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Thriller कामुक अर्धांगनी
#61
(13-08-2020, 09:32 AM)vat69addict Wrote: bahut khoob bhai

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#62
वसंत चुचियों को छोड़ कर अपने हाथों को मधु की हिलती गाँड पर रख दिया और मधु के निप्पल को खींच कर चुसते दाँतो से कस कर दबा कर निचोड़ के रसपान करने लगा और मधु एक प्यासी अर्धांगनी की तरह पति के सामने लड़ पर गाँड हिलाती रही और सिसकिया भरने लगी ।

मेरे लड़ की ऐसी हालत हो चुकी थी कि अब खड़ा होने के काबिल नहीं था और मैं बिस्तर के कोने पर बैठ अपनी पतिव्रता बीवी को ग़ैर के जिस्म के ऊपर उत्ज़ेना से लबरेज़ देख शर्म और कामुक्ता दोनों का अनुभव करने लगा ।

चटाक की आवाज़ कमरे मे गूँज उठी इस क़दर वसंत ने चूतड़ पर चाँटा मारा और मधु हवस मे उफ्फ्फ करती ख़ुद के जिस्म को बाज़ारू औरतों की तरह नीलाम करती मानो अपने ग्राहक को आनन्द दे रही थीं ।

वसंत के उँगलियों के निशान उसकी गोरी गदराई गाँड पर छप गयीं और वो हाथों से चुत्तर को फैला रहा था ।

मेरी प्यारी पत्नी एक वैश्या की तरह बस अपनी जिस्म की प्यास बुझाने को हर दर्द सहती इस ग़ैर मर्द के अद्भुत तगड़े लिंग की ग़ुलामी किये चली जा रहीं थी और वो बिस्तर पर चादर को कस कर पकड़ वसंत के दाँतो के निशान को अपने गुलगुले नर्म कोमल गोरी छाती पर महसूस करती जिस्म को इठलाती उफ्फ्फ अहह वसंत कहती थी ।

वसंत ने मधु के गाँड की दरारों को दोनों हाथों से खींच कर खोल रखा था और एक उँगली से गांड की छेद को सहला रहा था और उसका काला बैल सा तगड़ा लड़ मधु की चुत की दीवारों पर घिसकर गहराई तक अपने होने का एहसास करा रहा था ।

मधु के लिए ये पहला अवसर था कि चुत इस कदर फैली थी और इतनी गहराई मैं वो लिंग का सुख भोग रही थी और अपने जिस्म के हर उतेजित करने वाले जगहों पर वो एक अनोखा अनुभव भोग रहीं थी ।

वसंत ने चुत गाँड चुचियों को एक साथ उतेजना के सुखद आनंद की अनुभूति करवाते मानो मधु के बरसों से प्यासे योवन मैं हवस की आग लगा दी हो और मधु इस आग मैं तपती जलने की बेताबियाँ मैं खो सी गई थी ।

मधु की आँखे मदहोश आंधी खुली काँपते होंठो से बस वासिम्म्म्म्म के नाम की माला जपती अपनी कामोत्तेजना को पाने की लालसा लिए लड़ पर चुत घिसती रहीं ।

वसंत गाँड के छिद्र को उँगली के दबाब से भेदने लगा और मधु की उत्ज़ेना और सिशकिया कमरे मे गुज़ उठी और दाँतो के बीच संपूर्ण निप्पल और उसके भूरे अति नर्म वाली गोलाई के चारों ओर दबाब महसूस करती , इस अति उतेजित अनुभूति से वो तेज़ सासों के सहारे बस काँपते होठों से वासिम्म्म्म्म उफ्फ वासिम्म्म्म्म अहह वासिम्म्म्म्म आउच वसंत नहीं नही करती अकड़ गयीं और उसके बदन पर निढ़ाल हो गईं ।

मधु की कमर कपकपाती अपने वीर्य को लड़ पर त्याग तेज़ सासे भर्ती शांत हो गईं , वसंत ने उसके नग्न बदन को उँगलियी से सहलात्ते गर्म चुत रस को लड़ पर महसूस करने लगा ।

थोड़ी देर मैं मधु सामान्य अवस्था मे आई और दोनों हाथों से वसंत के चेहरे को पकड़ कर होंठो को चूमने लगी और कमर नीचे कर लड़ पर दबाने लगी ,वसंत ने मधु को कस कर बाहों मैं जकड़ लिया और उसके जीभ को चुसते खिंचने लगा और करवट लेता मधु के ऊपर चढ़ गया और मधु की हाथों को सर के ऊपर करते बोला वाह तेरी जैसी छिनाल मिल जाये तोह मर्द कभी प्यासा न रहे ,क्या खेल खेला हैं तूने अपने देवर के लड़ से और होठों को दाँतो से खिंचा मानो खा जाएगा ।

मधु के होंठो पर अजीब सूजन दिखने लगी और वो उठ कर बिस्तर के नीचे खड़ा हुआ और गीले लड़ को दिखाते बोला देखो भाईसाहब ये होती है एक औरत की आग क्या कभी आपके लड़ ने महसूस किया है और कमर को पकड़ उसने मधु को हवा पर उठा झाघो के बीच मुँह लगा चाटने लगा और मधु इठलाती हैरान सी वसंत के जीभ को अपनी गीली चुत पर महसूस करती चीख़ती बोली अहह वासिम्म्म्म्म ।

मधु के दोनों चुचियों पर वसंत के दाँतो से अनगिनत निशान दिख रहें थे , कुछ लाल कुछ नीले थे और इतने गहरे की मानो किसी जानवर ने नोचा हो ।

मधु की कमर हवा मैं थी , बस गर्दन के सहारे वो वसंत के चुत रसपान का आनंद लेते सिशकिया भर्ती बोली उफ्फ वासिम्म्म्म्म और अपनी टांगो को उसके कंधो पर लपेटकर दबाव बनाने लगी और वसंत अपने नुखिले दाँतो को चुत के चारों और गड़ाता जीभ से लपलपा कर चाटने लगा ।

मधु झटके मरती उसके मुँह पर चुत दबाती रही और वो कुत्ते की तरह भाभी की गीली चुत दाँतो से काट खाने लगा ।

मधु को इस कदर रोमांचित देख मुझसे रहा नहीं गया ओर मैं मधु के कमर के नीचे लेट कर वसंत के लड़ को हाथों से पकड़ चुसने लगा , वसंत दोहरी सुख को भोगता मधु के चुत पर दाँतो से गहरा हमला करने लगा और वो तेज़ आवाज़ करती वासिम्म्म्म्म के नाम की माला जपने लगी और ना चाहते हुए भी इस अदभुत अनुभव को महसूस करती ऐसी अकड़ गई कि उसके चुत से तेज़ धार फूटी और वसंत के चेहरे को भिगो दी और स्वतः मधु की चित्कारिया शांत होती बस गर्म तेज़ स्वसों की आवाज़ आने लगीं , वसंत चुत की दीवारों को जीभ से साफ करने लगा और मधु की पकड़ ढीली पड़ गई ।


ये पहला मौका था जब मेरी अर्धांगनी के चुत से तेज़ धारा निकली हो और ये सुख पा कर वो थक सी गई लेकिन वसंत उतेजना के चरम पर था और मेरे मुँह मैं ही लड़ धकेलने लगा ,उसके दबाव से लिंग गले तक जा पहुँचा और वो एक हाथ से मेरे सर के बालों को जकड़ ओर अंदर डालने लगा ।


