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"बेग फॉर इट यू मदर....
और अब वो मेरी हील चूस रहे थे ,पूरी ताकत से।
क्या कोई छिनार प्रोफेशनल लौंडिया चूसेगी ,
दोनों होठ हील के चौड़े बेस से लेकर अगले हिस्से तक ,जैसे कोई लंड के बेस से लेकर , एकदम सुपाड़े तक जोर जोर से चूसे ,
'सक इट बेबी , सक इट हार्ड ,सक इट लाइक अ हार्ड कॉक , सक ,सक , येस्स्स्स सक ,… हार्ड "
मैंने और उकसाया।
"बेग फॉर इट यू मदर फकर , बेग। "
मुंह में ५ इंच की हील ठूंसी हुयी थी फिर भी ऊऊग्गग्ग ओआगग करते वो बोले ,
' आई बेग , प्लीज गिव मी ,गिव मी '
थोड़ा सा हील बाहर निकाल कर , फिर एक झटके में मैंने हील पेल दिया , एकदम अंदर तक जैसे कोई , किसी नयी लौंडिया के गले तक अपना मोटा लंड ठूस दे।
कुछ देर बाद मैंने हील निकाल लिया लेकिन न उनकी लालची निगाहें मेरी सैंडल पर से हटीं , न मेरे इरादे कम हुए।
उनकी जीभ पूरी तरह निकली हुयी थी , आँखे भी बाहर ,
और अब नंबर था सैंडल के अपर का ,
पूरी जीभ बाहर निकाल के वो चाट रहे थे , नीचे से उपर तक ,हाथ से पकड़ के ,
" चाट मादरचोद , तेरी माँ बहनो की भी ऐसे ही चटवाउंगी , बहुत रस है उनकी फुद्दी में "
मैं बोली और फिर हड़काया ,
जब मम्मी पूछ रही थीं तेरी माँ के जोबन की साइज तो बताया क्यों नहीं खुल के , साल्ले मादरचोद , मुंह खोल , खोल पूरा।
और उन्होंने बड़ा सा मुंह खोल दिया जैसे डाक्टर के सामने लोग आ करते हैं और मैंने जोर से अपना सैंडल उनके मुंह में ठेल दिया , जितना घुस सका , फिर प्रेशरलगा के ,
" और खोल , और फैला मादरचोद, जैसे तेरी माँ बहने गांड मराने के लिए फैलाती हैं ,
हाँ और और,
धीमे धीमे कर के मैंने आधा पैर उनके मुंह में ठूस दिया।
उनकी आँखे उबली पड़ रही थीं , गाल फूले फूले , मुंह फटा जा रहा था ,लेकिन प्रेशर मैंने कम नहीं किया , ऊपर से गालियों की बौछार ,
" बोल फिर कभी मम्मी पूछेंगी तो मना करेगा बताने से "
उन्होंने सर हिला के बताया नहीं मना करेंगे।
"खोल खोल और मुंह , अरे तेरे मुंह इसलिए फैला रही हूँ की तू मम्मी के समधन के बड़े बड़े dd साइज के + साइज जे जोबन पूरा घोंट सके , चूस सके , काट सके , बोल चूसेगा न मेरी सास की बड़ी बड़ी चूंचियां। "
उन्होंने सर ऊपर नीचे कर के हामी में सर हिलाया , और मैंने एक बार फिर सैंडल अंदर पेली।
मैंने दूसरे सैंडल को उनके मोटे खूंटे के ऊपर रखा , वो फनफना रहा था।
इसका मतलब माम की बात सही थी , मेरी सास के ऊपर इन्हे चढाने का जो उनका इरादाथा ,हलके से मैंने सैंडल से उनके खूंटे को रगड़ा , और बोला ,
" चल , आँखे बंद कर के मेरी सैंडल को ऐसे चूस , जैसे मेरी सास की बड़ी बड़ी मोटी मोटी चूंची चूस रहे हो ,आँख बंद और २० तक गिनती , सोचो तेरे मुंह में ,… "
२० तो दूर , १० पार करने तक ही खूंटा एकदम खड़ा हो गया।
मेरा शक और मम्मी का प्लान एकदम परफेक्ट था।
और अब मैंने मोर्चा बदला।
सैंडल जो उनके मुंह में घुसी थी बाहर निकाल के दूसरी सैंडल उनकी ओर बढ़ाई।
" चाटेगा , बोल "
उनका मुंह अब तक दुःख रहा होगा लेकिन वो बोले , " हाँ "
" ठीक है दूंगी लेकिन पहले बोल अपने माल कम बहन की भी चाटेगा न। "
"हूँ "उनकी आँखों में एक अजब सी चमक थी।
लेकिन डांट पड़ गयी ,
" नाम ,क्या चाटेगा ,खुल के। "
" चाटूंगा , गुड्डी की चूत ,गुड्डी की चूत चाटूंगा। "
" सिरफ चूत , गांड नहीं चाटेगा " मैंने और रगड़ा , और उन्होंने कबूला ,
" वो भी गांड भी , गुड्डी की गांड भी चाटूंगा। "
और अब मैंने उन्हें थोड़ी देर दूसरे पैर की सैंडल किस करने , लिक करने दी।
५ मिनट तक लगातार वो जोर जोर से चाटते रहे , लेकिन अब बीच बीच में उनकी निगाह मेरी ब्लैक फिशनेट स्टॉकिंग पर पड़ रही थीं। ललचाई निगाहें बार बार वहीँ,…
यू हैव बीन अ गुड ब्वॉय , गो अहेड।
मुस्करा के मैं बोली और जैसे किसी बच्चे को हवा मिठाई मिल जाए , बस उसी तरह ,
ढेर सारे किस और लांग लिंक्स
फिशनेट स्टॉकिंग के अंदर मेरी गोरी मखमली पिंडलियाँ झलक रही थीं और उन्हें देख देख के , उनकी तो ,…
पहले तो बटरफ्लाई किसेज ,,… फिर तो दिल अभी भरा नहीं ,… और ,…और ,… मेरे घुटनों के पास पहुँच के वो एक पल के लिए ठहर गए , लेकिन मेरी बड़ी बड़ीआँखों ने आगे बढ़ने की इजाजत दे दी।
मैं प्यार से उनके घने बाल सहला रही थी।
