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08-07-2020, 01:27 AM
(This post was last modified: 08-07-2020, 01:29 AM by Rishu. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
वो दोनों जब अंदर पहुचे तो देखा की केवल १०-१२ मेहमान ही थे. मनीष ने दिव्या से पुछा "अरे भाभी लोग आये नहीं या वापस चले गए"
"तुम्हारे भाई साहब ने बुलाये ही नहीं. और जो बुलाये गए हैं ये भी जाने को बेताब है इसलिए माई डिअर हस्बैंड जल्दी से केक काटो" दिव्या ने हँसते हुए जवाब दिया.
राजेश ने भी फौरन केक काटा और दिव्या के साथ साथ मनीष और रेनू को भी अपने हाथो से केक खिलाया. केक कटने के बाद सब लोग खाने में लग गए और मनीष रेनू को लेकर बार की तरफ आ गया.
मनीष खुद तो स्कॉच पीने लगा और रेनू को उसने जिन का गिलास पकड़ा दिया. रेनू कभी कभार पीने वालों में थी लेकिन यहाँ वो पति के साथ थी तो पीने लगी. उसने देखा की राजेश आज उसका ज्यादा ही ख्याल रख रहा है. मनीष ने भी ये बात नोटिस की और रेनू से हँसते हुए कहा "राजेश भाई तो लट्टू हो गए हैं आज तुम्हारे ऊपर"
वो कुछ जवाब देती तब तक राजेश खुद उसके लिए एक पेग बनवा कर ले आया और उसे देते हुए बोला "आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही है"
"थैंक्स. अब मैं और नहीं लूंगी. पहले ही ३ हो गए है" रेनू ने शर्माते हुए जवाब दिया.
"अरे ये स्पेशल बनवाया है आपके लिए. बस लास्ट. पीकर तो देखिये मैडम." राजेश ने जबरदस्ती गिलास रेनू को पकड़ा दिया और मनीष से कुछ बात करने लगा. एक सिप लेने पर रेनू को ड्रिंक अच्छा लगा और वो धीरे धीरे उसे पीने लगी लेकिन ड्रिंक ख़तम होते होते रेनू को काफी नशा हो गया. उसे तबियत ख़राब लगने लगी.
उसने इशारे से मनीष को अपने पास बुलाया और घर चलने को बोला. उसने कहा "देखो कई लोग तो चले गए अब गिनती के ४-५ लोग रह गये हैं. अब हमे भी चलना चाहिए. मेरी तबियत भी कुछ भारी हो रही है. सर दर्द कर रहा है"
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मनीष ने उसको बताया "हाँ यार मुझे भी काफी नशा हो गया है. इतनी पीकर तो मैं हाई वे पर गाडी नहीं चलाऊँगा. एक काम करते हैं. हम आज यहीं रुक जाते हैं. राजेश ने यहाँ कमरे भी बुक करवा रखे है. कुछ और लोग भी रुक रहे हैं. तुम कहो तो राजेश से बात करता हूँ"
"ठीक है लेकिन जो करना है जल्दी करो" रेनू ने परेशान होते हुए कहा.
मनीष राजेश के पास गया और उससे सब बात बता कर चाभी ले आया "लिफ्ट के सामने वाला २०२ नंबर का रूम है. तुम चलो और मैं तुम्हारे लिए नीम्बू पानी और दवा लेकर आता हूँ." ये कह कर मनीष ने रेनू को चाभी दे दी.
रेनू लिफ्ट से ऊपर आकर २०२ नंबर के रूम में आ गयी और मनीष के लिए दरवाजा खुला छोड़ दिया…. रेनू को वॉमिट सी महसूस होती है तो वो कपडे उतार कर बाथरूम में चली जाती है फिर नहा कर वो वापस रूम में आती है और अपने कपडे पहन लेती है. उसका सारा मेकअप धुल गया है पर वो और भी खूबसूरत नजर आ रही है. नहाने से उसका नशा तो थोडा कम हो गया लेकिन उसका सर अब भी काफी दुख रहा था…
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उधर राजेश बाकी मेहमानों को विदा करके मनीष के पास पहुचता है और रेनू के बारे में पूछता है. मनीष बताता है "रेनू को तो रूम में भेज दिया है. उसे काफी नशा हो गया है. अब क्या करना है."
राजेश मनीष से कहता है "दिव्या २०७ में है. उसको मैंने समझा दिया है की आज की रात तुम उसके साथ रहोगे. तुम वहाँ चले जाओ. कोई दिक्कत होगी तो काल करना."
"लेकिन रेनू से तो कोई बात नहीं हुई है. कुछ गड़बड़ न हो जाए" मनीष कहता है.
"कुछ नहीं होगा. एक तो वो नशे में है और फिर मैं सब संभाल लूँगा. जाओ दिव्या तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी और ये टेबलेट ले लो." राजेश जेब से दो गोलियां निकालता है और एक मनीष को दे देता है.
मनीष और राजेश एक -एक गोली खा लेते है फिर मनीष राजेश से कहता है "लेकिन मुझे भी तो देखना था."
"यार आज काम हो जाने तो उसके बाद बहुत मौके आएंगे देखने के भी और साथ में करने के भी. अब तुम जाओ." राजेश के समझाने पर मनीष दिव्या के पास चला जाता है और राजेश मनीष की बीवी के रूम में एक ट्रे में कुछ ड्रिंक्स और टेबलेट लेकर आ जाता है.. अभी रेनू को बिस्तर पर लेटे १५ मिनिट भी नहीं हुए थे और वो उनीदी सी थी.
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राजेश: रेनू?
रेनू राजेश की आवाज़ सुन कर चोंक जाती है और जल्दी से उठ बैठती है..
राजेश: क्या हुआ मैडम? सो गयी थी क्या? तबीयत तो ठीक है?
रेनू राजेश के इस तरह के सवाल सुनकर सोचती है की मनीष ठीक बोल रहा था. आज तो सच में ये मुझ पर आशिक़ हैं इसीलिए इतनी रात को रूम में भी आ गया है. उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है.
राजेश: तुम मुस्कुरा क्यूँ रही हो? जवाब तो दो तबीयत तो ठीक है ना?
