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यही सब सोचते और नीचे वाली कि दरार पर ऊँगली चलते हुए पंलंग पास नीचे बैठे सोच रही थी ... अब कैसे जाऊं भाभी के पास ...........
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
सपनो कि दुनिया से निकल कर अब खुली आँखों से सपने देख रही थी ..... अब यों तो मैंने दो सपने देखे थे ... एक जिसमे "मूड्स" का इस्तेमाल देखा था ... और दूसरा "सुमन भाभी" वाला .... जान ही नहीं निकली बस मेरी .......
दोनों बढ़िया थे पर सुमन भाभी वाला जायदा रसीला था ....... हो सकता है कि सुमन भाभी मेरे साथ थी और उनके जोबन- ब्लाउज और साये मैं मैंने करीब से देखा था ,,,,, जो भी हो मजा आ गया था.
अब कुछ - कुछ समझ आ रहा था ... जिन्दगी किताबो के अलावा भी है .... और मैं एक किताबी कीड़ा .... जिसे कुछ न पता हो ... मुझ से अच्छी मेरी सहेली है .... जो मजा ले रही है .... जिंदिगी का ..
यह सब मैं बाथरूम मैं खड़ी ब्रश करते सोच रही थी .... आज कुछ मन कर ही नहीं रह था .... जैसे सारी ताकत "बह" गयी हो . आज फिर कॉलेज गोल ..... आज तो कॉलेज मैं भी मन नहीं लगना .... आ गयी अपने रूम मैं और मेरा हाथ अपने आप "चाशनी" कि दुकान पर ..... और दो तार कि चाशनी मेरे मुह मैं ..........
अब तो पेंटी पहन ले निहारिका ... पागल लड़की क्या हुआ तुजे .... कहा अपने आप से .
आज से पहेले मैं कभी ब्रा - पेंटी के बिना नहीं रही ... रात को भी पहन कर सोती थी .
निकली अनमने मन से पेंटी ..... रेड वाली - सुमन भाभी के जैसी करीब करीब . मेरी वाली मैं नेट सिर्फ कमर पर ही था .... पर फीलिंग आ गयी ....
अब मैं बिना ब्रा कि कुर्ती और स्कर्ट मैं खड़ी थी .... चलो बाहर ... खाओ माँ कि मार .... बताओ क्यों नहीं गयी कॉलेज ..... पिछली बार "मूड्स" ने कॉलेज मिस करवाया और अबकी बार "चाशनी" ने ....
क्या हो सकता था .... मन मैं दबी हुई इच्छा ..... सुमन भाभी और शीतल भाभी मिल जाये ..... क्या करुँगी .... हा हा ... पागल ... करेंगी तो वो ही .... मन - ही - मन बात कर रही थी अपने आप से ..
फिर माँ कि मार का ध्यान आया तो सोचा अब तक माँ कि आवाज क्यों नहीं आई .... अब तक माँ सारा घर सर पर उठा देती .....
बाहर आई तो ... देखा .....
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30-05-2020, 09:14 PM
(This post was last modified: 30-05-2020, 09:17 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अब तक माँ सारा घर सर पर उठा देती .....
बाहर आई तो ... देखा .....
............
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
"सुमन भाभी "
माँ के साथ चाय पी रही थी ...... और हंस - हंस के बाते जैसे कुछ हुआ ही न हो ...... हालाँकि कुछ हुआ नहीं था .... पर मेरे लिए तो बहुत था .. बहुत से भी जायदा ....
माँ - अब उठी तू .... सब ठीक .
सुमन भाभी - "निहारिका" आजा .... बैठ .... . चाय पी ले .
मैं मन मे सोच रही थी ... चाय छोड़ो भाभी "चाशनी" चटा दो ...
मैं - जी भाभी ... आज लेट हो गयी ..... न जाने क्यों आँख ही नहीं खुली ....
सुमन भाभी - बैठ न , कहाँ जा रही है ..... [मैं चाय लेने जा रही थी]
मैं - सुमन भाभी वो मैं चाय ....
सुमन भाभी - रुक मैं ला देती हूँ ....
माँ - वाह , सुमन ..... बड़ा प्यार आ रहा है ..... निहारिका पर ....
सुमन भाभी - अब है ही इतनी प्यारी बेटी .... क्यों है न ..... ले चाय पी.
निहारिका जब तू सोयी हुई थी .... तब तेरी माँ और मैं ....
मैं - चाय पीते पीते रुक गयी ...... कर लिया सब ....? [मन मैं सोचा]
सुमन भाभी -हम बात कर रहे थे कि अगले सन्डे शादी है ... मेरी रिश्तेदारी मैं .... इसी शहर मैं ही है ... पांच सितारा होटल बुक करवाया है शादी के लिए ... तुम दोनों को भी चलना है .... और तेरी माँ ... नाटक कर रही है ...
