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Adultery पत्नी एक्सचेंज
#61
पर कविता ने अचानक मुझे 69 की पोज़ में मम्मे चूसने के लिए कहा तो मैंने वैसे ही किया।
मेरी एक चूची उसके मुँह में और उसकी एक मेरे मुँह में थी, पर उसके मम्मों से दूध निकल रहा था जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और बहुत मजा भी आ रहा था।

थोड़ी देर बाद अचानक ही कविता मेरीचूची के निप्पल को उसके दाँतों से काटने लगी तो मैंने भी उसका निप्पल को काटना शुरू कर दिया।
अब हम दोनों के निप्पल एक दूसरे के दांतों से हल्के हल्के कट रहे थे, दोनों को ही आनन्द आ रहा था।

बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे के मम्मों से खेलते रहे, फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और मैं ऑफिस न जाकर घर पर ही गई।

यह मेरा पहला व्यक्तिगत लेस्बियन था, 4 साल तक वो मेरे शहर रही और 4 साल तक मैं हर महीने उससे 4-5 में बार कभी कभी उससे ज्यादा बार भी लेस्बियन सेक्स किया।

फिर उसके पति का प्रमोशन हो गया, पर उसके बाद वो जब भी मिली, किसी भी तरह समय निकाल कर मजे करती।

पर अब उसके साथ वो मजा नहीं आता. हाँ, कभी कभी उसे किस जरूर करती हूँ और उसके मम्मे चूसती हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#62
एक बार मेरे पतिदेव ने जरूर हमें रंगे हाथ पकड़ लिया होता!
छुट्टी का दिन था, सब घूमने गए हुए थे, कविता को भी मैंने घर पर बुला लिया था।
जब मैं सिर्फ़ तौलिये में थी और उसे किस करने ही वाली थी कि मेरे पति आये पर उनका ध्यान हमारी ओर नहीं था।

हमारी तो जान में जान आई, मैंने उन्हें बाहर जाने के लिए कहा पर वो नहीं गए, तो मैंने उन्हें कविता के सामने ही उनके गाल पर चुम्मा देकर जाने की विनती की पर फिर भी नहीं गए।

अचानक मेरे दिमाग में शरारत सूझी क्योंकि मैं तो हूँ ही बेशर्म.
मैंने तौलिया निकालकर एक तरफ फेंक दिया और पूरी नंगी हो गई!
और अपने दोनों हाथ कविता भी मुँह पर रखकर आश्चर्य से मेरी तरफ देख रही थी और पतिदेव भी!

वो मुझे डांटने लगे, पर कब तक डांटते?
उन्हें ही बाहर जाना पड़ा।

जब वो बाहर गए तो हम दोनों खूब हंसी, मैं पूरे समय तक नंगी ही रही, और कविता के साथ बात करती रही।
पतिदेव ने जब कहा कि सब लोग आ गए हैं तब मैं कपड़े पहन कर बाहर निकली।

जब भी मुझे पतिदेव को ऐसे चिड़ाना होता है तो मैं कविता को बुला लेती और नंगी हो जाती!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#63
और आज भी ऐसा ही करती हूँ, कोई न कोई बहाना बना ही लेती हूँ।
ठीक ऐसा कविता भी उसके पति के साथ कई बार चुकी है।
जब भी मैं इस बात की याद पतिदेव को दिलाती हूँ वो शर्म के मारे आँखें बन्द कर इधर उधर देखने लगते हैं और मैं हंसने लगती हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#64
clps








congrats 



















thanks
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#65
पतियों की अदला-बदली
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#66
(21-08-2020, 03:07 PM). Wrote: पतियों की अदला-बदली

