Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest शादी के बाद भी मेरी बहन चुदी नहीं मैंने चुदाई का सुख दिया
#41
6 महीने से रोजाना चुदवाती हूँ रात के अँधेरे में अपने छोटे भाई से
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#42
(13-11-2020, 02:13 PM)neerathemall Wrote:
6 महीने से रोजाना चुदवाती हूँ रात के अँधेरे में अपने छोटे भाई से
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#43
[Image: Hotz-236.jpg]https://www.nonvegstory.com/wp-content/u...tz-236.jpg
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#44
चुपचाप चुदाई एक बात भी नहीं होती है इसके सम्बन्ध में दिन भर कभी गलत निगाह से ना वो देखता है ना मैं देखती हूँ उजाले में, दिन में रिश्ता पाक है हम भाई बहन का पर रात के अंधेरे में जो होता है वही आपको इस कहानी के माध्यम से बताने जा रही हूँ।

कोई सोच नहीं सकता है जो इंसान दिन भर भाई बहन की तरह रहे दिन भर ऐसी कोई बात भी ना हो, 6 महीने से लगा नहीं की रात में क्या होता है। चुदाई भी चुपचाप होती है दोनों अपनी वासना को शांत कर लेते है जिस्म से खेलते हैं पर उस समय भी हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं करते मानो कुछ हुआ ही नहीं रात की बात रात तक।
अब मैं आपको अपनी पूरी कहानी विस्तार से बताती हूँ। मेरा नाम संध्या है मैं 21 साल की हूँ मेरा भाई मेरे से छोटा है। इसके अलावा मेरे मम्मी पापा हैं। एक कमरे में मम्मी पापा सोते हैं और एक कमरे में हम दोनों भाई बहन सोते हैं। हम भी दरवाजा लगा कर सोते हैं और मम्मी पापा भी दरवाजा लगा कर सोते हैं।
एक दिन की बात हैं मेरा भाई रात को डर गया था और वो काँप रहा था। रोने जैसा उसकी हालात हो गई थी उसकी मैंने पूछा क्या हुआ तो वो बोला डर लग रहा है। मैं बोली ठीक है सो जाओ डरने की कोई बात नहीं तो वो बोला दीदी बहुत डर लग रहा है तो मैं बोली चल आ जा मेरे साथ ही सो जा। मेरा बेड थोड़ा बड़ा था उसका बेड छोटा है। वो मेरे बेड पर आ गया और सो गया।

जब मैं गहरी नींद में थी तो वो मेरी चूचियां सहला रहा था। मैं भी जग गई थी, वो भी जगा हुआ था उसकी साँस तेज तेज चल रही थी। आपको पता होगा जो नींद में नहीं होता है सांस लेने का तरीका उसका अलग होगा है। मैं आँख बंद ही रखी और सोने का नाटक करने लगी। वो मेरी चूचिओं को सलहाता और हौले हौले से दबाता। मेरी बड़ी बड़ी गोल गोल चूची शायद उसको दीवाना कर रहा था। मुझे अच्छा लग रहा था मुझे लग रहा था की वो ऐसे ही दबाता रहे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#45
दोस्तों आपको तो पता होगा जब एक लेवल पूरा होता है तो दूसरे लेवल पर आना चाहता है मेरे कपडे के ऊपर से वो काफी दबा लिया था अब वो मेरे कपडे के अंदर से दबाने की कोशिश करने लगा। वो अपना हाथ मेरे गले के तरफ से अंदर कर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और मेरे निप्पल को छू रहा था। मैं कामुक होने लगी पर कुछ नहीं बोली वो भी आँखे बंद किये थे और मैं भी आँखे बंद की हुई थी। उसके बाद वो मेरी चूत को सहलाने लगा उसके बाद वो मेरी पेंट में हाथ घुसा दिया मेरी चूत काफी गरम हो गई थी पानी आ गया था गीली हो गई थी। मुझे लगा ये ठीक नहीं है तो मैं उसका हाथ पकड़ कर निकाल दी और घूम कर सो गई। उस दिन यहीं तक हुआ था।

