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Adultery JISM by Riya jaan
#81
"रेखा जी।
मै हूँ मदन।
आपने जो नंबर दिया था वो ही नंबर लगा के देख रहा था की सही तो है न!" दूसरी तरफ से आती आवाज ने अपना परिचय मदन के रूप मे दिया, जिसे रेखा जाकिर समझ बड़े ही रोमांटिक मूड मे सवाल कर रही थी।
"अब यकीन हो गया है कि बिलकुल सही नंबर लगा है, हे... हे... हे... हे....। आपको किसी और के फोन का इंतजार था क्या।"

मदन का नाम सुनते ही सर से पाँव तक ठंडी पड़ चुकी रेखा को काटो तो खून नहीं। उसका चेहरा सुर्ख गुलाबी से एकदम झक्क सफ़ेद पड़ चुका था। वो तो गनीमत थी कि उसने जाकिर का नाम नहीं लिया था। उसके स्तनो को दबोचता उसका हांथ फौरन ही हट गया मानो मदन को फोन से दिख ही रहा हो। कुछ आधे मिनट कि खामोशी के बाद उसने खुद को संभालते हुए अपने आप को संयमित किया।



"जी आ..आ.. आ..आप्प,
वो मै तो... मै... बस,
वो मै अपनी सहेली के फोन का ही इंतजार कर रही थी। वो...वो..वो ना रोज ई ई इसी समय रोज ही फोन करती है।" अपनी आवाज को संभालकर किसी तरह से रेखा ने जवाब दिया। पर अब भी उसके हाथ कंप रहे थे, ऐसा लग रहा था की रिसीवर कभी भी उसके हाथ से छूट जाएगा।

"बड़ी पक्की सहेली है मेरी, सच मे।" कहकर मानो रेखा ने मदन को यकीन दिलाने की असफल कोशिश की, पर मदन न केवल भली-भांति उसकी पक्की सहेली को जानता था, बल्कि उसके घर पर कुछ देर पहले उसने झलक भी देखी थी।

"हाँ हाँ जरूर होगी, तभी तो इतनी बेसबरी से उसके फोन का इंतजार कर रही थी तुम। वैसे पक्के यारों से बतियाने का 'मजा' ही कुछ और रहता है। है ना रेखा जी?" मजा शब्द पर ज़ोर डालते हुए मदन द्विअर्थी बाते करके रेखा को टटोल रहा था। और साथ साथ ये टोह भी तो ले रहा था कि इस खीर मे अपना हिस्सा लिया जा सकता है या नहीं। "अच्छा अब रखता हूँ, मेरा काम तो हो गया। अब तुम मजे लो अपनी सहेली के। ही.. ही.. ही...।

एक कपटी हंसी के साथ ही फोन कट गया। रेखा दो मिनट तक रिसीवर को वैसे ही कानो से लगाए मदन कि कही बातों का मन ही मन मतलब निकालती रही, पर मदन कि एक एक बात के अनेकों मतलब निकलते देख उसने हारकर सोचना छोड़कर अपने दिमाग को आराम दिया।

हुआ कुछ ऐसा था कि जाकिर के कमरे से बाहर निकलते ही रेखा आश्वस्त हो गयी कि जाकिर जा चुका और दरवाजे कि ओर चल पड़ी, लेकिन कुछ दो सीढ़िया ही चढ़कर जाकिर को रेखा के कमरे मे छोड़ा गया अपना मोबाइल याद आया और उसने झट से कमरे मे वापस जाकर मोबाइल लेकर उठाया और सीडियाँ चढ़ने लगा। पर क्योंकि छत पर जाने कि सीढ़ियाँ आँगन के दूसरी छोर पर स्थित दरवाजे के ठीक सामने से ऊपर जाती थी, इसलिए दरवाजा खोलते ही रेखा के पीछे से उसके घर कि सीढ़िया चढ़ते जाकिर के भारी भरकम शरीर और उसकी दिखाई देती पीठ को पहचानने मे मदन को कोई कठिनाई नहीं हुई। इस तरह रेखा का बहुत बड़ा राज अब मदन के पास था, जो कि रेखा और मदन दोनो की जिंदगी मे नया मोड लाने वाला था।

