06-03-2019, 09:34 AM
शादीशुदा दीदी की चुदाई
ब्रा से चूत तक का सफर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest शादीशुदा दीदी की चुदाई ब्रा से चूत तक का सफर
|
06-03-2019, 09:34 AM
शादीशुदा दीदी की चुदाई
ब्रा से चूत तक का सफर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 09:41 AM
(This post was last modified: 19-02-2021, 03:54 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरी बड़ी बहन का नाम मेखला है और वो मुझसे 3 साल बड़ी है. जब मे कॉलेज के दूसरी साल मे था तब मेखला दीदी की शादी हुई थी. और अपनी शादी के बाद मेखला दीदी जीजू के साथ मुंबई शिफ्ट हो गयी क्यू की जीजू का कारोबार वही पर था. मेखला दीदी की शादी के 2 साल ख़तम होने के साथ साथ मेरी इंजिनियरिंग भी ख़तम हो गयी थी और मैं कोई अच्छी कंपनी मे जॉब करने के लिए ट्राइ करने लगा....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 09:43 AM
सो मैने सभी जगह पे मेरा रेज़्यूमे भेज दिया था और कई जगह पे इंटरव्यू भी देने गया था, मुझे एक कंपनी से कॉल आया था मुंबई से इंटरव्यू के लिए. मैं मुंबई गया और फाइनली मुझे एक अच्छी जॉब लग गयी. और मैं मंडे से जाय्न भी कर लिया था. मैं बहूत ही खुश था. मैं ये बात अपनी दीदी को बताया वो बहूत ही खुश हुई. मेखला दीदी: रोहन, तुझे अगर यही पर ही जॉब लगी है तो तू हमारे साथ ही रहने आजा. वैसे यहा मैं और तेरे जीजू ही तो रहते है. और यहा से तेरा ऑफीस भी नज़दीक है तो तुझे कोई प्राब्लम भी नही होगा. मे: नही मेखला दीदी मैं यहा पर आपको और जीजू को कोई परेशानी देना नही चाहता हू. मैं कही और देख लूंगा. वैसे भी मैंने इंटरनेट पे देखा है बात भी किया है कोई फ्लैट्स रहने के लिए ले लूंगा आप चिंता नहीं करो.
मेखला दीदी: अरे पगले लेकिन हमारा भी तो 2 कमरे का फ्लैट है. और रहने बाले हम दो लोग ही है. तो मैं और तेरे जीजू 1 रूम ऑक्युपाइ करते है और दूसरा कमरा करीब करीब खाली ही है तो वो कमरा तू ले लेना. मुझे और तेरे जीजू मे से किसी को कोई परेशानी नही होगी.... जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 09:48 AM
फिर मैं मेखला दीदी की बात मान गया और वापिस कुछ दिन के लिए होम टाउन के लिए निकल गया अपना समान लाने के लिए. वहाँ पहुंचे ही मम्मी और पापा ने मुझे बधाई दी और खूब सारे आशीर्वाद भी मिले न्यू जॉब के लिए.
उसके बाद मैं सनडे अपने घर पे लंच ले कर अपना पॅक किया हुआ समान लेके मुंबई की ट्रैन पकड़ ली. मैं शाम को मुंबई पहुच गया और मुमबई पहुंच ,मैं ने टैक्सी मे अपना समान डाल के सीधा मेखला दीदी के घर पहुच गया. जीजू भी घर पर ही थे सनडे के कारण तो दोनो ने मुझे वेलकम किया तब इधर उधर की बात करने लगा, हम दोनो कुच्छ इधर उधर बातों को ही कर रहे थे. उसके बाद कुच्छ मेहमान आ गये उनके यहा मैने मेखला दीदी को पूछाकी ये कौन है तो वो बताई ये तुम्हारे जीजू के मामा जी और उनकी फॅमिली है, फिर वो लोग उनसे बात करने लगे, मैं वहा जाके सिर्फ़ नमस्ते कहा और फिर वापस आके टी वी पर मूवी देखने लगा, टीवी देखते देखते एक घंटा कब निकल गया कुच्छ पता ही नही चला. एक घंटे के बाद मेखला दीदी ने सडन्ली मेरे रूम का दरवाज़ा खोला और अंदर आ गयी. मैने मेखला दीदी से पुछा... जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 09:51 AM
मे: क्या हुआ मेखला दीदी ?