दूसरे दिन दिन भर सब कुछ नार्मल रहा रात को सोने आ गए। पापा मम्मी भी सो गए थे अपने कमरे में मैं भी अपने बेड पर आ गई थी। मेरा भाई भी अपने बेड पर चला गया लाइट बुझ गई। नींद नहीं आ रही थी क्यों की कल रात की बात याद आ रही थी। सोच सोच कर मेरे बदन में गुदगुदी हो रही थी। आँख बंद किये वही सब सोच रही थी लग रहा था वो कल का सपना रहे हकीकत में कुछ भी नहीं हुआ हो। अचानक महसूस हुआ मेरा भाई अपने बेड से उठा गया मैं चुपचाप सोने का नाटक करने लगी। आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। तभी वो मेरे बेड पर आ गया। और मेरे साथ सो गया करीब आधे घंटे तक चुपचाप रहा। वो मेरे में टच भी नहीं किया उसे लगा की मैं सो चुकी हु।

तभी उसका हाथ मेरे बूब्स पर पड़ा. उस दिन मैं नाइटी पहनी हुई थी। अंदर कुछ भी नहीं पहना था ब्रा भी नहीं पेंटी भी नहीं मैक्सी पहन राखी थी, मैक्सी का गला भी चौड़ा था आराम से मेरी चूचियां बाहर आ सकती थी। वो मेरे बूब्स पर हाथ रखा दोनों बूब्स पर बारी बारी से, शायद वो नाप ले रहा था कितना बड़ा है। उसके छूने से ही ऐसा लग रहा था। फिर वो ऊपर से हाथ डाल दिया और डायरेक्ट मेरी चूचियों पर हाथ फेरने लगा। हम दोनों ही चुप, उसके बाद करीब दस मिनट बाद वो नाइटी को ऊपर कर दिया कमर से ऊपर और मेरी चूत को सहलाने लगा। उसकी दिन मैंने अपने चुत के बाल को साफ़ की थी तो चुत मेरी क्लीन थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#46
वो धीरे धीरे सहलाने लगा और फिर अपनी ऊँगली डालने लगा मैं अपने पैर फैला दी। वो चूचियों को दबाते हुए मेरे गाल पर हलके से किश किया मैं चुप रही वो भी चुप, वो मेरे होठ पर किस करने लगा दोनों की साँसे तेज तेज चल रही थी। तभी मैं करवट हो गई गांड उसके तरफ कर दिया। वो अब अपना हाथ आगे करके मेरी चूचियों को मसलने लगा। और मेरी चौड़ी गांड और गोल गोल चूतड़ को सहलाते लगा.

वो अपना लंड निकाल कर मेरे गांड में रगड़ने लगा। मेरी चूचियों को सहलाते हुए। मैं काफी गरम हो गई थी मेरी साँसे और तेज चलने लगी। वो अपना लैंड पीछे से मेरे चूत पर लगाया। मैंने अपना ऊपर वाला पैर उसके पैर के ऊपर रख दी यानी की बिच में जगह बन गया था मेरी चुत दोनों जांघो के बिच में खुली हुई थी वो थोड़ा सरक गया और एंगल लिया मेरे चूत और और अपने लंड का. घुसाने की कोशिश करने लगा पर जा नहीं रहा था मेरी चूत काफी टाइट थी। धीरे धीरे धीरे करके वो मेरे चुत में अपना लंड घुसा दिया।

अब वो धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। वो मुझे चोदने लगा तब भी मैं चुप थी वो भी चुप, वो धीरे धीरे स्पीड बढ़ाया मैं भी धक्के पीछे देने लगी। वो जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। अचानक वो आह आह करने लगा और पूरा माल मेरी चुत में डाल दिया मैं भी तब तक ठंढी हो गई थी और वो भी अपना माल निकाल चुका था अपना लंड चुत में से बाहर निकाला। मेरी मैक्सी को निचे किया और धीरे धीरे मेरे बेड से उतरकर वो अपने बेड पर सोने चला गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#47
सुबह हुई हम दोनों ऐसे ही नार्मल रहने लगे जैसे की कुछ हुआ ही नहीं। ना तो आँखे चुराना ना तो कुछ और, सब कुछ नार्मल।

