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मैंने कहा, "हाँ, माँ की दी हुई सिख तुम कैसे अमल में ला रहे हो यह साफ़ दिखता है।" उस रात को तो यह बदन सिर्फ मेरा ही था, यह सोच कर मैं रोमाँच अनुभव कर रही थी। मैं उस रात सिर्फ उनकी बनकर रहना चाहती थी और चाहती थी की उस रात के लिए वह सिर्फ मेरे हों। मैं उनका पूरा बदन का स्पर्श उपरसे और अंदर से अनुभव करना चाहती थी। मैं उस रात के लिए उनका चोदने का खिलौना बनना चाहती थी। मैंने उनकी और देखा तो पाया की वह भी मुझे टकटकी लगा कर देख रहे थे। ख़ास तौर पर उनकी नजर मेरे पतलून पर थी। वह थोड़ा झुके और मेरी पतलून की रबर वाली खींचने वाली बेल्ट को नीचे खिसकाने लगे। योग के हाथ मेरी पतलून पर चले गए और अगले ही पल वो उसे निचे की तरफ खिसकाने लगे l मैंने झुक कर अपने हाथ एवं पॉंव से मेरी पतलून को निकाल दिया। अब सिर्फ पैंटी में खड़े हुए मैं कुछ शर्म के मारे अजीब सा महसूस कर रही थी। योग ने मुझे ऊपर से निचे तक देख कर कहा, "जानूं आपने तो कुछ नहीं देखा। देख तो मैं रहा हूँ। यह नजारा कोई मनमोहक सपने से कम नहीं है।" मैंने देखा की योग की नजर मेरी जाँघों के बिच में बने हुए त्रिकोणाकार के बिच में मेरी साफ़ सुथरी चिकनी चूत पर मंडरा रही थी। योग ने अपना हाथ मेरी चूत के टीले के ऊपर फिराना शुरू किया। उन्होंने महसूस किया की मैं मेरी चूत को पहले से ही शेव करके एकदम साफ़ कर के आयी थी। तो उन्होंने फिर कहा, "देखो, मेरी रानी तो अपनी चूत भी साफ़ करके आयी है। इसका मतलब यह हुआ की तुम तो पहले से ही मेरा रेप करने का प्रोग्राम बनाके आयी हो।" मैं योग की बात सुनकर हँस पड़ी और बोली, "मैं जानती थी तुम मेरे चंगुल से छटक कर कहीं नहीं जा सकते।"
योग ने मेरी चूत में दो उंगलियां डालनी चाहि तो मैं उत्तेजना के मारे काँप उठी। मेरी चूत में से तो जैसे फव्वारा सा निकला जा रहा था। योग की उंगलियां पूरी गीली होगयीं। मेरे देखते ही देखते योग ने अपनी उँगलियाँ अपने मुंह में डाली और मेरा रस चाट गया। फिर योग झुक कर मेरी टाँगों के बीचमें आगये और उनको फैला ना चाहा। मैं शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी। मैंने मेरी जांघें फिर सेसमेट लीं, तो योग ने मेरी और देखा और मुस्करा कर बोले, "जानूं, अब क्या लाज और शरम? छोडो यह सब। अब जब तुम्हें चुदना ही है तो शर्माना क्या? अब मैं तुम्हें चोदूंगा और मेरी जान शरमा ने से काम नहीं चलेगा।" उन्होंने फिर मेरी टांगें फैलाई। मैंने इस बार कोई विरोध नहीं किया। वह मेरे प्रेम छिद्र की जांच करने में जुट गए। मैं उनका इरादा समझ गयी। वह देखना चाहते थे की क्या उनका बड़े घोड़े जैसा लण्ड मैं ले पाउंगी या नहीं। योग ने मुझे अपनी बाँहों में लेकर पीछे से मेरी गाँड़ के गालोँ को महसूस करने लगे। थोड़ी देर उन्हें सहलाने के बाद वह बोले, "वाह! क्या कमाल की तुम्हारी गाँड़ है। कितनी चिकनी, कितनी कोमल और फिर भी कितनी करारी। मैं इन्हें चूमना चाहता हूँ। मैंने फ़ौरन जवाब दिया, "लो भाई, नेकी और पूछ पूछ! मैं आपकी हूँ, मेरा पूरा बदन आपका है और मेरा सब कुछ आपका है। योग ने मुझे घुमा दिया। मैं अपना मुंह पलंग की और कर मेरी गाँड़ छत की और कर के सो गयी। टेड ने झुक कर मेरी गाँड़ पर अपने होँठ रखे और वह मेरी गाँड़ के गालोँ को चूमने लगे।
उन्होंने मेरी गाँड़ पर करीब दो या तीन मिनिट तक अपने होँठ चिपका कर रखे और मेरी गाँड़ को चूमते ही रहे। बिच बिच में वह अपने मुंह की लार भी मेरी गाँड़ पर फैलाते रहे। वह मेरी गाँड़ को सहलाते रहे और धीरे से उन्होंने अपनी दो उँगलियाँ फिर से मेरी चूत में डाली। मेरी गाँड़ के बिच की दरार में जब वह उंगलिया डालते, तो मैं चौंक उठती। मैं डर जाती की कहीं योग मेरी गाँड़ मारने का प्लान तो नहीं बना रहे? मेरा चौंकना योग को अनोखी उत्तेजना देता था। शायद इस लिए वह थोड़ी थोड़ी देर के बाद मेरी गाँड़ की दरार में उंगली डाल देते। मैं धीरे धीरे समझ गयी की योग मुझे छेड़ना चाहते थे। उन्हें भी शायद गाँड़ मारना पसंद नहीं था। योग जब भी मेरे नंगे बदन की और देखते थे तब उनकी आँखों में मैंने एक भाव देखा। जैसे चकोर चन्द्रमा को एकटक देखता रहता है वैसे ही मेरे नंगे बदन को योग देखते रहते थे। यही बात तो वह लड़की ने मुझे कही थी। उसने कहा था की योग मुझे चकोर जैसे चाँद को देखता है अथवा जब वह नहीं होता तो उसका इन्तेजार करता है ऐसे ही देखते रहते या फिर मेरा इन्तेजार करते थे। मैं चाहती थी की कब वह वक्त आये की योग मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लण्ड पेलना शुरू करें पर योग थे की मेरे नंगे बदन को देख कर उन का दिल ही नहीं भर रहा था।
मेरी गाँड़ से अच्छी तरह से खेलने के बाद उन्होंने मुझे पलटा और मुझे मेरी गाँड़ और पीठ पर बिस्तर पर लिटा दिया। अब वह मेरे बालों से लेकर मेरी जाँघों के बिच खिला हुआ मेरी चूत का त्रिकोणाकार देखने लगे। पहले उन्होंने मेरी आँखें चुमी। काफी देर तक वह मेरी आँखें और मेरी गर्दन को चूमते रहे। फिर उन्होंने मेरे पके हुए फल के सम्मान दो स्तन गुम्बजोँ को देखा। थोड़ी देर देखते ही रहे। मैंने उनकी चकोर जैसी आँखों का राज जानना चाहती थी। मुझ से पूछे बिना रहा ना गया। मैंने योग से पूछा, "योग मेरे सवाल का सच्चा जवाब दोगे?" योग ने मेरी और अचरज से देखा और हाँ कहा तो मैंने पूछा, "यह तुम मुझे ऐसे एकटक क्यों देख रहे हो?" योग ने बिना झिझके जवाब दिया, "तुमने मुझे सच बोलन के लिए कहा है। तो मैं बताता हूँ की तुम ऐसे लेटी हुई बिलकुल हूबहू मेरी बीबी कनिका ही लग रही हो। मुझे माफ़ करना पर उसकी याद मेरे जहन से जा नहीं रही।"
