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Komal ji Very sexi Writing
Guddi or aap ki sexi masti kya kahne
Bahut maja aa raha hai guddi k sath khub Enjoy kro
Agle Update ka intzar rahega
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03-07-2020, 02:19 PM
(This post was last modified: 10-09-2021, 04:38 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कार्ड
असल में गुड्डी के लिए मेरी भी तो यही प्लानिंग थी ,
हचक हचक कर ,कुतिया की तरह ,
जैसे कातिक में देसी कुतीया गरमाती है न और खुद कुत्ते ढूंढ ढूंढ कर ,
बस वैसे ही फरक सिर्फ ये होगा की वो कुतिया तो सिर्फ महीने गरमाती है और ये ,... बारहो महीने ,
तीसो दिन ,चौबीसो घंटे गरमाई रहेगी।
बात बदलने में तो उनका कोई मुकाबला नहीं ,बोले ,चल गुड्डी अब कार्ड शुरू करते हैं।
" एकदम भैय्या। " भैय्या की बहिनी बोलीं।
( मुझे दिए गए कार्ड के बारे में ११ लेक्चर वो भूल चुकी थी और मैं भी बीती ताहि भुलाई दे कर के बस अब इसकी कच्ची जवानी के मजे ले रही थी )
पत्ते फेंट दिए , बाँट दिए गए।
मुझे लगा ,गुड्डी को मैं आसानी से हरा दूंगी लेकिन वो बित्ते भर की छोरी गजब का मुकाबला कर रही थी
( बाद में उसने राज खोला , खेलती तो वो भी थी ,बचपन से पिकनिक में ,अपनी सहेलियों के साथ लेकिन सिर्फ उसे लगता था की उसके भैय्या को नहीं पसंद है इसलिए इनके सामने बस यही दिखाती थी की वो भी ,... )
ताश से ज्यादा जो मैंने मम्मी से सीखा था ताश में बेईमानी , बिना बेईमानी के कहीं ताश का खेल होता है क्या , ख़ास तौर पर जब सामने एक जवान होती ननद हो और दांव पर उसके गदराये किशोर जोबन हों ,
फिर थोड़ी तांक झाँक , थोड़ी इशारे बाजी इनके साथ और हम दोनों ने मिल के उसे हरा दिया।
शर्त बहुत छोटी सी लगाई उन्होंने
गुड्डी को मैं ब्लाइंडफोल्ड कर दूँगी और फिर हम दोनों उसे छुएंगे , बस उसे बताना था ,भैय्या या भाभी और कहाँ छुआ। सिर्फ दस मिनट।
वही ब्लाइंडफोल्ड जो बेडरूम गेम्स में मैं इनके साथ इस्तेमाल करती थी , एकदम से नहीं दिखाई देता।
गुड्डी ने चुपचाप बंधवा लिया।
और शुरुआत भी मैंने किया , उसके चम्पई चिकने गालों पर अपनी ऊँगली की टिप बस छुला के हटा ली। एकदम मक्खन।
और गोरे इतने की लगता था हाथ लगाओ तो कही मैली न हो जाय।
फुलझड़ी हंसी ,बोली , भाभी ,गाल।
और मेरी देखा देखी उन्होंने भी उसके गाल छू दिए।
गुड्डी का चेहरा के पल के लिए ब्लश किया , खूब जोर से फिर हलके से बोली ,
" भइया ,गाल। "
नाजुकी उसके लब की क्या कहिये
पंखुड़ी एक गुलाब की सी है।
मेरी नदीदी निगाहें उसके थरथराते सनील से होंठों को सहला रही थीं , छु रही थीं।
बस मन कर रहा था , चुपके से एक चुम्मी चुरा लूँ।
या डाल दूँ डाका उन होंठों पे जो बस क्या कहूं , एकदम चाशनी से भरे ,
मिल गये थे एक बार उस के जो मेरे लब से लब
उम्र भर होंटो पे अपने हम ज़बान फेरा किए.
