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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#21
  "तुम लोग हम लोगों से बहुत अमीर हो, इसलिए मुझे तेरे घर आने में झिझक होतीं हैं।"

          "तेरा मेरे घर आने के लिए झिझकना बिल्कुल वाजिब हैं, बट तूने इस झिझक का रिजन गलत बता दिया, क्योंकि तेरे और तेरे जैसे कुछ और दोस्तों के मेरे घर न आने का एक्चुअल रिजन ये हैं कि हम लोग अपने गेस्ट के साथ वैसी इन्टीमेसी नहीं दिखा पाते, जैसे तुम मिडिल क्लास वाले लोग अपने गेस्ट के साथ दिखाते हो। मैं पहली बार जब रागिनी दी के साथ तुझे लेने तेरे घर आई थीं, तब तेरी मम्मी मुझे जानती भी नहीं थीं, लेकिन वे मेरे और रागिनी दी के साथ ऐसी आत्मीयता से पेश आयी, जैसे हम लोग उनके कोई क्लोज रिलेटिव्ज हैं जबकि तेरे घर आने से पहले रागिनी दी मुझे लेने मेरे घर गई थीं तो मेरी माॅम ने उनके साथ इस तरह रूखापन दिखाया, जैसे उन्हें रागिनी दी का मुझे लेने मेरे घर आना बहुत बुरा लगा हो। मेरा घर तेरे घर से काफी बड़ा हैं, लेकिन मेरे घर में रहनेवाले लोगों का दिल इस घर में रहनेवाले लोगों की तुलना में काफी छोटा हैं।

          अब बात निकल हीं गई हैं तो तुझे अपनी सारी व्यथा बता हीं देती हूँ ताकि मेरे मन का बोझ कुछ हल्का हो जाए। एक्चुअली, मुझे करीब डेढ़ साल पहले तक उस फेमिली में पैदा होने का कोई अफसोस नहीं था, लेकिन करीब डेढ़ साल पहले जब मुझे उस फेमिली की मेंबर होने की वजह से हर्षित का प्यार हमेशा के लिए खोना पड़ा तो मुझे उस फेमिली में पैदा होने का इतना ज्यादा अफसोस हुआ कि उसे एक्सप्रेस करने के लिए मेरे पास वर्ड नहीं हैं। तू ये सोच रही हैं कि हर्षित के साथ तो मैंने एक मिसअंडरस्टैंडिंग का शिकार होकर डिस्टेंस बना लिया था और तूने इस गोल्डन चांस का फायदा उठाकर उसके दिल में अपना डेरा जमा लिया, लेकिन इस स्टोरी एक पहलू ये भी हैं कि मैंने हर्षित को अपने दूर और तुम्हारे करीब जाने पर ज्यादा हाय-तौबा इसलिए नहीं मचाई, क्योंकि हर्षित की तरह मुझे भी इस बात का अहसास हो गया था कि मेरी फेमिली के अमीर होने का अभिशाप हम दोनों के प्यार को कभी न कभी निगल हीं लेगा, इसलिए ऐसे किसी मोड़ पर जाकर जहाँ हर्षित को सहारा देने वाला कोई न हो, उसका साथ छोड़ने से बेटर हैं कि ऐसे मोड़ पर हीं एज द लवर उसे गुड बाय कह दूँ जब उसे आलरेडी मेरा अल्टरनेट मिल चुका हैं। आई थिंक, अब तेरी समझ में ये बात आ गई होगी कि मेरे और हर्षित के पर्मानेन्ट ब्रेक-अप के मैटर में मेरी फेमिली कहाँ से आ गई होंगी।
         
         अब मैं तुम्हें उससे ब्रेक-अप के बाद तुम्हारे साथ और फिर उसके साथ मेरी फ्रेंडशीप करने की असली वजह बता रही हूँ। एक्चुअली, मुझे उसके साथ फर्स्ट टाइम डिस्टेंस बनाने के बाद से ही इस बात का अहसास हो गया था कि मैं उसके प्यार के बिना तो जी सकती हूँ पर उसे देखे और उससे बात किए बिना नहीं जी पाऊँगी, इसलिए पहले मैंने कैंटिन वाले पर झूठा ब्लैम लगाकर उसे मुझसे बात करने किया मजबूर किया और फिर हमारे काॅलेज के स्पोटर्स टीचर अभिजीत सर के सस्पेंशन का फायदा उठाकर उसे काॅलेज का टेम्परेरी स्पोटर्स कोच बनवाया, ताकि वो कुछ दिन मेरे साथ रह सके। इसके बाद मैंने क्या-क्या किया, ये तो तुझे पता हैं ही। ये सब जानने के बाद तू यही सोच रही हैं न कि तू मुझे जैसी सीधी-साधी और इनोसेंट गर्ल समझ रही हैं, मैं वैसी न होकर एक नम्बर की सेल्फिस लड़की हूँ ?"

         "नहीं।"

         "अरे, कितनी बेवकूफ लड़की हैं तू ? मैं तेरे साथ फ्रेंडशीप सिर्फ इसलिए निभाती रही कि तू मेरे और हर्षित के एक-दूसरे के साथ फ्रेंडशीप रखने पर कभी कोई ऑब्जेक्शन न ले सकें और तेरे साथ सिम्पैथी दिखाकर हर्षित के साथ तेरा डिस्पुट खत्म करने में हेल्प भी इसी पर्पस से की और तू ये जानने के बाद भी कह रही हैं कि तू मुझे सेल्फिस गर्ल नहीं मान रही हैं। क्या हुआ, अचानक तेरा चेहरा क्यों उतर गया ?" निक्की ने काफी देर तक मानसी की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो मानसी हैरान-परेशान निगाहों से उसे देखते हुए कहा- "निक्की, प्लीज कुछ बोल न यार। तुझे मेरी बात सुनकर गुस्सा आ रहा हैं तो मेरे साथ झगड़ा कर, लेकिन प्लीज ऐसे चुपचाप मुँह लटकाकर मत बैठ यार।"

         "क्या बोलू यार, तेरी बातें सुनने के बाद मुझे समझ हीं नहीं आ रहा हैं कि तुझसे क्या कहू।"

         "मुझे पता था कि तू मेरी बात सुनने के बाद मुझसे गुस्सा हो जाएगी, पर मैं तुझे अंधेरे में नहीं रखना चाहती थीं, इसलिए तुझे ये सब बताना जरूरी था। मैं काॅलेज छोड़ने से पहले हीं तुझे ये सब बताना चाह रही थीं, लेकिन तेरी और हर्षित की फ्रेंडशीप खो देने के डर से मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई। आज भी मेरी फेमिली की चर्चा नहीं निकलती तो मैं ये सब शायद हीं तुझे बता पातीं। तूने मेरी बातें बुरी लगने के बावजूद इतने धैर्य के साथ सुनी, इसके लिए तेरा तहे-दिल से शुक्रिया। अब मैं .......।"

          "तुझसे ये किसने कह दिया कि मुझे तेरी बातें बुरी लगी ?"

           "इट मीन्स, ......?"

           "मुझे न तेरी बातें बुरी लगी और न तेरी बातें सुनकर गुस्सा आया। मैं तो इसलिए तेरी बात का जवाब नहीं दे पा रही थीं, क्योंकि मुझे तुझसे सहानुभूति जताने के लिए कोई वर्ड हीं नहीं मिल रहा था।"

         "अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया हैं कि तेरी मेंटली कंडीशन ठीक नही हैं, क्योंकि कोई भी नार्मल लड़की उस लड़की के साथ कभी कोई सिम्पैथी रख हीं नहीं सकतीं जो उसके प्रजेंट लवर और होनेवाले लाइफ-पार्टनर को देखे और उससे बात किए बिना नहीं रह सकती।"

          "ठीक हैं, मैंने तेरी बात मान लीं। अब तू मुझे ये बता कि तू हर्षित को देखे और उससे बात किए बिना नहीं रह सकती, इसलिए उसके साथ फ्रेंडशीप रखना चाहती हैं, इसमें गलत क्या हैं ? चल, छोड़ इस कोश्चन को और ये बता कि तू हम लोगों की तरह मिडिल क्लास फेमिली की लड़की होतीं और तू हर्षित से शादी कर लेती और मैं उसकी बचपन की फ्रेंड होने के नाते उसके साथ फ्रेंडशीप रखती तो तू हम दोनों की फ्रेंडशीप पर कोई ऑब्जेक्ट करतीं ?"

          "नहीं।"

          "तो फिर तू मुझसे ये क्यूँ एक्सपेक्ट कर रही हैं कि मैं तुम दोनों की फ्रेंडशीप पर ऑब्जेक्ट करूँगी ?"

          "क्योंकि हम दोनों एक-दूसरे के बीच फ्रेंडशीप होने से पहले अफेयर था।"

           "अब तो नहीं हैं न ?"

           "नहीं।"

           "रखना भी मत, नहीं तो मारूँगी कम और घसीटूँगी ज्यादा, डू यू अंडरस्टैंड ?"

            "हाँ, पर तू ......।"

            "यार मानसी, कितना बोलती हैं तू ? तेरी बातें सुन-सुनकर मेरे कान पक गए लेकिन तेरी बातें खत्म नहीं हुई। अब मैं तेरी कोई भी बात नहीं सुनूँगी।"

             "ठीक हैं, मत सुन, पर तू वो बात तो बता दे जिसके लिए तूने मुझे बुलाया था।"

             "जरूर बताऊँगी, लेकिन टी-ब्रेक के बाद। फिलहाल तो मैं किचन में जा रही हूँ।"

             "क्या मैं भी तेरे साथ आ सकती हूँ ?"

             "व्हाय नाॅट, तेरा हीं घर हैं। जहाँ तेरा आने-जाने का मन करें, बिना पूछे आ-जा सकती हैं।"

             "क्या तू अपने ससुराल जाएगी और मैं वहाँ तुझसे मिलने आऊँगी, तब भी यही बात मेरे लिए कहेगी ?"

             "ऐसा ख्वाब में भी मत सोचना।"

             "क्यों, तेरा ये घर मेरा हो सकता हैं तो वो घर तेरे साथ मेरा क्यों हो सकता ?"

              "इसलिए, क्योंकि मेरी बहन जैसी दोस्त होने की वजह से तू भी मेरे जैसी इस घर की बेटी हैं लेकिन मेरी बहन या दोस्त होने की वजह से तू उस घर की मेरी तरह बहू नहीं हो सकती।"

              "अरे, लेकिन .....।"

              "मानसी, नो मोर कोश्चन। जस्ट साइलेंट्ली फाॅलो मी।" कहकर निक्की उठी और अपने घर के किचन में चली गई। मानसी उठकर उसके पीछे-पीछे किचन में चली गईं।

                             ...................

