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बदल गए बालम
किचेन में मैं बोली ,
" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "
....
आधे घंटे के बाद वो किचेन से निकले , आमलेट और एक प्लेट में लम्बी कटी रसीली आम की फांके।
सुनहली , एकदम परफेक्ट कटी हुयी।
तिरछी निगाहों से मैं देख रही थी कैसे मजे से वो मजे ले ले के चाट रहे थे ,सड़प सड़प कर ,आम की फांक।
"क्यों मजा आ रहा है चूसने चाटने में ,…"
मैंने पूछा।
और मुझे देख के मुस्करा के , वो फिर चाटने में लग गए।
" मेरी मानो ,… तेरे उस माल की न , उस की भी चूसने चाटने में ऐसा ही मजा आएगा। खूब रसीली , चिकनी है उसकी।
उन्होंने जोर से ब्लश किया ,लेकिन मैं चालू रही,
" मालूम है , आम को चूत भी कहते हैं। "
मुझे अंदाज था उन्हें कैसा लग रहा होगा , लेकिन बिना उन्हें कुछ सोचने बोलने का मौक़ा दिया मैं बोली ,
" अरे जरा एक लंगड़ा फ्रिज से ले आना ,अच्छे से छील के ,.... "
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चेंज पर चेंज
वह ले आये और हम दोनों ने मिल बाँट कर खाया।
ब्रेकफास्ट के बाद मैं फिर बेडरूम में गयी , और पीछे पीछे वो ,अच्छे बच्चे की तरह ,
बिस्तर पर उनकी रात की पहनी साडी पड़ी थी।
अब मैंने टोन बदला,
" अगर तुम्हे साडी पहनने का शौक है तो उसे ठीक से रखना भी सीखो। चलो तहियाओ इसे। "
बिचारे ,कभी किया हो तो ,हो। कई बार कोशिश किया लेकिन , फेल।
" खाली अपने घर के माल के जुबना दबाते रहते थे क्या, क्या कुछ सिखाया नहीं तेरी माँ बहनों ने "
मैंने फिर , जोर से बोला ,और उनके हाथ से साडी लेके उन्हें दिखाते हुए तह लगाई और वो लेते उसके पहले खोल दी।
" चलो अब तुम करो और अपनी आलमारी में रखो। "
क्विक लर्नर तो वो थे ही , दो बार में ही तह लग गयी और फिर उसे रखने के लिए उन्होंने अपनी वार्डरोब खोली।
और जोर का झटका ,जोर से लगा।
हर तरह की साड़ियां ,चंदेरी ,कोटा ,सिल्कन ,जार्जेट ,शिफॉन और शलवार कुर्ते , पंजाबी ,अनारकली।
एक खाने में ब्लाउज ,पेटीकोट और दूसरे में ब्रा ,पैंटी।
शर्ट पेंट चड्ढी बनयान सब गायब।
जब तक वो कुछ सोचते मैंने वार्डरोब बंद कर दी और बोला ,
"क्यों पसंद आया न, लेकिन अभी बहुत काम पड़ा है। मंजू बाई नहीं आएगी, तो बरतन ,झाड़ू ,पोंछा अभी शुरू करो तो हो जाएगा जल्दी। रात के भी बरतन पड़े हैं। फिर खाना भीबनाना है। "
वो अपने काम में बिजी थे और मैं अपने।
रात की रिकारिडंग देखी , और कुछ और फोटुएं मम्मी को व्हाटसऐप की , फिर अपना फेवरिट सीरियल,
दो ढाई घंटे बाद वो वापस आये , अभी तक चोली साये में ही थे।
लेकिन बहुत थके , माथे पर पसीनाचुहचुहा रहां था।
" क्यों मुन्ना ,थक गए क्या। चलो कोई बात नहीं , दो ग्लास बढ़िया मस्त मैंगो शेक बना के लाओ न ,खूब ठंडा। अब ये मत कहना की मैके में नहीं सीखा , जल्दी। "
और कुछ ही देर में दो ग्लास चिल्ड मैंगो शेक हाजिर था।
मैं चैनेल सर्फिंग कर रही थी और एक चैनल पे कहानी घर घर का री रन आ रहां था मैंने वही लगा दिया।
साक्षी तँवर,
मैंने साफ साफ पूछा , क्यों मस्त माल लग रही न
और तब तक पृष्ठ भाग पर कैमरा न सिर्फ फोकस हुआ बल्कि अच्छी तरह उसकी ऊंचाई ,गहराई , कटाव ,भराव ,.... सब कुछ ,
क्यों क्यों कैसा लगा रहा है इसका पिछवाड़ा किसके जैसा बोलो न , मैंने फिर पूछा।
उनकी निगाहें वहीँ चिपकी थीं।
" बोल न , लगता है न मेरी मम्मी की समधन जैसा , खूब गदराया , भरा भरा , बोलो न " मैंने छेड़ा।
और उन्होंने फिर जोर का ब्लश किया।
" खाने की तैयारी हो गयी क्या "
मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।
उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला , अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।
