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आपके उत्साह से भरा हुआ संदेश पढ कर अच्छा लगा। आशा है कि आपका जुझारू पन अपको, आपके अंदाज में जल्द वापस लाएगा।
शुभकामनाओं सहित
आरज़ूएं हज़ार रखते हैं
तो भी हम दिल को मार रखते हैं
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(24-05-2020, 05:24 PM)jatindelhi1980 Wrote: Welcome back Rani ji. I hope you and your family are OK now.
Thanks so much . yes we were well but somehow because of situation around us was so depressing that i was not able to post , ab dhire dhire jindgai dharre par laut rahi to .... i thought let me bring some more cheerfulness through my stories.
Please do take care , things will still take some time ,... safety first
•
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(24-05-2020, 05:34 PM)Black Horse Wrote: आपके उत्साह से भरा हुआ संदेश पढ कर अच्छा लगा। आशा है कि आपका जुझारू पन अपको, आपके अंदाज में जल्द वापस लाएगा।
शुभकामनाओं सहित
बस आप लोगों का स्नेह , दुलार है , जल्द ही तीनों कहानियों में पोस्ट शुरू कर दूंगी
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(24-05-2020, 12:13 PM)komaalrani Wrote: मैं वापस आ गयीं हूँ , बस अब वही गलचौर मस्ती वाली बातें और कोशिश करुँगी की कहानी पर भी पोस्ट्स हफ्ते में दो तीन दे सकूं ,
।। अभिनंदन ।।
कोमल जी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है मेरा आज तो आप का दिल से बहुत-बहुत स्वागत ओर हार्दिक अभिनंदन है
कोमल जी सब से पहले तो बहुत बहुत स्वागत है आप का फिर से हाजिर होने के लिए
आप को ओर आप के लेखन को हम जैसे आप के चाहने वालों ने कितना याद किया है ये तो खैर बता पाना संभव नहीं है ,आप रग रग में समाई है हमारे
।। कोमल जी बेसब्री से एक पोस्ट का इंतज़ार है जो इस नीरव सन्नाटे ओर छाई मायूसी को चीर दे ।।
फिर से वो अल्हड़ मस्ती छा जाये, हर कपल फिर से
ना रात देखे ना दीन।
ओर एक निवेदन है फ़ागुन के दिन चार से पहले आप की
बेबाक कहानी
।। शादी सुहागरात ओर हनीमून ।।
इस को पूरा करें, बहुत बड़ा उपकार होगा,,हनीमून आप ने नहीं लिखा था,,इस कहानी का सब से सेक्सी पार्ट था वो !!
आप को याद हो तो,बहुत सी शर्ते,बहुत से काम अच्छे वाले, जो सिर्फ आप उन के साथ,उन के सामने
वहीँ करने वाली थी
वो सब सालों से याद है मुझे निवेदन है पहले ये कहानी पूरी करें ।।
JKG, मोहे रंग दे और साथ ही शादी सुहागरात ये आप जरूर पूरी लिखें
आप को बहुत सारा प्यार,,एक बार फिर से आभार के साथ धन्यवाद कोमल जी
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(25-05-2020, 12:31 PM)@Raviraaj Wrote:
।। अभिनंदन ।।
कोमल जी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है मेरा आज तो आप का दिल से बहुत-बहुत स्वागत ओर हार्दिक अभिनंदन है
कोमल जी सब से पहले तो बहुत बहुत स्वागत है आप का फिर से हाजिर होने के लिए
आप को ओर आप के लेखन को हम जैसे आप के चाहने वालों ने कितना याद किया है ये तो खैर बता पाना संभव नहीं है ,आप रग रग में समाई है हमारे
।। कोमल जी बेसब्री से एक पोस्ट का इंतज़ार है जो इस नीरव सन्नाटे ओर छाई मायूसी को चीर दे ।।
फिर से वो अल्हड़ मस्ती छा जाये, हर कपल फिर से
ना रात देखे ना दीन।
ओर एक निवेदन है फ़ागुन के दिन चार से पहले आप की
बेबाक कहानी
।। शादी सुहागरात ओर हनीमून ।।
इस को पूरा करें, बहुत बड़ा उपकार होगा,,हनीमून आप ने नहीं लिखा था,,इस कहानी का सब से सेक्सी पार्ट था वो !!