पहले तो मैंने हलके से अपनी लम्बी ऊँगली का जस्ट टिप उस किशोरी के होंठों पे ,
और जब तक उस के लबों से बोल निकले ,
' भाभी , होंठ '
लब थरथरा रहे थे लेकिन होंठों ने बात कर ली।
आखिर मेरे होंठों ने डाका डाल ही दिया गुड्डी के होंठों पे।
पहले हलके से लबों ने एक दूसरे को छुआ , दुआ सलाम हुयी ,हाल चाल पूछा और फिर
में अपनी असलियत पर आ गयी।
गुड्डी के नए जवान हुए होंठ , गुड्डी के निचले होंठों को दबोच कर मैंने खूब रस चूसा उसका और फिर दोनों होंठों का ,
लेकिन वो अपनी पारी का वेट कर रहे थे और उनकी निगाहें उस शोला बदन के गोरे संदली गोल कन्धों से सरकती हुयी , सीधे खुले खुले
पहाड़ियों और उन के बीच की घाटी तक।
और उन्होंने उस नाजनीन के कंधे को छू लिया।
मैंने भी उसके लबों को आजाद कर दिया।
" भैय्या ,कन्धा " आजाद लबों ने अपने पुराने यार को छुअन को पहचाना।
दूसरे कंधे को मैंने चूम लिया , उस शोख पर डाका तो हम दोनों डाल रहे थे ,हक़ हम दोनों का बराबर का था।
" भाभी , कन्धा , ... " वो चिड़िया चहचहाई।
हम दोनों के छूने का असर किसी भी नशे से ज्यादा हो रहा था। मैंने उस सारंग नयनी की आँखों में देखा , और आँखों ने उस के मन का राज कह दिया ,
उन आंखों की हालत कुछ ऐसी है,
जैसे उठे मैकदे से कोई चूर होकर।
और आज तक कोई ननद अपनी भाभी से दिल का राज छुपा पायी है क्या ,
और मेरी उंगलियां सीधे गुड्डी के छोटे छोटे पहाड़ों पर ,ऊँगली ने पहले हलके हलके उन के चक्कर काटे ,फिर सीधे टिप के ठीक पहले
और बोलते बोलते वो अटक गयी ,
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03-07-2020, 02:26 PM
(This post was last modified: 10-09-2021, 04:55 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
और मेरी उंगलियां सीधे गुड्डी के छोटे छोटे पहाड़ों पर ,ऊँगली ने पहले हलके हलके उन के चक्कर काटे ,फिर सीधे टिप के ठीक पहले
और बोलते बोलते वो अटक गयी ,
" भाभी , भाभी वो ,... "
हया का परदा जबरदस्त था , और वही तो मुझे हटाना था।
" बोल न ,खुल के,... " उस के कानों में मैं फुसफुसाई और साथ में खुद को उस के इयर लोब्स के चुम्मे का इनाम दे दिया।
उस का पूरा जिस्म लरज गया , बहुत हिम्मत कर के बोली वो किशोरी ,
" भाभी ,सी ,... सीना। "
" ये क्या सीना पिरोना लगा रखा है क्या सिखाया था तुझे , अभी तेरे दो घंटे पूरे नहीं हुए हैं , पूरे ५५ मिनट बाकी है ,सजा मालुम है न "
मेरी निगाहें एक दम बेरहम हो गयीं।
और उस के चेहरे पर डर का कोहरा छा गया ,
" भाभी ,चू, चू ,... " हिम्मत कर के उस के मुँह से अल्फाज निकलने की कोशिश कर रहे थे।
" अरे क्या चिड़िया की तरह चूं चूं कर रही है ,साफ़ साफ़ अगर बोलना चाहती है तो चूँची बोल न " खिलखिलाते हुए मैं बोल पड़ी ,
और साथ साथ वो शंर्मिली भी खिलखिलाने लगी।
जैसे बच्चो को ऊँगली पकड़ के चलना सिखाना पड़ता है ,न बस एकदम वैसे ही जवान होती ननदों की हालत होती है ,
खिलखिलाते हुए उस के मुंह से निकल ही गया ,