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पिंक एप्रन
" खाने की तैयारी हो गयी क्या " मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।
उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला , अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।
किचेन में उनका स्वागत पिंक एप्रन ने किया।
पिंक जो उन्हें एकदम फेमिनिन लगता था और जिस रंग की शर्ट मैंने एक बार उन्हें दे दी तो वो अलपफ , वही रंग ,
और मैंने वो एप्रन उन्हें पहना दिया और ये भी समझा दिया की वो जैसे ही किचेन में घुसे तुरंत , ये एप्रेन पहन लें फिर दूजा काम।
सब्जी धुलना , काटना ,छीलना, और बीच बीच में मेरी बातों का तड़का
" अरे जरा बैगन ठीक से धुलो , ये लम्बे बैगन तो मेरे सास के फेवरिट हैं ,है न तुझे तो मालूम ही होगा। "
कौन सामान कहाँ रखा है ,कौन चीज धीमी आंच पे ,कौन तेज आंच पे।
" चलो यार एक दो महीने में मास्टर शेफ की एंट्री चालू होंगी , अबकी तुम्हारा नाम भेज दूंगी , आखिर बेस्ट शेफ तो सारे मेल्स ही होते हैं "
किचेन से निकलते निकलते २५० ग्राम मस्का लगाया मैंने और फिर वापस अपने बेडरूम में ,
मैं बिजी हो गयी ,व्हाट्सऐप, फेसबुक और सहेलियों से थोड़ी चैटिंग में।
लेकिन खाने के पहले बाथ - वी टुक बाथ टूगेदर।
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यह अपडेट पिछले पोस्ट शुरू है , कृपया शुरू से पढ़ें और अपने मत शेयर करें।
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जोरू का गुलाम पार्ट 16
लेकिन खाने के पहले बाथ - वी टुक बाथ टूगेदर।
उनके लिए तो नहाना एकदम झटपट मामला होता था ,हमेशा।
गए , शावर आन , घुसे ,निकले।
लेकिन आज बिना किसी जल्दी के , मैंने पहले उनके बालों में खूब धीमे धीमे शैम्पू किया ,
फिर उनसे अपने बालों में शैम्पू करवाया , साथ में डीप स्कैल्प मसाज ,
और फिर पूरी देह में साबुन , मेरे उभारों पे जब वो साबुन मल रहे थे तो मैंने कनखियों से देखा
खूंटा खड़ा हो रहा था।
मैंने किसी तरह अपनी मुस्कान रोकी , फिर उनसे जाँघों के ऊपरी हिस्से में , और झुक कर अपनी गांड उनके सामने कर दी।
बड़े बड़े चूतड़ मुझे विरासत में मिले थे। बड़े और कड़े।
उन्होंने साबुन लगा के रगड़ रगड के साफ किया , लेकिन मैंने मुड़ के उनकी ओर देखा और वो समझ गए ,
एक जगह बची थी।
ऊँगली में साबुन लगा के ,गांड के एकदम अंदर तक ,
और फिर मेरी बारी थी।
मैंने हैण्ड शावर का नोज़ल सीधे उनके कड़े कॉक के बेस पे किया और तुरंत वो कटे मुर्गे की तरह फड़फड़ाने लगा।
लेकिन मैं छोड़ने वाली नहीं थी ,मैंने हाथ में खूब साबुन लगाया और लगी उसे मुठियाने।
मस्ती से वो सिसक रहे थे।
लेकिन मैं मुठियाती रही , और फिर अचानक एक झटके से मैंने चमड़ा नीचे कर दिया ,लाल मोटा सुपाड़ा , एकदम भूखा ,खुल गया था।
नोजल की तेज धार अब सीधे पी होल ,( पेशाब के छेद पे ),
और अब मुठियांना बंद करके मेरे हाथ धीमे धीमे उनके बाल्स को सहला ,दबा रहे थे और साबुन लगी ऊँगली अगवाड़े ,पिछवाड़े के बीच वाली जगह धीमे धीमे दबारही थी।
और कुछ देर में फिर दुबारा उनका फ़नफ़नाया लंड मेरी कोमल कोमल मुट्ठी में।
उनकी हालत एकदम ख़राब थी।
…
मुस्कराते हुए एक बार जोर से दबा के मैंने चिढ़ाया ,
" सुन यार , सुबह तुम मम्मी से खुल के मेरे सास के मस्त मम्मों के बारे में कैसे बाते कर रहे थे। "
" मैं कहाँ , वो तो वही , मैं तो बस " कुछ शरमाते ,झिझकते ,कुछ मुस्कारते वो बोले।
" अरे यार तो इसमें शरमाने की क्या बात है , अगर तेरी माम , मम्मे नहीं मिजवाती ,
हचक हचक के नहीं चुदवाती तो मुझे इत्ता प्यारा प्यार हबी कहाँ से मिलता। पता नहीं कितनी बार ,कितनो से , अच्छा ये बताओ जो मैं पकड़ के दबा रहीं हूँ ,मसल रहीं उसे सबसे पहले किसने पकड़ के दबाया था "
