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Adultery Meri Chalu Modern Maa
#41
मैंने उसको फिर से स्लैब पर टिका दिया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर सारा माल उसके पेट और चूची पर गिरा दिया… 
और मैं अपनी नंगी मां के साथ रसोई छोड़ बैडरूम में आकार बाथरूम में घुस गया… 
वाकयी बहुत मजेदार रात थी… मेरे दिमाग में अब आगे के विचार चल रहे थे… 
इस जबरदस्त चुदाई के बाद रात भर मां मेरे से चिपकी रही और बिस्तर पर नंगे चिपककर सोने का मजा ही अलग है। 
सुबह मां जल्दी उठ जाती है, वो सभी घरेलू कार्य बहुत दिल से करती है… 
वो जब उठी तो आज पहली बार मेरी आँख भी जल्दी खुल गई… या यूँ कहिये कि मैं बहुत सोच रहा था कि कैसे अब सब कुछ किया जाये… 
मां ने धीरे से उठकर मेरे चेहरे की ओर देखा फिर मेरे होंठों को चूम लिया… 
उसने बहुत प्यार से मेरे लण्ड को सहलाया और झुककर उस पर भी एक गर्मागर्म चुम्बन दिया… 
उसके झुकने के कारण पीछे से उसके मस्त नंगे चूतड़ और चूतड़ के बीच झलक रही गुलाबी, चिकनी चूत देख मेरा दिल भी वहाँ चूमने का किया… 
पर मैंने अपने आप पर काबू किया और सोने का बहाना किये लेटा रहा… 
मैं बंद अधखुली आँखों से मां को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था… कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे… 
मां मेरे से खुल भी जाए… वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये… 
पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी मां को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था… उसको सब कुछ करते देखना चाहता था… 
पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी… कि नहीं मेरी मां की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है…इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता… 
लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है… 
मां को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं.. उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था… 
वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी…अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था… 

तभी मां बोली:- सुन, मैंने कल कुछ अच्छे सेट का आर्डर दिया है… आज कोशिश करुँगी, शायद मिल जाएँ… 

मैं- अच्छा तो क्या ब्रा, चड्डी भी आर्डर पर तैयार होने लगे? 

मां- जी हाँ जानू… अब तो हर चीज फैशन पर आ गई है… मगर कुछ रुपए दे जाना… 

मैं- ठीक है मेरी जान… 

मैं तैयार होते हुए सोचने लगा कि आज शायद मां फिर उसी दुकान पर जाएगी… मैं क्या करूँ? कैसे करूँ? 

मां - अब जल्दी तैयार हो जाओ, मैं भी फटाफट तैयार हो नाश्ता लगाती हूँ… 

मैं- अच्छा जानू… 

उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला… 
और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए… 
मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और मां से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा… 
तभी मां भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई… 
मां में ये दो आदते हैं कि एक तो वो कपड़े हमेशा कमरे में आकर ही पहनती थी… इसलिए बाथरूम से हमेशा नंगी या केवल तौलिया लपेट कर ही बाहर आती थी… 
और रात को सोते हुए मेरे लण्ड पर अपना हाथ रखकर ही सोती थी… 
और ये दोनों आदतें मुझे बहुत पसन्द थी… 
उसने हल्का सा गाउन ही डाला और हम दोनों ने नाश्ता किया… फिर मैं उसको चूमकर अपने मन में अच्छी तरह सब कुछ सोच विचार कर मैं घर से बाहर निकल गया… 

मैं किसी भी तरह आज मां की उस दुकानदार के साथ मुलाकात को देखना चाहता था जिसने मेरी सुन्दरता की मूरत मां को ना केवल नंगी ही नहीं देखा था… बल्कि उसकी गद्देदार, गुलाबी और रसीली चूत एवं गांड को सहलाया था… 
उसकी चोटियों जैसी नुकीली चूचियों को दबाया और निप्पल तक को छुआ था… 
उस दिन तो वो पारस के साथ थी… जो उस दुकानदार के लिए तो मां का पति ही था… 
शायद इसलिए वो ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाया होगा… पर आज जब मां उससे अकेले मिलेगी… तो पता नहीं क्या-क्या करेगा… 
इसीलिए आज मैंने मां के पर्स में वॉउस रिकॉर्डर तो रखा… परन्तु पैसे नहीं रखे… जिससे उसकी दुकान पर जाने का कार्यक्रम पता लग सके… 
करीब बारह बजे मुझे मां का फोन आया… 

मां- सुन बेटा वो आज तू शायद पैसे देना भूल गए… वो क्या है कि मैं बाजार आई थी तो… 

मैं- ओह जान… यह आज कैसे हो गया… तुम चिंता ना करो… बताओ तुम कहाँ हो… मैं भिजवाता हूँ… 

मां- मैं कश्मीरी मार्किट में हूँ… 

मैं- ठीक है… दस मिनट रुको… 
… 
… 
मैं वहाँ पहुंचा और एक जानकार के हाथ उसको पैसे भिजवा दिए, क्यूकी की मै मां के सामने नहीं आना चाहता था। जिससे उसे पता चल जाए के मै अब वाहा पर ही हु। 
वो उस अंडरगार्मेंट्स की दुकान के बहुत पास थी… 
और आज मेरी जान क्या लग रही थी… मैंने देखा हर कोई केवल उसे ही घूर रहा था… 
उसने एक स्किन टाइट सफ़ेद कैप्री पहनी थी, जो उसके घुटनों से करीब 6 इंच नीचे थी…और गुलाबी कसी सिल्की शर्ट पहनी थी। उसकी कैप्री और शर्ट के विचमे 6 इंच का फ़र्क था। जिसके कारण उसकी नाभि उसके गोरे पेट पर साफ दिख रही थी। जो किसी का भी लौड़ा खड़ा करने के लिए बुहत थी।

उसने अपने रेशमी बाल खुले छोड़ रखे थे और गोरे मुखड़े पर… गुलाबी फ्रेम का फैशनेबल गोगल्ज़ थे जो उसके चेहरे को हीरोइन की तरह चमका रहे थे…
उसने हाई हील की सफ़ेद कई तनी वाली सैंडल पहनी थी… कुल मिलाकर वो क़यामत लग रही थी…
मैंने बहुत सावधानी से उसका पीछा किया… उसने कुछ दुकानों पर इधर उधर कुछ-कुछ वस्तुओं को देखा…
मगर कुछ लिया नहीं… हाँ इस दौरान कुछ मनचलों ने जरूर उसको छुआ… वो उसके पास से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए निकल गए…
दरअसल उसकी सफ़ेद कैप्री कुछ पतले कपड़े की थी… जिससे कुछ पारदर्शी हो गई थी…
उसकी कैप्री से मां की गुलाबी त्वचा झांक रही थी जिससे उसका बदन गजब ढा रहा था…
इसके ऊपर मेरी जान का क़यामत बदन… जिसका एक-एक अंग सांचे में ढला था…
मैं अब मां के काफी निकट था… मैंने ध्यान दिया कि उसकी कैप्री से उसकी पैंटी की किनारी का तो पता चल रहा था… मगर रंग का नहीं.. इसका मतलब आज उसने सफ़ेद ही कच्छी पहनी थी…

मगर उसकी शर्ट से कहीं भी ब्रा की किसी भी तनी का पता नहीं चल रहा था… यानि वो बिना ब्रा के ही शर्ट पहने थी…
तभी उसकी गोल मटोल चूची इतना हिल रही थी… और जालिम ने अपना ऊपर का बटन भी खोल रखा था जिससे गोलाइयों का पूरा आकार पता चल रहा था…
ज्यादातर लोग उससे टकराने का प्रयास कर रहे थे…
मैंने आज तक मां की इस तरह से निगरानी नहीं की थी… यह एक अलग ही अनुभव था…
उसके पीछे चलते हुए, मां के एक रिदम में हिलते डुलते चूतड़ देख मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल आ रहा था कि…
इस दृश्य को देख जब मेरा यह हाल था तो दूसरों के दिल का क्या होता होगा…
कुछ देर में ही मां उसी दुकान में प्रवेश कर गई…
दुकान काफी बड़ी थी… मैं भी अंदर जा एक ओर खुद को छुपाते हुए… मां पर नजर रखे था…
वो सीधे एक ओर जहाँ कोई मध्यम कद का एक लड़का खड़ा था… उस ओर गई..

मैं इधर उधर देखता हुआ, मां से छिपता छिपाता… उस पर नजर रखे था…
उन दोनों की कोई आवाज तो मुझे सुनाई नहीं दे रही थी… मगर मां उस लड़के से बहुत हंस हंस कर बात कर रही थी…
लड़का भी बार बार मां को छू रहा था और उसकी चूचियों की ओर ही देख रहा था…
मां बार बार अपनी शर्ट सही करने का बहाना कर उसका ध्यान और भी ज्यादा अपनी चूचियों पर आकर्षित कर रही थी…
इधर उधर नजर मारते हुए ही मैंने देखा कि एक लड़की बहुत कामुक ढंग से एक छोटी सी… डोरी वाली कच्छी को अपनी जीन्स के ऊपर से ही बांधकर देख-परख रही थी…
और दूसरी तरफ एक मोटी सी लड़की एक उम्रदराज अंकल को अपनी मोटी-मोटी छातियाँ उभारकर न जाने क्या बता रही थी…
कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य थे…
तभी मां एक और बने पर्दों के पीछे जाने लगी… मेरे सामने ही उस लड़के ने मां के चूतड़ों पर हाथ रख उसे आगे आने के लिए कहा…
मैं अभी उस ओर जाने का जुगाड़ कर ही रहा था कि एक बहुत सेक्सी लड़की मेरे सामने आ पूछने लगी- क्या चाहिए सर?

