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मगर उन्होंने लंड को बाहर नहीं निकाला और मेरे ऊपर लेट गये. वो मेरे होंठों को चूसने लगे. मुझे अभी भी दर्द हो रहा था. फिर मैंने भी उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
दो-चार मिनट तक जीजा मेरे होंठों को पीते रहे. अब मेरा दर्द हल्का सा कम हुआ, मगर तभी जीजा ने एक और धक्का मेरी चूत की तरफ दिया और मेरी चूत में उनका लंड आधा घुस गया.
अब मेरी चूत में जीजा का लंड आधा फंस गया था. मगर अबकी बार दर्द में कुछ कमी आई. उसके बाद जीजा ने धीरे-धीरे करके मेरी चूत में अपना लंड पूरा घुसा दिया.
जब चूत में लंड पूरा घुस गया तो मुझे ऐसे लगने लगा कि जीजा का जिस्म और मेरा जिस्म एक हो गये हैं. अब से पहले मैंने केवल चूत में उंगली का ही मजा लिया.
आज मुझे पता चला कि चूत में लंड जब जाता है तो उसका अहसास कितना अलग और सुखद होता है. हालांकि चूत में अभी भी काफी दर्द था मगर एक मर्द के लौड़े को चूत में लेने की फीलिंग भी बहुत ही मदहोश कर देने वाली थी.
मैं जीजा को अपनी बांहों में जकड़ने लगी. जीजा ने मेरी चूत में अब लंड को धकेलना शुरू कर दिया. वो धीरे-धीरे करके मेरी चूत में लंड को अंदर-बाहर करने लगे. पांच मिनट तक आहिस्ता आहिस्ता से वो मेरी चूत में लंड को अंदर-बाहर करते रहे.
उसके बाद मेरा दर्द अब काफी कम होने लगा था. अब मुझे मजा आने लगा था. जीजा का लंड चूत में लेकर अब मुझे चुदाई का मजा मिलने लगा था. जब उनका लंड मेरी चूत में अंदर जाकर टकराता था तो मुझे काफी आनंद मिल रहा था.
धीरे-धीरे जीजा के लंड की स्पीड अब मेरी चूत में बढ़ने लगी. अब मुझे और मजा आने लगा. जीजा का लंड काफी मोटा और सख्त था और मेरी चूत में फंसता हुआ उसको खोल कर चोद रहा था.
मुझे काफी मजा आने लगा. कुछ देर के बाद मैं खुद ही जीजा के लंड की तरफ अपनी चूत को धकेलने लगी. अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
मेरी चूत में जीजा का लंड था और मैं उनके होंठों को चूस रही थी. मुझे एक पुरुष के पुरुषत्व का पहला सुख मिल रहा था. मैं अंदर तक आनंदित हो रही थी.
जीजा की स्पीड अब और तेज हो गयी थी. वो मेरी चूत को तेजी के साथ चोदने में लगे हुए थे. मैं भी अब दोगुनी तेजी के साथ अपनी चूत को उनके लंड की तरफ धकेल रही थी.
मेरे मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्ह जीजा जी … आई लव यू … फक मी जीजा जी … चोदो मुझे आह्ह … बहुत मजा आ रहा है. आह्ह मैं मर जाऊंगी… और जोर से चोदो.
एकाएक मेरी चूत में संकुचन सा होने लगा और मेरी चूत ने अंदर से अपना सारा कामरस जीजा के लंड पर फेंकना शुरू कर दिया. मैं झड़ने लगी.
पहली बार मैं चुदाई के दौरान झड़ी थी. स्खलन के दौरान मुझे असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी. जीजा का लंड अब भी मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था.
अब उनके लंड के धक्के मेरी चूत में और तेज हो गये थे. लंड जब चूत में जा रहा था तो मुझे पच-पच की आवाज भी सुनाई देने लगी थी. जीजा अब हांफने लगे थे.
वो अब पूरी ताकत के साथ मेरी चूत को चोदने लगे. मेरी चूत में दर्द होने लगा मगर फिर भी मैं उनका साथ देती रही. मेरी चूत चुदकर जैसे छलनी हो रही थी. मगर साथ ही आनंद भी मिल रहा था.
पांच मिनट के बाद मैं एक बार फिर से झड़ गयी. अब मेरी हालत खराब होने लगी. मैंने जीजा को कस कर अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया. उनके होंठों को जोर से काटने लगी.
जीजा के लंड ने मेरी चूत को खोल कर रख दिया था. फिर वो तेजी के साथ धक्के लगाते हुए आह्ह … आह्हह … करते हुए मेरी चूत में ही झड़ने लगे.