मेरा नाम शैली है। मेरी उम्र 29 साल है। मैं अमेरिका के एक बड़े शहर में अपने पति के साथ रहती हूँ। अभी हम लोगों को कोई बच्चा नहीं है। मैं दिखने में खूबसूरत हूँ। वैसे तो मेरा फिगर स्लिम है लेकिन मेरे बूब्स बड़े हैं। मेरा पति रोजर, और मैं दोनों ही काम करते हैं, लेकिन अलग-अलग जगहों पर।
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#67
मेरी एक सहेली है लेस्ली, मेरी ही उम्र की, जो मेरे साथ ही काम करती है। उसका पति टॉम मेरी पति के साथ काम करता है। लेस्ली भी दिखने में बहुत खूबसूरत है। उसके हिप्स मुझसे बड़े हैं। हम चरों अक्सर सप्ताहांत पर कैम्पिंग करते हैं। महानगर की भीड़-भाड़ से दूर, शांत माहौल में किसी जंगल के किनारे या किसी बड़े पार्क में अपना कैंप डालकर हम अपना सप्ताहांत मनाते हैं।
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#68
हमने इस वीकएंड में भी कैम्पिंग का प्रोग्राम बनाया था। मर्द यानि रोजर और टॉम आमने ऑफिस से सीधे वहीं चले गए थे। मैं और लेस्ली 3-4 घंटे के बाद वहां के लिए निकलीं। हम दोनों एक ही कार में थे। बियर पीते हुए हम तेजी से कैम्पिंग वाली जगह की ओर जा रहे थे। हम आपस में अपने पतियों के बारे में बातें कर रहे थे कि वे कितने मेहनती हैं। फ़िर हम लोगों की चर्चा सेक्स की होने लगी।

लेस्ली ने अकस्मात् कहा कि मेरे पति को तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचियां बहुत पसंद हैं। और मैं और टॉम कभी-कभी तुम लोगों की कल्पना कर सेक्स करते हैं। मैं सन्न रह गई क्योंकि रोजर भी लेस्ली की गांड की तारीफ रोज करता है। मैंने बोला कि यार ! ऐसा तो हम लोग भी करते हैं, रोजर को तुम्हारी गांड बहुत पसंद है। और मुझे टॉम की बालों भरी छाती आकर्षित करती है।

लेस्ली ने ये सुनकर कहा कि आज क्यों न हम दोनों मर्दों की इच्छा को पूरी कर दें। मैं ये सुनकर रोमांचित हो गई। क्योंकि मैं कितने दिनों से टॉम की बालों भरी छाती पर हाथ फिराते हुए उसके साथ सेक्स के सपने देख रही थी। और रोजर लेस्ली की भारी गांड में लण्ड डालना चाहता था।

फ़िर मैंने कहा कि मैं अगर किसी के साथ अपने पति को बाँटने के बारे में सोच सकती हूँ वो तुम हो
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#69
लेस्ली ने यह सुनकर कहा कि मेरा भी यही ख्याल है। हम रास्ते भर इसी के बारे में बात करते कैंप ग्राउंड पर पहुँच गए। हमने रास्ते में ही ठीक कर लिया था कि टॉम और रोजर को इसके बारे कुछ नहीं बताएँगे। तब तक रात हो गई थी। वहां पहुँच कर हमने देखा कि दोनों ने खाना बना लिया था। और कैंप फायर जला लिया था। हम दोनों ने मिलकर काफ़ी बनाई और हम चारों मिलकर काफ़ी पीने लगे। एक बड़े पार्क में, खुले में, आग के चारों ओर बैठ कर, रात के समय काफ़ी पीने का एक अलग ही रोमांच था।

फ़िर जो रात को होने वाला था उसे सोचकर ही मेरी चूत में खुजली हो रही थी। फ़िर हमने खाना खाया। दोनों मर्दों ने कहा कि अब सोने चलो। दो अलग-अलग कैंप दोनों के लिए लगे थे। उसके बगल में बाथरूम था।

इस पर हमने कहा कि तुम लोग चलो हम थोड़ा नहा कर आते हैं। दोनों अपने-अपने कैंप में चले गए। थोड़ी देर तक बात करने के बाद हम नहाने के लिए बाथरूम में घुसे। एक साथ हम नहा रहे थे। नहाकर कपड़े पहन कर हम बाहर निकले। मैंने नहाने के बाद एक पायजामा और टी-शर्ट पहना था, उसके नीचे मैं पूरी तरह से नंगी थी। फ़िर हम दोनों गले मिली। मैं टॉम यानि लेस्ली के पति के टेंट की ओर बढ़ी और लेस्ली मेरे पति की ओर।