रेनू वापस अपने होश मे आकर कहती है "जी….. जी में बिल्कुल ठीक हूँ…. राजेश जी… वो मनीष कहाँ हैं"
राजेश "वो आता ही होगा जब तक तुम ये एक टेबलेट खा लो."
रेनू: टेबलेट? किस चीज़ की दवा है ये…
राजेश कहता है "वो.. वो.. वो तुम्हारे सर में दर्द है न. मनीष से कहा था तुमने. ये उसी की दवा है…"
रेनू: "सस्स्स्शह हाँ मेरे सर मे काफी ज़्यादा दर्द हो रहा है. दो गोली ले लेती हूँ".
इतना बोल कर वो 2 टेबलेट पानी के साथ ले लेती है. राजेश "अरे अरे दो नहीं" तब तक रेनू दो गोली ले लेती है और राजेश मन मे सोचता है की अरे अब तो इसकी आग व्याग्रा का बाप भी नहीं बुझा पाएगा..
रेनू: क्या हुआ दो गोली से क्या प्रोब्लम है. आप इतना क्या सोच रहे हो…
राजेश: वो… वो कुछ नहीं. दवा स्ट्रोंग है. एक से ही आराम आ जाता. कोई बात नहीं अब ले ली तो ले ली. अभी दवा ली है ना तो ये एक कोल्ड ड्रिंक और पी लो और ये साड़ी वाड़ी उतार कर थोडा रेस्ट करो…
रेनू: ये ड्रिंक तो रहने दीजिये. अब कुछ पीने का मन नहीं है और यहाँ तो कोई नाईट गाउन भी नहीं है और कपडे तो हम लाये नहीं तो क्या पहनू.
राजेश: ये तो हैंगओवर उतारने के लिए है. इसमें नीम्बू मिला है. ले लो वरना सुबह बहुत दिक्कत होगी.
राजेश रेनू के पास जाकर ट्रे उसकी तरफ बढाता है. रेनू दो ग्लास उठा कर एक राजेश की ओर बढ़ा देती है..
राजेश: ये तो तुम्हारे लिए है…
रेनू: तो क्या में इतने सारे ग्लास अकेली पियूंगी.
राजेश: नहीं मेरा मतलब..मनीष भी तो आयेगा अभी...
रेनू: जब तक मनीष आता है आप भी एक ड्रिंक मेरे साथ लीजिये... वैसे भी कोल्ड ड्रिंक ही तो है…. और वैसे भी मेरा सर नहीं दुख़्ता अगर आपने वो लास्ट में कॉकटेल न करवाई होती.
राजेश: ऐसा कुछ भी नहीं है. तुम पीती नहीं हो इसीलिए दिक्कत हुई. मेरी और मनीष की बात जाने दो लेकिन दिव्या को देखो. तुमसे ज्यादा पीकर भी एकदम ठीक रही...
रेनू कोल्ड्रिंक पी लेती है और कहती है "अच्छा अब इसमे भी मेरी ग़लती है… जाइये देर काफी हो गयी है आपकी बीवी आपका इंतज़ार कर रही होगी और मनीष को भेज दीजियेगा"
राजेश कोई जवाब नहीं देता बस मुस्कुरा पड़ता है. दरअसल उसे पता है की २ टेबलेट और अब इस ड्रिंक के बाद रेनू अपने वश में नहीं रहेगी बस ५ मिनट की बात है. राजेश अब खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था आख़िर उसने रूम में आने से पहले व्याग्रा ली थी… उसका लंड एक लोहे की रॉड की तरह खड़ा था...
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राजेश का अंदाजा एकदम सही निकलता है और ५ मिनट होते होते रेनू बेड पर लेट जाती है और सिसकिया लेने लगती है. राजेश अब धीरे से रेनू के उपर आता है और वो धीरे धीरे रेनू के चेहरे के करीब अपना चेहरा ले जाता है और रेनू के चेहरे को अपनी ओर घुमाता है..रेनू अपनी अधखुली नज़रों से राजेश को देखती है.. राजेश अपने होंठो को रेनू के होंठो की ओर बढ़ता है…
रेनू भी नशे मे कुछ दवा के जोश मे राजेश का साथ देने के लिए अपने होंठ राजेश की ओर बढ़ाते हुए हल्का सा उपर होती है… राजेश के चेहरे पर ये सब देख कर एक बड़ी सी मुस्कान आजाती है.. अब राजेश देर ना करते हुए रेनू के होंठो पर अपने होंठ रख देता है… बड़ा ही रोमॅंटिक दृश्य था… धीरे धीरे राजेश रेनू के होंठो का रस पान कर रहा था और रेनू भी राजेश का साथ दे रही थी… राजेश की कमर रेनू की क़मर से उपर हवा मे थी.. जिस कारण राजेश को थोड़ी सी परेशानी हो रही थी.. राजेश रेनू को किस करते हुए अपनी क़मर को रेनू की क़मर पर सामने की ओर से ला छोड़ता है.. और रेनू की सिसकी निकल जाती है…
राजेश का लंड दवा की वजह से सख़्त हो चुका था तो दवा की वजह से ही रेनू की चूत भी गीली हो चुकी थी और राजेश ने जब अपनी क़मर को नीचे की ओर किया तो उसका लंड रेनू की चूत पर घिसते हुए उसकी नाभि तक आ गया जिस कारण रेनू की सिसकी निकल गयी..
राजेश रेनू को किस करते हुए रेनू की साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे खींच कर गिरा देता है. राजेश और रेनू दोनो अपनी किस मे बे खबर थे.. रेनू की साड़ी इस वक़्त उसकी क़मर में अटकी हुई थी..
रेनू की साँस फूलने लगती है तो रेनू राजेश से किस तोड़ कर हाँफ ने लगती है…
राजेश भी ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगता है..
रेनू अपने को सँभालते हुए उठ जाती है: आप बहुत गंदे हो.. कोई किसी दुसरे की बीवी के साथ ऐसे करता है क्या..
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राजेश (मुस्कुराता हुआ): तुम दूसरी कहा हो तुम तो अपनी ही हो और मैं तो खूबसूरत औरतों के साथ ऐसे ही करता हूँ मेरी जान.
