25-02-2019, 12:28 AM
मार्च का महीना था.... मैं अपनी रूपाली दीदी और मुन्नी के साथ उन के ससुराल से ऑटो में निकला.... 2 साल हो चुके थे मेरी दीदी की शादी के तब तक.... मुन्नी तो उस वक्त सिर्फ 6 महीने की थी.... शादी के बाद पहली बार मेरी रूपाली दीदी अपने मायके लौट रही थी... हम सब बेहद खुश थे... वैसे तो जीजाजी भी हमारे साथ आने वाले थे, पर उनके बिजनेस में कुछ प्रॉब्लम आ गई अचानक इसी कारण उन्होंने अपना प्लान कुछ दिनों के लिए टाल दिया था... दोपहर का समय था और मौसम भी बेहद खुशनुमा था.... बातों बातों में पता चला कि ऑटो वाला भी हमारे बगल के गांव का ही है... उसका नाम सुरेश है और वह तकरीबन 40 साल का होगा.. हम लोग बातचीत करते हुए चल रहे थे... सुरेश की बातचीत के अंदाज से मुझे लग रहा था कि वह बेहद अच्छा इंसान है.... मेरी रूपाली दीदी को वह मालकिन बोल के संबोधित कर रहा था...... और दीदी भी उसके साथ बड़े अच्छे से पेश आ रही थी.... वैसे भी मेरी दीदी का नेचर बहुत अच्छा है.... वह हमेशा दूसरे लोगों के साथ बहुत ही नम्रता और शालीनता के साथ बात करती है... जरा सा भी घमंड उनके व्यवहार में कभी नहीं दिखता है... एक बात मैं बता दूं आप लोग को कि बेहद खूबसूरत महिला है मेरी रूपाली दीदी.... उनकी खूबसूरती की चर्चा ना सिर्फ हमारे गांव बल्कि पूरे शहर में थी.... उनकी शादी के पहले..... जब मेरी दीदी की शादी की बात चली तब तो सैकड़ों रिश्ते आए थे हमारे पास पर जहां पर मेरी मम्मी ने तय किया वही मेरी दीदी ने भी स्वीकार कर लिया... वैसे मेरे जीजू दिखने में कुछ खास हैंडसम नहीं है और उनकी उम्र भी तकरीबन 40 साल थी शादी के वक्त..... तब 26 साल की थी मेरी दीदी... 18 साल का था तब मैं.... मैं तो दीदी के साथ ही गया था शादी के बाद उन के ससुराल.... तकरीबन 2 महीने रहा था मैं उन दोनों के साथ... वहां पर जो कुछ भी हुआ था उसकी चर्चा मैं आप लोगों से बाद में करूंगा पर अभी तो हम ऑटो वाले के साथ थे..... और रास्ता भी बहुत लंबा था.. अचानक सुरेश ने कहा... बाबूजी एक काम करे क्या... वैसे तो हमें 4 घंटे लगेंगे गांव पहुंचने में... पर एक रास्ता है जहां से हम शॉर्टकट ले सकते हैं... फिर तो 2 घंटे में पहुंच जाएंगे अपने गांव....
अरे नहीं सुरेश भाई जंगल का है वो रास्ता... बहुत डेंजर हो सकता है उस रास्ते में... उधर से जाना ठीक नहीं..... वैसे भी हमारे पास बहुत समय है.... मैंने सुरेश को जवाब दिया....
ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... पर मैं तो लगभग रोज ही उस रास्ते पर जाता हूं.... ऐसा कोई डेंजर तो नहीं है उधर... पर अब आपकी मर्जी नहीं है तो कोई बात नहीं... सुरेश ने कहा...
कौन से रास्ते की बात कर रहे हो आप लोग.... रुपाली दीदी ने पूछा... मालकिन यही माधोपुर से एक शॉर्टकट का रास्ता है जो सीधे हमारे गांव पहुंचा देता है.... जंगल का रास्ता है .. पर आज तक तो कभी कुछ नहीं हुआ... सुरेश ने जवाब दिया....
उसे लगा शायद मेरी रूपाली दीदी मान जाएगी..
फिर ठीक है ना उधर से चलते हैं, क्यों अंशुल.... वैसे भी हमारे सुरेश भैया है ना.... इनको तो सब पता होगा.... रूपाली दीदी ने कहा..
नहीं दीदी वह बहुत घना जंगल..... बोलते बोलते मेरी जुबान रुक गई क्योंकि दीदी ने मुझे बीच में रोक दिया था... अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया है ना हमारे साथ... सुरेश भैया आप ही बोलो कुछ प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना.... रूपाली दीदी बोल रही थी....
नहीं मालकिन कोई प्रॉब्लम नहीं होगी... आप मुझ पर ट्रस्ट कीजिए.. 2 घंटे के अंदर आप लोगों को आपके घर नहीं पहुंचा दिया तो मेरा नाम सुरेश नहीं.... उसने कहा.....