मैं- व… वव… वो…

लड़की- अरे शर्माइये नहीं सर… यहाँ हर तरह के अंडरगार्मेंट्स मिलते हैं… आपको अपनी पत्नी के लिए चाहिए या गर्लफ्रेंड के लिए…

मैं- अररर्र रे नहीं… व… वव वो क्या है कि…

लड़की- अरे सर, आप तो केवल साइज बताइये… मैं आपको ऐसे डिज़ाइन दिखाऊँगी कि आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जायगी… और आपको भी… हे हे…

मैं- अरे वो क्या है कि मुझे मां के लिए ही चाहिए… और वो अभी यहीं आने वाली है… मैं उसी का इन्तजार कर रहा हूँ !

लड़की- ओह… ठीक है सर… मैं वहाँ हूँ… आप कहें, तो तब तक मैं आपको भी दिखा सकती हूँ…
उसके खुले गले के टॉप से उसकी गदराई चूची का काफी भाग दिख रहा था…
मैं उसकी चूची को ही देखते हुए- क्या?
लड़की अपना टॉप सही करते हुए- …क्या सर आप भी… अंडरगारमेंट और क्या…

मैं- ठीक है, अभी आता हूँ…
उस लड़की के जाने के बाद मैंने पर्दों की ओर रुख किया… तभी वो लड़का बाहर को आ गया…
मैंने एक कोने के थोड़ा सा पर्दा हटा… अपने लिए जगह बनाई…
चारों ओर देखा किसी की नजर वहाँ नहीं थी… यह जगह एक कोने में बनी थी…
और चारों ओर काफी परदे लगे थे… मैं दो पर्दो के बीच खुद को छिपाकर… नीचे को बैठ गया…
अब कोई आसानी से मुझे नहीं देख सकता था…
मैंने अंदर की ओर देखा… अंदर दो तीन जमीन पर गद्दे बिछे थे… एक बड़ी सी मेज रखी थी…
मेज पर कुछ ब्रा चड्डी से सेट रखे थे… और दो कुर्सी भी थीं, बाकी चारों ओर सामान बिखरा था…
मां मेज के पास खड़ी थी ..उसके हाथ में एक बहुत नए स्टाइल की ब्रा थी… जिसे वो चारों ओर से देख रही थी…
फिर उसने ब्रा को मेज पर रखा ओर एक बार पर्दों को देखा… फिर अचानक उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए…

माय गॉड ! उसको जरा भी नहीं लगा कि यह एक खुली दुकान है… और चारों ओर केवल पर्दों का ही पार्टीशन है?
मां ने बिना किसी डर और शर्म के अपनी शर्ट पूरी निकाल कर वहीं मेज पर दी…
उसका दमकता शरीर अब केवल एक सफ़ेद कैप्री में… मेरे सामने था…
उसके पूरी तरह गोलाई लिए हुए चूचियाँ.. और उन पर कामुकता के रस से भरे उसके गुलाबी निप्पल… ऊपर उठे हुए जो किसी को भी पागल करने के लिए काफी थे… इस समय पूरी तरह नग्न मेरे सामने थे…
उसने अपनी चूचियों को एक बार खुद अपने हाथों से मसलकर ठीक किया…
जैसे टाइट शर्ट में कसी होने से उनको कष्ट हुआ हो और मां उन दोनों को सहलाकर उनको पुचकार के मना रही हो…
कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य था…
फिर वो अपनी ब्रा को उठा उसे… उलट पुलट कर पहनने के लिए देखने लगी…
तभी वो लड़का बिना कोई आवाज लगाये अंदर आ गया…
मां शरमाते हुए, अपनी ब्रा को चूची पर रख उनको छुपाने का नाकामयाब प्रयास करते हुए- …अररर… एक मिनट… ववव… वो मैं पहन ही रही थी…

लड़का- क्या मैडम जी, आप भी अभी तक शरमा रही हो… लाइए मैं सही कर देता हूँ…

उसके हाथ में एक क्रीम का डब्बा था…
वो उसको खोल उसमें से क्रीम निकाल मां ओर बढ़ा और बहुत अधिकार से उसके हाथ से ब्रा ले कर मेज पर रख दी…
मां बुरी तरह शरमा रही थी… मगर उसकी आखों में चुदास साफ़ दिख रही थी…
लड़के ने अपने एक हाथ से मां के हाथों को उसकी चूची से हटाते हुए अपना सीधे हाथ में लगी क्रीम उसकी चूची के ऊपरी भाग पर मलनी शुरू कर दी…
बहुत रोमांचित अनुभव था… एक सार्वजनिक स्थान में.. मेरे सामने… मेरी सेक्सी मां अनावृत वक्षा यानि टॉपलेस खड़ी थी..
और एक अनजान लड़का उसकी नंगी चूचियों पर क्रीम लगा रहा था… मेरी मां क्रीम लगवा भी रही थी और शरमा भी रही थी…

मां - अह्हाआ… क्या कर रहे हो… क्यों यो ओ… ??

लड़का- अरे मैडम जी… नई ब्रा है… और ये विदेशी कपड़े की है… आपकी इतनी मुलायम त्वचा को कोई नुकसान ना हो इसीलिए यह क्रीम लगा रहा हूँ…

मां- ओह ठीक है…

बस इतना सुनते ही उस लड़के हाथ अब पूरी चूची पर चलने लगे…

मां- अहा धीरे धीरे…

मां ने अपने चूतड़ मेज पर टिकाकर अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया…
इस अवस्था में मां की दोनों चूची और भी ज्यादा ऊपर उठ गई..
उस लड़के ने अब अपने दोनों हाथों में क्रीम ले ली…
और मां के दोनों उरोज़ अपने हाथों में लेकर क्रीम मलने के बहाने से मसलने लगा…
मां ने अपनी आँखें बंद कर ली थी… और उसके मुख से आनन्द भरी हल्की सिसकारी भी निकल रही थी…
साफ़ लग रहा था… मां को बहुत मज़ा आ रहा है…
मैं खुद को पूरी तरह से छुपाये हुए मां की रासलीला देख रहा था…
मां को देखकर कतई ये नहीं लग रहा था कि वो परेशान हो रही हो या उसको किसी का डर हो…
उसकी बंद आँखों और मुँह से निकलती हलकी सीत्कारों से यही प्रतीत हो रहा था कि उसको इस वक्ष मर्दन में मजा आ रहा है…

मां- अहाआआ… क्या कर रहे हो.. बस्स्स्स ना…

लड़का- हाँ मैडम जी बस हो ही गया… आप यही वाली क्रीम लेना… इससे बॉडी चमाचम हो जाती है और नए कपड़े से कोई निशान भी नहीं पड़ता…


वह मां के चारों ओर ब्रा वाले भाग पर क्रीम मलते हुए ही बोला…
अब लड़के का हाथ उसकी चूची से फिसलता हुआ नीचे उसके समतल पेट पर था…
उसने पूरे पेट पर मालिश करने के बाद उसकी सबसे खूबसूरत और गहरी टुंडी में अपनी उंगली घुसा दी..

मां- अहाआआ… आआआ… इइइइइ…
मां ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया…
लड़का- अर्रर… मैडमजी, इसको चमका रहा हूँ…
मां- बस्स्स्स… अब रहने दो… मैं ब्रा पहन कर बताती हूँ कि सही है या नहीं…
लड़का ने जबरदस्ती अपना हाथ छुड़ाते हुए… अपने बाएं हाथ से मां का हाथ पकड़कर अपना सीधा हाथ आगे से उसकी कैप्री में डालने का प्रयास करने लगा..
मां- ओह… नहीईईईई… यह क्या कर रहे हो… वहाँ नहीं…
लड़का- अरे क्या मैडम जी… आप ऐसा क्यों कर रही हो.. यहाँ कोई नहीं आएगा…
उसने थोड़ा और जोर लगाकर अपना हाथ कुछ इंच और उसकी कैप्री में अंदर को सरका दिया…
एक तो पहले से ही मां ने अपनी कैप्री अपनी टुंडी से काफी नीचे पहनी थी… और इस समय उस लड़के का हाथ करीब 5-6 इंच तो उसकी कैप्री में था…
मेरे हिसाब से उसकी उँगलियों का अगला भाग मां की चूत के ऊपरी हिस्से तक तो पहुँच ही गया था…
और यह भी पक्का था कि वो नंगी चूत को ही छू रहा होगा क्योंकि जब हम ऊपर से हाथ घुसाते हैं तो हाथ सीधा कच्छी के अंदर ही जाता है…
परन्तु आज शायद मां पूरे मूड में नहीं थी.. उसने अपना दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया और जोर लगाकर अपनी कैप्री से बाहर खींच लिया…
मां- मैंने मना किया न… मैं केवल ब्रा चेक करुँगी… बस… पैंटी घर जाकर चेक करके बता दूंगी… यहाँ नहीं..
लड़के का मुँह देख लग रहा था जैसे उसके हाथ से ना जाने कितनी कीमती चीज छीन ली गई हो…
मां- ओह ज़मील, आज मुझे जल्दी जाना है… फिर कभी तुम घर आकर आराम से चेक कर लेना…
और मां ने झुककर उस लड़के के मुँह पर चूम लिया…

