20-08-2019, 02:37 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest भैया ने बालकनी में चोदा
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20-08-2019, 02:37 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-05-2020, 04:36 PM
(22-02-2019, 12:38 AM)Raj355407 Wrote: aapki ek story or aisi hi hai jo ki mujhe bahut pasand hai vo bhi please likho. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-05-2020, 01:12 PM
4,550
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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26-05-2020, 02:28 PM
भाई बहन का प्यार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-05-2020, 02:30 PM
मुझे नहीं पता कि महिलाओं के अंडरवियर के साथ मेरा आकर्षण कब शुरू हुआ ... लेकिन मुझे याद है कि जब मैंने 12 वीं कक्षा के बाद अपना पार्ट टाइम जॉब शुरू किया, तो मुझे महिलाओं के ब्रा और पैंटी का आकर्षण महसूस होने लगा। मेरा ध्यान पत्रिका में आधी नग्न महिलाओं की तस्वीरों की ओर आकर्षित हुआ..........................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-05-2020, 02:32 PM
मारिया और डेविड गोवा के पास एक छोटे से गाँव में रहते थे, मारिया 18 साल की और डेविड 20 साल का था, उनके डैडी का नाम फ्रैंक था, वो एक मछुआरे थे और वो ज्यादतर समुद्र में मछलियाँ पकड़ने के लिये बाहर ही रहते थे। उसकी बीवी मोनिका घर पर बच्चों के साथ अकेली रहती थी। दो बच्चों के बाद भी वो बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी लगती थी। उसके गोल, माँसल चूतड़ और सुडौल, कसी हुई चूंचियाँ बुड्ढों तक का लन्ड खड़ा कर देती थीं। मोनिका के अंदर सेक्स की भावना बहुत ज्यादा थी लेकिन जब उसका पति घर पर नहीं होता तो वो दिन रात बहुत बैचेन रहती थी, लेकिन जब फ्रैंक घर आता तो मोनिका, फ्रैंक से खूब चुदवाती और फ्रैंक भी मोनिका को चोदने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता।एक रात मारिया और डेविड अपने कमरे में बैठ कर पढ़ रहे थे और तभी उन्हें बगल वाले कमरे से अजीब सी आवाजें सुनाई दी, डेविड और मारिया ने एक दूसरे की तरफ आश्चर्य से देखा, मारिया बोली- "ये कैसी आवाज़ें हैं?"
डेविड-"रुको, अभी देख कर बताता हूं"। ये कह कर डेविड जो एक ढीला ढाला नेकर पहनें हुआ था, बिस्तर से उठा और स्टूल पर खड़ा हो कर दरवाजे के ऊपर बने रोशनदान से अंदर झांका। अंदर का दृश्य देखते ही डेविड का लन्ड उसके नेकर में झटका मार कर खड़ा हो गया। वो टकटकी लगाये अंदर झाँक रहा था, तभी मारिया बोली-"क्या हो रहा है, मुझे भी देखने दो"। डेविड स्टूल से नीचे उतरा और बोला-" रुको, बड़ी वाली मेज इधर खिसकाकर दोनों लोग आराम से खड़े हो जाएंगे"। दोनों ने धीरे से मेज खिसका कर स्टूल की जगह रख ली और पहले डेविड ऊपर चढ़ा और फिर मारिया को हाँथ पकड़ कर ऊपर चढ़ा लिया। मारिया जो की एक छोटी सी नाइटी पहने हुए थी जिससे उसकी आधी आधी जाँघे खुली हुई थी, उसकी जाँघे गोरी, चिकनी और माँसल थी। मेज पर डेविड आगे खड़ा हुआ था और मारिया पीछे से उसके कंधे पर सर रख कर अंदर झाँक रही थी, लेकिन उसको साफ साफ कुछ नहीं दिख रहा था। मारिया डेविड को झकझोरते हुए बोली-मुझको आगे आने दो, मुझे कुछ दिख नहीं रहा है"। डेविड ने वैसा ही किया और मारिया को अपने आगे खड़ा कर लिया। मारिया ने जैसे ही अंदर झाँका, उसका मुँह खुला का खुला रह गया और उसने फटी आँखों से डेविड की तरफ देखा, डेविड ने उसको चुप रहने का इशारा किया और चुपचाप अन्दर देखने लगा। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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26-05-2020, 02:33 PM
कमरे के अंदर उनकी माँ, मोनिका बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसकी मोटी और भारी गांड उसी तरफ थी जिस तरफ उसके बच्चे खड़े हुए थे। पीछे से फ़्रैंक अपना काला और लम्बा सा लन्ड मोनिका की फूली हुई चूत में डाल कर तेज़ी से झटके मार रहा था।जब फ़्रैंक लन्ड झटके से मोनिका की चूत में पूरा अंदर डालता तो फ़्रैंक की नीचे लटकती गोलियाँ(टट्टे) चूत के दाने से रगड़ खातीं और मोनिका के मुँह से आनन्द के मारे जोरदार आहें निकल जातीं। मोनिका की चूत से बहते पानी की बजह से फच्च फच्च की आवाज़ें आ रही थीं और मोनिका की चूत फूल कर पावरोटी की तरह हो गयी थी।
ये सीन देख कर डेविड का लन्ड उसके नेकर में पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था और डेविड मारिया के ठीक पीछे चिपक कर खड़ा हुआ था, जिससे उसका लन्ड मारिया की उभरी हुई गाँड़ से चिपका हुआ था। दूसरी तरफ जोश के कारण मारिया की चूत से लगातार पानी निकल रहा था जो मारिया की चूत और उसकी पैंटी को गीला कर रहा था, उत्तेजना के मारे मारिया की कठोर और गोल चूंचियों से भरी हुई छाती, जोर से चल रही साँसों की वजह से ऊपर नीचे हो रही थी। दूसरी तरफ कमरे में, फ़्रैंक नें अपना लन्ड बाहर निकाला, मोनिका की चूत से रिस रहे पानी से गीला लन्ड, मोनिका की चूत से जैसै ही बाहर आया, मारिया ने इतना लम्बा और मोटा लन्ड देख कर अपना थूक निगल लिया और कब उसका हाँथ उसकी चूत को सहलाने लगा उसको पता ही नहीं चला। अब फ़्रैंक नें मोनिका को अपनी गोद में चढ़ा लिया और मोनिका के दूध को बारी बारी से चूसते हुए चोदने लगा, मोनिका भी अपने पति का पूरा साथ दे रही थी और तेज़ी के साथ अपनी गाँड़ को आगे पीछे करते हुए उसके लन्ड से चुदवा रही थी। तभी डेविड जो मारिया के सर से सर जोड़े खड़ा था, उसने अपने दोनों हाँथ मारिया के कंधे पर रख लिये और पीछे से मारिया की नाइटी थोड़ी सी ऊपर कर के अपनी बहन की गाँड़ से चिपक के खड़ा हो गया। मारिया जो पहले से ही बहुत जोश में थी, वो अपने भाई के गर्म और सख्त लन्ड के, पैंटी के ऊपर से अपने सुडौल चूतरों से छूते ही उसके जिस्म में सिहरन दौड़ गयी। लेकिन मारिया अपने माँ-बाप के चुदाई के खेल को देखने में लगी हुई थी और उसने अपने भाई की इस हरकत का कोई विरोध नहीं किया। मारिया को पहली बार अपने भाई के गठीले बदन का स्पर्श, भाई का स्पर्श ना लग कर एक जवान लड़के का स्पर्श लग रहा था। पहली बार उसको अपने भाई के जिस्म का स्पर्श एक अजीब सी सरसराहट दे रहा था। दूसरी तरफ कमरे में मोनिका चूंचियाँ चूस रहे अपने अपने पति से बोली,-और जोर से चूसो ना....