वसंत के लड़ को गले पर महसूस करता मेरी आँखें भर आईं और वो और दबाब बनाता कंठ तक लड़ धकेल कर रुक गया और मेरी साँस अटक गई और मैं तड़पने लगा , मेरा जिस्म बिस्तर पर छटपटाने लगा और मधु की नज़र पड़ी और वो बोली क्या देवर जी आप भी न कोई व छेद मिले ड़ालने लगते है और वसंत मधु के कमर को बिस्तर पर रख बोला क्या करूँ भाभी रहा नहीं जाता ।

मधु मेरे कमर पर आ बैठी और झुक कर मेरे ऊपर लेट गईं और कानों मे बोली सुनिए जी चोद लेने दीजेए ना वैसे भी अब तोह रोज की बात होंगी ये और वसंत हँसते हुए बोला वाह मेरी रंडी क्या पत्नी धर्म निभा रहीं हो अपने गांडू पति को भी मेरी रांड बना रही हो ।

मधु मेरे चेहरे को पकड़ वसंत के लड़ को आगे पीछे होते देख बोली क्या बताऊँ जी क्या सुख है इस लड़ के हिलने का आप भी गाँड मे ले लो तभी समझ पाएंगे क्यों इतनी बेहया हो गईं आपकी ये पतिव्रता बीवी ।

मधु कि बातें मेरे बिस्तर पर दबी मूंगफली को अत्यधिक उतेजित करने लगीं और वसंत मुँह को भोसड़ा समझ झटके मरता रहा ओर मधु मेरे जिस्म पर अपनी जिस्म को रगड़ती रही ।


वसंत के धक्के से मेरे जबड़े दर्द करने लगे और मुँह से थूक बहने लगा और वसंत रुक कर बोला भाभी उतर तेरे भड़वे पति को अलग अन्दाज़ से मज़ा दूँगा वो उत्साहित हो बोली सच्ची देवर जी और वसंत मुझे सीधा बिस्तर पर लेटने को बोल कर मेरे बालो को खेंच बिस्तर के कोने पर गर्दन लटका दिया और मेरा सिर नीचे झुक गया ,वसंत ने लड़ मुँह के अंदर डाल दिया और हलक पर पहुँचा बोला देख रही है ,मधु मेरे कंठ पर उँगलियी दबती बोली अब तोह मेरे पति भी रांड बन गए बड़े आए थे मेरी चुदे चुत से मलाई खाने अब खुद ही मुँह चुदवा के मर्दों का पानी पियेंगे और वसंत हँसते बोलने लगा सच कहा देखना अब कैसे ये लौड़े के लिए तड़पेगा ।


वसंत तेज़ी से मेरी मुँह चोदने लगा ओर मधु मेरे सीने पर खड़ी हो के वसंत की बाहों मैं झूलती चुम्बकन का आनंद लेने लगी , मेरी हालत खराब होने लगीं और मैं मधु के पैरों को पकड़ वसंत के लड़ की मार से खुद के चेहरे पर अपनी थूक बहाते गा गा करता फच फच सुनता जलील होता चला गया और न जने क्यों कैसे लड़ खड़ा कर बैठा ।

मधु ने वसंत को मेरे लड़ की हालत दिखा कर बोली देखो तेरी ये रांड गर्म हो गई है ,वसंत बोला क्या करेगा बेचारा भड़वा नामर्द जो है तगड़े लड़ को चूस और बीवी को चुदवाते देख कर ही गर्म होता है ।

मधु मेरे लिंग को पैर से दबाती बोली देवर जी सच्चाई यहीं है और वो मेरी गोटियों को मसलते हँसते और तड़पाने लगी ।

वसंत बुरी तरह मेरे मुँह मैं लड़ डाले आगे पीछे करता रहा और मधु मेरे सीने पर बैठ अपने होठो को मेरे लिंग पर रख चूमती बोली बेचारा कैसा किस्मत का मारा है ये ,बना तोह औरतों की प्यास बुझाने के लिए लेकिन ख़ुद मार्स के लिए खड़ा हो रहा हैं और मुँह मैं ले कर चुसने लगी ।

ये मेरे जीवन का पहला मौका था जब मेरा लिंग पाँच दफ़े खड़ा हुआ हो और उसपर मधु के कोमल लैबों की बरसात और उसके जीभ का घूमना महसूस कर मेरी उतेज़ना भड़कने लगी और छण भर मे मेरा वीर्य बहने लगा और मधु मेरे लिंग को कस कर दाँतो से काटने लगी और मेरे गोटियों को हाथों से निचोड़ने लगी ।

मैं दर्द से छटपटाने लगा और वसंत रुक कर लिंग निकाल पूछा क्या कर रहीं हो भाभी , मधु गुस्सा करती बोली भड़वे के लड़ को काट दूँगी मैं और मेरी आडो को मसलती बोली ये गांडू है मेरा पति एक छक्का है साला भड़वा दो सेकंड भी नहीं टिकता और वो रोने लगीं ।
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#63
मस्त कहानी।
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#64
bahut zabardast update bhai...ab roz isse beizzat karo...aur madhu ko alag alag taareke se chodo
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#65
वसंत मुझे छोड़ बिस्तर पर मधु को अपनी बाहों मैं दबोच कर फुसलाने लगा और मधु मेरे लड़ को नोचती उसके बदन से लिपटी बोली बताओ कहीं कोई ऐसा मर्द होगा जो इतनी बार बस कुछ सेकंड मे झड़ जाएं , इस भड़वे के साथ मे सात सालों से विहाई हुई हु और हर रात उँगलियों ओर जीभ के सहारे गुज़रती रहीं और आज जा के ये पहली बार इतने दफ़े कड़क हुआ और देखो हर बार की तरह फिर झड़ गया , वसंत बालों को सहलात्ते मधु से बोला भाभी जी क्या करोगी ये ऐसे ही है इनका लड़ बस मूतने के लिए बना है और अब रो क्यों रहीं हो , मैं तेरी जवानी के लिए ही पैदा लिया हूँ , सच कहता हूँ तुझे ज़िंदगी भर प्यार दूँगा ,इतने बरसों तक तुम प्यासी रही लेकिन अब हर रोज तेरी जवानी नोचूंगा और तुझे अपने लड़ की प्यासी बना दूँगा ।

मधु ने वसंत को कस कर पकड़ रखा था और रोती बिलखती बोली अब देखना मे कैसे बीच बाज़ार तेरे साथ घुमुंगी ओर दुनिया कहेंगी देखो वसंत की रखैल को और इस भड़वे को मुँह दिखाने लायक नही रहने दूँगी ।

वसंत ने हँसते हुए बोला दुनिया कहे न कहे तुम तोह मेरी रखेल हो न भाभी ।

वसंत की बातों से मधु हँसने लगी और वसंत ने दोनों आँखों से आँसू पोछ कर उसके लबों को चूमते बिस्तर पर लेट गया और मधु अपनी टांग वसंत के कमर पर रख दी ।

वसंत अपनी उंगलियों को मधु के नाज़ुक जिस्म पर फेरता कमर पर चिट्कोरी काटने लगा और मधु कसमसाती बोली देवर जी उफ्फ्फ आप तोह बड़े सरारती हैं, वसंत कमर के चमड़ी को खींच कर बोला भाभी तेरी कमर बरसों से देख यहीं सोचता था कब ऐसे छेड़ दु , मधु बोली पहले छेड़ लेते तोह दुकान की वो बैंच आज चर चर आवाज़ करती , मधु दिल खोल हँसने लगी और वसंत गाँड सहलाते बोला फिर यू खुल के गांडू के सामने मस्ती कैसे होती मेरी भाभी ।

मधु धत तेरी की बोलती वसंत के होटो को चुसने लगी और वो हाथ गाँड पर फेरता सहलाने लगा ।