अब तू ही बात कर ....
मैं - क्या हुआ माँ ... चलते हैं न .... थोड़ी आउटिंग हो जाएगी .... वो होटल भी शहर से बाहर है ....
माँ - मेरे बस का नहीं ...... यह सुमन न जाने क्या खाती है .... इसकी जवानी जा ही नहीं रही .....
सुमन भाभी - अरे तू भी खा और इसी भी खिला .... मेरी तरह जवान ही रहोगे .... हा हा हा ....
माँ - तू ही खा ..... निहारिका तू चली जाना सुमन के साथ ....... और साथ ही आ जाना ... अकेले नहीं
सुमन भाभी - तू भी कहे चिंता करती है ..... मैं हु न और शीतल भी तो है न वहा .... और फिर मेरी रिश्तेदारी मैं ही तो जा रही है ... इसी शहर मैं .... कोई विलायत थोड़ी जा रही है तेरी बेटी ....
इतनी चिंता हो रही है तो करवा दे इसकी शादी ...... हा हा हा ह....
मैं - सुमन भाभी, आप भी न ,,,, सब मेरी शादी के पीछे पड़े हैं ....
सुमन भाभी - आच्छा अब शादी कि बात से याद आया ... क्या पहनेगी शादी मैं .....
मैं - हम्म, सूट ...... वो ही जो उस दिन "गोद भराई " मैं पहेना था.
सुमन भाभी - तेरा बचपना कब जायेगा .... बच्चे होने के बाद?
सुमन भाभी थोडा गुस्से मैं आ गयी .... और मैं चुप ... माँ भी चुप ... फिर सुमन भाभी - बोली ..
सुमन भाभी - [मेरी माँ से ] अरी , तू कुछ समझती नहीं है क्या लड़की को .... निरा ढपोर ही बना कर रखना है क्या ... आजे क्या करेगी ?
माँ - हम्म, बात तो तू सही कह रही है सुमन .... अब तू ही बता क्या पेहेनेगी शादी मैं ....
सुमन भाभी - देख , मेरी बात माने तो .... अभी है एक हफ्ता शादी को , और कौन से वहा जाकर कम करवाने है .... शाम को ही जाना है .....
कल बाजार चलते हैं ... और एक - दो बढ़िया साड़ी ले आते हैं ... ब्लाउज मैं सिल्वा दुंगी .... मेरे टेलर से .
मैं - पर सुमन भाभी, मुझे साड़ी ..... नहीं .... मतलब मुझे साड़ी पेहेनना नहीं आती ..... कभी कोशिश नहीं करी .... जरुरत भी नहीं पड़ी ....
सुमन भाभी - उफ़, अब सारे काम शादी के बाद ही करने है क्या ? [मेरी माँ से] . क्या यार अब तक साड़ी भी नहीं सिखाई इसे ? कुछ लख्हन सिखा के आगे भेजना नहीं तो नाक कटवा लेगी अपनी ... कह रही हूँ ..
माँ - हम्म, इस और तो ध्यान ही नहीं दिया मैंने ..... अभी बच्ची है ....
सुमन भाभी - बच्ची ...... देख तो इसका जोबन ....... क्या उभर कर आया है, जवानी भी माशा - अल्लहा .. नजर न लगे मेरी बच्ची को ... निहारिका उठ कर खड़ी होना...
मैं - जी भाभी
सुमन भाभी - घूम .. दो चक्कर लगा ..... धीरे - धीरे
में लगी घुमने .... मेरे बिना ब्रा के जोबन जो रात भर मसले और दबाये गए थे कुछ जायदा ही बड़े दिख रहे थे ... मेरे गोलमटोल - गोल्कुंदे .... स्कर्ट मैं से झांक रहे थे कह रहे थे आओ खेलो हमसे.
मेरी जवानी कि नुमाइश हो रही थी ..... सुमन भाभी जयका और मजा ले रही थी.
माँ - सुमन , सुन अभी चलते हैं , हम तो तैयार हैं ही .... न्हारिका ... तू नहा कर तैयार हो जा .... तेरे लिए साड़ी ले आते हैं, फिर आगे भी काम आ जाएगी .... अगले महीने शादी मैं भी जाना है .....
सुमन भाभी - हम्म, यह ठीक रहेगा .... निहारिका जा .... आच्छे से नहा ले .... हँसती हुई बोली ...
मुझे .... "सरम " [जी पता है - शर्म लिखना था पर , न जाने क्यों ... सरम आ गयी..]
