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रेणु की आज खैर नहीं वो ये सोच रहीं थी के , किया चुदाई मैं इतना मजा आती हैं . . लेकिन ऐसा मजा उसे कभी इनहीँ आया पहले . . उसे तो आजतक किसने ऐसे दबाया और चूसा भी नहीं था . .
जेठ जी ऐसा सोच रहे थे के , किया रेणु कभी अच्छे से चुदी हैं , नहीं अगर चुदी हुई होती तो आज मेरा बिलकुल रंडी की तरह साथ देती . .
जेठ जी ने रेणु से कहाँ के रेणु अब तुम मेरे उप्पर आ जाओ , तुम्हारी चुत मेरे मुँह के पास और मेरा लंड तुम्हारी मुँह के ऐसे बहुत मजा आएगा देखना . .
रेणु बिलकुल नंगी थी, कसा हुआ बदन उसके उभहेर उभहेर के मसल जाने को तैयार थी . . उसने वैसा ही अपनी चुत को जेठ जी मुँह के ले गयी और अपने मुँह जेठ जी के लंड के पास . फिर शुरू हुई ना खत्म होने वाली चूसा . . दोनों ऐसे चूस रहे थे जैसे उन्हें वर्ल्ड रिकार्ड बनाना हैं . .
जेठ जी प्लीज़ धीरे धीरे जेव चलाइए थोड़ा मैं आने वाली हूँ . . रेणु की मुँह आ उहह इतनी ज़ोर से निकल रहीं थी के घर के लोग सब कमरे के पीछे आ गाए और अंदर का जायजा लेने लगे . .
दोनों जिस पोज़ मैं थे ये देख बाकी तीन ओ भी अपने अपने चुत ख़ूसने मैं ब्यासत हो गये . .
जेठ जी की जेव की प्रहार से रेणु अब नहीं सहम कर पाई और अहह करके झाड़ गयी वो इतना झारी के झरने के बाद वो एकदम बेहोश जैसी हो गयी . .
ये देख बाहर के तीन ओ भी उम्म्म्म आहह करके अपने अपने पैंटी गेली करदी . .
जेठ जी के अब तक नहीं हुए थे . . जेठ जी उठे और रेणु को आवाज़ दी जो प्यार की बरसात के मारे अर्रम से रेस्ट कर रही थी . . रेणु उठो . . जेठ जी ने कहाँ और रेणु की मुँह से उम्म्म की आवाज़ आई . . ऐसा आवाज़ जैसे उसे प्यार की समादर पाने के बाद वापस आई हो . .
जेठ जी ने उसे सीधा लिटाया और फिरसे उसकी चुत पर जेव टीका दिए .
चुत की पंखें ऐसे लग रहे थे जैसे किसने उनको बाहर रस्सी लगजे खेंच के बाहर कर दिया हो . .
दोनों पंखुरियँ को मुंग मैं लेकर एक ज़ोर चुस्की लेते हैं तो रानु अहं करके आँखें खोल देती हैं . .
जेठ जी बिलकुल वैसे ही चोस रहे थे कभी पंखुइयाँ चोस रहे थे तो कभी जेव से चुदाई कर रहे . .
रेणु फिर से झड़ने वाली थी . .
आह . . उम्म्म्म . . जेठ जी मैं आने वाली हूँ . .
जेठ जी जेव से चुदाई जारी रखा और 1 मिनट के अंदर रेणु फिरसे झाड़ गयी . .
जेठ जी उठे और सीधा खड़े लंड को चुत की मुहाने पर टीका दिया चुत गेली थी तो एक झटके मैं आधा लंड सीधा रेणु की चुत मैं चली गयी . .
रानु कसमसाई जैसे किसने गर्म लोहे पेल दिए हो . .
जेठ जी ने फिरसे और एक धक्का मारा तो पूरा का पूरा अंदर चला गया . .
रेणु दर्द के मारे कांप रहे थे . .
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बाहर तेंनो का भी हालत खराब थे . . वो तेंनो इस धक्के के आवाज़ के वजह से फिर से झाड़ गयी . .
जेठ जी धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे . .
रेणु दर्म् और मजा मैं उम्म्म आह जेठ जी धीरे धीरे बोल रही थी . .
