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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
banana दीदी और बीवी की अदला बदली banana  























Heart Heart Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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रा नाम राजू है। मैं 28 वर्ष का हूँ और यह कहानी मेरे और मेरी पत्नी और मेरी दीदी सुनीता और जीजा की है। दीदी मुझ से 5 वर्ष बड़ी है, यानी कि 33 साल की। दीदी के प्रति मेरी कोई गलत ख्याल नहीं थे। एक दिन जीजाजी हमारे घर आए आए थे, उन्होंने मेरी पत्नी को देखा और उस पर लट्टू हो गए, जीजा ने मुझसे कहा यार तेरी बीवी तो मस्त माल है। मैंने कहा क्या जीजा आप यह क्या बोल रहे है। जीजा ने कहा हां यार देख उसकी चूची कितनी बड़ी बड़ी है और गांड बहुत कितनी मस्त है, इसको चोदने में बहुत मजा आएगा, सच में यार एक बार अपनी बीवी को मुझसे चुदवा दे, तो मैंने कहा कि यह नहीं हो सकता है। मुझे लगा जीजा मजाक कर रहे है, लेकिन जीजा सीरियस थे। यार तू मुझे अपनी बीवी को चोदने दे और तुम मेरी बीवी को चोद ले। मैंने कहा क्या जीजा वह तो मेरी दीदी है। क्या हुआ तुम्हारी दीदी है तो उसके पास भी तो चूचियां और चूत है और लगभग दोनों एक ही कद काठी के है। अच्छा यह बता तेरी बीवी कितने नंबर की ब्रा पहनती है। मैंने कहा 34, तेरी दीदी 36 की पहनती है थोड़ा सा ही अंतर है और चड्डी बता मैंने कहा 32 की तो वो बोले कि देख तेरी दीदी 34 की पहनती है। देख दोनों में कोई अंतर नहीं है दोनों एक ही बॉडी की है, तुम मेरी बीवी को चोद ले, मैं तेरी बीवी को चोद लेता हूं। सोच कर बताना, मैं तो तैयार हूं और तू अगर तैयार होगा तो मैं प्लान बनाऊंगा और नए साल पर तू अपनी दीदी को चोद लेना, मैं तेरी बीवी को चोद लूंगा, सोच कर बताना। जीजा फिर अंदर वाले कमरे में चले गए और शाम हो गई और जीजा अपने घर चले गए।