इधर इन सब बातों से अंजान रेखा का ध्यान फोन रखते ही अपनी चूत पर गया जिसमे कुछ देर पहले ही जाकिर ने खूब धमाचौकड़ी मचाई थी, जिसके कारण उसकी चूत अब भी कुछ फैली हुई थी और अब भी जाकिर के मुश्टंडे के अंदर होने का आभास दे रही थी। और तब उसका ध्यान गया जाकिर कि नयी कारस्तानी पे, कैसे उसकी उँगलियाँ उसकी गाँड मे फंसी थी।



मतलब जाकिर का नया शिकार उसकी गांड थी, और उसके मोटे लिंग के अपनी गांड मे जाने कि बात सोच कर ही रेखा सिहर उठी। वो आगे कुछ और सोच पाती इसके पहले ही फोन फिर बज उठा।

"हैलो... कौन बोल रहे हैं।" पिछली बार की गलती से सबक लेते हुए ईस बार बड़े ही सधे हुए और सहज ढंग से रेखा ने फोन उठाकर कहा। "किससे बात करनी है?"

"रेखा जी, मै बोल रहा हूँ। आज ऑफिस मे काम कुछ ज्यादा ही है, इसलिए आज रात मै घर नहीं आ पाऊँगा।" दूसरी ओर से दीनू कि आवाज आई, "यहाँ बड़े साहब लोगो के साथ कुछ जरूरी अकाउंट तैयार करने मे आज रात यहीं काटने वाली है। आप चिंता मत करना, मै यहीं ऑफिस के गेस्ट हाउस मे रुक जाऊंगा। यहाँ अच्छी व्यवस्था है।"

"अरे,
सुबह तो आपने कुछ कहा नहीं था ऐसा।
अचानक ऐसा कैसे। तो क्या आप सीधा कल ही शाम को आएंगे।" इस बार रेखा के स्वर मे वाकई चिंता के भाव थे। आखिरकार दीनू उसका पति था और कहीं न कहीं उसका सम्मान रेखा करती जरूर थी। "अपना ध्यान रखिएगा। और खाना समय पर खा लीजिएगा।"

"रेखा जी, मैंने आपसे बताया तो था कल, कि ऑफिस मे बड़े साहब लोग आने वाले है, काम ज्यादा है बहुत ।" कुछ जल्दी मे दीनू बोलता गया, "वैसे मै कल यहीं से ऑफिस चला जाऊंगा, और कल के बारे मे आपको कल दोपहर तक ही बता पाऊँगा। आप अपना ध्यान रखिएगा, वैसे तो चिंता की कोई बात नहीं है अपने गाँव मे, पर फिर भी अगर डर लगे तो रात मे सोने के लिए चम्पा काकी या माला भाभी को बुला लेना। आपकी सहेलियाँ है दोनों ही। इसी बहाने आप लोग जी भरके बात कर लेना रात भर। अब रखता हूँ, बहुत काम है। ध्यान रखना अपना।" इससे पहले रेखा कुछ कह पाती, दूसरी तरफ से फोन कट गया।



रेखा अब अगले 24 घंटे के लिए पूरी तरह अकेली थी। फोन रखते ही रेखा सिहर सी गयी, क्योंकि शादी के बाद इस गांव में आने के बाद, आज पहली बार वो अकेले रहने वाली थी। एक पल को तो उसे लगा, जैसे कि भरे जंगल में एक हिरनी की तरह वो अकेली है, और चारो तरफ शेर चीते उसे फाड़ खाने को तैयार बैठे हैं। पर कुछ ही पलों में उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान तैर उठी। अचानक उसे अपने नए यार का ध्यान आया। आखिर हिरनी को अपना मांस नोचवाना ही है, तो अपने पसन्द के शेर से क्यों नहीं।

