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05-12-2020, 10:17 AM
(This post was last modified: 07-12-2020, 07:12 AM by odinchacha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
1
यह कहानी है, हिमालय की वादियों में बसे एक राज्य की.. जिसका नाम था, कामपुर.. ..
यह नाम, इस राज्य को इसलिए मिला था क्यूंकी यहाँ कामदेव और रति की विशेष कृपा थी.. जिसके कारण, कोई भी लड़का या लड़की इस राज्य में कुँवारा नहीं रहता था..
इस राज्य के राजा “लिंगवर्मा” थे… !!
उसकी शरण में, राज्य बड़ा सुखी और शांत था और राजा ने अपने राज्य को और अधिक समृद्धशाली बनाने के लिए, अपने पड़ोसी राज्य योनपुर के राजा की बेटी “वक्षकुमारी” से शादी करने का प्रस्ताव लेकर राजा से मिलने गये।
राजकुमारी बहुत ही सुंदर लड़की थी… !!
उसे जब राजा लिंगवर्मा ने देखा तो वो उसके योवन में खो गये..
राजकुमारी का गोरा रंग, दूध जैसा था..
उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसे चूचे, जो उसकी चोली को फाड़ कर बाहर निकलने के लिए तड़प रहे थे और उसके चुत्तड़ तो बिलकुल सुडोल और बेहद आकर्षक थे… !!
जब राजा ने उसे देखा तो राजकुमारी अपनी सखी और दसियों के साथ खेल रही थी और भागने दौड़ने के कारण, उसके गाल लाल पड़ गये थे।
राजा का मन तो यह कर रहा था की अभी ही वो राजकुमारी के गालों को चूम ले.. मगर, वो कोई ग़लत काम नहीं करना चाहते थे.. इसलिए, वो सीधे ही योनपुर के राजा के महल में, उनसे उनकी बेटी का हाथ माँगने चले गये..
योनपुर के राजा, राजा लिंगवर्मा को देख बड़े खुश हुए और जब लिंगवर्मा ने उनसे उनकी बेटी का हाथ माँगा तो उन्होंने एक पल भी ना सोचा और तुरंत राजकुमारी की शादी उनसे ही करने का वचन दे दिया।
मगर, राजकुमारी ने जब राजा लिंगवर्मा को देखा तो उन्हें वो पसंद ना आए और उन्होंने जब यह बात अपने पिता और माँ को बताई की वो शादी नहीं करना चाहती तो उनके पिता गुस्सा हो गये और बोले की अब वचन दे दिया है और वो अब कुछ नहीं कर सकते… !!
अब राजकुमारी के पास कोई रास्ता ना था और फिर, उन्होंने सोचा की अगर वो राजा लिंगवर्मा को यह बोले की वो शादी नहीं करना चाहती क्यूंकी वो किसी और से प्यार करती है तो शायद राजा लिंगवर्मा अपने आप शादी से इनकार कर दे… !!
यह सोच, उन्होंने अपनी एक दासी बुलाई..
वो अपने राज्य के किसी भी संदेश वाहक दूत को, यह काम के लिए नहीं कह सकती थी क्यूंकी फिर यह बात उनके पिताजी को पता चल सकती थी.. इसलिए, उन्होंने अपनी सबसे करीबी दासी को बुलाया था और उसे एक संदेश लिख कर दे दिया, जिसमें उन्होंने लिंगवर्मा से शादी से मना करने का लिख रखा था..
उधर राजा लिंगवर्मा, राजकुमारी के रूप में खोए हुए थे और वो अपने दरबार से भी जल्दी चले गये और अपने कक्ष में जाकर, बस वक्षकुमारी के बारे में सोचने लग गये।
वो अपने दिमाग़ से, राजकुमारी के बड़े बड़े चूचे निकाल ही नहीं पा रहे थे..
इस मनोरोग को दबाने के लिए, उन्होंने मदिरा का सहारा लिया.. मगर, उसका उल्टा प्रभाव उनके दिमाग़ पर पड़ा और वो जहाँ देखते वहाँ उन्हें राजकुमारी ही दिखने लगी और फिर उन्होंने अपने सारे कपड़े निकाल फेंकें और नंगे ही बिस्तर पर लेट गये और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़, हिलाने लग गये..
इतनी देर में, उनके दरवाज़े पर दस्तक हुई तथा एक अंगरक्षक ने उनसे बाहर से पूछा – महाराज, आपसे कोई मिलने आया है… !!
राजा लिंगवर्मा ने कहा – अंगरक्षक, कौन गुस्ताख है… !! अभी हम, किसी से नहीं मिल सकते… !! उनसे कहो, कल आए… !!
अंगरक्षक की आवाज़ आई – महाराज, आपसे वक्षकुमारी की दासी मिलने आई है… !! राजकुमारी का कोई संदेश लाई है… !!
राजा बुरी तरह नशे में था उसे सिर्फ़ राजकुमारी ही समझ में आया और उसके मुंह में पानी आ गया और उसने तुरंत बिना कुछ विचारे, अंगरखशक से कहा – उन्हें सम्मान के साथ अंदर भेज दो… !!
राजा यह भी भूल गये की वो कुछ नहीं पहने हैं..
फिर, दरवाज़ा खुला और दासी अंदर आई।
दासी ने मुंह नीचे कर रखा था और उसने यह नहीं देखा की राजा “नंगा” उसकी प्रतीक्षा कर रहा है..
दासी ने आते ही, राजा को नमस्कार किया और बोली – महाराज, मैं आपके लिए वक्षकुमारी का… !! … !! और आगे वो कुछ बोल पाती राजा ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और तब दासी को एहसास हुआ की राजा तो नंगा था..
वो राजा को दूर हटाने की कोशिश करने लगी और बोली – महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं… !! मैं तो एक दासी हूँ… !! और राजकुमारी जी का संदेश लेकर आई हूँ… !!
मगर राजा नशे में चूर था और कुछ समझ नहीं पा रहा था।
वो बोला – हाँ, तू दासी है… !! मगर, सिर्फ़ मेरी, बाकी लोगों के लिए तो तू इस राज्य की रानी है… !!
दासी को समझ में आ गया की राजा नशे में चूर है..
मित्रो, कहानी लम्बी होने के कारण, कुछ भागों में विभाजित की गई है… !!
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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05-12-2020, 10:37 AM
(This post was last modified: 06-12-2020, 10:55 AM by odinchacha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
2
दासी ने आते ही, राजा को नमस्कार किया और बोली – महाराज, मैं आपके लिए वक्षकुमारी का… !! … !! और आगे वो कुछ बोल पाती राजा ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और तब दासी को एहसास हुआ की राजा तो नंगा था..
वो राजा को दूर हटाने की कोशिश करने लगी और बोली – महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं… !! मैं तो एक दासी हूँ… !! और राजकुमारी जी का संदेश लेकर आई हूँ… !!