         "एक्चुअली, बात ये हैं कि जबसे मैंने काॅलेज छोड़ा हैं, मेरी फेमिली के काफी रिलेटिव्ज मेरे पेरेन्ट्स पर अपने-अपने टच के लड़कों के साथ मेरा रिश्ता तय करने के लिए परेशान कर रहे हैं, इसलिए मेरे पेरेन्ट्स चाह रहे हैं कि वे मेरी हर्षित के साथ जल्दी से जल्दी से शादी कर दे और आए दिन अपने रिलेटिव्ज से नए-नए बहाने बनाकर पीछा छुड़ाने की प्राॅब्लम से हमेशा के लिए छुटकारा पा लें।" काफी का प्याला हाथ में लेकर इत्मीनान से बैठने के बाद निक्की ने अपनी बात शुरू की।

         "तो इसमें प्राॅब्लम क्या हैं ? हर्षित भी तो तेरे साथ कभी भी करने के लिए तैयार है।" मानसी ने काॅफी की चुस्कियो के बीच उसकी बात का जवाब दिया।

          "हाँ, वो तैयार हैं, बट उसकी मम्मा उसे किसी भी लड़की से शादी करने की परमिशन देने के लिए तैयार नहीं हैं, पर ये हम लोगों प्राॅब्लम नहीं हैं क्योंकि उसकी मम्मा को तैयार करने का बर्डन हम लोगों ने उसकी बुआ पर डाल दिया हैं। हम लोगों की प्राॅब्लम ये हैं कि मेरे पेरेन्ट्स तब तक हर्षित के साथ मेरी शादी करने के लिए तैयार नहीं होंगे, जब तक कि उसे कोई अच्छी सैलरी वाला जाॅब नहीं मिल जाता। फिलहाल वो एक पब्लिक स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर का जाॅब कर रहा हैं जिससे मिलनेवाली सैलरी से मेरे पेरेन्ट्स बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें लगता हैं कि इतनी सैलरी में हम दोनों का मेंटेनेन्स नहीं हो पाएगा। मैंने उन्हें काफी समझाया कि मैं मैनेज कर लूँगी या इनसफिएंट लगेगी तो खुद भी कोई जाॅब करके ये प्राॅब्लम साॅल्व कर लूँगी, लेकिन मेरे पेरेन्ट्स और खासतौर पर मेरी मम्मी अपनी कंडीशन हटाने के लिए तैयार नहीं हैं।"

          "तो हर्षित से कहो कि कोई अट्रेक्टिव सैलरी वाला जाॅब ढूँढ ले।"

          "अरे यार, तू तो जानती हैं न उसे, फिर ......।"

          "समझ गई। वो अक्सर कहता था कि इंसान को जाॅब सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करने लिए नहीं बल्कि समाज के व्यापक हितों की पूर्ति के लिए या कम से कम कुछ लोगों के हितों की पूर्ति के लिए जनसेवा टाइप का कोई जाॅब करना चाहिए और अपनी इसी सोच को अमल में लाते हुए कुछ बच्चों का फ्यूचर ब्राइट करने के लिए ये जाॅब कर रहा हैं और इसे तब तक छोड़कर कोई और जाॅब ऑफर एक्सेप्ट नहीं करेगा, जब तक उसे ये न लगे कि उसकी जरूरत दूसरी जगह ज्यादा हैं, एम आई राइट ?"

            "राइट।"

           "डोंट वॅरी, मैं तुझे हर्षित के उसूलों और अपने पेरेन्ट्स की महत्वाकांक्षाओं की चक्की के दो पाटो के बीच नहीं पिसने दूँगी। तू ये समझ ले कि तेरी प्राॅब्लम साॅल्व हो गई।"

           "अरे, बट हर्षित .......।"

           "उसे मेरे डैड अपने हिसाब से हैंडल कर लेंगे। डैड को हर्षित जैसे हीं एक एम्प्लाई की जरूरत हैं, इसलिए वे हर्षित को अपनी कम्पनी में जाॅब करने के लिए कन्वेंस करने में खुद हीं इन्ट्रेस्ट दिखाएँगे, बस मुझे उन्हें हर्षित के कैरेक्टर और उसकी क्वालिटिज के बारे में बताना हैं। अब मैं जा रही हूँ। थैंक्स फाॅर नाइस काॅफी।"

            "थैंक यू सो मच टू फाॅर योर सो वेल्युबल हेल्प।" निक्की का जवाब सुनने के बाद मानसी ने 'बाय' कहकर अपनी जगह छोड़ दीं।
                            ..................

        "हर्षित ?" गेट पुश करके कैबिन के अंदर दाखिल होते हीं हर्षित से अंदर बैठे पचपन-छप्पन वर्षीय शख्स ने सवाल किया।

        "जी हाँ।" हर्षित ने विनम्र लहजे में जवाब दिया।

        "आओ, बैठों।"

        "थैंक्स।" कहकर हर्षित कैबिन में बैठे शख्स के सामने बैठ गया और उस शख्स की ओर जिज्ञासाभरी निगाहों से देखने लगा।

         "मैंने तुम्हे मेरी बेटी मानसी की जिंदगी से दूर हो जाने की मुँह माँगी कीमत देने के लिए बुलाया हैं। बोलो, मेरी बेटी की जिंदगी से हमेशा के लिए निकल जाने की क्या कीमत लोगे ?" कुछ पलों के इंतज़ार के बाद विकास की जिज्ञासा का समाधान हो गया।

        "सिर्फ बीस लाख।" हर्षित ने सामने बैठे शख्स के सवाल का कुछ देर तक सोच-विचार करने के बाद जवाब दिया।

        "तुम्हारा एकाउंट किस बैंक में हैं ?"

        "सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में।"

        "ये लो।" मेज के ड्रावर से चेकबुक निकालकर एक चेक में जरूरी प्रविष्ठियों फिल-अप करने के बाद हर्षित की ओर बढ़ाते हुए कहा।

        "थैंक्स।" हर्षित ने चेक लेते हुए भावहीन स्वर में कहा और चेक को बिना देखे हीं फोल्ड करके अपनी शर्ट के जेब के हवाले कर दिया।

       "अब तुम जा सकते हो।" हर्षित को जाने की अनुमति मिलते हीं वह भावहीन चेहरा लिए बाहर निकल गया।

        "बेटा, ये तो हमारे पिछले जीएम से भी बड़ा खिलाड़ी निकले ? बीस लाख जैसे हेवी एमाउंट का चेक ऐसे लेकर रख लिया, जैसे कोई कोई मामूली कागज का टुकड़ा हो। अब क्या कहना हैं तुम्हारा इसके बारे में ?" हर्षित के बाहर निकलने के कुछ क्षणों के बाद कैबिन में बैठे शख्स ने अपने सामने मौजूद कम्प्यूटर स्क्रीन की ओर देखकर कहा।

         "बस इतना हीं कहूँगी कि आप उसे जितना बड़ा खिलाड़ी समझ रहें हैं, वो उससे कई गुना ज्यादा बड़ा खिलाड़ी हैं।" कम्प्यूटर स्क्रीन पर नजर आ रही मानसी ने जवाब में मुस्कराते हुए कहा।

       "क्या मैं तुम्हारे कहने का मतलब जान सकता हूँ ?"

       "आपने जो चेक हर्षित को दिया, उसकी वैलिडिटी तीन माह की हैं न ?"

        "हाँ, लेकिन मैंने उसे दो माह तेईस दिन पीछे की डेट डालकर दिया हैं, इसलिए अगले वन वीक तक हीं वैलिड रहेगा।"

        "तो आपको मेरी बात का मतलब जानने के लिए वन वीक तक इंतजार करना पड़ेगा।"

        "मैं तुम्हारी बात का मतलब समझ गया। तुम ये सोच रही हो कि वो मेरा दिया हुआ चेक यूज नहीं करेगा, हैं न ?"

        "हाँ।"

        "अब मैं एस के गुप्ता तुम्हें अपना अनुमान बताता हूँ। मेरा अनुमान हैं कि वो आज अपने एकाउंट में मेरा दिया हुआ चेक जमा करके आज हीं चेक का एमाउंट विड्राल कर लेगा। मुझे उसका कैरेक्टर के टेस्ट का रिजल्ट जानने का बेसब्री से इंतजार हैं, इसलिए मैंने उसे उसी बैंक का चेक दिया हैं, जिसमें उसका एकाउंट हैं, नहीं तो मैं उसे अपनी सुविधा अनुसार किसी भी बैंक का चेक दे सकता था। हाँ, लेकिन तुम उसे ये मत बताना कि मैंने इतनी बड़ी रकम उसके कैरेक्टर का टेस्ट लेने के लिए दाँव पर लगाई हैं ?"

         "डोंट वरी डैड, मैं आपसे किया हुआ प्राॅमिश नहीं तोड़ूँगी। मैं उसे ये बताना तो दूर की बात हैं, उससे कोई भी बात नहीं करूँगी एंड आई रिक्वेस्ट टू यू कि आप अपने दिए चेक एमाउंट के लिए बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिए, क्योंकि वो उस चेक को विड्राल नहीं करेगा और बाइ चांस किसी वजह से उसने विड्राल कर भी लिया तो मैं उससे वो एमाउंट इमिजेटली आपको वापस दिला दूँगी।"

          "ओके बेटा, मैं तुमसे थोड़ी देर बाद बात करता हूँ। अभी मुझे अपने किसी दूसरे एकाउंट से कुछ एमाउंट उस एकाउंट में ट्रांसफर करना हैं, जिसका चेक उसे दिया हैं क्योंकि उस एकाउंट में चेक के एमाउंट जितना एमाउंट नहीं होगा।"

           "ओके डैड।" कहने के बाद मानसी स्क्रीन से गायब हो गई।
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#22
चक्रव्यहू (10th Part)


       "तुमने अभी तक चेक का एमाउंट विड्राल क्यों नहीं कराया ?" एस के गुप्ता ने अपने सामने बैठे हर्षित से सवाल किया।

        "बैंक जाने के लिए टाइम नहीं मिला।" हर्षित ने भावहीन स्वर में जवाब दिया।

        "बेटा, मैं जन्मजात बिजनेसमेन तो नहीं हूँ पर करीब तीस साल से बिजनेस कर रहा हूँ और इस लांग पीरियड में आज तक कोई भी मुझे दो बार बेवकूफ नहीं बना सका। तुम मुझे एक बार बेवकूफ बना चुके हो, इसलिए अब पूरी लाइफ में मुझे कभी बेवकूफ नहीं बना पाओगे।"

       "मैं समझा नहीं कि आप क्या कहना चाह रहे हैं।"

       "तुमने वो चेक एमाउंट विड्राल करने के लिए नहीं लिया था, लेकिन मुझे इस बात का जरा-सा भी अहसास तक नहीं होने दिया था, ये बेवकूफ बनाना नहीं हैं तो क्या हैं ?"

