13-09-2020, 05:46 PM
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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
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14-09-2020, 07:20 PM
15-09-2020, 07:43 PM
15-09-2020, 07:56 PM
16-09-2020, 05:06 PM
16-09-2020, 05:41 PM
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कुच्छ देर इधर-उधर की बातें हुई.. फिर चाचा अपने खेतों की ओर चले गये.. तब तक चाची भी खाना खा चुकी थी.. चाचा के जाने के बाद मेने भी चाची से कहा – चाची मे भी निकलता हूँ.. तो वो बोली – तुम रूको तुमसे अभी एक ज़रूरी काम है… मे फिर से उनके पलंग पर बैठ गया…और बोला- हां चाची बताइए, क्या काम है…? वो मेरे पास बैठ गयी.. और कुच्छ देर मेरी ओर देखती रही…फिर उनकी नज़र नीचे को हो गयी और अपनी सारी के पल्लू को अपनी उंगली में लपेटे हुए बोली.. वो – लल्ला मे वो ना ! वो जो कपड़े तुमने पसंद किए थे ना ! उनके बारे में बात करनी थी तुमसे… मे – उनके बारे में मुझसे क्या बात करनी है चाची..? वो – अब ऐसे कपड़े मेने कभी लिए तो नही थे, ना जाने कैसे लगेंगे.. ? मे – अरे तो इसमें क्या है, एक बार पहन कर देख लीजिए ना ! पता चल जाएगा.. वो – लेकिन मे खुद कैसे देख पाउन्गि..? मे – पहन कर शीशे के सामने खड़ी होकर देख लेना और कैसे… वो – इतना बड़ा शीशा होना भी तो चाहिए ना… और मेरे पास मोहिनी बहू जैसी वो क्या कहते हैं, हां वो.. दर.दर्शन्णन्न् टेबल तो है नही.. मे – ओह ! ड्रेसिंग टेबल…. वो – हां ! वही… ! तो अब कैसे देखूं..? क्या तुम मुझे देखकर बता दोगे..? मे ? मे…मे कैसे देख सकता हूँ.. आपको उन कपड़ों में..? आप एक काम करिए, भाभी या रामा दीदी को दिखा दीजिए… वो आपको बता देंगी कैसे लगते हैं आप पर… वो – कैसी बातें करते हो लल्ला… मे भला ऐसे कपड़ों को मोहिनी बहू या रामा बिटिया को कैसे दिखा सकती हूँ..? वो क्या सोचेंगी मेरे बारे में..? की देखो चाची को इस उमर में ऐसे कपड़ों की क्या ज़रूरत पड़ गयी… सच में तुमने तो मुझे फँसा दिया लल्ला…! अब तुम्हें ही देखकर बताना पड़ेगा हां ! और वैसे भी तुम हमारे घर में सबसे छोटे हो, उपर से तुमने एक दिन मुझे वैसी हालत में देख भी लिया था.. तो तुम्हारे सामने मुझे झिझक थोड़ी कम होगी….! मे – ओह चाची ! तो आप चाचा को ही क्यों नही दिखा देती… वो – वो तो देखते ही मारखाने बैल्ल की तरह भड़क उठेंगे, .. छूटते ही कहेंगे ये क्या रंडियों जैसे कपड़े ले आई हो.. फिर वो मेरे हाथ अपने हाथों में लेकर बोली – अब अगर तुम भी नही देखना चाहते तो कल उन कपड़ों को वापस कर देना, जब कॉलेज जाओ तब… मे - ओह चाची ! अच्छा चलो अब !.. ठीक है आप पहनो मे देख लेता हूँ कि आप कैसी लगती हो उन कपड़ों में… वो – तुम एक काम करो.. दो मिनिट बाहर चले जाओ, मे तब तक वो पहन लेती हूँ, फिर तुम्हें आवाज़ दे लूँगी.. मे उठकर बाहर उनके आँगन में चला गया… फिर कोई 10-15 मिनिट के बाद चाची ने मुझे आवाज़ देकर अंदर बुलाया… वो गले तक एक चादर ओढ़े हुए पलंग के पास खड़ी थी.. मुझे देखते ही उन्होने नज़रें झुका ली.. मेने पुचछा – हां चाची वो कपड़े पहने या नही…दिखाओ..! तो उन्होने झेन्प्ते हुए.. धीरे-2 अपने बदन से चादर अलग की और अपनी नज़रें