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निहारिका जी प्रणाम
एक बेहतरीन थर्ड है आप का,आप की तरह में भी कोमल रानी जी का एक बड़ा फैन हूँ ।।
आप भी बहुत कमाल का लिख रही है
में चाहूंगा जैसा आप ने पहले जिक्र किया था
आप की सहेली का,आप की भाभियों का,आप की मम्मी का इन सब का आपस मे अंतरंग रिश्ता है,हम वहाँ से कुछ दृश्य देखना चाहेंगे
उन के बीच का लेस्बियन सेक्स,उन की बातें
आप की मम्मी के साथ आप की सहेली,आप की भाभी की मीठी मस्ती ये सब देखने को उत्सुक है
जैसा कोमल जी लिखती है देखा ना कितना मजा आता है और कहानी भी कितना कामुख बन जाती है
ये एक निवेदन है,आप कमाल का लिख रही हो
ओर निखार आएगा जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी
बहुत शुभकामनाएं निहारिका जी
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निहारिका जी कमाल कर रही हो आप
क्या मस्त लिख रही हो,waahh
हर अपडेट में इंतज़ार बढ़ता जा रहा है
भाभी कब शैतानी पर उतरती है
या उस से पहले आप को कहीं कुछ मम्मी सहेली भाभी का कुछ कार्यक्रम देखने को मिलता है
खेर ये तो वक़्त ही बताएगा कब क्या होता है
पर उम्मीद है कन्या-रस एक बार बरसने लगा फिर नी रुकने वाला
सब की सब मझे लेने वाली ही है आप की कहानी की पात्र
अगले अपडेट के इंतज़ार में
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बहुत ही बढ़िया अपडेट , हर अपडेट आगे क्या होने वाला है उसकी उत्सुकता जगा देता है है , और जो होने वाला है उसका कुछ पदचाप भी सुनाई देने लगता है ,
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31-05-2020, 12:55 PM
(This post was last modified: 31-05-2020, 01:02 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(31-05-2020, 07:29 AM)@ Raviraaj Wrote: निहारिका जी प्रणाम
एक बेहतरीन थर्ड है आप का,आप की तरह में भी कोमल रानी जी का एक बड़ा फैन हूँ ।।
आप भी बहुत कमाल का लिख रही है
में चाहूंगा जैसा आप ने पहले जिक्र किया था
आप की सहेली का,आप की भाभियों का,आप की मम्मी का इन सब का आपस मे अंतरंग रिश्ता है,हम वहाँ से कुछ दृश्य देखना चाहेंगे
उन के बीच का लेस्बियन सेक्स,उन की बातें
आप की मम्मी के साथ आप की सहेली,आप की भाभी की मीठी मस्ती ये सब देखने को उत्सुक है
जैसा कोमल जी लिखती है देखा ना कितना मजा आता है और कहानी भी कितना कामुख बन जाती है
ये एक निवेदन है,आप कमाल का लिख रही हो
ओर निखार आएगा जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी
बहुत शुभकामनाएं निहारिका जी
Raviraaj जी
शुक्रिया आपका
सहेली, भाभी सब आएँगी ..... थोडा धीरज रखे ..... जी
और कोमल जी ...... लाजबाब अतुलनीय लेखिका ...... मेरी पसंददीदा ..... पर कोमल जी ... कोमल जी है ..... मैं कहाँ उनकी तरह लिख पाती हूँ .
पर जो भी हो ... आपके कमेंट से उत्साह वर्धन हुआ ..... इतना ही बहुत है मेरे लिए ... साथ व् प्यार बनाये रखे .....
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(31-05-2020, 11:15 AM)komaalrani Wrote: बहुत ही बढ़िया अपडेट , हर अपडेट आगे क्या होने वाला है उसकी उत्सुकता जगा देता है है , और जो होने वाला है उसका कुछ पदचाप भी सुनाई देने लगता है ,
कोमल जी ,
मेरा प्यार भरा धन्यवाद ....
आपके प्यार कि दो लाइन ही काफी हैं, अभी चाय पी रही थी आपकी याद आ गई सोचा देख लू अगर ऑनलाइन आई हो तो .....
न जाने कैसा जादू है ... आपकी उपस्थिति समां रंगीन बना देती है .... खुशनुमा .... और कुछ - कुछ मादक भी --- सच्ची ....
ऑनलाइन आई और चेक किया ... आपके प्यार भरे शब्द ..... जी खुश हो गया .....
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(31-05-2020, 09:32 AM)@Kusum_Soni Wrote: निहारिका जी कमाल कर रही हो आप
क्या मस्त लिख रही हो,waahh
हर अपडेट में इंतज़ार बढ़ता जा रहा है
भाभी कब शैतानी पर उतरती है
या उस से पहले आप को कहीं कुछ मम्मी सहेली भाभी का कुछ कार्यक्रम देखने को मिलता है
खेर ये तो वक़्त ही बताएगा कब क्या होता है
पर उम्मीद है कन्या-रस एक बार बरसने लगा फिर नी रुकने वाला
सब की सब मझे लेने वाली ही है आप की कहानी की पात्र
अगले अपडेट के इंतज़ार में
कुसुम जी ,
क्या बात है .... गायब जी हो रही हो .....