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और अब मैंने उन्हें थोड़ी देर दूसरे पैर की सैंडल किस करने , लिक करने दी।
५ मिनट तक लगातार वो जोर जोर से चाटते रहे , लेकिन अब बीच बीच में उनकी निगाह मेरी ब्लैक फिशनेट स्टॉकिंग पर पड़ रही थीं। ललचाई निगाहें बार बार वहीँ,…
यू हैव बीन अ गुड ब्वॉय , गो अहेड। मुस्करा के मैं बोली और जैसे किसी बच्चे को हवा मिठाई मिल जाए , बस उसी तरह ,
ढेर सारे किस और लांग लिंक्स
फिशनेट स्टॉकिंग के अंदर मेरी गोरी मखमली पिंडलियाँ झलक रही थीं और उन्हें देख देख के , उनकी तो ,…
पहले तो बटरफ्लाई किसेज ,,… फिर तो दिल अभी भरा नहीं ,… और ,…और ,… मेरे घुटनों के पास पहुँच के वो एक पल के लिए ठहर गए , लेकिन मेरी बड़ी बड़ीआँखों ने आगे बढ़ने की इजाजत दे दी।
मैं प्यार से उनके घने बाल सहला रही थी।
धीमे धीमे मैंने अपनी स्टॉकिंग्स नीचे दोनों हाथों से रोल डाउन करनी शुरू कर दी।
दूसरे पैर की स्टॉकिंग उनके होंठ हलके से उसे पकड़ के उतार रहे थे।
मैं बिस्तर के एकदम किनारे आ गयी थी , झुकी हुयी थी और उनकी आँखे अब एकदम मेरे कोर्सेट से बाहर छलकते हुए 34 सी उभारों से चिपकी हुयी थीं।
मैं अपने दोनों हाथ पीछे ले गयी और बोला ,
" ओके बेबी , बी अ गुड बेबी , अपनी दोनों आँखे बंद कर लो , जोर से , एकदम जबतक मैं नहीं कहूँ खोलना मत।
जब उनकी आँखे खुलीं मिस्ट्रेस पैट्रिशिया गायब हो चुकी थीं और सिडक्ट्रेस मैं , उनके सामने थी।
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Isse zyada kamuk kuch ho hi nahi sakta. aapki kahaani ki ek ek line hypnotize kar deti hai.
lets chat
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(27-02-2019, 12:22 PM)thyroid Wrote: Isse zyada kamuk kuch ho hi nahi sakta. aapki kahaani ki ek ek line hypnotize kar deti hai.
Thanks so much for gracing the thread and enjoying....apaka support bahoot help karata hai
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Read my story
A story of 7 female friends with different plot of everyone.
Pehle ye xossip site par likh raha tha par stroy ke mid me wo site band hone ki wajah se yaha us story ko dubara short me likhna pada.
Pad kar apna feedback de story ka link neeche hai.
https://xossipy.com/thread-1191.html?hig...in+village
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Next Post ....thodi der men ...
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मेरी होली की कहानी , जीजा साली की होली
फागुन में जरूर पढ़ें और अपने कमेंट्स भी दें ,
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My Holi Threads
होली : जीजा और साली
https://xossipy.com/thread-5300.html
होली हो और साली न हो, बहुत ना इंसाफी है।
होली हो, साली हो और उसकी चोली न खुले, बहुत ना इंसाफी है।
2 HOT HOT Pictures of HOLI.
https://xossipy.com/thread-4403.html
CUM...Play HOLI in this pahgun
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सिडक्ट्रेस
मेरे लम्बे रेशमी घने बाल , लहराते, मेरे गोल गोल कन्धों को सहलाते , बस मेरे उभारों को कभी ढकते कभी दिखाते।
एक हाफ कप, लेसी गुलाबी ब्रा, बस किसी तरह मेंरे गोरे गोरे मांसल कबूतरों को कैद रखने की असफल कोशिश कर रहा था।
पतली सी चांदी की चेन अभी भी मेरी अंगूठी सी कमर को घेर रही थी और एक लहराती साटन की करीब करीब पारदर्शी स्कर्ट , घुटनो से बहुत ऊपर तक और उसकेनीचे एक पतली , गुलाबी थांग ,
उनकी जब आँखे खुली तो बस उनकी हालत ख़राब हो गयी ,
लेकिन उनके होश उड़ा दिए मेरे पांवों ने। खूब गोरे , पेडिक्योर्ड , चांदी की छोटे छोटे घुंघरू वाली पतली सी पायल , रुनझुन करते बिछुए ,और सबसे बढ़कर खूब गाढ़ा, स्कारलेट शेड का लाल महावर , पतला सा पूरे तलवे के किनारे किनारे , जो मेरे गोरे गोरे तलुवों को और उभार रही थी।
ललचाई निगाहों से वो देख रहे थे , उसी तरह जमींन पे बैठे हुए , और मेरा पैर फुट स्टूल पे।
मैंने हलके से अपने पैर हिला दिए और ढेर सारे घुँघरू बिछुए के , रुनझुन रुनझुन आवाज , रात के सन्नाटे को तोड़ती ,…
जैसे बरसों से शांत तालाब में किसी ने ककड़ फ़ेंक दिया हो और ढेर सारी लहरें उठ गयी हों.
