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Adultery प्यार या धोखा
अध्याय 35
अजीब सी हालात थी,कविता और गौरव एक ही हॉस्पिटल में थे ,दोनों ही बेहोश थे ,गौरव की कही बातों ने शक की सुई कविता की ओर भी घुमा दी थी ,ऐसे कोई इस बात पर विस्वास नही कर पा रहा था की कविता ने गौरव को फसाया होगा क्योकि वो खुद इस हालत में पाई गई थी की वो खुद गौरव के रहमोकरम में पल रही थी,डॉ चूतिया अपने आप को सम्हाले हुए थे वो कविता का बदला लेना चाहते थे लेकिन ये भी जानते थे की कोई भी बात पूरी तरह से गलत या सही नही हो सकती ,गौरव की बात में भी कोई दम हो सकता है ,
क्या सही था और क्या गलत ये पहेली तो तब ही सुलझने वाली थी जब दोनों में किसी को होश आये और वो बात करने की हालत में रहे ,कविता को होश तो आता था लेकिन उसकी कंडीशन में सुधार नही हो पा रहा था ,कई मनोचिकित्सक उसकी हालत को सुधारने की कोशिस कर रहे थे ,लेकिन उसकी हालत ऐसी थी की उसे बेड़ियों में बांध कर रखना पड़ रहा था,यही हाल गौरव का भी था ..
लोगो के पास एक ही ऑप्शन बचा हुआ था वो था इंतजार ….
डॉ चूतिया अभी गौरव के कमरे में थे जब उसे होश आया साथ ही पूर्वी और सपना भी थे,
गौरव कुछ देर तक उसे देखता रहा फिर बारी बारी से उसने पूर्वी और सपना को देखा ,अभी उसकी हालत तो ठीक थी लेकिन उसके हाथो और पैरों में अब भी बेड़िया थी ….
उसे खुद पर या ना जाने किस चीज पर लेकिन रोना आया वो रोते हुए डॉ चूतिया को देख रहा था ……
“मुझे माफ कर दो मेरे दोस्त की मैंने तुम्हे असलियत नही बताई,लेकिन मैं कविता के प्यार और उसे लेकर अपने  हवस के हाथो मजबूर था,इससे अच्छा मेरे लिए क्या हो सकता था की वो तुम्हारा प्यार ठुकरा कर मेरे साथ आ जाए लेकिन उसने भी जो किया वो उसकी मजबूरी थी ,वो तो उस तलघर में टेस्ट करने के लिए गई थी,हम दोनों ही इस चीज के लिए सालों से प्लान कर रहे थे तभी वो फ़ोटो भी हमारे हाथ लगी थी,कविता  तीनो बिजनेसमैन से नफरत करती थी क्योकि उसका मानना था की उन लोगो के कारण ही उसके पिता की जान गई है ,गोवा में वो पहले भी रह चुकी थी यंहा से हर एक चीज से वाकिफ थी उसे पता था की जो बंगाल वो खरीद रहे है वंहा एक तलघर भी है क्योकि पहले वो बंगला उसके किसी परिचित का ही था ,उसने सबसे छुपकर मेरे साथ उस तलघर को एक लेब में बदल किया और फिर तुमसे झूठ बोलकर हम दोनों अक्सर वहां आकर अपना प्रयोग करने लगे ,कविता ने कभी मेहनत को नही दिखाना चाहती थी वो तुम्हे इसका रिजल्ट दिखाना चाहती थी लेकिन ...लेकिन यंही उसने बड़ी गलती कर दी उसने अपने टेस्ट से निकले हुए नए दवाओं को खुद पर ही प्रयोग कर लिया और उसकी हालत बेहद ही खराब हो गई उसने वो शक्ति तो पा ली जिसके कारण वो दवाई बना रही थी लेकिन उसे सहने की क्षमता विकसित नही कर पाई ,वो लगभग पागल सी हो गई,वो बाहर नही आ पाती थी उसे बेहद ही शांत और अंधेरे से भरा कमरा ही चाहिए था,उसके सुनने और देखने और विचारों करने की शक्ति इतनी बढ़ गई की सामान्य मनुष्य की दृष्टि में तो वो कोई देवता की तरह ताकतवर हो गई लेकिन थी तो वो एक सामान्य सी इंसान ही जो उस शक्ति के लिए नही बनी थी ,उसने दिन रात एक कर दिया ताकि उस दवाई को परफेक्ट बना सके और उसकी शक्तियों को इंसान के काबू में लाने और