह रहा हूँ मेरे घर से निकल जा कही मे अपनी मर्यादा भूल गया तो ठीक ना रहेगा मिता बोली मनीष तुम अभी चले जाओ यहाँ से तुम्हे मेरी कसम है, तो मैने कहा ठीक है मिता तेरे कहने से जा रहा हूँ पर जल्दी ही आउन्गा बारात लेकर तुझे अपनी बना ने को

मिता का आँसुओ से भीगा हुवा चेहरा मेरी आँखो के सामने था मैने कहा मिता अपना मिलन होगा ज़रूर होगा मैं जल्दी ही आउन्गा तो पीछे से उसके पिता बोले महीने भर मे ही छोरी का ब्याह करवा दूँगा मैने बस चुप चाप सुन लिया पर मैने सोच लिया था कि कुछ भी करके बस मिता को ब्यहना ही है मुझे वैसे ही काफ़ी सीन हो गया था उधर बस शूकर था कि कोई मार पिटाई नही हुई थी




मेरा घर भी तो वहाँ से कुछ किलोमेटेर ही दूर था पर हालत देखो कुछ ऐसे थे कि उधर भी नही जा सकता था हताश सा मैं एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था की मेरे मोबाइल पर कॉल आई बस इतना ही बोला गया कि जहा भी हो तुरंत हेडक्वॉर्टर मे रिपोर्ट करो, सम्तिंग ईज़ अर्जेंट तो मैने देल्ही की बस पकड़ ली और सीधा एजेन्सी ऑफीस मे हाजरी दे दी बॉस ने मुझे कॅबिन मे बुलाया और एक फाइल देते हुवे कहा कि तुम्हारे लिए एक काम है





मैने कहा सर , प्लीज़ मुझे डेस्कजॉब चाहिए कुछ दिनो के लिए माइंड बहुत अपसेट है तो वो बोले ऑफीसर ये एजेन्सी तुम्हारे हिसाब से नही चलती है मुझे भी उपर जवाब देना पड़ता है और फिर शेरशाह क्या थकने लगा है जो उसे डेस्कजॉब चाहिए तुम जानते हो कि मैं कितना भरोसा करता हूँ तुम पर और इस काम के लिए तुमसे बेस्ट कॉन है तुम्हारे जाने की सारी तैयारिया हो गयी है नया पासपोर्ट और टिकेट्स तुम्हारी डेस्क पर तुम्हारे पहुचने से पहले होंगी




अब साली नोकारी भी करनी ज़रूरी , जी तो चाहा कि अप्लाइ कर ही दूं कि वापिस अपने केडर मे डाल दो मुझे पर आर्मी से तो ठीक ही था एक आज़ादी सी थी इधर तो मन मार कर एक चाइ का ऑर्डर दिया और अपनी डेस्क पर आ गया और फाइल को पढ़ने लगा तो मेरा और भी दिमाग़ खराब होने लगा अब बस ज़िंदगी मे ये दिन ही देखना रह गया था मैं ऑफीस से निकला अपना सामान लिया



और घर चल पड़ा , निशा घर पर ही थी तो उस से दुआ सलाम हुई पर मेरा मूड बिल्कुल भी ठीक नही था तो मैं बस अपने कमरे मे आ गया और जाने के लिए बाग पॅक करने लगा तो वो बोली अरे ये क्या अभी आए और अभी जा रहे हो मैने कहा यार कुछ ना पूछ अभी टाइम नही है वरना मैं तुम्हे सब बता देता तो वो बोली ठीक है पर इतना तो बता दो कि फिर कब आओगे ताकि मैं इंतज़ार कर सकूँ


तो मैने कहा अब कुछ नही पता इस बार आना होगा या नही तो वो बोली क्यो क्या हो गया है मैने कहा यार प्लीज़ , तो वो मेरे बालो को सहलाते हुवे बोली शांत हो जाओ और बैठो पास मेरे तो फिर मैने उसे पूरी बात बता दी तो उसने कहा कि तुमने ग़लत किया मिथ्लेश को वहाँ पर छोड़ना ही नही चाहिए था पता नही अब उसके फॅमिली वाले उसके साथ कैसा बिहेवियर करेंगे



मैने कहा मजबूर था मैं यार पर जल्दी ही काम ख़तम होते ही कुछ भी करके मैं उसको वहाँ से निकाल लाउन्गा पर तुम्हे मेरा एक काम करना होगा वो बोली बताओ मैने कहा मैं अपना मोबाइल तुम्हे दे कर जा रहा हूँ और अपनी नयी पोस्टिंग पर जातेही मैं वहाँ का कॉंटॅक्ट नंबर तुम्हे दे दूँगा अगर मिथ्लेश का फोन आए तो उसका नंबर मुझे देना वो बोली ये भी कोई कहने की बात है क्या



फिर मैने निशा का माथा चूमा और कहा कि चलता हूँ , तो वो बोली जल्दी काम ख़तम करके आना कही देर ना करदो मैने कहा यूँ गया और यू आया आज मेरा फर्ज़ भी मेरे आड़े आ गया था तो फिर मैं निकल गया एरपोर्ट के लिए वहाँ से अपनी फ्लाइट ली और बोर्ड कर गया शरीर मेरे साथ था पर दिल मे अपना हिन्दुस्तान मे ही छोड़ आया था


पता नही क्यो मेरा दिल बड़ा ही बेचैन हो रहा था ये सफ़र सुहाना नही लग रहा था मेरे लिए दिल मे सनम का ख़याल और दिमाग़ मे अपना फर्ज़ लेकर आख़िर मैं अपनी मंज़िल पर उतर गया , इंटरनॅशनल एरपोर्ट इस्लामाबाद, पाकिस्तान. वैसे मेरी हमेशा से ही हसरत थी कि मैं उस देश को विज़िट करूँ पर इस हालत मे नही पर अब तकदीर के फ़ैसलो को कॉन टाल सकते है फॉरमॅलिटीस पूरी करने के बाद मैं एरपोर्ट से बाहर आया तो




हमारा आदमी पहले से ही मेरा इंतज़ार कर रहा था अपनी तसल्ली के बाद मैं कार मे बैठ गया और गाड़ी अपनी मंज़िल की ओर चल पड़ी रास्ते पे मुझे कुछ देर के लिए नींद आ गयी पता नही क्या वक़्त हो रहा था उस पहर मे हम पर अंधेरा था आसमान मे मैने कहा जनाब कुछ भूक सी लगी है तो कुछ इंतज़ाम होगा क्या वो बोला जी पास मे ही एक मशहूर शॉप है बस थोड़ा सा इंतज़ार कीजिए



क्या बिरयानी खिलाइ उसने मुझे मैं तो फॅन ही हो गया दिल की सारी परेशानियो को उस खाने के स्वाद ने हर लिया था थोड़ी देर के लिए अब मैने बात को बढ़ाते हुए कहा कि कहाँ इंतज़ाम किया है तो बोला सर, कराची की डिफेन्स कॉलोनी मे मैने कहा पर वो तो हाइ प्राइयारिटी वाला एरिया तो वो बोला पर सर अपने जैसो के लिए सेक़ुरटये के क्या मायने और हँसने लगा

मैने कहा कब से हो इधर तो बोला सर 9 साल हो गये है शादी भी इधर ही करली और अब इधर ही रहेंगे मैने कहा वतन की याद नही आती तो बोला अरे सर आप भी कैसी बाते ले कर बैठे हो अपने जैसो का कहाँ कोई देश होता है बस अपना काम करो और बात ख़तम अब परिवार इधर तो अपना जीना मारना भी इधर और फिर अगर कोई प्राब्लम हुई भी तो एजेन्सी है ही



मैने कहा वो तो है पर यार इधर के हालत तो काफ़ी खराब बताए जाते है वो बोला आदत है अपने को तो और फिर लोग इतने बुरे भी नही है पर ये जो पॉलिटिक्स है उसका हाल तो आप जानते ही हो, बस बाकी सब ठीक है फिर वो मुझे एक फ्लॅट मे ले गया और कहा आज आप आराम करे कल कराची के लिए सफ़र करना है मैने कहा ठीक है अगले दिन



मेरा सफ़र फिर से शुरू हो गया दिन का उजाला था तो चारो तरफ चहल पहल थी ये देश भी मेरे देश जैसा ही था पर थोड़ा सा अलग भी था पर फिर भी अपना सा ही लगा मुझे तो लोग भी जिंदादिल से थे और जी रहे थे अपनी अपनी जिंदगियो को पर मैं कोई टूरिस्ट तो था नही मैं तो एक किराए का कातिल था जो अपना काम करने आया था और फिर खिसक लेना था

कराची पहुचते ही मुझे पाकिस्तानी आइडी मिल गयी और सेलफोन भी सबसे पहले मैने निशा को फोन करके अपना नंबर बताया और कहा कि अगर मिता की मिस्स्कल्ल मेसेज कुछ भी आता है तो तुरंत इनफॉर्म करना और हाँ तुम फोन स्ट्ड से करना वहाँ मुझे साजिद मिला मैने कहा टीम कब तक आएगी तो उसने कहा जनाब हाइकमान का ऑर्डर है कि मिशन आपको अकेले ही पूरा करना है


मैने कहा पागल हुए हो क्या अकेले कैसे होगा सब तो वो बोला सर मुझे उसके बारे मे कुछ नही पता , मेरा काम तो आप तक बस ज़रूरत का सामान पहुचाना है आप बता दीजिए कि क्या क्या चाहिए मैं अरेंज करता हूँ मैने उसको देखा और कहा एक बॉटल बियर ले आ मैने बॉस को कॉंटॅक्ट किया और कहा तो वो बोले शेरशाह तुम तो वैसे भी एक्सपर्ट हो और



फिर पाकिस्तान मे टीम वर्क करेंगे तो नज़रो मे आ जाएँगे उपर से गँवरमेंट. का इतना प्रेशर है और फिर तुम्हारा कोई रेकॉर्ड है ही नही एक दम क्लीन हो तुम मैने कहा सर आपको एक बात कहनी थी वो बोले श्योर, मैने कहा सर एक आइएसआइ एजेंट मुझे जानती है पर्सनली तो सर बोले और तुम मुझे अभी बता रहे हो तुम अभी निकलो उधर से दो घंटे मे लंडन की फ्लाइट मे तुम्हारा टिकेट बुक होगा



मैने कहा सर , अब आया हूँ तो काम निपटा ही दूँगा बस आप मेरे एग्ज़िट का ध्यान रखना तो वो बोले हवा, पानी या बाइ रोड हर रास्ते पर तुम्हारे लिए मदद मिलेगी बस तुम जिंदा रहना और भूल कर भी पकड़ मे नही आना वरना इंटरनॅशनल स्तर पर हमारी वॉट लग जाएगी मैने कहा सर अब मुझे अपने हिसाब से प्लान बना ना होगा और एक सेफ जगह भी चाहिए जहाँ मैं शांति से सोच सकूँ



बॉस बोले मेरे बाप जो करना है कर पर ध्यान रखना अगर गड़बड़ हुई तो रॉ आगे है ना पीछे, मैने कहा वो तो आपका पहला काम है वो बोले बेटे कोई नादानी नही करना अब तक तो पाकिस्तान की इंटेलिजेन्स को पता चल ही गया होगा कि इंडियन रॉ का एजेंट उनके मुल्क मे लॅंड किया है मैने कहा नही सर ऐसा कैसे हो सकता है तो वो बोले होते है कुछ राज पर जल्दी ही तुम मुझे वापिस चाहिए वो भी वन पीस मे



आज से पहले कभी अकेले काम किया नही था तो कुछ घबराहट सी हो रही थी पर चलो ये ही सही मैने कहा साजिद मुझे 20000 पाकिस्तानी रुपये चाहिए और सभी अलग अलग सीरियल मे होने चाहिए और रहने के लिए ऐसी जगह जहाँ कुछ टाइम मिल सके तो वो बोला पर जनाब आपका इंतज़ाम तो डिफेन्स कॉलोनी मे कर दिया गया है मैने कहा जो कहता हूँ वो करो वो बोला बस कुछ देर मे इंतज़ाम हो जाएगा


कराची, की बदनाम गलियाँ जैसे अपने यहाँ देल्ही मे जीबी रोड फेमस है कदम रखते ही मैने कहा भाई जान इस से बेहतर कुछ नही मिला क्या तो वो बोला जनाब आप आइए तो सही फिर कुछ सन्करि गलियो से गुज़रते हुए हम लोग एक ख़स्ता हाल सी इमारत मे घुस गये वो बोला सारा इंतज़ाम इधर ही है आपके लिए पर्सनल रूम वित हाई स्पीड इंटरनेट और ये लीजिए आपके पैसे



वो बोला अगर और कुछ मदद चाहिए तो सलमा से कह देना मैने कहा ठीक है मैं अपने प्लान का डेमो तैयार करने लगा पर मेरा दिल बारबार मिथ्लेश की तरफ भाग रहा था वैसे मैं अपने फर्ज़ और पर्सनल लाइफ को हमेशा अलग रखता था पर आज ये साला दिल कुछ ज़्यादा ही खिलाफत कर रहा था मैने लॅपटॉप ऑन किया ही था कि तभी कुण्डी खड खड़ाई



मैने दरवाजा खोला तो बाहर सलमा खड़ी थी पेशे से वो तवायफ़ थी पर बला की हसीन थी वो बोली जी आपके लिए चाइ लेकर आई हूँ मैने कहा अंदर आइए तो वो मेरे लिए चाइ कप मे डालने लगी चाइ पीते पीते बात करने लगी उसने पूछा हिन्दुस्तानी हो मैने कहा जी वो बोली सुना है हिन्दुस्तानी लोगो के दिल बहुत बड़े होते है मैने कहा कोई शक़ है क्या



तो वो बोली पर हम पाकिस्तानी भी बेहतरीन मेहमान नवाज़ी करते है मैने कहा बेशक, अब आपके मेहमान है तो आपकी मेहमान नवाज़ी भी देख लेंगे वो बोली करम हमारा हम बाते कर ही रहे थे कि बाहर से कुछ आवाज़े आई तो सलमा बाहर चली गयी मैं भी उसके पीछे पीछे आ गया तो देखा कि एक आवारा सा दिखने वाला इंसान दारू के नशे मे चूर कुछ लड़कियो से बदतमीज़ी कर रहा था



पर मैं इस मामले मे कुछ नही कर सकता था थोड़ी देर बाद सलमा फिर से वापिस आई और बोली ये मुल्ला बिन क़ासिम का भतीजा है शहर पर इनकी ही हाक़ूमत है सरकार भी कुछ नही बोलती जीना हराम किया हुआ है बिन क़ासिम ये नाम मुझे कुछ सुना सुना हुवा सा लगा तो फिर सलमा के जाने के बाद मैने बिन क़ासिम की डीटेल्स देखी कहने को तो बिज्नीस मॅन था पर सारे दो नंबर के काम थे हथियारो की स्मगलिंग, गोल्ड और नशे का कारोबार करता था



अच्छा रशुख था सहर मे उसका , तो मैने एक आइडिया सोचा और फिर मैने सलमा से कहा कि मैं ज़रा सहर घूम कर आता हूँ यहाँ की आबो हवा से वाकिफ़ हो लूँ वो तो मना कर रही थी पर मैं उधर से निकल आया और उसके भतीजे का इंतज़ार करने लगा जैसे ही वो कोठे से निकला और अपनी कर की तरफ बढ़ा मैने उसका पीछा शुरू कर दिया उस सुनसान गली मे खड़ी एक कार को मैने चुराया



और उसकी गाड़ी के पीछे लगा दिया , मज़ारे शरीफ इलाक़ा यहाँ पर वो पान खा रहा था चारो तरफ भीड़ की गहमा घहमी थी मेरी नज़र बराबर से उसके उपर लगी हुई थी कुछ तो था मेरे मन मे फिर वो अचानक से पब्लिक टाय्लेट की तरफ बढ़ा और मैं भी उधर ही लपक लिया उन बीस तीस सेकेंड्स मे ही मैने अपना काम कर दिया था अगले रोज अख़बार मे सुर्खिया थी एक मर्डर की एक हाइ प्रोफाइल मर्डर की

असल मे मेरा मकसद था कि मैं सबका ध्यान इस ओर मोड़ कर अपना काम आराम से कर सकूँ पर क्या ये सब इतना आसान था शहर जैसे ठप्प हो गया था पर इन दो दिनो मे मैने उस खास एरिया की रेकी कर के जानकारी निकाल ली थी साजिद की आख़िरी मदद ये थी कि उसने बिल्डिंग का ब्लूप्रिंट निकाल दिया था अब मेरे पास बहुत ही कम टाइम था मुझे जल्दी से जल्दी वापिस हिन्दुस्तान निकलना था



जहाँ मेरी मोहब्बत आँखे बिछाए मेरा इंतज़ार कर रही थी कैसी ये जंग सी छिड़ गयी थी मेरे फर्ज़ और मेरी मोहब्बत के बीच दोनो ही मेरे लिए अज़ीज थे और दोनो ही मुझसे कुर्बानी माँग रहे थे मैं अपने काम मे माहिर एक किराए का कातिल था पर इस बार मेरे पास बॅकप नही था मेरे पास कोई टीम नही थी जो करना था अकेले को करना था



पाकिस्तान आर्मी का ख़ुफ़िया प्रिज़न सेल था वो , पर चूँकि पब्लिक एरिया मे था तो सेक्यूरिटी इतनी हाइटीक नही थी पर फिर भी टाइट तो थी ही उस दिन इतनी घबराहट मुझे पहले कभी नही हुई थी उस सुबह से ही मेरा दिल बड़ा घबरा रहा था आख़िर क्या मुझे डर लग रहा था बदन से बार बार पसीना बह रहा था ड्रेनिंग लाइन के रास्ते से मैं बिल्डिंग के सीवरेज टॅंक तक आ गया



पूरा प्लान मेरे हिसाब से सेट कर रखा था मैने वहाँ से किसी तरह मैं एर कंडीशनिंग डक्ट मे घुस गया और फिर आहिस्ता आहिस्ता रेंगते हुए मैं ब्लॉक 57 मे आ गया डक्ट की झिर्रियो से देखा तो उस कमरे का नज़ारा मेरा दिल दहल गया उफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या हालत कर दी थी कमिनो ने , ये थी मेरी वजह यहाँ पर आने की हमारी कोर एजेंट राधा
जिसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने बॉर्डर एरिया मे धर लिया था इसी को निकालना था मुझे यहाँ से पर शायद उस दिन किस्मत मेरे साथ नही थी मैने अपनी तरफ से सब कुछ तय कर लिया था एंट्री तक सब पर्फेक्ट था पर जिस चीज़ पर मैने गोर नही किया था वो थी सीसीटीवी कॅमरा और मोशन सेंसर दरअसल इन सब चीज़ो की ज़िमेदारी हमारे कंप्यूटर एक्सपर्ट की होती थी पर यही पर मुझ से गड़बड़ हो गयी



डक्ट तोड़ कर कमरे मे एंटर होते ही मुझे पता चल गया कि पंगा खड़ा हो गया है मेरे उतरते ही मोशन अलार्म बज उठा और बिल्डिंग मे हलचल मच गयी शेरशाह की सारी होशियारी धरी गयी राधा की हालत भी ठीक नही थी पर अब तुरंत फुरंत का काम था और मुझे कोई भी शौक नही था कि राधा के साथ मैं भी क़ैद हो जाउ तो मैने गन निकाल ली और सीधा मेन गेट पर फाइयर किया लॉक टूट ते ही बाहर के दो गार्ड्स को सल्टाता हुआ मैं राधा को घसीट ते हुए भागा , पर इतना आसान नही था एग्ज़िट करना मुझे पता था कि 5 मिनिट मे ही पाकिस्तानी आर्मी चारो और से कवर कर लेगी और मैं एंट्रेन्स से ब्लॉक 57 की दूरी 300-400 मीटर तो थी ही मैने फाइरिंग करते हुए कहा कि राधा तुम होसला रखना मैं कुछ नही होने दूँगा तुम्हे सुरक्षित ले जाउन्गा मैं तुम्हे उसने मेरी ओर उम्मीद से देखा



दो मिनिट के अंदर ही मैं 10-12 गार्ड्स को ढेर कर चुका था पर थे हम अभी भी कॅंपस मे ही तभी मेरी नज़र आर्मी की गाड़ी पर गयी मैं और राधा दौड़ते हुए उधर गये मैने गेट खोला और उसको अंदर धकेला और खुद बैठ ही रहा था कि तभी वो हो गया जो बिल्कुल ही नही होना चाहिए था मेरी आँखे जैसे बाहर को ही आ गयी मैं हाथ नीचे ले गया तो देखा कि खून निकल रहा था



बुलेट हिट कर गयी थी कमर के निचले हिस्से पर सर घूम गया मेरा तो पर फिर खुद को संभालते हुए मैने गाड़ी स्टार्ट की हालत को समझते हुए राधा ने कवर फाइरिंग स्टार्ट कर दी और फिर मैं गेट से निकल गया और गाड़ी आर्मी एरिया की सड़को पर दौड़ ने लगी पास से ही एक शॉर्टकट था जो कि सिविल लाइन्स की तरफ जाता था तो मैने गाड़ी उधर ही दौड़ा दी आँखो से आँसू बह चले थे



दर्द बुरी तरह से बह रहा था राधा ने खून को रोकने के लिए मेरी शर्ट को फाड़कर पट्टी की तरह से लपेट दिया था पर मेरी हिम्मत जवाब देती जा र्है थी पीछे आर्मी की गाडिया लगी थी सिविल लाइन्स मे पोलीस को इत्तिला हो गयी थी तो उधर भी ब्लोकॅज हो रहा था पर दाद देनी होगी पाकिस्तानी आर्मी को गाड़ियाँ बहुत लाजवाब रखते थे तो बारैकेड को तोड़ते हुवे आख़िर मैने वो इलाक़ा भी पार कर लिया




मेरी आँखे बंद होने के कगार पर आ गयी थी बस किस्मत का ही सहारा था और उस उपरवाले ने भी ठीक उसी पल अपना जलवा दिखाया पास मे ही किसी पीर साहब की सवारी जा रही थी तो खूब भीड़ थी उस चौराहे पर तो मैं और राधा किसी तरह से उस भीड़ मे शामिल होगये और फिर कराची बकरी के पास वाली गली से होते हुवे बदनाम मोहल्ले मे घुस गये


जाते ही मैं तो बेड पर पड़ गया अब मोर्चा सलमा ने संभाला उसने फॉरन ही हमे एक तहख़ाने टाइप कमरे मे पहुचा दिया और आधे घंटे से भी कम समय मे डॉक्टर का इंतज़ाम कर दिया साजिद भी वहाँ पर आ गया था राधा के घाव की ड्रेसिंग कर दी गयी और मेरी गोली भी निकाल दी गयी थी डॉक्टर बोला हालत मे सुधार होने तक आपको आराम ही करना होगा



मैने कहा साजिद साले कैसी जॅकेट लाया था गोली तो पार कर गयी वो बोला भाईजान माफी दे दे वो क्या है ना इधर ज़्यादातर माल चाइना से आता है तो ग़लती हो गयी मैने कहा नालयक मुझे तो परेशानी होगयि ना दवाइयों के नशे मे नींद आ गयी होश आया तो दिन निकला हुआ था पता चला कि 18 घंटे बाद उठा था मैं राधा ने मुझे बहुत ही शुक्रिया कहा मैने कहा किसने एजेंट बना दिया जो फँस गयी तो वो कुछ ना बोली साजिद ने बताया कि भाईजान मीडीया मे बात लीक हो गयी है कि कोई हिन्दुस्तानी जासूस घुस आया है उन्होने ये तो नही कहा कि किसी को भगाकर ले गया है पर अब तक तो आइएसआइ भी इन्वॉल्व हो गयी होगी मैने कहा हाँ मुझे पता है उधर सीसीटीवी मे मेरी शकल भी गयी होगी भाई वो बोला कि बॉर्डर एरिया की तरफ जाने वाला हर रास्ता सील कर दिया गया होगा , हर एरपोर्ट, बस स्टेशन, रेल सब जगह सेक्यूरिटी होगी चेकिंग चालू होगी



प्राब्लम ये थी कि मुझे हर हाल मे निकलना था वैसे ही दस दिन खराब हो गये थे इधर और मिता के पिताजीने कहा था कि वो महीने भीतर ही उसकी शादी कर देगा हर पल मुझे उधर की चिंता थी और मैं इधर फसा हुआ था और घायल था वो अलग से मैने बॉस से कहा कि सर कुछ भी करके निकालिए इधर से मेरा कहीं पहुचना बहुत ही ज़रूरी है बॉस ने कहा कि केस सेनस्टिव हो गया है



पाकिस्तान ने हम पर आरोप लगाया है तुम्हे तो पता ही है कि वो हमेशा राग अलपता रहता है कि रॉ की इनवोलव्मेंट है तुम किसी भी तरह से किसी भी बॉर्डर साइड पर आ जाओ मैं वादा करता हूँ कि निकल लूँगा उधर से तुमको पर तुम्हारी हालत भी ठीक नही है तुम कुछ दिन आराम करो उधर ही छुपे रहो अपने एजेंट्स मदद करेंगे तुम्हारी और मामला थोड़ा सा ठंडा होते ही तुम आ जाना मैने कहा सर आप समझ नही रहे है , मेरा इंडिया आना बहुत ही ज़रूरी है तो बॉस बोले बॉर्डर तक तो आओ गुरुजी मैने गुस्से से फोन काट दिया अब साला इतनी टाइट सेक्यूरिटी मे कॉन हेल्प करे मेरी मेरा एक एक दिन भारी हो रहा था मुझ पर 5-6 दिन इसी तरह से कट गये और पल पल मेरी जान निकली जाए पर कोई रास्ता ना सुझे तो आख़िर मैने उस दिन साजिद से मेकप करवा के अपना हुलिया बदलवाया और लंगड़ाते हुए वहाँ से बाहर निकल आया




हिम्मत करके किसी तरह से एक पीसीओ तक पहुचा आख़िर मजबूर होकर मैने वो नंबर डाइयल कर ही दिया जो एक दो धारी तलवार साबित हो सकती थी मेरे लिए हो सकता था कि फिर सारी ज़िंदगी याहान की किसी अंधेरी कोठरी मे गुज़रे पर मेरी हालत ऐसी ही थी कि बस अब एक ही दरवाजा था जहाँ पर मुझे मदद मिल सकती थी घंटी गयी पर कोई रेस्पॉन्स नही फिर घंटी गयी पर फिर कोई रेस्पॉन्स नही




10-12 बार मैने वो नंबर लगाया पर सेम रिज़ल्ट और फिर जैसे ही मैं हताश होकर पीसीओ से बाहर निकला ही था कि पीसीओ वाले फोन की रिंग बजी तो मैने लपक कर उठाया मैने बस इतना ही कहा कि तुम्हारा हिन्दुस्तानी दोस्त जल्दी से मुझे कराची बकरी के पास मिलो और फोन रख दिया मुझे पता था कि वो ज़रूर आएगी ये मैने एक बहुत बड़ा रिस्क लिया था



पर अब वो ही थी जो मेरी मदद कर सकती थी रिक्शा लिया और मैं उधर पहुच गया और बीस पचीस मिनिट बाद वो भी उधर आ गई मैं धीमे से चलते हुए उसके पास गया और कहा कि मेरे पीछे आओ मुझे ये भी नही पता था कि वो अकेली है या किसी के साथ है पर फिर हम दोनो पास मे एक जूस की दुकान मे बैठ गये महक बोली तो तुम हो शेरशाह



मैने कहा कोई शक़ वो बोली जिसे पूरे पाकिस्तान की पोलीस, इंटेलिजेन्स शिद्दत से चप्पे चप्पे पर ढूँढ रही है वो खुद मरने को आ गया मैने कहा महक देखो फालतू बातो का टाइम नही है मेरे पास मेरी मोहब्बत मेरा इंतज़ार कर रही है हिन्दुस्तान मे मेरा पहुचना बहुत ही ज़रूरी है वरना मोहब्बत रुसवा हो जाएगी और मैं बेवफा वो बोली तो मैं क्या कर सकती हूँ, मैने कहा इस टाइम मैं तुम पर ही भरोसा कर सकता हूँ प्लीज़ कुछ भी करके मुझे बॉर्डर पार करवा दो तो वो बोली वाह जनाब आप भी ना , आपकी इन्ही अदाओं पर तो हम फिदा है दुश्मनो पर भी आप इतना भरोसा करते है कसम से खुदा ने खूब सोच कर आपको बनाया है जानते है अगर मैं अभी आपको पकड़ लूँ तो मुझे कितना इनाम मिलेगा और प्रमोशन अलग से



मैने कहा महक तुम ये बताओ कि मेरी हेल्प करोगी या नही मैं वादा करता हूँ कि जब भी तुम्हे मेरी हेल्प चाहिए होगी मैं दौड़ा चला आउन्गा तो वो बोली जनाब पर आपकी मदद करके मुझे गद्दार समझा जाएगा मैने उस दिन भी कहा था कि हमारे रास्ते अलग अलग है और बेहतर होगा कि आप फिर कभी ना मिलना मैने कहा अब रिश्ता ही तुमसे ऐसा है तो करे भी क्या



जान तुम्हारे हाथ मे रख दी है चाहे ले लो पर कुछ भी करके हिन्दुस्तान पहुचा दो वरना कही मोहब्बत रुसवा हो गयी तो लोगो का प्यार पर से ऐतबार उठ जाएगा महक अपनी आँखो पर चश्मा पहनते हुए बोली कुछ तो क़र्ज़ है ही आपका मुझे पर शेरशाह जी अब आपकी मदद ना करी तो जन्नत नसीब ना होगी उसने कहा अपना सेल नंबर दो मुझे



और थोड़ा सा टाइम ताकि मैं जुगाड़ कर सकूँ मैने उसका हाथ चूम लिया और कहा तेरी मेरी दोस्ती सरहदों मे कभी नही बटेगी बेशक हम अलग-अलग वतन के सिपाही है पर मेरा वादा है कि मेरी अंतिम सांस तक तू जब भी बुलाएगी तेरे लिए दौड़ा चला आउन्गा महक बोली अभी जाती हूँ तो उसी रात मैने बॉस को फोन किया और कहा कि मैं बॉर्डर पर आ रहा हूँ बीएसएफ से बात कर लेना और एक हेलिकॉप्टर भी चाहिएगा जो मुझे तुरंत ही मेरी मंज़िल पर पहुचा दे वो बोले डॉन’ट वरी हो जाएगा, कुछ अपने करम थे ऐसे कुछ तो बात थी उस महक मे जो मेरी दोस्ती के लिए अपने फर्ज़ से गद्दारी कर गयी थी गद्दार होना मंजूर कर लिया था उसने , अपने सोर्सस के बल पर उसने हमे गुजरात बॉर्डर पार करवा दिया मैने उसका माथा चूमा और कहा तुम्हारा अहसान रहगा हमेशा तो वो आँखो मे आए हुए पानी को बहने ने रोकती हुई बोली



बस इतनी गुज़ारिश है कि आज के बाद मुझे मत मिलना बीएसएफ से सेट्टिंग हो ही चुकी थी तो आख़िर अपनी सरहद मे आ ही गये बीएसएफ कॅंप मे बॉस के वादे के अनुसार हेलिकॉप्टर तैयार खड़ा था मैने उसे कहा कि पहले देल्ही नही चलना है बल्कि मेरे शहर चल तो उसने कहा कि सर ऑर्डर नही है मैने कहा माँ चुदाये ऑर्डर जैसा कह रहा हूँ वैसा ही करो मेरी लाइफ का सवाल है



तो करीब 3 घंटे बाद हम मेरे सहर मे थे मैं तुरंत ही पोलीस के एसपी के पास गया उसको आइडी दिखाई और पूरी बात बताई और फोर्स लेकर मिता के घर पर चल दिया
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#71
आँखो मे हज़ार सपने और दिल मे अरमान लिए वो शहर से कुछ किलो मीटर का सफ़र बड़ा ही लंबा लग रहा था जिसके लिए मैं सरहद तोड़ आया था वो मेरी मिथ्लेश मेरी आँखो से बस थोड़ा सा ही दूर थी ची चीईइ करती हुई एक के बाद एक कई गाडिया गाँव मे एंटर कर गयी मैने उन्हे अपनी मंज़िल की डाइरेक्षन्स बताई तो गाड़ी तेज़ी से मिथ्लेश के घर की ओर बढ़ चली



पर जैसे ही मैं गाड़ी से उतरा मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया घर के बाहर दरि बिछी हुई थी और कुछ लोग बैठे हुए थे किसी अनिष्ट की आशंका से मेरा दिल काँप उठा मैं दौड़ते हुए घर के अंदर गया उसकी माँ मुझे देखते ही दहाड़े मार के रो पड़ी अगले पल जो ख़याल मेरे दिल मे आया मेरा कलेजा कांप उठा मैने डरी सी आवाज़ मे कहा आंटी मिता कहाँ है



तो वो रोते हुए बोले चली गयी ओूऊऊऊऊऊऊऊओ चली गाइिईई हमे छोड़कर चली गयी है राम मेरिइइ बेटिईईईईईईईई गयी वो ओ मेरे तो जैसे घुटने ही टूट गये मैं उधर ही गिर पड़ा आँसू अपने आप मेरी आँखो से बहने लगे गला जैसे जाम ही हो गया उसकी माँ बोली खा गया तू मेरी बेटी को क्या पट्टी पढ़ा दी तूने उसको देख ले तेरे लिए जान दे गयी वो अपनी



अब तो हो जाएगी तस्सली तुझे भी और उसके बाप को खानदान की झूठी इज़्ज़त के ईए बेटी का नाश कर दिया मैं बोला आंटी कह दो कि आप झूठ बोल रही हो मिता की बहन मेरे पास आई और बोली मनीष सच है जीजी अब नही रही परसो सल्फास निगल ली उन्होने उसके ये शब्द सुनकर मेरी रही सही हिम्मत भी टूट गयी और मैं वही पर रोने लगा मेरी मुहब्बत हार गयी थी


मेरा इंतज़ार ना कर सकी वो पगली चली गयी मुझे छोड़ कर जीते जी मार गयी मुझे वो ये कैसी सज़ा दे गयी वो मुझे अपने से इस तरह जुदा कर गयी वो मुझे मेरे सारे ख्वाब टूट कर बिखर गये थे मेरी दुनिया बसने से पहले ही उजड़ गयी थी पर अब करूँ भी तो क्या मुझे तो बस मेरी मिता चाहिए किसी भी कीमत पर पर कहाँ से लाउ उसे



मैने सोचा जब वो ही नही रही तो अब मैं भी जीकर क्या करूँगा मैने अपना सर दीवार पर पटकना शर कर दिया तो सिक्युरिटीे वालो ने मुझे पकड़ लिया और कहने लगे कि सर प्लीज़ कंट्रोल कीजिए आप अपने आप पर, कंट्रोल कैसे करूँ मैं मेरा सब कुछ लुट गया बर्बाद हो गया मेरा दिल किया कि कही से कोई बिजली गिर जाए मुझ पर और मैं भी खाक हो जाउ मेरी रूह मिल जाए उसकी रूह से



मैने रोते हुए मिता के पिता से कहा सरपंच आज तो आपका बहुत मान बढ़ गया होगा ना समाज मे सर्टिफिकेट मिल गया होगा आपको इज़्ज़त का काश एक बाप के दिल से सोचा होता आपने लो मुझे भी मार दो कर दो जुदा इस दर्द से मुझे अब नही जी पाउन्गा मैं मिथ्लेश के बिना मैं अरे प्यार ही तो किया था कोई गुनाह नही किया था क्या कसूर था हमारा जो जुदा कर दिया हमको



चाहती तो भाग जाती मेरे साथ पर कहती थी कि बाप के आशीरवाद से ही जाउन्गी तुम्हारी दुल्हन बनकर पर देखो तुम्हारी ज़िद ने क्या कर दिया मुझे नही पता लाकर दो मेरी मिथ्लेश मुझे कही से भी मेरी अमानत तुमको सोन्प कर गया था मुझे बस वापिस कर दो दहाड़े मार कर मैं रो रहा था उस टाइम जो भी लोग वहाँ पर थे सब की आँखे बह चली थी



झूठी इज़्ज़त के लिए मेरी पवित्र सच्ची मोहब्बत की बलि चढ़ गयी थी वो मर्जानी मेरा इंतज़ार क्यो ना कर सकी मैने वादा किया था कि आउन्गा ज़रूर उसे लेने भगवान ये कैसा जुलम कर दिया तूने मुझ पर बसने से पहले ही उजाड़ दिया मेरा घर बता अब कहाँ जाउ मैं कितनी मन्नतें माँगी थी बस एक मिथ्लेश के साथ ज़िंदगी बिताने को ऐसी कोई मज़ार मंदिर मस्जिद नही जहाँ पर ये दुआ ना माँगी मैने


पर क्या एक ने भी नही सुनी जिसे सारी दुनिया ना हरा सकी उसे उसकी तकदीर ने हरा दिया था , सदियो से इस दुनिया मे प्यार करने वालो का यही अंजाम होता रहा था और हमारी कहानी भी अधूरी रह गयी थी हार गया था मनीष और मिथ्लेश का प्यार वो मुझे छोड़ कर चली गयी थी रुसवा कर गयी थी मुझे ये कैसा बोझ दे गयी थी वो मुझे



मैने पूछा कहाँ किया उसका अंतिम संस्कार ले चलो मुझे उधर तो मिता का भाई मुझे उधर ले गया उसकी आँखे भी भारी हुवी थी दो चार लोग और साथ हो लिए उसकी राख को देख कर मेरा कलेजा फट गया मैने कहा उपरवाले तू इतना निष्ठुर नही हो सकता काश वो गोली उस दिन मेरा कलेजा चीर जाती तो आज ये दिन ना देखना पड़ता ये कैसी सज़ा दी है तूने मुझे



आख़िर क्या कसूर था हमारा बस एक साथ जीना ही तो चाहा था हम ने , उसकी राख से ही लिपट गया मेरा अपने ज़ज़्बातो पर कोई काबू ना रहा मेरा कुछ तो तपिश बची थी उस राख मे मेरी जान थी वो मेरा सब कुछ थी मेरी दिल मेरी धड़कन क्यो ये सितम कर गयी मुझ पर पता नही कैसे मेरे घर वाले भी उधर आ पहुचे थे मेरे साथ राधा थी उसने रोते हुवे कहा प्लीज़ चुप हो जाओ काबू रखो अपने आप पर



पर कैसे कैसे संभालू मैं खुद को पापा से लिपट कर खूब रोया मैं उस गम के महॉल मे सबकी आँखे गीली हो गयी थी पापा बोले बस बेटा चुप होज़ा तेरा उसका साथ यही तक था बेटा ये दुनिया तुम लोगो की निस्चल भावना को नही समझ पाई मेरे बेटे सम्भालो खुद को वो तुम्हे छोड़ कर गयी है पर उसकी रूह हमेशा तुमसे जुड़ी रहेगी

लोग दिलासा देते रहे पर मैं घंटो तक उसकी राख के पास ही बैठा रहा सवाल करता रहा उस से कि क्यो उसे मेरा ऐतबार ना रहा क्या मेरे प्यार की डोर इतनी कच्ची थी पोलीस को पता था ही कि मैं रॉ एजेंट हूँ तो उनको आशंका थी कि मैं कही गुस्से मे कुछ ग़लत कदम ना उठा लूँ तो उन्होने भी उधर ही डेरा डाल दिया पर इस दीवाने की हालत कोई ना समझे