मैं उनकी ओर देख रही थी , और वो एकदम खोये हुए ,सिर्फ ,
मेरे ' फायर इंजिन रेड ' नेल्स , अंगूठे और अँगुलियों को देखते ,
अल्ट्रा स्मूथ सोल्स , सक्युलेन्ट टोज़ ,
और मैंने फिर जरा सा पैर हिला दिया ,
बिछुओं की रुनझुन के साथ ,पायल की झंकार भी अब कमरे में गूँज गयी ,
और वो बस पागल नहीं हुए।
मैंने कनखियों से 'उसकी ' ओर देखा , 'बहादुर सिपाही ' एकदम तैनात , चुस्त खड़ा , पूरे ९० डिग्री पे
I know you like my cute feet
and the way i wiggle my toes
I know you'll love their aroma
come give them a sniff with your nose
Do you prefer them in
bare, shoes, stockings, or in socks
the mere thought of my feet
gets you hard as a rock
You love painting my toenails
and rubbing yourself to the thought of my feet
I've lost count of the times
that has made you wet and sticky
I put my feet in your face
so you can give them a whiff
and it doesn't take long
you to get turned on and stiff
Every chance you get
you're like a kid in a candy store
and my toes are your favorite satisfying treat
मैं हलके हलके ऑलमोस्ट फुसफुसाते हुए बोल रही थी और वह अपने कानों में हर शब्द रोप रहे थे ,
और हर लाइन के बाद ,
यस्स ,यस्स्स , माई , प्लीज , प्लीज दो न , वो अपने घुटनो के बल मेरे तलुवों से बस कुछ इंच दूर और वो बस तड़प रहे थे
“कुछ चाहिए क्या किसी को , मैंने आँख नचा के मुस्करा के पूछा ,
" हाँ , हाँ , " वो बोल पड़े , आँखे अभी भी महावर रंगे , गोरे तलुओं से चिपकी थीं।
मैंने हलके से पैर हिलाया ,मेरे बिछुओं की रुनझुन और पायल की झंकार ने हामी भर दी।
और फिर तो उनके होंठ ,
पहले एक एक उँगलियाँ , फिर अंगूठा , सिर्फ किस और लिक ही नहीं , उनकी प्यासी लालची जीभ कभी उन्हें फ्लिक करती कभी सक करतीं।
और फिर मेरे तलवे का आर्च , उसकी गहराई , हजारों छोटे छोटे चुम्बन जैसे सावन भादों की झड़ी लगी हो। फिर लम्बी जीभ से लिकिंग , और उसके बाद जैसे कोईनाउँ महावर लगा रही हो , एड़ी से लेकर ,किनारे किनारे , फिर सारी उंगलियां , एक के बाद एक ,…
और फिर दूसरा पैर , फिर मेरी गोरी गोरी मांसल पिंडलियाँ , जो पिण्डारियों की तरह उनका मन लूट रही थीं ,चुम्बन के पुष्पों का अर्पण ,
मैंने कनखियों से 'वहां ' देखा , एकदम टनाटन , ऐसा कड़ा औ खड़ा की पूछिये मत।
और जब उनके होंठ मेरे घुटनों तक पहुँच गए , तो मैंने उन्हें उनके सपने से जगाया।
" यू हैव बीन अ वेरी गुड ब्वॉय ,यू विल गेट टू गिफ्ट्स , मेरी सेक्सी आवाज ने उन्हें सपने से उठाया।
जैसे किसी ने जादू कर दिया हो बस वो मन्त्र्वत देख रहे थे ,
मैंने उनके पैरों की ओर इशारा किया और उन्होंने एक पैर आगे बढ़ाया ,
मैंने धीमे से अपने पैर की चांदी की घंघरुओं वाली पायल खोली , और उनके पैरों में बाँध दी।
" ये लो , मेरी गिफ्ट , अब तुझे ये हरदम मेरी याद दिलाएगी , हरदम तुम्हारे साथ ,हाँ लेकिन अब तुम इसे कभी भी उतारनहीं सकते , हैं न अच्छी। "
उनकी निगाहें मेरी पायल से चिपकी थीं।
और वह अभी उस से उबर भी नहीं पाये थे की मेरी दूसरी गिफ्ट
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गिफ्ट
और वह अभी उस से उबर भी नहीं पाये थे की मेरी दूसरी गिफ्ट
…..
मैंने एक सिल्कन सारोंग सी लपेट रखी थी , वो एक झटके में खुल के मेरे हाथ में और अगले पल , उनके चेहरे पे।
वो ख़ुशी से निहाल हो गए , लेकिन असली गिफ्ट तो अभी बाकी थी।
मेरी गुलाबी चुन्मुनिया सिर्फ एक छोटे से गुलाबी थांग में छुपी थी , छुपी कम खुली ज्यादा।
आगे से दो अंगुल की पट्टी , लेसी मेरी पुत्तियों से चिपकी ,उन्हें दबोचे , लेकिन पीछे से तो बस एक पतले धागे सी , मेरी नितम्बों के दरार के बीच छुपी,
और मैं अब नीचे थी , पलंग को दोनों हाथों से पकडे , अपने पिछवाड़े से उन्हें ललचाती ,अपने नितम्बों से उन्हें ललचाती , लुभाती।
चूतड़ के मामले में मैं एकदम अपनी मम्मी पे गयी थी। उनकी एकलौती बिटिया होने के नाते बहुत कुछ इन्हेरिट किया था मैंने , लेकिन सबसे बढ़कर , यही
दीर्घ नितम्बा , लम्बे सुरु की तरह पैरों और २६ इन्च की कटीली पतली कमरिया पे , एकदम कड़े कड़े , भरे हुए ३५ + के हिप्स कुछ ज्यादा ही जानमारु लगते थे , और अब जब मैं निहरी हुयी तो दो कटे तरबूजों की तरह ,
परफेक्ट शेप भी साइज भी ,
मैं जान रही थी ,उनकी क्या हालत हो रही होगी और ऊपर से मुड़ कर जो मैंने उन्हें आँख मारी और अपनी लम्बी उँगलियों से अपने चूतड़ को सहला के , थोड़ा फैलाके पूछा ,
" बोल चाहिए "
" हाँ , हाँ एकदम प्लीज दो न ,प्लीज "
उनकी हालत खराब हो रही थी।
ही वाज जस्ट सैलीवेटिंग विद लस्ट।
" लो न "
बड़ी अदा से मैं बोली और फिर सामने देखने लगी। [/
अगले ही पल मेरे दोनों चूतड़ों पर चुम्मियों की बारिस होने लगी और साथ में लिकिंग भी ,
सच में लिप सर्विस में माहिर थे वो।
कुछ देर के बाद बिना कुछ बोले मेरे हाथों ने फिर मेरे चूतड़ों को फैलाया , हलके से थांग को सरकाया , और फिर सीधे असली टारगेट ,
' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,