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मैंने कहा, "भला इतनी प्यारी बीबी की याद आपके जहन से क्यूँ जानी चाहिए? कोई जरुरत नहीं उसे भूलने की। मैं तुम्हारी कनिका ही हूँ। मुझे तुम अपनी कनिका समझ कर ही प्यार करो। मुझे अपनी कनिका ही समझ कर तुम मुझे पूरी तरह से मन भरने तक चोदो। मैं कनिका को भुलाने नहीं मैं तुम्हारी कनिका बनकर आयी हूँ।" योग मेरी बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। झुक कर उन्होंने मेरी दोनों निप्पलोँ को चूमा। अपने होँठ थोड़े और दबाकर वह मेरे स्तनोँ को देर तक प्यार से चुम्बन करते रहे। योग ने फिर मेरे स्तनोँ को चूसना शुरू किया। और चूसना भी कैसा? उन्होंने मेरे स्तनोँ को इतने जोश से चूसा की मेरे स्तन जैसे उनको मुंह में ही चले गए। जैसे वह मेरे स्तन को निगल ही गए हों! उनके इतनी ताकत से मेरे स्तनोँ को चूमने के कारण मेरे स्तन भी लाल हो गये।
उनकी नजर मेरी कमर से हट ही नहीं रही थी। वह मेरी ढूंटी (नाभि) में अपनी जीभ डाल कर चाटते रहे। मैंने योग से पूछा, "कनिका आपसे कैसे चुदवाती थी?" योग ने जवाब दिया, "कनिका बाहर से एकदम शालीन लगती थी। पर बैडरूम में कपडे निकालने के बाद वह आग का गोला थी। मेरा मोटा लण्ड उसे बहुत पसंद था। वह कई बार कहती थी की उसे मुझसे चुदवाने में जो दर्द होता है, उससे कहीं ज्यादा उसे अद्भुत आनंद मिलता है। वह मेरे लण्ड को बहुत प्यार करती थी और सख्त चुदाई के बाद वह थक जाती थी तो भी मेरे लण्ड को अपने हाथों में ही पकड़ कर सो जाती थी और जैसे ही वह करवट बदल कर मेरे सामने आती तो भरी नींद में भी वह मेरा लंड पकड़ लेती और फिर खर्राटे मारती हुई लेट जाती थी।" योग ने आगे कहा, "वह चुदवाने से पहले फोरप्ले में बहुत उत्तेजित हो जाती थी। उसे अपनी चूत चुसवाना बहुत पसंद था। क्या तुम्हें भी पसंद है?" मैंने कहा, "भला, किस औरत को अपने पसंदीदा मर्द से अपनी चूत चुसवाना पसंद ना होगा?" योग ने सुनते ही मुझे खींचा और पलंग की किनारी पर ले आये। वह खुद फर्श पर बैठ गए और मुझे अपने पॉंव निचे लटकाने को कहा। फिर उन्होंने मेरे पाँव फैलाये और खुद बिच में जा बैठे। मेरी चूत उनके मुंह के बिलकुल सामने थी। उन्होंने मुझे लेटने को कहा और अपनी जीभ से मेरी चूत के होँठों को चाटने और सहलाने लगे। अपनी जीभ से वह मेरी चूत के एक होँठ को खींचते, चाटते और फिर छोड़ देते। उनको पता था की कहाँ जोभ फिराने से औरतें ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं।
योग के मेरी चूत में जीभ फिराने से मैं अपना आपा खो बैठी थी। कई महीने हो गए की किसी मर्द ने मेरी चूत चाटी थी। मेरे पति को फोरप्ले में कोई रस नहीं था। वह ऑफिस से थक कर आते थे और मुझे जल्द बाजी में चोद कर फ़ौरन सो जाते थे। योग ने अपना मुंह मेरी जाँघों के बिच से निकाला और अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डालदी। इससे पहले भी वह मेरी चूत में उँगलियाँ डाल चुके थे पर उस समय उन्हें मेरा स्त्री रस चाटना था। अब वह मुझे उँगलियों से चोदना चाहते थे। मैं वैसे ही उनकी जीभ के मेरी चूत के साथ छेड़खानी करने के कारण बड़ी गरम होरही थी। योग को कैसे पता लगा की मैं चूत में उंगलिया डालकर उँगलियों से चोदने पर पागल हो जाती हूँ। शायद हर औरत की यह कमजोरी होगी। जैसे ही योग ने मुझे उँगलियों से चोदना शुरू किया की मुझसे रहा नहीं गया। योग मेरी सारी कमजोर जगहों को जैसे भली भाँती जानते हों ऐसे वहीं पर अपनी उंगली रगड़ते थे जहाँ छूने से ही मैं मचल उठती थी।
जैसे जैसे योग अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहे, मैं बिस्तर पार आह्ह.. ओह्ह्ह... कर अपनी गाँड़ उठा कर बिस्तर पर रगड़ती रही। योग ने अपनी उँगलियों से चोदने की फुर्ती बढ़ाई की मेरी गाँड़ रगड़ने की रफ़्तार भी बढ़ने लगी। साथ साथ चूत में फड़फड़ाहट भी बढ़ने लगी। मेरी चूत का रस का स्राव नहीं रुक रहा था। मैं उन्माद से पागल हो रही थी। मैं झड़ ने वाली ही थी। मैं अपनी कराहट रोक नहीं पायी। मैंने योग का सर पकड़ा और बोल पड़ी, "योग आआआ.... हहह.... मत रुको, मैं झड़ने वाली हूँ। ओह्ह्ह..." थोड़ी ही देर में ही मेरी कमर बिस्तर पर ही उठाकर मैं ने एक बड़ी आहहह... भरी और मैं इतनी जोर से झड़ गयी की पता नहीं ऐसा कभी हु था या नहीं। जैसे ही मैं झाड़ रही थी की योग ने उँगलियों से मुझे चोदना बंद किया और मुझसे लिपट गए और मेरे होँठों से होँठ मिलकर मुझे गढ़ आलिंगन में लेकर मुझे चूमने लगे। चूमते चूमते भावुक होकर बोलने लगे, "मेरी प्यारी कनिका। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम मुझे छोड़कर क्यों चली गयी?"
मैंने भी उतने ही आवेश से योग को चुम्बन करते हुए कहा, "डार्लिंग मैं वापस आ गयी हूँ ना? क्या अब तुम मेरे वापस आने से खुश नहीं हो?" योग ने कहा, "मैं तुम्हारे आने से बहुत खुश हूँ।" योग मुझे साँस भर राहत देने के लिए रुके। पर मैं रुकना नहीं चाहती थी। मैं योग से रात भर चुदना चाहती थी क्यूंकि अगला दिन इतवार था। मुझे ऑफिस नहीं जाना था। घर में मेरा इंतजार करने वाला कोई नहीं था। मैंने योग को कहा, "अब बहुत हो गया। मैं तुम्हारे इस घोड़े जैसे लण्ड को मेरी छोटी सी चूत में डलवाना चाहती हूँ। मेरी छोटी सी चूत को आज तुम अपने मोटे लंड से चौड़ी बना दो। हालांकि मैं जानती हूँ की मुझे कष्ट होगा पर जानूं तुम्हारी कनिका कष्ट झेलने के लिए तैयार है।" मैंने योग को खींच मेरे ऊपर चढ़ने के लिए खींचा। मैं बिस्तर पर निचे लेट गयी और योग को मेरे ऊपर चढ़ाया। उसका मोटा लण्ड मेरे पेट को चोंच मार रहा था। मैंने उसका मुंह मेरे हाथ में पकड़ा और अपने होंठ योग के होँठों से मिला दिए l योग की दाढ़ी मुझे मेरे गालों पर चुभ रही थी पर मुझे अच्छी लग रही थी। मैं योग के होँठों पर अपनी जीभ फिराने लगी। योग के होँठ बड़े रसीले लगते थे। उसके मुंह की लार मेरे मुंह में जा रही थी। मैं तो योग के लण्ड से उसका वीर्य मेरी चूत में डलवाने के लिए तैयार थी तो भला उसके मुंह की लार से क्या दिक्कत?