आप को याद हो तो,बहुत सी शर्ते,बहुत से काम अच्छे वाले, जो सिर्फ आप उन के साथ,उन के सामने
वहीँ करने वाली थी
वो सब सालों से याद है मुझे निवेदन है पहले ये कहानी पूरी करें ।।
JKG, मोहे रंग दे और साथ ही शादी सुहागरात ये आप जरूर पूरी लिखें
आप को बहुत सारा प्यार,,एक बार फिर से आभार के साथ धन्यवाद कोमल जी
कितना काम करवाएंगे मुझसे आप , ... वो भी इस माहौल में
पहले ही आप ने एक काम पकड़ा रखा है छुटकी वाला, मजा लूटा होली में ससुराल का , ... का सीक्वेल लिखने का
अभी तीन कहानियां पोस्ट कर रही हूँ , .... होली के रंग , मोहे रंग दे और जोरू का गुलाम
फिर ये
इसके लिए भी , क्योंकि ज्यादातर लोगों ने ये कहानी नहीं पढ़ी है इसलिए इसे भी शुरू से पोस्ट करना होगा
चलिए आप की रिक्वेस्ट नोट कर लेती हूँ , फिर आगे कभी
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(25-05-2020, 03:06 PM)komaalrani Wrote: कितना काम करवाएंगे मुझसे आप , ... वो भी इस माहौल में
पहले ही आप ने एक काम पकड़ा रखा है छुटकी वाला, मजा लूटा होली में ससुराल का , ... का सीक्वेल लिखने का
अभी तीन कहानियां पोस्ट कर रही हूँ , .... होली के रंग , मोहे रंग दे और जोरू का गुलाम
फिर ये
इसके लिए भी , क्योंकि ज्यादातर लोगों ने ये कहानी नहीं पढ़ी है इसलिए इसे भी शुरू से पोस्ट करना होगा
चलिए आप की रिक्वेस्ट नोट कर लेती हूँ , फिर आगे कभी
कोमल जी सुभसंध्या
हम तो आप से वो ही काम करवाएंगे जो आप जी - जान से करती है हम सब के लिए
जब भी आप ने किसी नई कहानी का जिक्र किया है
हमेशा मैंने शादी सुहागरात ओर हनीमून कहानी की आप से मांग की है ।।
फ़ागुन के दिन चार एक लाजवाब कहानी बल्कि एक उपन्यास है जो पढ़ चुके है जरूर जानतें होंगे
पर इस को एक नए कलेवर में शुरू से लिखने में जरूर समय चाहिए में चाहता हूं आप पहले उस कहानी को शुरू कर दे
जब मोहे रंग दे ,जोरू का गुलाम आदि पूरी होने को आये आप फ़ागुन के दिन भी शुरू कर दे इस से आप
को भी सुविधा होंगी पाठक पाठिकाएँ भी सभी को सुगमता से पढ़ पाएंगे
बस ये गुजारिश थी बाकी तो हम आप को क्या सीखा सकते है जो आप कहेंगी बिल्कुल वही हम सब के लिए शिरोधार्य होगा
आप अपने हिसाब से जो भी उचित लगे लिखें
हम हमेशा आप के साथ जुड़े रहेंगे
।। धन्यवाद ।।
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(24-05-2020, 12:13 PM)komaalrani Wrote: मैं वापस आ गयीं हूँ , बस अब वही गलचौर मस्ती वाली बातें और कोशिश करुँगी की कहानी पर भी पोस्ट्स हफ्ते में दो तीन दे सकूं ,
कोमल जी बहुत बहुत स्वागत ओर अभिनंदन है आप का ।।
तमाम व्यस्तता ओर परिस्थितियों को पार कर आप हमारे बीच पहुंच गई है बता नहीं सकती कितनी प्रसन्नता हो रही है
आप की कमी को भला कौन महसूस नहीं कर पाता है,एक नीरव उदासी छा गयी है आप के बिना तो
निहारिका जी,पूनम जी,विद्या जी सब लोग आप को याद कर कर के थक गई है आप ने एक सुना पन ही ला दिया था
खेर में समझ सकती हूं आप की मजबूरी को
पर अब फिर से वोही मस्ती बरसनी चाहिए कोमल जी
बिना किसी देर के अपडेट का इंतज़ार करूंगी
JKG को जल्दी मुक़ाम तक पहुचाओ आप
फिर अगली बातें
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(26-05-2020, 11:20 AM)@Kusum_Soni Wrote: कोमल जी बहुत बहुत स्वागत ओर अभिनंदन है आप का ।।
तमाम व्यस्तता ओर परिस्थितियों को पार कर आप हमारे बीच पहुंच गई है बता नहीं सकती कितनी प्रसन्नता हो रही है
आप की कमी को भला कौन महसूस नहीं कर पाता है,एक नीरव उदासी छा गयी है आप के बिना तो
निहारिका जी,पूनम जी,विद्या जी सब लोग आप को याद कर कर के थक गई है आप ने एक सुना पन ही ला दिया था
खेर में समझ सकती हूं आप की मजबूरी को
पर अब फिर से वोही मस्ती बरसनी चाहिए कोमल जी
बिना किसी देर के अपडेट का इंतज़ार करूंगी
JKG को जल्दी मुक़ाम तक पहुचाओ आप
फिर अगली बातें
एकदम बरसेगी , सूद के साथ बरसेगी , यहाँ भी और निहारिका जी के थ्रेड पर भी , ... पहले मैं वहीँ गयी , वो तो अपना थ्रेड है और क्या चासनी की बात ,... एकदम पढ़ कर , क्या कहूं ,.. सावन भादों हो गया , ... एकदम और ऊपर से आप लोगों के कमेंट , ... जो हुआ वो बता नहीं सकती , एकदम आज ही दोनों कहानियां शुरू , सबसे पहले तो ननद की खबर लेनी चाहिए तो गुड्डी जी की हाल चाल और फिर होली के रंग में कहानी आगे बढ़ेगी और कोहबर की ओर मुड़ेगी , बस आप सब के गरम गरम कमेंट पढ़ के ही तो मन बन पाता है , पोस्ट करने वाला , ...