तो ठीक है भैया, जंगल वाले रास्ते पर पर ही चलेंगे हम लोग.... दीदी ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा....
मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोलूं.... ठीक है सुरेश भाई हम लोग शॉर्टकट वाले रास्ते से चलते हैं... मैंने सुरेश को कहा.... ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... सुरेश ने कहा और अगले मोड़ पर ऑटो जंगल वाले रास्ते की तरफ मोड़ दिया.... तकरीबन 1 घंटे तक सुरेश की ऑटो सुनसान जंगल वाले रास्ते पर चलती रही.... रास्ता बेहद खराब था.... सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे होने के कारण उसकी ऑटो हिचकोले खा रही थी... मुन्नी सो चुकी थी और मेरी दीदी भी लगभग नींद की आगोश में आ गई थी पर मैं जगा हुआ था....
अचानक उसकी ऑटो बंद हो गई.... सुरेश उसे स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा.... पर वह बार बार विफल हो रहा था...
क्या हुआ सुरेश भाई ऑटो स्टार्ट क्यों नहीं हो रही है...
मैंने व्यतीत होते हुए सुरेश से पूछा.... मैं डर गया था क्योंकि हम बीच जंगल में थे... सुरेश ऑटो से बाहर निकल के उसका इंजन चेक करने लगा...
बाबूजी लगता है कार्बोरेटर गर्म होने के कारण इंजन स्टार्ट नहीं हो रही हैै...
अब क्या करें सुरेश भाई... मैं वाकई डर गया था....
भरी दुपहरी के बावजूद जंगल में अंधेरा जैसा लग रहा था...
क्या हुआ सुरेश भैया हम लोग यहां के रुके हुए है.... दीदी जाग चुकी थी और ऑटो से बाहर निकल कर आ गई थी... मुन्नी को उन्होंने ऑटो की सीट पर सुला दिया था...... सुरेश ने कुछ भी जवाब नहीं दिया बल्कि वह तो अपने ऑटो के इंजन को स्टार्ट करने में व्यस्त था.. जो बिल्कुल भी नहीं हो रहा था...
दीदी मैंने कहा था ना कि इस रास्ते नहीं आते हैं...
अब तो यहां हम किसी को हेल्प के लिए बुला नहीं सकते...क्या करें बताओ.... मैंने कहा.
अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया कुछ ना कुछ करेंगे... भैया बताओ ना क्या प्रॉब्लम हो गई...... दीदी ने सुरेश से पूछा उसके पास जाकर.....
मालकिन कार्बोरेटर गरम हो गया है, इसको ठंडे पानी की जरूरत है अभी स्टार्ट होने के लिए.... सुरेश ने कहा....
पर भैया यहां पर ठंडा पानी कहां मिलेगा इस जंगल में..
दीदी की आवाज में भी परेशानी झलक रही थी.... मालकिन यहां से थोड़ी दूर पर एक हैंडपंप है.... वहां पर पानी मिल सकता है... मेरे पास दो तीन बोतल है..... मैं ले कर आता हूं वहां से पानी... सुरेश ने कहा....
मेरी रूपाली दीदी बेहद डरी हुई थी..... आप लोग यहीं पर रुको... मैं पानी लेकर आता हूं... बस मुझे अपनी बोतल दे दो..... मैंने सुरेश को कहा...
सुरेश ने मुझे दो बोतल थमाई, और मुझे अच्छे से बताया कि वह हैंडपंप किस तरफ है...... मैं दौड़ता हुआ उस हैंडपंप पर पहुंचा.... उसने बिल्कुल सही बताया था... दो बोतल पानी भरने के बाद जल्दी जल्दी मैं वापस भागने लगा.... दौड़ता हुआ जब मैं वापस ऑटो, दीदी,
सुरेश और मुन्नी के पास पहुंचा तो मेरी फट के दो से चार हो गई...
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अरे नहीं सुरेश भाई जंगल का है वो रास्ता... बहुत डेंजर हो सकता है उस रास्ते में... उधर से जाना ठीक नहीं..... वैसे भी हमारे पास बहुत समय है.... मैंने सुरेश को जवाब दिया....
ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... पर मैं तो लगभग रोज ही उस रास्ते पर जाता हूं.... ऐसा कोई डेंजर तो नहीं है उधर... पर अब आपकी मर्जी नहीं है तो कोई बात नहीं... सुरेश ने कहा...
कौन से रास्ते की बात कर रहे हो आप लोग.... रुपाली दीदी ने पूछा... मालकिन यही माधोपुर से एक शॉर्टकट का रास्ता है जो सीधे हमारे गांव पहुंचा देता है.... जंगल का रास्ता है .. पर आज तक तो कभी कुछ नहीं हुआ... सुरेश ने जवाब दिया....