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16-08-2019, 07:13 PM
(This post was last modified: 16-08-2019, 07:14 PM by usaiha2. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने योग के मुंह से निकली लार चाटी। इसे देख योग मुस्कुराये। मैंने योग से कहा, "जनाब आपका शिकार आपके लण्ड का इंतजार कर रहा है। अब इंतजार किस बात का?" योग ने कहा, "तुम मेरा शिकार नहीं, मेरे लिए वरदान हो। तुमने आज मुझे एक कड़वाहट भरे इंसान से अच्छा इंसान बनाया है। मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ?" मैंने कहा, "जनाब, अब तुम मुझसे अच्छे शब्द प्रयोग ना करें l मेरे सपने में तुम ने मुझे बहोत गंदे गंदे शब्द कहे थे। मुझे राँड़ कहा था, वेश्या कहा था, मेरी चूत को भोसड़ा कहा था। मुझे थप्पड़ भी मारा था। वह तुम्हारा रूप डरावना था l पर अब मैं तुमसे डरने वाली नहीं हूँ। मैं जानती हूँ की तुम मुझसे बहुत प्रेम करते हो। जो व्यक्ति बहुत प्रेम करता हो तो उसकी गालियां भी अच्छी लगती हैं l मैं आक्रामक चुदाई करवाना चाहती हूँ। तो तुम मुझे ऐसे चोदिये जैसे तुमने कभी संजना को चोदा था या फिर उससे भी ज्यादा आक्रामक तरीके से चोदो। मुझे आपने जैसे सपने में कहा था कहिये। आज मैं आपकी रखैल बनना चाहती हूँ। मुझे बेशक गन्दी गालियां दो, कुछ भी कहो, मुझे अच्छा लगेगा। " योग ने मेरे गाल पर अपने होँठ रखे और मुझे अपने दांतों से जोर से काटा। मेरी चीख निकल गयी। फिर वह बोले, "तुम मेरी प्यारी कनिका हो या प्रिया हो। मैं तुम पर कभी हाथ नहीं उठा सकता। पर मेरी कनिका भी जब बहुत चुदवाने के मूड में होती थी तो वह भी मुझे गंदे गंदे शब्द बोलने को कहती थी। जब मैं उसे छिनाल, राँड़ ऐसे कहता था तो वह मुझसे लिपट जाती थी और कहती थी, "मैं छिनाल या राँड़ ही सही, पर मैं तुम्हारी हूँ।" फिर मुझे ही गालियां निकालती थी और कहती थी। "इतना मोटा लण्ड लेकर घूमते हो पर इस लण्ड को अगर मेरी चूत में डाला नहीं तो फिर किस काम का? साले डालो इसे जल्दी और तुम्हारी राँड़ की भूख शांत करो।"
मैंने योग के होँठ फिर से जोश से चूमे और मेरे होँठों को उसके होँठों पर रख कर के ही बोली, "साले सपने में तो तू इतनी बहादुरी दिखा कर बड़ा शूरवीर बनता था। अब तुझे क्या हो गया है? क्या तेरा यह लण्ड ढीला पड़ गया?" योग मेरे मन की इच्छा समझ गए और बोले, "राँड़ मेरे लौड़े की ताकत तुझे देखनी है? तो मैं तुझे अभी दिखाता हूँ। जब मैं तुझे चोदुँगा तब अगर तूने चिल्ला चिल्ला कर मुझे रुकने के लिए ना ना कहा तो मैं कभी किसी औरत की चूत में यह लण्ड नहीं डालूंगा।" योगराज की बात सुनकर मैं डर गयी। मैंने धीरे से सहमे से कहा, "योग नहीं यार ऐसा मत करना। मैं तो गन्दी गन्दी बातें उकसाने के लिए कह रही थी। तुमने तो इसे सीरियसली ले लिया।" योग हँस पड़े और बोले, "तो मैं कौन सा सीरियसली कह रहा था? मैं मेरी प्यारी प्रिया को रुलाऊंगा क्या? और फिर तुम्हें मुझे उकसाने की कोई जरुरत है क्या? इसे देखो यह तो कभी का तुम्हारी चूत को चोद ने के लिए फनफना रहा है।" योग ने अपने खड़े मोटे ऊपर की तरफ मुंह किये हुए लम्बे छड़ सामान लण्ड की और इशारा करते हुए कहा। मुझे यह सुनकर अच्छा लगा की योग धीरे धीरे मुझे कनिका से अलग प्रिया मानने के लिए तैयार हो रहे थे। योग ने बड़े प्यार से मेरी टाँगों को उठाकर अपने कंधे पर रख दिया। फिर वह थोड़ा झुक कर मेरी चूत को गौर से देखकर बोले, "जानू तुम्हारी चूत का द्वार वाकई में छोटा है। मेरा लौड़ा डालने से तुम्हें जरूर कष्ट होगा। पर धीरे धीरे कष्ट कम होगा और बादमें हम खूब एन्जॉय करेंगे। मैं मेरी प्रिया की चूत का ध्यान रखूंगा. ओके?"
