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Adultery शर्मिली भाभी
#21
Mast.... Please update more and regular....please update
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#22
ok.......................thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#23
welcome
(25-06-2020, 07:34 PM)Rohan0064 Wrote: Join the conversation on Hangouts: https://hangouts.google.com/group/VbNpzwdkomyFsPZT6
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#24
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#25
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
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#28
(23-06-2020, 02:22 PM)Suryahot123 Wrote: Mast.... Please update more and regular....please update

(26-06-2020, 11:04 AM)neerathemall Wrote: welcome

(05-08-2020, 01:45 AM)Seetaram meena Wrote: Copy paste

yes this story apeard on xb.

and 
it was most famous and erotic
story


thanks

thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#29
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#30
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
(05-08-2020, 12:17 PM)neerathemall Wrote:
yes this story apeard on xb.

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full credit goes to original writer  
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#32
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
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[Image: 33.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#35
अब उसने अपना ब्लाउस भी नीचे गीरा दिया और वो केवल लहंगे और ब्रा में मेरे ठीक सामने खड़ी थी। मेंरा ऎसा मन हुआ की अभी उसके कमरे में जा कर उसको चोद डालूं। ब्लाउस नीचे गीरा देने के बाद उसने t.v. देखते हुए अपना हाथ अपने लहंगे के नाडे पर रखा और धीरे से नाड़ा खोल कर उसे छोड़ दिया उसका लहंगा अपने आप नीचे गीर गया । अब एक अनिद्द सुंदरी मेरे सामने केवल पेन्टी और ब्रा में खड़ी थी और मैं उसे देखने के अलावा कुछ भी कर पाने की स्थीति में नही था। मैंने अपने लंड़ को जोर से दबा लिया । केले के पत्तों की तरह चिकनी जांघ और कमर में फ़ंसी गुलाबी पेन्टी उसकी खुबसूरती को और बढा रहे थे।चूंकी वो खिड़की के काफ़ी करीब खड़ी इसलिये मुझे सब साफ़ साफ़ दिखई दे रहा था। उसकी गुलाबी पेन्टी से उसकी चूत का उभार साफ़ साफ़ दिखई दे रहा था। अब क्लाईमेक्स शुरु होने वाला था, उसने अपने हाथों से अपनी ब्रा की पट्टी को कंधो से नीचे गीरा दिया और इधर मेंरे दिल की धड़्कन तेज होने लगी। अब उसने अपनी ब्रा को हाथों से घुमाते हुए उसके पिछले हिस्से आगे कर लिया याने ब्रा के हुक सामने आ गये इस्के कारण अब वो लगभग नंगी हो चुकी थी उसके विशाल तने हुए स्तन मेंरी नजरों के सामने झूल रहे थे और मेंरी जवानी को ललकार रहे थे। अब उसने अपने ब्रा के हुक को खोला और अपनी छातीयों ब्रा के बंधन से अजाद कर दिया। अब वो मेंरे सामने जवानी के रस से भरपूर अपनी गदराइ हुई छातीयों को खोले हुए नंगी खड़ी थी।

