रात का वक़्त था । शिल्पा रात को अकेले गार्डन में थी । पीछे से सरजू आया और पूछा "मेमसाब क्या कर रही है यहां ?"
"कुछ नहीं बस बैठी हूं ।"
"मेमसाब वैसे रात के वक़्त बहुत ठंडी पड़ती है यहां पे । थोड़ा ध्यान देना अपना ।"
सरजू कहीं जाने की तैयारी कर रहा था । शिल्पा ने पूछा "अभी कहा चाल दिए ?"
"कहीं नहीं मेमसाब बस वो गाय को देखने जा रहा हूं ।"
"अच्छा । कब तक आ रहे हो ?"
"दस मिनट में आया ।"
सरजू वहा से चला गया । सच्ची में रात को ठंडी तो है । ओस बहुत पड़ती है यह पे। ठंड से थोड़ा कम्पन सी आने लगी शरीर में । शिल्पा अंदर चली गई अपने कमरे में । कमरे के अंदर पंखा चालू भी नहीं किया फिर भी ठंडी लग रही है। शिल्पा कम्बल में घुस गई। अब थोड़ी सी शांति मिली । कम्बल से एक उंगली बाहर निकालने की हिम्मत शिल्पा में नहीं थी । हाय री ठंडी । दिन के समय थोड़ी सी गर्मी और रात में कुछ ज्यादा ही ठंडी । काफी देर हो गया लेकिन सरजू आया नहीं । शिल्पा को अजीब लगा लेकिन फिर भी देख लेना सही होगा कि सरजू कर क्या रहा है ? बाहर जाके देखा तो सरजू बीड़ी फूक रहा था । शिल्पा को देखते ही तुरंत खड़ा होकर बोला "आप सोई नहीं मेमसाब ?"
"मुझे लगा कि तुम अबतक आए नहीं इसीलिए बाहर देखने आईं ।"
"नहीं मेमसाब वो फोन पे बात कर रहा था ।"
"किससे ?"
"मेरे बेटे से । वो अभी बनारस में है ना ।"
"वहां क्या कर रहा है ?"
"टीचर है ना । पढ़ता है वहा पे ।"
"अच्छा । चलो आ जाओ अंदर ठंडी बहुत है ।"
"चलिए मेमसाब ।" सरजू उठकर अंदर चला आया।
लाइट बंद करके दोनो अपने अपने कमरे चले गए । बहुत शांत जगह है ये । बाहर के कुत्तों के भोजन की आवाज़ साफ साफ सुनाई देती है । जुगनू की भी आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी । कम्बल में खुद को सिकुड़ा रखते हुए शिल्पा को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला । काफी गहरी नींद में रात को 10 बजे शिल्पा सो गई । सुबह सुबह जब आंख खुली तो देखा 6 बजे थे लेकिन ठंडी फिर भी नहीं थमी । लेकिन उठना भी जरूरी है। नवंबर का महीना जो इतना ठंडा है तो पता नहीं आनेवाले वक़्त में कितनी ठंडी होगी । Exercise के लिए वो बाहर निकली । जॉगिंग करते करते वो घर से थोड़ा दूर निकली ।
जगह बहुत सुनसान थी और थोड़ा बहुत कोहरा था । जॉगिंग करते करते सामने मदारी दिखाई दिया । मदारी को देखते ही शिल्पा रुक गई। मदारी खेत में दातुन चबा रहा था। खेर वहा टूथब्रश का ज्यादा इस्तमाल नहीं होता । मदारी की नजर शिल्पा पे गई और वो अपने शाल को ठीक करता हुआ शिल्पा के पास आया ।
"मेमसाब आप इतने सुबह यह कैसे ?"
"कुछ नहीं बस कसरत करने और तुम यहां पे ?"
