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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
मौसी की आग बुझाई

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मेरी उम्र 31 साल है और में शादीशुदा हूँ, मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच और स्लिम फिट बॉडी है, मेरे लंड का साईज़ 5 इंच लम्बा है। ये बात 8 नवम्बर 2015 की है, जब में अपने घर में अकेला था और बोर हो रहा था तो मैंने सोचा कि कुछ घर की सफाई कर ली जाए तो में घर की सफाई कर रहा था क्योंकि दीवाली जो आने वाली थी
तभी मेरी मौसी मेरे घर आई तो मैंने जैसे ही उन्हें देखा तो बस देखता ही रह गया। उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उस पर उसका गोरा चिट्ठा सा रंग निखर रहा था। फिर मैंने उनसे कहा कि आइए आपका स्वागत है, तो वो अंदर आ गई और सोफे पर बैठ गई। अब में आपको थोड़ा मौसी के बारे में बता दूँ, उनका जून 2013 में तलाक हो चुका है और उनके एक 10 साल का लड़का भी है, लेकिन क्या बताऊँ? वो आज भी क़यामत है। जब वो चलती है तो उनकी गांड में अजीब सी लचक आती है और फिगर साईज तो मानो 36-30-34 है। फिर उसने पूछा कि घर पर कोई नहीं है क्या? तो मैंने कहा कि सब बाज़ार गये हुए है, थोड़ी देर में आ जाएगें। अब में सफाई कर रहा था तो में थोड़ा ऊपर था और वो मेरे ठीक नीचे आकर बैठ गई, जिससे मुझे उसकी दूध भरी चूची की गहराई साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी।
फिर मैंने जानबूझ कर रंग की कुछ बूंदे उनके स्तन पर गिरा दी, ताकि वो जाकर कपड़े साफ करे और मुझे उनकी चूची देखने को मिले। फिर वो थोड़ा सा चिल्लाते हुए बोली कि क्या करता है? थोड़ा देखकर रंग लगा तो मैंने उनसे कहा कि आप बैठे ही ऐसी जगह पर है जहाँ पर रंग तो गिरेगा ही, वैसे आपको एक बात बताऊँ ये रंग गिरने से आप बहुत सुंदर दिख रही हो। तो उसने हट कहा और हँसते हुए बाथरूम की और जाने लगी। फिर वो थोड़ी देर में वापस आई। अब उसने अपनी ड्रेस भी चेंज कर ली थी और कहने लगी कि लाओ में भी तुम्हारा हाथ बटा दूँ। फिर मैंने कहा कि रहने दीजिए, लेकिन वो जिद करने लगी और मैंने उनसे कहा कि जैसी आपकी मर्ज़ी। अब वो भी काम कर रही थी, फिर लगभग 1 घंटे के बाद वो थक गई तो वो आराम करने के लिए बेड पर चली गई। फिर मैंने भी आराम करने के लिए काम करना छोड़ दिया। फिर मैंने मौसी से कहा कि चाय पीओगी, तो वो बोली कि ठीक है। फिर मैंने जल्दी ही चाय बना दी, अब जब वो चाय पी रही थी तो उनका आँचल बार-बार नीचे गिर रहा था।
फिर मैंने कहा कि आँचल तो ठीक रखो, तो वो उठकर ठीक करने लगी, लेकिन उनका पल्लू नीचे गिर गया और मेरे मुँह से अचानक निकल गया कि क्या चूची है? तो वो हट कहते हुए कहने लगी कि हाँ तेरे मौसा जी भी ऐसे ही कहते थे, लेकिन अब तो बस। फिर मैंने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा कि क्या अब आपको उनकी याद नहीं आती? तो वो मुझसे लिपट गई, जिससे उनका स्तन मेरे सीने में रगड़ रहा था। फिर मैंने भी उन्हें अपनी बाँहो में ले लिया और उनके गले पर किस कर दिया। अब वो भी अपने आपको फ्री करते हुए मुझे किस करने लगी थी। फिर मैंने कहा कि मौसी क्या आपको मौसा जी के बिना रात अच्छी लगती है? तो वो नहीं का जवाब देते हुए कहने लगी कि आज तूने एक औरत को जगाया है। तो मैंने उन्हें अपनी बाँहो में उठाकर बेड पर प्यार से रखा और कहा कि क्या आपको अपनी इच्छा का कोई ख्याल नहीं है? तो वो बस रोने लगी।
फिर मैंने उन्हें शांत किया और धीरे से उनकी टांगो को सहलाना शुरू कर दिया और उनकी साड़ी को ऊपर करने लगा। अब वो भी कुछ समझ गई थी कि लड़का बड़ा हो गया है और औरत मर्द के रिश्ते को समझता है, तो वो कुछ नहीं बोली और फिर मेरे हौसले बढ़ते गये। फिर मैंने धीरे-धीरे उनकी पूरी साड़ी उतार दी, फिर मैंने उनकी चूची को मसलते हुए उनका ब्लाउज भी उतार दिया। अब उनकी चूची देखकर तो में किस करने लगा, अब उनका निप्पल सख्त हो गया था। फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब में उनकी पेंटी को उतारने लगा था और वो गर्म होने लगी और मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया। अब मेरा लंड तो खड़ा हो गया था, अब मौसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया था। फिर मैंने उनकी दोनों टांगो को फैलाते हुए अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। अब उनकी चूत पर मेरी जीभ लगते ही वो पागल सी हो उठी और कहने लगी कि आईईइ प्लीज़ और ज़ोर से किस कर। अब में अपने एक हाथ से उनकी चूची मसल रहा था और अपनी जीभ से उनकी चूत को चाट रहा था।
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फिर लगभग 5 मिनट के बाद मैंने उनकी दोनों टांगो को अपने कंधे पर रख लिया। अब मेरे लंड को देखकर मौसी ने कहा कि इतना तो तेरे मौसा का भी नहीं था, अब मत रुक, प्लीज़ मुझे कुछ कर। फिर मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रखा और एक हल्का सा धक्का दिया तो मेरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से आआहाआ असशह अशसस्स्स्स की आवाज़ आने लगी, क्योंकि उनकी चुदाई पिछले 2 सालों से नहीं हुई थी और उनकी चूत थोड़ी टाईट हो गई थी। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर मैंने अपना लंड बाहर निकालकर एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया और फिर हम दोनों मस्ती में डूब गये। फिर वो उनके हाथ से मेरे कूल्हों को पकड़कर अपनी और खींचने लगी और मेरा लंड पूरा ही उनकी चूत में घुस गया।
अब पूरे कमरे में पच-पच की आवाजे आने लगी थी और अब हम दोनों पूरी मस्ती में आ गये थे। अब मुझे ज़ोर से चोद, आज में बड़े दिनों के बाद चुदी हूँ ऐसी आवाजे आने लगी थी। फिर थोड़ी देर के बाद में झड़ने वाला था, लेकिन मौसी अभी झड़ने वाली नहीं थी तो में उनकी चुदाई रोककर उन्हें किस करने लगा और फिर उनका पानी आने को हो गया। फिर मैंने एक बार में जोरदार धक्का मारकर अपना लंड उनकी चूत में अंदर डाल दिया। अब पच-पच की आवाज के साथ में भी झड़ने वाला था तो मैंने पूछा कि क्या आपका पीरियड टाईम ख़त्म हो गया है? तो वो बोली कि नहीं। फिर मैंने कहा कि अंदर गिरा दूँ तो उन्होंने कहा कि गिरा दे और मैंने पूरे जोश में पच-पच की आवाज के साथ उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। अब हम दोनों बहुत मज़े ले रहे थे, फिर में उनके ही ऊपर ही लेट गया और उन्हें किस पे किस करता रहा। फिर मौसी ने कहा कि सचमुच तुम बहुत अच्छा चोदते हो और में तुझसे चुदकर धन्य हो गई
