22-02-2019, 12:41 AM
बड़ी बहना लेटी रहना
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
बड़ी बहना लेटी रहना
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22-02-2019, 12:41 AM
बड़ी बहना लेटी रहना
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-02-2019, 12:42 AM
अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब ६ मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी। अमित मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, "चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था। अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला "देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।
"अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी। मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। "दीदी मुझे शर्म आती है। "साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा "ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली । मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, "मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, "अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ" । "अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा? और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ । इँच का मोटा हो गया। मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, "अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं । देख अब तेरा खड़ा हो गया है । तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ" । जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-02-2019, 12:43 AM
(This post was last modified: 22-02-2019, 12:49 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था । बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था । एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, "बस दीदी" और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा । मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, "क्यों भय्या मज़ा आया"
"सच दीदी बहूत मज़ा आया" । "अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?" "दीदी शर्म आती है । बाद मैं बताऊँगा" । इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया । "अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी । और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना" । "अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है" । "चल शैतान कहीं के" । मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी । अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है । अमित के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था । अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया । चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के । मैं बेड पर लेट गयी । अमित के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी । तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और अमित के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी । इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर अमित का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले । उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी । बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी । सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था । लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या । बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि अमित के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये । फिर उठ कर तैयार हुयी । अमित भी कॉलेज जाने को तैयार था । नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे । नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये । अमित मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ । मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली । चलते समय मैंने कहा, "चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर कॉलेज छोड़ दूँ" । वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया । वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था । वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था । मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली । मैं बोली, "कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?" "अच्छा दीदी" और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया । उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था । "क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित" "दीदी रात की तो बात ही मत करो । कहीं ऐसा ना हो कि मैं कॉलेज मैं भी शुरू हो जाऊँ" । "अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में" "हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया । काश कल की रात कभी खत्म ना होती । आपके जाने के/की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ । ऐसे ही सो गया" । "तो मुझे बुला लिया होता । अब तो हम तुम दोस्त हैं । एक दूसरा के काम आ सकते हैं" । "तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का" । "चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है । ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास। "अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी । आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा । मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा" । तब तक उसका कॉलेज आ गया था । मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी । स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा कॉलेज में जा रहा है । मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया । शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी । अमित २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया । मुझे लेटा देखकर बोला, "दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?" "ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या" "दीदी कल सण्डे है ही । वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है" । मैंने हंसी दबाते हुए कहा, "क्यों पूरा तो करवा दिया था । वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये । सेहत पर असर पढ़ता है । कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं" । "दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो" । "नहीं ऐसी बात नहीं है । लड़की पटानी आनी चाहिये" । फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी । मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, "अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?" "हाँ दीदी सुधा से" । "कहाँ तक" "बस बातें करते हैं और कॉलेज मैं साथ ही बैठते हैं" । मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, "कभी उसकी लेने का मन करता है?" "दीदी आप कैसी बात करती हैं" । वह शर्मा गया तो मैं बोली, "इसमे शर्माने की क्या बात है । मुट्ठी तो तो रोज मारता है । ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता" । "लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है" । "तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है" । मैंने कहा । जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-02-2019, 12:43 AM
"उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है" । "जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी" उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया । इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा । मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी । मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो । मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, "अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ" ।
वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी । फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते । अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं । जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने/अपनी आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है । जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है । बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था । वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया । उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था । एकाएक मुझे एक आइडिया आया । मैं बोली, "मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे" । यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी । मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी । लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी । वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा । उसका स्पर्श (तच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर अमित की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा । करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी । उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, "तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?" "अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे" । आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी । मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है । उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है। "अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी" । "पर कैसे दीदी" । उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये । मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, "देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है । और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो । जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो । वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों" । अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था । वह बोला, "दीदी सुधा तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था । कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती" । "तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर" । "कौन सा दीदी" "बातों वाला । यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है । अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी" । "पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं । तारीफ के काबिल तो आपके है" । वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया । मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था । मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, "मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है" । "नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है । बहुत दिल करता है" । और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया । "अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता" । मैंने इठला कर पूछा । जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-02-2019, 12:44 AM
"इनको सहलाने का और इनका रस पीने का" । अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी । "तो कल रात बोलता । तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती । मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता । चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना" । इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था । "अरे ये तो अभी से तैयार है" ।
तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया । मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया । ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी । उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया । तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है । मैंने उससे कहा "अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा" । उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी । वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था । अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ । अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे । इस लिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, "अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करने लगा । तुझे शर्म नहीं आती" । "ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर । रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया" । उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी । वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा । मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी । कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, "अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है" । उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा । कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, "कभी किसी को किस किया है?" "नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है" । "बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये" । जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-02-2019, 12:44 AM
(This post was last modified: 22-02-2019, 12:49 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
"कैसे"
उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया । अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी । करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली । "ऐसे" । वह बहूत एक्साइटिड हो गया था । इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, "दीदी मैं भी करूं आपको एक बार" "कर ले" । मैंने मुस्कराते हुए कहा । अमित ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया । मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी । उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी । इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी । उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था । मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी । लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था । चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ । मैं बोली, "चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ" । "दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ" "क्या" मैंने पूछा । "लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे" । ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है । वह बोला, "दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है । डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी । मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ" । "नहीं अमित तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन" । "दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये" । "अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा" । "दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी" । मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, "तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है । तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?" और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा । वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया । उसका लण्ड तन कर खड़ा था । मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया । वह अब और नहीं रूक सकता था । उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी । मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी । सुन अमित ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है । ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे" । "नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ" । और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी । उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया । अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था । वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, "ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है" । जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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22-02-2019, 12:45 AM
वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये । मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी । कुछ देर बाद मैंने कहा, "हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है" ।
"दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर" । "हाय भय्या तो कितना बेशर्म है । अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था" । "ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है । मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था । आज दिल की आरजू पूरी हुयी" । और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया । "अरे तो मुझे इतना चाहता है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है । पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती" । और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी । बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती । "दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है । जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता । पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ" । वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना । "अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ" । और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ । मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था । मुझे उस पर बड़ी दया आयी । साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है । अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ । इस लिये उससे बोली, "अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है । और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी । चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत" । जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-02-2019, 12:51 AM
मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, "सच दीदी" । और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ ।
"तू बहुत किस्मत वाला है अमित" । मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली । क्यों दीदी" "अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है । और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था" । "हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था" । फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा । उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी । मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी । वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा । वह अब झड़ने वाला था । मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी । उसने मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था । मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और और "हाय आशा मेरी जान" कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया । मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिये और "हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी । चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था । हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे । कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, "क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में" उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था । उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला, "बहुत मजा आया दीदी । यकीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ" । "तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी है" "नहीं दीदी यह बात नहीं है" । "तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनने का" । "नहीं दीदी ये बात भी नहीं है । मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने मैं । मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रा ही पीता रहूं । हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी । अगर एक दो और होती तो सबको चोदता । दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं" । "कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?" "हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया" । "तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है । अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी । जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी । बहुत मज़ा आता है" । "सच दीदी" "हाँ । अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी" । "नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने मैं मज़ा ही अनोखा है । बाहर क्या मज़ा आयेगा" "अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा" । "ओह दीदी ये कैसे होगा" "घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी । माँ अभी ३८ साल की है, तुझे मादरचोद बनने मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा" । "हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं । दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा" । "जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये" । "दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार" । और लण्ड को चूत पर दबा दिया । "सिर्फ एक बार" । मैंने ज़ोर देकर पूछा । "सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा" । "सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं" । "क्यों दीदी" अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था । मैंने उसे झटके देते हुए कहा, "अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे" "हाँ दीदी" । "ठीक है बाकी दिन क्या होगा । बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या । और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिये । अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं" । उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला, "ओह दीदी यू र ग्रेट" । जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
15-04-2024, 12:14 PM
Good story
11-11-2024, 02:54 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 02:55 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 02:59 PM
(11-11-2024, 02:54 PM)neerathemall Wrote:बात आज से 18 साल पुरानी है. मयह घटना तब मैं किशोरवय का था और मेरी दीदी, जवान हो गई थीं. यानि उनकी और मेरी उम्र में कम फासला था. तब मेरा अक्सर वक़्त कॉलेज के बाद दीदी के साथ गुज़रता था. वे मुझसे अक्सर अकेले में मुझसे लिपट कर सोती थीं. उनको ये बहुत पसंद था कि मैं उनके सीने मैं अपना मुँह लगाकर सोऊं, ठीक वैसे … जैसे एक बच्चा अपनी माँ के साथ सोता है. कई बार तो अम्मी भी ये देखतीं और हमें अलग अलग सोने को कहतीं. शायद उनको आयशा दीदी के अरमानों का आभास हो गया था. लेकिन रात में मैं पिता के साथ ही सोता था. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:01 PM
एक दिन की बात है.