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Komal ji please ab to ak update de do naa
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Bas abhi deti hun ,... thoda sa thahariya na...
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27-05-2020, 06:35 PM
(This post was last modified: 22-08-2021, 11:22 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गुड्डी रानी ने खोल दिया , ...
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27-05-2020, 07:09 PM
(This post was last modified: 22-08-2021, 01:27 PM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
गुड्डी रानी ने खोल दिया , ...
" अरे भौजी साफ साफ़ क्यों नहीं कह देतीं ,आपने कंजूसी कर दी या लालच। ये कहिये की स्वीट डिश कुछ बनाई नहीं बल्कि है भी नहीं। ' गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया।
……..
"है न एकदम है।
ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी प्लैट से कवर की हुयी और एकदम चिपकी ,बंद। बस वही ले आ ना। यहीं टेबल पर खोलना। हम सबके सामने , बड़ी स्पेशल सी स्वीट डिश है। " मैंने गुड्डी को चढ़ाया , और वो ये जा वो जा।
जब तक गुड्डी आयी मैंने और जेठानी जी ने टेबल क्लीन कर दी थी और सिर्फ स्वीट डिश के लिए साफ़ प्लेटें रख दी थी।
और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।
खोलो न , मैंने जिद की और
गुड्डी ने खोल दिया
जैसे ही गुड्डी ने वो प्लेट खोली , गुड्डी की आँखे एकदम फ़ैल गयी, विस्फारित।
वो महक , रस से भीनी सुगंध , वो रंग ,एक नशा सा तारी हो गया सिर्फ देख कर , महक से
छिले,कटे , सिन्दूरी अल्फांसो की खूब लम्बी लम्बी फांके , छलकते हुए रस से भीगे ,
रसीले, स्वाद उसकी महक से भिन रहा था ,सीधे रत्नागरी से एक्सपोर्ट क्वालिटी ,
पूरी प्लेट रसीली बड़ी बड़ी लम्बी रस से भरी ,फांको से भरी थी ,एक महक और बस चखे बिना ही कोई दीवाना हो जाए
असर तो गुड्डी पर प्लेट खोलते ही पड़ा , लेकिन कनखियों से गुड्डी ने अपने 'भैय्या ' की ओर देखा ,
( यही एक्प्रेसन तो मैं देखना चाहती थी , मेरे भैय्या नाम भी नहीं ले सकते , टेबल पर कोई आम की बात कर ले तो उठ जाते हैं , टेबल पर रखना तो दूर ,भाभी आप को ये सब चीजें भैय्या के बारे में जान लेना चाहिए ,पहले दिन से ही ये बात सुनते सुनते ,... )
और उसके भैय्या टेबल से नहीं उठे थे बल्कि हम सभी की तरह अल्फांसो के रस की भीनी भीनी सुगंध का मजा ले रहे थे।
गुड्डी ने एक फांक छूई।
और वो उसका टच फील इंज्वाय कर रही थी , फिर मेरी ननद ने एक फांक उठा कर मुंह से लगाया , खूब रस से भरा हुआ ,
उसे होंठों से थोड़ा किया , फिर हलकी सी बाइट , आम का मीठा मीठा रस छलक रहा था ,
और गुड्डी को स्वाद भी खूब आ रहा था। फिर आधी फांक सीधे मुंह में , चूसने लगी।
बीच में एक दो बार अपने 'भैय्या ' की ओर भी देखा उसने कहीं वो , बुरा तो नहीं मान रहे ,
लेकिन बुरा कौन , वो तो अपनी इस छुटकी बहिनिया की कच्ची कोरी बुर के सपने में डूबे , गुड्डी के रसीले किशोर होंठों के बीच रस से भरी फांक से छलकता रस निहार रहे थे।
गुड्डी ने एक दो फांके मेरी जेठानी को और एक फांक मेरी प्लेट में रखी लेकिन उनके प्लेट में नहीं।
पर उनकी निगाहें उस किशोरी पर टिकी थीं ,कैसे उसने दो उँगलियों के बीच लम्बी मोटी फांक पकड़ रखी थी ,
कैसे उसे अपने गुलाबी भीगे भीगे रसीले होंठो के बीच हलके हलके दबा के चूस रही थी
और कैसे जब रस की एक बूँद छलक कर उसकी ठुड्डी पर आ गयी तो गुड्डी ने कैसे जीभ निकाल के उसे चाट लिया।