उसके मनमुताबिक उसे बढ़ाने घटाने की क्षमता विकसित हो सके लेकिन बार बार के प्रयोगों से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा था,उसने मुझे मना किया था की मैं तुम्हे कभी उसके बारे में नही बताऊँ तो मैंने वो शेख वाली कहानी गढ़ दी ताकि किसी को भी ये शक ना हो की कविता आखिर कहा है ,दवाओं के बुरे असर से कविता मेरे ऊपर ही डिपेंड होने लगी थी ,उसकी हालत जानवरो जैसी हो रही थी और पागलों की तरह विहेब करने लगी थी ,पहले पहल तो उसने खुद को सम्हाल लिया था लेकिन धीरे धीरे वो उस ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए सेक्स का सहारा लेने लगी ,पहले तो मेरे लिए ये कोई वरदान सा था लेकिन बाद में मेरे लिए उसे सम्हालना भी मुश्किल हो गया,वो जानवर थी और जानवर ही बन गई थी ,वो मेरी दासी जैसे रहे लगी क्योकि हर चीज में उसे मेरी जरूरत थी,वक्त बीत रहा था ,उसने मुझे बताया था की उसके नोट्स की कुछ कापियां मालती के पास भी है ,हमे लगा की शायद वही वो चीजे है जो इस फार्मूले को फरफेक्ट बना पाएंगे ,लेकिन नही मैं गलत था,फिर पूर्वी मेरे जीवन में आयी पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया,मैं वासना का शिकार था मैं दो लड़कियों से संबंध में था लेकिन पहली बार मुझे लगा की सच्चे प्यार की बात ही कुछ अलग होती है ,लेकिन पूर्वी को पाने में सबसे बड़ी बाधा तो मालती खुद थी और साथ ही कविता,तब तक कविता अपने अतीत को भी भूल चुकी थी मेरे लिए वो बस एक बोझ थी जिसे मैं ढो रहा था,लेकिन कही ना कही मैंने उससे प्यार किया था और मैं किसी भी हालत में जिंदा रखना चाहता था,मुझे उमीद थी की एक दिन मैं ऐसा कुछ बना ही लूंगा जिससे मैं कविता को फिर से ठीक कर सकू लेकिन मैं जानता था की मैं उसके जैसा बुद्धिमान नही हु जब वो ये नही कर पाई तो मैं कैसे कर पाऊंगा,लेकिन मैंने कोशिस जारी रखी मेरे साथ सपना थी ,मालती थी जो दोनों ही टैलेंटेड थी ,मैं इसी उम्मीद में जुटा रहा की एक दिन मैं कुछ कर पाऊंगा ,मैंने पूर्वी से प्यार किया उससे शादी की सब कुछ ठीक था लेकिन फिर पूर्वी तुमसे मिली ….
और उसके विचारों में परिवर्तन आने शुरू हो गए ,वो मुझे शक के निगाहों से देखने लगी ,मुझे तो इन चीजो पर पहले भी शक हो रहा था लेकिन मैं चुप रहा,क्योकि मुझे लगता था की पूर्वी और मेरे बीच जो प्यार है वो थोड़ी मोड़ी बातों से नही टूटेगा लेकिन शायद मैं गलत था ,तुमने अपना दिमाग और ज्यादा लगाया और रफीक को यंहा शेख का बेटा बना कर ला दिया,मुझे पता था की शेख का इन सबसे कोई संबंध नही था,क्योकि शेख तो कब का जा चुका था लेकिन मैं बोल भी तो कुछ नही पा रहा था,मेरे पीछे  कविता का वचन था और सामने पूर्वी का प्यार ,मैं तो खुद में ही फंसा हुआ इंसान था,कविता को मैं दुनिया के सामने नही ला सकता था तुम्हे नही बता सकता था और तुम थे जो मुझे ही कविता का कातिल माने बैठे थे,मैं जानता था की तुमने रफीक को यंहा क्यो लाया है क्योकि तुम्हे लगता है की मैं ही कविता का कातिल हु जिसने कविता को मार कर कही गायब कर दिया होगा और फिर शेख का नाम लगा दिया,मैं ये भी जानता था की मेरी इस थ्योरी पर दुनिया भले ही यकीन कर ले लेकिन तुम नही करोगे ,तुमने मुझसे दोस्ती तोड़ दी और फिर मेरी बीवी को