मम्मी बहुत देर तक मुझे समझाती रही पर मेरी आँखो से आँसू ना रुके मेरी सुबाकिया चलती रही आख़िर चुप होउ भी तो कैसे मेरी जिंदगी बर्बाद हो गयी थी रात हो चली थी जैसे तैसे करके घरवाले मुझे गाँव ले आए थे खबर आग की तरह फैल गयी थी घर पर भाभी को देखते ही मेरी रुलाई फिर से फुट पड़ी वो मेरे गले लग कर रोने लगी

मैने कहा भाभी वो गई मुझे छोड़कर , गयी हमेशा के लिए वो भाभी बोली मनीष प्लीज़ चुप हो जाओ देखो कैसे आँखे सूज गयी है तुम्हारी होसला रखो कैसे जियूंगा मैं उसके बिना भाभी कहीं से भी लाओ पर मुझे मेरी मिथ्लेश लाकर दो घर पर सभी का बुरा हाल हुवा था मेरी वजह से दीवानगी की ऐसी इबारत ना किसी ने देखी ना सोची पूरी रात रोते रोते ही कट गयी



अगले दिन राधा ने रॉ मे फोन करके सिचुयेशन को बता दिया तो शाम तक बॉस, कुछ ख़ास लोग और निशा भी उनके साथ घर पर आ गये थे आख़िर इतनी बड़ी ट्रेजडी जो हो गयी थी निशा को देखते ही मैं अपने आप पर काबू ना रख सका मैं घरवालो को भी समझ मे आया कि बेटा क्या है पर अब क्या करूँ हर कोई मेरे दुख मे शरीक था



बॉस ने कहा कि वो पोलीस से बात करते है और जो भी लोग है इसके पीछे सबको सज़ा होगी जिन्होने मेरे बच्चे की जिंदगी बिगाड़ दी है उनको बख्शा नही जाएगा मैनेकहा नही सर जीने दीजिए उनको वही कीड़ों वाली जिंदगी बस मुझे इतना हक़ दिला दी जिए कि मिता के जाने की रस्मे मैं करूँ वो मेरी दुल्हन तो ना बन सकी पर इतना हक दिला दीजिए बॉस बोले मेरे बच्चे उसकी रस्में तू ही करेगा



और मैं कहता हूँ तेरी मोहबत की कहानी घर घर गायी जाएगी ये तेरा प्यार अमर हो गया है 26 साल की नोकरि मे अच्छा बुरा सब कुछ देखा मैने पर तेरी कहानी जुदा है अलग है सबसे मैं सबको बताउन्गा की कैसी थी कहानी एक सोल्जर की ये लोग नही समझेंगे आज पर आने वाला जमाना तेरी गाथा गाये गा मेरे बच्चे पर तू होसला रख तुझे मिता के लिए जीना होगा उसकी यादे ही तेरा सहारा बनेंगी



अगले दिन बॉस चले गये राधा चली गयी आख़िर उसको भी तो जाना ही था पर निशा मेरा साया बन गयी थी मिता का भाई एक बॉक्स ले कर आया बोला ये दीदी का कुछ समान है कुछ यादें है आप रख लो बहुत देर तक उसके कपड़ो से लिपट कर रोता रहा मैं ये ऐसा दुख दे गयी थी वो मुझे कि बस अब जीना मुश्किल था मेरे लिए निशा को डर था कि कही मैं शूसाइड ना कर लूँ तो हर पल साए की तरह मेरे आगे पीछे डोलती रहती वो



15-20 दिन हो गये थे मिता को गये हुए और मैं वैसे का वैसा ही था घरवाले भी दुखी थे मेरी हालत से मम्मी ने बार बार माफी माँगी थी पर अब सब बेकार था वो तो चली ही गयी थी मैं तो टूट कर बिखर ही गया था निशा ने बहुत समझाया कि जिंदगी नही रुकती तुम इधर रहोगे तो बार बार रोवोगे दिल दुखेगा देल्ही चलो मैं कहाँ मान ने वाला था पर कुछ तो उसका भी क़र्ज़ था ही वो ले ही आई मुझे देल्ही पर मेरी हालत वैसी की वैसी थी



तो बॉस ने मुझे कुछ दिनो के लिए रिहेबिलेशन सेंटर मे भेज दिया जहाँ रोज मेरी कौउंसिलिंग होती समझाया जाता मुझे कभी कभी ऐसा लगता की मिता मेरे आस पास ही है उसकी रूह को महसूस करने लगा था मैं रोते रोते सो जाता मैं तो लगता कि उसने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा हो बड़ी ही शिद्दत से उसकी मोजूदगी को मान ने लगा था मैं और सपनो मे तो ढेरो बाते करती ही रहती थी वो



करीब4 महीने उधर गुज़रे मैने गुज़रते समय के साथ हालत मे भी सुधार होने लगा था आख़िर मैने डॉक्टर को कह ही दिया कि मैं वापिस जाना चाहता हूँ उन्होने बॉस को रिपोर्ट दी और फिर कुछ और कौंसिलिंग के बाद मैं घर आ गया पर अब एक उदासी सी मुझे घेरे रहती थी घर वाले आ जाते थे मिलने को मम्मी तो 15- 15 दिन रुक जाती थी अब उन्हे कोई दिक्कत नही होती थी कि निशा भी मेरे साथ ही तो थी बल्कि वो खूब बाते भी किया करती थी निशा के साथ

घर मे एक बड़ी सी तस्वीर लगा दी थी मिता की जिस पर निशा रोज ही दिया जलाया करती थी मैं भी निशा के आगे नॉर्मल ही बने रहने की कोशिश करते रहता था क्योंकि वो मुझे देख कर खुद भी दुखी होती रहती थी ऑफीस भी जाना शुरू कर दिया था पर अब मैं डेस्क जॉब ही करता था बेशक वो चली गयी थी पर मुझ मे कही ना कही जिंदा थी वो दिल आज भी बस मिथ्लेश के लिए ही धड़कता था



पता नही क्यो अब दिल नही लगता था कही पर भी अप्लिकेशन लिख दी कि मुझे वापिस आर्मी मे भेज दिया जाए पर हर बार रिजेक्ट कर दी गयी बॉस ने हर बार कहा कि चाहे काम मत करो ऑफीस मत आओ पर रिटाइर होने तक रहोगे रॉ मे ही रॉ अधूरा है तुम्हारे बिना तो बस थक हार कर अपनी डेस्क जॉब कर रहा था पर अंदर अंदर टूट रहा था मैं

निशा मेरी हालत को अच्छे से समझती थी उस से तो कुछ छुपा हुआ ही नही था अक्सर छुप कर रोती थी वो मेरी हालत पे मैं उसके आगे कितना ही नॉर्मल रहूं पर वो मेरे दिल की बात समझती थी आख़िर मिता के बाद वो ही तो मेरे सबसे करीब थी अपने हाथो से रोटी खिलाती थी मुझे वो बिना किसी स्वार्थ के कोई अपना बच्चा था तो बस वो ही थी मेरे लिए

उस रात मुझे नींद नही आ रही थी तो मैने ऐसे ही फ़ेसबुक खोल लिया तो देखा कि एक आनरीड मेसेज पड़ा है खोल कर देखा तो मिता का मेसेज था डेथ वाले दिन का ही, मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा उसका आख़िरी संदेश था ये मैने पढ़ना शुरू किया


लिखा था मनीष,


तुम्हारे जाने के बाद से बहुत डर लग रहा है मुझे पापा ने कमरे मे बंद कर दिया है घर पर कोई भी ठीक से बात नही करता है बस मम्मी थोड़ा बहुत बोल लेती है ज़िंदगी पता नही कैसी हो गयी है, हर पल डर सा लगा रहता है मुझे अपने ही घर मे अजनाबियो जैसी हालत है मेरी हर पल बस तुम्हे याद करती हूँ मुझे पता है कि तुम जल्दी ही आओगे मनीष पर कही ना कही मैं कमजोर पड़ती जा रही हूँ मुझे पता है कि तुम मुझे लेने आने ही वाले हो पर मैं ये सोच कर ही डर जाती हूँ कि जब तुम आओगे तो क्या होगा डर लगता है कि ये लोग कही तुम्हारे साथ कुछ कर ना दे अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं कैसे रह पाउन्गी किसी और के साथ आज मैने सुना कि पिताजी बात कर रहे थे कि कल मुझे देखने कोई आ रहा है पर मैं तो तुम्हारी पत्नी हूँ हमेशा से थी तो फिर कोई और क्यो आएगा मैं तो तुम्हारी अमानत हूँ ना तो फिर किसी और की कैसे हो जाउ मैं, मनीष कितने अच्छे पल थे वो जब हम पहली बार मिले थे मेले मे वो मेरी चुन्नी उड़ कर तुम्हारे उपर जा गिरी थी वो जब पहली बार तुमने मुझे अपनी नज़रो से देखा था साची कहूँ उसी दो पल की मुलाकात मे अपना दिल हार गयी थी मैं तो कितने दिनो तक रात को नींद ही नही आती थी पर फिर तुम कॉलेज मे मिले तो फिर बहाने ढूँढती तुमसे बाते करने को पता नही चला कब हम अच्छे दोस्त बन गये और फिर कब दोस्ती प्यार मे बदल गयी जुदाई भी आई और हमारे दिल बस एक दूजे के लिए ही धड़कते रहे मेरा हर लम्हा बस तुम्हारे ख़यालो मे ही रहा सबसे छुपा कर कितने सोमवार के व्रत करती थी हर पल तुम्हे ही पति के रूप मे माँगा पर देखो ना आज समय किस मोड़ पर ले आया है मेरी तो दो ही इच्छा थी कि इस घर से डॉली उठे और दुल्हन मैं तुम्हारी बनूँ पर देखो रब ने अपना साथ लिखा ही नही है मनीष मैं नही चाहती कि तुम्हारी मिता को कोई और देखे अब तुम ही बताओ मैं क्या करू भाग कर ब्याह कर नही सकती मैं भी असली राजपूतनी हूँ और पिताजी तुम्हारे साथ करेंगे नही तो ऐसा रास्ता सोच लिया है कि जिस से अपने प्यार की लाज़ रह जाएगी और पिताजीकी इज़्ज़त भी मुझे पता है जब तुम ये मेसेज पढ़ोगे मैं कही दूर जा चुकी होंगी पर मेरी रूह हमेशा तुम्हारे साथ ही रहेगी मैं हमेशा ज़िंदा रहूंगी तुम्हारी धड़कन बन कर मनीष सल्फास खा ली है मैने बस थोड़ी देर की बात है फिर मैं इस बोझ से आज़ाद हो जाउन्गी और हाँ मेरे पीछे से रोना नही नही तो मेरी रूह को बड़ी तकलीफ़ होगी क्या हुआ जो इस जनम मे नही मिल पाएँगे फिर कभी ना कभी तो ज़रूर मिलेंगे शायद मेरे प्यार मे कोई कमी थी जो अपना मिलन ना हो सका पर मनीष मैं मरकर भी तेरे साथ ही रहूंगी सदा मुस्कुराते रहना क्योंकि तुम रोते हुए अच्छे नही लगोगे तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी

मिता



उसका ये आख़िरी खत पढ़कर पता नही कैसा लगा मुझे जिंदगी भर का गम भी दे गयी और वादा भी ले गयी कि रोना नही मेरी मिथ्लेश काश वे लोग तुम्हे समझ पाते, समझ पाते अपने प्यार की पवित्रता को पर अब कुछ नही बचा था मैने वो मेसेज लॅपटॉप मे सेव किया और घर से बाहर आकर पार्क की बेंच पर आकर बैठ गया आँखो से दो बूँद टपक कर नीचे गिर गयी



तो मैने आखे बंद कर ली तभी मुझे सुनाई दी एक आवाज़ जिसे मैं शोर मे भी पहचान सकता था मैने आँखे खोली तो देख कि मिता मेरे पास बैठी है वो बोली रोते क्यो हो मैने कहा मिता तू वापिस आ गयी है वो बोली मैं गयी ही नही भला मैं अपने मनीष से दूर जा सकती हूँ क्या भला मेरे आँसू पोछते हुए बोली कितनी बार मना किया है तुमको कि रोया ना करो मैने कहा नही रोउंगा पर तुम मुझे छोड़ कर कहाँ चली गयी थी पता है कितना परेशान हूँ मैं तुम्हारे बिना



वो बोली मैं तो तुम्हारे दिल मे ही हूँ और जब ही तुम परेशन होगे मैं आ जवँगी तुम्हारी परेशानी बाटने को आख़िर मैं तुम मे ही तो समाई हुई हूँ मैने कहा बस अब तुम मुझसे दूर नही जाओगी हर पल मेरे साथ ही रहना वो बोली मैं साथ ही तो हूँ तुम्हारे हर पल आख़िर मैं जुदा भी कैसे होऊँ तुमसे प्रीत की पक्की वाली वाली डोर जो बँधी है मैने कहा फिर क्यो चली गयी मुझे तन्हा छोड़ कर



जानती हो कैसे रहता हूँ मैं कैसे जीता हूँ वो बोली मनीष मैं हर पल तुम मे ही हूँ हर पल और जब भी उदासी के बादल तुम्हे घेरेंगे मैं मुस्कान बन कर आउन्गि और हाँ अब जिंदगी मे आगे बढ़ो फिर तुम अकेले कहाँ हो मैं निशा को छोड़कर तो गयी हूँ तुम्हारे पास मेरी छाया के रूप मे बड़ा प्यार करती है तुमसे वो मैने कहा ये क्या कह रही हो तो वो बोली तुमने कभी समझा ही नही उसे पर वो बड़ा चाहती है तुम्हे मेरी गुज़ारिश मानो और उस से शादी कर लो तुम उसे पूरी करदो मैने कहा पर मिता तुम जानती हो मेरा प्यार तुम्हारे लिए है मिता बोली हाँ पर तुम्हे जिंदगी मे आगे भी बढ़ना होगा और उसके लिए साथी चाहिएगा और निशा से बढ़कर कॉन समझता है तुमको और फिर मैने कहा ना कि वो मेरी ही परछाइ है क्या तुम मेरे लिए इतना भी नही करोगे मैने कहा पर मिता तुम सब जानती हो तभी मेरे फोन की घंटी बजी तो मेरा ध्यान उधर गया मैने उसे साइलेंट किया और मिता की तरफ देखा तो उधर कोई नही था



पर मुझे पक्का यकीन था कि वो आई थी मेरे पास मैं उसको पुकारने लगा पर अब वहाँ कोई नही था मेरी पुकार सुन ने वाला दिन गुज़रते गये जब भी उदास होता तो मिता चली आती मुुझसे बाते करने को और बार बार कहती कि शादी कर्लो तो एक दिन ऐसे ही मैने कहा निशा से कि तुम शादी क्यो नही कर लेती तो वो बोली मुझसे कॉन शादी करेगा ना रंग ना रूप इस जनम मे तो होने से रही और तुम भी बार बार ये सवाल क्यो पूछते हो



मैने कहा आज के बाद नही पूछूँगा काफ़ी दिन हो गये है कही बाहर नही गये है तो तैयार हो जाओ कहीं चलते है वो बोली आज कैसे मूड हो गया तुम्हारा मैने कहा बस ऐसे ही घर मे अच्छा नही लग रहा मैने कहा कोई साड़ी ही पहन ना उसमे सुंदर लगती हो तुम फिर उसे लेकर मैं झन्डेवालान, के माता दुर्गा के मंदिर मे आ गया वो बोली इधर क्यों ले आए हो मुझे मैने कहा चलो तो सही मैने पुजारी से कहा कि पुजारी जी हम शादी कर रहे है कर्वाओ

निशा शॉक्ड हो गयी ये सुनकर वो बोली मनीष मज़ाक ना करो मारूँगी बहुत मैने कहा सच मे कर रहे है आख़िर तू कब तक अपने दिल मे छुपे प्यार को दबाए रखेगी मेरी जिंदगी खराब हुई तो क्या तू भी अपनी जिंदगी खराब कर लेगी आख़िर तुझे भी हक़ है खुशियाँ पाने का निशा एमोशनल हो गई और मेरे सीने से लग गयी मैने कहा पंडित जी कर्वाओ ना शादी क्यो देर करते हो तो दोस्तो निशा की खुशियो के लिए मैने उस से शादी कर ली



बस ये थी अपनी कहानी, बाकी दिल तो आज भी बस मिता के लिए ही धड़कता है निशा भी ये बात जानती है तो बस जी रही है अपनी अपनी उलझनों को सुलझाने की क़ोस्शिस मे और भी कई छोटी-मोटी बाते थी पर लगता है कि उनका जिकर करना बेमानी ही होगा

एक तुम थी और एक मैं हूँ. तुम तो चली गयी हो इस जहाँ के पार पर मैं रह गया इधर तन्हा अकेला जानती हो मैं कितना तन्हा सा महसूस करता हूँ दिल नही लगता है कही भी वो छोटे छोटे लम्हे जो तेरे पहलू मे बिताए थे जब तेरे आँचल की छाँव मे सो जाया करता था जब तुम अपने हाथों से खाना खिलाती थी जब तुम्हारी बाहों मे मुझे पनाह मिला करती थी वो पल जब मैं अपनी सारी टेन्षन भूल कर सुकून महसूस करता था



अब मैं बैठा हूँ अकेला अपने कमरे मे थोड़ी देर पहले ही भाभी खाने की थाली रख कर गयी है पर पता नही क्यो आजकल भूख नही लगती है मैं कहूँ भी तो क्या तुमसे वैसे तोसोचा था कि इस बार जब आउन्गा तो ढेरो बाते करूँगा तुमसे अपने छोटू को गोदी मे उठा कर खिलाउन्गा पर ये ज़िंदगी भी , तुम्हे तो सब पता ही है मैं बस अब इन खाली दीवारों को देखता रहता हूँ तुम्हारी याद आती है



कभी सोचा ही नही था कि तकदीर ऐसा खेल खेलेगी मेरे साथ पहले मिता चली गयी और फिर तुम , तुम दोनो ही मेरे लिए सबसे बढ़कर थी वो मेरा प्यार थी तुम मेरी दोस्त थी और फिर अब तो मैं जी ही रहा था बस तुम्हारे सहारे , एक बार किसी ने कहा था कि इतने घर उजड़े है तूने तुझे भी कभी सुख नही मिलेगा शायद ये उसी की बद्दुआ है पर तुम तो जानती ही हो कि मैं तो बस अपना काम करता हूँ और फिर ये भगवान तो सदा ही रूठा है मुझसे



तुम्हारी मुस्कुराती हुई जो तस्वीर लगी है हाल मे, जब जब निगाह उस पर पड़ती है तो लगता है कि जैसे अभी बोल पड़ोगी तुम मेरी जान बस एक लाश की तरह होकर रह गया हूँ मैं जिसमे अभी कुछ साँसे बाकी है बस मैं तड़प रहा हूँ अंदर ही अंदर खूब कोशिश करता हूँ अपने आँसुओ को रोकने की पर आख़िर मैं भी तो एक इंसान ही तो हूँ दिल साला आज भी धड़कता है



सबकुछ मिला ज़िंदगी मे पर सबसे प्यारी चीज़ो को तो खो दिया मैने लोग कहते है कि होसला रख, कैसे रखू मैं आख़िर अब वापिस तो नही आ जाओगी तुम दिल मान ने को तैयार ही नही है कि तुम भी मुझसे बहुत दूर चली गयी हो सोचा नही था कि ऐसा होगा मेरे साथ मिता के जाने का गम तो आज तक सता रहा है और अब तुम भी साथ छोड़कर चली गयी हो अब बताओ मैं क्या करूँ दिल मे जो भावनाओ का सैलाब है कैसे रोकू उसे , तुम ही बताओ



पूरी पूरी रात आँखो मे कट जाती है, आँखे सूज गयी है कल भाभी ने डाट-दपट कर थोड़ा सा खाना खिला दिया था पर वो भी जानती है कि क्या गुजर रही है मेरे अंदर जी तो पहले ही नही लगता था इस घर मे और अब ये मनहूसियत जैसे खाने लगी है मुझे बड़ा परेशान हूँ मैं कुछ दिन पहले दिल मे खुशी थी एक चलो मैं भी पापा बन जाउन्गा , हमारा भी एक छोटा सा बच्चा हो जाएगा



जब कभी घर आया करूँगा तो उसे अपनी गोदी मे झूलाया करूँगा अपने कंधे पर उसी तरह से बिठाया करूँगा जैसे कि मेरे पापा बचपन मे मुझे बिठाते थे सोचा करता था कि जब वो अपनी तॉतली आवाज़ मे हमे बुलाया करेगा तो दिल को वो खुशी मिलेगी जो बस माता-पिता ही समझ सकते है पर शायद उस बेरहम उपरवाले को मेरी खुशी मंजूर नही थी और वैसे भी हरदम बस मेरे मज़े ही तो लेते आया है वो



टेन्षन तो मुझे उसी टाइम थी जब तुम्हारे 5वे महीने मे डॉक्टर ने तुम्हे अड्मिट कर लिया था, हर पल मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता था पर मेरी ये मजबूरिया पाँवो मे जो देश के फर्ज़ की बेड़िया पड़ी है काट ही नही पाया उन्हे काम पर भी हर पल हर लम्हा तुम्हारा ही ख़याल मेरे दिल मे रहता पिछले 4 महीने डर डर के जिए मैने डेली डॉक्टर से तुम्हारी रिपोर्ट पूछी



पर तुम तो तुम ही थी बीमार होते हुए भी मुझसे झूठ बोल देती कि नही मैं तो ठीक हूँ, पर मैं जनता था कि किस तकलीफ़ के दौर से गुजर रही हो तुम और मैं इतना मजबूर कि टाइम पर आ भी ना सका क्या कहूँ जब बच्चे को मिट्टी देने गये तो पहली बार उसको देखा छोटा सा नाज़ुक सा लगा कि जैसे अभी कुवा कुवा करता हुवा बोल पड़ेगा उसको अपने सीने से लगा कर पता नही कितनी देर तक रोया मैं पर , रोने से ना वो वापिस आ सकता था ना तुम



एक साइड मे बच्चे को मिट्टी दी और फिर तुम्हे अग्नि लकड़ियो के ढेर पर लेटी हुई तुम उतनी ही मासूम लग रही थी पर मैं जानता था कि अब तुम भी मुझसे बहुत दूर चली गयी हो , तुम भी मुझे अकेला, तन्हा छोड़ गयी सोचा था कि तुम साथ रहोगी तो तुम्हारे साथ ये बाकी बची ज़िंदगी काट लूँगा पर भगवान को ये भी नही सुहाया पर मैं उस निरदयी से पूछता हूँ कि उस मासूम बच्चे का क्या कसूर था जिसे उसे पेट मे ही मार दिया
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#72
तुमने अच्छा नही किया जो मेरा साथ छोड़ कर चली गयी तुम अब मैं किसके सहरी जियु कॉन है मेरा अब यहाँ पर जो मुझे संभाल लेगा, रह गया हूँ मैं अकेला तुम्हारी बिना मुझे नही पता तुम जहाँ भी हो वापिस आ जाओ मुझसे ये दूरी बर्दाश्त नही होती मैं नही जी पाउन्गा तुम्हारे बिना ये घर मुझे काटने को है तुम्हारे बिना प्लीज़ वापिस आ जाओ देखो मैं परेशान हूँ मैं अकेला हूँ आओ भी जाओ आ भी जाओ ………………………

उस शाम जब मैने निशा से शादी कर ली थी हम दोनो मंदिर मे ही बैठे हुए थे, वो कोई खास शादी नही थी बस मैं उसे अपने से दूर नही जाने देना चाहता था उसको अपने साथ ही रखना चाहता था तो यही मुनासिब लगा मुझे अंदर ही अंदर वो भी ये बात जानती थी पर उसने भी मना नही किया बस हम दोनो थे और मंदिर का पुजारी ना कोई घोड़ी, ना कोई बॅंड-बजा पर हम दोनो जानते थे हमारी फीलिंग्स को

मेरी ज़िंदगी हर कदम पर मुझसे छल करती रही, और मैं सरे राह लूट ता रहा , ये जो ज़िंदगी है मेरी बड़ी ही कुत्ति है , हर सुबह मैं जब नींद से जागता हूँ तो डरते डरते आँखे खोलता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि हर सुबह मेरे लिए मुसीबतो का पैगाम लेकर आती है, पर ये तो चलता ही रहता है, मैने निशा को कुछ चूड़िया खरीद कर दी वो कोई ज़्यादा महनगी नही थी बस उधर ही मिल रही थी मंदिर के बाहर

और वो बस उनको ही देख कर खुश हो गयी थी, तो हमारे बीच जो एक चुप्पी सी छा गयी थी उसको तोड़ते हुए आख़िर उसने पूछा कि क्यो किया मैने ऐसा, मैने कहा अब ज़िंदगी गुजारनी है तो तुमसे बेहतर कॉन है जो मुझे समझता है निशा ने कहा झूठ क्यो बोलते हो आख़िर मैने सच कहा कि मैं इस हद तक खुद को अकेला महसूस करता हूँ कि मेरी ज़िंदगी मे उसके सिवा और कोई नही है मैं चाहता हूँ कि वो हर पल मेरे पास रहे

निशा बोली- तो तुम्हे इसके लिए शादी की क्या ज़रूरत थी तुम्हे अपना टाइम काटने के लिए किसी खिलोने की तरह ज़रूरत है मेरी मैं उसकी नरम उंगलियो को सहलाते हुए बोला क्या तुम्हे ऐसा लगता है तो वो बोली देखो-मनीष हम तुम अब बच्चे तो है नही , हर बात को बहुत अच्छे से समझते है और रही बात तुम्हारी तो मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ कि हर पल तुम्हारे दिल-ओ-दिमाग़ मे जो मिता की यादे रच-बस गयी है

तुम अब साथ होकर भी साथ नही होते हो मैं जानती हूँ की पिछला कुछ टाइम बहुत अच्छा नही था पर क्या तुम एक नयी शुरुआत कर पाओगे मैने कहा मैं नही जानता पर इतना ज़रूर जानता हूँ की जब भी मैं गिरने लगूंगा तुम्हारी बाहें मुझे संभाल लेंगी इसके सिवा और कुछ नही पता मुझे शाम ना जाने कब रात मे तब्दील होने लगी थी आहिस्ता आहिसता करके,मंदिर मे लोगो की भीड़ बढ़ने लगी थी मैने कहा आओ घर चलते है

कुछ दूर चले ही थे कि रेड लाइट के दूसरी तरफ देल्ही की मशहूर अगरवाल स्वीट्स निशा को वहाँ के गोलगप्पे बहुत पसंद थे इस से पहले कि वो मुझे कहती मैने खुद ही गाड़ी उधर पार्क कर दी वो मुस्कुराइ , उसकी आँखो मे एक अलग सी चमक देखी मैने उस दिन , उसको गोलगप्पे खाते देख कर मुझे बहुत अछा लग रहा था देल्ही की वो शाम जैसे मुझ से कुछ कह रही थी



जब हम घर आ रहे थे तो निशा बार बार खिड़की से बाहर की ओर देख कर छुप छुप कर मुस्कुरा रही थी मैं उस से कारण पूछना चाहता था पर फिर कुछ सोच कर पूछा नही, घर आए निशा चेंज करने चली गयी मैने घर पर फोन मिलाया रिंग जाती रही पर किसी ने पिक नही किया मैने घड़ी मे टाइम देखा रात के 9 बज रहे थे इस टाइम घर वाले कहाँ गये

दो-तीन बार ट्राइ किया पर किसी ने पिक नही किया तो फिर मैने भाभी के मोबाइल पर फोन किया भाभी मुझसे बात करके हमेशा की तरह खुश हो गयी मेरा हाल चल पूछा फिर कुछ फॉर्मल बातों के बाद मैने कहा भाभी मम्मी कहाँ है घर पर फोन किया था तो उठाया नही तो भाभी ने बताया कि ताइजी की तबीयत कुछ नसाज है तो सभी इधर ही है मैने पूछा क्या हुआ – तो पता चला कि कुछ प्रॉब्लम्स है शायद कल अड्मिट करवा दे

मैने कहा भाभी आपको कुछ बतानी थी- वो बोली हाँ कहो मैं सुन रही हो मैनी कहा भाभी मैने शादी कर ली है, अगले कुछ मिनिट तक भाभी की बस साँसे ही सुनाई देती रही फिर उन्होने धीमी सी आवाज़ मे कहा अच्छा किया , आख़िर तुम्हे भी तो गृहस्थी बसानी थी ही मैं खुश हूँ कि तुमने लाइफ मे आगे बढ़ने का सोचा पर अच्छा रहता कि अगर तुम सब घर वालो को बता देते

हम सब के भी कुछ अरमान थे, सोचा था कि तुम्हारी शादी मे जमकर धमाल मचाउन्गी पर मैं समझती हूँ तुम्हारे दिल की हालत को भी ठीक है बस अब जल्दी से देवरानी को लेकर घर आ जाओ वैसे किस से शादी की तुमने तो मैने निशा को बुलाया और कहा लो भाभी से बात करो फिर काफ़ी देर तक उनकी बाते चलती रही फिर मैने दुबारा भाभी से बात की और कहा कि भाभी घरवालो के बता देना तो वो बोली एक मिनिट रूको मैं काकी जी से बात करवाती हूँ


मैने कहा , भाभी मैं क्या बात करूँगा उनसे, और वैसे भी उन्हे इस बात से ज़रा भी खुशी नही होगी, आप ही बता देना उनको मैं अब फोन रखता हूँ तो भाभी बोली –रूको तो सही, देखो हर माँ के कुछ अरमान होते है और पिछले कुछ दिनो मे जिस दर्द से तुम गुज़रे हो वो हम सब ने भी महसूष किया है मेरी बात सुनो और तुम ही उन्हे बता दो

माँ-बेटे को अच्छे से समझती है मुझे विश्वास है कि तुम्हारी खुशी मे ही हम सब की खुशी है लो मैं फोन उन्हे दे रही हूँ बात करो, और फिर कुछ सेकेंड्स बाद मम्मी की आवाज़ मेरे कानो से टकराई, मैने नमस्ते किया और कहा कि मम्मी कुछ बताना था आपको, तो उन्होने कहा- बोलो,सुन रही हूँ मैं

मैं जानता था कि उस टाइम उनका दिल भी कुछ ज़ोर से धड़क रहा होगा शायद वो सोच रही होंगी कि अब क्या नयी बात खड़ी हो गयी

मैने एक गहरी सांस ली और फिर बस इतना ही कहा मम्मी मैने शादी कर ली है कुछ देर तक दूसरी तरफ खामोशी छाई रही और फिर मम्मी ठंडी सी आवाज़ मे बोली अच्छा किया , करनी ही थी पर अचानक क्यो बताना चाहिए था ना मैं कुछ नही बोला मम्मी ने कहा औलाद ना जाने कब बड़ी हो जाती है सच मे पता ही नही चलता, पर ठीक है तो घर कब आओगे

मैने कहा कुछ दिनो बाद आउन्गा, किस से शादी की है ये नही पुछोगी क्या तो वो बोली क्या फरक पड़ता है तुम्हे पसंद है जिसका भी हाथ पकड़ा होगा सोच-समझ कर ही पकड़ा होगा तुम्हारी लाइफ है जैसे जियो बस मेरा बेटा खुश रहे और मुझे कुछ नही चाहिए, उनकी उस ठंडी आवाज़ मे छिपे एक माँ के दर्द को महसूस कर लिया था मैने वो अपनी फीलिंग्स को छुपाने की कोशिश कर रही थी पर ये जो माँ बेटे का रिश्ता होता है ना

ये बड़ा ही गहरा होता है , मम्मी के अनकहे दर्द को मैने सॉफ पकड़ लिया था उन्होने अपना गला खंखारा और पूछा क्या नाम है हमारी बहू का मैने कहा आप जानते है उसे, मैने निशा को अपना हमसफ़र चुना है मम्मी तो वो बस इतना ही बोली ये ठीक किया तुमने अच्छी लड़की है और तुम्हे समझती भी है फिर मम्मी बोली जल्दी घर आना और फिर कुछ और बातों के बाद फोन कट कर दिया

मैने अपना सर निशा की गोद मे रख दिया और लेट सा गया सिर थोडा भारी भारी सा हो रहा था , वो मेरे बालो मे उंगलियाँ फिराते हुए बोली क्या बात है कुछ परेशानी है क्या मैं मुस्कुराया और कहा नही कुछ नही रात धीरे-धीरे जवान होने लगी थी कहने को तो वो हमारी सुहागरात होनी थी पर क्या ये शादी असल मायने मे शादी थी या फिर ये एक उपाय था कि निशा हमेशा मेरे साथ ही रहे

मैने निशा से कहा कि मुझे बस थोड़ा सा टाइम देना मैं कोशिश करूँगा एक बेहतर पति बन ने की तो निशा हँसते हुए बोली क्या सोचने लग जाते हो तुम तुम साथ हो मेरे यही बहुत है लाइफ का जो ये दौर है मैं इस को समझती हूँ और तुम भी ऐसा ना सोचो टाइम के साथ सब ठीक हो जाएगा रिलॅक्स रहो और मुझे गले से लगा लिया वो बोली काफ़ी टाइम हो गया है चलो अब सो जाओ

कल मुझे भी बॅंक जाना है और तुम्हे भी एजेन्सी जाना है, रात को अचानक ही मेरी आँख खुल गयी गला कुछ सूख सा रहा था मैं पानी पीने के लिए उठा पास ही मेरे निशा सोई पड़ी थी अपने सपनो की दुनिया मे मस्त, कितना सुकून था उसके चेहरे पर , सुख की नींद सोई पड़ी थी वो मैं सोचने लगा काश इसी बेफिक्री से मुझे भी नींद आती पर अब कहाँ मुमकिन था मैं रसोई मे गया

फ्रिड्ज से बॉटल निकाली और पानी पी ही रहा था कि एक हवा का झोंका जैसे मुझसे टकराया उस खुश्बू को मैं हज़ारो मे भी पहचान सकता था, ना जाने क्यो मैं मुस्कुरा पड़ा मेरी निगाह दरवाजे पर गयी तो देखा ….. कि मिता थी या कोई हवा का झोंका सा था क्या ये मेरा आभास था नही ये वो ही थी, वो मेरी ओर देख कर मुस्कुराइ


मैने कहा आ गयी तुम वो अपनी पॅल्को को घूमाते हुवे बोली मुझे तो आना ही था मैने कहा फिर गयी ही क्यो थी तुम तो वो बोली जाना पड़ा मेरी आँखे डब डबा आई वो मेरे पास आई और मेरी आँखो से आँसू पोछते हुवे बोली रोते हुए बिल्कुल अच्छे नही लगते हो तुम, मैने कहा जी नही पाउन्गा तुम्हारे बिना वो बोली मैं तो हर पल ही साथ हूँ तुम्हारे मैने कहा फिर ये दूरी क्यो, वो बोली-कहाँ है दूरी देखो कोई दूरी नही मैं बस एक फीकी मुस्कान बिखेर गया

वो बोली वैसे ये अच्छा किया तुमने जो शादी कर ली , मैने कहा जान कर जख़्मो को कुरेद रही हो मिता मेरे और पास सट गयी और बोली मनीष हमारा प्यार सदा बना रहेगा देखो अब तुम्हारे मेरे बीच कोई दीवार नही , कोई फासला नही मैं हर पल तुम्हारा ही तो साया हूँ जुड़ी हूँ मैं तुमसे मैने कहा हाँ मेरी रूह मे बस्ती हो तुम मैं कभी जुदा ना हो पाउन्गा तुमसे

मिता की साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी वो ही खुसबू मेरे अंतर मन को छू रही थी मेरी आँख से टपक कर आँसू बहने लगा मिता ने उसे अपनी जीभ से चाट लिया पूरा जिस्म जैसे अपने मुकाम को पा गया था मैं शांत सा हो गया था और फिर अगले ही पल कुछ नही था वहाँ पर फिर से चली गयी थी वो वहाँ से अब मुझे नींद कहाँ आनी थी कमरे मे आया एक नज़र निशा पर डाली और फिर मैं घर से बाहर आ गया



देल्ही, भी बड़ा ही अलग सा सहर है अपने आप मे खुद को समेटे हुवे है हर पल जवां रहता है , घड़ी पर नज़र डाली तो चार से कुछ उपर का टाइम हो रहा था वातावरण मे कुछ ठंड सी थी मैन रोड से मैने टॅक्सी ली और एजेन्सी मे आ गया इतनी सुबह सुबह मुझे देख कर किसी को भी आश्चर्य नही हुआ क्योंकि अपना काम तो 24 घंटे ही चलता रहता था

कुछ फाइल्स थी वो ही देखने लगा करीब साढ़े 7 बजे निशा का फोन आया तो मैने बताया कि मैं ऑफीस मे हूँ तो उसे भी तस्सल्ली हुई करने को कुछ ख़ास नही था वैसे भी जिसे फील्ड की आदत हो उसका इन कॅबिन्स की दीवारो मे कहा दिल लगा करता है बॉस आज मीटिंग मे बाहर थे तो दोपहर को मैं वाहा से निकल लिया घर आ कर बैठा ही था कि पापा का फोन आ गया .