मगर राजा नशे में चूर था और कुछ समझ नहीं पा रहा था।
वो बोला – हाँ, तू दासी है… !! मगर, सिर्फ़ मेरी, बाकी लोगों के लिए तो तू इस राज्य की रानी है… !!
दासी को समझ में आ गया की राजा नशे में चूर है..
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उसने राजा को बहुत समझाने की कोशिश की वो वक्षकुमारी नहीं, एक दासी है.. मगर, राजा तो बुरी तरह नशे में था और कुछ समझ नहीं पा रहा था..
और फिर उसने ज़बरदस्ती दासी को अपने बिस्तर पर पटक दिया और उसकी चोली को खोलने लगा।
दासी अपने आप को बहुत छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.. मगर, राजा बहुत ताकतवर था इसलिए, उसकी एक ना चल पाती..
राजा, जब उसकी चोली को खोल ना पाया तो उसने उसे फाड़ कर बाहर फेंक दिया और दासी के चूचे आज़ाद हो गये..
वैसे तो, वो दासी थी.. मगर, वो भी बहुत खूबसूरत थी..
हाँ, वो राजकुमारी जितनी गोरी नहीं थी.. मगर, उसका रंग भी साफ़ था और उसके चूचे भी कसे हुए और बड़े बड़े थे..
अब राजा उसके चुचों को मसलने लगा और उसके होठों को चूमने की कोशिश करने लगा.. मगर, दासी कभी अपना मुंह इधर उधर करने लगी.. जिससे, राजा उसके होठों का चूँबन ना ले सके.. मगर, राजा ने उसके चूचे मसलने छोड़, उसके मुंह को अपने हाथ से पकड़ सीधा कर दिया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और फिर से अपने एक हाथ से उसके चूचे वा दूसरे हाथ से उसके घाघरे के ऊपर से ही, चूत मसलने लगे..
दासी, बुरी तरह तड़पने लगी। क्यूंकी, वो अभी तक कुँवारी थी और उसने कभी आदमी के स्पर्श तक तो महसूस किया नहीं था और अब उसका हर अंग राजा महसूस कर रहा था।
दासी, बुरी तरह चिल्लाने लगी.. जिसे सुन, राजा के अंगरक्षक भी दहल गये.. मगर, राजा का आदेश के बिना वो कक्ष के अंदर भी नहीं जा सकते थे.. इसलिए, वो भी चुप चाप बाहर उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनते रहे..
अब राजा ने चूची चूसना शुरू कर दिया और दासी बुरी तरह तड़पने लगी।
उसने यह एहसास पहले कभी महसूस नहीं किया था और राजा अब धीरे धीरे, उसके घाघरे को भी ऊपर करने लगा और दासी की जांघें बिलकुल नंगी हो गई..
मगर, दासी ने अपने दोनों हाथों से घाघरे को दबा दिया.. जिससे राजा उसकी चूत को नंगा ना कर सके..
फिर राजा ने उसके दोनों हाथ अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए और दासी के ऊपर बैठ गये।
दासी रोए जा रही थी और लगातार अपने को छोड़ने की भीख माँग रही थी.. मगर, राजा कहाँ मानने वाला था..
वो नशे में तो था ही और उससे बड़ा नशा था, “वासना” का और उसने दासी के घाघरे में अपना खड़ा लंड फँसाया और उसे कमर तक ऊपर कर दिया.. जिससे, दासी की चूत बिलकुल नंगी हो गई और राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा दासी की चूत पर रख दिया और उसे उस पर रगड़ने लगा..
अब दासी से सहन नहीं हो पा रहा था।
वो अपनी कुँवारी चूत पर एक भारी भरकम लंड का एहसास कर रही थी और दूसरी और राजा उसकी चूची अपनी मुंह में दबा कर चूसे जा रहा था.. कभी कभी, हल्का सा काट भी लेता..
वो अब चिल्ला चिल्ला कर भी थक चुकी थी तो वो चुप चाप बिस्तर पर सिसकारी भरने लगी और अपने बदन को भूखे राजा के सामने हल्का छोड़ दिया।
अब राजा जो चाहता, वो उससे करा सकता था.. मगर, अचानक दासी का हाथ पानी के गिलास पर पड़ा और उसने उसे उठ कर राजा के मुंह पर मार दिया..
राजा की आँखो में पानी जाने से, वो तिलमिला गया और दासी के ऊपर से हट गया और उसे हल्का हल्का होश भी आ गया।
तब मौका देख, दासी ने सोचा – यह अच्छा मौका है, भाग जाने का… !! और वो सीधे ही “नंगे बदन”, दरवाज़े की और भागी.. मगर, फिर उसे ख़याल आया की अगर वो उस तरह बाहर गई तो शायद कई लोग उसके साथ बलात्कार कर देंगे… !! यहाँ तो, यह राजा ही उसे चोदेगा… !! यह सोच वो रुक गई..
राजा भी हल्के से होश में आ गये थे।
राजा ने उसकी और देखा और बोले – तुम तो राजकुमारी नहीं हो… !! तुम कौन हो… !! ??
यह सुन, दासी ने सोचा – शायद, राजा को होश आ गया है और वो बच गई… !! वो बोली – क्षमा करें, महाराज… !! मैं वक्षकुमारी नहीं हूँ… !! और आप मुझे राजकुमारी समझ कर मुझसे यौन क्रिया करना चाह रहे थे… !! इसलिए, मुझे आपके मुंह पर जल डालना पड़ा… !!
राजा ने अपने मुंह से पानी साफ़ करते हुए कहा – मगर, तुम हो कौन… !! ?? और हमारे कक्ष में क्या कर रही हो और हमारे अंगरक्षक ने तुम्हें अंदर कैसे आने दिया… !! ??
तब दासी ने बताया की वो क्यूँ आई थी और उसने राजा को राजकुमारी का संदेश दे दिया..
राजा ने जब उसे पड़ा तो तिलमिला गये की जिसके ख़यालों में वो खो चुके थे वो किसी और से प्यार करती है.. ..
और उन्होंने संदेश को फाड़ कर कक्ष में जल रही अंगीठी में डाल दिया और फिर वो दासी की और मुड़े और बोले – उसकी यह हिम्मत की हमारा रिश्ता ठुकरा दे… !! मैं चाहूं तो उसके राज्य को कुछ ही पल में, धूल में मिला सकता हूँ… !! और यह कहते हुए उन्होंने दासी का हाथ पकड़ लिया..
दासी डर गई और बोली – महाराज, मैं क्षमा चाहती हूँ… !! मगर, मैं तो राजकुमारी के आदेश से यहाँ आई हूँ… !! मुझे कृपा कर, छोड़ दे… !!