रात भर अपने यार से खुलकर मजा लेने की बात सोचकर ही उसके मन में तरंगे उठने लगी। अभी तक जब भी दोनों को मौका मिला था, दोनों ने मजा तो उठाया था पर हर बार जल्दबाजी में सब कुछ छोड़कर अलग होना पड़ा था। पूरी रात मजा लेने की बात सोचकर ही उसके मन मयूर ने नृत्य शुरू कर दिया था। आज रात भर अपने बिस्तर पर अपना शरीर परोसने की बात सोच सोचकर उसके अंदर की कामाग्नि फ़ूट रही थी। रह रहकर वो मुस्कराती और अपने होंठों को चुभलने लगती।



उसने घडी पर नजर डाली, दोपहर के 2 बज चुके थे। अब तक उसके गले के नीचे जाकिर के लिंग के अलावा कुछ गया नहीं था। पिछली चुदाई से उसका बदन भी कुछ थका सा और चिपचिपा सा हो रहा था। एक बार जाकिर को भनक लग गयी कि अगले 24 घण्टे वो अकेली है तो वो तो तुरंत ही आ धमकेगा। इतना दिमाग में आते ही वो फटाफट उठी और बाथरूम में घुसकर मल मल के नहायी उसके बाद सुबह का बना खाना गर्म करके खाकर अपने कमरे में आ गयी। अपने बिस्तर को कुछ पलों तक खड़ी निहारने के बाद एक शरारती मुस्कान लिए वो उस पर पसर गयी।



"अब जरा अपने आशिक को फोन लगा ही दिया जाये!" घड़ी पे 3.30 बजा देखकर उसने सोचा और जैसे ही उसने फोन को छुआ, फोन बज उठा।

"ट्रिन.... ट्रिन...!!!
"ट्रिन.... ट्रिन...!!!
"ट्रिन.... ट्रिन...!!!"

छूते ही फोन बजने पर एकदम से रेखा ठिठक गयी, और फिर सम्हल के बड़बड़ाई, "आज हुआ क्या है तुझे? सुबह से कितना चिल्ला रहा है!" कहते हुए उसने एक शरारती चपत फोन को लगायी और रिसीवर उठाकर कान से लगाकर कहा, "हेल्लो! कौन?"

"आजकल रहती कहाँ है तू? दर्शन ही नहीं तेरे तो। पहले तो रोज फोन करती थी, पर अब तो आवाज सुनने को तरस गये मेरे कान।" दूसरी तरफ से आवाज आई, "कोई यार बनाया है क्या नया, जो पुरानी सहेली को भूल गयी। ही ही ही ही!"

"अरे, माला भाभी! क्या आप भी कुछ भी बोलती हो। ऐसी कोई बात नहीं।" झेंपते हुए वो दूसरी ओर से बात करती माला को जवाब देती बोली। "ये सब यारी दोस्ती में आप ही चेम्पियन हो, मुझे कोई शौक नहीं, हे हे हे हे!"

"अरे नहीं बनाया है तो बना ले ना। दीनू जैसे सीधे सादे के साथ तेरे जैसी गर्म जवानी का इंसाफ होता होगा, मुझे तो नहीं लगता।" चटखारे लेती माला बोली, "जवानी का असली मजा तो कोई यार ही दे सकता है, जो मजे ले लेकर बदन को रौंदे और इतना प्यार करे कि बदन टूटने लगे। सच्ची अगर मैं तेरे पड़ोस में रहने वाला मर्द होती तो अब तक तो तेरा भर्ता बना चुकी होती। सच में बड़ी कुरकुरी चीज है तू, ही ही ही ही ही ही।"

"छी छी... कैसे बोलती हो भाभी आप भी। थोड़ी तो शर्म करो।" कहती हुई रेखा में ही मन सोचने लगी कि मेरा पडोसी तो रोज ही मेरा भर्ता बनाता भी है और स्वाद ले लेकर चट भी कर जाता है। "मेरे लिए ये ही काफी हैं, और किसी की जरुरत नहीं। बाकि सब आपको ही मुबारक।"

"रहने दे, रहने दे। इस गांव के हर मर्द का अंदर बाहर सब जानती हूँ मैं। तुझे तो सब पता ही है। तेरे खसम को तुझसे शादी के पहले कितनी बार मैंने हरी झंडी दिखाई, पर वो नीरा बैल निकला। ऐसे लल्लू को कैसे झेलती है, मैं सब समझती हूँ।" माला के शब्द दूसरी ओर से सुनाई दिए, "कभी फुरसत में मिलेंगे तो बताउंगी आग क्या होती है।"

"आज तो फुरसत ही फुरसत है भाभी। कल तक मैं घर पर अकेली जो हूँ।" कहते ही रेखा ने अपनी जीभ दांतो के बीच दबा ली, क्योंकि ना बताने वाली बात उसके मुह से निकल चुकी थी।



"अरे, अकेली क्यों? दीनू कहाँ गया।" माला बोली। "कहीं बाहर गया है क्या? कितने दिनों में आने वाला है?"