रेनू: मैं नहीं हूँ आपकी जान…. आपकी जान आपकी बीवी दिव्या है …
राजेश: इस वक़्त तो मुझे तो तुम चाहिए..
रेनू शरमाते हुए … क्यूँ… मुझमे ऐसा क्या है..
राजेश रेनू का सवाल सुन कर रेनू की और आगे बढ़ते हुए बोलता है तुम मे ऐसा क्या है..
राजेश को आगे बढ़ता देख रेनू भी धीरे धीरे पीछे की ओर चलने लगती है..
तभी रेनू के पीछे दीवार आ जाती है.. रेनू एक दम से रुक जाती है… उसके चेहरे पर थोड़ी सी हवस, थोड़ा सा डर और थोड़ी सी शर्म तीनो का मिला जुला रंग देखा जा सकता था …
राजेश रेनू के होंटो को छूते हुए बोलता है " तुम्हारे ये गुलाबी होंठ मुझे मदमस्त कर देते है. तुम्हारी ये आँखे मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है. तुम्हारे ये लंबे घने बाल मुझे तुम्हारी ओर खींच लाने वाली रस्सी जैसे लगते है." ऐसा बोलते हुए राजेश रेनू के होंठो को किस करने को झुकता है कि रेनू तुरंत अपनी गर्दन घुमा लेती है.
रेनू: उफ़ इतनी फिल्मी बाते… ऐसा कह कर रेनू मुस्स्कुराने लगती है..
राजेश: "अच्छा अगर ये सब फिल्मी है तो और सुनो. तुम्हारा ये दूध जैसा गोरा रंग मुझे तुम में डूब जाने को मजबूर करता है. तुम्हारी ये पतली क़मर मेरे दिल को झूमने को मजबूर कर देती है. तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चूंचियाँ मुझे मेरे भूखे होने का एहसास दिलाती है और इनमे आने वाला दूध में बेसबरों की तरह पीना चाहता हूँ"
रेनू राजेश के मूह से अपने हुस्न ख़ास तौर पर अपने बूब्स की तारीफ़ और उनके लिए उसकी तड़प सुन कर और मचल उठती है. उसके मूह से एक सिसकी निकल जाती है और नतीजा दवा उस पर और हावी हो जाती है और रेनू की बुर से पानी बहने लगता है..
रेनू खुद को संभालते हुए..
रेनू: आप अकाउंटेंट है या कोई सडक छाप पोएट…अब आप जाइये. मनीष कभी भी आ जायेगा.
राजेश उसकी बात अनसुनी करके रेनू के चेहरे को पकड़ कर उसकी आँखों मे देखने लगता है… और धीरे धीरे अपने होंठ रेनू के होंठो पर रख देता है..
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रेनू जबान से कुछ भी कहे लेकिन उसका जिस्म राजेश का विरोध करने की जगह राजेश का साथ देने लगता है.. इस वक़्त रेनू को इतना भी होश नहीं था कि जिस शक्स के साथ वो इस रिसोर्ट में रोमॅन्स कर रही है वो उसका पति नहीं बल्कि उससे उमर में १२-१४ साल बड़ा उसका पडोसी राजेश है….
राजेश रेनू को बड़े ही मादक तरीके से किस कर रहा था और रेनू उसका साथ दे रही थी. राजेश रेनू को बेझिझक साथ देते देख कर राजेश उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगता है. हुक रेनू के सामने की तरफ थे ठीक उसकी चुचियों की घाटी के बीच वाली जगह. जब राजेश रेनू के ब्लाउज के हुक खोल रहा था तो रेनू को एहसास तो था कि राजेश के हाथ उसकी चुचियों पर मचल रहे है लेकिन वो नशे के कारण मदहोश थी. राजेश इस बात का फायदा उठाते हुए रेनू के ब्लाउज की सारे हुक खोलने में कामयाब हो चुका था.
जब रेनू को किस करते हुए साँस लेने में ज़्यादा तकलीफ़ हुई तो वो राजेश को पीछे की ओर धकेलने लगी.. राजेश भी इस बात को समझ चुका था कि रेनू को साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है तो राजेश खुद रेनू के होंठो से प्यार से एक अलग ही अदा से अपने होंठ अलग करता है.. रेनू अपनी अधखुली आँखों से राजेश की ओर देखते हुए ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगती है. रेनू के ज़ोर से साँस लेने के कारण उसकी 34डी की चूंचियाँ भी खुली हवा को महसूस करने के लिए बाहर आने की कोशिश करने लगी.. अब रेनू के ब्लाउज के दोनो छोर इस तरह से रेनू की छाती के दोनो ओर हो गये जैसे वो ब्लाउज नहीं होकर कोई जॅकेट हो. और रेनू के 34डी के बूब्स उसकी ब्रा मे क़ैद होकर भी आधे से ज़्यादा बाहर की ओर निकल रखे थे. रेनू को अभी तक अपनी इस हालत का अंदाज़ा भी नहीं हुआ था कि राजेश ने रेनू को दूसरी ओर पलट दिया. इस वक़्त रेनू की पीठ राजेश की छाती के चिपकी हुई थी.
राजेश बड़े ही रोमॅंटिक तरीके से रेनू के बालों से हेर क्लिप निकाल देता है. राजेश के ऐसा करते ही रेनू के लंबे घने बाल उसकी पूरी पीठ पर फैल जाते है. राजेश एक हाथ से रेनू की पीठ से उसके घने बालों को एक साइड करके उसकी पीठ पर किस करता है.. राजेश के किस करते ही रेनू की सिसकी निकल जाती है और वो अपनी पीठ को पीछे की ओर सिकोड लेती है.. अब राजेश अपनी जीभ निकाल कर रेनू की पीठ को चाटते हुए उसकी गर्दन की ओर जाने लगता है. रेनू को राजेश की इस हरकत से अपने शरीर मे अजीब सी झुरजुरी फील होती है और साथ ही उसे गुदगुदी भी होती है जिस कारण उसके चेहरे पर एक स्माइल आजाती है और उसके मूह से आआहह निकल जाती है.