बस अब तो कबीर की प्रसन्नता का गुब्बारा फट पड़ा..
उसने मां को कसकर अपनी बाँहों में भर लिया…

उसने अपनी कमर मां के चूत वाले भाग पर घिसते हुए ही बोला…
लड़का- मैडम जी कल से आपकी याद में मेरा लण्ड खड़ा ही है… यह साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा…
साफ़ लग रहा था कि वो अपना लण्ड मां कि चूत पर रगड़ रहा था… चाहे कैप्री के ऊपर से ही…

लड़का- मैडम जी, जब से आपकी इतनी प्यारी चूत देखी है… मेरा लण्ड ने तो जिद पकड़ ली है कि एक बार तो वहाँ जरूर जाऊँगा…
मां- ओह छोड़ो ना…

लड़का उसको और कसकर चिपकते हुए- …सच मेमसाब मैंने पूरी जिंदगी में इतनी प्यारी और चिकनी चूत नहीं देखी… यहाँ बाहर मेरे यहाँ 6-7 लड़कियां काम करती हैं, मैं सबको यहीं कई बार चोद चुका हूँ… मगर सबकी चूत आपकी चूत के सामने बिल्कुल बेकार है…

सच कहूँ कल एक बार आपकी चूत छूने से ही मेरा पानी निकल गया था… और आपके पति भी कितने अच्छे हैं, उन्होंने खुद अपने हाथों से मेरे को मजा करवाया…

मां- ओह नहीं…!!!
लड़का- अहा हा… ह्ह्ह… सही मैडम जी… मैंने 3-4 शादीशुदा को भी चोदा है और मेरी दिली इच्छा थी कि काश मैं उनको… उनके पति के सामने चोदूँ… पर वो सभी ना जाने क्यों डरती हैं… सुसरी चुदवाते हुए तो खूब आवाज करेंगी पर पति से कहने से भी डरती हैं… पर आप एकदम अलग हो, आप तो अपने पति के सामने ही मजा करती हो… आपको तो भाई शाब के सामने ही चोदूंगा…
ये बोलते हुऐ उसने मां की केप्री और चड़ी एक साथ ही नीचे खींच दी। अब मां उसके सामने बिल्कुल नंगी थी।
उसने मां को सर से पकड़ कर नीचे बिठा दिया। और जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा होगया। ये सब देख कर जैसे ही मां ने कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला उसने अपना लौड़ा मां के मुंह में देदिया। और उसके मुंह को चोदने लगा। मां के मुंह से बस गु गु की आवाजें ही निकल रही थी।
वो लड़का करीब 10 मिनट तक मेरी मां के मुंह को चोद ता रहा। और फिर उसने कविता के मुंह में ही अपना सारा माल दाल दिया।
ऐसा करते ही अचानक मां ने उसको कसकर धक्का दिया… वो पीछे को हो गया…

मां- बस बहुत हो गया… अब मुझे जाने दो…


लड़का- ओह सॉरी मैडम जी…

मां ने जल्दी से अपनी शर्ट पहनी और… जल्दी जल्दी वहाँ से बाहर निकल गई…
मैं और वो लड़का भौंचक्के से उसको जाते देखते रह गए…
कि अचानक यह हुआ क्या?

मैं वहाँ खड़ा अभी मां के बारे में सोच ही रहा था कि यह अचानक उसको क्या हुआ…
वो चुदवाने को मना तो कर सकती थी… मगर इस तरह… अपनी नई वाली कच्छी-ब्रा भी छोड़कर यूँ भाग जाना…?
जरूर कोई बात तो है…

मैं वहाँ से निकल… मां के पीछे जाने की सोच ही रहा था… और उस लड़के कबीर के हटने का इन्तजार कर रहा था कि…
लगता था कि कबीर कुछ ज्यादा ही गर्म हो गया था… उसने अपना लोअर नीचे कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया…
उसका लण्ड कुछ बहुत ही अजीब सा था… 6-7 इंच लम्बा और शायद 2.5 से 3 इंच मोटा… पर उसका सुपाड़ा बहुत खतरनाक था… बिल्कुल खुला और बहुत मोटा…

मुझे लगा कि इसके लण्ड का यह अगला भाग अच्छी अच्छी चूतों की चीखें निकाल देता होगा…
और खास बात यह थी कि लण्ड बहुत अजीब तरीके से मुड़ा हुआ था, एकदम सीधा नहीं था…

उसका लन्ड अभी अभी झड़ा था पर फिर भी खड़ा था।

तो इस समय वो अपने लण्ड को सहलाते हुए ही बात भी कर रहा था… जैसे उसको समझा रहा हो…
लड़का- ओह मेरे यार, मैं क्या करूँ… साली, अच्छी खासी पट गई थी… मगर ना जाने क्या हुआ… पुच…पुच… मान जा… फिर किसी दिन दिलाऊँगा…

मैं अभी यह सोच ही रहा था… कि क्या मां को उसके इस भयंकर लण्ड का आभास हो गया था… जो वो ऐसे भाग गई?
कि तभी उस लड़के और मेरी नजर एक साथ ही सामने एक परदे पर पड़ी…
वहाँ एक लड़की जो शायद उसी दुकान पर काम करती थी… दिखी.. जो छुपकर जाने का प्रयास कर रही थी…


लड़का- ऐ एएए… नाज़नीन… इधर आ… तू क्या कर रही है… यहाँ…
मैं स्थिति को समझने का प्रयास कर ही रहा था… कि उस लड़के के पास आ गई थी…
मगर वो अभी भी लण्ड को अपने हाथ से पकड़े उससे बात कर रहा था… उसने अपना लण्ड अभी तक लोअर के अंदर नहीं किया था…

नाज़नीन- वो सर… मैं तो आपको ही ढूंढ रही थी… ये सामान दिखाना था… उसके हाथ में दो ब्रा थीं…
नाज़नीन कोई 5 फुट की छोटे कद की, पतली दुबली… सांवले रंग की थी… उसके पहनावे और मेकअप से लग रहा था कि वो एक गरीब परिवार की होगी…

उसने एक सस्ती सी झीनी काले रंग की कुर्ती और सफ़ेद टाइट पजामी पहनी थी… कुर्ती से उसकी ब्रा साफ़ दिख रही थी…
उसने अपने कंधे तक के बालों को खुला छोड़ रखा था… जो कुछ बिखरे हुए भी थे…

उसकी चूचियाँ तो कुछ खास नहीं थीं…कुर्ती से हलकी सी ही उभरी हुई दिख रही थीं…
मगर हाँ उसकी गांड काफी उभरी हुई दिख रही थी… जो उसके पूरे शरीर का सबसे आकर्षक भाग था…


तभी…
वहाँ एक मोबाइल बजने लगा…
लड़का- रुक तू अभी… यह तो उसी का फोन है… हाँ मैडम जी, क्या हुआ आप इतना नाराज क्यों हो गई… अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर दो… अपना सामान तो ले जाती…
…ओह ये तो मां का ही फोन था… मैंने रात को अपने वॉयस रिकॉर्डर से जान लिया था कि मां ने उससे क्या बात की थी… जो यहाँ बता रहा हूँ…

मां- अरे मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ… वो वहा कोई खड़ा था ना… इसलिए मैं आ गई… मुझे बहुत शर्म आ रही थी… वहाँ…
लड़का- अरे मैडम जी ये कोई नहीं… नाज़नीन ही थी… आप ही के कपड़े लेकर आई थी… यह यहाँ सिलाई का काम करती है… इससे न डरो… आप आ जाओ…

मां- अरे नहीं, अब नहीं… और वहाँ मुझे अच्छा नहीं लगा… तुम्हारे यहाँ एक चेंज रूम भी होना चाहिए ना…
लड़का- अब क्या करूँ मैडम जी… वो हो ही नहीं पाया… मगर आप डरो नहीं… यहाँ कोई नहीं आता…केवल यही सब ही आती हैं… बस…

मां- छोड़ो ये सब, तुम ऐसा करना, मैं बता दूंगी… मेरे घर ही भिजवा देना… या खुद ही ले आना…मैं वहीं चेक करके बता दूँगी…
लड़का- ठीक है मैडम जी, बताओ… कहाँ??… मैं अभी आ जाता हूँ…