उन्होंने अपने लंड का सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया. मेरी चूत का छेद जीजा के लंड माल से भर गया. उसके बाद वो मेरे ऊपर ही गिर पड़े. उनकी सांसें तेजी के साथ चल रही थीं.
मैं जीजा की पीठ को सहलाने लगी. मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए उनको सामान्य करने की कोशिश की. उसके बाद हम दोनों ऐसे ही काफी देर तक एक दूसरे के साथ नंगे जिस्मों के साथ चिपके रहे.
जीजा मेरे ऊपर ही लेटकर सो गये. जब मैं सुबह उठी तो जीजा जा चुके थे. मैंने देखा कि बेड की चादर पर भी कोई निशान नहीं था. मैं सोच रही थी कि मेरी चूत की पहली चुदाई से निकलने वाले खून और कामरस के निशान चादर पर होंगे.
लेकिन बेड पूरा साफ था. मगर मैं अंदर से काफी संतुष्ट महसूस कर रही थी. मैंने बाथरूम में जाकर देखा तो मेरी चूत काफी सूजी हुई लग रही थी. शायद कल्पना में मैंने अपनी चूत को कुछ ज्यादा ही जोर से रगड़ दिया था.
कई दिनों तक मेरी चूत दुखती रही. उसके बाद मैंने फिर से सपना के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा लिया. अब मैं उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब मेरे चूत में किसी जवान मर्द का लंड जायेगा.
तो दोस्तो, ये थी मेरी सहेली की मेरे जीजा के साथ पहली चुदाई की कल्पना.
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मेरी एक ऐसी ही सहेली के बारे में है जिसको सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था. उसका नाम सुमन है. यह कहानी मेरी और उसकी ही है. सुमन को सेक्स करने या सेक्स के दौरान होने वाली अनुभूतियों के बारे में कुछ भी नहीं पता था. उसने जो कुछ सुना था वो उसी को सेक्स समझती थी. सुमन का जिस्म एक खिलता हुआ यौवन का फूल था जो किसी बूढ़े का भी लंड खड़ा कर सकता था. बिल्कुल ताजा-ताज़ा जवान हुई थी सुमन. दमकता चेहरा और महकता यौवन.
सुमन मेरे गांव की ही रहने वाली है. उसका घर मेरे घर के पीछे ही है. हम दोनों सहेलियों के घर की छत आपस में जुड़ी हुई हैं. सुमन की बॉडी बिल्कुल स्लिम है. उसके नैन-नक्श भी तीखे हैं. वैसे तो उसकी उम्र अभी 18 की ही हुई थी लेकिन उसके चूचों का उभार बड़ी ही जल्दी खिलने लग गया.
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मैंने पहला सेक्स अपने जीजा जी के साथ किया था. मैं उनके साथ अब तक पांच बार चुदाई का मजा ले चुकी थी. मगर अब तक मैंने किसी और मर्द को अपने जिस्म को छूने भी नहीं दिया था. जीजा जी वो पहले मर्द थे जिन्होंने मुझे कली से फूल बनाया था.
जब मैंने जीजा जी और अपनी चूत चुदाई की कहानी सुमन को बताई तो सुमन की चूत में भी खुजली होने लगी थी.
वह अक्सर मुझसे पूछती थी कि जीजा जी कब आयेंगे. मैं भी उससे पूछ लेती थी- क्यों, तुझे भी अपनी चूत चुदवानी है क्या?
वो बोल देती- नहीं, मैं तो बस वैसे ही पूछ रही थी.
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मगर मैं अच्छी तरह जानती थी कि जीजा जी के लंड के बारे में सुनकर उसका मन भी सेक्स के लिए करने लगा होगा. वरना कोई लड़की बार-बार इस तरह किसी मर्द के बारे में बेवजह क्यों पूछेगी. इस तरह जीजा जी की बात होने पर हम दोनों के बीच में सेक्स की बात भी शुरू हो जाती थी.
एक दिन की बात है जब मैं सुमन के घर गई. सुमन घर पर अकेली थी. मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसकी दीदी की डिलीवरी के चलते घर वाले हॉस्पिटल में गये हुए हैं. अस्पताल गांव से 20 किलोमीटर दूर है. फिर हम दोनों में यहाँ-वहाँ की बात होने लगी और होते-होते बात सेक्स तक पहुंच गई.
मैंने सुमन से कहा- जब तेरी शादी हो जायेगी तो तुझे भी एक न एक दिन हॉस्पिटल जाना पड़ेगा. ठीक वैसे ही जैसे आज तेरी दीदी को लेकर गये हैं तेरे घरवाले.
वो बोली- मैं कहीं नहीं जाने वाली.
मैंने कहा- जाना तो पड़ेगा. शादी के बाद जब तेरा पति रोज तेरी चुदाई करेगा तो तेरा पेट फूल जायेगा. तब तुझे भी हॉस्पिटल जाना ही पड़ेगा.