फिर दूसरे दिन उन्होंने दोपहर में मुझे फोन किया और पूछा बोलो राजू क्या सोचा है, मैंने कहा जीजा मैं भी अपने दीदी को चोदना चाहता हूँ, लेकिन यह कैसे होगा? मुझे भी दीदी की चूचियां और गांड बहुत मस्त लगती है और जब से आप ने कहा है तब से मैं दीदी के बारे में सोच कर पूरी रात मुठ मारता रहा। जीजा ने कहा कि तू बिल्कुल चिंता मत कर, मैं ऐसा प्लान बनाऊंगा जिससे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। मेरे पास एक जबरदस्त प्लान है, जिससे हमारी बीवी को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों का काम भी हो जाएगा। मैंने कहा ठीक है। फिर उन्होंने कहा तुम 30 तारीख को अपनी बीवी के साथ शाम तक मेरे घर आ जाना प्लानिंग होगी साथ में घूमने जाना है, नए साल के मौके पर। 31 तारीख को हम दोनों अपनी अपनी बीवियों को लेकर घुमाने ले जाएंगे और 1 तारीख को मेरे दोस्तों ने पार्टी दी है, हम उस पार्टी में जाएंगे। प्लान के मुताबिक उसी रात को बीवियों की अदला बदली हो जाएगी, मैं तुम्हारी दीदी से कह दूंगा रात को दरवाजा खुला रखें पूरी नंगी होकर सोये रहना। तुम भी अपनी बीवी से यही बात बोल देना। पार्टी से आते वक्त हम दोनों अपने अपने कपड़े एक दूसरे से बदल लेंगे और फिर 3 तीन तीन राउंड पेला जाएगा और फिर अपने अपने रूम में आ जाएंगे हम लोग, मैंने कहा ठीक है जीजा। अच्छा यह बताओ मेरी दीदी के निप्पल का रंग कैसा है तो उन्होंने कहा भूरे है और उनकी बुर कैसी है? यार बुर की क्या कहें एकदम पाव रोटी की तरह फूली हुई है, तुम्हारी बहन की बहुत गरम बुर है। मैंने कहा यह बताओ दीदी गांड मरवाना पसंद करती है कि नहीं, जीजा ने कहा हां यार गांड मरवाने की बहुत बड़ी शौकीन है, मैं रोज दो बार उसके बुर में पेलता हूं और एक बार उसकी गांड मारता हूं और लंड चूसने की भी शौकीन है, बस यह समझ ले बेटा तेरी दीदी एक नंबर की रांड है, गजब चुदवाती है। मैं तो धन्य हो गया तेरी दीदी को पाकर, इसी चुदाई के चक्कर में अभी तक मैंने बच्चे पैदा नहीं किये, बच्चे पैदा हो जाएंगे तो बच्चों में व्यस्त हो जाएगी और मैं चुदाई का मजा नहीं ले पाऊंगा, मैंने कहा ठीक है जीजू मैं आ जाऊंगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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फिर 30 तारीख शाम को मैं जीजू के घर पहुंच गया। दूसरे दिन यानी कि 31 तारीख को हम दिन भर घूमे पिक्चर देखा शाम को खाना खाकर सो गए। फिर 1 तारीख को प्लान के मुताबिक अदला-बदली करनी थी। जीजू ने मुझे दीदी के तौर-तरीके भी बता दिए और मुझसे भी पूछा और मैंने भी उन्हें सब कुछ बता दिया कि कैसे मेरी बीवी चुदवाती है। बस एक ही प्रॉब्लम थी, अगर वह बातचीत करना चाहेगी तो क्या करेंगे, तो जीजू ने कहा उनके मुंह पर उंगली रख देना। वह समझ जाएगी मैंने कहा ठीक है। अब प्लान को प्रूफ करना था। हम लोग शाम को पार्टी के लिए निकले और पार्टी में शराब पी और खाना खाकर करीब 11:00 बजे हम लोग घर आए, प्लान के मुताबिक गेट का दरवाजा जीजू ने खोला उन दोनों के कमरे का दरवाजा खुला था और लाइट बंद थी। मैंने मोबाइल के टार्च से देखा दीदी पूरी तरह से नंगी सोई हुई थी, मैंने झट से सारे कपड़े उतारे और खूंटी पर टांग दिया और बेड पर दीदी के ऊपर लेट गया। मेरा लंड उसकी गांड पर रगड़ने लगा तो वो बोलने को हुई तभी मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया फिर भी इतना तो बोली कि आज तो लगता है बहुत मूड में हो और मैं गांड मे लंड डालने लगा, वह बोली आज पहले गांड मारना है क्या? मैंने फिर उसे चुप कराया फिर मैंने उसे सीधा लिटा दिया और उसके बुर को चाटने लगा उसके बुर के नमकीन पानी से मदहोश हो रहा था।
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दोस्तों जीजा ने जैसा बताया था दीदी की बुर बिल्कुल उसी की तरह फूली हुई थी। दीदी समझ चुकी थी कि उसे बोलना नहीं है और चुपचाप अपने बुर को चटवाती रही, वह कसमसा रही थी। मैं समझ गया दीदी बुर में लौड़ा लेना चाहती है। मैंने भी आव देखा न ताव दीदी के बुर पर अपना लौड़ा लगाया और एक जोरदार झटका मारा मेरा मोटा काला लोड़ा सनसनाता हुआ दीदी के बुर में आधा चला गया। दीदी चीख उठी कुछ बोलने को हुई लेकिन नहीं बोली, उसने सोचा शायद मुझे बुरा लगेगा। फिर मैंने अपना लौड़ा दीदी के बुर से निकाला और इस बार मैंने दुगुनी ताकत से दीदी के बुर में लौड़ा पेल दिया इस बार तो दीदी एकदम बुरी तरह से चीख उठी थी। मेरा काला 8 इंच का लोड़ा दीदी की हालत खराब कर रहा था। मैं अब जोर जोर से दीदी को पेलने लगा और दोनों हाथों से उसकी चुचीयों को मसलते हुये पेले जा रहा था। दीदी की बुर बुरी तरह से पनिया गई थी। चुदाई से पच पच पच पच की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी, जीजा ने सही कहा था दीदी एकदम गरम माल है।
फिर करीब 10 धक्के लगाने के बाद दीदी का पानी निकल गया और वो थोड़ी सुस्त हुई थी, लेकिन मेरा लौड़ा अभी भी टाईट था। मैंने बुर से लंड निकाला और दीदी के मुहं मे डाल दिया, दीदी मेरे लोड़े को चूसने लगी। दीदी पुरा का पुरा 8 इंच लोड़ा अपने मुंह में ले रही थी। मेरी बीवी तो मुश्किल से आधा लंड मुहं मे ले पाती है। दीदी ने मेरा पूरा मुंह में ले लिया था। थोड़ी देर में फिर से मैं उसके चूत में दोबारा लौड़ा डालने लगा, दीदी अहहह अहहह करके मेरे लंड को अपने बुर के गहराई मे ले रही थी। फिर करीब आधे घंटे के बाद मेरा पानी निकला और मैंने अपना लंड उसके मुंह में दोबारा दे दिया, थोड़ी देर में लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने दीदी को घोड़ी बना दिया। दीदी के कमरे में अंधेरा जरूर था हल्की रोशनी रोशनदान से आ रही थी। दीदी की भारी भरकम गांड को सहलाते हुए मैंने उनके गांड के छेद में एक उंगली डाल दी तो वो थोड़ा सा कसमसाई लेकिन कुछ बोली नहीं, मेरा हौसला बढ़ रहा था और एक बार मेरा पानी निकलने के बाद दूसरी बार मेरा लंड और भी फूल गया था। मैंने दीदी के गांड के छेद पर थोड़ा सा थूक लगाया और अपने लंड पर भी थूक लगाया और दीदी के गांड में डालने लगा। दीदी की गांड बहुत टाइट थी। जीजा बोल रहे थे कि दीदी की गांड रोज मारते है, लेकिन दीदी के गांड के छेद से ऐसा लग रहा था कि दीदी की गांड अभी सील पैक है।
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अब मैं अपने लंड के टोपे को दीदी के गांड में डाल रहा था। दीदी की कमर को पकड़कर मैंने दीदी के गांड में एक जोरदार झटका मारा तो मेरे लंड का आगे का हिस्सा दीदी के गांड में जाकर अटक गया। फिर मैंने लंड को निकाला और इस बार ज्यादा थूक लगाया और अपने लंड पर और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड दीदी की गांड को चीरता हुआ उनके गांड में समाता जा रहा था। दीदी सिहर-सिहर कर मेरे 9 इंच के लंड को अपने गांड में ले रही थी। फिर दूसरी बार के झटके में मैंने अपना पूरा लंड दीदी के गांड में पेल दिया। दीदी थोड़ा ऐठ गई थी और मैं समझ गया था कि जीजा का लंड छोटा होगा और मेरा हथियार बड़ा है, हालांकि जीजा ने बताया था 8 इंच का है तो मैं समझ गया कि थोड़ा सा मेरा मोटा और बड़ा है, इसलिए दीदी शायद मेरे लंड को पहचान नहीं पाई थी। अब मैं दीदी की गांड में अपने को चोद रहा था और दीदी चीख चीख कर मेरा लंड ले रही थी। वाकई दीदी के गांड बहुत जबरदस्त थी। मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था और लगातार 15 मिनट दीदी के गांड में भूचाल के बाद मैंने लंड निकाला और दीदी के मुंह में पेल दिया, दीदी मेरा लंड लेकर चूसने लगी और फिर मुझे इशारा किया .
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फिर मैंने उसको बेड पर घोड़ी बनाया और खुद बेड के नीचे आ गया। इस बार मैं सोच रहा था कि खड़े-खड़े दीदी की गांड मारूंगा। फिर नीचे आकर खड़े खड़े दीदी के गांड में अपना लौड़ा पेला और 10 मिनट के जबरदस्त दीदी की गांड मारने के बाद अपना पानी दीदी के गांड में ही छोड़ दिया। अभी मुझे हल्की सी सुस्ती आई थी और इस बीच दीदी दो बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने दीदी के मुंह में अपना लौड़ा दे दिया ताकी तीसरे राउंड के लिए मेरा लंड तैयार हो सके। फिर करीब 5 मिनट दीदी ने मेरा लंड चूसा और मेरा लंड और भी विशाल हो गया। इस बार मैंने सोचा दीदी की बुर और गांड दोनों मारूंगा और करीब आधे घंटे और फिर बाहर निकलूंगा और मैंने वही किया। इस बार दीदी का दाहिना पैर अपने कंधे पर रखकर मैंने दीदी के बुर में अपना लंड पेला और जबरदस्त चुदाई कर रहा था। दीदी की चूची को पकड़ कर मसल रहा था। करीब 10 मिनट दीदी के बुर मे पेलने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और दीदी के गांड में डाल दिया। दीदी का दाहिना पैर मेरे कंधे पर होने के कारण दीदी के गांड का छेद थोड़ा सिकुड़ गया था। इससे मेरा लंड और भी टाईट जा रहा था। दीदी आई मां उई मां की आवाज निकालती हुई मेरे काले मोटे लंड को अपनी गांड में ले रही थी और जबरदस्त चुदाई चल रही थी। दीदी की बुर की खुशबू पूरे कमरे में फैल रही थी और बारी-बारी से मैं कभी दीदी की गांड मारता तो कभी
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दीदी बेड पर एकदम बिलकुल सुस्त पड़ी हुई थी। दीदी का आज मैंने बुरा हाल कर दिया था, दीदी को सुस्त पड़ा देख मौका देखकर मैं कमरे के बाहर आया, में बिल्कुल टाईम पर था, जीजा बाहर ही खड़े थे, मैंने पूछा कब आए तो बोले बस अभी आ रहा हूं जा अपने कमरे में और मुझे अपने कमरे जाने दे और जीजा अपने कमरे में चले गए और मैं अपनी बीवी के पास चला आया, मैंने देखा मेरी बीवी बेड पर नीढाल होकर सोई हुई थी। मैं समझ गया जीजा ने मेरी बीवी की जबरदस्त चुदाई की है और मैं भी पानी पीकर बेड पर लेट गया। थोड़ी देर में ही मुझे नींद आ गई और मैं सो गया सुबह जीजा से मुलाकात हुई उन्होंने पूछा क्यों साले साहब कैसी रही? मैंने कहा जबरदस्त, आप अपना बताओ जीजा ने कहा यार तेरी बीवी जबरदस्त माल है। मैंने कहा वह तो है आपकी बीवी भी कम नहीं है, जीजा मुझे तो जन्नत का मजा मिला, आई लव यू जीजा जो आपने मुझे मेरी दीदी को चोदने का मौका दिया। उन्होंने भी मुझे थैंक्स कहा मैंने कहा जीजा फिर कब ऐसा मौका मिलेगा जीजा ने कहा देखते है जब मौका मिलेगा तब यह काम किया जाएगा। मैं अपनी बीवी को लेकर शाम को अपने घर आ गया .
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सगे भैया ने मुझे भाभी समझ चौदा 
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yyyमेरे अमर भैया की नई नई शादी हुई थी। दोस्तों मेरी भाभी बहुत खूबसूरत औरत थी। जिस दिन भैया की सुहागरात होनी थी उस दिन वो भाभी के हुस्न पर पूरी तरह से पागल थे। उन्होंने सारी रात भाभी की चूत मारी थी। धीरे धीरे मेरे भैया भाभी के पीछे पूरी तरह से पागल हो गये है और सारा दिन कमरे में ही घुसे रहते है और भाभी की मस्त मस्त चूत चोदा करते थे। जैसे ही रात हो जाती थी मैं चुपके से बड़े भैया के दरवाजे पर चली जाती थी और लॉक वाले छेद से मैं सारी चुदाई देख लिया करती थी। धीरे धीरे मुझे भैया भाभी की चुदाई देखने का नशा सा हो गया। रोज रात में मैं भैया के कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो जाती और अंदर का सारा चुदाई वाला सीन देख लिया करती थी।
दोस्तों धीरे धीरे मेरा भी चुदने का और मोटा लंड खाने का दिल करने लगा। पर मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नही था। इसलिए मैं अपनी वासना और काम की हवस को शांत करने के लिए खुद ही अपनी चूत में अपनी ऊँगली, मूली और बैगन डाल लिया करती थी और चूत को फेट लिया करती थी। पर मुझे वो असली वाला मजा नही मिल रहा था। मुझे असली लंड खाने का बड़ा दिल कर रहा था। मैं भाभी की तरह चुदना चाहती थी। और भरपूर मजा लेना चाहती थी।