अब सच खुल ही चुका था, तो रेखा ने माला को सारी बातें बताई जिसे सुनकर माला तो बड़ी खुश हो गयी। दरअसल माला और रेखा अकेली रहने के कारण अच्छी सहेलियां तो थी ही, साथ ही कभी कभी दोनों एक दूसरे के अंगों को सहलाना और चूमने का कार्यक्रम भी कर चुकी थी, जो कि सिर्फ ऊपर ऊपर तक ही सिमित था। पर आज अकेले रहने की बात सुनकर माला के दिमाग और दिल ने कई तमन्नाएं जाग उठी थी। अगले एक घण्टे में उसके घर आने का कहकर माला ने फोन रख दिया।

फोन रखते ही माला को बड़ा पछतावा हो रहा था कि उसके मुह से सब सच माला के आगे खुल गया था, जिससे जाकिर से उसके मजे लेने का प्लान चौपट हो गया था। पर अब किया भी क्या जा सकता था, रेखा ने अगले कुछ पल आराम करने का सोचा, क्योंकि जब दो सहेलियां अकेली हों तो समय भले ही खत्म हो जाये, बातें खत्म नहीं होती। और आज रात इस कमरे में जो होने वाला है, ये रेखा ने कल्पना भी नहीं की होगी।
 horseride  Cheeta    
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#82
Mala ko fone kiye huye do ghante se bhi jyda ka samay beet chuka tha , rekha samajh gayi ki ab
Mala ka wait karna bekar hai, pata nahi kamini kiska kela khane me dub gayi hai ,aur ye sochkar
Khud hi muskarane lagti hai ...

Rekha apne bite huye dino se lekar abhi tak ke sabhi ghatnawo ko sochne lagti ,aur jakir aur uski
Harkato ko yaad karke uska dil fir se dhadkane lagta hai.

Use jakir ka rought tarike we kiya gya sahwas yaad aata hai to uski chut me chitiya doudne lagti
Hai, sochti hai ki kutta apni manmani karke chala gaya ab aram se so raha apne ghar me kamina
Kahi ka ...

Free me Jo mil gaya hai kamine ko itna lajij khana , lekin kya use such me free me mil gaya husn,
Ye jism , kya itna takdir wala ho gaya WO do take ka aadmi aur ye sochkar rekha ke hotho par
Ek khatarnak jahrili muskan tair jati hai....

Aur sath use yaad aata hai madal lal ,pata nahi use madanlal ke fone par huyi batchit se uska man
Khatkane laga tha, aur sath hi use madam lal ki kamuk hawas we bhari huyi najre yaad aati hai
Jo pahle to rekha ko bilkul pasand nahi aata lekin achanak kuch sochkar uski aankhe chamak
Uthathi hai....

WO kuch sochkar madan lal ko fone lagati hai , fone uthane par use samne se madan lal ki biwi
Nirmala ki awaj aati hai ,,

Nirmala - hello John hai
Rekha - hello , chachi mai rekha hu aapke padosi dinu ji ki wife , namste chachi ji
Nirmala - namste beta , kaisi ho , batou kuch kam tha kya
Rekha - ji chachi ji , wo chacha ji hai kya ghar me ,uhne kaha tha ki kabhi insurance se releted koi
Kam to yaad karna bole the chachaji...
Nirmala -- achcha achcha ek minut yahi par hai unhe deti hu fone ,mujhe to ye sab bilkul samajh
Nahi aata..