इस तरह हम दोनों सेक्स की बातें करने लगीं.
सुमन बोली- अब ये सब बातें बंद कर. मैं अभी तक नहाई भी नहीं हूं. तू जरा बैठ, मैं अभी नहा कर आती हूं.
इतना कह कर सुमन नहाने के लिए बाथरूम में चली गई. मगर मैं वहाँ पर बैठी-बैठी बोर हो रही थी. मैंने सोचा कि सुमन के पास ही चली जाती हूं. मैं जाकर बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी हो गयी. सुमन के चूचे नंगे थे और वो उन पर पानी डाल रही थी. उसके नंगे चूचों को देख कर मेरे मन में पता नहीं क्या आया कि मैं अंदर घुस गई और मैंने सुमन के चूचों को अपने हाथों में लेकर दबा दिया.
सुमन एकदम से उठ कर कहने लगी- क्या कर रही है?
मगर मैंने फिर से सुमन के भीगे हुए चूचों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उनको दबाने लगी. पता नहीं मुझे क्या हो गया था. सुमन के चूचे देख कर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. उसके चूचे एकदम मस्त और गोल थे. उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे. भीगे हुए चूचों को बार-बार दबाने का मन कर रहा था मेरा. इसलिए मैं सुमन की बात पर ध्यान ही नहीं दे रही थी.
फिर सुमन मुझे पीछे धकेलते हुए मना करने लगी. मगर मैंने फिर से उसे पकड़ लिया और उसको धकेलते हुए दीवार से सटा दिया. मैं उसकी नंगी और भीगी हुई गीली चूत पर हाथ चलाने लगी.
मैंने कहा- आज मैं तुझे सेक्स का पाठ पढ़ाना चाहती हूं.
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कहकर मैंने सुमन की चूत रगड़ते हुए उसको चूमना शुरू कर दिया. वो मुझे पीछे धकेलने की कोशिश करती रही लेकिन मैं नहीं रुकी. मैं उसके भीगे हुए जिस्म को चूमती रही और कुछ देर के बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया. अब वह आराम से मेरी हरकतों को बर्दाश्त करने लगी. धीरे-धीरे उसने मेरा साथ देना भी शुरू कर दिया. उसने मुझे अपनी बांहों में पकड़ना शुरू कर दिया.
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और मैं नंगी, जवान, अपनी सहेली को गर्म कर रही थी. चूंकि घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था इसलिए किसी के आने का डर भी नहीं था. जब सुमन गर्म होने लगी तो उसने मुझे अपनी बांहों में अच्छी तरह पकड़ लिया. मैं उसके गीले चूचों को चूस रही थी और वो भी मेरे चूचों को छेड़ने लगी थी. फिर मैंने अपने कपड़े भी उतारने शुरू कर दिये.
अगले दो मिनट में मैं भी पूरी तरह से नंगी हो गई थी. हम दोनों सहेलियां बाथरूम में नंगी होकर एक दूसरे के जिस्म को चूमने लगीं. उसके बाद मैंने सुमन के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मेरे मोटे चूचे सुमन के जवान हो रहे चूचों के साथ टकरा रहे थे. सुमन का हाथ मेरी चूत पर आकर उसको सहलाने की कोशिश कर रहा था और मैं जैसे सुमन के जिस्म में घुस जाना चाहती थी.
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कभी मैं सुमन के ऊपर वाले होंठ को चूसती तो कभी नीचे वाले होंठ को. जब उसने गर्म होकर सिसकारी ली तो मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर डाल दी. चूंकि मुझे किस करने का अनुभव जीजा जी से प्राप्त हो चुका था तो मैं सुमन को भी वैसे ही किस करने लगी. मैं सुमन को पूरी तरह से गर्म कर देना चाहती थी और मैं इसमें तेजी के साथ कामयाब भी होती जा रही थी.
सुमन भी मेरी हरकतों की नकल करते हुए मेरा साथ दे रही थी. मैंने उसके हाथों को पकड़ कर अपने चूचों पर रखवा लिया. उसके कोमल हाथों ने मेरे अंदर की काम ज्वाला को और भड़का दिया. मैं भी सुमन की बॉल को अपने हाथों से बारी-बारी से मसल रही थी. चूंकि सुमन को सेक्स का अनुभव नहीं था इसलिए वो वहीं तक आगे बढ़ रही थी जो मैं उसके साथ कर रही थी. वो मेरे चूचों को दबाते हुए मेरे होंठों को ही चूसने में लगी हुई थी.