दूसरे दिन रात को वही हुआ। मेरा भाई करीब रात बारह बजे फिर से मेरे बेड पर आ गया उस दिन मैं वैसे ही मैक्सी पहनी थी ना ब्रा ना पेंटी। आकर वो मेरे पास सट का सो गया मैं उस दिन करवट ले सोइ थी वो मेरे गांड में अपना लौड़ा रगड़ने लगा। मैं धीरे से अपने मैक्सी को ऊपर कर दी। वो मेरे गांड को हाथ से सहलाने लगा। फिर वो मेरी मैक्सी को और ऊपर कर दिया और निचे से पेट के तरफ से मेरी बूब्स को पकड़ लिया और अपने दो ऊँगली से मेरे निप्पल को मसलने लगे। मुझे तो आग लग गई मेरे तन बदन में। मैं सीधी हो गई और पैर फैला दी। वो मेरे ऊपर चढ़ गया। मेरे होठ को चूसने लगा मेरी चूचियों को दबाने लगा। मेरे चूत में अपना लंड रगड़ने लगा मैंने अपने दोनों ऊपर थोड़े ऊपर कर ली वो अपना लंड चूत में सेट किया और जोर से धक्का दिया। पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#48
वो चोदने लगा मेरी चूचियों को दबाने लगा मेरे होठ चूसने लगा। मैं भी उसके दोनों चूतड़ को पकड़ कर अपने तरफ खींचती ताकि उसका पूरा लौड़ा मेरे चुत में समा जाये अब मैं निचे से भी धक्के देने लगी ऊपर से वो निचे से मैं। दोनों एक दूसरे से कुछ भी नहीं बोल रहे हैं बस चुदाई कर रहे हैं। कारण वो तीस मिनट तक चोदा और हम दोनों एक साथ झड गए दोनों ठंढा पड़ गए। वो चुपचाप सोने चला गया और मैं भी सो गई।

दूसरे दिन जब कॉलेज गई तो गर्भनिरोधक गोली ले आई महीने में एक दिन खाती हु और रोज रात को मजे लेती हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#49
चोद-चोद कर जवान किया सगी बहन को
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#50
क दिन जब मेरी 21 साल की जवान बहन नहा रही थी तो मैं उसके खिड़की से छिप के देखने लगा। मेहर नँगी थी, बड़ी मस्त माल लग रही थी। वो अपनी मस्त मस्त छातियों में साबुन मल रही थी। बिना कपड़ों के आज पहली बार मैंने मेहर को देखा था। वो बिल्बुल कयामत लग रही थी। अपनी जवान बहन को देखकर मैं बड़ा बेचैन हो गया और उसे चोदने की तलब एकाएक उठ गई। चूं की अब मेरे घर में दो लोग ही बचे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#51
मैंने अपने कपड़े निकाल दिए। सीधा मेहर के पास आँगन में पहुँच गया। वो डर गई और दीवाल पर टंगी तौलिया उठाने लगी। मैंने मेहर को पकड़ लिया। इससे पहले की वो अपने मस्त मस्त मम्मो को ढँक पाती मैंने उसे दबोच लिया। और उसके होंठो को मैं चूमने लगा। वो विरोध करने लगी। मैं नही माना। उसके बूब्स पर मैंने अपने हाथ रख दिए और उसके हाथ पकड़ के उसके होठ पीने लगा। कुछ देर तक तो वो ना नुकुर करती रही। पर कुछ देर बाद वो मुझसे चूदने को तैयार हो गयी। दोंस्तों, उस दिन मेरे ऊपर साक्षात कामदेव सवार थे। मैंने अपनी सगी बहन को आँगन में लिटा लिया। वहाँ पानी पुरे फर्श पर पड़ा था। आंगन में खूब रौशनी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#52
गर्मियों के दिन में गीले फर्श पर लेटना बहुत सुखद अहसास दे रहा था। मेरी जवान और मस्त बहन जान गई थी की उसका भाई आज उसको चोदेगा। उसे पेलपेलकर उसकी बुर का भोग लगाएगा। मेहर जानती थी। मैं दिन के उजाले में मैहर को गीले फर्श पर लिटाये था। नल भी यहीं आँगन में लगा हुआ था। मैंने अपने कपड़े निकाल दिए थे। मैं पूरी तरह से नन्गा हो गया था। अपनी नँगी बहन को देख कर मेरा खून दौड़ रहा था। आज तो इसकी चूत लूंगा! मैंने खुद से ये बार बार कह रहा था। मैंने पास रखी बाल्टी से एक मग पानी निकाला और छपाक से अपनी बहन के मुँह पर डाल दिया।