गुड्डी की उँगलिया कैसे उस भीने भीने रस से गीली हो रही हैं।
कैटरीना कैफ का मैंगो वाला ऐड याद है न ,
गुड्डी उससे कहीं कहीं ज्यादा सेक्सी रसीली लग रही थी।
मैंने उनको कुहनी मार के उस जादूगरनी के जादू से निकालने की कोशिश की और हलके से ,बहुत धीमे से थोड़ा झिझकते वो बोले ,
" गुड्डी ,.. "
गुड्डी ने एक और बड़ी सी रसीली फांक अपने मुंह में डाल ली और उनकी ओर देखा।
और उस सारंग नयनी ने मुड़ कर अपनी बड़ी बड़ी नाचती गाती रतनारी आँखों से ,जैसे कोई हिरणी मुड़ के देखे ,उन्हें देखा।
उस किशोरी के गुलाबी रसीले होंठों पर आम रस लिपटा हुआ था ,
और दोनों होंठों के बीच एक खूब मोटी सी सिंदूरी रसीली फाँक ,
मैंने उन्हें फिर कोहनी मारी और कान में फुसफुसाया , " अरे बोल न "
गुड्डी , और फिर चुप हो गए।
हम तीनो,मैं, गुड्डी और मेरी जेठानी कान पारे सुन रहे थे ,इन्तजार कर रहे थे।
और उनके बोल फूटे , झटपट जैसे जल्दी से अपनी बात ख़तम करने के चक्कर में हों।
" गुड्डी , चूत ज़रा अपनी चूत मुझको दो न। "
जैसे ४४० वोल्ट का करेंट लगा हो सबको ,सब लोग एकदम पत्त्थर।
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(27-05-2020, 06:35 PM)komaalrani Wrote: गुड्डी रानी ने खोल दिया , ...
ufff Komal ji jaan logi kya
इतना सताओगी तो कैसे काबू करेंगे खुद को
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27-05-2020, 07:51 PM
(This post was last modified: 22-08-2021, 01:56 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गुड्डी , चूत ज़रा अपनी चूत मुझको दो न।
हम तीनो,मैं, गुड्डी और मेरी जेठानी कान पारे सुन रहे थे ,इन्तजार कर रहे थे।
और उनके बोल फूटे , झटपट जैसे जल्दी से अपनी बात ख़तम करने के चक्कर में हों।
" गुड्डी , चूत ज़रा अपनी चूत मुझको दो न। "
जैसे ४४० वोल्ट का करेंट लगा हो सबको ,सब लोग एकदम पत्त्थर।
गुड्डी के तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था ,
मेरी जेठानी भी एकदम ,
मैंने बात सम्हालने की कोशिश की ,
" अरे गुड्डी चूत मतलब , ये तेरी दोनों जांघो के बीच वाली चीज , नीचे वाले मखमली कोरे होंठ नहीं मांग रहे है ,
बल्कि ऊपर के होंठ के बीच में फंसी सिंदूरी रसीली फांक मांग रहे हैं। अरे आम को चूत ही तो कहते हैं संस्कृत में। रसाल ,मधुर और होता भी तो है वैसे ही चिकना , रसीला।
चाटने चूसने में दोनों ही मजा है , हैं न यही बात। "
उन्होंने सर हिला के हामी भरी , जेठानी मेरी एक नम्बरी क्यों मौक़ा छोड़तीं ,बोली ,
" अरे मान लो गुड्डी से नीचे वाला होंठ मांग ही लिया तो क्या बुरा किया , अरे दे देगी ये समझा क्या है अपनी ननद को। घिस थोड़ी जायेगी "
माहौल एक बार फिर हलका हो गया था। मैंने भी मजा लेते हुए कहा ,
" अरे घिस नहीं जायेगी , फट जाएगी इनके मूसल से "
हँसते हुए मैं बोली।
" तो क्या हुआ ,अरे कोई न कोई तो फाड़ेगा ही ,अपने प्यारे प्यारे भैय्या से ही फड़वा लेगी। "
जेठानी जी ने भी अपनी छुटकी ननद को और रगड़ा।
" और क्या ,फिर ये तो कहती ही हैं , मेरे भय्या कुछ भी ,कुछ भी मांगे मैं मना नहीं करुँगी , लेकिन अभी तो जो वो मांग रहे है वो तो दे दो न बिचारे को "
और चारा भी क्या था बिचारी के पास।
अपने रस से भीगे होंठों के बीच दबे खूब चूसी हुयी फांक को गुड्डी ने निकाल के जैसे ही उनकी ओर बढ़ाया ,
उनका एक हाथ वैसे भी गुड्डी के कंधे पर ही था , बस एकदम सटे चिपके बैठे थे वो ,बस दूसरे हाथ ने झपट कर उस गुड्डी की खायी ,चूसी,चुभलाई आम की फांक को सीधे वो उन होंठों के बीच।
और अब वो उस फांक को वैसे ही चूस रहे ,चाट रहे थे, चख रहे थे जैसे थोड़ी देर पहले उनके बाएं बैठी वो एलवल वाली मजे से चूस रही थी।