नीची किए पैर के अंगूठे से फर्श को कुरेदने लगी…..... एक मिनी ब्रा और छोटी सी पेंटी में कसे उनके मादक गदराए.. गोरे बदन की सुंदरता में मे तो खो सा गया.. वो इन कपड़ों में मियाँ खलीफा को भी मात दे रही थी… बड़े-बड़े पपीते जैसे उनके कठोरे वक्ष, जो अब भी अपनी कठोरता बरकरार रखे हुए थे, जिनका निपल से उपर का पूरा हिस्सा खुला हुआ था, ब्रा के कप की चौड़ाई भी मात्र 3” से ज़्यादा नही थी, जिससे दोनो चुचियों की पुश्टता एकदम साफ-2 दिखाई दे रही थी. 30 की उमर में भी उनका पेट ज़रा भी बाहर नही निकला था, हां हल्की सी मासलता ज़रूर थी, जो उनके हुश्न में और चार चाँद लगा रही थी, खूब गहरी नाभि, जो थोड़ी सी नीचे की तरफ झुकी हुई… उनकी सेक्स अपील को डरसा रही थी. मांसल केले के तने जैसी जांघों के बीच, दुनिया का अनमोल खजाना.. माइक्रो बिकनी में सही से ढक भी नही रहा था, साइड से उनकी झान्टो के बाल निकल कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे, शायद महीने भर से साफ नही किए होंगे.. कसी हुई पेंटी में उनकी रसीली के होंठ अपनी पुश्टता दिखाने से बाज़ नही आए.. और उनका उठान, फिर उनके बीच की दरार साफ-साफ अपना इंप्रेशन दे रही थी. जब बहुत देर तक मेने कुच्छ नही कहा, बस यूँ ही खड़ा उनके रूप लावण्य में खोया रहा, तो चाची ने अपनी नज़र उठाकर एक बार मेरी ओर देखा, और मुझे अपने बदन को निहारते पाकर, एक बार फिरसे उनकी नज़र शर्म से झुक गयी… बताओ ना लल्ला..! कैसी लग रही हूँ मे इन कपड़ों में…? आंनन्ज्ग…हां…! मे जैसे नींद से जागा… थोड़ा पलटना चाची… मे एक बार पीछे से भी तो देख लूँ.. तब बताउन्गा…! वो जब पलटी तो….तो…उनके कुल्हों की पुश्टता देखकर मेरा मूह खुला का खुला रह गया…उनके 38” की गान्ड पर वो छोटी सी पेंटी की पट्टी सिर्फ़ उनकी दरार को ही ढक पा रही थी… ढक भी नही पारही थी, बस उसमें फँसाने से अपने आप को किसी तरह बचाए हुए थी.
16-09-2020, 05:44 PM
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16-09-2020, 05:53 PM
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मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा था, मे ठीक उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया, मेरा लंड लोवर में एक दम सतर होकर नाग की तरह अपना फन फैलाए खड़ा हो गया… लोवर का सॉफ्ट कपड़ा उसे संभालने में असमर्थ दिखाई दे रहा था…मेरे लंड और चाची की गान्ड की खाई के बीच मात्र 1” का ही फासला बचा था… मेने अपना मूह थोड़ा आगे करके चाची के कान के पास लेजा कर कहा – चाची आप सच में बहुत सुंदर हो… मेरी आवाज़ अचानक अपने इतने नज़दीक सुनकर वो हड़बड़ा गयी… इसी हड़बड़ाहट में वो और थोड़ा सा पीछे को हटी…. मेरा खड़ा लंड उनकी पतली सी पेंटी के उपर से उनकी गान्ड की दरार से अड़ गया…. चाची को इसका अंदाज़ा नही था… उनके मूह से सस्स्सिईईईईईईईईई….. करके एक मादक सिसकी निकल गयी… और वो झट से मेरी ओर पलट गयी…, मेरी आँखों में देखकर बोली… तुम सच कह रहे हो लल्ला… मे सुंदर दिख रही हूँ ना इनमें…!