मैं बदहवास हो अपनी इस नग्न सुंदरी को देख रहा था, अब मैं खुद को रोक पाने में असमर्थ था, मेंरे लण्ड़ के लिये अब पेन्ट के अन्दर रहना अस्मर्थ हो गया था वो अपने संपूर्ण रुप में आ चुका था और उसे पेन्ट के अन्दर संभाल पाना मेरे लिये सम्भव नहीं था। मैं थोड़ा पिछे हटा और अपने पेन्ट को खोल कर निकाल फ़ेंका अब मेरा लण्ड़ काफ़ी आजाद मह्सूस कर रहा था,मैने देखा वो अपने आप झटके मार रहा था और कामवासना की अधीकता के कारण मेंरा पूरा शरीर गरम हो चुका था और मेंरे पैर थरथरा रहे थे। छत पर किसी के आने का कोई खतरा नही था इसलिये मै पूरी तरह से नंगा हो गया, अब मैंने अपना लंड़ अपने हाथो मे जोर से पकड़ लिया और मै फ़िर से रश्मी के नंगे जिस्म को देखने के लिये कूलर के छेद में आंख गड़ाकर बैठ़ गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#36
कमरे के अंदर का दृष्य अब और भी उत्तेजक हो चुका था,मैने देखा कि रश्मी अब वापस पलंग की तरफ़ जा रही है अपने नाईट गाउन को पहनने के लिये और वो पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,इतनी देर में उसने अपनी पेन्टी भी उतार फ़ेंकी थी। उसकी पूरी तरह से अनावृत निर्वस्त्र बड़ी बड़ी भरपूर गोलाईयों वाली मांसल गांड़ चलते समय बड़े मोहक अंदाज मे हील रही थी। मै कुछ क्षण के लिये उसकी उत्तेजक गांड़ की अंतहीन दरार में खो गया।अब मेंरा हाथ धीरे धीरे अपने लंड़ पर आगे पीछे सरकने लगा और मैं रश्मी के नंगे जिस्म को देखते हुए मुठ्ठ मारने लगा। तभी अचानक उसके कमरे में फ़ोन बज उठा, फ़ोन की घंटी सुन कर उसके बढते कदम रुक गए और वो वहीं ठिठक कर खड़ी हो गई। शायद वो ये अंदाज लगाने की कोशीश कर रही थी इस वक्त किस्का फ़ोन हो सकता है। कहीं गाउन पहनने के चक्कर में फ़ोन बंद न हो जाय ये सोच कर तुरंत पलटी और उसके पलटते ही मेरे पूरे शरीर में हजारों वाट का करंट दौड़ गया, कितनी खूबसूरत नंगी थी मेंरी रश्मी भाभी। वो उसी तरह नंगी ही दौड़ते हुए t.v. की तरफ़ दौड़ी,फ़ोन वहीं रखा था उसके उपर। भाभी जब नंगी दौड़ कर फ़ोन की तरफ़ आ रही थी तो उसके दोनो वक्ष बुरी तरह से उछल रहे थे और एक दूसरे से टकरा रहे थे,ऎसा दृष्य को देख कर मेंरे मन में हाहाकार मच गया और मैं उत्तेजना के अत्यधिक आवेश में कूलर को ही अपने आगोश में लेकर उसे चुमने लगा।अंदर नंगी भाभी और बाहर उसका नंगा देवर दिवाना। दोनों ही अपने अपने कारणॊ से अधूरे और प्यासे थे। देवर तो पहले से ही पागल हो चुका था और रश्मी की बुर चोदने के लिये तड़फ़ रहा था, और रश्मी उसे अभी और थोड़ी चिंगारी और वज्रपात की जरुरत थी अपने ही देवर के साथ अवैध संबंध बनाने के लिये।

औरत दो ही कारणों से अपनी लक्षमण रेखा को लांघती है पहला यदी पति इस लायक है तो वो उसे बचाने के लिये अपने घर की दहलीज लांघ कर यम के दरबार से भी अपने पति के प्राण वापस ले आती है और दूसरा यदि वो नालायक है और उसके मनोभावों को नहीं समझता तब वो इस दिवार को लांघ कर लाती है अपना यार और फ़िर शुरु होता है पति-पत्नी और "वो" का अंतहीन सिलसिला । रश्मी के लिये राज अभी तक दूसरे दर्जे वाला ही पति ही साबित हुआ था । उसकी शादी जरुर हुई थी और उसे एक बड़े घर की बहू होने का पूरा सम्मान भी मिला था अपने ससुराल से और समाज से लेकिन पति के जिस प्यार के लिये स्त्री यम से भी लड़ने का साहस जुटा लेती है उसका एक अंश भी राज उसे नहीं दे पाया था और न ही उसके पास इसके लिये समय था और न उसकी इतनी समझ थी। पति की इस बेरुखी से उपजे खालीपन ने रश्मी को शर्मिली से गूंगी भी बना दिया था। तुषार ने रश्मी के इस खालीपन को पकड़ लिया था और इसीलिये इस गदराइ हसीना की बुर चोदने के लिये पागल था।