मां- अरे अभी तो नहीं… मुझे अभी बाजार में ही काम है… और फिर इनके ऑफिस जाना है… फिर 1-2 दिन में बता दूंगी…
लड़का- ओह मैडम जी… यह तो बहुत बुरा हुआ… इस साली की वजह से…
वो नाज़नीन को बालों से पकड़ अपने लण्ड पर झुका देता है… जो फिर से तन गया था…
और इस समय कहीं ज्यादा भयंकर हो गया था… यह शायद मां की सेक्सी आवाज के कारण हुआ था…

नाज़नीन भी उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ झुक कर उसको पुचकारने लगती है…
मैं उस लड़के की किस्मत पर रस्क करने लगता हूँ… कि क्या किस्मत है साले की…
अभी कुछ देर पहले मेरी मां के मम्मो को मसल रहा था… और अब इस लड़की से अपना लण्ड चुसवा रहा है…

नाज़नीन की पीठ मेरी ओर थी… जब वो झुकी तो उसकी कुर्ती उसके मोटे चूतड़ों से ऊपर सरक गई…
ओह माय गॉड… उसके विशाल चूतड़ केवल सफ़ेद टाइट पजामी में मेरे सामने थे…
उसके चूतड़ उसकी उस इलास्टिक वाली

पजामी में नहीं समां रहे थे…

उसके झुकने से उसकी पजामी उसके चूतड़ों से काफी नीचे को फिसल रही थी जिससे उसके चूतड़ों का ऊपरी हिस्सा… और चूतड़ों की दरार तक साफ़-साफ़ दिख रही थी…
उसने एक काली कच्छी भी पहनी थी… जो पूरी साफ़ उसकी पजामी से दिख रही थी…

लेकिन उसकी कच्छी बहुत पुरानी थी… जिसकी इलास्टिक तक ढीली हो गई थी…
जो उसकी पजामी के साथ ही नीचे को सिमट गई थी…
इस सेक्सी नज़ारे को देख मैं मां को भूल गया… सोचा उसको तो बाद में भी देख लेंगे… पहले इसको ही देखा जाये…

लड़का अपना लण्ड चुसवाते हुए… मां से अभी भी बात कर रहा था…
लड़का- क्या मैडम जी, आप तो मेरा खड़ा करके भाग गई… अब मैं क्या करूँ…?

मां- तुम पागल हो क्या? इसमें मैं क्या कर सकती हूँ… वो तुम समझो… मुझे मेरे कपड़े चाहिए बस… बाकी अपना जो भी है वो तुम जानो… हे हे हे हे हा हा…
लड़का- मैडम जी ऐसा ना करो…

मां- अच्छा ठीक है… फिर बात करती हूँ… अभी तुम अपना काम करो… बाय…
लड़का- ओह नहींईई मैडम जी… ये क्या…
और वो गुस्से में ही… उस बेचारी नाज़नीन पर टूट पड़ता है…
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#42
Hot update
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#43
लड़का- चल सुसरी… तेरी वजह से आज एक प्यारी चूत निकल गई… चल अब तू ही इसे शांत कर…
वो उसको उसी मेज पर झुकाकर… उसकी पजामी एकदम से नीचे खींच देता है…
मैं बिना पलक झपकाये उधर देख रहा था… वो लड़का कबीर कैसे नाज़नीन के साथ मस्ती कर रहा था…
कुछ लड़कियाँ कपड़ों में बेइंतहा खूबसूरत लगती हैं मगर वो अपने अंदर के अंगों का ध्यान नहीं रखती… इसलिए कपड़ों के बिना उनमें वो रस नहीं आता…
मगर कुछ देखने में तो साधारण ही होती हैं, पर कच्छी निकालते ही उनकी गाण्ड और चूत देखते ही लण्ड पानी छोड़ देता है…
नाज़नीन कुछ वैसी ही थी… उसकी गाण्ड और चूत में एक अलग ही कशिश थी… जो उसको खास बना रही थी…
कबीर ने लण्ड चूसती नाज़नीन का हाथ पकड़ ऊपर उठाया और उसको घुमाकर मेज की ओर झुका दिया…
उसने अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया और खुद को तैयार करने लगी…
उसको पता था कि आगे क्या होने वाला है…
कबीर मेरी मां के साथ तो बहुत प्यार से पेश आ रहा था…
मगर नाज़नीन के साथ जालिम की तरह व्यव्हार कर रहा था…
वो उन मर्दों में था कि जब तक चूत नहीं मिलती तब तक उसको प्यार से सहलाते हैं…
और जब एक बार उस चूत में लण्ड चला जाये…तो फिर बेदर्दी पर उतर आते हैं…
वो नाज़नीन को पहले कई बार चोद चुका था… जो कि साफ़ पता चल रहा था… इसलिए उस बेचारी के साथ जालिमो जैसा व्यव्हार कर रहा था…
नाज़नीन मेज पर झुककर खड़ी थी, उसकी कुर्ती तो पहले ही बहुत ऊपर खिसक गई थी और पजामी भी चूतड़ से काफी नीचे आ गई थी…
कबीर ने अपने बाएं हाथ की सभी उँगलियाँ एक साथ पजामी में फंसाई और एक झटके से उसको नाज़नीन की जांघों से खींच टखनोंतक ला दिया…
नाज़नीन- उफ़्फ़्फ़…
नाज़नीन के विशाल चूतड़… पूरी गोलाई लिए मेरे सामने थे…
नाज़नीन की कच्छी क्या साथ देती वो तो पहले ही अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी… वो भी पजामी के साथ ही नीचे आ गई…
मैं नाज़नीन के विशाल चूतड़ों का दृश्य ज्यादा देर नहीं देख पाया…
क्योंकि उस कमीन कबीर ने अपना लण्ड पीछे से नाज़नीन के चूतड़ों से चिपका उसको ढक दिया…
नाज़नीन- अहा ह्ह्ह्ह… नहीं सर… अव्वह… नहीं करो…
कबीर- क्यों तुझे अब क्या हुआ… साली उसको भी भगा दिया और खुद भी नखरे कर रही है…
नाज़नीन लगातार अपनी कमर हिला कबीर के खतरनाक लण्ड को अपने चूतड़ों से हटा रही थी…
नाज़नीन- नहीं सर बहुत दर्द हो रहा है… आज सुबह ही अंकल ने मेरी गाण्ड को सुजा दिया है… बहुत चीस उठ रही है… आप आगे से कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी…
कबीर अब थोड़ा रहम दिल भी दिखा… वो नीचे बैठकर उसके चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ खोलकर देखता है…
वाओ मेरा दिल कब से ये देखने का कर रहा था…
नाज़नीन के विशाल चूतड़ इस कदर गोलाई लिए और आपस में चिपके थे कि उसके झुककर खड़े होने पर भी… गाण्ड या चूत का छेद नहीं दिख रहा था…
मगर कबीर के द्वारा दोनों भाग चीरने से अब उसके दोनों छेद दिखने लगे…
गाण्ड का छेद तो पूरा लाल और काफी कटा कटा सा दिख रहा था…
मगर पीछे से झांकती चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी…
कबीर ने वहाँ रखी क्रीम अपने हाथ में ली और उसके गाण्ड के छेद पर बड़े प्यार से लगाई…
कबीर- ये साला अब्बू भी न… तुझे मना किया है ना कि मत जाया कर सुबह सुबह उसके पास… उसके लिए तो जाकिरा और सलीमा ही सही हैं, झेल तो लेती हैं उसका आराम से… फड़ावा लेगी तू किसी दिन उससे अपनी…
और उसने कुछ क्रीम उसकी चूत के छेद पर भी लगाई…
मैंने सोचा कि ये साले दोनों बाप बेटे कितनी चूतों के साथ मजे ले रहे हैं…
फिर कबीर ने खड़े हो पीछे से ही अपना लण्ड नाज़नीन की चूत में फंसा दिया…
नाज़नीन- आआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… इइइइ…
वो तो दुकान में चल रहे तेज म्यूजिक की वजह से उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी…
वाकयी कबीर के लण्ड का सुपारा था ही ऐसा… जो मैंने सोचा था वही हुआ… उस बेचारी नाज़नीन की नाजुक चूत की चीख निकल गई…
लेकिन एक खास बात यह भी थी कि अब लण्ड आराम से अंदर जा रहा था…
मतलब केवल पहली चोट के बाद वो चूत को फिर मजे ही देता था…
मैं ना जाने क्यों ऐसा सोच रहा था कि यह लण्ड मां की चूत में जा रहा है और वो चिल्ला रही है…
अब वहाँ कबीर अपनी कमर हिला हिला कर नाज़नीन को चोद रहा था…
और वहाँ दोनों की आहें गूंज रही थीं…
मेरा लण्ड भी बेकाबू हो गया था… और अब मुझे वहाँ रुकना भारी लगने लगा…
मैं चुपचाप वहाँ से बाहर निकला… और बिना किसी से मिले दुकान से बाहर आ गया…
दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया…उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था…