चाची की आवाज़ में कंपन साफ-2 झलक रहा था… मे थोड़ा और आगे बढ़ा और उनके कंधों पर अपने हाथ रख कर उनकी आँखों में देखते हुए बोला – स्वर्ग से उतरी हुई किसी अप्सरा जैसी…..! चाची के होंठ थरथरा उठे…और कंम्पकपाते हुए बोली - ओह…लल्ला…. थॅंक यू… तुमने मेरी तारीफ़ की… इतना कह कर वो मेरे सीने से लग गयी… अब तो ग़ज़ब ही होगया………. साला मुसलचंद उनकी ठीक चूत के उपर जा टिका… चाची अपने पंजों पर खड़ी होकर उसे और अच्छे से अपनी मुनिया पर फील करना चाहती थी… कि मेरे दिमाग़ ने झटका खाया, फिर मेने उनसे अलग होकर कहा.. अब तो आप खुश हो ना ! मेने आपके कपड़े देख लिए, अब मे चलता हूँ… और ये बोलकर मे उनके कमरे से बाहर को चल दिया…… अभी मे उनके रूम के गेट पर ही पहुँचा था कि… पीछे से चाची की रुआंसी सी आवाज़ आई - तुम्हें अपनी मोहिनी भाभी की सौगंध है लल्ला, जो यहाँ से कदम बाहर रखा तो… मेरा एक पैर कमरे के दरवाजे से बाहर था, और दूसरा अभी कमरे में ही था… भाभी मेरे लिए सब कुच्छ थी, माँ, दोस्त, महबूबा… सब कुच्छ.. जिसने मुझे हाथ पकड़ कर खड़ा किया था… वरना माँ के बाद मेरा क्या होता..? ईश्वर जाने. भाभी की कसम सुनते ही मेरे पैर जहाँ के तहाँ जम गये.., मे मूक्वत वहीं खड़ा रह गया… चाची दौड़ती हुई आई और मुझे पीछे से अपनी बाहों में कस लिया… मुझे यूँ छोड़ कर ना जाओ छोटे लल्ला… मुझे तुम्हारी बाहों का सहारा चाहिए…उनकी मोटी-2 मुलायम लेकिन ठोस चुचियाँ मेरी पीठ पर दबी हुई थी, अपने गाल को मेरी गर्दन से सहलाती हुई वो बोली. मे – चाची प्लीज़ छोड़िए मुझे… ये ठीक नही है… हमारे रिश्ते का तो ख्याल करिए…आप मेरी माँ समान हैं… वो – तो क्या तुम अपनी माँ को दुखी देख सकते थे..? मे – आपको क्या दुख है… सब कुच्छ तो दे रहे हैं चाचा आपको… वो – औरत के लिए बांझ शब्द एक बहुत बड़ी गाली होती है… लल्ला, जब पीठ पीछे लोग मुझे बांझ बोलते हैं, सोचो मेरे दिल पर क्या बीतती होगी… जबकि मे अच्छी तरह से जानती हूँ कि मे बांझ नही हूँ. मुझे भाभी के कहे हुए शब्द याद आ गये… (समय निकाल कर चाची के पास चले जाया करो, उन्हें तुम्हारी ज़रूरत है..) इन शब्दों का मतलव अब मेरी समझ में आरहा था.. फिर भी मे थोड़ा सेफ होने के लिए बोला… मे – लेकिन मे चाचा के साथ धोका नही कर सकता चाची… चाची बिफर पड़ी.. और बोली – धोका…? जानते हो धोका किसे कहते हैं..? एक नमार्द को मेरे गले में बाँध दिया.. धोका इसे कहते हैं.. अपने घर की इज़्ज़त की खातिर मे चुप बनी रही, और अपने आप को बहकने से रोकती रही… और उससे बड़ा धोका, अब तुम मेरे साथ कर रहे हो… मुझे इस हालत में अकेला छोड़ कर… कई मौके ऐसे आए जिनमें मुझे लगा कि तुम मेरी भावनाओं को समझने लगे हो.. लेकिन में ग़लत थी.. तुम्हें तो अपने चाचा ही दिखाई दिए.. उन्होने अपनी बाहों का बंधन मेरे शरीर से हटा लिया और सुबक्ते हुए बोली – जाओ लल्ला तुम भी जाओ, मे हूँ ही अभागी, तो इसमें तुम्हारा भी क्या दोष… इतना बोल कर वो फफक-फफक कर रो पड़ी, और पलट कर पलंग पर पड़ी अपनी साड़ी पहनने के लिए उठा ली… मेने पीछे से जाकर उनके हाथ पर अपना हाथ रख दिया, और बोला – मत पहनो ये कपड़े चाची… वरना मुझे फिरसे उतारने में समय बर्बाद करना पड़ेगा… वो मेरी ओर पलटी और मेरे चेहरे पर नज़र गढ़ा कर बोली – सच ! तुम सच कह रहे..? या अभी भी मज़ाक तो नही कर रहे… मे – नही ये एकदम सच है चाची… कोई मेरी चाची को बांझ होने की गाली दे, ये मुझसे बर्दास्त नही होगा… ओह्ह्ह्ह…..