पापा से बाते हुए वो चाहते थे कि मैं और निशा जल्दी ही घर आ जाए , काफ़ी दिनो से घर पर कुछ प्रोग्राम नही हुआ था तो वो चाहते थे कि कुछ किया जाए मैने कहा जी मैं जल्दी ही कोशिश करूँगा आने कि तो वो बोले आ ही जाना ज़िंदगी साली टुकड़ो मे बँट कर रह गयी थी आर्मी मे था तो सोचता था कि यार कहाँ गान्ड मरवाने को आ गये है पर इधर एक आज़ादी तो थी पर उस की कीमत भी बहुत ज़्यादा थी अब मैं सोचता था कि फौज ही बढ़िया थी


जितना मै उन दो-ढाई महीनो की छुट्टियो मे जी लेता था उतना अब कहा था मैने सोचा कि क्यो ना कुछ दिनो के लिए वापिस अपने कॅड्रर मे चला जाउ तो मैने अपने सीनियर से कहा कि सिर मुझे वापिस अपनी यूनिट मे भेज दीजिए और हमेशा की तरह ना मे ही जवाब मिला उस दिन करीब 26-27 घंटे से मैं हेडक्वॉर्टर मे ही पड़ा हुआ था शरीर थक रहा था पर काम बहुत ज़्यादा हो रहा था

भूख भी लग आई थी तो मैं पीएमओ की कॅंटीन चला गया वैसे तो उस टाइम वो बंद ही थी पर चूँकि हम लोग अक्सर उधर ही खाया करते थे तो कुछ ना कुछ मिल ही जाना था खाना खाकर वापिस अपनी डेस्क पर आया ही था की मैने देखा कि बॉस आ गये है, कपड़े भी घरवाले ही पहन रखे थे बाल बिखरे हुवे शायद नींद मे से जागते ही इधर आ पहुचे हो तुरंत ही एक मीटिंग बुलाई गयी

तो पता चला कि ड्र्डो का एक साइनटिस्ट लापता हो गया था एक टीम गयी थी उसको ढूँढने पर कामयाबी ना मिली थी इन्वेस्टिगेशन से बता चला था कि बुडापेस्ट गया था घूमने को और फिर उसकी कोई खबर नही थी बॉस ने बताया कि वो बंदा एक इंपॉर्टेंट प्रॉजेक्ट का हेड था तो उसका मिलना बहुत ज़रूरी है वरना मिनिस्ट्री को प्राब्लम फेस करना पड़ेगा

मैने कहा बस एक यही बाकी रह गया था , आब एजेन्सी का नाम बदल कर खोया-पाया विभाग कर दो बहन्चोद करे कोई भरे कोई तो बॉस बोले क्या करे यार डाइरेक्ट मिनिस्ट्री की अप्रोच है और मामला भी तो कॉन्फिडेन्षियल है तो देखना ही पड़ेगा मैने कहा सर सीबीआइ को ट्रान्स्फर करदो या आइबी को बोल दो वैसे ही बहुत काम है तो बॉस बोले सीबीआइ के बस की बात नही है आजतक उस से हुआ है कुछ

तुम एक टीम तैयार करो और चलो फिर बुडापेस्ट मैने कहा सर बात ये है कि मुझे तो वापिस ही करदो आप अपने बस की ना है ये फालतू के काम, लास्ट टाइम पाकिस्तान मे रेस्क़ुए किया था बहुति मुस्किल ही वापिस आया था गान्ड तक का ज़ोर लगा दिया था वो तो शूकर है कि काम बन गया था तो बॉस बोले, एजेंट , हमें सॅलरी इसी बात की मिलती है और याद रखो इस टाइम तुम देश की सबसे मस्त वाली जॉब कर रहे हो बीस मिनिट मे रिपोर्ट फाइल तुम्हे मिल जाएगी

टीम चूज करो और लग जाओ , अब कुछ कहने की गुंजाइश नही थी, रिपोर्ट देखने के बाद टीम बनानी थी हमारे कुछ एजेंट आक्टिव थे उधर पर मैने डिसाइड किया कि उनकी इनवोलव्मेंट ना करके कुछ नये बंदे लेते है , तो हम 6 लोगो ने एक छोटी सी टीम बनाई प्लान ये बनाया कि वो सब आज रात ही निकलेंगे और नेटवर्क सेटप करेंगे मैं दो दिन बाद उनसे जुड़ने वाला था पता नही क्यो जब भी मेरा कोई मिशन आक्टीवेट होता था मुझे निशा की चिंता सी होने लगती थी

मैने अपना बॅग लिया और घर की ओर चल दिया,रास्ते भर मैं मिशन की रूप-रेखा ही बनाता रहा दरवाजे पर निशा की मुस्कान ने मेरा स्वागत किया मेरा बॅग लेते हुए निशा बोली ज़्यादा काम था क्या मैने कहा हाँ यार, एक नया प्रॉजेक्ट मिला है तो कुछ दिनो के लिए बाहर जाना होगा वो मुझे पानी देते हुए बोली पर आज तो हम लोग गाँव जा रहे है, मैने कहा ऐसे कैसे जा रहे है, और फिर तुम्हे भी तो बॅंक जाना होता है

वो बोली, मैने 4-5 दिन की छुट्टी का जुगाड़ कर लिया है, तो मैं तुम्हारी वेट कर रही थी समान पॅक कर लिया है तुम्हारे कपड़े भीले लिए है तुम फटाफट से खाना खा लो फिर चलते है मैने कहा यार कम्से कम फोन करके बता तो देती , तो उसने कहा ज़रा अपना फोन चेक करो मैने देखा तो निशा के कयि नोटिफिकेशन थे मैने कहा यार तुम्हे तो पता ही है कि काम के टाइम पर फोन को पिक नही करता मैं वो बोली मैं समझ गयी थी

मैने सोचा दो दिन तो है ही ठीक है गाँव चलते है वैसे मैं चाहता था कि कम्से कम हफ्ते भर तो रुके ही पर अब निशा की इच्छा थी तो फिर सोचा चलते है तो उसी रात करीब 1 बजे के आस पास हम ने गाड़ी स्टार्ट की और निकल पड़े , मैं तो बुरी तरह से थका हुआ था पर फिर भी जागना मजबूरी था निशा ने कहा कि सो लो थोड़ी देर पर मैं भी कई दिनो बाद ही रात का सफ़र कर रहा था तो फिर जाने दिया घर का रास्ता थोड़ा लंबा सा था

मनेसर के पास हाइवे पर कुछ खाया पिया मैने दो चार बॉटल बियर ले ली कॅन निशा को देते हुवे बोला ले टिका ले दो चार घूँट तो वो बोली ना मैं ना लूँगी मुझे चढ़ गयी तो फिर कही घर पर हालत खराब ना हो जाए , मैने कहा अरे ले ना कुछ नही होगा तो फिर बियर की चुस्किया लेते हुवे हम सफ़र का आनंद लेते हुए घर पहुचने लगे , हल्की हल्की सुबह होने लगी थी पर लोग अभी जागे नही थे पूरी तरह से रोड सुना पड़ा था, गाड़ी मेरे सहर पहुच चुकी थी

निशा बोली,दिन मे आते तो मार्केट खुला होता तो कुछ ले ही लेते मैने कहा अब चल ना गाड़ी अब मेरे गाँव के रास्ते की ओर मूड गयी थी और मेरी आँखो के सामने मेरा बचपन फिर से आने लगा था इस रोड पर भी एक उमर गुजारी थी, कितनी बाते अक्सर यू ही याद आ जाया करती थी, निशा भी इन सब से अंजान नही थी, आइटीआइ के गेट के सामने एक शौचालय होता था जहाँ पर हर फिलम का पोस्टर लगा होता था मैं जानबूझपर उस पर ही सूसू कर दिया करता था

ना जाने क्यो निशा ने म्यूज़िक ऑफ कर दिया था जल्दी ही हम घर पहुचने वाले थे, वो बोली यार मैने जीन्स पहनी है गाड़ी रोक कर साड़ी डाल लूँ क्या मैने कहा साड़ी कैसे अड्जस्ट करोगी कोई सूट डाल लो वो बोली हाँ ठीक रहेगा , पर चेंज कैसे करूँ मैने कहा मुझ से कैसा शरमाना डार्लिंग, पिछली सीट पर जाके पहन ले मैं नही जाउन्गा बाहर और फिर मुझसे कैसा शरमाना तो वो बोली हाँ तुमसे कैसा शरमाना


निशा ने फटा फट चेंज किया तो फिर मैने गाड़ी फिर से स्टार्ट कर दी पर हर कुछ मीटर्स बाद मेरी धड़कने बढ़ती ही जा रही थी और फिर एक जगह ऐसी आई जहाँ मैने गाड़ी को रोक दिया और बाहर उतर गया , ये मिता के गाँव का अड्डा था लगता था जैसे आज भी वो आएगी और ऑटो का इंतज़ार करेगी, वो सब कुछ , वो सुनहरे दिन मेरी आँखो के सामने आ गये मैं अपने आप को रोक ना सका मैं दौड़ कर उस जगह गया जहाँ पर वो खड़ी होती थी वो पेड़ आज भी खड़ा था हमारी प्रेम कहानी के साक्षी के रूप मे

हमारी मोहब्बत भी तो कुछ ऐसी ही थी पर अफ़सोस कि अमे मुकम्मल जहाँ नसीब ना हो पाया, आँखो के सामने वो यादे थी जब वो कॉलेज ड्रेस पहने टेंपो का इंतज़ार किया करती थी पर दोस्तो तकदीर पर किसका ज़ोर चलता है मेरे जैसे आम इंसान का तो बिल्कुल नही काफ़ी देर हो गयी थी मुझे खड़े हुए वहाँ पर पर मैं कर भी तो कुछ नही सकता था दिल कह रहा था कि काश कही से वो दौड़ती हुई आए और मेरे गले लग जाए पर ऐसा कहाँ मुमकिन था

तो भारी मन से अपने कदमो को पीछे खीचा कार स्टार्ट की और बस अब सीधा घर ही जाकर रुकना था , गाँव जैसे ही करीब आया दिल मे एक हलचल सी मच गयी थी कुछ भी कहो आप लोग अपना घर तो अपना ही होता है मेरे जैसे ख़ानाबदोश लोग भटकते है इस गली से गली आज यहाँ कल कही ऑर पर जैसा भी था अपना भी एक घर था एक परिवार था निशा बोली घर फोन करदो मैने कहा अब पहुच ही तो गये है अब क्या फोन करना वैसे भी गाँव मे लोग जल्दी उठ ही जाते है

निशा ने प्यार से मेरे गाल को सहलाया और अब मैने गाड़ी अपने घर के रास्ते पर मोड़ दी बस कुछ मिनिट की दूरी थी और वो भी पार हो गयी, घर का दरवाजा बंद था मैने खड़काया कुछ देर बाद चाची ने खोला मुझे देखते ही उनके होटो पर एक गहरी मुस्कान आ गयी उन्होने मुझे गले से लगाया और बोली आ गये मैने कहाँ जी आ गया , तभी निशा भी आ गयी बॅग्स वग़ैरा लेकर चाची ने उसको भी गले से लगाया

हम अंदर जाने ही वाले थे कि चाची ने निशा को दरवाजे पर ही रोका और कहा कि दो मिनिट रूको हमारी बहू के रूप मे तुम पहली बार आ रही हो मैं अभी आती हूँ चाची दौड़ कर गयी और आरती की थाली ले आई उसके पीछे पीछे मम्मी भी आ गयी, उन्होने भी निशा को गले से लगाया कुछ फॉरमॅलिटीस पूरी हुई और फिर हम आए अंदर तो पता चला कि पापा बाहर घूमने गये थे चाची चाइ-नाश्ता बनाने लगी मैं हॉल मे चला गया

दीवार पर एक साइड मे मेरी दादी की तस्वीर रखी थी, मैने उसको प्रणाम किया और उसके पास मे ही थी एक बड़ी सी तस्वीर मिथ्लेश की उसका वो मुस्कुराता हुवा चेहरा अब बस तस्वीरो मे ही था, लगता था जैसे अभी के अभी बोल पड़ेगी ,क्यो चली गयी वो मुझे छोड़ कर क्यो थोड़ा सा इंतज़ार और ना हो सका था उस से,मैने जेब से रुमाल निकाला और उस तस्वीर को पोछने लगा हालाँकि वो ज़रा भी धूल भरी नही थी

तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, मैने देखा तो पापा थे मैने पैरो को हाथ लगाया और फिर उनके साथ आकर सोफे पर बैठ गया बाते होने लगी , चाइ भी आ गयी थी और प्यारी साक्षी भी आ गयी थी चाचू चाचू कहते हुए तभी मुझे याद आया कि उसके लिए तो कुछ लेकर आया ही नही तो बुरा सा लगा पूरा परिवार बाते कर रहा था कि तभी चाचा ने कुछ कहा

वो बोले, मनीष यार तूने अपने ही गाँव की लड़की से ब्याह कर लिया डर है कही गाँव का माहौल ना बिगड़ जाए भाई चारे वाले टाँग अड़ाएँगे मैने कहा चाचा आप टेन्षन ना लो मैं हॅंडल कर लूँगा और रही बात निशा के काका-ताऊ की तो उन सालो ने कभी संभाला ही नही इसे तो किस हक़ से वो टाँग अड़ाएँगे और वैसे भी किसी ऐरे गैरे की पत्नी ना है वो अब कोई बोल के तो देखे तो वो बोले हाँ वो तो है पर गाँव का मामला है मैने कहा आप चिंता ना करो

अब यार इस चक्कर मे ना जाने कितनी प्रेम कहानिया बस कहानिया बन कर ही रह गयी थी मैं तो खुद भुगत चुका था इस बात को पर अब निशा मेरी थी बातों बातों मे दोपहर हो गयी थी मम्मी बोली तुम लोग आराम करो शाम को मिलते है मैने कहा नही मैं और निशा मंदिर जा रहे है तो वो बोली ठीक है पर जल्दी ही आ जाना

मैने कहा जी जल्दी ही आ जाएँगे मैने निशा से कहा कि चलें तो वो बोली मैं बस दस मिनिट मे आती हूँ, मैने चाची को कहा कि अपनी फेव. मटर-पनीर की सब्ज़ी बना दो आते ही खाना खाएँगे घर के पिछली हिस्से मे बाइक खड़ी थी कपड़ा हटाया तो देखा कि बिल्कुल सॉफ सुथरी थी जबकि लगता था कि जैसे मुद्दते ही बीत गयी थी उसको चलाए हुवे पापा बोले तुम्हारी मम्मी डेली ही इसको सफाई करती है तो मैं मुस्कुरा गया

फिर मैं और निशा उड़ चले काफ़ी दिनो बाद बाइक चला रहा था इस गाड़ी से भी कुछ यादे तो जुड़ी ही थी मैं और मिथ्लेश बहुत घूमे थे इस पर, मंदिर पहुच कर सबसे पहले देवता के दर्शन किए, गाँव पहले से बहुत ज़्यादा बदल गया था लोग भी बदल गये थे जो खाली ज़मीन पड़ी थी उधर अब एक बड़ा सा पार्क बना दिया गया था जो बगीची हुवा करती थी उस के पास से एक रोड बना दिया गया था तो वो भी बस नाम की बची थी

निशा बोली सबकुछ बदल गया हैना मैने कहा हाँ यार चल तालाब पर चलते है तालाब का भी कुछ काम करवाया गया था सीढ़िया बना दी गयी थी, पर मैं और निशा कच्चे किनारे की तरफ बढ़ गये पानी मे कमल के फूल खिले थे एक साइड मे सच ही तो था वक़्त अपनी गति से भाग रहा था लोग आगे को बढ़ गये थे अपनी अपनी मंज़िलो की ओर पर इस मुसाफिर का सफ़र अभी भी जारी थी शायद इसलिए भी क्योंकि मैं खुद अपने आप को वक़्त के अनुसार ढाल नही पाया था

निशा मेरे हाथ को सहलाते हुए बोली, क्या सोचने लगे मैने कहा यार अपना गाँव तो बिल्कुल ही सहर बन गया है अब वो बात कहाँ रही वो बोली हम भी तो कहाँ रहे पहले जैसे मैने कहा क्या तुम अपने घरवालो से मिलने जाओगी वो बोली उनसे मिलने का मूड तो नही है पर अपने घर मे ज़रूर थोड़ा टाइम गुज़ारुँगी मैने कहा चलो फिर वो बोली आज नही कल गाँव मे अपने बस दो तीन ही ठिकाने होते थे जहा बचपन मे उठ बैठ जाया करते थे

एक मंदिर, एक जंगल मे होता था नहर की पुलिया पर दोस्त तो कभी बने ही नही थे आवारापन मे ही कटी जिंदगी अपनी कुछ समझता उस से पहले आर्मी मे हो गये और फिर धक्के खाने शुरू हुवे ज़िंदगी के करीब घंटा भर उधर रहने के बाद हम घर आ गये खाना वाना खाया निशा थकि सी थी तो वो सोने चली गयी थी सब अपना अपना काम कर रहे थे मैं अनिता भाभी के पास चला गया वो घर के बाहर चबूतरे पर कपड़े धो रही थी

मैने कहा आओ भाभी कुछ बाते करते है, तो वो बोली हम बस कुछ कपड़े पड़े है ये धो लूँ फिर फ्री ही हूँ तो मैं वही पेड़ की नीचे बैठ गया भाभी से भी एक अजीब सा ही रिश्ता था जो सिर्फ़ वो या मैं ही समझते थे हालांकीी हमारे रिश्ते मे सेक्स भी था पर कोई लालच नही था, ये भी एक फीलिंग थी जो आसानी से नही समझ सकते एक ऐसा रिश्ता जो ग़लत होकर भी अपनी जगह सही था

फिर हम लोग उपर भाभी के कमरे मे आ गये, मैं भाभी के बेड पर लेट गया वो मेरे पास बैठ गयी बातों का सिलसिला शुरू हुआ वो बोली कमजोर हो गये हो काफ़ी मैने कहा भाभी बस जी रहा हूँ तो वो बोली कब तक ऐसा चलेगा अब निशा भी है तो तुम्हे आगे तो बढ़ना ही पड़ेगा, जो लोग चले जाते है उनकी कमी तो कभी पूरी नही हो सकती है पर हमे भी तो कई चीज़ो को देखना पड़ता है आख़िर इस तरह दुखी होने से क्या मिता की आत्मा खुश होगी

भाभी ने किवाड़ को हल्का सा बंद किया और आकर मेरे पास लेट गयी उनके जिस्म से उठती हुवी मादक खुसबू मेरी साँसों मे जैसे समाती चली गयी भाभी थोड़ा सा और मुझसे सट गयी और बोली अब तुम निशा के साथ हँसी खुशी रहो उसको भी प्यार दो थोड़े दिन मे तुम्हारे बच्चे हो जाएँगे फिर तुम भी परिवार मे रम जाओगे धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा मैने कहा भाभी मैं कोशिश कर रहा हूँ मैने अपना हाथ भाभी के गोरे पेट पर रख दिया और उसको सहलाने लगा

तो भाभी बोली, अब तुम्हे मेरी ज़रूरत नही है नयी दुल्हन के पास जाओ मैने भाभी को अपने पास समेट लिया और कहा भाभी वो अपनी जगह आप अपनी जगह उसके आने से हमारी फीलिंग्स थोड़ी ना बदल जाएँगी, और मैने अपने होठ भाभी के होंठो पर रख दिए काफ़ी टाइम बाद मैने किसी औरत को इस तरह से छुआ था उनके नरम लबों का अहसास मेरी आत्मा मे घुलता सा चला गया

भाभी ने भी मना नही किया करीब 10 मिनिट तक हम लोग एक दूजे को चूमते ही रहे मैं अपना हाथ भाभी के घाघरे के अंदर ले गया और उनकी मखमली जाँघो को सहलाने लगा तो वो बोली अभी रूको दिन का टाइम है कोई आ निकलेगा अभी रहने देते है मैने कहा जी जैसा आप कहे फिर मैं कुछ देर के लिए वही पर ही सो गया करीब 5 बजे मुझे भाभी ने जगाया वो चाइ का प्याला लिए खड़ी थी
चाइ पी कर मे घर आया
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#73
निशा भी जाग गयी थी, और रसोई मे कुछ कर रही थी, मैं सोफे पर जाकर बैठ गया तो चाची बोली एक बात कहनी थी मैने कहा हाँ कहो ना तो वो बोली कि हम लोग चाहते है कि बहू अब इधर ही रहे मैने कहा हाँ कुछ दिन तो रहेगी इधर ही वो तो चाची बोली मैं चाहती हूँ कि निशा इधर ही रहे मतलब कि अब हम चाहते है कि वो इस घर को संभाल ले , मैने कहा सॉफ सॉफ कहो ना क्या कहना चाहती हो तो

मम्मी रसोई से ही बोली कि तुम कुछ जुगाड़ करवा के इसकी बदली अपने शहर मे ही करवा दो तो सुबह ड्यूटी जाएगी शाम को घर आ जाएगी अब घर बार ये संभाले मैं फ्री होना चाहती हूँ मैने कहा मम्मी निशा से तो जान लो तो मम्मी बोली उस से क्या पूछना आख़िर हमारा भी तो कुछ हक़ है उस पर मैने कहा हाँ पर थोडा टाइम तो लगेगा ही मैं देखूँगा अगर बदली हो सकी तो देख लेंगे निशा रसोई के दरवाजे पर खड़ी मेरी ओर देख कर मुस्कुराइ

रात को रवि और चाचा भी आ गये थे काम पर से तो वो बोले आज फोजी आया है उपर से ब्याह भी रचा लाया हमारे सारे अरमानो पर पानी फेर दिया इसने मैने कहा अब मैं क्या का सकता हूँ सब लेख है तकदीरो के ऐसा ही लिखता तो ऐसा ही सही तो रवि बोला चल कोई ना यार अब तू आ गया है चल आज पार्टी करते है वैसे भी काफ़ी दिनो से गला तर नही किया है मैने कहा यार आप लोग एंजाय करो मेरा मूड नही है तो चाचा बोले ठीक है पर बैठ तो जा काफ़ी बाते करनी है तुझसे

अब तू बड़ा आदमी हो गया है तेरी अलग दुनिया है अब हम गाँव के लोगो से तेरा क्या वास्ता वो लगे मुझे जली-कटी सुनाने मैने कहा अब आप फिर से शुरू ना हो जाओ उधर भी मैं घर पर नही रहता बस इधर से उधर होता रहता हूँ, मैं जो जिंदगी जीता हूँ उस से तो आप बेस्ट हो हर शाम आकर परिवार के पास होते हो और मैं भटकता हूँ इधर से उधर दो पल चैन की सांस मिलती ही नही मुझे तो

अब आप रहने दो , दो दिन के लिए आया हूँ आराम से रहने दो भूख भी लगी है मैं नीचे जा रहा हूँ आप भी जल्दी ही आ जाना फिर खाना खाते है, मैं नीचे आया और खाना माँगने लगा तो भाभी बोली तुम अपने कमरे मे जाओ वही खाना लेकर आती हूँ मैं अपने कमरे आया तो देखा कि पूरे कमरे मे मोमबतियो की रोशनी बिखरी पड़ी थी हल्की हल्की सी खुश्बू थी शायद सेंट छिड़का गया था

कुछ देर बाद भाबी और निशा खाना लेकर उधर आई और भाभी बोली मैने सोचा कि क्यो ना तुम लोग आज का डिन्नर साथ ही करो तो मैं इतना ही इंतज़ाम कर पाई मैने कहा भाभी इसकी क्या ज़रूरत थी तो वो हँसते हुवे बोली मेरा प्यारा देवर दुल्हन लेकर आया तो कुछ तो स्पेशल होना चाहिए ना भाभी की बात सुनकर निशा बुरी तरह से शरमा गयी और वहाँ से जाने ही लगी थी कि भाभी ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली तुम कहाँ चली प्यारी देवरानी जी

बैठो अपने सैया जी पास मैं जाती हूँ कुछ चाहिए तो आवाज़ लगा देना भाभी चली गयी और हम दोनो वही खड़े रहे दरवाजे के पास,ना जाने मुझे उस लम्हे मे क्या हुआ मैने निशा की कमर मे हाथ डाला और उसे अपने सीने से लगा लिया वो मेरी बाहों मे आते हुवे बोली छोड़ो ना क्या कर रहे हो कोई आ जाएगा मैने कहा आने दो मैं उसकी कमर को सहलाने लगा आज से पहले मैने कभी उसके साथ ऐसा कुछ नही किया था तो वो बोली खाना ठंडा हो रहा है

फिर हम डिन्नर टेबल पर आ गये थे, वो मेरे लिए बहुत ही सुखद पल थे, लगा कि ये लम्हा बस इसी पल रुक जाए हमेशा के लिए खाने के बाद मैं नीचे आकर बाते कर रहा था ऐसे ही रात काफ़ी हो गयी थी फिर सब एक एक करके खिसक लिए बचे मैं और निशा रसोई मे वो पानी का जग भर रही थी मैने फ्रिड्ज खोला तो देखा कि आइस्क्रीम पड़ी थी मैने वो बॉक्स बाहर निकाल लिया तभी मुझे शरारत सूझी


मैने निशा को खीच कर दीवार की साइड पर लगा दिया उसकी साँसे मेरी सांसो से टकराने लगी हम दोनो इस तरह एक दूसरे के पास थे की बीच मे एक इंच की दूरी भी ना थी अपनी तेज होती सांसो को समेट ते हुवे वो काँपति हुवी आवाज़ मे बोली ये. क्या कर कर रहे हो छोड़ो ना मुझे तो मैने कहा बस दो मिनिट रूको मैने थोड़ी सी आइस क्रीम उसको होटो से लगा दी निशा मेरी बाहों मे कसमसाने लगी थी

और अगले ही पल मेरे होठ उसके होटो से टकरा गये थे हम दोनो के लिए ही ये बहुत कीमती मोमेंट था लाइफ का उसके होठ थोड़ा सा खुल गये और उसने अपनी बाहों मे मुझे जाकड़ लिए ये हमारा पहला चुंबन था जिसने प्रेम का बीज बो दिया था, कुछ याद नही कितनी देर तक हम किस करते रहे फिर एक आहट से हम दोनो अलग हुए चाची थी जो किसी काम से रसोई मे आ रही थी वो हमे देख कर बोली सोए नही अभी तक तुम लोग मैने कहा जी बस जा ही रहे थे

सीढ़ियो पर निशा मुझे चुटकी काट ते हुवे बोली क्या करते हो तुम मरवाओगे क्या चाची देख लेती तो सोचती बेटे बहू बेशरम है मैं मन ही मन हंसा और सोचा कि तुम्हे कैसे बताऊ कि चाची खुद कितनी बेशरम है कमरे मे आ गये मैने दरवाजा बंद कर लिया वो बोली मुझे चेंज करना है मैने कहा करो ना किसने रोका है वो बोली बल्ब बंद करो थोड़ी देर मैने कहा ना ऐसे ही कर्लो ना

वो बोली मानो ना करो लाइट बंद मैने कहा ना आज ऐसे करो चेंज मुझसे कैसा परदा तो वो बोली ठीक है मैने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा और खेचने लगा वो बोली पता नही क्यो मुझे थोड़ी शरम सी आ रही है मैं कहा वो क्यो भला अपने बीच तो कुछ भी नही छुपा तो वो बोली वो तो है पर ऐसा कभी किया भी नही ना मैने कहा तो फिर अब क्या वो बोली जो नही किया करते है और क्या मैने उसको अपनी बाहों मे घर लिया ऐसी फीलिंग आज से पहले तो कभी नही आई थी ये कुछ लम्हे थे जिनके बारे मे मैं जानबूझ कर यहाँ नही लिख रहा हूँ बस इतना कहता हूँ वो रात एक नयी कहानी की शुरुआत करने को आई थी

सुबह होने मे थोड़ी देर थी, पर मेरी आँख खुल गयी थी वैसे सोया तो मैं था ही नही बस यू समझ लो कुछ देर के लिए पलके झपकाई हो जैसे, अपने कपड़े पहन कर मैं बाहर आया मोहल्ला पूरी तरह से सन्नाटे मे डूबा हुवा था गला कुछ सूख सा रहा था तो एक पेग ही बना लिया चुस्किया लेते हुए मैं बस आस पास के घरो को ही देख रहा था कुछ के बाहर बल्ब जल रहा था कुछ अंधेरे मे डूबे थे, दारू की घूँट जैसे मेरे गले को चीर ही डालने वाली थी

तभी ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मुझे अपने आगोश मे भर लिया और वो खुसबुदार साँसे मेरे कानो के पास जो टकराई तो पता नही क्यो मैं बस मुस्कुरा ही पड़ा एक बार फिर से चली आई थी वो मेरे लिए आज तो बड़ी जल्दी उठ गये पूछा उसने मैने कहा सोया ही कब था मैं मेरी नींद तो तुम ले गयी हो तो वो खिल खिलाते हुवे हँसने लगी और वही मुन्डेर पर बैठ गयी

फिर वो बोली कितने दफे समझाया तुम्हे मैं हर पल तुम्हारे पास ही तो हूँ ये जो तुम्हारे सीने मे जो दिल धड़क रहा है उसमे ही तो बस्ती हूँ मैं अब तुम्ही बताओ भला अपनी धड़कन को कोई जुदा कर पाया है भला मैने कहा इन बातों से मत बहलाओ मुझे तो मुझे अपने पास बैठा ते हुवे बोली वो कि फिर तुम ही बता दो कैसे खुश करू तुमको मैने कहा मुझे भी ले चलो अपने पास

बड़ी ही मासूमियत से बोली वो कहाँ ले जाउ हर पल तो मेरे साथ ही हो तुम , मैने कहा तो फिर क्यो नही हो मेरे साथ तुम मेरी बाहें तरस रही है तुम्हे अपन आगोश मे लेने को , क्या गुनाह किया मैने जो ये सितम सहना पड़ा मुझे बस एक छोटा सा सपना ही तो देखा था तुम्हारे साथ अपना घर बसाने को सब लोग शादी करते है मैने भी ऐसा ही चाहा था कॉन सा कुछ ऐसा माँग लिया था उस उपरवाले से जो वो मेरी मन्नत को पूरा कर ही ना सका

मैने गिलास उठाया और दो चार घूँट और भरी तो वो बोली क्यो अपना कलेजा जलाते हो एक नयी ज़िंदगी अपनी बाहें फैलाए तुम्हारे सामने खड़ी है एक नयी शुरुआत करो मैने कहा कितनी बार बताऊ तुम्हारे बिना अधूरा हूँ मैं वो बोली बस यही बात तो तुम्हारी मुझे सबसे बुरी लगती है बिल्कुल ज़िद्दी बच्चे की तरह हो तुम, समझते ही नही हो देखो मैं तो जी रही हूँ ना तुम्हारे साथ ही तो हूँ मैं

जब तक तुम हो तब तक मेरा नाम आएगा तुम्हारे एक फसाने मे तुम्हारी हर सांस को जैसे मैं ही तो ले रही हूँ चिड़ियो की चहचहाट होने लगी थी वो बोली जाती हूँ मैं और अगले ही पल बस मैं अकेला खड़ा था उस जगह पर अपने उस जख्म के साथ जो शायद कभी नही भरने वाला था , ये सुबह भी बड़ी कमाल होती है अपने आप मे बड़ा ही अनोखा नज़ारा होता है दिन को निकलते हुवे देखना

तभी साइड वाले कमरे का दरवाजा खुला और चाची अंगड़ाई लेते हुए बाहर आई और मुझे देख कर बोली बड़ी सुबह उठ गये रात को नींद नही आई क्या अच्छे से मैने कहा हाँ उठ गया वो बोली चाइ बनाती हूँ थोड़ी देर मे मैने उनका हाथ पकड़ा और उनको अपनी बाहों मे खीच लिया और बोला चाइ ही पिलाओगी या कुछ और भी तो वो बोली अब तो दुल्हन ले आए हो अब मुझ बूढ़ी मे क्या रखा है तो मैने कहा दारू तो पुरानी ही ज़्यादा नशा देती है तो वो बोली दिन मे देखती हूँ कुछ

मैं कमरे मे गया तो निशा अभी भी सोई पड़ी थी उसके माथे पर किस किया मैने पर उसको जगाना नही चाहता था तो मैं नीचे आ गया , पुराने कमरे मे कुछ समान पड़ा था तो उसको ही देखने लगा तो आर्मी ड्रेस हाथ लग गयी वो एनडीए के दिन वो देहरादून की शामे, कश्मीर की पोस्टिंग सबकुछ जैसे कल ही की तो बात लगती थी पर ज़िंदगी मे बहुत आगे बढ़ गया था

मैने उस ड्रेस पर ज्यो ही मैने अपना हाथ फेरा, होटो पर एक मुस्कान सी आ गयी, नहाने का मूड नही था मेरा सुबह सुबह थोड़ी सी ठंड भी लग रही थी तो एक जॅकेट सी डाल ली और बाइक लेकर निकल गया मैं अपने कॉलेज की ओर सहर कब आ गया पता ही नही चला अभी टाइम नही हुवा था कॉलेज लगने कर चौकीदार जानता था तो एंट्री मे कोई प्राब्लम नही थी अपनी उसी 12थ बी क्लास मे जाकर बैठ गया लगा कि जैसे आज भी वही का स्टूडेंट हूँ

ये कहने को तो कॉलेज था पर मेरी ज़िंदगी मे इसका बहुत बड़ा रोल था यहा पर ही मैने अपनी आने वाली जिंदगी को सजाने की नीव रखी थी यही पर मेरी ज़िंदगी ने एक ऐसा मोड़ लिया था यही पर मेरी हसरते जवान हुई थी होश जब आया जब निशा का फोन आया पूछा कहाँ हो तुम तो मैने कहा आता हूँ जल्दी ही वैसे भी आज का ही तो दिन था बस अगले दिन मिशन के लिए निकल जाना था

ये शायद पहली बार था जब मेरा जाने का मन नही कर रहा था पर मेरे चाहने ना चाहने से क्या होना था, निशा कुछ दिन घर पर ही रुकने वाली थी मैने उसे और घरवालो को अच्छी तरह से समझा दिया था कि अगर निशा के घरवाले या गाँव का कोई भी व्यक्ति मेरी और निशा की शादी के बारे मे कोई भी हंगामा करे तो सीधा पोलीस बुला ले किसी से दबने या डरने की कोई ज़रूरत नही

वो दिन पता नही कैसी बेचैनी मे गुजरा मेरा, वैसे तो हर दिन ही मेरा बेचैनी मे गुज़रता है पल पल मैं बस डर के ही तो जीता रहता हूँ, खुद की परवाह ना भी करू तो घरवाले है जो दूर होकर भी हर पल अपने पास ही लगते है मैं एक बहुत ही डरपोक इंसान हूँ, एक नाकाम इंसान जी ज़िंदगी मे कभी कुछ साबित नही कर पाया सिवाय हारने के मैने कुछ किया ही नही

आज भी जब मैं ये अपडेट लिख रहा हूँ, उलझा हूँ मैं अपने ही ख्यालो मे बड़ी शिद्दत से रोने को जी कर रहा है पर क्या करू ये साले आँसू भी आँखो से सूख चुके है, बाहर खिड़की से देखता हूँ तो हल्की हल्की सी बरफ गिर रही है उपरवाला भी पता नही कब सुख की सांस लेने का मौका देगा,इस छोटी सी ज़िंदगी ने ना जाने कैसा खेल दिखाया है कि डरने लगा हूँ मैं कि कही अब किसी और अपने को ना खो दूं

इतनी बड़ी दुनिया मे जब नज़र उठा कर देखता हूँ तो पता चलता है ज़िंदगी मे आए तो कई लोग पर फिर भी ये मुसाफिर हर मोड़ पा अकेला ही खड़ा रहता है ये मेरी ख़ानाबदोश ज़िंदगी ना जाने कब वो बरसात लाएगी जो मेरी प्यासी रूह पर इस कदर बरश जाएगी कि सदियो की मेरी प्यास बुझ जाएगी हम सब अपने अपने अंदाज से ज़िंदगी जीते है कभी हँसते है कभी रोते है पर मैं ना जाने किस तरह से जीता हूँ

जिस्म पर पड़े ये ज़ख़्मो के निशान अपने आप मे एक इबारत सी लिख ते है जिन्हे बस मैं ही समझता हूँ, और फिर एक पालतू कुत्ते से ज़्यादा औकात भी नही मेरी दिल मे बहुत सी बाते है जो मैं बताना चाहता हूँ पर कोई है ही नही जिस से मन की बात कह सकूँ जब भी दिल का बोझ बढ़ जाता है बैठ जाता हूँ किसी नदी किनारे या किसी पेड़ के नीचे निकालना चाहता हूँ अपनी भडास पर किस्पर कोई है ही नही



ये ज़िंदगी है और मैं हूँ, ऐसे ऐसे लोगो को देखा है जो हैवानियत की हद को पार कर गये है पर फिर भी सुख से जीते है कोई परेशानी नही कुछ नही और एक मैं हूँ जहा भी कोई मंदिर-मस्जिद मिला वही पर सर झुका लिया उसका हर एक करम किया लोग कहते है सबकी दुआ उसके यहा पर जाकर कबूल होती है सबको वो ही देता है फिर मुझसे ये कैसी नाराज़गी , आख़िर ऐसा कॉन सा पाप कर दिया मैने जिसका प्रायश्चित की किस्ते चुकाता फिर रहा हूँ मैं

दिन पे दिन बीत ते चले जाते है पर मुझे मेरी रूह को कभी चैन नही मिलता है आज घर पे ये हो गया आज ये हो गया इन हालत से अब हारने लगा हूँ मैं कैसे समझाऊ खुद को कितनी मन्नते माँगी उसके दर पर , हर एक चोखट पर नाक रगडी पर उसका दिल कभी पासीजता ही नही, आज मेरा दिल इतना भरा है कि बस समझो फटने को बेताब हूँ मैं पर करूँ क्या कुछ समझ ही नही आता है

जब अपने हिस्से की खुशियो को दूसरो की झोली मे देखता हूँ तो दिल करता है कि बंदूक लूँ और सब कुछ मिटा दूं दो पल मे ही पर फिर खुद को रोक लेता हूँ पहले मैं कहता था कि ले ले जितनी परीक्षा लेनी है मेरी ले ले कभी तो तेरी मेहर होगी ही मुझ पर , पर अब मैं हारने लगा हूँ, उसके आगे सर झुकाता हूँ तो श्रद्धा से नही बल्कि डर से अपने आप से भागने की नाकाम सी कोशिश करता हूँ

पर भाग नही पाता हू आख़िर सच्चाई से कभी कोई भाग कहाँ पाया है, उपर से कभी कभी ये यादे इतनी हावी हो जाती है कि बस फिर शराब ही सहारा होती है पर फिर ये भी उस आग को ऐसे भड़काती है की तिल तिल करके जलता हूँ , दो महीने पहले की बात है बहुत खुश था डॉक्टर ने कह दिया था कि बच्चे की डेलिवरी होते ही वाइफ की तबीयत भी ठीक हो जाएगी खुश था मैं घरवाले भी खुश थे सब लोग तैयारिया कर रहे थे एक नन्हे से मेहमान के आने का

बॉस को 15 दिन की छुट्टी के लिए बोल दिया था बस एक दो रोज मे इस्तांबुल से वापिस अपने घर को चले जाना था , दिल मे हज़ारो उमंग थी कि ये करूँगा वो करूँगा आख़िर पहली बार पिता बन ने का सुख ही अलग होता है पर उस उपरवाले से ये देखा ना गया , काम कर रहा था मैं कि मेरा फोन बजा घर का नंबर देखते ही मैं समझ गया था कि खूसखबरी ही होगी पर मुझे क्या पता था कि वो एक मनहूस दिन था जब मेरे कानो ने वो खबर सुनी

बच्चा पेट मे ही मर गया था और निशा भी थोड़ी देर बाद …………….. ………………………………… थोड़ी देर बाद मुझे छोड़ कर इस दुनिया से रुखसत हो ली थी, समझ ही नही आया कि कैसे बोलू , कैसे रिएक्ट करू आसान नही था मेरे लिए खुद को संभालना और सच कहूँ तो संभाल नही पाया जैसे तैसे करके घर आया जिस घर मे कहाँ खुशियो की तैयारिया हो रही थी और अब वहाँ पर मातम पसरा पड़ा था, वाइफ के अंतिम संस्कार के बाद जब उस छोटू को मिट्टी देने के लिए गया तो गड्ढा खोदते हुए मेरे हाथ कांप रहे थे उसको दफ़नाने के पहले उसकी सूरत को देखा मैने उसको अपने सीने से लगाया मैने बिल्कुल मुझ जैसा ही था वो छोटा सा नाज़ुक सा लगता था जैसे की अभी बोल पड़ेगा पर ये भी एक सितम था उसका लोग कहते है कि उपरवाला जो करता है अच्छे के लिए करता है पर सिर्फ़ मैं ही क्यो जो हर बार पे करता है इसका जवाब दे कोई मुझे हर बाज़ी को बस मैं ही क्यो हारता हूँ

जब भी किसी छोटे बच्चे को देखता हूँ तो बड़ी याद आती है अपने बच्चे की, बड़ी मुस्किल से रोकता हूँ खुद को

वो दिन बड़ा ही अजीब सा था मेरे लिए जाना था मुझे समझता था पर दिल कर रहा था कि रुक जाउ वही पर, पर इस मुसाफिर का सफ़र थम जाए ये अब कहाँ मुमकिन था वो शाम बड़ी ही भारी थी मुझ पर निशा नीचे घरवालो के साथ बैठी थी मैं छत पर गुम्सुम गुम्सुम सा बॅग मे कपड़े डाल रहा था तभी भाभी आ गयी बॅग को देख कर बोली कहीं जाने की तैयारी हो रही है क्या तो मैने कहा हाँ जान जाना है अर्जेंट काम है दो दिन की ही छुट्टी थी