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राजेश रेनू को इस तरह एंजाय करते देख रेनू के ब्लाउज के दोनो छोर पकड़ कर उसकी बाजुओं से निकालने की कोशिश करता है.. और रेनू की पीठ और गर्दन चाटता रहता है..
रेनू का एक पल को ध्यान अपने ब्लाउज की ओर जाता है लेकिन जैसे ही राजेश की जीभ रेनू की गर्दन तक पहुँचती है रेनू अपनी गर्दन गुदगुदी से उस ओर झुका लेती है और अपने अपनी पीठ को पीछे की ओर कसते हुए अपने कंधे उपर की ओर उचकाती है. रेनू की इस हरकत का राजेश को भरपूर फ़ायदा मिलता है और रेनू का ब्लाउज बिना किसी रुकावट के उसके बदन से अलग हो जाता है. राजेश उस ब्लाउज को जोश मे आकर पीछे की ओर हवा में उछाल देता है.
अब राजेश फिर से रेनू को किस करते हुए उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगता है.. जैसे ही राजेश के खुरदारे हाथ रेनू की सॉफ्ट पीठ पर चलने लगते है उसे एहसास हो जाता है कि उसका ब्लाउज उसके बदन से अलग हो चुका है. रेनू ये बात सोच कर कि वो राजेश के साथ एक ही रूम मे ब्रा और पेटिकोट मे खड़ी है बुरी तरह से शरमा जाती है. लेकिन अगले ही पल वो उत्तेजित हो जाती है क्यूँ कि राजेश अब रेनू की ब्रा को उसकी पीठ से नही खोल रहा था बल्कि उसके कंधो से खोल रहा था और रेनू की गर्दन चूम रहा था.
रेनू: अयाया एम्म्म राजेश जी… एम्म क्या कर रहे हो….? आअहह
राजेश कोई रिप्लाइ नहीं देता और देखते ही देखते रेनू की ब्रा के स्ट्रॅप्स कंधे से खुल जाते है लेकिन रेनू की ब्रा ज्यो की त्यों उसकी चुचियों को क़ैद कर रखी थी.. क्यूँ कि ब्रा अभी भी चूंचियो को नीचे से सपोर्ट दिए हुए उसकी पीठ वाले स्टारप्स के भरोसे टिकी हुई थी.
अब राजेश रेनू को एक बार फिर से अपनी ओर घूमता है लेकिन रेनू को अब अपनी हालत का अनुमान हो चुका होता है. तो वो जैसे ही राजेश की और मुड़ती है अपने दोनो हाथों को अपने सीने पे रख लेती है.
इन हालातों में रेनू और राजेश दोनो आमने सामने थे मगर राजेश के सीने और रेनू की छाती के बीच अब रेनू के हाथ थे.
राजेश रेनू की इस हरकत पर मुस्कुरा देता है और रेनू की ठुड्डी को अपनी उंगली से उपर की और करते हुए बोलता है..
राजेश: रेनू… मेरी तरफ देखो..
रेनू धीरे से शरमाते हुए अपनी गर्दन को उपर की ओर कर तो देती है लेकिन शर्म की वजह से अपनी आँखें बंद कर लेती है..
राजेश रेनू की बंद आँखों को देख कर उसकी मासूमियत मे खो जाता है… और मन ही मन सोचता है.. कितनी भोली हो तुम रेनू… ऐसे आँखे बंद कर रखी हो जैसे मे यहाँ हूँ ही नही..
राजेश अपने हाथ रेनू के कंधों पर रख कर "मेरी ओर देखो रेनू.."
रेनू राजेश की बात सुन कर मुस्कुरा पड़ती है और अपनी गर्दन ना मे हिलाती है… उसके भोले पन को देख कर राजेश बहुत ही रोमॅंटिक तरीके से हौले से उसके होंठो के नज़दीक जाता है और उन पर अपनी जीभ फिराता है.. रेनू राजेश की इस हरकत पर थोड़ी सी सहम जाती है और पीछे हटती है मगर कहाँ हटती आधे कदम में ही फिर से दीवार के टकरा जाती है. राजेश फिर से रेनू के होंठो को अपनी गिरफ़्त मे लेने मे कामयाब हो जाता है. रेनू थोड़ी देर तक स्तब्ध खड़ी रहती है. मगर जल्द ही धीरे धीरे राजेश का साथ देने लगती है…
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Is bhosdi ko raand bana dega ye. Chhut ko fd dena aaj
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अभी एक मिनिट भी नहीं हुआ था कि राजेश रेनू के होंटो से अपने होंठ हटा लेता है. और फिर से अपने होठ रेनू के होंठो पर रख देता है फिर जल्दी ही वापस हटा लेता है… राजेश 2 से 3 बार ऐसा करता है जैसे रेनू को सता रहा हो. रेनू बार-बार राजेश के किस मे गुम होकर उसका साथ देने के लिए राजेश के होंटो को अपने होंटो मे लेने की कोशिश करती है मगर. राजेश हर बार अपने होंठ दूर कर लेता है.
रेनू राजेश की इस हरकत पर परेशान होकर अपनी आँखें खोलने की कोशिश करती है मगर नशे के कारण उसकी आँखें खुलते ही फिर बंद होने लगती है.. थोड़ी सी कोशिश के बाद रेनू की आँखें खुलती है. रेनू के हाथ अभी भी अपनी छातियों पर थे. रेनू राजेश की आँखों मे देखते हुए इशारा करती है कि क्यूँ परेशान कर रहे हो.
राजेश मुस्कुराता हुआ रेनू को बोलता है.
राजेश: अपने हाथ हटाओ..
रेनू शरमा जाती है और गर्दन नीचे करके ना में सर हिलाती है..
राजेश फिर से रेनू की ठुड्डी उपर की ओर करके बोलता है..
राजेश: हाथ हटा लो ना जान.
रेनू राजेश के जान बोलने पर थोड़ी और शरमा जाती है लेकिन फिर भी राजेश को सताने के लिए वो ना मे इनकार करती है.
राजेश: क्यूँ क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती?
रेनू: फिर से राजेश की ओर देखती है.. फिर मुस्कुराते हुए नीचे देखने लगती है.. फिर वो राजेश को सताने के लिए नीचे गर्दन किए ही ना में हिला देती है..