मैंने आँखें मुंद कर हामी भरी और योग का लण्ड हाथ में पकड़ा और उसे मेरी चूत के छिद्र की नोक पर रखा।
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तब अचानक योग बोल उठे, "जानूं, क्या मैं कंडोम पहनलूँ?" मैं नहीं चाहती थी की उस रात मेरी और योगके बिच कोई प्लास्टिक आये। मैंने कहा, "योग डार्लिंग, आज की रात मैं अपनी चूत और तुम्हारे लण्ड के बिच कोई भी अवरोध आने देना नहीं चाहती। वैसे तो यह पीरियड गर्भ धारण के अनुकूल नहीं है फिर भी यदि तुम्हारे वीर्य से मुझे गर्भ हुआ तो मैं उसे अपना सौभाग्य समझूंगी और मैं मेरे पति को बता दूंगी की मैंने तुमसे चुदवा कर यह गर्भ धारण किया है l मैं अपने पति से कई सालों से चुद रही हूँ और पिछले कुछ सालों से तो हमने कोई सुरक्षा नहीं अपनायी। पर कोई गर्भ धारण नहीं हुआ। वह मुझे माँ नहीं बना पाए। अब तुमसे अगर मुझे कोई बच्चा हुआ तो मैं उसे बड़ा करुँगी और उसे योग कुमार या योग कुमारी का नाम दूंगी। मेरे पति को अगर कोई शिकायत हो तो मैं उससे तलाक लेने के लिए तैयार हूँ, चाहे तुम मुझे अपना साथी बनाना चाहो या नहीं।' योग ने कहा, "मेर सौभाग्य होगा अगर तुम मेरी पूरी जिंदगी के लिए मेरी पत्नी बनो। मेरी दूसरी कनिका को पा कर मेरा जीवन सफल हो जाएगा।"
पिछले कुछ महीनों से मेरी चुदाई हुई ही नहीं थी। मेरे पति विदेश गए हुए थे। अजित से ब्रेक अप हो गया था। शायद इसलिए मेरा छिद्र और भी छोटा दिख रहा था। अब मुझे भरोसा था की योग से बार बार चुदवाकर मेरा छिद्र चोदने लायक तो हो ही जाएगा। खैर, मैंने योग के लण्ड को अपनी चूत की पंखुड़ियों पर रगड़ा जिससे उसका लण्ड चिकनाहट से लिप्त हो जाए। अच्छी तरह स्निग्ध करने क बाद मैंने एक हाथ की मेरी उँगलियों से मेरी चूत की दोनों पंखुड़ियाँ खोली और दूसरे हाथ से योग का लण्ड मेरी उँगलियों में पकड़ कर मेरे छिद्र में धीरे से घुसेड़ा। उसके लण्ड के थोड़े से प्रवेश होने पर ही मुझे रोमांच हो उठा और मेरे रोंगटे खड़े हो गए। अब यह चिंता थी की आगे क्या होगा। क्या योग का मोटा लण्ड मेरी छोटी सी चूत में घुस पायेगा? और अगर घुस भी पाया तो मुझे कितना दर्द देगा। मुझे डर ज्यादा था, क्यूंकि योग का लण्ड देखते ही मेरी हालत खराब हो जाती थी। ऐसा लगता था योग की दोनों झांघों के बिच किसीने रबर का एक सॉलिड पाइप घुसेड़ दिया हो। मैं जानती थी की ऐसे कोई दिक्कत नहीं होती है। एक बार स्त्री जब वयस्क हो जाती है तो उसकी चूत बड़ा लण्ड भी ले सकती है। बल्कि बड़े लण्ड से चुदवाने में उसे और भी मजा आता है क्यूंकि उसकी चूत का पूरा हिस्सा लण्ड के साथ अच्छी तरह से जब रगड़ता है तो फिर स्त्री को एक गजब की ऊंचाई का अनुभव होता है जिसे बताना बड़ा मुश्किल है। वह एक अजीब सा नशा है जो औरत और मर्द दोनोँ महसूस करते हैं। सेक्स में कुछ ऐसा अनोखा उत्तेजक उन्माद झटका लगता है की जिसका अनुभव करते ही बनता है।
यह अजीब सा अनोखा अनुभव भगवत कृपा से ही इंसान और दूसरे जानवरों को प्राप्त है। इसी लिए तो पुरुष और स्त्री चोदते हैं। अगर चुदाई की क्रिया ना हो तो संसार कैसे चलेगा।? कई बार हम सोचते हैं की भगवान् को इंसानों की चुदाई की क्रिया पसंद नहीं है। शायद इसीलिए संत महात्मा कहते हैं स्त्रियों के संग से दूर रहो। पर भगवान् ने ही तो पुरुष और स्त्री में जातीयता की भावना दी है ना? पुरुष स्त्री की और, और स्त्री पुरुष की और क्यों आकर्षित होते हैं? क्यों की यह भाव भगवान् ने ही दिया है। इस लिए स्त्री पुरुष का मिलन यानी चोदना वर्ज्य नहीं है। संत लोग यह इस लिए कहते हैं यदि आप भगवान् का भजन एक निष्ठा से करना चाहते हैं तो यह आकर्षण उस में बाधा देता है। परन्तु यहां भी भगवत इच्छा ही आती है। अच्छे अच्छे महात्मा स्त्री का अवैध संग भी करते हैं तो यह साफ़ हो जाता है की वह सिर्फ दिखावा ही करते हैं और लोगों को धोखा देते हैं। चुदाई करने की इच्छा से या कोई भी कारण किसी भी स्त्री पर जबरदस्ती करना या उस पर मानसिक या शारीरिक अत्याचार करना अथवा अभद्र व्यवहार करना वर्ज्य है। वह ना सिर्फ सामाजिक बुराई बल्कि घोर पाप है। किसी भी नाबालिग को लुभाकर या ताड़ कर यौन व्यवहार करना घोर अपराध या पाप है। कानूनन भी इसकी कड़ी सजा होनी चाहिए और है। एक बात और। हमारे समाजने नियम बनाये हैं की किसीकी पत्नीसे चुदाई नहीं करनी चाहिए, पर आजकल सामाजिक तनाव या चुदाई के अभाव के कारण शादी शुदा स्त्रियां अलग अलग पुरुषों से चुदवाती हैं या शादी शुदा पुरुष अलग अलग स्त्रियों को चोदते हैं। आपस की सहमति से अगर यह होता है तो यह भी वर्ज्य नहीं माना जाना चाहिए। कई बार पति या पत्नी लज्जा या सामाजिक ग्रंथि के कारण सीधे सीधे इजाजत ना दें पर उनकी मौन अनुमति होती है ऐसा भी मैंने देखा है। हमारे समाज में स्त्रियों का स्थान पहले से ही ऊंचा रहा है। पर आजकल उनपर होते हुए अत्याचार या मानसिक यातना देख कर हम सब जो समझदार हैं उनका का दिल पसीज जाता है। सब लेखक और पाठक गण से प्रार्थना है की ऐसा ना करें और ना होने दें।
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मेरी चूत दूसरी औरतों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही टाइट थी। मेरे पति और अजित ने उसका अनुभव किया था। दोनों ही मेरी चूत के दीवाने थे। दोनों का ही कहना था की दूसरी औरतों के मुकाबले उन्हें मुझे चोदने में एक अलग ही आनंद का अनुभव होता था। मेरी चूत चोदने वाले का लण्ड इतना टाइट पकड़ती थी की चोद ने वाले को मजा ही आ जाता था। मुझे लगा की अजित के मोटे लंड से कई रात चुदवाने के बाद मेरी चूत शायद थोड़ी ज्यादा चौड़ी हो गयी होगी। अजित से चुदवाये हुए काफी समय हो चुका था और उस बिच में मेरी चूत फिर सिकुड़ गयी होगी। योग ने मेरे इशारे पर अपना लण्ड मेरी चूत में थोड़ा घुसेड़ा। योग के लण्ड के घुसते ही मेरे पुरे बदन में एक अजीब सी सिहरन फ़ैल गयी। मेरी कई महीनों की इच्छा उस रात फलीभूत हो रही थी। मैंने योग को मेरी गाँड़ ऊपर उठाकर धक्का मारा जिससे उसका लण्ड मेरी चूत में और घुसे। मैंने तय किया की जो होना है सो हो; उस रात मैं योग से खूब चुदाई करवाउंगी। योग का लण्ड घुसते ही मुझे दर्द तो हुआ पर मैं उसको सहने के लिए तैयार थी। मैं जानती थी की दर्द के आगे मजा है। शायद योग थम कर मुझे समय देना चाहते थे। पर मैं इंतजार के मूड में नहीं थी। मैंने योग की पीठ में मेरी उंगलियां और नाख़ून गाड़ कर इशारा दिया की वह मुझे चोदना शुरू करे। योग ने धीरे से अपना लंड और घुसेड़ा और उसका लण्ड मेरी चूत की गहरायिओं में समाने लगा। मुझे दर्द तो काफी हुआ पर अब मैं रुकने वाली नहीं थी। योग ने धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू किया। योग के लण्ड को मेरी चूत की गहरायिओं में महसूस करते ही मैं सातवें आस्मां को छूने लगी। मेरी चूत में मेरे रस का फव्वारा छूट पड़ा था। शायद योग ने भी उसे महसूस किया होगा। वह मेरी चूत में अपना लण्ड पेलते हुए मुस्करा दिए। मैं उनको देख कर शर्मायी और मुस्करायी। योगने झुक कर मेरी चूतमें अपना लण्ड रखते हुए मेरे होंठों को बड़े प्यार से चूमा और मेरे होंठों को चूसने लगे। मैंने योग की कमर के इर्दगिर्द मेरी बाहें फैलायीं और उनको मेरी बाहों में ले लिया और उनको अपने और खींचा और अपनी कमर उठाकर उन्हें मुझे चोदना जारी रखने को इंगित किया। योग भी शायद कई महीनों से मुझे चोदने को बेताब थे। पर पता नहीं क्या हुआ की योग ने अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाला और आगे बढ़कर मेरे होँठों को बड़े प्यार से चूमने लगे। मैं हँस पड़ी और मैंने पूछा, "जानूं, क्या हुआ? चुदाई करने का मूड नहीं है क्या?"
