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छुटकी
लेकिन तभी एक गड़बड़ हो गयी। मुझे बचाने मेरी छोटी बहन छुटकी आ गयी और वो पकड़ ली गयी।
दी तीन भाभियों ने उसे ले जा के आंगन में जहाँ खूब रंग बह रहा था वहाँ लिटा दिया और सबसे पह्ले मिश्राइन भाभी ने नंबर लगाया।
जीजा तो तब भी कुँवारी सालियों से कुछ झिझकते हैं , सोचते हैं ,
लेकिन भाभियाँ तो कुँवारी रसभीनी ननदों को देख के और बौरा जाती हैं , और इस बार भी वही हुआ।
तीन तीन भाभियाँ एक साथ छुटकी पे ,
कुछ ही देर में उसके दोनों टिकोरे , और गुलाबी परी फ्राक से बाहर थे और भाभियों के हाथ में ,
लेकिन मिश्राइन भाभी , जो भाभियों में सबसे प्रौढ़ा थीं , उन्होंने असली मोर्चा खोला ,
" अरे होलियों के दिन ननद को बुर का स्वाद न चखाया तो क्या मजा। "
उन्होंने साडी साया , अपना उठाया , कमर में लपेटा और सीधे छुटकी के ऊपर ,
मुझे अपनी ससुराल की होली याद आगयी ,
मेरी जेठानी ने एक कच्ची कली का , जो छुटकी से भी छोटी लग रही थी , न सिर्फ चूत चटवाई थी बल्कि 'सुनहला शरबत 'भी पिलाया था , और ऩीने खुद अपनी सगी छोटी ननद को जो इस छुटकी की ही समौरिया ही होगी , को चूत चटाई थी और , ' सुनहला शरबत ' भी पिलाया था।
छुटकी थोडा इधर उधर कर रही थी , लेकन एक भाभी ने दोनों हाथो से उसका सर जोर से पकड़ लिया और अब वो मिश्राइन भाभी कि जाँघों के बीच फँसी , दबी , किकिया रही थी।
लेकिन वो अभी भी मुंह खोलने में नखड़े कर रही थी। बस , मिश्राइन भाभी ने जोर से उसके नथुने दबा दिए ,
" बोल छिनार खोलेगी मुंह की नहीं , खोल साली , "
और थोड़ी देर में जैसे ही उसने मुंह खोला अपनि रसीली खेली खायी बुर उन्होंने छुटकी के खुले मुंह पे चिपका दी और लगी रगड़ने।
किसी और भाभी ने कुछ बोला कि अकेले अकेले नयी बछेड़ी पे सवारी कर रही हो तो वो हंस के बोली ,
" अरे तब तक तुम इसकी रस् मलायी का रस निकालो , मेरे बाद तुम भी चटवा लेना। "
वो भाभी बस अपनी गदोरियों से छुटकी की चूत जोर जोर से रगड़ने लगी। और छुटकी की चूत भी थोड़ी देर में पानी फेंकने लगी।
कुछ देर छुटकी के मुंह पे अपनी बुर रगड़ के , मिश्राइन भाभी शांत हो के बैठ गयी और छुटकी से बोलीं
" सन मैं ननदो को बस पांच मिनट का टाइम देती हूँ पानी निकालने के लिए , तू नयी है चल छह मिनट ले ले। लेकिन एक मिनट भी ज्यादा लगा न , तो कुहनी तक हाथ गांड में पेल दूंगी , चाहे फटे चाहे जो हो। और अब मैं कुछ नहीं करुँगी , तू चाट चूस , चाहे जो कर।
थोड़ी ही देर में छुटकी , लप लप भाभी की बुर चाट रही थी , जीभ पूरी ऊपर से नीचे तक सपड़ सपड़, और दोनों होंठो को बुर में लगा के पूरी ताकत से चूसने लगी।
मैं तारीफ से उसे देख रही थी , और छः नहीं बल्कि पांच मिनट में ही मिश्राइन भाभी को झाड़ दिया।
लेकिन उससे भी उसे छुट्टी नहीं मिली।
अब मिश्राइन भाभी उचक के थोड़ी और सरक गयी थीं और उससे अपनी गांड चटवा रही थीं।
मेरी हालत भी ख़राब थी , मेरी छिनार भौजाइयां , मुझे झाड़ने के कगार पे ले जा के छोड़ दे रही थीं , रीतू भाभी तो क्या कोई मर्द गांड मारेगा , जिस तरहसे उनकी उंगलिया अंदर बाहर हो रही थीं।
मिश्राइन भाभी ने छुटकी को गांड चटाते , वहीँ से आवाज लगायी ,
" अरे रीतू , ननद को मन्जन कराया की नहीं "
बस इशारा बहुत था , रीतू भाभी की उंगलिया अब मेरी गांड में , करोचते हुए चम्मच की तरह ,
गांड की सारी भीतरी दिवालो पे और जब उन्होंने ऊँगली निकाली , बाकी दोनों भाभियों ने जोर से मेरे गाल दबाये और मेरा मुंह खुल गया।
रीतू भाभी की उंगली सीधे मुंह के अंदर , दांतो पे, ऊपर नीचे।
और चार पांच मिनट 'मन्जन ' कराने के बाद जो बचा खुचा था , सीधे मेरे गालों पे और बोलीं
" रूप निखार आया है मेरी ननद का , हल्दी और चन्दन से "
तीन चार भाभियाँ मेरे साथ थी , तीन छुटकी के साथ ,
और बाकी की मम्मी के पास ,… आखिर सास बहु की होली भी तो ,… (और मैं अपने ससुराल में देख ही चुकी थी , मेरी मम्मी कौन सी कम थी। )
देर तक ये होली चलती रही , बस मुझे ये लगा रहा था की इन का ध्यान मेरी और छुटकी के चक्कर में ,
अभी ' इनकी ' ओर नहीं गया।
लेकिन रानू को याद आ गया और वो बोल पड़ी ,
" हे नंदोई को कही अपने बुर में छिपा रखा है क्या "
तो दूसरी जो छुटकी के पास थी बोली ,
"अरे पहले उनकी साली कि बुर चेक करो ,"
लेकिन तब तक वो सीढ़ियों से आ गए और , मुझे और छुटकी को छोड़ सारी भाभियाँ बस उनके पीछे ,... और उनकी जम के रगड़ाई शुरू हो गयी।
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मजा पहली होली का, ससुराल में
होली का मजा ,
नंदोई का , साली सलहज संग
बस मुझे ये लगा रहा था की इन का ध्यान मेरी और छुटकी के चक्कर में , अभी ' इनकी ' ओर नहीं गया।
लेकिन रानू को याद आ गया और वो बोल पड़ी ,
" हे नंदोई को कही अपने बुर में छिपा रखा है क्या "
तो दूसरी जो छुटकी के पास थी बोली ,
अरे पहले उनकी साली कि बुर चेक करो ,
लेकिन तब तक वो सीढ़ियों से आ गए और , मुझे और छुटकी को छोड़ सारी भाभियाँ बस उनके पीछे पद गयीं और उनकी जम के रगड़ाई शुरू हो गयी।
आगे
क्या रगड़ाई हुयी 'उनकी '.