"जी ये मेरा खेत है । अपने खेत का चक्कर लगाने आया हूं। चलिए मेमसाब बैंक में मिलते है ।" वहा से मदारी आगे चला गया ।
शिल्पा वापिस घर लौटी और तैयार होकर बैंक पहुंची । बैंक के बाहर कुछ लोग खड़े थे । दरवाजा खुलते ही अंदर आए और कुछ लोग अपना पैसा जमा करने आए । पैसा जमा करके सब चल दिए। आज वैसे भी बुधवार है और हफ्ते की मजूरी पाए मजदूर कुछ पैसा जमा करने आए थे। मदारी रोज की तरह पान का एक बड़ा टुकड़ा मुंह में डाले कमर सीधी करने बाहर गया । पास के दुकानवाला छोटू आया और चाय देकर चलता बना । वहीं दूसरी तरफ काम ना होने पे मंजू अपने फोन पे बात कर रहा था । वैसे इस गांव के लोग कमाल है । मोबाइल फोन बड़े अच्छे से चला लेते है और इंटरनेट का भी थोड़ा बहुत इस्तमाल कर लेते है लेकिन कंप्यूटर को देखते ही कैसे घबरा जाते है । शिल्पा के पासवाले कुर्सी पे मदारी बैठ गया और पूछा "मेमसाब वैसे कभी छत्तीसगढ़ आती है ?"
"नहीं कभी नहीं । ये पहली बार आना हुआ ।"
"वैसे आप कहा से है "
"मुंबई से हूं ।"
"क्या बात है मतलब अमिताभ बच्चन का शहर ?"
"हां ।" शिल्पा को हसी आ गई ।
"वैसे हम उनका बहुत बड़ा चाहक हू । सारी पिक्चर देखी है मैंने उसकी । क्या गजब अंदाज़ है उसका । वैसे कभी मिली है आप उनसे ?"
"हा तीन बार मिली हूं ।"
"कसम से ? कैसे मिली ?"
"मेरे पति ने। ......." अचानक से पति के नाम से रुक गई ।
"काहे रुक गई आगे तो बोलिए ।"
"जी कुछ नहीं बस ।" शिल्पा आगे कुछ बोली नहीं ।
"तलाक़ हुए है क्या उनसे ?"
"आपको कैसे पता ?"
"बस पता है । छोड़िए इं बातो को । लेकिन क्या मुझे मिलवा सकती है अमिताभ बच्चन से ?"
शिल्पा फिर से हस पड़ी और बोली "देखते है। लेकिन वो मुझे खास नहीं जानते । वो तो बस मेरे पति से एक दो बार इलाज करवाया था इसीलिए मिलवा दिया पति ने ।"
"बड़ी खुश नसीबी है आपकी अमिताभ ........." इतना कहकर मदारी पान का एक बड़ा टुकड़ा मुंह में दबा लिया ।
"वैसे मेमसाब अभी तो कोई आया नहीं है । चलिए बाहर थोड़ा घूम आते है ।"
"लेकिन अभी तो ......."
"अरे चलिए ना मेमसाब । मेरे साथ चलिए ।" मदारी ने थोड़ा जोर दिया । शिल्पा बात मान गई । मदारी शिल्पा को बाहर ले गया । बैंक के बाहर पीछे के हिस्से में जंगल था । मदारी शिल्पा से वहा चलने को कहा । शिल्पा आगे चल दी ।
जंगल काफी सुमान था और थोड़ा सा अंधेरा भी क्योंकि आज सुबह से धूप नहीं आई और अब ठंडी रात के हिसाब से थोड़ा बहुत कम हुआ । मदारी पान की पिचकारी मारता हुआ पूछा "कभी जंगल में घूमी है आप ?"
