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घर में अँधेरा होने के कारण भैया ठीक से मेरी सूरत तो देख नहीं पा रहे थे.. मगर मैंने भाभी की नाईटी पहन रखी थी और मैं कद-काठी में भी भाभी के समान ही थी.. इसलिए भैया शायद मुझे भाभी समझ रहे थे।
भैया के कमरे में भी बिल्कुल अँधेरा था।
मैंने उन्हें बिस्तर पर सुला दिया और अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ी तो भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर झटके से खींच लिया और फिर से भाभी का नाम लेकर कहा- कहाँ जा रही हो रानी..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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भैया के खींचने से मैं उनके ऊपर गिर गई। मुझे भैया पर हँसी आ गई और मैंने भैया के ऊपर से उठते हुए कहा- भैया मैं भाभी नहीं हूँ.. पायल हूँ..
मगर भैया ने मेरी बात को अनसुना कर दिया.. वो मेरे सर को पकड़ कर मेरे गालों पर चुम्बन करने लगे और फिर से मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं कुछ और बोल पाती इससे पहले भैया ने मेरे दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगे.. जिससे मेरे बदन में भी सिहरन सी होने लगी।
मुझे भैया पर हँसी भी आ रही थी और गुस्सा भी.. इसलिए मैं अपने होंठों को छुड़वा कर जोर से चीख कर कहा- भैया.. मैं भाभी नहीं हूँ.. पायल हूँ.. पायल.. आपकी बहन..!
मैं यह कहते हुए फिर से खड़ी होने की कोशिश करने लगी।
मगर भैया को तो जैसे मेरी कोई बात सुनाई ही नहीं दे रही थी।
मैं अपने आपको भैया से छुड़वा ही रही थी कि अचानक भैया ने करवट बदल कर मुझे नीचे गिरा लिया और वो मेरे ऊपर आ गए।
मुझे भैया से ये उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि वो इतनी जल्दी ये सब कर देंगे।
भैया फिर से मेरे होंठों को चूसने लगे और एक हाथ से नाईटी के ऊपर से मेरे उरो
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13-11-2020, 02:55 PM
(This post was last modified: 30-10-2021, 09:58 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
भैया फिर से मेरे होंठों को चूसने लगे और एक हाथ से नाईटी के ऊपर से मेरे उरोजों को भी दबाने लग गए।
भैया का उत्तेजित लिंग मेरी जाँघ पर चुभता हुआ सा महसूस हो रहा था मेरे पूरे बदन में चींटियां सी काटती महसूस होने लगीं.. और ऊपर से मौसम भी इतना सुहावना हो रहा था, अब तो मुझे भी कुछ होने लगा था।
मैंने भी भैया को अपनी बाँहों में भर लिया.. मगर तभी मुझे ख्याल आया कि यह मैं क्या कर रही हूँ.. भैया नशे में हैं.. मैं नहीं.. मुझे समाज का और भाई-बहन के रिश्ते का ख्याल था।
मेरा भी दिल तो मचलने लगा था.. मगर मैं भाई-बहन के रिश्ते को कलंकित नहीं करना चाहती थी.. इसलिए मैंने भैया को अपने ऊपर से धकेल कर अपने आपको छुड़वा लिया और फिर से कहा- भैया.. आप ये क्या कर रहे हैं.. होश में आओ.. मैं आपकी बहन हूँ।
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कमरे में अँधेरा था जिस कारण भैया मेरी सूरत नहीं पहचान पा रहे थे.. मगर भैया पर मेरे चीखने का भी कोई असर नहीं हो रहा था।