मैंने पूछा।
अब उनकी जोर से शरमाने की बारी थी। एकदम चुप।
" अरे सोचो न जरा "
मेरे लम्बे नाख़ून अब सुपाड़े पे हलके हलके चुभ रहे थे।
" अरे भूल गए जब तुम छोटे थे , तुम्हारी मम्मी इसे पकड़ के सु सु कराती थीं , उन्होंने ने इसे पकड़ा था ,रगड़ा था , खोल के इसमें तेल लगाया था, … सबसे पहले तेरी माम ने ही तो इसे पकड़ा रगड़ा था "
मैंने कहा और हलके से मैंने जोड़ा ,
मादरचोद।
लेकिन वो साफ साफ सुन सकते थे।
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मैंने कहा और हलके से मैंने जोड़ा , मादरचोद। लेकिन वो साफ साफ सुन सकते थे।
उनके लंड की हालत और खराब हो गयी।
उनकी आँख में आँख मिलाके देखते मैंने सुपाड़े पे भी साबुन लगाया , और नोजल की तेज धार ,....
" निहुरो जरा , और , थोड़ा और अरे जैसे मम्मी की समधन निहुरती होंगी , मरवाने के लिए ,हाँ एकदम ऐसा। "
और नोजल आलमोस्ट सीधे उनकी गांड के छेद में
हम दोनों ने एक दूसरे को टॉवेल से खूब रगड़ रगड़ के पोछा, अच्छी तरह से सुखाया।
मजे में उन्होंने मुझे चूम लिया लेकिन मैंने उन्हें दूर कर दिया ,
" ऐसे नहीं यार , ठीक से। "
और फिर मेरे तलुवों से ले के धीमे धीमे उपर तक ,
थोड़ी देर मे मैं डॉगी पोज में ,
और वो मेरे बड़े चूतड़ों को चूम रहे थे चाट रहे थे।
मैंने दोनों हाथों से अपने नितम्बों को फैलाया और इशारा वो समझ गए , सीधे सेंटर में ,छेद पे।
कुछ देर तक तो थोड़ा वो शर्माए , झिझके , फिर खुद अपने हाथ से फैला के , जीभ एकदम अंदर, और चाटने लगे।
मजे से अब मेरी हालत खराब ,
" हाँ चाट चाट , और जोर से पूरे अंदर तक डाल के , हाँ हाँ ,.... मस्त चाटते हो , तेरी उस बहन कम माल की भी
ऐसे ही चटवाउंगी , पहले चाटना फिर मारना उसकीगांड , हाँ बहनचोद हाँ ,… "
और अबकी ड्रेसिंग टेबल पर , सब काम उन्होंने खुद किया ,
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और अबकी ड्रेसिंग टेबल पर , सब काम उन्होंने खुद किया ,
सीधी मांग काढना , लिपस्टिक ,
नेल पालिश ,हलका सा काजल , यहाँ तक की बिछुए और पायल भी ,…
हाँ मांग में सिन्दूर मैंने ही भरा।
इस बार उन्होंने अपनी वार्डरोब से निकाल के शलवार सूट ,
अंदर एक अंडरवायर्ड ब्रा , पिंक लेसी पैंटी , और मैंने ' उसको ' टेप में नहीं बांधा , बस एक साइड मेंअड्जस्ट कर दिया।
(ये एकदम साफ था की लड़कियों के ड्रेस से उनका , एकदम टनटना जाता था। )
और फिर मैंने उन्हें एक गिफ्ट पैक दिया , मम्मी की ओर से ,
मैचिंग धानी दुपटटा।
कैसे दुपट्टा ओढ़ा जाय , जिससे एक एक उभार थोड़ा दिखे , एक छिपे ,मैंने दुपट्टा एडजस्ट करते समझाया।
" एकदम मस्त माल लग रहे हो , मेरा मतलब लग रही हो , जरा एक दो सेल्फी खींच लो "
और अबकी खुद उन्होंने मेरे स्मार्ट फ़ोन पे चार सेल्फ़ी खींची जो अगले ही पल मैंने मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी।
खाने में भी टेबल सेट करना , सर्व करना , स्वीट डिश में मैंगो और वनीला आइसक्रीम।
" यार सुनो , मंजू बाई तो आएगी नहीं , तुम बरतन अभी निबटा दो , फिर आओ , थोड़ी देर आराम करते हैं। "
मैं बोली।
वो किचेन में , मैं बेडरूम में।
मैं सीरियल सर्फ कर रही थी और किचेन से बरतन धुलने की आवाजें आ रही थीं।
"मेरे भैय्या अपने हाथ से एक ग्लास पानी भी नहीं लेते। "
मुझे अपनी उस चुहिया ननद की बात याद आ रही थी।
" आप क्या जानेगीं मेरे भैय्या को तीन महीने में "
" तुझे तेरे भैय्या की रखैल न बनाया तो ,कहना "
मैंने सोचा और टीवी बंद कर मांम से बाते करने लगीं।
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मेरी ननद ,उनका 'माल'
" तुझे तेरे भैय्या की रखैल न बनाया तो ,कहना " मैंने सोचा और टीवी बंद कर मांम से बाते करने लगीं।
………..