मेखला दीदी: रोहन प्लीज रूम के बाहर जा थोड़ी देर के लिए. मुझे कपड़े बदलने है. मे: लेकिन मेखला दीदी आपने जो कपड़े पहेने है वो ठीक ही तो है. क्या खराबी है उनमे ? मेखला दीदी : प्लीज बाहर जा.. मुझे कोई कपड़े चेंज नही करने यार… मेरी ब्रा का हुक टूट गया है पीछे से तो मुझे सिर्फ़ मेरी ब्रा निकलनी है ब्लाउस के अंदर से. मेखला दीदी की ऐसी बात सुनके मैं तो हेरान रह गया और चालू एसी मे पसीना आ गया. फिर अपने आप को ठीक करते हुए बोला मे: मेखला दीदी लेकिन आपके रूम मे जाओ ना… नहीं तो बाथरूम मे चली जाओ ,आप मुझे क्यू बाहर निकल रही हो ? मेखला दीदी: तेरे जीजू भी आ गये है और वो नहाने गये है बाथरूम मे और मेरे बेडरूम मे ममाजी सो रहे है तेरे जीजू के और ड्रॉयिंग रूम मे मामी जी और बच्चे खेल रहे है. अब तू प्लीज़ बहस करना बंद कर और बाहर जा थोड़ी देर के लिए.... जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 06:49 PM
.......
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:02 PM
(This post was last modified: 09-07-2019, 11:00 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
फिर मैं आगेबहस किए बिना चुपचाप कमरे के बाहर निकल गया और बाहर आके जीजू के मामाजी के बच्चो के साथ खेलने लगा.
लेकिन दिमाग़ मे से मेखला दीदी ने जो बात बोली वो ही बात मेरे कानो मे गूँज रही थी. और मेरा दिमाग़ मेखला दीदी की ब्रा और उनके बूब्स को इमॅजिन करने लगा था. मैं बहुत परेशान हो गया था क्यू की मेखला दीदी के बारे मे मुझे ऐसा ख़याल या इमॅजिनेशन पहले कभी भी नही हुआ था. लेकिन एक बात है की मेखला दीदी ने आज तक मुजसे ऐसे बात भी नही की थी. ये सब सोच रहा था उतने मे मेखला दीदी मेरा कमरा खोल कर के बाहर आ गई और फिर से किचन की और चली गयी. जब मेखला दीदी किचन मे जा रही थी तब पहली बार मैने मेखला दीदी को लस्टफुल नज़रो से देखा. वास्तव मे उसने अपनी ब्रा उतार दी थी क्योंकि ब्लाउस की अंदर स्ट्रॅप्स के निशान जो पहले दिख रहे थे,अब वो गायब थे. मेखला दीदी को देख ते ही मेरा पप्पू सलामी देने लगा. मे वापिस अपने रूम मे चला गया और डोर क्लोज़ कर दिया. लेकिन डोर क्लोज़ करते ही मैं दंग रह गया नज़ारा देख कर के. मेरी मेखला दीदी की उतरी हुई क्रीम कलर की 34ब साइज़ की ब्रा मेरे बेड पे पड़ी थी. मैं तो देख के ही पागल हो गया और मेखला दीदी की ब्रा को हाथ मे लिया और सोचने लगा की अगर मेखला दीदी की ब्रा इतनी सेक्सी और सुंदर है तो मेखला दीदी के बूब्स कितने मस्त होंगे.... जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:06 PM
(This post was last modified: 09-07-2019, 11:03 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:13 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:14 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:19 PM
और फिर मे मेखला दीदी की ब्रा को अपने हाथ मे मसल के सूंघ ने लगा. वाह क्या फ्लॉरल खुश्बू आ रही थी मेखला दीदी के पर्फ्यूम और बॉडी की. मैं एकदम मस्त होके अपनी आखे बाँध कर के मेखला दीदी को इमॅजिन करते हुए उनके ख़यालो मे खो गया और एक हाथ से अपना लंड मसल रहा था.तभी मेरे गाल पर एक ज़ोर का चाटा पड़ा. जी हा! वो मेरी मेखला दीदी ने ही लगाया. हवस के ख़यालो मे इतना गहरा चला गया था की कब मेखला दीदी रूम के अंदर आई मुझे कुछ पता ही नही चला था. और मैने डोर सिर्फ़ क्लोज़ ही किया था लॉक करना भी मैं भूल गया था...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:21 PM
लेकिन जबरदस्त चाटा पड़ते ही मैं अपने होश मे आ गया और अपना सिर झुका के खड़ा हो गया. मेखला दीदी कुछ नही बोली और मेरे हाथो मे से ब्रा लेकर वो चली गयी और बोला की खाना लग गया है. मैं बहुत घबराता हुआ खाना खाने गया. सब के साथ मैने खाना खाया और वापिस अपने रूम मे आके बैठ गया और सोचने लगा की अगर मेखला दीदी ने जीजू को बोल दिया तो मेरी गांड लाल हो जाएगी. और ये सब सोचते सोचते मैं कब सो गया मुझे कुछ पता ही नही चला....
. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:30 PM
दूसरे दिन मैं जब सुबह मे उठा तब गेस्ट्स भी जा चुके थे और जीजू नाश्ता कर रहे थे. मैं सीधा जीजू और मेखला दीदी को अवॉयड करने के लिए नहाने चला गया और आधे घंटे तक बाथरूम मे ही पड़ा रहा. अचानक मेरी मेखला दीदी ने नॉक किया और बोली के बाथरूम मे ही पड़ा रहेगा या बाहर भी आएगा. फिर मे फटाफट बाहर आया और तैयार हो कर के डाइनिंग टेबल पर गया नाश्ता कर ने के लिए. जीजू तब तक निकल चुके थे अपनी ऑफिस के लिए. मेखला दीदी आई किचन मे से और मुझे ब्रेकफास्ट सर्व किया और वो भी अपनी प्लेट ले कर बैठ गयी ब्रेकफास्ट के लिए. फाइनली मेखला दीदी थोड़ी प्यार भरी नजरो से देखा,...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:42 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:47 PM
मेखला दीदी: रोहन आई ऍम सॉरी.
मे: मेखला दीदी सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए मेरी ऐसी हरकत के लिए. आई ऍम सॉरी मेखला दीदी. अब ऐसा दोबारा नही करूँगा. मेखला दीदी: हां ये ठीक है पर मुझे देख हो रहा है क्यों की मैंने तुम्हे थपड मारा. मे: इट्स ओक मेखला दीदी. थॅंक यू. मेखला दीदी: क्या मैं तुम्हे एक बात पूछ सकती हु अगर तुम्हे प्रॉब्लम ना हो तो? मे: हां मेखला दीदी, प्लीज पूछो क्या बात है? मेखला दीदी: तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है ? मे: पहले थी कॉलेज मैं , अब नही है… मेखला दीदी: तो क्या उसकी ब्रा के साथ भी तू ऐसा करता था ? मे तो दंग रह गया ये मेखला दीदी का दूसरा सवाल सुन के और सोचने लगा की क्या आन्सर दू मेखला दीदी को. मे: नो मेखला दीदी. मेखला दीदी: क्यू ? वो मेरे जैसी सेक्सी ब्रा नही पहनती थी ? या फिर उसके बूब्स मेरे जैसे सेक्सी नही थे ? मैं तो फिर हैरान और शॉक्ड हो गया जैसे अनटार्कटिका मे कोई फ्रीज़ हो जाता है वैसे. फिर थोड़ा होश मे आके मेखला दीदी को उत्तर दिया . मे: मेखला दीदी ये सब आप क्या बोल रही है मेरी कुच्छ समझ नही आता. मेखला दीदी: ठीक है पगले तो फिर मैं समझाती हु तेरे को….... जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 07:52 PM
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मेरी बहन मुझ से ऐसे प्रश्न क्यों पूछ रही है .