मेरे लल्लाआअ… तुम कितने अच्छे हो.. और वो मेरे सीने से लिपट कर आँसू बहाने लगी.. मेने उनकी थोड़ी के नीचे उंगली लगा कर उनका चेहरा उपर किया और आँसू पोन्छ्ते हुए कहा… प्लीज़ अब आप रोइए नही.. मे आपकी आँखों में आँसू नही देख सकता.., इतना कहा कर मेने अपने होठ उनके लरजते होठों पर रख दिए… चाची मुझसे कसकर लिपट गयी… मेने उनके नितंबों को अपने हाथों में लेकर कस दिया.. तो वो और ज़ोर्से अपनी जांघों को मेरी जांघों से सटाने लगी… मेरा लंड जो कुच्छ इस दौरान ढीला पड़ गया था.. वो फिरसे अकड़ने लगा और चाची की नाभि में अपना ठिकाना ढूँढने लगा… चाची ने उसे अपनी मुट्ठी में कस लिया और उसे मसल्ते हुए बोली – लल्ला ये तुम्हारा मूसल ग़लत रास्ते को ढूंड रहा है.. इसे सम्भालो, नही तो मेरे पेट में ही घुस जाएगा…! मे – ये अब आपके हवाले है, इसे सही रास्ता दिखना आपका काम है… फिर चाची ने मेरी टीशर्ट निकाल दी और मेरी मजबूत कसरती छाती, जिसपर बाल घने होते जा रहे थे, को सहलाते हुए बोली – पूरे मर्द हो गये हो लल्ला.. क्या मजबूत बना लिया तुमने अपने शरीर को… एक औरत को ऐसी ही मजबूत छाती चाहिए अपना सर रखने के लिए… बहुत खुश नसीब होगी वो, जिसे ब्याह कर लाओगे… मे – अभी तो ये आपके लिए है.. और.. और इस सबकी ज़िम्मेदार मेरी भाभी हैं, उनकी मेहनत और लगन का नतीजा है, जो आज मे हूँ.. चाची – सच में बहुत समझदार और सुशील है हमारी मोहिनी बहू.. भगवान ऐसी बहू सबको दे… ये कह कर चाची ने मेरे सीने को चूम लिया… फिर वो मेरे छोटे-2 निप्पलो को चूमने, चाटने लगी… मेरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी… और मेने उनको अलग करके उनके दोनो खरबूजों को ज़ोर्से मसल दिया… आअहह……लल्ला.एयाया… इतने ज़ोर्से नही रजीईई… हान्ं…प्यार से सहलाते रहो… उफफफफ्फ़…. सीईईईई…ऊहह… वो अपनी कमर को मेरे लंड के चारों ओर घूमने लगी…
16-09-2020, 05:57 PM
16-09-2020, 06:00 PM
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मेरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी… और मेने उनको अलग करके उनके दोनो खरबूजों को ज़ोर्से मसल दिया… आअहह……लल्ला.एयाया… इतने ज़ोर्से नही रजीईई… हान्ं…प्यार से सहलाते रहो… उफफफफ्फ़…. सीईईईई…ऊहह… वो अपनी कमर को मेरे लंड के चारों ओर घूमने लगी… उनकी पीठ पर हाथ ले जाकर मेने उनकी ब्रा को निकाल दिया….. आअहह… क्या मस्त खरबूजे थे चाची के… एकदम गोल-मटोल… बड़े-बड़े, लेकिन सुडौल… जिनपर एक-एक काले अंगूर के दाने जैसे ब्राउन कलर के निपल जो अब खड़े होकर 1” बड़े हो चुके थे… मेने उन दोनो को अपनी उंगली और अंगूठे में दबाकर मसल दिया…. चाची अपने पंजों पर खड़ी होगयि… और एक लंबी से अह्ह्ह्ह…. उनके मूह से निकल गयी.. अब मेने उनकी चुचियों को चूसना, चाटना शुरू कर दिया था, और एक हाथ से मसलने लगा.. चाची मादक सिसकिया लेते हुए… कुच्छ ना कुच्छ बड़बड़ा रही थी… चूस-चूस कर, मसल-मसल कर मेने उनके दोनो कबूतरों को लाल कर दिया… जब मेने एक हाथ उनकी छोटी सी पेंटी के उपर रखा तो वो पूरी तरह कमरस से तर को चुकी थी… मे उनके पेट को चूमते हुए… उनकी जांघों के बीच बैठ गया.. एक बार पेंटी के उपर से उसकी चूत को सहला कर किस कर लिया…. हइई….