रश्मी नंगी फ़ोन के पास आ कर खड़ी हो गई, मेंरी नजर उसकी चूत पर गई, आहहहह क्या रसीली चूत पाई थी मेंरी जान ने । पूरे जतन से रखती थी वो उसे, पूरी तरह से क्लीन शेव चूत थी उसकी । मुझे उसकी खुबसूरत चूत की दरार साफ़ दिखाई दे रही थी। उसकी चूत की दोनों फ़ांके उभार लिये हुए थी और उसके उपर का हिस्सा भी अपने उभार के के कारण दूर से ही साफ़ दिखई दे रहा था, उसे देखकर मैं अपने होठों पर जीभ घुमाने लगा और उसकी मादक चूत का स्वाद महसूस करने का प्रयास करने लगा। मेंरा बदन तो अब भट्टी की तरह तप चुका था, काम के आवेश में मैं अब तेजी से अपने लण्ड़ को हिलाने लगा। मेंरे अपने घर में ही मेंरे लण्ड़ के लिये इतना सुंदर खिलौना मौजूद था और फ़िर भी मै उससे खेल नहीं पा रहा था, मुझे अपने दुर्भाग्य पर बड़ा ही क्रोध आ रहा था।

उसने फ़ोन उठाया और बोला हेल्लो| सामने राज था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#37
राज- हेल्लो, रश्मी मैने फ़ोन तुम्हें ये बताने के लिये किया था कि मै रविवार को घर आऊंगा और फ़िर सोमवार को शाम को वापस चला जाऊंगा ट्रेनिंग के लिये। मैने तुम्हें परेशान तो नहीं किया न, तुम सो तो नही गई थी रश्मी?

रश्मी- नही, बस सोने ही वाली थी। चेंज कर रही थी ।

राज - अच्छा अच्छा, सारी तुम्हें डिस्टर्ब किया। बाय, लेकिन कल मां को जरूर बता देना। रखता हूं गुड़ नाईट।

और फ़िर उसने बिना रश्मी की बात सुने ही फ़ोन रख दिया। वो कुछ क्षण फ़ोन को घूरते रही फ़िर उसने उसे जोर से पटक दिया और वापस पलंग की तरफ़ जाने लगी। उसकी गांड़ फ़िर से उछलने लगी अब मै भी अपने क्लाईमेक्स में पहुंच चुका था, उसने अपना गाऊन उठा लिया और पहनने लगी, मेंरा दिल किया कि मैं यही से चिल्ला कर कह दूं, जाने मन कपड़े मत पहनों तुम नंगी बहुत अच्छी लगती हो, मै तुझे सदा नंगी ही देखना चाहता हूं। लेकिन उसने अपना गाऊन पहन लिया। अब मेंरा मूड़ खराब हो गया। अगर मुझे कोई रश्मी को आशिर्वाद देने को कहता तो मै उसे एक ही आशिर्वाद देता "सदा नंगी रहो"।

गाऊन पहनने के बाद वो पलंग पर लेट गई और कोई किताब पढ़ने लगी पढ़ते समय वो अपने पैर इधर उध्रर हिला रही थी जिसके कारण उसका गाऊन घूटनॊं तक उपर उठ़ गया। उसकी चिकनी टांगो पर नजर गड़ाए मै मुठ्ठ मारने लगा और थोड़ी ही देर में मेंरे लण्ड़ ने उल्टी कर दी और पोकने लगा। मैने बड़ी राहत महसूस की। मैने अपना पेन्ट पहना और छत की सीढ़ीयों से सावधानी से निचे उतरा क्योंकि उसके मात्र दो कदमों की दूरी पर रश्मी के कमरे का दरवाजा था।