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स्वर्ग द्वार
असली टारगेट ,' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,
' चाट ,जोर जोर से चाट। "
मैं ने बोला और बिना रुके उनके हाथ जो अब प्यार से मेरे चूतड़ सहला रहे थे , उन्होंने अब ताकत लगा के उन्हें फैला दिया और जीभ सीधे गांड के मुहाने पे।
और नीचे से ऊपर , नीचे से ऊपर ,बार बार ,
मैं गिनगीना रही थी, काँप रही थी , मस्त हो रही थी , फिर मेरे बिना कहे उन्होंने वो किया ,जो मैं इन्तजार कर रही थी ,चाह रही थी ,
उनके जीभ की टिप , पहले गांड के छेद को चाटती रही खोदती रही , फिर अंदर।
" ओह्ह हाँ , हान्न्न्न्न्न्न ,और , और, प्लीज ऐसे ही बहुत अच्छा लग रहा है , और अंदर घुसेड़ो न ,प्लीज ,… "
मेरे मुंह से सिसकियाँ निकल रही थीं।
और अब जो मुझे अच्छा लगता था , बस उन्हें भी वही अच्छा लगता था , जोर से उन्होंने दोनों हाथों से मेरे गांड को पूरी ताकत से फैलाया और , पूरी ताकत से जीभऔर अंदर ,
" ओह्ह हाँ , साल्ले , मादरचोद , चाट चाट ऐसे ही चाट , चल अगर मुझे खुश कर दिया न तो तेरी माँ की भी गांड भी ऐसे हीचटवाउंगी तुझसे , उसके चूतड़ तो जगत मसहूर है एकदम बड़े बड़े , चाट साल्ले मादरचोद , और अंदर , हाँ ,…हाँ , … गांडभी मरवाउंगी तेरी माँ की , पहले चटवाउंगी अपने सामने , ओह्ह बहुत अच्छा , प्लीज और थोड़ा सा , और थोड़ा सा , हाँहांआआअ , ओह्ह ओह्ह्ह्ह्ह मादर , बहन के भंडुए ,ओह्ह अहह "
गूई,लिसलिसी सी , लिथड़ी चिपकी जीभ की टिप अब वहां पहुँच गयी थी , और मेरी पूरी देह में गिनगिनी हो रही थी ,
जोर से दोनों हाथों से मैंने पलंग को पकड़ रखा था ,मस्ती से मेरी आँखे बंद हो रही , यही तो मैं चाहती थी ,
कुछ भी गर्हित ,वर्जित न हो हम दोनों के बीच में , नो होल्ड्स बार्ड ,
और मैंने भी अपनी मस्त गांड के छेद को जोर से पीछे धक्का दे उनके मुंह पे एकदम चिपका दिया।
उन्होंने भी दुगने जोश से ,
वो गुई गुई सी लिसलिसी सी , और वो भी , जैसे कोई चम्मच से करोच रहा हो , गांड के अंदर की दीवारों पे उनकी जीभ रगड़ रगड़ के , गोल गोल
जैसे जैसे मेरी गालियां बढ़ रही थी वैसी ही उनकी गांड के अंदर की चटाई ,
" मादरचोद,मेरी सास के यार , ओह्ह चाट साले चाट तेरी बहना की भी गांड मरवाउंगी तुझसे , अपने सामने , बहुत कसीहोगी उस छिनार की हचक हचक के मारना उस की गांड , चाट मादरचोद। "
और जीभ का जोर दुगुना होगया ,
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।
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पतली सी चांदी की चेन अभी भी मेरी अंगूठी सी कमर को घेर रही थी और एक लहराती साटन की करीब करीब पारदर्शी स्कर्ट , घुटनो से बहुत ऊपर तक और उसकेनीचे एक पतली , गुलाबी थांग
किसी को भी पागल कर दें।
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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कथा रति विपरीत की
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।
वो नीचे ,मैं ऊपर।
मैं उन्हें चोद रही थी , चुदवा रही थी , दोनों धुआंधार चुदाई का मजा ले रहे थे।
अब वो चुदाई का असली पाठ सीख चुके थे , पहले मुझे झाड़ने का , कम से कम तीन बार मैं झड़ूं फिर उनका नंबर
और लंड के अलावा भी लौंडिया को मजा देने की बहुत सी चीजें हैं , होंठ ,अंगुलियां , उन सबका इस्तेमाल।
तीन बार तो नहीं लेकिन मैं दो बार झड़ी , जब मैं दूसरी बार झड़ी तब वो मेरे साथ.
और क्या मस्त झड़े वो।
बस झड़ते ही रहे , वो जब रुके तो एक बार फिर मेरी चूत चटोरी ने उसे दबोच लिया , निचोड़ लिया ,
फिर तो पूरे सावन की बारिश जैसे एक रात में हो जाय ,
देह उनकी पूरी शिथिल हो गयी थी, आँखे बंद हो गयी थी ,लेकिन लंड उनका , उसका फुव्वारा रुकने का नाम नहीं ले रहा था ,
खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई , मुट्ठी भर से तो ज्यादा ही रही होगी।
और मेरी भूखी नदीदी चूत ने न सिर्फ हर बूँद घोंट लिया ,बल्कि निचोड़ के , एक बूँद भी बाहर नहीं जाने दी उसने।
हम लोग बहुत देर तक ऐसे ही पड़े रहे , करवट , एक दूसरे की बाहों में ,बंधे हलके हलके सहलाते और उनका खूंटा मेरे अंदर ही धंसा रहा।
आधे घंटे भी शायद ही गुजरे होंगे और ,इस बार शुरआत उन्होंने ही की ,
मैं सिर्फ लेटे लेटे मुस्कराती रही ,उन्हें उकसाती रही ,मजे लेती रही.
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सजनी -साजन --- रात भर
आधे घंटे भी शायद ही गुजरे होंगे और ,इस बार शुरआत उन्होंने ही की ,मैं सिर्फ लेटे लेटेमुस्कराती रही ,उन्हें उकसाती रही ,मजे लेती रही।
उनके होंठ अब डाकू हो गए थे।
पहले मेरे रसीले गालों पे ,और उसके बाद उनका जो असली टारगेट था , मेरे गददर जोबन , जीभ उनकी मेरे कांच के कंचे ऐसे कड़े कड़े गोल गोल निपल फ्लिककरती ,कभी नीचे से ऊपर तक चाटती तो कभी वो उसे होंठों में ले के चूस लेते , हलके से बाइट कर लेते।
मेरी हालत खराब हो रही थी , मस्ती से आँखे मुंद गयी थी , सिसकियाँ निकल रही थी लेकिन सबसे ज्यादा निचले होंठ , फड़क रहे थे , गीले हो रहे थे और मैं बसजोर जोर से उन्हें कस के भींचे ,सिकोड़े , ....