मैंने टॉम के टेंट के पास पहुँच कर लेस्ली की ओर देखा। लेस्ली रोजर के टेंट की जिप खोल रही थी। जिप खोल कर वो भीतर घुस गई और जिप को भीतर से बंद कर लिया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं अपने कांपते हाथों से टेंट का जिप खोलकर भीतर घुसी। टॉम की पीठ मेरी और थी। मैंने भीतर घुसकर जिप को लगा दिया। टेंट में एक फ्लैश लाइट जल रही थी। मैंने लाइट को बुझा दिया। अब एकदम घुप्प अंधकार था।
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#70
टॉम ने मुझे लेस्ली समझकर कहा,’ कितनी देर लगा दी। मैं तुम्हारा कब से इंतजार कर रहा हूँ।’

मैं कुछ नहीं बोली और उसके पास जाकर उसके कम्बल में घुस गई और अपना एक हाथ उसके लण्ड की और बढा दिया।

हठात टॉम ने पूछा ‘ लेस्ली तुमने शैली का परफ्यूम यूज किया है क्या?”

मैंने कहा,’ तुमको शैली पसंद है?’

टॉम,’ शैली !!!! तुम यहाँ? लेस्ली कहाँ है?’

मैंने कहा,’ अगर मैं यहाँ हूँ तो लेस्ली कहाँ होगी? सोचो।’
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#71
टॉम चिल्ला उठा,’ ओ माय गाड ! किसका प्लान था ये?’

मैंने कहा,’ हम दोनों का ! हमने सुना है कि कुछ युगल आपस में बदल कर सेक्स करते हैं। और तुम मेरी बड़ी चुचियों को हसरत से देखते थे और रोजर लेस्ली की बड़ी गांड को निहारता था। तुम दोनों हम दोनों को खुश रखने के लिए कितनी मेहनत करते हो तो हमारा भी तुम्हारी इच्छा पूरी करने का फर्ज बनता है टॉम ! मैं आज पूरी रात तुम्हारे साथ हूँ !’

फ़िर मैंने एक हाथ से टॉम का लण्ड पकड़ लिया। टॉम ने अपने दोनों हाथ से मेरा चेहरा पकड़ कर गहरा चुम्मा लिया। उसने एक हाथ से मेरा टी-शर्ट एक ही झटके में उतार दिया। उसने एक हाथ से मेरी एक चूची पकड़ी और दबाने लगा और मुंह से दूसरे का निप्पल पकड़ कर चूसने लगा। मेरी आँखें उत्तेजना से बंद होने लगी। फ़िर उसने मेरे पायजामे को घुटने तक उतार दिया और अंगुली से मेरे चूत को सहलाने लगा। मैंने अपने पायजामे को पूरी तरह उतार कर कम्बल से बाहर फेंक दिया अब मैं पूरी तरह से नंगी थी।

टॉम ने भी अपने कपड़े उतार दिए। मैंने टॉम से कहा कि मैं तुम्हारा लण्ड चुसना चाहती हूँ। फ़िर मैं नीचे सरक कर लण्ड को मुंह में भर लिया। उसका लंड रोजर से थोड़ा बड़ा ही था। टॉम का एक हाथ मेरी चुचियों पर था और एक हाथ मेरी बुर पर। एक अंगुली से वो मेरी शिश्निका सहला रहा था।
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#72
मैंने टॉम का लण्ड पूरी तरह से मुंह में घुसा लिया था। और चूस रही थी। टेंट में घुप्प अंधकार था। फ़िर टॉम मेरे कान में कहा कि मैं अब तुम्हारे बुर का स्वाद लेना चाहूँगा और वह नीचे सरक गया। पहले उसने अपने मुंह को मेरी चिकनी बुर पर फिराया। फ़िर जीभ से सहलाया। हम उस समय 69 पोजीसन में थे। उसने जीभ को बुर के मुहाने पर रगड़ना शुरू किया।