        "ये सच हैं कि मैंने आपसे वो चेक एमाउंट विड्राल करने के लिए नहीं लिया था, लेकिन आपको बेवकूफ बनाने के लिए भी नहीं लिया था। एक्चुअली, मैंने वो चेक आपके उस मकसद को सफल बनाने के लिए था, जिसके लिए आपने उस दिन मुझे अपने ऑफिस बुलाया था और मुझे मुँहमाँगी रकम देने की पेशकश की थीं।"

        "तुम किस मकसद की बात कर रहे हो ?"

        "आपने उस दिन मुझे बुलाकर वो चेक इसलिए हीं दिया था न कि आपके वीसी पर मौजूद मानसी ये सब अपनी आँखों से देख लें और उसकी नजरों में मेरी इमेज खराब हो जाए ?"

       "तुम कैसे जान गए थे कि मानसी मेरे साथ वीसी पर हैं ?"

         "आपके पीछे वाली कबर्ड में लगे ग्लास की हेल्प से, उसमें मुझे आपकी कम्प्यूटर स्क्रीन नजर आ रही थीं।"

         "बड़ी अजीब बात हैं। तुम्हें ये पता चल जानें के बावजूद भी कि देखकर मानसी की नजरों में तुम्हारी इमेज खराब हो जाएगी, तुमने मुझसे बीस लाख की डिमांड की और इस एमाउंट का चेक भी मुझसे ले लिया।"

        "इसमें अजीब जैसा कुछ नहीं हैं क्योंकि मैं भी चाहता था कि मानसी की नजरों में मेरी इमेज खराब हो जाए, ताकि इससे उसे मुझे भूलने में कुछ हेल्प मिल सके।"

        "तुम्हारा मुझसे चेक लेने का उद्देश्य जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा, पर तुम्हारी जानकारी के लिए मैं देता हूँ कि इससे न मानसी की नजरों में तुम्हारी इमेज खराब हुई और न मैंने तुम्हें उस दिन उसकी नजरों में तुम्हारी इमेज खराब करने के लिए बुलाया था। मैंने तो तुम्हें सिर्फ तुम्हारे कैरेक्टर का टेस्ट लेने के लिए बुलाया था, जिसमें तुम इतने अंकों से पास हुए जिसकी मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था। दरअसल हमारी कम्पनी का पुराने जीएम ने कुछ दिनों पहले हमारी कम्पेटेटर कम्पनी के मालिक से पैसे लेकर उसे हमारे एक टेंडर की रकम की जानकारी दे दीं थीं, इससे एक बड़ा टेंडर हमारे हाथ से निकल गया जिसके बाद मैंने उस गद्दार को अपनी कम्पनी से निकाल दिया। उसकी ड्यूटी फिलहाल हमारी कम्पनी का असिस्टेंट जीएम देख रहा हैं, लेकिन मुझे उस पर ज्यादा भरोसा नहीं हैं।

           सच कहूँ तो पुराने जीएम के कम्पनी के साथ गद्दारी करने की बात का पता चलने के बाद मैं कम्पनी के किसी भी अधिकारी पर इतना विश्वास नहीं कर पा रहा हूँ कि उन्हें जीएम जैसी इम्पाॅर्टेंट पोस्ट दे सकूँ इसलिए मैंने इस पोस्ट के लिए किसी बाहरी व्यक्ति को चुनने का फैसला किया, लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी मुझे कोई ऐसा शख्स नहीं मिला जिस पर आँख मूँदकर भरोसा किया जा सकता हो। फिर एक दिन जब मानसी ने तुम्हारे बारे में बताया था तो मैं तुम्हें अपनी कम्पनी में जीएम की पोस्ट लेने के लिए कन्वेंस करनी की कोशिश करूँगा और फ्राॅड निकले तो मानसी को तुम्हें भूलने में आसानी हो जाएगी। चूँकि तुम उससे भी ज्यादा अच्छे और सच्चे निकले, जितना मानसी ने तुम्हारे बारे में बताया था, इसलिए मैं तुम्हें ये जाॅब ऑफर कर रहा हूँ, इस उम्मीद और विश्वास के साथ कि तुम मुझे निराश नहीं करोगे। अब तुम बताओं कि तुम्हारा जवाब क्या हैं।"

          "सर, थैंक यू सो मच कि आपने मुझे इतने बड़े जाॅब के लायक समझा, बट आई एम रियली सो साॅरी फार इट कि मैं आपका ऑफर एक्सेप्ट नहीं कर पाऊँगा।"

        "देखो बेटा, यदि तुम अपनी च्वाइश न होने की वजह से ये जाॅब नहीं करना चाह रहे हो तो मैं फोर्स नहीं करूँगा, लेकिन तुम यदि ये सोचकर ये जाॅब करने से बचना चाह रहे हो कि मेरा तुम्हें ये जाॅब ऑफर करना मानसी की खुशी के लिए उससे तुम्हारी शादी करवाने जैसे मेरे किसी हिडन एजेंडे का हिस्सा हैं तो तुम गलतफहमी का शिकार हो रहे हो, क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम किसी और को अपनी लाइफ-पाॅर्टनर बनाने का फैसला कर चुके हो और मैं उन अमीर लोगों में से नहीं हूँ जो अपने बच्चों की खुशियों के लिए किसी दूसरे की हँसती-खेलती दुनिया में आग लगाने से भी पीछे नहीं हटते। वैसे मैं ऐसा करना भी चाहूँ तो मानसी मुझे ऐसा करने नहीं देगी। ये सच हैं कि मुझे तुम्हारे टेस्ट में पास होते हीं मानसी को तुमसे दूर करने का बहुत ज्यादा अफसोस हुआ, लेकिन अब तुम्हारे साथ मानसी का रिश्ता जोड़ने का वक्त काफी दूर जा चुका हैं और इस बात को मानसी भी समझ चुकी हैं, इसलिए तुम्हें इस बात से डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं हैं कि तुम ये जाॅब ऑफर एक्सेप्ट कर लोगे तो तुम्हें तुम्हारी फ्यूचर लाइफ-पार्टनर से दूर करके मानसी के साथ शादी करने के लिए कोई चाल चली जाएगी।"

        "सर, मैं ऐसी किसी मिसअंडरस्टैंडिंग का शिकार नहीं हुआ, जैसा आप सोच रहे हैं, बट आई एम श्योर कि निक्की को मेरे आपकी कम्पनी में जाॅब करने की बात पता चलेगी तो वो ऐसी मिसअंडरस्टैंडिंग का शिकार जरूर हो जाएगी और मैं उससे ये बात छुपाना भी चाहता नहीं हूँ। सो आई एम सो साॅरी फाॅर .......।"

          "तुम्हारी प्राॅब्लम तो काफी सीरियस हैं पर इसका एक साॅलुशन भी हैं। तुम उस लड़की को ये जाॅब ऑफर मिलने और इसे एक्सेप्ट करने की वजह साफ-साफ बता दो और उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद आराम से ये हमारी कम्पनी ज्वाइन करों। मैं सबूत के तौर पर तुम्हें अपनी कम्पनी का वो रिकार्ड की एक काॅपी दे देता हूँ जिसमें कम्पनी के ओल्ड जीएम को नौकरी से निकालने की डेट और रिजन दर्ज हैं, ठीक हैं ?"

           "सर, मुझे निक्की के कन्वेंस होने की पाॅसिब्लिटी काफी कम लग रही हैं, फिर भी आप कह रहे हैं तो मैं ट्राई करके देख लेता हूँ।"

           "थैंक्स, पर मेरी रिक्वेस्ट हैं कि वो तुम उसे कन्वेंस करने की लिए हर मुमकिन कोशिश करोगे। एक्चुअली, मैं तुम्हें ये जाॅब ज्वाइन कराने की इतना फोर्सेबली कह रहा हूँ क्योंकि पाँच-छः माह की कोशिशो के बाद मुझे इस पोस्ट के लिए उपयुक्त व्यक्ति के तौर पर तुम मिले हो और मैं तुम भी मेरे हाथ से निकल जाओगे तो पता नहीं मुझे कितने दिनों के बाद कोई दूसरा उपयुक्त शख्स मिल पाएगा। बेटा, तुम मेरी प्राॅब्लम को समझकर एक बार पूरे मन से कोशिश करके देख लो। यदि वो फुल अटैम्प के बाद भी कन्वेंस नहीं हुई तो मैं तुमसे प्राॅमिश करता हूँ कि मैं तुम्हें ये जाॅब ज्वाइन करने के लिए जरा-सा भी फोर्स करूँगा।"

          "सर एक और प्राॅब्लम हैं। यदि आप मुझसे ये उम्मीद रखकर ये जाॅब मुझे देना चाहते हैं कि मैं आपकी कम्पनी की प्रोग्रेस के लिए वो सब करूँगा जो काॅर्पोरेट के सेक्टर के ज्यादातर एम्प्लाईज को करना पड़ता हैं तो आपको निराश होना पड़ेगा।"

         "डोंट वॅरी, तुम्हें मेरी कम्पनी के लिए काम करते हुए अपने उसूलों और सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करना पड़ेगा। मानसी मुझे पहले हीं बता चुकी हैं कि तुम ऐसा कुछ किसी पर करने के लिए तैयार नहीं होते हो जो एक आदर्श इंसान को नहीं करना चाहिए।"

         "ओके सर, मैं कल लगभग इसी समय पर उसे आपसे मिला दूँगा।"

          "थैंक्स।" कहकर एस के गुप्ता ने अपना हाथ हर्षित की ओर बढ़ा दिया।
                              ................