" भाभी , चूँची। "
अब वो भी मैदान में आ गए , और बोल उठे ,
" गुड्डी फिर से बोल मैंने नहीं सुना। "
अब मुर्गा भी कुकुड़ू कुं करने लगा था ,और वैसे भी इनका मुर्गा पूरी तरह अकड़ा था।
" नहीं गुड्डी मत बोल ,पहले ये छुएंगे फिर ,... " खिलखिलाते हुए मैंने गुड्डी को मना किया ,
लेकिन वो अपने भैय्या की होने वाली रखैल उसके मुंह से निकल ही गया
" भैय्या ,चूँची। "
तबतक टॉप और ब्रा सरका के मैंने ननद के जोबन तीन चौथाई से भी ज्यादा उघाड़ कर उन्हें परस दिए।
गुड्डी के निप्स , एकदम खड़े कड़क टनटनाये , इस बात की गवाही दे रहे थे की स्साली कित्ता मस्त हो रही है।
उनकी उंगलिया उसे छूने पकड़ने के लिए आगे बढ़ीं तो मैंने सर हिला के उन्हें मना कर दिया और अपने होंठों पर ऊँगली रख के इशारा किया ,
" होंठों से उसके निप्स टच करो "
गुड्डी की आँखों पर तो ब्लाइंडफोल्ड था लेकिन सुन तो सकती थी वो इसलिए ,
हिम्मत कर के उसके भैय्या ने हलके हलके ,धीमे धीमे अपने होंठ ,अपनी छुटकी जवान होती बहिनिया के निप्स तक बढाए ,
पर
पर
पर घंटी घनघना उठी।
एक दो बार नहीं लगातार ,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
और उन्होंने खुद गुड्डी का ब्लाइंडफोल्ड खोल दिया और माफ़ी के अंदाज में उससे वो बोले ,
" मैं भी न एकदम बेवकूफ हूँ , वो स्साला गांडू वर्मा होगा , मैंने उसे तीन बजे के लिए बोल रखा था ,लेकिन बस अभी गया अभी आया। "
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कोमल जी बहुत शानदार अपडेट दिया है
धन्यवाद आप को
सावन के पहले सोमवार की बहुत सुभकामनाएँ
ऐसे ही कामुख लेखन की रसिक हूँ,अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी
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06-07-2020, 03:15 PM
(This post was last modified: 06-07-2020, 03:31 PM by m8cool9. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
an another amazing update
waiting for next update
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कोमल जी ,
मजा आ गया ......
रस भी ....... :-)
आपकी निहारिका
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भाभी अपडेट कब दोगी
बहुत बेचेनी हो रही है गुड्डी ओर आप उफ़्फ़ कब बेड पर मस्ती करोगी
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कोमल जी सुभ प्रभात
अगले अपडेट की प्रतीक्षा है
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(08-07-2020, 07:35 PM)@Raviraaj Wrote: भाभी अपडेट कब दोगी
बहुत बेचेनी हो रही है गुड्डी ओर आप उफ़्फ़ कब बेड पर मस्ती करोगी
(14-07-2020, 08:34 AM)@Kusum_Soni Wrote: कोमल जी सुभ प्रभात
अगले अपडेट की प्रतीक्षा है
मोहे रंग दे का अपडेट आज दे दिया है , प्लीज पढ़कर कमेंट जरूर करें , और फिर आज या कल यहाँ भी मिलेगा
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कोमल जी केसी है
कुसुम जी,निहारिका जी सब बढ़िया होंगी ऐसी उम्मीद करती हूं !!