Aur ye bolkar nirmala apne pati ko awaj lagati hai


Madal - hello koun
Rekha - chacha mai rekha ,dinu ji ki wife aur halke se hasti hai
Madan ki dhadkane bad jati hai aise sexy awaj ko hi sunkar,par apne aapko sambhal kar
Madan - ha rekha beti bolo bolo kya bat hai ,bhai mujhe laga mere fone karne se tum disturb ho
Gayi hogi akhir aapki saheli pakki saheli ke time par Maine jo fone kar diya tha


Aur rekha ko sunate huye apni biwi ko kahta hai are nirmala jakar dekho wo noukar apna kam pure
Kiya bhi ki nahi,nirmala ye sun kar waha se chal di kyoki use apne ke kam kajo me koi dilchaspi
To thi nahi..

Rekha -- haste huye madan se kahti hai are chacha hi wo itni bhi pakki saheli nahi hai has time
Pass hai aur apne awaj ko aur bhi sexy banate huye fusfusane ke andaj me hasti hai

Madan lal ke sarir me khun garam hone lagta hai rekha ke is tarah se sexy awaj ko sunkar..

Madan - Lenin rekha beti mujhe laga koi purani yari hogi mera MATLAB purani saheli aur mere
Karan tum disturb hui hogi, has yahi sochkar mujhe sarmindangi mahsus ho rahi thi

Rekha apni awaj ko kamuk banate huye kahti hai - kya chachaji aap bhi wo has saheli aap apne ho
Mera MATLAB itne din se dinu aap logo ke sath hai , fir to hum par sabse pahla hak aapka hua na

Rekha ke aisa bolne se madan lal ka awaj bhi bhari hote ja raha that

MaDan - tumhra badappan hai beta jo aisa sochti ho warna aaj kal bade budo ki jjat hi koun karta
Karts hai , achcha batou rekha ( rekha beti se sirf rekha par aate huge) kya kam tha mujhse..


Rekha - ji aapne kaha tha life insurance se releted koi jankari ho to puch Lena ,wahi janna chahti
Thi..

Madan lal - lekin rekha beti aise asceem fone par to nahi samjha sakte na ..aap dinu ke sath ghar
Aa jawo dono ko ek sath hi bats dunga

Rekha - unko koi dilchaspi nahi wo samjhte bhi nahi ye sab ,agar aapko samay mile to ate jate
Aap hi mujhe samjha dena.

Rekha se akele Milne ki bat sochkar hi madan ke pant me ajgar dolne laga tha..

Madan - thik hai rekha beti abhi to mujhe udhar kuch kam se aana hi hai kuch document dunga
Use dhyan se parh Lena baki bate aapko kal mil ke samjha dunga , aur ha chaho to apne saheli
Ko bhi hula Lena uske bhi fayde ho jayenge..
Aur rekha ko satane wale bhaw se hasta hai madan joro we...

Rekha - chacha aap fir se suru ho gaye ,,, aur todha guuse we tunakte huye ,it rate huye kahti hai

Jawo mujhe nahi karana koi insurance...

Madan turant bat ko sambhalate huye ...-- are beti majak kar raha , achcha chalo mai aata hu ..

Aur ye sunkar rekha fone rakh deti hai,,,

Aur joro se khilkhilakar has parti hai,,


Samne sishe me apne madmast jism ko dekhti hai aur vijeto se muskan uske hotho par aa jati

Khud se badbadate huye kahti hai --- aawo mere bude balam ,
 horseride  Cheeta    
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#83
Thats all i could get from old site.
 horseride  Cheeta    
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#84
nice story pls update
[+] 1 user Likes prenu4455's post
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#85
Very nice par isme gif aur sex pics add karo writer bro
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#86
Very hot story. Itne din ka intezar mushkil hai. Hi
[+] 1 user Likes Curiousbull's post
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#87
Waiting for Big update
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#88
Update kab doge writer bhsi
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#89
Update
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#90
Saritbhai tell everyone that the story ends
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#91
Bro kahani aage bhi badaoge ya yahi kahtam karne ka irada hai
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#92
Kya hua writer bhai tai tai pissshhh
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#93
Incomplete story. Very sad. Anyway thanks to post whatever updates available. Madanlal ka episode adhoora reh gaya.
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