       "निक्की को घर तक छोड़ दिया था न ?" एक छोटे-से रेस्टाॅरेंट के लाॅन में बैठे हर्षित ने अपने सामने बैठी मानसी से पूछा।

          "यार, मैं उसे घर छोड़ने गई थीं तो घर तक हीं छोड़कर आऊँगी न, कहीं रास्ते में तो नहीं छोड़ दूँगी।" मानसी ने कुछ इस तरह का मुँह बनाकर जवाब दिया, जैसे उसे हर्षित का सवाल काफी अजीब लगा हो।

         "बात तो बिल्कुल सही हैं तुम्हारी, बट मेरा इस टाइप का कोश्चन्स करना भी वाजिब हैं क्योंकि एक मैरिड पर्सन के लिए किसी अदर गर्ल के साथ इस टाइप की सीक्रेट मीटिंग करने से पहले ये कन्फर्म करना बहुत जरूरी होता हैं कि उसकी वाइफ के मीटिंग के प्लेस पर पहुँचने की पाॅसिब्लिटी तो नहीं हैं। मैं तुम्हें भी एडवाइज दे रहा हूँ कि तुम भी कन्फर्म कर लो कि तुम्हारे हसबैंड की यहाँ पहुँचने की कोई पाॅसिब्लिटी तो नहीं हैं, क्योंकि तुम्हारी चार दिन पहले हीं मैरिज हुई हैं, इसलिए हो सकता हैं कि तुम्हारे हसबैंड तुम्हें सरप्राइज देने के लिए तुम्हें चेस करते-करते यहाँ पहुँच जाए।"

          "थैंक्स फाॅर एडवाइज, बट मुझे इस टाइप की किसी भी एडवाइज की जरूरत नहीं हैं। तुम तो मुझे सिर्फ मेरी एक प्राॅब्लम सुनकर उसका कोई साॅलुशन बता दो।"

         "आई थिंक, तुम्हें अब अपनी प्राॅब्लम अपने के शेयर करके उसका साॅलुशन ढूँढने की कोशिश करना चाहिए।"

          "यार, तुम्हें मेरी प्राॅब्लम सुनने और साॅल्व करने में कोई इन्ट्रेस्ट न हो तो क्लियरली बता दो, पर प्लीज इस टाइप की फालतू बातें करके मुझे परेशान मत करों।"

          "बड़ी अजीब लड़की हो यार तुम। मैंने तो तुम्हें वही एडवाइज दी जो एक अच्छे मेल फ्रेंड को अपनी फिमेल फ्रेंड को देनी चाहिए और तुम हो कि मेरी इतनी अच्छी एडवाइज के लिए मुझे थैंक्स कहने के बदले मुझ पर भड़क गई।"

          "यार, जो गंदा शख्स दुनिया की किसी भी लड़की का हसबैंड कहलाने के लायक नहीं हैं, उसे तुम बार-बार मेरा हसबैंड कहकर मेरे जख्म पर नमक छिड़कोगे तो भी मुझे गुस्सा नहीं आएगा क्या ?"

          "आई एम सो साॅरी मानसी। एक्चुअली मुझे पता नहीं था कि तुम्हारे और तुम्हारे हसबैंड, .....साॅरी, जिग्नेश के बीच कोई ऐसा मेजर डिस्पुट पैदा हो गया हैं कि तुम उसे तुम्हारा हसबैंड कहने पर चिढ़ जाओगी, इसलिए मैं उसे तुम्हारा हसबैंड कहकर एड्रेस कर रहा था। बाइ द वे वो रिजन क्या हैं जिसकी वजह से तुम जिग्नेश को तुम्हारा हसबैंड कहने पर चिढ़ती हो ?"

          "मैंने तुमसे अपनी जिस प्राॅब्लम का साॅलुशन पूछने के लिए तुम्हें यहाँ बुलाया हैं, वो प्राॅब्लम और मेरे जिग्नेश को मेरा हसबैंड कहने पर चिढ़ने का रिजन एक हीं हैं। एक्चुअली, जिग्नेश के उसकी विडो भाभी के साथ इल्लिगल रिलेशन हैं, इसलिए मैं उस गंदे आदमी की न तो वाइफ कहलाना पसंद करती हूँ और न उसकी वाइफ बनकर उसके साथ रहना चाहती हूँ।"

          "मानसी, आर यू श्योर कि तुमने जो कहा, वो सही हैं ? आई मीन, तुम्हें कोई मिसअंडरस्टैंडिंग तो नहीं हुई ?"

         "मिसअंडरस्टैंडिंग होने का तो कोश्चन हीं क्रिएट नहीं होता, क्योंकि मैंने जिग्नेश और उसकी भाभी के बीच इल्लिगल रिलेशन होने का डाउट होने पर जिग्नेश से इस बारे में बात की तो उसने बिना ना-नुकुर किए अपनी भाभी के साथ अपने इल्लिगल रिलेशन की बात एडमिट कर लीं।"

         "तब तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ यार।"

         "इससे भी बुरा ये हुआ कि मैं उस घटिया आदमी के ट्रेप में इस तरह फँस गई हूँ कि ये बात अपने माॅम-डैड को नहीं बताकर उन्हें उस कमीने के साथ अपना रिलेशन खत्म करने के लिए कन्वेंस भी नहीं कर सकती। एक्चुअली बात ये हैं कि हम दोनों की शादी के बाद फर्स्ट नाइट को जब वो मेरे पास आया तो मैंने उससे कहा कि मुझे एज द वाइफ उसकी ख्वाहिशों और जरूरतों को पूरा करने के लिए मेंटली प्रिपेयर नहीं हूँ इसलिए मुझे थोड़ा समय चाहिए तो वो बिना किसी ना-नुकुर मुझे समय देने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद उसने मेरे साथ फ्रेंडशीप करके बड़े प्यार से मुझे कहा कि मेरा कोई पास्ट हो तो मैं उसके साथ शेयर कर सकती हूँ तो मैंने ये सोचकर उसे हम दोनों के अफेयर के बारे में बता दिया कि उसके साथ रिश्ते की शुरुआत झूठ की बुनियाद पर नहीं की जानी चाहिए, लेकिन उस कमीने ने मेरा ट्रस्ट ब्रीच करके सीक्रेटली हम दोनों की सारी बातचीत रिकॉर्ड कर लीं और जब मैंने कल रात को उसे उसकी भाभी के बैडरूम से निकलते देखकर उससे इसकी वजह पूछी तो उसने बड़ी बेशर्मी से मुझे बता दिया कि उसके भाई की करीब चार साल पहले एक एक्सीडेंट में मौत हो जाने के बाद से वो उसकी भाभी की फिजिकल रिक्वायरमेंट पूरी कर रहा हैं क्योंकि वो और उसकी फेमिली नहीं चाहती हैं कि उनकी ज्वाइंट प्राॅपर्टी में से उसकी भाभी अपने हसबैंड का शेयर अलग करके दूसरी शादी करें।

          उसकी बात सुनते हीं उसका मुझे एज द वाइफ अपनी ड्यूटी निभाने के लिए आसानी से समय देने के एक्चुअल रिजन समझ में आ गया। ये जानने के बाद मैंने उससे लड़ाई-झगड़ा करने की जगह उसके साथ सेटलमेंट करने के पर्पस से ये प्रपोजल रखा कि वो मेरे साथ कोर्ट चलकर हम दोनों के डिवोर्स की पिटिशन फाइल कर दे और उसके डैड ने मुझे अपने घर की बहू बनाने के बदले मेरे डैड से जो दहेज की मोटी रकम ऐठी हैं, उसे लौटा दे, लेकिन जवाब में उस कमीने ने मुझे उसकी और मेरी फर्स्ट नाइट की बातचीत की रिकार्डिंग सुनाकर कहा कि एज द वाइफ अपनी ड्यूटी निभाना या न निभाना मेरी मर्जी पर डिपेंड करेगा, बट मुझे सोसायटी की नजरों में उसके साथ उसकी वाइफ बनकर रहना पड़ेगा। यदि मैंने उससे डिवोर्स लेने की कोशिश की या अपने डैड को उसके और उसकी भाभी के रिलेशन के बारे में बताया तो वो हम दोनों की बातचीत की रिकार्डिंग की हेल्प से मेरे डैड और सोसायटी से ये कहकर खुद को डिफेंड कर लेगा कि मेरे दिल में शादी हो जाने के बाद भी अपने लवर के लिए साॅफ्ट कार्नर होने की वजह से मैं उसके साथ नहीं रहना चाहती और इसीलिए उस पर फाॅल्स एलीगेशन लगा रहीं हूँ। एक्चुअली, वो कमीना सोसायटी की नजरों में अपनी नार्मल मैरिड पर्सन की इमेज क्रिएट करने के लिए मुझे अपनी वाइफ बनाए रखना चाहता हैं, ताकि उसके और उसकी भाभी के इल्लिगल रिलेशन होने का किसी को डाउट न हो। उसने और उसकी फेमिली ने उसकी मेरे साथ शायद भी इसी पर्पस से करवाई। अब तुम बताओं कि मैं ऐसा क्या करूँ, जिससे मेरे डैड मेरी बात पर यकीन करके उस कमीने से डिवोर्स लेने में मेरा साथ देने के लिए तैयार हो जाए।"

           "तुम एक-दो दिन बाद अपने ससुराल चली जाओ और जिग्नेश से कहो कि तुमने परिस्थितियों से समझौता कर .....।"

           "हर्षित, मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थीं कि तुम मुझे उस गंदी फेमिली के साथ रहने की एडवाइज दोगे। तुम्हारी ये एडवाइज सुनने के बाद .......।"

          "यार, तुम लड़कियों के साथ एक बड़ी प्राॅब्लम ये हैं कि तुम लोग पूरी बात सुनने से पहले हीं किसी नतीजे पर पहुँच जाती हो और बुरा-सा मुँह बनाकर सामने वाले को बेवजह दो-चार उल्टी-सीधी बातें सुना देती हो। बेवकूफ लड़की, मैंने तुम्हें हालात से समझौता करके जिग्नेश के साथ लाइफ गुजारने के पर्पस से ससुराल जाने के लिए नहीं कहा, बल्कि मैंने तो इसलिए कहा कि तुम जिग्नेश के सामने सरेंडर होने की एक्टिंग करों, ताकि वो तुम्हारी ओर से बेफिक्र होकर अपनी मनमानी करने में लापरवाही बरतना शुरू कर दे और तुम्हें उसके कारनामें को रिकॉर्ड करने का मौका मिल जाए। मेरी बात समझ आयी या नहीं ?"

          "आ गई। थैंक यू सो मच फाॅर नाइस एंड यूजफुल एडवाइज।"

           "एक बात बताओं, तुम अपनी ये प्राॅब्लम मुझे निक्की के सामने भी बता सकती थीं, फिर तुमने उसे घर छोड़कर मुझे अकेले मिलने के लिए क्यों बुलाया ? एक मिनट, निक्की की काॅल आ रही हैं।" कहकर हर्षित ने अपने मोबाइल पर काॅल रिसीव की और कुछ देर मोबाइल पर बातचीत करने के बाद मानसी से कहा- "साॅरी मानसी, निक्की भड़क रहीं हैं इसलिए मुझे अभी के अभी जाना होगा। मैं तुम्हारी बाकी की बातें बाद में सुनूँगा, ओके ?"

         "ओके, बट काॅफी तो पी लो।"

         "नो यार, मेरी काॅफी भी तुम पर ड्यू रखना पड़ेगी, क्योंकि मैं जल्दी से घर नहीं पहुँचा तो वो मेरे दिमाग की काॅफी बनाकर पी जाएगी।" कहकर हर्षित उठा और रेस्टाॅरेंट के बाहर निकल गया।
                               ...............