आह....श श,बहुत अच्छा लग रहा है।फ़्रैंक भी किसी भूखे की तरह मोनिका के अंगों को चाट रहा था, मानों वो उसको खा ही जायेगा। इधर मारिया के तन बदन की आग बढ़ती जा रही थी और उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, तभी डेविड नें धीरे से अपनीं हाँथों की उँगलियों से, कंधे से नीचे हाँथ सरकाते हुए, मारिया की सुडौल चूंचियो को छुआ, मारिया को डेविड की हर हरकत का पता था लेकिन वो ऐसे खड़ी हुई थी जैसे उसे कुछ मालूम ही ना हो। थोड़ी देर अपनी उंगलियों को मारिया की चूंचियों पर रोके रखने के बाद, डेविड ने अपना हाँथ धीरे धीरे उसकी चूंचियों पर आगे सरकाते हुए, मारिया की पूरी चूंचियों को अपने हाँथों से ढक लिया। मारिया ने नाइटी के अंदर ब्रा नहिं पहनीं हुई थी, इसलिए उसे अपने भाई के हाँथों की गर्माहट अपनी चूंचियों पर महसूस हो रही थी। उधर मोनिका फ़्रैंक से बोली-ओह फ़्रैंक आज पूरी रात ऐसे ही चोदते रहो, तुम क्या जानों जब इतने इतने दिनों बाद चूत को लन्ड मिलता है, तो चूत की खुजली कम होने के बजाय बढ़ जाती है, आज पूरी रात मेरी चूत को अपने लन्ड से कूटते रहो।" फ़्रैंक अपनीं बाहों में भरे हुए, धीरे धीरे झटके मारते हुए बोला-ओह... मोना मेरी जान, आज भी तुम्हारी चूत में वही कसाव है, जो 16 साल की लड़की की चूत में होता है, तुम्हारी चूत देखकर कौन कहेगा की तुम 2 बच्चों की मां हो।" अपनें मां बाप की इस तरह की बातें सुन कर डेविड और मारिया का बहुत बुरा हाल हो रहा था, ऊपर से डेविड का लन्ड मारिया की गाँड़ से चिपका हुआ था, इसलिए उसे ऐसा लग रहा था की अभी उसका लन्ड फट जायेगा और उसमें भरा सारा वीर्य उसकी बहन के सुडौल चूतरों को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही उसकी छोटी सी पैंटी पर फैल जाएगा। ऐसा ही हाल मारिया का था, उसका मन कर रहा था की जैसे उसकी मां की चूत में एक मोटा सा मूसर अंदर बाहर हो रहा था, वैसे ही उसकी चूत में भी कोई चीज घुस जाये और उसकी चूत को ठंडक मिल जाये। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2020, 05:37 PM
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31-08-2021, 04:47 PM
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(20-08-2019, 02:37 AM)neerathemall Wrote: https://i5.fuskator.com/large/azIIPVw-br2/image-3.jpg जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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14-01-2022, 02:47 PM
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24-02-2022, 06:23 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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25-02-2022, 02:41 AM
submissions
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25-02-2022, 02:42 AM
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25-02-2022, 05:41 PM
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09-03-2022, 12:01 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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09-03-2022, 12:06 PM
बालकनी में भैया ने चोदा
नेहा वर्मामेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई मुन्ना मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और मुन्ना एक ही कमरे में रहते और सोते थे। एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैंने देखा कि मुन्ना घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड… उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया… पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में मुन्ना का लन्ड और दिख गया… मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी। मुन्ना रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले… वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था…पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो मुन्ना सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है…तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा…धत्त… ये क्या… सोचने लगी। मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये। मैंने भी जानबूझ कर के मुन्ना के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैंने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैंने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो मुन्ना मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया। मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैंने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मुन्ना की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी मुन्ना नजर आ रहा था… मैंने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि मुन्ना उसे बाहर से आईने में देख ले। मैंने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। मुन्ना ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी। मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे… पर मेरा ध्यान तो मुन्ना पर लगा था…और मुन्ना का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे। मैंने शुरुआत कर दी…”क्या बात है मुन्ना… आज तुम बैचेन से लग रहे हो…? ” “हां दीदी… मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है… ” उसका लन्ड खडा हुआ था… उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा… मुझे सिरहन सी आ गयी… मैं उसकी हालत समझ रही थी… दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैंने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। मुन्ना ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई… पर झिझक के मारे वापस उठ गयी… । रात के ११ बज रहे थे …पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। मुन्ना ने कमरे की लाईट बुझा दी…और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था… दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। मुन्ना भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा …फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया… मैंने उसे कुछ नहीं कहा… बस झुरझुरी सी आ गयी। उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया। उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैंने मुन्ना की तरफ़ देखा। मुन्ना ने मेरी आंखों में देखा … मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी। मुन्ना ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये..और दबा दिये… मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी…वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी। “भैय्या… हाय रे… मत कर ना…” मैंने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा…और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये… नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया। “दीदीऽऽऽ…” कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया… मेरे स्तन जोर से दबा दिये। “भैय्या… मर गयी … हाऽऽऽय…” उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। मुन्ना ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मुन्ना ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे…मैं तो खुशी से मरी जा रही थी… हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा… मैं भैया से चुद जाऊंगी… मुन्ना ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी। “भैय्या… हाय मत कर ना… ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है…” “जाने दे बहना… आज इसे जाने दे… वर्ना मैं मर जाऊंगा… दीदी … प्लीज…” मेरी सिसकारी निकल पडी… उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था… पर मैंने कुछ कहा नहीं… ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई…उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया… और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे … उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे। “नेहा दीदी… आप कितनी अच्छी है… हाय…मुझे कितना मजा आ रहा है…” मुन्ना मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था… पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी… “भैय्या … अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़… आगे भी तो आग लगी है मुन्ना…” मैंने मुन्ना से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था। “भैया… देखो मैं झड़ जाऊंगी… प्लीज़… अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना…।” मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया। गली में सन्नाटा था… बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे…कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी … लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी… मन में कसक सी उठी… और एक हूक सी उठी… एक सिसकारी निकल पड़ी। “चोद दे मुन्ना… चोद दे… अपनी बहन को चोद दे… आज मुझे निहाल कर दे…” मैं सिसकते हुए बोली। “हाय दीदी…इसमें इतना मजा आता है… मुझे नहीं मालूम था… हाय दीदी…” मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी… शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध… गलत काम … चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था… जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था। “मुन्ना… हाय तेरा मोटा लन्ड रे… कितना मजा आ रहा है…फ़ाड दे रे मेरी चूत…” “दीदी रे… हां मेरी दीदी… खा ले तू भी आज भैया का लन्ड… मुझे तो दीदी… स्वर्ग का मजा दे दिया…” उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी… मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था… मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी… आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया… उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी। “अब जोर से चोद दे भैय्या … दे लन्ड… और जोर से लन्ड मार … मेरी चूत पानी छोड़ रही है… ऊऊउईईई… दे …और दे… चोद दे मुन्ना…” मेरी चरमसीमा आ रही थी… मैं बेहाल हो उठी थी… मुझे लग रहा था मुझे और चोदे… इतना चोदे कि… बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे … और और… अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी…मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर… मेरा रोकना किसी काम ना आया… बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया… मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा… एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा… मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था… लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था… मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी… “भैया…छोड़ दो अब… हाय लग रही है…” पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा… ओह ओह ये क्या… मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया… मैं छटपटा उठी… तेज अन्दर दर्द हुआ… शायद जड़ तक को चीर दिया था… “मुन्ना छोड़…छोड़ … हाय रे… फ़ाड़ डालेगा क्या…” पर वो वास्तव में झड़ रहा था… उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी…पूरा जोर लगा कर … मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था… उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी… अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। मुन्ना ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया… “दीदी… आज से मैं आपका गुलाम हो गया… आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है… मैं क्या कहूं…” उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैंने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा… हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई… मेरे बोबे तन गये…मुन्ना का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा… और… और… फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा … मेरी चुदाई एक बार फिर से चालू हो गई… (22-05-2020, 04:36 PM)neerathemall Wrote: जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 12:08 PM