पिता जी से बाहर गए थे और उस दिन अम्मी नानी के घर गईं और वहीं रुक गईं. आयशा दी और मैं अकेले घर पर रह गए थे. ज़ाहिर सी बात है कि उस रात हम दोनों साथ में सोने वाले थे. अगले दिन रविवार था यानि कॉलेज बंद था. उस दिन खाना खाकर मैं और आयशा दी एक ही बिस्तर पर सोने लगे थे. आयशा दी मुझे अपने दिन के बारे में बता रही थीं. उन्होंने बातों बातों में अपने कुर्ते के बटन क्लीवेज तक खोल दिए थे. उनके बड़े बड़े गोरी चमड़ी वाले बूब्स बिल्कुल मेरी आंखों के सामने चमकने लगे. वे बातें करती गईं और न जाने मुझे कुछ अन्दर ही अन्दर होने लगा. एक किशोर वय का लड़का, तब अपनी जवानी की दहलीज पर था. मैं ये सब क्या ही इतना समझता था! फिर भी न जाने क्यों मुझे आयशा दी के खुले क्लीवेज को इतने पास से देखकर ऐसा लग रहा था कि इस घाटी को और ज्यादा देख लूँ. दीदी ने ये भांप लिया था कि मुझे अन्दर ही अन्दर कुछ हो रहा है. अब आयशा दीदी ने विषय बदल कर कहा- सलमान, क्या तुझे पता है तू कैसे इस दुनिया में आया … और कैसे मैं आयी? मैंने जानबूझ कर बड़े भोलेपन से कहा- हां, अस्पताल से. मेरे ऐसा कहते ही वे जोर से हंसने लगीं और उन्होंने मुझे अपनी जांघों के बीच में फंसा लिया. मैं कुछ कर पाता कि तभी दी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया. फिर उन्होंने कहा- यह बात तुम किसी को ना बताना. अगर बताई तो हम दोनों को अब्बू अम्मी बहुत मारेंगे और घर से निकाल देंगे. आज मैं तुम्हें सिखाऊंगी कि हम कैसे पैदा हुए. सीखना है ना … और यदि हां, तो ये बात हमारे बीच ही रखना! मैंने कहा- हां … मुझे सीखना है. आयशा दी ये सुनकर खुद को अब और ना रोक पाईं. उन्होंने हमारे बीच वे भाई बहन के रिश्ते की लाइन को तोड़ दिया. उस रात मैं उनका गुलाम बन गया और वे मेरी मालकिन. यह घटना बड़ी ही कामुक है. हुआ यूं कि मुझे चोदना सिखाने के लिए दी ने अपना कुर्ता उतारा और कहा- सलमान, आ मेरे पास और मेरे सीने से लग कर मेरे दोनों दूध मुँह लगा कर पी ले. मुझे इतना सब कुछ सुनकर अजीब सा लगा. रोज़ जिस दीदी के सीने में मुँह रखकर सोता था, आज वही दीदी का ये रूप मुझे बहुत अजीब लग रहा था. लेकिन न जाने क्यों, उनको बिना टॉप के देखकर मुझे कुछ ऐसा होने लगा था, जैसे मैं बचपन से प्यासा हूँ और आज मुझे पानी का कुआं मिल गया हो. उन्होंने जैसा कहा, मैंने वैसे किया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:04 PM
मैं उनके बूब्स को ब्रा से निकालने लगा.
दी की ब्रा इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा हाथ कमज़ोर और छोटा पड़ने लगा. उन्होंने मेरी कोशिश देखकर अपनी ब्रा पीछे से खोल दी और मेरे सर को अपने बूब्स के और पास ले आईं. मैंने उनके नंगे बूब्स को देखा, तो समझ आया मानो बड़े बड़े गोरे खरबूजे हों. उनके मम्मों का इतना गोरा रंग, जैसे दूध में नहलाए हुए फल हों. उनके निप्पल इतने कड़क और गुलाबी मानो गुलाब के फूल की कलि हों. उनके निप्पलों के इर्द गिर्द बड़े बड़े भूरे रंग जैसी चमड़ी को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया. दीदी ने एक हाथ से अपने बूब को दबाया और निप्पल के इर्द गिर्द अपनी दो उंगलियां लगा कर अपने मम्मे को मेरे होंठों से लगा दिया. मैंने अपने होंठों से उनके निप्पल को खींचा तो दी ने अपनी आंखें बन्द कर लीं. अब मैं उनके मम्मे को तोतापरी आम के जैसे चूसने लगा. ‘आअह … आह … सलमान … कैसा लग रहा तुझे … ऐसे ही तूने बचपन में दूध पिया होगा … म्म्ह्म्म आराम से पी … आह आज पूरी रात मैं तुझे सब सिखा दूँगी कि कैसे मेरे साथ तुझे खेलना है … आह जोर से … दांतों से काट ले … निशान … आह निशान बना दे … डर मत … कुछ नहीं होगा मुझे!’ मैं ये सुनकर जोर से उनके दाहिने उरोज को चूसने लगा. मेरे एक हाथ की हथेली उनके दूसरे स्तन को मसल रही थी. मेरे हाथ के ऊपर उनका हाथ था जो मुझे उनके दूध को जोर से दबाने को मजबूर कर रहा था. दी के बूब इतने बड़े थे कि मेरा मुँह उसमें समाए जा रहा था. दीदी बिल्कुल मदहोश थीं और एक हाथ से उन्होंने मेरा सर अपने बूब में घुसा सा रखा था. उसी मदहोशी में उन्होंने मेरी कमीज उतार दी और मेरी पैंट भी. साथ ही उन्होंने अपना पजामा भी उतार फेंका. जैसे ही उन्होंने अपना पजामा उतारा, उनकी जांघों के बीच से एक पागल कर देने वाली खुशबू मेरी नाक में आयी. मैंने ऐसी खुशबू कभी नहीं सूंघी थी. उनकी पैंटी के ऊपर एक ऐसी सी गीली परत थी, जैसे अन्दर से पानी सा कुछ निकला हो. उस वक्त मैं पूरा नंगा था और दीदी के ऊपर लेटा हुआ था. उन्होंने सिर्फ पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी. कैरोसीन वाली लैंप से जितनी रोशनी रूम में थी, उतने में मैं दीदी की लम्बी सांसें और बड़े बड़े मदहोश कर देने वाले निप्पलों को साफ देख पा रहा था. उस समय लाइट नहीं आ रही थी, तो हमने लालटेन जलाई हुई थी. उनका दाहिना दूध लाल हो गया था. क्योंकि मैंने उन्हें वहां काफी तेज काटा था. शायद निप्पल के ऊपर थोड़ा खून सा भी आने लगा था. ये देख कर मैं डर सा गया. तो दीदी ने कहा- मेरी जान, आज तुझे यही जख्म मुझे देना है … और जहां मैं कहूँ, वहां वहां देना है. ये सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भी तो यही चाहता हूँ. मैंने जोश में आकर दीदी के बांई तरफ वाले बूब को चूसना शुरू कर दिया. ‘मममम … आह ओह … आराम से भाई आह … म्ह्म्म् पूरी रात पड़ी है पागल … तू तो बचपन से प्यासा लगता है. आह अगर मुझे पता होता तू इतना मस्त चूसता है, तो मैं तुझे बहुत पहले ही स्तनपान करा देती रे … आह धीरे बाबू धीरे … आईइ!’ वे जोर से चीखीं. दी इतनी जोर से चीखीं थीं कि उनकी चीख से घर गूंज उठा था. पर सुनने वाला कोई ना था … ना ही हमें रोकने वाला. मेरे दांत उनके निप्पल के ऊपर उनकी चीखें निकाल रहे थे. तभी उन्होंने मेरा दूसरा हाथ उन्होंने अपने मुँह में लिया और दांतों से दबाने लगीं. जैसे दर्द और मज़ा दोनों उन्हें पागल कर रहा हो. मुझे उस वक़्त न जाने ऐसा क्यों लगने लगा कि आयशा दीदी के मम्मे में जैसे कोई अमृत भरा हो. मैं इसका मर्दन और चूसन आज पहली बार कर रहा हूँ. मैंने अपनी साथ की लड़कियों में ऐसी लड़की कभी नहीं देखी थी, जिसके इतने गोल और भरे भरे से स्तन हों. आखिर ये तो आयशा दीदी के जवान बूब्स थे. अब रात के करीब 3 बज रहे थे. दो घंटे तक मैंने दीदी के सिर्फ बूब्स चूसे और उन्होंने आंखें मूँद कर सिसकियां लीं, चीखें मारीं. अब मैं भी चूस चूस कर थक चुका था. उनकी चूचियों से अब सच में हल्का सा खून आने लगा था और उनकी चूचियां पहले से कई गुना अधिक फूल सी गई थीं. उनकी दोनों चूचियां लाल सी पड़ गई थीं. उन्होंने बगल से मेरी कमीज उठाई और अपने बूब्स के ऊपर ऐसे डाल ली जैसे वे अब उन्हें मुझसे छुपाना चाहती हों. उन्होंने कराहते हुए कहा- सलमान, तूने तो इनका हाल ऐसा बना दिया कि अब मैं एक हफ्ता तक ब्रा नहीं पहन सकती हूँ. तूने तो चीर ही डाला अपने दी के दूध … आह मगर मज़ा भी खूब आ गया! मैं दूसरे कोने में लेटा हुआ उनके चेहरे को देखने लगा. उनकी प्यारी सी नशीली गोल गोल आंखें, उनके फूले हुए लाल होंठ, गोरे गोरे गाल. मैंने गांव के लोगों से मेरी दीदी के लिए सुन रखा था कि ये तो माधुरी नेने सी लगती है. दीदी अभी जवान हुई ही थीं, पर लगती वे मस्त भरी हुई माल जैसी थीं. उनके बड़े बड़े चूतड़ और जांघें इतनी कदली सी थीं कि जैसे वे ब्लू-फिल्म की कोई MILF हों. उस दिन मैंने अपनी माधुरी के जैसी लगने वाली बहन के गोरे और नंगे बदन का मस्ती से रसपान भी कर लिया था. शायद दीदी ने अपने कॉलेज की सहेलियों के संग पोर्न मूवी देख रखी थीं जिससे उनके दिल में उसी तरह का सेक्स करने का मन था. आज वे अपनी उस प्यास को अपने छोटे भाई से पूरा कर रही थीं. ये सब होने के बाद दी को जोर से पेशाब आयी. वे मुझे लेकर बाहर बाथरूम में चलने की कहने लगीं. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:05 PM
बाथरूम कमरे से थोड़ा दूर था पर घर के अन्दर ही था.
चूंकि अंधेरा था तो मैं बाथरूम के दरवाजे पर लालटेन लेकर खड़ा रहा. दीदी सिर्फ पैंटी में बाथरूम गई थीं और कमर से पैंटी नीचे खिसका कर उन्होंने बाथ कर पेशाब करना शुरू की. पेशाब की तेज़ धार छुर्र छुर्र की आवाज के साथ दूर को फिंकती हुई, मुझे साफ दिख रही थी. उनकी चूत से निकलती ये धार और उससे आनी वाली महक मुझे पागल सी कर रही थी. यह कामुक नजारा देख कर मेरा मन ये करने लगा कि मैं आयशा दीदी की चूत में मुँह लगाकर सारा मूत पी जाऊं. कुछ ही पल तक वे झरना देखने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा जैसे वे ये धार मेरी प्यास बुझाने के लिए ही निकाल रही हों. मैं बस उस धार को देखता ही रह गया. अब तक वैसे मुझे उनकी चूत के सही से दीदार नहीं हुए थे. दीदी ने सुसू करने के बाद खड़ी होकर अपनी पैंटी चढ़ाई और वापस मुझे लेकर कमरे में आकर बेड पर लेट गईं. दीदी को ये आभास हो गया था कि मैं उनको मूतते हुए देखकर काफी उत्तेजित हो गया था. अब मुझे लग रहा था शायद आज रात यहीं तक का सफर था. शायद मुझे दी की पैंटी के अन्दर का नजारा देखने को नहीं मिलेगा. उनकी पैंटी के अन्दर से आ रही महक अब मुझे और तेज़ आती सी प्रतीत हो रही थी और बेचैन कर रही थी. दीदी ऊपर देखती हुई एक हाथ से अपने मम्मों को सहला रही थीं और दूसरे हाथ से मेरा सर सहला रही थीं. मैंने थोड़ी चालाकी से उनसे पूछा- दी, आपने बच्चे की तरह दूध पीना तो सिखा दिया, लेकिन बच्चा पैदा करना तो सिखाया ही नहीं? दीदी समझ गईं कि अब ये मेरी चूत देखना चाहता है. तो दीदी ने कहा- हां लेकिन, तेरे पास वो तो नहीं है ना … जिससे पैदा होता है. ये कहकर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और दबाने लगीं. एक पल बाद उन्होंने कहा- अरे ये … ये तो अभी और लम्बा होगा. जब तू निकाह करने जाएगा, तब समझेगा. जैसे ही उन्होंने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को दबाया, मेरे होश उड़ गए. अब तक मैं चुदाई के मज़े से भी अनजान था. दीदी के हाथ मेरे लंड में लगते ही मेरे अन्दर जैसे करेंट सा दौड़ गया था. मेरा लंड खुद ब खुद हिलने लगा था और फनफनाने लगा था. वह कड़क होकर लोहे की रॉड बन गया था. आयशा दी को महसूस हुआ कि उनके दबाने से मेरा लंड थोड़ा सा मोटा और टाइट हो गया है. वे ये महसूस करते ही चौंक गईं और उठ कर बैठ गईं. उन्होंने मुझे पूरा लिटा दिया और वे गौर से मेरे लंड को देखकर धीरे धीरे उसे दबाने लगीं. वे मेरे लौड़े को ऐसे देख रही थीं, जैसे पहली बार किसी का लंड देख रही हों जो उनको इतनी अधिक रोमांचक वस्तु लग रही थी. हालांकि पहले भी कॉलेज से आने के बाद वे मुझे बिना पैंट के देख चुकी थीं लेकिन आज उनका ये रिएक्शन अलग ही था. मैंने देखा कि वे मेरे लंड के करीब आ गईं. बिस्तर की चादर से उन्होंने मेरे लंड को पहले पौंछा और अपनी जीभ को लंड की टोपी पर रख कर मेरी तरफ देखा. मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं उस रात जन्नत की सैर कर रहा हूँ. मैंने न जाने कैसे, दी के सर के ऊपर हाथ रख कर दबा दिया. ऐसा करते ही उनका सर अब पूरी तरह नीचे जा चुका था और मेरा लंड उनके मुँह के अन्दर की गर्मी का लुत्फ उठा रहा था. पहले तो उन्होंने अपने गले से खखारने की आवाज निकाली, शायद मेरे लंड से आ रही पसीने के स्मेल से ऐसा किया था. पर तब रुकने का होश किसे था. कुछ ही पलों बाद वे मेरे लंड को पूरी तरह अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. उनके