राजा गुस्सा में बोला – नहीं, उस घमंडी राजकुमारी को भी पता चलना चाहिए की हम क्या कर सकते हैं… !!
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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(05-12-2020, 11:44 AM)Shabaz123 Wrote: Nice start bro...waiting next
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दासी ने बताया की वो क्यूँ आई थी और उसने राजा को राजकुमारी का संदेश दे दिया..
राजा ने जब उसे पड़ा तो तिलमिला गये की जिसके ख़यालों में वो खो चुके थे वो किसी और से प्यार करती है.. ..
और उन्होंने संदेश को फाड़ कर कक्ष में जल रही अंगीठी में डाल दिया और फिर वो दासी की और मुड़े और बोले – उसकी यह हिम्मत की हमारा रिश्ता ठुकरा दे… !! मैं चाहूं तो उसके राज्य को कुछ ही पल में, धूल में मिला सकता हूँ… !! और यह कहते हुए उन्होंने दासी का हाथ पकड़ लिया..
दासी डर गई और बोली – महाराज, मैं क्षमा चाहती हूँ… !! मगर, मैं तो राजकुमारी के आदेश से यहाँ आई हूँ… !! मुझे कृपा कर, छोड़ दे… !!
राजा गुस्सा में बोला – नहीं, उस घमंडी राजकुमारी को भी पता चलना चाहिए की हम क्या कर सकते हैं… !!
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यह कह राजा ने फिर दासी को बिस्तर पर पटक दिया और फिर उसके सामने जाकर खड़े हो गये और दासी के बाल पकड़ कर उसे बिस्तर पर घुटनों के बल बिठा दिया।
वो फिर से करहाने लगी और राजा से दया की भीख माँगने लगी.. मगर, राजा तो बिल्कुल बहक चुका था और दासी का मुंह अपने लंड के सामने लाकर बोला – चूस इसे… !!
दासी ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर, राजा से मना किया तब राजा गुस्से में आकर अपने लंड को दासी के होठों से रगड़ने लगा.. मगर, दासी ने अपने मुंह ना खोला..
फिर, राजा ने उसके मुंह को अपने हाथ से दबाया और दर्द से छटपटाती दासी ने मुंह तुरंत खोल दिया और जैसे ही उसने मुंह खोला, राजा ने लंड उसके मुंह के अंदर डाल दिया और फिर राजा उसके सिर को लंड की और धकेलेने लगे और जैसे चूत को चोदते हैं, वैसे उसके मुंह को चोदने लगे..
राजा का बड़ा लंड, दासी के पूरे मुंह में आ गया था और उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी।
दूसरी तरफ, राजा अपने हाथों से बेदर्दी से उसकी चूचियाँ मसले जा रहा था.. उसको दर्द सहन नहीं हो रहा था और उसकी आँखों से आँसू बाहर आ गये.. मगर, राजा यह सब कहाँ देख पा रहा था..
फिर, राजा भी अपने बिस्तर पर बैठ गया और दासी का सिर अपनी गोदी में रख उसके मुंह को चोदता रहा और अपनी उंगलियाँ उसकी कुँवारी चूत में डाल दी, जिससे वो तिलमिला उठी..
वो चीखना तो चाहती थी, मगर आवाज़ कहाँ से बाहर आती। उसके मुंह के अंदर तो लंड था और वो मुंह से लंड निकालना भी चाहती थी.. मगर, राजा के हाथ उसके सिर को पीछे से दबाए रहते.. जिससे, वो लंड को मुंह से निकल ना पाती..
वो बुरी तरह, दर्द के कारण तड़प रही थी।
अब वो समझ चूकि थी की आज उसकी इज़्ज़त नहीं बचने वाली और अगर वो ज़यादा प्रयास करेगी तो दर्द और होगा.. इसलिए, उसने अपने बदन को राजा के समर्पित कर दिया और अब जैसा राजा चाहता, वो करता..
उसने दासी के मुंह को लगातार, जब तक चोदा जब तक वो पूरी तरह झड़ नहीं गया.. यहाँ तक की अपना वीर्य भी, उसने दासी के मुंह में ही निकाला और एक बूँद भी बाहर नहीं गिरने दिया और फिर जैसे ही उसने अपना लंड बाहर निकाला तो दासी को उबकाई सी आई..
राजा मुस्कुराते हुए बोला – क्यों, स्वाद अच्छा नहीं था… !! और फिर हंसते हुए उसने दासी के होठों का चूँबन ले लिया
और बोला – आ तुझे दवाई दे दूं… !! जिससे, तेरा दर्द भी कम हो जाएगा और बाद में चुदने में भी मज़ा आएगा… !! और यह कह उसने पास में रखी शराब उठाई और उससे चाँदी के दो गिलासों में पलट दिया और खुद तो एक बार में गाता गत पी गया.. मगर, दासी ने पीने से मना कर दिया तो उसने उसे ज़बरदस्ती पिला दिया और फिर उसने दासी को अपने लंड की मालिश का इशारा किया और फिर दासी बिना प्रतिकार कर, उसके लंड की मालिश करने लगी और राजा उसके चूची चूसने लगा
और थोड़ी ही देर में, राजा का लंड फिर खड़ा हो गया और फिर उसने दासी को बगल से पकड़ बिस्तर पर, बिल्कुल सीधा लिटा दिया..
दासी की आँखों में डर था की इतना बड़ा लंड उसकी चूत का क्या हाल करेगा और राजा से प्यार की उम्मीद तो बेकार थी।
राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा, दासी की चूत के दरवाज़े पर टीका दिया और उसे उसकी चूत पर मलने लगा।
दासी के दिल की धड़कन, बहुत तेज हो गई और फिर राजा ने अपनी मुंह से थूक निकाल कर दासी की चूत पर मला और फिर हल्का सा झटका दिया.. जिससे, लंड थोड़ा अंदर गया.. मगर, दासी की कुँवारी चूत यह झटका भी संभाल ना पाई और खून उसकी चूत से बाहर आ गया और उसे लगा की वो मर जाएगी..
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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(06-12-2020, 12:59 AM)raj500265 Wrote: NICE START
thanks
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(06-12-2020, 01:07 AM)bhavna Wrote: मस्त कहानी। thanks
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दासी की आँखों में डर था की इतना बड़ा लंड उसकी चूत का क्या हाल करेगा और राजा से प्यार की उम्मीद तो बेकार थी।
राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा, दासी की चूत के दरवाज़े पर टीका दिया और उसे उसकी चूत पर मलने लगा।
दासी के दिल की धड़कन, बहुत तेज हो गई और फिर राजा ने अपनी मुंह से थूक निकाल कर दासी की चूत पर मला और फिर हल्का सा झटका दिया.. जिससे, लंड थोड़ा अंदर गया.. मगर, दासी की कुँवारी चूत यह झटका भी संभाल ना पाई और खून उसकी चूत से बाहर आ गया और उसे लगा की वो मर जाएगी..