मधु की झाघो पर हाथ फेरता उसने आहिस्ता से मधु की टांग को ऊपर उठाने लगा और अपनी उँगलियों को अंदरूनी झाघो पर फेरता बोला ऐसे ही टांग उठा कर रखो भाभी , मधु अपनी हाथ से बेशर्म की तरह टांग पकड़ वसंत के होटो का रसपान करती चली गईं और वसंत ने अपने उँगलियी को झाघो पर फेरता उसके जिस्म को उतेजित करता एक धन्नाटेदार चाँटा उसकी उभरी हुई चुत पर जड़ दिया और मधु चीख़ती उठ बैठी और बिलखती अपनी चुत सहलाने लगी ।

वसंत हँसते बोला क्यों रे मेरी रांड क्या हुआ , मधु तिरछी नज़र से देखती आंखों से आशु पोछती बोली कुछ नहीं देवर जी और वापस वैसे ही लेट टांग उठा कर बोली तेरी रांड हैं ये मधु और ये जिस्म तेरी है नोच खाओ ।

वसंत हँसते हुए बोला भाभी सच कहूँ मुझे सीधे साधे कमुक संभोग पसंद नहीं , तेरी ये चमड़ी लाल कर के दर्द दे के लूटने से ही मुझे खुशी मिलती हैं , मधु टांग उठा कर बोली तेरे लिए हर दर्द सहूँगी देवर जी , जैसे चाहो वैसे सुख भोगने दूँगी ।

वसंत उतेजित हो एक तगड़ा चाटा मधु के उभारो वाली चुत पर जड़ दिया और मधु बिस्तर पर इठलाती टांगो को कस के आपस मे मिला छटपटाती उफ्फ्फ वासिम्म्म्म्म कहती सुबकने लगी और ये देख वसंत ने मधु के निप्पलों को मसलते बोला साथ दे पाओगी मेरी ऐसी हरक़तों मे , सह पाओगी मेरी द्वारा दी गईं दर्द को , समर्पित कर पाओगी अपनी जिस्म की ये चमड़ी मेरे सुख के लिए , ख़ुद को ऐसा बना पाओगी की अगर मे कुछ पल दर्द न दु तोह ख़ुद गिड़गिड़ा कर दर्द के लिए भिक्षु बन भिक मांगोगी ।

मधु के निप्पलों को वसंत बेदर्दी से मसलते रहा ओर मधु छटपटाती चीख़ती बोली नहीं वसंत उफ्फ्फ नहीं बहुत दर्द हो रहा हैं प्लीज वासिम्म्म्म्म अहह ,मधु ऐसी हालत मे भी वसंत के हाथों को हाथ नहीं लगाई और बिस्तर को पकड़ बस तड़पती रही , वसंत निप्पलों को ज़ोर से खिंचते पूछा क्या तुम मेरी रखैल नही हो, क्या ये तेरी तड़पती जिस्म मेरे लिए नहीं जल रही , क्या तुम मेरे लड़ की दासी नहीं हों , मधु चीख़ती अपने निप्पल्स की दर्द को किसी तरह बर्दास्त करती बोली हा मैं मधु तेरी रखैल हूँ मुझे तेरे लड़ से सुख भोगना है , तेरे चुदाई से झड़ना हैं , हा मैं तेरी रांड हुँ वसंत ।


वसंत ये सुनते दोनों निप्पलों को बेदर्दी से मसल छोर देता है और अपनी उँगलियी को निप्पलों पर फेरने लगता है , मधु के निप्पल्स फड़फड़ा जाते है वो बिस्तर पर उतेजना और दर्द से तप रहीं होती है और वसंत झुक कर मधु के स्तनपान करने लगता है , यू जलती दर्द से बिलखती निप्पल्स पर जीभ के स्पर्श को महसूस कर मधु की सिसकिया फुट जाती है और वो गर्दन उठा कर कामुक्ता के बसीभूत इठलाने लगती है और वसंत टांगो के बीच हाथ को रखता है और मधु स्वतः अपनी टांग चौड़ी कर देती है और वसंत के स्पर्श को प्राप्त कर कमर उठा देती है ।

मधु किसी चरित्रहीन गंदी फिल्मों की प्यासी अप्सरा सी गर्दन उठाये अपने उभारो को तेज़ सासों से छलकाती एक फ़िसलन सी कमर पर बनातीं अपनी टांगों को खोले वसंत को अपने उतेजित चुचियों के रस को पिलातीं उसके उँगलियों को चिट्कोरी मारती अपनी चुत पर महसूस करती होंठो से उफ्फ्फ अहह उफ्फ्फ भर्ती आँखों को मुदे पड़ी थीं ।

ये वो झण था जब वसंत की खुमारी सिर चढ़ मधु को बेताब किये जा रहीं थीं और उसके नुखिले नाख़ून बिस्तर पर रगड़ मार रहे थे ।

वसंत हल्की थपकी चुत के ऊपर मार मधु को ओर उतेजना के सागर मे डुबोये जा रहा था और वो बेसक लड़ की प्यास को मचलती जा रही थी , मधु की सासे बहुत तेज़ चल रहीं थीं और उसके उभार निरंतर ऊपर नीचे होते और एक सिहरण सी उसके जिस्म पर दौड़ लगा रहीं थी , मधु के हिलते सर को बिस्तर पर गढ़ते देख मालूम हो रहा था कि वो हवस की आंधी से लड़ रही हों और वसंत बड़ी बेदर्दी से उसकी चुत को सहलात्ते जा रहा था ।


हल्की फुल्की थप थप तेज़ होने लगी थीं और मधु छटपट करती कसमकश के आगे ख़ुद को समर्पित करती , उसके मुख से उतेजना के स्वर फूटे जा रहें थे ।

वसंत की उँगलियों ने रिसाव को महसूस किया और उँगलियों को एक साथ मोड़ कर दरारें के दरवाज़े को भेदने लगा और इधर मधु की क़मर चीख़ मरती उठ गईं और वो सकपकाती बोली नहीं देवर जी नहीं अहह उफ्फ्फ दर्द हो रहा है निकालिए और वसंत की उँगलियी धसती रही और मधु की कमर स्वतः उसके उँगलियी पर हिचकौले मरती थोड़ी ही देर मे निढ़ाल बिस्तर पर आ गिरी और वसंत जुड़े उँगलियों को झड़े दरार से खीच मधु के होंठो पर रख दिया और बोला देख मेरी जान इस दर्द से भी तू मज़ा लेना सिख गईं अब चाट और बता क्या तू ये नकार सकती है कि तुझे मेरे दर्द से मज़ा नही मिला ।

मधु के होंठ खुल गये वो जीभ से वसंत की एक एक उँगलियों को चुसने लगी और बोली देवर जी तेरी ये कसमकश हरकतें मेरी जिस्म को भड़काने लगी है , ना जाने क्या हो रहा है मुझे ।
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#66
maar hi daaloge Madhu ko....is k namard pati ko bhi jaleel karo...bahut sahi ja rahe ho
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#67
maar hi daaloge Madhu ko....is k namard pati ko bhi jaleel karo...bahut sahi ja rahe ho
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#68
मेरी प्यारी भाभी ओह मेरी भोली भाली भाभी ये कुछ भी नहीं हुआ आपको, बस इतना जानो की बरसों पहले अगर किसी मर्द के नीचे ख़ुद को बिछा देती तोह ये अनोखी कस्मक्स से अनजान न रहती , तूने खुद बरसों लगा दिया अपनी जिस्म की प्यास को समझने मैं और जब आज तूने अपने देवर को मौका दिया तोह महसूस कर रही है ना क्यों अपनी योवन न लुटा कर इस गदराई जवानी को सताई और चर्मसुख से अनभिग्य तड़पती रही ।