जीभ की गर्म लार ने मेरे लंड को और बेबस कर दिया. पहली बार मेरे लंड को अहसास हो रहा था कि लड़की के मुँह के अन्दर का स्वाद कैसा होता है. दीदी ऐसा कर ही रही थीं कि मुझे लगा मेरे लंड के अन्दर से कुछ निकल जाएगा. उसी वक्त मेरे बदन में एकदम से बिजली सी कौंध गई. मैंने दीदी के सर को पीछे धकेलना चाहा पर दीदी तब तक मेरे लंड को बिल्कुल अपने मुँह के काबू में कर चुकी थीं. वे अपनी पूरी लज्जत से लंड चूस रही थीं कि तभी मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और मेरे जीवन का पहला गर्म वीर्य उनके मुँह में निकल गया. वे वीर्य कम से कम इतना था कि आधे वीर्य से दीदी का मुँह भर गया और बाकी आधा बाहर गिर गया. मैं जैसे सातवें आसामान में उड़ रहा था. मैंने दीदी को देखा. वे जैसे अपने मुँह में भरे वीर्य को बाहर थूकना चाहती थीं. मगर ऐसा करने से पहले ही वे खाँसने लगीं और कुछ ऐसा हुआ कि वे मेरे लंड से निकला सारा वीर्य निगल गईं. दीदी ने मदहोशी में अपनी आंखें मूँद लीं और अपने छोटे भाई के पहले वीर्य के स्वाद को आत्मसात करने लगीं. हम दोनों मदहोशी में इतने ज्यादा डूबे थे कि दीदी को वे वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. मुझे तो जैसे जन्नत के दीदार हो गए थे. मेरे वीर्य को निगल कर दीदी थक सी गईं और उन्होंने अपना सर मेरे लंड के ऊपर ही रख दिया. इससे ये हुआ कि मेरे लवड़े पर सफ़ेद गाढ़ा वीर्य गिरा था, वह उनके चेहरे पर लग गया. न जाने दीदी को वीर्य का टेस्ट इतना अच्छा लगा था या मदहोशी थी कि वे मेरे लंड और पेट पर पड़े वीर्य को चाटने लगीं और जीभ से सारा वीर्य कर साफ कर दिया. इस तरह से मैंने उस दिन आयशा दी को एक अलग ही मूड में देखा. वे कहने लगीं- क्या रे सलमान, तेरा पानी तो मैं पी गई. अब तुझे भी मेरा पानी पीना होगा, तभी हिसाब बराबर होगा! यह कहकर उन्होंने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी गोरी टांगों को फैला कर मेरे सामने लेट गईं. दीदी ने अपनी उंगली से इशारा किया- आ मेरे बच्चे, आ … अब इसको चाटने का मज़ा भी ले ले. उस वक्त बाहर काफी अंधेरा था लेकिन अन्दर लालटेन की रोशनी इतनी थी कि गोरी टांगों के बीच में मैं दीदी का काला सा वह अद्भुत खजाना देख रहा था. आयशा दी ने अपना ये खजाना अब तक कभी किसी को नहीं दिखाया था. जहां से उनका पेशाब निकला था, मैं उसके पास गया. आयशा दी ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत के सांवली रंग की कलियों को अलग किया, जिसके अन्दर मैंने पिंक सा गीला गीला सा वे अद्भुत नजारा देखा. दीदी ने कहा- सलमान, यहां चाट … अपनी जीभ लगा … आ जा जल्दी से! वे जैसे तड़फ रही थीं- देख सलमान, मेरी जान … यहां काटना मत … हां, वरना तेरी दीदी मर ही जाएगी, बस तू इसे चाट ले! यह कहते हुए उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया. मैंने जब उनकी चूत का पहला स्वाद अपने मुँह में लिया तो ऐसा लगा जैसे कोई नशा चखा हो! हाय … ये स्वाद मुझे पहले क्यों नहीं मिला! उनकी पेशाब का स्वाद अब भी उनकी चूत में बाकी था. दीदी की चूत में इतना गीलापन था कि मेरे होंठ तक गीले हो चुके थे. मैं पागलों की तरह चाटता गया. दीदी सिसकारियां लेने लगीं- आआअह आअ … मज़ा आ रहा है … आह मजा आ रहा रे … म्ह्म्म् रुकना मत … रुकना मत … तू पी ले ना मेरे राजा आह … ओह … इस्स्स्स्स … चाट और चाट … आह ऐसे चाट जैसे तुझे प्यास लगी हो … उम्ह्म्म् मेरे राजा … आह्ह! मैं कैसे रुकता. दीदी मेरा सर दबा रही थीं और मैं बिना हिले, लेटे लेटे हुए उनकी चूत की प्यास बुझा रहा था. ‘आअह काट ले साले तुझे काटना पसंद है ना कुत्ते … आह काट … तेरा ही माल है … जो मन करे, वे कर इसके साथ … आह हाय.’ दीदी अब चरम पर आ गई थीं; उन्होंने मेरा सर कसकर दबाया और अपनी जांघों से मुझे ऐसे दबोच लिया, जैसे कोई तकिया को दबाया हुआ है. फिर वे ऐसे मचलने लगीं जैसे उनकी जान ही निकल रही हो. मैंने महसूस किया कि उनकी चूत अब पहले से ज्यादा गर्म और गीली हो गई थी. फिर उन्होंने एक जोर सी सिसकारी ली और मेरा मुँह पूरा उनके रस से भर गया. मैं इतना मदहोश हो गया था कि सारा रस गटकने के बाद भी उनकी चूत को चाटता रहा. तब मैं पागल हो रहा था. आयशा दी अब थक चुकी थीं. आखिर में उन्होंने वहीं मेरे मुँह में पेशाब हल्का सा निकाल दिया, उसे भी मैं पी गया. अब मैं भी ऊपर से हट कर उनकी बगल में लेट गया. मैंने कहा- दीदी, आपने तो सिर्फ मेरा सफ़ेद जूस पिया था. मैंने आपका पानी भी पिया और सारा मूत भी गटक गया. हॉट दीदी बोलीं- हम्म … कैसा लगा तुझे? ‘मज़ा आ गया दी!’ सेक्सी दीदी बोलीं- आज के बाद ये बात किसी को नहीं बताना, समझे? ‘हां दीदी बिल्कुल.’ ‘और सुन, हम ये खेल अब से हमेशा ही खेलेंगे. तुझे जब मन करे, तू मेरा मूत और पानी पी लेना और मेरे साथ ही सोना.’ मैंने हां में हां मिलाई, आखिर मैंने उस चरम सुख को पा जो लिया था! उसके बाद दीदी ने कहा- अब बस कर … सो जा. कल तुझे इसके आगे का पाठ सिखाऊंगी, जिसमें बच्चा पैदा करने का तरीका बताऊंगी. मैंने कहा- ओके दीदी लेकिन अभी काफी समय बाकी है सुबह होने में … यदि आप चाहें तो एक घंटा आराम करने के बाद हम दोनों अभी ही बच्चा पैदा करने का तरीका सीख सकते हैं. दीदी ने हंस कर मुझे अपनी चूचियों में समेट लिया और हम दोनों सो गए. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:13 PM
मौसेरी बहन की चुदी हुई चुत की चुदाई
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:16 PM