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अंधेरी रात में रंडी मौसी को रास्ते में चोदते हुए घुमाया
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मैं एक ग्रेजुएट लड़का हूं, मेरी उम्र 22 साल है, मैं दिखने में हैंडसम हूं और मेने जिस मौसी की बात शेयर करने वाला हूं उस मौसी के बारे में थोड़ा शॉर्टकट बोलता हूं. उस मौसी का नाम नजुफा है, उम्र 35 साल होगी, दिखने में सेक्स बोम्ब है. किसी का भी लंड खड़ा कर दे. मौसी शादीशुदा थी. मौसी को एक लड़की भी थी, उसका नाम अमृता था. उस की उम्र 18 साल थी. मेरे मौसाजी ** में थे इसीलिए साल में तीन चार बार ही घर आते थे, तो मैं सीधे कहानी पर आता हूं. कि कैसे मैंने जाना कि मेरी मौसी रंडी है और किस तरह से मैने उस को चोदा.
तो यह बात कुछ दिन पहले की है जब मुझे अचानक घर से मौसी के शहर में जाने की जरूरत पड़ी कुछ काम के लिए. तो मैं शहर चला गया तो मैंने अपना काम निपटा कर मौसी के घर में जाने की सोचने लगा. मैंने उनको कॉल भी नहीं किया और बिना बताए मौसी के घर में घुस गया. तो मैंने देखा दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था. तो मैं अंदर घुस गया तो मौसी और मेरी कजिन कहीं दिख नहीं रहे थे. तो मैंने सोचा कहीं गए होंगे. तो मैंने मौसि के बेडरूम से कुछ आवाजें निकल रही थी वह सुनी. तो मैंने सोचा कि यह क्या चल रहा है अंदर? तो जैसे मैं रुम के नजदीक आया तो मेरे होश उड़ गए. तब पूरा चुदाई की आवाज़ आ रही थी और मौसी के मुंह से “चोद मुझे चोद मुझे मादरचोद.. चाट मेरी गांड.. मार दे मेरी चूत”. यह सब सुन रहा था और मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने सोचा अभी दरवाजा खोलना ठीक नहीं होगा तो मैं बाहर बैठ कर इंतजार करने लगा के अंदर कौन मेरी मौसी को चोद रहा है वह देख सकूं.
कुछ देर के बाद दरवाजा खुला तो मौसी ने मुझे देख कर हैरान हो गई और मौसी के पीछे पीछे जो बंदा बाहर आया वह मौसी का खुद का देवर था यानी मौसा जी का छोटा भाई था.. तो वह दोनों मुझे बोलने लगे कि कब आए बेटा कैसा है तू? मैंने भी चालाकी से बोला कि मैं २ मिनट पहले ही आया हूं, बस और मौसी का देवर घर चला गया. घर में सिर्फ मैं और मौसी थे. मौसी ने मुझे हग किया बहुत दिन बाद मिलने के लिए. लेकिन मुझे तो बचपन से ही शौक था मौसी को चोदने का. मैंने मौसी से उनकी बेटी के बारे में पूछा तो वह बोली वह स्कूल की छुट्टी में कहीं घूमने गई है. घर में सिर्फ मौसी अकेली रहती है और बोली तू आया है अब कुछ दिन यहीं रुक जा. मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैंने भी उसे जोर से हग कर दिया, मौसी को और गाल पर किस करते करते कान पर काट लिया और एक स्माइल दे कर बाथरूम में गया फ्रेश होने के लिए. रात को डिनर करने के बाद मौसी ने बोला मेरे बेडरूम में सो जा एक साथ सोएंगे हम, तो मैंने हां बोल दिया. और रात में मैंने अचानक हिम्मत करके मौसी को बोल दिया तुम दोनों डोर लोक कर के क्या कर रहे थे? तो मौसी ने सीधा बोल दिया तेरे मौसाजी आते ही नहीं और मैं बचपन से ही चुदाई की प्यासी हूं, तो तू बोल मैं कैसे रह सकती हूं इसलिए जब भी मौका मिलता है किसी ना किसी से चुदवा लेती हूं. यह सब सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया, तो मैंने मौसी को बोला मौसी मैं आपको बचपन से ही चोदना चाहता हूं. मैं आपकी गांड और चूत के छेद में जीभ डालना चाहता हूं क्या आप मुझसे चुदवायेंगे? तो मौसी ने बोला किसी को बोलना मत मैं तुझसे रोज चुदूंगी और तू मेरा चूत, नाक, कान, गांड सब सक करेगा बोल मंजूर है? यह सुनकर मैंने डायरेक्ट मौसी की नाक के छेद में जीभ घुसा दी और चूसने लगा.
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वाह क्या टेस्ट था कसम से? फिर दोनों हाथ से मौसी के सनी लियोन जैसे बड़े बड़े बुब्स दबाने लगा, उस दिन मुझे ऐसा मजा आया मानो में स्वर्ग में उड़ रहा हूं, आधा घंटा नाक चाटने के बाद मौसी की थूक मेने खाई. उसके बाद मौसी ने मेरा हतोडे जैसा लंड को मुंह में लेकर रंडी की तरह चूसने लगी, तो मैंने बोला रंडी मौसी तुझे मैं प्रेग्नेंट बनाऊंगा. तुझे मैं शादी करूंगा, तुझे मैं हर रोज चोदूंगा. मौसी ने बोला मादरचोद तेरा लंड खा जाऊंगी, आज तू मेरा सब कुछ खा, मैं तेरा सब कुछ खाऊंगी. ब्लोजॉब के बाद मैंने डायरेक्ट पैंटी उतार दी मौसीजी की और मेने जीभ गांड में घुसा दिया, तो मौसी बोली चुस रंडी की गांड चुस,. मैंने पूरा चूसा एक अलग ही टेस्ट मिला मुझे, फिर चूत भी सक किया, लास्ट में मुझसे रहा नहीं गया तो लंड चूत के छेद में रख के जोर का झटका लगाया तो मौसी के मुंह से आह निकल गया. तो मैंने मौसी की नाक को फिर से चाटने लगा और चुदाई स्टार्ट कर दी, एक घंटा चुदाई के बाद मौसी की गांड भी मारी. ३ घंटा चुदाई करने के बाद हम दोनों रात में चार बार बार सेक्स किए और अभी करते हैं. इस सेक्स के बाद मौसी के बूब्स मुंह में लेकर सोके बातें करने लगा, तो मैंने पूछा कि आप को किस किस ने चोदा हे? तो वह बोली उनके देवर ने, और मकान मालिक ने, मकान मालिक के बेटे ने, और मौसा जी के हर एक दोस्त ने. सबसे ज्यादा मजा तो मुझे तुझ से चुदवाने में मिला. यह सुनते ही मेरी जीभ मौसी के बगल में चली गई और चाटने लगा और नाक के छेद में भी चाटने लगा. ऐसा करते करते फिर से खड़ा हो गया इस बार मैंने कुछ अलग ही किया. इस बार मैंने मौसी को घर के बाहर ले गया और बाहर खुले में चोदने लगा. बहोत रात हो गई थी तो रास्ते पर कोई नहीं था, तो सारा रोड पर मैंने मौसी की चुदाई की.




































