अपने जाल में फसाने लगे ,तुनमे पूर्वी को बताया की तुम और कविता कैसे एक दूसरे को प्यार करते थे और फिर मेरे कारण तुम अगल हुए,पूर्वी भी शायद तुम्हारी बातों में आ गई लेकिन वो खुद को कन्फर्म करना चाहती थी ,वो भी इस खेल में शामिल हो गई ,सभी बस तुम्हारे बिछाए मोहरे बन कर रह गए थे लेकिन मैं अपने काम में ही लगा हुआ था,तुम लोगो ने तो मुझे जलाने में भी कोई कसर नही छोड़ी पूर्वी की केमेस्ट्री रोहन और रफीक के साथ ऐसे बिठाने की कोशिस की कि मैं जलकर कुछ ऐसा कर जाऊ की मेरे गुनाह तुम्हारे सामने आ जाए ,तुम सही भी थे मैंने कुछ ऐसा किया भी,मैंने अपने प्रयोगों को तेजी दे दी लेकिन जो रिजल्ट मेरे सामने आया वो खतरनाक था,
मैंने पहले खुद के सेफ्टी की सोची और सपना को किसी डॉ का इंतजाम करने को कहा,और फिर डॉ के सामने ही उस दवाई की डोस ली जो मैंने कविता के पुराने फार्मूले में जरूरी बदलाव करके बनाया था,मुझे कुछ भी नही हुआ लेकिन मैं उसकी शक्ति को महसूस करने लगा मुझे लगा की मैंने इसे फरफेक्ट बना लिया है लेकिन मैं गलत था,घर आकर मुझे वो सब होने लगा जो मुझे नही होना था ,अत्यधिक गुस्सा,जो कविता के बनाये फार्मूले में नही होता था लेकिन मैं एक अजीब सा जानवर बनने लगा,मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं इस पूरे दुनिया को ही नष्ट कर दु,मेरे सामने वो सब चीजे चलने लगी जो पूर्वी और तुमने मुझे जलाने के लिए किया था मैं पूर्वी के लिए गुस्से से भरने लगा था,उसी पूर्वी के लिए जिसे मैंने जीवन में सबसे ज्यादा चाहा था,मेरी शक्तियां तो मेरे कंट्रोल में थी लेकिन मैं खुद के  कंट्रोल में नही था….
बाकी जो भी हुआ तुम जानते हो ,मैंने सोचा था की ये दवाई बेड इफेक्ट नही दिखाएगी लेकिन जैसे जैसे मैं अपने को शांत करने के लिए शराब पीता गया मेरे अंदर वो इफेक्ट आने शुरू हो गए जो मैंने कविता के अंदर देखे थे,मैं बुरी तरह से डरा हुआ था साथ ही मैं बेहद ही गुस्से में भी था,मुझे तो तुरंत ही गोवा निकल जाना था लेकिन मैं पूर्वी से मिले बिना नही जाना चाहता था,पहले तो मैंने सोचा था की मैं वो गलती नही करूंगा जो कविता ने की थी ,तुम्हे बिना बताए ही गायब हो गई थी लेकिन शाम होते होते मैं खुद ही एक शैतान में तब्दील हो चुका था...मुझे फिर से दवाई की डोस लेनी पड़ी ,सब ठीक हो गया लेकिन गुस्सा और भी बढ़ गया ,कही ना कही मेरा दिमाग ये समझ रहा था की ये गलत है इतना गुस्सा गलत है मैं शैतान बन रहा हु लेकिन मेरा खुद पर से काबू हट रहा था ,और फिर जो हुआ वो तुम जानते ही हो ,तुमने तो उस तलघर में रखे पूरे फार्मूले और दवाइया जला दिया और मैं इस हालत में पहुच गया जिसमे कभी कविता जीती थी,उसके पास थो वो तलघर था जंहा वो दुनिया से छिपकर रह सकती थी लेकिन मेरे पास तो कुछ भी नही बचा था,मुझे आशा की एक ही उम्मीद दिख रही थी वो थी पूर्वी ...ना जाने मुझे अब भी यकीन था की इतना सब कुछ होते हुए भी पूर्वी के दिल में मेरे लिए प्यार है और मैं सीधे उसके पास चला आया,मेरा दिमाग इतना तेज काम कर रहा था की कोई भी बाधा कही भी मुझे रोक नही पाई लेकिन शरीर काम करना बंद करने लगा था,मुझे नींद चाहिए थी एक बेहोशी चाहिए थी जिसके बाद मेरा इलाज शायद संभव हो सके ….ह्म्म्म अब ठीक लग रहा है …….”