लल्ला.. ये क्या करते हो… भला वहाँ भी कोई मूह लगाता है… मेने झिड़कते हुए कहा… आपको मज़ा आरहा है ना… तो उन्होने हां में मंडी हिला दी… मेने फिर कहा – तो बस चुप चाप मज़ा लीजिए… मुझे कहाँ क्या करना है वो मुझे करने दीजिए.. वो सहम कर चुप हो गयी.. और आने वाले मज़े की कल्पना में खोने लगी.. मेने उनकी उस 4 अंगुल चौड़ी पट्टी वाली पेंटी को भी उतार दिया… उनकी झान्टो के बालों को अपनी मुट्ठी में लेकर हल्के से खींच दिया… हइई… लल्ला… खींच क्यों रहे हो…? मेने कहा – तो ये जंगल सॉफ क्यों नही किया..? वो – हाईए.. लल्ला… बस आज माफ़ करदो, आज के बाद ये कभी तुम्हें नही दिखेंगे… मे उनकी चूत चाटना चाहता था, लेकिन झान्टो की वजह से मन नही किया.. और अपनी उंगलियों से ही उसके साथ थोड़ी देर खेला… उनकी चूत लगातार रस छोड़ रही थी, जिसकी वजह से उनकी झान्टे और जंघें चिपचिपा रही थी… और मत तडपाओ लल्ला… नही तो मेरी जान निकल जाएगी… चाची मिन्नत सी करते हुए बोली… तो मेने उन्हें पलंग पर लिटा दिया, और अपना लोवर निकाल कर, लंड को सहलाते हुए उनकी जांघों के बीच आगया.. चाची अपनी टाँगों को मोड हुए जंघें फैलाकर लेटी थी… मेरे मूसल जैसे 8” लंबे और सोते जैसे लंड को देखकर उन्होने झुरजुरी सी ली और बोली – लल्ला आराम से करना.. तुम्हारा हथियार बहुत बड़ा है… मे – क्यों ऐसा पहले नही लिया क्या..? वो – लेने की बात करते हो लल्ला… मेने तो देखा भी नही है अब तक ऐसा.. मेरी इसमें अभी तक तुम्हारे चाचा की लुल्ली या फिर मेरी उंगलियों के अलावा और कुच्छ गया ही नही है.. मेने चाची की झान्टो को इधर-उधर करके, उनकी चूत को खोला, सच में उनका छेद अभीतक बहुत छोटा सा था… मेने एक बार उनकी चूत के लाल-लाल अन्द्रुनि हिस्से को चाटा… चाची की कमर लहराई… और मूह से आससीईईईईईईई… जैसी आवाज़ निकल गयी… अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर मेने सुपाडा चाची के छेद में फिट किया और एक हल्का सा झटका अपनी कमर में लगा दिया… आहह… धीरीए…. सीईईईईईई.. बहुत मोटा है… तुम्हारा.. लल्ला… लंड आधा भी नही गया.. कि चाची कराहने लगी थी… मेने उनके होठों को चूमते हुए कहा.. बहुत कसी हुई चूत है चाची तेरी.. मेरे लंड को अंदर जाने ही नही दे रही… मेरे मूह से ऐसे शब्द सुनकर चाची मेरे मूह को देखने लगी.. मेने कहा.. खुलकर बोलने में ही ज़्यादा मज़ा है.. आप भी बोलो… मेने फिर एक और धक्का मार दिया और मेरा 3/4 लंड उनकी कसी हुई चूत में चला गया, चाची एक बार फिर कराहने लगी… मेने धीरे-2 लंड को अंदर बाहर किया… चाची की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी.. मेने धक्के तेज कर दिए… चाची आह..ससिईहह.. करके मज़े लेने लगी, और कमर उठा-2 कर चुदाई का लुफ्त लूटने लगी, हमें पता ही नही चला कब लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया.. आअहह…चाची क्या चूत है.. तेरी.. बहुत पानी छोड़ रही है… ओह्ह्ह.. मेरे चोदु राजा… तेरा मूसल भी तो कितनी ज़ोर्से कुटाई कर रहा है मेरी ओखली में… पानी ना दे बेचारी तो और क्या करेगी… अब चाची भी खुलकर मज़े ले रही थी…और मनचाहे शब्द बोल रही थी… मेरे मोटे डंडे की मार उनकी रामदुलारी ज़्यादा देर नही झेल पाई और जल्दी ही पानी फेंकने लगी.. चाची एक बार झड चुकी थी, मे उनकी बगल में