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मौसी चूत की खुशबु
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मेरा नाम मनोज घोष है । आप ही की तरह में भी नाईटडिअर का बहुत बड़ा फैन हूँ और मैंने इस पर कई सेक्सी कहानियाँ पढ़ी है और ये कहानी मेरी और मेरी मौसीके बीच की एक सच्ची घटना है। दोस्तों में कोलकाता का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 18 साल की है।
अभी मौसी की उम्र कुछ 47 साल की होगी और तब उनकी उम्र शायद 44 या 45 की थी। मुझे हमेशा उन पर एक सेक्स आकर्षण था और में सोचता था कि एक ना एक दिन में उन्हें ज़रूर चोदूंगा और उनकी शादी के कुछ समय बाद ही उनका तलाक भी हो चुका था.. क्योंकि उनके पति का कोई और लड़की के साथ शारीरिक संबंध था। वो थोड़ी मोटी है लेकिन बहुत गोरी है.. लम्बे बाल और बूब्स भी बड़े बड़े है.. लेकिन मुझे फिगर के साईज़ का कोई अंदाज़ा नहीं है। उनका एक बेटा था लेकिन वो अपने पिता के पास रहता था और कभी कभी मौसी से घर पर आकर मिला करता है। में मौसी के पास रहता हूँ और वो मुझे अपने बेटे से भी ज़्यादा प्यार करती है।
में जो भी मांगू वो मुझे लाकर देती है.. वो बहुत आमिर है क्योंकि उनकी तलाक के कारण उन्हें एक मोटी रकम मिली थी और उनका एक घर है गावं में जो कि उन्होंने किराए पर दिया हुआ है। में नहीं जानता कि उन्हें सेक्स में ज्यादा रूचि है कि नहीं। में हर रोज़ रात में अपने रूम में सोने से पहले उनके दिए हुए लॅपटॉप में ब्लूफिल्म देखता रहता हूँ.. मस्त चुदाई वाली चुदाई मेरा करना और फिल्मो में देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे रूम से जो बाथरूम है वो उनके रूम से भी जुड़ा हुआ है और बाथरूम में दो दरवाज़े है जब भी कोई भी बाथरूम में जाएगा वो अंदर से दोनों दरवाज़े लॉक करेंगे। में रात को बाथरूम में जाकर उनकी पेंटी में अपना लंड रगड़ कर अपना रस उनकी पेंटी से पोछता हूँ यह में हर दिन रात को सोने से पहले करता हूँ और कभी कभार अगर उनकी पेंटी नहीं मिले तो में बाथरूम में ही गिरा डालता हूँ।
फिर एक दिन अचानक से उनका पेंटी रखना बंद हो गया और उनके स्वाभाव में भी बदलाव आ गया और वो हमेशा मुझसे गुस्से से बात करने लगी और करीब दो हफ्ते बाद जब मौसी मुझे सुबह उठाने आई तो में फ्रेश होकर किचन के पास डाइनिंग टेबल पर गया तो उनका मूड ठीक नहीं था और नाश्ता करते करते हम इधर उधर की बातें कर रहे थे.. जैसे पढ़ाई के बारे में और उनके दोस्तों के बारे में और उनकी पार्टी वगेरह वगेरह। फिर उन्होंने पूछा:
मौसी : बेटा आज रविवार है और क्या तेरी कहीं पर ट्यूशन है?
में : नहीं मौसी आज कहीं पर ट्यूशन नहीं है. क्यों?
मौसी : नहीं में सोच रही थी कि अगर आज हम लंच बाहर करें और कहीं पर घूमने चलें तो कैसा होगा क्योंकि में बहुत बोर हो रही हूँ और फिर हम शाम को फिल्म देखते हुए घर पर लौटेंगे।
में : ठीक है मौसी में आ कर तैयार हो जाता हूँ और आप भी तैयार हो जाईए।
मौसी : ठीक है बेटा।
फिर हम लोग एक मॉल में गये वहाँ पर मौसी ने कुछ शॉपिंग की मुझे कंप्यूटर गेम्स का बहुत शौक था तो उन्होंने मुझे 4 गेम्स खरीद कर दिए। फिर हम लोगो ने मॉल में पिज़्ज़ा खाया और फिल्म देखने हॉल में घुसे तो फिल्म शुरू होने में अभी भी 20 मिनट बाकी थे तो हम बातचीत कर रहे थे। तभी अचानक मौसी ने कहा कि बेटा एक बात पूंछू.. सच सच बताएगा?
में : हाँ मौसी पूछो ना।
मौसी : तू मेरी पेंटी से हर रात को खेलता था ना?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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तभी में बहुत डर गया और ऐसी में बैठकर भी मुझे पसीना आने लगा तो उन्होंने कहा कि बेटा रिलॅक्स हो जा और सच सच बोल दे में कुछ नहीं कहूँगी।
में : वो मौसी.. हाँ में वो करता था।
मौसी : क्या करता था?
में : में वो मुठ मारा करता था.. लॅपटॉप मे ब्लू फिल्म देखने के बाद.. मौसी मुझे माफ़ करना प्लीज और में कभी भी नहीं करूँगा। मुझे बस एक बार माफ़ कर दो.. मौसी प्लीज़ गुस्सा मत होना।
मौसी : अरे बेटा रिलॅक्स.. कोई बात नहीं में भी कभी कभी रात को चूत में उंगली करती हूँ। यह तो सब करते है इसमे गुस्सा होने की क्या बात है?
में : थेंक्स मौसी.. सही में आप बहुत अच्छी हो मौसी।
मौसी : चल ठीक है बेटा।
फिर मैंने मौका बहुत अच्छा समझा उन्हें पटाने और उनकी चुदाई करने का तो फिल्म शुरू होने के बाद में जानबूझ कर उन्हें दिखा दिखा कर अपने लंड को सहलाने और दबाने लगा और मौसी भी मुझे हर बार देख रही थी। फिर करीब दस मिनट के बाद में झड़ने वाला था तो मैंने मौसी से कहा कि मौसी में टॉयलेट हो कर आता हूँ।
मौसी : क्यों रुक जा और थोड़ी देर इंटरवेल के बाद में जाना।
में : नहीं मौसी मुझे अभी जाना है।
तो मौसी ने मेरा हाथ पकड़ कर बैठा लिया और कहा कि..
मौसी : क्यों बेटा पेंटी उतार कर दूं क्या अगर इतनी जल्दी है तो?
में तो डर गया और मौसी से बोला कि नहीं मौसी ऐसी कोई बात नहीं है.. तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं चल में चलती हूँ तुम्हारे साथ। फिर वो बाहर आई और मुझसे बोली कि।
मौसी : तू यहीं पर रुक बेटा में लेडिस टॉयलेट में जाकर पेंटी उतार कर लाती हूँ।
में : क्या सच में मौसी आप मुझे पेंटी लाकर दोगी?
मौसी : हाँ रुक में लाती हूँ।
फिर वो अंदर गयी और में बहुत टेंशन फ्री हो गया था। मौसी बाहर आई और चुपके से उन्होंने मेरे हाथ में अपनी पेंटी को दे दिया। फिर में अंदर गया तो मैंने देखा कि उनकी पेंटी थोड़ी भीगी हुई थी तो में समझ गया कि वो गरम है। फिर मैंने उसी पर अपना वीर्य डाल दिया और बाहर आकर चुपके से मौसी को पेंटी दे दिया और मैंने सोचा कि वो अपने बेग में रख लेगी लेकिन वो अंदर टॉयलेट में जाकर पहन कर वापस आ गयी और मुझसे कहा कि मैंने पहन लिया है तो में और गरम हो गया। फिर उन्होंने मुझे कहा कि तूने तो पूरा गीला कर दिया तभी में हंस दिया और कहा कि मौसी में एक बात बोलूं तो क्या आप बुरा नहीं मनोगे ना?
मौसी : अरे नहीं बिल्कुल नहीं.. बेझिझक बोल दे।
में : मौसी आपने कहा कि आप भी कभी कभी चूत में उंगली करती हो.. तो आप भी मेरे अंडरवियर में वो सब कुछ किया करो।
मौसी : वाह बेटा.. तू तो सच में बड़ा हो गया.. लेकिन में नहीं करूँगी। में तेरी मौसी हूँ यह नहीं हो सकता।
में : लेकिन क्यों मौसी अगर में कर सकता हूँ तो आप क्यों नहीं?
मौसी : चल ठीक है लेकिन तेरी मम्मी, पापा या किसी और को भी इस बारे में पता नहीं लगना चाहिए.. ठीक है।
में : चलो ठीक है मौसी।
फिर हम दोनों फिल्म देखकर घर वापस आए और रात का खाना बाहर से मंगवा लिया और जब रात को सोने जा रहा था तो मैंने मौसी से उनकी पेंटी माँगी तो उन्होंने मुझे अपनी ब्रा को भी दे दिया और कहा कि पेंटी में तो तू कर चूका है मेरी ब्रा क्यों बाकी रहें? और में उन्ही के सामने उनकी ब्रा को सूंघने लगा तो वो शरमा कर चली गयी। फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे रूम में नॉक किया तब में उनकी ब्रा को अपने लंड पर रगड़ रहा था तो मैंने तुरंत टावल पहना और दरवाज़ा खोला तो देखा कि वो नाईटी में है और कहा कि मेरा अंडरवियर दे दो मुझे कुछ काम है। तो मैंने कहा कि काम अच्छे से करना मौसी तो वो हंसने लगी और मेरा अंडरवियर लेकर चली गयी।
कुछ दिन ऐसे ही बीत गये और में भी हर रोज़ कम से कम दिन में दो बार उनसे उनकी पेंटी और ब्रा माँगता और वो उठाकर दे देती और वो रात को मेरे रूम से ले जाती। फिर कभी कभी तो वो कहीं बाहर जाने से पहले भी अपना रस मेरे अंडरवियर में डालती और मुझे देकर चली जाती और कभी कभी में स्कूल जाने से पहले उनसे मेरा अंडरवियर माँगता और पहन लेता था जो कि हमेशा गीला रहता था और में उन्हें कहता कि मौसी मुझे गीली अंडरवियर पहनने की आदत हो गयी है तो उन्होंने कहा कि मुझे भी। फिर एक दिन लंच टाईम पर मैंने उनसे कहा कि..
में : मौसी एक बात कहूँ अगर आप बुरा ना मानो तो?
मौसी : हाँ बोल ना।
में : मौसी वो मुझे आपको देखना है।
मौसी : तो देखना में तो तेरे सामने बैठी हूँ और इस बुड्डी को देखकर क्या करेगा?
में : नहीं मौसी आप मुझे बुड्डी नहीं लगती बल्कि सेक्सी लगती हो। मुझे आपकी खुश्बू बहुत पसंद है जो कि पेंटी में सूंघता हूँ और वैसे भी मुझे आपको सू सू करते हुए देखना है।
मौसी : नहीं.. यह नहीं हो सकता है।
में : नहीं मौसी सच में मुझे देखना है.. प्लीज।
मौसी : ठीक है फिर कल सुबह देख लेना में दरवाज़ा खुला छोड़ दूँगी।
में : आपको बहुत बहुत थेंक्स मौसी।
मौसी : फिर तुझे भी में जो कहूँगी करना पड़ेगा.. सोच ले।
में : आपके लिए कुछ भी करूँगा मौसी।
मौसी : ठीक है.. शुभ रात्रि।
फिर हम सोने चले गये। फिर सुबह में जल्दी जाग गया और देखा कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला है तो में दौड़ कर गया तो देखा कि मौसी अपनी लोवर्स उतार रही थी। तो उन्होंने मुझे देखा और कहा कि बेटा उठ गया क्या तू? फिर मैंने कहा कि हाँ।
फिर वो टॉयलेट पर बैठी और मूतने लगी और में झुककर उनके बालों से भरी हुई चूत को देखता रहा और में पास में जाकर देखने लगा और सूंघने लगा तो उन्होंने कहा कि क्या कर रहा है। यह गंदी चीज़ है.. तो मैंने कहा कि नहीं मुझे यह बहुत अच्छी लगती है तो उन्होंने कहा कि बेटा मेरी पेंटी रखी हुई है तू ले सकता है। तो मैंने कहा कि मौसी में इधर ही मुठ मार लूँ.. तो उन्होंने कहा कि हाँ और में तुरंत पेंट उतार कर उनकी पेंटी को सूंघने लगा और चाटने लगा वो हैरान होकर मुझे देखती रही। में उनकी पेंटी में अपना लंड रगड़ रहा था और वो देख रही थी।
फिर वो अचानक से खड़ी हो गई। तो मैंने कहा कि मौसी मुझे आपकी गांड को देखकर झड़ना है.. प्लीज़ आप ऐसे ही रहिए। तो उन्होंने कहा कि ठीक है जरा जल्दी कर। फिर में जब झड़ने वाला था तो उनकी गांड में अपना लंड सटा कर उनके छेद के बाहर ही झड़ गया तो उन्होंने मेरा वीर्य अपनी गांड और चूत पर मसल लिया और फिर उन्होंने पेंटी पहन ली और वो मेरे लंड को दबा कर बाहर चली गयी। उसके बाद में और मौसी एक दूसरे के सामने नंगे ही रहने लगे..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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बड़ी बहन का योनी भेदन 