मैंने उसकी सुविधा के लिए अपनी टांगो को फैला दिया और उसके लण्ड को पूर्ववत चूसती रही। बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी जीभ को अब पूरी तरह से मेरी बुर के भीतर घुसा दिया था। और जीभ से ही चोद रहा था। अंगुली से बुर की चोंच को रगड़ रहा था। मेरी बुर में जैसे आग लग गई थी। मैं उसी समय झड़ गई। ठीक उसी समय वो भी मेरे मुंह में झड़ गया। मैंने उसे कुछ बोला नहीं और वीर्य को बाहर फेंक दिया।

फ़िर टॉम ने कहा,’ अच्छा ! इस समय लेस्ली और रोजर क्या कर रहे होंगे?’
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#73
मैंने कहा,’ एक ही काम ! चुदाई ! चुदाई और सिर्फ़ चुदाई ! अब मेरी बुर लण्ड से चुदाई मांग रही है, चोद डालो अब मुझे।’

टॉम ने कुछ कहा नहीं और कम्बल में ही मुझको पलट दिया और जीभ को मेरी पीठ पर, हिप्स पर और जांघों पर फिराने लगा।मेरी उत्तेजना भड़कने लगी। वैसे रोजर तो मेरे साथ एनल सेक्स भी करता था कभी-कभी। रोजर को एनल सेक्स बहुत पसंद था।
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#74
तभी बगल वाले टेंट से लेस्ली की चीख सुनाई दी।

टॉम ने कहा कि क्या हुआ रोजर ने लेस्ली की बुर फाड़ दी क्या?

मैंने कहा कि नहीं ! रोजर को गांड मारना बहुत पसंद है। उसने लेस्ली की गांड में लण्ड डाला होगा इसीलिए चिल्लाई होगी।






[Image: 166761_13.jpg?w=400&ssl=1]








फ़िर टॉम ने मुझे पलट दिया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगा कर मेरी बुर को ऊँचा कर लिया। फ़िर एक झटके में ही अपना लण्ड को घुसा दिया।[Image: 108223_06.jpg?w=327&ssl=1]

मेरी चीख निकल गई। टॉम ने कहा,’ तुम तो ऐसा कर रही जैसे पहली बार तुम्हारी चुदाई हो रही है? उधर लेस्ली की गांड को तुम्हारा रोजर फाड़ रहा है।’

मैंने कहा कि दर्द हुआ इसीलिए चिल्लाई। अब तुम जोर से चोद सकते हो।

वो मुझे जोर-जोर से चोदने लगा। मेरी पतली कमर को दोनों हाथों से थोड़ा ऊपर उठाकर जोर से धक्का मर रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। फ़िर मैंने कहा कि मेरी चुचियों को भी दबाओ।

वो चूचियां भी दबाने लगा।
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#75
थोडी देर इस स्टाइल में चुदवाने के बाद मैंने कहा कि मुझे अब कुतिया बनाकर चोदो।

फ़िर मैं नीचे उतर कर कुतिया स्टाइल में हो गई और वो मुझे पीछे से चोदने लगा। मेरी मुंह से उत्तेजना में आवाज़ें निकल रही थीं आहऽऽऽऽ आऽऽऽ ऊऽऽऽऽ उओऽऽऽ औरऽऽऽऽ जोरऽऽऽ सेऽऽऽ मैंऽऽऽऽ स्वर्गऽऽ मेंऽऽ पहुँचऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽऽऽ।

अंधेरे में केवल एक ही आवाज आ रही थी- फच्च ऽऽऽऽ फच्चऽऽऽ मेरी सिस्कारियां ऽऽऽ और टॉम की हांफने की आवाजें।

माहौल में पूरी तरह से चुदास भरी थी। बगल के टेंट से भी सिसकारियों की आवाजें आ रही थी। टॉम की स्पीड बढती जा रही थी। अब वो झड़ने वाला था। मैं भी झड़ने वाली थी। टॉम ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे हिप्स पर झड़ गया। बहुत मजा आया था।