(11-11-2024, 03:13 PM)neerathemall Wrote:अर्शिया ने हाल ही में 18 साल की उम्र पार की है और अभी वो 19 की हो चुकी है. अर्शिया काफी छोटे और फैशनबल कपड़े पहनती है. डीप क्लीवेज के टॉप पहनती है, जिससे उसके बड़े बड़े बोबे मस्त दिखने लगते हैं. इस पोजीशन में उसका क्लीवेज बहुत सेक्सी लगता है. अर्शिया की उम्र भले ही अभी 19 साल की है, लेकिन उसके फिगर से वो लगती नहीं है कि वो अभी सिर्फ 19 साल की है. उसका कामुक फिगर किसी 25 साल की लड़की जितना लगता है. मेरी मौसेरी बहन अर्शिया की चूचियों को देख कर उसकी ब्रा का साइज 30 इंच का तो पक्का होगा. उसकी गांड भी काफी बड़ी और बाहर को निकली हुई है. जब भी वो चलती है, तो उसकी गांड काफी मटकती है. अर्शिया एकदम गोरी-चिट्टी लड़की है और उसका चेहरा भी बहुत खूबसूरत है. उसे देख कर मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि अर्शिया के निप्पल भी रसीले होंगे और चुत भी गोरी होगी. ये सब सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. अर्शिया की गांड और बोबे देख कर ही अच्छे अच्छे लड़कों का पानी छूटने पर आमादा हो सकता है. उसकी मदमाती चूचियों और हिलती हुई गांड को देख कर मेरा लंड खुद भी कई बार पानी पानी हो चुका है. कई बार तो मैंने अर्शिया को सोच सोच कर मुठ भी मारी है. अर्शिया जब भी छुट्टियों में मेरे घर आती है, तो हम सब लोग काफी मस्ती करते हैं. अर्शिया भी बहुत मस्तीखोर है. उसके साथ जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:17 PM
अर्शिया जब भी छुट्टियों में मेरे घर आती है, तो हम सब लोग काफी मस्ती करते हैं. अर्शिया भी बहुत मस्तीखोर है.
उसके साथ मस्ती करते करते मेरी नजरें कई बार उसके बोबों पर चली जाती हैं और उसी वक्त मेरा लंड खड़ा हो जाता है. मस्ती मस्ती में कई बार तो मैं अर्शिया के बोबों को छू भी लेता और कई बार उसकी गांड को भी छू लेता था. अर्शिया का बदन काफी गदराया हुआ और सेक्सी था. मेरी चाहत तो अर्शिया के जिस्म को नंगा देखने की थी, पर वो ठहरी मेरी बहन … तो ऐसा हो पाना नामुमकिन था. एक दिन अर्शिया मेरे घरवालों से मिलने अपनी मम्मी के साथ मेरे घर आई. चूंकि इस बार अर्शिया बहुत दिनों बाद मेरे घर आई थी, तो उसका मन लग गया और उसने अपनी मम्मी के साथ अपने घर वापस जाने से मना कर दिया. अर्शिया की मम्मी भी मान गईं और वो अर्शिया को मेरे घर ही छोड़ कर चली गईं. अब अर्शिया मेरे घर पर ही थी और हम सब बातें करते हुए मस्ती कर रहे थे. यूं ही रात हो गई, तो हम सबने खाना खाया और सोने चले गए. मेरी मम्मी, मैं, अर्शिया और मेरी नानी हम सब नीचे फर्श पर बिस्तर लगा कर सो रहे थे. हमारे घर में एक ही रूम ऐसा है, जिसमें गर्मी के इस मौसम में चैन से सोया जा सकता था. इसलिए हम सब पास पास में ही सोते हैं. मेरी किस्मत अच्छी थी कि उस रात अर्शिया मेरे पास सोई थी. उसकी नजदीकी पाकर मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे थे. अर्शिया की मम्मी ने बातों बातों में एक दिन बताया था कि अर्शिया नींद की बहुत पक्की है. लेकिन एक बार अगर उसे नींद आ गई, उसके बाद तो कोई भी आकर उठाओ, वो कभी नहीं उठती है. सीधा सुबह ही उसकी आंख खुलती है. मौसी की बात उस वक़्त मुझे याद आ गई थी. मैं बहुत खुश हो गया था कि आज मुझे कुछ न कुछ तो जरूर करने को मिलेगा. उन दिनों गर्मी का टाइम था और अर्शिया अपने साथ कुछ भी कपड़े भी नहीं लाई थी. रात में पहनने के लिए उसके पास कुछ नहीं था. वो घर से भी जींस टॉप पहन कर आई थी. आपको तो मालूम ही है कि जींस एकदम चुस्त होती है और रात को काफी चुभती है … इसलिए जींस पहन कर तो सो ही नहीं सकते. अर्शिया ने मेरी मम्मी से कहा- मौसी मैं सोते समय क्या पहनूं? जींस में तो नींद ही नहीं आएगी. मेरी मम्मी सोचने लगीं. तो अर्शिया ने ही मम्मी को सजेस्ट किया कि मुझे आप अपना पेटीकोट दे दो, वो हल्का भी रहेगा और मुझे नींद भी आ जाएगी. मम्मी ने अलमारी से एक पेटीकोट अर्शिया को दे दिया. अर्शिया वही पेटीकोट पहन कर मेरे बाजू में सोई थी. ऊपर उसने टॉप पहना था, जो पहले से ही उसकी कमर से काफी ऊपर था. मतलब इतना ऊपर था कि उसकी नाभि भी साफ़ झलक रही थी. मैंने दिमाग में अभी यही सब चल रहा था कि मैं कैसे क्या करूंगा, अर्शिया को कब नींद आएगी … वगैरह वगैरह. जब रात को सब सो गए, तब मैंने अर्शिया को देखा, वो भी सो चुकी थी. मैंने उठ कर पक्का करने के लिए कि सब सोए या नहीं, मैं वाशरूम गया और वापस आकर सभी को देखते हुए पानी पिया. मेरी हलचल और आवाज से किसी का कोई रेस्पोंस नहीं आया तो मुझे समझ आ गया कि सब सो गए हैं. अब मुझे अर्शिया का भी पक्का करना था कि वो सोई या नहीं. मैंने उसको कंधे से थोड़ा हिलाया, लेकिन अर्शिया का कोई रेस्पॉन्स नहीं आया. मैंने फिर से कंधे को हिलाया, तब भी उसकी कोई हरकत नहीं हुई. इससे मुझे अर्शिया के सो जाने का मालूम चल गया था. अब मैं भी अर्शिया के पास अपने बिस्तर पर लेट गया. अर्शिया करवट लेकर सोई हुई थी और उसका मुँह भी मेरी तरफ था. मैंने मेरा सिर अर्शिया के तकिये पर धीरे से रख दिया. इस स्थिति में मेरे होंठ अर्शिया के होंठों के पास आ गए थे. मैं नींद में होने का नाटक करते हुए अपने होंठ अर्शिया के होंठों के और करीब ले गया. अर्शिया की गर्म गर्म सांसें मेरे मुँह को छू रही थीं. मैंने धीरे से अर्शिया के होंठों को चूम लिया और जल्दी से मुँह हटा कर अपने तकिए पर सिर रख कर सोने का नाटक करने लगा. मेर चुम्बन से अर्शिया हिली भी नहीं थी. मैंने आंख खोल कर देखा, तो अर्शिया जैसी की तैसी सोई हुई थी. मैं फिर से उसके तकिये पर अपने सिर को लेकर गया और इस बार मैंने उसके होंठों को जीभ से चाटा. अर्शिया फिर भी नहीं हिली. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:18 PM
अब मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई और मैंने अर्शिया के होंठ अपने होंठों में दबा लिए और उनको चूमने लगा.