गौरव की बात सुनकर सभी चुप थे ,गौरव की आंखों में पानी था वही पानी डॉ चूतिया और पूर्वी के आंखों में था ,दोनों ने ही गौरव को कितना गलत समझा था,हा वो गलत तो था लेकिन कितना ये तो कविता के जगाने के बाद ही पता चलता…
इतना तो साफ था की उन्होंने जितना बुरा उसे माना था वो उतना बुरा नही था ,उससे गलती तो हुई थी और सबसे बड़ी गलती थी की उसने कविता का राज डॉ से छिपाया था भले ही कविता के ही कहने पर लेकिन कही ना कही उसके  खुद का भी तो स्वार्थ था ,उसने पूरी ताकत  कविता को ठीक करने के लिए लगाई थी लेकिन खुद ही फंस गया था ,सब कुछ पता होने के बाद भी वो उस खेल में सबको जितने दे रहा था ,चाहे रफीक का आना हो या सपना का उसे लुभाना या पूर्वी का रोहन और रफीक की ओर आकर्षण हर खेल उसे ही बहकाने के लिए खेला जा रहा था और वो सबको चुपचाप देखता हुआ बस अपने काम में लगा हुआ था,कमरे में घनी शांति थी किसी को कुछ भी समझ नही आ रहा था की उससे क्या कहे ,वो दोषी था भी की नही और था तो किस चीज का ये कोई भी तय नही कर पा रहा था ……….
“मेरी कविता अब भी बेहोश है गौरव …और तुमने जो किया वो माफी की काबिल नही है,तुमने मेरे प्यार को मुझसे छीन लिया अरे मैं भी तो तेरा दोस्त था,इतना तो मुझपर भी भरोसा करना था की मैं कविता की हिफाजत तुझसे ज्यादा कर पाता,लेकिन तू तो उसे अपनी गुलाम बना कर रखना चाहता था “
डॉ ने हल्के से कहा
“तेरी बात सही है डॉ लेकिन पूरी तरह से नही ,मैं शुरवात में ही ऐसा सोचता था लेकिन बाद में कविता को ठीक करना और उसको दिए वचन की रक्षा करना ही मेरे लिए महत्वपूर्ण रह गया था,वो मेरा भी प्यार थी ,हा मैं मानता हु की उसके लिए मेरे दिल में प्यार कम और हवस ज्यादा था लेकिन एक समय के बाद वो मेरे लिए मेरी जिम्मेदारी बन गई थी ,मैं उससे सिर्फ शाररिक सुख नही चाहता था ,असल में मैं उसके हालात बिगड़ने के बाद से मैंने कभी उससे संबंध नही बनाये लेकिन वो ऐसा व्यवहार करने लगी थी और उसे सम्हालने के लिए मुझे उसके साथ ऐसा व्यवहार करना पड़ता था,वरना वो आक्रामक हो जाती ,हा मैं गलत तो हु डॉ और जो सजा तूम और कविता मुझे देना चाहो मुझे मंजूर है…”
डॉ चूतिया कुछ भी नही बोल पाया …
**************
दो महीने हो चुके थे ,गौरव की हालत बहुत ही अच्छी हो चुकी थी वो अब हॉस्पिटल से भी बाहर आ चुका था और अपने काम में लग चुका था लेकिन कविता के हालत में कोई सुधार नही हुआ था,गौरव को अभी तक कोई भी सजा नही दी गई थी उसके ऊपर लगे सभी चार्जेस भी हटा दिए गए थे ,पूर्वी अब अपने पिता के साथ ही रह रही थी और गौरव अपने पुराने घर में ,दोनों मिलते थे सामान्य रूप से बाते भी करते थे लेकिन अभी भी पूर्वी अभी भी  गौरव को लेकर कोई मजबूत फैसला नही ले पाई थी और गौरव भी इस चीज को समझता था,अब उसे बस कविता के सही स्तिथि में आने का इंतजार था ,क्योकि शायद उसके ठीक होने पर ही चीजे सामान्य हो सके ,उसने और सपना ने फैसला किया था की वो कविता को ठीक करने के लिए जी जान लगा देंगे ,उन्होंने कविता के ब्लड का सेम्पल लेकर उसपर रिसर्च करना शुरू किया,इस बार उन्होंने एक मजबूत टीम बनाई और कुछ पाने के लिए नही बल्कि उन साइड इफेक्ट्स को हटाने के लिए मेहनत करनी शुरू कर दी,उसके टीम में कई क्षेत्र के लोग थे जिनमे  अधिकतर  डॉ और  वैज्ञानिक थे,इसके साथ ही विहेवियर साइस से जुड़े हुए लोग भी शामिल थे .ठीक होने के बाद से ही गौरव इस प्रोजेक्ट में भिड़ा हुआ था,पूरी फंडिंग कपूर साहब कर रहे थे शायद उन्हें भी अपने अतीत की गलतियों का अहसास था और ये उसे सुधारने की ही एक कोशिस थी …
2 महीनों के अथक प्रयास और कई टेस्ट के बाद कविता के स्तिथि में सुधार आनी शुरू हो गई ,यंहा सभी अपना पाप ही तो धो रहे थे ,कविता का अच्छा होना कई लोगो के  पापों से मुक्ति का पर्याय थी,हर बार कविता की स्तिथि थोड़ी ठीक होती और खुशी और उम्मीद की लहर दौड़ जाती थी ,
हॉस्पिटल में डॉ चूतिया कविता के पास ही बैठा था वो अभी बेहोश थी अधिकतर समय वो सोते ही रहती थी क्योकि ये उसके लिए सबसे जरूरी था,अचानक उसे थोड़ी हलचल महसूस हुई कविता उठाने वाली थी ,महीनों से यही चल रहा था ,हर बार कविता होश में आती और डॉ चूतिया इसी उम्मीद से उसे देखता की इस बार उसकी कविता उसका नाम लेकर पुकारेगी लेकिन हर बार मायूसी ही हाथ लगती थी ,वो ज्यादा शांत तो हो रही थी लेकिन अभी भी किसी को नही पहचान पा रही थी ,लेकिन डॉ चूतिया फिर से उम्मीद लेकर वंहा पहुच जाता चाहे उम्मीद टूटे या पूरा हो उम्मीद बाकी थी ये भी क्या कम था…
“तुम ..”
कविता की आंखे डॉ चूतिया पर ही टिकी थी ,डॉ की आंखों में आंसू था उसे लगा जैसे कविता की आंखे उसे पहचानने की कोशिस कर रही है ..
“मैं तुम्हारा चुन्नी हु कविता ,क्या तुम्हे याद है “
“चुन्नी ..???”
कविता की आवाज बेहद ही कमजोर थी लेकिन उसकी आंखों में एक आश्चर्य था ,वही आश्चर्य डॉ चूतिया के लिए आशा की एक किरण थी ..
“तुम्हारा चुन्नी ..तुम्हारा चूतिया ..याद है तुमने ही तो मुझे ये नाम दिया था तुम ही तो हो जिसने मुझे चुन्नीलाल से चूतिया बनाया था ..याद है तुम्हे कविता ..”
डॉ का गाला भर चुका था,उसके आंखों से आंसू झर रहे थे…
“ह्म्म्म याद है शायद ,तुम्हे देखा है कही “
डॉ के रोम रोम में जैसे करेंट सा दौड़ गया ,उम्मीद और उमंग का करेंट उसकी कविता को वो याद आ रहा था ..
“मेरी जान ..”वो फफक पड़ा था..उसने अपना सर कविता के पेट में रख दिया था
“तुम रो क्यो रहे हो चुन्नी ..”कविता का हाथ डॉ के सर में आ गया वो उसे सहला रही थी ,कविता को एक महीने पहले ही बेड़ियों से आजाद कर दिया गया था अब वो आक्रामक नही थी लेकिन उसे कुछ याद भी नही था,वो अब चल फिर रही थी लेकिन अजीब सी दुनिया में खोई रहती थी …
कविता के मुह से अपना नाम सुनकर डॉ को ऐसा लगा जैसे उसकी दुनिया फिर से गुलजार हो गई हो ..