Heart Heart Heart 

Heart
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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रा नाम रॉकी है और में जबलपुर का रहने वाला हूँ.. मेरे घर में मेरे पिताजी, माताजी, मेरी बड़ी बहन गायत्री और में रहता हूँ. गायत्री और में बचपन से ही एक दूसरे के बहुत ही करीब है और हम दोनों में कभी भी सेक्स नहीं हुआ था लेकिन हम दोनों को एक दूसरे से चिपकना मस्ती करना बड़ा ही पसंद था और हम हमेशा ही अपने कॉलेज से घर पर आने के बाद साथ में ही रहते थे. आप ऐसा कह सकते है कि अलग नहाने और कॉलेज की क्लास टाईम के अलावा हम हमेशा करीब होते है. गायत्री को मेरे सारे राज़ पता है और मुझे उसके.. हमारा रिश्ता ऐसा था कि हमे कभी एक दूसरे के अलावा और किसी भी दोस्त की ज़रूरत ही नहीं पड़ी और हम हमेशा ही एक दूसरे के बहुत करीब थे. गायत्री मेरे साथ अधिकतर बिना बाह की कमीज़, सलवार में ही रहती थी और हम चिपककर बात करते रहते है और मुझे उससे चिपकना बहुत अच्छा लगता है. इससे उसके बदन की महक और उसकी सांसो की महक मुझे आती है और उसके कंघो से लेकर हाथ तक मुझे उसे छूना बहुत अच्छा लगता.
तो दोस्तों अब में उस किस्से पर आता हूँ.. जहाँ से हमारी ज़िंदगी ने बदलाव लिया और हमने जहाँ से शारीरिक सुख लेना शुरू किया. यह बात पिछले महीने की है और हमारे घर पर सिर्फ़ गायत्री और में ही था.. हमारे माता, पिता दोनों ही किसी शादी में दो दिन के लिए बाहर गये थे. गायत्री और मुझे कहीं भी किसी भी शादी में जाना पहले से ही पसंद नहीं था और हमे वहां पर कोई भी अच्छा नहीं लगता था तो गायत्री और मैंने घर पर ही रहने का फैसला लिया.. पहले हमने खाना खाया और फिर हम गेम खेलने बैठ गये.. गेम के बीच ही गायत्री मुझे बार बार छेड़ती जाती.. कभी मेरे हाथ पर चिकोटी देती तो कभी मेरे गालो को खींचती या फिर कभी मेरे कान पकड़ती तो मुझे भी अब कुछ देर बाद शरारत सूझने लगी और में गायत्री के पीछे चुपके से जाकर अपनी दोनों हाथ की उंगलियों से गायत्री के पेट पर दबाता और वो झट से उछलती और इस तरह हमारा एक दूसरे के साथ गुदगुदी करना शुरू हुआ.
हमने एक दूसरे को गुदगुदी करते करते एक दूसरे को अपनी बाहों में भरकर गुदगुदी करने लगे.. में गायत्री के बदन को पूरा उसके कपड़ो के ऊपर से पकड़कर महसूस कर रहा था और उसका बदन मेरे बदन से ऐसे चिपका हुआ था कि में उसके बदन की पूरी गरमी को एंजाय कर रहा था और हम दोनों अपनी ही मस्ती में खोते जा रहे थे.
फिर एक दूसरे की बाहों में मस्ती करते करते हम रूम में पहुंचकर बेड पर गिर पड़े और हम एक दूसरे के कपड़ो के अंदर हाथ डालकर गुदगुदी करने लगे और वो मेरी पेंट के अंदर हाथ डालकर मेरे लंड पर गुदगुदी करने लगी तो मुझे भी शरारत सूझी और मैंने उसका टॉप उसकी कमर से ऊपर चड़ा दिया और मैंने देखा कि गायत्री ने काली कलर की ब्रा पहनी हुई थी.. में गायत्री की नेवेल को फैलाकर गायत्री की नेवेल पर बीच में किस करने लगा तो गायत्री अब मेरे बालों के साथ खेलती जा रही थी और हम दोनों को इस खेल में बड़ा मज़ा आ रहा था और फिर मैंने गायत्री की सलवार पूरी उतार दिया था और अब गायत्री सिर्फ़ ब्रा और पजामे में बिस्तर पर लेटी थी तो मैंने उससे कहा कि क्यों ना मम्मी, पापा जो करते है.. वो हम भी करे और इस पर गायत्री ने पूछा कि वो लोग क्या करते है तो मैंने गायत्री को कहा कि जो में करता हूँ. तुम बस उसमे मेरा साथ देना.. तुम्हे बड़ा मज़ा आएगा.
फिर उसके लिए उसने खुशी से हाँ कर दी और अब मैंने गायत्री को आराम से लेटने के लिए कहा और उसके दोनों हाथों को फैला दिया और में गायत्री के कंधे को पकड़कर अपना पैर उसके फैले हुए पैरों के बीच में डालकर उसकी छाती और कंधो पर किस करने लगा और में बीच बीच में गायत्री के बदन को किस भी करता जा रहा था. फिर में गायत्री के होंठो पर भी किस करने लगा और मैंने गायत्री का थोड़ा मुहं खुलवाया और अपनी जीभ गायत्री के मुहं में डालकर गायत्री के मुहं को अंदर से चूस रहा था और मेरे ऐसा करने से हम दोनों को बड़ा मज़ा आ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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फिर मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोलकर धीरे धीरे से उसकी ब्रा भी उतार दी और में गायत्री के बूब्स को देखकर मदहोश होने लगा और धीरे धीरे बूब्स को दबाने लगा और में गायत्री के होंठ को किस भी करता जा रहा था.. में गायत्री की जीभ को अपने मुहं में सक करने लगा.. ऐसा जैसे में उसकी जीभ का रस पी रहा हूँ.
फिर धीरे धीरे अब गायत्री की साँसे तेज़ हो रही थी और वो मेरे किस का और मेरे हाथों के छूने का जवाब दे रही थी और में बीच बीच में गायत्री के गाल पर किस करता.. उसकी गर्दन पर किस करता और में उसे किस करते करते उसकी छाती तक आ गया तो में गायत्री के भूरे कलर के निप्पल को उंगलियों में लेकर दबाने लगा.. गायत्री के निप्पल बहुत कड़क थे और वो मेरी इस हरकत से मोन करने लगी थी और मैंने गायत्री के निप्पल को चूसना शुरू कर दिया और बारी बारी से उसके निप्पल को मुहं में लेकर चूसता तो गायत्री अपनी मस्ती में मस्त होकर मोन करती जा रही थी.. इससे मुझे और भी मज़ा आ रहा था और कोई भी घर में मौजूद नहीं था तो मुझे किसी बात का डर भी नहीं था और हम बेफ़िक्र होकर मस्ती कर रहे थे.