जेठ जी धीरे धीरे कर रहे थे . . जब उन्हें अहसास हुआ के अब रेणु को ज्यादा दर्द नहीं हो रहा हैं तो उन्होंने धक्के की गति दुगुना कर दिया . . दोनों के सांसें बहुत तेज चल रहे थे . . रेणु आह उम्म्म मैं मैं कर रही थी . . बाहर के तीनों अब जा चुकी थी . . क्यों अगर और रहती तो शायद बिना चुड़े ही तीन बार झाड़ जाती . .
जेठ जी गति मैं अब और गयी आ गया . .उन्होंने दोनों पैर पकड़ दे चोदने लगे अब . . .
रेणु की अब होने वाली थी . . इसलिए वो और ज़ोर से और ज़ोर से कर रही थी . . करीब 2 मिनट बाद रेणु झाड़ गयी . .
जेठ जी भी ज्यादा टिक नहीं पाए और 5 मिनट बाद रेणु की चुत मैं एक कप वीर्य डाल दिया . .
रेणु अब निढल थे , जेठ जी अब लंड बाहर निकल लिया . . रेणु की चुत से वीर्य धीरे धीरे बाहर आने लगे थे . . रेणु ये देख पैर थोड़ा सिमट लिया ताकि वीर्य बाहर ना निकल सके . . .
v
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नहीं जेठ जी शादी नहीं कर सकते
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(14-06-2020, 03:56 PM)raj500265 Wrote: nice one
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(16-06-2020, 04:40 PM)Eswar P Wrote: Nice story
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(17-06-2020, 09:37 PM)harishgala Wrote: Awaiting update
(17-06-2020, 09:57 PM)harishgala Wrote: Awaiting update
: . नहीं जेठ जी शादी नहीं कर सकते
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जेठ जी मुझे चोद कर मजा दिया
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मेरे सास ससुर के जल्दी गुजर जाने के बाद मेरे जेठ ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर मिल में काम करने लगे थे. उन्होंने बहुत मेहनत करके मेरे पति को पढ़ाया, मेरे पति की पढ़ाई के लिए जेठ जी ने शादी तक नहीं की. मेरे पति उनकी बहुत इज्जत करते थे. अच्छी पढ़ाई की वजह से मेरे पति की अच्छी नौकरी लग गयी. मेरे पति ने हम जहां रह रहे थे, वहीं के पास की बिल्डिंग में फ्लैट खरीद लिया था और हम वहां पर रहने लगे थे. मेरे जेठ अभी भी उसी चॉल में ही रहते थे. मिल में काम करने की वजह से जेठ जी की तीनों शिफ्ट में जॉब रहती थी, इसलिए जब भी उनको समय मिलता, वह खाने के लिए यहीं हमारे फ्लैट में आ जाते थे.
मेरे पति ने शादी की पहली ही रात में मुझे उनके भाई के बारे में बता दिया था. उनको अपने बड़े भाई के त्याग का अहसास था, हमारी जितनी भी प्रगति हुई थी, जेठ जी के वजह से ही हुई थी. वो हमेशा जेठ जी का ख्याल रखते थे और उनकी यही इच्छा थी कि मैं भी उनका उतना ही ख्याल रखूँ.
मेरे मायके की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी, इसलिए अच्छा कमाने वाला पति मिलना, मैं अपना भाग्य समझती थी. इन सभी वजहों से भी मैं उनकी इच्छा का अनादर नहीं करना चाहती थी.
शादी के कुछ दिन तक तो सब ठीक था, जेठ जी हमारे घर खाना खाने आते, मेरे पति से बात करते और चले जाते, पर थोड़े ही दिनों बाद उन्होंने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया.
मैं घर में साड़ी ही पहनती थी, गाउन पहनना मेरे पति को पसन्द नहीं था. घर के काम करते वक्त कभी कभी पल्लू अपनी जगह पर नहीं रहता था, कभी पेट खुला पड़ जाता, तो कभी ब्लाउज में से स्तन दिखने लगते थे. मेरे जेठ जी की नजर मेरे पर ही रहती थी. उनको इस बात का इन्तजार रहता था कि कब मेरा पल्लू सरके और मेरी जवानी का खजाना उन्हें देखने को मिले. पर अभी तक जेठ जी ने मुझे गंदे इरादों से छुआ नहीं था, पर आगे चल छुएंगे नहीं, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं थी. मैं मेरे पति को भी नहीं बोल सकती थी, कहीं उनको ऐसा ना लगे कि मैं उन दोनों के बीच में गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रही हूँ. उस स्थिति में तो मेरे पति मुझे घर से भी निकाल सकते थे.