मस्त गंध ,अल्फांसो के टैंगी टैंगी स्वाद के साथ , आमरस के साथ उसमें काम रस भी तो मिला था।
उनकी छुटकी बहिनिया के किशोर होंठों का रस ,उसका मुख रस।
खूब मजे से वो चूस रहे थे ,चुभला रहे थे ,कुतर रहे थे।
जैसे कुछ देर पहले गुड्डी के होंठों से आम रस की बूंदे सरक कर ठुड्डी तक पहुँच गयी थीं , वही हालत अब उनकी थी।
लेकिन मेरी निगाहें उन से ज्यादा अपनी ननद और जेठानी पर चिपकी थी जो पहले दिन से मुझे ज्ञान देने में जुटी थीं ,
मेरे भैय्या को ,मेरे देवर को ,तुम्हे कुछ मालूम नहीं ,तेरे मायके में होता है यहां नहीं , भाभी ,भइया को ये एकदम पसंद नहीं ,कित्ती बार तो आपको बोल चुकी हूँ लेकिन आपको तो समझ ही नहीं ,
जो कहते हैं न फट के हाथ में आ जाना , एकदम वही हालत थी मेरी ननद और उससे भी ज्यादा जेठानी का।
गुड्डी का तो मुँह एकदम खुला ,
शाक भी सरप्राइज भी , जो चीज वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी , उसके भैय्या ,
जिठानी की हालत तो गुड्डी से भी खराब जो चीज वो कभी सोच नहीं सकती थी ,उसी घर में ,उसी डाइनिंग टेबल पर जिस पर बैठ के घंटो वो मुझे लेक्चर देती थीं।
एकदम सन्नाटा , पिन ड्राप ,
सन्नाटा तोड़ा उन्होंने ही ,गुड्डी से बोले ,
" अच्छा है न, मस्त टैंगी , तेरे लिए तेरी भाभी ने स्पेशली मंगाया था ,मस्त स्वाद है न "
बिचारी गुड्डी क्या जवाब देती , वो सिर्फ बाजी ही नहीं हारी थी बल्कि बहुत कुछ,
और मैं मन ही मन सोच रही थी ,गुड्डी रानी ये तो सिर्फ शुरुआत है।
किसी तरह तो तुझे पटा के अपने घर ले चल पाऊं न फिर तो , अरे तेरी सील तो तेरे सीधे साधे भैय्या से तुड़वाउंगी ही ,आगे आगे देखना , मंजू बाई और गीता तो बस मौका मिलने की देर है ,
और तेरी कच्ची अमिया कुतरने वालो की कमी नहीं है।
लेकिन बोली मैं उसके सीधे साधे भैया से ,
" अरे कैसे भाई हो ,तूने तो गुड्डी की ले ली लेकिन अब उसको भी तो दो , उस बिचारी के होंठों से ,
और मेरी बात पूरा होने के पहले ही प्लेट से एक बड़ी सी रसीली खूब लम्बी फांक उठा के उन्होंने सीधे गुड्डी के रसीले होंठों के बीच ,
और अबकी गुड्डी ने गड़प लिया।
और जैसे कोहबर में नाउन से लेकर दुल्हन की भौजाइयां तक सिखाती हैं , की कैसे जब दूल्हा उसे कोहबर में खीर खिलाये तो कचाक से वो उसकी ऊँगली काट ले , बस एकदम उसी तरह गुड्डी ने ,जब उन्होंने आम की फांक अपनी ऊँगली से गुड्डी के आमरस से सिक्त मुंह में डाली तो बस ,कचाक से उस शोख ने उनकी ऊँगली काट ली।
मेरी उंगलिया तो किसी और काम में बिजी थीं ,पिंजड़े से शेर को आजाद करने के काम में ,और शार्ट का फायदा भी यही है , जरा सा सरकाओ ,शेर आजाद।
और भूखा शेर बाहर आ गया ,दहाडता ,चिग्घाड़ता। और ऊपर से मैंने अपनी कोमल कोमल मुट्ठी में , उसे पकड़कर मुठियाना शुरू कर दिया।
बस थोड़ी देर में ही वो फनफनाने लगा।
मेरी उँगलियाँ तो उनके खड़े तन्नाए खूंटे को मुठिया रही थीं
पर कान तो फ्री थे और वो तोता मैना संवाद की एक एक बात सुन रहे थे।
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कोमल जी महीने भर का सुनापन ओर इंतज़ार आखिरकार आज खत्म हुुुआ ।।
एक लाजवाब अपडेट दिया है
इतने दिनों से जो मूड उखड़ा सा था आप ने एक दम बना दिया
जितनी तारीफ़ करूँ कम ही होगी आप की !!
बस अब जल्दी ही गुड्डी की ली जाए हचक हचक के
फिर जेठानी की टाइट गाँड़ की बारी ऊफ़्फ़ बस अब रुकना मत आप कोमल जी
दोनों की कब ली जाती है इंतज़ार है
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कोमल जी ,
आज तो आम रस निकाल दिया ....... कितने दिनों के बाद मजा आ गया .....