बहुत बढ़िया लिख रही है बस कहानी की गति बनाये रखना
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सावन स्पेशल तड़का मारो ना भाभी
साजन के साथ रात की मस्तियाँ
उफ़्फ़ आप कहाँ हो इस सावन में दे दो ना जोरदार अपडेट
भैया ओर आप की मीठी मस्ती वाला
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06-08-2020, 08:29 PM
(This post was last modified: 18-08-2020, 01:46 AM by Black Horse. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Komaal ji, pure sawan mein ek hi update, or usmein raksha bandhan bhi nikal di, ab entzaar ka meetha phal milna chahiye,
Phal ki pratiksha mein
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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वाह क्या बात है। आपकी लेखनी में तो जादू है, ऐसा लगता सबकुछ सामने घटित हो रहा । चलचित्र की तरह।??
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(06-08-2019, 09:33 AM)@komaalrani wow i love the way you are talking abt bedTea (morning golden shower) aur paseene wala to bahut he zabardast main real mein apni mother in law ke used blouse n panties soonghta hu bahut mast strong paseene ki smell aati hai... Main bhi unki कांख soonghna aur chaatna chahta hu... .i love to sniff dirty used panties bras specialy jab 5-6 din se pehni hui ho.... Intoxicating aroma (mixture of sweat pee n pussy discharge) I\m crazy for kinky nasty rought n dirty stuff komaalrani Wrote: गोरी गोरी कांख
और जब मम्मी की काँखों की ओर उन्होंने हाथ बढ़ाया तो एक बार फिर डांट पड़ गयी ,
" अरे उसी हाथ से नीडल वर्क कर रहे हो और उसी हाथ से , ... कपडे पर पसीने का दाग नहीं पड़ जाएगा। "
वो मेरा मतलब समझ रहे थे ,दिल से चाहते भी वही थे लेकिन मम्मी की एक बार उन्होंने देखा बस मम्मी की मुस्कराहट से उन्हें ग्रीन सिग्नल मिल गया।
आँचल अभी भी गिरा हुआ था , हलके प्याजी ब्लाउज से मम्मी के गोरे गदराये भारी भारी जोबन छलक रहे थे।
बस उनके होंठ सीधे मम्मी की दूधिया काँखों के बीच, पहले तो उन्होंने उस चुहचुहाते पसीने की बूँद को हलके से चूम लिया और जब उन्हें मम्मी की ओर से कोई प्रतिरोध नहीं मिला तो बस , ...
वो पागल नहीं हुए।
पहले तो हलके हलके फिर तेजी से कभी वो किस करते तो कभी लिक करते , उनकी जीभ पसीने से भरी कांख के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ,
एक नशीली तीखी मतवाली गंध मम्मी की गोरी मांसल काँखों से निकल रही थी। और जैसे चुम्बक की तरह उन्हें वहां खींच रही थी।
मम्मी ने अपना हाथ उनके सर के ऊपर रख कर ,काँख समेट ली और अब उनकी सर ,मम्मी की कांख के बीच फंसा ,दबा स्मूदरड ,लेकिन उन्हें बहुत अछ्छा लगा रहा था। सडप सडप की आवाज पूरी जीभ निकाल के वो ,
और उसके साथ साथ, ...
मम्मी का स्लीवलेस ब्लाउज सिर्फ बहुत ज्यादा लो कट ही नहीं था,साइड से भी वो डीप कट था यानी अब उन्हें बगल से मम्मी के खुले उरोजों की पूरी झलक ही नहीं स्पर्श भी मिल रहा था। स्पर्श ही नहीं स्वाद भी ,
और असर नीचे हुआ उसका , उनका खूँटा आलमोस्ट उछल कर उस लुंगी बनी साड़ी से बाहर आ गया।
मम्मी ने भी जैसे अनजाने में उसपर अपना हाथ रख दिया ,और हलके हलके ,....