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दर्द इतना था की वो लगभग बेहोशी की हालत में थी.. मगर, शायद राजा उतना बुरा ना था जितना, उसने उस रात किया था, इसलिए, उसने दासी को संभाला और हल्के हल्के चूँबन से उसे होसला दिया..
फिर, उसने धीरे धीरे दूसरा झटका दिया और दासी उस दर्द को बर्दाशत ना कर सकी और बेसूध होकर बिस्तर पर गिर गई।
राजा ने, फिर उसे संभाला और कभी उसके सिर पर हाथ फेरा तो कभी उसके होंठ चूमे और फिर उसने तीसरा और आखरी धक्का लगाया.. जिससे, दासी की चूत बिलकुल खुल गई
और वो दर्द से चिल्ला उठी..
उसकी आवाज़ इतनी तेज थी की महल में रह रहे, सभी मंत्रियो तक वो आवाज़ पहुँची।
कई लोग, राजा के कक्ष तक आए देखने की क्या हुआ.. मगर, अंगरक्षकों ने उन्हें अंदर जाने से मना कर, किसी तरह बात संभाली..
इधर, दासी दर्द से व्याकुल हो उठी थी.. मगर, राजा कहाँ मानने वाला था और काफ़ी देर तक उसने अपने लंड को साधे रखा और हिला तक नहीं..
दासी तो चाहती थी की राजा लंड बाहर निकाल ले.. मगर, वो जानती थी की उसका चाहना, यहाँ कुछ कीमत नहीं रखता.. इसलिए, वो दर्द से करहती हुई लेटी रही..
बस, अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को चौड़ा करने की कोशिश करती रही की थोड़ा दर्द कम हो।
राजा ने जब देखा की दासी थोड़ी शांत हुई है तो उसने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया।
दासी दर्द से बेहाल, करहाती रही।
उसकी सिसकारियाँ, अब सुनने वाला कोई नहीं था और उसकी इज़्ज़त लूट चुकी थी..
उसकी आँखों से आँसू, बाहर लगातार आ रहे थे..
जो चूत, उसने अपने जीवनसाथी के लिए बचाई थी.. वो, अब राजा की हवस का शिकार हो चूकि थी.. मगर, राजा को इस बात से कोई मतलब ना था और वो तो नशे में चूर, उसे चोदने में लगा था..
उसने कुछ देर तक तो, अपने लंड को प्यार से धीरे धीरे अंदर बाहर किया..
मगर, फिर जब उसने देखा की दासी का करहाना बहुत कम हो गया तो अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा.. जिससे, दासी फिर से करहाने लगी..
राजा भी जोश में, आवाज़ें निकालने लगा.. मगर, दोनों की आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई शेर किसी बकरी के मेमने को चोद रहा है..
थोड़ी देर तक तो दासी सहन कर पाई, फिर बेचारी बेहोश हो गई..
राजा उसे चोदता रहा, जब तक वो पूरी तरह झड़ ना गया और उसके बाद वो भी ढीला पड़ कर, उसके बगल में ही बेहोश हो कर गिर गया।
सुबह जब राजा की आँख खुली, तब उसने देखा की उसके बिस्तर पर खून था और फिर उसकी नज़र दासी पर पड़ी.. जो, अपने नंगे बदन को छुपाए रोए जा रही थी..
तब राजा को अपनी ग़लती का एहसास हुआ.. मगर, अब कोई कुछ नहीं कर सकता था..
अब राजा को यह भी डर लगने लगा की अगर, दासी ने यह बात बाहर बता दी तो जो मंत्री उसके विरोध में है, उनको राजा की सता छीनने का बहाना मिल जाएगा.. इसलिए, राजा ने दासी को समझाया की जो हो गया सो हो गया.. मगर, राजा की शादी उसकी वक्षकुमारी से हो जाए तो वो दासी को पूरी इज़्ज़त से अपने राज्य में शरण देगा और उसका पूरा ख़याल रखेगा और अगर उसके चोदने के कारण दासी को शिशु होता है तो उसका ध्यान भी राजा ही रखेगा..
दासी फिर भी रोती रही और बोली – नहीं महाराज, मुझे न्याय चाहिए… !! आप ऐसे ही, अपने पाप से बच नहीं सकते… !!
राजा, यह सुन भड़क गया और बोला – देख दासी, अगर तूने यह बात बाहर किसी को बताई तो मैं यह शपथ लेता हूँ की उसका नुकसान तुझे अकेले को नहीं, तेरे पूरे परिवार और राज्य को उठना पड़ेगा… !!
दासी डर गई और फिर राजा ने उसे एक बार और प्यार से समझाया की अगर वो राजा की बात मन ले तो वो उसका भविष्य सुधार देगा और उसे कई तरह के प्रलोभन, राजा ने दिए।
दासी को भी लालच आ गया और फिर, राजा ने कहा – मगर, यह सब जब ही हो सकता है, जब तू मेरी शादी वक्षकुमारी से करा दे… !!
दासी ने राजा की और देखा और बोली – मेरे साथ जो हुआ है, उसकी वजह वक्षकुमारी ही है… !! क्यूंकी, अगर वो मुझे यहाँ ना भेजती तो आप मुझे उन्हें समझकर, मेरा बलात्कार नहीं करते… !! इसलिए, महाराज मैं इसका का बदला तो उनसे लूँगी और उन्हें आपकी रानी बना के अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और बोला – वैसे, वो प्यार किससे करती है… !! ??
दासी ने राजा की और देखा, मुस्कुराई और बोली – किसी से नहीं… !! और यह कह उसने राजा को पूरा सच सुना दिया की राजकुमारी ने क्यों मना किया।
राजा यह सुन और क्रोध में आ गया की राजकुमारी ने उसका रिश्ता इसलिए ठुकराया क्यूंकी वो देखने में उसे सुंदर ना लगा और राजा ने भी एक प्रतिज्ञा ली और बोला – मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की मैं वक्षकुमारी को जब तक अपना लंड ना चुसवाऊँ, तब तक मैं अपना लंड नहीं धोऊंगा… !! और फिर उसने दासी की और देखा तो दासी उसके लंड की और देख मुस्कुरा रही थी..
उसने दासी से पूछा – दासी, और तुम्हें मैं रंग रूप में कैसा लगा… !! ??
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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Please complete this story ....one my favorite story in xossip
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(06-12-2020, 02:53 PM)bhavna Wrote: Update please.
update saam ko ayega
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दासी ने राजा की और देखा और बोली – मेरे साथ जो हुआ है, उसकी वजह वक्षकुमारी ही है… !! क्यूंकी, अगर वो मुझे यहाँ ना भेजती तो आप मुझे उन्हें समझकर, मेरा बलात्कार नहीं करते… !! इसलिए, महाराज मैं इसका का बदला तो उनसे लूँगी और उन्हें आपकी रानी बना के अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और बोला – वैसे, वो प्यार किससे करती है… !! ??