मगर मैं यह दावे के साथ कह सकती हूं कि उस वक्त सुमन को बहुत मजा आने लगा था. मैंने अपने होंठ सुमन के चूचों पर तने हुए निप्पल पर रख दिये और उसके जवान चूचों को चूसने लगी. मैंने नीचे से अपना हाथ उसकी चूत पर ले जा कर उसको सहलाना शुरू कर दिया. आह-आह … सुमन के मुंह से कामुक सिसकारियाँ अब बाहर आकर बाथरूम में गूंजने लगी थी. आंखें बंद करके हम दोनों ही दोस्त इन आनंद के पलों का मजा ले रही थीं.
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फिर मैं उसके चूचों से नीचे की तरफ चली. उसके पेट को चूमती हुई उसकी नाभि पर किस करती हुई उसकी चूत के ऊपर आ रहे हल्के बालों वाली जगह को चूमने और चूसने लगी. सुमन ने अपने हाथ बाथरूम की दीवार से पीछे की तरफ सटा लिये और उसकी चूत आगे की तरफ मेरे मुंह की तरफ आने लगी. फिर मैंने अपने गर्म होंठ उसकी चूत पर रख दिये तो सुमन की जोर से आह … निकल गई. उसकी टांगें थोड़ी फैल गईं. उसकी चूत से चिपचिपा पदार्थ बहना शुरू हो गया था.
मैंने उसकी चूत में जीभ को घुसा दिया तो वह मचलने लगी. वह बाथरूम की दीवार को नोंचने लगी. उसकी चूत मेरे मुंह पर आकर लगने लगी. मैंने सुमन की भीगी हुई गांड को अपने हाथों में थाम रखा था. सुमन अपनी चूत को मेरे होंठों पर धकेलते हुए आह-आह करते हुए अपनी चूत चुसाई का मजा लेने लगी थी.
उसके बाद मैंने सुमन की चूत में उंगली डाल दी. चूंकि उसकी चूत बिल्कुल नई-नवेली कुंवारी कली की तरह थी इसलिए उसकी दोनों फांकें आपस में लगभग चिपकी हुई थीं. मगर मैं तो अपनी चूत का उद्घाटन अपने जीजा से करवा चुकी थी. उसकी चूत पर नीचे के बाल कुछ ज्यादा बड़े थे जबकि मैंने अपनी चूत के बाल बिल्कुल साफ किये हुए थे.
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सुमन की अनछुई चूत थी क्योंकि शायद पहली बार मैं ही उसको सहला रही थी. इससे पहले सुमन के अलावा उसकी चूत को किसी ने स्पर्श नहीं किया होगा. फिर अब मैं भी खड़ी हो गई और सुमन भी वैसे ही करने लगी जैसे मैं उसकी चूत में कर रही थी. वह मेरी नकल करने की कोशिश कर रही थी चूंकि उसका तो यह पहला अनुभव था.
अब हम दोनों ही एक दूसरे की चूत में उंगली करने लगीं. दोनों के मुंह से काम वासना की आवाजें बाथरूम में गूंजने लगीं. आह-आह … अम्म … आ … ह्हह … करती हुई दोनों ही तेजी से एक दूसरे की चूत में उंगली करने लगीं. कुछ ही देर में सुमन अकड़ने लगी और जोर से आवाजें करते हुए उसने मेरे हाथ को अपने रस भिगो दिया. मैंने उसकी चूत पर मुंह लगा लिया और उसकी चूत के कुंए से निकल रहे नमकीन पानी को मैं चाटने लगी. वह पता नहीं क्या बड़बड़ा रही थी जो मेरी समझ में नहीं आ रहा था. मैं उसकी चूत को चूसती रही और सुमन शांत हो गई.
उसके बाद हम दोनों ही एक-दूसरे को नहलाने लगीं. नहाते हुए सुमन पूछने लगी- सेक्स इसी को कहते हैं क्या?
मैंने कहा- यह तो सेक्स की एक झलक भर थी. सेक्स का असली मजा क्या होता है वह तो तब पता चलता है जब किसी मर्द का लंड चूत में लिया जाता है. अभी मैंने चाट कर तुम्हारा पानी निकलवाया है लेकिन जब तुम लंड से अपनी चूत की कुटाई करवाओगी और उसके बाद जो रस निकलेगा वह होता है सेक्स का असली मजा. मर्द के बिना औरत की की चूत की प्यास अधूरी ही रहती है. इस प्यास को केवल एक दमदार लंड ही बुझा सकता है.
उसके बाद नहाते हुए मैं फिर से सुमन को चाटने लगी तो सुमन बोली कि मैं थक गई हूँ.
मैंने कहा- तेरी चूत का पानी तो निकल गया लेकिन मेरी चूत तो अभी भी वैसी की वैसी गर्म है.
वह बोली- तो मैं क्या करूं?