वह लौटे तो एकदम थके हारे , पसीने पसीने।
जुलाई की उमस , बादल उमड़ घुमड़ रहे थे सुबह से लेकिन बरस नहीं रहे थे।
और वो भी पहली बार , बेड टी ,नाश्ता ,झाड़ू पोंछा ,बर्तन, खाना ,फिर टेबल साफ करने के लेकर बरतन और किचेन की सफाई।
बेड रूम में एसी फुल ब्लास्ट पर था , मैं एक हल्का कम्बल लपेटे , टीवी पे सीरियल देख रही थी।
'दरवाजा बंद कर दो ,आ आजाओ कम्बल के अंदर , एकदम थक गए हो थोड़ा आराम कर लो "
मैंने कम्बल हलके से उठा के उन्हें अंदर खींच लिया।
कुछ देर में पसीना सूख गया था , और वो भी मेरे साथ अधलेटे , सीरियल देख रहे थे।
और एक कच्ची कली थी सीरियल में , उनकी निगाह बस उसके उसके छोटे छोटे टिकोरे पे ,
" एकदम तेरे माल जैसे ;लगती हैं न , उभार एकदम वैसे ही हैं न "
मैंने कंबल के अंदर उन्हें भींचते पूछा।
उन्होंने हामी में सर हिलाया।
" हे सच बोल , कभी उसकी ली थी क्या सच बोलना मेरी कस्सम , मेरा मतलब अरे यार चुम्मी वुम्मी कभी ऐसे ही खेल खेल में ,चुपके से। "
उन्होंने मना कर दिया , सर हिला के लेकिन फिर खुद ही चालू हो गए जब मैंने पूछा ,
" अच्छा टच वच "
" बहुत हलके से बस एक बार ,'
अब वो धीरे धीरे खुल रहे थे। उनकी निगाह सीरियल की कच्ची कली पर ही थी।
मैं चुपरही और उन्होंने रुक के बोलना शुरू कर दिया ,
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बचपन के दिन भुला न देना : उनका माल , मेरी ननदिया
" बहुत हलके से बस एक बार ,' अब वो धीरे धीरे खुल रहे थे। उनकी निगाह सीरियल की कच्ची कली पर ही थी।
मैं चुपरही और उन्होंने रुक के बोलना शुरू कर दिया ,
" एक बार हम सब लोग शादी में गए थे , सब लोग , बहुत भीड़ थी , जाड़े के दिन। सब रजाई ओढ़ के सो रहे थे , मैं भी लेटा और वो मेरे बगल में। बिजली चली गयी थी , रात में १२ से ४ पावर कट होता था। सब लोग एकदम गहरी नींद में ,करीब दो तीन साल पहले की बात है तब हाईकॉलेज में गयी गयी थी वो । "
उन्होंने थूक घोंटा , मैंने अंदाज लगाया चौदह पंद्रह की रही होगी तब वो।
उनके कान को जीभ से हलके सहलाते हुए मैंने उन्हें उकसाया , " फिर "
कुछ देर रुक कर उन्होंने बताना शुरू किया।
" वो एकदम गहरी नींद में सो रही थी। मैं भी थोड़ी नींद में , नींद में ही मेरा हाथ उसके ऊपर , …वहां ,…सीने पर , उसे पता नहीं चला , फ्राक में उसका सीना हलके हलके ऊपर नीचे हो रहा था. मेरी नींद , हलकी सी बस खुली ,…मैने हलके से जैसे गलती से , बहुत हलके से दबाया। "
" फिर ,… " अब मेरी हालत ख़राब हो रही थी , मैंने उन्हें खूब प्यार से भींचा।
" थोड़ी देर तक बस ऐसे ही लेकिन जब मुझे लगा की वो खूब गहरी नींद में सो रही है , और अगल बगल भी , सब लोग रजाई सर तक ओढ़ के सो रहे थे , तो,… तो,… तो थोड़ी हिम्मत कर के मैंने हलके से दबाया।
बहुत हलके से , एकदम रूई के फाहे जैसा , मुलायम
( वो जैसे उस दिन की यादों में खो गए थे। )
फिर अबकी उनके गालों पर अपने होंठ छुला के मैंने पूछा ,
"फिर आगे क्या किया। "
" वो असल में ,पता नहीं कैसे , क्या हो गया था मुझे , मालूम था की तीन चार घंटे लाइट नहीं आएगी , सब लोग रजाई में सो रहे थे ,इसलिए और वो भी ज्यादातर बच्चे ,इसलिए हिम्मत कर के , वो , वो भी खूब गहरी नींद में थी इसलिए , थोड़ी देर छूआ , फिर हलके से दबाया , बहुत धीरे से ,"