धीरे धीरे दबाने मसलने लगीं।
और ये सब जैसे अनजाने में हो रहा हो ,मम्मी का ध्यान अभी भी उनके निडल वर्क को चेक करने में ही लगा था।
लेकिन मालुम उन्हें भी था , मम्मी को भी और मुझे भी ,... कुछ भी अनजाने में नहीं हो रहा है।
अचानक फोन की घंटी बजी और मैं फोन उठाने चली गयी।
सोफी थी ,वही ब्यूटी पार्लर वाली जादूगरनी ,जिसने इन्हें अपनी क्षत्रछाया में ले लिया था और जिसे मम्मी ने ढेर सारे काम पकड़ाए थे इनके 'सुधार' के लिए।
कुछ देर उसने काम की बातें की ,कुछ देर गप्पे , और जब मैं फिर सास दामाद की ओर मुड़ी तो गर्मी काफी बढ़ चुकी थी।
निडल वर्क का कपडा सरक कर कब का पलंग के कोने में जा पड़ा था।
जुलाई की उमस भरी गर्मी तो थी ही ,ऊपर से पावर कट।
मम्मी को थोड़ा पसीना आता भी ज्यादा था। पसीने से उनका पतले कपडे का ब्लाउज एकदम उनके उभारों से चिपक गया था। और वैसे भी वो बहुत ज्यादा झलकउवा था , 'सब कुछ ' दिख रहा था।
गोरे गोरे गुदाज मांसल उभार ,एकदम ब्लाउज से चिपके, मम्मी की शियर पारदर्शी लेसी हाफ कप स्किन कलर की ब्रा कुछ भी छिपा ढँक नहीं पा रही थी।
न सिर्फ उनके इंच भर के कड़े मस्त निपल साफ़ साफ दिख रहे थे ,बल्कि चारो ओर का ब्राउन गोल गोल अरियोला भी खुल के झलक रहा था।
और इसी एक झलक के लिए तो वो कब से बेचैन थे।
और इस गर्मी में एक अलग तरह की गर्मी 'उन्हें ' बेचैन कर रही थी ,
फिर देह गंध ,पसीने की , रूप के नशे की ,...
उनके होंठ कांख से सरक कर बूब्स के खुले साइड के हिस्से पे आ चुके थे, कभी जीभ से वो मम्मी की गोरी गोरी चूंची की साइड पे वो फ्लिक करते तो कभी चाट लेते।
मम्मी ने उनका एक हाथ पकड़ के जैसे सहारे के लिए अपने दूसरे बूब्स के ऊपर रख दिया था
और अपने इरादे को एकदम साफ़ करने के लिए उनकी हथेली को सीधे अपने निपल के ऊपर रख कर खुल के दबा भी रही थीं।
हिम्मत पा कर के उनकी नदीदी उँगलियाँ ,मम्मी के खूब गहरे लो कट ब्लाउज के झरोखे से ,
क्लीवेज को अब खुल के छू रही थीं।
लेकिन सिर्फ वही नहीं ,मम्मी भी अब खुले खेल पे आगयी थीं।
उनका बोनर ,पगलाया ,बौराया मम्मी की साडी बनी लुंगी से बाहर आ चुका था और अब मम्मी की मुट्ठी में कैद था
एक झटके में मम्मी ने कस के मुठियाया और उनका मोटा मांसल सुपाड़ा बाहर।
खूँटा मम्मी की पकड़ से बाहर निकल आया लेकिन मम्मी का हमला अब सीधा और तेज हो गया था।
मम्मी ने अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उनके सुपाड़े को जोर से दबोच रखा था और उसे रगड़ मसल रही थीं।
कुछ देर बाद उनका बड़ा शार्प नाख़ून सीधे उनके बॉल्स से शुरू हो के ,कड़े तने मांसल खूंटे के निचले भाग को रगड़ता खरोंचता सीधे पेशाब के छेद तक
और अब साथ में ,टिपिकल मम्मी उवाच ,
" बहन के भंडुए खूँटा तो खूब मस्त खड़ा किया है।
देख बहुत जल्द जाएगा ये तेरी माँ के भोंसडे में,