योग ने कहा, "प्रिया, मुझे तुम पर इतना प्यार आता है की जब तुम्हें चोदता हूँ तो खूब प्यार करने का मन करता है और जब प्यार करता हूँ तो खूब चोदने का मन करता है। तू इतनी प्यारी है की मेरी समझ में नहीं आता की क्या करूँ? पता नहीं शायद इसी लिए तुम्हारा नाम प्रिया है।"
मैंने कहा, "इसका जवाब यह है की तुम मुझे बड़े प्यार से चोदो। प्यार भी करते जाओ और चोदते भी जाओ। मेरी यह चूँचियाँ तुम्हारे प्यार भरे चुम्बन को तरस रही हैं। मुझे चोदते हुए इनको चूमते जाओ। मेरा पूरा बदन तुम्हारा है। मेरे पुरे बदन को प्यार करो। पर मुझे चोदना जारी रखो। मैं तुमसे चुदने ने के लिये बेताब हूँ। पता नहीं कबसे मैं तुमसे चुदवाने के लिए बेताब थी l यदि तुमने मुझे उस दिन लिफ्ट में पकड़ कर चोद दिया होता तो कसम तुम्हारी, मैं सब के सामने ही तुमसे चुदवा लेती। मैं बहुत शर्मीली हूँ। मैं अपना नंगा बदन किसी को नहीं दिखा सकती। पर उस दिन मैं यह सब झेल लेती अगर तुम मुझे पकड़ कर सब के सामने ही चोद देते। मैं तुमसे चुदवाने के लिए उस दिन भी इतनी बेताब थी और आज भी हूँ।"
योग ने मेरी और देखा और बोले, "डार्लिंग, मैं तुम्हें मात्र चोदने के लिए ही नहीं, मैं तुम्हें सच्चे दिलसे प्यार करता हूँ और अगर तुम किसी की बीबी नहीं होती तो मैं तुमसे शादी कर तुमसे जिंदगी भर की साथीदारी निभाना चाहता हूँ l पर मेरा दुर्भाग्य तो देखो, जो मेरी थी उसे ऊपर वाले ने मुझसे जल्दी छीन लिया और जो मेरी बन सकती है उसकी अपनी मजबूरियां है।" ऐसा कह कर योग ने मेरी शादी शुदा होने का अफ़सोस जताया।
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मैंने योग को झकझोरते हुए कहा, "प्यारे, मैं यहीं तुम्हारे साथ तुम्हारे निचे चुदवाने के लिए लेटी हुई हूँ। मैं हमेशा हमेशा के किये तुम्हारी हूँ और रहूंगी। शादी वादी ठीक है। मेरे पति ने शादी की रस्म नहीं निभाई और मुझसे थोड़ा दूर होते ही, दूसरी औरत के पीछे भागने लगे और उस को चोदने लगे l अरे भाई मुझे भी तो मेरे पति से चुदवाये बगैर परेशानी होती थी। पर मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया। फिर भी अगर वह मुझे बताते तो शायद मैं समझ जाती। मैं बीबी हूँ ना? हो सकता है, मैं थोड़ा शोर शराबा करती, पर आखिर में मान जाती l मैं जानती हूँ की मेरे पति जैसा एक युवा हट्टा कट्टा मर्द चूत चोदे बिना ज्यादा दिन नहीं रह सकता। पर ना ही उन्होंने मुझे बताया और ना ही उन्होंने अपना गुनाह कुबूल किया। जब मैंने उन्हें रंगे हाथों पकड़ा तो उलटा मुझ पर ही इल्जाम लगाने लगे l अगर शादी का मतलब यही है, तो ठीक है। फिर मुझे क्या पड़ी है? मैं तो उनसे भी एक कदम आगे चलूंगी। मैं तो खुल्लम खुल्ला तुमसे चुदवाउंगी और मेरे पति से भी नहीं छुपाउंगी। शादी अपनी जगह और चुदाई अपनी जगह l
लगता है आजकल यही दुनिया का नियम है। इस लिए मेरी शादी की चिंता मत करो और अब तुम मेरी भूख को शांत करो और मुझे खूब चोदो।" योग मेरी और आश्चर्य भरी नज़रों से देखने लगे। शायद उन्होंने इसके पहले ऐसी कोई शादी शुदा औरत को नहीं देखा होगा जो इतनी खुल्लम-खुल्ला अपने अंदर के भावों का इजहार करती हो। फिर एक बार और झुक कर वह मेरे दोनों स्तनोँ को बारी बारी से अपने मुँह में लेकर उन्हें चूमने और चूसने लगे। मेरी फूली हुई निप्पलोँ को मुंहमें ले कर योग उन्हें अपने दांतों से काटने लगे। एक बार तो मेरे मुंह से दर्द भरी सिसकारी भी निकल गयी। मैंने योग के तले लेटे हुए अपने दोनों हाथों में योग का घने बालों सर पकड़ रखा था और मैं उनका यह कार्य कलाप महसूस कर रही थी। योग ने अपने होँठ और निचे ले जा कर मेरी नाभि को प्यार से चूमा और मेरी चूत के ऊपर के उभरे हुए टीले पर अपनी जीभ फैला कर उसे चाटने लगे। योग का खड़ा लण्ड मेरे घुटनों को छेद रहा था। मैं योग की इन हरकतों से बड़ी उत्तेजित हो रही थी। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने कहा, "यार अब बस भी करो, तुम मुझे चुदवाने के लिये रुलाओगे क्या? अब मुझसे रहा नहीं जाता। तुम्हारा इतना बड़ा और मोटा लण्ड मेरी चूत में डालो और मुझे चोदो भी!! एक दो बार मुझे अच्छी तरह चोदने के बाद मैं तुम्हें पूरी रात मेरे नंगे बदन से खेलने दूंगी। तब तुम मुझे जहाँ चाहे चाटना जहाँ चाहे काटना। पर अभी तो बस मेरी चूत की भूख शांत करो।" योग ने अपना बदन सीधा कर, अपना लण्ड पकड़ा और उसे मेरी चूत की पंखुड़ियों से रगड़ने लगे। उन्हें पता था की अगर उनके लण्ड और मेरी चूत के बिच थोडा सा भी सूखापन रहा तो मुझे बहुत कष्ट होगा।
हालांकि जिस तरह से मैं अपना पानी छोड़ रही थी और योग का लण्ड उनके अपने पूर्व रस से सराबोर था; ऐसा होने का कोई सवाल ही नहीं था। उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर मेरी जान निकली जा रही थी। पर यही तो हर औरत को चाहिये। हर कोई औरत को ऐसे मोटे और लम्बे लण्ड से चुदवाने का मौक़ा हररोज नहीं मिलता। जरूर मुझे दर्द होगा। पर ऐसे लण्ड से चुदवाना भी तो अपने में ही एक अनुभव है। तो फिर जब सर ओखल में रख ही दिया था तो फिर मुसल से क्या डरना? मैंने भी योग का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा और मेरी पंखुड़ियों को खोल कर फिर उसे मेरे छिद्र के केंद्र में रखा और योग को उसे घुसाने का इशारा किया। योग ने एक हल्का धक्का दिया और अपना लण्ड थोड़ा घुसेड़ा। योग का लण्ड घुसते ही मेरी चूत के सारे स्नायु एकदम चुस्त