मेरी जो मेरी ससुराल में 'दुरगत ' हुयी थी , वो कुछ नहीं थी इसके आगे।
कपड़ों के जो चिथड़े हुए वो तो कुछ नहीं , हाँ पैंट उतारने का काम रीतू भाभी ने किया , आखिर सबसे छोटी सलहज जो थीं।
लेकिन मिश्राइन भाभी से ले के रीतू भाभी तक ने ,
मेरी ससुराल और उनकी मायकेवालियों को 'उन्ही ' से एक से एक गालियां दिलवायीं।
कोई 'अंग ' नहीं बचा होगा , देह का एक एक इंच नहीं जहाँ कालिख और पेंट के दो चार कोट न चढ़े हों ,
रंगो की तो गिनती नहीं।
वो सिर्फ एक छोटी से चड्ढी में थे और , भाभियों की शैतानियों से खूंटा एकदम तना हुआ।
अब ये हुआ की चड्ढी कौन उतारेगा , वस्त्र हरण का आखिरी भाग।
और मिश्राइन भाभी ने फैसला सूना दिया ,
" ये काम सिर्फ छोटी साली का है '
छुटकी कुछ शर्मायी , कुछ घबड़ायी। लेकिन रीतू भाभी ने पकड़ कर कर दिया , और वो भी ,आखिर बहन तो मेरी ही थी।
इस शैतान ने पहले तो रंग बिरंगी चड्ढी के ऊपर अपने कोमल किशोर हाथ रगड़ रगड़ के ,
बिजारे अपने जीजू के खूंटे की हालत और खऱाब कर दी ,
फिर एक झटके में चड्ढी नीचे और लम्बा मोटा उनका बित्ते भर का खूंटा बाहर ,जैसे बटन दबाने से स्प्रिंग वाला चाक़ू निकल जाए।
सारी भाभियों के मुंह से सिसकारी निकल गयी।
रानू भाभी ने मेरे कान में कहा , " बिन्नो तेरी किस्मत तो बड़ी जबरदस्त है। "
मेरी मुस्कराहट ने हामी भरी।
तब तक सारी भाभियाँ अपनी सबसे छोटी ननद , छुटकी के पीछे पड़ गयीं थी।
रीतू भाभी ने उससे लंड का सुपाड़ा खुलवाया , एकदम मोटा लाल टमाटर जैसा।
" खाली मुठियाने से छोटी साली का काम पूरा नहीं होता , चल मुंह खोल के घोंट पूरा। "
मिश्राइन भाभी ने हुकुम सुनाया।
और हुकुम तो हुकुम , और अंजाम देने का काम रीतू भाभी का।
"चल मुंह खोल , बोल आआआ , जैसे खूब बड़ा सा लड्डू खाना है एक बार में "
रीतू भाभी बोलीं।
छुटकी कुछ हिचकिचा रही थी , लेकिन मिश्राइन भाभी बोलीं ,
" मुंह में नहीं लेना है , तो चूत और गांड दोनों में लेना होगा , अभी हमारे सामने "
छुटकी के गाल दो भाभियो ने दबा दिए , उसने चिड़िया की चोंच की तरह खोल दिया मुंह और रीतू भाभी ने अपने नंदोई का लंड , अपनी छोटी ननद के कुंवारे मुंह में डाल दिया और 'उनसे' बोलीं
" अरे नंदोई जी , होली के दिन कुँवारी साली मिल रही छोड़ो मत , हचक के लो। साल भर नया नया माल मिलेगा। '
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था , सुहागरात के दिन जिस सुपाड़े को घोंटने , चूसने में मेरी हालत खराब हो गयी थी , वो छुटकी ने घोंट लिया।
रीतू भाभी लंड पकड़ के ठेल रही थीं , वो भी कस के अपनी छोटी साली का सर पकड़े थे।
छुटकी गों गों करती रही , लेकिन वो और रीतू भाभी मिल के ठेलते रहे। आधा लंड तो घुसेड़ ही दिया होगा।
५-१० मिनट चूसने के बाद ही छुटकी को भाभियों ने छोड़ा।
और उसके बाद मंझली का नंबर , उसने चूसा, मजे ले के चाटा और करीब ३/४ घोंट गयी।
तब तक किसी भाभी को याद आया की ' उन्हें ' लेके बाहर भी जाना है।
फिर उनका श्रृंगार शुरू हुआ , साडी ,चोली , ब्रा , महावर , मेंहदी , नथ , काजल , बिंदी, लिपस्टिक ,
कानों में झुमके , चूड़ियाँ , पाजेब।
देख के कोई कह नहीं सकता था की नयी बहु नहीं है 'वो '
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13-03-2019, 06:10 PM
(This post was last modified: 19-08-2019, 08:22 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
छुटकी
देख के कोई कह नहीं सकता था की नयी बहु नहीं है 'वो '
और जो कुछ नयी बहु से करवाया जाता था वो सब करवाया गया।
मोहल्ले का कुँवा झंकवाया गया , घर घर जाके बुजुर्ग औरतों के पाँव छुए ,
एक जगह तो ढोलक भी उनसे बजवाई गई
और कहीं आशीर्वाद भी मिला , ठीक नौ महीने में सोहर हो।
और साथ में जबरदंग होली भी हर घर में सलहज और साली के साथ।
शायद ही कोई साली , सलहज बची होगी
जिसका जम के जोबन मरदन और योनि मसलन और ऊँगली से गहराई कि नाप जोख उन्होंने न की हो।
और साली सलहजो ने उनसे भी ज्यादा , उनके मस्त जबरदंग औजार के मजे लिए.