उन्होंने भाभी का नाम बड़बड़ाते हुए फिर से मुझे दबोच लिया और अचानक मेरी नाईटी को उलट दिया। नीचे मैंने पैन्टी भी नहीं पहन रखी थी.. इसलिए मैंने अपने घुटने मोड़ लिए और अपनी नाईटी को पकड़ने लगी।
मैं अपनी नाईटी को ठीक कर पाती.. इससे पहले भैया ने एक हाथ से मेरी दोनों जाँघों को दबाकर मेरे घुटनों को सीधा कर दिया और मेरी नंगी योनि पर अपना मुँह टिका दिया।
यह सब भैया ने इतनी जल्दी और अचानक किया कि मैं कुछ समझ ही नहीं पाई।
मैंने अपनी दोनों जाँघें एक-दूसरे चिपका कर बन्द कर रखी थीं.. जिससे भैया की जीभ मेरे योनि द्वार तक तो नहीं पहुँच पा रही थी.. मगर भैया मेरी योनि की फाँकों को चूसने लग गए।
अब तो मेरे लिए अपने आप पर काबू करना कठिन हो गया था.. क्योंकि अब भैया मेरे सबसे संवेदनशील अंग पर अपनी जीभ से हरकत कर रहे थे.. जिससे मेरे रोम-रोम में चिंगारियां सी सुलगने लगीं।
अब तो मैं भी बहकने लगी थी और मेरी जुबान भी कपकँपाने लगी। मैंने फिर से काँपती आवाज में भैया को कहा- भ..अ..ऐ..य..आ.. अ..आ..प..अ… ये..ऐ.. क..अ..य..आ.. क..अ..र..अ…र.. अ..ह..ऐ… ह..अ..ओ…!
मैं भैया को हटा कर उठने की कोशिश करने लगी.. मगर तभी भैया ने मेरे कूल्हों के नीचे अपने दोनों हाथों को डालकर मेरी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया और मेरी योनि की फाँकों को अपने मुँह में भर कर इतनी जोर से चूस लिया कि मुझे अपनी योनि का अंदरूनी भाग खिंचकर भैया के मुँह में जाता सा महसूस हुआ और मेरे मुँह से ‘इईईई.ई..ई…ई.. शशशश..श.. भैया.. आहह..’ की आवाज निकल गई।
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भैया मेरी योनि में अपनी जीभ से लगातार हरकत करने लगे.. जिससे मेरे पूरे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और पता नहीं कब मेरी जाँघें खुल गईं।
अब मेरी पूरी योनि पर भैया का अधिकार हो गया था। भैया कभी मेरे दाने पर.. तो कभी योनि द्वार पर.. अपनी जीभ को घुमाने लगे।
मेरे मुँह से, ‘इईश.. श..श..अआहह…अह..’ की हल्की-हल्की सिसकियाँ फूटने लगीं।
मुझे भी पता नहीं क्या हो गया था.. मैं भैया का बिना कोई विरोध किए शान्त होकर पड़ी रही। मेरा दिमाग तो कह रहा था कि ये सब गलत हो रहा है.. मगर दिल साथ नहीं दे रहा था।
भैया ने अपनी जीभ से मेरे तन-बदन में आग लगा दी थी और आखिर में दिल के आगे दिमाग ने घुटने टेक दिए और मैंने अपनी जाँघें पूरी तरह फैलाकर भैया को अपने आपको समर्पित कर दिया।
कुछ देर बाद भैया ने मेरी योनि को छोड़ दिया।
कमरे में अँधेरा था मगर फिर भी मैं भैया को अपने कपड़े उतारते हुए देख पा रही थी।
भैया अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर लेट गए, मैं भी आँखें बन्द करके पड़ी रही और भैया के लिंग के प्रवेश कराने का इंतजार करने लगी।
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भैया ने एक हाथ से अपने लिंग को मेरी योनि के प्रवेश द्वार पर रख कर जोर का धक्का मारा.. एक ही झटके में भैया का पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया.. जिससे मुझे हल्का सा दर्द हुआ और दर्द व उत्तेजना के कारण मेरे मुँह से ‘अआआह..ह…ह..’ की आवाज निकल गई।
मेरे दिमाग में एक बार फिर से खयाल आया कि मैं यह क्या कर रही हूँ? मगर उत्तेजना के कारण मेरा ख्याल दिमाग में ही दब कर रह गया..