एक शाम भाभी मार्केट गयी हुई थी। मैं उनके कमरे में थी और अपनी एक साड़ी ढूढ़ रही थी। मेरी भाभी मेरी साड़ी में फाल लगा रही थी इसलिए मैं वही साड़ी लेने आई थी। इत्तेफाक से मैंने भी उस दिन शौक शौंक में साड़ी पहन रखी थी। तभी लाईट चली गयी। उसी समय भैया आ गये और मुझे कमर से पकड़ लिया और प्यार करने लगे। मेरे भैया सोच रहे थे की मैं उनकी बीबी हूँ। वो मुझे किस करने लगे।
“जान…आओ जल्दी से चूत दे दो। आज बजार में एक बड़ी सुंदर लड़की को देख लिया। बस उसे देखते ही मेरा मूड खराब हो गया। मेरा लौड़ा खडा हो गया है अब मुझे बस तुम्हारी रसीली चूत मारनी है!!” मेरे भैया बोले। उधर मेरा भी लंड खाने का मन कर रहा था इसलिए मैंने कोई आवाज नही निकाली। वरना अमर भैया मुझे पहचान जाते और मुझे नही चोदते। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी साड़ी निकालने लगे। लाईट चली गयी थी इसलिए कमरे में अँधेरा था। भैया मुझे भाभी समझ रहे थे। कुछ देर में उन्होंने मेरी साड़ी निकाल दी और फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं बिलकुल चुप थी और कोई आवाज नही कर रही थी। फिर मेरे भैया ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरे रसीले होठ चूसने लगे। मैं पिछले कई महीने से भैया को भाभी का गेम बजाते हुए देख रही थी इसलिए मैं भी उनका मोटा लंड खाने के लिए तडप रही थी।
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दोस्तों मेरे अमर भैया बहुत ही स्मार्ट और खूबसूरत थे। वो मर्दाना जिस्म के मालिक थे और उसकी मस्त बॉडी बनी हुई थी। उनका लंड तो ९” लम्बा था और बहुत मोटा और रसीला लौड़ा था मेरे भाई का। कमरे में अँधेरा था और वो मुझे भाभी समझ कर मेरे सेक्सी होठ पी रहे थे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अमर भैया मेरे उपर आ गये और मेरे दूध को अपने हाथ से दबाने लगे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया मेरे खूबसूरत मम्मो को जोर जोर से अपने हाथो से दबा रहे थे और फुल मजा ले रहे थे। मेरे मम्मे बहुत ही खूबसूरत थे। बिलकुल सफ़ेद सफ़ेद और गोरे रंग के थे। अमर भैया जान ही नही पाए की वो अपनी बीबी को नहीं बल्कि अपनी बहन के दूध को दबा रहे है। मुझे भी खूब मजा मिल रहा था। फिर अमर भैया मुंह लगाकर मेरे नशीले दूध को पीने लगे और मजा मारने लगे। मैं आप लोगो को बता नही सकती हूँ की मुझे कितना मजा मिल रहा था। आज पहली बार मैं किसी मर्द को अपने मस्त मस्त दूध पिला रही थी। मैं भी जवानी के मजे लूट रही थी। अमर भैया मुझे भाभी समझ के मेरी नर्म नर्म कोमल छातियों को चूस रहे थे। उनको बहुत अच्छा लग रहा था।
वो मेरी एक छाती को १० मिनट तक चूसते फिर दूसरी छाती को मुंह में भर लेते है पीने लग जाते। आधे घंटे तक यही खेल चलता रहा। अधेरे में मेरा हाथ उनके लंड से टकरा गया तो मैं जान गयी की उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और मुझे चोदने के लिए बिलकुल तैयार हो गया है। मेरे सगे भैया ने मेरी दोनों नर्म मुलायम छातियों को बहुत देर तक चूसा।
“जान….मेरे लौड़े को अपने हाथ से फेटो!!” अमर भैया बोले और मेरे हाथ में उन्होंने अपना ९” का मोटा और रसीला लंड पकड़ा दिया। आज पहली बार मैंने किसी असली लौड़े को हाथ में लिया था। इससे पहले तो मैं बस मूली, गाजर, बैगन को ही हाथ में लेती थी पर आज मुझे अमर भैया का असली लंड हाथ में लेने का मौक़ा मिला था। मैं जल्दी जल्दी उसके लौड़े को फेटने लगी। अमर भैया …..आआआआअह्हह्हह…. करने लगे। फिर मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड फेट रही थी। मेरा उनका लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था क्यूंकि मेरी भाभी रोज रात में मेरे भैया का लंड चूसती थी। इसलिए आज मेरा भी भैया का लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने भैया को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गयी और उनका लंड चूसने लगी।
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उनको बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे ताजे गुलाबी होठ उनके लंड पर जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहे थे। अमर भैया के हाथ मेरी बड़ी बड़ी ३६” की छातियों पर चले आये थे और वो मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबा रहे थे। मैं उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूस रही थी। और हाथ से जल्दी जल्दी फेट भी रही थी। कुछ देर बाद तो मुझे बहुत जादा मजा मिलने लगा और मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड चूसने लगी और हाथ से फेटने लगी। उनको सेक्स और चुदाई का भरपूर नशा चढ़ गया था। वो हाथ ने मेरी निपल्स को घुमा रहे थे और ऊँगली से ऐठ रहे थे। ऐसा करने से मुझे सेक्स का नशा चढ़ रहा था। फिर मैं बिलकुल से पागल हो गयी और अमर भैया के लौड़े को मैं लील जाना चाहती थी।
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इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लंड को चूस रही थी। भैया का सुपाड़ा तो बहुत खूबसूरत था और काफी नुकीला था। दोस्तों मैंने आधे घंटे तक अमर भैया का लंड चूसा। आज मैं किसी देसी रंडी की तरह पेश आ रही थी। फिर अमर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैरों को उसने अपने कंधे पर रख दिया। फिर उन्होंने मेरी चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा। उनका ९” का रसीला लौड़ा मेरी चूत में उतर गया और अमर भैया दनादन मुझे चोदने लगे। इससे पहले मैं अपनी बुर को बैगन और गाजर से चोद लिया करती थी। पर उसमे वो मजा नही आता था जो आज मैं उठा रही थी। मेरे सगे अमर भैया मुझे गच्चक गचाक चोद रहे थे। मैं “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई..अई..अई…..अई..मम्मी….” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। भैया मुझे भाभी समझ के पेल रहे है। मुझे बहुत जादा यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी। मैं अपने अमर भैया को सीने से चिपका लिया था और मजे से चुदवा रही थी।
मैं किसी तरह का नाम नही ले रही थी वरना अमर भैया जान जाते की मैं उनकी बीबी नही बल्कि सगी बहन हूँ। वो चुदाई के नशे में बार बार मेरे गोरे चिकने गालों पर काट लेते थे और मुझे दनादन चोद रहे थे। मैं पूरी तरह से उनके कब्जे में थी और उन्होंने मुझे दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था। अमर भैया का लंड इतना मोटा था की जब वो अंदर मेरी चूत में जाता था जो मैं आगे की तरफ खिसक जाती थी। वो जल्दी जल्दी मुझे चोदकर मेरी बुर फाड़ रहे थे। मैं अँधेरे में मजे से अपने सगे भैया से चुदवा रही थी और जन्नत का मजा ले रही थी। आज मेरी चूत चुद गयी थी और आज पहली बार मैंने असली लंड खा लिया था। कुछ देर बाद बड़े भैया को और जादा जोश चढ़ गया और वो मेरे दूध पीते पीते मुझे बजाने लगे। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।
एक तो वो मेरे नर्म स्तनों को पी और चूस रहे थे और उधर मेरी चूत में जल्दी जल्दी लंड सरका रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ।।।।।।अअअअअ आआआआ।।। सी सी सी सी।।।। ऊँ।।ऊँ।।।ऊँ।।। बोल बोलकर चुदवा रही थी। कुछ देर बाद अमर भैया का माल छूट गया और उन्होंने मेरे भोसड़े में ही अपना माल गिरा दिया। मैंने उनको सीने से लगा लिया और उनके होठ चूसने लगी। दोस्तों १० मिनट बाद अमर भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो मेरी चूत पर आ गये और मेरी चूत पीने लगा। वो मुंह लगाकर मेरी हसीन बुर को चाट और चूस रहे थे। मेरे चूत के दाने को वो बार बार अपनी जीभ से चाटते थे और छेड़ते थे। मुझे चूत में सनसनी लग रही थी। फिर अमर भैया मेरी चूत के होठो को जीभ से चाटने लगे। मैं पागल हो रही थी।
मैं चुदाई के नशे में उनके सिर को बालों को अपने हाथ से नोच लिया। अमर भैया बहुत ही एक्सपर्ट आदमी थे। उनको मालुम था की एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत चूत को किस तरह से अच्छे से चाटा जाता है। वो जल्दी जल्दी मेरी चूत पर अपनी जीभ हिलाने लगे। मैं बेकाबू हुई जा रही थी। मेरी चूत में आग लग गयी थी। जैसे मेरी चूत जल रही हो। फिर अमर भैया ने अपनी ३ उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। मैंने अपनी गांड हवा में उपर उठा दी। क्यूंकि मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। अमर भैया आज बड़े कायदे से मेरी चूत का शिकार कर रहे थे। वो मेरी चूत को अपनी ३ उँगलियों से चोद रहे थे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मुझे लग रहा था की मैं मरजाउंगी। अमर भैया की ३ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी बुर को चोद रही थी। फच्च फच्च की पनीली आवाज मेरे गुलाबी भोसड़े से आ रही थी। मेरी तो दोस्तों जान ही निकल रही थी। मैं बार बार अपने पेट और कमर को उपर उठा देती थी। क्यूंकि मुझे बहुत तेज यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी।
अमर भैया ने ४० मिनट मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चोदा और भरपूर मजा लिया। इसी बीच मेरे सब्र का बाँध आखिर टूट गया और मेरी चूत का पानी झर्र झर्र निकलने लगा। शायद अमर भैया मेरी चूत का पानी पीना चाहते होंगे। वो अभी भी नही रुक रहे थे और मेरी चूत में से पानी निकाल रहे थे और मुंह में लेकर पी रहे थे। मेरी चूत में खलबली मच गयी थी। मेरा तो बुरा हाल था। फिर अमर भैया ने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे ह्पाहप चोदने लगे। ये मेरा दूसरा राउंड था। अमर भैया इस बार मेरे सेक्सी पतले पेट को सहला रहे थे और मेरी चूत को बजा रहे थे। वो मेरे उपर लेते हुए थे और मेरी चूत बजा रहे थे। मैं उनकी गिरफ्त में थी।
उनका पेट मेरे छरहरे पेट से लड़ रहा था जिससे चटर चटर की आवाज हो रही थी। एक बार फिर से अमर भैया विराट कोहली की तरह मेरी चूत की पिच पर अपने लौड़े से बैटिंग कर रहे थे। मैं एक बार फिर से चुद रही थी। और अपने सगे भाई का लंड खा रही थी। आज तो अमर भैया ने मेरी रसीली और चिकनी बुर फाड़कर रख दी थी। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया का लंड बड़ी आराम से सट सट मेरी गुलाबी चूत में सरक रहा था। मैं मजे से चुद रही थी। मैंने जोश में आकर अपने नाख़ून अमर भैया की पीठ में गड़ा दिया था। हम दोनों भाई बहन गरमा चुदाई का मजा ले रहे थे। अमर भैया बार बार मेरी चिकनी जांघो को सहला रहे थे। मैं उनके सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। वो मेरे पुरे जिस्म को अपने हाथ से सहला रहे थे। मैं बहुत गजब का चिकना माल थी। आज मेरे सगे भाई ही मेरे साथ सम्भोग कर रहे थे। मेरी चिकनी और सेक्सी योनी में उनका लंड घुसा हुआ था और मुझे जल्दी जल्दी चोद रहा था। मैं तो जैसे सातवे आसमान की सैर कर रही थी। अमर भैया तो एक भी सेकेंड के लिए रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मुझे जल्दी जल्दी वो चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था की वो कोई कद्दू काट रहे है। कुछ देर बाद उनका बदन अकड़ने लगा और उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। उसके बाद मैं बड़ी देर तक उनका लंड चूसती रही। जब मैं चुदवाकर चली आई तो लाईट आ गयी। कुछ देर में मेरी भाभी बाजार से आ गयी। मेरे भैया अपने कमरे में पूरी तरह से नंगे होकर लेटे थे। जब अमर भैया ने भाभी को देखा तो बिलकुल चौंक गये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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“तुम कहाँ गयी थी????” अमर भैया से हैरान होकर पूछा
“मैंने तो ३ घंटे से बजार गयी थी कुछ समान खरीदना था!!” भाभी बोली