आखिर वो होली क्या , जिसमें सलहज साली , नंदोई , जीजा के साथ मस्ती न करें।
हम सब घर लौटे तो दो बजने वाले थे। बस उसी आंगन में नहाये।
कुछ रंग छूटा , ज्यादा नहीं छूटा।
लेकिन होली का रंग अगर एक दिन में छूट जाए तो कौन सा रंग।
मम्मी ने खाना बना रखा था , पूड़ी , कचौड़ी , पूआ , तरह तरह की सब्जी।
दो साली और सास खिलाने वाली , पूछ के जिद के कर के , अपने हाथ से , जम के खाया इन्होने।
और खाने के बाद मैं और ये अपने कमरे में सो गए , एकदम चिपक कर।
तुरन्त नींद आ गयी ( सच कोई बदमाशी नहीं की , कितने रातों की मैं जगी थी , और इन्होने अपनी ताकत ससुराल वालियों के लिए बचा रखी थी ) . ये तो जल्दी उठगये मैं देर तक सोती रही। उठी तो शाम , नीम की फुनगियों से आँगन में उतर आयी थी।
मैं निकली तो ये बरामदे में बैठे हुए थे ,भुकुरे। मुंह उतरा। मैंने लाख पुछा , लेकिन उन्होंने नहीं बताया।
मम्मी किचेन में थी वो भी थोड़ी उदास। थोड़ी देर बाद पता चला गड़बड़ क्या हुयी।
कुछ छुटकी की गलती , कुछ इनकी गलती।
लेकिन मैं इनकी गलती ज्यादा मानती थी। इनको सोचना चाहिए था की ससुराल में है कहीं ,…
हुआ ये की तिजहरिया में जब सब सो रहे थे इन्होने छुटकी पे घात लगायी ,
सुबह मंझली के साथ तो इन्होने मजे लिए ही थी और ऊपर झाँपर का छुटकी के साथ भी खूब लिया था।
लेकिन 'गृह प्रवेश ' नहीं हुआ था।
छुटकी ने शुरू में थोड़े नखड़े बनाये , नहीं जीजा नहीं , और इन्होने थोड़ी जबरदस्ती की।
खेल तमाशा शुरू हुआ। टिकोरों के मजे तो उन्होंने खूब लिए ,
लेकिन जब गली में घुसने का समय आया तो गड़बड़ हो गयी
वो भी तो थी बस अभी जवानी की दहलीज पे खड़ी , ९वें में पढ़ने वाली किशोरी , कच्ची कली कचनार की।
जब उन्होंने अपना औजार उस की परी पे थोड़ी देर रगड़ा , तब तक वो सिसकारी भरती रही।
लेकिन अंगूठे से फैला के जब उन्होंने उस की कच्ची कली में ठेला तो वो बहुत जोर से चिल्लाई।
और उनके एक एक दो धक्के के बाद ही उसके आंसू निकलने लगे।
अभी सुपाड़ा ठीक से घुसा भी नहीं था।
फिर वो जोर जोर से चिल्लाने लगी ,
" प्लीज जीजू , छोड़ दीजिये , मुझे नहीं करवाना। बहोत दर्द हो रहा है। निकाल लीजिये। "
उन्होंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी और जिद करती रही , मुझे नहीं करवाना। एकदम नहीं।
और उनका भी मूड बिगड़ गया , उन्होंने निकाल लिया और चले गए।
तब से उनका मूड भुकरा था।
मम्मी ने छुटकी को भी समझाया , वो भी मान रही थी कि उससे गड़बड़ हुयी लेकिन अब क्या कर सकते थे।
मेरी पूरी सहानुभति उनके साथ थी , लेकिन मुझे ये भी लग रहा की गलती उन्ही से हुयी।
चिल्लाने देते छुटकी को , पेल देते उसकी दोनों कलाई पकड़ के। एक बार लंड ठीक से घुस जाता , तो बस लाख चूतड़ पटकती , बिना चोदे नहीं छोड़ते।
कुछ देर में खुद ही उसे मजा आने लगता। लेकिन कौन समझाए , ये भी। कोई जरा भी रोये चिल्लाये तो देख नहीं सकते।
मैं छुटकी के पास गयी।
सोचा उसे डाँटूगी।
लेकिन वो खुद रुंआसी बैठी थी। मेरी गोद में सर रख कर उस की डब डब हो रही आँखों से आंसू गिरने लगे।
" दी , सारी गलती मेरी है। मैं भी बेवकूफ हूँ। जीजा जी ,
बिचारे इतनी मुस्किल से होली में आये , अपना घर छोड़ के। और मैं भी , थोडा सा दर्द बर्दास्त कर लेती ,
मुझे नहीं लग रहा था की वो निकाल ,…
कितने गुस्सा हैं। अब तो नहीं लगता जिंदगी भर मुझसे बोलेंगे। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा। मैं उनसे माफी माँगने को तैयार हूँ , प्लीज दी एक बार जीजू से बोल दो न , मुझसे बात कर लें। अब कभी मैं ,… "
मैं बाहर निकली तो ये अब बरामदे में नहीं थे ना मेरे कमरे में।
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। किधर गए वो ?
फिर लगा शायद बाहर घूमने निकल गए होंगे।
तब तक रीतू भाभी आ गयी।
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सलहज , रीतू भाभी
२० -२५ मिनट बाद रीतू भाभी मेरे कमरे में आयीं और बोलीं , नंदोई जी शायद अभी अभी कमरे में आ गए हैं , और हम दोनों चले। "
आगे आगे वो पीछे पीछे मैं
और जो देखा हमने ,
छुटकी उनके गोद में , ठसके से बैठी और उन्होंने उसके टॉप के सारे बटन खोले हुए ,
एक टिकोरा बाहर था और उनके हाथ में।
उस खटमिट्ठे , उभरते उरोज का उनकी उंगलियां जम के रस ले रही थीं।
लग ही नहीं रहा था कि थोड़ी देर पहले उनका चेहरा इतना उतरा था।
और छुटकी ने बात बतायी।
" जीजू मान गए हैं। उसके क्लास की दो सहेलियां , रीमा और लीला कल जीजू के साथ होली खेलने आना चाहती है "
रीमा
लीला
" जीजू असली वाली पिचकारी से खेलंगे " ये बताया तूने उन दोनों को , "
हँसते हुए बात काट के रीतू भाभी ने पुछा और शार्ट के ऊपर से ही उनके खूंटे को जोर से रगड़ दिया। "
" लेकिन मेरी भी एक शर्त है साली जी , "
कचकचा के उसके कच्चे टिकोरे को दांत से काटते , वो बोले , " तीन सालियों के साथ ये मेरी सलहज भी होगी "
" नेकी और पूछ पूछ "
रीतू भाभी और छुटकी साथ साथ बोलीं ,
और साथ ही रीतू भाभी ने अपने ननदोई का मोटा चर्म दंड निकाल के बाहर कर दिया , शार्ट से।
बिना हिचक के अब छुटकी ने ना सिर्फ उसे पकड़ लिया बल्कि , एक झटके में सुपाड़ा भी खोल दिया।
" अरे मैं नहीं आउंगी तो सालियों को असली पिचकारी का स्वाद कौन चखायेगा। लेकिन एक बात है कि उन दोनों को तो मुझे मालूम है आप छोड़ोगे नहीं , लेकिन इस साली का भरतपुर बाद में , मेरे सामने आराम से लुटना चाहिए। क्योंकिं साली को लेना है तो सलहज को भी तो हिस्सा देना होगा। "
" एकदम मंजूर " हंस के वो बोले ,
"आप के सामने ही लूटूँगा , लेकिन आप का हिस्सा आप को एडवांस में आज ही देता हूँ ".