क्योंकि अब भैया धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाने लग गए थे.. जिससे मुझे मजा आ रहा था और वैसे भी अब तो सारी सीमाएँ और मर्यादाएँ टूट चुकी थीं इसलिए मैं भी अपने पैर भैया के पैरों में फंसा कर अपने कूल्हों को उचका-उचका कर भैया का साथ देने लगी और मेरे मुँह से ‘इईई.ई..ई…ई.. शशशश..श.. अआआह.. उहहह..’ की आवाजें निकलने लगीं।
भैया लगातार धक्के लगाते रहे और मैं ऐसे ही सिसकियाँ भरती रही। धीरे-धीरे भैया की गति बढ़ने लगी और फिर से वो मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगे।
इस बार मैं भी उनके एक होंठ को चूसने लगी।
भैया तो बिल्कुल नंगे थे मगर मेरी नाईटी बस मेरे पेट तक ही उल्टी हुई थी.. जिससे मेरा शरीर भैया के नंगे शरीर को स्पर्श नहीं कर रहा था और भैया भी नाईटी के ऊपर से ही मेरे उरोजों को दबा रहे थे.. इसलिए मैंने खुद ही अपनी नाईटी को खिसका कर अपने उरोजों के ऊपर तक उलट लिया और भैया की पीठ को अपनी बाँहों में भर कर दबाने लगी।
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भैया जितनी तेजी से धक्के लगा रहे थे.. मैं भी उतनी ही तेजी से अपने कूल्हे उचका रही थी।
मेरे होंठ भैया के मुँह में थे.. फिर भी उत्तेजना के कारण मेरे मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं।
खिड़की से ठण्डी हवा आ रही थी और बाहर मौसम भी ठण्डा था.. मगर फिर भी मैं और भैया पसीने से लथपथ हो गए थे।
आज करीब दो अढ़ाई साल के बाद मैंने किसी के साथ यौन सम्बन्ध बनाया था.. इसलिए मैं जल्द ही चरम पर पहुँच गई।
मैं भैया के शरीर से किसी जौंक की तरह चिपक गई और शान्त हो गई।
कुछ देर बाद भैया भी अपनी मंजिल पर पहुँच गए और उनका लिंग मेरी योनि में गर्म वीर्य उगलने लगा, भैया ढेर होकर मेरे ऊपर गिर गए।
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.. मगर काफी देर होने के बाद भी जब भैया मेरे ऊपर से नहीं उठे तो मैं उन्हें उठाने लगी.. मगर मैंने देखा कि भैया तो मेरे ऊपर ही सो चुके थे।
मैंने भैया को अपने ऊपर से धकेल कर बिस्तर पर गिरा दिया और उठ कर अपने कमरे में आ गई।
मेरे खड़े होने से भैया का वीर्य मेरी योनि से रिस कर मेरी जाँघों पर आ गया.. जिससे मेरी जाँघें चिपक रही थीं.. इसलिए मैंने बाथरूम में जाकर अपनी योनि और जाँघों को साफ करके अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई।
अब मुझे पछतावा हो रहा था कि मैंने ये क्या कर दिया? मुझे भैया को कैसे भी करके रोकना चाहिए था।
यही सब सोचते-सोचते ही मुझे नींद आ गई।
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भैया ने मुझे चोदा भाभी समझ के पढ़िए कैसे चोदा मुझे
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मेरे अमर भैया की नई नई शादी हुई थी। दोस्तों मेरी भाभी बहुत खूबसूरत औरत थी। जिस दिन भैया की सुहागरात होनी थी उस दिन वो भाभी के हुस्न पर पूरी तरह से पागल थे। उन्होंने सारी रात भाभी की चूत मारी थी। धीरे धीरे मेरे भैया भाभी के पीछे पूरी तरह से पागल हो गये है और सारा दिन कमरे में ही घुसे रहते है और भाभी की मस्त मस्त चूत चोदा करते थे। जैसे ही रात हो जाती थी मैं चुपके से बड़े भैया के दरवाजे पर चली जाती थी और लॉक वाले छेद से मैं सारी चुदाई देख लिया करती थी। धीरे धीरे मुझे भैया भाभी की चुदाई देखने का नशा सा हो गया। रोज रात में मैं भैया के कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो जाती और अंदर का सारा चुदाई वाला सीन देख लिया करती थी।