प्रणव मेरा नया नया दोस्त बना था। वो अपनी बीवी के साथ रेहता था।
उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा… साथ में रुचिका भी होगी…
यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई… पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी…
फिर मां के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी…
जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया…
मां ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी… और तैयार होने जा रही थी…
उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था… जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था…
जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं… पर मां अभी बिना नहाये लग रही थी…
उसके बाल बिखरे थे… और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे…
लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी… और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई…
उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था… इसलिए मां की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था…
मैंने मां को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- अंदर नलिनी है।
नलिनी मेरे एक और दोस्त अरविंद की मां है।
नलिनी केवल 40 के आसपास ही थी…
उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है… कुछ मोटी तो हैं… पर 5 फुट 4 इंच लम्बी ,रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी…
मैंने मां से इशारे से ही पूछा- कहाँ…??
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया…
मैं- और तुम क्या तैयार हो रही हो… सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?
मां- अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई… इसीलिए !
मैं- और अभी… मेरी जगह कोई और होता तो…
मां- तो क्या… यहाँ कौन आता है?
तभी अंदर से ही नलिनी की आवाज आई- अरे कौन है कविता… क्या ये हैं…

वो अरविन्द को समझ रही थी।
तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं… माय गॉड ! क़यामत लग रही थी…
उन्होंने मां का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी…
नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी…
मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं… ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो…
नलिनी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- हाय राम…
कह पीछे को हो गई…
मां बैडरूम में जाते हुए- …अरे नलिनी… ये हैं… आज थोड़ा जल्दी आ गए… मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं…
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ नलिनी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं…
मैं- अरे आंटी, शरमा क्यों रही हो… इतनी मस्त तो लग रही हो… आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए…

नलिनी- हाँ हाँ ठीक है… पर इस समय तुम बाहर जाओ ना… मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ…
मां- हा हा हा क्या आंटी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो…

फ़िए मां ने मेरे से कहा- जानू, आज आंटी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था…

नलिनी- चल पागल… मेरा कहाँ… वो तो ये एए…
मां- हाँ हाँ… ने ही कहा… पर है तो आपका भी मन ना…
नलिनी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं… और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं…
मां- बेटा, आज नलिनी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है… कह रही थीं कि कल से ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो… मां जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो… हा हा हा…

मैं- तो सही ही तो कहते हैं… हमारी आंटी है ही इतनी सेक्सी… और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं…

मां- हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा…
नलिनी- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो…
मैं- ओह आंटी कितना शरमाती हो आप… ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में के सामने जाओ… देखना वो कितने खुश हो जायेंगे…

मां- हाँ नलिनी… की भी मर्जी यही तो है… तो आज यही सही…
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- …तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे…
नलिनी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…

वैसे उनको मेरे और मां पर पुरा शक था। जा बोल सकते हो उनको पता था के मै अपनी मां की चुदाई करता हु।

मैं चौंक गया…

मां दरवाजा बंद करके आ गई…
मैं- यह आंटी क्या कह रही थीं… खिड़की मतलब… क्या कल ये भी थीं… इन्होंने भी कुछ देखा क्या…

मां- अरे नहीं जानू… हा हा हा… आज तो बहुत खुश थी… कल अरविन्द ने जमकर इनको…
मैं- क्या?? यह सच है… इन्होंने खुद तुमको बताया? उनके अपने बेटे ने अपनी मां को ? मतलब कल इसने भी सब देख लिया था?

इसका मतलब ये था के अब नलिनी और अरविन्द भी मेरी और मेरी मां के बारे में सब जानते थे।

मां- और नहीं तो क्या… पहले तो शिकायत कर रही थी… फिर तो बहुत खुश होकर बता रही थी कि कल कई महीने के बाद इन्होंने मजे किये… जानू तुम्हारी शैतानी से इनके जीवन में भी रंग भर गया…
मां- अच्छा आप चेंज करो, मैं बस जरा देर में नहाकर आती हूँ… अभी बहुत काम करने हैं…
मैंने देखा बेड पर मां के काफी कपड़े फैले पड़े थे… एक कोने में एक सूट (सलवार, कुरता) भी रखा था…
वो मां का तो नहीं था… वो जरूर आंटी का ही था…

मैंने उस सूट को उठा देखने लगा… तभी कुछ नीचे गिरा…
अरे ये तो एक जोड़ी ब्रा, चड्डी थे… सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद ही चड्डी… दोनों साधारण बनावट के थे…
चड्डी तो उन्होंने पहनी ही नहीं थी, यह तो उनकी चूत के उभार से ही पता चल गया था…
पर अब इसका मतलब आंटी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी..

मैंने दोनों को उठा एक बार अपने हाथ से सहलाया और वैसे ही रख दिया… और आंटी की चूत और चूची के बारे में सोचने लगा…

तभी मुझे अपने रिकॉर्डर का ध्यान आया… मां तो बाथरूम में थी…
मैंने जल्दी से उसके पर्स से रिकॉर्डर निकाल उसको अपने फोन से जोड़ लिया…
और सुनते हुए… अपना काम करने लगा…
मैंने रिकॉर्डिंग सुनते हुए ही अपने सभी कपड़े निकाल दिए… कच्छा भी…
और तौलिया ले इन्तजार करने लगा… गर्मी बहुत थी.. सोचा नहाकर ही तैयार होता हूँ…
आज की रिकॉर्डिंग बहुत बोर थी… ज्यादातर खाली ही थी क्योंकि मां अकेली थी तो बहुत जगह आवाज थी ही नहीं…
मैंने सोचा कि नहाने के बाद मां के साथ ही मस्ती की जाये…
कि तभी… रिकॉर्डर मे आवाज आई…
ट्रीन्न्न्न्न… टिन्न्न्न्न…
यह तो मेरे घर की घण्टी थी…
कौन होगा…???
मां- कौन है?
‘खोलो यार… ‘
दरवाजा खुलने की आवाज…
मां- ओह आप… आइये अरविन्द… गुड मॉरनिंग…

मै हैरान था के केसे मेरी मां अरविन्द से इतने अच्छे से बात कर रही थी।


अरविन्द- हाँ यार… पुछ्ह्ह…

अरविन्द ने शायद मेरी मां को किस करी थी…

मां- अरे अरविन्द क्या करते हो, मेरे हाथ गंदे हैं… वो क्या है कि मैं कपड़े धो रही थी…
अरविन्द- अरे तो क्या हुआ… तभी तू पूरी गीली है…

मां- हाँ अरविन्द, बताइये क्या काम है…
मैं सोच रहा था कि पता नहीं मां ने क्या पहना होगा… और अरविन्द को अब क्या दिखा रही होगी???
अरविन्द- यार वो मेरी मां को भी अब तेरी तरह मॉडर्न कपड़े पहनने का शौक हो गया है… क्या तू उसको बाजार से शॉपिंग करवा देगी… अब उसको शौक तो हो गया… पर पता नहीं है कि कहाँ और कैसे… तो तू उसकी हेल्प कर देना…

मां- हा हा अरविन्द, उनको या आपको…?
अरविन्द- अरे मैं तो कबसे उसको बोलता था… कि तेरी तरह सेक्सी कपड़े पहना करे… पर मानती ही नहीं थी… अब खुद कह रही है…
मां- क्यों ऐसा क्या हुआ?
अरविन्द- यह तू उसी से पूछना…
मां- ठीक है अरविन्द…
अरविन्द- और 2-4 ऐसी नाइटी भी दिला देना… जिसमें सब दिखे…
मां- हा हा अरविन्द… आप भी ना… अब आंटी ऐसे कपड़े पहन किसको दिखाएंगी…
अरविन्द- अरे कितनी सेक्सी लगती है ना… मैं चाहता हूँ… वो तुम जैसी हो जाये… और जीवन के मजे ले…

मां- ओह छोड़ो ना अरविन्द, क्या करते हो?
??????

अरविन्द- और उसको अपने जैसा बोल्ड भी बना देना कि… किसी क़े सामने ऐसे कपड़े पहन आराम से खड़े हो सके…
मां- अच्छा तो क्या आप भी मुझे गन्दी नजर से देख रहे हो…
अरविन्द- अरे नहीं यार… मैं तो तेरी तारीफ कर रहा हूँ… अगर मेरी मां भी तेरे जैसी हो जाये तो मैं तो फिर से जवान हो जाऊँगा…

मां- अरे अरविन्द आप भी तो जवान हो…

अरविन्द- ओह थैक्स यार… कल तो मेरी मां भी मान गई… तभी तो ऐसे कपड़ों की ज़िद कर रही है !