" मेरी पांच दिन कि छुट्टी चल रही है , वरना मैं साली की तरह डरपोक थोड़े ही हूँ , खुद ही चढ़ के ले लेती। हाँ बस छुट्टी का आखिरी दिन है आज , कल से रेडी फार ऐक्शन , तो कल सालियों की दिलवाउंगी भी और दूँगी भी। "
हंस के रीतू भाभी बोलीं।
और उन्होंने आँख से इशारा किया तो झट से झुक के छुटकी ने उनका सुपाड़ा अपने मुंह में ले लिया औ चुभलाने लगी।
मैं साली और सलहज को उनके पास से छोड़ के निकल आयी।
किस तरह रीतू भाभी ने एकदम मामला सुलझा लिया।
सच में भाभी है चाभी।
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सलहज की मीठी गारियाँ
मम्मी ने बोला रीतू को बोलना , खाना खा के जायेगी।
और खाते समय भी वो चालु रहीं ,
और अबकी मम्मी के पीछे पड़ गयीं।
लेकिन उसके साथ ही उन्होंने जम के खाते समय अपने ननदोई और मेरे 'उनको ' गालियां सुनायी
और मेरी छोटी बहनों से भी साथ में दिलवायीं।
' अरे नंदोई जी कोने में न बैठों ,
कोने में लगे ततैया ,
तोहरे अम्मा कि बुर में बहिनों की बुर में ,
बैल को सींग , भैंस को चूतर , बैलगाड़ी को पहिया। '
,…
नंदोई जी तुम्हरी अम्मा के भोंसड़े में , तोहरी बहिनी कि बुरिया में
का का जाए , अरे का का समाये ,
हमारे ननंदोई जाए , उनके सारे जाएँ , सारे के भी सारे जायं ,
घोडा जाय , गदहा जाय , ऊंट बिचारा गोता खाय।
,…
मैं बैठी मुस्करा रही थी और बीच बीच में अपनी ननदों और सास का नाम भी रीतू भाभी को बता दे रही थी।
और मम्मी के पीछे तो , … मम्मी 'इनके' बाएं बैठ गयीं ,
बस रीतू भाभी चालू हो गयीं।
" नंदोई जी , देखिये आपके बाएं कौन बैठा है , बस छोड़ियेगा मत आज , पुराने चावल का मजा ले के रहिएगा। "
और वो भी न , बोले
' अरे सलहज जी मेरी हिम्मत की जो सलहज का हुकुम टालूँ। '
फिर मम्मी ने परोसते हुए एक बार बोल दिया ,
ले लो न ,
बस फिर रीतू भाभी , मम्मी के पीछे ,
' अरे आप दे रही हैं , तो लेने से कौन मना कर सकता है , और वैसे मैं राज की बात बताऊँ ,
ये होली सास से होली खेलने आये हैं , साली , सलहज तो बहाना है "
और वो कुछ मम्मी की थाली में डालने लगे तो फिर रीतू भाभी ,
" अरे नंदोई जी पूरा डालिये , हमारी और आपकी सास को आधे तिहे में मजा नहीं आता "
और मम्मी भी एकदम खुल गयी थी वो भी बोली ,
" हमारे दामाद को समझती क्या हो , वो पूरा ही डालता है , वो भी एक बार में। लेकिन तूने डलवाया की नहीं। "
रीतू भाभी को उन्होंने भी छेड़ा।
" क्या करूँ , वो पांच दिन वाली 'आंटी ' एकदम गलत मौके पे आ गयीं हैं लेकिन आज उनकी टाटा बाई बाई , फिर कल देखियेगा , एकदम निचोड़ के रख दूंगी , एक बूँद नहीं छोड़ूंगी। "
लेकिन फिर वो मम्मी को छेड़ने पे आ गयीं ,
" इसलिए कह रही हूँ , आज जो मलायी वलाई गड़पनी हो , आज रात छोड़ियेगा मत , मुश्किल से होली की रात ऐसा गबरू दामाद मिलता है। "
मझली को रीतू भाभी के साथ जाना ही था।
रीतू भाभी की एक नन्द थी वो उसे , मैथ्स में हेल्प करती थी। दो ही दिन बाद तो पेपर था। तो तय ये हुआ था कि आज रात और कल दिन वो उन्ही के साथ रह के पढ़ेगी , जिससे जो होली में डिस्टर्ब हुआ था वो बराबर हो जाय। कल दिन में भी होली का हंगामा होना ही था।
वो हम लोगों के जाने के पहले आ जायेगी।
छुटकी बोली की वो भी भाभी के साथ चली जायेगी , और कलसुबह ही वो और भाभी आ जाएंगी।
उसकी सहेलियां तो दस बजे आनी थीं जीजू से होली खेलने।
मम्मी ने हामी भर दी।
और उन लोगो के जाने के बाद घर में सिर्फ हम तीन लोग बचे थे , मैं , ये
और मम्मी।
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मेरी कहानी फागुन के दिन चार , पी डी ऍफ़ में ,...लिंक नीचे है ,
कृपया गुमनाम जी को इस बड़े उपन्यास का लिंक पोस्ट करने के लिए धन्यवाद जरूर दें , क्योंकि बहुत लोगों ने इस की मांग की थी
https://xossipy.com/thread-4434-page-4.html
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सास : हाट स्वीट सास
जाने से पहले रीतू भाभी इनसे जम के गले मिलीं , चूम्मा चाटी हुयी , एकदम खुल के और इन्होने अपनी सलहज की चूंचिया और चूतड़ दबाये
तो मेरी भाभी ने भी , उनका हथियार दबा के बोला , कल बताउंगी सलहज का मजा।
फिर मम्मी को सुनाती बोलीं ,
" अरे ननदोई जी आज रात मौका है , अपनी पत्नी के मातृभूमि का दर्शन जरूर कर लीजियेगा। "
" हँसते हुए , अपनी सलहज को दबाते हुये वो बोले , ' एकदम '.
" उस खाई को देख लीजियेगा जहाँ से ये मेरी मेरी प्यारी ननद और आपकी सेक्सी सालियाँ निकली हैं "
वो बोली
" एकदम सलहज जी , सिर्फ देख ही नहीं लूंगा , बल्कि गहराई की नाप जोख भी कर लूंगा " वो कहाँ चूकने वाले थे।
....