" कैसा लगा " मैंने और उकसाया
" कॉटन की फ्राक के ऊपर से , अच्छा लग रहा था , बहुत अच्छा। मुलायम था , छोटा छोटा ,जैसे कोई बादल का टुकड़ा मेरे हाथ में आ गया हो। फिर हिम्मत कर के जब वो नहीं जगी , तो मैंने पूरा अपनी हथेली में पकड़ लिया और दबाने लगा , बहुत अच्छा लग रहा था। हलके हलके दबा रहा था। "
" क्या दबा रहे थे साफ साफ बोलो न " मैंने चढ़ाया।
" वो ,वो उसका सीना " उन्होंने कबूला ,लेकिन मेरे लिया इतना काफी नहीं था।
" अरे यार , तुझे इतना रात भर सिखाया , साफ साफ बोलो न , " मैंने उन्हें और चढ़ाया।
' वो वो उसका जोबन , उसकी चूं , उसकी चूंची करीब १०-१२ मिनट तक दबाया धीमे धीमे ,फिर थोड़ा जोर से ,"
"फिर,… "
"मुझे लगा शायद वो जग गयी है इसलिए ,मैंने हाथ हटा लिया उसके उभारों , जोबन से। "
"उसने कुछ किया क्या जिससे तुम्हे लगा की वो जग गयी। "
"थोड़ा कुनमुनाई थी , वो फिर उसने करवट ले लिया मेरी ओर " उन्होने साफ किया और जोड़ा ,
"नींद में उसने अपना हाथ मेरे ऊपर रख दिया था और एक टांग भी , पकड़ के मुझे सो गयी’ "
बुद्धू रहोगे तुम इतना खुला सिग्नल दे रही थी वो , मैंने सोचा ,फिर पूछा उसकी घुंडी , निपल दबाये थे।
" हाँ ऊँगली से छुआ था फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच बहुत हलके से पकड़ा ,तभी वो कुनमुनाई और मैंने छोड़ दिया " कबूला उन्होंने।
" फिर , " मैंने सवालों का सिलसिला बंद नहीं किया।
" कुछ नहीं , मैं थोड़ी देर आँखे मूंदे लेटा था। फिर एकदम नींद में वो मेरी ओर मुड़ी और , .... " वो कुछ सोच के बोले।
" और , … फिर " मैं अपनी उत्सुकता नहीं रोक पा रही थी।
"फिर वही जो बोला था न मेरी ओर करवट कर के , सुबह भी जब मेरी नींद खुली तो वो उसी तरह ". उन्होंने कबूला।
इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे ,…
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ekdam jabardast komal kay story likhiti ho yar tum pagal bana deti ho ekdam story padhakr to hamesha mai out of control hojata hu.
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बड़े बड़े चूतड़ मुझे विरासत में मिले थे। बड़े और कड़े।
मजा आय गईल। गजब क narration है। लाजबाब*******
बुुर का दिवाना
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(20-02-2019, 09:40 AM)anwar.shaikh Wrote: ekdam jabardast komal kay story likhiti ho yar tum pagal bana deti ho ekdam story padhakr to hamesha mai out of control hojata hu.
Thanks so much ....are main likhti isiliye hun ki padhkar log control ....kho den....phagun aa rhaa hai ...control khone ka season
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(20-02-2019, 02:57 PM)Sjeet72 Wrote: बड़े बड़े चूतड़ मुझे विरासत में मिले थे। बड़े और कड़े।
मजा आय गईल। गजब क narration है। लाजबाब*******
अबहीं त शुरआत है , और आप सोलहवां सावन और मेरी होली की कहानी पढ़ रहे हैं की नहीं ?
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(21-02-2019, 08:54 AM)komaalrani Wrote: अबहीं त शुरआत है , और आप सोलहवां सावन और मेरी होली की कहानी पढ़ रहे हैं की नहीं ?
पढ़ले हई........... रेेदोपुुर कालोनी आज़मगढ़....