अभी तोह तू गदरायी माल बन गईं सोच अगर बाली उमर मे किसी मनचले को मिली होती तोह ये बड़े बड़े ख़रबूज़े की जगह वो तेरी छोटी नींबू के रस को निचोड़ता और ये फूली चुत की जगह भदर्रोयो वाली गुलाबी कसी चिकनी चुत को होंठो से चाट यू तड़पता की खुद इठलाती बोलती तोड़ मेरी झिल्लियों को चोद कर बेहाल कर दे मेरी तड़पती चुत और वो अपने गुलाबी सुपाडे को तेरे गुलाबी होठों पर फेरते बोलता ज़रा चूस तोह मेरी रानी लड़ को फिर तेरी तड़प मिटा तुझे कुँवारी कली से फूल बना देता हूं ।

वसंत की बातें सुन मधु उसके लड़ को सहलाने लगी और बोली मैं तोह इन सब बातों से अनभिज्ञ इस गांडू के साथ उनैश कि थी तभी विहाई गयी ,मेरी सहेलियों ने मुझे चुत के ऊपर गहरे घुँगेरेले बालों को हटाने का बोल बस इतना बताई की वो कहीं सुनी है कि सुहागरात को चुत जितनी चिकनी हो मर्द उतने मसलते पर देख मेरी फूटी किस्मत उस रात मसलन तोह हुई नहीं लेकिन इस कुत्ते ने जीभ डाल कर ही जो सुख दिया वहीं स्वरपरि मान जीती रहीं ,ये भड़वा बस अंदर डाल दो धक्के मार मेरी चुत अपने कुछ बूंदों से भर ऊपर गिर कर हाँफते कहता बहुत गर्म है तू मधु मेरी जान और मैं इनकी खुशी देख यही समझतीं रही कि बिस्तर पर पति और पत्नी की कामवासना ऐसे ही चलती हैं ।

वसंत ने ये सुन कर मधु के चुत को थपथपाया और बोला ओह भोली भाली कलयुग की सती सावित्री क्या कहूँ आपसे यहाँ रोज हज़ारों औरतें जिस्म गैरों के नीचे डाल कर खुद को संतुष्ट कर रहीं है ,कितनी तोह इतनी बेहया हो चली है कि उनके नामर्द पति शर्म से मुँह छुपाते फिरते की मोहल्ले के मनचले ये ना चिलाये कि क्या मस्त माल है इस गांडू की बीवी ,मेरे लौड़े को निचोड़ लेती हैं । 


मधु शर्मा कर झेप गई और बोली इस भड़वे ने तोह मुझे खुद तेरी रांड बना दिया ,जानते हो इस भड़वे को ही देखना था अपनी भोली भाली पतिव्रता बीवी की अस्मत गैर से लूटते, मैं तोह आज तेरे मिलने से पहले भी इस गांडू के जीभ से ही खुद को संतुष्ट मानती खुश थी लेकिन देखो क्या इत्तफाक हैं और क्या इंसाफ किया कामदेव ने मेरी जवानी का जो लूटी भी तोह अपने प्यारे देवर से और ऐसा सुख दिया तूने की मेरी नस नस अकड़ रही है और फिर भी एक प्यास मेरी चुत मैं जगी सी है ।


वसंत ने हौले से एक उँगली मधु के सूखे चुत पर सरकाई और वो उफ्फ्फ करतीं सिहर उठी और वसंत बोला ये प्यास अब मरते दम नहीं मिटने वाली मेरी रांड अगर दो दिन मे न आ पाया तोह तू खुद किसी मर्द को लूटा देगी अपनी जवानी, यहीं चुत की आग है जो इतनी बेहयाई दे जाती है कि समाज और संसार का डर रहता नहीं और बस एक प्यास रहती है जो होती है तगड़े लड़ की जिसकी न उम्र होती है ना ही जात और न ही पहचान ।

मधु सिसकियाँ भर्ती बोली ऐसा मैं नही करने वाली ,मैं तोह बस तेरी ही नीचे लेटूंगी चाहे कुछ हो जाए ,वसंत हँसते बोला अभी कुछ महीने भर तोह मुझी से लेगी बस एक बार लत लग जाएगी फिर देखना तेरी तिरछी नज़र मेरे सिवा भी कई गैरों के ज़िप पर टिकेगी और टिके भी क्यों न तेरी ये मदमस्त जवानी है ही ऐसी की चाहे जिसे तू नज़र भर देख ले वहीं कुत्ता बन तेरी प्यास बुझाने दुनिया से झगड़ चला आएगा ।

वसंत चहकते बोला तू जितना भी झूठ बोले लेकिन तेरी ये चुत ग़ैर मर्दो का नाम सुनते तेरा साथ छोड़ ही देती हैं और वो अपनी गीली उँगली से मधु के होंठो को सहलाते पूछता हैं क्या सच मे तू बिना लड़ हफ़्ते भर रह पाएंगी देख सिर्फ बातों से तू चुदासी हो गयी और कितनी आग तोह भड़की ही नहीं और मधु उसके लड़ को पकड़ सहलाते बोली भड़का क्यों नहीं देते आग ।


वसंत लेट कर कहता है चल चढ़ जा मेरे होठों पर लगा के अपनी चुत छिनाल और चूस अपने देवर के लड़ को , मधु इठलाती होठों को दाँतो से दबाती झट पट वसंत के होंठो पर चुत रखती उफ्फ्फ करती अपनी चुचियों को उसके नंगे जिस्म पर घिसती उसके लड़ को नाज़ुक लबों का चुम्बन देती सर को मोड़ उसके कमर पर लेट गईं और उँगलियों को लड़ से अन्डों तक फेरती कमुक सिसकियाँ भर्ती लंबे काले मोटे लिंग को निहारतीं रहीं ।


वसंत मज़े से गीली चुत मैं जीभ डाले रसपान करते मधु की गाँड को पकड़ सहलाते संकरी छेद को अपने अंग्गूठे से दबाते खेलता रहा और मधु अर्ध सख्त लड़ को हाथ से पकड़ अपने होंठो पर फेरती नाक सटाए सूंघती जीभ फेरने लगी और बड़ी इत्मिनान से कामभाव मैं खोई बस लिंग पर नज़र गड़ाई लेटी मंद मंद मुस्कान बिखेरती रहीं ।
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#69
bahut khoob....zabardast story
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#70
Maza aa gaya... Fast and to the point... Super story... Wasim ki gulam bana duo pura.
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#71
मधु होले होले वसंत के लिंग को जीभ से सहलाती दाँतो तले लिंग के सुपाड़े को दबाती हुई अपनी बरसों पुरानी की गईं गलती को सुधारती योवन के सुख को बाली उमर सी अठखेलियां करतीं खुद से ही शर्माती झेंपते किसी अलग दुनिया मे खोई थी , न जाने किस सोच मैं डूबी मेरी अर्धांगनी ऐसी भाव बिखेरीं जा रहीं थी कि देख मेरा मन मचल रहा था और जी कर रहा था कि मधु को बाहों मैं कस कर दबोच उसके होंठो को चूस लू फिर मेरी नज़र खुद के मुंफली पर पड़ी जो मेरी अर्धांगनी के नाखूनों से लहूलुहान जलन से तड़प रहे थे और मेरी अण्डे सूज कर कदू की तरह गोल हुए पड़े थे ।

मेरी ख्वाइशों को मधु बेसक कोड़ी के भाव मसल देती और जलील कर मुझे मेरी औक़ात दिखा वसंत के सामने शर्मिंदा कर रुसवा करती जो मैं सह ना पता इशलिये खुद के अरमानों को दिल मे दबा कर मैं बस उन दोनों के काम कला को देखकर संतुष्ट होना उचित समझ बिस्तर पर निर्जीव लाश की तरह पड़ा था ।