दासी ने राजा की और देखा, मुस्कुराई और बोली – किसी से नहीं… !! और यह कह उसने राजा को पूरा सच सुना दिया की राजकुमारी ने क्यों मना किया।
राजा यह सुन और क्रोध में आ गया की राजकुमारी ने उसका रिश्ता इसलिए ठुकराया क्यूंकी वो देखने में उसे सुंदर ना लगा और राजा ने भी एक प्रतिज्ञा ली और बोला – मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की मैं वक्षकुमारी को जब तक अपना लंड ना चुसवाऊँ, तब तक मैं अपना लंड नहीं धोऊंगा… !! और फिर उसने दासी की और देखा तो दासी उसके लंड की और देख मुस्कुरा रही थी..
उसने दासी से पूछा – दासी, और तुम्हें मैं रंग रूप में कैसा लगा… !! ??
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दासी मुस्कुराई और बोली – महाराज, मुझे तो आप बहुत सुंदर लगे थे… !! मगर, हम तो ग़रीब लोग हैं… !! हर बड़ा इंसान, हमें सुंदर ही दिखता है… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – हम तुम्हारी बातों से खुश हुए… !! इसलिए, अब हम तुम्हें हम अपने हाथ से स्नान कराएँगे और कई आभूषण और कपड़े भेट देंगे और फिर तुम्हें विदा करेंगे… !!
और फिर राजा ने अपने अंगरक्षकों को आवाज़ दी और बोला की दसियों को भेजो… !!
कुछ ही देर में, दासी कक्ष के अंदर आयीं।
वो राजा और दासी को नंगा देख, चौक गईं.. मगर, फिर उसने अपने आप को संभाला और बोली – महाराज, क्या आज्ञा है… !!
राजा बोला – सुनो, दासी हमारे स्नान के लिए गरम पानी का प्रबंध करो और सब दसियों से कहो की स्नान कक्ष में नग्न अवस्था में, हमारे और अब से तुम्हारी प्रमुख दासी की सेवा में उपस्थित (मौजूद) रहें… !!
दासी ने सिर हिलाया और बोला – जो आज्ञा, महाराज… !! और वो कक्ष से बाहर चली गईं और कुछ देर में वापिस आईं और बोलीं – महाराज, सब तैयार है… !! आप स्नान के लिए, आ सकते हैं… !!
राजा ने दासी की और देखा और बोला – अब हम तुम्हें शाही स्नान का मज़ा दिलाते हैं… !! और फिर राजा ने दासी को गोद में उठाया और स्नान कक्ष की तरफ चल दिया और उसने अपने आगे चल रही दासी से बोला – अक्षरा, तुम वस्त्र नहीं उतरोगी… !!
तब आगे चल रही दासी, बोली – महाराज, मैं अपने वस्त्र स्नान कक्ष में पहुचने पर, उतार दूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और ललचाई आँखों से आगे चल रही दासी के, चुत्तड़ देखने लगा..
वहाँ जाकर दासी ने देखा की राजा की सारी दासियाँ नंगी खड़ी हैं और फिर राजा ने दासी को गोदी से उतारा और बोला – देखो, यह हमारे विवाह के बाद, तुम सब की प्रमुख होंगी… !! इसलिए, अब से तुम्हें इनकी हर आज्ञा का पालन करना है… !! और फिर उसने अपनी प्रमुख दासी को बुलाया और बोला – अक्षरा, अब आप भी अपने वस्त्र उतार सकती हैं… !!
यह कहते ही, उस दासी ने अपने सारे वस्त्र उतार दिए और नंगी खड़ी हो गई और राजा ने अपनी दासियों को इशारा कर कहा की तुम इनको ठीक से स्नान करवाओ और इनकी चूत भी गरम पानी से धोकर, इनकी चूत की सूजन का भी इलाज़ करो और राजा ने फिर अक्षरा का हाथ पकड़ा और बोला – आप मेरे साथ आएँ… !! और वो अपने चुत्तड़ मटकाते हुए, राजा के साथ चली गई..
फिर सारी दासियाँ, वक्षकुमारी की दासी को गरम पानी से स्नान कराने लगीं और एक दासी उसकी चूत और जांघों पर जो खून जमा था, उसे साफ़ करने लगी।
राजकुमारी की दासी, सिसकारियाँ लेने लगी..
कभी कोई दासी उसकी चूत साफ़ करते करते, उसकी चूत में उंगली डाल देती तो कभी उसकी गाण्ड को सहलाती और कोई उसके चूचे धोते धोते, उसकी चूची हल्की सी मसल देती।
वो, एक दम रानी जैसे जीवन का आनंद ले रही थी जो उसने सपने में भी ना सोचा था और उसको रात का अनुभव बिलकुल याद ना रहा..
बस, वो मदहोश अपनी जवानी का आनंद ले रही थी।
वहाँ राजा, अपनी दासी अक्षरा से अपने लंड की मालिश करा रहा था.. उसका लंड, काला ज़रूरी था.. मगर, एक मूसल जैसा मोटा और बड़ा था..
राजा की दासी, राजा के लंड को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर मालिश कर रही थी.. जिससे, उसका लंड एक दम तन गया था..
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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सारी दासियाँ, वक्षकुमारी की दासी को गरम पानी से स्नान कराने लगीं और एक दासी उसकी चूत और जांघों पर जो खून जमा था, उसे साफ़ करने लगी।
राजकुमारी की दासी, सिसकारियाँ लेने लगी..
कभी कोई दासी उसकी चूत साफ़ करते करते, उसकी चूत में उंगली डाल देती तो कभी उसकी गाण्ड को सहलाती और कोई उसके चूचे धोते धोते, उसकी चूची हल्की सी मसल देती।
वो, एक दम रानी जैसे जीवन का आनंद ले रही थी जो उसने सपने में भी ना सोचा था और उसको रात का अनुभव बिलकुल याद ना रहा..
बस, वो मदहोश अपनी जवानी का आनंद ले रही थी।
वहाँ राजा, अपनी दासी अक्षरा से अपने लंड की मालिश करा रहा था.. उसका लंड, काला ज़रूरी था.. मगर, एक मूसल जैसा मोटा और बड़ा था..
राजा की दासी, राजा के लंड को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर मालिश कर रही थी.. जिससे, उसका लंड एक दम तन गया था..
Ab aage
यहाँ दासी की चूत को बाकी दासियाँ, अपनी उंगली से चोदने लगीं और दासी – आँह… !! आह… !! उम्म म म म म म म म म म… !! इयाः उन्ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… !! आह ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ आ… !! की सिसकारियाँ भरने लगीं और कुछ दासी उसके चूचे चूसने लगीं… !!
