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Adultery पत्नी एक्सचेंज
#21
hi bro...
aapki thread read ki to bahut maza aaya par apse ek baat kahonga ki itni clear hindi words ka use ne kuch logo ki liye thread ko kamuk or adhiktar logo ke liye ye hindi words ko samjhna kafi problem wala tha
mai apse bas itna kahna chahunga ki aapne sanjay ki bibi laxmi ko chudwa bhi diya wo bhi badi masumiyat ke sath...

bro.. story me asleel words use karte to is thread par itne comment aate or rats bhi ki aap apne aap par garv mahsus karke.. par kya kare lagta hai aapne hindi me PHD ki hai ya aap kisi Bramhad jati ke hai....
lage raho par jara ye dekho ki jis lakshya ko lekar hum thread write karte hai us par readers ko interest bhi to hona chahiye...

khair ye sab chhodo .... last me itna kahoonga ki bus kuch readers ka pani jaroor nikalwa diya last me....
thanks bro..
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#22
kya mast kahani likhte ho bhai aise hi pure hindi me likha karo acha lagta hai ek kahani devar bhabhi ke pyar ke upar bhi likho
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#23
Yaar kya likhte ho marvels
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#24
Namaskar Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#25
https://i.ibb.co/jGWrWxb/Ec-Ag-Gk-Wo-AI7-Phq-vbbrtt.jpg
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#26
Aage update krte rho..
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#27
मुझे लगता है कहानी पूर्ण हो चुकी है। कहानी बहुत बढ़िया रही। अगर इसके कुछ और अंश बचे हुए है तो कृपया जल्दी से पोस्ट कीजिये।
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#28
(05-08-2020, 02:43 PM)neerathemall Wrote:
अब आप ही बताइये मैं क्या उत्तर दूं?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#29
https://i.pinimg.com/originals/21/7b/81/...f9976b.jpg
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#30
आप बेझिझक कहानी समाप्त हुई कह कर पाठकों को नए थ्रेड पर आने को कह कर नई कहानी की तरफ बढ़ जाए करें।
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#31
(18-08-2020, 12:58 AM)bhavna Wrote: आप बेझिझक कहानी समाप्त हुई कह कर पाठकों को नए थ्रेड पर  आने को कह कर नई कहानी की तरफ बढ़ जाए करें।

clps wow yourock 









[Image: 469225622f8e6bf561b55e8ce84f6808.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#32
Bahut shandar !!!?? Shabdon ki garima banaye rakhi . 
Yahi asli ka mukta he , shirf ashlil shabd prayog karne se ka mukta nahi aati ...
Ek baar fir badhai sweekar karo ..Sir apne isi andaz me likhte raho ..Bheed me alag nazar aaoge
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#33
वाइफ एक्सचेंज - एक घिनौनी प्रथा


हमारी आधुनिक संस्कृति में सम्पन्न समझे जाने वाले तबकों में 'वाइफ एक्सचेंज' की प्रथा बहुत ही तेजी से पनपती जा रही है। यह प्रथा धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय लोगों में भी पनपने लगी है। भारतीय समाज के लिए यह पनपती प्रथा जहां चिंताजनक बात है, वहीं दूसरी ओर इससे स्वस्थ समाज बड़ी तेजी से अस्वस्थता के गड्ढ़े में भी गिरता जा रहा है।

काम अर्थात् सेक्स प्राणी मात्र के लिये एक प्राकृतिक उपहार है। इसके बिना नवीन सृजन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। पति-पत्नी के मध्य प्रचलित काम भाव को ही शास्त्रों में स्वच्छ भाव बताया गया है परन्तु जब यही भाव पति-पत्नी की लक्ष्मण रेखा को पार करके पुरूष-स्त्री तक बढ़ जाया करता है तो उसे 'अवैध संबंध' की संज्ञा दी जाती है।

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#34
भारतीय समाज के मध्य एक ऐसा ही समाज है जो शारीरिक अवैध संबंध को मात्र क्रीड़ा (खेल) मानकर खेलते रहते हैं। उनके अनुसार कोई भी स्त्री-पुरूष किसी के साथ भी स्वच्छंदता पूर्वक अपने दैहिक भूख को शांत करके अपने अनुसार जीवन को बिताने के लिए स्वतंत्र होते हैं। इस विचार को मानने वाला वर्ग अपनी पत्नी को मित्र के पास शैय्यासंगिनी बनने के लिए बेहिचक भेज रहा है।

हाल ही में एक ऐसी ही घटना का उद्भेदन हुआ है जिससे यह पता चला कि आज के समय में एक पुरूष अपनी पत्नी को दूसरे पुरूष के पास स्वेच्छा से भेजता है तथा प्रथम पुरूष की पत्नी दूसरे पुरूष के पास स्वेच्छा से रात बिताने आती रहती है। एक ऐसा वर्ग जो समाज में सम्पन्न माना जाता है, की पत्नियां अपने पति के मित्रों की बांहों में हर रात बिताने को आतुर रहती हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#35
यह प्रथा भले ही हमारे समाज के लिए घिनौनी प्रथा हो किंतु यह सत्य है कि इस प्रथा को अपनाने वाले युवक युवतियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है। इस चलन को अपनाने वाली मृदुला सिन्हा का कथन है कि जिस प्रकार एक सब्जी को रोज खाते रहने से एक दिन ऐसा भी आता है कि उसका नाम सुनते ही भूख मिट जाती है, उसी प्रकार एक पति की अंकशायिनी बनकर रहने से जीवन नीरस हो जाता है। जीवन को सरस बनाये रखने के लिए 'वाइफ एक्सचेंज' तथा 'हसबैण्ड एक्सचेंज' कोई बुरी प्रथा नहीं है। फिर हम लोग दिन में तो अपने अपने घरों में ही रहा करते हैं।