मधु के रसीले चुत के इर्द गिर्द वसंत की जीभ लहरा रही थी और उसके मर्दाना हाथों से मधु की मटकती गोल चुत्तर दबी पड़ी थी और अंघुठे के अतिरिक्त दबाब से गाँड की कसमसाई छेद सुगबुगाति स्वतः ही उतेजना से खुल कर सिकुड़ रहे थे ।

ये मनोरम दृश्य अद्भुत जान पड़ता जिसमें दो प्यासे बदन आपस मे खोए अपनी अपनी कामवासना खुल कर खेले जा रहे थे , मधु की चित्कारिया कामुक्ता  के स्वर बरसाए अपने योन प्रेमी को उत्साहित करती उसके लिंग को चूस कर आनंदमयी किये जा रहीं थी , और थूक की लतपत परत से प्रेमी के लिंग का सृंगार कर अपने गीले चुत के लिए सजाए जा रही थी वहीं प्रेमी भी अपने दाँतो से बाहरी परत को काट कर अपनी उतेजना प्रेमिका को महसूस कराएं जा रहा था , चूंकि दोनों पहले ही अद्भुत सहवास का सुख भोग चुके थे इश्लिये दोनों मैं कोई जल्दबाज़ी थी ही नहीं और वो बस एक दूसरे के बदन के उस हिस्से को मुँख सुख दे रहे थे जो अगर उतेजित अवस्ता प्राप्त कर ले तोह ये बिस्तर हिचकोले भरने लग जाएं और तगड़े लिंग के थप्पड़े से मधु के टांगो के बीच वसंत के निचले भाग का मिलन हो जाए और फच फच की गूंज के साथ इठलाती मधु की कमर उठ उठ कर प्रेमी के लिंग को अपने गहरे छिद्र मे समाने को मचल जाए और खुद के डोलते स्तनों को यू मचलते देख प्रेमी के हाथों से मसलवाने को आतुर हो जाये और निढ़ाल पड़ा मैं एक बार फिर खुद को लज्जित करता वीर्य त्यार शर्म से पानी पानी हो जाऊ।


मधु मुँह के गहराई तक वसंत का लिंग स्वतः लेती आंशु बहाती खुद को लिंग पर दबाती मुख मिथुन को बड़े चाव से खेले जा रही थी और वसंत के अंडकोष को थूक से नहला सहलाती लबों से ईश ईश करती वसंत के दाँतो से चुत की चमड़ी खिंचे जाने को महसूस करती अपनी कमर नागिन सी लहराते जाती और वसंत भी खुल कर मधु को मुख मैथुन करता उतेजित करने को संघर्ष किये जाता , काफी सयंम और मुख सुख भोगने के बाद मेरी प्यासी अर्धग्नि कामुक्ता के वसीभूत होती बोली देवर जी अब कितना चाटोगे , वसंत जीभ फेरते जबाब देता बोला बस भाभी ज़रा और , मधु कमर मुख पर दबाती बोली आपका ये लड़ पूरी तरह तैयार कर दी हूँ अब इसे मेरी चुत के गहराईयों मैं डाल कर चर्मसुख दो ना, वसंत हौले से मधु के झाघो को हवा मैं उठा कर मधु की और झांकते बोला क्या रसीली चुत है भाभी जितना नोच खा रहा हूँ उतनी भूख बढ़े जा रहीं हैं ।


मधु शर्मा सी जाती है और खुद के सूजे निप्पल को सहलाते बोलती हैं वहीं मेरी भी हालत है देवर जी लिंग चूस चूस कर थक गई पर फिर भी दिल कहता हैं थोड़ी देर और चूस लू फिर ये सख्त निप्पलों से अवाज़ आती हैं , क्या कहते है ये निप्पल्स भाभी , ये कह रहे कब से दबी पड़ी हुँ कोई तोह चूस कर आनन्द दे दो , वसंत हँसते मधु को बिस्तर पर पलट देता हैं और फौरन मधु के जिस्म पर लेट अपने होठों को उसके होंठो पर रख खुद को उठा हाथों से बड़ी बड़ी चुचियों को जकड़ लेता है और मधु अपनी टांगो को खोल वसंत के कमर पर कस कर फ़सा लेती है और उसके लिंग को अपनी नाभी के ऊपर दबते महसूस करते चुम्बनों की दावत उड़ाने लगती हैं , मधु खुद कमर उठा उठा कर वसंत को इशारे से अपनी तड़पन से अवगत कराती रहती हैं ।

एक लिंग और एक चुत के रास से सने दो अलग जीभ आपस मे टकरा कर एक दुज़े के मुँह मे मुख मैथुन का रस घोले चले जा रहे थे , कभी वसंत मधु के जीभ को चुसता कभी मधु वसंत के जीभ को चूसती और दोनों के मुँह का लार एक दुज़े के मुँह मैं घुल जाता और थूक की एक डोरी खिंच जाती परन्तु दोनों हवस के बसीभूत एक दूसरे की होठों को चुसते काट खाते बस खोए थे ।

आखिर थोड़ी देर बाद वसंत नीचे सरक मधु के कड़क निप्पलों को एक साथ दबा जीभ फेरने लगा और मधु वसंत को देखती सर के बालों को उँगलियों से सहलाते इठलाने लगी और बोली देवर जी थोड़ा दबाओ भी क्या बस चूसे जा रहे हो, पेहले तोह बढ़ा दबा कर दर्द दिया था अब जब लत सी लगने लगी है तोह तड़पा क्यों रहे हो , वसंत रुक कर दोनों हाथों से चुचियों को बेदर्दी से मसलने लगा और मधु हाथों को सर के ऊपर उठा कर बिस्तर खिंचती बोली उफ्फ्फ देवर जी अहह देवर जी कैसे पहन पाऊँगी ब्लाउज अब मे , वसंत और ज़ोर लगाते बोला नंगी ही रहा करो भाभी वैसे भी अगर कुछ पहन भी लोगो तोह कपड़े का हल्का स्पर्श भी मेरी ही याद दिलाएगा , मधु सर को बिस्तर पर उठा तेज़ साँस भर्ती बोली बस यहीं तोह चाहिए मुझे अपने देवर का तपता योवन अपनी तड़पती जिस्म पर हर पल , वसंत के हाथों से चुचियों का बुरा हाल बना हुआ था पर मेरी अर्धांगनी ऐसी अवस्था पर भी वसंत का साथ देती मानो मुझे धितकारति लजीत करती कह रहीं हो , पहले रोकी थी मैं आपको अब रोक नहीं सकती खुद को और वसंत के जीभ को निप्पल पर महसूस करती कमर उठा उठा कर सिसकियाँ भर्ती बोलने लगी देवर जी लड़ डाल दो अब आपकी रांड सह नहीं सकती , वसंत हँसते बोलता है बस थोड़ा और ऐसे ही तड़पते देख लू तुझे मेरी भाभी फिर मेरे लड़ को मज़ा आएगा तेरी चुत के गहराईयों मैं धक्के मारने का और मधु के मुँह से बस वासिम्म्म्म्म मेरे प्यारे देवर जी चोदो ना चोदो ना अपनी भाभी को बोलती काँपते होठों से गिड़गिड़ाती कमर मटकाती तड़पती बिलखती बिस्तर पर अपने देवर के जिस्म से दबी उसके दाँतो को निप्पलों पर महसूस करती जा रहीं थी ।
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#72
bahut sahi varnan kiye ho....par kya sab ek hi raat mei kar daloge...kuch aur din k liye rakkho...is maal k mazey dheere dheere lo
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#73
(16-08-2020, 06:12 AM)vat69addict Wrote: bahut sahi varnan kiye ho....par kya sab ek hi raat mei kar daloge...kuch aur din k liye rakkho...is maal k mazey dheere dheere lo