"हा घूमी हूं ना लेकिन ये जंगल बहुत बड़ा लगता है ।"
"हा मेमसाब दरअसल ये जंगल की वजह से बारिश इस गांव में अच्छे से आती है। इससे हमारे खेतों को भी फायदा पहुंचता है ।"
आगे चलते चलते शिल्पा को एक कुत्ता दिखाई दिया जो मुंह खोले गुर्रा रहा था । कुत्ते को देखते ही शिल्पा डर गई । कुत्ते के गुर्राने की आवाज़ बड़ी खतरनाक थी । धीरे धीरे शिल्पा के पास आ पहुंचा ।
"मदारी चलो यहां से । ये हमारे नजदीक आ रहा है। "
"घबराइए मत मेमसाब में हूं ना ।"
कुत्ता जोर से भोका जिसकी वजह से डर के मारे शिल्पा मदारी के हाथ को कसके पकड़ लिया और अपना चेहरा मदारी के कंधे पे रख दिया । मदारी को जैसे कुछ कुछ हुआ । शिल्पा के नंगे और sleevesless कंधे पे हाथ रखते हुए बोला "में हूं ना । घबराइए मत । मदारी ने अपना दूसरा हाथ शिल्पा के दूसरे कंधे पे रखते हुए धीरे से शिल्पा को अलग किया और कुत्ते के पास गया । कुत्ता मदारी को जनता था इसीलिए उसका पैर चाटने लगा । मदारी कुत्ते को छूते हुए कहा "आप भी आइए कुछ नहीं होगा ।"
"पागल हो क्या ? नहीं नहीं ।" शिल्पा ने डरते हुए कहा ।
"अरे ये भी हमारे जैसा ही होते है । अजनबी को देखकर पूछते है कौन हो तुम । बोल तो सकते नहीं बास भोक देते है । आइए ना । एक बार चुएंगी तो फिर दुबारा आपको देखकर नहीं भोकेगा । "
"पता नहीं डर लग रहा है । काट लिया तो ?"
"नहीं कटेगा एक बार चिएंगी तो नहीं कटेगा ।"
शिल्पा थोड़ा नजदीक आयु फिर कुत्ता बौका और शिल्पा डर से पीछे खड़ी हुई ।
"कहा था ना बौकेगा । अभी भी भौक रहा है ।"
मदारी कुत्ते को ठीक से सहलाया जिससे कुत्ता चूप हो गया । मदारी बोला "अब आइए ।"
"नहीं नहीं । "
"अपना हाथ दीजिए । दीजिए ना ।"
शिल्पा ने अपना गोरा हाथ मदारी के काले हाथ से मिलाया । मदारी शिल्पा को करीब लाते हुए बोला "मेरे रहते आपको कुछ नहीं होगा ।"
मदारी की ये बात में जादू लगा और शिल्पा बात मान गई । शिल्पा ने कुत्ते को सहलाया और बाद में कुत्ता चप हो गया और बड़े प्यार से शिल्पा को देखने लगा । शिल्पा के चेहरे पे मुस्कान आईं । मदारी ने शिल्पा का हाथ छोड़ कर थोड़ा पीछे गया । शिल्पा ने दूसरे हाथ से कुत्ते को सहलाया । कुत्ता एक मासूम बच्चे की तरह नीचे लेट गया । शिल्पा बहुत खुश हुई ।
"देखा मेमसाब । कहा ना कुछ नहीं होगा । आपकी खूबसूरती को देखकर कुत्ता भी समझ गया कि यह खूबसूरत बला कुछ गलत नहीं करेगी ।"
"धत् खूबसूरत और मैं ?"
"और नहीं तो क्या बहुत खूबसूरत है आप बिल्कुल हीरोइन जैसी ।"
"बस बस करो अब आगे चलो । बैंक वापिस चलो बहुत घूम लिया ।"
"चलिए मेमसाब ।" शिल्पा और मदारी बैंक वापिस पहुंचे । दोपहर के एक बज गए थे । शिल्पा मदारी मंजू और सरजू के पास कोई काम नहीं था । सरजू अंदर आंखे बैठ गया और सभी लोग आराम से बैठे हुए थे । थोड़ा बहुत गप्पे लड़ान लगे ।
"वैसे मेमसाब यहां कैसा लग रहा है ?" सरजू ने पूछा ।
"बहुत अच्छा लग रहा है । काफी शांत जगह है ये । लोग काम दिखाई देते है यहां पे । "
"वैसे मेमसाब हर मामूली गांव में काम से काम एक हजार लोग रहते है लेकिन इधर सिर्फ 300 लोग रहते है। अपना खेत या फिर कहीं मजदूरी के लिए जाते है । कुछ पैसे भी कम लेते है ।"
"गांव बड़ा लेकिन लोग कम ।" शिल्पा ने कहा ।
"इधर सुविधा नहीं लेकिन शांति बहुत है ।" मदारी ने कहा ।
"क्या बात है , बहुत तारीफ कर रहा है गांव का । पहले तो अच्छा नहीं लगता था तुझे । मंजू ने तंज कसते हुए कहा ।
"ऐसी बात नहीं है गांव अच्छा ही है ।" मदारी ने कहा ।
"मेमसाब पहले बहुत गाली देता था गांव को । कहता था कि यहां कुछ नहीं है बेकार है ये गांव ।" मंजू पानी पीते हुए बोला ।
"तो फिर इतना बदलाव कैसे आया ?" शिल्पा ने पूछा ।
"आपकी वजह से मेमसाब ।" सरजू ने कहा ।
"मेरी वजह से भला कैसे ?"