“मैं तुम्हारा चुन्नी हु कविता “
उसने सिसकते हुए कहा
“पहचाने से तो लगते हो “
कविता के होठो में इतने दिनों में पहली बार मुस्कान खिली थी ,वो दोनों वंहा से उठे और कविता के साथ वो हॉस्पिटल के गार्डन में पहुच गया..जिसने भी उन्हें देखा उनके होठो में मुस्कान खिल गई ,वंहा काम करने वाले सही कविता के करुण कहानी से वाकिफ थे साथ ही डॉ के प्यार को भी महसूस कर पाते थे जो की महीनों से दिन रात बस उसके साथ ही रहता था..
आज कविता के होठो में मुस्कान थी उसे लग रहा था जैसे वो किसी नींद से जगी हो और किसी अपने का साथ उसे मिल गया हो वही डॉ तो बस कविता के सुधारते हालात से ही खुश था,वो गौरव और सपना के अथक मेहनत की भी तारीफ करता नही थकता,उसके दिल में अब गौरव के लिए कोई भी द्वेष नही था उसे तो बस अपनी कविता वापस चाहिए थी ………
शाम का वक्त था और सूर्य खुद को छिपा रहा था उसकी लालिमा कही दूर बदलो से छनकर आ रही थी ,दोनों उसे ही देख रहे थे…
“क्या तुमने ऐसा नजारा कही देखा है …..”
डॉ की बात सुनकर कविता के आंखों में आंसू आ गए
“समुंदर का किनारा था,मैं रेत में बैठी थी सामने विशाल समुद्र में सूर्य ऐसे ही ढल रहा था,कुछ याद आ रहा है की किसी ने मेरा हाथ ऐसे ही पकड़ा था जैसे अभी तुमने पकड़ा है ,मैं उस प्यार भरे स्पर्श को कैसे भूल सकती हु ,”
कहते कहते कविता की आंखे भीग गई ,उसने मुड़कर देखा ये वही शख्स था जो उसके साथ बैठा था उसके होठो में वही प्रेम से भरी हुई मुस्कान खिली हुई थी ,कविता को याद तो अभी भी कुछ नही था लेकिन उसके नैनो से आंसुओ के झरने बहते गए दोनों ही एक दूसरे को देख रहे थे ,कविता उस समय उस शख्स के हाथो के स्पर्श में भरे हुए प्यार की तुलना अभी इस शख्स के हाथो के हाथो में भरे हुए प्रेम से कर रही थी वो दोनों की समानता को अनुभव कर पा रही थी ,ना जाने क्यो वो रो रही थी,उसे देखकर डॉ की भी हालत वैसे ही थी,कुछ अनजान सा कविता के अंदर से टूट रहा था और कुछ अपना सा उसके अंदर जाग रहा था…
ना जाने कितनी देर तक वो दोनों ही यू रो रहे थे,कविता उसके सीने से खुद को लगाकर घण्टो तक आंसू बहती रही ,वहां मौजूद हर शख्स की निगाह उनपर ही टिक गई थी,फोन की घंटियां बजने लगी थी जिसे भी ये सूचना मिल रही थी वो अपना सारा काम धाम छोड़कर भागा हुआ हॉस्पिटल पहुच रहा था,1 ही घण्टे में सभी लोग वंहा मौजूद थे,गौरव कुछ आगे बढ़ा लेकिन किसी ने उसका हाथ पकड़ कर रोक दिया ..
“रोने दो उसे जो दुनिया की कोई दवाई नही तोड़ पाई शायद वो दीवार प्रेम के वार से टूट जाए,शायद रोकर वो सब कुछ बहा ले जाए जो कविता के अवचेतन को बांधे हुए है “
एक मनोचिकित्सक ने कहा और गौरव वही रुक गया सभी कविता का रोना खत्म होने के इंतजार में थे और उन्हें अकेला छोड़ दूर बैठे देख रहे थे,,,डॉ के सीने में छिपी हुई कविता अलग हुई लेकिन डॉ उसे छोड़ने को तैयार नही था ,आखिर वो अलग हुए दोनों ने एक दूसरे को देखा ,जंहा डॉ के होठो में मुस्कान थी वही कविता के चहरे में एक आश्चर्य था…
“चुन्नी क्या हुआ था मुझे ,ऐसा लग रहा है जैसे किसी गहरी नींद से जागी हु ...कहा है हम और तुम ???मैं तो गौरव के साथ थी ना..?? क्या उसने उस फार्मूले को सुधार लिया ,क्या गौरव ने वो काम पूरा कर लिया जो मैंने उसे दिया था ..”