बुुर का दिवाना
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(21-02-2019, 09:06 AM)Sjeet72 Wrote: पढ़ले हई........... रेेदोपुुर कालोनी आज़मगढ़....
चलिए त अब यह कहानी का अगला पार्ट
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सिग्नल
" सही कह रही हो मैं डर रहां था की कहीं , लेकिन वो कुछ ज्यादा ही चुलबुली लग रही थी , और एक बार किसी काम के चक्कर में उसने मुझे छत पे बुलाया ,शादीकी गहमागहमी में सब लोग नीचे थे और हम दोनों छत पर एकदम अकेले , उसने आँख नचा शरारत से मुझसे पूछा , इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे ,…
' अगले दिन उसने कोई शिकायत विकायत तो नहीं , "
मैं जानती थी वो क्या सोच रहे होंगे , इसलिए मैंने पूछ लिया।
" भैया कल रात को आप को लगता है ठीक से नींद नहीं आ रही थी। "
मैं तो घबड़ाया लेकिन वो बहुत अदा से बोली , " कोई बात नहीं , मुझे भी ठीक से नींद नहीं आ रही थी। " और जब तक मैं कुछ और बोलता , सीढ़ी से सीधे नीचे वो।
" कुछ और तो नहीं बोला था "मैं खोद खोद के पूछ रही थी।
वो थोड़ी देर चुप रहे जैसे कुछ सोच रहे हों , और फिर बोले ,
"हाँ ,सीढ़ी पे वो रुक गयी थी और जब मैं उसके पास पहुँच गया तो , हलके से मुस्करा के बोली ,
" आप बहुत सीधे हो , जितना मैं सोचती थी , उससे भी ज्यादा "
और ये कहके हंसती हुयी नीचे उत्तर गयी।
और मैं समझ गयी उसका मतलब। सच में इतने सिगनल , फिर भी इंजन भरतपुर के स्टेशन पे नहीं घुसा।
" दिन में देर तक , मैं उसकी सहेलियों के साथ मिल के कभी डेकोरेशन , कभी शॉपिंग , हाँ एक बात और , जब मैं शॉपिंग के लिए जा रहा था तो वो मुझसे अकेले मेंआके बोली ,उसकी केयर फ्री खत्म हो गयी है , मैं ले आऊं , लेकिन बाजार में पहुंचा ही था उसका एक एस एम एस आया, ढेर सारी स्माइलिज और ' रहने दो , अबजरूरत नहीं है। छुट्टी खत्म।
मेरा तो मन हुआ माथा पीट लूँ।
और मैंने बोल ही दिया ,
" यार तुम बास्तव में बुद्धू हो। ये उसका कहने का तरीका था की उसके ' वो दिन ' खत्म हो गए हैं और वो रेड़ी है। उस दिन तो लड़की को वो खुजली मचती है कीबस , और उससे बढ़ के वो एकदम सेफ दिन होता। तुमसे ज्यादा तो वो ही , अच्छा जाओ जरा हमलोगों का वेडिंग एलबम ले आओ।
वो ले आये।
मैंने एक फोटो निकाल ली आपने वेडिंग एल्बम से , एकदम मस्त माल लग रही थी।
झूम झूम के वो नाच रही थी। इस फोटो में उसकी चुन्नी नीचे सरक गयी थी , और उसके छोटे छोटे कड़े कड़े ,नए आये उभार एकदम साफ दिख रहे थे ,और हलकासा क्लीवेज भी।
" कित्ते मस्त लग रहे हैं न उसके जोबन , एकदम दबाने लायक " मैंने उनकी आँखों में आखें डाल कर कहा।
उनकी आँखे भी अपनी उस मस्त ममेरी बहन के उभारों से चिपकी थीं।
मैंने उनकी ऊँगली पकड़ कर , उसके कच्चे टिकोरों पे रख दीं।
" दबाओगे ने , इसे बोल न " मैंने और उकसाया।
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,.... हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा। [/
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,.... हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। " वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न " उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिरधीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना " मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूबचूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनारबोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।
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बचपन की बातें ,
अब तक
" उस दिन रात में उसके, उसके, गुड्डी के ,... तेरी ममेरी बहन के मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न "
मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न , हाईकॉलेज में गयी ही थी न तब " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। हाँ नौवैं में थी , "
वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न "
उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिर धीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना "
मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूब चूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनार बोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।
आगे
" देखना , वो तेरा माल इतना मस्त हो जाएगा न की खुद टाँगे फैला देगा चुदवाने को। चुदवासी तो वो तबसे हो गयी है ,जबसे चौदह की हुयी , अब तो अच्छी खासी गदरा गयी है , इंटर में पहुँच गयीं है। बिना चोदे मत छोड़ना उस को, भले ही लाख चीखे चिल्लाये। हाँ और जोर से ,हचक हचक के पेलना लंड उसकी कच्ची चूत में , जब फटेगी तो बहुत चिल्लाएगी , लेकिन बिना फाड़े मत छोड़ना। "
अब मैंने गियर चेंज कर दिया था और वो भी ,
खूब तेजी से मुठिया रहे थे , आँखे बंद , जैसे सोच रहे हों कैसे अपने बचपन के माल की नथ उतारेंगे।
" अरे और जोर से धक्के मारों न कच्ची चूत है , बहुत कसी , झिल्ली भी फाड़नी है , और ,… और जोर से ,…हा पूरी ताकत से "
मैं हलके हलके कान में उनके बोल रही थी , गाल सहला रही थी ,आग और भड़का रही थी।
पुराने जमाने में ६०-६१ गिनने तक , उनकी फुस्स हो जाती थी ,लेकिन आज फुल स्पीड में ८४ -८५ हो चुका था और उनकी स्पीड कम नहीं हो रही थीं।
उनके दूसरे हाथ में उनकी ममेरी बहन का वो स्नैप था ,
" चोद साले , चोद ,चोद अपने बहिन को चोद बहनचोद ,एक बार उसकी कसी चूत चोद दे फिर उसके बाद बहन चोद तुझे ,… "
और ये बोलने के साथ मेरा नाखून उनके सुपाड़े के पी होल पे , फिर तो सफेद ज्वालामुखी फूट पड़ा।
खूब ढेर सारी गाढ़ी सफेद थक्केदार मलाई , सीधे उनके माल के जोबन पे ,
" हाँ हाँ और पहले बहनचोद , … फिर,.... मादरचोद "
मैंने बहुत हलके से कहा ,लेकिन उसका असर हुआ की अबकी पहले से भी ज्यादा जोर से
खूब ढेर सारी मलाई रबड़ी फिर अबकी पहले से भी ज्यादा ,
फोटो पूरी तरह उनके सफेद मलाई से लिपटी थी।
" बहुत खुश होगी , जब उसे पता चलेगा की उसके बारे में सोच सोच के उसके प्यारे भैया का ये हाल हुआ। ज़रा चख तो लो ,
और उस फोटो से उठा के मैंने सीधे उनके होंठों पे ,
उन्होंने चाट लिया।
" ये समझ लो , अगली बार सारी मलाई सीधे तेरे माल की बुर में जायेगी "
और फोटो मैंने उनके होंठों से लगा लिया और उन्होंने सब कुछ चाट लिया।
ये कहने की बात नहीं , मैंने सारी हरकत अपने स्मार्ट फोन पे रिकार्ड कर ली और एक छोटा सा वीडियो भी।
स्नैप्स सारे मम्मी को व्हाटसऐप हो गए।
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मम्मी और बर्थडे ब्वाय , मेरे बालम
स्नैप्स सारे मम्मी को व्हाटसऐप हो गए।
और मैंने एक क्लोज अप ले लिया , उनके होंठ सीधे , अपने माल के बूब्स पे।
ये वही फोटो थी ,मैंने बोला था न हमारी शादी के तीन चार दिन बाद मैंने अनजाने में कंडोम अपने अल्बम में रख दिया था , इसी फोटो के साथ।
वो इतने नाराज हुए की ,कंडोम तो उन्होंने हटा के झटके से फ़ेंक दिया , फोटो कितनी बार साफ की , रात भर बोले नहीं। मेरी ओर पीठ कर सो गए।
मम्मी का मेसेज आया।
और मैंने स्काइप आन कर दिया।
मैं उनका नाड़ा बाँधने की कोशिश कर रही थी तभी स्काइप पे वो अवतरित हुईं।
वो बिचारे बहुत झेंपे ,लेकिन ,…
" कैसा है बर्थडे ब्वॉय ,मेरा मुन्ना ,… "
मम्मी पूरे रंग में थीं।
" अरे मम्मी , बिचारे नाड़ा नहीं बाँध पा रहे हैं। अपनी माँ बहनों का नाड़ा खोल खोल कर बचपन से नाड़ा खोलने की तो प्रैक्टिस हो गयी लेकिनआपकी समधन ने उन्हें नाड़ा बंद करना सिखाया ही नहीं ".