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दोस्तों धीरे धीरे मेरा भी चुदने का और मोटा लंड खाने का दिल करने लगा। पर मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नही था। इसलिए मैं अपनी वासना और काम की हवस को शांत करने के लिए खुद ही अपनी चूत में अपनी ऊँगली, मूली और बैगन डाल लिया करती थी और चूत को फेट लिया करती थी। पर मुझे वो असली वाला मजा नही मिल रहा था। मुझे असली लंड खाने का बड़ा दिल कर रहा था। मैं भाभी की तरह चुदना चाहती थी। और भरपूर मजा लेना चाहती थी।
एक शाम भाभी मार्केट गयी हुई थी। मैं उनके कमरे में थी और अपनी एक साड़ी ढूढ़ रही थी। मेरी भाभी मेरी साड़ी में फाल लगा रही थी इसलिए मैं वही साड़ी लेने आई थी। इत्तेफाक से मैंने भी उस दिन शौक शौंक में साड़ी पहन रखी थी। तभी लाईट चली गयी। उसी समय भैया आ गये और मुझे कमर से पकड़ लिया और प्यार करने लगे। मेरे भैया सोच रहे थे की मैं उनकी बीबी हूँ। वो मुझे किस करने लगे।
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“जान…आओ जल्दी से चूत दे दो। आज बजार में एक बड़ी सुंदर लड़की को देख लिया। बस उसे देखते ही मेरा मूड खराब हो गया। मेरा लौड़ा खडा हो गया है अब मुझे बस तुम्हारी रसीली चूत मारनी है!!” मेरे भैया बोले। उधर मेरा भी लंड खाने का मन कर रहा था इसलिए मैंने कोई आवाज नही निकाली। वरना अमर भैया मुझे पहचान जाते और मुझे नही चोदते। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी साड़ी निकालने लगे। लाईट चली गयी थी इसलिए कमरे में अँधेरा था। भैया मुझे भाभी समझ रहे थे। कुछ देर में उन्होंने मेरी साड़ी निकाल दी और फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं बिलकुल चुप थी और कोई आवाज नही कर रही थी। फिर मेरे भैया ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरे रसीले होठ चूसने लगे। मैं पिछले कई महीने से भैया को भाभी का गेम बजाते हुए देख रही थी इसलिए मैं भी उनका मोटा लंड खाने के लिए तडप रही थी
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दोस्तों मेरे अमर भैया बहुत ही स्मार्ट और खूबसूरत थे। वो मर्दाना जिस्म के मालिक थे और उसकी मस्त बॉडी बनी हुई थी। उनका लंड तो ९” लम्बा था और बहुत मोटा और रसीला लौड़ा था मेरे भाई का। कमरे में अँधेरा था और वो मुझे भाभी समझ कर मेरे सेक्सी होठ पी रहे थे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अमर भैया मेरे उपर आ गये और मेरे दूध को अपने हाथ से दबाने लगे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया मेरे खूबसूरत मम्मो को जोर जोर से अपने हाथो से दबा रहे थे और फुल मजा ले रहे थे। मेरे मम्मे बहुत ही खूबसूरत थे। बिलकुल सफ़ेद सफ़ेद और गोरे रंग के थे। अमर भैया जान ही नही पाए की वो अपनी बीबी को नहीं बल्कि अपनी बहन के दूध को दबा रहे है। मुझे भी खूब मजा मिल रहा था। फिर अमर भैया मुंह लगाकर मेरे नशीले दूध को पीने लगे और मजा मारने लगे। मैं आप लोगो को बता नही सकती हूँ की मुझे कितना मजा मिल रहा था। आज पहली बार मैं किसी मर्द को अपने मस्त मस्त दूध पिला रही थी। मैं भी जवानी के मजे लूट रही थी। अमर भैया मुझे भाभी समझ के मेरी नर्म नर्म कोमल छातियों को चूस रहे थे। उनको बहुत अच्छा लग रहा था।
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वो मेरी एक छाती को १० मिनट तक चूसते फिर दूसरी छाती को मुंह में भर लेते है पीने लग जाते। आधे घंटे तक यही खेल चलता रहा। अधेरे में मेरा हाथ उनके लंड से टकरा गया तो मैं जान गयी की उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और मुझे चोदने के लिए बिलकुल तैयार हो गया है। मेरे सगे भैया ने मेरी दोनों नर्म मुलायम छातियों को बहुत देर तक चूसा।