बालकनी में भैया ने चोदा
dss July 19, 2019 November 9, 2021 मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई मुन्ना मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और मुन्ना एक ही कमरे में रहते और सोते थे। एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैने देखा कि मुन्ना घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड…….. उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया….पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में मुन्ना का लन्ड और दिख गया…. मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी। मुन्ना रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले…. वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था….पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो मुन्ना सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है……..तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा……..धत्त…. ये क्या….सोचने लगी….। मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये। मैंने भी जानबूझ कर के मुन्ना के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो मुन्ना मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया। मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मुन्ना की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी मुन्ना नजर आ रहा था…. मैने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि मुन्ना उसे बाहर से आईने में देख ले। मैने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। मुन्ना ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी….। मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे…. पर मेरा ध्यान तो मुन्ना पर लगा था….और मुन्ना का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे। मैने शुरुआत कर दी….”क्या बात है मुन्ना…. आज तुम बैचेन से लग रहे हो….? ” “हां दीदी…. मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है…. ” उसका लन्ड खडा हुआ था…. उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा…. मुझे सिरहन सी आ गयी…. मैं उसकी हालत समझ रही थी…. दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। मुन्ना ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई…. पर झिझक के मारे वापस उठ गयी…. । रात के ११ बज रहे थे ….पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। मुन्ना ने कमरे की लाईट बुझा दी….और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था…. दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। मुन्ना भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा ….फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया…. मैने उसे कुछ नहीं कहा…. बस झुरझुरी सी आ गयी। उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया। उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैने मुन्ना की तरफ़ देखा। मुन्ना ने मेरी आंखों में देखा …. मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी। मुन्ना ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये….और दबा दिये…. मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी….वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी। “भैय्या…. हाय रे…. मत कर ना….” मैने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा….और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये…. नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया। “दीदीऽऽऽऽऽऽ……..” कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया…. मेरे स्तन जोर से दबा दिये। “भैय्या…. मर गयी …. हाऽऽऽय….” उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। मुन्ना ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मुन्ना ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे….मैं तो खुशी से मरी जा रही थी…. हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा…. मैं भैया से चुद जाऊंगी…. मुन्ना ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी। “भैय्या…. हाय मत कर ना…….. ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है….” “जाने दे बहना…. आज इसे जाने दे…. वर्ना मैं मर जाऊंगा…. दीदी …. प्लीज….” मेरी सिसकारी निकल पडी…. उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था…. पर मैने कुछ कहा नहीं…. ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई….उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया…. और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे …. उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे। “नेहा दीदी…. आप कितनी अच्छी है…. हाय….मुझे कितना मजा आ रहा है….” मुन्ना मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था…. पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी…. “भैय्या …. अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़…. आगे भी तो आग लगी है मुन्ना….” मैने मुन्ना से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था। “भैया…. देखो मैं झड़ जाऊंगी…. प्लीज़…. अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना….।” मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया। गली में सन्नाटा था…. बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे….कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी …. लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी…. मन में कसक सी उठी…. और एक हूक सी उठी…. एक सिसकारी निकल पड़ी। “चोद दे मुन्ना…. चोद दे…. अपनी बहन को चोद दे…. आज मुझे निहाल कर दे……..” मैं सिसकते हुए बोली। “हाय दीदी….इसमें इतना मजा आता है…. मुझे नहीं मालूम था…. हाय दीदी….” मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी…. शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध…. गलत काम …. चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था…….. जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था। “मुन्ना…. हाय तेरा मोटा लन्ड रे…. कितना मजा आ रहा है….