हम दोनों भाई बहन बचपन की तरह खेलने लगे। वो भी जवाब में मेरे ऊपर पानी डालने लगी। हम दोनों भाई बहन का तन और मन दोनों भीग गया। मैहर के सारे बाल जो बहुत काले घने और लंबे थे पानी में भीग गये। हाय! मेरी बहन कितनी सुन्दर! कितनी गजब की माल है आज मुझे ये पता चला। लंबे भीगे बाल मेहर के एक कन्धे से किनारे की और किसी बेल की लता की तरह लटके हुए थे। सच में वो कामांगी लग रही थी। मैहर के होंठ भीगे हुए थे। गुलाबी रसीले होठ पर पानी की बूंदें उसे सनी लियोन जैसा लुक दे रही थी। भले ही वो मेरी सगी बहन थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#53
भले ही उसने मुझे राखी बांधी थी। पर आज तो मैं इसको चोदूंगा। आज तो मैं इस मस्त चिड़िया की डुग्गी लूंगा मैंने फैसला कर लिया था। मेहर भी मेरी ओर चुदासी नजरों से देखे जा रही थी। मैंने उसकी आँखों को चूम लिया। फिर उसके रसीले भीगे होंठ पीने लगा। कुछ देर बाद मैं चन्द्रमा जैसे सुन्दर उसके मम्मे पीने लगा। लग रहा था आज मुझे जीवन का सबसे बड़ा सुख जिसे दिव्यसुख कहते है मिल गया हो।

मेरी नजरें मैहर के मम्मो से हटती ही न थी। 2 बड़े बड़े चकोतरे जैसे भरी भरी गोरी मुलायम छातियाँ इतनी गजब की माल थी की मैं चाह कर भी अपनी नजरें उससे नही हटा पा रहा था। किसी महीने भर प्यासे की तरह मैं अपनी बहन की छतियों को पी रहा था। मेरे बाप ने मेरी माँ को चोद चोद के मेरी बहन को पैदा किया था। अब मेरी बहन भी चूदने लायक सामान हो गयी थी। मैहर का दूध मेरे मुँह में ठुसा हुआ था। मैं उसकी मस्त मस्त मुलायम छतियों का रसपान कर रहा था। उसके चुच्चों के शिखर पर काली काली निपल्स थी और निपल्स के चारों ओर बड़े बड़े महरून घेरे।

में अपनी मस्त बहन के चुच्चों पर फ़िदा था। बड़ी देर तक मैं बहन की छातियाँ पीता रहा। ऊपर वाले ने मैहर को बड़ी फुर्सत में बनाया था। उसके जिस्म का एक एक भाग बड़ी फुर्सत में ऊपर वाले ने बनाया था। हम दोनों पानी में भीगे हुए थे। मैंने मैहर को अपने में लपेट लिया था। उसके भीगे बाल तो कयामत ढा रहे थे। मैं मैहर की छतियों को पी रहा था। कभी पीता, कभी खेलते। कभी अपनी जीभ से उसकी निपल्स पर जल्दी जल्दी ब्रश सा करता। मैहर सिहर उठती। फिर निपल्स को मैं मुँह में भर लेता और पीता। दोंस्तों, बड़ी देर तक ये खेल चला। मैंने बहन के पेट को चूमने लगा। गोरा गोलाकार पेट और सुन्दर सी नाभि। मैंने झुककर नाभि को चूम लिया। मैहर शर्मा गयी।