अगर शारीरिक संबंध तक ही पति-पत्नी का संबंध रहता तो विवाह' जैसी पवित्र संस्था का औचित्य ही क्या था? एक युवक की एक युवती के साथ विवाह मात्र शारीरिक संबंध बनाये रखने तक ही सीमित नहीं होता बल्कि सुख-दुख के साथ जीवन की गति को स्वच्छ प्रक्रियाओं द्वारा आगे बढ़ाते रहने के लिए भी विवाह की आवश्यकता होती है। अगर ऐसी बात न हो तो पशु तथा मनुष्य में अन्तर ही क्या रह जाएगा?

सिर्फ क्षणिक दैहिक सुख की प्राप्ति की अभिलाषा में अपनी प्रथाओं, सभ्यताओं का त्याग कर देना क्या घृणित कदम नहीं है? अगर यह कदम घृणित नहीं माना जाता तो समाज में 'विवाह' जैसे पवित्र शब्द का आविष्कार ही नहीं होता। पाश्चात्य देशों की नकल करने वालों को यह सोचना चाहिए कि उन देशों में भी यह प्रथा आम नहीं है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#36
अत्याधुनिका कहलाने वाली नवब्याहता श्रीमती प्रथा रंजन कहती हैं कि पुरूष अनेक स्त्रियों से शारीरिक संबंध बनाकर भी पवित्र ही माना जाता है किंतु स्त्री अपवित्र हो जाती है। 'अपवित्र' शब्द पुरूषों ने अपने स्वार्थ के लिए ही बनाया है। पुरूष वीर्य की चन्द बूंदों से अगर स्त्री अपवित्र हो जाती है, तो पुरूष 'योनिरस' को ग्रहण कर अपवित्र क्यों नहीं होते?

आज का युवा वर्ग 'विवाह-बंधन' के पवित्र संबंध का अर्थ कुछ भी लगाये, परन्तु यह शत-प्रतिशत सत्य है कि भारतीय समाज में 'एक्सचेंज' (अदला--बदली) प्रथा को कभी भी प्रश्रय नहीं दिया जा सकता। इस घिनौनी प्रथा में मस्त रहने वाले पुरूष-स्त्री स्वयं तो अनेक प्रकार के यौन रोगों से ग्रसित रहते ही हैं, साथ ही समाज को भी अस्वस्थ बना डालते हैं।

'वाइफ एक्सचेंज' प्रथा किसी सभ्य व्यक्ति द्वारा बनायी गई विकसित प्रथा नहीं है बल्कि यह एक ऐसी घिनौनी प्रथा है जो महिलाओं का दैहिक एवं भावनात्मक शोषण-दोहन करने के लिए पुरूषों द्वारा बनायी गयी है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#37
- आनन्द कुमार अनन्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#38
[Image: images?q=tbn:ANd9GcRCyGT2yrWpPwATlpY72Sa...bsm6axJ6&s]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
[Image: wifeswap.jpg?itok=NQLVUmQQ]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#40
उत्तरप्रदेश से एक हैरतअंगेज घटनाक्रम के तहत वाइफ स्वैपिंग (पत्नी की अदला-बदली) का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। इसको लेकर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह पूर्व ही घटनाक्रम उत्तरप्रदेश के कानपुर के चकेरी इलाके का है। कानपूर के चकेरी इलाके में एक महिला ने अपने पति के विरुद्ध केस दर्ज कराते हुए इस हैरतअंगेज घटनाक्रम मामले का खुलासा किया है।

 
पुलिस ने अपनी महत्वपूर्ण जानकारी में बताया है कि इस पीड़ित महिला का पति उसे राजधानी दिल्ली में ले जाकर अपने ही दोस्त की गर्लफ्रेंड के साथ एक्सचेंज करता था। पुलिस ने आगे दोहराया है कि अभी हाल फिलहाल पीड़ित महिला का आरोपी पति पुलिस कि गिरफ्त से दूर है तथा उसकी सघनता से खोजबीन जारी है। इस दौरान पीड़ित महिला ने पुलिस को अपनी आपबीती जानकारी में बताया है कि छह माह पूर्व ही उसका पति उसे लेकर फुफेरे भाई के पास राजधानी दिल्ली लेकर गया।
यहां पर शराब के नशे में पति ने भाई के साथ सोने को बोला व खुद भाई की गर्लफ्रेंड के पास चला गया। इसके बाद उसका यह क्रम चलता ही रहा फिर एक बार उसने उत्तरप्रदेश के कानपूर में अपने ही मित्र की पत्नी के साथ एक्सचेंज की बात दोहराई। उस समय पीड़ित महिला प्रेग्नेंट थी। उसने अपने पति को इस कार्य के लिए मना कर दिया। मना करने पर उसके पति ने उसे बुरी तरह से मारा व पीटा जिसके कारण महिला के पेट में मौजूद बच्चे की भी मौत हो गई। इस घटना के बाद डॉक्टर ने पीड़ित महिला का चेकअप करने के बाद कहा की वह अब कभी भी माँ नही बन सकती है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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