यह कहानी मुझे शैली ने बताई थी और कहा था कि ये उसका सच्चा अनुभव है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#76
[Image: 69270_07.jpg?w=284&ssl=1]
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#77
[Image: 108223_06.jpg?w=327&ssl=1]
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#78
शोनेन आइ नारी कामुक लेखन
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#79
मेरी सहेली की चुदाई मेरे जीजाजी से

(Meri Saheli Ki Chudai Jijaji Ji Se)
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#80
मैं सुमन … सपना की पड़ोसन और सहेली! आप सपना के बारे में तो जानते ही हो। सपना मेरी एक अच्छी सहेली है और हमारे बीच में कोई बात नहीं छिपी हुई है। आपने पढ़ा ही है कि लेस्बिय्ब सेक्स करते समय हम दोनों सखियाँ एक साथ एक दूसरी की चूत को चाटती हैं और एक दूजी को मज़ा देती हैं।

मैंने सपना से उसके और उसके जीजाजी के सैक्स के बारे में सब पूछा, सपना ने भी कुछ नहीं छुपाया मुझसे।

उन जीजा साली के सेक्स के बारे में जानकर मेरे मन में क्या आया, वो सब मैं आपको बताना चाहती हूं. यह मेरे मन की बात है, मेरी कल्पना से मैंने ये सब लिखा है. असलियत यही है कि मैंने अभी तक किसी लडके या मर्द के साथ सेक्स नहीं किया है पर मैं कल्पना कर रही हूं कि सपना के जीजाजी मेरे से पहली बार मिल रहे हैं और मेरा मन भी सेक्स करने का है.

आज मुझे सपना ने मेरे साथ लेस्बियन सेक्स करके बहुत ज्यादा गर्म कर दिया. और अब मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मुझे निचोड़ दे!

मैं ये सब सोच कर बेचैन हो ही रही थी. सपना मुझे लेस्बियन सेक्स का मजा देकर अपने घर चली गयी थी कि अचानक सपना के घर उनके जीजाजी आ गए। पता नहीं उसे क्या सूझी कि वो अपने जीजा को मेरे घर ले आयी.

उस समय मैं बेड पर पड़ी हुई तड़प रही थी. मेरी हालत जल बिन मछली के जैसी हो गयी थी. अब मैं अपनी चूत को किसी भी प्रकार से शांत करना चाह रही थी.

फिर मैंने देखा कि मेरी सहेली के जीजा मेरे रूम में आ गये. उन्होंने मेरी हालत को देखा. मेरी चूत को छूकर देखा. मेरी चूत बहुत ही गर्म थी. उन्होंने मेरी चूत को सहलाया तो मैं सिहर गयी.
Jija Sali Sex
Jija Sali Sex

मेरी चूत से गर्म चिपचिपा कामरस टपक रहा था. जीजा ने मुझे नंगी किया और मेरी चूचियों को दबाया. मेरी चूचियों को दबाते हुए वो मेरा स्तनपान करने लगे.

पहली बार मैंने किसी मर्द के मजबूत हाथों का स्पर्श अपने जिस्म पर महसूस किया था. मेरी चूचियों को पीने के बाद मैंने जीजा के जिस्म को भी निर्वस्त्र कर दिया.

अभी तक मैंने किसी भी मर्द को अपनी आंखों के सामने इस तरह से बिना कपड़ों के नहीं देखा था. पहली बार जीजा के लंड को मैंने हाथ में लिया.

एक मर्द के लिंग को छूना और उसको हाथ में लेकर महसूस करना मुझे बहुत सुखद लग रहा था. मुझे मर्द और औरत के जिस्म की छुअन का फर्क भी मालूम चल रहा था. मर्द के जिस्म को छूने का अहसास बहुत ही अलग होता है. इतना मजा मुझे अपनी सहेली सपना के नंगे जिस्म को छूकर नहीं आया था.