"जब से आप आईं है ना भाईसाहब बहुत ज्यादा खुश दिखाई दे रहे है । कुछ तो बात है आप में । कल मेरे से आपकी तारीफ किए ही जा रहा था । "
शिल्पा ने देखा कि मदारी थोड़ा समाइल करता हुआ नीचे देखा । मदारी बार बार शिल्पा को देखे जा रहा था । आखिर देखेगा ही इतनी सुन्दर जो है । अपने ज़िन्दगी में नहीं देखी होगी ऐसी ।
दोपहर के 2 बज गए और अपना आखिरी काम पूरा करके सब free हो गए ।
"चलिए मेमसाब जाने का वक़्त हो गया है ।" सरजू ने कहा ।
"नहीं तुम है सरजू । अभी मुझे दोनो को ट्रेनिंग देना है ।"
"ठीक है मेमसाब जब काम हो जाए तो मोबाइल पे कॉल कर देना आ जाऊंगा दफ्तर बंद करने ।"
"उसकी क्या चिंता करता है ? मैं दफ्तर बंद कर दूंगा । तू बस चाबी दे दे मुझे ।"
"ठीक है लेकिन संभलकर रखना ।" सरजू चाबी देकर चला जाता है ।"
जाते जाते दफ्तर की झाली बाहर से बंद कर दिया ताकि लगे की बैंक बंद है । शिल्पा दोनो को अपने केबिन बुलाती है और कॉप्यूटर के बारे में समझती है । केबिन छोटा था इसीलिए जगह भी कम थी । शिल्पा के बगल दोनो बेठे थे । शिल्पा के बिल्कुल बगल में मदारी था । मदारी कंप्यूटर की तरफ देखता है और उसे समझने कि कोशिश करता है। लेकिन मदारी को शिल्पा के नजदीक बैठने की वजह से परफ्यूम की सुगंध ज्यादा आ रही थी । शिल्पा के बदन की खुशबू मदारी अच्छे से मेहसूस कर रहा था। उसमे भी शिल्पा समझते वक़्त खुले बाल को हाथो से आगे कर रही थी। मदारी मंत्रमुग्ध हो गया । Sleeveless साड़ी में शिल्पा की गोरी गोरी हाथो को बड़े प्यार से देख रहा था। लेकिन अभी ज्यादा खो जाने का वक़्त नहीं था , वक़्त था ट्रेनिंग पे ध्यान देना और वो पूरा ध्यान लगाकर सीखना चाहता था । शिल्पा की बातो को ध्यान से सुनता हुए मदारी सीखता गया ।
एक घंटे कब पूरा हो गया पता ही नहीं चला । मंजू के मोबाइल पे उसकी पत्नी का कॉल आया । मंजू बात किया । उसका जाना बहुत जरूरी था।
"मेमसाब वो मेरी पत्नी का फोन आया वो बाजार जाने को के रही है तो ....."
"कोई बात नहीं मंजू तुम जाओ । मेरे खयाल से अभी के लिए इतना ही काफी है ।"
मदारी बीच में बोलता हुआ "नहीं मेमसाब अभी हम ऐसे नहीं रुक सकते । कंप्यूटर को बंद चालू करना कैसे है यह एक बार हम खुद करेंगे ।"
"लेकिन मदारी मुझे ....."