Don't worry this story is entitled thriller just keep reading n I will make sure at the very last you will be thrilled ...Thanks for your support n love ..
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#74
Excellent
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#75
कमर की अंगड़ाई और मधु की बेदना वसंत को उतेजित करती हुई चरम पर पहुँच गई और वो अपने लड़ को मधु के चुत के मुहाने रख दिया और मधु स्वतः गाँड उठा कर अपनी चुत उसके लिंग पर दबाने लगी और अकड़ गयी , मधु के जिस्म ने एक बार फिर मधु को अदभुत संभोग के सुख का साक्षी बना दिया और बहती जल धारा के बीच वसंत का लिंग उसके चुत को चीरता गहरी चिपचिपी खाई मे प्रवेश करता मधु को चर्मसुख का अनुभव कराते हिचकौले खाने लगा, वसंत बड़े आराम से बिना मेहनत मधु के हिलते कमर से सुख भोगने लगा और थोड़ी देर मे ही मधु कमर उठा थरथराने लगी और अपनी अधूरी प्यास बुझा बैठी और वसंत अपने बदन को उठाकर झाघो को सहलाते टाँगे फैला लिंग को चुत की दीवारों पर घिसता रहा और मधु के वीर्य से लिंग को स्नान करवाता उसके दोनों झाघो को आपस मे मिला कर पैरों को मोड़ मधु के पेट पर दबा अपने बदन का भार देते कस कर जकड़ते धके मारने लगा और मधु के नस नस मे वासना हावी होती चली गई और वो वासिम्म्म्म्म वासिम्म्म्म्म देवर जी अहह उफ्फ्फ करती उसके लिंग के दमदार झटकों को सहती रही और वसंत भूखे भेड़िये की तरह बेसुद धक्कों से चुत को गहराईयों तक वार करता रहा ।


मधु की मुड़ी टाँगे काँपते जा रही थी , वो इस मुद्रा मे कभी संभोग का भोग नहीं कि थी और वसंत के चढ़ जाने से वो दर्द और बढ़ गया था, उसकी गाँड हल्की उठी हुई वसंत के गोटियों की मार महसूस किए जा रहीं थीं , वो चीख़ती कमुक सिसकियाँ भर्ती वासिम्म्म्म्म वासिम्म्म्म्म देवर जी दर्द हो रहा है बोलती हवस की वासना मे डूबी थी , वसंत बिना किसी परवाह के लिंग को झटके मारता बस चुदाई किये चला जा रहा था , मधु की चित्कारिया उसको और उतेजित करती जा रही थी और वो बेताहाशा चुदाई करते मधु से बोला देख इधर मेरी आँखों मे रांड , सहला अपनी चुचियों को और चिल्ला ,तेरी ये सिसकिया ही तुझे ख़ास बनाती है और  मधु एक रंडी की तरह अपनी हवस भरी आँखों से वसंत की आंखों मैं डूबती खुद के चुचियों को मसलती देवर जी अहह देवर जी उफ्फ्फ धिरे धिरे करो उफ्फ्फ टांग खोलने दो बोलती मचलती काँपने लगी और वसंत लिंग बाहर खिंच झटके से डाल बोला रंडिया होती ही है प्यास बुझाने के लिए और दर्द के बिना मुझे मज़ा नहीं आता और तू जितना दर्द सहेगी मैं उतना तेरी ये चुत चोदुगा , मधु सर को बिस्तर पर पटक पटक कर धक्कों की मार झेलती बोली नही देवर जी नही सह पा रहीं थोड़ी देर रुक जाओ वसंत और तेज़ झटकों से मधु के तड़प को बढ़ाते पूछा क्या तू चाहती है मैं चोदना छोड़ दु रुक जाओ घर चला जाऊं, उफ्फ नहीं देवर जी नही चोदो उफ्फ मत जाओ ,वसंत हँसते बोलता है फिर ऐसे ही चोदुगा और तू झड़ेंगी इस कदर की बिस्तर भीग जाएगी और मधु सपर्पित भाव से बस उसके सितम को सहती हवस की आग मे जले जा रहीं थी ।


वसंत के तगड़े लिंग का वार बेहद तेज़ था और वो बेताहाशा सवारी करते मधु को एक के बाद एक चर्मसुख की और ले जाने लगा , मधु की आँखे वसंत के आँखों को देखती अपनी चुचियों को ज़ोर से दबाती जा रहीं थी और वसंत मंद मुश्कान लिए बस मधु को कोठे की एक रांड समझ अपने पैसे वसूल रहा था । मधु के लिए ये पल अनोखा तोह था ही परंतु इतनी देर तक संभोग क्रिया के चलने से खुद को समर्पित करना कठिनाईयो से भरा हुआ था और वो हाँफते हुए बोली देवर जी अब सहा नहीं जाता थोड़ी देर रुक जाओ न ,वसंत जंगली जानवर बन चुका था, हो भी क्यों न ऐसी जवानी बड़ी मुश्किल हाथ आती हैं , वो मधु की फरियाद अनसुनी करते बस धकों की झड़ी लगाता रहा और मधु की सासे फूलने लगी और एक पल आया जब वो अकड़ गईं और उसी पल वसंत रुक गया और मधु की टाँगे खोल बस लिंग के सुपाड़े को चुत के दरवाज़े पर घिसने लगा , मधु पूरी थरथराती काँपती उठ बैठी और वसंत धक्का दे कर मधु को वापस बिस्तर पर लेटा दिया और उसके तड़पते जिस्म को निहारते बोला बस रांड निकाल दे पानी फिर तू पक्की रंडी बन जाएगी अपने देवर की , मधु सिशकिया भर्ती बोली ये क्या हो रहा है चोदो मुझे उफ्फ वासिम्म्म्म्म चोदते क्यों नहीं चोदो अपनी रंडी और वसंत हल्के से मधु की झाघो को दबा लिंग को तड़पती चुत की दीवार पर रगड़ता चोदने लगा और मधु की कमर हवा मे इठलाती रही और एक पिचकारी सी धार मारती ओह्ह माँ वासिम्म्म्म्म मेरे देवर चीख़ती रही और वसंत मधु पर सवार हो उसके होटो को चुसते अत्यधिक ज़ोर से चुदाई करने लगा और चंद पल मे ही एक हवस की बाढ़ आई और दोनों के जिस्मों से एक साथ विक्राल धार फूटी और दोनों की प्यास को बुझा कर रख दिया और तेज़ सासों की लहरों से दोनों निढ़ाल शांत हो गए और वसंत के वासना मे डूबी मेरी बीवी बिस्तर को भिगो चुकी थी और वसंत हल्के से मधु के बदन से उठ बगल मे लेट गया और मधु की टाँगे खुली उसके वीर्य को बिस्तर पर बहाने लगी और एक अद्भुत आनंद के भाव को चेहरे पर लिए नींद के आगोश मे गोते खाने लगी और मैं कुत्ते की तरह झूठन चाटने उठ बैठा तभी वसंत बोला पहले मेरे लड़ को चूस दो ,वसंत के लिंग को चूस चाट कर मैं मधु के फैली चुत पर मुख लगा चाटने लगा और वो इस बात से अनभिज्ञ गहरी निन्द्रा के सुख को भोगने लगी और वसंत भी निढ़ाल आंखे मूंदे सो गया ।