अर्शिया ने लिपस्टिक लगाई हुई थी,जो मैं पूरी की पूरी चाट गया और अर्शिया के होंठों का टेस्ट भी मुझे आने लगा था. मैं एकदम ऐसे मदहोश हो गया था जैसे मैंने कोई नशा कर लिया हो. फिर मैं वापस मेरे तकिये पर चला गया. अब मेरी नज़र अर्शिया के बोबों पर थी जो उसके टॉप से ढके हुए थे. अर्शिया के टॉप की का गला काफी गहरा होने के कारण उसके बोबों के बीच की लाइन साफ़ दिख रही थी. वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी. अपने कांपते हुए हाथों को मैंने अर्शिया के बोबों की तरफ बढ़ाया और उसके टॉप के बटन खोलने शुरू किए. मैंने एक एक करके सारे बटन खोल दिए और टॉप को उसके बोबों के आगे से हटा दिया. अर्शिया का फिगर देखते ही मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया लेकिन मैंने कण्ट्रोल किया. उसने अन्दर ब्लैक कलर की बिना डोरी वाली ब्रा पहनी थी जो उसके मम्मों पर कसी थी. मैं अर्शिया की ब्रा के पास हाथ ले गया और धीरे धीरे ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को सहलाने लगा. मैंने अब भी उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो मैं दूसरे हाथ से अर्शिया के पेट और नाभि को सहलाने लगा. वो बेसुध सोई पड़ी थी. फिर मैंने एक उंगली अर्शिया की ब्रा के अन्दर दोनों बोबों के बीच में डाल दी और धीरे धीरे हिलाने लगा. अर्शिया के बोबे बहुत ही मुलायम और गर्म थे. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मुझे बस अर्शिया के बोबों को नंगा देखना था. अब तो मेरा से डर भी निकल गया था. अर्शिया की मम्मी सही बोल रही थीं कि अर्शिया नींद की बहुत पक्की है, एक बार नींद आने के बाद उसकी आंखें सीधे सुबह ही खुलती हैं. अर्शिया की ब्रा सिर्फ मम्मों पर टिकी थी, तो मैंने ब्रा को थोड़ा सा नीचे की तरफ खींचा, इससे उसकी ब्रा मम्मों से नीचे आ गई. उफ्फ … अर्शिया के मस्त बोबे मेरी आंखों के सामने नंगे हो चुके थे. उसके चुचे एकदम भरे हुए थे. मैं तो ख़ुशी से पागल हो गया था. थोड़ी देर तक तो मैं अर्शिया के बोबों को बस यूं ही निहारता रहा. अर्शिया के बोबे बड़े बड़े और एकदम गोरे थे. जितना मैंने सोचा था, उससे भी ज्यादा बड़े और गोरे थे और एकदम टाइट थे. निप्पल एकदम हल्के भूरे रंग के थे. कमरे में काफी रोशनी थी तो में अर्शिया के बोबे और भी ज्यादा चमक रहे थे. मैंने धीरे से अर्शिया के निप्पल को छुआ. फिर दूसरे निप्पल को छुआ. मेरी बॉडी में तो मानो करंट दौड़ गया था. मैंने अर्शिया के एक बोबे पर मेरा हाथ फैला कर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा. थोड़ी देर बाद दूसरा बोबा भी सहलाया और धीरे धीरे दबाया भी. अर्शिया को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो तो मानो घोड़े बेच कर सो रही थी. इससे मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई और मैंने थोड़ा जोर से बोबे दबाना शुरू कर दिए. कुछ पल बाद मैंने उसके पास जाकर बोबों पर किस भी किया और निप्पल को भी बहुत मजे से चूसा. अपनी बहन के दूध चूसते समय मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अर्शिया के बोबों से सारा दूध निकाल कर पी लूं. कुछ देर अपने मन की करने के बाद मैंने अर्शिया की ब्रा वापस ठीक की और टॉप के बटन भी लगा दिए. मेरा लंड एकदम लोहा हो गया था. मैं फिर से वाशरूम में जाकर मुठ मार कर वापस आया और उसकी तरफ मुँह करके लेट गया. अर्शिया के बोबों से खेलने का और उनको चूसने का मेरा एक सपना तो पूरा हो गया था. अब मुझे कुछ और भी चाहिए था, जिससे दिल में जल रही आग को शांत किया जा सके. अर्शिया ने एक पतली सी चादर कमर तक ओढ़ रखी थी. मैंने मेरा एक हाथ उस चादर में डाला और अर्शिया की चुत के पास ले गया. जैसे जैसे हाथ आगे बढ़ाया, वैसे वैसे अर्शिया की चुत की गर्मी का अहसास होने लगा था. अन्ततः मेरा हाथ अर्शिया की जांघों के बीच तक पहुंच गया लेकिन अर्शिया की चुत फील नहीं हो रही थी क्योंकि पेटीकोट अर्शिया की जांघों के बीच में काफी सिमट गया था और वो कपड़ा काफी मोटा होने के कारण चुत महसूस नहीं हुई. फिर मैंने धीरे धीरे से पेटीकोट को खींचा और अर्शिया की जांघों के बीच से पेटीकोट को छुड़ा दिया. अब वापस उसकी चुत की तरफ मैंने हाथ बढ़ाया. अब अर्शिया की चुत और मेरे हाथ के बीच पेटीकोट और एक पतली सी चड्डी थी. मैंने पेटीकोट के ऊपर से ही अर्शिया की चुत पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा. मुझे थोड़ा थोड़ा चुत का शेप महसूस हो रहा था. अर्शिया के दोनों पैर मिले हुए थे, मतलब एक के ऊपर एक पैर था इसलिए उसकी चुत एकदम सिकुड़ी हुई थी और एकदम मुलायम लग रही थी. मैंने वापस अपना हाथ पीछे कर लिया और उसका पेटीकोट पूरा खींच दिया, तो वो उसकी चुत से दूर हो गया. पेटीकोट हटाने के बाद मैंने अर्शिया की चादर को आगे से इतना ऊपर कर दिया जितने में मैं आगे से उसकी चुत को देख सकूं. फिर मैंने अर्शिया का पेटीकोट पकड़ा और धीरे धीरे उसे ऊपर करने लगा. धीरे धीरे अर्शिया की टांगें दिखीं, फिर अर्शिया की जांघें दिखीं. मैंने उसकी जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. अपनी बहन की जवानी से मुझे उत्तेजना के साथ डर भी लग रहा था कि कहीं कोई बवाल न हो जाए. मगर दोस्तो, जवानी में डर के साथ सेक्स का अलग ही मजा होता है. अगली बार मैं स्लीपिंग सिस्टर सेक्स कहानी को आगे लिखूंगा कि सेक्स हुआ तो कैसे हुआ. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2024, 03:20 PM
अर्शिया की जांघें एकदम मुलायम गोरी गोरी रेशमी लग रही थीं. मैंने पेटीकोट को और ऊपर किया तो अर्शिया की पैंटी साफ़ दिखने लगी.