राजेश रेनू की ठुड्डी फिर से उपर की ओर करता है.. रेनू का मूह इस बार खुल जाता है जैसे वो खुद अपने होंठ राजेश को परोस रही हो. और इस बार राजेश ने भी रेनू की ठुड्डी ज़रा से झटके से उपर की थी..
राजेश धीरे-धीरे रेनू के होंटो पर झुकता है. रेनू राजेश की गरम साँसे अपने चेहरे पर महसूस करके अपनी आँखें बंद कर लेती है और अपने होंटो को राजेश की ओर कर देती है… राजेश रेनू की इस हरकत पर मुस्कुरा देता है और कुछ सोच कर रुक जाता है. तभी राजेश अचानक से रेनू के पेटीकोट की गाँठ खोलने की कोशिश करता है मगर रेनू साड़ी पहनते वक़्त उस गाँठ को अंदर की ओर दबा लिया करती थी. जिस कारण से राजेश रेनू के पेटिकोट की गाँठ खोलने में सफल नहीं हो पाता लेकिन राजेश की इस हरकत पर रेनू झटके से अपने हाथ नीचे ले जा कर राजेश के हाथ हटा देती है और ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगती है.
रेनू नीचे की ओर देख कर अपनी क़मर पर अपने पेटिकोट को पकड़ती है. लेकिन जल्द ही उसे एहसास हो जाता है कि उसका पेटिकोट अभी भी उसके साथ है.. रेनू मुस्कुराते हुए राजेश की ओर देखती है. जैसे राजेश को बोल रही हो कि मैं जीत गयी और तुम हार गये. तुम मेरा पेटिकोट उतारने मे सफल नहीं हो पाए. लेकिन जैसे ही रेनू की नज़र राजेश पर पड़ती है तो रेनू राजेश को अपनी चूंचियाँ घूरते हुए पाती है. तब रेनू सोचती है कि राजेश मेरा हाथ यहाँ से हटाने के लिए वो मेरा ध्यान मेरे पेटिकोट की ओर ले गया. कितना चालाक है.
रेनू हालाँकि नशे में थी लेकिन उसने जो टेबलेट लिया था उस कारण से उस पर नशे से ज्यादा मादकता छाई हुई थी. वो ऐसी अवस्था में थी की उसे सही गलत नहीं सिर्फ मजे का एहसास हो रहा था.
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राजेश रेनू को वापस अपनी चूंचिया छिपाते देख कर मुस्कुरा पड़ता है और फिर से रेनू से पूछता है..
राजेश: रेनू… तुम मुझसे पसंद करती हो ना?
रेनू: जानती थी कि मेरा जवाब ना देना राजेश को तडपाएगा. इसलिए रेनू राजेश को ना में सर हिला कर पहली दफ़ा बोलती ही है..
रेनू: नहीं…
राजेश: मुस्कुराते हुए क्यूँ ? क्यूँ नहीं करती तुम मुझसे पसंद? क्या कमी है मुझमे?
रेनू मुस्कुराते हुए राजेश की ओर देखती है "मैं तो आपको ठीक से जानती ही नहीं तो पसंद नापसंद की बात ही नहीं उठती".
राजेश रेनू से जवाब सुनकर गुस्सा हो जाता है और रेनू के बाल अपने हाथ मे पकड़ कर पीछे की ओर खींच देता है रेनू की दर्द से चीख निकल पड़ती है.. और आँखों में आँसू भी तैर आते है..
रेनू: आआहह
राजेश: रेनू की आँखों में आँसू देख कर सोचता है कुछ ज़्यादा तो नहीं कर दिया.. राजेश बिना सोचे समझे रेनू के होंठो को फिर से चूमने लगता है..
रेनू राजेश की किस का जवाब नहीं देती उसे इस वक़्त राजेश पर गुस्सा आ रहा था.. लेकिन तभी राजेश रेनू के बालों को छोड़ कर उसके होंटो को चूसने लगता है. रेनू की एक आँख से आँसू दर्द की वजह से बह निकलते है. तभी राजेश रेनू के नीचे के होंठ को अपने दाँतों मे भींच लेता है और फिर चूसने लगता है. रेनू को फिर से अपने होंटो में दर्द होने लगता है लेकिन जल्द ही उसे राजेश की होंठ चुसाई पसंद आने लगती है.. वो अब उस दर्द को एंजाय कर रही थी कि तभी राजेश रेनू की क़मर में हाथ डाल कर उपर पीठ की ओर धीरे धीरे अपने हाथ ले जाने लगता है.. रेनू राजेश के इस तरह छूने से बहक ने लगती है.
तभी राजेश रेनू को फिर से दीवार की ओर कर देता है.. रेनू अपने दोनो हाथ दीवार पर लगा कर दीवार पर छिपकली की तरह चिपकी हुई थी और राजेश रेनू की क़मर को ठीक वहाँ से किस करना स्टार्ट करता है जहाँ पर रेनू का पेटिकोट बँधा हुआ था. राजेश के किस करने से रेनू एक बार फिर से बुरी तरह से मचलने लगती है. धीरे धीरे राजेश किस करते हुए रेनू की पीठ के बीच मे आजाता है. रेनू बार बार अपनी पीठ पीछे की ओर सिकोडती है लेकिन राजेश जैसे उसकी पीठ को चूमने के साथ चूस रहा हो ऐसे मूह खोल कर किस कर रहा था. रेनू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी.. तभी राजेश रेनू की ब्रा के स्ट्रॅप्स को अपने मूह मे ले कर चबाने लगता है..और हल्के से रेनू की पीठ पर किस करता है…
रेनू राजेश द्वारा अपनी ब्रा के पीछे की हुक को खुलते हुए महसूस कर सकती थी इस लिए उसने अपनी पीठ पीछे की ओर सिकोड ली जिस से उसकी ब्रा सामने चुचियों पर और कस गयी लेकिन उसकी पीठ की ओर से ढीली पड़ गई. रेनू ने ऐसा इसलिए किया ताकि राजेश का मुँह उसकी पीठ से दूर रहे और उसे इस अजीब सी झुरजुरी का एहसास ना हो..