मैने देखा उसके कमरे के दरवाजे से प्रकाश की एक पतली रेखा बाहर आ रही थी। याने वो अंदर से बंद नही था। मै आहिस्ता आहिस्ता चलते हुए उसके दरवाजे के पास पहुंचा और उसके दरवाजे की दरार से अन्दर झांकने की कोशीश करने लगा। दरार से उसका पलंग दिखाई दे रहा था,चूकि दरवाजा हल्का सा खुला था इसलिये मुझे उसकी कमर तक का हिस्सा ही दिख रहा था। मैने देखा उसने अपनी दाहिना पांव सीधा रखा है और बांया मोड़ कर रखा है जिसके कारण उसका गाऊन उसकी जांघ तक चढ़ गया था और मुझे उसकी दाहिनी जांघ अंदर तक साफ़ दिखाई दे रही थी। कुछ क्षण उसे देखने के बाद मै तेजी से उसके दरवाजे से हटा और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया।

कमरे में जाने के बाद मैने भी अपना ड्रेस बदला और लुंगी पहन ली तथा उपर केवल बनियान ही पहने रहा। भाभी के नंगे जिस्म की खुमारी अभी भी मेंरे दिमाग में थी। हांलाकि मैं झड़ चुका था लेकिन फ़िर भी काफ़ी देर तक रश्मी भाभी के नंगे जिस्म को देखने के कारण मेंरे शरीर में पैदा गर्मी ने मुझे काफ़ी शीथिल बना दिया था, और मै काफ़ी थका मह्सूस कर रहा था, इसलिये मैं बाथ्ररुम गया और अच्छी तरह से अपने हाथ-पैर और चेहरा पानी से साफ़ किया और सर को थोड़ा पानी मारा, अब मै काफ़ी ताजगी मह्सूस कर रहा था, बाहर आ कर अपना बदन पोंछते हुए मै फ़िर रश्मी के गदाराए नंगे बदन के बारे में सोचने लगा। पूरी तरह से फ़्रेश होने के बाद मै अपने पलंग मे जा कर सो गया और सोने का प्रयास करने लगा, नींद मेंरी आंखो से ओझल हो चुकी थी । बार बार भाभी का नंगा जिस्म मुझे नींद से दूर ले आता, मैने बेचैनी में अपना पहलू बदलते हुए एक मेग्जिन उठा कर पढ़्ने का प्रयास करने लगा। लेकिन मैं उसकी एक लाईन पढ़ पाने में असमर्थ था, भाभी के नंगे बदन ने मेंरे दिमाग को कुंद बना कर रख दिया था।

मैं बेचैनी में कुछ पहलु बदलने के बाद पलंग से उठ खड़ा हुआ, अपने शर्ट के पास गया और उसकी जेब से सिगरेट निकाल कर और उसे सुलगा ली, अब मै कमरे मेंचहक कदमी करते हुए सिगरेट पीने लगा और भाभी के बारे में सोचने लगा। छत से अपने कमरे में आए मुझे अब दो घंटे से भी ज्यादा बीत चुके थे।

मेंरे कमरे में सिगरेट का धुंआ भरने से मुझे कमरे में घुटन होने लगी तो मैने कमरे का दरवाजा खोल दिया और अपने रुम से बाहर आ कर गैलेरी में चल कदमी करने लगा। तभी मेंरी नजर भाभी के कमरे की तरफ़ गई उसके कमरे से अभी तक लाईट बाहर आ रही थी। याने वो अभी तक खुला हुआ था। मैं सोचने लगा क्या वो अभी तक किताब पढ़ रही है? मेंरी सिगरेट भी खतम हो चुकी थी सो मैंने उसे बुझाया और उसे फ़ेंकने के लिये छत की तरफ़ ही चला गया।

भाभी के दरवाजे के पास से मैंने अपनी सिगरेट छत पर फ़ेंक दी और दरवाजे की दरार से अंदर झांककर देखा। अन्दर का नजारा काफ़ी रोमांचित करने वाला था। भाभी गहरी नींद में सोई हुई थी और किताब आधी उसके सीने पर और आधी उसके चेहरे पर पड़ी थी।उसका चेहरा दाए तरफ़ मुड़ा हुआ था, और उसका बांया हाथ पलंग के बाहर लटक रहा था और उसका बांया पांव भी लटक कर जमीन पर पड़ा था, उसका गाऊन जांघ से भी थोड़ा उपर उठ़ गया था।