हो गए और मेरी चूत अंदर से ही पता नहीं कैसे फड़कने लगी। योग के लण्ड को मेरी चूत की दीवारों ने ऐसे जकड लिया की ऐसा लगता था की अब वह उसे और अंदर घुसने नहीं देंगे। योग के लण्ड के थोड़ा सा ही घुसने पर मेरी चूत में दर्द की तेज तीखी टीस मुझे महसूस हुई। दर्द काफी था। पर मैंने मेरे होँठ भींच कर अपने आप पर नियत्रण रखा और मेरे मुंह से थोड़ी सी भी आह या आवाज नहीं निकलने दी। अगर मैंने उस समय थोड़ी सी भी आवाज निकाली होती तो मुझे डर था की कहीं योग मेरी चूत में से अपना लण्ड फिर निकाल ना लें। मैं योग के लण्ड को हरदम मेरी चूत में रखना चाहती थी। मैंने योग की और देखा। उनकी आँखें बंद थीं। मेरे लिए यह अच्छा था क्यूंकि मेरे लाख कोशिश करने पर भी शायद कहीं मेरे चेहरे पर दर्द की लहर उन्हें दिखाई देती तो मुश्किल होती।
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योग अपना लण्ड मेरी चूत में थोड़ा घुसा कर थम गए थे। योग भी मेरी चूत में अपने लण्ड के घुसने का मजा ले रहे थे। उनके लण्ड को जैसे मेरी चूत की दीवारों ने जकड़ा था वह उसका रसास्वादन कर रहे थे। शायद मेरी चूत की फड़कन उन्हें पागल कर रही थी। या फिर वह मुझे दर्द से थोड़ी देर के लिए राहत दिलाना चाहते थे। दर्द थोड़ा कम होने पर मैंने योग को अपनी गाँड़ ऊपर उठाकर ऊपर की और धक्का दिया और उन्हें महसूस कराया की मैं उनके चोदने का इंतजार कर रही थी। योग ने अपनी आँखें खोली और मुस्कुरा कर मेरी और देखा। उनकी उतनी मीठी मुस्कान देख कर तो मैं वारी वारी गयी। मैंने सोचा ऐसे प्यारे मर्द से तो जिंदगी भर चुदवाया जाये फिर भी कम है। मैंने भी वैसी ही मीठी मुस्कान उन्हें दी। मैं योग को यह भी जताना चाहती थी की मुझे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। तब योग को लगा की मैं ज्यादा दर्द नहीं महसूस कर रही थी तो उन्होंने अपना लण्ड और अंदर घुसेड़ा। उनका करीब आधा लण्ड से थोड़ा कम मेरी चूत में घुस चुका था। मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था। तब मैंने तय किया की मैं दर्द के बारे में सोचूंगी ही नहीं। मैंने फिर मुस्कुरा कर योग को मेरी गाँड़ को उठाकर ऊपरकी और धक्का दिया। योग ने आधेसे ज्यादा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। उसे फिर वापस खींच कर उन्होंने फिर उसे अंदर घुसेड़ा। अब वह धीरे फिर हलके हलके मुझे चोद रहे थे। उन्होंने फिर भी अपना लण्ड पूरा नहीं घुसेड़ा था। मैंने फिर अपनी गाँड़ ऊपर उठाकर योग को लण्ड और अंदर घुसेड़ने का न्यौता दिया। योग का आधा लण्ड ही मेरी चूत को पूरा भर चुका था। मुझे लगा की योग का लण्ड मेरी चूत में और ज्यादा घुस नहीं पायेगा क्यूंकि शायद वह मेरे गर्भद्वार पर टक्कर मार रहा था। योग के लण्ड को चूत में पाकर मुझ पर एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।
मेरा जहन उन्माद के सैलाब में ऊँची लहरों की तरह उछल रहा था। मैं जल्दी ही ढहने वाली थी। मेरा पानी का फव्वारा छूटने वाला था। मैं योग को रोकना नहीं चाहती थी चाहे मेरी चूत फट क्यों ना जाए। मैंने फिर एक धक्का और दिया और योग को उनका लण्ड घुसेड़ने के लिए मजबूर किया। एक और योग जान गए थे की मुझे उनका लण्ड लेने में बड़ा कष्ट हो रहा था। कैसे जान गए यह पता नहीं पर इसी कारण वह लण्ड को घुसड़ने में जल्दी नहीं कर रहे थे। और दूसरी तरफ मैं उनको उन्माद के मारे अपनी गाँड़ उछाल कर जोर से चोदने के लिए बाध्य कर रही थी। मैं साफ़ देख रही थी की योग हीच कीचा रहे थे।मैंने उनसे कहा, "मैं जानती हूँ की आप मुझे दर्द ना हो इस लिए लण्ड घुसेड़ने से हिचकिचा रहे हो। पर यह समझो की अगर मैं आप के कारण प्रेग्नेंट हो गयी, जो की मैं होना चाहती हूँ, तो फिर आप क्या करेंगे? बच्चा तो मैंने ही जनना है। तो चूत तो खुलेगी या फटेगी ही। इस लिए मैं आपसे ख़ास अर्ज करती हूँ की आप ज्यादा सोचो मत और मुझे बेरहमी से चोदो। अगर मुझसे दर्द सहा नहीं जाएगा और आपको रोकना पडेगा तो मैं आपको रोकूंगी। पर अब रुकिए मत प्लीज?" योग ने एक बार और मेरी तरफ देखा और वही मनमोहक मुस्कान देकर मुझे चोदने के लिए तैयार हुए। उन्होंने एक धक्का थोड़े ज्यादा जोर से दिया और मेरी चूत जैसे फट गयी हो ऐसा तीखा दर्द मुझे महसूस हुआ। पर साथ साथ योग का लण्ड जो मेरी चूत की दीवारों को खोलता हुआ मेरी चूत की सुरंग में घुसे जा रहा था उसकी मादक रगड़ से मुझे अद्भुत उत्कट हर्षोन्माद का जो अनुभव हो रहा था वह दर्द से कहीं अधिक था और मैं उस उन्माद भरे पागलपन की अनुभूति को दर्द के कारण कम होने देना नहीं चाहती थी।
धीरे धीरे उन्माद बढ़ता गया और दर्द कम होता गया। योग का लण्ड मेरी चूत को खोलनेमें काफी कामयाब रहा। बस दिक्कत यही थी की योग के लण्ड का अग्र भाग मेरी बच्चे दानी को शायद ठोकर मार रहा था जो दर्द पैदा कर रहा था। पर उसके कारण जो आनंद हो रहा था वह भी तो अवर्णनीय था। मैं योग के साथ साथ अपनी गाँड़ ऊपर उठाकर योग को चोदने के लिए प्रोत्साहित करती रही। योग ने चोदने की गति जैसे बढ़ाई की मेरी गाँड़ और चूत के बीच वाले हिस्से में योग के अण्डकोष की फटकार से "फच्च फच्च" की आवाज से कमरा गूँज उठा। बापरे!! मेरे पति के साथ कभी भी मेरी ऐसी चुदाई नहीं हुई। हाँ अजित के साथ मुझे कुछ उत्तेजक चुदाई का जरूर अनुभव हुआ था। पर योग का लण्ड और उसके प्यार ने मुझे सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था। आज तक किसी का भी लण्ड मेरी चूत की इतनी गहराइयों तक नहीं पहुँच पाया था।