मां- ओके अरविन्द… मैं उनको खूब सेक्सी बना दूँगी… आप चिंता ना करो… अच्छा अब मुझे देखना बंद करो… आप नलिनी को ही देखना… हे हे…

अरविन्द- अरे नहीं यार, तू तो है ही इतनी सेक्सी… कि हरदम देखने का दिल करता है…
मां- ठीक है अब बहुत देख लिया… अब मुझे काम करने दो… बाय बाय…
अरविन्द- ओह बाय यार…

..
बस फिर ज्यादा कुछ नहीं था रिकॉर्डिंग में …
तभी मां पूरी नंगी बाथरूम से बाहर आई.. हमेशा की तरह…
मुझे देख मुस्कुराई…
मैं भी उसको चूमकर- …अच्छा जान मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ…
मां- ओ के जानू…
मैं बाथरूम में चला गया।
मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी….
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन आ गया… प्रणव तो रात को आने वाला था…
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#44
तभी मेरे दिमाग में आया… कि मां तो सिर्फ तौलिया में ही थी… वो कैसे दरवाजा खोलेगी…
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
एक बार फिर से घंटी बजी…
इसका मतलब मां कपड़े पहन रही होगी… इसीलिए कोई बेचारा इन्तजार कर रहा होगा…
मगर अचानक मुझे दरवाजा खुलने की आवाज भी आ गई…
इतनी जल्दी तो मां कपड़े नहीं पहन सकती… उसने शायद गाउन डालकर ही दरवाजा खोल दिया होगा…
मैं खुद को रोक नहीं पाया… फिर से रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा कि आखिर क्या पहनकर उसने दरवाजा खोला…
और है कौन आने वाला…??
और मैं चौंक गया… मां अभी भी तौलिये में ही थी… उसने वैसे ही दरवाजा खोला था…
और आने वाले अरविन्द था… उनके हाथ में मां के कपड़े थे जो आंटी पहनकर गई थी…

मां- ओह आप … क्या हुआ??

अरविन्द- यार लो ये तेरे कपड़े…

मां- अरे इतनी क्या जल्दी थी… आ जाते…
फिर थोड़ा शरमा कर मुस्कुराते हुए- क्यों, आपको आंटी अच्छी नहीं लगी इन कपड़ों में?
अरविन्द- अरे नहीं, सही ही थी… उसमें इतना दम कहाँ… ये कपड़े तो तेरे ऊपर ही गजब ढाते हैं…

मां- अरे नहीं… आंटी भी गजब ढा रही थीं… मेरा बेटा तो बस उनको ही देख रहे था…

अरविन्द- क्या वो आ गया? उसने बताया नहीं…

मां- अरे भूल गई होंगी… पर मेरा बेटा उनको देख मस्त हो गए था…

अरविन्द- अच्छा तो उसने भी… उसको इन कपड़ों में देख लिया?

मां- वैसे सच बताओ… आंटी मस्त लग रही थी या नहीं?

अरविन्द- हाँ यार, लग तो जानमारु रही थी… अब तू कल उसको बढ़िया… बढ़िया सेट दिलवा देना…

मां- ठीक है… आप चिंता ना करो… मैं उनको पूरा सेक्सी बना दूंगी…

अरविन्द- अच्छा अब उसके कपड़े तो दे दे… कह रही है वही पहनेगी… अपनी कच्छी ब्रा भी यहीं छोड़कर चली गई…

मां- हाय, तो क्या आंटी अभी नंगी ही बैठी हैं?
दोनों अंदर बैडरूम में ही आ गये…
अरविन्द- हाँ यार… जब मैं आया तब तो नंगी ही थी… जल्दी दे… कहीं और कोई आ गया तो? …हे हे हे…

मां- क्या अरविन्द आप भी… ये रखे हैं आंटी के कपड़े…
अरविन्द कपड़ों को एक हाथ से पकड़… बेड पर मां के बाकी कपड़े और कच्छी ब्रा देख रहे थे।
अरविन्द- यार तू अपनी आंटी को कुछ बढ़िया ऐसे छोटे छोटे… कच्छी-ब्रा भी दिला देना…
मां थोड़ी शरमाते हुए- ओह क्या अरविन्द… आप भी ना… मेरे ना देखो, आंटी की कच्छी ब्रा लो और जाइये… वो वहाँ नंगी बैठी
इन्तजार कर रही होंगी…

हा हा हा…
तभी मेरे देखते-देखते अरविन्द ने तुरंत वो कर दिया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी…
अरविन्द मां के तौलिए को पकड़ कर- दिखा, तूने कौन से पहने हैं इस समय…
तौलिया शायद बहुत ढीला सा ही बंधा था… जो तुरंत खुल गया…
और मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं…
बैडरूम की सफेद चमकती रोशनी में मां पूरी नंगी… एक मेरी उमर के आदमी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी…

और वो भी तब जब उसका बेटा यानि कि मैं… घर पर… बाथरूम में था…

मां बुरी तरह हड़बड़ाते हुए- नहींईईईईईईई अरविन्द… क्या कर रहे हो… मैंने अभी कुछ नहीं पहना…
और उनके हाथ से एकदम तौलिया खींच… अपने को आगे से ढकने की कोशिश करने लगी।
अरविन्द- ओह सॉरी यार… हा हा हा… मुझे नहीं पता था… पर कमाल लग रही हो…
मां- अच्छा अब जल्दी जाओ… मेरा बेटा अंदर ही हैं…

उसने बाथरूम की ओर चुपके से इशारा किया… और ना जाने क्यों बहुत फुसफुसाते हुए बात कर रही थी।
वो मजे भी लेना चाहती थी… और अभी भी मुझसे डरती थी… और ये सब छुपाना भी चाहती थी…
अरविन्द भी जो थोड़ा खुल गए थे… उनको भी शायद याद आ गया था कि मैं अभी घर पर ही हूँ…
वो भी थोड़ा सा डरकर बाहर को निकल गए…
अरविन्द- अरे सॉरी यार…
मां- अब क्या हुआ??
अरविन्द- अरे उसी के लिए… मैंने तुमको नंगा देख लिया… वो वाकयी मुझे नहीं पता था कि तुमने…
मां- अरे छोड़ो भी ना अरविन्द… ऐसे कह रहे हो जैसे… पहली बार देखा हो…
मां की बातें सुन साफ़ लग रहा था… कि वो बहुत बोल्ड लड़की है…
अरविन्द- हे हे हे… वो क्या यार… वो तो हे हे… अलग बात थी… मगर इस टाइम तो गजब… सही में यार… तू बहुत सेक्सी है…
तेरा बेटा बहुत लकी है…

मां फिर शरमाते हुए- …ओह अरविन्द थैंक्स… अब आप जाओ मेरा बेटा आता होगा…

मां ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था… केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था…
अरविन्द फुसफुसाते हुए- यार एक बात कहूँ… बुरा मत मानना प्लीज़…
मां- अब क्या है????
अरविन्द- यार एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!
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#45
अरविन्द- यार एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!

मां- पागल हो क्या?? जाओ यहाँ से… जाकर नलिनी को देखो वो भी नंगी बैठी आपका इन्तजार कर रही हैं…
हे हे हे हा हा हा…
मां के कहने से कहीं भी नहीं लग रहा था कि उसको कोई ऐतराज हुआ हो…
अरविन्द – ओह प्लीज़…

मां उनको धकेलते हुए- नहीं जाओ अब…
अरविन्द मायूस सा चेहरा लिए दरवाजे के बाहर चले गये…
अब वो मुझे नहीं दिख रहे थे… हाँ मां जरूर दरवाजा पकड़े खड़ी थी… जो पीछे से पूरी नंगी थी…
उसके उभरे हुए मस्त चूतड़ गजब ढा रहे थे !
पर अभी मां कि शैतानी ख़त्म नहीं हुई थी…
उसने दरवाजा बंद करने से पहले जैसे ही हाथ उठाया तो उसका तौलिया फिर निचे गिर गया…
मां- थोड़ा ज़ोर से… बाई बाई अरविन्द…
माय गॉड… वो एक बार फिर अरविन्द को…
और उस शैतान की नानी ने अरविन्द को अपने नंगी काया की झलक दिखा कर हँसते हुए दरवाजा बंद कर लिया…
मैं बस यही सोच रहा था कि यह मां अब रात को प्रणव को कितना परेशान करने वाली है…

मैं नहाकर बाहर आया… हमेशा की तरह नंगा…
मां की मस्ती को देख मुझे गुस्सा बिल्कुल नहीं आ रहा था… बल्कि एक अलग ही किस्म का रोमांच महसूस कर रहा था…
इसका असर मेरे लण्ड पर साफ़ दिख रहा था… ठन्डे पानी से नहाने के बाद भी लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा था…
मां ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी अपने बाल सही कर रही थी…
उसने नारंगी रंग का सिल्की गाउन पहना था… जो फुल गाउन था… मगर उसका गला बहुत गहरा था…
इसमें मां जरा भी झुकती थी तो उसकी जानलेवा चूचियों का नजारा हो जाता था…
और अगर मां ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी… जो अक्सर वो करती थी…
बल्कि यूँ कहो कि घर पर तो वो ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी… तो बिल्कुल गलत नहीं होगा…
जब इस गाउन में वो ब्रा नहीं पहनती थी तो… उसकी गोल मटोल एवं सख्त चूचियाँ उसके गाउन के कपड़े को नीचे कर पूरी तरह से बाहर निकलने की कोशिश करती थी…
उसकी चूचियाँ भी मां की तरह ही शैतान थीं…
मुझे अब ज्ञात हो गया था कि मेरी जान मां के इन प्यारे अंगों का मेरे घर में आने वाले ही नहीं बल्कि बाजार में बाहर के लोग भी देख-देख आनन्द लेते हैं…
हाँ मैंने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया था… वो तो आज पारस के कारण मैं भी इस सबका भाग बन गया था…
अब मैं मां को यह अहसास करना चाहता था कि मैं भी एक आम इंसान ही हूँ और तरह तरह के सेक्स में मजा लेता हूँ… मैं कोई दकियानूसी मर्द नहीं हूँ… मुझे भी मां की हरकतें अच्छी लगती हैं… और उनका आनन्द लेता हूँ…
जिससे वो मुझसे डरे नहीं और मुझे सब कुछ बताये… मुझे यूँ सब कुछ छुपकर न देखना पड़े… और मेरा समय भी बचे जिससे मेरे काम पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा…
मैंने सर को पोंछने के बाद तौलिया वहीं रखा और नंगा ही मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया…
मैं जैसे ही थोड़ा सा आगे हुआ… मेरा लण्ड मां के गर्दन के निचले हिस्से को छूने लगा…