मैंने कहा- जिस तरह से मैंने तुम्हारे साथ किया है तुम भी वैसे ही करो.
मेरे कहने पर सुमन मेरी चूत में एक उंगली डाल कर अंदर-बाहर करने लगी.
मैंने कहा- एक उंगली से कुछ पता नहीं चलेगा इस निगोड़ी को. यह अपने जीजा का मूसल लंड ले चुकी है.
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वह मेरी बात समझ गई. सुमन ने अपनी दो उंगली डाल दीं. जब इससे भी उसे मैं गर्म होती हुई दिखाई न दी तो उसने तीन उंगली डाल दीं लेकिन तीसरी उंगली पूरी नहीं जा रही थी मगर चूत का द्वार फैल गया था और उसकी उंगलियों से घर्षण से मुझे मजा सा आने लगा.
सुमन ने तेजी के साथ अपनी उंगलियों से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. जब मैं काफी गर्म हो गई तो मैंने उसको चूत चाटने को कहा और वो मेरे किये अनुसार ही अपनी जीभ से मेरी चूत को मजा देने लगी. उसकी गर्म जीभ से मेरी चूत में कुछ और ज्यादा आनंद बढ़ने लगा. मैंने अपने चूचों को अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. दस मिनट तक मेहनत करने के बाद मैंने सुमन के मुंह पर अपनी चूत का पानी फेंक दिया.
मेरा पानी निकलने लगा तो सुमन उठने लगी मगर मैंने उसे नीचे बिठाये रखा. मैं इस पल का आनंद लेना चाहती थी. जब मैं अच्छे तरीके से झड़ गई तो सुमन उठ गई. उसके बाद हमने अपने आप को साफ किया और बाथरूम से बाहर आ गई.
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स दिन के बाद से सुमन को चूत में उंगली करवाने का चस्का सा लग गया. मैं तो लंड का मजा भी ले चुकी थी इसलिए मुझे दोनों ही कामों में आनंद आता था. जब भी सुमन घर पर अकेली होती थी हम दोनों सहेलियां एक दूसरे की चूत में उंगली करके मजा देने लगीं.
सुमन मेरी चूत में उंगली करती थी और मैं सुमन की चूत में उंगली करती थी. सुमन अब मेरी चूत का पानी भी पीने लगी थी. उसको चूत-रस का स्वाद आने लगा था. हम दोनों सखियों ने एक-दूसरी को कई बार शांत किया. अब सुमन और मेरी दोस्ती पहले से भी और ज्यादा गहरी हो गई थी. अब तो हम दोनों आस-पड़ोस के लड़कों के बारे में भी बातें करने लगी थीं. दोनों ही एक दूसरे को बताती थीं कि कौन सा लड़का पसंद आया और कौन सा हमारे चूत-जाल में फंस सकता है.
मगर अभी तक सुमन की चूत को लंड नहीं मिल पाया था. उसकी प्यास हर बार बढ़ जाती थी. उसका यौवन और ज्यादा निखरने लगा था लेकिन जवानी का असली रंग तो लंड लेने के बाद ही चढ़ना शुरू होता है. लेकिन फिर भी मैं उसकी चूत को शांत रखने की पूरी कोशिश करती ती. जब कई बार उसकी चूत का पानी निकल चुका तो सुमन का मन भी अब लंड लेने को करने लगा. उसने मुझसे लंड का इंतजाम करने के लिए कहा.