मम्मी बगल में खड़ी मुस्करा रही थी।
मझली को रीतू भाभी के साथ जाना था।
आज दिन में तो उसकी किताब खुली तकनहीं थी और दो दिन बाद , उसके हाईकॉलेज के बोर्ड के इक्जाम का पहला पेपर था वो भी मैथ का। रीतू भाभी की एक छोटी ननद थी , टीचर। तय ये हुआ था की वो आज रात उसे पूरी तरह रिवाइज करवाएंगी और अगले दिन भी वो उन्ही के साथ पढ़ेगी यहाँ घर पे तो होली का हंगामा रहेगा। हाँ , हम लोगों के जाने के पहले वो कल शाम को आ जायेगी।
छुटकी बोली , " मम्मी मैं भी जाऊं , भाभी के साथ , कल सुबह आ आउंगी , भाभी के साथ "
एकदम , मम्मी बोलीं।
वो तीनो लोग चली गयी।
बचे हम तीन।
मम्मी , मैं और ये।
….शाम से ही मम्मी उन्हें जबरदस्त लाइन मार रही थीं , ललचा लुभा रही थी. और उनके मुंह से पानी टपक रहा था।
वो मम्मी के उभारों के जबरदस्त दीवाने थे आगे के भी , पीछे के भी।
ये बात मुझे पता थी और मम्मी को भी।
मैंने उन्हें और नंदोई जी को बात करते सुना था। नंदोई जी बोले
" यार तेरी सास के चूतड़ गजब के हैं। "
" सिर्फ चूतड़ ही नहीं , चूंचियां भी , एकदम भरी भरी और मस्त कड़ी। मन करता है दोनों चूची पकड़ के निहुरा के चोद दूँ "
वो बोले। फिर कुछ रुक के जोड़ा ,
" और चूंचियां ऐसे ब्लाउज से बाहर टपकती रहती हैं , बस मन करता है चूस लूं , दबा दबा के सब रस पी लूँ। "
पहले तो मुझे कुछ बुरा लगा
फिर मैंने सोचा की यार अगर दो जवान मर्द मम्मी के जोबन फिदा हैं इस तरह तो ये तो खुश होने की बात है। "
और आज शाम से मम्मी का जोबन सच में ब्लाउज से टपका पड रहा था।
उन्होंने सफेद रंग का ब्लाउज पहन रखा था , स्लीवलेस और वो भी साइड से बहुत गहरा कटा हुआ।
न सिर्फ उनकी मांसल काँखे साफ दिख रही थी , बल्कि उसमें छोटे छोटे काले बाल भी।
चोली स्टाइलका , लो कट आलमोस्ट बैकलेस और बहुत ही टाइट। मम्मी के 38 डी डी वाले उभारो का न सिर्फ कटाव और उभार दिख रहा था , बाली वो सफेद पारभासी ब्लाउज में खुल के झलक भी रहे थे।
खाने की मेज पे जब वो झुक के उन्हें कुछ परोसतीं , तो उनके ग़द्दर दूधिया जोबन तो दिखते ही , अठ्ठनी के साइज के जामुनी रंग के बड़े बड़े खड़े निपल भी झाँक रहे थे।
और यही नहीं , साडी भी उन्होंने शिफॉन की पहन रखी थी , आलमोस्ट ट्रांसपरेंट।
कूल्हे के भी नीचे से बांधी , और वो भी बहुत टाइट।
और तरबूज क दो फांक ऐसे उनके बड़े चूतड़ , जब वो चलती तो कसर मसर , कसर मसर करते दीखते ही ,
बीच की दरार भी साफ साफ झलक रही थी।
और अब आज रात घर में सिर्फ वो मैं और मम्मी थे।
छुटकी , मंझली और रीतू भाभी के जाने के बाद मम्मी ने बाहर का दरवाजा बंद किया ,
और अपने बेड रूम की ओर चल दी. उनके पीछे , ' वो ' और , सबसे पीछे मैं।
मम्मी ने बेड रूम में पहुँच के दरवाजा बंद कर लिया , और मुड़ के मुझसे कहा
" हे , सुन हमीं तो हैं , आज तू मेरे पास ही सो जा। "
शादी के पहले भी मैं अक्सर मम्मी के पास ही सोती थी।
" और मम्मी , मैं? " वो भी बोले।
मम्मी ने प्यार से उन्हें बाहों में भरा , और उनके बालो पे हाथ फिराते बोलीं ,
" एकदम , क्यों नहीं एक और मेरी बेटी और एक ओर बेटा। "
मम्मी के हाथ उठाने से साइड से उनके उभारो का 'स्वेल ' एकदम साफ दिख रहा था बल्कि उनके गालों से रगड़ खा रहा था और उनकी कांख और उसके छोटे छोटे बाल भी , सीधे उनकी नाक के पास। वो महक किसी को भी पागल बना देती , वो तो पहले से ही पागल थे मम्मी के जोबन के।
उसी तरह उनसे से सटी चिपकी मम्मी ने उन्हें और छेड़ा ,
" लेकिन तुम क्या इतने ढेर सारे कपडे पहन के सोते हो। "
वो एक टाइट टी शर्ट और बॉक्सर शार्ट पहने थे।
" एकदम नहीं , मम्मी "
मैं बोली ।
अब मैं भी मैदान में आ गयी और जब तक वो कुछ समझे , मैंने और मम्मी ने उनकी शर्ट खींच के निकाल दी।
अब वो सिर्फ बहुत छोटे से बॉक्सर शार्ट में थे , और अब उनकी सारी मसल्स साफ दिख रही थीं।
मम्मी उनकी शर्ट खूंटी पे टांग रही थी तो मैंने पाला बदला और अब 'उनकी ' और आ गयी।
" मम्मी क्या आप इत्ते ढेर सारे कपडे पहन के सोएंगी "
और मैंने मम्मी का आँचल पकड़ के खींचा। थोड़ी देर में उनकी साडी मेरे हाथ में थी और वो भी सिर्फ , साया ब्लाउज में।
मम्मी की साडी उनके शर्ट के ऊपर मैंने टांग दी।
लेकिन मैं कैसे बचती।
मम्मी ने मेरी साडी खींच दी।
हम दोनों मा बेटी के साथ साथ पक्की सहेली भी थे।
कुछ ही देर में हम सब बिस्तर पे थे। मम्मी बीच में और मैं और वो दोनो साइड में।
मैंने लाइट बंद कर दी , लेकिन नाइट लाइट में अभी भी सब कुछ दिख रहा था।
वो लललचायी नजरो से मम्मी के सफेद ब्लाउज से झांकते मम्मों को देख रहे थे , लेकिन बेचारे , झिझक भी रहे थे।
पहल मैंने ही की।
मैं अपने 'इनके ' लिए कुछ भी कर सकती थी।
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17-03-2019, 11:44 AM
(This post was last modified: 17-03-2019, 01:00 PM by Gumnam. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(16-03-2019, 10:07 AM)komaalrani Wrote: मेरी कहानी फागुन के दिन चार , पी डी ऍफ़ में ,...लिंक नीचे है ,
कृपया गुमनाम जी को इस बड़े उपन्यास का लिंक पोस्ट करने के लिए धन्यवाद जरूर दें , क्योंकि बहुत लोगों ने इस की मांग की थी