आप कुछ सहेलियियो का ही तो सहारा है ..... पूनम जी, कोमल जी, विद्या जी .... सब गायब जी.....
खैर .... सब कही न कही व्यस्त होंगे ...... मस्त होंगे ....
आपके प्यार का शुक्रिया ..... हम्म, सुमन भाभी .... शीतल भाभी ..... सब कन्या - रस कि जबरजस्त शौकीन थी और आज भी है ...... सब बारी - बारी से ..... सब आने वाला है ..... बस मजे लो और चाशनी का स्वाद लेते रहो ....
मिलती हूँ जल्दी ..........
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सुमन भाभी - हम्म, यह ठीक रहेगा .... निहारिका जा .... आच्छे से नहा ले .... हँसती हुई बोली ...
मुझे .... "सरम " [जी पता है - शर्म लिखना था पर , न जाने क्यों ... सरम आ गयी..]
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
जी, मैं चल दी बाथरूम कि ओर अपनी टपकती हुई "नीचे वाली" को लेकर जब मैं चल रही थी तो एक अनजानी लगभग जानी पहचानी कसक महसूस हुई ... शायद सुमन भाभी कि बातो का असर ..... हम्म वो ही था ... अरे रात भर सपने मैं जो हुआ एक बार फिर से आँखों के सामने आ गया बाथरूम तक जाते - जाते .
बाथरूम के अन्दर जाकर .... सबसे पहेले खुद को देखा ... ध्यान से और प्यार से ... मेरी आँखों कि चमक को देख कर कोई भी बता देता कि मैं "नीचे " से गीली हूँ... फिर वो ही सरम आ गयी मुझे अपने आप से ..... और हंसी भी ...
फिर मेरे हात मेरे जोबन पर .... जो कि आज पहेली बार बिना ब्रा के इतरा रहे थे .... बदमाश .... दोनों निप्पल ऐसे कड़े और खड़े हो गए थे कि बिना दबाये रहा ही न गया मुझसे ... उफ़ क्या एहसास था ..... जो सीधा मेरे "नीचे वाली" तक गया था .... बस फिर क्या निकल पड़ी मेरी चाशनी ... इसके निकलते ही .... मेरा हाथ अपने आप पहुंच गया चासनी को मेरे मुह तक लाने के लिए ... एक बार फिर वो दो - तार कि चाशनी मेरे मुह मैं घुल रही थी .....
मेरा एक हाथ मेरे निप्पल और जोबन से खेल रहा था .... कुछ देर बाद एह्साह हुआ कि .... नहाना है .... सुमन भाभी वेट कर रही हैं और माँ तो भजन सुना ही देने वाली है .... जल्दी कर निहारिका.....
फिर उतारी कुर्ती .... ब्रा तो थी ही नहीं ....... बस दो बदमाश मुझे देख रहे थे सामने कांच मैं से ..... फिर पेंटी निकली स्कर्ट उठा कर और पेंटी के बीच का हिस्सा "गीला" हो गया था "चाट" लिया मैंने ..... सब साफ़ ... ठीक मेरी उसी पेंटी कि तरह जो मेरी सहेली चाट गयी थी उस दिन ..... साली ... उसका कितना निकला होगा ... उसकी चासनी कैसी होगी ..... मेरे जैसी ? या ...... उफ़ मैं क्या सोचने लगी ....
नहा ले पागल ...... खुद से बोली .....
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(28-05-2020, 08:12 PM)Niharikasaree Wrote: वैशाली जी
निहारिका का प्यार भर नमस्कार !
औरतो कि रोमांचक और चटपटी बातो को पसंद करेने के लिए शुक्रिया .... एक औरत ही यह समझ सकती है ..... औरतो कि बाते
हम्म, अब आते हैं आपके प्रश्न कि ओर "क्या हमारा बदन घर के मर्दों को ललचाता है.." - जी सही कहा आपने .
उपर वाले ने हम औरतो को इसी तरेह से बनाया है कि हम सुन्दर व् आकर्षक दिखे और प्रक्रति के नियमनुसार सर्जन मैं सहयोग करे ....
कभी यह नियम थोडा बदल जाता है "कन्या -रस " के शोकिनो के लिए .....
आपके अगले सवाल कि ओर --- "यहां पर जो परिवार के बीच वाली कहानियां हैं उनमे कितनी सच्चाई है "
वैशाली जी .... मानुष का नेचर है यह .... सपने ओर फंतासी के लोक मैं अपने आप को खुश रखने कि कोशिश. जी , आपने सही कहा .... कुछ विचार अलग हो सकते हैं संस्क्रती से ... किन्तु पांचो उँगलियाँ बराबर नहीं होती .......