लेकिन अब उन्हें सारे मंतर आ गए थे।
उनके होंठ सीधे मेरे निचले होंठों पे,
जवानी का खजाना खुल गया , अपने आप दोनों दरवाजे ,मेरे रसीले गुलाबी भगोष्ठ , मेरे बस में नहीं थे।
और उनकी जीभ ने सेंध लगा दी , कुठरिया में , जहाँ उनकी थोड़ी देर पहले की उनकी गाढ़ी मलाई जमा थी।
किसी नदीदे बच्चे की तरह , आम की फांक तरह फैला के , लपर लपर वो चाट रहे थे , चूस रहे ,
और एकदम अंदर तक
ओह्ह हाँ हाँ हाँ और चाट चाट ,पूरा , ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज ,
मैं चूतड़ उठा उठा के सिसक रही थी , मस्ती से गांड पटक रही थी ,
प्लीज बस बस , अब और नहीं , बस ,
मैं बेबस थी लेकिन वो , मेरे साजन आज बस नहीं करने वाले थे।
उनका खूंटा भी पागल हो रहा था।
और जब मैं एकदम झड़ने के कगार पे थी , उन्होंने मेरी दोनों लम्बी टाँगे उठा के सीधे अपने कंधो पे , दोनों हाथ मेरे उठे बड़े बड़े चूतड़ पे ,
और पूरी ताकत से पहला धक्का ,
पहले धक्के में उनके मोटे पहाड़ी आलू ऐसे सुपाड़े ने मेरी बच्चे दानी पे ऐसी चोट मारी की मेरा कलेजा काँप गया और मैं झड़ने लगी ,देर तक झड़ती रही , कांपती रही, जैसे बारिश बंद होने के बाद भी पत्तों से ,अटारी से पानी की बूंदे टपकती रहती हैं , रस मेरी चूत से टपकता रहा ,टप टप।
पहली बार चुदाई शुरू होने के साथ मैं झड़ी थी।
मेरे साजन यही तो मैं चाहती थी।
धक्के उन्होंने रोक दिए थे , जब तक मैं झड़ रही थी लेकिन लंड का जोर , मेरी बच्चेदानी पे ज़रा भी कम नहीं हुआ था।
और मेरा झड़ना रुका भी नहीं था दरेरते ,रगड़ते ,मेरी कसी ,संकरी चूत की दीवाल से रगड़ते उन्होंने पहले हलके हलके फिर हचक हचक के चोदना शुरू किया।
थोड़ी देर में उनका तिहरा हमला चालू हो गया था , एक हाथ चूंची दबाता ,कभी निपल मसलता तो दूसरा , क्लिट सहलाता रगड़ता , और होंठ कभी गाल पे तो कभीजुबना पे।
और साथ में लंड उनका तूफान मेल हो रहा था।
धक्के के बाद जिस तरह से लंड का बेस जिस तरह से मेरे क्लिट को रगड़ता मैं सिसकियाँ भरने लगती।
इस बार मैं सिर्फ चुदवा रही थी नीचे लेटे मजा ले रही थी।
और बीच बीच में चूतड़ उठा उठा के उनके धक्कों का जवाब दे रही थी।
और अब जब मैं झड़ी , तो बाहर आसमान में हलकी लाली हो रही थी।
रात कब की जा चुकी थी।
हम दोनों साथ साथ झड़ते रहे। देर तक।
फिर मैं उन्हें अपनी बाहों में बांधे बांधे सो गयी ,
और देर तक सोती रही।
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अगली सुबह
और अब जब मैं झड़ी , तो बाहर आसमान में हलकी लाली हो रही थी।
रात कब की जा चुकी थी।
हम दोनों साथ साथ झड़ते रहे। देर तक।
फिर मैं उन्हें अपनी बाहों में बांधे बांधे सो गयी ,
और देर तक सोती रही।
बेड टी ,गरम गरम चाय की आवाज से नींद खुली।
साढ़े नौ बज रहे थे।
वो चाय की ट्रे के साथ , चाय एकदम वैसी जैसे मुझे पसंद थी , खूब गरम , खूब कड़क। साथ में बिस्किट।
............................
चाय हम दोनों ने बिस्तर पे साथ साथ पी ,और फिर मैंने 'उनका नाश्ता 'कर लिया।
और मैंने बेईमानी नहीं की , उन्हें भी खूब 'रबड़ी मलाई ' खिलाई।
उनके ऊपर चढ़ के , चेहरे पे बैठ के ,फेस सिटिंग ,
सीधे अपनी चूत से , आखिर उन्ही की रबड़ी मलाई थी।
" हे मुझे अभी नींद आ रही है , डेढ़ दो घंटे बाद , ब्रेकफास्ट यही "
मैं सो गयी और वो किचेन में।
११ बजे उन्होंने उठाया ,
आमलेट , एकदम परफेक्ट , टोस्ट और फ्रेश मैंगो जूस।
खाना बनाने में मैंने उनका साथ दिया लेकिन काम सब उन्होंने ही किया।
तीन दिन में वो एकदम परफेक्ट हो गए , किचेन में भी ,बेड पर भी।
मंडे के दिन जब वो आफिस जा रहे थे , हग और किस के साथ मैंने देखा ,
उनके माथे पे बड़ी सी लाल बिंदी अभी भी दमक रही थी।
" अरे ये निकाल दो , घर के लिए ठीक है , लेकिन,… "
और बिंदी मैंने उनके माथे से निकाल दी।
आफ कोर्स मेरी पायल अभी भी उनके पैर में थी , मोज़े के अंदर , देह का हिस्सा बनी।
और मेरी पैंटी भी जो मैंने पिछले दो दिनों से पहनी थी ( और मम्मी कीआइडिया थी ,थोड़ी स्वायल्ड भी हो तो ,और , … मम्मी की बात तो मैं टालती नहीं ) मेरी देह गंध और देह रस की उन्हें याद दिलाती।
" हे लेकिन अब तो तुम जोरू के गुलाम के साथ , तो ,… फिर तो कोई तो सुहाग की निशानी होनी चाहिए न तेरी देह पे , और मैंने अपने पाँव से बिछुआ निकाल
केउन्हें पहना दिया।
सवा बारह बजे उनकी मंडे मीटिंग शुरू होती थी , उस के आधे घंटे पहले से ,… कोई भी फोन ,एस एम एस कोई सोच भी नहीं सकता था।
ठीक बारह बजे मैंने फोन किया। [
आफिस में भी ,
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माम
ठीक बारह बजे मैंने फोन किया।
"माम का फोन आया है , एक साइट बनायीं है उन्होंने तुम जरा खोल के उन्हें बता देना ,कैसी लगी। हाँ पासवर्ड , मम्मी ने कहा है उस छिनार के पूत से कह देना की खुद दिमाग लगाए , मम्मी के कहने पे और
उनके सामने जो तुझे करना होगा , बस वही है। प्लीज जल्दी , तुम जानते हो मम्मी को वेट करना अच्छा नहीं लगता। "
पांच मिनट के अंदर खुद उनका फोन आ गया , उन्होंने साइट खोल ली और मम्मी से बात भी कर ली है।
" बहुत मम्मी बहुत खुश है और हो सकता है हफ्ते दस दिन में आएं। "
" पासवर्ड तुमने कैसे पता किया इतनी जल्दी। "
मैंने पूछा।
वो खिलखिलाए फिर बोले , बस पता कर लिया।
" क्या था बोलो न "
मैं छोड़ने वाली नहीं थी आसानी से।
" अरे देखो बेबी तुझे अब करना तो पडेगा ही , तुम मम्मी को अच्छी तरह जानते हो , और वो भी मेरे और मम्मी के सामने ,… बोलो न। "
वो फिर खिलखिलाए और बोले ,
" मादरचोद "
और फोन रख दिया।
पीछे से उनकी सेक्रेटरी मिसेज डी मिलो की आवाज आई , मीटिंग के बारे में।
और मुस्कराते हुए मैंने भी फोन रख दिया।
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उनका,… कल, आज और,… कल
जैक एंड जिल ,वेंट अप द हिल
टू फेच अ पेल आॅफ़ वाटर ,
....