          "मानसी, ये तूने अपनी क्या हालत बना रखी हैं यार ?" मानसी के चेहरे का गौर से मुआयना करते हुए निक्की ने हमदर्दी भरे स्वर में हैरानी व्यक्त की।

         "अरे, ऐसा क्यों बोल रहीं हैं तू, अच्छी-खासी तो हूँ मैं।" मानसी ने अपने चेहरे पर जबरन मुस्कुराहट लाने की कोशिश करते हुए जवाब दिया।

          "इतनी दुबली हो गई कि चेहरा तक पहचान नहीं आ रहा हैं और कह रही हैं कि अच्छी-खासी हूँ।"

         "डोंट वरी, अब तू मुझे सहारा देने आ गई हैं न तो अब मैं थोड़े हीं दिनों में पहले जैसी हो जाऊँगी।"

          "ये सब कुछ मेरी वजह से हुआ न ?"

          "क्या ?"

          "यही कि तुझे एक ऐसे गलत लड़के के साथ शादी करनी पड़ी, जिससे तुझे थोड़े हीं दिनों में उसके साथ डिवोर्स लेने के मजबूर होना पड़ गया।"

          "ये तो मेरे साथ हुआ, बट इसके लिए तू कैसे रिस्पांसिबल हो गई ? उस कमीने के साथ शादी तो मैंने अपने डैड की जिद पूरी करने के लिए की थीं।"

          "मानसी, कोई बड़ी सफाई के साथ झूठ बोलना तो तुझसे सीखें। अरे, मैं तुझे शादी करने के लिए कन्वेंस करने के पर्पस से ये मनगढँत बात नहीं बोलती कि हर्षित का कहना हैं कि वो तभी मेरे साथ शादी करेगा, जब किसी और लड़के साथ शादी कर लोगी तो तू हड़बड़ी में गलत लड़के के साथ शादी नहीं करती, लेकिन तू ऐसे अनजान बन रही हैं, जैसे तू इस बात को भूल चुकी हैं।"

          "अरे बाबा, वो शादी न मैंने तेरी मनगढँत बात की वजह से की थीं और न हड़बड़ी में की थीं। वो शादी मैंने सिर्फ अपने डैड की जिद की वजह से की थीं। हाँ, तेरी बात सुनने के बाद मैंने इतना किया कि अपने डैड को शादी के डेट थोड़ा जल्दी फिक्स करने के लिए कह दिया, ताकि तुम्हारी शादी को ग्रीन सिगनल मिल जाए। तू मुझे ये मनगढँत बात नहीं भी बताती, तब भी मुझे उस कमीने के शादी करनी हीं पड़ती थी क्योंकि उस कमीने और उसकी फेमिली ने शराफत का बनावटी नकाब पहनकर मेरे डैड को इस तरह से इम्प्रेस करके रखा था कि उन्हें वो कमीना दुनिया का बेस्ट ब्वाय और उसकी मक्कार फेमिली दुनिया की सबसे आइडियल फेमिली नजर आ रही थी, इसलिए तू मेरे साथ हुए इस बेड इन्सीडेंट के लिए बेवजह हीं खुद को रिस्पांसिबल मानकर गिल्ट फिल कर रही हैं।"

          "तू सच कह रही हैं न ?"

          "अरे हाँ बाबा, मैं बिल्कुल सच कह रही हूँ। तुझे मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा हो तो तू जिसकी चाहें, उसकी कसम खाकर मैं ये बात रिपीट कर सकती हूँ।"

          "थैंक्स गाॅड कि ये बेड इन्सीडेंट मेरी वजह से नहीं हुआ और मैंने हर्षित के कहने से आज तुझसे मुलाकात करके क्लीन चिट हासिल कर लीं, अदरवाइज मैं जिंदगी भर अपने आप को अपनी इस बचकानी हरकत के लिए कोसती रहती।"

         "अब छोड़ इस बात को और ये बता कि तेरी लाइफ कैसी कट रही हैं ?"

          "मेरी लाइफ अब तक तो इतनी बढ़िया कट रही थीं कि मैंने इसकी कभी कल्पना भी नहीं की थीं, लेकिन लगता हैं कि अब मेरी खुशियों पर फिर से मानसी नाम का ग्रहण लगने वाला हैं।"

           "यानि, तुझे ये लगता हैं कि जीजू के मेरे डैड की कम्पनी में काम करने का मिसयूज करके मैं उन्हें तुमसे दूर कर दूँगी ?"

         "मुझे ऐसा कुछ लगता तो मैं पागल हूँ क्या, जो उन्हें तेरे डैड की कम्पनी में काम करने के लिए ग्रीन सिग्नल दे देती ?"

         "तो फिर मैं किस तरह से मैं तेरी खुशियों पर ग्रहण बनकर लग सकती हूँ ?"

         "अब हम दोनों के बीच की दूरियाँ मिट चुकी हैं, इसलिए मुझे हर दो-चार दिन के बाद तेरा ये मुरझाया हुआ चेहरा देखना पड़ेगा तो बता कि मैं कैसे खुश रह पाऊँगी ?"

         "अरे बाबा, मैंने तुझसे कहा न कि मुझे तेरा साथ मिलता रहा तो मैं पहले जैसी रहने लग जाऊँगी।"

        "तेरी हैप्पी लाइफ के लिए मेरा साथ हीं काफी हैं तो तूने अपने साथ ये बेड इन्सीडेंट होने के बाद मुझे अपना सहारा बनाने की जगह हर्षित को अपना सहारा बनाने की ऐसी बेवकूफी क्यूँ की, जिसकी वजह हम दोनों के रिश्ते में पर्मानेन्ट दरार आने का जोखिम था ?"

         "ये जोखिम उठाना मेरी मजबूरी थीं क्योंकि मेरे डैड ने मुझे हर्षित से इन्टेंशली मिलने जाने या मिलने बुलाने से मना कर दिया था और ऐसे में मैं तुझसे मिलने तुम लोगों घर आती और ये बात मेरे डैड को पता चल जाती तो उन्हें लगता कि मैं हर्षित से मिलने ही जा रही हूँ और मैं उनका ट्रस्ट खो देती। पर तेरी ऐसी कौन-सी मजबूरी थीं कि तूने पूरे पाँच साल तक मुझसे काॅन्टेक्ट करने की कोई कोशिश नहीं की ?"

        
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#23
 "एक्चुअली, तूने मुझसे काफी लम्बे समय तक मुझसे काॅन्टेक्ट नहीं किया तो मुझे लगा कि तू अपनी मैरिड लाइफ में बिजी होकर मुझे भूल गई होगी, इसलिए मैंने भी तुझे तेरे हाल पर छोड़ देना हीं ठीक समझा। पर तू तो अपने मनपसंद साथी का साथ मिल जाने की वजह से मुझे याद नहीं कर रही थीं।"

         "यार, तू इतनी ज्यादा कमीनी हैं कि मेरे पास तेरे कमीनेपन को एक्सप्लेन करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं, पर पता नहीं फिर भी तू मुझे क्यों अच्छी लगती हैं ?"

        "मैंने तेरे साथ क्या किया जो तू मेरे लिए इतना बुरा बोल रही हैं ?"

         "मैंने अपने दिल के हाथों मजबूर होकर तेरे हसबैंड के साथ एज द फ्रेंड कुछ समय साथ बिता लिया तो तुझे इतनी-सी बात की इतनी तकलीफ हो गई कि तू बार-बार घूम-फिरकर उसी बात पर आ रही हैं। ये तेरा कमीनापन नहीं हैं तो क्या हैं ? अरे, तेरी जगह मैं होती और मेरी जगह पर तू होती तो मैं तेरे इमोशंस और फिलिंग की रिस्पेक्ट करते हुए कह देती कि निक्की, तुझे मेरे हसबैंड से जब, जहाँ, जितनी देर के लिए मिलना हैं, मिल सकती हैं, लेकिन तू तो इतनी बेदर्द हैं कि मैं मरने लायक कंडीशन में भी पहुँच जाऊँगी, तब भी तू ऐसा कभी नहीं कहेगी।"

        "ऐसा नहीं हैं बहन, मैं इतनी बेदर्द भी नहीं हूँ जितनी तू मुझे समझती हैं। यदि तुझे मेरे पास मौजूद ऐसी किसी चीज की जरूरत होती जो मैं तेरे साथ शेयर की जा सकती थीं तो जरूर शेयर कर लेती, चाहे वो चीज कितनी भी कीमती क्यूँ न होती, बट अनफोर्चनेटली तुझे ऐसी चीज की जरूरत हैं जो चाहकर भी मैं तेरे साथ शेयर नहीं कर सकती, क्योंकि इसकी न तो हमारा दिल परमिशन देता हैं, न हमारी सोसायटी और न हमारे कन्ट्री का कानून, इसलिए मुझे तेरे दर्द को देखकर भी अनदेखा करना पड़ता हैं।"

         "थैंक यू सो मच फाॅर इट कि तू मेरे इमोशंस और फिलिंग को गलत नहीं समझती हैं और रहा सवाल मेरे इमोशंस और फिलिंग के लिए मेरी कोई अनर्गल डिमांड पूरी करने का तो मैं खुद भी नहीं चाहती हूँ कि तू या तेरा हसबैंड मेरी ऐसी कोई डिमांड पूरी करें जो इल्लिगल या इम्मोरल हो। वो तो मैं तेरे हसबैंड के साथ फ्रेंडशीप इसलिए बनाए हुए थीं क्योंकि मुझे यकीन था कि वे न अपने कदमों को कभी बहकने देंगे और न मेरे कदमों को। बट अब ये भी नहीं करूँगी, क्योंकि ऐसा तू भी नहीं चाहती हैं और मेरे डैड भी नहीं चाहते हैं। बाइ द वे, मैं तुझसे तो मिलने तेरे घर आ सकती हूँ न ?"

         "एनी टाइम।"

         "तो तू थोड़ी देर रूक, मैं तैयार होकर आती हूँ। मेरी तेरे बेटे से मिलने की बहुत दिनों से इच्छा हैं, इसलिए आज तेरे साथ हीं चलकर तेरे बेटे से मिल लेती हूँ। एनी प्राॅब्लम ?"

         "मुझे क्या प्राॅब्लम हो सकती हैं ?"

          "थैंक्स। मैं पाँच मिनट में तैयार होकर आ रही हूँ।"

          "ओके।" निक्की का जवाब सुनते हीं मानसी अपने घर के हाल से उठकर सीढ़ियों की ओर कदम बढ़ाने लगी।
                             ......................