उसके बाद भैया जान गये की उन्होंने गलती से मुझे अपनी बीवी समझ कर चोद लिया है। पर ये बात उन्होंने भाभी को नही बतायी। आज भी मुझे अपने अमर भैया की ठुकाई बार बार याद आती है।
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Bhabhi Ne Mujhe Mere Bhai Se Chudwa Diya
भाभी ने मुझे मेरे भाई से चुदवा दिया 








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मैं ऋतु पिछले साल अपनी मौसी के घर घूमने गई थी. चूंकि मैं कहीं भी नहीं जाती हूँ तो मम्मी ने कहा कि तुम अपनी मौसी के घर घूम आओ.
मैंने कहा- ठीक है.
मम्मी ने मौसी को फोन किया और दो दिन बाद मेरी मौसी का बेटा मुझे लेने आ गया.

मैं उसे देखने लगी और उससे बात करने लगी. उसकी शादी को दो साल हो गए थे वो अब पहले से काफी बदल गया था. उसकी शादी में मम्मी गई थीं, मैं नहीं गई थी.

उसने मुझसे पहले तो इसी बात को लेकर उलाहना देते हुए कहा कि तुम शादी में क्यों नहीं आई थीं. फिर यूं ही बात होने लगी और वो मुझसे पूछने लगा कि कैसी हो ऋतु और तेरी पढ़ाई वगैरह कैसी चल रही है.
मैंने भी कहा- हाँ मैं ठीक हूँ और पढ़ाई की अभी कोई बात मत करो प्लीज़; अभी मुझे छुट्टियां एन्जॉय करने दो. तुम बताओ कि भाबी कैसी हैं और मौसी कैसी हैं.

मैं भी कितनी बुद्धू हूँ, मैंने अपने बारे में तो बताया ही नहीं कि मैं कैसी हूँ क्योंकि मुझे मालूम है कि अन्तर्वासना पर मेरी जवानी को जब तक आप लोग नहीं जानेंगे, आपका लंड ही खड़ा नहीं होगा और कहानी पढ़ने का मजा भी नहीं आएगा. तो मेरे प्यारे दोस्तो, मैं अब 20 साल की जवान माल हो गई हूँ. मेरा साइज़ 34सी-30-32 का है.

मेरी मौसी के बेटे का नाम वीरू है. उसकी उम्र 28 साल की है और भाबी का नाम पिंकी है, उनकी उम्र 24 साल की है.

मैं और वीरू भैया अगले दिन उनकी कार से उनके घर के लिए चल दिए. उन्होंने रास्ते में मुझे बहुत सारी खाने की चीजें दिलाईं और हम 3 घंटे के बाद मौसी के घर पहुँच गए.

मौसी ने मुझे गले लगाया और भाबी ने भी गले लगाया. मुझे सब लोगों ने बहुत प्यार दिया और मेरी खातिरदारी शुरू हो गई. भाबी मेरे लिए कोल्डड्रिंक बिस्किट नमकीन और ना जाने बहुत सी चीजें लेकर आ गईं.
मैं बोली- मेरे को इतना क्यों खिला रही हो भाबी… मैं इतना नहीं खाती हूँ.

हम सब बैठ गए और आपस में बातें करने लगे.
मौसी ने मम्मी के बारे में पूछा, मैंने भी बताया कि सब ठीक हैं.

मैंने बड़े शिकायत वाले अंदाज में कहा कि मौसी और भाबी आप लोग हमारे घर पर क्यों नहीं आते हो?
तो मौसी हंस कर बोलीं कि अबकी बार चलूंगी.

फिर सब अपने अपने अपने काम में लग गए. मुझे मौसी वाले कमरे में सोना था भैया भाबी का कमरा साइड वाला था.
इस तरह 3 दिन निकल गए.

अगले दिन मैं सुबह जागी तो मौसी अपना सामान पैक कर रही थीं. मौसी के गांव में किसी तबियत खराब थी और मौसी को अर्जेंट जाना था.

एक घंटे बाद 9 बजे की ट्रेन थी… तो भैया मौसी को लेकर स्टेशन चल दिए.
मैंने मौसी से पूछा- कब आओगी?
तो मौसी बोलीं- मैं तो अब 15-20 दिन में ही आ पाऊंगी, मैंने तेरी मम्मी से बात कर ली है. अब तो वीरू तेरा यहीं एड्मिशन करवा देगा, अब तू यहीं रहेगी.
इतनी बात कहते हुए मौसी चल दीं.