फिर राजा ने अपनी दासी अक्षरा को घोड़ी की तरह बैठने का आदेश दिया और उसके आदेश देते ही, अक्षरा घोड़ी की तरह बैठ गई और फिर राजा ने अपना लंड अक्षरा की गाण्ड पर रखा और एक ही झटके में अंदर घुसेड दिया..
अक्षरा ने बस हल्की सी सिसकारी ली और फिर आराम से अपनी गांद मरवाने लगी।
ऐसा लग रहा था की उसकी गाण्ड का छेद, अक्सर राजा का लंड लेता रहता था।
यहाँ अब एक एक दासी, राजकुमारी की दासी को छोड़, राजा और अक्षरा के पास जाकर बैठ गई और दासियाँ अब, राजा और अक्षरा के साथ ही लग गईं..
कोई दासी, अक्षरा के चूचे चूस रही थी तो कोई राजा के लंड के टटटे को, तो कोई राजा को चूँबन दे रही थी..
अब राजकुमारी की दासी के साथ, बस एक दासी रह गई थी और वो उसे अकेले ही स्नान करा रही थी तो अब राजकुमारी की दासी का ध्यान भी उसी दासी पर था।
फिर, राजकुमारी की दासी ने उस दासी को खड़ा किया और फिर उसने उसे होंठ पर एक चूँबन दिया और फिर दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे और उस दासी ने राजकुमारी की दासी की गाण्ड में, अपनी उंगली डाल दी और उसकी गाण्ड को अपनी उंगली से चोदने लगी।
पहले तो, राजकुमारी की दासी ने हल्की सी सिसकारी ली पर फिर उसने उस दासी को हल्की सी मुस्कुराहट दी और फिर चुदने का आनंद लेने लगी।
फिर, उस दासी ने राजकुमारी की दासी के चूचे चूसने लगी और राजकुमारी की दासी के आनंद की सीमा ना रही और उसने अपना पूरा बदन उस दासी के हाथो में छोड़ दिया और वो दासी उसके चूचे चूसते हुए, उसकी गाण्ड मे अब अपनी दो उंगलियाँ डाल कर, दासी की गाण्ड मारने लगी।
दूसरी ओर, राजा एक एक कर अपनी हर दासी को चोद रहा था।
यहाँ राजकुमारी की दासी अपनी गाण्ड को मरवाने का आनंद ले रही थी और दूसरी दासी ने राजकुमारी की दासी को फर्श पर लेटा दिया और अपनी दो उंगलियाँ उसकी गाण्ड में डालीं और पूरी तेज़ी से उसे चोदने लगी और साथ ही साथ, उसकी चूत को चूसने लगी..
दासी ज़ोर ज़ोर से, सिसकारियाँ लेने लगी और मदहोश सी हो गई और काफ़ी देर तक चुदने के बाद, राजकुमारी की दासी झड़ गई।
यहाँ, राजा भी झड़ चुका था।
फिर, राजा के साथ सभी दसियों ने (राजकुमारी की दासी सहित) स्नान किया और फिर राजा ने राजकुमारी की दासी को फिर से अपनी गोद में उठाया और बोला – यह अब हमारे साथ, हमारे कक्ष में जाएँगी और आप लोग अब जाएँ… !! और फिर अक्षरा से बोला – अक्षरा, आप अपनी नयी प्रमुख दासी के लिए नये वस्त्रो की व्यवस्था करें… !! और फिर वो राजकुमारी की दासी को उठाए, अपने कक्ष में नग्न ही चल दिए।
फिर राजकुमारी की दासी बोली – महाराज, अब मैं ठीक हूँ… !! आप कृपया मुझे गोद में ना लें चलें… !! आप को यह शोभा नहीं देता… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – नहीं, दासी… !! हमने जो आप के साथ कल किया है, वो सच में ग़लत था… !! इसलिए, हम अब आपको कोई और कष्ट नहीं दे सकते… !! हम कल के लिए काफ़ी लज्जित हैं… !!
दासी, यह सुन बोली – नहीं महाराज… !! आप लज्जित ना हो… !! कल जो हुआ, वो मदिरा का नशा तथा हमारी राजकुमारी की वजह से हुआ, जो उन्होंने मुझे आप से बात करने, रात्रि काल में भेज दिया… !! अब मैं ज़रा भी क्रोध में नहीं हूँ… !! आप कृपया कर, मुझे नीचे उतार दीजिए… !!
राजा मुस्कुराया और उसने दासी को अपनी गोद से नीचे उतारा।
फिर, दासी और राजा दोनों अपने कक्ष की और चल पड़े।
मस्त कहानियाँ हैं, मेरी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर !!! !!
राजा के अंगरक्षकों ने, जब दासी को नग्न देखा तो उन सब के चेहरे पर वासना साफ़ दिख रही थी.. मगर, राजा को देख वो सब मुंह नीचे कर खड़े रहे..
जब राजा आगे निकला तो सब दासी के मोटे मोटे गोल चुत्तडों को देखने लगे।
अंदर जाकर, द्वार बंद कर लिए गये और फिर कुछ देर में दासी अक्षरा कपड़े लेकर आ गई और फिर राजा ने दासी को कई तरीके के गहने देकर, अपने राज्य से विदा किया और बदले में दासी ने उसे वचन दिया की वो उसकी शादी राजकुमारी से करवाने के लिए कुछ भी करेगी।
वहाँ योनपुर में, राजकुमारी बड़ी बैचानी से अपनी दासी की रह देख रही थी.. मगर, दासी सीधे पहले महल ना जाकर अपने घर गई और सारे जेवर छुपा दिए और फिर अपने फटे पुराने कपड़े पहन महल पहुँची और सीधे ही राजकुमारी के कक्ष में गई..
राजकुमारी ने तुरंत उसे अपने पास बुलाया और उससे पूछा – क्या हुआ… !! ??
तब उसने बताया – महाराज ने जब आपकी बात सुनी तो उन्होंने तुरंत ही इस शादी से मना करने का आश्वासन दे दिया है और वो कल आकर आपके पिताजी से इस बारे में वार्तालाप कर लेंगे और आपसे शादी करने से मना कर देंगें… !!
यह सुन राजकुमारी खुशी से फूली ना समाई और उसने दासी को गले से लगा लिया और उसके गालों को चूम लिया.. मगर, दासी के चेहरे पर बिल्ली की मुस्कुराहट थी.. वो जानती थी की अब उसे क्या करना है..
जल्द ही, इस कहानी का अगला भाग..
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यह कहानी, हिमालय की वादियों में बसे एक राज्य कामपुर की है..