         "निक्की, तेरा बेटा तो बहुत ही क्यूट हैं।" मानसी ने अपनी गोद में बैठे करीब तीन साल के बच्चे के सिर पर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा।

        "अले, आप मुदे इनका बेटा क्यूँ बोल लही हैं ? मैं तो पापा दी की बेटा हूँ।" मानसी की बात पर निक्की कोई प्रतिक्रिया व्यक्त कर पाती, इससे पहले ही तीन वर्षीय बालक ने अपनी तोतली भाषा में उसकी बात पर अपनी आपत्ति प्रकट कर दी।

        "साॅरी बेटा, मुझे पता नहीं था कि आप सिर्फ अपने पापा जी के बेटे हैं, इसलिए मैंने आपको इनका बेटा बोल दिया। बाइ द वे, क्या मैं जान सकतीं हूँ कि आप अपनी मम्मी के बेटे क्यों नहीं हो ?"

         "मम्मा, मुदे औल पापा दी को हमेता दातती लहती हैं, इतलिए।"

          "तब तो आपकी मम्मा वाकई बहुत बुरी हैं। एनी वे, हम लोग ऐसे बुरे लोगों की बात करके अपना टाइम वेस्ट नहीं करते हैं। अब हम लोग अपनी बात करते हैं। बेटा, ये बताइए कि आपका नाम क्या हैं ?"

          "लिथु।"

          "लिथु तो बहुत प्यारा नाम हैं। आपका इतना प्यारा नाम पापा जी ने रखा या मम्मा ने ?"

          "पता नहीं, बत मेला नाम लिथु नहीं 'लिथु' हैं।"

          "डू यू मीन रिषु  ?"

          "हाँ।"

          "अच्छा रिषु जी, अब ये बताओं कि मैं आपको कैसी लगी ?"

           "अत्थी।"

           "सिर्फ अच्छी या बहुत अच्छी ?"

           "बहुत अत्थी।"

           "तो आप मुझे मौसी कहेंगे ?"

           "हाँ।"

           "मौसी नहीं, तू बोलेगी तो ये तुझे मम्मी भी कह देगा।" ये कहकर निक्की ने दोनों की बातचीत में व्यवधान उत्पन्न कर दिया।

          "निक्की, तू ऐसी बात करेगी तो मैं अब तेरे घर कभी नहीं आऊँगी।" मानसी ने नाराजगी जाहिर की।

          "अरे, भड़क क्यूँ रही हैं ? मैं तो मजाक कर रही थी।"

          "छोटे से बच्चों के सामने ऐसा मजाक करना भी गलत हैं, जिससे उनके मन में बुरा असर हो सकता हैं।"

           "ये बात मुझे भी पता हैं।"

           "पता हैं तो ऐसी बकवास क्यों की ?"

           "इस छुटके को अभी इतनी समझ नहीं हैं कि इसके मन पर ऐसी बातों का अच्छा या बुरा असर पड़े, इसलिए।"

           "यदि तू ऐसा सोचती हैं तो तू गलत हैं। मैंने तीन साल से लेकर पंद्रह साल की उम्र के बच्चों के स्कूल में पूरे पाँच साल तक टीचरशीप की हैं, इसलिए मुझे इतना एक्सपीरियंस हो चुका हैं कि मैं किसी बच्चे से दो मिनट की बातचीत करके जान लेती हूँ कि उस बच्चे की समझ-बूझ कितनी विकसित हो चुकी हैं और मेरे इस एक्सपीरियंस के आधार पर जान लिया कि तेरे बेटे...साॅरी, मेरे जीजू के बेटे के अंदर तुझसे तो ज्यादा हीं समझ-बूझ विकसित हो चुकी हैं।"

        "तू सही बोल रही हैं, इसमें अपने बाप की तरह कुछ ज्यादा हीं समझ-बूझ विकसित हो गई हैं।"

        "देख निक्की, मैं तुझे अपनी बहन मानती हूँ इसलिए तुझे एक नेक सलाह दे रही हूँ कि तू इस तरह अपने बच्चे के सामने उसके पापा जी की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट बुराई मत कर, अदरवाइज ये तुझसे उसी तरह दूर हो जाएगा जैसे जीजू तुझसे दूर हो चुके हैं। चल छोड़ इस बात को और ये बता कि क्या मैं मेरे रिषु को आज दिन भर के लिए अपने साथ ले जा सकती हूँ ?"

        "ले जा, बट उसकी च्वाइस के एकार्डिंग कुछ मत खिलाना। यदि कुछ खिलाना जरूरी हो जाए तो इस उम्र बच्चों के लिए जो हेल्दी हो, वही खिलाना।"

       "यार, फिर तू इसे अपने पास हीं रख लें क्योंकि मुझसे बच्चों का दिल दुखाना नहीं होता हैं।"

       "तो तू क्या बच्चों की खुशी के लिए उन्हें मनमानी करने देने के फेवर में हैं ?"

        "नहीं, बट कभी-कभी मौसी के साथ जाए तो मस्ती तो बनती हैं।"

        "ठीक हैं, बट ये तेरा भैय्यू बिगड़ा न तो इसे पर्मानेन्टली तेरे घर भेज दूँगी।"

         "नो प्राॅब्लम। भैय्यू, मेरे साथ चलोगे ?"

         "हाँ मौथी।"

         "गुड ब्वाय। बाय निक्की, मैं जा रही हूँ।"

         "अरे, चाय-काॅफी कुछ तो ले ले।"

          "नो यार, तूने ये इतना प्यारा टाॅय मुझे दे दिया हैं, तो अब मेरा मन चाय-काॅफी में लगेगा क्या ? अब तो सालों बाद मानसी इस टाॅय के साथ जी भरकर मस्ती करेगी। बाय, जा रही हूँ मैं। बेटा, मम्मा को बाय बोलो।"

        "बाय मम्मा।" रिषु ने निक्की की ओर देखकर हाथ हिलाते हुए कहा।

         "बाय बेटा, बाय मानसी।" कहते हुए निक्की ने भी विदाई के अंदाज में अपना हाथ हिला दिया।
                          .......................

        "क्या हुआ डैड, आज आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं ?" घर के हाल में बैठे एस के गुप्ता के पास आकर मानसी ने सवाल किया।

        "बेटा, जैसे घर के बाकी लोगों ने मुझ पर ध्यान देना बंद कर दिया, वैसे ही तुम भी मुझ पर ध्यान देना बंद कर दो, क्योंकि आजकल मैं अक्सर कोई न कोई परेशानी की वजह से परेशान रहता हूँ और मुझ पर ध्यान देकर तुम भी बेवजह परेशान होती रहती हो।" एस के गुप्ता ने गम्भीर स्वर में उसकी बात के जवाब में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

         "डैड, मैं आपको अपने हाल पर छोड़ दूँ तो फिर हम दोनों के बीच के बाप-बेटी के रिश्ते का क्या सेंस रह जाएगा ?"

          "बेटा, जब इस घर के बाकी के दो स्थायी और दो अस्थायी सदस्यों के मुझे मेरे हाल पर छोड़ देने के बावजूद भी उनका मेरे साथ रिश्ता बना हुआ हैं तो तुम मेरे साथ रिश्ता बनाए रखने के लिए हर वक्त मेरा हाल-चाल और परेशानी जानकर परेशान होना क्यों जरूरी समझती हो ?"

          "इस घर के बाकी मेम्बर्स ने आपको आपके हाल पर छोड़ दिया, इसका मतलब ये नहीं हैं कि मैं भी आपको आपके हाल पर छोड़ दूँ। डैड, मैं आपको कभी आपके हाल पर नहीं छोड़ सकती, क्योंकि आप दुनिया के उन दो पर्सन्स में शामिल हैं जो मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। आपको पता हैं न कि मैंने आपके दिल को कोई चोट न पहुँचे, इस वजह मैंने अपने लिए सबसे ज्यादा मायने रखने वाले दूसरे पर्सन का साथ तक छोड़ दिया ?"

         "हाँ बेटा और मुझे तुम्हारे उस डिसिजन की वजह से तुम्हें अपनी बेटी कहने में गर्व महसूस होता हैं, पर आज एक बात जानने के बाद तुम्हारे मन में अपने उस डिसिजन को लेकर जो अफसोस वो दूर हो जाएगा और तुम ये बात मानने पर मजबूर हो जाओगी कि अपने डैड को हर्ट न करने के लिए तुमने अपनी लाइफ के उस दूसरे सबसे इम्पाॅर्टेंट पर्सन का साथ छोड़ने का जो डिसिजन लिया था, वो बिल्कुल सही था। मैं आज परेशान भी उस शख्स के गलत निकल जाने की वजह से ही हूँ। दरअसल बात ये हैं कि आज फिर हमारे हाथ से एक टेंडर निकल गया हैं और इसकी वजह भी वही हैं जो पिछली बार हमारे हाथ से टेंडर निकल जाने की थीं, यानि किसी ने हमारी प्रतिद्वंद्वी कम्पनी को हमारे टेंडर एक्जेक्ट एमाउंट बता दिया और इस वजह से उस कम्पनी हमारे टेंडर के एमाउंट से मात्र एक हजार रूपये कम का टेंडर भरकर एक बड़ा ऑर्डर हमसे हथिया लिया।"

         "डैड, ये तो हमारे साथ वाकई बहुत बुरा हुआ, लेकिन इसकी वजह से हर्षित कैसे गलत साबित हो गया ?"

          "इस टेंडर के पेपर उसी ने तैयार किए थे और इस टेंडर के एमाउंट की मेरे अलावा सिर्फ उसी को जानकारी थीं। अब तुम खुद सोच सकती हो कि इस एमाउंट के बारे में हमारी कम्पेटेटर कम्पनी को किसने बताया होगा ?"

           "डैड, ये को-इन्सीडेंट भी तो हो सकता हैं।"

           "नहीं बेटा, ये को-इन्सीडेंट नहीं हैं क्योंकि को-इन्सीडेंट में करोड़ों के टेंडर में दो कम्पनियों के टेंडर के एमाउंट में इतना माइनर अंतर नहीं होता हैं।"

          "चलिए, मैं आपकी बात मान लेती हूँ कि ये को-इन्सीडेंट नहीं हैं, बट ये तो मैं मान हीं नहीं सकती कि हर्षित किसी के साथ विश्वासघात कर सकता हैं। ये जरूर किसी थर्ड पर्सन ने किया होगा।"

           "मानसी, इस तरह किसी पर आँख बंद करके विश्वास करना गलत हैं, क्योंकि धोखा खाने की यही सबसे बड़ी वजह साबित होता हैं।"

          "डैड, हर्षित पर मेरे ट्रस्ट को आँख बंद करके विश्वास करना नहीं कहा जा सकता हैं, क्योंकि उस पर मेरा ये ट्रस्ट करीब आठ साल तक उसका बिहेवियर और एक्टीविटिज क्लोजली वाॅच करने के बाद बना हैं एंड आई एम श्योर फाॅर इट कि मेरा ये ट्रस्ट कभी ब्रीच नहीं होगा।"

          "बेटा, तो तुम मुझे ये बताओं कि ये कारनामा हर्षित का नहीं हैं तो किसका हैं ?"