उसने बड़े प्यार से पीछे घूमकर मेरे लण्ड को अपने बाएं हाथ में पकड़ लिया…


उसके सीधे हाथ में हेयर ड्रायर था… उसने फिर शैतानी करते हुए, अपने बाएं हाथ से पूरे लण्ड को सहलाते हुए ड्रायर का मुँह मेरे लण्ड पर कर दिया…और गर्म हवा से लण्ड को और भी ज्यादा गर्म करते हुए…
मां- क्या बात… कल से पप्पू का आराम का मन नहीं कर रहा क्या??? जब देखो खड़ा ही रहता है… हा हा हा…
मां में यही एक ख़ास बात थी… कि वो हर स्थिति में बहुत शांत रहती थी और बहुत प्यार से पेश आती थी…
तभी अपनी जान की कोई भी बात मुझे जरा भी बुरी नहीं लगती थी…
मैंने चौंकने की एक्टिंग करते हुए कहा- …अरे यह क्या जान? तुम्हारे कपड़े वापस आ गए… क्या हुआ…?? नलिनी को पसंद नहीं आये क्या… या अरविन्द ने पहनने को मना कर दिया?
मां ने मेरे लण्ड पर बहुत गर्म चुम्बन करते हुए कहा- …हा हा… अरे नहीं जानू… ये तो अरविन्द ही आये थे… वो नलिनीजी के कपड़े यहीं रह गए थे… न उनको ही लेने…और हाँ उनको तो ये कपड़े बहुत अच्छे लगे… और मेरे से ज़िद कर रहे थे कि… नलिनी को कई जोड़ी ऐसे ही कपड़े दिला देना… हा हा…

मैं- अरे वाह ! यह तो बहुत अच्छी बात है…

अब मैंने मां को छेड़ते हुए पूछा- अरे वैसे कब आये अरविन्द?

मां- जैसे ही आप बाथरूम में गए थे ना, तभी आ गए थे…
उसको लगा मैं अब चुप हो जाऊँगा… पर मेरे मन में तो पूरी शैतानी आ गई थी…
मैं- ओह क्या बात… तो क्या तुमने तौलिया में ही दरवाजा खोल दिया था… फिर तो अरविन्द को रात वाला सीन याद आ गया होगा… हा हा हा…
मां- अररर्र… रे… वो ओऊ… तो आप ये सब सोच रहे हो… अरे मैं तो सब भूल गई थी… हाँ शायद मैं वैसे ही थी… पर उनको देख लगा नहीं कि वो… हाय राम वो क्या सोच रहे होंगे…
मैं- ओह क्या यार… तुम भी ना इस सबसे मजा लो… मैं तो चाहता हूँ कि उनकी लाइफ भी मजेदार हो जाए… तुम तो नलिनी को भी अपनी तरह सेक्सी बना देना…
अब लगता था कि मां भी मुझसे थोड़ा मजा लेना चाहती थी…
मां- हाँ, फिर मेरी एक चिंता और बढ़ जाएगी…
मैं- वो क्या??
मां हँसते हुए- हा हा… कि मेरा जानू कहीं नलिनी से भी तो रोमांस नहीं कर रहा…
मैं- हा हा तो क्या हुआ जान… कुछ मजा हम भी ले लेंगे… तुमको कोई ऐतराज?
मां- अरे नहीं मुझे क्या ऐतराज होगा… जिसमे मेरे जानू को खुशी मिले… उसी में मेरी ख़ुशी है…
उसने बहुत ही गर्म तरीके से मेरे लण्ड को चूमा…
मुझे लगा कि अगर मैंने इसको नहीं रोका तो अभी मेरा लण्ड बगावत कर देगा… और मां को अभी ही चोदना पड़ेगा…
मैंने उससे कहा- चलो फिर आज प्रणव के सामने इतना सेक्सी दिखना कि वो अपनी रुचिका को भूल जाये.. साला हर वक्त उसकी तारीफ़ ही करता रहता है… चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ…

मां भी मेरी बातों से अब मस्त हो गई थी… उसका डर धीरे धीरे निकल रहा था…
वो भी तैयार होते ही बात कर रही थी- जानू बताओ ना, फिर आज मैं क्या पहनू???
मैं- जान तुम बिना कपड़ों के ही रहो… देखना साला प्रणव जलभुन मरेगा…
मां मुस्कुराते हुए- हाँ और अगर उसने कुछ कर दिया तो…
मैं- अच्छा तो तुम क्या ऐसे भी रह लोगी… हा हा हा… फिर रुचिका होगी तो बदला लेने के लिए…
मां- हाँ मैं आपके मुँह से यही तो सुनना चाहती थी… आप तो बस अपना ही फ़ायदा देख रहे हैं ना… आप तो बस रुचिका के ही बारे में ही सोच रहे होंगे ना?
उसने अब अपना मुँह फुला लिया।
मैं- अरे नहीं मेरी जान वो सब तो बस थोड़ा मजा लेने के लिए… वरना मेरी जान जैसी तो इस पूरे जहान में नहीं है…
मां- हाँ हाँ मुझे सब पता है… याद है जब हमारी पहली पार्टी में… प्रणव ने मेरे साथ वो सब हरकतें करी थीं, तब आपने कौन सा उससे कुछ कहा था…

मैं- अरे जान, वो उस दिन नशे में था… वैसे वो तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करता है…
मां- हाँ हाँ मुझे पता है… सभी मर्द एक जैसे ही होते हैं… जरा सा छूट मिली नहीं कि…
मैं- हा हा हा हा… अच्छा तो क्या मैं भी ऐसा ही हूँ?
मां- और नहीं तो क्या…

मैं- हाँ… तुम तो बात कहाँ से कहाँ ले जाती हो… अच्छा आज इसे पहन लो…
मैंने उसको एक मिडी की ओर इशारा किया… वो रॉयल ब्लू कलर की बहुत सेक्सी ड्रेस थी…
मां- हाँ, मैं भी यही सोच रही थी… पर आज मैं इसके मैचिंग की कच्छी नहीं ला पाई… और यह दूसरे रंग की बहुत खराब दिखेगी…
मैं- अरे, तो यार, बिना कच्छी के पहनो ना… मजा आ जायेगा…
मां- हाँ… तुम लोगों को ही ना… और यहाँ मैं कोई काम ही नहीं कर पाऊँगी… बस कपड़े ही सही करती रहूँगी…
दरअसल उसकी यह मिडी उसके उसके विशाल चूतड़ों को ही ढक पाती थी बस… शायद चूतड़ों से 3-4 इंच नीचे तक ही पहुँच पाती होगी और मां जरा भी हिलती डुलती थी तो अंदर की झलक मिल जाती थी… अगर झुककर कोई काम करती थी तब तो पूरा प्रदेश ही दिखता था…
हम अभी कपड़ेही चुन ही रहे थे कि…
एक बार फिर…
ट्रिन्न्न्न… ट्रिनन्न्न्न्न…
कोई आ गया था… जो घंटी बजा रहा था…
मैं- अरे यह प्रणव इतनी जल्दी कैसे आ गया?
मां- अरे नहीं जानू… मधु होगी… मैंने उसको आज काम करने के लिए बुला लिया था…
मधु हमारी कॉलोनी में ही पीछे की तरफ बनी एक गरीब बस्ती में रहती थी।
बहुत गरीबी में उसका परिवार जी रहा था… उसका बाप शराबी… छोटे छोटे… 5 भाई बहन… माँ घरों के साफ़ सफाई और छोटे मोटे