“जान….मेरे लौड़े को अपने हाथ से फेटो!!” अमर भैया बोले और मेरे हाथ में उन्होंने अपना ९” का मोटा और रसीला लंड पकड़ा दिया। आज पहली बार मैंने किसी असली लौड़े को हाथ में लिया था। इससे पहले तो मैं बस मूली, गाजर, बैगन को ही हाथ में लेती थी पर आज मुझे अमर भैया का असली लंड हाथ में लेने का मौक़ा मिला था। मैं जल्दी जल्दी उसके लौड़े को फेटने लगी। अमर भैया …..आआआआअह्हह्हह…. करने लगे। फिर मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड फेट रही थी। मेरा उनका लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था क्यूंकि मेरी भाभी रोज रात में मेरे भैया का लंड चूसती थी। इसलिए आज मेरा भी भैया का लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने भैया को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गयी और उनका लंड चूसने लगी।
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उनको बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे ताजे गुलाबी होठ उनके लंड पर जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहे थे। अमर भैया के हाथ मेरी बड़ी बड़ी ३६” की छातियों पर चले आये थे और वो मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबा रहे थे। मैं उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूस रही थी। और हाथ से जल्दी जल्दी फेट भी रही थी। कुछ देर बाद तो मुझे बहुत जादा मजा मिलने लगा और मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड चूसने लगी और हाथ से फेटने लगी। उनको सेक्स और चुदाई का भरपूर नशा चढ़ गया था। वो हाथ ने मेरी निपल्स को घुमा रहे थे और ऊँगली से ऐठ रहे थे। ऐसा करने से मुझे सेक्स का नशा चढ़ रहा था। फिर मैं बिलकुल से पागल हो गयी और अमर भैया के लौड़े को मैं लील जाना चाहती थी।
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इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लंड को चूस रही थी। भैया का सुपाड़ा तो बहुत खूबसूरत था और काफी नुकीला था। दोस्तों मैंने आधे घंटे तक अमर भैया का लंड चूसा। आज मैं किसी देसी रंडी की तरह पेश आ रही थी। फिर अमर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैरों को उसने अपने कंधे पर रख दिया। फिर उन्होंने मेरी चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा। उनका ९” का रसीला लौड़ा मेरी चूत में उतर गया और अमर भैया दनादन मुझे चोदने लगे। इससे पहले मैं अपनी बुर को बैगन और गाजर से चोद लिया करती थी। पर उसमे वो मजा नही आता था जो आज मैं उठा रही थी। मेरे सगे अमर भैया मुझे गच्चक गचाक चोद रहे थे। मैं “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई..अई..अई…..अई..मम्मी….” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। भैया मुझे भाभी समझ के पेल रहे है। मुझे बहुत जादा यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी। मैं अपने अमर भैया को सीने से चिपका लिया था और मजे से चुदवा रही थी।