आपने जो भी कहानी पढ़ी ... उत्सुकता से , नयी जानकारी के लिए ...... जो भी कारन हो .... इस दुनिया मैं सब होता है .... होता चला आया है ..... और चलता रहेगा .... आपको खुद फैसला लेना है कि आप किस और हो .....
बाकि बाते होती रहेंगी ....... साथ बनाये रखे ...... आचा लगा आप से बात कर के .............. दीदी आपकी बाते सुनकर और यहां की पोस्ट पढ़कर एक गुनगुनी सी गुदगुदी हुई, हम घर मे भी लोगों को आकर्षित करते है थोड़ा रोमांचक है....खैर आपके जवाब के लिए शुक्रिया और हां काफी चुलबुली थी आप
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(01-06-2020, 03:29 PM)Exotic Wrote: दीदी आपकी बाते सुनकर और यहां की पोस्ट पढ़कर एक गुनगुनी सी गुदगुदी हुई, हम घर मे भी लोगों को आकर्षित करते है थोड़ा रोमांचक है....खैर आपके जवाब के लिए शुक्रिया और हां काफी चुलबुली थी आप
वैशाली जी
शुक्रिया आपका,
मुझे आच्छा लगा कि आपको मेरी बाते पसंद आई ..... अब आप यह बताओ कि वो गुनगुनी सी गुदगुदी ... कहा - कहा पहुँच गयी है ..... जी आपने सही फ़रमाया ... औरत का जिस्म आकर्षण का केंद्र होता है ...... जी चुलबुली तो हूँ आज भी पर जवानी के दिनों जितनी नहीं ... अब थोड़ी घर कि जिम्मेदारी भी है ..... पर कर लेती हूँ मस्ती ..... जब भी आप जैसी हमफ़र मिल जाती है तो ....
[b]अपना साथ व् प्यार बनाये रखे और जुड़े रहे कुछ खट्टी - मीठी और चटपटी बाते औरतो वाली ......ही ही [/b]
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नहा ले पागल ...... खुद से बोली .....
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
फिर स्कर्ट उतर के .... "सु-सु" करने बैठ गयी .... मधुर आवाज मेरी सीटी कि .. आज दुगना मजा आ रहा था सुनने मैं .... पूरा सुना जब तक आखरी बूद न टपक गयी ... फिर उठी और उठ कर सीधा शावर के नीचे ....
रगड़ -रगड़ के नहा लिया ... जोबन को अलग बदमाशी चढ़ रही थी .... साले दोनों निप्पल खड़े ही रहे पूरा टाइम ..... और वो "नीचे" वाली भी टपकाती रही .... बस अब बहुत हुआ.... जोबन पर टॉवल लपेट कर धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोला ..... आज भी कपडे नहीं ला पायी थी ...... बस सपने मैं चलती हुई आ गयी बाथरूम तक ... देखा कि कोई नहीं है सामने ...... तेजी से चलते हुए ..... लगभग भागते हुए आ गयी रूम तक.....
अब क्या पहेनु ? माँ और सुमन भाभी भी है .... सूट ही ठीक रहेगा .... माँ को बिना दुपट्टा लिए बहार जाना बिलकुल पसंद नहीं था ..... अब स्कर्ट - टॉप मैं दुपट्टा ..... नहीं सूट ही ठीक है ....
अब कलर ? हम्म, एक पीली कुर्ती और सफ़ेद चूड़ीदार सलवार निकाल ली जिसके साथ दो रंग वाला दुपट्टा था पीले - सफ़ेद रंग का मिक्स.... हम्म यह चलेगा...
अब ब्रा ? उफ़ .... ब्लैक तो साफ़ दिखेगी .... और माँ मार डालेगी ... फिर पीली वाली ब्रा भी लानी पड़ेगी ..... अभी तो सफ़ेद से ही काम चलाना पड़ेगा .....
पेंटी ? हम्म, एक क्रीम कलर कि थी ... थोड़ी पुरानी थी ... हलकी सी टाइट .... चलो यह ही सही .... चिकनाहट तो रोकेगी ..... मुझे मेरी "नीचे" वाली पर पूरा भरोसा था कि वो बाजार मैं तंग करेगी .... सुमन भाभी जो साथ मैं है ..... याद आती ही रहेगी सपने कि ....
अब सब निकल लिया ..... निहारिका ... जल्दी कर माँ का फरमान आता ही होगा ....
जल्दी से टॉवल खोला .. जोबन दबाये .... "नीचे " वाली पर हात अपने आप ही चला गया ... एक हालही चपत लगायी ..... दोनों पर ... परेशान कर दिया था ..... सुबह से .... न ,न रात से .... क्यों ठीक किया ....है न ..