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मैं, मेरी सहेली और उसका पति
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(21-08-2020, 04:06 PM)neerathemall Wrote: मैं, मेरी सहेली और उसका पति
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मैं, मेरी सहेली और उसका पति
1
मैं रसोई में सुनील के लिए चाय बना रही थी जब मैं सुनील के लिए चाय लेकर आई तो सुनील मुझे कहने लगे कि आशा क्या तुम मेरे लिए नाश्ता बना दोगी तो मैंने सुनील को कहा ठीक है सुनील मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हूं। मैंने जल्दी से सुनील के लिए नाश्ता तैयार किया और सुनील नाश्ता करते ही तैयार होने के लिए चले गए वह तैयार होकर अपने दफ्तर के लिए निकल चुके थे। मेरी और सुनील की शादी शुदा जिंदगी अच्छे से चल रही थी हमारी जिंदगी में कोई भी परेशानी नहीं थी। सुनील मुझे बहुत प्यार भी करते थे और सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था लेकिन जब हमारे पड़ोस में रहने के लिए मीनाक्षी और ललित आए तो हम दोनों के बीच उसके बाद कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था। सुनील हमेशा ही मीनाक्षी और ललित का उदाहरण देकर मुझे कहते कि वह लोग इतने प्यार से रहते हैं और एक तुम हो कि बिल्कुल भी अपने ऊपर ध्यान नहीं देती हो। मैं अपने घर के कामों में इतना ज्यादा उलझी हुई थी कि मेरे पास अपने लिए भी समय नहीं होता था सुनील चाहते थे कि मैं बदल जाऊं लेकिन यह सब इतना आसान कहां होने वाला था मैं इतनी जल्दी भला कैसे बदल सकती थी।
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(This post was last modified: 21-08-2020, 04:22 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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मैं रसोई में सुनील के लिए चाय बना रही थी जब मैं सुनील के लिए चाय लेकर आई तो सुनील मुझे कहने लगे कि आशा क्या तुम मेरे लिए नाश्ता बना दोगी तो मैंने सुनील को कहा ठीक है सुनील मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हूं। मैंने जल्दी से सुनील के लिए नाश्ता तैयार किया और सुनील नाश्ता करते ही तैयार होने के लिए चले गए वह तैयार होकर अपने दफ्तर के लिए निकल चुके थे। मेरी और सुनील की शादी शुदा जिंदगी अच्छे से चल रही थी हमारी जिंदगी में कोई भी परेशानी नहीं थी। सुनील मुझे बहुत प्यार भी करते थे और सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था लेकिन जब हमारे पड़ोस में रहने के लिए मीनाक्षी और ललित आए तो हम दोनों के बीच उसके बाद कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था। सुनील हमेशा ही मीनाक्षी और ललित का उदाहरण देकर मुझे कहते कि वह लोग इतने प्यार से रहते हैं और एक तुम हो कि बिल्कुल भी अपने ऊपर ध्यान नहीं देती हो। मैं अपने घर के कामों में इतना ज्यादा उलझी हुई थी कि मेरे पास अपने लिए भी समय नहीं होता था सुनील चाहते थे कि मैं बदल जाऊं लेकिन यह सब इतना आसान कहां होने वाला था मैं इतनी जल्दी भला कैसे बदल सकती थी।
मीनाक्षी और ललित की शादी अभी कुछ समय पहले ही हुई थी और वह दोनों बड़े मॉडल ख्यालातो के हैं क्योंकि वह बचपन से ही मुंबई में पढ़े लिखे हैं। मीनाक्षी के पिताजी ने उसे फ्लैट खरीद कर दिया जिसके बाद वह हम लोगों के पड़ोस में रहने के लिए आ गए। अब वह हमारे घर के बिल्कुल सामने ही रहते थे इसलिए अक्सर मुझे आते जाते मीनाक्षी दिखाई देती थी मीनाक्षी से मेरी कोई बातचीत नही थी। मीनाक्षी एक दिन मेरे साथ बैठी हुई थी यह पहली बार ही था जब मीनाक्षी और मेरे बीच इतनी देर तक बात होती रही उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी अपने आप को बदलना चाहिए। मैं एक सीधी-सादी ग्रहणी हूं उससे ज्यादा मैंने कभी कुछ सोचा भी नहीं था लेकिन मीनाक्षी ने मेरे अंदर जो बीज बो दिया था वह बड़ा होने लगा था मैं बदलने की पूरी कोशिश करने लगी थी इसके लिए मैंने मीनाक्षी की मदद ली।
