Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
मेरी बीवी और बहन दोनों आजकल एक जैसे ही कपडे पहन रही है जैसा की नई नवेली दुल्हन पहनती है. रात के करीब आठ बजे अचानक विजली चली गई थी निचे बहूत गर्मी था और मैं छत पर विछावन डाल कर बैठ गया और मैं शराब की बोतल निकाल कर पिने लगा, बस लास्ट पैक ही बचा था उसको ख़तम कर रहा था. निचे मेरी बीवी खाना बना रही थी, सोचा की निचे जाकर खाना थोड़ा कहूंगा और उसको आज गांड मारूँगा, तभी सीढ़ियों पे छन छन पायल की आवाज आने लगी मैं समझ गया की मेरी बीवी ऊपर आ रही है. मैं काफी नशे में था, तभी मुझे याद आया था की मैं नमकीन मंगवाया था वही लेके आई थी, पर पेग तो ख़तम हो चूका था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
मेरे करीब आकर बोली की लो, मैंने कहा मेरी जान जब दारु ख़तम हो गया तब नमकीन लाइ है. और हाथ पकड़ कर खीच लिया और चूचियां दबाने लगा. और कहने लगा, साली तुम आजकल रोज मुझे तड़पा रही है. मेरा लैंड आजकल हमेशा पेलने का मन करता है. और तुम है जो की काम में ही बीजी रहती है, मैं मैंने फटा फट ब्लाउज का हुक खोल दिया और चूचियां निकाल कर पिने लगा,
तभी बोल पड़ी क्या कर रहे हो? मैंने कहा चुप हो जा साली, कोई सुन लेगा, बस दस मिनट में ही काम तमाम कर देता हु, अँधेरा होने की वजह से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और बचा खुचा नशे में तो और भी पता नहीं चल पा रहा था. मैंने तुरंत ही पेटीकोट ऊपर कर दिया और पेंटी उतार दिया, इधर उधर देखा कोई ऊपर तो नहीं आ रहा है और लंड निकाल कर पेल दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
आह की आवाज आई तो मैंने कहा क्यों फट गई तेरी चूत क्या, साली आज तो और भी टाइट है, आज तो ऐसा लग रहा है जैसा की सुहाग रात के दिन लगा था, और मैंने चोदने लगा, जोर जोर से लंड को उसके चूत में डालने लगा, और मैंने फिर चूचियों को दबाते हुए चोदने लगा. और मैं खलाश हो गया क्यों की जल्दी चोदना था क्यों की कोई ऊपर आ जाता. मैंने कहा पहन ले पेंटी. वो उठकर बैठ गई और पेंटी पहन ली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
मैंने कहा कैसा लगा. वो बोली अच्छा लगा भैया, मैंने तो सन्न रह गया मेरी बहन की आवाज थी, मैंने कहा कौन रंभा? तो बोली हां भैया भाभी बोली की नमकीन दे आओ ऊपर और आपने वो काम कर दिया जो की बहन भाई में नहीं होता है. पर जो भी था अच्छा था, आपने मन खुश कर दिया, काश मुझे भी ऐसा लंड मिलता. मैं समझ गया की मेरी बहन एक नंबर की चुदक्कड़ है. भाई से चुद कर इसको कोई गीला शिकबा नहीं है. मुझे लगा की क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
तभी मेरी बीवी ऊपर आ गई मेरी बहन बैठी थी, मेरे पास ही, मेरी बीवी आकर बोली क्या बात है जी अँधेरे में आप बहन भाई क्या बात कर रहे है. ससुराल की कहानी सूना रही है क्या? मैंने कहा हां बोल रही है अपने ससुराल के बारे में, तभी मेरा मोबाइल बजा, मेरी ससुर जी का फ़ोन था तो मैंने अपने बीवी को फ़ोन दे दिया, मेरी बीवी वापस फ़ोन दे दी बोली पापा आपसे बात करना चाहते है, मैंने कहा मुझसे बोली हां,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
मैंने नमस्ते किया वो बोले बेटा कल सुबह वृन्दावन जा रहे है, तो सोचा की मोना (मेरी पत्नी) को भी और आपको भी ले चलु, मैंने कहा पापा जी कल तो मैं जा नहीं पाउँगा, सुबह ड्यूटी भी नहीं जानी है क्यों की कल पलवल में ही कुछ काम है, आप मोना को ले जाओ. मैं बाद में चला जाऊंगा, मोना ये सुनकर खुश हो गई, क्यों की वो वृन्दावन अपने पापा और मम्मी के साथ जाने बाली थी, मैंने कहा अरे मोना चली जाओ. कल घर में कोई भी नहीं होगा, कल सुबह माँ और पापा भी मां जी के घर जा रहे है, घर में सिर्फ मेरी बहन और मैं था, तो मैंने मन ही मन प्लान बना लिया की कल पूरा कपड़ा उतार कर, सारे माल का मुआयना कर के चूत मारूँगा.