पेंटी पहेनी ..... कुछ टाइट थी .... मेरे गोलमटोल कुछ ज्यादा ही गोल हो गए थे एन दिनों ..... सुमन भाभी भी कह रही थी .... फिर अंगूठा डाला कमर के इलास्टिक मैं और सेट किया पेंटी को .... फिर "नीचे" वाली जगह को भी उंगलियो से सेट किया टाइट थी पर आज चल जाएगी .... सोच रही थी कुछ और कलर कि पेंटी - ब्रा लानी होंगी .... देखते हैं ...
फिर ब्रा पहेनी ... उफ़ मेरे जोबन को क्या हुआ .... एक ही रात मैं बढ़ गए क्या? ... खुद से पुछा .... जो भी हो अच्छे लग रहे थे . ..
फिर कुर्ती पहेनी उफ़. .... कुर्ती मैं से मेरे जोबन ... एकदम निकल कर बाहर आ रहे थे ... फिर जल्दी से चूड़ीदार पहेना ...एकदम फिट ... मेरे पीछे वाले "गोलमटोल" एकदम जानमारू लग रहे थे ...... जवानी का असर ...... अब दिखाई दे रह था ........... मेरे जिस्म पर .
तभी मुझे मेरी सहेली कि बात याद आई "एटम बम" है तू निहारिका ..... तू जानती नहीं ....
आ गयी मुझे हंसी .....
अब गीले बाल को सुखा कर कंगी करी ,,, बांध तो नहीं सकती थी कुछ गीले थे .... और टाइम न था .... फिर एक छोटी क्लिप लगा ली बालो को समेट कर और लिपस्टिक ... रेड वाली लगा ली मेरे होंठ चमक उठे ... और भाभी कि याद आ गयी ..... मैं तो पागल ही हो जाउंगी ...... आँखों मैं काजल लगा कर , हाथ मैं दुपट्टा लिया और रूम से बाहर आ गयी .....
सामने से माँ आ रही थी .... शायद देखने .... कि मैं तैयार हुई या नहीं ?
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(02-06-2020, 11:22 AM)Niharikasaree Wrote: वैशाली जी
शुक्रिया आपका,
मुझे आच्छा लगा कि आपको मेरी बाते पसंद आई ..... अब आप यह बताओ कि वो गुनगुनी सी गुदगुदी ... कहा - कहा पहुँच गयी है ..... जी आपने सही फ़रमाया ... औरत का जिस्म आकर्षण का केंद्र होता है ...... जी चुलबुली तो हूँ आज भी पर जवानी के दिनों जितनी नहीं ... अब थोड़ी घर कि जिम्मेदारी भी है ..... पर कर लेती हूँ मस्ती ..... जब भी आप जैसी हमफ़र मिल जाती है तो ....
[b]अपना साथ व् प्यार बनाये रखे और जुड़े रहे कुछ खट्टी - मीठी और चटपटी बाते औरतो वाली ......ही ही [/b] गुदगुदी तो वहीं हो रही जहाँ जवानी मे होती है पर आपका चुलबुलापन बरकरार है मुझे तो लगता घर की जिम्मेदारी निभाते हुए आप ज्यादा कामुक हो
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(02-06-2020, 02:19 PM)Exotic Wrote: गुदगुदी तो वहीं हो रही जहाँ जवानी मे होती है पर आपका चुलबुलापन बरकरार है मुझे तो लगता घर की जिम्मेदारी निभाते हुए आप ज्यादा कामुक हो
जी -
वैशाली जी,
कैसी है आप .... सब बढ़िया .....
गुदगुदी का इलाज चल रहा है या नहीं ....... आपकी शादी हुई या नहीं ...... भी कुछ शेयर करे .....
अच्छा लगा आपसे मिल कर ......
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क्या डिस्क्रिप्शन करती हैं आप , तन का भी मन का भी और उस अंतर्द्वंद का भी जो किशोरियों के मन में चलता ही रहता है , हाँ साईज थोड़ा बढ़ाइए ,... बस गजब
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(04-06-2020, 11:04 AM)komaalrani Wrote: क्या डिस्क्रिप्शन करती हैं आप , तन का भी मन का भी और उस अंतर्द्वंद का भी जो किशोरियों के मन में चलता ही रहता है , हाँ साईज थोड़ा बढ़ाइए ,... बस गजब
कोमल जी
शुक्रिया ............ क्या बताऊ .... बस आपके लिए ही आती हूँ .... कब आपके दो शब्द ...दिख जाये और मुझे कुछ लिखने कि प्रेरणा मिल जाये ....
"तन का भी मन का भी और उस अंतर्द्वंद का भी जो किशोरियों के मन में चलता" ----- जी सही कहा आपने यही औरत का जीवन है .... इसी अंतर्द्वंद मैं फंसी रही और रहती है ...