हिकॉरी डिकारी डाक ,
माउस रैन अप द क्लॉक ,
....
लिटिल मिस मफेट सैट आन अ टफेट
…
कोई भी पड़ोस की आंटी ,रिश्ते की मौसी आ जाएँ , और वो ,…
बस आंटी की ओर देखते रहेंगे तारीफ के इंतजार में , और इस की भी की उनकी माम कैसे तारीफ़ सुन के खुश होती हैं।
कोई भी आएं , पड़ोसन ,रिश्ते की महिला बस वो चाभी भरे बबुए की तरह,
और जैसे ही आंटी ने बोला , उनके कायदे से काढ़े गए बालों को बिगाड़ा और कहा ,
"खूब सिखाया है मुन्ने को। "
उसके बाद उनके पायल की रुनझुन ,और कोई न कोई जरूर बोल उठती, साथ में उनके गोरे गुलाबी गालों पे चिकोटी भी काटतीं
"अरे इसे पायल पहना रखी है "
और तुरंत उनकी माम , " और क्या कित्ती प्यारी लगती है ,मैं तो इसकी मांग भी सीधी काढती हूँ , अरे जब तक कॉलेज नहीं जाता था , तब तक तो फ्राक भी पहनाती थी लेकिन अब कभी कभी घर में , "
" सच में एकदम सुन्दर प्यारी गुड़िया जैसे है एकदम और कोई आंटी ,मौसी जरूर उन्हें चूम लेती। "
हाँ कोई कोई ये भी बोलती , सही है लड़की की भी साध इसी से पूरी कर रही हो।
बात असल में यही थी , खुद मेरी सास ने मुझे बताया था। इनके बड़े भाई के होने बाद उनकी बड़ी साध एक गोरी गुलाबी मुनिया आये घर में।
जबतक वो पेट में थे , छोटी प्यारी लड़कियों की फोटुए उन्होंने कमरे में लगा रखा था , हरदम प्यारी प्यारी सुन्दर लड़कियों के बारे में सोचा करती थीं ,
और उन्ही के शब्दों में 'लेकिन लटकन राम आ गए'
लेकिन अपनी ओर से जो कर सकती थीं वो उन्होंने किया , सीधी मांग काढ़ना ,पायल पहनाना ,फ्राक।
यहाँ तक की शुरू में जिस कॉलेज में वो गए वहां लड़कियां ही ज्यादा थीं , और कई बार लड़कियों के प्रोग्राम में लड़कियों के ड्रेस में
और अगर उन्होंने कुछ मुंह बनाया तो उनकी माम ,
" अरे छोटे बच्चों के साथ सब चलता है फ्राक इतनी प्यारी तो लगती है तेरे ऊपर। "
और वो अपने माम को खुश करने के लिए कुछ भी कर लेते थे।
पता नहीं जैसे मैंने उनकी चैट्स में घुसपैठ कर के देखा था , सीसीफिकेशन का शौक शायद उन्हें पेट से ही लग गया ही या फिर बचपन का असर हो पता नहीं ,
लेकिन बड़े उम्र की स्त्रियों का अप्रूवल , उनकी तारीफ , उनके लिए इतना मायने रखती थी की अक्सर वो पहले से एन्टीसिपेट करके , वही करना चाहते थे एकप्रोविंग ग्लांस मिल जाए , तारीफ नहीं भी हो तो बसके तारीफ़ वाली निगाह भी मायने रखती थी।
और ये उन्होंने खुद बताया था बचपन में एक टीचर थीं , ३५ -३६ की उम्र रही होगी , उनके क्लास में वो हमेशा खूब तैयारी करके जाते थे , सवाल के जवाब में सबसे पहले वो हाथ उठाते थे।
उन के बचपन के बारे में सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी।
जब उठी तो तीझरिया हो रही थी , नेट पर मैंने कुछ देखा एक दो फोन घुमाया और फिर उन्हें नंबर लगाया.