https://xossipy.com/thread-4434-page-4.html कोमल जी ये सब स्टोरी जौनपुर भाई के द्वारा xossip पर pdfपोस्ट की गई थी।
मैंने केवल उसे सेव किये थे।
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(17-03-2019, 11:44 AM)Gumnam Wrote: कोमल जी ये सब स्टोरी जौनपुर भाई के द्वारा xossip पर pdfपोस्ट की गई थी।
मैंने केवल उसे सेव किये थे।
yes no words are enough to appreciate jaunpur ji. But for him my many stories would have been lost to oblivion,
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मम्मी
" मम्मी , इन्हे सोने से पहले दुद्धू पीने की आदत है "
और साथ ही मैंने उनका हाथ खींच के सीधे मम्मी के ब्लाउज के बटन पे रख दिया।
' ठीक तो है। लगता है समधन जी ने लगा दी है। और मुन्ना दूध नहीं पियेगा , तो कुश्ती कैसे लड़ेगा "
कुछ प्यार से कुछ चिढ़ाते हुए मम्मी बोलीं और उन्हें और खींच के अपने से सटा लिया।
हिम्मत कर उन्होंने मम्मी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और झ्हक से , गोरे गोरे दूध से भरे कटोरे बाहर आगये।
झिझकते शर्माते वो बोले ,
" मम्मी दूध पी लूँ। "
बस मम्मी ने जोर से उनके बाल पकड़ के उनका मुंह अपने हाथ से दबा के खोल दिया
और निपल सीधे ठेल दिया
और दोनों हाथों से उनका सर पकड़ के अपने जोबन से चिपका लिया , और जोर से हड़काया ,
" मम्मी भी बोलते हो और पूछते भी हो , पियो न , जितना मन हो उतना। "
और आगे से फिर कभी पूछा न तो बहुत पिटोगे मेरे हाथ से "
मैं क्यों पीछे रहती , मैंने उनका एक हाथ पकड़ के मम्मी के दूसरे मम्मे पे रख दिया।
पुचुर पुचुर वो मम्मी का निपल चूस रहे थे और एक हाथ से उस बूब्स को पकडे थे , और दूसरा हाथ दूसरे बूब्स को जोर जोर से दबा रहा था , मसल रहा था
कितने दिनों की उनकी साध पूरी हो रही थी।
और मम्मी भी प्यार से उनके बाल सहला रही थीं , कभी गालों पे हाथ फेर देतीं।
दस मिनट कस कस के मम्मी की रसीली चून्चियों का मजा लेने के बाद , सांस लेने को उन्होंने मुंह खोला
और मम्मी ने प्यार से उनके गाल को पिंच करते हुए पुछा ,
" मजा आया "
" हाँ मम्मी बहुत , "
ख़ुशी से उनका चेहरा दमक उठा।
मम्मी ने चट से हलके से उनके गाल पे मारा ,
" बदमाश , फिर दुबारा अगर तुमने पुछा न , तो बहुत पिटोगे। मम्मी से शर्माते हो।
और जब मन करे तब , मेरी इस बेटी या किसी बेटी से शर्माने की जरूरत नहीं है।
जब चाहो तब और उनके सामने भी , समझ गए न। "
हाँ समझदार बच्चे की तरह उन्होंने सर हिलाया।
और एक बार फिर जीभ निकाल के मम्मी के बड़े निपल फ्लिक करने लगे।
मम्मी को भी बहुत मजा आ रहा था।
उनकी नाक पकड़ के शरारत से मम्मी ने पुछा ,
" अच्छा बोल मेरे ज्यादा मस्त हैं या समधन के "
एक पल के लिए उनके चेहरे पे शरमाहट आयी फिर वो मुस्करा के बोले ,
" मम्मी , आप दोनों के एक से बढ़ के एक हैं "
मम्मी भी जोर से खिलखिलायीं और उनके होंठो पे खूब कस के एक चुम्मी ले के कहा ,
बहुत चालाक हो तुम।
मम्मी का हाथ उनके चौड़े सीने पे टहल रहा था।
अपने नाख़ून से उनके टिट्स को जोर स्क्रैच कर के पुछा ,,
" और समधन की नीचे वाली कुठरिया "
अब उनकी भी झिझक ख़तम हो गयी थी , वो मुस्करा के बोले
" मम्मी अभी आप की नीचे वाली कुठरिया का मजा कहाँ लिया है जो बताऊँ की उनकी कैसी है और आपकी कैसी। "
मम्मी कुछ जवाब देती उकसे पहले मैंने मम्मी से बोल पड़ी ,
" मम्मी , इसका मतलब आपका दामाद , "
मम्मी ने मुझे जोर से आँखे तरेर कर देखा और बोली ,
खुल के बोल न जो बोलना चाहती है।
" मम्मी , इसका मतलब आपके दामाद , मादर चोद हैं। "
मैं थोड़ा झिझकते बोली
"गलत एकदम गलत , "मम्मी ने फिर मेरी बात काटी और बोलीं ,
" ये मादर चोद नहीं पक्का मादर चोद है , पैदायशी मादरचोद क्यों है ना "
उनकी पीठ सहलाते मम्मी बोलीं।
वो क्या बोलते मुंह तो मम्मी की चूंची चूसनेमें लगा था।
और मम्मी ने जोर से एक हाथ से उनका सर दबा रखा था , तो वो हटा भी नहीं सकते थे।
मम्मी ने फिर मेरी ओर देखते हुए समझाया ,
" तू भी न , मादरचोद को , मादरचोद बोलने में हिचक रही थी। मेरे दामाद को कोई हिचक नहीं , तो तुम क्यों झिझक रही थी। कल से तुम सबके सामने इसे मादरचोद बुलाओ देखना ये जवाब देगा। अरे जब मादरचोद होने में शर्म नहीं , तो मादरचोद कहलाने में क्या शर्म , क्यों बेटा। "
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सास , हॉट सास
सास दामाद संवाद
मम्मी ने किर मेरी ओर देखते हुए समझाया-
“तू भी न, मादरचोद को, मादरचोद बोलने में र्हचक रही थी। मेरे दामाद को कोई हिचक नहीं , तो तुम क्यों झिझक रही थी। कल से तुम सबके सामने इसे मादरचोद बुलाओ, देखना ये जवाब देगा। अरे जब मादरचोद होने में शर्म नहीं तो मादरचोद कहलाने में क्या शर्म , क्यों बेटा…”
वो बिचारे क्या बोलते उनके मुूँह में तो मम्मी की 38डीडी साइज की चूची भरी थी।
मम्मी ने मुझे समझाना जारी रखा-
“देख मेरी समधन ने न जाने कहाूँ-कहाूँ घूम-घूम के चुदवा के पहले तो गाभन हुई होंगी, किर 9 महीने पेट में रखा होगा, बचपन में सबसे पहले इसकी नूनी पकड़ के सु-सु करना सखाया होगा। नूनी का चमड़ा खोल के कड़वा तेल लगाती होंगी, तभी तो इतना मस्त मोटा… फिर उनका भी कुछ हक़ है की नहीं इसके मोटे डण्डे पे। क्यों बेटा?"