बिस्तर पर एक गीली गोलाइये बनी हुई थी जिससे बेहद मनमोहक सुंगन्द आ रही थी और मैं वही लेट जीभ से वीर्य खाता अर्धांगनी के खुले सुर्ख़ लाल छेद से वीर्य को बहता देख नाक लगा कर सूँघता अपने लिंग से वीर्य त्यागने लगा और रंडी बनि बीवी की टाँगों के बीच सो गया ।
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#76
बड़ा ही कामुक अपडेट था।
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#77
(17-08-2020, 12:52 AM)bhavna Wrote: बड़ा ही कामुक अपडेट था।

Thanks a lot ..
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#78
(16-08-2020, 10:44 PM)kaushik02493 Wrote: कमर की अंगड़ाई और मधु की बेदना वसंत को उतेजित करती हुई चरम पर पहुँच गई और वो अपने लड़ को मधु के चुत के मुहाने रख दिया और मधु स्वतः गाँड उठा कर अपनी चुत उसके लिंग पर दबाने लगी और अकड़ गयी , मधु के जिस्म ने एक बार फिर मधु को अदभुत संभोग के सुख का साक्षी बना दिया और बहती जल धारा के बीच वसंत का लिंग उसके चुत को चीरता गहरी चिपचिपी खाई मे प्रवेश करता मधु को चर्मसुख का अनुभव कराते हिचकौले खाने लगा, वसंत बड़े आराम से बिना मेहनत मधु के हिलते कमर से सुख भोगने लगा और थोड़ी देर मे ही मधु कमर उठा थरथराने लगी और अपनी अधूरी प्यास बुझा बैठी और वसंत अपने बदन को उठाकर झाघो को सहलाते टाँगे फैला लिंग को चुत की दीवारों पर घिसता रहा और मधु के वीर्य से लिंग को स्नान करवाता उसके दोनों झाघो को आपस मे मिला कर पैरों को मोड़ मधु के पेट पर दबा अपने बदन का भार देते कस कर जकड़ते धके मारने लगा और मधु के नस नस मे वासना हावी होती चली गई और वो वासिम्म्म्म्म वासिम्म्म्म्म देवर जी अहह उफ्फ्फ करती उसके लिंग के दमदार झटकों को सहती रही और वसंत भूखे भेड़िये की तरह बेसुद धक्कों से चुत को गहराईयों तक वार करता रहा ।


मधु की मुड़ी टाँगे काँपते जा रही थी , वो इस मुद्रा मे कभी संभोग का भोग नहीं कि थी और वसंत के चढ़ जाने से वो दर्द और बढ़ गया था, उसकी गाँड हल्की उठी हुई वसंत के गोटियों की मार महसूस किए जा रहीं थीं , वो चीख़ती कमुक सिसकियाँ भर्ती वासिम्म्म्म्म वासिम्म्म्म्म देवर जी दर्द हो रहा है बोलती हवस की वासना मे डूबी थी , वसंत बिना किसी परवाह के लिंग को झटके मारता बस चुदाई किये चला जा रहा था , मधु की चित्कारिया उसको और उतेजित करती जा रही थी और वो बेताहाशा चुदाई करते मधु से बोला देख इधर मेरी आँखों मे रांड , सहला अपनी चुचियों को और चिल्ला ,तेरी ये सिसकिया ही तुझे ख़ास बनाती है और  मधु एक रंडी की तरह अपनी हवस भरी आँखों से वसंत की आंखों मैं डूबती खुद के चुचियों को मसलती देवर जी अहह देवर जी उफ्फ्फ धिरे धिरे करो उफ्फ्फ टांग खोलने दो बोलती मचलती काँपने लगी और वसंत लिंग बाहर खिंच झटके से डाल बोला रंडिया होती ही है प्यास बुझाने के लिए और दर्द के बिना मुझे मज़ा नहीं आता और तू जितना दर्द सहेगी मैं उतना तेरी ये चुत चोदुगा , मधु सर को बिस्तर पर पटक पटक कर धक्कों की मार झेलती बोली नही देवर जी नही सह पा रहीं थोड़ी देर रुक जाओ वसंत और तेज़ झटकों से मधु के तड़प को बढ़ाते पूछा क्या तू चाहती है मैं चोदना छोड़ दु रुक जाओ घर चला जाऊं, उफ्फ नहीं देवर जी नही चोदो उफ्फ मत जाओ ,वसंत हँसते बोलता है फिर ऐसे ही चोदुगा और तू झड़ेंगी इस कदर की बिस्तर भीग जाएगी और मधु सपर्पित भाव से बस उसके सितम को सहती हवस की आग मे जले जा रहीं थी ।


वसंत के तगड़े लिंग का वार बेहद तेज़ था और वो बेताहाशा सवारी करते मधु को एक के बाद एक चर्मसुख की और ले जाने लगा , मधु की आँखे वसंत के आँखों को देखती अपनी चुचियों को ज़ोर से दबाती जा रहीं थी और वसंत मंद मुश्कान लिए बस मधु को कोठे की एक रांड समझ अपने पैसे वसूल रहा था । मधु के लिए ये पल अनोखा तोह था ही परंतु इतनी देर तक संभोग क्रिया के चलने से खुद को समर्पित करना कठिनाईयो से भरा हुआ था और वो हाँफते हुए बोली देवर जी अब सहा नहीं जाता थोड़ी देर रुक जाओ न ,वसंत जंगली जानवर बन चुका था, हो भी क्यों न ऐसी जवानी बड़ी मुश्किल हाथ आती हैं , वो मधु की फरियाद अनसुनी करते बस धकों की झड़ी लगाता रहा और मधु की सासे फूलने लगी और एक पल आया जब वो अकड़ गईं और उसी पल वसंत रुक गया और मधु की टाँगे खोल बस लिंग के सुपाड़े को चुत के दरवाज़े पर घिसने लगा , मधु पूरी थरथराती काँपती उठ बैठी और वसंत धक्का दे कर मधु को वापस बिस्तर पर लेटा दिया और उसके तड़पते जिस्म को निहारते बोला बस रांड निकाल दे पानी फिर तू पक्की रंडी बन जाएगी अपने देवर की , मधु सिशकिया भर्ती बोली ये क्या हो रहा है चोदो मुझे उफ्फ वासिम्म्म्म्म चोदते क्यों नहीं चोदो अपनी रंडी और वसंत हल्के से मधु की झाघो को दबा लिंग को तड़पती चुत की दीवार पर रगड़ता चोदने लगा और मधु की कमर हवा मे इठलाती रही और एक पिचकारी सी धार मारती ओह्ह माँ वासिम्म्म्म्म मेरे देवर चीख़ती रही और वसंत मधु पर सवार हो उसके होटो को चुसते अत्यधिक ज़ोर से चुदाई करने लगा और चंद पल मे ही एक हवस की बाढ़ आई और दोनों के जिस्मों से एक साथ विक्राल धार फूटी और दोनों की प्यास को बुझा कर रख दिया और तेज़ सासों की लहरों से दोनों निढ़ाल शांत हो गए और वसंत के वासना मे डूबी मेरी बीवी बिस्तर को भिगो चुकी थी और वसंत हल्के से मधु के बदन से उठ बगल मे लेट गया और मधु की टाँगे खुली उसके वीर्य को बिस्तर पर बहाने लगी और एक अद्भुत आनंद के भाव को चेहरे पर लिए नींद के आगोश मे गोते खाने लगी और मैं कुत्ते की तरह झूठन चाटने उठ बैठा तभी वसंत बोला पहले मेरे लड़ को चूस दो ,वसंत के लिंग को चूस चाट कर मैं मधु के फैली चुत पर मुख लगा चाटने लगा और वो इस बात से अनभिज्ञ गहरी निन्द्रा के सुख को भोगने लगी और वसंत भी निढ़ाल आंखे मूंदे सो गया ।