भाभी ने कहा आओ बैठो मेरे पास ज़रा बाते करते है मैनी कहा कुछ कहना है भाभी तो वो बोली मनीष मैं तुमको जब से जानती हूँ जब तुम बच्चे थे और फिर मैं तुम्हारी भाभी से ज़्यादा तुम्हारी दोस्त भी हूँ तुम्हारा कुछ भी मुझसे कहाँ छुपा है पर मुझे लगता है कि तुम खुश नही हो कुछ ना कुछ चल रहा है तुम्हारे अंदर ही अंदर देखो ये बात तुम भी अच्छे से जानते हो कि जो बीत गया है हम लाख कोशिस कर ले वो कभी वापिस नही आएगा

तुम खुशनसीब हो जो तुम्हारे पास निशा जैसी लड़की है जी हर कदम पर गिरने से पहले ही तुमको संभाल लेगी फिर क्या बात है अब तो काकी जी और तुम्हारे बीच की दूरिया भी नही रही है, कम से कम मुझे तो बता दो कि क्या बात है क्या है देखो तुम्हारी इस झूठी मुस्कान के पीछे जो दर्द छिपा है वो मैं महसूस करती हूँ मैं अपने देवर को यू टूट कर जीता नही देख सकती किसी को कोई फरक पड़े या ना पड़े पर मुझे तकलीफ़ होती है


दिन रात दिल मे बस एक आस के सहारे ही जिया कि बस कुछ दिनो की बात है फिर शादी करलूंगा जब भी देखा उसको दुल्हन के जोड़े मे देखा हर इंसान की यही आरजू होती है दुनिया प्यार करती है बस मुझे ही ना मिला मेरे हिस्से का प्यार ठीक है मेरे पास निशा है आप हो पर फिर भी मेरे दिल मे कुछ कमी सी है एक खाली पन सा है जिसे महसूस तो सभी करती है पर कोई बता ता नही कि कैसे भरूं इसको जानती हो रातो को नींद नही आती है दिल रोता है पर आँसुओ को नही आने देता मैं आप ही बताओ मैं करूँ तो क्या करूँ

हर रोज मैं अपने सीनियर ऑफिसर्स को बोलता हूँ कि मुझ वापिस मेरी यूनिट भेज तो पर कोई नही सुनता मेरी जी करता है कि लात मार दूं नोकरी को पर इसके बिना गुज़ारा भी तो नही आम आदमी का अब कल सुबह की फ्लाइट है फिर ना जाने कब आना हो या ना भी आ पाऊ तो भाभी बोली ऐसा ना कहो हमारा तुम ही तो सहारा हो इस घर को देखो तरस गया है तुम्हारी वो मस्ती देखने को पहले जैसा कुछ भी तो नही है देखो तुम खुश नही रहोगे तो हम सब भी कैसे खुश रह पाएँगे

मैने कहा भाभी मैं बहुत कोशिश करता हूँ हर रोज एक नया रास्ता चुनता हूँ पर घूम फिर कर उसी जगह पर आकर रुक जाता हूँ हम बात कर ही रहे थे कि तभी मम्मी ने भाभी को आवाज़ लगाई तो वो नीचे चली गयी और मैं अपना सामान डालने लगा इस मुसाफिर को तो अपना सफ़र जारी रखना था क्या हुवा जो दोपल रुक गये पर अपनी मंज़िल तो जैसे थी ही नही



मैने कहा भाभी , पता नही क्यो पर ऐसा लगता है कि कभी मैं वो ज़िंदगी जी ही नही पाया जो मैं जीना चाहता था शुरू शुरू मे सब अच्छा लगता था पर भाभी अब लगता है कि सबकुछ एक पल मे ठहर जाए सच कहूँ तो मुझे कुछ भी अच्छा नही लगता है मैं परेशान हूँ हर पल पर मुझे नही पता क्यो मैं भी इस बात को समझता हूँ कि मिथ्लेश अब कभी नही आ पाएगी पर भाबी ये भी सच है कि हर पल मेरी रूह मे जी रही है वो कही ना कही


रात आधी से ज़्यादा गुजर गयी थी अब जाना था मैने सोचा कि चुपके से निकल जाता हूँ तो धीरे से अपने बॅग को उठाया और किवाड़ को खोल कर चला ही था कि पीछे से उसने पुकारा जा रहे हो बिना बताए निशा भी शायद सोई नही थी मैने बिना पीछे मुड़े कहा जाना तो है ही फिर क्यो रोकती हो उसने कहा सड़क तक चलूं साथ मैने कहा रात बहुत है यही पर रहो उसने कहा एक बार गले नही लगोगे मैने कहा जाने दे यार और मैने अपने कदम आगे को बढ़ा दिए ना जाने क्यो नही देखा मैने पीछे मूड कर

भाभी आपसे कुछ भी नही छुपा है पहले बहुत अच्छा लगता था ज़िंदगी मे कुछ भी कमी नही लगती थी आपके साथ बिताए हर लम्हे को जी भर कर जिया मैने ज़िंदगी मे कई लड़किया आई गयी मैं भागता ही रहा आप जानती हो कि मैं कभी भी फ़ौजी नही बन ना चाहता था नोकरि करनी थी बस इसलिए की मिथ्लेश के साथ घर बसा सकु क्योंकि वो कहती थी कि बिना नोकरी के क्या खिलाओगे मुझे कैसे पूरा करोगे मेरे ज़रूरतो को

आप जानती हो कि कैसे बस किस्मत से ही मेरा सेलेक्षन हुआ था टॉपर नही था मैं ना जाने कैसे नीचे वाली लाइन मे नाम आ गया था पर ठीक ही तो था ट्रैनिंग मे जब हाड़ तुड़ाई होती थी तो हर रोज मेरा दिल करता था कि ट्रैनिंग सेंटर से भाग जाउ पर बस दिल मे यही एक आस थी कि नोकरि होगी तो ही ब्याह होगा मिता से मुझे कितनी बार सज़ा मिली मस्ती भी की पर जैसे तैसे करके पास आउट कर ही गया तो हर ज़ख़्म को आँख मीच कर झेल लिया वो 5 साल मैं ही जानता हू कैसे जिए

“मैने कभी सोचा ही नही था कि ज़िंदगी ऐसी होगी और सच कहूँ तो अब फरक भी क्या पड़ता है हम सब बस कठपुतलिया ही तो है उस उपरवाले के मनोरंज की जब तक उसका दिल किया वो खेल लेता है और फिर बस रह जाती है तो कुछ यादे जो गाहे-बगाहे आकर हमे तडपा देती है मैं लाख कोशिस करता हूँ पर इन यादो से दूर भाग भी तो नही पाता हूँ “

“बभी, मैने क्या गुनाह किया बस इतना ही तो चाहता था कि मिथ्लेश के साथ अपनी छोटी सी ग्रहस्ती बसाऊ क्या गुनाह था मेरा इसके अलावा कि मैं मोहब्बत कर बैठा आख़िर क्या कसूर था मेरा जो इतनी बड़ी सज़ा मिली और वो तो दम भरती थी मेरी मोहब्बत का फिर क्यो वो भी मुझे छोड़ कर चली गयी क्या हमारे प्यार की डोर इतनी कच्ची थी तो फिर क्यो उसने वादा किया था जब वो निभा ही ना सकी ”

“मैं जानता हूँ कि आप सबलोगो को भी दुख है मेरी वजह से पर मैं करूँ भी तो क्या सला सबको अपनी अपनी पड़ी है मेरी कोई नही सुनता आख़िर मेरे सीने मे भी एक दिल है जो धड़कता है दर्द होता है

बहुत भाभी पर साला कोई नही समझता कितने दिन हुए मम्मी बात ही नही करती बस ज़िद पे अड़ी है आख़िर ऐसी भी क्या ज़िद घर छूट गया जब मम्मी पास से चली जाती है तो दिल रोता है आख़िर किस ज़िद के लिए मुझसे मूह मोड़ कर बैठी है , जिसके लिए ज़िद थी वो तो चली गयी ना ”

“वो कहती थी मनीष हमारा एक छोटा सा घर होगा छत की मुंडेर पर बैठ कर मैं तुम्हारी राह देखा करूँगी जब तुम्हे छुट्टी नही मिलेगी तो मैं रूठ जाया करूँगी जब तुम आओगे तो दूर से तुमहरे कदमो की आहट को पहचान लूँगी और भाग के सीधे तुम्हारे गले लग जाउन्गी देखो भाभी मैं आ गया क्यो नही लगती मेरे सीने से आके वो ”

“क्यो, तड़पाती है मुझे जब कहती थी कि इंतज़ार करूँगी तो क्यो नही किया आख़िर क्यो मुझे इस जमाने के आगे यू रुसवा कर गयी वो क्या इसी लिए उसने मेरा हाथ थामा था कि एक दिन यू हर बंधन तोड़ जाएगी उसने एक बार भी नही सोचा कि मनीष कैसे जिएगा उसके बिना वो कहती थी कि हर सुबह मेरे माथे पे चूम के मुझे जगाया करेगी अब क्यो नही आती वो ”

आँखो से आँसुओ का सैलाब बह चला था मेरा दर्द पानी का कतरा बन कर आँखो से बह रहा था साला मोहब्बत ही तो की थी दुनिया करती है हम ने कर ली तो कौन सा गुनाह कर दिया था दिल मे दर्द था गुस्सा था पर साला कोई पास बैठे तो सही दो पल हमारी भी सुने कि क्या कह रहा हूँ भाभी ने मेरे सर को अपनी गोद मे रख लिया और मेरी पीठ को सहलाने लगी मेरे आँसुओ को पोन्छा पर बोली कुछ नही


शायद वो भी जानती थी कि इस दर्द को बस मुझे ही झेलना है
भाभी मुझे सुलाने की कोशिश करने लगी सोच रही थी शायद इसी बहाने थोड़ा आराम मिल जाए मुझे पर जो दर्द मिथ्लेश दे गयी थी अब आराम कहाँ था हर पल बस घुट घुट के ही जीना था अपने चेहरे पर एक खुश हाली का नकाब ओढना था

भाभी- देवेर जी रोने से क्या होगा रोने से अगर जाने वाले वापिस आए तो मैं भी रोने लगूँ, देखो मुझसे तुम्हारा यू रोना बर्दाश्त नही होता है मैं तुम्हे यू टूटते हुए नही देख सकती थी जिस देवर को हमेशा हँसते मुस्कुराते देखा अब तुम यूँ मत करो मेरे कलेजे पे छुरिया चलती है देखो तुम चुप हो जाओ वरना मैं भी रो दूँगी कहते हुए भाभी की आँखो से आँसू निकल कर मेरे गालो पर टपक पड़े भाबी ने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और मेरे साथ ही सुबकने लगी


भाभी- देखो अब अगर तुम चुप नही हुए तो मैं मान लूँगी तुम मुझसे प्यार नही करते आज तक तुमने मेरा कहा हमेशा माना है देवेर जी ये भी मान लो मेरा मान रख लो आपकी आँखो मे आँसू अच्छे नही चलो सोने की कोशिश करो थोड़ा आराम मिलेगा


पर वो भी जानती थी कि बस ये कोरे दिलासे है मेरे अंदर एक आग जल रही थी जिसमे मैं खुद भी जल जाना चाहता था पर सोऊ भी तो कैसे आँख बंद करते ही आँखो के आगे उसका ही चेहरा वो सांवला चेहरा जिसकी नज़र भर ने ही मेरी ज़िंदगी बदल दी थी, इस से तो अच्छा था वो मेरे करीब कभी आती ही नही

अब सुबक्ते सुबक्ते ना जाने कब भाभी की गोद मे नींद ने मुझे अपनी बहो मे पनाह दे दी शायद उसको भी थोड़ा तरस आ गया होगा मुझ पर पता नही कितनी देर सोया था मैं जब आँख खुली तो भाभी वहाँ पर थी नही मेरे पूरे बदन मे दर्द हो रहा था मैं उठा और बाहर आया तो देखा कि नीचे आँगन मे निशा और चाची बैठी बाते कर रही थी मैं नीचे आया हाथ पाँव धोए तब तक निशा चाय ले आई


मैने मना किया


वो- मनीष कब तक , सुबह से तुमने कुछ नही खाया है कम से कम चाय तो पी लो माना कि सबसे नाराज़ हो पर इस चाय से कैसी नाराज़गी जानती हूँ वक़्त मुश्किल है पर हम सह लेंगे और फिर तुम ही तो कहते हो वक़्त अच्छा हो या बुरा बीत ही जाता है ना


मैं- पर वो तो वापिस नही आनी ना


निशा ने पल भर के लिए मेरी आँखो मे देखा और फिर मुझे अपनी बाहो मे भर लिया वो भी जानती थी मेरे दर्द को कुछ देर बाद वो अलग हुई और मुझे चाय पकड़ाई मैं पीने लगा वो मेरे पास ही बैठी रही चुप चाप चाची बस हम दोनो को देख रही थी धीरे धीरे मैने चाय ख़तम की
नीनु- आओ थोड़ा बाहर की तरफ चलते है ………………………………..

“तो कब तक यू खुद को कोसते रहोगे, देखो हम सब भी दुखी है पर तुमहरे ऐसा करने से वो वापिस तो नही आ जाएगी ना , और फिर तुम तो सोल्जर हो कितनी परेशानियाँ देखी है तुमने देखो तुम ऐसा करोगे तो फिर फॅमिली का क्या होगा ”

“निशा, मैं इस बारे मे बात नही करना चाहता ”

“क्यो नही करना चाहते तुम बात अगर चुप रहने से कोई सल्यूशन निकलता है तो मैं मौन व्रत ले लेती हूँ मैं जानती हूँ ये मुश्किल है पर हमे इस सब से बाहर आना होगा ”

“किन सब से निशा, कैसे भूल जाउ मैं उसे जिसकी हर साँस बस मेरे लिए थी जानती हो मेरी आँखो ने हर रात बस उसका ही सपना देखा था बस उसका ही एक एक छोटा सा घर बनाएँगे पर देखो झूठी शान की खातिर सब ख़तम हो गया ”

मैने कहा था मेरा इंतज़ार करना मैं हर हाल मे आउन्गा और मैने देर भी नही की पर फिर क्यो इंतज़ार नही किया उसने क्या हमारा प्यार बस इतना ही मजबूत था जो ऐसे टूट गया


निशा- मनीष, जो बात है वो तुम भी जानते हो और मैं भी , मैं बस इतना जानती हूँ कि प्लीज़ तुम मुस्कुराओ वो भी तो यही चाहती थी ना कि तुम हमेशा खुश रहो देखो तुम्हे ऐसे देख कर उसको कितना दुख होता होगा और फिर तुम्हारा प्यार कहा कमजोर है कमजोर होता तो वो ऐसा कदम क्यो उठाती


सोचो ऐसा करने से पहले उस पर क्या बीती होगी क्या उसके लिए ये सब आसान था एक तरफ़ उसके पिता थे दूसरी तरफ तुम ज़रा सोचो तो सही पल पल उसके उपर क्या गुज़री होगी आँखो मे बाप के सम्मान की शरम और दिल मे तुम्हारी चाहत का वचन मैं जानती हूँ इन की मजबूरिया क्या होती पर ऐसे खुद को कोसके तुम बस उसकी मोहब्बत को शर्मिंदा कर रहे हो


वो जो थी वो हमेशा तुम्हारे दिल मे रहेगी उसकी जगह कोई नही भर सकता पर मनीष क्या उसका प्यार यूँ ही रुसवा होगा वो क्या चाहती थी मुझसे ज़्यादा तुम जानते हो तो फिर कैसी ये ज़िद देखो तो सही क्या हाल बना रखा है तुमने वो जब उपर से तुम्हे ऐसे देखेगी तो उसको कितना दुख होगा


“तो मैं क्या करूँ निशा , तुम ही बताओ ”

“कुछ करने की ज़रूरत नही बस तुम्हे जीना होगा उसके लिए क्योंकि वो आज भी ज़िंदा है तुम्हारे अंदर तो सम्भालो खुद को और हमे भी ’

निशा ने मुझे अपनी बाहों मे ले लिया मेरी आँखो से कुछ आँसू निकल कर उसके कंधो पर गिर गये बड़ा सुकून सा मिला था उसकी बाहों मे मिथ्लेश के बाद अगर मेरा कोई अपना था तो वो ही तो थी बाकी तो सब बदल गया था बहुत देर तक हम दोनो मंदिर के तालाब की सीढ़ियो पर बैठे रहे


उसने मेरा हाथ थाम रखा था हौले हौले सहला रही थी वो अंधेरा सा होने लगा था आसमान मे तारे निकल आए थे पानी मे हलचल करती जल्मुर्गियो को देख रहा था मैं दिल जैसे खामोश था धड़कने थम सी गयी थी हम बस उधर ही बैठे रहे पर कब तक घर तो आना ही था


घर आए मम्मी घर के बाहर ही बैठी थी बस एक नज़र मेरी तरफ़ डाली मैने सोचा बात करेंगी पर वो तो अपनी ज़िद पर थी वैसे भी ये घर तो कब का पराया हो गया था मेरे लिए मैं अंदर गया बैठक मे मिता की एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी बस उसके पास ही जाके रुक गया मैं

कहंता तो बहुत था उस से पर होंठो से बात निकली ही नही कही दिल मे ही रह गयी अनकही सी , तभी भाभी ने आवाज़ दी कि फादर साहब ने बुलाया है तो मैं छत पर चला गया वो बैठे थे हाथो मे एक पेग लिए पास ही बॉटल रखी थी उन्होने मुझे देखा और बोले- आ बैठ मेरे पास कितने दिन हुए बात नही हुई
मैं कुर्सी पे बैठ गया


पापा ने एक पेग बनाया और मुझे दिया अब मैं कैसे लेता वो समझे फिर बोले- अब तू मेरा बेटा कहाँ रहा वैसे भी जब बेटा बाप के कंधे से उपर निकल जाए तो दोस्त बन जाता है और फिर कैसा फ़ौजी तू जो बाप के संग पेग ना लगाया तो ले पकड़


मैने गिलास ले लिया कुछ देर वो चुप रहे फिर बोले- देख बेटा मैं जानता हूँ वो तुमहरे लिए कितनी अहमियत रखती थी अगर तुम हमे कुछ बताते तो हो सकता था कि कोई रास्ता निकालता मैं ये भी समझता हूँ कि प्यार करना कोई गुनाह नही प्यार अपनी मंज़िल खुद चुनता है , हमें लगता है कि हम ने उसे चुना है जबकि ये सब तो पहले ही तय हो चुका होता है


मैने कल तुम्हारी मम्मी से भी बात की थी माना कि थोड़ी जिद्दी है पर अगर मैं कहूँगा तो वो बात समझेगी पर मेरे दवाब से मैं चाहता हूँ कि तुम उस से बात करो माँ बेटे के बीच जो दूरिया है दोनो सुलझालो तुम दोनो के बीच मैं पिस रहा हूँ बाप हूँ तो कह नही सकता पर दिल तो मेरा भी है ना


और फिर जब तुम जब ऐसे सॅड सॅड रहोगे तो तुम्हारी मिथ्लेश कहाँ ख़ुह रह पाएगी देखो बेटे तुम फील करते हो तुम्हारी मम्मी फील करती है वैसे ही मैं भी तो इंसान हूँ मैं भी फील करता हूँ वो अलग बात है कि कभी कहता नही और फिर ये निशा इसके बारे मे सोचो ज़रा , सबकुछ छोड़ के तुम्हारे साथ है बाकी तुम समझदार हो


मैं जानता हू मेरी बात समझने मे थोड़ा टाइम लगेगा तुम्हे पर कभी जब खुद बाप बनोगे तो तुम्हे मेरी तमाम बाते याद आएँगी पर उस से पहले तुम अपना पेग ख़तम करो
बड़ी मुश्किल से मैने वो पेग अपने गले से नीचे उतारा


पापा- बाते तो मुझे बहुत सी करनी है पर शायद अभी सही समय नही


मैं उठ कर नीचे आ गया तो भाभी मिल गयी

भाभी- खाना तैयार है ले अओ


मैं- भूख नही है


वो- तुम्हारी पसंद के आलू के परान्ठे बनाए है


मैं- कहा ना भूख नही है


वो- कब तक


मैं- पता नही
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#74
भाभी- देखो मैने भी सुबह से कुछ नही खाया है अगर तुम नही खाओगे तो मैं भी नही खाउन्गी ऐसे ही भूखी ही सो जाउन्गी अगर तुम्हारी यही ज़िद है तो मेरी भी यही ज़िद है


अब मैं क्या कहूँ उनसे मैं जानता था वो जो कर रही थी मेरे लिए ही कर रही थी पर मुझे समझे ना कोई तोड़ लिए दो चार टुकड़े उनके साथ आलू के परान्ठे मुझे हमेशा से ही बहुत पसंद थे पर सिर्फ़ मेरी मम्मी के हाथ के ही पर अब वो होना नही था और इधर मेरा जी भी नही लगता था तो मैने वापिस देल्ही जाने का सोचा


मैं सीधा अपने कमरे मे आया और अपना समान डालने लगा


“मुझे बता तो देते तो मैं भी अपनी पॅकिंग कर लेती ”

“मैने सोचा तुम कुछ दिन और रुकोगी


“हाँ, रुकती तो सही पर अगर तुम ने वापिस चलने का सोचा है तो फिर चलते है मैं भी पॅकिंग कर लेती हूँ


रात के करीब 1 बजे थे , मैं और निशा घर से निकले सब लोग सो रहे थे मैने जगाना ठीक नही समझा चुपचाप गाड़ी स्टार्ट की और चल दिए रास्ते मे वो मोड़ आया जो सीधा मिता के घर तक जाता था मैने कुछ देर के लिए गाड़ी रोक दी पर कितना रुकता मैं आँखो मे एक झलक भरी और फिर चल दिए देल्ही के लिए सब पीछे रह गया था सफ़र तो चल रहा था पर मैं उसी मोड़ पर रह गया था


मेरा गाँव मेरा परिवार मेरे अपने लोग मेरी आँखो मे कुछ आँसू थे जो अब सुख चुके थे ज़िंदगी कहती है कि खुल के जियो पर जिए तो कैसे जिए इन हालातों मे मैने निशा की तरफ़ देखा खिड़की खोल रखी थी उसने ठंडी हवा उसके गालो को चूम चूम के जा रही थी अपने सर को टिकाए सीट पर वो कुछ सोच रही थी


मैं- क्या सोच रही हो


वो- हमें ऐसे बिना बताए नही आना चाहिए था


मैं- बताने से भी क्या हो जाता


वो- अपने परिवार से दूर मत भागो तुम


मैं- वहाँ कौन है जो मुझे समझता है


वो- हम सब को फिकर है तुम्हारी


बाते करते करते देल्ही आ गये हम थोड़ा सा थक सा गया था तो सो गया आँख खुली तो देखा कि वो मेरे पास ही सो रही थी मुझसे चिपक के मेरा हाथ उसके सर के नीचे था मैने निकाला नही कही उसकी नींद ना टूट जाए एक बालो की लट जो उसके चेहरे पर आ गयी थी हौले से हटाया मैने,निशा ये कौन लगती थी मेरी सच कहूँ तो सब कुछ थी मेरी बस ऐसे ही दोस्ती की थी इस से कभी पर अब देखो वो क्या थी मेरे लिए


कुछ देर बाद वो उठी , मैने लेटे रहने को कहा उसके पास होने से अच्छा लग रहा था मुझे वो मुझसे और चिपक गयी


वो- कॉफी पियोगे


मैं- चाय


वो- बनाती हूँ


वो उठी तो मैं भी उठ गया वैसे तो दोपहर का टाइम हो रहा था पर अभी उठे थे तो चाय बनती थी निशा चाय बना रही थी तो मुझे उसकी कलाई दिखी एक दम कोरी खाली तो मुझे फिर कुछ याद आया मैं कमरे मे कुछ खोजने लगा और फिर मुझे वो चीज़ मिल ही गयी ये कंगन थे जो पद्मियनी भाभी ने मुझे दिए थे मिथ्लेश के लिए पर ऐसी मेरी किस्मत थी कहाँ


मैं वापिस गया रसोई मे- निशा ज़रा अपने हाथ आगे करो


वो- किसलिए


मैं- करो तो सही यार


जैसे ही उसने अपने हाथ आगे किए मैने वो कंगन उसे पहनाने लगा


वो- क्या कर रहे हो


मैं- एक तोहफा है तुम्हारे लिए


वो- जानते हो क्या कर रहे हो


मैं- जानता हूँ


वो- मनीष,………….


मैं- चुप रहो अब इतना तो हक है ना तुमपे कि तुमहरे लिए कुछ कर सकूँ


वो- हक … मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है मनीष


उसकी कलाईयों मे वो कंगन देख कर दिल को सुकून सा लगा अच्छा लगा निशा ने मुझे गले से लगा लिया फिर हम ने चाय पी कुछ छोटे मोटे काम किए कल से ज़िंदगी को वापिस पटरी पे लाने की कोशिस करनी थी मुझे एजेंसी जाना था और उसे बॅंक , ज़िंदगी का एक दिन और बीत गया था ऐसे ही


अगले दिन



मैं- तुम्हे ड्रॉप कर दूं बॅंक

वो- नही मैं मेट्रो से जाती हूँ तुम कार ले जाओ


मैं- नही , तुम गाड़ी ले जाओ


रोड पे आके मैने ऑटो लिया और बताई उसको अपनी मंज़िल बॉस मुझे देख के खुश था उसने कुछ दिन डेस्कजॉब करने को ही कहा वो भी जानते थे कि अभी मैं फील्ड मे जाने लायक नही काम मे पता ही नही चला कि कब रात हो गयी तो अब चलना ही था मैं वहाँ से चला पर घर जाने का मूड नही था तो एक बॉटल ले ली और बैठ गया ऐसे ही पता ही नही चला कि कब बॉटल आधी से ज़्यादा हो गयी


“कितना पियोगे मेरे फ़ौजी मेंटल घर नही जाना क्या ”

मैने देखा वो खड़ी थी थोड़ी दूर फिर आई और मेरे पास बैठ गयी


मैं-घर है ही कहाँ मेरा


वो- कब तक नाराज़ रहोगे


मैं- अब नाराज़ भी ना रहूं , तुमने अच्छा नही किया मेरे साथ


वो- मैं कहाँ दूर हूँ तुमसे, देखो पास ही तो हूँ तुम्हारे


मैं- तो फिर क्यो चली गयी तुम दूर


वो- ताकि फिर से तुम्हारे पास आ सकूँ


मैं- मुझे दुखी देख खुशी हुई तुम्हे


वो- मैं भी कहा सुखी हूँ देखो , जब तक तुम खुश नही तो भला मैं कैसे खुश रहूंगी
मैं- तो फिर क्यो नही आ जाती वापिस


वो- आ तो गयी हूँ क्या मैं तुमहरे साथ नही हूँ


मैं- बाते ना बनाओ


वो- तुमसे ही सीखा है , मैं कुछ कहना चाहती हूँ तुमसे


मैं- कहो


वो- देखो, निशा अच्छी लड़की है बहुत प्रेम करती है तुमसे और फिर उसका कौन है तुम्हारे सिवा उसका हाथ थाम लो


मैं- पर तुम जानती हो मेरी हर सांस तुम्हारी ही है


वो- वो भी तुम्हारी ही है ज़रा एक बार देखो तो सही वो क्यो ही तुम्हारे लिए क्योंकि वो प्यार करती है तुमसे


मैं- और मैं तुमसे जो हक तुम्हारा है वो मैं कैसे उस से …..


वो- मेरी खातिर


वो मुस्कुरई अब उस क्या जवाब देता मैं क्या कहता मैं


वो- सोचो ज़रा मेरी यही इच्छा है कि तुम निशा से शादी कर लो और मुझे पूरा विशवास है तुम मेरी ये इच्छा भी पूरी करोगे



अब मैं क्या कहता उसको उसने अपना फ़ैसला सुना दिया था अब मैं कहूँ भी तो क्या उसको पर इतना ज़रूर था कि वो दूर होकर भी मेरे पास ही थी बहुत पास शायद मेरे दिल मे मेरी धड़कनो मे

मैं जब घर आया तो रात बहुत बीत गयी थी पर निशा दरवाज़ पे ही बैठी थी मेरे इंतज़ार मे मुझे देख कर उसको थोड़ी तसल्ली हुई मेरे बॅग को साइड मे रखा मैं भी उसके पास ही बैठ गया


वो- आज देर हो गयी


मैं- हाँ


वो-खाना खाओगे


मैं- तुमने खाया


वो- तुम्हारे बिना कैसे खाती


मैं- हाँ फिर ले आओ यही खाते है

कुछ देर बाद वो दो थालिया ले आई उसको अपने पास देख के मैं बहुत अच्छा फील करता था वैसे मुझे भूख नही थी पर अगर मैं नही ख़ाता तो वो भी नही खाती तो फिर मैने भी कुछ नीवाले खा लिए , उसने बर्तन समेटे मैं भी अंदर आ गया कुछ देर बाद वो मेरे पास आ बैठी


मैं- जानती हो निशा, जब तुम दूर थी मैं बहुत याद करता था तुम कहाँ हो किस हाल मे हो, मैं तुम्हे याद हूँ भी या नही


वो- तुम्हे कैसे भूल सकती थी मैं आज जो हूँ तुम्हारे कारण हूँ मैं


मैं- नही रे पगली , तेरी अपनी मेहनत है मैं क्या था एक आवारा जिसकी ना कोई मंज़िल थी ना कोई ठिकाना पर फिर तुम वो दोस्त बनकर मेरी जिंदगी मे आई जिसका हमेशा से मुझे इंतज़ार था और फिर ज़िंदगी बदल गयी कितना कुछ सीखा है तुमसे वो दिन भी क्या दिन थे बस ज़ी तो तभी ही लिए थे अब तो बस सांसो का बोझ ढो रहे है , वो छोटी छोटी बाते कितनी खुशियाँ देती थी दो रोटी थोड़ी सी सिल्वट पर पिसी हुई लाल मिर्च और एक गिलास लस्सी मे ही अपना पेट भर जाता था


और वो जलेबिया जो तुम लाया करती थी क्या महक आती थी उनमे से अब वो कहाँ , निशा जब तुम पानी भरने मंदिर के नलके पे आती थी मैं तुम्हे देखता था कसम से जैसे ही तुम्हारी इन हिरनी जैसी आँखो से आँखे मिलते ही पता नही क्या हो जाता था बस वो दो पल की मुलाकात ही होंठो को मुस्कुराने की एक वजह दे जाती थी


वो- और तुम जो अपने दोस्तो के साथ उल्जुलुल हरकते करते थे जैसे ही मैं आती कितना इतराते थे तुम कितने गंदे लगते थे तुम जब तुम अपने बालो को जेल लगाते थे और उस दिन जब तुम कीचड़ मे फिसल कर गिरे थे कितना हँसी थी मैं


मैं-वो तो मैं तुम्हे इंप्रेस करने के चक्कर मे गिर गया था पर कुछ भी कहो वो भी क्या दिन थे


वो- हाँ ये तो है


मैं- और वो तो बेस्ट था जब जयपुर मे तुम टल्ली होकर सड़क पर घूम रही थी और फिर उल्टी कर दी थी तुमने


वो- तुम्हे याद है वो


मैं- वो कोई भूलने की बात थोड़ी ना है


वो- पता है उसके बाद मैने फिर कभी नही पी


मैं- क्या बात कर रही हो


वो- कसम से


मैं- चल आज फिर आजा एक बार फिर घूमते है रोड पर टल्ली होके


वो- ना बाबा ना अब बात अलग है


मैं- क्या अलग है वो ही तुम हो वो ही मैं हूँ


वो- कही फिर टल्ली ना हो जाउ


मैं- तब भी संभाला था आज भी संभाल लूँगा


वो – एक बात पुछु


मैं- दो पूछ ले यारा


वो- चल जाने दे फिर कभी पूछूंगी मैं बॉटल लाती हूँ



मैं और निशा टुन्न हो चुके थे पूरी तरह से कभी हँस रहे थे कभी रो रहे थे जी रहे थे अपनी यादो मे , बस ये यादे ही तो थी जो अपनी थी मैने निशा की छोटी के रिब्बन को निकाल दिया हमेशा से ही मुझे लड़किया या औरते बस खुले बालो मे ही अच्छी लगती थी


वो- ये क्या किया


मैं- ऐसे ही अच्छी लगती हो तुम


वो- मनीष , तुम यार सच मे ही अजीब हो


मैं- हाँ सब तुम्हारा ही असर है


वो- अच्छा जी और मुझ पर जो ये रंग चढ़ा है ये किसका है


मैं- मुझे क्या पता


वो- तो किसे पता


मैं- तुम जानो


तभी वो थोड़ा सा लड़खड़ाई मैने उसकी कमर मे हाथ डाला और उसको अपनी बाहों मे थाम लिया उसकी छातिया आ लगी मेरे सीने से उसकी साँस मेरे चेहरे को छू गयी वो लहराने लगी मेरी बाहों मे हल्की सी जुल्फे उसके चेहरे पर आ गयी थी मैने उन लटो को सुलझाया उसकी धड़कानों को मैने अपने सीने मे महसूस किया


मैं- देख के चल अभी गिर जाती


वो- तुम जो हो संभालने के लिए


मैं- वो तो है


उसकी गरम साँसे मेरी सांसो को दहका रही थी मैने उसकी कमर को और थोड़ा सा खींच हम एक दूसरे की आँखो मे देख रहे थे उसके होंठ जैसे सूख से गये थे इस से पहले कि वो कुछ कहती मैने धीरे से अपने होंठो से उसके होंठो को छू लिया अगले ही पल उसकी आँखे बंद हो गयी सांसो से साँसे जुड़ गयी वो मेरी बाहों मे ढीली सी पड़ गयी मैं धीरे धीरे से उसको किस करने लगा कुछ देर बाद वो अलग हुई



उसकी गरम साँसे मेरी सांसो को दहका रही थी मैने उसकी कमर को और थोड़ा सा खींच हम एक दूसरे की आँखो मे देख रहे थे उसके होंठ जैसे सूख से गये थे इस से पहले कि वो कुछ कहती मैने धीरे से अपने होंठो से उसके होंठो को छू लिया अगले ही पल उसकी आँखे बंद हो गयी सांसो से साँसे जुड़ गयी वो मेरी बाहों मे ढीली सी पड़ गयी मैं धीरे धीरे से उसको किस करने लगा कुछ देर बाद वो अलग हुई


हम दोनो रोड पर ही बैठ गये, उसने मेरे हाथ को अपने हाथ मे लिया और बोली- मनीष एक बात बोलू


मैं- हूँ


वो- तुझसे ना प्यार हुआ पड़ा है आज से नही बहुत पहले से पर कभी मैं तुझे बोल नही पाई पर आज सोचा बोल ही दूं यार ऐसे मन में कब तक घुट घुट कर सहूंगी मुझे पता ही नही चला कि कब मैं तुझे इतना टूट के चाहने लगी , बस हो गया यार


मैं- मुझे पहले ही पता है निशा


वो- तो फिर तूने कहा क्यो नही


मैं- तुझे भी तो पता है ना


उसने मेरी बॉटल ली और दो चार घूंठ भरे फिर बोली- यार मैं जानती हूँ कि तेरी मिथ्लेश की जगह कोई नही भर पाएगा पर मैं बस तेरे साथ ही रहना चाहती हूँ तेरे सिवा मेरा है ही कौन


मैं- और तेरे सिवा मेरा भी कौन है


नशे से वो हल्के हल्के काँप रही थी


मैं- यार डर लगता है कहीं तू भी उसकी तरह मुझे छोड़ गयी तो


वो- मुझे कहाँ जाना है


मैं- साथ रहेगी ना


वो- मरते दम तक


वो मेरे सीने से लग गयी उसकी आँखो से दो आँसू निकल कर मेरे गालो को छू गये बड़बड़ाते हुए वो कब सो गयी कुछ होश नही मैने उसे बेड पर लिटाया और उसके पास ही सो गया दारू सच मे ही कुछ ज़्यादा हो गयी थी पर मैने आँखे मींच ली इस उम्मीद मे क्या पता आने वाला कल कुछ अच्छा हो सुबह जब मैने देखा तो मामा के लड़के की काफ़ी मिस कॉल आई हुई थी तो मैने सोचा बाद मे ही कॉल कर लूँगा


नहाने जा ही रहा था कि उसका फिर से फोन आ गया


मैं- हाँ भाई


वो- अरे यार कब से कॉल कर रहा हूँ तू फोन क्यो नही उठा रहा


मैं- सो रहा था


वो- सुन बे तू चाचा बन गया है बेटा हुआ है


मैं- ये तो बहुत ही अच्छी खबर आई भाई


वो- हाँ पर सुन तू अभी घर आजा कुँआ पूजन का प्रोग्राम जल्दी ही बन गया है तो तुझे आना ही होगा और कोई बहाना नही चलेगा


मैं- तुझे तो पता ही है यार मेरा दिल नही करता


वो- मेरे भाई , तू यार हम को अपना मानता ही नही है हमेशा ऐसी ही बात करता है अरे हमारे लिए नही तो बेटे के लिए आजा देख तू नही आएगा तो फिर मैं नाराज़ हो जाउन्गा बात नही करूँगा फिर कभी


मैं- तू समझता क्यो नही यार


वो- देख तू ही तो मेरा छोटा भाई है तेरे बिना मेरी क्या खुशी यार आजा ना


मैं- चल ठीक है यारा, कल शाम तक पहुचता हूँ

ज़िंदगी के कुछ दिन और गुजर गये थे वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती थी कि मेरे होंठो पर एक मुस्कान आ जाए चाहे हल्की सी ही पर मुझे पता नही क्यो खुशी होती ही नही थी कहने को तो जी रहा था पर सांसो का कुछ अता-पता था नही ऐसा नही था कि मैं निशा के बारे मे सोचता नही था हर पल उसकी फिकर रहती थी, ले देके वोही तो थी मेरी जो मिथ्लेश के बाद समझती थी मुझे कभी सोचा नही था ज़िंदगी ऐसे मुकाम पे ले आएगी हमेशा से मेरी कोई बड़ी तम्मन्ना नही थी

बस एक छोटा सा सपना देखा था मैने कि मैं और मिथ्लेश जी सके एक साथ पर गाँव की जिन गलियों मे हम जवान हुए वहाँ पर इतनी घुटन थी कि सांस लेना भी मुश्किल था और हम तो महक उठे थे मोहब्बत की खुश्बू मे पता नही कैसा रंग था उस का वो जो मुझे रंगरेज की तरह रंग गया था उसके रंग मे प्रीत ने जो डोर लगाई थी वो उलझ ज़रूर गयी थी पर टूटी नही थी ये और बात थी कि वो मुझसे आज दूर थी पर दूर होकर भी पास थी मेरे ,

इस दिल पे बस एक ही नाम था मेरी हर सांस बस मिथ्लेश ही पुकारती थी ऐसा कोई दिन नही जब उसकी याद नही आई, वो बहुत कहती थी मुझसे कि फ़ौजी कभी तुझे मेरी याद भी आती है और मैं बस इतना ही कहता था कि यार, तू इस दिल से कभी जाए तो तेरी याद आए जितने भी पल हम ने साथ जिए बहुत कीमती थे मिथ्लेश की बात ही अलग थी और लड़कियो से बस एक गुरूर सा था उसमे उसकी वो बड़ी बड़ी सी आँखे जब वो उनको गोल गोल घुमाती थी तो कसम से दिल साला कुछ ज़ोर से धड़क ही जाता था