          "आई डोंट नो, बट आई एम श्योर कि इतना घटिया काम हर्षित कर ही नहीं सकता।"

           "बेटा, ये जो तुम्हारी सोच हैं न कि कोई इंसान ने काफी लम्बे समय तक जिन उच्च आदर्शों और सिद्धांतों को अमल में लाता रहा, वह हमेशा हीं उन आदर्शों और सिद्धांतों पर अडिग रहेगा, ये भी गलत हैं क्योंकि चंद लोग हीं पैदाइशी बेईमान होते हैं, ज्यादातर तो अपनी उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर हीं बेईमानी का रास्ता अख्तियार करते हैं। मुझे लगता हैं कि ये लड़का भी उन ज्यादातर लोगों जैसा हैं।"

           "नहीं डैड, आपकी ये गेसिंग पूरी तरह से इनकरेक्ट हैं। आप हर्षित को एक चांस दीजिए, वो अपने इनोसेंट होने का प्रूफ भी आपको दे देगा और असली गुनाहगार को भी बेनकाब कर देगा।"

           "बेटा, मेरा दिल मुझे उससे कोई भी बात करने की इजाजत नहीं दे रहा हैं।"

            "प्लीज डैड, मेरे लिए आप एक बार उससे बात कर लीजिए। आई प्राॅमिश टू यू कि वो अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर पाता हैं तो मैं आपको उसे अपनी कम्पनी से निकालने से नहीं रोकूँगी। पर आपको उसे एक मौका तो देना हीं पड़ेगा, ये मेरी आपके रिक्वेस्ट भी और जिद भी।"

            "बेटा, मेरा मन तो नहीं हो रहा हैं, पर तुम नहीं मान रही हो तो मैं उससे बात करके एक मौका दे देता हूँ।"

            "थैंक यू डैड।"

             मानसी के प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले ही एस के गुप्ता ने अपना मोबाइल निकाल लिया।

            "डैड, क्या कहा हर्षित ने ?" एस के गुप्ता की मोबाइल पर बात खत्म होने के बाद मानसी ने पूछा।

           "वो कह रहा था कि उसे दो-तीन का टाइम चाहिए, असली गुनाहगार का पता लगाने के लिए।"

           "डैड, प्लीज हर्षा को दो-तीन दिन का टाइम दे दीजिए न।"

           "आलरेडी दे चुका हूँ।"

           "थैंक्स डैड। आइए, मैं आपके लिए डिनर लगाती हूँ।" कहकर मानसी किचन की ओर चली गई।
                            ..................

          "हर्षित, हमारे टेंडर लीक मामले के बारे में तुम्हारे हाथ कोई बड़ा सुराग लग चुका हैं और उसे तुम मुझसे छुपा रहे हो ?" एस के गुप्ता ने हर्षित की आँखों में झाँकते हुए सवाल किया।

         "सर, ऐसा कुछ नहीं हैं। आज दिनभर की तमाम कोशिशों के बावजूद इस मामले के सुराग के नाम मेरे हाथ पूरी तरह से खाली हैं, बट आई होप कि अगले एक-दो दिन में मैं इस मामले के सूत्रधार का चेहरा बेनकाब कर दूँगा।" हर्षित ने अपने स्वर में बनावटी आत्मविश्वास के भाव लाने का प्रयास करते हुए जवाब दिया।

         "बेटा, मैंने अपने बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं बल्कि लम्बे समय तक बिजनेस करते हुए सफेद हुए हैं, इसलिए तुम मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश करना बंद करों और साफ-साफ बता दो कि उस नाइट शिफ्ट में ड्यूटी करने वाले ऑफिस के वाॅचमेन ने तुम्हें क्या बताया, जिसे तुमने ऑफिस की सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद अपने कैबिन में पूछताछ के लिए बुलवाया था ?"

         "उससे कोई काम की बात पता नहीं चली।"

         "तो तुमने उससे पूछताछ करने के बाद अचानक अपनी इन्क्वायरी क्यों बंद कर दी ?"

          "सर, मैंने इन्क्वायरी बंद नहीं की हैं, सिर्फ कुछ देर के लिए ब्रेक की हैं।"

          "बेटा, तुम पिछले पाँच साल से मेरे साथ काम कर रहे हो और इस तीन माह में मैंने कभी भी तुम्हें इस टाइप की सेन्सेटिव प्राॅब्लम सामने खड़ी होने पर इतना लम्बा ब्रेक लेते हुए नहीं देखा हैं, जितना लम्बा ब्रेक तुमने आज लिया हैं, इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि तुम्हें उस वाॅचमेन से ऐसा इस फ्राॅड से जुड़ा कोई सुराग जरूर मिला हैं, जिसे तुम सबसे सीक्रेट रखना चाहते हो, इस वजह से तुमने ये इन्क्वायरी यही पर क्लोज कर दीं। पर तुम्हारी जानकारी के लिए मैं बता देता हूँ कि यदि तुम ये इन्क्वायरी आगे नहीं बढ़ाओगे तो मुझे इसे आगे बढ़ानी पड़ेगी क्योंकि मैं अपनी कम्पनी को डेढ़-दो करोड़ का चूना लगाने वाले गद्दार को बेनकाब करके सजा दिलाए बिना नहीं रह सकता। तुम मुझे वाॅचमेन से मिले सुराग के बारे में नहीं बताओंगे तो मुझे मजबूरन उसे पुलिस की मदद से उससे सच्चाई उगलवाकर ये इन्क्वायरी आगे बढ़ानी पड़ेगी।"

         "सर, आई रिक्वेस्ट टू यू कि आप एक-दो दिन तक ऐसा कुछ मत कीजिए। यदि एक-दो दिन मैं उस गद्दार को बेनकाब नहीं कर पाया तो आपको जो सही लगे, कर लीजिएगा।"

          "अरे बेटा, लेकिन ये मामला आज ही पुलिस के हवाले करने में नुकसान क्या हैं ?"

          "इससे मानसी की बदनामी हो सकती हैं।"

          "क्या ?"

          "हाँ सर।"

          "तो क्या तुम ये कहना चाहते हो कि इस फ्राॅड में मानसी का कोई रोल हैं ?"

          "नो सर।"

          "तो फिर ये मामला पुलिस को सौंपने से मानसी की बदनामी क्यों होगी ?"

           "एक्चुअली, उस नाइट शिफ्ट वाले वाचमेन कहना हैं कि करीब तीन माह पहले उसने मानसी के कहने पर मेरे कैबिन में हिडन कैमरा फिट किया था और वह उसी के कहने पर पिछले तीन माह से हर दिन सुबह करीब छः बजे मेरे कैबिन आकर उस कैमरे से उसमें लगा मेमोरी कार्ड निकालकर नया मेमोरी कार्ड फिट करता था और पिछले चौबीस घंटे की रिकार्डिंग वाला मेमोरी कार्ड मानसी को सौंप देता था, इसलिए मुझे लगता हैं कि आप उसे पुलिस के हवाले करेंगे तो वो पुलिस को भी यही बताएगा और इससे टेंडर लीक का एलीगेशन मानसी पर लग जाएगा।"

           "क्या तुम सही बोल रहे हो ?"

           "जी हाँ। आपको यकीन नहीं आ रहा हैं तो मैं उस वाॅचमेन के साथ हुई मेरी बातचीत की रिकार्डिंग आपको सुना सकता हूँ जो उसी हिडन कैमरे में रिकॉर्ड हुई हैं जो उसने बगलवाली कबर्ड के ऊपर रखे मैटल एलीफेन्ट के पैरों के पीछे छुपाकर रखा था। एक मिनट रूकिए, मैं आपको भी दिखा देता हूँ।" कहकर हर्षित ने अपनी मेज के ड्राअर से एक छोटा-सा डिजिटल कैमरा निकाला और उसमें लगा मेमोरी कार्ड निकालकर अपने कम्प्यूटर से कनेक्ट किया। इसके बाद एक स्केन प्ले करके कम्प्यूटर के माॅनीटर का फेस एस के गुप्ता की ओर घुमा दिया।

          "बेटा, आज इस रिकॉर्डिंग को देखने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा हैं कि करीब तीस साल तक बिजनेस के फील्ड में रहकर तरह-तरह के लोगों से मिलने और जीवन में तरह-तरह के उतार-चढ़ाव देखने के बावजूद भी मैं इस मायावी दुनिया की एबीसीडी तक नहीं जान पाया। ये मैं कभी इमेजिन तक नहीं कर सकता था कि मेरी बेटी मानसी मेरे साथ चीटिंग करने के मामले में मेरी बीवी, मेरे दूसरे बच्चों और मेरे दामाद से भी चार कदम आगे निकल जाएगी।"

          "बट सर, मुझे ऐसा नहीं लगता कि हमारी कम्पनी का टेंडर के एमाउंट की डिटेल हमारी कम्पेटेटर कम्पनी को देने में मानसी का कोई हाथ हैं।"

          "बेटा, ये तुम नहीं बल्कि तुम्हारा मानसी के प्रति ब्लाइंड फैथ बोल रहा हैं। यदि तुम अपने इस ब्लाइंड फैथ का चश्मा उतारकर देखोगे तो तुम्हें ये समझने में एक मिनट से भी कम समय लगेगा कि ये काम मानसी के अलावा किसी दूसरे का नहीं हो सकता, पर तुम ये चश्मा उतारकर देखोगे नहीं इसलिए मैं ही तुम्हें समझा देता हूँ। देखो, अभी तक मेरा शक तुम पर था क्योंकि उस टेंडर की रकम की मेरे अलावा सिर्फ तुम्हें जानकारी थीं, लेकिन अब हमारी जानकारी में एक ऐसा तीसरा शख्स आ चुका हैं जो तुम्हारे कैबिन में होनेवाली हर गतिविधियों की गुपचुप तरीके रिकार्डिंग करवाता हैं जो सीधा इस बात की ओर इशारा करता हैं कि ये घृणित काम उसी तीसरे शख्स का हैं। तुम्हें याद तो होगा न कि हम दोनों उस टेंडर के एमाउंट के बारे में डिसकस इसी कैबिन में किया था ?

            "यस सर।"

            "तो फिर तुम ये भी समझ हीं गए होंगे कि हमारी बातचीत की रिकार्डिंग देखने वाले शख्स को उस टेंडर का एमाउंट की जानकारी बिना दिमाग खर्च किए बड़ी आसानी से हो सकती हैं ?"

            "जी हाँ।"

            "तो अब क्या कहना हैं तुम्हारा ?"