लेट गया और उनको अपने उपर खींच लिया… चाची मेरे उपर आकर मेरे होठ चूसने लगी, मेने उनकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा… चाची मेरे लंड को अपनी चूत में लो ना… वो – अह्ह्ह्ह.. थोड़ा तो सबर करो… मेरे सोना.. फिर उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को मुट्ठी में जकड़कर उसे अपनी गीली चूत के होठों पर रगड़ने लगी, जिससे वो फिरसे गरम होने लगी.. मेरे सुपाडे को चूत के मूह से सटा कर धीरे-2 वो उसके उपर बैठने लगी… जैसे जैसे लंड अंदर होता जा रहा था… साथ साथ चाची का मूह भी खुलता जा रहा था, साथ में कराह भी, आँखें मूंद गयी थी उनकी. पूरा लंड अंदर लेने के बाद वो हाँफने सी लगी और बोली …. हाईए… राम.. लल्ला… कितना बड़ा लंड है तुम्हारा… मेरी बच्चेदानी के अंदर ही घुस गया ये तो…. और अपने पेडू पर हाथ रख कर बोली - उफफफफ्फ़… देखो… मेरे पेट तक चला गया… फिर धीरे-2 से वो उसपर उठने बैठने लगी… हइई… मॉरीइ… मैय्ाआ…. अबतक ये मुझे क्यों नही मिला… अब मे माँ बनूँगी… इसी मूसल से… उउफफफ्फ़.. मेरे सोने राजा… मेरे लल्लाअ.. के बीज़ से…
28-09-2020, 06:07 PM
29-09-2020, 05:59 PM
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ऐसे ही अनाप-सनाप बकती हुई चाची, लग रहा था अपना आपा ही खो चुकी थी… मेने भी अब कमान अपने हाथ में ले ली और उनके धक्कों की ताल मिलाते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा.. कमरे में ठप-ठप की अवजें गूँज रही थी.. दोनो ही पसीने से तर-बतर हो चुके थे.. फिर जैसे ही मुझे लगा कि अब मेरा छूटने वाला है… मेने झपट कर चाची को फिरसे नीचे लिया, और 20-25 तूफ़ानी धक्के लगा कर उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया………….! 15 मिनिट के बाद चाची मेरे बगल से उठी और अपने कपड़े समेटने लगी… मेने उनका हाथ पकड़ कर कहा – ये क्या कर रही हो चाची..? वो – अरे ! फ्रेश तो होने दो… फिर चाय बनाके लाती हूँ.. और साथ में कुच्छ नाश्ता भी कर लेंगे… मे – ऐसे ही जाओ, जहाँ जाना है.. वो अपने मूह पर हाथ रखकर बोली – हाई… लल्ला तुम तो बड़े बेशर्म हो, और मुझे भी बेशर्म बनाए दे रहे हो… अब ऐसे नंगी-पुँगी… बाहर कैसे जा सकती हूँ..? किसी ने उपर से देख लिया तो..? मे – तो एक चादर ओढ़ लो.. बस,… हँसते हुए उन्होने अपने शरीर पर एक चादर डाल ली और बाहर निकल गयी… बाथरूम तो जैसे मेने पहले ही कहा है.. ओपन ही था, तो उसी में बैठकर वो मूतने लगी, और बैठे-2 ही अपनी चूत साफ करके किचेन में घुस गयी… उन्होने चाय बनाने के लिए गॅस पर रख दी, अभी वो उसमें चाय-चीनी डाल ही रही थी, कि मेने पीछे से जाकर उन्हें जकड लिया.. मे एकदम नंगा ही था अब तक.. मेने उनकी चादर हटाकर एक तरफ रख दी, और अपना कड़क लंड उनकी मोटी लेकिन मस्त उभरी हुई गान्ड की दरार में फँसा दिया और अपनी कमर चलाने लगा.. मेरा लंड उनकी गान्ड के छेद से लेकर चूत के मूह तक सरकने लगा… आहह………सीईईईईईईईईईईईईईईईई……………लल्लाआाआ…. रुकूऊ…चाय तो बनाने दो… सच में बहुत बेसबरे हो तुम… मेने बिना कोई जबाब दिए चाची को पलटा लिया और किचेन के स्लॅब से सटा कर उनके होठ चूसने लगा… चाय जल जाएगी मेरे सोनााआ….आआईयईई…..नहियिइ…..