कूकरी क्लास
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कूकरी क्लास
जब उठी तो तीझरिया हो रही थी , नेट पर मैंने कुछ देखा एक दो फोन घुमाया और फिर उन्हें नंबर लगाया।
" हे आज शाम को आफिस से थोड़ा जल्दी निकलना , मिसेज तनेजा को जानते हो न , फेमस कूकरी एक्सपर्ट , उनके यहाँ मैंने तुम्हारे लिए टाइम बुक कर लिया है। "
मैंने उन्हें बोला।
" पर आज शाम को कैसे , मेरी कुछ क्लाएंट्स से मीटिंग शेड्यूल्ड है ,बड़ी इम्पोर्टेंट मार्केटिंग मीटिंग है , "
वो कुछ हिचकिचाते बीच में इंटरप्ट करते बोले।
" तुम आदमी लोग , कब सुधरोगे ,थोड़ी तो लिसनिंग एबिलिटी डेवलप करो , जब मैं बोल रही हूँ
तो चुपचाप पहले सुनो , समझो। "
मेरी आवाज अब थोड़ी कड़ी होगयी थी और वो भी समझ गए थे की उन्हें 'आफिस मोड ' से बाहर निकल आना चाहिए ,
जब मैं बोल रही हूँ , भले ही वो आफिस में बैठे हों।
" अब चुपचाप मुंह बंद करके सुनो , मिसेज तनेजा का एक हफ्ते का कूकरी कोर्स है ,सिर्फ ६-८ सीटें हैं , दो घंटे का ,
आज से शुरू हो रहा है। बड़ी मुश्किल से मैंने उन्हेंपटाया है तुम्हे लेने के लिए , खास तौर से मुगलाई ,अवधी ,…सब के सब नान वेज , और तेरे मायकेवालों ने तो वैसे भी कुछ सिखाया नहीं , वो लोग तो १८ वीं शताब्दी में रहने वाले ,
वहां तो लहसुन प्याज भी ,
और तुम को तो मालूम है मम्मी को नान वेज कितना पसंद है। खैर बड़ी मुश्किल से वो मानी है तो तुम टाइम पर , और हाँ वो स्वीट डिश भी एक सिखाएंगी तो मैंने मैंगो सूफले के लिए बोल दिया , अबतो तुम मैंगो खाने लगे हो।
हाँ एक बात और , वहां एप्रन कंपल्सरी है तो मैंने मिसेज डी मेलो को बोल दिया है एक पिंक एप्रन तेरे लिए अरेंज करने कोऔर हाँ वो जो तुम्हारी चाय समोसे वालीसो काल्ड इम्पॉरटेंट मीटिंग है , वो मिसेज डी मेलो ने आलरेडी रिशेड्युल्ड कर दी हैं। और हाँ टाइम पर जाना और एप्रन मत भूलना ".
मैंने फोन रखा भी नहीं था की मिसेज डी मेलो ,उनकी सुपर एफिसिसएंट सेक्रेटरी उनके कमरे में थीं ,
पिंक एप्रन के साथ।
" मेरे ख्याल से सर आपको निकलना चाहिए , पन्दरह मिनट में पहुंचना होगा आपको वहां। "
बड़ी मुश्किल से अपनी खिलहिलाहट दबाते मैंने फोन रखा।
मेरा तो मन कर रहा था की मिसेज डी मेलो को बोलूं की जरा अपनी पिंक लिपस्टिक दें दें उनको फ्रेशःअपहोने के लिए। लेकिन मैंने सोचा की चलो थोड़ा धीरे धीरे , उनकी ३० + गोवानीज सेक्रेटरी अब पूरी तरह मेरे पाले में थी।
ढाई तीन घण्टे बाद वो लौटे ,एकदम हैरान परेशान , थके बुझे।
मैंने मुस्कराहट रोकी , ये तो होना ही था।
बाकी सब कोर्स वाली औरते थीं ,और सब की सब नंबरी मर्दखोर।
मिसेज तनेजा कौन कम थीं , और ये बिचारे अकेले ,खूब रगड़ाई हुयी होगी।
लेकिन मैं भी छोड़ने वाली नहीं थी,
" अरे जरा जो आज सीख़ विख के आये हो , जरा बना के दिखाओ , मैंने सब चीजें तैयार कर के रख दी हैं। अच्छा चलो थके होगे , एक कप चाय बना लो , बल्कि दोकप , मेरे लिए भी। "
टफ हफ्ता था उनके लिए। लेकिन ८-१० नान वेज रेसिपीज उन्होंने अच्छी तरह सीख ली।
सबसे बढ़कर जो असली चीज होती है , कब धीमी आंच पे हलके भूनना है तो कब
और सब बढ़कर मुझे गुड्डी ,मेरी ननद की बाते याद आ रही थी ,
"मेरे भैया वो तो छूते भी नहीं है , आप के मायकेवालों की तरह नहीं।"
और एक बार जब मैंने बर्थडे पे पेस्ट्री मंगा ली थी ,लाख कहा मैंने एगलेस है पर वो छिपकली ,
' क्या पता , और फिर बर्तन तो वही होते हैं और आपको तो मालूम है यहाँ सब लोग एकदम , … "
और पेस्ट्री फेंकी गयी।
और अब रोज वही ,
मैरिनेट ,वाशिंग, क्लीनिंग ,सब कुछ,
एक मेरी 'पैंटी फ्रेंड ' थी ,उनके ग्रूप में उसने खूब मजे ले ले के सुनाया ,कैसे सब औरतें उनकी रगड़ाई करती थीं ,
सब मिल के ऐसे छेड़ती थीं की बस ,
मुझे अपने शुरू के दिन याद आ गए उनके मायके में जो मेरे साथ , ....