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जो प्यार, जो प्यार भरा सम्मान और जो पूरा समर्पण का भाव मेरे मनमें योग के प्रति था, वह मेरे पति को भी मैं नहीं दे पायी थी क्यूंकि मुझे ऐसा भाव उनकी और से कभी महसूस ही नहीं हुआ था। मेरा दिल और दिमाग किसी धमाकेदार उत्तेजित ऊँचाइयों पर पहुँच चुका था। मैं जल्द ही झड़ने वाली थी। पर योग तो मेरी चूत में अपना लण्ड पेले ही जा रहे थे। शायद उस रात पहली बार वह अपने लण्ड में हो रहे उन्माद का भली भांति अनुभव कर रहे थे। उनका ध्यान उनके लण्ड के इर्दगिर्द हो रही मेरी चूत की फड़कन पर केंद्रित था। जैसे जैसे योग मुझे चोदते गए, मेरा उन्माद बढ़ता गया। साथ साथ मेरी चूत की फड़कन भी बढ़ती गयी। अब दर्द के उस पार उसकी जगह उत्तेजना के नशे ने ले ली थी। जैसे ही मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुंची मेरे दिमाग में एक धमाका सा हुआ और मेरी चूत में कुछ ऐसे अजीबो गरीब मचलन होने लगी की मैं अपने बदन पर भी नियत्रण नहीं रख पा रही थी।
स्त्री सहज लज्जा के कारण मैं अपना उन्माद जाहिर करने में शर्मा रही थी। मेरी उत्तेजना ऐसी थी की मुझे चिल्ला चिल्ला कर अपना उन्माद जाहिर करना चाहिए था। पर मैं एक गहरी साँस लेकर मेरे दिल और दिमाग में उठे हुए बिजली के झटके की तरह लगे धक्के को झेल कर हलकी सी आवाज में कराह उठी, "योग, मैं झड़ रही हूँ। पता नहीं तुमने मुझे आज इसी दुनिया में जन्नत के दर्शन करा दिए। मैंने आजतक ऐसा अनुभव नहीं किया। आज तो गज़ब हो गया।"
मेरा हाल देख योग थोड़ी देर थम गए। उन्हों मेरे स्तनो को जोर से दबाते हुए मेरी और देखा और फिर वही प्यार भरी मंद मंद मुस्कराहट, योग तब तक झड़ने के लिए तैयार नहीं थे। उनके टिकने की क्षमता काफी थी। मैं भी तो और बहुत अधिक चुदाई करवाना चाहती थी। फिर मेरी गाँड़ को ऊपर उठाकर मैंने उन्हें चोदना जारी रखने का इशारा किया। योग मेरी चूत की गहराईयों का अपने लण्ड द्वारा अनुभव कर रहे थे। साथ में वह मेरे चेहरे के भाव से मेरा उन्माद और मेरे प्यार की भी अनुभूति कर रहे थे। शायद उन्हें उस रात अपनी प्यारी पत्नी कनिका की कमी नहीं खली। उन्हें शायद कनिका के जैसी ही या फिर उससे भी ज्यादा उत्तेजक कामुकता भरी स्त्री साथीदार उस रात मिली थी। मैं उनके चेहरे के भाव पढ़ रही थी और वह मेरे।
मुझे लगा यही मेरे सच्चे पति होने के लायक हैं। मेरे असली पति भी मुझे प्यार करते थे, पर उनका प्यार मेरे बदन के कारण ज्यादा था। मैंने महसूस किया की योग मेरे बदन से कहीं ज्यादा मेरे दिल की गहराइयों में झाँक कर मुझे टटोल कर अपना साथी ढूँढ रहे थे, और शायद उन्हें मुझमें वह साथी नजर आरहा था, जो उनके दिल को समझ सके और उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके और उन्हें भावात्मक ढंग से वह शारीरिक और आत्मिक प्यार दे सके जिसकी हर मर्द और औरत को तलाश होती है। योग भी अब अपनी उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच रहे थे। मुझे धक्का लगा कर चोदते हुए बार बार वह मुझे, "मेरी प्यारी प्रिया, मेरी जान, मुझे छोड़ के मत जाना। तू मेरी है और मेरी ही रहना।" इत्यादि कहते रहते थे। उनकी भौंहें सिकुड़ने लगीं, अब वह अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहे थे। वह चरम पर पहुँचने वाले ही थे। मैं भी उनके चेहरे का भाव देख कर फिर से उत्तेजित हो उठी, मेरी चूत में फिर वही फड़कन बढ़नी शुरू हो गयी। मैंने योगके धक्के के मुकाबले सामने से मेरी गाँड़ बार बार उठाकर उनकी चुदाई का पूरा साथ देते हुए गर्मजोशी दिखाई और उसके कारण मैं भी फिर से वही उन्मादित बिजली के झटके समान सुनामी के मौजों सी लहार पर सवार होते अनुभव कर रही थी। मैंने योग से कहा, "मेरे प्यारे, तुम जरा भी सोचे बगैर अपना सारा वीर्य मेरी चूत में उँडेल दो। बिलकुल निश्चिन्त रहो। मैंने इसके बारे में काफी सोचा है। तुम्हारे माल को रोकना मत।"
योग ने अपने लण्ड को एक और धक्का देते हुए मेरी चूत में एक जोरदार गरमा गरम फव्वारा छोड़ा। मैंने उसके गर्म और बहुत ज्यादा मात्रा में छोड़े गए वीर्य को मेरी चूत की पूरी सुरंग को लबालब भर देते हुए महसूस किया। देखते ही दखते हम दोनों ही एक साथ झाड़ गए। हम दोनों के एकसाथ झड़ते ही योग के इर्द गिर्द अपनी बाँहों को फैला कर मैंने योग को मेरे नंगे बदन के साथ चिपका दिया और योग के बदन के निचले हिस्से को अपनी जांघों में लपेट कर उनके लण्ड को मेरी चूत में ही रखे हुए मैंने उनको मेरे पर ही रहने दिया और उनकी पीठ और सुआकार गाँड़ को मैं बड़े प्यार से सहलाने लगी। काफी देर तक ऐसे पड़े रहने के बाद धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाल कर योग मेरे ऊपर से निचे उतरे और मेरे साथ में ही लेट गए। मेरी आँखें नींद से गहरा रहीं थीं। पर मुझे एक बहुत जरुरी काम करना था। मैं बिस्तर में से नंगी ही खड़ी हुई।
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16-08-2019, 07:27 PM
DEAR FRIENDS... WITH YOUR LOVE AND AFFECTION TODAY I COMPLETED MY
POST'S ON XOSSIPY
THANKS TO ALL MY NEAR & DEAR FRIENDS FOR THEIR SUPPORT & COMMENTS ON MY STORIES WHICH I COPY, PEST & SHARE HERE ... AND AS I ALWAYS SAY ... ALL THANKS & CREDIT GOES TO THE UNSUNG , UNKNOWN WRITERS...