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और गायत्री के ऊपर लेट गया और उसके ऊपर के बदन पर चुम्मा चाटी करता रहा और जगह जगह मैंने उसके बदन पर काटा भी जिससे वो आअहह उह्ह्ह की आवाज़ में चिल्लाती. फिर में अब थोड़ा नीचे जाकर उसका पैर चूमने लगा और उसकी नाभि में उंगली डालकर खेलने लगा और वो आराम से बिस्तर पर लेटकर मज़े लेती जा रही थी तो मैंने इसी दौरान उसके पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया और धीरे से उसका पजामा और उसकी पेंटी को उतार कर उससे अलग कर दिया और अब हम दोनों ही बिस्तर पर नंगे लेटे हुए थे. फिर में नीचे गायत्री के पैरों के बीच में आ गया और में गायत्री की चूत पर हाथ घुमाने लगा.. दोस्तों गायत्री और मैंने कभी अपने अन्दर के हिस्सों से बाल साफ नहीं किए थे तो हमारे अंगो पर झांट उगे हुए थे लेकिन इसके बावजूद गायत्री की चूत मुझे आमंत्रित कर रही थी.. उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी और उस में से महक आ रही थी और में गायत्री की चूत की झांटो को थोड़ा हटाकर उसकी चूत के गुलाबी हिस्से को चाटने लगा.. वहाँ पर एक छोटा दाना था.. तो में उसे उंगली से सहलाने लगा.. जिसकी वजह से गायत्री बहुत गरम होकर पैर मारने लगी. दोस्तों में एक और बात बता दूँ कि हमे सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था. हम वही कर रहे थे.. जो हमे अच्छा लग रहा था.
फिर में गायत्री की चूत को थोड़ा फैलाकर उसकी चूत के अंदर भी चाटने की कोशिश कर रहा था और मेरी जीभ गायत्री की चूत की जड़ से भी टकराई और में चूत के दाने को अपने मुहं में लेकर बड़े मज़े से चूसने लगा लेकिन गायत्री तो अपनी ही दुनिया में मज़े में थी. वो पागलों की तरह मोन कर रही थी अह्ह्ह उह्ह्ह रॉकी तुम यह क्या कर रहे हो? सिसकियाँ लेती हुई चिल्लाती जा रही थी.
फिर में अब सीधा उसके ऊपर लेट गया और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को गायत्री की चूत के छेद पर सेट किया और में एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर गायत्री की चूत पर दबाने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी तो मेरा लंड इधर उधर हो रहा था तो में लंड को गायत्री के मुहं के पास लाया और अपना लंड उसके मुहं के पास ले जाकर मुहं में डाल दिया और उससे लंड को गीला करने को कहा तो गायत्री ने मेरा लंड झट से मुहं में ले लिया और वो उसे अपनी जीभ से चाटकर गीला कर रही थी और वो बड़े मज़े से मेरे लंड को चूस रही थी.
फिर मैंने जब अपना लंड उसके मुहं से बाहर निकाला तो गायत्री ने कहा कि मेरे लंड का स्वाद नमकीन है और उसे मेरे मोटे लंबे लंड को चाटकर बहुत मज़ा आया और फिर मैंने सही मौका देखकर अपना खड़ा हुआ कड़क लंड गायत्री की चूत पर रखा और मैंने अपने हाथ और शरीर का पूरा दम लगाकर एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लंड गायत्री की चूत को चीरता हुआ घुस गया और इसकी वजह से गायत्री ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी.. वो मेरे लंड को अपनी चूत में नहीं सह सकी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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फिर मैंने झट से गायत्री के मुहं पर अपना मुहं रख दिया और उसके होंठो को चूमने लगा और उसके बूब्स को सहलाने लगा.. गायत्री की चीख मेरे मुहं में समाए जा रही थी तो कुछ देर बाद जब वो थोड़ी शांत हुई तो मैंने ऐसा ही एक और दमदार झटका लगाकर अपना पूरा का पूरा लंड गायत्री की चूत में घुसा दिया लेकिन गायत्री के आँसू बाहर निकल रहे थे और वो मेरी पीठ पर मुक्का मारती जा रही थी. तो में अब अपना लंड उसकी चूत के अंदर ही घुसाए उसे हग कर रहा था और उसके बदन को सहला रहा था.. तभी थोड़ी देर के बाद गायत्री एकदम शांत हुई और मेरे हाथ फेरने से उसका बदन फिर से उत्तेजित हो गया.. में उसके नंगी पीठ पर हाथ फैरता, कभी उसकी कमर पर हाथ फैरता और बीच में प्यार से उसके बूब्स भी दबाता.. जिससे उसका दर्द मज़े में बदल गया और अब में उसकी चूत में अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर अंदर बाहर करने लगा लेकिन गायत्री की चूत बहुत टाईट थी.. जिसकी वजह से मुझे मेरे लंड पर उसकी चूत की रगड़ महसूस हो रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे गायत्री की चूत मेरे लंड को चूस रही हो और में गायत्री की चूत को चोदता जा रहा था.
मैंने गायत्री को मजबूती से पकड़ रखा था और बार बार उसके होंठो को किस करता जा रहा था और उसके मुहं के अंदर चाट रहा था.. अपने बदन से उसका गरम जोश से भरा बदन रगड़ते हुए महसूस कर रहा था. फिर गायत्री भी गरम होकर मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी.. जिससे मेरे बदन पर निशान भी हो गये लेकिन में फिर भी लगातार गायत्री की चूत में अपने लंड को लगातार अंदर बाहर करता जा रहा था.
फिर उसके कुछ देर बाद मैंने अपनी चुदाई की रफ़्तार बड़ा डाली और मुझे महसूस हुआ कि गायत्री का बदन अकड़ रहा था और वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी.. चिल्लाते ही उसने अपना पानी छोड़ दिया तो मुझे भी लगा जैसे में भी झड़ने वाला हूँ लेकिन में लगातार धक्के दिए जा रहा था और उसका पानी निकलने के तुरंत बाद ही मेरा बांध भी टूट गया और मेरा भी गरम गरम वीर्य निकलने लगा और मैंने गायत्री की चूत के अंदर ही अपना पानी छोड़ दिया और गायत्री की चूत में हम दोनों का पानी मिल गया. हम ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहे थे और हम दोनों का बदन पसीने से भीगा हुआ था.. मेरा लंड भी सिकुड़कर गायत्री की चूत के बाहर निकल गया. में सीधा होकर उसके पास में लेट गया.. थकावट के कारण हम एक दूसरे से बात भी नहीं कर पा रहे थे और हम वैसे ही नंगे एक दूसरे की बाहों में सो गये. उस टाईम हमे ग़ज़ब की नींद आई और जब हम उठे तो हमने देखा कि बेड शीट पर सूखा हुआ खून और वीर्य के निशान है तो हम बहुत डर गये और हम उठकर सीधे बाथरूम में नहाने चले गये.
फिर हम एक साथ में बाहर आए कपड़े पहने वो बेडशीट को लेकर मशीन में धोने डाल दिया और दवाई की दुकान से दर्द की दवाई लेकर मैंने गायत्री को दी और गर्भनिरोधक गोली लाकर दी.. जिससे गायत्री प्रेग्नेंट ना हो पाए. उसके बाद हमारे माता, पिता के आने तक हमने चुदाई का सिलसिला शुरू ही रखा और माता, पिता आने के बाद हम नॉर्मल व्यहवार करने लगे भाई बहन की तरह. पापा मम्मी के सोने के बाद रात में हमारी चुदाई का प्रोग्राम होता रहता है.. हमने चुदाई के हर तरीके को आजमाया और चुदाई का मज़ा लिया.





















