आजकल दो तीन दिन से मेरे पति ऑफिस के काम से दूसरे शहर गए थे, तब से मैं डर डर कर ही रह रही थी. पर जिस बात का मुझे डर था, वही अभी मेरे साथ हो रहा था.
जेठ जी कह रहे थे- आज मैं तुम्हें जबरदस्त चोदूंगा और तुम्हें सब सहन करना पड़ेगा.
ये कहकर मेरे जेठ मेरे कपड़ों की तरफ बढ़े, उन्होंने मेरा पल्लू मेरे सीने से पहले ही अलग कर दिया था. अब वो मेरे गोरे सपाट पेट पर हाथ घुमा रहे थे. मेरे हाथ पैर बंधे होने के कारण न तो मैं विरोध कर सकती थी और ना ही मैं चिल्ला सकती थी. बस आँखों से उनसे मुझे छोड़ देने की विनती कर रही थी.
कुछ देर के बाद मेरे जेठ ने अपना हाथ मेरे सीने पर रखा, कुछ देर मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे मम्मे मसलने के बाद उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोलना शुरू कर दिए. दो तीन हुक खोलने के बाद उन्होंने ब्लाउज के हुक खोल कर सामने से उसे मेरे स्तनों के ऊपर से हटा दिया और मेरी ब्रा ऊपर कर दी. मेरे गोरे गोरे गोल गोल स्तन उनके सामने नंगे हो गए, पूरा खजाना उनके सामने खुल ही गया था. मेरे दोनों स्तनों को अच्छे से चूसने दबाने के बाद उनका हाथ फिर से मेरे पेट पर बंधी साड़ी पर गया.
मेरे पति दूसरे शहर गए थे, तो दो तीन दिन से मेरी भी चुदाई नहीं हुई थी और उनकी कामुक हरक़तों की वजह से मेरी कामवासना भी जागृत होने लगी थी.
जेठ जी ने मेरी साड़ी खींच खींच कर मेरी बदन से अलग की, फिर पेटीकोट का नाड़ा ढीला करके पेटीकोट भी सरकाकर नीचे कर दिया. अब मेरा एकमात्र वस्त्र मेरी पैंटी मेरी इज्जत ढके हुए थी. जेठ जी उठकर ड्रेसिंग टेबल के पास गए, वहां से एक कैंची उठाकर ले आए. फिर मेरे पास बैठकर मेरा पेटीकोट और मेरी पैंटी दोनों को काट कर मेरी शरीर से अलग कर दिए.
थोड़ी देर मेरे नंगे बदन को आंखें फाड़ कर देखने के बाद मेरे जेठ मेरे पैरों की ओर बढ़े, उन्होंने मेरे पैरों की उंगलियों को अपने मुँह में लेकर के चूसना शुरू कर दिया. अब तो मेरी चुत में गुदगुदी होने लगी. जेठ जी धीरे धीरे ऊपर सरकते हुए मेरे पैरों को सहलाने और चूमने लगे. इसके बाद वे मेरी जांघों तक पहुंच कर मेरी जांघों को चूमने सहलाने लगे. मेरे पूरे शरीर में कामुक लहरें दौड़ रही थीं, पर मुँह में कपड़ा होने के कारण मेरे मुँह से सिसकारियां नहीं निकल पा रही थीं.
अब उन्होंने अपने हाथ मेरे त्रिकोणीय क्षेत्र पे ले जाते हुए, मेरी चुत को छेड़ना शुरू कर दिया. उनकी उंगलियों के उस खुरदरे स्पर्श से मेरी चुत पानी छोड़ने लगी. जेठ जी अपनी एक उंगली मेरी चुत में डालकर अन्दर बाहर करने लगे, साथ में मेरी चुत के दाने को भी उंगलियों से छेड़ने लगे. जेठ जी अपनी उंगली को गोलाकार घुमाते हुए मेरी चुत के अन्दर बाहर करने लगे.
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