बिस्तर पर एक गीली गोलाइये बनी हुई थी जिससे बेहद मनमोहक सुंगन्द आ रही थी और मैं वही लेट जीभ से वीर्य खाता अर्धांगनी के खुले सुर्ख़ लाल छेद से वीर्य को बहता देख नाक लगा कर सूँघता अपने लिंग से वीर्य त्यागने लगा और रंडी बनि बीवी की टाँगों के बीच सो गया ।

uff...ye to gazab hi ho gaya....poora charamotakarsh pe pahucha diye....bhai wah
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#79
(17-08-2020, 08:57 AM)vat69addict Wrote: uff...ye to gazab hi ho gaya....poora charamotakarsh pe pahucha diye....bhai wah

Thanks
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#80
सुबह के पांच बजे मेरी नींद खुली तोह देखा वसंत कपड़े पहन रहा था और मधु अभी भी बेसुद टाँगे खोली सोई हुई थी , वसंत हँसते हुए गुड मॉर्निंग भाईसाहब बोला , जबाब मे मैंने भी उसका अभिवादन करते गुड मॉर्निंग बोला । वो त्यार हो बेसिन मे मुँह धोकर बोला आता हूँ भाईसाहब और दरवाज़े की और बढ़ने लगा , मैं नंगा उसके पीछे पीछे दरवाज़े तक जा कर उसके निकलते ही दरवाज़े को बंद कर वापस बिस्तर पर लेट गया और मधु के जिस्म को देखने लगा ।

हवस के नंगे नाच से उसके बदन पर अनगिनत निसान उभरे हुए थे जो नीले पड़ चुके थे ,उसकी बड़ी बड़ी कमुक चुचिया बेहाल किसी जालिम मर्द से रौंदे जाने की गवाह थी , निप्पल्स सूजी हुई थी और उसके चारों और कि भूरी गोलाई पर वसंत के नाखूनों के निशान थे , बेदर्दी से मसलने जाने के करण जहाँ तहा नसों की खिंचाव की रेखाएं उभरी हुई थी और हाथों से बने गहरे नीले धब्बे साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे ।

मधु के नाज़ुक कमुक होंठो पर कई जगहें चमड़ी फटी हुई थी और वो हल्का फूल कर कामवासना से प्राप्त हुए मनमोहक खेल की कथा के साक्षी बन रहे थे ।


मधु के गालों पर सूखे आँशुओ की लड़ी साफ दिख रही थी और गहरी नींद मे उसके मुँह से लार बह कर गले तक जा पहुँची थी ।


मधु की कमर पर दाँतो से किये गए उतेजना वश प्यार की निशानी बिल्कुल ताज़ी जान पड़ रही थीं ।
उसके झाघो पर उँगलियों के निशानी खुल कर ये बता रहे थे कि मधु ने अतिउतेजीत सहवास का आनंद लिया हो और उसके चुत के इर्द गिर्द बस नीले धब्बें ही नज़र आ रहे थे , चुत का मुँह हल्का खुला हुआ था और गाँड की छेद पर वसंत के वीर्य की कुछ सुखी बूंदे चमक रहीं थी ।

मधु को ऐसा देख मेरी वासना जागने लगी और मैंने जैसे ही अपने लिंग को स्पर्श किया दर्द से तड़प उठा और रात मधु के हैवानियत की याद आ गईं और मैं बिस्तर से नीचे उतर बोरोलीन को अपने मूंगफली पर लगाने लगा और सूजे अण्डों को देख अपमानित महसूस करता आत्मग्लानि के बसीभूत हों गया ।


करीब आधे घंटे भूत सा खड़ा खड़ा मैं अपनी बीवी को निहारता रहा और फिर उसके टाँगों के बीच झुक कर उसके चुत को सूंघने लगा और तेज़ साँसे खिंचता चुदे चुत का नशा करने लगा और मेरी अन्तरआत्मा भावविभोर होने लगीं और मैंने हल्का थूक कर अपनी थूक चुत पर से चाटने लगा ,ऐसा करते मुझे अजीब सुकून मिल रहा था और मैं अपने लिंग पर तनाव महसूस करने लगा था ,यू कुत्ते की तरह खुद को खुद से ही बेइजती करा कर मेरे रोम रोम मे रोमांच कौंधने लगा ।


मैं मधु के नींद में खलल नही डालना चाहता था इश्लिये बेमन से कुछ पल की मस्ती लूट कर गुसलखाने मे जा कर नित्य क्रिया करने के पश्चात गुन गुने पानी से स्नान कर अपने लिंग को आडो के साथ मग्गे भर पानी मे डाल कर सेंक रहा था और काफी देर बाद हल्की राहत महसूस कर नंगा आईने के सामने खड़ा हो कर खुद को तोलिये से सुखाने लगा । मैंने हल्के हाथों से लिंग को पोछा और वापस बोरोलीन लगा अपने लुंगी को लपेट बनियान पहन कर फर्श पर पड़े मधु के अंगवस्त्र को समेट वो सूँघ कर वाशिंग मशीन मे डाल दिया और फिर बिना सोचे झाड़ू लगाने लगा ,न जाने क्यों मेरे अंदर से आवाज़ आई अब तू नौकर जान खुद को , मैंने पूरे घर को साफ कर खुद के लिए कड़क चाय बना हाल मे बैठ चुस्की लेते मधु के खयालों मे खो गया और एक तगड़े दस्तक से मेरी खयालों की दुनिया टूट गईं , घड़ी पर नज़र पड़ी तोह सुबह के आठ बज रहे थे और दरवाज़े पर जो कोई भी था बड़े बेसब्र तरीके से दरवाज़े को पिटे जा रहा था ।


मैं उठ कर दरवाज़े को खोला और मुझे धक्का मरती शालिनी भाभी अंदर आ कर सोफे पर बैठ गईं और बोली शर्म नहीं आईं तुझे , मैं अशमंजस मे दरवाज़ा बंद कर उनके सामने बैठ कर हाथों को जोड़ बोला क्या हुआ भाभी इतने गुस्से मे क्यों हो ।

ओह हो देखो इस बेशर्म को कैसे मासूम बना पड़ा है जैसे कुछ पता ही न हो , भाभी की आँखे धधक रही थी और वो गुस्से से काँपती बोली डूब मर जा के कहीं और ख़बरदार मुझे भाभी बोला तोह ।


मैं समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्या हो गया कि सुबह सुबह भाभी मुझे जलील किए जा रहीं है, वैसे शालिनी भाभी शर्मा जी की अर्धांगनी है और उम्र मे बड़ी और मेरे लिए सदा से पूजनीय रही है ।

वो सदा भक्ति और घर के कामों में व्यस्त रहती और मेरी मधु को अपनी सग्गी बहन सा स्नेह और प्यार करती हैं ।

मैं उठ कर एक ग्लास पानी भाभी के लिए लाया और उनकी और हिमंत कर बढ़ाते बोला भाभी ऐसा क्या हो गया जो आप इतनी नाराज़ हो गईं है ,क्या मुझसे कोई भूल हो गईं ।

भाभी गटक कर पानी एक घुट पर पी कर बोली तेरी धर्मपत्नी कहा है ।
जी वो सो रहीं है , 
ओह महारानी दिन चढ़ने तक सोती है और तुम खुद चाय बना पीते हो, कब से चल रहा है ये ।
क्या भाभी क्या चल रहा है आखिर बात क्या है कुछ तोह बताओ ।

शालिनि भाभी गुस्सा करती बेड़रूम की और बढ़ने लगी और मैं बेसुद भूत बन डर से काँपते थरथरा गया और मेरी हलक सुख गई और हिंमत कर के भी कुछ बोल नहीं पाया और भाभी कमरे मे दाखिल होते ही चीख कर बोली हे राम इस पापिन ने के क्या कर डाला ।
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