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भाई के मोटे लंड से चुद गई

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मेरा नाम सोनिया है. मैं बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत लड़की हूँ. मेरे चूचों का साइज 34 है. मैं अब 24 साल की हो चुकी हूं. हमारे घर में हम सिर्फ चार ही लोग हैं. मम्मी-पापा, मेरा भाई और मैं. मेरा भाई जिसका नाम सचिन है वो मुझसे 2 साल छोटा है. जो बात मैं आपको आज बताने जा रही हूं वह घटना आज से चार साल पहले की है.
मैं कॉलेज में पढ़ रही थी और मेरी सभी सहेलियां रोज चुदाई की बातें किया करती थीं. उन सबने अपने ब्वॉयफ्रेंड बना लिये थे और रोज ही मुझे उनकी चुदाई की कहानियां सुनने को मिलती थी. मगर मैंने अपनी चूत में कभी आज तक उंगली भी नहीं ली थी. जब मेरी सहेलियां अपने यारों के बारे में बातें करती थी तो मेरा भी मन करता था कि कोई मुझे अपने लंड से चोदे.
जब मेरी चूत की प्यास बढ़ने लगी तो मैं अपनी सहेलियों के साथ ही मिलकर अपनी चूत को शांत कर लेती थी. मगर लंड की प्यास अभी भी महसूस होती थी.
फिर एक दिन मैंने ये बात अपनी एक सहेली को बताई. उसका नाम रूपाली था.
रूपाली ने मुझसे कहा- तेरे घर में तेरा भाई तो है, उसी से क्यों नहीं चुद लेती तू?
मैंने कहा- ये कैसे हो सकता है? मैं अपने भाई से कैसे चुद सकती हूं?
मैंने उसकी बात को इग्नोर कर दिया.
कई दिन ऐसे ही बीत गये. कुछ दिन के बाद रूपाली ने मुझे अपने फोन में एक वीडियो दिखाई. उसमें रूपाली घोड़ी बनी हुई थी और एक लड़का उसको पीछे से चोद रहा था.
मैंने पूछा तो रूपाली ने बताया कि ये उसका भाई है.
वो बोली कि मैं तो अपने भाई से बहुत बार चुदवाती हूं. इसलिए मैं तुझे भी कह रही हूं कि तू भी सचिन से चुदवा ले. घर की बात घर में ही रह जायेगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा.
रूपाली के वीडियो को मैं ध्यान से देख रही थी. मैंने देखा कि उसके भाई का लंड बहुत ही मोटा था. उसका लंड काफी लम्बा था और रूपाली की चूत में पूरा जा भी नहीं रहा था. उस वीडियो को देख कर तो मेरा यही मन करने लगा कि मैं रूपाली के घर ही चली जाऊं और उसके भाई के मोटे लंड से चुदवा लूं. मगर ऐसा होना तो संभव नहीं था.
फिर मैंने रूपाली की बात पर ध्यान दिया कि अपने ही भाई से चुदवाने में हर्ज ही क्या है. मैंने सोच लिया कि अपने भाई के साथ ही ट्राई करके देख लेती हूं.
उस दिन जब मैं घर पहुंची तो मेरे भाई सचिन ने ही दरवाजा खोला. घर पर सचिन के अलावा कोई भी नहीं था. मां-पापा दोनों कहीं बाहर शादी में गये हुए थे.
मैंने जल्दी से कपड़े बदले और एक काले रंग का टॉप डाल लिया जो पीछे से खुला हुआ था. उसमें से मेरी ब्रा की पट्टी साफ दिखाई दे रही थी. मैंने जानबूझकर ऐसा ड्रेस पहना था ताकि सचिन मेरी तरफ आकर्षित हो सके. टॉप के ऊपर से मैंने एक चुन्नी डाल ली. मैंने चुन्नी को ऐसे रखा हुआ था ताकि जब मैं नीचे झुकूं तो मेरी चुन्नी अपने आप ही गिर जाये और सचिन को मेरी चूचियों के दर्शन हो जायें.
मैं उसके कमरे में जब सफाई करने गई तो वो अपने लैपटॉप में कुछ देख रहा था. मैं झाड़ू लगाने लगी और जैसे ही मैं नीचे झुकी, मेरी चुन्नी सरक कर नीचे गिर गई. मैंने मेरे चूचे उसके सामने थे. वो मेरे चूचों को देख रहा था और उसका मुंह ऐसे खुला हुआ था जैसे वो मेरी चूत को अभी चोद देगा.
फिर मैं उसके कमरे से बाहर चली गई.
कुछ देर के बाद आकर मैंने उससे कहा- अपने कपड़े दे दे धोने के लिए.
उसने अपने कपड़े दे दिये और मैं बाथरूम में चली गई. हमारी कपड़े धोने वाली मशीन खराब हो गई थी इसलिए हम लोग हाथ से ही कपड़े धोते थे.
जब मैं बाथरूम में कपड़े धो रही थी तो मैंने चुन्नी नहीं डाली हुई थी. बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और सचिन फिर मेरे रूम में आकर बैठ गया था. मेरे रूम से बाथरूम का सब कुछ दिखाई देता था. वहां से वो मेरे चूचों को घूर रहा था.
मैं भी पूरी कोशिश कर रही थी कि उसको अपने चूचे दिखाती रहूं. मैंने देखा कि मेरे चूचों को देखते हुए उसका लंड तन गया है जो मुझे पैंट में साफ दिखाई दे रहा था. उसका लंड पैंट में तन कर अकड़ गया था.
वो कुछ देर तक ऐसे ही देखता रहा. उसके बाद वो उठ कर चला गया. उस दिन मैंने उसको अपने चूचों के दर्शन अच्छी तरह करवा दिये थे. फिर शाम को मां और पापा भी आ गये. हम सब लोग खाना खाने के बाद अपने-अपने रूम में जाकर लेट गये.
कुछ देर के बाद किसी ने मेरे रूम के दरवाजे को खटखटाया. मैंने खोल कर देखा तो सचिन खड़ा था.
उसने कहा- दीदी मुझे डर लग रहा है. मैं आज तुम्हारे साथ सोना चाहता हूं.
मैं तो खुद ही चाहती थी कि सचिन मेरे पास आ जाये. इसलिए मैं खुश हो गई और हम भाई-बहन मेरे बेड पर सोने लगे.
मैंने एक निक्कर और एक छोटा सा टॉप पहना हुआ था. उसमें से मेरे चूचे अलग से दिखाई दे रहे थे. कुछ देर के बाद मुझे नींद आ गई.
रात को अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे चूचों को दबा रहा है. मैंने देखा तो सचिन मेरे चूचों को दबा रहा था. मैंने उसको कुछ नहीं कहा. फिर उसने कुछ देर मेरे चूचे दबाये और फिर उसने अपनी पैंट निकाल दी. उसने अपने लंड को निकाल लिया और मेरे मुंह के करीब ले आया. उसके लंड से बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी. उसने अपने लंड को मेरे होंठों पर रगड़ दिया और फिर अपने लंड के टोपे को मेरे मुंह में दे दिया.
उसके लंड का टोपा बहुत ही बड़ा था. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे मुंह में कुछ ठूंस दिया हो. वो मेरे मुंह को चोदने लगा. मैंने आंख खोल कर जागने का नाटक किया और सचिन को पीछे करते हुए एक्टिंग करने लगी लेकिन मैं अंदर से चाह रही थी कि सचिन अपना लंड मेरे मुंह में डाले रखे.
कुछ देर के बाद उसने मेरे मुंह को चोदते हुए अपने लंड का पानी मेरे मुंह में ही निकाल दिया. मुझे पहली बार लंड से निकले पानी का टेस्ट मिला था जो मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने उसके लंड को अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया.
उसने पूछा- कैसा लगा बहन मेरे लंड का पानी?
मैंने जवाब दिया- अच्छा था. लेकिन अब मेरी चूत को कौन शांत करेगा?
वो बोला- मेरा ये लंड ही तेरी चूत को शांत करेगा.
फिर उसने मेरे टॉप को उतारा और मेरी ब्रा को निकाल कर मेरे चूचों को चूसने लगा. भाई ने फिर मेरे निक्कर को भी निकाल दिया और मेरी पैंटी को खींच कर फाड़ दिया. मेरी चूत से पानी छूट रहा था. उसने मेरी गीली चूत को चाटना शुरू कर दिया. काफी देर तक सचिन मेरी गीली चूत में अपनी जीभ लगाकर उसकी आग को और ज्यादा तेज करता रहा.
अब मुझे लंड की बहुत प्यास महसूस हो रही थी. मैंने उसके लंड को पकड़ कर मुट्ठ मारना शुरू कर दिया. सचिन को मैंने अपने ऊपर लेटा लिया और उसके लंड को खुद की अपनी चूत पर लगवा लिया. सचिन का लंड बहुत मोटा था और मेरी चूत का छेद बहुत छोटा था. उसका मोटा लंड मेरी चूत पर जब दबाव बनाने लगा तो उसका लंड फिसल गया. उसने दोबारा से कोशिश की लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था.
फिर उसने नारियल के तेल की शीशी से तेल निकाल कर अपने लंड पर लगाया और थोड़ा सा तेल मेरी चूत के मुंह पर भी लगा दिया. उसने तेल लगाने के बाद मेरी टांगों को अपने हाथों से पकड़ा और लंड का मोटा सुपारा मेरी चूत में घुस गया. मेरी जान निकल गई और उसको पीछे धकेलने लगी. लेकिन उसने तब तक दूसरा धक्का दे दिया और आधा लंड चूत में घुसा दिया. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी चूत जैसे फट गई थी. मुझे बहुत दर्द होने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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लेकिन फिर उसने एक और धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया. उसके बाद वो मेरी चूत में लंड को डालकर हिलाने लगा. थोड़ी देर में मेरी कुंवारी चूत के अंदर उसका मोटा लंड सेट हो गया. उसके बाद उसने मेरी चूत में धक्के देने शुरु किये और फिर मुझे मजा आने लगा.
सचिन मेरी चूत को तेजी के साथ चोदने लगा. मुझे मजा आने लगा और मैं कामुक आवाजें करने लगी. आह-आह … आह्ह … ऊह्हह … उम्म .. मा … आ …
वो तेजी के साथ मेरी चूत को चोद रहा था. पहली बार मेरी चूत में किसी पुरूष का लंड गया था जिसका स्वाद मुझे बहुत मजा दे रहा था. उसका लंड मेरी चूत में पूरा फंस गया था और चूत को पूरी फैलाता हुआ अंदर और बाहर हो रहा था.
सचिन के धक्के एकदम बहुत तेज हो गये. मुझे दर्द होने लगा. मैंने कहा- बस करो, अब दर्द हो रहा है भाई, निकाल लो भाई.
वो बोला- अभी नहीं रंडी, आज मैं तेरी चूत को फाड़ दूंगा. तू मुझे अपने चूचे दिखा रही थी. मैं जानता हूं कि तू अपनी चूत को चुदवाने के लिए मुझे उकसा रही थी. आज मैं तेरी चूत को चीर डालूंगा साली.
मैं रोती रही और वो मेरी चूत को चोदता रहा.
फिर अचानक ही मेरी चूत को उसके लंड से इतना मजा आने लगा कि मुझे समझ नहीं आया कि मेरे साथ क्या हो रहा है. मेरा बदन अकड़ने लगा. मैं उसके बदन से लिपट कर उससे चुदने लगी और फिर मेरी चूत से एक तूफान सा उठा और मैं जैसे अंदर से खाली होने लगी.
उस दिन मेरी चूत ने पहली बार लंड से चुद कर पानी छोड़ दिया था. मुझे बहुत मजा आया जब मेरा पानी निकला. फिर सचिन ने भी मेरी चूत में ही अपना पानी निकाल दिया. लेकिन देर रात में उसने मुझे एक बार फिर से चोद दिया. फिर सुबह के करीब 4 बजे उसने फिर मेरी चूत को चोद डाला. मेरी चूत दुखने लगी थी. मगर मजा भी बहुत आया. उस रात को मेरे भाई सचिन ने अपने मोटे लंड से तीन बार मेरी चुदाई की.
सुबह जब मैं नहाने गयी तो मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था. लेकिन फिर उसने नहाते टाइम भी मेरी चूत मारी. अब जब भी हम दोनों घर में अकेले होते हैं तो हम पूरे नंगे होकर चुदाई करते हैं. रूपाली के भाई की तरह मेरा भाई सचिन भी जमकर मेरी चूत को चोदता है. मैं भी उसके लंड को लेकर खुश हो जाती हूं.
एक दिन मैंने भी रूपाली की तरह ही अपने रूम में फोन को छिपाकर रख दिया. जब सचिन मेरी चुदाई कर रहा था तो मैंने उसका वीडियो बना लिया. मैंने वो वीडियो बनाकर रूपाली को दिखाया तो उसको मेरे भाई का लंड बहुत पसंद आया. मेरे भाई का लंड उसके भाई के लंड से भी ज्यादा मोटा था. रूपाली कहने लगी कि तेरे भाई का लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है. वो शायद मेरे भाई का लंड लेने चाहती थी. उस दिन मुझे बहुत गर्व हो रहा था अपने भाई के लंड पर। मगर मैंने अपने भाई के मोटे लंड से चूत को चुदवा कर मजा लेना जारी रखा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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बहिन कमला की चुदाई