मैंने उसकी नाभि में जीभ डाल दी और खेलने लगे, जीभ चलाने लगा। मैहर सिसकने लगी। फिर मैंने बहन का पेडू चुम लिया। बड़ा खूबसूरत पेड़ू। मैं मेहर की बुर पर आ गया। बड़ी खूबसूरत उभरी हुई गदरायी बुर थी उसकी। झाँटे निकल आयी थी जो बार बार बता रही थी की बहन चूदने को तैयार हो चुकी है। इसे चोदो। मेहर की झाँटे बार बार मुझे ये सन्देस दे रही थी। मैंने बहन की चूत पर एक मग पानी और दाल दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#54
चूत भीगकर और जादा चमकने लगी। मैं अपनी बहन की चूत पीने लगा। इससे पहले की मैं और मेहर की बुर पी पाता वो बोली भाई! अपना लौड़ा चुसा दो! मेहर बोली। मैं उसको मना ना कर सका। मैं भीगे गीले आँगन में फर्श पर लेट गया। मेहर आँगन पर गीले फर्श पर मेरे बगल ही बैठ गयी। वो मेरे मस्त गोल गोल लौड़े पर झुक गयी। मेरे लौड़े को उसने अपनी सीधे हाथ में भर लिया और जल्दी जल्दी फेटने लगी।
भाई! तुम्हारा लौड़ा तो बहुत बड़ा है! मैहर मासूमियत से बोली।
चूस लो बहन। अब ये तुम्हारा ही है। इसे चूस लो! मैंने उससे कहा।
मैहर खुश हो गयी। अब वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर जोर जोर से फेटने लगी।

मेरा लौड़ा बहन के हाथों की छुअन से बिलकुल खड़ा हो गया। किसी मिसाइल की तरह खड़ा हो गया। मेरा सुपाड़ा भी फूलकर खूब बड़ा हो गया था। बहन के नर्म नर्म हाथ, नाजुक गोरी उँगलियाँ मेरे लौड़े को फेट रही थी। सच में दोंस्तों, बहुत मजा मिल रहा था। फिर बहन मैहर झुक कर मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं आनंद में डूब गया।
बहन! तुमने कहाँ पर लौड़ा चूसना सीखा?? मैंने हैरत से पूछा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#55
भाई!! मेरी सहेलियों ने छिप छिपकर मुझे कई ब्लू फ़िल्में दिखाई थी। वहीँ मैंने इस तरह लौड़ा चूसना सीखा! मेहर ने जवाब दिया।
वो फिर से तल्लीन होकर मेरा लौड़ा चूसने लगी। मैहर के सनी लियोन जैसे मस्त गुलाबी होंठ मेरे लौड़े को पी रहे थे। मुझे बड़ी मौज आ रही थी। वो जोर जोर से अपने हाथों में लेकर भी मेरा लौड़ा फेट रही थी। मैहर मस्त होकर चुदेगी मैं जानता था। कुछ देर बाद तो दोंस्तों, मेरी हालत खराब हो गयी थी। लग रहा था कि मेरे लौड़े से माल निकल जाएगा। मैं अपनी कमर उठा रहा था। मैंने तो बड़ी देर तक मैहर से लण्ड फेटवाया और चुस्वाया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#56
अब मैंने उसको भीगे फर्श पर लिटा दिया। उसके पैर को फैलाकर मैं बहन की बुर पीने लगा। उसकी बुर बहुत खूबसूरत थी। मैं जीभ से उसकी बुर चाट चाटकर पी रहा था। बुर के होनो किनारे किसी नदी के बाँध की तरह उठे हुए थे और बीचों बीच गहरी बुर थी। मैंने हाथ से बुर के किनारे पकड़ के खोल दिए और चूत पीने लगा। मैहर कुवारी थी। किसी ने उसे नही चोदा था। आज अपनी बहन की चूत का उद्घाटन मैं ही करूँगा।