मैं अब भाबी के बारे में बता दूँ. पिंकी भाबी की हाइट 5 फिट 3 इंच है. एकदम गोरी हैं, उनका साइज़ भी मेरा जैसा ही 34-30-32 का है. भाबी के बाल नीचे कमर तक आते हैं. उनकी काली आँखें बहुत नशीली हैं.

भाबी बोलीं- ऋतु जल्दी से नहा ले, मंदिर चलना है.
मैं भी झट से नहा कर आई. मैंने ब्लू कलर की लॉन्ग स्कर्ट पहनी और ब्राउन टॉप पहना, मेरा ये वाला टॉप एकदम फिटिंग का था, इसमें मेरे मम्मे बड़े फूले हुए दिखते हैं.

भाबी ने पर्पल कलर की साड़ी पहनी थी. जब भाबी तैयार होकर मेरे पास आईं तो बोलीं- क्या बात ननद रानी… किसपे बिजली गिरानी है… तू तो एकदम पटाखा माल लग रही हो.
मैं- भाबी आप भी कम नहीं लग रही हो.

खैर… हम मंदिर जाने लगे तो बाहर जितने भी लोग थे, बस हम दोनों को ही देख रहे थे. भाबी मुझसे काफ़ी मज़ाक करने लगीं और फिर हम दोनों एक दूसरे के क्लोज फ्रेंड हो गए.

घर आकर हम दोनों ने खाना खाया और गप्पें मारते हुए टीवी देखने लगे. शाम को भैया ऑफिस से आ गए और आज गर्मी कुछ ज्यादा थी तो भाबी ने एक नाइटी डाल ली थी, जबकि मैं उनके कपड़ों में थी.

भाबी भैया से बोलीं- कल मुझे मार्केट जाना है, आपकी बहन को कुछ कपड़े दिला दूँ… नहीं तो ये गर्मी में मर जाएगी.
भैया बोले- अभी चलो, कल मुझे आउट ऑफ स्टेशन जाना है, अभी चलो… जल्दी चलो.

भाबी झट से तैयार हो गईं और मैं भैया भाबी तीनों एक ही बाइक पर बैठ कर चल दिए. भैया हमको एक मॉल में ले जाने की कह कर चल दिए.
मॉल में आने के बाद हम लोग एक शोरूम में कपड़े देखने लगे.

भाबी ने दुकानदार से कहा- ब्रा पेंटी दिखा दो.
वो दिखाने लगा और भाबी मुझे दिखाने लगीं. मुझे भैया के सामने ब्रा पेंटी देखते हुए शर्म आ रही थी.

भाबी ने मुझे बहुत सारे कपड़े दिलाए और हम लोग घर आ गए. कुछ देर बाद खाना आदि खाया और सो गए.

सुबह भाबी ने एक टाइट सा टॉप निकाला और मुझे पहनने को दिया, मैंने पहन लिया… ये टॉप पूरा टाइट फिटिंग का था. इसमें मेरे मम्मे एकदम तोप की तरह तने हुए थे. मुझे खुद अन्दर से एक सेक्सी सा फील आ रहा था.
मैं उस लाल रंग के टॉप और मिनी स्कर्ट में थी.

जब शाम को भैया ऑफिस से घर पर आए तो भाबी ने मुझे पानी लेकर उनके सामने जाने को कहा. मुझे इतने हॉट लुक में भैया के सामने जाने में शर्म सी लग रही थी.
भाबी बोलीं- चली जा यार… तेरे भाई ही तो हैं.
मैं- भाबी वो बात नहीं… बस जरा शर्म आ रही है.
भाबी- मेरी ननद रानी, इतना क्यों शर्मा रही हो… कल से तुमको यही कपड़े पहने हैं. अब ये तेरा विलेज नहीं है… सिटी हे सिटी… समझी.

इसके बाद मेरी झिझक जैसे तैसे खत्म हुई और हम सब रात होने तक यूं ही बातें करते रहे.

फिर सब लोग सोने चल दिए. करीब 11 बजे मेरा कूलर खराब हो गया. मैंने भैया को जगाया तो भैया बोले कि तू हमारे वाले रूम में ही सो जा.
मैं भी भाबी के साथ उसी रूम में आ गई. एक तरफ भैया और बीच में भाबी, साइड में मैं थी. मैं उस टाइम लोवर टी-शर्ट में थी, भाबी नाइटी में थीं.

थोड़ी देर बाद उनको को लगा कि मैं सो गई हूँ तो वे दोनों आपस में मस्ती करने लगे. मुझे उनकी छेड़खानी से बहुत शर्म आ रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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किसी तरह रात निकल गई और मैं सुबह तक सोती रही, मुझे भैया ने जगाया तब मैं ज़गी.
भाबी बोलीं- आज संडे है… ऋतु जाओ तुम नहा कर आओ और सुनो, आज तुमको कल ली हुई नई वाली ड्रेस ही पहननी है.

मैं शर्माते हुए नहाने चली गई. भाबी ने कपड़े निकाले और मुझे दे दिए. एक बहुत छोटा सा स्कर्ट और ट्रांसपेरेंट टॉप उसके साथ ब्लैक ब्रा पेंटी थी. मैंने भाबी से कहा- भाबी, घर में भैया हैं… मैं इनको नहीं पहन सकती हूँ.
भाबी बोलीं- ये तो कपड़े हैं इनमें इतनी क्यों परेशान हो रही हैं.
मैं बोली- भाबी, मुझे भैया के सामने इनको पहनने में शर्म आती है.
भाबी बोली- जब तेरी शादी होगी तो जब नहीं पहनेगी क्या?
मैं बोली- तब की बात और है.
भाभी बोलीं- जा मैं तेरे से बात नहीं करती.

मुझे लगा कि भाबी नाराज़ हो गईं, तो मैंने भाबी को हग किया और बोली- अच्छा जैसा आप कहोगी मैं वैसे ही कपड़े पहन लूँगी… बस आप नाराज़ मत होना.
भाबी हंस कर बोलीं- जा तू अपने भैया को पानी देके आ.
मैं भैया के रूम में गई तो भैया मुझे देखने लगे. भैया की निगाहों में एक अजीब सा भाव था. मुझे उनके देखने के अंदाज से अन्दर तक गुदगुदी सी होने लगी.

उसके बाद सबने खाना खाया और आराम करने लगे. सारा दिन यूं ही चुहलबाजी में बीत गया.

जब रात को हम सोने गए तो भाबी ने मुझे बीच में खिसका दिया और खुद साइड में सो गईं. थोड़ी देर में भैया का हाथ मेरे सीने पर घूमने लगा था. भाबी ना जाग जाएं, मुझे तो यही डर लग रहा था. मैं इसलिए चुपचाप लेटी रही. इसका नतीजा ये हुआ कि भैया की हरकतें बढ़ती गईं.

एक तो रूम में अंधेरा था और दूसरा भैया के हाथों की हरकतों से मुझे भी मस्ती छाने लगी. भैया ने मेरे दोनों मम्मों ऊपर से खूब दबाए फिर मेरे टॉप में हाथ डाल दिया. वो अपना काम करने लगे तो मैंने भी अपनी आँखें बंद कर लीं और मजा लेने लगीं. भैया ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को दबाते रहे.

मुझे सबसे ज्यादा अजीब तब लगा, जब भैया मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे होंठ चूसने लगे. मैं भी वासना में भर उठी थी… सो मैं भी उनका साथ देने लगी.

हम दोनों की जीभें आपस में लड़ रही थीं. तभी मुझे फिर से याद आया कि भाबी बगल में ही सो रही हैं, तो मैंने भैया को साइड किया और उठ कर बाथरूम में चली गई. उधर देखा कि पूरी पेंटी गीली हो गई थी. मैंने पेशाब की, चुत धोई और फिर से रूम में आ गई. मैंने भाबी को उनकी जगह पर सरका दिया और खुद किनारे लेट गई.

मुझे लगा कि भैया को पता नहीं है कि उनके नीचे में थी, शायद वो मुझे भाबी समझ कर चोदने के मूड में थे कि इतने में भाबी जाग गई थीं. उन्होंने मुझे हिलाया, मैं तो अब तक गर्म थी सो जाग ही रही थी. भैया भी जागे हुए ही थे.

तभी बिजली चली गई और चूंकि गर्मी का मौसम था तो बेचैनी होने लगी.
भाबी बोलीं- चलो, बाहर आँगन में चलते हैं.