रकूओ…प्लेआस्ीई… उनकी चुचि को दाँतों से काटते हुए मेने हाथ लंबा करके गॅस बंद कर दी.. मेने अपने हाथ की दो उंगलियाँ उनकी चूत में घुसा दी और अंदर बाहर करते हुए चुचियों को चूसने मसल्ने लगा…. ओह्ह्ह्ह…उफ़फ्फ़…. बहुत बेसबरे हो मेरे सोनाआ….सीईईई…आअहह….आययीईई… तुम्हारी चुचियों को देखकर किस मदर्चोद को सबर होगा चाची… क्या मस्त माल हो तुम… उनके होठ चबाते हुए मेने कहा- चाचा भोसड़ी का चूतिया है.. जो इतने मस्त माल को भी नही चोदता … उस चूतिया का नाम लेकर मज़ा खराब मत करो लल्लाआ……सीईईईई……..चाची अपने खुश्क हो चुके होठों पर जीभ से तर करते हुए बोली. फिर मेने चाची की एक जाँघ के नीचे से हाथ फँसा कर उठा लिया और अपना लंड उनकी गीली चूत में खड़े-2 पेल दिया…. अहह……………मैय्ाआआआआ……मारगाई………..भोसड़ी के धीरीईई…..नहियीईईईईई….डाल सकताआआआअ…..आआआआआअ…..धीरे…. चाची का एक पैर ज़मीन पर था, एक हाथ स्लॅब पर टिका लिया था और दूसरा हाथ मेरे गले में लपेट लिया… हुमच-हुमच कर धक्के लगाने से चाची का बॅलेन्स बिगड़ने लगा.. मेने दूसरी टाँग को भी उठा लिया, अब चाची हवा में मेरी कमर पर अपने पैरों को लपेटे हुए थी.. एक हाथ अभी भी उनका स्लॅब पर ही टिका रखा था… इस पोज़ में लंड इतना अंदर तक चला जाता, की चाची हर धक्के पर कराह उठती… एक बार फिर चाची हार गयी.. और उनकी चूत पानी फेंकने लगी… मेने उनको नीचे उतारा और स्लॅब पर दोनो हाथ टिका कर घोड़ी बना लिया… उनकी गान्ड देख कर तो में वैसे ही पागल हो जाता था, सो पेल दिया लंड दम लगा कर उनकी चूत में … एक ही झटके में मेरे टटटे… गान्ड से टकरा गये.. मेरे धक्कों से चाची हाई..हाई… कर उठी… 20 मिनिट के धक्कों ने उनकी कमर चटका दी.. आख़िर में उनकी ओखली को अपने लंड के पानी से भरकर मेने चादर से अपना लंड पोन्छा और कमरे में चला गया… 10 मिनिट बाद चाची चाय लेकर कमरे में पहुँची.. तो मेने उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनो चाय पीते हुए बातें करने लगे… बहुत कुटाई करते हो लल्ला तुम… सच में मुझे तो तोड़ ही डाला… पूरी तरह.. मे – मज़ा नही आया आपको..? वो – मज़ा..? मेने आज पहली बार जाना है कि चुदाई ऐसी भी होती है… इससे ज़्यादा जिंदगी में और कोई सुख नही हो सकता… सच में… चाय ख़तम करके चाची बोली – लल्ला.. मानो तो एक बात कहूँ..? मेने उनके होठों को चूमते हुए कहा… अब इससे बड़ी और क्या बात होगी जिसके लिए मे ना कर दूं… वो – लल्ला ! अब तुम बड़े हो गये हो.. कॉलेज जाने लगे हो.. अब थोड़ा घर के कामों में भी हाथ बटाना चाहिए तुम्हें.. जेठ जी और कब तक करेंगे… मे समझा नही चाची.. किन कामों की बात कर रही हो.. सारा काम तो नौकर ही करते हैं ना..! वो – तो क्या हुआ, उनकी देखभाल भी तो करनी होती है.. मे बस यही कहूँगी.. कि तुम भी थोड़ा खेतों की देखभाल करो… जिससे तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले…और आगे चल कर तुम ये सब संभाल सको… मेने कहा – ठीक है चाची मे आपकी बात समझ गया, आज से कोशिश करूँगा.. और फिर अपने कपड़े पहन कर उनके पास से चला आया……! अभी मे अपने घर जाने की सोच ही रहा था….कि चाची के शब्द याद आगाये…”तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले”…!!! चाची किस बारे में बोली..? कुच्छ तो ऐसा है.. जो चाची मुझे समझाना चाहती हैं…?