जितना भी लिखू मैं उसके बारे मे बस वो कम ही है , खैर, उस दिन मैं और निशा रीना के घर गये थे वो जयपुर थी उन दिनो अब बहन माना था उसको तो मना भी कैसे कर पता उसको रिश्ता ही कुछ था उस से , ये जयपुर शहर से भी अपना कुछ अजीब सा रिश्ता सा बन गया था आजकल तो मामा भी यही रहने लगे थे रीना से एक अरसे से मिला भी नही था पर सच बात तो ये थी कि उसको मना भी नही कर पाया था


निशा की इच्छा थी कि ट्रेन पकड़ ले पर मैने सोचा कि कार से ही चलते है तो हम चल पड़े जयपुर की तरफ रास्ते मे कुछ सोच कर कोटपुतली रुक गये रुक्मणी की याद जो आ गयी थी उसकी शादी पे तो जा नही पाया था तो सोचा कि मिल ही लेते है पता नही क्यो पुराने लोगो की एक कमी सी महसूस करने लगा था मैं अब मम्मी के मामा का घर था तो खूब बाते हुई रुक्मणी चाहती थी कि मैं रुकु कुछ दिन पर मैने उसको फिर मिलने का वादा दिया और रात के अंधेरे मे हम लोग जयपुर आ गये


रीना बहुत खुश थी मुझे देख कर और मैं भी उसे देख कर सबसे अच्छी बात तो ये थी कि इस रिश्ते मे कोई फ़ॉर्मलिटी नही थी बस एक भाई- बहन का प्यार और हो भी क्यो ना हमारा बचपन ही कुछ ऐसा था मैने निशा के बारे मे बताया उसको अब जिकर हुआ तो पुरानी बाते भी निकलनी थी और बातों के साथ मिथ्लेश का ज़िक्र तो होना ही था पर रीना भी समझती थी उसने बातों का रुख़ दूसरी तरफ मोड़ दिया पर वो भी जानती थी कि मिथ्लेश कभी जुदा नही होगी मुझसे


फॅमिली कहने को तो ये एक वर्ड है पर समझो तो बहुत कुछ है और अपनी तो बस यही कहानी थी अपनो ने कभी अपनाया नही कुछ लोगो ने कभी ठुकराया नही दिल से अच्छा लगा थोड़ा टाइम रीना के घर पे बिताके उसका पति भी मस्त इंसान था तगड़ी जमती थी उस से कोई तीन चार दिन वहाँ रहने के बाद हम ने विदा ली उनसे पर इस शहर से कुछ यादे जुड़ी थी जिनको ताज़ा करना था मुझे पर पहले निशा को कुछ शॉपिंग करवानी थी तो हम चांदपॉल चले गये , वैसे निशा एक सिंपल लड़की थी पर मैने फ़ॉेर्स किया तो उसने जम के खरीदारी की


इसी बहाने से उसके चेहरे पर खुशी देखी मैने , पर एक बात पे मैने गौर किया कि उस शोरुम मे निशा एक ड्रेस को बहुत गौर से देख रही थी पर उसने खरीदा नही , वो फिर आगे बढ़ गयी मैं रुक गया मैने सेल्समेन से वो ही ड्रेस देखी वो एक दुल्हन का जोड़ा था और मैं उसके मन की सारी बात समझ गया बिना उसको बताए मैने वो खरीद लिया और चुपचाप छिपा के गाड़ी मे रख दिया


मैं समझता था कि हर लल्डकी का अरमान होता है कि वो दुल्हन बने निशा की भी यही इच्छा थी मैने मन ही मन कुछ सोचा और वैसे भी क्या फरक पड़ता है अब अगर हमारी वजह से अगर एक भी इंसान को ख़ुसी मिले तो बहुत बड़ी बात है ,

मैं- निशा, बियर पिएगी


वो- ना, मुझसे कंट्रोल नही होता फिर खम्खा तमाशा हो जाना है


मैं- कैसा लगा जयपुर आके


वो- अच्छा, काफ़ी टाइम गुज़रा है यहाँ तो यादे है


मैं- हा, पर कुछ बदला बदला सा लग रहा है ना


वो- परिवर्तन तो संसार का नियम है श्रीमान मनीष कुमार जी


मैं- हां जी वो तो है


निशा- वैसे तुम्हे शायद नही अशोक भाई ने तुम्हे बुलाया था और तुम यहाँ पर घूम रहे हो वो नाराज़ हो जाएँगे


मैं- ओह तेरी यार! मैं तो भूल ही गया था


निशा- तुम भूले नही थे बल्कि तुम भाग रहे हो रिश्तो से पर कब तक भागोगे मनीष एक ना एक दिन रुकना पड़ेगा


मैं चुप रहा उसने बड़ी सफाई से मेरे मन की बात पकड़ ली


वो- देखो वो लोग तुम्हारे अपने है और खुशनसीब होते है वो लोग जिनके अपने होते है मेरी बात मानो तुम्हे जाना चाहिए लोगो की खुशियो मे शामिल होने की आदत डालो सबका अपना अपना नसीब होता है अपने मे ये है तो ये ही सही
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निशा ठीक कह रही थी हम ने लंच किया अब निशा की बात को कैसे टाल सकता था मैं और उसका कहना भी तो जायज़ था और वैसे भी मैने अतीत को पीछे छोड़ कर जीने का निर्णय ले लिया था



पर ये निर्णय मैने सिर्फ़ निशा के लिए लिया था माना कि हमारी झोली खाली थी पर फिर भी उसके दामन को खुशियो से भरने का हौंसला था मेरा


निशा- एक काम करो तुम अकेले चले जाओ, मैं देल्ही की बस ले लेती हूँ


मैं- पागल है क्या तू भी चल रही है


वो- थोड़ा ठीक नही लगेगा यार कोई पूछेगा कि ये कौन है तो फिर


मैं- तो फिर क्या सबको पता है तू कौन है


वो- मेरी बात सुनो


मैं- तुम सुनो अगर तुम साथ नही तो मैं भी नही जाउन्गा


अब वो क्या कहती जब हम मामा के घर पहुचे तो मैं बुरी तारह से थक चुका था हल्का हल्का सा अंधेरा भी होने लगा था जैसे ही गाड़ी चौक मे रुकी सबसे पहले मुझे कौशल्या मामी दिखी मुझे देखते ही वो बहुत खुश हो गयी


मैने और निशा ने उनके पैर छुए फिर हम घर मे गये सब लोग बहुत खुश हुवे देख के थोड़ी देर बाद अशोक भाई भी आ गया तो बोला- हां भाई अब फ़ुर्सत मिली है तुम्हे
मैं- भाई तुझे तो सब पता है ना


वो- हाँ, भाई हम भी फ़ौजी है तेरी तरह अफ़सर नही है पर पता सब है


मैं- भाई अब रहने भी दे


भाई- अपनी भाभी से मिल ले गुस्से मे भरी बैठी है उसको झेल थोड़ी देर


मैं- मिलता हूँ थोड़ी देर मे


मैने निशा को इंट्रोड्यूस करवाया सबसे थोड़ी ही देर मे निशा सबसे घुल मिल गयी थी


मामी- कौन है ये


मैं- थारी होने वाली बहू है जल्दी ही इस से शादी करने वाला हूँ पर इसके लिए सर्प्राइज़ है बताना मत


वो- तभी मैं कहूँ …


मैं- क्या आप भी


वो- अच्छा है एक ना एक दिन तो ये काम भी करना ही है मम्मी से बात हुई


मैं- ना


वो- कब तक चलेगा ऐसे घर की बात है सुलझा लो


मैं- वो ही ज़िद पकड़ के बैठी है आपको तो पता है ही


वो- कल या परसो वो आ रही है फिर करते है कुछ


मैं- रहने दो मामी बड़ी मुश्किल से संभाला है खुद को यहा पे कोई तमाशा नही चाहता बस आप लोगो के साथ कुछ दिन हूँ तो हँसी-खुशी धीरे धीरे सब ठीक हो जाना है


मामी- चल फिर घर चलते है कितने दिन बाद आया है वही पे कुछ बाते करेंगे इधर तो सांस आनी नही है


मैं- एक बार भाभी से मिल लूँ फिर चलते है आप बताओ क्या चल रहा है


वो- कुछ नही बस अकेली हूँ आजकल , बच्चे अलग अलग सहरो मे है पढ़ाई के लिए तेरे मामा का तो पता है तुझे चिपके है नौकरी से कितनी बार कहा है रिटाइर हो जाओ पर सुनते ही नही मैं यहाँ रह जाती हूँ अकेली


मैं- ड्जूस्ट तो करना पड़ता है


वो – और कितना अड्जस्ट करू


मैं- भाभी से मिलके आता हूँ


वो- मैं भी कुछ काम निपटा लेती हूँ


जब मैं भाभी के कमरे मे गया तो निशा वहाँ पहले से ही बैठी थी कुछ देर तक भाभी के उलाहने सुनके उनको मनाया


भाभी- तुम तो बड़े आदमी हो गये हो क्यो आओगे हमारे यहाँ


मैं- भाभी ताने मत मारो


वो- लो जी अब ताने भी ना मारे


मैं- अब आ तो गया हूँ अब जब तक कहोगे यही रहूँगा


थोड़ी देर उनके पास बैठा फिर मैं और कौशल्या मामी उनके घर आ गये

मामी मेरी तरफ देख रही थी मैं उसकी तरफ देख रहा था वो ही वो थी वो ही मैं था कौशल्या मामी का भी मेरे जीवन मे बहुत बड़ा रोल थे मेरा उनसे सेक्स रीलेशन एक ग़लती की वजह से बन गया था जब मैने चाची समझ कर उसको चोद दिया था


उसके बाद हमारा रिश्ता बहुत बदल गया था वो मेरी मामी थी , मेरी दोस्त थी बिस्तर पर मेरी साथी थी आज भी कुछ ऐसा ही लम्हा था कुछ देर हम दोनो एक दूसरे को देखते रहे और फिर मैने मामी को अपनी गोद मे थम लिया मामी ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और किस करने लगी


मामी की उमर बेशक बढ़ गयी थी पर उसके बदन की ताज़गी आज भी ऐसी ही थी मामी के हल्के गुलाबी पतले पतले होंठ आज भी उनका स्वाद ऐसा ही था जैसा कि पहले था कुछ भी तो नही बदली थी वैसी ही थी पतली छरहरी हा कुछ बाल थोड़े से हल्के सफेद हो गये थे पर आग आज भी वैसी ही थी


हम दोनो का थूक मामी के मूह मे इकट्ठा हो रहा था जिसे वो पी गयी , पर मैं उसके होंठो को चूस्ता रहा जब तक वो खुद से अलग नही हो गयी


मामी- ज़्यादा मत चूसो, वरना होंठ सूज जाएगा


मैं- तो क्या हुआ


वो- कुछ नही पर थोड़ा छुपाना मुश्किल होगा


मैने मामी के ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा के उपर से ही उसकी मीडियम साइज़ वाली चुचियो को सहलाने लगा मामी के बदन मे कंपकंपी चढ़ने लगी मामी मेरे चेहरे को अपनी छातियो पर रगड़ने लगी मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और ब्रा को उतार दिया


मामी की चुचियो के भूरे भूरे निप्पल्स जैसे इंतज़ार कर रहे थे मेरे लबो का मामी की चुचि को मैने अपने मूह मे लिया तो मामी ने एक मीठी आह भरी और मेरे सर के बालो को सहलाने लगी


कुछ ही देर मे मामी के बदन ऐंठने लगा था चुचियो मे तनाव आने लगा था बारी बारी वो दोनो चुचियों को मेरे मूह मे दे रही थी मामी के बदन की मोहक खुशुबू मेरी सांसो मे घुलती जा रही थी


कुछ देर बाद वो मेरी गोद से उतर गयी और मेरी पॅंट को खोलने लगी नीचे खिसकाया और फिर घुटनो के बल बैठ कर मेरे लंड से खेलने लगी मामी ने उपर से नीचे तक लंड पर अपनी जीभ फेरी तो मैं झुर्झुरा गया


मेरे लंड के हर हिस्से पर मामी की गीली जीभ घूम रही थी बीच मे जब वो अपने दाँतों से चॅम्डी को आहिस्ता से काट ती तो एक खुमारी सी छाने लगी मैने अपनी आँखो को मूंद लिया और मामी को अपना काम करने दिया


मामी ने मेरे सुपाडे पर अपने होंठ लगा दिए और उसको पुच पच करते हुए चूसने लगी चाटने लगी मैने उनके सर को थोड़ा सा नीचे को दबाया तो मामी ने लंड का कुछ और हिस्सा अंदर ले लिया और अपने जलवे दिखाने लगी


मैने देखा बीच बीच मे उनका हाथ अपनी चूत पर जा रहा था तो मैं समझ गया कि मामी आज बहुत ज़्यादा गीली हुई पड़ी है पर मैने भी काफ़ी दिन से सेक्स नही किया था तो मैं चाहता था कि आज अच्छे से करू


करीब दस मिनिट बाद मैने अपने लंड को मामी के मूह से निकाला जिस पर मामी की लार लगी हुई थी मैने मामी को खड़ी किया और कच्छी को उतार दिया उफफफ्फ़ मामी की गान्ड क्या थी ज़्यादा भारी तो नही थी पर दिल धड़काने वाली ज़रूर थी


मामी के गोरे चुतड़ों पर जो हल्का सा गुलबीपन था वो बड़ा सेक्सी था और उपर से उनका पूरा शरीर गोरा था बस चूत ही काली थी और उसके वो झाट के बाल वहाँ से चूत की खूबसूरती और बढ़ गयी थी

मामी इस कदर गीली थी कि चूत से रिस्ता कामरस झान्ट के बालो को भी गीला करने लगा था जैसे की हरी घास मे कुछ शबनम की बूंदे सुबह सुबह कुछ ऐसी ही सुंदर मामी की चूत लग रही थी


मैने मामी को बेड पर पटक दिया और मामी ने खुद अपनी टाँगो को फैला लिया और अपनी गान्ड के नीचे तकिया लगा लिया ताकि चूतड़ थोड़े से उपर हो जाए


मामी- मनीष अब मत तडपा मुझे बहुत दिनो से तरस रही हूँ तुझसे प्यार करने के लिए


मैं- मैं भी मामी


मैने मामी की टाँगो को अपनी जाँघो पर चढ़ाया और मामी की चूत पर अपने गरम सुपाडे को रख दिया


मम्मी-अयाया


मैने हल्का सा झटका मारा तो लंड चूत मे जाने लगा मामी की चूत वक़्त के साथ थोड़ी मेच्यूर हो गयी थी तो चोदने मे और मज़ा आने वाला था धीरे धीरे मेरा पूरा लंड चूत मे जा चुका था और मैं मामी के उपर लेट गया


मामी ने अपने हाथ मेरी पीठ पर लगा दिए और मुझमे और अंदर तक समाने की कोशिश करने लगी मेरे गाल मामी के गालो से टकरा रहे थे और मैने अब अपनी कमर उचकानी शुरू की


मामी- आज तेरे साथ करके बहुत अच्छा लग रहा है बस ऐसे ही धीरे धीरे कर थोड़ा लंबा चलेंगे


मैं- हूंम्म


मामी का बाया गाल मेरे होंठो मे दबा हुआ था और मामी की चूत मे लंड फसा हुआ था कुछ देर बाद मामी ने अपने पैर एम शेप मे कर लिए जिस से लंड और गहराई तक अंदर को जाने लगा


मैं और मामी इस दौरान कुछ भी बात नही कर रहे थे बस धीरे धीरे अपनी चुदाई को आगे ले जा रहे थे मामी भी अपनी कमर उचका उचका कर मेरा साथ दे रही थी


कहने को तो ये सेक्स था पर हम अपने रिश्ते को थोड़ा और मजबूत कर रहे थे मामी के गुलाबी होंठो को मैं हल्के हल्के से चूम लेता था मामी की चुचिया मेरे सीने के बोझ तले दबी पड़ी थी और मामी की साँसे उफन रही थी



काफ़ी देर हो चुकी थी हम दोनो को पर वो चाहती थी कि मैं उसके उपर ही चढ़ा रहूं शायद वो दूसरी बार झड रही थी जब मेरा पानी उसकी चूत मे गिरने लगा मैने बहुत दिनो बाद सेक्स किया था तो जब मेरा हुआ तो मैं झेल नही पाया काफ़ी सारा पानी मामी की चूत मे गिरा जब मैने लंड को बाहर की तरफ खीचा तो वीर्य भी बाहर आकर गिरने लगा

कुछ देर तक हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे पड़े रहे फिर मामी ने अपने कपड़े पहने मैं बाथरूम मे चला गया थोड़ी थकान भी हो रही थी तो मैं नहा धोके आया


मामी- खाने मे क्या खाओगे


मैं- खाना निशा के साथ खाउन्गा


मामी- मेरे साथ नही खाना क्या


मैं- खाउन्गा आपके साथ भी पर सुबह, अभी उसे पूछना तो पड़ेगा ना मेहमान है वो


मामी- हाँ, पूछना तो पड़ेगा वैसे बात कितनी आगे बढ़ी है उसके साथ


मैं- मामी, उसका मेरा ना थोड़ा अलग टाइप का है, मतलब हम साथ रहते है पर फिर भी बस ऐसे ही है


मामी- शादी कर ले उसके साथ


मैं- मामी, सोचता तो हूँ पर मिथ्लेश की यादे जो है उसकी याद आती है तो फिर दिल साला काबू मे नही रहता और उपर से मम्मी भी नाराज़ है तो देखू क्या होता है


मामी- तुम्हारी मम्मी कल आ रही है तो फिर करते है बात सारे परिवार के आगे वो मना थोड़ी ना करेगी


मैं- मम्मी तो बात भी नही करती है


वो- सब सही हो जाएगा


मैने रॉकी को फोन किया और बोला कि निशा को यहाँ ले आ मामी खाना बनाने रसोई मे चली गयी मैं टीवी देखने लगा करीब आधे घंटे बाद निशा आ गयी कपड़े चेंज कर लिए थे उसने बड़ी कमाल लग रही थी


मैं- आज तो जबर्जस्त दिख रही हो, किसपे बिजलिया गिराने का इरादा है

वो- कौन हो सकता है तुम्हारे सिवा


मैं- बोर तो ना हो रही


वो- ना


मैं- बढ़िया


मैं- चल एक एक बियर पीते है


वो- ना यार, तुझे तो पता है मुझे झिलती नही है और फिर खम्खा तमाशा होगा


मैं- अरे कुछ नही होता थोड़ी थोड़ी लेते है तू छत पे आ मैं लेके आता हूँ


पहले तो वो मना करती रही पर फिर मान गयी और हम दोनो छत पर आ गये, मामी ने अपना घर खेतो मे बनाया था पहले तो ये एकलौता घर था पर अब बस्ती हो गयी थी हम दोनो छत की मुंडेर पर बैठ गये

और खोल ली बियर की बोटले, कुछ घूंठ लिए थे फिर बाते शुरू हो गयी


निशा- एक बात कहूँ


मैं- वो कैसी थी


मैं- कौन


वो- मिथ्लेश


मैं- तेरे जैसी


वो- बता ना


मैं- कहा ना तेरे जैसी


वो- सच मे


मैं- हां


वो- कैसे मिले थे तुम


मैं- बस ऐसे ही गाँव मे मेला था तो मैं भी गया था उसका पाँव भीड़ मे मेरे पाँव पर पड़ गया था तो तभी पहली बार उसको देखा था और तभी दिल मे कुछ कुछ हो गया था


वो- फिल्मी स्टाइल मे


मैं- हूंम्म


वो- फिर आगे


मैं- बस वो रोज आती थी मंदिर मे और मैं भी तो बस दिल ने उसके दिल तक पैगाम पहुचा दिया


वो- ऐसे ही तूने मुझे पटाया था


मैं- दोस्त है यार तू अपनी बल्कि दोस्त से बढ़ कर तूने मेरे लिए जो किया मैं कभी नही चुका सकता तू भी क्या पूछने लगी तुझे तो सब पता ही है


वो- अच्छा लगता है, उन लम्हो को याद करना कितने अजीब दिन थे तब लाइफ मे एक सुकून सा था आज देख सब कुछ है पर फिर भी कम लगता है


मैं- सही कहा यार अब तो सब बदल गया है अपने गाँव की मिट्टी भी बदल गयी यार, पहले हसी-मज़ाक था शराराते थी वो झोड़ मे नहाना पार्क मे पड़े रहना क्या दिन थे यार


वो- पता है जब तू नही था तेरी बहुत याद आती थी


मैं- मुझे भी बहुत मेहनत की यार तुझे ढूँढने मे पर तू इतनी दूर क्यो चली गयी थी


वो-पास ही तो हूँ , तुझसे दूर हो सकती हूँ क्या


मैं- निशा, मैं मर जाता अगर तू ना होती तो मेरी ज़िंदगी मे
वो- ऐसे मत बोल


मैं- पता है या कभी कभी दिल करता है तुझे अपने सीने से लगा लूँ थाम लूँ तुझे अपनी बहो मे तुझे ना बहुत प्यार करू किस करू तुझे


वो- कर ले तो उसमे क्या है


मैं- सच मे


वो- हाँ


उसके होंठो के नीचे एक तिल था जो मुझे बहुत प्यारा लगता था मैने बोतल को साइड मे रखा और निशा का हाथ पकड़ लिया


वो मेरे करीब आने लगी इतनी करीब की उसकी गरम साँसे मेरे चेहरे को छुने लगी, उसने अपने होंठो को आगे किया और ऐसा ही मैने किया जैसे ही हमारे होंठ टकराए उसका बदन हल्के हल्के से काँपने लगा

एक बार जो होंठो से होंठ मिले तो बस मिलते ही गये मैने दोनो हाथो से उसके चेहरे को थाम लिया और उसको स्मूच करने लगा निशा ने अपनी बाहों मे कस लिया और मेरा साथ देने लगी


एक फिर दो फिर पता नही कितने किस हम करते रहे फिर भाई-बहन आ गये छत पर तो और बाते होने लगी

रॉकी- आप भी पीती हो


निशा- नही, बस कभी कभी तुम्हारे भाई ज़िद कर लेते है तो


सुषमा- वैसे आप क्या करते हो


निशा- लोन मॅनेजर हूँ बॅंक मे


रोकके- भाई मैं भी इस साल एनडीए का एग्ज़ॅम दे रहा हूँ


मैं- मत दे यार, लाइफ मुश्किल हो जाएगी


वो- क्या भाई आप भी मुझे भी आपकी तरफ बन ना है


मुझे हँसी आ गयी – मैं- ना भाई मेरी तरह मत बन ना , कुछ नही हासिल होगा जो लाइफ मैं जीता हूँ दूर से बहुत अच्छी लगती है तू भी सोचता होगा भाई के पास पैसा है रुतबा है पर मेरे भाई ये सब शोऑफ है अंदर से खाली हूँ मैं


रोकके- भाई आप बताते भी नही कि क्या हुआ था


मैं- कुछ नही यार बस इतना समझ ले,ये इश्क़ नही आसां एक आग का दरिया और डूब के जाना है


रोकके – भाई मैं जानता तो हूँ कि आप किसी के साथ लव मे थे पर क्या हुआ वो नही पता


मैं- मुझे भी नही पता


मैं उठा और छत से घरो को देखने लगा जिनमे अब रोशनी होने लगी थी मामी रसोई मे खाना बना रही थी हम लोग उपर छत पर बैठे बाते कर रहे थे


रोकके- सोल्जर बन ना चाहता था अच्छी बात थी , सबके अपने अपने सपने होते है और एक कोशिश तो होनी ही चाहिए सपनो को पूरा करने की बाकी का कुछ टाइम खाने- पीने मे गया


उसके बाद निशा सुषमा के साथ रीना भाभी के पास चली गयी रॉकी भी उनके ही साथ था रह गये मैं और मामी…………………..

मामी ने बिस्तर छत पर ही लगा दिया था मौसम मे हल्की सी ठंडक सी थी एक खुशमिजाजी सी थी और फिर मामी ने अपने कपड़े उतारे और बस पैंटी पैंटी मे ही मेरे पास आ लेटी मामी ने एक काली कच्छी पहनी हुई थी जिसमे से आधे से ज़्यादा चूतड़ दिख रहे थे


और आगे से भी बस चूत वाला हिस्सा ही ढका हुआ था ऐसा लग रहा था कि उसने अपने साइज़ से छोटी पैंटी पहनी हुई थी मामी मुझसे लिपट गयी तो मैने भी उसे अपनी बाहों मे ले लिया और मामी की नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको किस करने लगा


मामी की चुचिया मेरे सीने मे घुसने को मचल रही थी और फिर मैने मामी के होंठ चूस्ते हुए उसकी गान्ड को सहलाना शुरू किया तो वो और मस्त होने लगी, मैने मामी की कच्छी को नीचे सरकाया और मामी की फूली हुई गान्ड को मसल्ने लगा


मामी ने अपनी जीभ मेरे मूह मे डाल दी मस्ती हम दोनो पर असर कर रही थी मैने अपना हाथ मामी की गान्ड की दरार मे डाला और उसको सहलाने लगा मेरी इस हरकत से मामी को मज़ा आने लगा तो उसने मेरे लंड को अपने हाथ मे लिया और ऊपर नीचे करने लगी

मामी की नाज़ुक उंगलिया मेरे सुपाडे के छेद को सहला रही थी मैने अपनी उंगली पर थोड़ा सा थूक लगाया और मामी की गान्ड मे घुसा दी उसने अपने चुतड़ों को भीच लिया तो मैने चूतड़ पर एक थप्पड़ मारा मामी ने चूतड़ ढीले कर दिए


और मैं उसकी गान्ड मे उंगली अंदर बाहर करने लगा मामी तो एक्सपर्ट थी गान्ड मरवाने मे


मैं – कितनी गरम है तू कितना नशा है तुझमे जब जब तुझे चलते देखता हूँ दिल करता है वही पटक कर चोद दूं तुझे उम्र बढ़ गयी पर तुम्हारा नशा कम नही हुआ कौन कहेगा कि तुम तीन जवान बच्चों की माँ हो कितनी गदर गान्ड है तुम्हारी


मामी- ठुकाई भी तो खूब होती है जब तुम्हारे मामा होते है तो दिन रात खूब दबा के पेलते है मुझे तो ये चूतड़ उन्होने ही फूला दिए है

मैं- मामी आज की रात खूब चुदोगि ना


वो- हां मेरे प्यारे तेरा लंड लेने को तो तरस ही गयी हूँ मैं आज अपनी मामी की चूत को खूब रगड़ ना

मैं- मूह मे लेले


मामी ने तुरंत मेरा कहा माना उसने अपनी लंबी जीभ बाहर निकाली और मेरे सुपाडे पर फेरने लगी “आह मामी क्या बात है आआआअहह”
मुझ पर एक दम से मस्ती चढ़ गयी थी मामी अपनी जीभ का जलवा बस मेरे सुपाडे पर ही दिखा रही थी मामी की आँखो मे एक नशा था मैने अपना हाथ पीछे किया और मामी की चोटी को खोल दिया मुझे हमेशा से खुले बालो वाली औरते ही सुंदर लगती थी


और कौशल्या मामी तो गजब औरत थी गोरा रंग पतला शरीर एक नाज़ुक गुड़िया सी पर सेक्सी बहुत थी एक आग थी उनमे और मैं उस आग मे झुलसना चाहता था मैं बार बार और क्योकि मेरे जिस्म को चाह थी तो बस चूत की मेरे लिए तो हर रिस्ता ख़तम था अगर कुछ था तो भूक मेरे जिस्म की

कौशल्या मामी तो गजब औरत थी गोरा रंग पतला शरीर एक नाज़ुक गुड़िया सी पर सेक्सी बहुत थी एक आग थी उनमे और मैं उस आग मे झुलसना चाहता था मैं बार बार और क्योकि मेरे जिस्म को चाह थी तो बस चूत की मेरे लिए तो हर रिस्ता ख़तम था अगर कुछ था तो भूक मेरे जिस्म की


मामी बड़े प्यार से मेरे लंड को चूस रही थी मैने उसके सर को थाम रखा था उसके बालो मे उंगलिया फसि थी मेरी और मामी अपने थूक से सन रही थी मेरे लंड को कभी कभी मैं ज़ोर से पेल मार देता तो मेरा लंड मामी के गले मे आगे को हो जाता तो मामी अपनी आँखो से गुस्सा करती


करीब 5-7 मिनिट तक उन्होने खूब चूसा मेरे लंड को फिर मामी ने अपनी टाँगो मे फसि कच्छी को उतारा


और मेरी ओर अपनी गान्ड कर के घोड़ी बन गयी मामी के बदन से बहुत ही मस्त खुसबु आ रही थी शायद उसने पर्फ्यूम लगाया था मैं थोड़ी देर उसकी चुतड़ों को देखता रहा और फिर अपनी जीभ फेरने लगा मामी की गान्ड पर मामी की गान्ड की दरार मे


और हौले से उसकी गान्ड के छेद को चूम लिया मामी ने एक आह सी भरी और अपनी गान्ड को मेरे मूह पर दबाने लगी बस एक इंच नीचे मामी की चूत गीली होकर फुफ्कार रही थी बुला रही थी मेरे लंड को कि आ और मेरे छेद को चौड़ा कर दे


आ और समा जा, धज्जिया उड़ा दे मेरी मैं बारी बारी मामी की चूत और गान्ड दोनो को चूमने लगा मामी के चूतड़ मेरी जीभ की ताल पर नाचने से लगे थे और मामी के होंठो से फुट ती वो मस्त आहे कसम से कोई भी पागल ही हो जाए


मामी की उस अदा को देख कर , खुद मेरा हद से ज़्यादा बुरा हाल था मामी का नमकीन रस मेरे होंठो पर अपना स्वाद छोड़ रहा था मामी का पतला पेट काँप रहा था बुरी तरह से उत्तेजना सर पर चढ़ चुकी थी मैने मामी की चूत पर अपने गरम लंड को लगाया


और मामी खुद अपनी गान्ड पीछे करने लगी जिस से मेरा सुपाडा मामी की रस से भरी चूत मे जाने लगा मामी की चूत खुद किसी गरम भट्टी की तरफ से तप रही थी मैने अपने लंड पर चूत की गर्मी को महसूस किया


और मेरे अगले धक्के पर मेरा आधा लंड कौशल्या मामी की चूत मे घुस गया मैने अपने दोनो हाथ मामी के सुडौल कंधो पर रखे और मामी को चोदना शुरू किया अगले कुछ मिनिट्स तक बस मामी की गरम आहो का शोर ही होता रहा


मामी की चिकनी चूत जिसे जितना चोदो कम लगे, उपर से मामी भी टूट कर चुद रही थी तो बहुत मज़ा आ रहा था मैं बार बार उसकी पीठ पर चूमता उसके चुतड़ों पर थप्पड़ मारता


“ओह हाआँ ऐसे ही असीसीईईईईईईई फाद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड दीईईईई मेरे भोस्डे कूऊऊ उफफफफफफफफफ्फ़ आऐईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हूंम्म्म हूंम्म्मममम धीरीईईईईईईईईई ढरीईईईईईई ”

मामी की ये मादक आहे मुझे और उत्तेजित कर रही थी चुदती तो हर औरत है पर जब औरत अपनी लाज़-शरम छोड़ कर चुदती है तो उसे भी मज़ा आता है और चोदने वाले को भी ऐसा ही हाल मेरी प्यारी मामी का था जो मुझ पर अपनी चूत की घनघोर बरसात कर रही थी


मैं- उपर आउ क्या


मामी- ना ऐसे ही चुदुन्गि मेरा होने वाला है तो बस तोड़ दो मुझे निचोड़ दो अपनी मामी को …….
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#77
मामी ने अपनी चूत को टाइट कर लिया अपनी जाँघो को आपस मे चिपका कर तो मैं भी तेज तेज स्टॉक लगाने लगा मैं भी चाहता था कि उसके साथ ही झड जाउ ताकि उसके पानी को फील कर सकूँ


अगले कुछ मिनिट बस मैं बेरहमी से धक्के लगाता रहा और फिर मामी की चूत जैस ही अपना रस बहाने लगी मैने भी अपना वीर्य छोड़ दिया और मामी के उपर ही ढह गया

करीब दस पंद्रह मिनिट हम दोनो एक दूसरे से लिपटे पड़े रहे फिर मामी उठी और कोने मे जाकर मूतने लगी चूत से जो सुर्र्र्ररर सुर्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ आ रही थी बड़ी मस्त लग रही थी मैने पास रखे जग से थोड़ा पानी पिया और फिर मैं भी मूतने चला गया

तब तक मामी भी चूत सॉफ करके वापिस बिस्तर पर आ गयी थी मैं आते ही उसके पास लेट गया और बाते करने लगे


मामी- तूने बड़ी मामी के साथ कर लिया


मैं- कहाँ , आप सीधा यहाँ जो ले आई


वो- तो क्या करती, मुझे पता है एक बार उसकी चूत ले ली तो फिर तुम उसके पीछे ही घुमोगे


मैं- ऐसी बात नही है डार्लिंग, वैसे कहो तो तुम दोनो को साथ चोद दूं


वो- ना, अकेले मे मस्त लगता है


मैं- तो अकेले मे चुद लो मेरी रानी आज की रात तो अपनी ही है आज तुम्हारे दोनो छेद चौड़े कर दूँगा

वो- गंदी बाते करना सीख गये हो तुम


मैं- तुमसे ही सीखाया है मेरी रानी


मैने मामी की चुचि चूसना शुरू किया और बारी बारी दोनो चुचियो का मज़ा लेने लगा मामी आहे भरने लगी जल्दी ही मामी की चुचिया कठोर होने लगी और मामी के चेहरे का रंग बदलने लगा


बहुत देर तक मैने उसकी चुचिया चूसी मामी की आँखो मे फिर से हवस के लाल डोरे तैरने लगे थे मैने मामी को बिस्तर पर औंधी लिटा दिया और उसके चुतड़ों को थोड़ा सा फैलाया जिस से उसकी गान्ड का छेद सामने हो गया


मैने ढेर सारा थूक लगाया उसकी गान्ड पर फिर अपना लंड अंदर डालने लगा मामी की गान्ड काफ़ी खुली हुई थी तो ज़्यादा परेशानी नही हुई मुझे धीरे धीरे करके मैने पूरा लंड अंदर डाल दिया


मेरी गोलिया मामी के चुतड़ों से टकरा रही थी कुछ देर मैं उसके उपर ऐसे ही पड़ा रहा फिर मैने मामी की गान्ड मारनी शुरू की साथ ही मैं उसके गोरे गालो को चूम ने लगा मामी की गान्ड अंदर से बहुत ही गरम थी और मेरे लंड पर काफ़ी टाइट हो रही थी


मामी के उपर मेरा पूरा बोझ पड़ रहा था पर मामी एक्सपर्ट थी गान्ड मरवाने मे जल्दी ही वो भी अपने चूतड़ पटकने लगी और पूरी मस्ती मे आकर मज़ा लेने लगी हम दोनो पसीना पसीना हो रहे थे


काफ़ी देर तक हम ऐसे ही करते रहे फिर मैने मामी को टेढ़ी किया और पीछे से उसकी गान्ड मारने लगा मैं अपने हाथ से उसकी चुचि दबा रहा था उसको किस कर रहा था और मामी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी


करीब आधे घंटे तक उसकी गान्ड मारी मैने तब कही जाके मेरा पानी छूटा, उसके बाद हम ने एक राउंड और लिया और फिर सो गये, सुबह मैं जल्दी ही उठ गया तो थोड़ा खेतो की तरफ घूमने निकल गया तो रास्ते मे मुझे सरोज मिल गयी


सरोज- अरे तुम बड़े दिनो बाद रुख़ किया इस तरफ का


मैं- टाइम नही मिलता आपको तो पता है लाइफ चेंज हो गयी है


वो- फिर भी पुराने लोगो से मिलते रहना चाहिए


मैं मुस्कुरा दिया , सरोज को भी खूब पेला था पुरानी सेट्टिंग थी मैं उसके हाव भाव से ही जान गया था कि तैयार है पर मैने उसको कहा की जल्दी ही मिलूँगा उस से घूम फिर के आया नहाने धोने मे ही दोपहर हो गयी थी

रामअवतार मामा यानी कौसहल्या मामी के पति भी आ गये थे तो वो थोड़ा सा शांत थी, हम सब बैठे थे कि मम्मी पापा भी आ गये मैं पापा से मिला पर मम्मी ने बात नही की बस निशा से ही बात की


पापा- और फ़ौज़ी क्या चल रहा है


मैं- कुछ नही पापा


वो- कितने दिन की छुट्टी है


मैं- है थोड़े दिन


वो- घर चल फिर


मैं- आपको तो पता है पापा


वो- वो कल भी तेरा घर था और हमेशा रहेगा और किस घर मे आपस मे बोल-चाल नही होती बाकी तेरी मर्ज़ी है हम कितने दिन जियेंगे
मैं- ऐसा क्यो कहते हो


वो- और नही तो क्या वहाँ तू दुखी यहाँ हम दुखी कैसे चलेगा बता
मामी- जीजाजी, बाते तो होती रहेंगे आओ कुछ चाय-नाश्ता करते है फिर बाकी बाते होती रहेंगी


बस प्रोग्राम मे दो दिन ही थे तो मेहमान आने ही थे तो तभी पता चला कि बड़े मामा भी छुट्टी आ गये है तो अब सबसे ही दुआ सलाम होनी थी ऐसे ही शाम हो गयी बड़ी मामी से नज़रे भी मिली पर उनकी तरफ से कुछ रेस्पॉन्स नही आया मुझे

शाम को मैं उनके कमरे मे गया तो वो साड़ी बदल रही थी


वो- मैं कपड़े पहन रही हूँ दिखा नही क्या


मैं- मुझ से कैसा परदा मेरी प्यारी मामी मैने तो आपके अंग अंग को देखा है


मामी- अब तुम बड़े हो गये हो देखो मैं भी बूढ़ी हो गयी हूँ जो बीत गया उसको भूलो और आगे बढ़ो अब क्या फ़ायदा इन बातों का और नही ये बाते अब शोभा देती है


मैं- हाँ, मामी टाइम बदल गया है लोग बदल गये है और आप भी देखो ना कितनी आसानी से बोल दिया


मामी- तू समझा कर


मैं- हां, समझ तो रहा हूँ पर मैं कौन सा रोज आपके पास पड़ा रहता हूँ कितने दिन बाद मिल रहे है ऐसे मे एक बार दे दोगि तो क्या घट जाएगा आपका


मामी- तूने नही सुधरना तेरे मामा आज ही आए है तो वो भी लिपतेंगे मुझसे पर करती हूँ कुछ तेरा चल अब ये बुरा सा मूड ना बना जैसे ही मौका लगता है इशारा करती हूँ


मैने मामी को किस किया और निकल लिया वहाँ से मामी के पास से आया तो देखा कि मम्मी और निशा बड़ी हंस हंस के बाते कर रही थी तो मैने सोचा कि क्या बात कर रही होंगी मैं भी एक साइड मे जाके बैठ गया कुछ और जान-पहचान वाले थे तो उनसे बाते होने लगी