भैया तो कुछ कहने की जगह सीधे उठ कर ही बाहर आँगन में चले गए. उनको ज्यादा गर्मी लग रही थी तो वे आँगन में बैठ कर नहाने लगे.

इसके बाद भाबी भी पानी में भैया के साथ मस्ती करने लगीं और बोलीं कि चलो एक गेम खेलते हैं, हम में से किसी एक इंसान की आँखों में ब्लैक पट्टी बाँधते हैं और उस इंसान को दूसरे इंसान को छू कर बताना है कि वो कौन है. जिसको वो छुएगा उसको नहीं बोलना है… कोई भी नहीं बोलेगा.

गेम स्टार्ट हुआ, भाबी ने मुझे भी पानी में खींच लिया. हम सब लोग पानी में भीग गए, सबने एक दूसरे को पानी में खूब भिगोया.

पहले भाबी की आँखों पर पट्टी बंधी और भाबी ने मुझे ही पकड़ लिया और मेरा टॉप जानबूझ कर खींचते हुए फाड़ दिया. अब मैं ब्रा और स्कर्ट में रह गई थी. मैंने बोला- भाबी ये क्या किया आपने… मेरा टॉप फाड़ दिया?
भाबी बोलीं- कोई बात नहीं, ये तो गेम है.
इसके बाद भाबी ने भैया को पकड़ा. वे अपने हाथ से उनके अन्डरवियर को पकड़ने लगीं और उनका लंड दबाने लगीं. मैं ये सब देख रही थी.

भैया कुछ नहीं बोले और अपना लंड भाबी के हाथ से मसलवाने लगे.

अब भैया की बारी थी, भैया ने भाबी को पकड़ा और भाबी का भी टॉप फाड़ कर भैया उनके मम्मों को दबाने लगे. उसके बाद भैया ने मुझे पकड़ा और मेरे मम्मों को दबाने लगे, मैं भी सिसकारी लेने लगी क्योंकि मुझे तो बहुत मजा आ रहा था. भाभी भी मुझे मम्मे मसलवाते हुए देख रही थीं और मुस्कुरा रही थीं मेरा डर भी खत्म हो गया था. इसी तरह हम 2 से 3 घंटे पानी में ही खेलते रहे.

बाद में भाबी मजाक करते हुए मुझसे बोलीं- क्या बात ऋतु, आज तो तू अपने भैया से ही अपने मम्मों को मसलवा रही थी… गेम अच्छा लगा या नहीं.
मैं बोली- भाबी गेम तो अच्छा था, मैं क्या मजा ले रही थी, वो तो गेम था, जिसमें आप भी तो अपने फुकने दबवा कर मजा ले रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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आज के गेम से मेरी झिझक कम हो गई थी और भाबी मेरे से बहुत मज़ाक करने लगी थीं. अब तो वे कभी मेरे मम्मों को दबा देतीं, कभी मेरे हिप्स में चपत मार देतीं… ये अब आम बात हो गई थी. हम दोनों सहेलियों के जैसे बर्ताव करने लगे थे.

उसी रात को भाबी फिर एक साइड में ही सोईं. मैं भैया की तरफ़ वाली साइड में सो गई.

कुछ देर बाद भैया शुरू हो गए, उनका हाथ मेरे मम्मों पर आ गया. आज मैंने भी कुछ नहीं कहा. उस दिन भैया ने पहली बार मेरी पेंटी और मेरी चूत को टच किया. अब मैं तो आसमान में उड़ रही थी और भैया मेरे दोनों मम्मों पर अपनी मजबूत पकड़ बना रहे थे. मैं भी चाहती थी कि भैया आज मुझे चोद कर अपना बना लें.

कुछ ही पलों में वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगे. मैं भी उनके बालों में हाथ फेर रही थी. भैया ने मेरा हाथ अपने लंड पर सरका दिया तो मैंने भी भैया का लंड भी टच किया. उनका लंड एकदम टाइट मोटा लंबा था.

कुछ ही देर में भैया ने मेरी ब्रा भी निकाल दी. अब मैं ऊपर से नंगी थी. नीचे मेरे जिस्म पर स्कर्ट और पेंटी थी. भैया ने वो भी निकाल दी.

अब भैया ने नीचे को होकर पहली बार मेरी क्लीन चूत पर किस किया और अपनी जीभ से मुझे चोदने लगे. मैंने भी अपने टांगें खोल दीं और चुत चटवाने का मजा लेने लगी ‘आआआहह ओह…’

मैं अपनी कामुक आवाज़ को अपने मुँह में ही रहने की कोशिश करती रही.

फिर अचानक से भाबी उठ गईं और बोलीं- यहां का एसी बहुत तेज चल रहा है, मुझे तो ठंड सी लग रही है, मैं बाहर जाकर सोती हूँ.
मैं समझ गई कि भाबी ने मुझे चुदने का पूरा मौका दे दिया है. जैसे ही भाबी गईं, भैया ने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी कमर और गांड पे हाथ फेरने लगे.

फिर भैया ने मेरी चूत चूसना शुरू किया मेरी मादक सिसकारियां निकल रही थीं- आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहह ओह मुऊ… उम्मईं आआहह…
मैं ये सब कर रही थी तो भैया बोले- तू तो एकदम मस्त माल हो गई है.
मैंने बोला- आप भी तो मुझे पाकर मस्त हो गए हो.

फिर भैया ने अपना लंड मेरे मुँह पर रख दिया. मैंने अपना मुँह खोल दिया और लंड को प्यार करने लगी, भैया का लंड चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आने लगा. भैया अपने लंड से मेरा मुँह चोदने लगे.

थोड़ी देर में भैया ने कहा- ऋतु अब मैं तेरी चूत में अपना लंड डालूँगा… आज तुझे अपनी बना लूँगा.
मैं बोली- हां बना लो ना… मैं तो आपकी ही हूँ मेरे राजा भैया.
भैया बोले- एक प्रॉमिस कर आज से भैया नहीं कहेगी… तू मुझे वीरू बोलेगी.
मैंने कहा- ठीक है मेरे वीरू राजा… अब जल्दी से डाल भी दो अन्दर.

जब वीरू ने अपना लंड मेरी चूत में डाला तो मुझे दर्द भी हुआ था और ये लग रहा था कि भाबी अन्दर ना आ जाएं… और खेल न बिगड़ जाए.
कुछ देर के दर्द के बाद मैं बहुत मजे में आ गई थी. खुद नीचे से अपनी गांड उठा कर लंड ले रही थी ‘आआआहह… आअहह…’
भैया जब तेज झटके मारते थे तो मैं ‘उईईईई मम्मीं… मर गई…’ मचल कर कामुकता से बोलने लगती थी.

भैया मुझे चोदते हुए बोले- बोल… तू मेरी कुतिया है.
मैं भी बोल देती- हाँ हूँ तेरी कुतिया… साले चोद मुझे आआआहह ओह मुऊऊउउ… मम्मीममम मर गई… कितना मोटा लंड है… आअहह…’

तभी मैं एकदम से अकड़ कर फ्री हो गई थी. कुछ देर मुझे पेलने के बाद वीरू भैया भी मेरी चूत में ही झड़ गए और मेरे ऊपर ही लेटे हुए थे. मैं उनको किस करने लगीं. भैया का लंड अब भी मेरी चूत में ही था. फिर पता ही नहीं चला और हम दोनों ऐसे ही सो गए.

सुबह मुझे वीरू भैया ने जगाया और मैं उठ कर फ्रेश होने चली गई. फिर आज मैंने चाय बनाई, भाबी भैया को चाय दी.
भाबी हंस कर बोलीं- तू रात में इतना शोर क्यों मचा रही थी… आराम से सोया कर ना.
मैंने सोचा शायद मैं पकड़ी गई. तभी भाबी बोलीं- चल अब नहा ले.

मैं नहा कर आई तो भैया भाबी के होंठ चूस रही थीं. मैं उन दोनों को देख कर कमरे में आते हुए ठिठक गई. मैं खांस कर बोली- मैं बाद में आती हूँ.
भाबी अलग होते हुए बोलीं- कोई बात नहीं ननद रानी… इसमें क्या शर्म इधर आओ.
उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया तो भैया बोले- इसको जाने दो.
तभी भाबी बोलीं- क्यों जब रात को तुम दोनों ये सब कर रहे थे, तो दिन में भी तो कर सकते हो.