यह कहानी जब शुरू हुई, जब राजा लिंगवर्मा ने अपने पड़ोसी राज्य योनपुर के राजा की बेटी से अपने विवाह की प्रस्ताव रखा और राजकुमारी ने राजा से विवाह करने से इनकार कर दिया.. मगर, राजकुमारी के पिता ने राजकुमारी का विवाह राजा लिंगवर्मा से ही करने का तय किया और फिर राजकुमारी ने राजा के पास, अपनी एक दासी भेजी जो यह निवेदन लेकर गई की राजा राजकुमारी से विवाह करने से इनकार कर दे.. क्यूंकी, राजकुमारी किसी और से प्यार करती है.. मगर, जब दासी कामपुर के राजा के पास यह निवेदन लेकर पहुँची तो वो शराब के नशे में चूर था और उसने जब यह समाचार सुना तो वो गुस्से से आग बाबूला हो गया और उसने दासी के साथ, बलात्कार कर दिया.. मगर, सुबह जब राजा को होश आया तो उसने दासी को समझा कर तथा काफ़ी प्रलोभन दिया.. जिससे, दासी उसकी बात मान गई और उसने किसी भी तरह राजा का विवाह, वक्षकुमारी से करने का वादा किया..
अब आगे –
जैसे ही, राजकुमारी ने यह बात सुनी की राजा लिंगवर्मा उस से विवाह ना करने के लिए तैयार हो गया है.. वो ख़ुशी से, फूली नहीं समा रही थी और इस ख़ुशी में उसने अपनी दासी जिसका नाम “रूपाली” था, उसे कई उपहार दे दिए..
मगर, दासी ने उन उपहार को लेने से मना कर दिया और बोली – राजकुमारी, यह तो मेरा फ़र्ज़ था और मैं तो सिर्फ़ आपका निवेदन लेकर गई थी और यह तो कामपुर के महाराज का उदार चरित्रा था की उन्होंने आपका निवेदन स्वीकार कर लिया… !!
मगर, राजकुमारी बहुत खुश थी… !! इसलिए, उन्होंने दासी को एक अनमोल हार भेंट किया और दासी से कहा – हम जानते हैं की यह कामपुर के महाराज का उदारता थी… !! मगर, यह काम को सफल बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान है इसलिए, हम आपको यह हार भेट स्वरूप देना चाहते हैं… !! मना ना करें… !! इसे, स्वीकार करें… !!
दासी ने, राजकुमारी से हार ले लिया और उसके कक्ष से बाहर आ गई.. मगर, दासी के दिमाग़ में अभी तक यह विचार चल रहा था की वो ऐसा क्या करे की राजकुमारी का विवाह, राजा लिंगवर्मा से हो जाए..
वहाँ दूसरी ओर, राजा लिंगवर्मा बस यही सोच रहे थे की क्या रूपाली उनका विवाह राजकुमारी से करने के लिए कोई खेल खेल पाएँगी की नहीं… !!
और, जब राजा सोच सोच कर हार गये तो उन्होंने स्वयं ही योनपुर जाकर, रूपाली से मिलने का विचार बनाया और तुरंत अपना भेष बदल कर एक गुप्तचर के भाँति अपने घोड़े पे बैठ रवाना हो गये..
वहाँ दूसरी ओर योनपुर में, दासी रूपाली सोच सोच कर थक चूकि थी.. मगर, कोई भी विचार, उसके दिमाग़ में ऐसा नहीं आ रहा था की जिससे राजकुमारी का विवाह बिना किसी दिक्कत के लिंगवर्मा से हो जाए..
अब आधी रात्रि भी हो चुकी थी तो रूपाली ने सोचा की वह प्रातः काल ही कुछ सोचेगी और यह सोचकर वो लेट गई और लेटने के तुरंत बाद उसे नींद आ गई और वो दिया बुझाना ही भूल गई।
तभी आधी रात के समय, राजा लिंगवर्मा योनपुर में पहुँचा.. मगर, तब उसे याद आया की वो रूपाली का घर तो जानता ही नहीं..
तब उसने सोचा की ज़्यादातर महल में काम करने वाले सेवक, महल के पास ही रहते हैं.. सो, वो महल के पास पहुँचे..
महल में कड़ा पहरा था और आधी रात में अगर कोई पहरेदार, राजा लिंगवर्मा को ऐसे देख लेता तो वो शायद उन्हें डाकू या चोर समझ सकता था.. इसलिए, उन्होंने महल के पहरेदारों की नज़रों में आए बिना, चुप चुप कर सेवक के घर जहाँ थे, वहाँ पहुँचे..
मस्त कहानियाँ हैं, मेरी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर !!! !!
मगर, अब दिक्कत ये थी की रूपाली का घर कौन सा है..
यह सोच कर, राजा परेशान हो गये की तभी उन्होंने देखा की एक घर का दिया, इतनी रात में भी जल रहा था.. उन्होंने, सोचा की शायद वहाँ कोई जाग रहा हो तो वो दासी रूपाली का पता बता दे और वो जब घर के करीब गये तो उन्होंने देखा की घर की खिड़की भी खुल रही है..
उन्होंने उस खिड़की में से झाँका तो सामने खटिया पर, रूपाली सो रही थी।
वो खुश हो गये की उन्हें रूपाली को ढूँढने की ज़्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ी।
फिर, वो खिड़की के रास्ते घर में प्रवेश हो गये और रूपाली के खटिया के पास जाकर, रूपाली को दबे स्वर में आवाज़ देकर उठाने की कोशिश करने लग गये.. मगर, वो तो बहुत थक गई थी और पिछले दिन तो बेचारी ने नींद भी कहाँ की थी.. पूरी रात चुदवाती रही थी, राजा से.. इसलिए, वो बहुत गहरी नींद में सोती रही..
जब कुछ देर तक, वो ना उठी तो… !! … !!
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उन्होंने उस खिड़की में से झाँका तो सामने खटिया पर, रूपाली सो रही थी।
वो खुश हो गये की उन्हें रूपाली को ढूँढने की ज़्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ी।
फिर, वो खिड़की के रास्ते घर में प्रवेश हो गये और रूपाली के खटिया के पास जाकर, रूपाली को दबे स्वर में आवाज़ देकर उठाने की कोशिश करने लग गये.. मगर, वो तो बहुत थक गई थी और पिछले दिन तो बेचारी ने नींद भी कहाँ की थी.. पूरी रात चुदवाती रही थी, राजा से.. इसलिए, वो बहुत गहरी नींद में सोती रही..
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जब कुछ देर तक, वो ना उठी तो राजा भी थक गये और राजा को भी बहुत नींद आ रही थी.. इसलिए, वो भी रूपाली के पास खटिया पर, बची जगह पर लेट गये..