आज रात दोनो मामिया बिज़ी रहने वाली थी तो अपने को ऐसे ही रात गुजारनी थी रात के खाने के बाद भी बहुत देर तक ऐसे ही बाते चलती रही फिर निशा ने मुझे इशारा किया तो मैं उसके पास गया

निशा- मम्मी से बात करो


मैं- ना

वो- सुनो तो सही


मैं- कहा ना नही उसको बेटा नही चाहिए क्या वो नही बोल सकती

वो- ईगो पे मत लो यार आख़िर सब अपन ही तो है तुम एक स्टेप आगे लोगे तो क्या हो जाएगा


मैं- निशा अभी टाइम ठीक नही है जब टाइम होगा तो देखेंगे


वो- चलो तुम्हारी मर्ज़ी मुझे ना चाय पीनी है तुम आओगे


मैं- हाँ, पर तुम्हे बना नी होगी


मैं और निशा रसोई मे आ गयी उसने चाय का पानी रखा गॅस पर रखा मैं बस उसे ही देखे जा रहा था


वो- ऐसे ना देखा करो तुम


मैं- अब क्या पाबंदी लगाओगी


वो- ना पर तुम्हारी नज़रें बाँध लेती है मुझे


मैं – तो बँध जाओ ना


वो-क्यो भला


मैं- तुम अंजान तो नही


वो- हां पर काबिल भी तो नही अभी तक


मैं- बहुत सताती हो आजकल तुम


वो- और जो तुम तडपाते हो उसका क्या


मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको खीच लिया


वो- क्या करते हो कोई आ जाएगा


मैं- आने दो


वो- छोड़ो ना

मैं- कभी कभी तो तुम मुझे पागल ही कर देती हो


वो- सच मे


मैं उसके बालो को सूंघते हुए- निशा


वो-हूंम्म


मैं- मैं बहक रहा हूँ


वो- बहक जाओ किसने रोका है


मेरी साँसे उसके चेहरे को छू रही थी मैने उसे थोड़ा सा और कस लिया अपने आप मे उसके होंठो और मेरे होंठों मे बस कुछ ही फासला था उसने अपनी आँखे बंद कर ली बस एक सेकण्ड की बात थी कि ……

“बेशर्मो, कहीं भी शुरू हो जाते हो ”

हम दोनो एक पल को तो चौंक ही गये थे हड़बड़ाहट मे अलग हुए तो देखा कि बड़ी मामी रसोई के दरवाजे पे खड़ी थी


मैं- मैं तो चाय पीने आया था


मामी- हाँ देख रही हूँ मैं


निशा ने सर झुका लिया


मामी- थोड़ा यहाँ वहाँ देख लिया करो मेहमानों का घर है बाकी जवान बच्चे है जो चाहे करो वैसे चाय बन रही है तो मैं भी एक कप लूँगी


मैं अपना कप लेके बाहर आया और एक कुर्सी पर बैठ गया मामी भी मेरे पास आ गयी


वो- क्या सोचा फिर तूने


मैं- किस बारे मे



वो- निशा के बारे मे


मैं- क्या सोचना है


मामी- भोला मत बन, देख सब रिश्तेदार तो आए ही हुए है तू कहे तो पंडित बुलवा के फेरे पड़वा दे


मैं- मामी अभी हम ने ऐसा सोचा नही है और वैसे भी ये सब मुझसे ना हो पाएगा मेरा जी नही करता


मामी- पर बात यहा तुम्हारी नही है बात निशा की है उसके बारे तो सोचना होगा तुम्हे


मैने मामी की तरफ देखा


मामी- देखो वो तुम्हारे साथ रहती है तुम दोनो की दोस्ती मेरे कहने का मतलब कि तुमको अगर सबसे अच्छे से कोई समझती है तो वो निशा ही है और मैं जानती हूँ कि आगे भी तुमको साथ ही रहना है तो शादी कर लो उस से


मैं जानती हूँ कि तुम्हारा मन नही करता पर दुनिया क्या कहेगी कल को अब हम तो चलो समझते है पर गाँव-बस्ती है और लोग है हम किसी का मूह तो बंद नही कर सकते ना अब सामने तो नही पीठ-पीछे तो लोग कुछ ना कुछ कहेंगे ही


दरअसल बात निशा के सम्मान की है जो तुम्हे उसे देना ही होगा हम सब चाहते है कि वो बस तुमहरि दोस्त ना रहे बल्कि हमारी बहू बन कर रहे इस से उसका फॅमिली मे भी आदर होगा


मुझे कुछ नही पता बस हमें निशा हमारी बहू के रूप मे चाहिए हम सबकी यही चाहत है अब शादी मे भीड़ भाड़ रोनक नही चाहिए तो कोई बात नही एक सिंपल सा प्रोग्राम कर लेते है जैसा तुम चाहो वैसे पर बेटे निशा को उसका हक तुम्हे देना ही होगा


मामी का कहा हर लफ्ज़ सच्चा था निशा ने कभी मुझसे कुछ माँगा नही था पर उसका ख्याल रखना मेरी ज़िम्मेदारी थी


मैं- करता हूँ कुछ मामी जल्दी ही


कल कुआँ पूजन था तो बाकी का दिन काम करने मे गया मेहमानो की खातिर दारी हलवाई को देखना कभी बाज़ार जाना मैं आया और सीधा तैयार होने के लिए चला गया

और जैसे ही मैं कमरे मे गया तो देखा कि निशा ने वो ही जोड़ा पहना हुआ है जो मैने उसके लिए खरीदा था उसने मुझे देखा तो बोली- पहन कर देख रही थी

जब मैने उसे उस जोड़े मे देखा तो दिल मे गड़गाहट सी हो गयी निशा उस जोड़े मे इतनी खूबसूरत लग रही थी उसके कमर तक आते खुले हुए बाल उसके बदन से वो पर्फ्यूम की हल्की सी जो खुसबु आ रही थी उसने अपने माथे पर जो माँग टीका लगाया था


कसम से मैं जैसे हो सा ही गया था उसकी वो डोरियो वाली चोली मैं बस उसके पास गया और बोला- बहुत खूबसूरत लग रही हो तुम

वो मुस्कुराइ


उसने हाथो मे जो चूड़िया पहनी थी पूरी कलाईयों को भर लिया था उसने मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था उसका तो पता नहीपर मेरा होश खोने लगा था जिंदगी मे पहली बार मैने महसूस किया कि निशा एक बदल बन जाए और बरस पड़े मुझ पर और भिगो दे मुझे किसी बंजर ज़मीन की तरह वो बस किसी बिजली की तरह गिर जाए मुझ पर और जला दे मुझे किसी आभूषण की तरफ खनकाने को तो बहुत कुछ था मेरे पास पर शायद दिल ने इजाज़त नही दी


मैने बस उसे अपने आगोश मे समेट लिया और उसके नर्म होंठो को खुद से जोड़ लिया इस से पहले वो मुझे कुछ कहती मैने जाकड़ लिया उसको ये हमारा दूसरा किस था मैं बस उसके होंठो को फील कर रहा था मैं उसकी सांसो की गहराई मे उतर जाना चाहता था उसको अपने दिल से महसूस करना चाहता था


मैने बस उसे अपने आगोश मे समेट लिया और उसके नर्म होंठो को खुद से जोड़ लिया इस से पहले वो मुझे कुछ कहती मैने जाकड़ लिया उसको ये हमारा दूसरा किस था मैं बस उसके होंठो को फील कर रहा था मैं उसकी सांसो की गहराई मे उतर जाना चाहता था उसको अपने दिल से महसूस करना चाहता था


ना जाने क्या सोच कर उसने खुद को मेरी बहो मे ढीला छोड़ दिया थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा फिर वो हट गयी


“सांस तो लेने दो मनीष ”

मैं- निशा मैं कुछ कहना चाहता हूँ


निशा- मैं जानती हूँ …….


मैं- निशा …………..


वो- मैं जानती हूँ तुम क्या कहना चाहते हो पर इतना जान लेना कि मैं तुम्हारी ज़रूरत ना बन जाऊ

“तुम मेरी ज़रूरत नही हो निशा ”

“तो कौन हूँ मैं क्या हूँ मैं क्या मैं ख्वाब हूँ या तस्सवुर हूँ या मैं कुछ भी नही ”

“पहली तो पता नही पर आज तुम मेरी ख्वाहिश हो तुम वो डर हो जहाँ मैं बार बार आना चाहूँगा , तुम हो तो मैं हूँ बस इतना जानता हूँ ”

“वो क्या करोगे मुझे अपनी ख्वाहिश बना कर जब तुम खुद किसी का ख्वाब हो और ख्वाब अक्सर आँख खोलते ही बिखर जाया करते है ”

“मैं किसी का ख्वाब नही बल्कि शतरंज के खेल का हारा हुआ राजा हूँ ”
“तुम तुम हो तो क्या तुम हुए ”
“तुम्हे तो सब पता है ना ”
“तभी तो कह रही हूँ कि मैं तुम्हारी ज़रूरत नही हूँ ”
“हाँ, तुम मेरी ज़रूरत नही हो ”
“तो क्या हूँ मैं तुम्हारी बता क्यो नही देते ”
“क्या सुन ना चाहती हो तुम निशा ”
“कुछ नही बस ढूँढ रही हूँ खुद को अंधेरी गलियों मे और रोशनी है कि कुछ दिखाई देता नही ”
“अगर मैं कहूँ मुझे तुमसे ……… ’
“मनीष, तुम बहुत कच्चे हो मैं जब भी तुम्हारे बारे मे सोचती हूँ मेरी आँखो के सामने जैसे एक बच्चा आ जाता है पर किसी पतंग की डोर की तरह उलझे हो तुम ”

“और कौन सुलझाएगा इस डोर को ”

“कोई तो होगा जिसे तुम्हारी नज़रें देख नही पा रही है ”

“मैं क्या बताऊ क्या मेरे दिल मे है आँसू भी मेरा है और दिल भी मेरा है मैं कैसे जीता हूँ निशा बस मैं जानता हूँ मेरा कोई वजूद नही उसके बिना मैं जानता हूँ कि तुम भी मेरी हो पर निशा वो भी तो ………. ”

“मैं समझती हूँ मनीष, पर जीना तो होगा ना मैने पहले भी कहा है कि तुम उसको भी दुख दे रहे हो वो क्या सोचती होगी जब तुम्हे यूँ देखती होगी मैं जानती हूँ कि तुम कभी उसको नही भूल पाओगे और उसको भूल जाना भी नही पर मैं फस गयी हूँ ”

“तुम ही तो हो मेरे पास ”

“कुछ बातों को तुम नही समझते हो ”

“तुम समझाती भी तो नही हो ना ”

“इतने नासमझ भी नही हो तुम ”

“निशा मैं इशारे नही समझ पाता हूँ ”

“ तुम मुझे भी कहाँ समझ पाते हो ”ये बोल कर वो नीचे चली गयी मुझे छोड़ गयी अब कैसे कहे हम हाल-ए-दिल अपना सनम से जब उसको हमारी धड़कने सुनाई देती हो

वो मेरी ज़रूरत नही थी सच कहा था उसने पर मेरी ख्वाहिश भी तो नही थी मुझे बहुत गुस्सा आता था कभी कभी कि क्यो छोड़ गयी मुझे वो इस बीच राह मे मंदिर- मस्जिद जहाँ भी मैने सर झुकाया बस एक दुआ माँगी कि जी सकूँ उसके साथ उसकी बाहों मे सोना चाहता था – उसके साथ हसना उसके साथ रोना चाहता था


कोई बहुत बड़ी चीज़ नही माँगी थी मैने दुआ मे और ऐसी भी ना थी कि जो पूरी ना होसके फिर क्या कमी रही मेरी मुहब्बत मे या मेरी दुआ मे जो किसी ने भी कबूल नही किया मैं दोष नही दे रहा किसी को पर साला अजीब लगता है जब खुद को अपनो के बीच अकेला पाता हूँ कहने को तो मेरे होंठो पर एक मुस्कान है फिर क्यो मेरे सीने मे आग लगी है
मितलेश मेरा नूर थी तो निशा मेरी परछाई थी उसका कहना कुछ भी ग़लत नही था पर हम करे तो क्या करे वो भी अपनी और दर्द भी अपना वो लाख कोशिश करती थी मेरे दिल पर मरहम लगाने की पर मैं खुद कुरेदता था अपने जख़्मो को
खैर, नीचे आया तो रोनक लगी थी महफ़िल सजी थी आज तो जम के धमाल होना था तभी मैने देखा कि रुक्मणी भी आई थी ओह उसको तो आना ही था
मैं उस से मिला
रुक्मणी- मनीष, कैसे हो तुम हमें तो भूल ही गये हो कितना टाइम हुआ ना कोई फोन ना कुछ
मैं- थोड़ा सा बिज़ी था अब तुम्हे तो सब पता ही है
वो- एक मिनिट किसी से मिलावाती हूँ
मैं- कौन
वो- आओ तो सही इनसे मिलो मेरे हब्बी सुधीर
हम ने हेलो किया कुछ बाते हुई अच्छा इंसान लगा मुझे
मैं- तुमने शादी कब की
वो- तुम कॉंटॅक्ट रखो तो कुछ पता चले तुम्हे
मैं- वैसे अच्छा ही है लाइफ मे सेट्ल तो होना ही है
वो- हाँ पर तुम कब सेट्ल हो रहे हो
मैं- जल्दी ही हो जाउन्गा और बताओ
वो- बस बढ़िया जयपुर मे हूँ अभी
मैं- क्या बात कर रही हो मैं अभी तो आया जयपुर से
वो- कब
मैं- जस्ट कुछ दिन पहले
वो- तो फिर आओ हम सिविल लाइन्स मे रहते है
मैं- पक्का
तभी निशा भी आ गई
रुक्मणी- कौन है
मैं- दोस्त है
वो- गर्लफ्रेंड
मैं- उस से ज़्यादा
वो- वाउ मनीष तुम तो छुपे रुस्तम निकले
मैने निशा को रुक्मणी से मिलवाया
तभी निशा को मामी ने बुला लिया
रुक्मणी- चूक मत शादी कर ले
मैं- सोच तो रहा हूँ
वो- सोच मत पगले कब तक भागता रहेगा अपने आप से अब तो रुक जा
मैं- डर लगता है
वो- डर कैसा
मैं- पता नही
वो- कुछ ना होता अच्छा मैं मिलती हूँ थोड़ा कपड़े वग़ैरा चेंज कर लूँ
मैं-ओके
उसके बाद मैं बड़े लोगो के कमरे मे गया पेग सेग लग रहे थे तो मैने भी एक बॉटल उठा ली और बाहर आ गया
मामी- शुरू हो गया तुम लोगो का
मैं- वो तो किसी को देनी थी
वो- रहने दे सब समझती हूँ मैं
मैं- भाई कहाँ है
वो- होगा यही कही
मैं- मिले तो बोलना मैं उधर हूँ
मैं एक कुर्सी पर बैठ गया और गिलास मे थोड़ी दारू डाली और पीने लगा तभी पापा आ निकले उस साइड तो मेरे लिए थोड़ी शर्मिंदगी हो गयी मैने बॉटल को छुपाया तो बोले- रहने दे बेटा शरम तो आँखो की होती है फ़ौजी पेग नही लगाएग तो कौन लगाएगा चल मेरा भी मूड है एक मेरा भी बना
मैने उनको सीप दिया
पापा- आज कल दारू भी पहले जैसी नही रही
मैं हुम्म
वो-यार एक बात बोलनी थी तुझसे बुरा ना माने तो बोलू
मैं- जी
वो- यार तेरे बिना ना घर मे रोनक नही लगती
मैं- मैं, जानता हूँ आप क्या कहना चाहते है , मैं हर चीज़ समझता हूँ , वहाँ से घर जाते ही मैं मम्मी से बात करूँगा और पूरी कोशिश करूँगा कि सब ठीक हो जाए.

पापा- मेरी भी ये ही चाहत है.

रत करीब दो बजे मैं निशा के साथ चौबारे की छत पर लेटा हुआ था. आँखो मे नींद का नामो निशान नही था. दिल निशा से कुछ कहना चाहता था पर समझ नही आ रहा था कि कैसे कहूँ, क्या कहूँ क्योंकि हमारी हर बात आजकल अधूरी ही रह जाती थी

निशा- नींद नही आ रही क्या

मैं- तुम भी तो नही सोई

निशा- मेरा क्या है और वैसे भी नींद पर किसी का ज़ोर तो है नही, ये तो जब आए तब आए.

मैं- सुबह होते ही हम गाँव के लिए निकल रहे है.



निशा मेरे थोड़ा पास आते हुए – मैने सोचा तुम और रुकोगे यहाँ.

मैं- नही, अभी चलते है दो तीन दिन गाँव रुक कर फिर देल्ही निकल लेंगे.

निशा- कभी कभी मैं तुमको समझ नही पाती हूँ.

मैं- मैं भी.

मैने निशा के माथे पर एक किस किया और बोला- सो जा निशा.

उसने अपना सर मेरे सीने पर रखा और आँखो को बंद कर लिया , चाँदनी रात मे निशा आज कुछ अलग सी ही लग रही थी , क्या ये जिस्म की ज़रूरत थी या मैं सच मे ही उसकी ओर खींचा चला जा रहा था , पर जो भी था अब निशा के सिवा मेरा और था भी तो कौन. कुछ ठंड सी लग रही थी तो मैने एक चादर हम दोनो के उपर डाल ली और सो गया.

सुबह हम तैयार हो चुके थे, तो मैं बस सबको बाइ बोल रहा था कि अशोक भाई और रीना भाभी मेरे पास आए .

भाभी- मनीष, उस बात पे गौर करना जो मैने तुमसे कही थी.

मैं- किस बारे मे भाभी.

भाभी- निशा के बारे मे , स्टुपिड. तुम चाहे मानो या ना मानो पर मैं जानती हूँ निशा ही वो लड़की है जो तुम्हे थाम सकेगी, क्योंकि उस से बेहतर तुम्हे कोई नही समझता , जैसे तुम्हे महसूस कर लेती है वो और सबसे बड़ी बात तुमसे प्यार करती है वो.

भाई- देखो, कुछ चीज़ो से हम लाख कॉसिश कर ले लेकिन भाग नही सकते हमे बस जीना होता है , वैसे तो हम फ़ौज़ियो की ज़िंदगी की डोर का कुछ पता नही पर जितना भी जीने को मिले राज़ी खुशी जी लो यार, चलो अपना मत सोचो पर जब भी तुम्हारी रूह मिथ्लेश से मिलेगी वो बस तुमसे एक सवाल पूछेगी- कि मैं तो अपनी तमाम मुस्कुराहटें तुम्हे सौंप गयी थी , तब क्या कहोगे उस से. नियती से कब तक भगॉगे और फिर निशा जैसी सुलझी हुई लड़की तुम्हे कहाँ मिलेगी, बाकी करो जो करना है हम होते ही कौन है .

मैं- ऐसा क्यो कहते हो भाई, मैं कोशिश तो कर रहा हूँ ना.

भाई- एक बार निशा के दिल को टटोल कर देखो, तुम्हे कोशिश नही करनी पड़ेगी.

भाई और भाभी बहुत देर तक मुझे समझाते रहे, वो ये भी चाहते थे कि मैं कुछ दिन और रुक जाउ पर मुझे तो जाना ही था तो सब लोगो से विदा लेकर मैं और निशा गाँव के लिए चल दिए. पहुचते पहुचते शाम हो गयी थी. चाय-नाश्ता किया निशा घर पर ही रुक गयी और मैं चाची के साथ खेतो की तरफ आ गया.
चाची ने कमरे का ताला खोला और चारपाई बाहर निकाल ली.

मैं- टाइम कितना बदल गया ना.

चाची- हाँ, ऐसे लगता है जैसे बस कल ही की बात है. जैसे कल तक तुम ऐसे ही बेफ़िक्रे इन खेत खलिहानो मे घुमा करते थे, शराराते किया करते थे.

मैं- हाँ, चाची मुझे सब की बहुत याद आती है, अब अपने पैरो पे खड़ा तो हो गया हूँ पर फिर भी सच कहूँ तो काश एक बार फिर वो वक़्त आ जाए तो , मैं एक बार फिर से उसी वक़्त को , उसी अंदाज को , उसी बेफकरी मे जीना चाहता हूँ.

चाची- वक़्त बदल गया है मनीष अब कुछ नही पहले जैसा यहाँ तक कि हम भी तो बदल गये है, खैर मैं कुछ काम निपटा लूँ, तुम चाहो तो थोड़ा आराम करो या फिर आस पास घूम लो .

मैं भी उठ कर थोड़ा आगे को चल दिया, जैसे एक मुद्दत ही हो गयी थी मैं इस तरफ आया ही नही था. हमारे खेतो से थोड़ा आगे सेर मे एक बड़ा सा नीम का पेड़ होता था जिस की छाया मे बहुत समय गुज़रा था मेरा, एक बार फिर से उस नीम को देख कर बहुत अच्छा लगा मुझे. पास ही एक पानी की टंकी होती थी जो अब नही थी, शायद रोड को पक्का करने मे उसे यहाँ से हटा दिया गया था. ऐसा लगता था कि जैसे जमाना एक तेज रफ़्तार से आगे बढ़ गया था और मैं आज भी अपनी उसी बारहवी क्लास वाले साल मे अटका हुआ था.

वो दिन भी क्या दिन थे, मेरा अतीत मुझ पर हावी होने लगा था. मेरे अंदर का जो आवारापन था , जैसे मैं कोई बंजारा था जो बस भटक रहा था इधर उधर. पर मैने सोचा कि एक बार फिर अपने पुराने दिनो की याद को ताज़ा करना है, मैने सोचा कि कल सुबह ही निशा को लेकर निकल जाउन्गा और पूरा दिन बस घूमना है, तमाम उन चीज़ो को एक बार फिर से देखना है जो आज भी मेरा इंतज़ार कर रही थी.

उसके बाद मैं वापिस कुँए पर आ गया. चाची मेरा इंतज़ार कर रही थी.

चाची- कहाँ चले गये थे.

मैं- बस थोड़ा आगे तक.

मैं- चाची, एक बात कहूँ.

चाची- हाँ,

मैं- दोगि क्या.
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#78
चाची- अच्छा तो अब तुझे चाची की याद आई है, मैं तो सोची कि अब मुझे भूल ही गया है तू तो.

मैं- ऐसी बात नही है बस उलझा हूँ अपनेआप मे उसी का असर है और कुछ नही.
चाची- रात को चुप चाप मैं छत पे आ जाउन्गी.

मैं- यही करते है ना, वैसे भी मैने अरसे से खेत मे सेक्स नही किया है. वैसे भी घर पर निशा होगी उसके सामने मैं ये सब नही करना चाहता.

चाची- चोरी छिपे क्यो करते हो फिर, बेटा माना कि तुम्हारे और मेरे जिस्मानी रिश्ते है पर मैं फिर भी कहूँगी कि अब तुम्हारी ज़िंदगी मे हम नही बल्कि सिर्फ़ और सिर्फ़ है , तू करना चाहता है तो कर ले मैं मना नही करूँगी पर बेटा, वो तुझे बहुत चाहती है , उसकी आँखो मे तेरे लिए बेशुमार चाहत है , उसके दिल को समझ, सिर्फ़ वो ही है जो तुम्हे सब से ज़्यादा जानती है, उसका हाथ थाम लो. यही सही होगा तुम्हारे लिए.

चाची की बात बिल्कुल सही थी. मुझे अब आगे बढ़ कर निशा का हाथ थामना चाहिए था, निशा जो जैसे मेरी सोचों पर छाई थी, मेरा हमदम थी. मेरा जो भी थी अब वो ही थी. मैने फिर चाची के साथ सेक्स नही किया और कुछ देर बाद हम घर आ गये. और आते ही मैं सीधा निशा के पास गया जो बस अभी सो कर उठी थी, अलसाया सा उसका चेहरा, बिखरे बार उसके चेहरे पर बेतारीब बिखरे हुए .

निशा- ऐसे क्या देख रहे हो.

मैं- बस तुम्हे.

निशा- पर मुझे तो रोज ही देखते हो.

मैं- मेरी जितनी मर्ज़ी होगी उतना देखूँगा.

निशा- ओके बाबा, देख लेना पर अभी ज़रा हाथ मूह धो लूँ.

मैं रसोई मे गया और दो कप चाय बनाने लगा कुछ देर मे निशा भी वही पर आ गयी.

निशा- मनीष, आख़िर तुम खुद को कैसे इतना सिंपल रख पाते हो, देखो जमाना कितना बदल गया और तुम आज भी जैसे बचपन मे ही अटके हुए हो, आज भी तुम सिर्फ़ डबल डाइमंड चाय पीते हो, कहने को तो ऑफीसर हो पर फिर भी स्टॅंडर्ड के हिसाब से तुम्हे कॉफी पीना चाहिए या कुछ ऑर.

मैं- सिंपल होना ही सबसे बड़ी मुश्किल है मेडम आज की इस भागती ज़िंदगी मे, दुनिया चाहे कुछ भी समझे पर आज के इस सेल्फिश जमाने के साथ चलना मुझे पसंद नही, मैं बस अपने आप मे ही जीना चाहता हूँ, और सही कहा तुमने मैं जान बुझ कर ही आगे नही बढ़ना चाहता, क्योंकि उस दौर मे जब हम छोटे थे जीना तभी सीखा था मैने और सच तो ये है कि मैं उस दौर मे ही जी चुका अब तो बस साँसे है.

मैने निशा के हाथ मे चाय का कप दिया और बोला- कल सुबह जल्दी उठ जाना

निशा- क्यो

मैं- खुद जान लेना .

निशा- चलो ठीक है पर अभी खाने मे क्या खाओगे, बता दो मैं जल्दी से बना देती हूँ.

मैं- अभी तो बस मेगि ही बना दो , पर सुबह मेरे लिए राबड़ी बना देना बहुत दिन हुए मैने राबड़ी नही पी है और हाँ दो रात की रोटी भी रख देना,

निशा- जो हुकम सरकार.

जब तक निशा बिज़ी थी मैं अनिता भाभी से मिलने चला गया पर हमेशा की तरह मेरी शक्की ताई की वजह से मैं भाभी से कुछ बात नही कर पाया , सो डिन्नर किया और अपना बिस्तर छत पर लगा दिया रात के करीब 11 बजे , मेरा रेडियो बज रहा था हमेशा की तरह 90’स के शानदार गाने स्लो आवाज़ मे उस ठंडी सी हवा के साथ मेरे दिल को धड़का रहे थे. और ना जाने कब मेरी बगल मे निशा आकर लेट गयी.



निशा मेरे थोड़ा पास आते हुए – मैने सोचा तुम और रुकोगे यहाँ.

मैं- नही, अभी चलते है दो तीन दिन गाँव रुक कर फिर देल्ही निकल लेंगे.

निशा- कभी कभी मैं तुमको समझ नही पाती हूँ.

मैं- मैं भी.

मैने निशा के माथे पर एक किस किया और बोला- सो जा निशा.

उसने अपना सर मेरे सीने पर रखा और आँखो को बंद कर लिया , चाँदनी रात मे निशा आज कुछ अलग सी ही लग रही थी , क्या ये जिस्म की ज़रूरत थी या मैं सच मे ही उसकी ओर खींचा चला जा रहा था , पर जो भी था अब निशा के सिवा मेरा और था भी तो कौन. कुछ ठंड सी लग रही थी तो मैने एक चादर हम दोनो के उपर डाल ली और सो गया.

सुबह हम तैयार हो चुके थे, तो मैं बस सबको बाइ बोल रहा था कि अशोक भाई और रीना भाभी मेरे पास आए .

भाभी- मनीष, उस बात पे गौर करना जो मैने तुमसे कही थी.

मैं- किस बारे मे भाभी.

भाभी- निशा के बारे मे , स्टुपिड. तुम चाहे मानो या ना मानो पर मैं जानती हूँ निशा ही वो लड़की है जो तुम्हे थाम सकेगी, क्योंकि उस से बेहतर तुम्हे कोई नही समझता , जैसे तुम्हे महसूस कर लेती है वो और सबसे बड़ी बात तुमसे प्यार करती है वो.

भाई- देखो, कुछ चीज़ो से हम लाख कॉसिश कर ले लेकिन भाग नही सकते हमे बस जीना होता है , वैसे तो हम फ़ौज़ियो की ज़िंदगी की डोर का कुछ पता नही पर जितना भी जीने को मिले राज़ी खुशी जी लो यार, चलो अपना मत सोचो पर जब भी तुम्हारी रूह मिथ्लेश से मिलेगी वो बस तुमसे एक सवाल पूछेगी- कि मैं तो अपनी तमाम मुस्कुराहटें तुम्हे सौंप गयी थी , तब क्या कहोगे उस से. नियती से कब तक भगॉगे और फिर निशा जैसी सुलझी हुई लड़की तुम्हे कहाँ मिलेगी, बाकी करो जो करना है हम होते ही कौन है .

मैं- ऐसा क्यो कहते हो भाई, मैं कोशिश तो कर रहा हूँ ना.

भाई- एक बार निशा के दिल को टटोल कर देखो, तुम्हे कोशिश नही करनी पड़ेगी.

भाई और भाभी बहुत देर तक मुझे समझाते रहे, वो ये भी चाहते थे कि मैं कुछ दिन और रुक जाउ पर मुझे तो जाना ही था तो सब लोगो से विदा लेकर मैं और निशा गाँव के लिए चल दिए. पहुचते पहुचते शाम हो गयी थी. चाय-नाश्ता किया निशा घर पर ही रुक गयी और मैं चाची के साथ खेतो की तरफ आ गया.
चाची ने कमरे का ताला खोला और चारपाई बाहर निकाल ली.

मैं- टाइम कितना बदल गया ना.

चाची- हाँ, ऐसे लगता है जैसे बस कल ही की बात है. जैसे कल तक तुम ऐसे ही बेफ़िक्रे इन खेत खलिहानो मे घुमा करते थे, शराराते किया करते थे.

मैं- हाँ, चाची मुझे सब की बहुत याद आती है, अब अपने पैरो पे खड़ा तो हो गया हूँ पर फिर भी सच कहूँ तो काश एक बार फिर वो वक़्त आ जाए तो , मैं एक बार फिर से उसी वक़्त को , उसी अंदाज को , उसी बेफकरी मे जीना चाहता हूँ.

चाची- वक़्त बदल गया है मनीष अब कुछ नही पहले जैसा यहाँ तक कि हम भी तो बदल गये है, खैर मैं कुछ काम निपटा लूँ, तुम चाहो तो थोड़ा आराम करो या फिर आस पास घूम लो .

मैं भी उठ कर थोड़ा आगे को चल दिया, जैसे एक मुद्दत ही हो गयी थी मैं इस तरफ आया ही नही था. हमारे खेतो से थोड़ा आगे सेर मे एक बड़ा सा नीम का पेड़ होता था जिस की छाया मे बहुत समय गुज़रा था मेरा, एक बार फिर से उस नीम को देख कर बहुत अच्छा लगा मुझे. पास ही एक पानी की टंकी होती थी जो अब नही थी, शायद रोड को पक्का करने मे उसे यहाँ से हटा दिया गया था. ऐसा लगता था कि जैसे जमाना एक तेज रफ़्तार से आगे बढ़ गया था और मैं आज भी अपनी उसी बारहवी क्लास वाले साल मे अटका हुआ था.

वो दिन भी क्या दिन थे, मेरा अतीत मुझ पर हावी होने लगा था. मेरे अंदर का जो आवारापन था , जैसे मैं कोई बंजारा था जो बस भटक रहा था इधर उधर. पर मैने सोचा कि एक बार फिर अपने पुराने दिनो की याद को ताज़ा करना है, मैने सोचा कि कल सुबह ही निशा को लेकर निकल जाउन्गा और पूरा दिन बस घूमना है, तमाम उन चीज़ो को एक बार फिर से देखना है जो आज भी मेरा इंतज़ार कर रही थी.

उसके बाद मैं वापिस कुँए पर आ गया. चाची मेरा इंतज़ार कर रही थी.

चाची- कहाँ चले गये थे.

मैं- बस थोड़ा आगे तक.

मैं- चाची, एक बात कहूँ.

चाची- हाँ,

मैं- दोगि क्या.

चाची- अच्छा तो अब तुझे चाची की याद आई है, मैं तो सोची कि अब मुझे भूल ही गया है तू तो.

मैं- ऐसी बात नही है बस उलझा हूँ अपनेआप मे उसी का असर है और कुछ नही.
चाची- रात को चुप चाप मैं छत पे आ जाउन्गी.

मैं- यही करते है ना, वैसे भी मैने अरसे से खेत मे सेक्स नही किया है. वैसे भी घर पर निशा होगी उसके सामने मैं ये सब नही करना चाहता.



चाची- चोरी छिपे क्यो करते हो फिर, बेटा माना कि तुम्हारे और मेरे जिस्मानी रिश्ते है पर मैं फिर भी कहूँगी कि अब तुम्हारी ज़िंदगी मे हम नही बल्कि सिर्फ़ और सिर्फ़ है , तू करना चाहता है तो कर ले मैं मना नही करूँगी पर बेटा, वो तुझे बहुत चाहती है , उसकी आँखो मे तेरे लिए बेशुमार चाहत है , उसके दिल को समझ, सिर्फ़ वो ही है जो तुम्हे सब से ज़्यादा जानती है, उसका हाथ थाम लो. यही सही होगा तुम्हारे लिए.

चाची की बात बिल्कुल सही थी. मुझे अब आगे बढ़ कर निशा का हाथ थामना चाहिए था, निशा जो जैसे मेरी सोचों पर छाई थी, मेरा हमदम थी. मेरा जो भी थी अब वो ही थी. मैने फिर चाची के साथ सेक्स नही किया और कुछ देर बाद हम घर आ गये. और आते ही मैं सीधा निशा के पास गया जो बस अभी सो कर उठी थी, अलसाया सा उसका चेहरा, बिखरे बार उसके चेहरे पर बेतारीब बिखरे हुए .

निशा- ऐसे क्या देख रहे हो.

मैं- बस तुम्हे.

निशा- पर मुझे तो रोज ही देखते हो.

मैं- मेरी जितनी मर्ज़ी होगी उतना देखूँगा.

निशा- ओके बाबा, देख लेना पर अभी ज़रा हाथ मूह धो लूँ.

मैं रसोई मे गया और दो कप चाय बनाने लगा कुछ देर मे निशा भी वही पर आ गयी.

निशा- मनीष, आख़िर तुम खुद को कैसे इतना सिंपल रख पाते हो, देखो जमाना कितना बदल गया और तुम आज भी जैसे बचपन मे ही अटके हुए हो, आज भी तुम सिर्फ़ डबल डाइमंड चाय पीते हो, कहने को तो ऑफीसर हो पर फिर भी स्टॅंडर्ड के हिसाब से तुम्हे कॉफी पीना चाहिए या कुछ ऑर.

मैं- सिंपल होना ही सबसे बड़ी मुश्किल है मेडम आज की इस भागती ज़िंदगी मे, दुनिया चाहे कुछ भी समझे पर आज के इस सेल्फिश जमाने के साथ चलना मुझे पसंद नही, मैं बस अपने आप मे ही जीना चाहता हूँ, और सही कहा तुमने मैं जान बुझ कर ही आगे नही बढ़ना चाहता, क्योंकि उस दौर मे जब हम छोटे थे जीना तभी सीखा था मैने और सच तो ये है कि मैं उस दौर मे ही जी चुका अब तो बस साँसे है.


मैने निशा के हाथ मे चाय का कप दिया और बोला- कल सुबह जल्दी उठ जाना

निशा- क्यो

मैं- खुद जान लेना .

निशा- चलो ठीक है पर अभी खाने मे क्या खाओगे, बता दो मैं जल्दी से बना देती हूँ.

मैं- अभी तो बस मेगि ही बना दो , पर सुबह मेरे लिए राबड़ी बना देना बहुत दिन हुए मैने राबड़ी नही पी है और हाँ दो रात की रोटी भी रख देना,

निशा- जो हुकम सरकार.

जब तक निशा बिज़ी थी मैं अनिता भाभी से मिलने चला गया पर हमेशा की तरह मेरी शक्की ताई की वजह से मैं भाभी से कुछ बात नही कर पाया , सो डिन्नर किया और अपना बिस्तर छत पर लगा दिया रात के करीब 11 बजे , मेरा रेडियो बज रहा था हमेशा की तरह 90’स के शानदार गाने स्लो आवाज़ मे उस ठंडी सी हवा के साथ मेरे दिल को धड़का रहे थे. और ना जाने कब मेरी बगल मे निशा आकर लेट गयी.

मैं- जानती हो मुझे बहुत दुख हुआ था जब पापा ने हमारे पुराने मकान को तुडवा कर ये कोठी बनवा दी, मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगता इसमे रहना , मुझे बस मेरा पुराना मकान चाहिए.

निशा- पर टाइम के साथ हमे बदलना तो पड़ता है.

मैं- जानती हो जहा हम लेटे है पहले वहाँ एक कमरा था जिसमे मैं पढ़ता था, वो भी क्या दिन थे घर के साइड मे एक छप्पर था , और बाहर चबूतरे के पास एक पत्थर जिसपे बैठ के मैं कपड़े धोता था नहाता था.

निशा- मनीष, कुछ चीज़ो पर हमारा बस नही चलता है .

मैने निशा को अपने सीने से चिपका लिया और बोला- पर हम कोशिश तो कर सकते है ना.

मैं- बिल्कुल. याद है कैसे जब तुम पहली बार मुझे मिली थी.

निशा- कैसे भूल सकती हूँ मैं , कैसे थे तुम उस टाइम, और कपड़े पहन ने का बिल्कुल सलीका नही था तुम्हे पर बालो का वो अजय देवगन वाला स्टाइल मस्त लगता था तुम पर.

मैं- और तुम हाथो मे जो वो धागा बाँधती थी , और तुम्हारी चोटी जो आज भी आगे को रहती है .

निशा- तुम आज भी नोटीस करते हो.

मैं- तुम्हारा वो रूप मेरी आँखो मे बसा है निशा.

निशा- तुम मुझे किस रूप मे देखना चाहते हो.

मैं- कढ़ाई का सूट, घेर की सलवार और पाँवो मे लंबी जूतियाँ, हाथो मे हरी चूड़िया और चोटी मे लाल रिब्बन.

निशा- मनीष, तुम एक पल भी नही भूले हो ना.

मैं- कैसे भूल सकता हूँ, उस दिन तुम्हारा जनमदिन था और तुमने बरफी खिलाई थी मुझे.

निशा- जानते हो जब मैं तन्हा थी , अकेली थी बस ये लम्हे ही थे जिन्हे याद करके मेरे होंठो पर हँसी आ जाती थी. कितनी ही रातें उस खामोश चाँद को देख कर गुजर जाती थी मेरी. और एक टाइम तो लगने लगा था कि बस ऐसे ही अकेली पड़ जाउन्गी पर तभी जैसे जादू हो गया किसी ताज़ा हवा के झोंके की तरह तुम फिर से मुझे गुलज़ार करने आ गये.


मैं- पता है कितना तलाश किया मैने तुम्हे और शुक्र है किस्मत का जिसने तुम्हे फिर से मिलने मे मदद की. जानती हो फ़ौज़ कभी भी मेरी ज़िंदगी नही थी, पता नही कैसे शायद ये भी किस्मत का ही करिश्मा था कोई जो मुझे यहा ले गयी. मैं तो इसी गाँव मे रहना चाहता था पर आज देखो गाँव भी शहर ही बन गया है.