मैं डर के मारे सकपकाने लगी. भाबी बोलीं- घबरा मत… सच बता क्या चाहती है तू?
अब मैं बोली- जैसा आप चाहें.
तो भाबी बोलीं- मैं तो ये चाहती हूँ कि तुझे वीरू से अभी मेरे सामने चुदवाना होगा.
मैं मन ही मन में बहुत खुश हुई. मैंने पहले मना किया. तभी भाबी ने भैया से कहा- तुम क्यों चुप हो… चोदो साली को.

वीरू ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और भाबी के सामने ही मुझे नंगी करके चोदने लगे.
उस दिन भैया ने मुझे 3 बार चोदा और आज इस चुदाई में भाबी भी नंगी होकर चुत चुदाई का मजा ले रही थीं.

बस इसके बाद तो जब तक मैं मौसी के घर रही समझो मेरी चुत में भैया का लंड आता जाता रहा. अब बिना लंड लिए मुझे चैन ही नहीं पड़ता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मेरा नाम रचना है. हम दो बहनें हैं, मेरी बड़ी बहन कुसुम जो मुझसे 7 साल बड़ी है। मैं घर में सबसे छोटी हूं और शुरू से सबकी बहुत दुलारी रही हूँ।
बात उस वक्त की है जब मैं 18 साल की थी। हमारे यहाँ एक मुंहबोली बुआ जी का आना जाना था. बुआजी का हम सबके साथ बहुत लगाव था, उनका घर हमारे घर से आगे कुछ दूरी पर था, बुआ जी का एक ही लड़का था जिसका नाम था विनय. जिसकी उम्र उस वक्त शायद 21 की रही होगी। फूफा जी का निधन पहले ही हो चुका था। विनय की एक गारमेंट की दुकान थी और बुआजी को पेंशन मिलती थी। बुआ जी और विनय अक्सर घर आते रहते थे. हम सबसे उनकी खूब बनती थी।

मैं दीदी के साथ हमेशा रहती थी. दीदी भी मुझे बहुत प्यार करती थी। मैं देखा करती थी कि जब बुआ जी और विनय घर आते तो विनय भैया हमारे ही रूम में आ जाते और बातें करते रहते थे, गेम खेलते रहते थे. अक्सर विनय भैया मेरी नजर बचाकर दीदी से कुछ छेड़छाड़ भी करते रहते थे और दीदी मेरी नज़र बचाकर मुस्करा देती, अगर कभी मैं देख लेती तो दोनों मुझे फुसलाने लगते।
उस वक्त मैं इन बातों को नहीं समझती थी। मैंने कई बार विनय भैया को दीदी से लिपटते देखा था.

एक बार विनय भैया हमारे साथ टीवी देख रहे थे. दीदी विनय भैया से बिल्कुल सटकर बैठी थी. मैं टीवी में मशगूल थी. मगर वो दोनों कुछ खुसर-फुसर बातों में लगे थे.
तभी मैं पेशाब करने के लिए बाथरूम चली गई. जब मैं वापस कमरे में आई तो दीदी विनय भैया के सीने से लिपटी थी और विनय भैया दीदी के होंठ चूस रहे थे. मुझे अचानक आया देखकर दोनों घबरा कर अलग हो गये और फिर मुझे दोनों ने अपने पास बुला लिया.
मुझे प्यार से बैठाकर बोले- तुम किसी से कुछ कहना मत!
फिर मुझे एक हजार रूपये भी दिये. मेरा तो लड़कपन था. रूपये पाकर मैं खुश हो गई.

फिर तो मुझे अक्सर कभी दीदी से कभी विनय भैया से पैसे मिलने लगे. मैं खुद में मस्त रहती और वे दोनों मेरे सामने भी सब बातें करते रहते। पर जल्दी ही दोनों के चक्कर के बारे में सबको मालूम हो गया।

दीदी और विनय भैया घबराने लगे. मैं भी न जाने क्यों नर्वस हो रही थी. खैर बुआजी का व्यवहार और पापा व मम्मी की सूझ-बूझ से दीदी की सगाई विनय भैया के साथ कर दी गई। अब विनय भैया विनय जीजू बन गये थे. दीदी की ससुराल तो पास में ही थी और मेरा लगाव तो था ही दीदी और विनय जीजू से तो मैं अक्सर दीदी के घर जाती रहती थी।

धीरे-धीरे एक साल बीत गया. इस दौरान बुआ जी का भी लम्बी बीमारी के बाद स्वर्गवास हो गया।

एक दिन शाम को मैं दीदी के घर गई तो वहाँ जीजू की ही हमउम्र गठीले बदन का एक युवक जीजू के साथ बैठा हुआ था. मुझे देखते ही दोनों ठिठके, अगले ही पल जीजू मुस्कराते हुए बोले- आओ रचना, बैठो!
मैं उनके साथ बैठ गई.
फिर जीजू ने बताया- यह मेरा दोस्त अनन्त है. तुम इसे भी जीजू बोल सकती हो।

तभी दीदी चाय लेकर आ गई और मुझे देखकर हड़बड़ा गई. मुझे देखकर सबका हड़बड़ा जाना मुझे अजीब लगा. खैर उसके बाद सबने चाय पी. फिर दीदी खाना बनाने लगी और हम लोग टीवी देखने लगे। मैंने देखा वे सब मुझसे छुपाकर कुछ बात कर रहे थे. फिर सबने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे।

अभी तक मैं जब भी दीदी के यहां जाती थी तो दीदी जीजू के साथ बेड पर ही सोती थी इसलिए मैं बेड पर ही सोने लगी. अनन्त जीजू को बगल के रूम में लिटाकर दीदी, जीजू और मैं हमेशा की तरह लेट गये। जीजू दीदी से कुछ बात कर रहे थे।

फिर मैं सोने लगी, दीदी ने गौर से मेरी तरफ देखा और उनको ये लगा कि मैं गहरी नींद में सो गई तब वे बेफिक्र होकर बात करने लगे.
दीदी ने जीजू से कहा- यार आज कुछ करना ठीक नहीं रहेगा, रचना यहीं है।
जीजू- अरे यार, आज पहली बार तो तुमने हां बोली, अब इन्कार मत करो. अनन्त भी आ गया है।
दीदी- क्या करूं, रचना यहीं है।
जीजू- रचना सो गई है. तुम अनन्त के रूम में चली जाओ।
दीदी- नहीं, मैं नहीं जाऊंगी, तुमको जो करना हो करो बाकी सब कैंसिल।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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उसके बाद मैंने हल्के से आंख खोलकर देखा तो जीजू मेरी दीदी से लिपटते हुऐ उनको मनाने लगे। मैं चुपके-चुपके सब देख रही थी. आज ये पहली बार मुझे रोमांचक लग रहा था. अब से पहले मैंने कभी गौर ही न किया था। तभी जीजा जी ने दीदी के सब कपड़े अलग कर दिये. अब दीदी केवल पैंटी में थी। जीजू दीदी के दूध चूस रहे थे. साथ ही उनका एक हाथ दीदी की पैंटी के अन्दर चल रहा था। मैं कुछ नहीं जानती थी कि ये सब क्या हो रहा है. मगर वह सब मुझे बहुत रोमांचक लग रहा था। दीदी के दूध गोल और सख्त लग रहे थे।

जीजू की हरकतों से दीदी जल्दी ही कसमसाने लगी और पैरों को फैलाने लगी।
जीजू- जान चली जाओ न … अनन्त के कमरे में, एक बार चुदवाकर देखो, बहुत मजा आयेगा. वो गजब की चुदाई करेगा, मैंने उसका लन्ड देखा है तभी तो बुलाया है।
दीदी कुछ नहीं बोली, बस आंखें बन्द किये हुए कसमसाती रही। तभी अनन्त जीजू हमारे रूम में आ गये।

अनन्त- यार मुझे कितना इन्तजार करवा रहे हो … जब से कुसुम को देखा है लन्ड सम्भल नहीं रहा।
विनय- क्या करूं दोस्त, कुसुम से बोल तो रहा हूं पर वो तुम्हारे रूम में जा ही नहीं रही।
इतना सुनते ही अनन्त जीजू के तेवर बदल गये और अनन्त जीजू मेरी कुसुम दीदी की तरफ मुखातिब होकर बोले- साली, इतना नखरा मत कर वर्ना यहीं चोदना शुरू कर दूगां. देख मेरा लंड कितना ताव में है!
यह बोलकर अनन्त ने अपनी जाँघिया उतार दी।
बाप रे! ये क्या था, मैं देखती रह गई. आज तक मैंने किसी आदमी को नंगा नहीं देखा था. मैं कुछ डरने लगी। मैंने लंड पहली बार देखा था, बड़ा ही भयानक लम्बा, मोटा और डंडे जैसा तना हुआ काले रंग का। मेरी तो सांस थम सी गई, मैं चुप्पी साधकर सब देख रही थी पर किसी का ध्यान मेरी तरफ नहीं था।

अनन्त का लंड विनय जीजू ने थाम लिया और सहलाते हुऐ बोले- कितना मस्त लंड है, आज तुम अपने लंड से मेरी प्यारी कुसुम की दमदार चुदाई करो, हम दोनों कब से यही चाहते हैं।
अनन्त- तो फिर हटो एक तरफ और अपनी बीवी को मेरे हवाले करो।
इतना बोलकर अनन्त जीजू कुसुम दीदी के होंठों को चूसने लगे. साथ ही वो दोनों स्तनों को दबाने लगे। विनय जीजू थोड़ा अलग होकर लेटे रहे. कुछ ही देर में दीदी अनन्त के बदने से बुरी तरह लिपटने लगी.