29-09-2020, 06:01 PM
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अभी मे अपने घर जाने की सोच ही रहा था….कि चाची के शब्द याद आगाये…”तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले”…!!! चाची किस बारे में बोली..? कुच्छ तो ऐसा है.. जो चाची मुझे समझाना चाहती हैं…? यही सब सोच विचार करता हुआ मे अपने खेतों की तरफ बढ़ गया… अभी 4:30पीम हुए थे.. मे 15 मिनिट में अपने खेतों पर पहुँच गया… जैसा मेने पहले बताया था, कि हमारे खेतों पर ही ट्यूबवेल है, उसी से चारों परिवारों के खेतों की सिंचाई होती है, जिसका वो बाकी के चाचा लोग कुच्छ मुआवज़ा देते हैं.. ट्यूबवेल पर हमने दो कमरे बना रखे हैं, जिसमें एक में पंप सेट लगा है, दूसरा उठने बैठने और सोने के लिए है… ज़रूरत की सुविधाएँ उसी कमरे में मौजूद रहती हैं.. मे सीधा अपने ट्यूबवेल पर पहुँचा… कुच्छ मजदूर खेतों में लगे हुए थे.. ट्यूबवेल चल रहा था, मुझे नही पता कि इस समय उसका पानी किसके खेतों में जा रहा था. मे जैसे ही बैठक वाले कमरे के पास पहुँचा.. मुझे अंदर से आती हुई कुच्छ अजीव सी आवाज़ें सुनाई दी.. ट्यूबवेल के कमरों की छत ज़्यादा उँची नही थी, यही कोई दस - साडे दस फीट रही होगी.. उस कमरे के पीछे वाली दीवार में एक रोशनदान था, जो छत से करीब दो-ढाई फीट नीचे था.. मेने पीछे जाकर उछल्कर उस रोशनदान की जाली पकड़ ली, और अपने हाथों के दम से अपने शरीर को उपर उठा लिया… जैसे ही मेने अंदर का नज़ारा देखा …. मेरी आखें चौड़ी हो गयी…. जिस बात की मेने अपने जीवन में कल्पना भी नही की थी, वो हक़ीकत बनकर मेरी आँखों के सामने था… मे ये सीन ज़्यादा देर ना देख सका… सच कहूँ तो देखना भी नही चाहता था…. लेकिन तभी चाची के शब्द एक बार फिर मेरे कनों में गूंजने लगे.. “कुच्छ चीज़ें हैं जो तुम्हें जाननी चाहिए..” तो क्या चाची ये सब जानती हैं..? या उन्हें सक़ था..? अगर ये चीज़ें मुझे जाननी चाहिए… तो जाननी पड़ेगी… उसके लिए मे किसी ऐसी चीज़ को खोजने लगा जो मुझे उस रोशनदान तक आसानी पहुँचा सके.. मेरी नज़र पास में पड़ी एक 4-5 फुट लंबी सोट..(मोटी सी लकड़ी) पर पड़ी.. बिना आवाज़ किए मेने उसे उठाके दीवार के सहारे तिरच्छा करके टिकाया और उस पर पैर जमा कर फिर से रोशनदान की जाली पकड़ कर खड़ा हो गया… अंदर बड़ी चाची.. चंपा रानी … एकदम नंगी… अपनी टाँगें चौड़ी किए पड़ी थी… उपर बाबूजी.. अपने मूसल जैसे लंड जो लगभग मेरे जैसा ही था, से उसके भोसड़े की कुटाई कर रहे थे.. उनकी मोटी-मोटी जांघे चाची के चौड़े चक्ले चुतड़ों पर थपा-थप पड़ रही थी… चुदते हुए चंपा रानी हाए…उऊहह….सस्सिईइ…औरर्र…. ज़ॉर्सईए…चोदो…जेठ जी…जैसी आवाज़ें निकाल रही थी… चंपा – हाअए जेठ जी… इस उमर में भी आपमें कितनी ताक़त है…हाए…मेरी ओखली कूट-कूट कर खाली करदी आपने… एक आपका भाई है, जो लुल्ली घुसाते ही टपकने लगता है… बाबूजी – अरे रानी, ये सब मेरी बहू की सेवा का कमाल है.. सच में खाने पीने का बहुत ख्याल रखती है मोहिनी बहू….! कुछ देर बाद वो दोनो फारिग हो गये… बाबूजी चाची के बगल में पड़े हाँफ रहे थे… चाची उनके नरम पड़ चुके लंड को अपने पेटिकोट से साफ करते हुए बोली.. जेठ जी ! मेरे नीलू को एक छोटी-मोटी बाइक ही दिलवा दीजिए… छोटू के पास बुलेट देखकर उसे भी मन करने लगा है… बाबूजी – अभी पिछ्ले महीने ही मेने तुम्हें इतने पैसे दिए थे वो कहाँ गये..? अब फिलहाल तो मेरे पास इतने पैसे नही है…. और रही बात छोटू की, तो उसे कृष्णा ने दिलाई है गाड़ी..! चाची – अरे जेठ जी ! मे कोई ये थोड़े ना कह रही हूँ, कि उसे इतनी बड़ी गाड़ी ही दिलाओ… कोई छोटी-मोटी भी चलेगी.. बाबूजी – ठीक है.. रात को आना.. सोचके जबाब देता हूँ..कहकर उन्होने उसकी बड़ी-2 चुचियाँ मसल दी… तभी मुझे बड़े चाचा अपने खेतों की तरफ से आते हुए दिखाई दिए… मे फ़ौरन नीचे आकर छिप गया… जब वो भी उसी कमरे में घुस गये.. तो मे वहाँ से घर की ओर निकल लिया……!! अपनी सोचों में डूबा हुआ मे, पता नही कब घर पहुँच गया… भाभी ने मुझे देखा… आवाज़ भी दी… लेकिन मे अपनी धुन में सीधा अपने कमरे में चला गया.. और धडाम से चारपाई पर गिर पड़ा…
06-10-2020, 09:39 PM
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