मीनाक्षी से मैंने एक दिन कहा कि मीनाक्षी तुम जिस दिन अपने ऑफिस से छुट्टी लोगी उस दिन क्या तुम मेरे साथ शॉपिंग के लिए चल सकती हो तो मीनाक्षी कहने लगी कि ठीक है मैं तुम्हारे साथ शॉपिंग के लिए चलूंगी। हम दोनो मीनाक्षी की छुट्टी के दिन शॉपिंग के लिए चले गए मीनाक्षी ने अपने पसंद से मेरे लिए कुछ कपड़े ले लिए मैं अपने आप को बदलने की कोशिश कर रही थी यह सब मैं सुनील के लिए कर रही थी। जब सुनील घर आए तो सुनील मुझे कहने लगे कि तुम आज काफी बदली बदली नजर आ रही हो तो मैंने सुनील को कहा देखो सुनील मैं नहीं चाहती कि मैं तुम्हें किसी भी प्रकार से कोई कमी महसूस होने दूँ तुम चाहते थे कि मैं मीनाक्षी की तरह बिल्कुल मॉडर्न बन जाऊं तो मैं भी अपने आप को बदलने की कोशिश कर रही हूं लेकिन यह सब इतनी जल्दी तो बदल नहीं सकता इसके लिए मुझे थोड़ा समय चाहिए। सुनील भी अब मुझे अपने दोस्तों से मिलाने लगे थे। सुनील मुझे अपने ऑफिस की पार्टी में ले गए तो सब लोगों ने मेरी बड़ी तारीफ की यह सब मीनाक्षी की वजह से ही हुआ था मीनाक्षी ने ही मेरी मदद की थी। मीनाक्षी को कपड़ों की समझ बहुत ही अच्छी है और इसीलिए सब लोग मेरी बड़ी तारीफ कर रहे थे मीनाक्षी मेरी अच्छी सहेली बन चुकी थी और हम दोनों जब भी एक साथ होते तो काफी अच्छा समय बिताया करते। मीनाक्षी एक दिन घर पर आई और कहने लगी कि क्या तुम लोग कहीं घूमने के लिए नहीं जाते हो मैंने मीनाक्षी को कहा हम लोगों को कहां घूमने का समय मिल पाता है हम लोग शादी के बाद ही कहीं घूमने गए थे उसके बाद तो हम लोग कहीं भी घूमने के लिए नहीं गए हैं। मीनाक्षी ने मुझे कहा कि हम लोग कहीं घूमने का प्लान बनाते हैं मैंने मीनाक्षी को कहा मीनाक्षी तुम इस बारे में सुनील से बात कर लेना तो मीनाक्षी कहने लगी ठीक है मैं इस बारे में सुनील से बात कर लूंगी। थोड़े ही दिनों बाद मुझे मीनाक्षी मिली तो मीनाक्षी ने मुझे कहा कि मैं सोच रही हूं कि हम लोग लोनावला चलते है लोनावला में मेरे मामाजी का रिजॉर्ट है तुम लोग हमारे साथ आने के लिए तैयार हो तो हम लोग वहां चल सकते हैं मैंने मीनाक्षी को कहा ठीक है मीनाक्षी। मीनाक्षी ने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और मैंने सुनील से बात की तो सुनील इस बात के लिए तैयार हो चुके थे उनको इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी कि हम लोग कहीं घूमने के लिए जाएं।
हम लोग घूमने के लिए लोनावला जाने की तैयारी में थे अब हम लोग पैकिंग कर रहे थे मैंने सुनील से कहा कि सुनील मैं तुम्हारा सामान पैक कर देती हूं। सुनील कहने लगे कि नहीं आशा मैं खुद ही अपना सामान पैक कर लेता हूं। हमने अपना सामान रख दिया था और अगले दिन ही सुबह हम लोग लोनावला के लिए निकल पड़े जब हम लोग लोनावला पहुंचे तो वहां पर हम लोग मीनाक्षी के मामा जी के रिजॉर्ट में ही रुकने वाले थे। हम लोग मीनाक्षी के मामा जी के रिजॉर्ट में रुके तो वहां पर सब कुछ बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था काफी समय बाद मैं सुनील के साथ कहीं घूमने के लिए गई थी तो मैं चाहती थी कि मैं सुनील के साथ एक अच्छा समय बिता पाऊं। घर में शायद मुझे समय मिल ही नहीं पाता था क्योंकि सुनील के माता-पिता घर में रहते हैं और हम लोगों को कभी भी एक दूसरे के साथ समय बिताने का मौका भी नहीं मिल पाता था सुनील अपने ऑफिस के लिए सुबह निकल जाते और उसके बाद वह शाम को ही घर लौटा करते। हम चारों साथ में बैठे हुए थे और जब मैं और सुनील एक दूसरे से बात कर रहे थे तो ललित ने कहा कि चलो कहीं बाहर घूम आते हैं और हम लोग बाहर टहलने के लिए निकल पड़े।
हम लोग अब पैदल ही काफी आगे तक निकल गए थे मैं और सुनील एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैं सुनील को कहने लगी कि सुनील क्या तुम्हें वह दिन याद है जब हम लोग शादी के बाद पहली बार घूमने के लिए गए थे। सुनील कहने लगे हां मुझे वह दिन याद है जब हम लोग शादी के बाद पहली बार घूमने के लिए गए थे और सब कुछ कितना अच्छा था मैं भी बहुत खुश था और तुम भी बहुत खुश नजर आ रही थी। मैंने सुनील को कहा सुनील मैं तुमसे शादी कर के बहुत खुश हूं क्योंकि तुमने हमेशा ही मेरी खुशी का ध्यान दिया है। मीनाक्षी हम दोनों की तरफ देख रही थी मीनाक्षी कहने लगी कि आशा क्या हम लोग वापस चलें तो मैंने मीनाक्षी से कहा हां हम लोग अब वापस चलते हैं और हम लोग वापस रिजॉर्ट में चले गए। हम लोग रिजॉर्ट में वापस लौटा है मीनाक्षी और मैं एक साथ बैठे हुए थे तो मिनाक्षी ने मुझसे मेरे और सुनील के सेक्स रिलेशन के बारे में बात करनी शुरू की लेकिन मीनाक्षी के हाथ मेरी तरफ बढ़ते चले