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मैं किसी तरह का नाम नही ले रही थी वरना अमर भैया जान जाते की मैं उनकी बीबी नही बल्कि सगी बहन हूँ। वो चुदाई के नशे में बार बार मेरे गोरे चिकने गालों पर काट लेते थे और मुझे दनादन चोद रहे थे। मैं पूरी तरह से उनके कब्जे में थी और उन्होंने मुझे दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था। अमर भैया का लंड इतना मोटा था की जब वो अंदर मेरी चूत में जाता था जो मैं आगे की तरफ खिसक जाती थी। वो जल्दी जल्दी मुझे चोदकर मेरी बुर फाड़ रहे थे। मैं अँधेरे में मजे से अपने सगे भैया से चुदवा रही थी और जन्नत का मजा ले रही थी। आज मेरी चूत चुद गयी थी और आज पहली बार मैंने असली लंड खा लिया था। कुछ देर बाद बड़े भैया को और जादा जोश चढ़ गया और वो मेरे दूध पीते पीते मुझे बजाने लगे। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।
एक तो वो मेरे नर्म स्तनों को पी और चूस रहे थे और उधर मेरी चूत में जल्दी जल्दी लंड सरका रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ।।।।।।अअअअअ आआआआ।।। सी सी सी सी।।।। ऊँ।।ऊँ।।।ऊँ।।। बोल बोलकर चुदवा रही थी। कुछ देर बाद अमर भैया का माल छूट गया और उन्होंने मेरे भोसड़े में ही अपना माल गिरा दिया। मैंने उनको सीने से लगा लिया और उनके होठ चूसने लगी। दोस्तों १० मिनट बाद अमर भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो मेरी चूत पर आ गये और मेरी चूत पीने लगा। वो मुंह लगाकर मेरी हसीन बुर को चाट और चूस रहे थे। मेरे चूत के दाने को वो बार बार अपनी जीभ से चाटते थे और छेड़ते थे। मुझे चूत में सनसनी लग रही थी। फिर अमर भैया मेरी चूत के होठो को जीभ से चाटने लगे। मैं पागल हो रही थी।
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मैं चुदाई के नशे में उनके सिर को बालों को अपने हाथ से नोच लिया। अमर भैया बहुत ही एक्सपर्ट आदमी थे। उनको मालुम था की एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत चूत को किस तरह से अच्छे से चाटा जाता है। वो जल्दी जल्दी मेरी चूत पर अपनी जीभ हिलाने लगे। मैं बेकाबू हुई जा रही थी। मेरी चूत में आग लग गयी थी। जैसे मेरी चूत जल रही हो। फिर अमर भैया ने अपनी ३ उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। मैंने अपनी गांड हवा में उपर उठा दी। क्यूंकि मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। अमर भैया आज बड़े कायदे से मेरी चूत का शिकार कर रहे थे। वो मेरी चूत को अपनी ३ उँगलियों से चोद रहे थे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मुझे लग रहा था की मैं मरजाउंगी। अमर भैया की ३ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी बुर को चोद रही थी। फच्च फच्च की पनीली आवाज मेरे गुलाबी भोसड़े से आ रही थी। मेरी तो दोस्तों जान ही निकल रही थी। मैं बार बार अपने पेट और कमर को उपर उठा देती थी। क्यूंकि मुझे बहुत तेज यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी।
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अमर भैया ने ४० मिनट मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चोदा और भरपूर मजा लिया। इसी बीच मेरे सब्र का बाँध आखिर टूट गया और मेरी चूत का पानी झर्र झर्र निकलने लगा। शायद अमर भैया मेरी चूत का पानी पीना चाहते होंगे। वो अभी भी नही रुक रहे थे और मेरी चूत में से पानी निकाल रहे थे और मुंह में लेकर पी रहे थे। मेरी चूत में खलबली मच गयी थी। मेरा तो बुरा हाल था। फिर अमर भैया ने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे ह्पाहप चोदने लगे। ये मेरा दूसरा राउंड था। अमर भैया इस बार मेरे सेक्सी पतले पेट को सहला रहे थे और मेरी चूत को बजा रहे थे। वो मेरे उपर लेते हुए थे और मेरी चूत बजा रहे थे। मैं उनकी गिरफ्त में थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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