लेकिन शायद यही रेनू की सबसे बड़ी ग़लती हो गयी थी. अब राजेश बिना रेनू को पता चले ब्रा के स्ट्रॅप्स को चबा कर छोड़ दिया.. रेनू रिलॅक्स होती है. अब राजेश रेनू को अपनी ओर घुमाता है. जब रेनू राजेश की ओर देखती है तो राजेश रेनू की आँखें देख कर डर जाता है.. इस वक़्त रेनू की आँखें इस तरह से लाल हुई पड़ी थी जैसे कि वो कई रातों की जागी हो..
मगर अब राजेश को रेनू को गरम करने मे मज़ा आ रहा था.. राजेश फिर से रेनू की क़मर पर हाथ ले जाता है. राजेश रेनू की आँखों में देखते हुए रेनू के पेटिकोट की डोर को अपने दाहिने हाथ में पकड़ कर रेनू की ओर मुस्कुराता है. रेनू इस बार राजेश को मुस्कुराता देख कर समझ जाती है कि राजेश ज़रूर कुछ ना कुछ उल्टा सीधा कर रहा होगा,.. तभी उसे एहसास होता है की उसका एक हाथ उसकी क़मर पर है लेकिन दूसरा हाथ नहीं तभी रेनू अपनी मोटी मोटी आँखें निकाल कर राजेश के दोनो हाथों को झटका देती है.. जिसका नतीजा ये निकलता है कि राजेश रेनू के पेटिकोट की डोर पकड़े खड़ा था और रेनू के झटके देने से राजेश पीछे हुआ और उसी झटके से रेनू के पेटिकोट की गाँठ खुल जाती है लेकिन अभी भी रेनू का पेटिकोट रेनू की क़मर पर टिका हुआ था. रेनू भी पीछे होती है.. लेकिन जब रेनू अपने पेटिकोट को अपनी क़मर पर फील करती है तो वो फिर मुस्कुरा पड़ती है. उसे फिर से इस बात पर गर्व होता है कि राजेश उसका पेटिकोट उतारने में एक बार नहीं 2 बार असफल रहा…
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राजेश फिर से रेनू के पास जाता है. रेनू राजेश से बचने के लिए दूसरी ओर जाने के लिए थोड़ी सी दौड़ते हुए जाती है कि रेनू को एहसास होता है कि उसका पेटिकोट उसकी क़मर से ढीला पड़ रहा है.. रेनू जैसे ही अपने पेटिकोट को पकड़ कर उसकी गाँठ देखने की कोशिश करती है तब तक राजेश रेनू को अपनी बाहों में पकड़ लेता है और रेनू के होंटो को अपने होंटो में क़ैद करके चूमने लगता है…रेनू राजेश को रोकने की कोशिश करती है लेकिन राजेश के ज़ोर की आगे उसकी नहीं चली.
किस करते करते राजेश अपना हाथ रेनू की कमर पर रख देता है. रेनू कस कर अपने पेटिकोट को पकड़े हुए थी. तभी राजेश अपनी ज़ुबान रेनू के मूह मे डाल देता है. राजेश की इस हरकत पर रेनू पीछे होना चाहती है लेकिन राजेश उसकी कमर कस के पकड़े होता है.. इस वक़्त जहाँ रेनू के दोनो हाथ अपने पेटिकोट को पकड़े थे वही राजेश का एक हाथ रेनू के सर के पीछे था और दूसरा रेनू की कमर पकड़े था.
रेनू इसी बीच अपने पेटिकोट को संभालने के चक्कर में कुछ ज़्यादा ही टाइट पकड़ लेती है जिस से उसका नाडा पूरी तरह से खिंच जाता है और वो अब जब तक रेनू के हाथो मे था तब तक ही रेनू के बदन पर था. लेकिन रेनू इस बात से बेख़बर बस राजेश की किस तोड़ना चाहती थी. धीरे धीरे जहाँ शराब अपना नशा कर रही थी वही दवाई अपना काम कर रही थी. नीचे जहाँ राजेश का तंबू तना हुआ था वही रेनू की चूत भी गीली हो रही थी.
तभी राजेश एक पल को रेनू से अपनी किस तोड़ता है. रेनू हाँफने लगती है. राजेश हल्का सा नीचे झुक कर रेनू को हवा मे अपनी गोद मे उठा लेता है. राजेश के ऐसा करते ही रेनू हल्की सी चीखती है.
रेनू : ऊऊचह क्या कर रहे हो राजेश जी.. नीचे उतारो.. गिर जाउन्गि.
राजेश रेनू को कोई जवाब नहीं देता बस उसकी तरफ देखते हुए रेनू को उसके बेड की तरफ बस 3-4 कदम की दूरी पर लाकर उतार देता है. रेनू राजेश को अपने बेड की तरफ ले जाते देख बुरी तरह से शरमा जाती है लेकिन उसकी चूत….. उसकी चूत राजेश की हर हरकत के साथ फड़कते फड़कते अब बुरी तरह से गीली होने लगती है.
रेनू खुद को अर्धनंगी हालत में एक गैर मर्द की गोद में देख कर और भी ज़्यादा शरमा जाती है.
रेनू अभी भी अपना पेटिकोट पकड़ रखी थी. तभी राजेश रेनू की आँखों मे देखते हुए मुस्कुराता है और धीरे धीरे अपनी नज़र उसकी 34डी की चुचियों पर ले जाता है. अपने दोनो हाथों को उसकी चुचियों की उँचाई के बराबर लाकर ऐसे झटके से पकड़ने का नाटक करता है जैसे बच्चो को डराते है.. और रेनू भी राजेश की इस हरकत से डर जाती है. राजेश की इस हरकत का रेनू को जहाँ एक और नुकसान हुआ वही दूसरी ओर राजेश को फ़ायदा हुआ.
रेनू को नुकसान ये हुआ कि डर के कारण रेनू अपना पेटिकोट छोड़ कर अपने दोनो हाथ अपनी चूंचियो पर रख लेती है और पीछे की ओर दो कदम चली जाती है.. इसका फ़ायदा राजेश को ये हुआ कि रेनू का पेटिकोट सरक कर उसके घुटने की नीचे आजाता है और पिंडलियों में फँस जाता है. और फिर जब रेनू पीछे की ओर हट ती है तो पेटिकोट में उलझ कर बिस्तर पर धडाम से गिर जाती है.