LOVE YOU ALL...
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जब योग ने मुझे बिस्तर से निचे उतारते हुए देखा तो पूछा "क्या बात है?"
मैंने कहा, "तुमने तो उस गन्दी औरत को अपने जीवन से और जहन से निकाल फेंका और (मैंने अपने बदन की और इशारा करते हुए कहा) इस नयी मुसीबत को गले लगा लिया। पर मुझे भी एक हिसाब चुकाना है। मुझे भी एक नासमझ मर्द को सबक सिखाना है। आप लेटे रहो। मुझे आपसे और भी कई बार चुदाई करानी है। बस मैं गयी और आयी।"
ऐसा बोलकर मैंने साथ में ही मेज पर रखे हुए मेरे सेल फ़ोन को लेकर मेरे पति को एक सन्देश भेजा। मैंने लिखा,
"मेरे प्यारे पति देव।
आपने मुझे एक बहुत ही बढ़िया सबक सीखा दिया है। हम शादी शुदा होते हुए भी आप किसी स्त्री को चोदते रहे और मुझ से झूठ बोलकर यह बात छिपाते रहे। रंगे हाथों पकडे जाने पर उलटा आपने मुझ पर ही बेबुनियाद इल्जाम लगा दिया। आपने मुझे सिखाया की शादीकी सौगंध और वचनों का कोई मूल्य या मायने नहीं है। हम शादी शुदा रहते हुए भी अपने तन की भूख किसी और से शांत करवा सकते हैं। तो फिर आप मेरी खुली चुनौती सुनिए। अब मैं आपसे खुल्लम खुल्ला कहती हूँ की मैं मेरे एक अति प्रिय मर्द को ना सिर्फ प्यार करने लगी हूँ बल्कि उनसे खूब मजे से चुदवा भी रही हूँ। मैं उनसे अभी अभी चुद कर आयी हूँ और यह मेसेज आपको भेज रही हूँ। आप मेरे इस खत को जाहिर कर सकते हैं। मैं आपको तलाक देने के लिए बाध्य नहीं कर रही। आप अगर मुझे तलाक देना चाहे तो दे सकते हैं। मुझे आपसे कोई जीविका या आर्थिक आरक्षण नहीं चाहिए। अगर आप मेरे साथ रहना चाहते हों तो हमें आज़ादी रहेगी की हम दोनों शादी शुदा होते हुए भी किसी और को चोद या किसी और से चुदवा सकते हैं। निर्णय आपको लेना है। आखिर में मैं आपको बस कुछ पंक्तियाँ पढ़ाना चाहती हूँ। गौर फरमाइयेगा।
यदि हम नरम हैं तो शोले सम हम गरम भी तो है। यदि हम नार* हैं तो खड़ग और तलवार भी तो हैं।
समझना ना हमें तुम भूल से भी मुर्ख और दुर्बल। दिल में प्यार है तो साथ में धिक्कार भी तो है।
* नार = नारी, स्त्री
आपकी कानूनन पत्नी!
प्रिया"
मैसेज एक बार फिर पढ़ने के बाद मैंने उसे मेरे पति के सेल फ़ोन पर भेज दिया। फिर मैं धीरे से मेरे सो रहे प्रियतम के पास गयी और उनका थोड़ा ढीला पर उतना ही मोटा और लंबा लण्ड पकड़ कर उसे हिलाने लगी, ताकि वह फिर कड़क हो जाए और मैं फिर एक बार उनसे उतने ही प्यार और तूफ़ान के साथ दुबारा चुद सकूँ।
आशा है आप सब को मेरी कहानी पसंद आई होगी, आप सभी की प्रतिक्रियाओं का इतेजार रहेगा!
THE END...???
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एक बहोत ही अच्छी कहानी लिखी है आपने काश इसे और जरा बढाया होता तो और मजा आता पढ़ने में
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(27-09-2019, 06:06 AM)asha10783 Wrote: एक बहोत ही अच्छी कहानी लिखी है आपने काश इसे और जरा बढाया होता तो और मजा आता पढ़ने में
THANKS & to my story zone...
as i always say that i am not the original writer of these stories... i am sharing them for my as well s other's enjoyment.
Ya i also thought that original writer can write some more parts but ...
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मेरी फितरत नही किसी की चीज़ को अपने नाम करू...
so as i always say... all credit goes to original writer...
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04-10-2019, 08:41 PM
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कहानी अच्छी है लेकिन थोड़ी और बढ़ाना था प्रिया के पति को भी दिखाते
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मेरे एक पाठक ने ई-मेल पे पूछा है कि...
" महोदय , आप इतनी जल्दी जल्दी पोस्ट क्यों डाल रहे हो...
हम तो पुरा पोस्ट पढ कर कमेन्ट करना चाहते हैं , उतने में आपके 4 नये पोस्ट आ जा रहे हैं...
भाई ... पहली बात - जैसा कि मैं हमेशा कहता हूँ कि मैं ओरिजनल राईटर नहीं हुं... और सेव की हुई कहानियों को पैस्ट करता हुं...
मुझे किसी कि लिखी कहानियों को अपने नाम से छापना या उसका क्रेडिट लेना भी पसंद नहीं है... तो किसी पाठक को अपडेट के लिए वेट क्यों करवाया जाए...
और दुसरा रिज़न ये है कि कुछ चु** पाठक अजीब माँग करने लगते हैं कि ये करवाओ...
वो करवाओ... ऐसे चुसवाओ... मुत पिलाओ... माँ भेन टिचर से करवा... रोल प्ले करवा
ऐसे करवा... वेसे करवा
(भाषा का सटीक उपयोग मेरे उपर किया गया है मित्रों)
तुने ये नहीं करवाया... तो हम कहानि नहीं पढेंगे...
Asking for updates of complete stories
Even some one told me you should creat the story list... & I forgot 01 person told me you should write the story in big fonts as I am unable to read stories
और तो और कभी पोस्ट मैं देर हो जाए तो यही चु**, एम. सी. & बि.सि. पाठक थ्रेड पर धमकी भी देते हैं कि कहानी खत्म नहीं करना थी तो शुरू क्यों कि...
अपनी पसंद का कुछ लिखो तो भी इनका पेट दुखता है... और जल्दी जल्दी पोस्ट देने पर तो मेल पर भी शीकायत करते हैं...
??
ऐसे सभी सम्माननिय पाठकों से नीवेदन है... ये सभी कहानियां मेने अपने मनोरंजन के लिए नेट से ही कापि पेस्ट कि हैं... और चाहता हूं कि आप भी इनका आनंद लें...
मुझे या अन्य किसी लेखक को परेशान किए बगैर...
धन्यवाद
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Surely this story ends here... but my other threads (https://xossipy.com/search.php?action=re...2cb70cbb3b) will continue & give joy's of new Incest, Adultery Non erotic & Erotic stories to all of my friends...
As I always say ... I am not the original writer, I just Copy some best stories from different internet sites & pest them here...
ALL THANKS TO ORIGINAL WRITER'S FOR WRITING SUCH A INTERESTING STORIES
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मित्र कहानी शानदार है और पाठकों से मिली शाबासी हास्याप्रद
संयम पूर्वक नई कहानियां पोस्ट करें और हमे भी कृतार्थ करें
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जबरदस्त कहानी। हम तक कहानी को लाने का धन्यवाद श्रीमान।
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