            "यही कि मानसी ऐसा घटिया काम नहीं कर सकती। मुझे लगता हैं कि वो वाॅचमेन झूठ बोल रहा हैं। इसमें तो कोई शक नहीं हैं कि ये हिडन कैमरा उसी ने फिट किया था और वो हर दिन सुबह इसमें से रिकॉर्डिंग निकालकर किसी को देता भी था, क्योंकि इस कैबिन के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में वो इस कैबिन में हर दिन सुबह आता-जाता नजर आ रहा हैं, लेकिन लगता हैं कि वो सब ये किसी और के कहने पर कर रहा था और उसी का नाम छिपाने के लिए उसने मानसी का नाम बता दिया होगा, इसलिए हमें किसी नतीजे पर पहुँचने से पहले एक बार मानसी से बात करनी चाहिए। मैं तो उससे बात कर नहीं सकता, इसलिए आपको हीं उससे बात करनी पड़ेगी।"

            "मैं उससे किसी भी हालत में बात नहीं करूँगा।"

            "तो फिर मुझे हीं उसके साथ बात करनी पड़ेगी।"

            "मुझे नहीं लगता हैं कि तुम्हें भी उससे मिलकर कुछ हासिल होने वाला हैं, पर तुम अपनी तसल्ली के लिए उससे मिलने के लिए मेरी ओर से स्वतंत्र हो।" कहकर एस के गुप्ता हर्षित के कैबिन से बाहर निकल गए।
                                 ...........

         "मानसी, आर यू ओके ?" हर्षित ने कुछ चिंतित स्वर में पूछा।

        "डोंट वरी मिस्टर हर्षित, आई एम एब्सॅल्यूटली फाइन।" इस बार हर्षित को तुरंत जवाब मिल गया। जवाब देने के साथ हीं मानसी अचानक मुस्कुराती हुई उठकर खड़ी हो गई।

        "तुम ठीक हो तो नीचे क्यों नहीं आयी ?"

        "क्योंकि मैं नीचे आ जाती तो तुम ऊपर नहीं आते और तुम्हें मेरे रूम में कम से कम एक बार बुलाने की मेरी तमन्ना आज भी पूरी नहीं होती।"

        "और तुम मुझे अपने रूम में बुलाना किसलिए चाहती थीं ?"

        "अरे, भड़को मत यार। मैंने तुम्हें अपने रूम में किसी गलत पर्पस से नहीं बुलाया हैं। मैंने तो तुम्हें सिर्फ यहाँ इसलिए बुलाया हैं कि तुम मेरी तन्हाई के गवाह इस रूम में आकर मेरे दिल के दर्द को कुछ लम्हों के लिए महसूस करों, ताकि तुम्हें प्यार में असफल इस बेचारी मासूम-सी लड़की को होनेवाली असहनीय पीड़ा का कुछ अहसास हो सके।"

        "मुझे अपनी पीड़ा का अहसास कराकर तुम्हें क्या मिल जाएगा ?"

         "हम लोग अपना दर्द किसी को क्यों बताते हैं ?"

         "आई डोंट नो, क्योंकि मैंने कभी अपना दर्द किसी को नहीं बताया ?"

         "कोई बात नहीं, मैं तुम्हें बता देती हूँ कि हम लोग अपना दर्द दूसरों को इसलिए बताते हैं क्योंकि इससे हमारे दिल का दर्द कुछ कम हो जाता हैं।"

         "तुम्हें कुछ और कहना हैं या मैं तुम्हारे साथ जो बात करने आया हूँ, वो शुरू करूँ ?"

          "बस एक आखिरी बात सुन लो, फिर आराम से अपनी बात कर लेना।"

           "बोलो ..।"

           "पहले आराम से बैठ जाओं और चाय या काॅफी लो, उसके बाद बताती हूँ। चंदा ..।"

           "देखो मानसी, मेरे पास आराम बैठकर चाय-काॅफी पीने का टाइम नहीं हैं, इसलिए तुम्हें जो कहना हैं, जल्दी कहो ताकि उसके बाद मैं अपनी बात कर सकूँ।"

           "ठीक हैं, लेकिन बैठ तो जाओ।"

           "लो यार, बैठ गया। अब तो कह दो कि क्या बताना चाह रही हो ?"

            "इस रूम की दीवारों को देखकर तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि इन पर पोस्टर जैसी कोई चीजें टेप की हेल्प चिपकाकर बाद में हटा दीं गई हैं ?"

            "लगता हैं।"

            "क्या तुम गेस कर सकते हो कि इन पर क्या चिपकाया गया था और क्यों हटाया गया ?"

             "नहीं।"

             "कोई बात नहीं, मैं बता देती हूँ। इन दीवारों पर तुम्हारी तस्वीरें लगीं हुई थीं और उन्हें मैंने रिषु की वजह से हटाई। एक्चुअली, एक दिन मैं उसे अपने साथ लेकर आयी थीं और वो मेरा रूम देखने की जिद करने लगा तो मुझे उसे रूम में लेकर आने से पहले तुम्हारी तस्वीरें हटानी पड़ी, ताकि उसे मेरे रूम तुम्हारी तस्वीरें देखकर कोई स्ट्रेंज फीलिंग न हो। अब तुम अपनी बात शुरू कर सकते हो।"

          "थैंक्स। तुम सबसे पहले ये बताओ कि क्या तुमने हमारे ऑफिस के वाॅचमेन अनोखेलाल से तीन माह पहले मेरे कैबिन में हिडन कैमरा फिट करवाया था ?"

           "हाँ।"

           "व्हाट ?"

           "अरे, तुम तो मेरी 'हाँ' सुनकर ऐसे चौंक उठे जैसे मैंने कैमरा नहीं बल्कि कोई टाइम बम फिट करवाया था। अरे बाबा, ......।"

           "तुम अपनी बकवास बंद करों और ये बताओ कि तुमने ये स्टूपिड काम किस पर्पस से करवाया था ?"

           "रेग्युलरली तुम्हारी दिन भर की एक्टीविटिज देखने के लिए। एक्चुअली, मेरी प्राॅब्लम ये हैं कि मैं तुम्हें देखें और तुम्हारी बातें सुने बिना नहीं रह सकती हूँ इसलिए जब लोगों ने मेरा तुमसे मिलने और तुम्हारे साथ बातचीत करने के सारे रास्ते बंद कर दिए तो मुझे तुम्हें देखने और तुम्हारी बातें सुनने का यही एक तरीका नजर आया और मैंने उस वाॅचमेन की हेल्प से ये करना शुरू कर दिया।"

           "यार मानसी, कभी-कभी मुझे ऐसा लगता हैं कि तुम्हें एक दर्शनीय चीज की तरह म्यूजियम में बिठाकर रखना चाहिए। जानती हो, तुम्हारी इस बचकानी हरकत की वजह से हीं हमारी कम्पनी का पिछला टेंडर हमारे हाथ से निकला हैं।"

          "यदि ऐसा हुआ हैं तो मुझे अपनी इस हरकत के लिए हमेशा अफसोस रहेगा, बट प्लीज बिलिव मी, मैंने सिर्फ उसी पर्पस से ये सब किया जो मैंने तुम्हें बताया।"

           "मुझे तो पूरा यकीन हैं कि तुमने ये किसी गलत पर्पस से नहीं किया होगा, बट तुम्हारे डैड तुम्हें गलत समझ बैठे हैं।"

           "यानि, उनकी शक की सुई तुम्हारी ओर से मेरी ओर घूम गई ?"

            "हाँ।"

            "थैंक्स गाॅड।"

            "बड़ी अजीब लड़की हो यार तुम। तुम्हारे डैड तुम्हें गलत समझ बैठे हैं और तुम परेशान होने की बजाय भगवान को धन्यवाद कह रही हो।"

             "अरे, मैं भगवान को मेरे डैड के मुझे गलत समझ लेने की वजह से धन्यवाद नहीं दे रही हूँ बल्कि उनकी कृपा से मेरे डैड के शक की सुई तुम पर से हट जाने की वजह से उन्हें धन्यवाद दे रही हूँ।"

             "तो क्या तुम्हें तुम्हारे डैड के तुम्हें गलत समझ लेने का कोई दुख नहीं हैं ?"

            "थोड़ा दुख तो हो रहा हैं बट खुशी इतनी ज्यादा हो रहीं हैं कि ये दुख का अहसास उसके नीचे दबकर दम तोड़ रहा हैं।"

            "मानसी, तुम पागल हो गई हो।"

            "इसे पागल होना नहीं दीवाना होना कहते हैं।"

             "जो भी कहते हो, लेकिन इसकी वजह से मेरी सिरदर्दी बढ़ गई हैं। एक बात बताओं कि वो वाॅचमेन तुम्हें मेरे कैबिन की रिकार्डिंग डेली सौंपता था या .....?"

              "डेली सौंप देता था।"

              "करीब कितने बजे ?"

              "शुरू के एक-डेढ़ माह तक वो सुबह साढ़े आठ से नौ बजे के बीच आकर दे देता था, लेकिन उसके बाद वो दोपहर बारह से साढ़े बारह बजे के बीच सौंपने लगा था।"

             "बाद में सुबह रिकार्डिंग न दे पाने का उसने कोई रिजन बताया था ?"

             "हाँ, कह रहा था कि आजकल उसकी तबियत ठीक नहीं रह रही हैं इसलिए रातभर ड्यूटी करने के बाद उसके लिए सुबह आठ बजे छुट्टी होते हीं बिना रेस्ट किए मेरे घर तक आना पाॅसिबल नहीं हैं, इस वजह वो मुझे रिकार्डिंग तीन-घंटे लेट सौंप रहा हैं।"

            "इसका मतलब ये हुआ कि वो पहले तो रिकार्डिंग डायरेक्ट तुम्हें लाकर देता था, लेकिन बाद में उसने तुम्हें सौंपने से पहले या तो खुद देखना शुरू कर दिया था या फिर किसी और को दिखाना शुरू कर दिया था। मुझे लगता हैं कि ये टेंडर लीक की गुत्थी नाइंटी परसेन्ट सुलझ चुकी हैं, बस टेन परसेन्ट सुलझाना बाकी हैं। मानसी, अब मैं चलता हूँ।"

            "अरे, ऐसे कैसे जा सकते हो ? पहली बार हीं तो घर आए हो और  .....।"

            "मानसी, मेरा मन तो हो रहा हैं कि मैं तुम्हारा दिल रखने के लिए कुछ खा-पी लूँ, बट आई एम सो साॅरी कि मुझे अभी के अभी जाना हैं इसलिए मैं कुछ भी खा-पी नहीं पाऊँगा। मैं जा रहा हूँ।"
                
             "फिर कब आओगे ?"
   
             "पता नहीं।"

             "ओके, टेक केयर।"

             "यू टू , बाय।"

             "बाय।" मानसी के मुँह से ये सुनने के बाद हर्षित उसके कमरे से बाहर निकल गया।

             (Rest story read in next part which is coming soon)
Images/gifs are from internet & any objection, will remove them.
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#24
Nobody interested in story??
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#25
Very nuce story yr i really like it
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