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अमर एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी रेखा और बहन कमला के साथ रहता था। कमला पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी.

वह एक कमसिन सुंदर किशोरी थी। जवानी में कदम रखती हुई वह बाला दिखने में साधारण सुंदर तो थी ही पर लड़कपन ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था। उसके उरोज उभरना शुरू हो गये थे और उसके टाप या कुर्ते में से उनका उभार साफ़ दिखता था। उसकी स्कूल की ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखतीं गोरी गोरी चिकनी टांगें अमर को दीवाना बना देती थी। कमला थी भी बड़ी शोख और चंचल। उसकी हर अदा पर अमर मर मिटता था.

अमर जानता था कि अपनी ही छोटी कुंवारी बहन को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर विवश था। कमला के मादक लड़कपन ने उसे दीवाना बना दिया था। वह उसकी कच्ची जवानी का रस लेने को कब से बेताब था पर ठीक मौका न मिलने से परेशान था। उसे लगने लगा था कि वह अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नही रख पायेगा। चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े, पर कमला को चोदने का वह निश्चय कर चुका था. एक बात और थी। अह अपनी बीवी रेखा से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि वह रेखा का पूरा दीवाना था और उससे दबता था। रेखा जैसी हरामी और चुदैल युवती उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रन्डियों जैसे अन्दाज से शादी के तीन माह के अन्दर ही उसने अपने पति को अपनी चूत और गांड का दीवाना बना लिया था। अमर को डर था कि रेखा को यह बात पता चल गई तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठे.

असल में उसका यह डर व्यर्थ था क्योंकि रेखा अपने पति की मनोकामना खूब अच्छे से पहचानती थी। कमला को घूरते हुए अमर के चेहरे पर झलकती प्रखर वासना उसने कब की पहचान ली थी। सच तो यह था कि वह खुद इतनी कामुक थी कि अमर हर रात चोद कर भी उसकी वासना ठीक से तृप्त नहीं कर पाता था। दोपहर को वह बेचैन हो जाती थी और हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करती थी। उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ खास सह्लियों के साथ सम्बम्ध बना लिये थे और उसे इन लेस्बियन रतिक्रीड़ाओं में बड़ा मजा आता था। अपनी मां की उमर की स्कूल प्रिन्सिपल के साथ तो उसके बहुत गहरे काम सम्बन्ध हो गये थे.

शादी के बाद वह और किसी पुरुष से सम्बन्ध नहीं रखना चाहती थी क्योंकि अमर की जवानी और मजबूत लंड उसके पुरुष सुख के लिये पर्याप्त था। वह भूखी थी तो स्त्री सम्बन्ध की। वैसे तो उसे अपनी सास याने अमर की मां भी बहुत अच्छी लगी थी। वह उसके स्कूल प्रिंसीपल जैसी ही दिखती थी। पर सास के साथ कुछ करने की इच्छा उसके मन में ही दबी रह गई। मौका भी नहीं मिला क्योंकि अमर शहर में रहता था और मां गांव में.


अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदैल नारी, छोटी या बड़ी, समलिग सम्भोग के लिये मिल जाये तो मजा आ जाये। पिछले दो माह में वह कमला की कच्ची जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। कमला उसे अपने बचपन की प्यारी सहेली अन्जू की याद दिलाती थी। अब रेखा मौका ढूंढ रही थी कि कैसे कमला को अपने चन्गुल में फ़न्साया जाये। अमर के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया.