शुरू मे बहुत अच्छा लगता था इस गाँव का पहला लड़का जो सेना मे अफ़सर बना पर अब जैसे वर्दी बोझ लगती है.

निशा- नौकरी छोड़ नही सकते क्या.

मैं- नही यार. माना कि लाख परेशानिया है पर जब सरहद बुलाती है तो पैर अपने आप दौड़ पड़ते है, बेशक वहाँ पर एक सूनापन है पर फिर भी एक ज़िंदगी वहाँ पर भी है. फ़ौज़ ने मजबूरियों के साथ बहुत कुछ दिया भी है, अगर फ़ौज़ मे ना होता तो तुम्हे कभी नही ढूँढ पाता. मितलेश के बाद अगर मुझे किसी का भी ख्याल रहता तो बस तुम्हारा, जब भी मैं छुट्टी आता तो मेरी हर शाम उन ठिकानो पर गुजरती जहाँ तुम और मैं अक्सर मिलते थे. आज जमाने के साथ वो जगह बदल गयी हो पर मेरी यादो मे वो ज़िंदा है और रहेंगी, निशा मेरे लिए तुम क्या हो ये बस मैं जानता हूँ. हमेशा मेरी परछाई बन कर मेरे साथ चली हो तुम. जब कभी थक कर चूर हो जाता था बस तुम्हारी ही यादे थी जो मुझे हौंसला देती थी, कश्मीर की सर्द फ़िज़ा मे तुम्हारी ही यादो की गर्मी थी मेरे पास.

निशा- मनीष तुम सच मे पागल हो , कुछ भी बोलते रहते हो . तुम्हारी बस ये ही बात मुझे तब भी पसंद थी और आज भी पसंद है, जानते हो मैं जब भी गाँव के इन नये लड़के लड़कियो को देखती हूँ तो उनकी आँखो मे अपने लिए एक अलग ही तरह की रेस्पेक्ट देखती हूँ, उनकी आँखो मे मैं वो ही कशिश देखती हूँ जो हम मे थी, वो ही जैसे कोई परिंदा पिंज़रा तोड़ कर इस आसमान मे उड़ जाना चाहता हो. पर मनीष हम ने इस साथ की कीमत भी तो चुकाई है,

मैं- अब उस से कुछ फरक नही पड़ता है . किसी मे इतनी हिम्मत नही जो आज तुम्हारी तरफ आँख उठा कर देख सके, मैं जानता हूँ तुम अपने परिवार की तरफ से थोड़ी परेशान हो पर मेरा यकीन करो वो दौर अब बीत चुका है .

निशा- जानती हूँ . अब ये बाते छोड़ो और बताओ क्या प्लान है

मैं- प्लान तो कुछ खास नही पर इतनी गुज़ारिश है कि मैं तुम्हे कल साड़ी मे देखना चाहता हूँ .

निशा- मुझे मालूम था तुम्हारी यही फरमाइश होगी, चलो जाओ अब मैं कुछ देर सोना चाहती हूँ.


रात आँखों आँखो मे कट गयी . सुबह जब मैं उठा तो निशा मेरे साथ बिस्तर पर नही थी, दिन का उजाला हो चुका था शायद मैं ही आज देर से उठा था . मैं नीचे आया तो देखा कि अनिता भाभी आँगन मे कपड़े धो रही थी. भाभी ने एक नज़र मुझ पर डाली और अपने कपड़े फिर से धोने लगी. तो मैं उनके पास गया.

मैं- क्या बात है भाभी. कुछ उखड़ी उखड़ी सी लगती हो.

भाभी- तुम्हे मुझसे क्या लेना देना , देख रही हूँ जबसे आए हो भाभी की तो एक पल याद नही आई, अब तुम्हे भला मेरी क्या पड़ी है.

मैं- भाभी, मेरा गुस्सा इन बेचारे कपड़ो पर क्यो निकाल रही हो और फिर आपको तो पता है कि ज़िंदगी किस तरफ गुज़र रही है , मैं कोशिश कर रहा हूँ कि फिर से सब ठीक हो सके.

भाभी- तो मैने क्या माँग लिया तुमसे, कभी कुछ कहा क्या मैने. पर तुम दो बात करने की ज़रूरत भी नही समझते हो , एक समय था तब भाभी के सिवा कुछ नही दिखता था , मनीष तुम सच मे बदल गये हो .

मैं- मनीष कभी नही बदल सकता भाभी. आप मन मे ऐसा कुछ मत लाओ. आपको तो पता है की आपका और मेरा रिश्ता कितना अलग है.

भाभी- पर लगता है कि मेरे साथ साथ तुम उस रिश्ते को भी भूल गये हो.

मैं भाभी की बात का जवाब दे ही रहा था कि निशा ने मुझे आवाज़ दी और जो मैने पलट कर देखा बस फिर देखता ही रह गया. वो हवा जैसे मेरे माथे को चूम कर गयी थी अपने साथ निशा की महकती साँसे लाई थी दरवाजे पर हल्के नीले रंग की साड़ी मे खड़ी थी वो हाथो मे हरी चूड़िया , और बालों को आगे की तरफ किया हुआ था कंधे के उपर सेजैसे कोई काली नागिन लिपटी हुई हो. मैं कुछ पॅलो के लिए बस उसके रूप की चमक मे खो गया .

निशा- अब देखते ही रहोगे या अंदर आओगे.

मैं अंदर गया और उसे अपनी बाहों मे भर लिया.

निशा- छोड़ो, क्या करते हो कोई आ जाएगा.

मैं- आने दो , हम किसी से डरते है क्या.

निशा- तुम तो बेशर्म हो पर मुझे तो मत बनाओ. हाथो मैं नाश्ता लाती हूँ.

निशा रसोई मे गयी और मैने टीवी ऑन कर दिया और गजब बात देखो उस पर भी वो ही गाना आ रहा था तू लादे मुझ हरी हरी चूड़िया. गाने को सुन कर ना जान क्यो निशा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी. अब किसे भूख थी कैसी प्यास थी मैं बस उसे निहारते रहा. पर जल्दी ही मुझे भी तैयार होने जाना पड़ा .

मैं अपने जूते लेने घर के अंदर वाले कमरे मे गया तो देखा कि मेरी बुलेट वही पर शान से खड़ी हुई थी. उसे देख कर मेरे होंठो पर मुस्कान सी आ गयी, आज भी उस पर धूल का एक दाना नही था मम्मी ने बड़े प्यार से रखा था उसे. मैने कमरे मे देखा तो मेरा तमाम वो समान रखा था जो कभी मम्मी ने ये झूट बोल कर छुपा दिया था कि वो सब जला दिया है.


मैने एक बॉक्स मे देखा तो मिथ्लेश के और मेरे कुछ फोटो थे और ढेर सारे खत जो हमारे इश्क़ के गवाह थे, एक ऐसे ही डिब्बे मे वो तमाम चिट्ठिया रखी थी जो निशा ने मेरे लिए पोस्ट की थी . एक कोने मे मेरा क्रिकेट का किट पड़ा था , अब तो याद भी नही था कि लास्ट टाइम मैने बॅट अपने हाथो मे कब लिया था. एक तरफ मेरी वो ही पुरानी साइकल खड़ी थी , अब मुझे समझ आया कि मम्मी ने मेरी तमाम यादो को इस कमरे मे सज़ा दिया था.

मैं दूर होकर भी हर पल उनके साथ ही था. अब मैने जाना था कि माँ-बाप आख़िर क्यो हम औलादो से दो कदम आगे होते थे. मेरी आँखो से दो आँसू निकल कर गिर गये.

“तो तुम आ ही गये यहाँ.”

मैने देखा निशा मेरे पीछे ही खड़ी थी.

मैं- तुम्हे पता था ना.

निशा- हां

मैं- तो क्यो नही बताया.

निशा- क्योंकि खुशी से ज़्यादा तुम्हे दर्द होता , और मैं तुम्हे फिर से टूटता हुआ नही देख सकती. इन यादो मे खुशी से ज़्यादा दुख है , हर वो याद जिसकी वजह से तुम मुस्कुराओगे वो ही तुम्हारे दिल को जलाएँगी और मैं ऐसा बिल्कुल नही चाहती. बिल्कुल नही चाहती . काश मेरा बस चलता तो दुनिया की तमाम खुशी तुमहरे हाथो मे रख देती.

मैं- तुम हो , हर खुशी पा ली मैने. अब कोई हसरत बाकी नही रही.

निशा- बस तुम्हारी यही अदा मेरा चैन छीन लेती है और तुम हो कि ……

मैं- आ चलते है

निशा- पर जा कहाँ रहे हो अब तो बता दो .

मैं- धोसी की पहाड़ी .

निश- मज़ाक कर रहे हो ना तुम.

मैं- क्या लगता है ,

निशा- सच मे मनीष.

मैं- तुम्हारी कसम.

निशा- याद है जब हम पहली बार वहाँ पर गये थे.

मैं- ऐसा ही तो मौसम था

निशा- हाँ. पर एक बात कहूँ

मैं- कहो

वो- बुलेट पे चले आज

मैं- तुम तो जानती हो मैं इसे जब तक हाथ नही लगाउन्गा तब तक मम्मे मेरे हाथ मे चाबी नही देगी.

निशा- पर गाड़ी मे मज़ा नही आएगा.

मैं- किसने कहा हम गाड़ी मे जा रहे है रवि की बाइक कब काम आएगी.
निशा- जैसे तुम्हारी मर्ज़ी .



जब निशा मेरी कमर मे हाथ डाल कर बैठी तो पता नही क्यो अच्छा सा लगा . ठंडी हवा जिसमे हल्की सी मोहब्बत तैर रही थी और साथ मे हमारी बाते और क्या चाहिए था. सहर मे कुछ खाने-पीने का समान लिया और फिर बढ़ गये धोसी की ओर. रास्ते मे मेरी कुछ यादे ताज़ा हो गयी.

मैं- निशा जानती हो , रास्ते मे एक खेत आएगा एक बार हम छोटे थे तो तीन दोस्त स्कूटर पे धोसी जा रहे थे और कंट्रोल खो कर सरसो मे घुसा दिया था स्कूटर.

निशा- ऐसी उल जलूल हरकते तुम करते ही रहते थे. मैं आज भी नही भूली हूँ कैसे तुमने मेरा मटका फोड़ा था.

मैं- पर आज तुम मटका लेके पानी लेने कहाँ आती हो.

निशा- अब वो दिन भी तो नही रहे.

मैं- पर हम तुम तो आज भी वही है ना. और मैं अपने उन्ही दिनो को जीना चाहता हूँ.

निशा- पर अब मुमकिन नही जानते हो अब तो मंदिर के पीछे उस बगीची को भी उजाड़ कर वहाँ पर धरम शाला के कमरे बना दिए है. ऐसा लगता है कि किसी ने मुझसे कुछ छीन लिया है , मुझे गुस्सा तो इतना आ रहा है कि पुजारी का सिर फोड़ दूं.

मैं- मंदिर के पास काफ़ी ज़मीन है निशा , आज शाम हम लोग पुजारी से बात करते है और सब ठीक रहा तो एक नया बगीचा हम अपनी तरफ से बनवा देते है ,

निशा- इच्छा तो मेरी भी यही है पर .

मैं- पर क्या, पुजारी कभी मना नही करेगा बस तू कल पानी का मटका लेके आइयो.
निशा- बहुत सताते हो तुम.

मैं- अपनी हो इसलिए ही तो सताता हूँ.

तभी मैने बाइक रोकी और निशा को उतरने को कहा.

निशा- क्या हुआ.

मैं- ये वही खेत है , ये नहर देख आज भी वैसे ही है एक दम शांत हाँ आस पास के पेड़ कुछ कम हो गये है पहले तो यहाँ घने पेड़ थे , शायद यही आस पास से हमारा स्कूटर आउट ऑफ कंट्रोल हुआ था , बेशक चोट लगी थी पर कसम से मज़ा बहुत आया था, इसी नहर मे तो फिर कूद कूद के नहाए थे.

निशा- मनीष, वैसे ज़िंदगी को अपने अंदाज मे तुमने खूब जिया है.

मैं- नही यार, ज़िंदगी तो कभी ज़ी ही नही पाया मैं, मिता थी तुम थी , कितना साथ रहा वो अपने रास्ते चली गयी तुम अपने रह गया मैं, जानती हो जब बर्फ़ीली पहाड़ियो पर जीना मुश्किल होता था तो बस तुम दोनो की यादे ही थी, वरना जलती आग मे कहाँ इतनी तपिश थी जो मेरे दिल को पिघला सके.

जब कभी जोडियो को देखता तो अपने आप से कहता था मेरे पास भी दुनिया की सबसे खूबसूरत दोस्त है , जब मैं बॅटल मे होता और गोलियो के उस शोर मे, धमाको के उस धुए मे जब बस दिल कह ही देता कि आज सांसो की डोर बस टूटने को है मेरे पर्स मे रखी तुम दोनो की तस्वीरो को ही अलविदा कहा है मैने.

जब पहली बार गोली लगी तो आँखो के आगे अंधेरा छा गया , और बिल्कुल नही लगा कि अब ज़िंदगी बचेगी पर कानो मे जैसे तुम्हारी ही आवाज़ गूँज रही थी , उन अंधेरे मे डूबती आँखो मे बस तुम्हारी यादो का ही उजाला तो था मेरे पास. बहुत बार टूटा पर दिल ने आस का दामन नही छोड़ा, उम्मीद थी कि तुम्हे कभी ना कभी ढूँढ ज़रूर लूँगा.

निशा- मनीष की परछाई है निशा , उस से दूर कैसे हो सकती थी बस कुछ समय था मुश्किल का पर अब सब ठीक है. तुम तो कह कर अपना हाल बता देते हो पर मैं जानती हूँ कितनी रातें बस तन्हाई मे बीत गयी, दिन तो बस काम मे कट जाता था पर ऐसी कोई रात नही जब मैने अतीत के पन्ने नही पलटे हो.

मैने निशा का हाथ पकड़ा और वही नहर के किनारे पर बैठ गये. कुछ तो कशिश थी उसमे ऐसे ही थोड़ी ना मैं उसकी तरफ खिंचा जा रहा था.

मैं- निशा आज रात अपना कुएँ पर ही बिताएँगे.

निशा- वहाँ पर क्यो, इरादे तो नेक है जनाब के.

मैं- जब तुम साथ हो तो इरादो की क्या ज़रूरत.

निशा- ये कैसी चाहत है तुम्हारी मैं समझ नही पा रही हूँ..

मैं- अपने दिल से पूछ क्यो नही लेती..

निशा- ये कम्बख़्त भी अब कहाँ मेरा रहा ये तो ना जाने कब से तुम्हारे सीने मे धड़क रहा है. ये तुम्हारी ही तो साँसे है जो मेरे बदन को महका रही है.
मैं- साड़ी मे जबर दिखती हो तुम.

निशा- शूकर है जीन्स पहन ने को नही कहा तुमने.

मैं- जीन्स भी अच्छी लगती है तुमपे, पर मुझे तुम्हारी ये सादगी ही पसंद है , जब तुम चुन्नी को अपने अंदाज मे ओढती हो तो साँसे बेकाबू सी हो जाती है.

निशा- अब इतनी भी तारीफ ना करो, और कब तक यही बैठना है चलना नही है क्या धूप भी पड़ने लगी है.
मैने उसकी बात मानी और फिर सीधा धोसी जाके ही दम लिया. बाइक पार्क की और बॅग को कंधे पर लाद के हम उपर जाने को सीढ़िया चढ़ने लगे.

निशा- सूट-सलवार पहन आती तो सही रहता.

मैं- अभी भी क्या परेशानी है .

निःसा- नही परेशानी तो कुछ नही. पर फिर भी.

करीब आधे घंटे की चढ़ाई को हम ने रुकते रुकते पूरा किया पुरानी जगह की कुछ नयी तस्वीरे ली. अतीत के कुछ पन्ने फिर से खुल गये थे जैसे.

निशा- यहाँ अभी भी सब पहले जैसा ही हैं ना.

मैं- पत्थरो और पहाड़ का क्या बिगाड़ना वैसे तुम्हे याद है एक जमाने मे हम ने भी एक पत्थर पर अपना नाम लिखा था .

निशा- तुम्हे क्या लगता है मुझे भूलने की कोई बीमारी है जब देखो कहते रहते हो तुम्हे याद है तुम्हे याद है.

मैं- बस ऐसे ही बोल रहा था.

निशा- याद है बाबा पर वो पत्थर शायद उपर वाले मंदिर के पास था .

मैं- तो चल फिर देखते है वक़्त ने हमारे नाम के साथ कितना सितम किया है.

निशा- चल तो रही हूँ.

उपर जाके हम ने मंदिर मे दर्शन किए और फिर उसी पत्थर की तलाश करने लगे और किस्मत से मिल भी गया.

मैं- नाम कुछ हल्के से पड़ गये है , हैं ना.

निशा- शूकर है मिटे नही.

मैं- कैसे मिट सकते है.

निशा बस मुस्कुरा दी और हम एक नीम के नीचे बने चबूतरे पर बैठ गये.

निशा- तुम ना होते तो मेरा क्या होता.

मैं- यही बात मैं भी बोलता हूँ.

निशा- मनीष……………..
मैं- क्या हुआ.

निशा- हम क्या से क्या हो गये ना, कभी सोचा नही था ज़िंदगी इस मुकाम पे ले आएगी , आज देखो सब कुछ है हमारे पास जो जीने के लिए ज़रूरी है पर फिर भी हमारे दिल , इन्हे किस चीज़ की कमी है.

मैं- सुकून चाहते है, दो घड़ी अपने उन दिनो को जीना चाहते है जब हम जवान हो रहे थे, वो बेफिक्री वो अल्हाड़पन , वो गुस्ताखियाँ जो बस हम ही कर सकते है.

निशा- पर वो अब कहाँ लाउ मैं.

मैं- वो दौर बीत गया है निशा, अब ये यादे है जो दिल को चीरती है हर पल , पर दोष इन यादो का भी तो नही दोष तो हमारा है जो इस जमाने की रफ़्तार के साथ खुद को बदल नही पाए. आज के आशिक़ बेधड़क माशुका के घर तक पहुच जाते है , मेरे तो पैर काँप जाया करते थे मिथ्लेश की गली मे भी कदम रखते हुए. और तुम , तुम भी तो कितना नखरा करती थी , कितनी देर मैं इंतज़ार करता था जब जाके तुम्हारी खिड़की का दरवाजा खुला करता था.

निशा- मैं कभी जमाने से नही डरी , मैने हमेशा अपने दिल की की है, वो मैं ही तो थी जो घंटो तालाब के किनारे तुम्हारे साथ बैठ कर डूबते सूरज को देखा करती थी. वो मैं थी तो थी जो बारीशो मे भीगते हुए किसी तपते अलाव की लौ जैसी थी.

मैं- सही कहा, याद है एक बार बाज़ार मे बारिश आ गयी थी और दुकान की सीडीयो पर खड़े होकर एक हाथ मे समोसा और दूसरे मे चाय पी थी.

निशा- पर आजकल तुम समोसे खाते कहाँ हो.

मैं- वापसी मे चले आज भी उस दुकान के समोसे से वो ही जानी पहचानी महक आती है.

निशा- तुम कभी कहते नही कि निशा तुम्हारे हाथो का बना ये खाना है वो खाना है.


मैं- मम्मी के आलू परान्ठो के बाद मुझे तुम्हारी बनाई गयी कैरी की चटनी बेहद पसंद है पर तुम अब बनाती ही नही .

निशा- याद है तुम्हे. जानते हो जबसे तुम मुझसे दूर हुए हो मैने कैरी की चटनी नही बनाई क्योकि फिर तुम्हारा ख्याल आ जाता और फिर मुश्किल हो जाती .

मैं- मैने भी आख़िरी बार वो चटनी 2006 मे ही खाई थी जब मेरे फ़ौज़ मे जाने मे कुछ दिन थे वो कॉलेज मे लाई थी उस दिन तुम टिफिन तभी .

निशा- एक बार मुझे गले से लगा लो मनीष, मैं बस रो पड़ूँगी. इस से पहले कि मैं बिखरने लागू थाम लो मुझे अपनी बाहों मे. थाम लो.

मैं- नही यारा, नही लगा सकता तुझे अपने सीने से , डर है कही मेरी चोर धड़कनो को पढ़ ना लो तुम. डर है मुझे मेरे होंठो तक आकर रुक सी गयी हर बात को सुन ना लो तुम.

निशा- तुम्हे कुछ भी कहने की ज़रूरत न्ही और ना ही डरने की मैं जानती हूँ तुम्हारा दिल हमेशा सिर्फ़ मिथ्लेश के लिए ही धड़कता है और यकीन करो तुम्हारी हर धड़कन पर अगर किसी का हक है तो सिर्फ़ उसका
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#79
मैं- ऐसी बात नही है मेरा जो कुछ भी है उसके मैने शुरू से ही दो हिस्से रखे थे जितना मेरा दिल मिता के लिए धड़कता है उतना ही तुम्हारे लिए भी. मिटा अगर दिल है तो धड़कन तो तुम ही हो. मेरा वजूद ही नही तुम दोनो के बिना मनीष का नूर मिता है तो निशा मेरी मुस्कान है , निशा मेरी ताक़त है मेरा हौंसला है , मेरा डर कुछ ऑर है. मैं डरता हूँ कि कही उस उपर वाले की नज़र मेरी खुशियो पर ना पड़ जाए, क्योंकि वो मुझे खुश नही देख सकता . डर लगता है मुझ क्योंकि इस बार मैं संभाल नही पाउन्गा.

निशा- उसकी मर्ज़ी के आगे किसी का ज़ोर नही चलता पर अगर दुख वो देगा तो हौसला भी वो ही देगा और फिर मैं तो परछाई हूँ तुम्हारी मुझे भला क्या होगा, मैं हमेशा सुरक्षित रहूंगी तुम्हारी आड़ मे.

मैं- ये सर्द हवा जो तुम्हारे गालो को चूम कर जा रही है , ये हवा जो तुम्हारे कानो को छु कर जा रही है क्या कहती है.

निशा-- पैगाम लाई है तुम्हारी अनकही बातो के, सुनाती है तुम्हारे दिल का हाल. ये हवा मुझसे कहती है कि आगे बढ़ुँ और चूम लूँ तुम्हारे होंठो को ,ये हवा कहती है कि भर लूँ तुम्हे अपने आगोश मे और थाम लूँ इस कदर कि फिर हमे कोई जुदा ना कर सके. ये हवा कहती है कि बस ये लम्हे यू ही थम जाए और मैं इनको अपनी आँखो मे क़ैद कर लूँ हमेशा के लिए. ये हवा कहती है कि इस होली वो अपने साथ तुम्हारी मोहब्बत का रंग लाएगी और मुझे केसरिया रंग जाएगी.

“मैं तो रंग चुकी हूँ तेरे रंग मे मैने किस्से कहानियो मे ही पढ़े थे सुने थे अफ़साने पर आज मैने जाना कि इश्क़ का रंग कैसा होता है ये जो मुझमे तू महक रहा है ना मैं अब मैं नही रही तेरी प्रीत मे केसरिया रंग चुकी हूँ मैं , मैं पहले तो पता नही क्या थी पर आज मैं हूँ तो सिर्फ़ केसरिया तेरे इश्क़ का रंग केशरिया ” केसरिया कभी मिथ्लेश ने भी ये बात कही थी जैसे उसके शब्द मेरे कानो मे गूँज उठे और आँखो मे अपने आप ही आँसू आ गये.

निशा- क्या हुआ

मैं- आँख मे कुछ चला गया शायद.

निशा- कितनी बार मैने कहा है तुमसे मेरे सामने झूठ बोलने की कोशिश ना किया करो, मिता की याद आ गयी ना. और तुम्हे इन आँसुओ को छुपाने की ज़रूरत भी नही है ये सिर्फ़ आँसू नही ये मोहब्बत है , ख़ुसनसीब तो मैं इस लिए हूँ कि मुझे मौका मिला तुम्हारी ज़िंदगी का हिस्सा बन ने का पर मिता के बारे मे क्या कहूँ मैं . कुछ तो खास वो भी रही हो गी जो उसका नाम तुमसे जुड़ा.

मैं नही जानती कि हीर ने रांझे से क्या कहा, मैं नही जानती कि लैला ने मजनू से क्या कहा होगा , मैं नही जानती कि दुनिया मे किसी प्रेमिका ने प्रेमी से क्या कहा होगा पर आज भगवान के मंदिर की चौखट पे बैठ के मैं निशा तुमसे इतना कहती हूँ कि मैने तुम मे रब्ब देखा है. मेरी हर धड़कन को मैने तुम्हारे सीन से गुजरते हुए देखा. दिन के उजालो मे रात के अंधेरो मे, मेरी खुशी मे , मेरे गमो मे मैने जब भी देखा बस तुम्हे देखा, बस तुम्हे देखा.

निशा ने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और कुछ देर के लिए अपनी आँखो को बंद कर लिया पर उसका कहा एक एक शब्द मेरे कानो मे गूँज रहा था , अब इस से ज़्यादा वो मुझे क्या चाहेगी और क्या साबित करेगी . मैने उसके हाथ को अपने हाथ मे थाम लिया और अपनी आँखो को मूंद लिया. कुछ देर सुसताने के बाद हम ने थोड़ा बहुत खाना खाया और फिर सांझ होते होते वापिस मूड गये.

बाज़ार मे थोड़ा बहुत समान खरीदा और घर आ गये. आते ही मैं नहाने चला गया . आया तो चाची ने मुझे चाय दी.

मैं- निशा कहाँ है.

चाची- तेरी ताई जी के पास गयी है आती ही होगी.

मैं- और बताओ क्या हाल चाल हैं.

चाची- मैं तो ठीक हूँ तू सुना, कहाँ गये थे आज दोनो और जो बात मैने कही थी उसके बारे मे सोचा क्या कुछ.

मैं- धोसी गये थे ऐसे ही घूमने को , आपकी बात का निशा को पहले से ही पता है कहने की क्या ज़रूरत .

चाची- तो शादी क्यो नही करता उस से फिर. लोग सामने से कुछ नही कहते पर पीठ पीछे तो चर्चे होते ही है और फिर निशा अपने ही गाँव की है तुम लोग तो शहर निकल जाते हो हमें तो यही रहना होता है, नही मैं ये नही कह रही कि परिवार को कोई दिक्कत है पर बेटा, अगर इस रिश्ते को कोई नाम मिलेगा तो अच्छा रहेगा ना. और फिर हमे भी ऐसी बहू पाकर गर्व है जो तुम्हारी नकेल कस सके.

मैं- सोच रहा हूँ चाची, जल्दी ही कोर्ट मे शादी कर लेंगे.

चाची- कोई चोरी है क्या जो कोर्ट मे करोगे. हमे तो बस तुम्हारी हाँ का इंतज़ार है बाकी काम हमारा . रवि की शादी को भी अरसा हो गया और फिर अपने घर से बारात निकालने का हमारा भी सपना है , कुछ हमे भी अपने मन की करने दो.

मैं- चाची, मेरे बस की नही है, ये फालतू के रीति रिवाज ये ढोल-तमाशे मेरे बस के नही है . आपको बहू चाहिए बहू मिल जानी है अब चाहे सिंपल तरीके से आए या ढिंढोरा पीट के कुछ फरक पड़ता है क्या.

चाची- तू इतना ज़िद्दी क्यो है ।

मैं- पता नही.

तभी निशा भी आ गयी और हमारी बातों मे शामिल हो गयी.

निशा- मैं कल निकल रही हूँ देल्ही के लिए तुम साथ आओगे या रुकोगे कुछ दिन .

मैं- चलता हूँ .

निशा- तो मैं पॅकिंग कर लेती हूँ

चाची- निशा, तुम्हे नौकरी करने की क्या ज़रूरत है यहाँ रहो हमारे साथ किस चीज़ की कमी है .

निशा- चाची जल्दी ही नारनौल मे ट्रान्स्फर करवा लूँगी फिर आपके पास ही रहूंगी.

मैं- हाँ, मैने बात तो की थी तुम्हारे ट्रान्स्फर की लगता है उन्हे फिर से याद दिलवाना पड़ेगा. पर निशा यहाँ तुम्हारी फिकर रहेगी मुझे.

निशा- कुछ नही होना मुझे यहाँ. अकेली थोड़ी ना हूँ पूरी फॅमिली हैं ना मेरे साथ .

मैं- अब तुमने ठान ही लिया है तो फिर ठीक है.

चाची- तू एक काम कर मैं समान लिख के देती हू बनिये की दुकान से ले आ.
मैं- अभी जाता हूँ.

थोड़ी देर बाद मैं बनिये की दुकान पर जब समान ले रहा था तो मैं उस आवाज़ को सुन कर जैसे चौंक सा गया.

“लाला मैं दोपहर को कह के गयी थी ना कि हमारा आटा पीस दियो पर अभी तक ना पीसा अब रोटिया कैसे सेकूंगी मैं”


“लाला मैं दोपहर को कह के गयी थी ना कि हमारा आटा पीस दियो पर अभी तक ना पीसा अब रोटिया कैसे सेकूंगी मैं”

मैने पलट कर देखा और मुझे जैसे यकीन ही नही हुआ. वो मेरी आँखो के सामने खड़ी थी इतने दिनो बाद मैने जो उसे देखा था तो बस देखता ही रह गया और जब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी तो बस वो भी मुस्कुरा ही तो पड़ी.

“मनीष, यकीन नही होता ”

मैं- यकीन तो मुझे भी नही होता, कितना टाइम बीत गया ना . अब जाके मिली है तू .

“क्या करूँ तुझे तो पता है कि शादी के बाद दुनिया ही बदल जाती है और फिर मेरे वाला भी तेरी तरह फ़ौज़ी है तो बस झोला-झंडी उठाए बस घूमते ही रहते है , फिर गाँव भी कम ही आना जाना होता है भाई भी अपनी ड्यूटी मे मस्त है तो बस ऐसे ही है”

मैं- सबका यही पंगा है , वैसे पहले से ज़्यादा हट्टी-कत्ति हो गयी है तू .

“मुझे पता था तू सबसे पहले ये ही नोटीस करेगा तू सुधरा नही ना अभी तक चल आजा घर चलके बाते करते है .”

मैं- ये राशन का समान घर दे आउ फिर आता हूँ .

“लाला को बोल दे किसी के हाथ भिजवा देगा”

मैं- ठीक है तेरे साथ ही चलता हूँ.

मुझे अभी भी यकीन नही आ रहा था कि प्रीतम एक बार फिर से मुझे ऐसे मिल जाएगी . उसके ब्याह के बाद दो- तीन बार ही मैं मिला था उस से फिर मैं भी तो बिज़ी हो गया था अपने झमेलो मे पर आज , शायद इसे ही संजोग कहते है.

प्रीतम- काफ़ी तगड़ा हो गया है पहले से तू.

मैं- बस वो ही तेरे वाली बात ऐसा ही है.

प्रीतम- सही है कितने दिन की छुट्टी आया है.

मैं- कल ही जाना है

प्रीतम- ये क्या बात हुई आज मिला और कल जाने की बोल रहा , रुक जा दो - चार दिन मेरे साथ अरसा हो गया किसी अपने के साथ हुए.

मैं- तेरा कहा मैने कभी टाला है क्या तू कहे और मैं जाउ हो सकता है क्या रुक जाउन्गा पर तेरे वाला भी आया है क्या.

प्रीतम- ना रे, कश्मीर मे तैनात है आजकल. तो हम फिलहाल ससुराल मे ही जमे है , इधर तो मैं अकेली ही आई हूँ ना, ताऊ जी के पोता हुआ है तो उसी का प्रोग्राम है बच्चों को भी सास-ससुर के पास छोड़ के आना पड़ा. अब सर्दी का मौसम है उनको संभालू या प्रोग्राम को एंजाय करू.

मैं- बच्चे भी कर लिए.

प्रीतम- दुनिया का दस्तूर है तो हम ने भी दो औलादे कर ली.

मैं- सही है.

बाते करते करते हम उसके घर आ गये और एक दम से जैसे यादो का सैलाब टूट पड़ा मुझ पर इस घर मे बहुत मज़े किए थे मैने प्रीतम के साथ कुछ बेशक़ीमती पल बिताए थे मैने.

प्रीतम- हम बदल गये पर ये दीवारे आज भी वैसी ही हैं

मैं- तेरी मेरी कहानी इन दीवारो के दरमियाँ ही सिमटी हुई है कही पर.

प्रीतम- दीवानी हो गयी थी मैं तेरी .
मैं- कुछ तो हमें भी सुरूर था.

प्रीतम- वो भी क्या दिन थे ना

मैं- दौर बीत चुका है वो .

प्रीतम- पर यादो का क्या

मैं- कुछ नही.

प्रीतम- थोड़ा टाइम गुजारेगा मेरे साथ.

मैं जवाब देता उस से पहले ही निशा का फोन आ गया

मैं- हाँ.

निशा- कहाँ हो.

मैं- थोड़ी देर मे आता हूँ

निशा- हूंम्म.

मैने फोन रखा .

प्रीतम- किसका फोन था.

मैं- निशा का .

प्रीतम- वो कुम्हारो की लड़की , अभी तक तेरे साथ है वो.

मैं- मेरे घर ही हैं शादी कर रहे है हम जल्दी ही.

प्रीतम- चल झूठे,

मैं-तेरी कसम यार, एक लंबी कहानी है

प्रीतम- मैं तो तब भी बोलती थी ये लड़की तुझे दूर तक ले जाएगी .गाँव बस्ती का क्या

मैं- अब किसी की कोई औकात नही .


प्रीतम- तो कमिने मुझे ही भगा लेता मैने कौनसा सा टूट के नही चाहा था तुझे, तन मन धन सब तेरे नाम कर दिया था.

मैं- यार तू तो आज भी दिल मे है पर मैने कहा ना वो दौर बीत गया है इस छोटी सी ज़िंदगी मे बहुत कुछ घट गया है , अब बस मैं और निशा ठिकाना ढूँढ रहे है एक दूसरे के सहारे ज़िंदगी कट जाएगी.

प्रीतम- तू जो भी करेगा अच्छा ही करेगा.

उसने मेरे गालो पर किस किया और बोली- वैसे मैं आज अकेली ही हूँ.

मैं- आज नही निशा कल सुबह जा रही है तो आज मैं उसके साथ रहूँगा हाँ पर कल का दिन पक्का तेरा जाना तो मुझे उसके साथ ही था पर मैं कुछ दिन और रुकता हूँ.

प्रीतम- ठीक है मेरे राजा मैं सुबह मेरे प्लॉट मे तेरा इंतज़ार करूँगी.

मैं- दस बजे तक आता हूँ.

मैने प्रीतम को किस किया और फिर घर की तरफ चल पड़ा. मुझे अभी भी यकीन नही हो रहा था ये पगली अचानक से जो मिल गयी थी मेरा पूरा इतिहास जैसे मेरी आँखो के सामने फिर से ताज़ा हो रहा था. खैर मैं घर आया. और सीधा निशा के पास गया.

मैं- यार मैं कुछ दिन बाद आउन्गा

निशा- क्या हुआ.

मैं- एक काम आ गया है तो ………

निशा- इतना छुपाते क्यो हो मैं कुछ कह रही हूँ क्या तुम्हारा जब जी करे तब आ जाना .

मैं- थॅंक्स .

निशा- तुम भी ना.

मैं- पॅकिंग हो गयी हो तो बाहर आ जाओ बैठ ते है कुछ देर छत पर.

निशा - बियर ले आउ.

मैं- ये हुई ना बात और हाँ चाची को बोल देना कि खाने मे कुछ अच्छा बना ले.

निशा- मैने खाना बना लिया है

मैं- तो आजा फिर.

कुछ देर बाद मैं और निशा छत पर बैठे हुए थे.

निशा- तुम्हारे साथ रह रह कर पता नही कैसी हो गयी हूँ मैं

मैं- अभी से बहक गयी क्या तू.

निशा- आज थोड़ी ना बहकी हूँ मैं जबसे तुम मेरी ज़िंदगी मे आए हो तभी से बहकी हुई हूँ मैं. वैसे मैं कह रही थी कि वो मेरे ट्रान्स्फर का कुछ होगा क्या मैं थोड़ा फॅमिली के साथ रहना चाहती हूँ.

मैं- देल्ही आते ही मिनिस्ट्री से फोन करवाता हूँ .

निशा- अब तो ये नौकरी भी जंजाल लगती है , इसको पाने के लिए बहुत मेहनत की और अब देखो बोझ सी लगती है.

मैं- और नही तो क्या. पर कमाना भी तो ज़रूरी है ना.

निशा- क्या फ़ायदा यार इन रुपयो का जब इनसे खुशी मिलती ही नही है.

मैं- निशा, हम जैसे लोगो को खुशी मिलती कहाँ है.

निशा- क्या यार तुम भी सेंटी हो जाते हो, वो परमिला भुआ जी का फोन आया था
मैं- क्या कह रही थी कब आ रही है वो.

निशा- बुआ के लड़के का रिश्ता तय हो गया है. तो सगाई है बुला रही थी सबको.

मैं- क्या बात कर रही है . चिनू का रिश्ता . इतना बड़ा हो गया क्या वो कब कैसे.

निशा- अब सब अपनी तरह है क्या , चिनू टीचर लग गया है तुम्हे तो मालूम होगा नही, अब सही है रिश्ता कर लेतो.

मैं- पर ऐसे कैसे.

निशा- सबको पता होता है कि अपनी ज़िम्मेदारिया निभाने का सही समय कौन सा है और अच्छी ही बात हैं ना कि हमें भी मौका मिलेगा थोड़ा एंजाय करने का रिश्तेदारो को जान ने का .

मैं- पेंचो. एक हम ही रह गये ज़माने मे.

निशा- वैसे मनीष एक बात कहना चाहती हूँ .

मैं- जानता हूँ . तू जैसा चाहती है वैसा ही होगा.

निहा- सुन तो लो

मैं- कहा ना, तू जो चाहती है वैसा ही होगा.

निशा ने कुछ घूँट ली और बोली- कब तक आओगे देल्ही.

मैं- जल्दी ही .

निशा- मन नही लगेगा तुम्हारे बिना.

मैं- मेरा भी , वैसे मैं सोच रहा हूँ इस कोठी को तुडवा के फिर से अपने पहले जैसे घर को उसी तरह बनाया जाए.

निशा- मनीष, दुनिया आगे की तरफ बढ़ती है और तुम हो कि पीछे जाना चाहते हो.

मैं- क्या करूँ यार मेरा मन नही लगता है मुझे मेरा वो ही घर चाहिए. एक पल भी अपना पन नही लगता मुझे यहाँ पर.

निशा- घरवालो से बात करो फिर.

मैं- चाचा जब छुट्टी आएँगे तो पूछता हूँ .

निशा- हुम्म, अब जल्दी से ख़तम भी करो कितना टाइम लगाओगे खाना खाना है मुझे.


मैं- चल फिर नीचे चलते है.

मैने बोतल मुंडेर पर रखी और फिर निशा के साथ नीचे आ गया.

चाची- निशा तू भी लेती है क्या.

निशा- ना चाची, ये तो बस मनीष ज़िद कर लेता है तो कभी कभी.

मैं बस मुस्कुरा कर रह गया.