कविता आसपास को देख रही थी वही डॉ ने उसे और भी जोरो से जकड़ लिया वो फफक कर रो पड़ा…
“तुम लौट आयी कविता तुम लौट आयी……”
सब कुछ कविता के समझ के पर था लेकिन उसे अहसास था की कुछ अनहोनी हुई है ,उसे आखिरी बार की जो याद थी वो गौरव के साथ तलघर में बिताए हुए कुछ समय थे ,उसके आंखों में कुछ दृश्य नाच गए और वो कांप सी गई ,उसे महसूस हुआ की कोई बुरा सपना जैसे अचानक से खत्म हो गया हो ………..
************
कविता ठीक हो चुकी थी उसके साथ जो भी हुआ उसे बताया गया,वो ही उस दवाई की जननी थी और शायद यही कारण था की उसने गौरव को माफ कर दिया था,बल्कि उसने गौरव का शुक्रिया अदा किया की उसने कविता को इतने दिनों तक बचा कर रखा ,उसकी हिफाजत की और उसे ठीक करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया,कविता के माफ कर देने के बाद डॉ के लिए गौरव को कहने के लिए कुछ बचा ही नही था,बस उसने गौरव से माफी मांगी क्योकि उसने गौरव को गलत समझा था,पूर्वी और गौरव अब साथ हो चुके थे वही रफीक और बल्ला अपने घरों को निकल गए लेकिन इस बार गुंडे बनकर नही बल्कि रोहन ने उन्हें अपनी कंपनी में जॉब दे दिया था और उन्हें उनके ही शहर का मार्केटिंग हेड बना दिया था…
सभी खुश थे सिवाय सपना और रोहन के ..
वो दोनों अभी अभी अपने जिस्म की आग को शांत कर सिगरेट पी रहे थे…
“यार रोहन सब ठीक हो गया लेकिन हमारी जिंदगी ही खत्म हो गई “
“क्यो???”
“अब मैं पूर्वी से कभी नफरत नही कर पाऊंगी ,किससे कंपीटिशन करूंगी अब ??”
“हा यार साला मैं भी अब किसे लाइन मारूंगा...एक उम्मीद थी वो भी गई “
“अब क्या करे यार ??”
रोहन बहुत देर तक सोचा
“क्यो ना हम दोनों शादी कर ले ??”
सपना ने रोहन की ओर बड़े ध्यान से देखा और जोरो से हँस पड़ी
“चुप साले ,माजक की भी कोई हद होती है “
“मैं मजाक नही कर रहा हु ,सोच ना हम दोनों एक ही जैसे है ,सालों हो गए एक दूसरे के सिवा किसी के साथ सोए भी नही है ,और अगर सो भी जाते तो कोई प्रॉब्लम नही होगी ..हमारी आदतें भी एक सी है ,और मैं तुझसे प्यार भी तो करता हु …”
“कब से “
“हमेशा से तू मेरी सबसे अच्छी दोस्त है “
सपना सोच में पड़ गई थी
“देख सपना हम दोनों एक दूसरे के जैसे है ,और एक दूसरे को समझते भी है ...आज तक हम कभी लड़े क्या??..हम एक दूसरे के लिए फरफेक्ट है बे “
सपना के होठ में मुस्कान आ गई
“क्या हुआ …???”
“इसी बात पर हो जाए एक बार और “
सपना ने मुस्कुराते हुए कहा ……..
*************************
समाप्त
[+] 1 user Likes Chutiyadr's post
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Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
दोस्तो इस तरह ये स्टोरी यही पर समाप्त होती है ....
मेरी अन्य स्टोरीज को पढ़ने के लिए कृपया xforam.com में पधारे क्योकि दूसरी स्टोरी वही पर पोस्ट कर रहा हु ......
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Thanks, after so many twists and turns, the thriller completes...
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(31-07-2019, 01:31 PM)koolme98 Wrote: Thanks, after so many twists and turns, the thriller completes...

Dhanyawad dost
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Koi movie dekhne jaisa fill hua .
Kya thrill hai bhai story me.
Very nice
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