फिर मैंने अर्शिया की पैंटी के ऊपर से ही उसकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया. जैसा कि मैं आपको पहले बता चुका हूँ कि अर्शिया की गांड भी बहुत बड़ी है. बहन की गांड सहलाते सहलाते मैं हाथ को आगे लाया और अर्शिया की जांघों के बीच में ले गया. अर्शिया की चुत एकदम भट्टी की तरह गर्म हो रही थी. मैं पैंटी के ऊपर से ही अर्शिया की चुत को सहलाने लगा. थोड़ी देर उसकी चुत से खेलने के बाद मैंने अर्शिया की चड्डी को उसकी चुत के आगे से थोड़ा हटाया और एकदम मेरी नज़र उसकी चुत पर जा पड़ी. उसकी चुत देखते ही मेरी धड़कनें बढ़ गईं. मैंने अपना हाथ पीछे कर लिया क्योंकि मेरा हाथ कांपने लगा था. दो मिनट बाद जब मैं नार्मल हुआ तो मैंने वापस अर्शिया की चुत से चड्डी हटाई और चुत को देखने लगा. उफ्फ क्या चुत थी मेरी बहन की … कोई भी देख ले तो लंड डाले बिना उसे चैन ना आए. मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था. मैंने मेरी चारों उंगलियां अब अर्शिया की चड्डी में डाल दी थीं और उसकी चुत को सहला रहा था. अर्शिया की चुत एकदम अमेरिकन लड़की जैसी थी, एकदम गुलाबी गुलाबी! चुत पर उगी हुई बारीक बारीक झांटें चुत की खूबसूरती को बढ़ा रही थीं. हाथ से अहसास हुआ कि मेरी मौसेरी बहन की चुत काफी मुलायम और चिकनी है. बहन की चुत के होंठ भी फूले हुए थे. उसकी चुत एक कमसिन कली जैसी अलसाई सी दिख रही थी. मैंने काफी देर तक उसकी चुत को सहलाया. और जब रहा न गया तो मैंने धीरे से उसकी चुत में अपनी एक उंगली डाल दी. जैसे ही मैंने चुत में उंगली डाली तो अर्शिया थोड़ी सी हिली … मैं झटके से पीछे हो गया. नींद में ही अर्शिया ने अपने पेटीकोट को थोड़ा नीचे किया और करवट बदल कर सो गई. मैं भी सोने का बहाना करके आंख बंद करके लेट गया. दस मिनट बाद मैंने वापस आंख खोल कर देखा तो अर्शिया मेरी तरफ अपनी गांड करके सोई थी. मैंने भी अर्शिया की तरफ करवट ले ली. एक बार फिर से थोड़ा ऊपर उठ कर सब लोगों को देखा, सब गहरी नींद में ही थे. अर्शिया को हिलाया, तो वो भी नींद में ही थी. अब मैंने मेरी कैपरी थोड़ी नीचे कर ली और चड्डी समेत अर्शिया की गांड से चिपक गया. अर्शिया का कोई रिएक्शन नहीं था. मैंने धीरे धीरे अर्शिया का पेटीकोट फिर से ऊपर उठाया और कमर तक ऊपर कर दिया. अर्शिया मेरे सामने फिर से चड्डी में थी और उसकी बड़ी सी गांड मेरे सामने थी. मैंने उसकी गांड पर मेरा लंड रख दिया. उसकी गांड और मेरे लंड के बीच दोनों की चड्डियां भर अवरोध थीं. मैं अपने लंड को धीरे धीरे उसकी गांड पर रगड़ने लगा लेकिन वो ज़रा भी नहीं हिली. इससे मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी. मैंने मेरे लंड को चड्डी से बाहर निकाल दिया और अर्शिया की चड्डी पर टिका दिया. मैं एक पल रुका और अर्शिया की गांड पर लंड रगड़ने लगा. फिर सोचा कि अब आगे कुछ ना करूं और सो जाऊं. लेकिन बाद में ये ख्याल भी आया कि अर्शिया रोज़ रोज़ नहीं मिलेगी, आज जो भी कर सकता है, कर ले. मैंने कमर से अर्शिया की चड्डी को पकड़ा और धीरे से नीचे को खींच दिया. अर्शिया की गांड का एक चूतड़ चड्डी से बाहर आ गया था. अब चड्डी भी लूज़ हो गई थी, क्योंकि वो एक तरफ से खुल गई थी, तो अब पूरी गांड खोलना आसान हो गया था. मैंने दूसरे चूतड़ की तरफ से भी चड्डी खींची, तो वो आसानी से खुल गई. फिर मैंने अर्शिया की चड्डी को घुटनों तक खिसका दी. अब अर्शिया की गांड और मेरे लंड के बीच कुछ भी नहीं था. मैं अर्शिया की तरफ खिसका और उसकी गांड की दरार पर लंड चिपका कर ऐसे ही लेट गया. अर्शिया की गर्म गर्म गांड मेरे लंड पर महसूस हो रही थी. मैंने मेरे लंड को गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया. मुझे ऐसा करते हुए बहुत मजा आ रहा था. मैंने थोड़ी हिम्मत और दिखाई और अर्शिया का पैर थोड़ा सा ऊपर उठा कर मेरा लंड अर्शिया की चुत के पास कर लिया. असली मजा तो मुझे अब आ रहा था जब मैं उसकी चुत पर लंड को रगड़ रहा था. मेरा लंड अर्शिया की जांघों को चीरते हुए अर्शिया की चुत तक जा रहा था और वो चुत से रगड़ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि अर्शिया अपनी जांघों से मेरे लंड की मुठ मार रही हो. मैंने फिर से अर्शिया के टॉप के बटन खोल दिए और ब्रा नीचे खिसका दी और उसके नंगे हो चुके बोबों को दबाने लगा. उसकी चुत पर लंड रगड़ने और बोबे दबाने का कॉम्बो मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था. मैं जोश में आ गया और मैंने अर्शिया की चुत के छेद पर लंड को सैट कर लिया. अब मुझे इस तरह से चुत में डालना था कि अर्शिया को पता न चले. मैंने लंड को चुत के छेद पर रखा और हल्का सा दबाव डाला. लंड ने ऑटोमैटिक अपना रास्ता ढूंढ लिया और फिसलता हुआ अर्शिया की चुत में घुस गया. सिर्फ लंड का टोपा ही अन्दर घुसा था. मैंने दबाव को बनाए रखा और लंड धीरे धीरे आधा घुस गया. फिर मैंने और दबाव नहीं डाला, बस रुक गया और अर्शिया के बोबों से खेलता रहा. अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने अर्शिया की चुत में झटके मारना शुरू कर दिए. मैंने 2-3 झटके ही मारे