फ़ाड दे रे मेरी चूत….” “दीदी रे…. हां मेरी दीदी…….. खा ले तू भी आज भैया का लन्ड…….. मुझे तो दीदी…. स्वर्ग का मजा दे दिया….” उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी…. मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था…. मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी…. आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया…. उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी। “अब जोर से चोद दे भैय्या …. दे लन्ड…. और जोर से लन्ड मार …. मेरी चूत पानी छोड़ रही है….ऊऊऊउईईईई…. दे ….और दे…. चोद दे मुन्ना….” मेरी चरमसीमा आ रही थी…. मैं बेहाल हो उठी थी…. मुझे लग रहा था मुझे और चोदे…. इतना चोदे कि…. बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे …. और और…. अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी……..मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर…. मेरा रोकना किसी काम ना आया…. बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया…. मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा…. एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा…. मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था…. लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था…. मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी…. “भैया….छोड़ दो अब…. हाय लग रही है……..” पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा…. ओह ओह ये क्या…. मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया…. मैं छटपटा उठी…. तेज अन्दर दर्द हुआ…. शायद जड़ तक को चीर दिया था…. “मुन्ना छोड़….छोड़ …. हाय रे…. फ़ाड़ डालेगा क्या……..” पर वो वास्तव में झड़ रहा था…. उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी….पूरा जोर लगा कर …. मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था…. उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी…. अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। मुन्ना ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया…. “दीदी…….. आज से मैं आपका गुलाम हो गया…. आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है…. मैं क्या कहूं….” उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा…….. हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई…. मेरे बोबे तन गये….मुन्ना का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा…. और…. और…. फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा …….. मेरी चुदाई एक बार फिर से चालू हो गई… जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 12:10 PM
(This post was last modified: 09-03-2022, 12:12 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बालकनी में भैया ने चोदा – मेरे बोबे तन गये मुन्ना का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा I
मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई मुन्ना मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और मुन्ना एक ही कमरे में रहते और सोते थे। एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैने देखा कि मुन्ना घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड…….. उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया….पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में मुन्ना का लन्ड और दिख गया…. मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी। मुन्ना रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले…. वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था….पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो मुन्ना सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है……..तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा……..धत्त…. ये क्या….सोचने लगी….। मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये। मैंने भी जानबूझ कर के मुन्ना के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो मुन्ना मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया। मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मुन्ना की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी मुन्ना नजर आ रहा था…. मैने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि मुन्ना उसे बाहर से आईने में देख ले। मैने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। मुन्ना ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी….। मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे…. पर मेरा ध्यान तो मुन्ना पर लगा था….और मुन्ना का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे। मैने शुरुआत कर दी….”क्या बात है मुन्ना…. आज तुम बैचेन से लग रहे हो….? “ “हां दीदी…. मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है…. ” उसका लन्ड खडा हुआ था…. उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा…. मुझे सिरहन सी आ गयी…. मैं उसकी हालत समझ रही थी…. दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। मुन्ना ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई…. पर झिझक के मारे वापस उठ गयी…. । रात के ११ बज रहे थे ….पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। मुन्ना ने कमरे की लाईट बुझा दी….और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था…. दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। मुन्ना भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा ….फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया…. मैने उसे कुछ नहीं कहा…. बस झुरझुरी सी आ गयी। उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया। उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैने मुन्ना की तरफ़ देखा। मुन्ना ने मेरी आंखों में देखा …. मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी। मुन्ना ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये….और दबा दिये…. मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी….वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी। “भैय्या…. हाय रे…. मत कर ना….” मैने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा….और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये…. नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया। “दीदीऽऽऽऽऽऽ……..” कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया…. मेरे स्तन जोर से दबा दिये। “भैय्या…. मर गयी …. हाऽऽऽय….” उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। मुन्ना ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मुन्ना ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे….मैं तो खुशी से मरी जा रही थी…. हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा…. मैं भैया से चुद जाऊंगी…. मुन्ना ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी। “भैय्या…. हाय मत कर ना…….. ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है….” “जाने दे बहना…. आज इसे जाने दे…. वर्ना मैं मर जाऊंगा…. दीदी …. प्लीज….” मेरी सिसकारी निकल पडी…. उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था…. पर मैने कुछ कहा नहीं…. ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई….उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया…. और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे …. उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे। “नेहा दीदी…. आप कितनी अच्छी है…. हाय….मुझे कितना मजा आ रहा है….” मुन्ना मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था…. पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी…. “भैय्या …. अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़…. आगे भी तो आग लगी है मुन्ना….” मैने मुन्ना से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था। “भैया…. देखो मैं झड़ जाऊंगी…. प्लीज़…. अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना….।” मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया। गली में सन्नाटा था…. बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे….कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी …. लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी…. मन में कसक सी उठी…. और एक हूक सी उठी…. एक सिसकारी निकल पड़ी। “चोद दे मुन्ना…. चोद दे…. अपनी बहन को चोद दे…. आज मुझे निहाल कर दे……..” मैं सिसकते हुए बोली। “हाय दीदी….इसमें इतना मजा आता है…. मुझे नहीं मालूम था…. हाय दीदी….” मुन्ना ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी…. शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध…. गलत काम …. चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था…….. जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था। “मुन्ना…. हाय तेरा मोटा लन्ड रे…. कितना मजा आ रहा है….फ़ाड दे रे मेरी चूत….” “दीदी रे…. हां मेरी दीदी…….. खा ले तू भी आज भैया का लन्ड…….. मुझे तो दीदी…. स्वर्ग का मजा दे दिया….” उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी…. मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था…. मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी…. आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया…. उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी। “अब जोर से चोद दे भैय्या …. दे लन्ड…. और जोर से लन्ड मार …. मेरी चूत पानी छोड़ रही है….ऊऊऊउईईईई…. दे ….और दे…. चोद दे मुन्ना….” मेरी चरमसीमा आ रही थी…. मैं बेहाल हो उठी थी…. मुझे लग रहा था मुझे और चोदे…. इतना चोदे कि…. बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे …. और और…. अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी……..मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर…. मेरा रोकना किसी काम ना आया…. बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया…. मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा…. एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा…. मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं मुन्ना का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था…. लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था…. मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी…. “भैया….छोड़ दो अब…. हाय लग रही है……..” पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा…. ओह ओह ये क्या…. मुन्ना ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया…. मैं छटपटा उठी…. तेज अन्दर दर्द हुआ…. शायद जड़ तक को चीर दिया था…. “मुन्ना छोड़….छोड़ …. हाय रे…. फ़ाड़ डालेगा क्या……..” पर वो वास्तव में झड़ रहा था…. उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी….पूरा जोर लगा कर …. मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था…. उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी…. अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। मुन्ना ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया…. “दीदी…….. आज से मैं आपका गुलाम हो गया…. आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है…. मैं क्या कहूं….” उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा…….. हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई…. मेरे बोबे तन गये….मुन्ना का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा…. और…. और…. फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा …….. 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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 12:11 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 12:14 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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