काम करती थी, मां कभी कभी उसको कुछ काम करने के लिए बुला लेती थी।
मैं पिछले काफी समय से उससे नहीं मिला था क्योंकि अपने काम में ही व्यस्त रहता था।
मां ने दरवाजा खोला… मधु ही थी… वो अंदर आ गई…
मधु- सॉरी भाभी… देर हो गई… वो घर का काम भी करना था न…
मां- कोई बात नहीं… अभी बहुत समय है… तू आराम से कर ले…
मां ने बता दिया होगा कि कोई आने वाला है… तो वह खुद तैयार होकर आई थी…
तभी मां कमरे में जाती है…
उसने जाते ही बड़ी बेबाकी से अपना गाउन उतार दिया…
एक बार फिर मैं उसके सुन्दर शरीर को देखने लगा… उसने कुछ नहीं पहना था…
अब वो बड़ी मादकता के साथ अपने पूरे नंगे बदन पर कोई लोशन का लेप लगा रही थी…
फिर मुझे देखते हुए ही कहने लगी- …जान तो तुमने क्या सोचा…?? क्या पहनूँ फिर मैं आज?
मैं एक बार फिर उसकी पोशाकों को देखने-परखने लगता हूँ…
फिर वो एक जोड़ी अपनी कच्छी-ब्रा को पहन लेती है…
मैं- क्यों क… क्या यही सेट पहनना है?
मां- हाँ… ये तो मुझे यही पहनना है… बाकी रुको मैं बताती हूँ…
वो एक वहुत सेक्सी ड्रेस निकाल कर लाती है… ये उसने अपने भाई के रिसेप्शन पर पहना था…
ये वाला ड्रेस…
सब उसको वहाँ देखते रह गए थे… हाँ रिसेप्शन पार्टी के समय तो उसने इसके नीचे पतली हाफ केप्री पहनी थी…
परन्तु जब रात को उसने केप्री निकाल दी थी, तब तो घर के ही लोग थे…
मगर सभी उसी को भूखी नजरों से ताक रहे थे, चाहे वो मां के जीजा हों… या उसके भाई… और पापा…
उस समय बिस्तर आदि लगते समय… मां के जरा से झुकने से ही उसकी सफ़ेद कच्छी सभी को रोमांचित कर रही थी…

मैंने तुरंत हाँ कर दी… और यह भी कहा- यार इसके नीचे बस वो वाली सफ़ेद कच्छी ही पहनना…
मां- कौन सी… वो वाली… वो तो कब की फट गई.. ये वाली बुरी है क्या??
उसने अभी एक सिल्की… स्किन टाइट… वी शेप स्काई ब्लू… पहनी थी…
मैं- नहीं जान… इसमें तो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही हो… मगर बस इसी के ऊपर यह पहनना… वो उस दिन वाली कैप्री नहीं

पहनना…
मां- अरे जानू फिर तो बहुत संभलकर रहना होगा… तुम ही देखो… फिर…
मैं- हाँ हाँ… मुझे पता है… पर प्रणव ही तो है.. वो तो अपना ही है ना… और फिर रुचिका से क्या शरमाना..
मां- ठीक है जानू… जैसा आप कहो…
मैंने कसकर मां को अपने से चिपका लिया… और कच्छी के ऊपर से उसके गोल मटोल चूतड़ों को सहलाने लगा…
तभी मधु अंदर आती है…
मधु- भाभीईइ… इइइइइइइ ओह
हम दोनों अलग हो गए…
मां- क्या हुआ??
मधु- वो तो हो गया भाभी… अब क्या करूँ?
मां- ले जरा यह लोशन, मेरी पीठ, टांगों और कूल्हों पर लगा दे… जहाँ जहाँ… दिख रहा है…
मधु- यह क्या है भाभी…
मां- यह शाइनिंग लोशन है… और फिर तू भी तैयार हो जाना… ये फ्रॉक उतार कर… मैंने ये कपड़े रखे हैं… ये पहन लेना…
कुछ देर बाद मां ने मधु की ड्रेस को उठा कर कहा- बस अब हो गया… अब तू ये कपड़े ले और तैयार हो जा… चाहे तो नहा लेना… पसीने की नहीं आएगी…
मधु- जी भाभी…
मधु ड्रेस लेकर बाथरूम में चली गई।
इधर मां तैयार होने लगी,
हम तीनो त्यार हुए ही थे कि तभी प्रणव का फ़ोन आया…
मैं- क्या हुआ यार इतनी देर कहाँ लगा दी…
प्रणव- ओह सॉरी यार… आज का कार्यक्रम रद्द हो गया है… हम नहीं आ पाएंगे…
मैं- क्या…?
प्रणव- एक मिनट… तू नीचे आ…
मैं- तू पागल हो गया है… क्या बोल रहा है ?? कहाँ है तू???
प्रणव- अच्छा रुक मैं आता हूँ…
मां- क्या हुआ??
मैं- पता नहीं क्या कह रहा है???
दो मिनट के बाद
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मां ने दरवाजा खोला- ओह आप आ तो गए… क्या हुआ प्रणव बेटा???

उसने मां को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा…
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#46
प्रणव हमेशा ऐसे ही मिलता था… विदेशी कल्चर… और उसकी मां रुचिका भी… उसने नजर भरकर मां को देखा…
प्रणव- वाह … आज तो मस्त सेक्सी लग रही हो…

मां- अरे रुचिका कहाँ है…

प्रणव- अरे क्या कहूँ हम दोनों यहीं आ रहे थे… कि
डैड का फ़ोन आ गया… वो कहीं जा रहे थे… मगर कुछ इमर्जेन्सी हो गई… तो अभी आधे घंटे बाद उनका प्लेन यहीं आ रहा है… हम दोनों उनको ही लेने जा रहे हैं… सॉरी यार फिर कभी जरूर आएंगे…

मैं- अरे यार एकदम… ये सब कैसे?

प्रणव- यार फिर बताऊंगा… मुझे तो इस पार्टी को मिस करने का बहुत दुःख है… अच्छा यार ज़रा जल्दी में हूँ… माफ़ कर दो… तुम दोनों मुझको…

उसने एक बार फिर मां को अपने गले लगाया… इस बार मैं पीछे ही था, मैंने साफ़ देखा उसके बायाँ हाथ मां के चूतड़ों पर था… फिर वो तेजी से बाहर को निकल गया… मैं भी जल्दी से बाहर को आया… उसको सी ऑफ करने के लिए… मैं उसके साथ ही नीचे आ गया… रुचिका को भी एक नजर देखने के लिए… रुचिका उसकी महंगी कार में ही बैठी थी… मैं उसकी ओर गया… उसने तुरंत दरवाजा खोला… रुचिका ने पिंक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था… जैसे ही वो नीचे उतरने लगी… उसके बायाँ पैर जमीन पर रखते ही… उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई… और दोनों पैर के बीच बहुत ज्यादा गैप हो गया… मुझे उसकी नेट वाली लाल कच्छी दिखी… मेरी नजर वहीं थी कि…

रुचिका- ओह अंकुर एक मिनट… मैं सॉरी बोल पीछे हटा… रुचिका ने बाहर आ मेरे सीने से लग गाल को हल्का सा चुम्बन किया… मुझे प्रणव की हरकत याद आ गई… मैंने भी अपना बायाँ हाथ रुचिका के चूतड़ों पर रखा… ओह गॉड मेरी किस्मत… मेरी उँगलियों को पूरी तरह से नंगे, मक्खन जैसे चूतड़ों का स्पर्श मिला… बैठने से रुचिका की स्कर्ट पीछे से सिमट कर ऊपर हो गई थी… और उसने शायद लाल टोंग पहना था… जिससे उसके चूतड़ के दोनों उभार नंगे थे… मेरी उँगलियाँ खुद ब खुद उसके चूतड़ों के मुलायम गोश्त में गड़ गई… मैंने भी रुचिका के गाल पर चुम्मा लिया… और जब गाड़ी में देखा तो प्रणव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था… और वो मेरे हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था… मैंने जल्दी से रुचिका को छोड़ा और पीछे हट गया…

रुचिका- सॉरी … फिर बनाएँगे बेटा प्रोग्राम… अब तुम दोनों आना हमारे घर…

मैं- कोई बात नहीं… ये सब भी देखना ही था… ठीक है… रुचिका घूमकर गाड़ी में बैठने लगी… उसने अभी भी अपनी स्कर्ट ठीक नहीं की थी… उसके चूतड़ों की एक झलक मुझे मिल गई… ना जाने मुझमे कहाँ से हिम्मत आ गई… मैंने रुचिका को रोका और उसकी स्कर्ट सही कर दी…

रुचिका- क्या हुआ अंकुर।??

मैं- अरे या… स्कर्ट ऊपर हो गई थी…

रुचिका- ओह… थैंक्स…

प्रणव- हा हा हा… मां आज… आंटी तुमसे कहीं ज्यादा सेक्सी लग रही थी…

रुचिका चिढ़कर- …तो नीचे क्यों आ गए… वहीं रुक जाते ना… मैं अंकुर के साथ चली जाती हूँ…

प्रणव- ओह यार… मैं तो तैयार हूँ… क्यों अंकुर…??

मैं- हाँ हाँ… ठीक है… सोच ले… मुझे भी उनके सामने कुछ बोल्ड होना पड़ा… प्रणव ने गाड़ी स्टार्ट की- ..चल अच्छा फिर कभी सोचेंगे… वरना पापा सोचेंगे… कि यार मेरा बेटा कैसे बदल गया… और मैं उन दोनों को विदा कर ऊपर आ गया… दरवाजा खुला था… मैं अंदर गया… मैंने भी अंदर देखा… एक और सरप्राइज तैयार था… अंदर अरविन्द और मां थे… मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ…
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#47
Good story
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