उसे लगा शायद मेरी रूपाली दीदी मान जाएगी..
फिर ठीक है ना उधर से चलते हैं, क्यों अंशुल.... वैसे भी हमारे सुरेश भैया है ना.... इनको तो सब पता होगा.... रूपाली दीदी ने कहा..
नहीं दीदी वह बहुत घना जंगल..... बोलते बोलते मेरी जुबान रुक गई क्योंकि दीदी ने मुझे बीच में रोक दिया था... अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया है ना हमारे साथ... सुरेश भैया आप ही बोलो कुछ प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना.... रूपाली दीदी बोल रही थी....
नहीं मालकिन कोई प्रॉब्लम नहीं होगी... आप मुझ पर ट्रस्ट कीजिए.. 2 घंटे के अंदर आप लोगों को आपके घर नहीं पहुंचा दिया तो मेरा नाम सुरेश नहीं.... उसने कहा.....
तो ठीक है भैया, जंगल वाले रास्ते पर पर ही चलेंगे हम लोग.... दीदी ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा....
मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोलूं.... ठीक है सुरेश भाई हम लोग शॉर्टकट वाले रास्ते से चलते हैं... मैंने सुरेश को कहा.... ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... सुरेश ने कहा और अगले मोड़ पर ऑटो जंगल वाले रास्ते की तरफ मोड़ दिया.... तकरीबन 1 घंटे तक सुरेश की ऑटो सुनसान जंगल वाले रास्ते पर चलती रही.... रास्ता बेहद खराब था.... सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे होने के कारण उसकी ऑटो हिचकोले खा रही थी... मुन्नी सो चुकी थी और मेरी दीदी भी लगभग नींद की आगोश में आ गई थी पर मैं जगा हुआ था....
अचानक उसकी ऑटो बंद हो गई.... सुरेश उसे स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा.... पर वह बार बार विफल हो रहा था...
क्या हुआ सुरेश भाई ऑटो स्टार्ट क्यों नहीं हो रही है...
मैंने व्यतीत होते हुए सुरेश से पूछा.... मैं डर गया था क्योंकि हम बीच जंगल में थे... सुरेश ऑटो से बाहर निकल के उसका इंजन चेक करने लगा...
बाबूजी लगता है कार्बोरेटर गर्म होने के कारण इंजन स्टार्ट नहीं हो रही हैै...
अब क्या करें सुरेश भाई... मैं वाकई डर गया था....
भरी दुपहरी के बावजूद जंगल में अंधेरा जैसा लग रहा था...
क्या हुआ सुरेश भैया हम लोग यहां के रुके हुए है.... दीदी जाग चुकी थी और ऑटो से बाहर निकल कर आ गई थी... मुन्नी को उन्होंने ऑटो की सीट पर सुला दिया था...... सुरेश ने कुछ भी जवाब नहीं दिया बल्कि वह तो अपने ऑटो के इंजन को स्टार्ट करने में व्यस्त था.. जो बिल्कुल भी नहीं हो रहा था...
दीदी मैंने कहा था ना कि इस रास्ते नहीं आते हैं...
अब तो यहां हम किसी को हेल्प के लिए बुला नहीं सकते...क्या करें बताओ.... मैंने कहा.
अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया कुछ ना कुछ करेंगे... भैया बताओ ना क्या प्रॉब्लम हो गई...... दीदी ने सुरेश से पूछा उसके पास जाकर.....
मालकिन कार्बोरेटर गरम हो गया है, इसको ठंडे पानी की जरूरत है अभी स्टार्ट होने के लिए.... सुरेश ने कहा....
पर भैया यहां पर ठंडा पानी कहां मिलेगा इस जंगल में..
दीदी की आवाज में भी परेशानी झलक रही थी.... मालकिन यहां से थोड़ी दूर पर एक हैंडपंप है.... वहां पर पानी मिल सकता है... मेरे पास दो तीन बोतल है..... मैं ले कर आता हूं वहां से पानी... सुरेश ने कहा....
मेरी रूपाली दीदी बेहद डरी हुई थी..... आप लोग यहीं पर रुको... मैं पानी लेकर आता हूं... बस मुझे अपनी बोतल दे दो..... मैंने सुरेश को कहा...
सुरेश ने मुझे दो बोतल थमाई, और मुझे अच्छे से बताया कि वह हैंडपंप किस तरफ है...... मैं दौड़ता हुआ उस हैंडपंप पर पहुंचा.... उसने बिल्कुल सही बताया था... दो बोतल पानी भरने के बाद जल्दी जल्दी मैं वापस भागने लगा.... दौड़ता हुआ जब मैं वापस ऑटो, दीदी,
सुरेश और मुन्नी के पास पहुंचा तो मेरी फट के दो से चार हो गई...
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