आज फिर से अपनी चासनी चाटी पढ़ते हुए ... आम का स्वाद आ रहा था ..... सच्ची ... फिर फ्रिज से आम निकल कर खाना पड़ा ... चाशनी लगा कर ..... उसके बिना कोई मजा आता .... आप ही बताओ ......
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(27-05-2020, 08:20 PM)@Raviraaj Wrote: कोमल जी महीने भर का सुनापन ओर इंतज़ार आखिरकार आज खत्म हुुुआ ।।
एक लाजवाब अपडेट दिया है
इतने दिनों से जो मूड उखड़ा सा था आप ने एक दम बना दिया
जितनी तारीफ़ करूँ कम ही होगी आप की !!
बस अब जल्दी ही गुड्डी की ली जाए हचक हचक के
फिर जेठानी की टाइट गाँड़ की बारी ऊफ़्फ़ बस अब रुकना मत आप कोमल जी
दोनों की कब ली जाती है इंतज़ार है
एकदम नहीं , बस अब तेजी से पोस्ट पर पोस्ट ,
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(27-05-2020, 11:53 PM)Niharikasaree Wrote: कोमल जी ,
आज तो आम रस निकाल दिया ....... कितने दिनों के बाद मजा आ गया .....
आज फिर से अपनी चासनी चाटी पढ़ते हुए ... आम का स्वाद आ रहा था ..... सच्ची ... फिर फ्रिज से आम निकल कर खाना पड़ा ... चाशनी लगा कर ..... उसके बिना कोई मजा आता .... आप ही बताओ ......
ये तो अच्छी स्टाइल बताई आपने चाशनी लगा कर , ...
सिर्फ खाने में ही नहीं , खिलाने में भी मजा आएगा
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29-05-2020, 12:37 PM
(This post was last modified: 23-08-2021, 08:35 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दो न गुड्डी , ...
मेरी उँगलियाँ तो उनके खड़े तन्नाए खूंटे को मुठिया रही थीं
पर कान तो फ्री थे और वो तोता मैना संवाद की एक एक बात सुन रहे थे।
गुड्डी की जोर से उनकी ऊँगली काटने के बाद , उईईईई की तीखी आवाज उनके मुंह से निकली ,
फिर वो उस एलवल वाली से फुसफुसा कर बोले ,
" सुन जब मैं काटूंगा न तो तेरी ,... "
उन की बात काटती , वो शोख अदा से इतराती बोली ,
" तो काट लेना न डरती हूँ क्या तेरे से , मौके का फायदा उठाने की बात है। मैंने उठा लिया। "
वो भी एकदम अपनी चिरैया से सटे चिपके, एक हाथ उसके कं.धे पर पकड़ कर गुड्डी को जोर से अपनी ओर खींचे ,भींचे ,
गाल से गाल रगड़ खा रहे थे.
इस छेड़ छाड़ का असर मेरी जेठानी पर भी हो रहा था ,बर्दाश्त नहीं हो कर पा रही थीं , उनका वजीर भी मैंने पीट दिया था।
वो उठने की कोशिश कर रही थीं।
बस मैं मन ही मन सोच रही थी ,ये तो शुरुआत है ,
अभी तो बस दस बारह दिन में सास को लिटाऊंगी इनके नीचे तो बस ,शह और मात।
जेठानी जी को रोकने के लिए मैंने प्लेट में से निकालकर दो खूब मोटी रसीली अल्फांसो की सिन्दूरी फांके जेठानी जी की प्लेट में रख दीं और हँसते हुए बोला ,
" दीदी ,सामने इत्ती रसीली आम की फ़ांके हो और कोई उसे छोड़ दे तो , ... "
अल्फांसो और जेठानी जी क्या कोई भी ,... उसे चूसते हुए उन्होंने मेरी बात को आगे बढ़ाया और बोलीं ,,
" एकदम रसीली आम की फांके हो या कच्ची खट्टी मीठी अमिया , दोनों को ,... "
और अब उनकी बात गुड्डी ने पूरी की ,एकदम मेरी आँख में आंख डाल कर ,शरारत से ,शोखी से मुस्कराते ,
" भाभी मैं जानती हूँ ऐसे लोगों को क्या कहेंगे , पक्का,एकदम से बुध्धु,"
और फिर खिलखिलाते हुए ,अपने उभार इनकी ओर उचकाके वो शोख इन्हे चिढ़ाते बोली ,
क्यों भय्या है न , बुध्धु,
और इस छेड़छाड़ का सबसे ज्यादा असर इनके खूंटे पर पड़ रहा था ,ठुनक रहा था , फनफना रहा था।
और मैंने भी अब मुठियाने की रफ़्तार एकदम तेज कर दी , और साथ में मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े के छेद पर भी
इनको जल्द झाड़ने की सारी ट्रिक मुझे मालूम थीं।