जीजा का लंड मेरे हाथ में था. फिर मैंने उनके लंड को सहलाया. वो काफी उत्तेजित हो गये थे. मैंने जीजा के लंड को हाथ में लेकर भींच कर देखा. जीजा का लंड किसी रॉड की तरह सख्त था.

मैंने जीजा के लंड को मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी. थोड़ी देर तक लंड चूसने के बाद जीजा ने मेरे मुंह पर अपने लंड को दबा दिया और उन्होंने मेरे मुंह में ही वीर्य निकाल दिया.

पहली बार मैंने एक मर्द के वीर्य को अपने मुंह के अंदर लेकर उसका स्वाद चखा था. मर्द का वीर्य मुझे एक लड़की के कामरस से काफी अलग लग रहा था.

फिर जीजा ने मुझे बेड पर लिटा दिया. वो मेरी चूचियों के साथ खेलने लगे. उनका लंड वीर्य छोड़कर पुन: सुप्त अवस्था में पहुंच गया था.

जीजा मेरे बदन पर लेट कर मेरे जिस्म को चूमने लगे. मैं भी पूरी नंगी थी और जीजा का बदन भी एकदम से निर्वस्त्र था. वो अपने जिस्म को मेरे जिस्म पर रगड़ रहे थे.

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उनका लंड बार-बार मेरी चूत को छू रहा था. वो मेरे चूचियों के निप्पलों को मुंह में लेकर पी रहे थे. मेरी चूचियां एकदम से तन कर कड़क हो गयी थीं.

मेरी चूत बार-बार ऊपर उठ कर जीजा के लंड को छू रही थी. वो चाह रही थी कि अब उसको लंड का पहला अनुभव मिल जाये. अभी तक मैंने लेस्बियन सेक्स के द्वारा ही अपनी चूत का पानी निकाला था.

मैं चाह रही थी कि आज मेरी चूत से लंड के घर्षण से उत्पन्न मादकता में मेरी चूत का पानी छूट जाये. जीजा अभी भी मेरी चूचियों को दबा रहे थे.

जीजा को मैंने अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैं उनकी गर्दन पर चूमने लगी. वो भी मेरे जिस्म से लिपट गये. दोनों एक दूसरे के जिस्मों के अन्दर समा जाना चाहते थे.

उन्होंने अब मेरे होंठों को जोर से काटना और चूसना शुरू कर दिया. मैं भी उनके होंठों का रस पीने लगी. मैं जीजा के लंड में अब फिर से तनाव आता हुआ महूसस कर रही थी.

जीजा का लंड अब मेरी चूत पर आकर लग रहा था. मैं उनके लंड के स्पर्श को अपनी चूत के द्वार पर अनुभव कर रही थी. जीजा भी अब मेरे होंठों को छोड़कर मेरी गर्दन पर चूसने और काटने लगे थे.

धीरे-धीरे करके जीजा का लंड अब अपने पूरे तनाव में आ रहा था. जब जीजा का लंड खड़ा हो गया तो उन्होंने मेरी चूत को पर लंड को धकेलना शुरू कर दिया.

मगर अभी मैं उनके साथ और खेलना चाह रही थी. मैंने उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी. जीजा मेरी चूचियों को काटने लगे. मेरी चूत से कामरस निकल रहा था.

फिर मैंने जीजा को नीचे लिटा दिया. उसके बाद मैं उनके जिस्म को चूमने लगी. उनकी छाती के निप्पलों को मुंह में लेकर चूसने लगी.

अब तक मैंने सिर्फ अपनी सहेली के स्तनों के निप्पलों को मुंह में लिया था. मगर आज मेरे होंठ एक मर्द के निप्पलों का रस पीना चाहते थे. मैं उनके निप्पलों को चूस रही थी. उनको चूसते हुए उत्तेजना और बढ़ रही थी.