बिना मम्मी की चूची पर से मुंह हटाये सर हिला के उन्होंने हामी भरी।
“तुम सही करते हो जो मेरी बांकी समधन को चोदते हो, वरना इधर उधर…”
मम्मी ने अपनी चूची पर से उनका मुूँह हटाते हुए कहा।
हम तीनों मुश्कुरा रहे थे। अब मम्मी ने उनके होंठ अपने दूसरे उरोज पे रखे-
“अरे इसको भी तो चूस जरा। इसका भी मजा ले…”
जोबन का मजा लेने में तो उनका कोई मुकाबला नहीीं था और ये मुझसे अच्छा कौन जानता था।
और वो जोर-जोर से मम्मी की चूची चूसने लगे।
मम्मी का एक हाथ उनके सर पे था और दूसरा शार्ट के ऊपर से ‘उसे’ दबा, सहला रहा था।
उनकी जीभ कभी पूरे उरोजों को चाटती, तो कभी नपल के चारों ओर घूमती, कभी नपल को वो मुूँह में लेकर जोर-जोर से चूसते, चुभलाते। और रह रह के काट लेते।
मम्मी-
"क्यों, समधन का भोंसड़ा कभी चूसा है? कैसा है?"
उन्होंने मम्मी के निपल चूसते हुए हामी में सर हिलाया पर मैं उन्हें इतनी आसानी से थोड़े ही छोड़ने वाली थी।
मैं बोली- बोलो न, मम्मी कुछ पूछ रही हैं?
सर हटा के वो बोले- “हाूँ…”
“अरे पूरा बोलो न, मम्मी से क्या शरमाना …”
मैं भी छेड़ रही थी।
“हाँ चूसा है, बहुत रसीला है…”
बोल के किर से वो अपने काम में जुट गए।
मम्मी मस्ती से सिसकारी भर रही थी। मम्मी इतनी जल्दी उन्हें नहीीं छोड़ने वाली थीीं, उन्होंने अगला सवाल पूछा-
“और मेरी समधन ने अपना भोंसड़ा चुसवाया या मुन्ने को गाण्ड भी चटवाई…”
मम्मी की छेड़छाड़ में उन्हें भी मजा आ रहा था, वो बोले-
“गाण्ड भी चटवाई…”
“अब मान गए तुम नम्बरी पैदायशी खानदानी मादरचोद हो…”
मम्मी ख़ुशी से बोलीीं और मुझे देखकर कहा-
“मैं कह रह थी न तुमसे तेरा ‘ये’ मादरचोद ही नहीं है बल्कि नम्बरी, पक्का मादरचोद है, हरामी का जना…”
मम्मी की गालियां और रसीली बातें सुनकर उनका चेहरा मस्ती से दमक रहा था और तम्बू में बम्बू एकदम तना था।
साथ में मम्मी खुल के के ऊपर से अपनी उँगलियों से उसे दबोच रही थीीं, सहला रही थीीं।
“और तेरी बुआ का जोबन भी तो बहुत गद्दर है, मजा आया था उनकी लेने में…”
मम्मी ने उनके निपल को जोर से स्क्रैच करते पूछा।
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मेरी ससुराल - बुआ सास , .
“और तेरी बुआ का जोबन भी तो बहुत गद्दर है, मजा आया था उनकी लेने में…”
मम्मी ने उनके नपल को जोर से स्क्रैच करते पूछा।
अब तो उनके चेहरे पे हवाईयाीं उड़ रही थी। वो आलमोस्ट उठ बैठे, और बोले-
“ नहीं ,... हाँ मम्मी, मतलब… लेकन आपको कैसे पता?"
मम्मी ने हाथ अब शार्ट में डाल दिया .. और जोर जोर से लण्ड मुठियाते मुस्करा कर बोलीं
“मम्मी बोलता है और पूछता है, कैसे पता? मुझे सब पता है। तेरी बुआ की शादी के पहले ही तूने नंबर लगा दिया .. था न। मुझे तो ये भी मालूम है की उस दिन तेरी तेरी बुआ ने क्या पहना था।
बोल अब उनकी शादी के बाद होता है गुल्ली- डंडा की नही?
मैं ख़ुशी और आश्चयि से मम्मी की ओर देख रही थी। मम्मी को तो दरोगा होना चाहिए , सब राज उन्होंने कैसे कबूलवा लिए ।
उनकी बुआ और मेरी बुआ सास, थी भी बहुत सेक्सी और गाली देकर बात करने में तो सास से भी दो हाथ आगे।
जिस तरह से वो ननद भौजाई बातें करती थी, हम ननद भौजाइयों के लिए सबक था।
जब मुंह दिखाई हो रही थी और मैं पैर छू रही थी तो मेरी सास ने उकसाया-
“जरा लहंगा उठा के अंदर का हालचाल देख ले, तेरे ससुर की खास पसंद की चीज है है अंदर …”
मैं आपनी सास की आज्ञाकारी बहू, पैर छूते-छूते, मैंने झट सेलहंगा दोनों हाथों से पकड़ के पूरा उलट दिया ,
चिड़िया दिख गयी।
एकदम मक्खन मलायी।
और जब बुआ ने ठीक करने की कोशश की तो सासूजी ने उनके दोनों हाथ पकड़ और बोली-
“अरे ननद रानी इतनी देर बाद बुलबुल खुली है तो थोड़ी हवा पानी खा लेने दो उसे न…”
किर तो मेरी बुआ जी से पक्की दोस्ती हो गयी।
वैसे भी उम्र में ‘इनसे’ 7-8 साल ही बड़ी होंगी, 32-33 साल की।
सुहागरात के पहले सबसे ज्यादा ज्ञान उन्होंने ही दिया ।
और जब सुबह नौ बजे मेरी ननदें कमरे से ले गयी, तो वो बाहर ही मिल गयीं और सबसे पहले मुंह दिखाई भी उन्होंने की।
‘नीचे वाले मुूँह की’।
मम्मी उन्हें चढ़ा रही थी-
“अरे बुआ से तो चोदने का रिश्ता है, काहें शरमा रहे हो। अरे उनके भाई मेरी समधन को ,
तेरी माँ को दिन रात चोदते हैं न, तो तूने उनकी बहन चोद ली बस, तो बोलो अब भी चलती है पेलगाड़ी न…”
“हाूँ, मेरी शादी में वो आयी थी न, तो बस 2-3 बार…”
शरमाते हिचकते हुए उन्होंने कबूला।
अब मैंने थोड़ा डायरेक्शन बदला, और उनका हाथ मम्मी के गोरे चकने पेट पे सहलाते हुए बोला-
“मैं और तुम्हारी नमकीन सालियाँ यही पे थे…”
“और निकलीं किधर से…”
उन्होंने मुश्कुरा के मुझे छेड़ते हुए पूछा।
मेरे एक हाथ ने मम्मी के साये का नाड़ा खोल के नीचे सरका दिया और दूसरे हाथ से उनका हाथ पकड़ के सीधे,
‘वहीँ ’ पे मम्मी की जाूँघों के बीच…
जो मैंने सोचा वही हुआ।
उनका चेहरा देखकर लग रहा था की, जैसे हलवाई की भट्ठी पे हाथ पड़ गया हो।
मम्मी भी धीमें-धीमें मुश्कुरा रही थीीं, उन्होंने दोनों जाींघों के बीच जोर से उनका हाथ दबादिया ।
और अब मम्मी की बारी थी, उनका शार्ट सरका के सीधे बिस्तर से नीचे फेंकने की
मैं कैसे बचती।
सास, दामाद ने मेरा ब्लाउज और साया भी दूर फ़ेंक दिया और हम तीनों एक जैसे।
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कोमल जी आप अपनी इंग्लिश स्टोरी को हिंदी में पोस्ट कर सकती है क्या
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(19-03-2019, 11:17 PM)Gumnam Wrote: कोमल जी आप अपनी इंग्लिश स्टोरी को हिंदी में पोस्ट कर सकती है क्या
कौन सी ,... ?