और ये भी अपने लॉलीपॉप को देखकर बावले हो रहे थे ,
इनके हाथों का जोर उसके खुले गोरे गोरे कंधो पर बढ़ गया था , उंगलियां एकदम खुले टॉप से झांकती,उनको ललचाती गोलाइयों पर ,
पर गुड्डी तो एकदम शोला जो भड़के हो रही थी , और आग में घी डाल रही थी।
चुनकर उसने अल्फांसो की एक सबसे मोटी रसीली फांक उठायी , रस छलक रहा था उससे और फिर आम रस से गीले भीगे होंठों रगड़ती,
उन्हें ललचाती रिझाती बोली ,
" क्यों भैय्या ,चहिये ये "
जिस तरह से वो अपने छोटे छोटे उभार उचका कर उन्हें ललचा रही थी ,साफ़ था वो क्या देने की बात कर रही थी।
" दो न गुड्डी , ... "
बोले वो , उनकी आँखों की प्यास साफ़ झलक रही थी।
और गुड्डी ने ने आम की उस मोटी रसीली फांक की टिप गड़प कर ली और उसपे हलके से दांत गड़ाते बोली ,
" न न ,ऊँहुँ ,ऐसे थोड़ी , अरे कम से कम तीन बार मांगो , थोड़ा गिड़गिड़ाओ ,रिक्वेस्ट करो ,ऐसे थोड़े ही कोई लड़की दे देगी ,सिर्फ एक बार मांगने पर। "
" दो न गुड्डी ,प्लीज , मेरी अच्छी गुड्डी ,दो न , बहुत मन कर रहा है दे दो न। "
" दे दूँ बोल ,सच्ची में "
गुड्डी ने उन्हें और तड़पाया।
गुड्डी के रसीले होंठ , होंठों में फंसी वो रस से टपकती आम की फांक अब उनके प्यासे होंठो से मुश्किल से दो इंच दूर।
" हाँ ,दो न , दो न ,दो न ,"
तीन तिरबाचा भरते वो बोले।
" चल भैय्या तुम भी क्या याद करोगे ,कोई दिलदार बहिना मिली थी "
वो हलके से बोली ,
और अब गुड्डी ने अपने ऱस से भीगे होंठ , होंठों में फंसी आम की फांक एकदम उनके पास कर दी ,मुश्किल से आधे इंच की दूरी ,
और जब इन्होने अपने होंठ बढाए आम की फांक लेने के लिए तो ,
उस शोख शरीर ने , मुस्कराते हुए ,झट से अपने होंठों के अंदर वो फांक ,गप्प।
पर उस रसीली के होंठ तो इनके होंठों से अभी भी आधे इंच ही दूर थे।
और अब ये भी , एक हाथ से कस के मेरी शोख शोला ननद के सर को पकड़ कर इन्होने अपनी ओर खींचा।
इनके होंठ उस बांकी टीनेजर के रस भरे होंठों पर , और फिर इनके होंठ ,
आम रस से गीले , भीगे उस किशोरी के होंठ , ठुड्डी , चिकने गाल , चाटने चूसने ,...
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29-05-2020, 12:55 PM
(This post was last modified: 23-08-2021, 08:52 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
हार की जीत
आप सोचिये न आप के सामने कोई शोख किशोरी हो ,अरे यही इंटर विंटर में पढ़ने वाली ,
गोरी चम्पई रंग ,
और उस के सिन्दूरी , मीठे , महक से भरे आम रस से गीले गीले ,
गोरे लुनाई वाले चिकने,चिकने गाल , भीगे भीगे होंठ हो
तो उन गालों से ,होंठों से रस चूसने चाटने का.
इन्होने भी नहीं छोड़ा। और जब सब रस चूम चाट के , उनके होंठ पल भर के लिए अलग हुए तो उस कमसिन ने ,
अपने मुंह में से चूसी कुचली ,अधखायी , आम की फांक अपने होंठों के बीच निकाल कर इन्हे फिर ललचाया ,
और जैसे कोई बाज गौरैया पर झपटे ,इनके होंठों ने गुड्डी के होंठों को गपुच लिया ,
अब इनके होंठ गुड्डी के होंठों की चूम नहीं रहे थे बल्कि कचकचा कर के काट रहे ,रगड़ रहे थे ,
इत्ते देर से चिढ़ाने ललचाने का नतीजा, और
कुछ देर में ही इनकी जीभ गुड्डी के मखमली मुंह में घुस गयी।
इनके हाथ भी जो अब तक गुड्डी के मस्ती में पथराये उभारों को चोरी चोरी चुपके चुपके छू देते थे ,
अब खुल के सीधे ऊपर , हलके हलके रगड़ते
इधर उन लोगों की टंग फाइट चल रही थी , उधर इनका लंड भी झड़ने के कगार पर ,
मैंने मुठियाना फुल स्पीड पर कर रखा था,लंड फड़फड़ा रहा था।
प्लेट में आम की सिर्फ एक फांक बची थी ,