जीजा भी मादक सिसकारियां ले रहे थे. आह्ह … ओह्ह … स्स्स … करके वो मेरे होंठों के चुम्बन से मदहोश हो रहे थे. अब मैं नीचे की ओर बढ़ने लगी. मैं उनके पेट को चूमने लगी. दरअसल मैं एक मर्द के जिस्म के हर अंग को छूकर उसकी प्रतिक्रिया को देखना चाह रही थी कि एक पुरुष के किस अंग पर क्या प्रतिक्रिया होती है.

धीरे-धीरे मैं जीजा के लंड तक पहुंच गयी. मैंने जीजा के लंड को मुंह में ले लिया. मैं उनके लंड को चूसने लगी. उनका लंड फिर से पूरे तनाव में आ चुका था.

मैं जीजा के तने हुए लंड को चूस रही थी. जीजा के मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं. फिर मैंने जीजा के लंड के नीचे स्थित उनके अण्डकोष को चूम लिया. जीजा सिसक उठे.

ये देखकर मैंने जीजा के अण्डकोष को अपने मुंह में भर लिया. उनको चूसने लगी. जीजा जैसे पागल से होने लगे. अब वो भी तड़पने लगे थे. मुझे पता चला कि पुरुष के अण्डकोष भी बहुत ही संवेदनशील होते हैं.

पांच मिनट तक उनकी गोलियों को मैं ऐसे ही चूसती रही. मैंने फिर से उनके लंड को मुंह में ले लिया और तेजी से अपने होंठों को उस पर चलाने लगी. इस तरह से लंड को चूसने के बाद जीजा से रहा न गया.

उन्होंने मेरे मुंह को अपने लंड पर से हटाते हुए मुझे एक तरफ किया और उठ गये. फिर उन्होंने मुझे एक तरफ पटका और मेरी टांगों को खोल कर मेरी चूत पर अपने होंठों को रख दिया.

वो मेरी चूत में अपनी जीभ घुसाकर मेरी चूत को चोदने लगे. मैं पहले से ही उत्तेजना में थी. इस क्रिया से मेरे पूरे बदन में एक सरसराहट सी दौड़ गयी.

मेरी चूत में उनकी जीभ तेजी के साथ अंदर बाहर हो रही थी. मेरी चूत में एक अलग ही आनंद के साथ तड़प भी पैदा हो रही थी. मैं जीजा के मुंह की तरफ अपनी चूत को धकेल रही थी.

जीजा ने मेरी चूत चुसाई करते हुए मुझे पागल कर दिया. मैं बेड की चादर को नोंच रही थी. मेरी चूत में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. मेरी सांसें बहुत भारी हो गयी थीं.

वो लगातार मेरी चूत में जीभ को घुसाये जा रहे थे.
फिर मैं बोली- बस … जीजा जी, अब कर दो … नहीं तो मर जाऊंगी. अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा है. अपना लंड मेरी चूत में दे दो.

जीजा बोले- हां मेरी रानी, आज तो मैं तुम्हारी चूत का उद्घाटन करके ही रहूंगा. सपना के साथ तो मैं बहुत बार चुदाई कर चुका हूं. आज मैं तुम्हारी चूत को भी फाड़ कर रख दूंगा अपने लौड़े से.
ऐसा बोलकर जीजा ने मेरी टांगों को पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया. उन्होंने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया. अब मेरी चूत थोड़ी सी ऊपर उठ गयी.

उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा तो मैं तड़प उठी. उसके बाद जीजा ने मेरी चूत में लंड के सुपारे को अंदर घुसाने का प्रयास किया. उनका लंड आगे से बहुत मोटा था. सुपाड़ा भी अंदर नहीं जा रहा था.

फिर उन्होंने अपने लंड पर थूक और लार से उसको चिकना किया. दोबारा से लंड को मेरी चूत पर रखा. उसके बाद उन्होंने सही निशाना लगा कर मेरी चूत में एकदम से लंड को घुसा दिया.

जैसे ही उनका लंड मेरी चूत में घुसा मेरे मुंह से चीख निकल गयी. मेरी आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया. मैं दर्द के मारे छटपटाने लगी. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊईई … मर गयी अम्मा … आह्हह!
मैं जीजा से लंड को बाहर निकालने के लिए कहने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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