निशा खाना लगाने लगी मैं उठ कर उस कमरे मे आ गया जहाँ पर मम्मी ने मेरा पुराना समान रखा हुआ था एक टेबल पर मेरे रंग रखे थे जो मैने बरसो से नही छुए थे, मैने उन्हे उठाया और दीवार पर ही बस ऐसे ही चलाने लगा, बस ऐसे ही एक बार मैने अपनी दीवार पर मिथ्लेश की तस्वीर बनाई थी.

मितलेश जैसी कोई कभी नही हो सकती अपने आप मे अनूठी थी वो , उसके जैसा कोई नही.

उसका बस अहसास ही मेरे रोम रोम मे रूमानियत जगा देता था . जब भी मैं आँखे बंद करता तो बस उसकी ही तस्वीर मेरी आँखो के सामने आ जाती थी. इश्क़ था इश्क़ है बेशक वो मेरे पास नही थी पर उसकी रूह आज भी मुझमे ज़िंदा थी

. वो दूर होकर भी मेरे पास थी . बस उसकी तमाम यादो को याद करते हुए मेरे हाथ दीवार पर चल रहे थे और जब मैं रुका तो मेरे सामने दीवार पर मिथ्लेश मुस्कुरा रही थी . मैने उसकी वो ही तस्वीर बनाई थी जो कभी मैने बनाई थी. मेरी आँखो से आँसू निकल कर ज़मीन पर गिरने लगे. पर मैं जानता था कि इन आँसुओ की कीमत क्या है.
मुझे बहुत याद आती थी उसकी , इतनी याद कि कभी कभी लगता था कि मैं कही पागल नही हो जाउ, इतना दर्द जो दे गयी थी वो मुझे, आख़िर कसूर क्या था मेरा बस इतना ही कि मोहब्बत कर बैठा. पर कुछ कमी मुझमे ही रह गयी होगी क्योंकि वो मेरा इंतज़ार नही कर पाई और मैं बदकिस्मत मुसाफिर उसके पास होकर भी आज उस से इतना दूर था . किसी लहर की तरह वो बस आकर मुझसे टकरा तो सकती थी पर मैं किसी किनारे की तरह उसे पा नही सकता था.


एक बार फिर मुझ पर मेरी नाकामी चढ़ने लगी मेरे सर मे भयंकर दर्द होने लगा सांस लेना मुश्किल हो गया . मेरा बस एक ही तो ख्वाब था मिथ्लेश जिसके साथ मैं जीना चाहता था और उस उपर वाले ने उसे ही मुझसे छीन लिया था . कहने को तो मैं दुनिया से टकराने का हौंसला रखता था पर सच्चाई मे एक मजबूर टूटे हुए इंसान के सिवा कोई हस्ती नही थी मेरी.

रत भर मैं अकेले बैठे उस चाँद को देखता रहा दिल मे बहुत कुछ था कहने को पर लब खामोश थे. सुबह निशा देल्ही के लिए चल दी और मैं अपने प्लाट मे आ गया . और नीम के नीचे चारपाई बिछा के लेट गया . कुछ देर लेटा था कि पायल कि खनक मेरे कानो मे आ पड़ी. मैने आँखे खोल कर देखा तो प्रीतम चली आ रही थी.

मैं- आज बहुत खनक रही है तेरी पायल.

प्रीतम- बस तेरा ही असर है, पता है कल रात नींद ही नही आई. बस मैं सोचती रही अपने बारे मे.

मैं- दरवाजा बंद कर आ.

वो- कर आई हूँ पहले ही.

मैं- तो क्या सोचती रही .

वो- बताती हूँ पहले ज़रा सरक तो सही , बरसो बीत गये तेरे आगोश मे लिपटे हुए.
मैं- आ जा.

प्रीतम- बस पुरानी मस्तियो के बारे मे ही तमाम वो जगह याद करती रही जहा हम ने कुछ पलो को साथ जिया था.

मैं- कुछ भी कह तेरे और मेरी मामी जैसी कोई दूसरी आई ही नही ज़िंदगी मे. तुम दोनो कमाल हो .

प्रीतम- मामी को भी नही बक्षा तूने.

मैं- अरे बस ऐसे ही.

वो- कोई ना, ज़िंदगी मे जितना मज़ा लिया जाए ले लेना चाहिए .

मैने अपना हाथ प्रीतम के सूट के अंदर डाल दिया और ब्रा के उपर से उसकी मोटी मोटी चुचियो को दबाने लगा.

मैं- आज भी तू पहले जैसी ही है.

वो- क्या करूँ, वजन कम होता ही नही

मैं- ऐसे ही गंदास लगती है तू पहले भी इसी लिए मैं मर मिटा था तुझ पर

वो- मेरे वाले को मोटी औरते पसंद नही.

मैं- उसको क्या पता कि तू क्या चीज़ है पर उसका भी क्या दोष तुझ जैसे पीस दुनिया मे बनते ही कम है .

प्रीतम- इतनी तारीफ भी ना कर दो बच्चे पैदा करने के बाद बेडौल हो गयी हूँ मैं.

मैं- अब क्या फरक पड़ता है प्रीतम. उमर के साथ ये सब होता ही है एक दिन जवानी तो ढलेगी ही.

प्रीतम- सो तो है पर एक बार पहले किस करने दे मुझसे कंट्रोल ही नही हो रहा है क्या करूँ.

प्रीतम ने अपने लाल लिपीसटिक मे रंगे होंठो को मेरे होंठो से जोड़ दिया और पागलो की तरह हम किस करने लगे, एक बात अभी भी उसमे बाकी थी उसके होंठो का स्वाद आज भी वैसा ही था एक दम मीठा जैसे पहले था .

मैं- आज भी तेरे होंठ मीठे है .

प्रीतम- मीठा जो ज़्यादा खाती हूँ.

मैने उसके सूट को उतारना शुरू किया.

वो- यही पे.

मैं- कौन आएगा यहाँ हम दोनो ही तो है.

धीरे धीरे हम दोनो ने अपने कपड़े उतारने शुरू किया और अब बस वो गुलाबी कच्छी मे मेरे सामने थी हमेशा की तरह उसने साइज़ से छोटी कच्छी पहनी हुई थी जो उसकी भारी जाँघो पर बेहद टाइट थी.

प्रीतम- एक मिनिट रुक सूसू कर के आती हूँ.

वो अपनी गान्ड मटकाते हुए पानी के हौद के पास गयी और इठलाते हुए अपनी कच्छी उतार के मूतने बैठ गयी. सुर्र्र्र्र्र्ररर सुर्र्र्र्र्र्ररर करते हुए उसकी लाल चूत से गरम पानी की धारा धरती पर गिरने लगी इतना मदहोश कर देने वाला नज़ारा देख कर कोई भी अपने होश खो बैठता . उसकी नज़रे मुझसे मिली और मैं उसकी तरफ चल पड़ा . जैसे ही वो खड़ी हुई मैने उसे अपनी बाहों मे लिया और खींच ते हुए बाथरूम मे ले आया और फव्वारा चला दिया.

प्रीतम- ठंडा पानी है मनीष, बरफ जम जानी है.

मैं- तेरे बदन की गर्मी से भाप बन जाना है सब कुछ.

उसको अपनी बाहों मे लिए लिए ही हम फव्वारे के ठंडे पानी मे भीगते रहे.मेरा लंड प्रीतम के गोल मटोल चुतड़ों की दरार मे अपने आप सेट हो चुका था और मैं उसकी चुचियो से खेलने लगा था. हाथो मे कोहनियो तक पहनी उसकी चूड़िया गले मे मंगलसूत्र और कमर पर चाँदी की तागड़ी . हुस्न और गहनो का ऐसा संगम बहुत खूब सूरत लग रहा था .

प्रीतम- मनीष सर्दी लग रही है . कमरे मे चलते है

मैं- जैसी तेरी मर्ज़ी .

मैने उस हुस्न के प्याले को अपनी गोद मे उठाया और अंदर कमरे की तरफ बढ़ गया.


हुस्न की जो चिंगारी कुछ बरसो पहले मुझसे जुदा हो गयी थी आज वो एक भड़कता हुआ शोला बन कर मेरी बाहों मे मचल रही थी मैने प्रीतम को बिस्तर पर पटका और उसके उपर चढ़ गया. एक बार फिर हमारे होंठ आपस मे गुत्थम गुत्था हो चुके थे , हमारा थूक आपस मे मिक्स हो रहा था और बदन उस सर्दी की दोपहर मे एक आग मे पिघल रहे थे उसके बदन का नशा मुझे बिन पिए ही हो रहा था.

उत्तेजना से काँपती हुई प्रीतम ने मेरे लंड को अपनी चूत पर रखा और मुझे इशारा किया और अगले ही पल मैं उस मस्तानी औरत मे समाता चला गया उसकी चूत आज भी किसी भट्टी की तरह ही तपती थी , आज भी उसका मस्ताना पन ज़रा भी कम नही हुआ था. और मैं इस छूट का पुराना हकदार एक बार फिर से इस छलकते जाम को पीने जा रहा था . अपनी चूत मे मेरे लंड को महसूस करते ही प्रीतम के बदन मे मस्ती भर गयी और उसकी गान्ड मेरे हर धक्के के साथ उपर नीचे होने लगी.

जब जब मैं अपने लंड को बाहर की तरफ खींचता उसकी चूत की फांके रगड़ खाते हुए बाहर को खिंचती जिस से ऐसे लगता की चूत लिपट सी गयी है और यही बात उसे बाकी औरो से अलग करती थी , प्रीतम पागलो की तरह मेरी जीभ को अपने मूह मे लिए हुई थी , चारपाई बुरी तरह से चरमरा रही थी.

प्रीतम- ये खाट जाएगी आज नीचे उतार लो.

मैं- जाने दे पर तू यही चुदेगि.

प्रीतम- मैं कह रही हूँ मान लो.
मैं- कहा ना तू यही चुदेगि.

प्रीतम- तो चोद ना , थोड़ा और ज़ोर लगा तोड़ डाल आज मेरी नस नस इतना चोद मुझे, इस तरह से रगड़ कि तेरे असर मे खो जाउ मैं, महकने लगे मेरा बदन.

मैं- आज तू जैसा चाहेगी वैसे ही होगा.

मैने उसकी गर्दन पर किस करते हुए कहा . प्रीतम की बाहे मेरी पीठ पर रेंग रही थी . पल पल बीतने पर वो मुझे पूरी तरह अपने अंदर समा लेना चाहती थी किसी घायल शेरनी की तरह बेकाबू सी होने लगी थी और जब उसका खुद पर कंट्रोल नही रहा तो वो मेरे उपर आ गयी और मेरे सीने पर हाथ रख कर ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड पर कूदन लगी. सेक्स की उसकी ये ही बेफिक्री मुझे बहुत पसंद थी . बिस्तर पर आग लगा देना जैसे उसकी आदत सी हो गयी थी.

चारपाई हम दोनो के बोझ से बुरी तरह चरमरा रही थी पर हमारी आँखो मे अब बस एक ही चमक थी , हमारे बदन उस आग मे बुरी तरह जल रहे थे अब चरम सुख की एक तेज बारिश ही इस आग को ठंडा कर सकती थी प्रीतम की चूत बस मेरे वीर्य की धार से ही ठंडी होना चाहती थी मैने उसकी मांसल गान्ड को अपने दोनो हाथो मे जकड रखा था और वो हर बाँध को तोड़ते हुए किस बलखाती नदी की तरह मुझे अपने साथ बहाए ले जा रही थी.

जैसे कोई काला बदल आसमान पर छा जाता है वैसे ही प्रीतम अब मुझ पर छा चुकी हुई थी उसके सुर्ख होंठ एक बार फिर मुझसे जुड़ चुके थे और बस अब किसी भी पल वो भी मुझ पर बरस सकती थी मैं इंतज़ार कर रहा था उन बूँदो का जो मेरे भीतर जलती इस ज्वाला को शांत करके मुझे राहत दे सकती थी. प्रीतम को भी आभस हो चला था क्योंकि उसकी साँसे अब उखाड़ने लगी थी और मैने सही समय पर पलटी खाते हुए उसे अपने नीचे लिया और उसकी चूत पर तूफ़ानी धक्को की बरसात कर दी.

प्रीतम ने अपनी आँखे बंद कर ली और खुद को मेरे हवाले कर दिया. बमुश्किल 3-4 मिनिट का समय और लिया हम ने और एक दूसरे को चूमते हुए झड गये. पर आज बस यू ही नही झडे थे हम दोनो चुदाई के इस खेल मे आज लगा कि जैसे रूह तक को सुकून मिला हो पर इस से पहले हम इस अनुभूति को और फील कर पाते कड़क की आवाज़ के साथ चारपाई का पाया टूट गया और मैं प्रीतम के साथ साथ नीचे आ गिरा.

प्रीतम- कमर तुडवा दी ना. मैं पहले ही रोई थी ये खाट जाएगी.

मैं- उठने तो दे .

प्रीतम बडबडाते हुए अलग हुई और हम दोनो उठे. प्रीतम अपने कपड़े पहन ने लगी.
मैं- अभी क्यो पहन रही है .

प्रीतम- अभी के लिए इतना ही ठीक है रात को अकेली ही हूँ आ जइयो फिर घमासान मचाएँगे.

मैं- पर रुक तो सही अभी.

वो- हाँ, रुकूंगी ना थोड़ी देर.

मैने भी अपने कपड़े पहन ने चालू किए और तभी बाहर से कोई किवाड़ पीटने लगा.

प्रीतम- अब कौन आ गया दुनिया को दो पल चैन नही है.

मैं- रुक खोलता हूँ.

मैने अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोला तो अनिता भाभी और गीता दोनो खड़े थे . भाभी अंदर आई और आते ही प्रीतम को देखा. गीता भी पीछे पीछे आ गयी.

गीता- मनीष बहुत दिनो बाद देखा तुम्हे.

मैं- बस अब ऐसा ही है .

गीता- कितने दिन हुए आए.

मैं- थोड़े ही दिन हुए, कल परसो मे वापिस चला जाउन्गा.

गीता- बिना मुझसे मिले ही .

मैं- आने वाला था पर कुछ कामो मे उलझ जाता हूँ.

प्रीतम- मैं जा रही हूँ बाद मे मिलती हूँ.

मैं- रुक ना चाय पीते है फिर जाना. भाभी सबके लिए चाय बना लो ना.
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#80
भाभी ने एक नज़र प्रीतम पर डाली और बोली- अभी फ़ुर्सत नही है मेरी ढेर सारा काम पड़ा है अब कुछ लोगो की तरह फालतू तो हूँ नही मैं .

प्रीतम- रहने दे मनीष , चाय का मूड भी नही है मेरा पर तू रात को आ जाना तुझे दूध पिलाउन्गी .

प्रीतम ने जिस अंदाज मे बात कही थी अनिता भाभी को बहुत गुस्सा आ गया था वैसे ही वो पहले से ही प्रीतम को यहाँ देख कर नाराज़ थी मैं समझ गया था.

भाभी- देवर जी, इस से कह दो कि अभी के अभी यहाँ से चली जाए वरना ठीक नही रहेगा इसके लिए.

प्रीतम- चलती हूँ मनीष, आज कल कुछ लोगो की सुलग बहुत रही है .

प्रीतम मेरे पास आई और कान मे बोली- आज कल इसकी नही ले रहा क्या तू जो ये इतना उछल रही है तबीयत से पेल इसको थोड़े नखरे कम हो जाएँगे.

प्रीतम के जाने के बाद मैं और गीता कुर्सियो पर बैठ गये.

मैं- भाभी क्या बात है क्या ज़रूरत थी प्रीतम से झगड़ने की .

भाभी- हिम्म्त कैसे हुई उस कुतिया को यहाँ पर लाने की मूह ही मारना है तो बाहर हज़ार जगह है यहाँ ये सब नही चलेगा.

मैं- क्या बोल रही हो भाभी, दोस्त है वो मेरी.

भाभी- और मैं मैं क्या हूँ, कितना तड़प रही हूँ तुम्हारे करीब आने को दो घड़ी तुम्हारे साथ बाते करने को पर तुम हो कि बाहर मूह मार रहे हो आख़िर मुझ मे अब क्या कमी लगने लगी तुम्हे .

मैं- मैने बोला तो था ना कि थोड़ी फ़ुर्सत आने दो.

भाभी- मेरे लिए फ़ुर्सत नही है और जनाब यहाँ रंडियो को चोद रहे हो.

मैं- तमीज़ से भाभी प्रीतम भी मेरे लिए बहुत अज़ीज़ है .

भाभी- होगी ही, मैं अब लगती भी क्या हूँ तुम्हारी. अब जब नयी नयी मिलने लगी तो मेरे पास क्यो आना है तुम्हे.

मैं- भाभी प्रीतम के बारे मे तो बहुत पहले से पता है आपको और आपकी उस से नही बनती तो मैं क्या कर सकता हूँ.

भाभी- मुझे कुछ नही सुन ना . तुम तो साहब लोग हो बड़े लोग हो जो जी मे आए करो , मेरी किसको पड़ी है .

मैं- ज़्यादा ड्रामा हो रहा है भाभी.

भाभी- अब तो ड्रामा ही लगेगा एक दौर था जब मेरे बिना एक पल नही कट ता था और आज देखो .

तभी गीता अंदर आ गयी तो हम चुप हो गये.

गीता- अनिता , मैं चलती हूँ फिर कभी आउन्गि.

भाभी- चाय तो पीकर जाना, बस बन ही गयी है.

भाभी ने कप्स मे चाय डाली और हम पीने लगे. गीता ने अपन कप रखा और जाने के लिए तैयार हो गयी.

मैं- मैं भी चलता हूँ कयि दिन हो गये खेतो की तरफ नही गया.

मेरी बात सुनते ही गीता की आँखो मे चमक आ गयी और हम प्लॉट से बाहर निकल कर गाँव से बाहर की तरफ जाने वाले रास्ते पर चल दिए.




गीता- सही तो कह रही थी अनिता , अब तुम पहले वाले नही रहे कब आते हो कब जाते हो हमे तो मालूम ही नही पड़ता है. और ज़िंदगी मे आगे बढ़ना ज़रूरी होता है पर पुराने बन्धनो को भी थाम कर चलना ज़्यादा ज़रूरी होता है.

मैं- तुम भी भाभी की तरह बात करने लगी मेरा भी मन करता है पर मेरी मजबूरी है जो मैं उसके पास नही जा सकता मेरी ताई को पहले से ही हमारी सेट्टिंग के बारे मे मालूम है , बीच मे भी वो मुझे टोका करती थी और अब तो उन्होने खुल्ला कह दिया है कि अगर मेरी बहू के साथ कुछ भी किया या उसके करीब आने की कॉसिश भी कि तो पूरे कुनबे के सामने वो बता देंगी . जानती हो फिर इस से क्या होगा.

सबसे पहले तो मेरे और रवि का रिश्ता खराब होगा और फिर बाकी बाते भी खुल जाएँगी.मैं अपने मज़े के लिए परिवार तो बर्बाद नही कर सकता ना.

गीता- तो अनिता को सॉफ बोल क्यो नही देते कि ये बात है.

मैं- वो नही समझेगी, फिर वो ताई के साथ पंगा करेगी और फिर भी सब बर्बाद हो जाएगा तो अच्छा है ना कि मैं ही बुरा बन लू.

गीता- खैर जाने दो. मुझे तो लगा था कि अब तुम भूल गये मुझे.

मैं- तुम्हे भूल कर कहाँ जाना है वो तो निशा साथ आई हुई थी तो थोड़ी फ़ुर्सत सी नही हो रही थी फिर प्रीतम से मुलाकात हो गयी. मैं सोच रहा था कि जाने से पहले तुमसे मिल कर जाउन्गा.

गीता- चलो किसी ने तो सोचा मेरे बारे मे.

बाते करते हुए हम दोनो उसके घर आ गये. मैने देखा आस पास और भी घर बन गये थे.

मैं- बस्ती सी बन गयी है इस तरफ तो.

गीता- हाँ, आजकल लोग खेतो मे ही मकान बनाने लगे हैं तो इस तरफ भी बसावट हो गयी है.

मैं- अच्छा ही हैं .

गीता- सो तो है.

मैं- काम ठीक चल रहा है तुम्हारा.

गीता- मौज है, अब खेती कम करती हूँ डेरी खोल ली है तो दूध--दही मे ही खूब कमाई हो जाती है कुछ मजदूर भी रख लिए है.

मैं- बढ़िया है .

गीता ने घर का ताला खोला और हम अंदर आए.

गीता- क्या पियोगे दूध या चाय.

मैं- तुम्हारे होंठो का रस.

गीता- अब कहाँ रस बचा हैं , अब तो बूढ़ी हो गयी हूँ बाल देखो आधे से ज़्यादा सफेद हो चुके है.

मैं गीता के पास गया और उसकी चुचियो को मसल्ते हुए बोला- पर देह तो पहले से ज़्यादा गदरा गयी है गीता रानी . आज भी बोबो मे वैसी ही कठोरता है.

गीता- झूठी बाते ना बनाया करो.

मैं-झूठ कहाँ है रानी , झूठ तो तब हो जब तेरी तारीफ ना करू.

मैने गीता के ब्लाउज को खोल दिया ब्रा उसने डाली हुई नही थी. उसकी चुचिया पहले से काफ़ी बड़ी हो चुकी थी .

मैं- देख कितना फूल गयी है और तू कहती है कि.

गीता- उमर बढ़ने के साथ परिबर्तन तो होता ही हैं ना

मैने गीता की छातियो को दबाना शुरू किया तो वो अपनी गान्ड मेरे लंड पर रगड़ने लगी.

गीता- आज रात मेरे पास ही रुकोगे ना.

मैं- हाँ, आज तेरी चूत के रस को जो चखना है.

गीता- चख लो . तुम्हारे लिए ही तो है ये तन-बदन आज मुझको भी थोड़ा सुकून आ जाएगा.

गीता ने अपने घाघरे का नाडा खोल दिया और बस एक पैंटी मे मेरी बाहों मे झूलने लगी. मैं उसकी चुचियो से खेलता रहा.

गीता ने अपने घाघरे का नाडा खोल दिया और बस एक पैंटी मे मेरी बाहों मे झूलने लगी. मैं उसकी चुचियो से खेलता रहा.

गीता- ड्यूटी पे रहते हो तो कभी मेरी याद आती है.

मैं- याद तो आएगी ना ले देकर कुछ ही तो खास लोग है मेरी ज़िंदगी मे.

गीता अपना हाथ पीछे ले गयी और मेरी पॅंट को खोल दिया मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया. उसके छुने भर से मेरे बदन मे जादू सा होने लगा मैं मस्ती मे भरने लगा और गीता के कंधो पर चूमने लगा. खाने लगा गीता के बदन मे शोले भरने लगे थे. फूली हुई चुचियो के काले अंगूरी निप्पल्स कड़क होने लगे थे. गीता का हाथ अब तेज तेज मेरे लंड पर चलने लगा था .

मेरी जीभ उसके गोरे गालो पर चलने लगी थी. तभी गीता पलट जाती है और अपने तपते होंठ मेरे होंठो पर रख देती है. मैं उसकी भारी भरकम गान्ड को मसल्ते हुए उसके होंठो का रस चूसने लगता हूँ.सर्दी के इस मौसम मे गीता का तपता जिस्म मेरे जिस्म से चिपका हुआ था. पागलो की तरह हमारा चुंबन चालू था . मेरे हाथ उसकी गान्ड की लचक को नाप रहे थे. गीता की चूत का गीलापन अब मेरी जाँघो पर आने लगा था.

एक के बाद एक काई किस करने के बाद गीता घुटनो के बल बैठ गयी और मेरे लंड की खाल को पीछे सरकाते हुए अपनी जीभ मेरे सुपाडे पर फिराने लगी और मैं अपनी आहों पर काबू नही रख पाया. उसकी लिज़लीज़ी जीभ मेरे बदन मे कंपन पैदा कर रही थी . गीता मुझे अहसास करवा रही थी कि उमर बढ़ बेशक गयी थी पर आग अभी भी दाहक रही थी.

उपर से नीचे तक पूरे लंड पर उसकी जीभ घूम रही थी मैने उसके सर पर अपने हाथो का दवाब बढ़ाया तो उसने मूह खोला और मेरे लगभग आधे लंड को अपने मूह मे ले लिया और उसे चूसने लगी. मैं उसके सर को सहलाते हुए मुख मैथुन का मज़ा लेने लगा.

“ओह गीता रानी कसम से आग ही लगा दी तूने . थोड़ा और ले मूह मे अंदर तक ले जा . हाँ ऐसे ही ऐसे ही बस बस आहह ” मैं अपनी आहो पर बिल्कुल काबू नही रख पा रहा था मज़ा जो इतना मिल रहा था.

गीता बड़ी तल्लीनता से मेरा लंड चूस रही थी पर मैं उसकी चूत मे झड़ना चाहता था इसलिए मैने उसके मूह से लंड निकाल लिया. गीता बिस्तर पर अपनी टांगे फैलाते हुए लेट गयी और उसका भोसड़ा मेरी आँखो के सामने था काली फांको वाली उसकी लाल लाल चूत जो गहरी झान्टो मे धकि हुई थी . उसकी चूत के होंठ काँप रहे थे और तड़प रहे थे कि कब कोई लंड उन से रगड़ खाते हुए चूत के अंदर बाहर हो.

चूँकि गीता ने कयि दिनो से चुदवाया नही था तो वो भी बुरी तरह से चुदने के लिए मचल रही थी . वैसे तो मेरा मन उसकी चूत चूसने का था पर मैने सोचा कि पहले एक बार इसकी कसी हुई चूत को खुराक दे दूं. तो मैने बिना ज्यदा देर किए गीता की चूत पर अपने थूक से साने हुए लंड को टिकाया और एक धक्का लगाते हुए सुपाडे को उसकी चूत के अंदर धकेल दिया.

“सीईईईईईईईईईईईईईईईई , धीरे धीरे मेरे राजा धीरे से, बहुत दिनो मे आज लंड ले रही हूँ तो थोड़ा आराम से.”

“गीली तो पड़ी हो फिर भी ” मैने एक धक्का और लगाते हुए कहा.

गीता- तुम्हारे सिवा कौन लेता है मेरी तो इतने दिनो बाद चुदुन्गि तो थोड़ी तकलीफ़ होती है ना.

मैं- मज़ा ले मेरी रानी बस मज़ा ले. आज तेरी प्यास को बुझा दूँगा. आज पूरी रात तेरी चूत मे मेरे लंड के पानी की बारिश होती रहेगी.

“आहह मरी रे” गीता अपने पैरो को टाइट करते हुए बोली.

मेरा पूरा लंड चूत के अंदर गायब हो चुका था और मैने धीरे धीरे गीता को चोदना शुरू किया तो वो भी अब रंग मे आने लगी.

गीता- कुछ देर बस ऐसे ही मेरे उपर लेटे रहो ना, मैं तुम्हारे लंड को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ.

मैं- पर तेरी चूत इतनी गरम है कि कही मेरे लंड का पानी ना गिरवा दे.

गीता- तो गिरने दो ना , मैं भी तरस रही हूँ

मैं- गिराना तो है पर सलीके से मेरी रानी.

मैने गीता के निचले होंठ को अपने होंठ मे दबा लिया और उसको चूस्टे हुए धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. 44-45 साल की होने के बावजूद गीता के बदन की कसावट कमाल की थी ऐसा लगता ही नही था कि किसी बूढ़ी को चोद रहे हो उसके जिस्म मे एक नशा सा था क्योंकि उसके बदन की बनावट ही इतनी सॉलिड थी उपर से दिन भर वो काम करती थी तो जान बहुत थी.

फॅक फॅक की आवाज़ गीता की चूत से आ रही थी क्योंकि अब मैं तेज तेज धक्के लगा रहा था और गीता भी अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी .

मैं- सच मे आज भी ऐसे लगता है कि पहली बार ले रहा हूँ तेरी.

गीता- झूठ कितना बोलते हो तुम.

मैं- मत मान पर तेरी चूत आज भी उतनी ही लाजवाब है जितना तब थी जब मैने पहली बार तेरी ली थी.

गीता- तब तो बस मुझे बहका ही दिया था. आह गाल पे निशान पड़ जाएगा मेरे.

मैं- तब भी तू मस्त थी और आज भी जबरदस्त है.

मैने गीता को टेढ़ी करके लिटा दिया और उसकी एक टाँग को मोडते हुए अपने लंड को चूत पर फिर से लगा दिया गीता ने अपने चूतड़ पीछे को किए और मैने एक हाथ साइड से ले जाते हुए उसकी चुचि को पकड़ के फिर से उसको चोदना शुरू किया . गीता की रस से भरी चूत मे मेरा लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था .सर्दी की उस शाम मे हम दोनो पसीने से तरबतर हुए बिस्तर पर धमा चौकड़ी मचा रहे थे.

कुछ देर बाद मैं उसी तरह उसकी लेता रहा फिर मैने उसे औंधी लिटा दिया और पीछे से उसके उपर चढ़ कर चोदने लगा गीता के चूतड़ बुरी तरह से हिल रहे थे ओर उसके बदन मे कंपन ज़्यादा होने लगा था तो मैं समझ गया था कि वो झड़ने वाली है मैने अपने हाथ उसकी साइड से दोनो चुचियो पर पहकुअ दिए और दबाते हुए उसकी लेने लगा.

करीब दो चार मिनिट बाद ही मुझे भी महसूस होने लगा कि मैं झड़ने वाला हू तो मैं तेज तेज घस्से लगाने लगा और गीता भी बार बार अपनी चूत को टाइट करने लगी . और फिर गीता के मूह से आहे फूटने लगी अपनी चूत को कसते हुए वो झड़ने लगी उसके चुतड़ों का थिरकना कुछ पलों के लिए शांत सा हो गया और मैं तेज़ी से उसको चोदते हुए अपने झड़ने की तरफ बढ़ने लगा.

उसके झड़ने के कुछ देर बाद ही मैने उसकी प्यासी चूत मे अपने वीर्य की धारा छोड़ दी और जब तक अंतिम बूँद उसकी चूत मे ना समा गयी मैं धक्के लगाता ही रहा. झड़ने के बाद मैने पास पड़ी रज़ाई हम दोनो पर डाल ली और गीता के पास लेट गया. वो वैसे ही पड़ी रही.

गीता- जान ही निकाल दी .

मैं- मज़ा आया कि नही.

गीता- इस मज़े की बहुत ज़रूरत थी मुझे.

मैं- आज रात तेरे पास ही रहूँगा.

गीता- सच कह रहे हो .

मैं- तेरी कसम.

गीता- आज खूब खातिर दारी करूँगी तुम्हारी.

थोड़ी देर बाद गीता उठी और अपनी चूत से टपकते मेरे वीर्य को साफ करने के बाद उसने वापिस अपना लेहना पहन लिया . मैने भी कचा पहन लिया और बाहर आकर सस्यू वग़ैरा किया. मैने घड़ी मे टाइम देखा साढ़े 6 हो रहे थे और चारो तरफ अंधेरा हो चुका था. आस पास के घरो मे बल्ब जल चुके थे.

गीता- खाने मे क्या बनाऊ

मैं- जो तेरा दिल करे.

गीता- खीर और चुरमा बनाती हूँ.

मैं- बना ले.

जब तक उसने खाना बनाया मैं बिस्तर मे लेटा टीवी देखता रहा पर असली खेल तो खाना खाने के बाद शुरू होना था. गीता मेरे लिए दूध का गिलास लेके आई तो मैने अपने लंड को गिलास मे डुबोया और गीता की तरफ देखा तो गीता समझ गयी कि मैं क्या चाहता हूँ. मैं बार बार अपने लंड गिलास मे डुबाता और गीता तुरंत मेरे लंड को अपने मूह मे भर लेती. इस तरीके से उसको लंड चुसवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. गीता ऐसे ही चुस्ती रही जब तक कि सारा दूध ख़तम नही हो गया. फिर मैने उसे घोड़ी बना दिया और अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए.

“सीईईईईईईईई” गीता कसमसा उठी लंबे समय से उसने अपनी चूत पर ऐसा अहसास नही पाया था . मैने चूत पर जीभ फेरनी शुरू की तो गीता के चूतड़ ज़ोर ज़ोर से हिलने लगे. सुर्र्रर सुर्र्र्र्र्रर्प प़ मेरी जीभ उसकी पूरी चूत पर उपर नीचे हो रही थी , घोड़ी बनी हुई गीता की चूत का नशा रस बन कर बह रहा था और वो पागल हुए जा रही थी.


“कितना तडपाएगा जालिम, ठंडी क्यो नही करता मुझे” गीता लगभग चीखते हुए बोली . पर किसे परवाह थी औरत जितना मस्ती मे आके तड़पति है उतना ही मज़ा वो देती है और मैं तो आज गीता को पूरी तरह से पागल कर देना चाहता था. मैं उसके नशीले शबाब को आज बाकी बची रात मे चखना चाहता था पर मेरी उस इच्छा को मेरे फोन की रिंगटोन ने तोड़ दिया.

मैने देखा चाची का फोन आ रहा था ,एक नज़र मैने अपनी कलाई पर बँधी घड़ी पर डाली और फिर फोन को कान से लगा दिया.

चाची- मनीष अभी घर आ.

मैं- आता हूँ पर क्या हुआ.

चाची- तू बस घर आ जा.

चाची ने बस इतना बोलके फोन काट दिया तो मुझे टेन्षन सी लगी.

गीता- क्या हुआ.

मैं- चाची का फोन था अभी घर बुलाया है.

गीता- इस वक़्त,

मैं- पता नही क्या बात है पर कुछ तो गड़बड़ है, मुझे अभी जाना होगा मैं बाद मे आउन्गा.

गीता- इस समय अकेले जाना ठीक नही होगा मैं चलता हूँ.

मैं- नही, और फिर तुम आओगी तो घरवालो को क्या कहूँगा कि मैं तुम्हारे साथ था.

गीता- तो फिर आराम से जाना.

मैने अपने कपड़े पहने और फिर गीता के घर से बाहर चल दिया आस पास खेत होने की वजह से ठंड कुछ ज्यदा सी थी और पैदल पैदल चलने से मुझे कुछ टाइम लग गया जब मैं घर पहुचा तो देखा कि चाची दरवाजे पर ही खड़ी थी.

मैं- क्या हुआ चाची ऐसे क्यो फोन किया मुझे.

चाची- अनिता……..

मैं- क्या किया भाभी ने.

चाची- अनिता, गुस्से मे घर से चली गयी है रवि से झगड़ा किया उसने .

मैं- ये भाभी भी ना पता नही क्या सूझता रहता है अब इतनी रात को क्या ज़रूरत थी पंगा करने की. रवि कहाँ है.

चाची- सब लोग उसको ही ढूँढ रहे है बड़ी जेठानी कह रही थी कि अनिता बोलके गयी है की आज किसी कुवे या जोहद मे डूबके जान दे देगी, मुझे तो बड़ी टेन्षन हो रही है, ये बहू भी ना पता नही क्या दिमाग़ है इसका पिछले कुछ दिनो से काबू मे ही नही है.

मैं- जान देना क्या आसान है जब गुस्सा शांत होगा तो आ जाएगी अपने आप.


हम बात कर ही रहे थे कि रवि भाभी को ले आया .

मैं- भाभी ये क्या तरीका है इतनी रात को सबको परेशान करने का.

भाभी- तुम अपने काम से काम रखो तुम्हे मेरे मामले मे पड़ने की ज़रूरत नही है.

रवि- चुप कर जा वरना मेरा हाथ उठ जाएगा.

मैं- रवि, कोई बात नही गुस्से मे है . होता है.

भाभी-हां हूँ गुस्से मे तो किसी को क्या है जब इस घर मे मेरी कोई हसियत ही नही है तो क्यो रहूं मैं यहाँ पर. सारा दिन बस गुलामी करती रहूं कभी पशुओ का तो कभी खेतो का बस मेरी ज़िंदगी इसी मे जा रही है.

मैं- तो मत करो , काम की दिक्कत है तो मत करो. पर इस बात के लिए कलेश क्यो करना.

रवि- मनीष बात काम की नही है , इसको होड़ करनी है निशा से इसको लगता है कि निशा के आने से घर मे इसकी चोधराहत कम हो गयी है सब लोग निशा को ज़्यादा प्यार करते है और निशा के आगे ये फीकी पड़ जाती है .

रवि की बात सुनकर मैं और चाची हैरान रह गये.

चाची- पर ये तो ग़लत बात हैं ना बेटा, निशा इस घर की खास मेहमान है और मनीष की सबसे प्यारी दोस्त, अनिता ये बिल्कुल ग़लत तुम अच्छी तरह से जानती हो कि निशा और मनीष साथ रहते है और जल्दी ही शादी भी करेंगे , अपनी देवरानी से कैसी जलन

भाभी- मैं क्यो रीस करूँगी उस से, भला उसकी और मेरी क्या तुलना.

मैं- भाभी सही कहा आपने, आप अपनी जगह हो और वो अपनी , आप इस घर की बड़ी बहू हो पर आपका फ़र्ज़ बनता है कि घर को एक धागे मे बाँध के चले आपके मन मे ऐसी छोटी बात आई यकीन नही होता.

भाभी- कुछ बातों का यकीन मुझे भी नही होता देवेर जी.

भाभी की ये बात अंदर तक जाकर लगी.

मैं- भाभी, आप आप ही रहोगे, निशा क्या कोई भी आपकी जगह नही ले पाएगा पर निशा भी अब इस घर की सदस्या है जितना हक आपका है उतना ही उसका भी इस घर पर है.

ताई जी- बिल्कुल सही कहा तुमने, और अनिता तुझे इस घर मे रहना है जाना है वो तेरी मर्ज़ी है पर कालेश नही होना चाहिए, शूकर है निशा यहाँ नही है वरना वो क्या सोचती और क्या इज़्ज़त रह जाती हमारी. मैने कभी बेटी और बहू मे कोई भेद नही रखा पर पता नही आजकल इसके दिमाग़ मे कहाँ से ये बाते आ रही हैं .

चाची- सही कहा जीजी आपने , अनिता तुम अभी जाकर आराम करो और ठंडे दिमाग़ से सोचना कि इस घर के प्रति तुम्हारी क्या ज़िम्मेदारिया है और रवि तुम भी शांत हो जाओ बाकी बाते सुबह होंगी . इस घर की शक्ति इसके एक होने मे है और मैं कह रही हूँ कि जो भी मत-भेद हो इतने गहरे ना हो कि इस घर की नीव को हिला दे. सो जाओ सब लोग और किसी बुरे सपने की तरह इस झगड़े को भूलने की कॉसिश करना .


धीरे धीरे सब लोग चले गये पर मैं हॉल मे ही सोफे पर बैठ गया और सोचने लगा कि आख़िर अनिता भाभी के दिमाग़ मे ये बात आई कहाँ से.

उस रात नींद नही आई बस दिल परेशान सा होता रहा अनिता भाभी ने जिस तरह से आज ये ओछी हरकत की थी मुझे बहुत ठेस लगी थी . मैने कभी ऐसी उम्मीद नही की थी कि भाभी अपने मन मे ऐसा कुछ पाले हुए है. दिल किया कि निशा को फोन कर लूँ पर समय देख कर किया नही वो रात भी कुछ बहुत ज़्यादा लंबी सी लगी मुझे.

अगले दिन मम्मी- पापा आने वाले थे उनको मालूम होता कि रात को क्या तमाशा हुआ तो उनको भी बुरा लगता ही पर मैने अनिता भाभी से खुल क बात करने का सोचा ,
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