एक दिन उसने जब अमर को स्कूल के ड्रेस को ठीक करती कमला को वासना भरी नजरों से घूरते देखा तो कमला के स्कूल जाने के बाद अमर को ताना मारते हुए बोल पड़ी "क्योंजी, मुझसे मन भर गया क्या जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो। और वह भी अपनी सगी छोटी कमसिन बहन को?" अमर के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं कि वह आखिर पकड़ा गया। कुछ न बोल पाया। उसे एक दो कड़वे ताने और मारकर फ़िर रेखा से न रहा गया और अपने पति का चुम्बन लेते हुए वह खिलखिलाकर हंस पड़ी। जब उसने अमर से कहा कि वह भी इस गुड़िया की दीवानी है तो अमर खुशी से उछल पड़ा.

रेखा ने अमर से कहा कि दोपहर को अपनी वासना शांत करने में उसे बड़ी तकलीफ़ होती है। "तुम तो काम पर चले जाते हो और इधर मैं मुठ्ठ मार मार कर परेशान हो जाती हूं। इस बुर की आग शांत ही नहीं होती। तुम ही बताओ मैं क्या करूं." और उसने अपने बचपन की सारी लेस्बियन कथा अमर को बता दी.

अमर उसे चूंमते हुए बोला। "पर रानी, दो बार हर रात तुझे चोदता हूं, तेरी गांड भी मारता हूं, बुर चूसता हूं, और मैं क्या करूं." रेखा उसे दिलासा देते हुए बोली। "तुम तो लाखों में एक जवान हो मेरे राजा। इतना मस्त लंड तो भाग्य से मिलता है। पर मैं ही ज्यादा गरम हूं, हर समय रति करना चाहती हूं। लगता है किसी से चुसवाऊं। तुम रात को खूब चूसते हो और मुझे बहुत मजा आता है। पर किसी स्त्री से चुसवाने की बात ही और है। और मुझे भी किसी की प्यारी रसीली बुर चाटने का मन होता है। कमला पर मेरी नजर बहुत दिनों से है। क्या रसीली छोकरी है, दोपहर को मेरी यह नन्ही ननद मेरी बाहों में आ जाये तो मेरे भाग खुल जायें."

रेखा ने अमर से कहा को वह कमला पर चढ़ने में अमर की सहायता करेगी। पर इसी शर्त पर कि फ़िर दोपहर को वह कमला के साथ जो चाहे करेगी और अमर कुछ नहीं कहेगा। रोज वह खुद दिन में कमला को जैसे चाहे भोगेगी और रात में दोनो पति - पत्नी मिलकर उस बच्ची के कमसिन शरीर का मन चाहा आनन्द लेंगे. अमर तुरंत मान गया। रेखा और कमला के आपस में सम्भोग की कल्पना से ही उसका खड़ा होने लगा। दोनों सोचने लगे कि कैसे कमला को चोदा जाये। अमर ने कहा कि धीरे धीरे प्यार से उसे फ़ुसलाया जाय। रेखा ने कहा कि उसमें यह खतरा है कि अगर नहीं मानी तो अपनी मां से सारा भाण्डा फ़ोड़ देगी। एक बार कमला के चुद जाने के बाद फ़िर कुछ नहीं कर पायेगी। चाहे यह जबरदस्ती करना पड़े

रेखा ने उसे कहा कि कल वह कमला को स्कूल नहीं जाने देगी। आफिस जाने के पहले वह कमला को किसी बहाने से अमर के कमरे में भेज देगी और खुद दो घन्टे को काम का बहाना करके घर के बाहर चली जायेगी। कमला बेडरूम में चुदाई के चित्रों की किताब देख कर उसे जरूर पढ़ेगी। अमर उसे पकड़ कर उसे डांटने के बहाने से उसे दबोच लेगा और फिर दे घचाघच चोद मारेगा। मन भर उस सुंदर लड़की को ठोकने के बाद वह आफिस निकल जायेगा और फ़िर रेखा आ कर रोती बिलखती कमला को संम्भालने के बहाने खुद उसे दोपहर भर भोग लेगी.

रात को तो मानों चुदाई का स्वर्ग उमड़ पड़ेगा। उसके बाद तो दिन रात उस किशोरी की चुदाई होती रहेगी। सिर्फ़ सुबह स्कूल जाने के समय उसे आराम दिया जायेगा। बाकी समय दिन भर काम क्रीड़ा होगी। उसने यह भी कहा कि शुरू में भले कमला रोये धोये, जल्द ही उसे भी अपने सुंदर भैया भाभी के साथ मजा आने लगेगा और फ़िर वह खुद हर समय चुदवाने को तैयार रहेगी। अमर को भी यह प्लान पसन्द आया। रात बड़ी मुश्किल से निकली क्योंकि रेखा ने उसे उस रात चोदने नहीं दिया, उसके लंड का जोर तेज करने को जान बूझ कर उसे प्यासा रखा। कमला को देख देख कर अमर यही सोच रहा था कि कल जब यह बच्ची बाहों में होगी तब वह क्या करेगा.

सुबह अमर ने नहा धोकर आफिस में फोन करके बताया कि वह लेट आयेगा। उधर रेखा ने कमला को नीन्द से ही नहीं उठाया और उसके स्कूल का टाइम मिस होने जाने पर उसे कहा कि आज गोल मार दे। कमला खुशी खुशी मान गई। अमर ने एक अश्लील किताब अपने बेडरूम में तकिये के नीचे रख दी। फ़िर बाहर जा कर पेपर पढ़ने लगा। रेखा ने कमला से कहा कि अन्दर जाकर बेडरूम जरा जमा दे क्योंकि वह खुद बाहर जा रही है और दोपहर तक वापस आयेगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जब कमला अन्दर चली गई तो रेखा ने अमर से कहा। "डार्लिन्ग, जाओ, मजा करो। रोये चिलाये तो परवाह नहीं करना, मैं दरवाजा लगा दून्गी। पर अपनी बहन को अभी सिर्फ़ चोदना। गांड मत मारना। उसकी गांड बड़ी कोमल और सकरी होगी। इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी। मै भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संभालने के लिये वहां रहना चाहती हूं। इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेन्गे."

अमर को आंख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गई। पांच मिनिट बाद अमर ने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार कमला को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी। उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.

मौका देख कर अमर बेडरूम में घुस गौर बोला. "देखू, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?" कमला सकपका गई और किताब छुपाने लगी. अमर ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. अमर ने कमला को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूं."

कमला रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. अमर एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के कमला की ओर बढ़ा. उसकी आंखो में काम वासना की झलक देख कर कमला घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर अमर ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खींच कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर अमर का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर कमला के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का. वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लण्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.

"चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा" कहते हुए अमर ने जबरदस्ती उसके अन्तर्वस्त्र भी उतार दिये. कमला छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर अमर की शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुवा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुन्दरता के साथ अमर के सामने था. कमला को बाहों में भर कर अमर ने अपनी ओर खीन्चा और अपने दोनो हाथों में कमला के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर उससे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".

अमर तो वासना से पागल था. कमला का रोना उसे और उत्तेजित करने लगा. उसने अपना मुंह खोल कर कमला के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही वह उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने कमला के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसके दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंम रहे थे. उसका हर अन्ग उसने खूब टटोला.

मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. "बोल कमला रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर कमला घबरा गई और बिलखते हुए उससे याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मै मर जाऊंगी, मत चोदो मुझे प्लीऽऽऽज़ . मैं आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"

अमर को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि कमला छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ अमर बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैं नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहना ! चोदूंगा भी और गांड भी मारून्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूं मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मै मरा जा रहा था।
कमला की गोरी गोरी चिकनी जान्घे अपने हाथों से अमर ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से वह उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.
बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को अमर चाटने लगा. चाटने के साथ अमर उसकी चिकनी माल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे कमला का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यन्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गई. उसने अपने भाई का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. "चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर."
अमर ने देखा कि उसकी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब कमला के कड़े लाल मणि जैसे क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो कमला मस्ती से हुमक कर अपनी जान्घे अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में कमला एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे अमर बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे कमला की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही कमला फ़िर से मस्त हो गई.
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. अमर अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में कमला दूसरी बार झड़ गई. अमर उस अमृत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाद एक तृप्ति की सांस लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर अमर से अलग हो गई क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर अमर की जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.
अमर अब कमला को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोई से मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगया और कमला को सीधा करते हुए बोला. "चल छोटी, चुदाने का समय आ गया." कमला घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देंगे पर अमर को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मक्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी अमर ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. उसने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ़ैला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन कमला की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया. अमर को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर कमला दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बन्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुंवारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और कमला ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि अमर से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और कमला छटपटाने लगी.
अमर अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आंसू भरी आंखो में झांकता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. कमला के बन्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी उसे बहुत मजा आ रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे वह एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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