आपने सही कहा ... बड़े उप्दतेस के लिए ... मैं सब लाइव लिखती हूँ .... जब भी जैसा भी समय मिल पाता है ... बस उकेर देती हूँ अपनी यादे .... पर फिर भी कोशिश करुँगी कि कुछ जायदा लिख सकू ....
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और भाभी कि याद आ गयी ..... मैं तो पागल ही हो जाउंगी ...... आँखों मैं काजल लगा कर ,
हाथ मैं दुपट्टा लिया और रूम से बाहर आ गयी .....
सामने से माँ आ रही थी .... शायद देखने .... कि मैं तैयार हुई या नहीं ?
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
जी तो हो गया सामना मेरी माँ से माँ ने मुझे देखा और बोली ..
माँ - निहारिका हो गयी तैयार तू... सुन्दर लग रही है .... आजा
मुझे तो डर था कि माँ मुझे डाटेंगी कि इनती देर क्यों लगादी पर ऐसा कुछ हुआ नहीं तब कुछ चैन आया ..... पर मेरे जोबन
कहाँ चुप बैठने वाले थे लगे बदमाशी करने और हो गए मेरे निप्पल खड़े "सुंदर लग रही है" सुन कर ... तब दुपट्टा ठीक करने के बहाने से मैंने ओने एक हाथ से अपने जोबन को दबा कर मसल लिया तब जाकर दोनों बदमाश नरम हुए...... फिर माँ के साथ चल कर सुमन भाभी के पास आ गयी .....
सुमन भाभी - निहारिका तू कितनी सुन्दर लग रही है .... आजा मेरे पास तुजे काला टीका लगा
दू ...... नजर न लगे मेरी निहारिका को ....
यह कह कर सुमन भाभी ने अपनी आँखों कि किनोर से काजल निकला अपनी रिंग फिंगर से
और मेरे कान के पीछे लगा दिया .... और मेरे माथे पर किस कर लिया ....
मैं मन मैं सोच रही थी कि सुमन भाभी थोडा नीचे किस करो न मेरे होंठो पर ...... पर शायद सुमन भाभी ने मेरे मन कि बात सुन ली थी वो बोली .....
सुमन भाभी - जरा धीरज धर मेरी निहारिका .... सब होगा ......
मैं शर्मा गयी और अपनी उंगलियो मैं दुपट्टा का सिरा घुमाने लगी ....... पर बोली कुछ न .....
और बोलिती भी क्या .... माँ जो थी सामने ...
तभी माँ बोली ....
माँ - बड़ा प्यार आ रहा है मेरी बेटी पर , क्यों सुमन ,
सुमन भाभी - अब है ही इतनी प्यारी तो क्यों न आये प्यार ...... और वैसे भी मुझे "बेटी"
जायदा पसंद है .....
फिर एक .... अल्पविराम ....... सब चुप थे ...... मेरी और सुमन भाभी कि आँखों कि चमक
एक दुसरे से कुछ कह रही थी ..... जो शायद हम ही जानते थे ........ फिर शादी मैं जाने कि
बात और सुमन भाभी और शीतल भाभी का साथ ... मेरी उत्सुकता बढ़ा रहा था .... अब क्या
होगा मेरे साथ ...... "शायद वो सब" ........
तभी माँ बोली --- अब चले या यु ही खड़े रहोगी दोनों ...... बाजार मैं टाइम लगेगा .... चल
निहारका ...
सुमन भाभी - हम्म, चलो ....
फिर हम तीनो घर से बाहर आये मैं माँ और सुमन भाभी के बीच मैं चल रही थी जैसे कोई
राजकुमारी को शादी के लिए ले जाते है ... धीरे - धीरे .... फिर सामने से एक ऑटो वाला आया
उसे सुमन भाभी ने रुकवाया और बाजार जाने को कहा .... कितना लेगा भैया ?
औटोवाला - बेहेनजी ..... सुबह का टाइम है ...... दे देना जो भी हो ....
सुमन भाभी - नहीं - नहीं .... पहेले बता दो नहीं तो बाद मैं तकरार होती है ....
औटोवाला - जी ... सौ रुपए होंगे ....
सुमन भाभी - अरे इतना दूर तो नहीं है ...... सौ रुपए तो जायदा है .......
औटोवाला - जो अस्सी दे देना , अब तीन सवारी भी तो है .....
सुमन भाभी - तीन सवारी ..... हम दो ही तो हैं ..... एक फूल सी बच्ची देखो तो इसे
औटोवाला मुझे देख रहा था .... उसकी आँखों कि चमक देखा कर मैं यह जान गयी थी कि वो
मेरे जोबन को ही निहार रहा था .....
सुमन भाभी - हम्म, कितना ?
औटोवाला - इ, सत्तर दे देना ..... इस से कम नहीं चलेगा ....