गए। मीनाक्षी ने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया उसने मेरे कपड़े उतारकर मेरी चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे मज़ा आ रहा था मैंने मीनाक्षी की चूत को बहुत देर तक चाटा मीनाक्षी की चूत को जब मैं चाट रही थी तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों एक दूसरे को खुश करने की तरफ बढ़ ही रहे थे कि तभी ललित ने यह सब देख लिया मैंने अपने कपड़े पहनने की कोशिश की लेकिन ललित मेरी तरफ आया और उसने मुझे कहा तुम्हारा बदन बड़ा ही मजेदार है। मैंने उसे कहा ललित यह सब ठीक नहीं है लेकिन मीनाक्षी को इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी उसने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने भी उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया उस को चूसती रही ललित बड़ा ही खुश नजर आ रहा था।
मीनाक्षी ने मेरी गर्मी बढ़ानी शुरू कर दी वह मेरी चूत को चाटने लगी मैंने ललित से पूछा सुनील कहां है? ललित कहने लगा वह सोया हुआ है अब हम तीनों एक दूसरे के साथ मजे करने के लिए तैयार थे ललित ने हम दोनों को ही घोड़ी बना दिया। पहले ललित ने अपने मोटे लंड को चूत के अंदर घुसाया तो उसका लंड अंदर जा चुका था वह मुझे पूरी ताकत के साथ चोद रहा था वह मुझे बड़े अच्छे से धक्के मारता और गर्मी को मिटाता जाता। थोड़ी देर बाद उसने मीनाक्षी की चूत मे अपने लंड को डाला और मीनाक्षी को बड़े अच्छे से चोद रहा था मैं यह सब देखकर और भी ज्यादा गर्म होने लगी थी मैं ललित के साथ अपनी चूत को अच्छे से मरवाना चाहती थी। ललित ने जब मीनाक्षी की चूत से लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसके लंड को मै चूसती रही उसका लंड तन कर खड़ा होने लगा था मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। मै ललित के लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए तैयार थी मीनाक्षी ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया उसने मेरी चूत को पूरा चिकना बना दिया। मीनाक्षी अपनी चूत के अंदर उंगली डाल रही थी वह बिस्तर पर लेट कर पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी लेकिन जैसे ही ललित ने अपने 9 इंच मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर डाला तो मैं चिल्ला उठी।
ललित का लंड मेरी चूत की दीवार से टकरा रहा था वह मुझे बड़ी ही तेज गति से धक्के मार रहा था जब वह मुझे धक्के मारता मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था। मैं उसका साथ अच्छे से दे रही थी बहुत देर तक मैंने उसका साथ दिया और ललित को कहा देखो मुझे बहुत मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो। मीनाक्षी ने मेरे स्तनों को अपने मुंह में ले लिया वह मेरे स्तनों को चूसने लगी ललित मेरे दोनों पैरों को चौड़ा कर रहा था। मेरे लिए यह एक अलग ही फीलिंग थी पहली बार ही ऐसा हुआ था कि जब मैं किसी के साथ इतने अच्छे तरीके से सेक्स कर पा रही थी हालांकि मेरे और सुनील के बीच कई बार अच्छी तरीके से सेक्स हुआ है लेकिन यह मेरे लिए अलग फीलिंग थी। मैं गर्म हो चुकी थी और ललित के लंड से निकलता हुआ पानी उसने हम दोनों के ऊपर ही गिरा दिया और हम दोनों खुश हो गए। उसके बाद हम बिस्तर पर लेटे हुए थे सुनील अभी तक उठे नहीं थे वह बड़ी गहरी नींद में थे लेकिन उसके बाद तो जैसे यह सब आम होने लगा था हम तीनों के बीच यहां सब होता ही रहता था। हम तीनों ही बहुत ज्यादा खुश थे कि कम से कम हम लोग सेक्स का पूरा मजा तो ले पा रहे हैं यह बात सुनील को कभी हम लोगों ने पता चलना ही नहीं दी। मीनाक्षी मेरी सबसे अच्छी सहेली है वह हर वक्त मेरे साथ ही रहती है मैं उससे अपनी हर एक बात साझा करती हूं और वह भी मुझे हर एक बात बताया करती है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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सुनील को भी मीनाक्षी से मजे करने के लिए तैयार करना चाहिए। ललित से तुम खुश हो, शायद सुनील मीनाक्षी से ज्यादा खुश हो सके। एक बार कोशिश करके देखें। बदलाव सभी चाहते है। ये एक नई ऊर्जा का संचार करता है।
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शार्ट स्टोरीज हैं पर बहुत अच्छी हैं ...
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