हुआ भी सब प्लान के अनुसार, घर आठ बजे तक खाली हो गया, मेरी बहन और मैं बचा सिर्फ घर पे, उसके बाद मैंने में दरवाजा खूब अच्छी तरह से लॉक कर दिया, और अंदर आते ही. उसको गोद में उठा लिया और पलंग पर पटक कर, एक एक कपडे उतारने लगे, ओह्ह्ह दोस्तों मैं हिल गया, उसकी चूचियों को देखकर, गजब का सॉलिड था,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
बिच में पिंक छोटा सा निप्पल, फिर मैंने बाकी के कपडे उतार दिए, और निचे जाकर टांग को थोड़ा अलग अलग कर कर चूत को देखने लगा, मैंने कहा बहन तुम्हारी चूत तो गजब लग रही है अंदर लाल है. तो वो बोली हां भैया, वो ज्यादा चोद नहीं पाते है उनका लंड बहूत छोटा है. इतना सुनते ही मेरा लंड और कडा हो गया. और मैंने फिर उसके चूत को चाटने लगा. वो आह आह आह करने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
फिर मैंने उसके चूत पे लंड को सेट किया और दोनों हाथों से चूचियों को पकड़ा और जोर से धक्का दिया, और पूरा का पूरा लंड मैंने अंदर पेल दिया, वो आह आह आह करने लगी और मैंने जोर जोर से अंदर घुसाने लगा. वो भी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी. फिर तो दोस्तों मैं धन्य हो गया गजब की माल को पाकर,
कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं अपने बहन को इस तरह से चोद पाउँगा, फिर क्या था हम दोनों अलग अलग पोज में, एक दूसरे को संतुष्ट करते रहे, और दिन भर चुदाई चलती रही, आप यकीं नहीं करेंगे, वो अपना पैर फैला फैला कर चल रही थी क्यों की आज उसकी चूत की जबरदस्त चुदाई पहली बार हुई थी, तभी कोई दरवाजे पे आया और कुण्डी बजाया जल्दी जल्दी दोनों कपडे पहने वो दूसरे कमरे में चली गई. और मैंने जाकर गेट खोला तो मेरी पत्नी वापस आ गई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
भाभी समझ कर मुझे चोद दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
ये आपबीती मेरी प्यारी भाभी पायल की है.. मगर मेरी लिखी हुई है और उन्होंने मेरे कहने पर ही ये कहानियाँ अपने नाम से आप तक पहुँचाई हैं।
क्योंकि यह कहानी भाभी की जुबान में ज्यादा अच्छी लगेगी। अब इसके आगे की कहानी लिख रहा हूँ वो भी पायल भाभी की जुबानी है.. आनन्द लीजिएगा।
दोस्तो.. मेरे और महेश जी के सम्बंध के बारे में तो आप पढ़ ही चुके हैं.. कुछ दिन के बाद भैया की छुट्टियाँ खत्म हो गईं.. और भैया चले गए।
भैया के जाने के बाद भाभी और मम्मी-पापा के दबाव के कारण मैं ऊपर भाभी के कमरे में सोने लगी और इसका फायदा महेश जी को मिला।
मैं उनसे बहुत बच कर रहती थी.. मगर फिर भी मौका लगते ही वो जबरदस्ती मेरे साथ सम्बन्ध बना ही लेते थे और मैं कुछ भी नहीं कर पाती।
करीब दो महीने बाद महेश जी को कम्पनी की तरफ से घर मिल गया और वो अपने बीवी-बच्चों के साथ उस घर में रहने लगे.. मगर इन दो महीनों में महेश जी ने मेरे साथ तीन बार सम्बन्ध बनाए।
महेश जी के जाने के बाद मैं घर में आजादी सी महसूस करने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