बड़ी देर तक मैं बहन की बुर पीता रहा। अपनी जीभ को मैं गोल गोल हर जगह बुर पर घुमा रहा था। मेहर सिसक और काँप रही थी। मैं उसे पुरे मजे देकर चोदना चाहता था। कुछ देर तक मैंने उसकी बुर पी। फिर मैं बैठ गया, मैहर जान गई की अब चुदेगी। उसने खुद अपने पैर खोल दिए। मैंने अपना लौड़े का सुपाड़ा उसकी बुर के छेद पर रख दिया। एक जोर का धक्का मैंने दिया। मेरा लौड़ा बहन के भोंसड़े में दाखिल हो गया था। इस मारामारी में उसकी बुर से खून भी निकल आया। पर गनीमत थी की मैहर दूसरी तरह देख रही थी। वरना सायद वो घड़बा जाती।

मैं जोर जोर से उसको पेलने लगा। मेरा मस्त गोल लौड़ा उसकी बुर की गहरायी को मैं नापने लगा। मेहर ने मुझे जोर से पकड़ लिया भाई! भाई!! वो सिसक सिसक कर कहने लगी। मुझे मौज आ गयी। और जोर जोर से मैं उसकी बुर चोदने लगा। कुँवारी बहन की कुंवारी चूत। मासूम मैहर को देख के मन मोह गया। उसका आँखें बंद करके मुझको पकड़े होना। उसकी कुँवारे होंठ, तीखी सुन्दर नाक पतला सुराही जैसा गला और गले पर तिल।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#57
सब चीजों ने मन को मोहित कर लिया था। मैं और भी उसके रूप का भूखा हो गया था। और जोर जोर से कमर चलाकर मैहर को चोद खा रहा था। वो काँप रही थी, सिसक रही थी, उसकी नाक बड़ी गर्म गर्म सांसें छोड़ रही थी। मैहर मुझसे चुद रही थी। मैं भीगे आंगन में उसपर लेट गया और उसके गोरे नँगे चिकने कन्धों को पकड़ के मैंने दांत से काट लिया। मैहर और भी जादा चुदासी हो गयी। मैं जोर जोर से पिछवाड़ा चलाकर उसको चोदने लगा।