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मिसेज खन्ना
एक दिन मैं मिसेज खन्ना के साथ बैठी थीं , हमारे कंपनी की वी पी की वाइफ लेडीज क्लब की सर्वे सर्वा , और कंपनी में भी उनकी ही चलती थी। मिस्टर खन्ना तोउनके उँगलियों पे नाचते थे और जो कंपनी के हेड थे उनकी वाइफ कभी कभार ही आती थी , और वो भी आधे टाइम कभी टूर तो कभी मीटिंग ,… इसलिए।
मिसेज खन्ना , खूब लम्बी चौड़ी ,अर्ली फॉर्टिज , अमेजोनियन ,जो कहते हैं मर्दमार एकदम वही और 'दोनों ओर चलती थीं' , जितनी कम उम्र की हो उतना अच्छा , चाहे कच्ची कली हो या कच्चा केला, और खास तौर से बहुत सी औरतें उनसे थोड़ा बच के ही ,लेकिन मैं उनकी पक्की चमची बन गयी थी , मुझे मालूम था अगर इतनी जूनियर होने पे भी
अगर मुझे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी बनना है , और इनके करियर के लिए भी मिसेज खन्ना बहुत इम्पॉरटेंट हैं।
हम लोग सीरियल के बारे बाते कर रहे थे , उनके दुश्मनों की बुराई कर रहे थे
और हर चार पांच मिनट में मैं २०० - २५० ग्राम मक्खन बहुत सफाई से ,
तबतक ये आ गए।
और उनके आते ही वो खड़ी हो गयीं और मुझसे कहने लगी ,
" मैं चलती हूँ , अब तेरे हबी आ गए हैं , तू चल चाय वाय बना। "
" नहीं नहीं मैडम बैठिये न , " और फिर 'उनकी 'ओर मुड़ के मैंने जोर से बोला ,
" सुनो ,हम लोगों के लिए चाय बना लेना और हाँ कुछ पकौड़ी वकौड़ी भी। "
मिसेज खन्ना को जैसे अपने कानों पे यकीन नहीं हो रहा था।
मेरे कहने पे बैठते हुए हलके से ,फुस्फुसफुसा के मुझसे बोलीं वो ,
" तू उससे चाय बनाने को बोल रही है ,अभी वो आफिस से आया है। "
" तो क्या हुआ मैडम , और चाय अच्छी बनाते हैं वो ,
" हलके से मुस्कराते हुए मैं बोली और फिर किचेन की ओर आवाज लगाई जैसे किसी बेयरर को बोल रहीं हूँ ,
" सुनो ,शुगर अलग से लाना। "
मैडम के अचरज का कोई ठिकाना नहीं रहा।
कुछ दूर रुक के उन्होंने गहरी सांस ली और मेरी ओर झुक के हलके से बोलीं ,
" सुनो , लेकिन , शुरू में जब तुम लोग यहां आये , तो ,… ये थोड़ा ,… अलग सा था न। "
" एकदम मैडम , लेकिन मजा तो अनरूली हॉर्सेज को ही टेम करने में आता है न ,"
मैं बोली और हम दोनों एक साथ खिलखिला पड़े।
मिसेज खन्ना एप्रोविंग स्माइल के साथ मुझे देख रही थीं।
उनकी एक अप्रूविंग नाड के लिए क्लब की सारी सारी एक से एक सीनियर लेडीज ,मरी पड़ती थीं और यहाँ वो खुद ,…
" यार तुझमे कुछ है , सच में दैट इज व्हाई यू आर सो क्लोज टू माई हार्ट , यू हैव रिएल टैलेंट "
वो बोलीं और अबकी वो एकदम सीरियस थीं।
मुश्किल से ब्लश करने से मैंने रोका मैंने और बोली ,
" मैडम ये सब आपकी ट्रेनिंग का असर है , आपकी लीडरशिप में तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ। "
लेडीज क्लब का इलेक्शन जल्द होने वाला था , पुरानी सेक्रेटरी चली गयी थीं और इलेक्शन क्या जिसे मिसेज खन्ना कहें उसका बनना तय था। एज में सीनियरिटीमें मैं बहुत जूनियर थी , अभी कुछ ही दिन तो हुए थे हम लोगों के यहाँ आये। मुझसे १०-१५ साल सीनियर लेडीज मैदान में थीं , लेकिन अगर मिसेज खन्ना साथ मेंहो तो , और , … लेडीज क्लब की सेक्रेटरी का बहुत रोल था , जब कंपनी के बोर्ड आफ डायरेकटर आते थे , उनकी मिसेज के साथ , …और मेम्बर्स को भी रिसीवकरना , … चेयरमैन से भी सीधे , फिर फंड भी , सी एस आर का इतना ढेर सारा फंड था सोशल वर्क के नाम पे आउटिंग , मस्ती।
……….
मेरी किस्मत , तभी वो चाय और पकौड़े ले के आ गए।
" हे तुम भी बैठों न , " मैंने इंसिस्ट किया।
जो थोड़ी सी जगह सोफे पे थी वो मिसेज खन्ना के बगल में थी।
और मिसेज खन्ना अच्छी खासी दीर्घ नितम्बा थीं , ३८ + या शायद और ज्यादा।
मिसेज खन्ना जरा भी नहीं सरकी ,
थैंक्स ,मैडम कहते वो शरमाते झिझकते उनके बगल में बैठ गए।
हां ,मिसेज खन्ना ने अपना आँचल हल्का सा ठीक किया और उनके लो कट ब्लाउज से उनके 'ट्विन पीक्स ' ( वहां भी वो + साइज थीं ) अच्छे खासे झलक गए।
और चुपके से जिस तरह उन्होंने जो एक झलक उन उभारों की ली , मिसेज खन्ना की चपल निगाहों से न बची और न मेरे।
लेकिन मिसेज खन्ना चाहती भी तो यही थीं ,
" आराम से बैठो न ," जिस तरह शहद घोल के मिसेज खन्ना ने उनसे कहा , वो और वीर बहूटी हो गए , ऊपर से मिसेज खन्ना थोड़ा और उनकी ओर , … वो अच्छेखासे स्कवीज हो रहे थे।
मुझे उनकी ये हालत देख के बहुत मजा आ रहा था।
और यही कारण था जब मिसेज खन्ना आस पास होती थीं , बहुत सी लेडीज अपने हसबैंड्स को अपने पल्लू में छिपा के रखती थीं ,लेकिन मेरे लिए स्टेक्स बड़े हैवी थे, और मुझे ऐसी कोई घबड़ाहट भी नहीं थी।
जब झुक के पोलाइटली वो मिसेज खन्ना के लिए चाय ढाल रहे थे ,मिसेज खन्ना का शरारती आँचल एक बार
फिर और अबकी सिर्फ गोरी गोरी मांसल गहराइयाँ हीनहीं बल्कि ,कटाव ,कड़ा उभार सब कुछ साफ साफ झलक गया ,
और लाख कोशिश उनके करने के बावजूद एक नन्ही बूँद प्लेट में छलक गयी।
पहले तो मुझे गुस्सा लगा लेकिन मिसेज खन्ना का चेहरा देखकर मैं अपनी ख़ुशी नहीं रोक पायी ,
उन्होंने जोबन का जो तीर चलाया था ,वो एकदम सही लगा था।
और उनके आँखों में जीत की एक हलकी मस्ती छलक रही थी।
प्याला पकड़ते हुए भी उनकी अंगुली कुछ ज्यादा देर तक उनकी ऊँगली को छूती रही।
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