कुछ दिनों के बाद भैया का तबादला ग्वालियर में हो गया, वहाँ पर उनको सरकारी क्वार्टर भी मिल गया.. इसलिए वो भाभी को साथ लेकर जाना चाहते थे और तब तक मेरा रिजल्ट भी आ गया था.. इसलिए पापा के कहने पर भैया ने मेरा एडमीशन भी ग्वालियर में ही बीएससी में करवा दिया।
भैया को जो सरकारी र्क्वाटर मिला.. उसमें एक छोटा सा डाइनिंग हॉल, किचन, लैट.. बाथ और दो ही कमरे थे.. जिनमें से एक कमरा भैया भाभी ने ले लिया और दूसरे में मैं रहने लगी।
कुछ दिनों तक तो नया शहर था इसलिए मेरा दिल नहीं लगा.. मगर धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया।
मैं खाना खाकर सुबह दस साढ़े बजे कॉलेज चली जाती और शाम को चार बजे तक घर लौटती थी.. उसके बाद कुछ देर टीवी देखती और फिर फ्रेश होकर रात का खाना बनाने में भाभी का हाथ बंटाती थी।
उसके बाद खाना खाकर रात कुछ देर पढ़ाई करती और फिर सो जाती।
धीरे-धीरे कॉलेज में कुछ लड़कियों से दोस्ती भी हो गई.. मगर कभी लड़कों से दोस्ती करने की मेरी हिम्मत नहीं हुई।
एक रात मैं पढ़ाई कर रही थी.. तो मुझे ‘इईशश.. श… श.. अआआह.. ह…ह.. इईशश.. श…श.. अआआह.. ह…ह..’ की आवाज सुनाई दी।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह आवाज किसकी है और कहाँ से आ रही है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
अपने आप ही मेरे कदम भैया-भाभी के कमरे की तरफ उठने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
उनके कमरे का दरवाजा अन्दर से बन्द था और लाईट जल रही थी। मैं जल्दी से कोई ऐसी जगह देखने लगी.. जहाँ से अन्दर का नजारा देख सकूँ.. मगर काफी देर तक तलाश करने के बाद भी मुझे कोई भी ऐसी जगह नहीं मिली.. इसलिए मैं दरवाजे से ही अपना कान सटाकर अन्दर की आवाजें सुनने लगी।
अब भाभी की सिसकियों की आवाज तेज हो गई थी.. जिन्हें सुनकर मुझे भी अपनी जाँघों के बीच गीलापन महसूस होने लगा था। कुछ देर बाद भाभी की सिसकियाँ ‘आहों और कराहों’ में बदल गईं.. और वे शान्त हो गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
मैं समझ गई कि उनका काम हो गया है और कभी भी दरवाजा खुल सकता है.. इसलिए मैं जल्दी से अपने कमरे में आकर सो गई.. मगर अब नींद कहाँ आने वाली थी।
उत्तेजना से मेरा बदन जल रहा था और मेरी योनि तो जैसे सुलग ही रही थी।
अपने आप मेरा हाथ योनि पर चला गया वैसे मुझे उंगली से अपना काम किए बहुत दिन हो गए थे।
जब से महेश जी मुझसे यौन सम्बन्ध बनाने लगे थे.. मैंने उंगली से मैथुन करना छोड़ दिया था.. क्योंकि उस समय मैं इतनी डरी रहती थी कि इन सब बातों के बारे में सोचने का ध्यान ही नहीं रहता था और वैसे भी मेरी वासना शान्त हो जाती थी।
मगर आज भैया-भाभी की उत्तेजक आवाजें सुनने के बाद मैं इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मैं उंगली से अपनी उत्तेजना को शान्त किए बिना नहीं रह सकी।
इसी तरह मैंने बहुत सी बार भैया-भाभी के कमरे में इस तरह की आवाजों को सुना और जब दिल करता तो उंगली से अपनी वासना को शान्त कर लेती थी।