"हां जानता हूं कि तुझे बाजार जाना है तो जाना कल कर लेना अभी तो में कर लूं।"
"ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी । ठीक है मेमसाब कल मिलता हूं ।' मंजू वहा से चला गया।
वैसे मदारी काफी खुश हुआ क्योंकि अब वो और शिल्पा ही थे। शिल्पा के साथ अकेले रहने में उसे बहुत अच्छा लगता है । कंप्यूटर को चालू बंद करना अच्छे से सीख लिया । वैसे शुक्र की बात है कि मदारी और मंजू दसवीं तक पड़े है इसीलिए पढ़ना और लिखना आता है । आधे घंटे के बाद शिल्पा ने मदारी को दफ्तर बंद करने को कहा। मदारी ने दफ्तर बंद कर दिया ।
"ठीक है मदारी कल मिलते है ।"
"मैं भी साथ चलता हूं ना । चलिए। "
"नहीं नहीं में चली जाऊंगी ।"
"अरे चलिए ना आपका और मेरा घर एक ही रास्ते से है । मेरा घर पहले आता है ।"
"ठीक है चलिए ।"
दोनों पैदल चल दिए । दोनों का घर एक ही रास्ते से है । मदारी का घर 600 मीटर दूर और शिल्पा का 900 मीटर दूर । शिल्पा देख रही थी कि रास्ते में कितने सारे घर खाली और टूटा फूटा है । कम से कम इस गांव में 60 घर है जिसमें से सिर्फ कुल मिलाके 250 लोग ही रहते है । अजीब बात ये है कि इस बड़े से गांव में बच्चो कि संख्या 50 जितनी है । मतलब जवान लोग इस तंगी ज़िन्दगी में खुद को दांव पे रखकर दूर जाते है पैसा कमाने । वाह यह गरीबी और मजबूरी । अपनों से ही दूर कर देता है ये भूख । पता नहीं ऐसे गांव में विकास आएगा और लोग वापिस अपने घर लौट आए । चलते चलते मदारी का घर आ गया ।
"चलो मैं चलती हूं । कल मिलते है ।"
"अरे अरे रुकिए ना । आप मेरे घर आइए ना ।"
"शाम के चार बज गए है देर हो जाएगी ।"
"आइए ना । मेरे गरीब खाने में । छोटा घर है लेकिन बैठने लायक है ।"
"देखिए वो "
"देखिए वेकिए कुछ नहीं चलिए ना । मैं आपको आपके घर तक चोड दूंगा ।"
"ठीक है ।" शिल्पा को बात माननी ही पड़ी ।
दोनों घर के अंदर पहुंचे । घर के बाहर दो गाय थी और घर बहुत ही छोटा और टूटा हुआ था । अंदर एक छोटा सा आंगन था और हैंडपंप है । Kitchen छोटा सा । खटिया तीन थी।
मदारी अंदर पहुंचते ही दरवाजा बंद कर दिया ।
"दरवाजा क्यों बंद किया ?" शिल्पा ने पूछा ।
"वो क्या है कुत्तों का अतांक बहुत है । अंदर आ जाते है । चलिए भीतर । "
दोनों आंगन से भीतर पहुंचे । लाइट ना होने की वजह से थोड़ा अंधेरा जैसा था । शाम हो रही थी और ठंडी भी बढ़ रही थी । खिड़की खुली होने की वजह से ठंडी हवा अंदर आ रही थी । शिल्पा थोड़ा सिकुड़ने लगी ।
"आपको ठंडी लग रही है मेमसाब ?"
"हा थोड़ी बहुत ।"
मदारी ने सारी खिड़की बंद कर दी जिससे अंधेरा थोड़ा और बढ़ गया । शिल्पा को थोड़ा सा अजीब लगा । मदारी पानी लेकर आया और शिल्पा के सामने बैठ गया ।
"वैसे आपके घर कोई नहीं है ।"
"जी मैं अकेला रहता हूं ।"
"खुद खाना बना लेते है और खेत का भी काम कर लेते है ?"
"हो जाता है । वैसे दो आदमी लगे है काम पे और साथ में मंजू का ससुर भी ।"
"मंजू के ससुर भी है ?"