सुमन भाभी - हम्म, ठीक है .... जरा ध्यान से चलना ..... आजा बैठ निहारिका ....
मैं फिर बीच मैं .... एक साइड सुमन भाभी और दूसरी साइड माँ .... औटोवाला मुझे और मेरे
जोबन को चोरी - चोरी देख रहा था अपने सामने के कांच से ..... मैं बार - बार अपना दुपट्टा
ठीक कर रही थी जो हवा से उड़ कर मेरे जोबन दिखा रहा था ....
मैं यह सोच रही थी ...... बर्गानिंग सुमन भाभी से सीखो .... मुझे दिखा कर पैसे कम करवा
लिए ... और एक स्माइल आ गयी मेरे होंठो पर ....
अब हम बाजार आ गए थे ..... पहेले माँ उतरी ..... फिर मैं और मेरा दुपट्टा फिर ढलक गया
मेरे जोबन पर से ...... फिर उसे ठीक करते हुए मैं भी नीचे उतर गयी ..... फिर सुमन भाभी
उतरी .... बोली ... कितना हुआ .....
माँ बोली . सुमन मैं देती हूँ न ... रुक ....
सुमन भाभी - अरे इसमें क्या हुआ ..... एक बात ही तो है...... और मेरे पास खुल्ले भी है
..... फिर अपने ब्लाउज मैं से एक छोटा पर्स निकल कर उसमे से पैसे निकले और गिने और
उसे पैसे देते हुए बोली ..... लो भैया ..... सत्तर रूपए .... फिर वो पर्स वापस अपने ब्लाउज
कें अंदर ब्रा मैं सेट करते हुए बोली .... चल निहारिका ...
मैं हैरान थी .... कि सुमन भाभी इतने आराम से अपने जोबन दिखा कर .... फिर ब्रा मैं से पर्स
निकल कर पैसे दे रही हैं और उनको कुछ फर्क ही नहीं पढ रहा..
माँ - सुमन ,,... तू बड़ी बेशरम हो गयी है..... तू नहीं बदली .....
सुमन भाभी - अरे तो क्या हुआ ..... देख लिए ... खुश हो गया बेचारा .... और हँसे जा रही थी
....
मैं भी मुस्कुरा दी ....
फिर माँ बोली ..... करवा दिए दर्शन अब चल ..... जवान बेटी है साथ मैं ..... देखा तो कर .....
[ धीरे से बोली थी ... पर मुझे सुनाई दे गया था ]
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प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
मेरी प्यारी सहेलिओं कहाँ गायब हो गयी हो ..... पूनम जी, कुसुम जी, विद्या जी ..... कोमल जी ....
सब सुना सा लगता है .... बिना आप लोगो के ..... आज तीन बार आ गयी यहाँ पर ओन लाइन पर जैसा पहेले कहा जाता था "ख़त को तार समझो " ठीक वैसे ही एस विनती को तार समझो और दर्शन देने कि कृपा करो ....
[b]जी, मान लिया ... व्यस्त हो ..... पर दिल है कि मानता नहीं ...... [/b]
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(06-06-2020, 04:21 PM)Niharikasaree Wrote: प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
मेरी प्यारी सहेलिओं कहाँ गायब हो गयी हो ..... पूनम जी, कुसुम जी, विद्या जी ..... कोमल जी ....
सब सुना सा लगता है .... बिना आप लोगो के ..... आज तीन बार आ गयी यहाँ पर ओन लाइन पर जैसा पहेले कहा जाता था "ख़त को तार समझो " ठीक वैसे ही एस विनती को तार समझो और दर्शन देने कि कृपा करो ....
[b]जी, मान लिया ... व्यस्त हो ..... पर दिल है कि मानता नहीं ...... [/b]
निहारिकाजी मै अभी डटा हु आप मत कहीं जाइयेगा, मुझे आपके सुहागरात की भी कहानी सुननी है ,जोरु ने कैसे गुलाम बनाया
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(09-06-2020, 07:12 AM)Chandan pushpak Wrote: निहारिकाजी मै अभी डटा हु आप मत कहीं जाइयेगा, मुझे आपके सुहागरात की भी कहानी सुननी है ,जोरु ने कैसे गुलाम बनाया
Chandan pushpak जी
शुक्रिया आपका
मैं कही जा नहीं रही हूँ, अब भला परिवार को छोड़ कर कोई जाता है क्या ? बस सहेलियिओं कि याद आ रही थी , आपके कमेंट से एक आशा जागी, शुक्रिया .
समय कम ही मिल प रह है, अब रूटीन वापस बनाने के लिए समय लगता है, ये भी कभी ऑफिस या कभी घर पर .... पहेले सब बमुश्किल से सेट हुआ था .
मिलती हूँ जल्दी ...
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