होंगे और दर्द की वजह से अर्शिया की नींद खुल गई. अर्शिया चौंक गई कि ये क्या हो रहा है. उसने एकदम से पलट कर मुझे देखा तो उसने पाया कि उसकी चुत की चुदाई हो रही है. चोदने वाला कोई और नहीं, मैं ही उसे चोद रहा हूँ. अर्शिया की समझ में नहीं आया कि अब वो क्या करे. वो धीरे से मुझसे बोली- क्या कर रहे हो भैया … मुझे दर्द हो रहा है. उसकी सॉफ्ट आवाज से मेरी हिम्मत बढ़ गई. मैंने अर्शिया से बोला- इसमें मेरी कोई गलती नहीं है अर्शिया. एक तो तू इतनी हॉट है और फिर तूने कपड़े भी ऐसे पहने हैं. अभी जब मैं पानी पीने उठा था … तो तेरा पेटीकोट हवा से तेरी कमर तक आ गया था. तुझे चड्डी में देख कर मेरे जज़्बात जाग गए. मैं क्या करता तू ही बता! अर्शिया को शायद लंड की गर्मी से चुत में सनसनी होने लगी थी. वो धीरे से बोली- अब क्या करना है? आप इसको मेरे अन्दर से बाहर निकाल दो, मैं किसी से कुछ नहीं बोलूंगी. मैं मायूस हो गया. मैंने अर्शिया को बोला- देख, मैंने इतना तो कर ही लिया है, पांच मिनट और करने दे बस प्लीज. अर्शिया बोली- यहां नहीं भैया, कोई जाग जाएगा तो प्रॉब्लम हो सकती है. आप बाहर वाले रूम में चलो, मैं वहीं आ रही हूँ. मेरी समझ में नहीं आया कि वो मान कैसे गई. लेकिन फिर मैंने सोचा वो भी जवान है, उसका भी ऐसा करने का मन होगा. मैंने वापस अपने कपड़े पहने और बाहर वाले रूम में जाकर अर्शिया का इन्तजार करने लगा. अर्शिया ने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर वाले रूम में आ गई. बाहर वाले रूम में पंखा ख़राब था … इसलिए वहां कोई नहीं सोता था. वहां भी एक पलंग लगा हुआ था और बिस्तर वगैरह सब कम्पलीट थे. अर्शिया ने रूम के दरवाजे में बाहर से कुण्डी लगा दी. अर्शिया कुण्डी लगा रही थी तभी मैंने अर्शिया को पीछे से दबोच लिया और उसके टॉप के बटन खोल कर बोबे दबाने लगा. मैंने उसकी ब्रा भी नीचे कर दी और फिर से बोबे दबाने लगा. दो मिनट तो अर्शिया ने मुझे अपने बोबे दबाने दिए लेकिन फिर वो बोली- ये सब करने में टाइम मत वेस्ट करो. जो करने आए हो … वो जल्दी से कर लो. सुबह होने वाली है … कोई भी जाग सकता है. मैंने बोला- अर्शिया प्लीज दबाने दे ना, तेरे बूब्स दबा कर बहुत अच्छा लग रहा है. अर्शिया बोली- अरे भाई समझो. आपकी एक रिक्वेस्ट मैंने मान ली. आपको 5 मिनट के लिए फ्री कर दिया. आपको जो भी करना है, वो आइटम आप मेरे अन्दर डाल कर जल्दी से कर लो. कुछ और नहीं करो. मैंने भी सोचा कि अभी जितना मिल रहा है, वो ही बहुत है. बाकी सब तो मैं वैसे भी कर चुका हूँ. मैंने बोला- ओके अर्शिया, कुछ और नहीं कर रहा हूँ. मगर जो करने आया हूँ वो तो कर लेने दे. अर्शिया बोली- हां कर लो जल्दी से. मैंने उसके लिए आपको कहां मना किया है. मैंने अर्शिया को पलंग पर लेटा दिया और उसका पेटीकोट ऊपर करके चड्डी खोल दी. मैंने अपनी चड्डी और कैपरी भी खोल दी और अर्शिया के पैरों के बीच बैठ कर अर्शिया की चुत पर लंड को रगड़ने लगा. फिर लंड को चुत में डाल कर अर्शिया के ऊपर लेट गया. फिर धीरे धीरे अर्शिया को चोदने लगा. अर्शिया अपने मुँह से एकदम धीमी आवाज में कामुक सिसकारियां निकाल रही थी- आअह्ह् … आआअ ह्ह्ह … भैया आराम से करो … आअ ह्ह्हह. मैं बोला- अर्शिया, तेरी चुत बहुत ही हॉट है और तेरे बोबे भी एकदम हॉट हैं. अर्शिया को शर्म आ गई, वो बोली- अच्छा ऐसा क्या खास है इनमें? मैंने बोला- तेरी चुत एकदम अमेरिकन लड़की की चुत जैसी है गोरी गोरी … और तेरे बोबे भी किसी मक्खन के गोले से कम नहीं हैं. मैं अर्शिया को चोदते चोदते उससे ये बातें कर रहा था और वो भी मुझे सीत्कारते हुए जवाब दे रही थी. मैंने अर्शिया से बोला- तूने पहले कभी सेक्स किया है? वो बोली- हां भैया आपने शायद नोटिस नहीं किया है, मेरी पुस्सी खुली हुई है, मतलब मेरी सील टूटी हुई है. मैं हैरान हो गया और वो भी मुस्कुरा दी. मैंने पूछा- किसने तोड़ी तेरी सील? वो बोली- मेरा एक बॉयफ्रेंड है, उसके साथ सेक्स किया था तो मेरी सील टूट गई थी. उस दिन मेरी पुस्सी से बहुत खून निकला था. इसके बाद मैंने अर्शिया के टॉप के सारे बटन खोल दिए और ब्रा भी नीचे खींच ली. अब उसने भी मुझे नहीं रोका. मैंने उसके बोबे दबाना शुरू कर दिए और चुत में जोर जोर से झटके मारना शुरू कर दिए. बहुत देर तक मैं अर्शिया की चुत चोदता रहा, अर्शिया भी गांड को हिला हिला कर अपनी चुत चुदवा रही थी. बीस मिनट की चुदाई के बाद मेरी बॉडी ऐंठने लग गई और एक तेज झटके के साथ मैं अर्शिया की चुत में ही झड़ गया. वो भी डिस्चार्ज हो गई और मैं अर्शिया के ऊपर ही लेट गया. हॉट सिस्टर सेक्स के दो मिनट बाद हम दोनों उठे तो अर्शिया ने मुझे लिपकिस किया और बोली- मेरे बॉयफ्रेंड के बारे में किसी को बताना मत! मैंने भी उसको बोला- तुम भी किसी को मत बताना कि मैंने तेरी चुदाई की है. वो हंस दी. फिर हम दोनों वापस रूम में जाकर सो गए. इसके बाद मैंने अर्शिया जब तक मेरे घर रही, उसकी चुत चुदाई का मजा लिया. वो भी मेरे साथ चुदाई का खुल कर मजा ले रही थी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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