"हा वो अकेले रहते है । मंजू और उसकी पत्नी दूसरे घर में रहते है । मंजू का ससुर बहुत ही उसूलों वाला है । खुद ही रहेगा और खाएगा भी अपने से ।"
"वैसे ठंडी यहां की बहुत ज्यादा है ।"
"अरे आप तो अभी भी काप रही है । रुकिए में आपके लिए शाल लेकर आता हूं।"
"अरे आप तकलीफ मत लीजिए ।"
"अरे रुकिए आता हूं।"
मदारी अंदर गया और शाल लेकर आया । शाल शिल्पा को से दिया । शिल्पा ने शाल ओढ़ लिया । मदारी चाय बनाकर लाया और रूम का दरवाजा बंद कर दिया । मदारी और शिल्पा अकेले रूम में थे और ज्यादा फैसला नहीं था । रूम में थोड़ी सी गर्मी बढ़ी और शिल्पा चाय पीने लगी । मदारी और शिल्पा बात करने लगे ।
"आप वैसे बड़े शहर की है और था कि ठंडी झेलने में थोड़ी की तकलीफ होगी। "
"जी बिल्कुल इसीलिए आपको इतनी तकलीफ लेनी पड़ रही है ।"
"इसमें कौन सी तकलीफ ? बहुत दिनों बाद कोई आया घर में । बड़ा अच्छा लग रहा है ।"
शिल्पा हल्के से मुस्कुराई । दोनों बात करते गए यहां वहा की । अब शिल्पा को काफी हद तक ठीक और गरम मेहसूस हुआ । शाल को बाजू में रखते हुए अब आराम से बैठ गई । मदारी तो बस सुंदरता में ही खोया रहा। अंधेरा भी बढ़ने लगा ।
"अब चलना चाहिए मुझे ।"
"कुछ देर और बैठिए ना ।"
"नहीं नहीं प्लीज़ अब चलना होगा ।"
"ठीक है लेकिन फिर वापिस आइएगा बड़ा मजा आएगा ।"
"ठीक है है ।" शिल्पा उठी लेकिन अंधेरे कि वजह से दिखाई नहीं दिया और डगमगा गई । मदारी जल्दी से शिल्पा को पकड़ लिया । शिल्पा और मदारी आपस में चिपक गए । मदारी शिल्पा को थाम लिया । शिल्पा का गोरा और मुलायम जिस्म मदारी के हाथो में थाम हुए था । मदारी भी संभालने के चक्कर में थोड़ा फिसला और वो तुरंत शिल्पा को खटिया पे बैठा दिया और बाजू में बैठा । झटके से शिल्पा खटिए पे लेट गई और खुद को संभाला । दोनों एक ही खटिया पे थे । शिल्पा मदारी का हाथ पकड़ते हुए पूछी "आप ठीक है ना ?"
मदारी शिल्पा के कंधे को अभी भी थमा हुए था और शिल्पा को ठीक से उठकर बैठते हुए कहा "में ठीक हूं । आप ठीक है ?"
"हा । Thank you आपने बचा लिया ।"
"अरे इसमें क्या ? चलिए बाहर आइए ।"
मदारी शिल्पा को घर तक चोड आया । शिल्पा घर वापिस आई । ऐसे ही रात हो गई । सरजू को थोड़ा काम आ गया इसीलिए वो बाहर चला गया। शिल्पा ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया । दरवाजा बंद करके अपने रूम गई थी कि किसी ने खटखटाया । शिल्पा ने दरवाजा खोला तो सामने हरी साड़ी में एक औरत को सामने देखा ।
"जी आप कौन ?"
"जी मेरा नाम सरला है और में मंजू की पत्नी आपसे मिलने आईं । कहीं मैंने आपको परेशान तो नहीं किया ?" एक मुस्कान से सरला ने शिल्पा से पूछा ।
"नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं । अंदर आइए ना । अच्छा है आप आईं । कुछ देर आप बैठिए ।"
"जी ।" सरला अंदर आईं । शिल्पा और सरला आपस बात चीत हसी मजाक करने लगे।