कुछ देर बाद मैंने अपना लौड़ा उसके भोंसड़े से बाहर निकाला और बुर का सुराख़ देखा। मेरी प्यारी कमसिन बहन अब कुँवारी नही रह गयी थी। वो अब अपने भाई से चुद गयी थी। मैंने फिर से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया और उसको चोदने लगा। मैंने उसके मस्त मस्त मम्मो को हाथ में ले लिया था। मैं उसे दबाकर मैहर की बूर चोद रहा था। कुछ देर बाद मैं झड़ गया था। मैहर और मैं फिर से नहाने लगे। मैं पेट के बल आँगन में ज़मीन पर लेट गया। मैहर मेरी नँगी पीठ पर साबुन मलने लगी।
भाई! आज तुम मल मलकर नहलाऊंगी और गोरा कर दूंगी! मेहर बोली।
मैं मुस्काया। वो मेरे हाथ, कन्धों, पीठ, कमर, मेरे गोल गोल पूट्ठों, टाँगों, जाँघों पर साबुन मलने लगी। साबुन के झाग और बुलबुले से हम दोनों भाई बहन खेलने लगी। फिर उसने मेरे ऊपर कई मग पानी डाला। फिर मैंने भी अपनी जवान चुदासी बहन को नहलाया। हम दोनों अंदर कमरे में आ गए। जहाँ मैंने अपनी सेक्सी कमर पर एक हल्की तौलिया बाँध ली थी लुंगी की तरह। वहीँ 21 साल की जवान मॉल मेहर ने अपने सीने पर तौलिया लपेट ली थी। पर उसके पुस्ट उरोज चीख चीख के कह रहे थे की मुझे और पियो और चोदो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#58
मैंने बहन को एक बार ही अभी चोदा था। 2 सेकंड में ही मेरा लौड़ा फिर से गर्म होकर खड़ा हो गया था। मुझे शैतानी सूझी। मैंने अपनी कमर पर बंधी तौलिया की गांठ खोल दी। मैहर ने देखा तो हँस दी।
क्या भाई!! तुम्हारे इरादे कुछ नेक नही है! वो बोली।
मैंने बहन को झट से पकड़ लिया। और उसकी मस्त मस्त उभरी छाती पर बंधी तौलिया मैंने खिंच ली। एक बार फिर से मेरी मस्त गदरायी बहन नँगी थी। मैंने उसको पकड़ लिया और सीधा उसके होंठ पिने लगा। अब हम दोनों के बीच में शब्दों की कोई गुन्जाईस नही थी। मेहर जान गई थी वो और चुदेगी। मैं जान गया था अभी बहन को और चोदूंगा। मैंने मैहर को पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। एक बार फिर से उसके मस्त मस्त चिकने चुच्चों का भोग लगाने लगा। उसे पीने लगा। मेरी बहन सायद गली का सबसे मस्त माल थी। मैंने फिर से उसके दूध पीने लगा। अपने दाँत से उसकी काली काली निपल्स को चबाने लगा। खूब मजा मैंने किया।

फिर मैहर के पैर मैंने खोल दिए। अब उसकी बुर गीली नही सुखी थी। मैंने जीभ लगाकर पीने लगा। धीरे धीरे बहन की चूत तर हो गयी। मैंने अपना लण्ड लिया और अंदर उसकी बुर में घुसा दिया। और एक बार फिर से मैं मैहर को ठोकने लगा। मारे चुदास और सनसनी के उसने बिस्तर की बेडशीट को पकड़ लिया और जैसे जैसे मैं उसे पेलने लगा वो हाथ से बेडशीट को ऐंठने मरोड़ने लगी। मैहर ने आँखें बंद कर रही थी। दोनों हाथों में बेडशीट के किनारे थे। वो उनको ऐंठ रही थी। मैहर का मुंह खुला हुआ था। मुँह ने वो गर्म सांसें छोड़ रही थी। मैं जान गया था वो सेक्स टेंशन अनुभव कर रही है। मैहर के बाल अब सूख गए थे। काले रेशमी बाल उसका सौंदर्य थे जो बहन की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। लंबे काले घने बालों में वो कोई राजकुमारी जैसी लग रही थी। मैं अपनी बहन को पेल खा रहा था। उसे चोद रहा था। उसकी खूबसूरती को देख के मैं उसको और जोर जोर से लेने लगा। अअअअअ ऊऊऊऊ मम्मम्म!! मैहर मुनमुनाने लगी।

कुछ देर बाद तो वो और जोर जोर से आँहें भरने लगी। मैं बहुत गतिशील था और जोर जोर से अपने पैर और पिछवाड़ा चला चलाकर उसको चोद रहा था। मेरे धक्कों से उसके आम हिल रहे थे। मेहर बेडसीट की चादरों को अपनी मुट्ठी में भरकर भींच रही थी। और जोर जोर से ले रहा था। मैंने मैहर के आमों में अपने हाथ में ले रखा था। ऊउन्ह ऊऊहुँ उहुँ ऊऊहुँ!! वो आँखें बंद करके रंभा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#59
मैंने उस दिन अपनी सगी बहन को खूब आया। ये सिसलिसा खूब लम्बा चला। अब तो मैं हर दिन अपनी बहन को खाने लगा। मुझे उसकी बुर की आदत हो गयी तो मेहर को अपने भाई के लौड़े की आदत हो गयी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#60
मामा के लड़के ने मुझे बड़े प्यार से मेरे मम्मे पीकर चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)