अभी मैं अपनी एक नयी रोमांटिक कहानी , ... मोहे रंग दे ,... लिख रही हूँ , साथ में होली के मौके पर होली की कई कहानियां भी ,...
आप बताइये मैं देखूंगी ,... मैंने कुछ कहानियां इंग्लिश फॉण्ट में लिखी हैं , ... मिक्स लैंग्वेज में और कुछ शुद्ध अंग्रेजी वाली है हैं , आप बताइये ,...
और इस कहानी में भी आप अब बहुत अंतर आने वाली पोस्टों में देखेंगे , कुछ ज्यादा किंक और हॉट स्पाइसी ,
इस कहानी का सीक्वेल और सोलहवां सावन का भी मैं सीक्वेल पोस्ट करने वाली हूँ , जिसमें गुड्डी के कुछ दिन शहर के और फिर उसकी गाँव वापसी , भाभी के गाँव की ,...
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(20-03-2019, 08:05 AM)komaalrani Wrote: कौन सी ,... ?
अभी मैं अपनी एक नयी रोमांटिक कहानी , ... मोहे रंग दे ,... लिख रही हूँ , साथ में होली के मौके पर होली की कई कहानियां भी ,...
आप बताइये मैं देखूंगी ,... मैंने कुछ कहानियां इंग्लिश फॉण्ट में लिखी हैं , ... मिक्स लैंग्वेज में और कुछ शुद्ध अंग्रेजी वाली है हैं , आप बताइये ,...
और इस कहानी में भी आप अब बहुत अंतर आने वाली पोस्टों में देखेंगे , कुछ ज्यादा किंक और हॉट स्पाइसी ,
इस कहानी का सीक्वेल और सोलहवां सावन का भी मैं सीक्वेल पोस्ट करने वाली हूँ , जिसमें गुड्डी के कुछ दिन शहर के और फिर उसकी गाँव वापसी , भाभी के गाँव की ,...
साजन चले ससुराल
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(20-03-2019, 09:20 AM)Gumnam Wrote: साजन चले ससुराल
यह मेरी होली की दूसरी कहानी थी , पर
ससुराल में होली की पहली कहानी ,...
चांदनी वाली मैंने चार कहानियां लिखी थीं ,... मेरी पहली इंटरनेट पर पोस्टेड कहानी थी , ... होली में फट गयी ,... एक किशोरी चांदनी , उसकी भाभी , उसके जीजा ,... और उसी श्रंखला में तीसरी कहानी थी ,... साजन चले ससुराल ,... ये कहानियां एक वेब साइट पर पहले मैंने पोस्ट की ,... और उसके बाद एक याहू ग्रुप में, जहां मैंने पहली बड़ी कहानी ननद की ट्रेनिंग दस भाग में पोस्ट की थी , ( अभी किंडल ने भी यह एक नए नाम से पोस्ट की है एक उपन्यास के रूप में ऑफ़ कोर्स मुझे बिना बताये , किसी ने अपने नाम से ,... )
चलिए मेरी होली की सबसे फेवरिट रोमांटिक छोटी कहानी , लला फिर अईयो खेलन होरी के बाद देखती हूँ ,
पाठकों के आशीर्वाद और उत्साह पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है।
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(20-03-2019, 10:44 AM)komaalrani Wrote:
यह मेरी होली की दूसरी कहानी थी , पर
ससुराल में होली की पहली कहानी ,...
चांदनी वाली मैंने चार कहानियां लिखी थीं ,... मेरी पहली इंटरनेट पर पोस्टेड कहानी थी , ... होली में फट गयी ,... एक किशोरी चांदनी , उसकी भाभी , उसके जीजा ,... और उसी श्रंखला में तीसरी कहानी थी ,... साजन चले ससुराल ,... ये कहानियां एक वेब साइट पर पहले मैंने पोस्ट की ,... और उसके बाद एक याहू ग्रुप में, जहां मैंने पहली बड़ी कहानी ननद की ट्रेनिंग दस भाग में पोस्ट की थी , ( अभी किंडल ने भी यह एक नए नाम से पोस्ट की है एक उपन्यास के रूप में ऑफ़ कोर्स मुझे बिना बताये , किसी ने अपने नाम से ,... )
चलिए मेरी होली की सबसे फेवरिट रोमांटिक छोटी कहानी , लला फिर अईयो खेलन होरी के बाद देखती हूँ ,
पाठकों के आशीर्वाद और उत्साह पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है।
मेरे पास सभी है लेकिन वो इंग्लिश में है
जो पढ़ने में दिक्कत हो रही है।
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(20-03-2019, 12:40 PM)Gumnam Wrote: मेरे पास सभी है लेकिन वो इंग्लिश में है
जो पढ़ने में दिक्कत हो रही है।
मोहे रंग दे ,
मेरी एक टटकी ताज़ी कहानी है , और थोड़ी अलग भी , एक बार आप की राय का इंतज़ार रहेगा
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