इसी तरह से दो साल बीत गए और मैं बीएससी फाईनल में पहुँच गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
मगर इन दो सालों में मेरे शरीर और रंग रूप में काफी परिर्वतन आ गया, मेरा रंग पहले से भी अधिक निखर गया और शरीर भर गया, मेरी बगलों में बाल उग आए और मेरी योनि तो अब गहरे काले बालों से भर गई थी.. जिन्हें मौका लगने पर कभी-कभी मैं हेयर रिमूवर से साफ कर लिया करती थी।
मेरे उरोज इतने बड़े हो गए थे कि उन्हें सम्भालने के लिए अब मुझे ब्रा पहननी पड़ती थी और अब तो मुझे भाभी के कपड़े भी बिल्कुल फिट आने लगे थे।
अपनी आदत के अनुसार जब मैं सारे कपड़े उतार कर शीशे में अपने नंगे शरीर को देखती तो सम्मोहित सी हो जाती, बिल्कुल दूध जैसा सफेद रंग.. गोल चेहरा.. सुर्ख गुलाबी होंठ, बड़ी-बड़ी काली आँखें.. पतली और लम्बी सुराहीदार गर्दन.. काले घने लम्बे बाल.. जो कि अब मेरे कूल्हों तक पहुँचते थे।
बड़े-बड़े सख्त उरोज और उन पर गुलाबी निप्पल सामने वाले को चुनौती देते से लगते थे।
मेरी पतली कमर.. गहरी नाभि..पुष्ट और भरे हुए बड़े-बड़े नितम्ब.. केले के तने सी चिकनी व मुलायम जाँघें.. दोनों जाँघों के बीच गुलाबी रंगत लिए फूली हुई योनि।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
मेरा शरीर कद काठी में तो भाभी के समान ही था.. मगर रंग-रूप और सुन्दरता में अब मैं भाभी पर भारी पड़ने लगी थी।
जब मैं बन-सँवर कर कॉलेज जाती.. तो लड़के ‘आहें..’ भरने लगते और मैं अपने आप पर इतराने लगती थी।
एक दिन घर से पापा का फोन आया। पापा ने बताया कि मम्मी सीढ़ियों पर फिसल कर गिर गई हैं.. जिससे उनके हाथ की हड्डी टूट गई और सर पर भी चोट आई है।
भैया ने उसी दिन एक हफ्ते की छुट्टी ले ली और हम सब घर चले गए।
घर जाकर देखा तो मम्मी के हाथ पर प्लास्टर लगा हुआ था और सर पर भी पट्टी बँधी हुई थी। भैया के पूछने पर मम्मी ने बताया- बारिश के कारण सीढ़ियाँ गीली हो गई थीं.. और जब वो किसी काम से ऊपर जाने लगीं.. तो पैर फिसल जाने से गिर गईं।
अब मम्मी तो कोई काम कर नहीं सकती थीं.. इसलिए घर के सारे काम मुझे और भाभी को ही करने पड़ते थे। एक हफ्ता बीत गया और भैया की छुट्टियाँ समाप्त हो गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
भैया अकेले ही ग्वालियर जाने के लिए तैयार हो गए.. मगर पापा ने कहा- तुम्हारी मम्मी को तो ठीक होने में दो महीने लग जाएंगे। तुम अकेले कैसे रहोगे तुम्हें घर के काम की और खाने की परेशानी होगी। तुम पायल को यहीं पर छोड़ दो और बहू को अपने साथ ले जाओ।
मगर भाभी ने मना कर दिया और कहा- मैं यहाँ रह जाती हूँ.. और पायल को जाने दो.. नहीं तो दो महीने कॉलेज ना जाने पर उसकी पढ़ाई खराब हो जाएगी।
इस पर पापा ने भी सहमति दे दी।
मेरा अकेले जाने का दिल तो नहीं कर रहा था.. मगर अपनी पढ़ाई के कारण मुझे भैया के साथ ग्वालियर आना पड़ा।
शुरूआत में तो अकेले का मेरा दिल नहीं लगता था.. क्योंकि घर के इतने सारे काम अकेले करना और कॉलेज भी जाना मेरे लिए कठिन हो रहा था.. मगर धीरे-धीरे आदत सी बन गई।