तभी अनन्त ने दीदी की पैंटी खींच कर फेंक दी. जो मेरे मुंह के पास आकर गिरी. पैंटी बेहद गीली थी और उसमें अजीब सी बदबू आ रही थी। पैंटी फेंकने के बाद अनन्त ने दीदी की जांघों को फैलाया और अपना मुंह उनकी टांगों के बीच में लगा दिया.

कुसुम दीदी बुरी तरह तड़पने लगी। तब मैं नहीं समझ पाई थी कि अनन्त क्या कर रहा है. पर चपड़ चपड़ की आवाज साफ सुन रही थी मैं।
दीदी बुरी तरह तड़पकर लगभग चिल्लाने लगी- जल्दी चोदो मुझे … बर्दाश्त नहीं हो रहा.

उसके बाद विनय जीजू को मेरा ख्याल आया और उन्होंने कहा- अनन्त यार, कुसुम बहुत चुदासी हो रही है इसे कुछ होश नहीं है, इसको यहां चोदना ठीक नहीं है. अगर रचना जाग गई तो मजा खराब हो जायेगा।
इतना सुनते ही अनन्त जीजू ने कुसुम दीदी को गोद में उठा लिया. दीदी नंगी ही थी और अनन्त जीजू की गोद में बड़ी मनमोहक लग रही थी। अनन्त जीजू मेरी दीदी को अपने कमरे में ले गये, अब मेरे पास विनय जीजू शान्त लेटे थे. कमरे में बिल्कुल शांति छा गई थी. तभी अनन्त के कमरे से दीदी की चीख सुनाई दी और जीजू तुरन्त उस रूम की तरफ चले गये।

अब मैं बिल्कुल अकेली थी. कुछ देर में दीदी की कराहट भरी अवाजें आने लगीं, मुझे भी उलझन सी होने लगी। तब मैं चुपके से उठी और उस कमरे की तरफ दबे पांव चल पडी. मैं डर के मारे कांप रही थी पर न जाने कौन सी उत्सुकता थी कि कदम कमरे तक पहुंच गये। दरवाजा बन्द था पर खिड़की पर किसी का ध्यान नहीं था. मैं खिड़की से अन्दर झांकने लगी।

मैंने देखा कि अनन्त जीजू मेरी दीदी की दोनों टांगें उठाकर अपने कन्धों पर रखे हुए थे और दीदी का सर पकड़े हुए होंठों को चूस रहे थे. वह अपनी कमर को दीदी की कमर पर पटक रहे थे। दीदी बिल्कुल गुडीमुडी हुई अनन्त जीजू के नीचे दबी हुई थी। अनन्त और विनय दोनों ही जीजू मेरी दीदी पर रहम नहीं कर रहे थे। मैं बुरी तरह से डरकर वापस अपने कमरे में आ गई. मेरी दिल जोर से धड़क रहा था. कुछ देर के बाद मेरी धड़कन कुछ कम हो गई.

मगर मुझे चैन नहीं आ रहा था. मैं पसीने-पसीने हो गई। मैं लेटे हुए अनन्त जीजू और विनय जीजू के नंगे जिस्मों के बारे में सोच रही थी. कुछ देर बाद मन नहीं माना और मैं फिर देखने पहुंच गई. अबकी बार तो यकीन नहीं हुआ मुझे अपनी आंखों पर. दीदी अनन्त जीजू से लिपटी हुई हर धक्के पर अपनी कमर उछालते हुऐ बोल रही थी- और तेज चोदो! आह्ह … और तेज करो मेरी जान। तब मुझे समझ आया कि दीदी को कोई तकलीफ नहीं हो रही बल्कि अच्छा लग रहा है.

अब मेरा भी डर कम होने लगा था और मैं लगातार देखने लगी कि कुछ देर बाद अनन्त जीजू और दीदी तेजी से हांफते हुऐ शान्त हो गये. दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे. फिर विनय जीजू, जो उसी बेड पर बैठे थे दीदी को चूमकर उन्होंने पूछा- कैसा लगा जान अनन्त का लन्ड?

दीदी- बहुत पसन्द आया. अनन्त जी ने तो मेरी चूत की सारी तमन्ना पूरी कर दी. मैं तो बहुत थक गई हूं।
अनन्त जीजू हँसते हुऐ बोले- नहीं जी, तुमने पूरी रात चुदवाने का वादा किया था, अभी तो रात बहुत बाकी है।

फिर अनन्त जीजू और विनय जीजू दोनों दीदी से लिपट गये. विनय ने मेरी दीदी की के चूचों को हाथ में ले लिया और उनको दबाने लगे. विनय जीजू कुसुम दीदी के चूचुकों को अपने दांतों से काटने लगे.
नीचे की तरफ अनन्त ने दीदी की चूत में अपनी उंगली डाल दी और उनको अंदर बाहर करने लगे. दीदी की टांगें बेड पर फैली हुई थीं. मैं बाहर खिड़की से खड़ी होकर यह पूरा नजारा देख रही थी.
मुझे डर भी लग रहा था मगर मेरे बदन में एक आग सी भी लगने लगी थी. मैंने अपने बदन पर वहीं खड़ी होकर हाथ फिराना शुरू कर दिया. अनन्त ने मेरी दीदी की चूत में उंगलियों की रफ्तार को तेज कर दिया.

मेरी दीदी के मुंह से कामुक सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं. दीदी अपने हाथों को पीछे बिस्तर की तरफ ले जाकर बेड के सिरहाने को पकड़े हुए थी. दीदी की टांगें अनन्त की उंगलियों की रफ्तार के साथ और ज्यादा फैल रही थीं.
जब कुछ देर के बाद मैंने अपनी सलवार के ऊपर अपनी पैंटी पर हाथ लगाया तो मेरे बदन में एक सरसरी सी दौड़ गई. मेरी चूत में पहली बार मैंने गीलापन महसूस किया था. जब अनन्त ने कमरे के अंदर दीदी की पैंटी को मेरे मुंह पर फेंक दिया था तो मुझे उस पैंटी के अंदर से अजीब सी बदबू आई थी. अब मैं समझ गई थी कि यह बदबू कामरस की होती है.

मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था लेकिन अनन्त और विनय जिस तरह से कुसुम दीदी को अपने नीचे लेटा कर उसके बदन को भोग रहे थे. आज मेरा ज्ञान काफी बढ़ गया था. मैंने पहली बार मर्द के लंड के दर्शन किए थे.
विनय का लंड भी काफी बड़ा था. लेकिन अनन्त के लंड के सामने अगर नापा जाए तो उससे छोटा ही लग रहा था. मेरे चूचों में वहीं पर खड़े-खड़े कुलबुलाहट सी होने लगी थी. मैंने अपनी छाती को वहीं पर दबाना शुरू कर दिया.

जब मैंने अंदर की तरफ दोबारा देखा तो विनय ने अपना लंड कुसुम दीदी के मुंह में डाल रखा था. मेरी दीदी विनय के चूतड़ों को पकड़ कर उसके लंड को अपने मुंह की तरफ धकेल रही थी. विनय ने भी दीदी के बालों को पकड़ा हुआ था और उनके मुंह को अपने लंड की तरफ धकेल रहे थे.
मेरा ध्यान अनन्त पर गया तो उसने दीदी की चूत में अपनी जीभ डाल रखी थी. दीदी अनन्त के सिर को अपनी जांघों के बीच में दबोचने की नाकाम कोशिश कर रही थी क्योंकि अनन्त ने उसकी जांघों को पकड़ कर अपने मजबूत हाथों से विपरीत दिशाओं में फैला रखा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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