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 08:04 PM
(This post was last modified: 07-03-2019, 12:19 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रोहित तो बहुत पहले से ही मेखला की तरफ आकर्षित था लेकिन रिश्तो की मर्यादा ने उसको बांध रखा था | रोहित ने पहले भी मेखला को अपने दिल की बात बताने की सोची, लेकिन किसी न किसी वजह से खुद को पीछे खीच लिया | उसे लगा ये सही समय है मेखला से अपने दिल की बात कहने का | पहले भी मेखला की लेकर उसके मन में काफी भावनावो के ज्वार उठे, कई बार वो रातो को सो भी नहीं पाया, लेकिन सच ये भी है कभी सीधे सीधे मेखला को अप्रोच ही नहीं किया | उसने कभी भी मेखला को चोदने के लिए ईमानदारी से कोशिश भी नहीं करी | खुद पर ही पछता रहा था, इतने साल से मेखला अकेली थी , तब उसने कभी ऐसा सोचा ही नहीं |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-03-2019, 10:32 PM
nice updates
07-03-2019, 12:28 AM
जवानी ने सेक्स की चाह तो सबको होती हैऔर वो तो बस जवानी की दहलीज पर कदम रख ही चुका है
मेखला रोहित के बारे में सोच रही थी ,'' कम से कम अब वो किसी गलत रास्ते पर तो नहीं जायेगा, अपनी वासना की कुंठा मिटाने को किसी लड़की पर हिंसक तो नहीं होगा? उसे सेक्स के बारे में सब पता होना चाहिए और सबसे बड़ी बात उसे कैसे खूबसूरत तरीके से सेक्स एन्जॉय करना है ये पता होना चाहिए | जिनको ठीक से सेक्स करने को नहीं मिलता या सेक्स में तृप्ति नहीं मिलती वो कुंठा का शिकार होकर हिंसक हो जाते है और फिर औरतो से रेप और हिंसा जैसी घटनाये होती है | शादीशुदा लोगो में भी ज्यादातर (एक आध अपवाद तो हर जगह होता है)उन्ही जोड़े के बीच ज्यादा दिक्कते होती है, जिंसकी सेक्स लाइफ बदतर होती है | कभी सेक्स में तृप्त जोड़े को हिंसा गली गलौज या मार पीट करते नहीं देखा होगा | मेरा भाई किसी लड़की या औरत का रेप नहीं करेगा, मै उसे ऐसा करने नहीं दूँगी | उसे सेक्स का भरपूर मजा लेना सिखाऊंगी, ताकि को औरतो और लडकियों को ज्यादा से ज्यादा प्यार कर सके | उसे जो सीखना होगा मै सब उसको सिखाऊंगी | दुनिया भर के विचारो से के आते गुजरते उसकी कब आंख लग गयी पता ही नहीं चलाकि उसका भाई नाश्ता कर के कब चला गया . आसमान में सूरज ढलने की तरफ था, रोहित ने घर के सामने सड़क पर अपनी कर पार्क की और अपना ऑफिस बैग उठाकर चहल कदमी करते हुए घर की तरफ चलने लगा | जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
07-03-2019, 12:38 AM
(This post was last modified: 14-03-2019, 09:29 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उधर मेखला शाम को काफी कुछ सोचते हुए व्यस्त थी .
"कोई बाहरी थोड़े ही है है तो मेरा सगा भाई ही |बहुत दिनों के बाद मेखला ने बाथरूम में काफी टाइम बिताया, उसने अपने पुरे शरीर की वैक्सिंग की, आइब्रो सेट करी, और जांघो के बीच नीचे पूरी तरह से क्लीन सेव किया | उसके बाद उसने अच्छे से मेकअप किया | मेक अप करने के बाद मेखला टीवी ऑन करके सोफे पर पसर गयी | टीवी तो उसने चला दिया था, लेकिन उसके दिमाग से रोहित से हट ही नहीं रहा था | अक्सर वो खिडकियों सड़क पर आते जाते आकर्षक लडको को देखती रहती थी, लेकिन किसी लड़के का जवान होता लंड अपने मुहँ में फील करने का अनुभव बिलकुल अलग था | उसकी याद आते ही मेखला के पुरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया | आखिर अकेली जवान औरत अगर एक जवान होते लड़के को अपना शरीर स्पर्श करने देती है तो इसमे गलत क्या है और अगर गलत है भी तो क्या हुआ उसने कुछ गलत नहीं किया | वो मेरा भी है और उसे पूरा हक़ है मेरे शरीर को स्पर्श करने का | मेखला अभी भी भाई का काल्पनिक लंड अपने मुहँ में महसूस कर रही थी, उसके अन्दर वासना का ज्वार बढ़ने लगता, कैसे भाई की उंगली ने उसके नितम्बो पर से उसका नियंत्रण ख़त्म कर दिया था, उसको अपने ऊपर नीचे उठते गिरते कुल्हे याद आ रहे थे | इतनी संतुष्टि के बाद भी एक बात उसको हैरान कर रही थी की उसके अन्दर कामवासना की लहरे जोरो से हिलोरे मार रही थी शायद उसकी काम वासना को तृप्त करने की बजाय रोहित की कल्पना ने और बढ़ा दिया था , अब उसे और ज्यादा चाहिए था | उसे पता था कि वो ये नहीं कर सकती, आज नहीं तो कल अगर किसी को पता चल गया तो ये बहुत खतरनाक होगा | यही सब सोचते सोचते वह सोफे पर पसरी थी | तभी अचानक उसके घर के पिछले दरवाजे की डोर बेल बजी | इससे पहले वो कुछ गेस करती, उसके कानो में रोहित की आवाज पड़ी | जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
|
« Next Oldest | Next Newest »
|