तब अचानक, रूपाली को छोटे शिशु की तरह, सोता देख राजा को उस पर प्यार आने लगा।
उसने हल्के से, रूपाली की होठों का चुंबन लिया.. जिससे, रूपाली की नींद मे कोई खलल ना पड़े और फिर उनका प्यार “काम वासना” मे बदलते देर ना लगी।
राजा ने धीरे धीरे, अपने सारे कपड़े निकाल फेंकें और नंगे होकर रूपाली के बगल में लेट गये और फिर धीरे धीरे उन्होंने रूपाली की चोली खोल दी और उसकी चूचियों को आज़ाद कर दिया और फिर उसके घाघरे का नाडा खोल, उसे भी ढीला कर दिया और फिर अपना एक हाथ उसके घाघरे के अंदर डाल उसकी चूत सहलाने लगे और दूसरे हाथ से हल्के हल्के उसकी चूचियाँ मसलने लगे..
मगर, रूपाली बेचारी इतनी गहरी नींद में थी की उसके साथ क्या हो रहा है उसे पता तक ना था..
फिर, उन्होंने रूपाली का एक हाथ लेकर, अपने लंड पर रख लिया और धीरे धीरे उसे सहलाने लगे और थोड़ी देर तक यह सब करने के बाद वो झड़ गये और नग्न ही, रूपाली के पास सो गये।
सुबह, जब रूपाली उठी और तब उसे एहसास हुआ की कोई उसके पास सो रहा है और जब वो मूडी और देखा की जो आदमी उसके पास सो रहा था वो बिल्कुल नंगा था और उसके वस्त्र भी उसके शरीर पर नहीं थे.. यानी, वो भी आधी नंगी थी.. तो उसके मुंह से चीख निकल पड़ी और चीख सुन राजा अचानक ही घबरा के उठ खड़ा हुआ और अपने हाथ से रूपाली का चीखता मुंह बंद किया और बोला – रूपाली हम हैं, आपके राजा… !! राजा लिंगवर्मा और उसने फिर उसे रात्रि का पूरा किस्सा सुनाया… !!
किस्सा सुन, रूपाली मुस्कुराई और बोली – महाराज, आपको यह सब नहीं करना चाहिए था… !! क्यूंकी, मेरी माँ वो तो कुछ दिन के लिए बाहर गई है… !! इसलिए, मैं अकेली हूँ नहीं तो बहुत ग़ज़ब हो जाता… !!
राजा मुस्कुराया और बोला – चलिए, कुछ ग़ज़ब हुआ तो नहीं ना… !! अब बताए की आपने हमारे विवाह को लेकर, क्या सोचा… !! कोई खेल आया, आपके दिमाग़ में, जिससे हमारा विवाह वक्षकुमारी से हो सके… !!
रूपाली बोली – नहीं महाराज, अभी तक तो नहीं… !! मगर, जल्द ही मैं कोई रास्ता निकल लूँगी… !! जिससे, आपका विवाह आसानी के साथ राजकुमारी के साथ हो जाए… !!
राजा लिंगवर्मा ने अभी तक अपने वस्त्र वापस नहीं पहने थे और उनका लंड बिलकुल तन के खड़ा था.. शायद, रक्तचाप के कारण और राजा के लंड को देख रूपाली मुस्कुराने लगी..
मस्त कहानियाँ हैं, मेरी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर !!! !!
राजा समझ गया की रूपाली क्यूँ मुस्कुरा रही है और उसने वक़्त का फायदा उठाते हुए बिना देर करे, रूपाली को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसके घाघरे को खोल दिया और घाघरे का नाडा खुलते ही, वह रूपाली की चिकनी जांघों से सरकता हुआ उतर गया और रूपाली अब पूर्ण रूप से नंगी राजा लिंगवर्मा के नंगे बदन से टकरा रही थी..
फिर राजा बोला – आप हमारे लिंग को चूसना चाहेंगी… !!
रूपाली ने पहले राजा का चेहरा देखा और फिर उसके खड़े लंड को देखा और बोली – महाराज, क्या मेरा चाहना या ना चाहना यहाँ कोई मोल रखता है… !!
तब राजा मुस्कुराया और बोला – हाँ, बिलकुल… !! अब हम ज़बरदस्ती से आप से कोई क्रिया नहीं करा सकते और हम उस रात के लिए बहुत शर्मिंदा भी है… !!
दासी इतनी इज़्ज़त के आदि नहीं थी.. इसलिए, जब राजा ने उससे इस प्रकार उसकी रज़ामंदी माँगी तो वो उससे मंतर मुग्ध हो गई और बिना कुछ कहे राजा के लंड को मुंह लेकर चूसने लगी..
राजा के लंड को कभी रूपाली मुंह के अंदर बाहर ले लेकर चूसती तो कभी अपनी जीभ से उसके लंड के सिरे को चाट रही थी और फिर उसकी गेंदों को अपने एक हाथ से सहलाती और गेंदों को मुंह में लेती।
राजा बुरी तरह उतेज़ित हो गया और उसने रूपाली के मुंह को चोदना शुरू कर दिया।
राजा के बड़े लंड को, रूपाली किसी तरह अपने मुंह में ले पा रही थी और कुछ ही देर में, राजा रूपाली के मुंह में ही झड़ गया और उसने इतना वीर्य छोड़ा की काफ़ी वीर्य रूपाली के मुंह से बाहर आ गया और फिर दोनों खटिया पर नंगे ही लेट गये।
कुछ देर तक आराम करते करते, अचानक दासी को एक विचार आया की अगर वक्षकुमारी का कोई अपरहण कर ले और उन्हें फिर राजा लिंगवर्मा ढूँढ लाए और इस तरह वह राजकुमारी का दिल जीत ले तथा इससे योनपुर के राजा भी उनसे बहुत खुश हो जाएँगे और उनका विवाह राजकुमारी से आसानी से हो जाएगा और फिर उसने जब यह विचार राजा लिंगवर्मा को सुनाया तो वो बहुत खुश हो गये और उन्होंने तुरंत ही, रूपाली के होंठ चूम लिए और बोले – रूपाली, अगर यह योजना सफल होती है तो हम आपको धन में तोल देंगे और आपको जीवन भर, किसी के आगे झुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी… !!
रूपाली ने कहा – हाँ महाराज, मगर यह सब तब होगा ना जब राजकुमारी का अपहरण हो… !! मगर, वो तो कड़े पहरे में रहती हैं… !! और उनके रक्षकों की घेरे में सेंध लगाकर, उनका अपरहण करना बड़ा मुश्किल होगा… !!
यह सुन, राजा मुस्कुराया और बोला – यह सब, आप हम पर छोड़ दें… !! बस, हमें यह जानकारी आप दें की राजकुमारी किस किस समय, क्या क्या करती हैं… !! और आज ही रात को, हम वापस कामपुर जाएँगे और इस योजना के लिए काम प्रारंभ कर देंगे… !!
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