हचक हचक के चोदना उसके भोंसडे को ,
अरे बहुत रस है उस के भोंसडे में , बोल बहनचोद मन कर रहा है न माँ के भोंसडे को चोदने का , ... "
उन का मुंह तो मम्मी की पसीने से भीगी कांख और साइड से खुले बूब्स के बीच फंसा ,दबा था ,
लेकिन जो उनके मुंह से आवाजें निकली तो उसे सिर्फ हामी ही कहा जा सकता है।
वैसे भी मम्मी के सामने हामी के अलावा वो कुछ सोच भी नहीं सकते थे।
और अब मम्मी खुल के उनके तन्नाए लन्ड को मुठिया रही थीं। और साथ में ,
" अरे घबड़ा मत ,जल्द ही जिस भोंसडे से निकला है न उसी में घुसड़वाउंगी।
और अपने सामने। हचक के पेलना दोनों चूंची पकड़ के। बहुत मजा आएगा ,कोई ना नुकुर नहीं समझे मादरचोद। अरे मादरचोद होने का मजा ही अलग है ,मेरे मुन्ने को सब मजा दिलवाऊंगी ,बहन का माँ का। "
मम्मी का दूसरा हाथ भी खाली नहीं बैठा था , वो उनके खुले सीने पे उनके निपल के चारो ओर ,उनकी तर्जनी हलके हलके सहलाते बहुत प्यार से धीरे धीरे जैसे नयी लौंडिया को पटाने के लिए उसके नए आये अंकुर के चारो ओर हलके सहलाये, बस उसी तरह ,.... और अचानक जोर से मम्मी ने उनके निपल को स्क्रैच कर दिया।
ये बात मुझे भी मालुम थी और मम्मी को भी कि ,उनके निपल किसी नयी जवान होती लौंडिया से कम सेंसिटिव नहीं है।
दूसरा हाथ जो मुठिया रहा था जोर जोर से ,
एक बार फिर खूंटे को खुला छोड़ के नीचे बॉल्स पे ,हलके से सहलाते सहलाते उन्हें उसे जोर से दबा दिया और एक बार फिर नाख़ून फिर बॉल्स के पीछे पिछवाड़े के छेद तक स्क्रैच कर रहा था और वापस वहां से खूँटा जहाँ बॉल्स से मिलता है , उस जगह को पहले खूब जोर से दबाया और फिर लंबे शार्प नाख़ून से लन्ड के बेस से लेकर सुपाड़े तक स्क्रैच करते ,
" बोल चोदेगा न अपनी माँ को ,इसी मस्त लन्ड से उसके भोंसडे को , बोल ,बोल चढ़ेगा न उसके ऊपर , चोदेगा न अपनी माँ के भोसड़े को "
और अबकी साफ़ साफ़ जवाब सुनने के लिए मम्मी ने उनके सर को आजाद कर दिया अपनी कांख और उभारों के बीच से ,
और खुल के बोला भी उन्होंने ,
" हाँ मम्मी चोदूँगा। "
लेकिन मम्मी के लिए इतना काफी नहीं था। जब तक अपने दामाद से अपनी समधन के लिए खुल के वो गाली न सुन ले ,
" अरे मुन्ने खुल के बोल न ,किस के भोंसडे को चोदेगा,बोल साफ़ साफ़। "
मम्मी ने जोर से उनके खूंटे को दबाते पूछा।
और मेरे कान को विश्वास नहीं हुआ ,उन्होंने एकदम खुल के बोला लेकिन उनकी आवाज कुछ कुछ घंटी में दब गयी।
बेल दुबारा बजी।
" मंजू बाई होगी ,आज दोपहर से वो काम पे आने वाली थी। "
बिजली भी आगयी , पंखा फिर से चलने लगा।
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Komal ji Update please...
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कोमल जी अपडेट दे
कहानी क्यों रुकी हुई है
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