बल्कि दो बड़ी बड़ी फांके आपस में पूरी तरह जुडी ,दूसरे हाथ से मैंने वो उठा लिया
और जैसे ही इनके खुले सुपाड़े से सटाया ,पी होल में सुपाड़े के , आम की फांक के टिप से सुरसुरी की ,
बस
बस , ज्वालामुखी फूट पड़ा।
पिछले दो दिन से जब से ये अपने मायके आये थे मैंने इनके इन्हे झड़ने नहीं दिया था ,इसलिए।
सफ़ेद लावे का झरना , कम से कम कटोरी बाहर गाढ़ी थक्केदार मलाई , सारी की सारी आम की उस फांक पर।
मैंने इनके लंड के बेस को एक बार फिर दबाया ,और अबकी बची खुची मलाई रबड़ी फिर बाहर ,
आम की दोनों जुडी हुयी फांके अब इनके वीर्य से पूरी तरह भीगी ,गीली।
झड़ने के साथ ही होंठों ने गुड्डी के होंठों को आजाद कर दिया था ,
अपनी ननद के चिकने गाल दबाते मैं बोली ,
" अरे गुड्डी रानी ,अपने भैय्या के हाथ से तो बहुत फांक गड़प की हो जरा एक भाभी के हाथ से भी। "
और उसके चिरैया की चियारी चोंच की तरह खुले होंठों में , मैंने
इनकी मलाई रबड़ी से भरी टपकती आम की दो जुडी फांके सीधे गुड्डी के मुंह में।
" है न एकदम नया स्वाद ,आराम से मजे मजे ले ले के खाओ न ,टैंगी भी ,मीठा भी "
और अपनी उँगलियों में लगी इनकी बची खुची, मलाई रबड़ी अपनी किशोर ननद के होठों पर लिथेड़ दिया ,
थोड़ा सा उसके चिकने आम रस से भीगे गालों पर भी, अपनी जीत के निशान के तौर पर।
छिनार मजे ले लेकर इनके रस में भीगी आम की फांको का रस लेती रही और फिर जीभ बाहर निकाल कर जो मलाई मैंने उसके होंठों पर लिथेड़ी थी , वो भी चाट ली।
ये ट्रिक मंजू बाई ने बताई थी।
अगर किसी कुँवारी को ,जिसकी चूत अभी तक न फटी हो , किसी मरद की लंड की मलाई खिला दो ,
बस वो एकदम उसकी गुलाम हो जायेगी ,उसकी दीवानी।
पक्का टोटका , अगर उस कोरी चूत वाली को लंड की मलाई आम की फांक पे रख के तो बस ,
फिर तो वो खुद अपनी अनचुदी कसी कोरी चूत लेके , दोनों हाथ से चूत फैला के ,खुद चुदवाने के लिए ,
उस मरद के पीछे पीछे चक्कर काटेगी। हरदम उसकी चूत में बड़े बड़े चींटे काटेंगे ,नम्बरी चुदवासी हो जायेगी वो।
बिचारी जेठानी टेबल अब छोड़ कर उठ गयीं,
और उनके देवर भी वाश बेसिन की ओर ,लेकिन अब तो खेल ख़तम हो चुका था और जेठानी मेरी जीत की गवाह थीं।
" मैं चल रही हूँ अपने कमरे में मेरा सीरयल शुरू हो गया होगा , बिना मेरी ओर देखे ,
जेठानी जी अपने कमरे की ओर चल दी। "
" ठीक है दीदी , मैं और गुड्डी टेबल साफ़ कर के ,मैं इसे ले के ऊपर अपने कमरे में जा रही हूँ ,बहुत दिन बाद मिली है ये इससे बहुत बातें करनी है."
टेबल समेटते मैं बोली।
गुड्डी तब तक प्लेटें उठा के किचेन में ,
टीवी स्टार्ट होने की आवाज के साथ जेठानी जी की आवाज भी आयी ,
" ठीक है , चाय के टाइम शाम को मैं बुला लूंगी। "
वो सीधे सीढी से ऊपर हमारे कमरे में ,
और मैं गुड्डी के पीछे पीछे किचेन में ,
वो सिंक में झुकी और पीछे से ,
मैंने अपने गले का हार निकाल के गुड्डी की सुराहीदार गरदन में पहना दिया।
चौंक कर पीछे से मुड़कर उस मृगनयनी ने मुझे देखा ,
" पर भाभी मैं तो , ... "
मेरे होंठो ने उसके होंठ सील कर दिए , अभी भी थोड़ा सा आम रस लगा था ,उसे जीभ से चाट कर करती मैंने
अपनी प्यारी दुलारी ननदिया को हड़काया ,
" चुप ,अब आगे एक बोल भी नहीं। क्या जीत क्या हार , फिर ये हार तेरे गले में ज्यादा अच्छा लगता है।
और आज से मेरी हर चीज तेरी और तेरी हर चीज मेरी ,कभी भी मना किया ना पिटेगी अपनी भाभी से। "
" एकदम भाभी आप बहोत अच्छी हो "
और अब ननद रानी ने मुझे गले लगा लिया।
" लेकिन उस चार घण्टे से बचत नहीं होगी "
उस के मालपुए ऐसे गाल कचकचा के काटते मैं बोली ,
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