मैं सुबह जल्दी उठ जाती और घर के सारे काम खत्म करके भैया के लिए दोपहर तक का खाना सुबह ही बनाकर रख देती थी।
उसके बाद मैं कॉलेज चली जाती और शाम चार साढ़े चार बजे तक कॉलेज से लौटती थी।
घर आकर मैं कुछ देर टीवी देखती और फिर नहाकर रात का खाना बनाने लग जाती।
भैया भी शाम साढ़े छः सात बजे तक घर आ जाते थे।
रात का खाना मैं और भैया साथ ही खाते और उसके बाद मैं कुछ देर अपने कमरे में पढ़ाई करती और सो जाती थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
इस तरह कुछ दिन बीत गए।
बारिश का मौसम था.. इसलिए हफ्ते भर से लगातार बारिश हो रही थी.. जिस कारण एक भी कपड़ा सूख नहीं रहा था और दो दिन से बिजली (लाईट) भी खराब थी। रात को मोमबत्ती की रोशनी से ही काम चलता था।
मेरे कपड़े ना सूखने के कारण मैं ब्रा और पैन्टी तो पहले से ही भाभी के पहन रही थी.. मगर एक दिन तो शाम को जब मैं नहाने लगी तो मेरे पास नहाकर पहनने के लिए एक भी कपड़ा नहीं था।
मैंने जो कपड़े पहन रखे थे बस वो ही सूखे थे.. इसलिए मैंने उनको अगले दिन कॉलेज में पहन कर जाने के लिए निकाल कर रख दिए और नहाकर अन्दर बिना कुछ पहने ही भाभी की नाईटी पहन ली।
वैसे भी एक तो बिजली नहीं थी.. ऊपर से रात में कौन देख रहा था। इसके बाद मैं खाना बनाने लग गई.. मगर तभी भैया ने फोन करके बताया- मैं एक पार्टी में हूँ.. मुझे आने में देर हो जाएगी.. और मैं खाना भी खाकर ही आऊँगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,697
Threads: 947
Likes Received: 11,483 in 9,516 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
119
अब तो मुझे बस मेरे लिए ही खाना बनाना था.. इसलिए मैंने थोड़ा सा खाना बनाकर खा लिया।
बिजली खराब थी और मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई कर नहीं सकती थी.. इसलिए मैं अपने कमरे में आकर ऐसे ही लेट गई।
बाहर बारिश तो नहीं हो रही थी.. मगर बिजली चमक रही थी और ठण्डी हवा चल रही थी.. इसलिए पता नहीं कब मेरी आँख लग गई।
कुछ देर बाद अचानक दरवाजे के खटखटाने की आवाज से मेरी नींद खुल गई।
मैं समझ गई कि भैया आ गए है। मैंने जो मोमबत्ती जला रखी थी.. वो खत्म होकर बुझ चुकी थी.. मगर खिड़की से इतनी रोशनी आ रही थी कि मैं थोड़ा बहुत देख सकती थी।
मैं जल्दी से दरवाजा खोलने चली गई और मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो भैया सीधे मेरे ऊपर गिर पड़े.. शायद वो दरवाजे का सहारा लेकर ही खड़े थे.. अगर मैंने उन्हें पकड़ा नहीं होता तो वो सीधे मुँह के बल फर्श पर गिर जाते।
भैया के मुँह से शराब की तेज बदबू आ रही थी। उन्होंने इतनी शराब पी रखी थी कि वो ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे।
मैंने भैया को पकड़ कर उनके कमरे में ले जाने लगी.. तो उन्होंने भाभी का नाम ले कर मुझे कस कर पकड़ लिया और कुछ बड़बड़ाने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
|