मेंरा लंड़ फ़िर से खड़ा होने लगा। मैने दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया वो चररररर की अवाज के साथ थोड़ा खुल गया,दरवाजे में अवाज होने के कारण मैं थोड़ा घबरा गया और झट से वहां हट गया। कुछ देर तक मैं वैसे ही दिवार से चिपक कर खड़ा रहा लेकिन मैने देखा दरवाजा उसी तरह से खुला पड़ा है। यानी भाभी उसी तरह से सोई पड़ी है गहरी नींद में।

अब मै फ़िर दरवाजे के सामने खड़ा हो गया और इस बार कुछ हिम्मत के साथ मै दरवाजे को धक्का मार कर पूरा खोल दिया और वहीं खड़ा रहा। भाभी उसी तरह से पड़ी रही उस पर कोई असर नही हुआ लेकिन फ़िर भी मैं निश्चिंत हो जाना चाहता था इसलिये मैने फ़िर से दरवाजे को बंद किया वो फ़िर से अवाज करते हुए बंद हो गया। लेकिन वो सोई पडी रही । ऎसा मैने चार पांच बार किया लेकिन वो तनिक भी नहीं हीली। अब मुझे यकीन हो गया की वो गहरी नीद में है।

मैं उसके कमरे के अंदर गया और धीरे से बोला भाभी , लेकिन वो उसी तरह से पड़ी रही,ऎसा मैने दो तीन बार किया लेकिन वो पूर्ववत सोई रही। अब मैने उसके लाईट और पंखे को भी तीन चार बार बंद चालू करके देखलीया लेकिन उसकी नींद मे कोई खलल नहीं हुआ और बेसुध हो कर सोती रही।

अपनी स्वप्न सुंदरी को अपने सामने इस प्रकार अर्धनग्न अवस्था में बेसुध हो कर सोते देख मैं फ़िर से कामवासना के दलदल में ड़ूब गया। मेंरा लण्ड़ बुरी तरह से खड़ा हो गया था। मैं उसे छूने के लिये बेचैन हो गया। मैंने अपने कदम पलंग की तरफ़ बढ़ाये। अब मैं उसके एकदम करीब आ कर खड़ा हो गया। अब मैने अपना मुंह निचेझुकाते हुए उसके मुंह के एक्दम करीब ले गया और धीरे से बोला भाभी ........ उठो , लेकिन वो सोई पड़ी रही।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#38
मेंरी रश्मी मेंरे एक्दम सामने पड़ी थी उसे देखकर मुझे अपने अंदर एक लावा बहता हुआ मह्सूस हुआ। मेंरी नजर उसकी छातीयों पर पड़ी उसने ब्रा नहीं पहना था लेकिन फ़िर भी उसके कसाव में कोई कमी नही आई थी,वो लटके हुए नहीं थे पूरी तरह से तने हुए थे और उसकी सांसो के साथ पूरी तरह से ताल मिलाते हुए बड़े आकर्षक अंदाज में हील रहे थे।मेंरा मन किया कि उसे मसल ड़ालूं और उसका रस चूसने लग जाऊं।लेकिन मैंने सब्र से काम लेना ठीक समझा। अब मैंने उसके लटके हुए हाथ की कलाईयों को हौले से अपनी उंगलियों की गिरफ़्त में लिया और उसको आहिस्ता से उपर की तरफ़ उठाया। थोड़ा सा उपर उठाने के बाद उसके चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई रही। अब मैने उसके हाथ को छोड़ दिया अब वो झटके से नीचे आ गिरे, ऎसा २-३ बार करने के बाद भी जब वो नहीं हिली तो मैं समझ गया कि वो मुर्दों से शर्त लगा कर सोई है।अब मैं काफ़ी बेखौफ़ हो गया और मैंने भाभी के पंजो को धीरे से अपने हाथों पकड़ लिया और धीरे धीरे प्यार से उसको सहलाने लगा। कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद मैने रश्मी को सहलाने का दायरा बढ़ा लिया और अब मैं धीरे धीरे उसके बांए हाथ को कंधे तक सहलाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#39
c Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#40
[Image: Tante-Bugil-Pamer-Memek-Jembut-Lebat-1-c.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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