अब रेनू के गिरने से एक और फ़ायदा राजेश को अंजाने मे ही हो जाता है. रेनू की ब्रा के पिछले हुक को जिसे राजेश चबा कर छोड़ दिया था वो रेनू के बिस्तर पर गिरने से लगे झटके के साथ टूट गया. राजेश रेनू को पकड़ने की कोशिश करता है लेकिन तब तक रेनू बिस्तर पर गिर जाती है. अब राजेश रेनू के पैरों मे फँसे पेटिकोट को एक झटके से खींच कर दरवाजे की तरफ फेंक देता है. और रेनू अपनी दोनो छातियों को संभाले अपनी गीली पेंटी लिए बेड पर गिर जाती है.
मज़े की बात ये है कि अभी अभी रेनू अपनी ब्रा को पकड़े हुए है लेकिन उसे इस बात का अंदाज़ा भी नहीं कि कैसे जैसे जो ब्रा अटकी हुई थी अब उसके अटकने के रास्ते भी ख़तम हो जाएँगे अगर उसने हाथ हटाया तो.
राजेश रेनू के पैरों की तरफ बैठ कर उसके एक पैर को पकड़ लेता है. रेनू कुछ बोलने वाली ही थी कि राजेश रेनू के पैरो की उंगलियों को चूमने चाटने लगता है और रेनू सिसकने लगती है. ये पहली बार था कि कोई रेनू के पैरों को इस तरह से चूम रहा था. ये सब रेनू के लिए एकदम नया अनुभव था. रेनू का पति मनीष भी रेनू के साथ रोमॅन्स करता था लेकिन वो ज़्यादा कुछ नहीं कर के बिल्कुल सिंपल तरीके से सेक्स करता था. इसलिए सिड्यूस होने के साथ-साथ रेनू के मन मे हर पल नई एक्सिटमेंट बढ़ती जा रही थी.
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राजेश रेनू के पैरो की उंगली को मूह मे लेकर चूसने लगता है और रेनू बिस्तर पर पड़ी काँपने लगती है जैसे कि उसे सर्दी लग रही हो. लेकिन आज रेनू को इस तरह काँपते देख ये कहा जा सकता था कि इंसान कभी कभी गर्मी में भी काँप सकता है.
राजेश बड़ी ही नज़ाकत और प्यार से रेनू के टख़नो को चाट ते हुए रेनू की पिंडलियों तक पहुँच जाता है. रेनू राजेश की मुछ के बालो को अपने गोरे चिकने हेरलेस पैरों पर महसूस करती है उसे वो बाल हल्के से चुभ भी रहे थे और हल्के – हल्के गुद गुदा रहे थे.. जैसे ही राजेश रेनू के पैरों को चाट ता हुआ रेनू के घुटनो तक पहुँचता है रेनू अपने पैरों को मिला लेती है.. अब राजेश रेनू की बाहरी जांघों को चाट ते हुए रेनू की कमर तक पहुँच जाता है जहाँ रेनू की पेंटी की एलास्टिक थी.
रेनू एक दम पतली सी एलास्टिक वाली पेंटी पहन रखी थी जो आज कल के टाइम के हिसाब से भी मॉडर्न थी. राजेश रेनू की पेंटी के एलास्टिक को दाँतों मे फँसा कर उपर खींचता है और फिर छोड़ देता है.. जैसे रब्बर को खींच कर छोड़ने पर वो तेज़ी से जाता है ठीक वैसे ही रेनू की पेंटी का एलास्टिक रेनू की कमर से टकराता है.. पत्त्त्टतत्त…. और रेनू की उसी की साथ फिर से आह निकल जाती है. अब राजेश रेनू की नाभि को गौर से देखने लगता है.. थोड़ी देर जब रेनू राजेश की कामुक हरकतों को रुका हुआ फील करती है तो वो आँखें खोल कर राजेश की ओर देखती है. रेनू राजेश को अपनी नाभि को घूरता पा कर एक बार फिर से शरमा जाती है और वो अपने दोनो हाथ अपनी चुचियों से उठा कर अपनी नाभि पर रख लेती है.
राजेश रेनू के नाभि छुपाने पर आउट ऑफ कंट्रोल सा हो जाता है और वो रेनू के दोनो हाथों को जल्दी से पकड़ कर दूर कर देता है और फिर से रेनू की नाभि को देखने लगता है. रेनू राजेश की बेक़रारी देख कर फिरसे शरारत से अपने हाथो से अपनी नाभि छिपा लेती है. राजेश फिर से रेनू के हाथ हटा कर रेनू की नाभि को घूर्ने लगता है. रेनू फिरसे अपने हाथ नाभि की ओर ले जाती है कि राजेश रेनू के दोनो हाथो को पकड़ कर अपने एक हाथ मे थाम लेता है और रेनू की ओर देखता हुआ मुस्कुराता है और रेनू की नाभि की ओर अपना मूह बढ़ा देता है. रेनू राजेश को स्लो मोशन में अपनी नाभि की ओर बढ़ता देख एक बार फिर से सिहर जाती है लेकिन अगले ही पल रेनू पेट के बल लेट जाती है.
राजेश रेनू को इस अवस्था मे देख कर एक दम स्तब्ध रह जाता है. राजेश की नज़रों के सामने इस वक़्त रेनू की 36-38 की गान्ड थी जो कि एक पतली सी नेट की पेंटी मे क़ैद थी.रेनू पीठ के बल लेट कर अपनी आँखें बंद करके मुस्कुराने लगती है. लेकिन राजेश तुरंत उठ कर अपना पाजामा और अंडरवेर खोल देता है. रेनू धीरे से अपनी आँखें खोलती है वो देखने के लिए पीछे मुड़ती है कि राजेश क्या कर रहा है? लेकिन उसके पीछे मुड़ने से पहले ही राजेश रेनू की कमर के दोनो ओर पैर करके रेनू पर चढ़ जाता है और रेनू की गुदाज गान्ड के दो पाटों को पकड़ कर ज़ोर से मसल देता है.. और एक हाथ से गान्ड पर थोड़ी सी तेज थप्पड़ मारता है. जिस से रेनू की आअहह और आउच दोनो निकल जाती है.
राजेश: मेरे साथ खेल खेल रही हो. कभी पेटिकोट नहीं उतारने देती कभी ब्लाउज नहीं उतारने देती कभी चूंची नही देखने देती तो कभी नाभि नहीं देखने देती.
राजेश के ऐसे बोलने से रेनू की हल्की सी हँसी छूट पड़ती है. लेकिन अगले ही पल फिरसे राजेश का थप्पड़ रेनू की गान्ड पर पड़ता है.. चटाअक्ककककक
रेनू: आआआहह .. प्लीज़ मत मारो..
राजेश: अभी मारा कहाँ है .. वो तो अब मारूँगा..
रेनू: शट अप हहेहहे (शट अप बोल कर हँसने लगती है)
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Wow kya likh rahe ho yaar. Mast chudva rahe ho chut ko. Bhai is raand ko jaldi se nanga karvao.
Iske muh me rajesh ka loda dalvao.
Sali ko chudva do raand bana do. Isko ek baar balcony yaa chhat par jarur chudvana
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फिर राजेश रेनू की गान्ड के दोनो पाटों को पकड़ कर ज़ोर से मसल्ते हुए उसकी लोवर बॅक को चूमने चाटने लगता है. धीरे-धीरे राजेश रेनू की लोवर बॅक को चूमते चाटते रेनू की पीठ तक पहुँच जाता है.. जहाँ रेनू की ब्रा के स्ट्रॅप्स टूटे पड़े थे.. राजेश रेनू की ब्रा की कंडीशन देख कर फिर से मुस्कुराने लगता है.. राजेश रेनू की पीठ को चूमते हुए रेनू की गर्दन को चूमने लगता है जिस से रेनू अपनी गर्दन इधर उधरे करने लगती है.अब राजेश रेनू के बदन से उठ जाता है और रेनू की पेंटी को साइड से दोनो तरफ से पकड़ कर खींचने लगता है.
रेनू इस के लिए तैयार नहीं थी. राजेश के झटके से रेनू की पेंटी का एलास्टिक एक साइड से टूट जाता है और पेंटी घुटनो से थोड़ा सा उपर आकर अटक जाता है. रेनू अपनी पेंटी को पकड़ने के लिए अपना पेट थोड़ा सा उपर उठाती है ताकि वो अपने दोनो हाथ बाहर निकाल सके लेकिन राजेश इस बात का भी फ़ायदा उठा लेता है और रेनू की पेंटी को उसके दूसरे पैर से खींचता है जिस से रेनू की पेंटी का एलास्टिक दोनो पैरों के साइड से टूट जाता है. इसका मतलब ये हुआ कि अब वो पेंटी रेनू के किसी काम कि नही थी क्यूँ की अब वो रेनू की कमर पर रुकने के लायक ही नहीं बची थी.
राजेश कुछ देर तक रेनू के मादर जात नंगे बदन को देखता रहता है और रेनू अपनी आँख बंद करके अपने पैर सिकोड़ने लगती है. लेकिन राजेश रेनू का एक पैर पकड़ कर उसे फिर से सीधा कर देता है. राजेश फिर से रेनू की गुदाज गोरी चिट्टी गान्ड को घूर्ने लगता है. राजेश बहुत ही प्यार से उसकी गान्ड के दोनो पाटों को चूमता है..
राजेश: मुउववाह मुऊुआाहह..
रेनू राजेश के होंटो का स्पर्श अपनी नंगी गान्ड पर पाकर अपनी गांद को टाइट कर लेती है. रेनू के मूह से बहुत ही मादक सिसकारी निकल जाती है. अब राजेश रेनू को अचानक से सामने की तरफ घुमा देता है. उम्र में ज्यादा होने के बावजूद वो फिट था और उसकी ताक़त देखी जा सकती थी कि कैसे उसने एक खिलोने की तरह रेनू को कंधो से पकड़ कर पीठ के बल लिटा दिया. रेनू के हाथ उसके सर की तरफ होने से जैसे ही रेनू अपनी पीठ के बल लेट जाती है. रेनू के ब्रा जिसके हुक बिस्तर पर ज़ोर से गिरने से टूट गये थे अब वो भी रेनू की दूध जैसी मोटी चिकनी चुचियों का साथ छोड़ चुकी थी
राजेश एक-टक रेनू की चुचियों को घूर रहा था. रेनू को इस बात का एहसास होते ही कि उसकी चूंचिया एक गैर मर्द के सामने एक दम नंगी है वो उन्हे अपने हाथों से छिपाने की कोशिश करने लगती है. लेकिन रेनू के छोटे-छोटे हाथ अब रेनू की चूंचियो को पूरी तरह से छिपाने मे असमर्थ थे. राजेश रेनू को इस तरह से देख कर बुरी तरह से बोखला जाता है. राजेश क्या इस वक़्त कोई भी रेनू को इस तरह से देखता तो शायद ही खुद पर काबू कर पाता.
रेनू की आँखों में शर्म और हवस दोनो देखी जा सकती थी. जबकि राजेश की आँखों में बेतहाशा हवस देखी जा सकती थी. तभी राजेश अपनी हवस भरी आँखों से घूरते हुए रेनू से रिक्वेस्ट मे बोलता है..
राजेश: रेनू अपने हाथ हटाओ ना देखो इस मनमोहक दृश्य के लिए मे कब से तड़प रहा था.
रेनू इनकार मे अपनी गर्दन हिला देती है… इस वक़्त रेनू की आँखें बंद थी.
राजेश: रेनू एक बार मेरी तरफ देखो..
रेनू: फिर से ना मे गर्दन हिला देती है..
राजेश बड़े प्यार से रेनू के साइड मे बैठ कर रेनू के चेहरे को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर उसके चेहरे के पास जाता है और फुसफुसाते हुए बोलता है..
राजेश: रेनू में जानता हूँ तुम भी मुझे पसंद करती हो. बस में चाहता हूँ कि तुम एक बार मेरी आँखों मे देखो. मैं इस लम्हे को तुम्हारा आशिक़ बनकर जीना चाहता हू.