मैंने भी बहती गंगा में हाथ धोया।
मम्मी भी ,वो मुझसे ज्यादा अपने दामाद का पक्ष लेती थीं , बोलीं
" अरे तो मेरे बिचारे सीधे साधे मुन्ने को क्यों दोष देती हो , अपनी सास को दोष दो न। "
फिर एक ठंडी सांस लेकर बोलीं ,
" लेकिन बिचारी समधन जी भी क्या करें , एक बार उनका नाड़ा खुल गया तो छैले बाँधने नहीं देते , एक के बाद एक , और अभी तो हैं भी तो टनाटन मॉल। नहींबिश्वास हो तो उस छिनार के पूत से पूछ लो , क्यों मुन्ना है न सही बात , उनकी तलैया में गोता खाने वालो की लाइन लगी रहती हैं न। अच्छा बस एक बात बताओ, जब मेरी समधन का नाड़ा खुला था , खुला तो अक्सर ही रहता है , तो तूने उनकी बुलबुल तो देखी होगी न , कैसे लाल लाल चोंच चियारे रहती है ,चारा खाने केलिए। बोल न।
मैं जोर जोर से खिलखिलाने लगी और उनको कुहनी मार के बोला ,
" अरे मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोल न। क्या लौंडियों की तरह शर्मा रहे हो , आखिर तेरे मातृभूमि के बारे में पूछ रही हैं। तुम्हे अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है क्या , और फिर आज तेरी बर्थडे है , तो जहाँ से निकले थे , उसे याद करने का , देखा तो होगा , बताओ न मम्मी को , … मेरी सास की चिरैया के बारे में , कैसी है ,"
मम्मी भी उस हमले में शामिल हो गयीं ,
"अरे मेरी बिटिया सही तो कह रही है , सोच न आखिर मेरी समधन ने न जाने कितनो से अपने गद्दर जोबन मिजवाये होंगे , कितनो के पास जाके चुदवाया होगा , फिर वो गाभिन हुयी होंगी , फिर उनकी चूत से तू निकला होगा , इसमें शरमाने की क्या बात हैं। तो आज तो उस मातृभूमि को याद करने का दिन है न जिसमें कितनोका लंड गया होगा , किसी की सफल चुदाई के बाद उनकी चूत से तू निकला होगा , और मातृभूमि क्या साफ साफ क्यों नहीं बोलती उस पंचभतारी ,छिनार के पूत सेअपनी माँ के बुर ,… "
मम्मी अब एकदम फुल स्पीड में चालू हो गयी थीं।
वह जोर जोर से ब्लश कर रहे थे , लेकिन मुझे पता था की उन्हें कितना मजा आ रहा है।
" अरे क्यों लौंडिया की तरह शर्मा रहे हो , मम्मी सच तो कह रही हैं , बोलो न खुल के ,मम्मी की बात का जवाब दो न "
मैंने उन्हें छेड़ा।
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा ,
" इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा
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मम्मी की समधन
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा , " इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा।
"हाँ मम्मी ," अब वो एकदम खुल के मम्मी से बोल रहे थे। उनकी झिझक बहुत कम हो गयी थी।
"जोबन तो तेरे मस्त लग रहे हैं , " मम्मी बोली और उन्हें दुपट्टा कैसे ओढ़ें की उभार दिखें ज्यादा ,छुपे कम ,समझाने लगी। लेकिन फिर उन्होंने अचानक एक सवाल दाग दिया ,
" तुम इत्ते मस्त चिकने हो ,नमकीन, बचपन में लड़के तेरे पीछे बहुत पड़े रहते होंगे। "
अब तो उन्होंने ऐसे ब्लश की जैसे कोई गौने की दुल्हन , जिसके मायके के राज उसकी सास को पता चल गए हों।
और मैं भी मम्मी के साथ ,
" अरे बोल न , क्या शरमा रहे हो ,मम्मी से कोई बात छिपाता है क्या।
" अरे तेरी माँ बहन सारे मोहल्ले को बांटती फिरती है , उसमे बुराई थोड़े ही है ,कोई पैसे थोड़े लेती हैं बस सब का दिल रखती हैं , तो अगर तुमने भी दो चार का दिल रख दिया तो क्या बुरी बात है। "
मम्मी बोलीं और हम दोनों खिलखिलाने लगे।
लेकिन इनकी शरम देख के मुझे दया आ गयी और मैंने बात बदलने के लिए मम्मी से कहा ,
" अरे मम्मी न जाने किससे किससे चुदवा के आज के दिन आपकी समधन ने बच्चा जना था तो कुछ सोहर वोहर तो होना चाहिए न। "
गाने के लिए तो मम्मी से कहने की बस देर है है और खास तौर से जब वैसे वाले गाने हों ,
बस उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा दी ,
" तुम लोगों की भी गाना पडेगा साथ साथ "
मैंने उनकी ओर देखा और मम्मी चालू हो गयीं ,
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
चोली मत मांगो समधन ,देह का सिंगार रे ,
कहे सुने जो चोली दूंगी , बंध लुंगी काट रे ,
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
बरतन मत मांगो समधन ,रसोई का सिंगार रे ,
कहे सुने जो बटला दूंगी , पेंदा लूंगी काट रे।
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
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सोहर , मम्मी और बर्थडे ब्वाय , मेरे साजन
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
और फिर एक बार फिर मैं और मम्मी खिलखिला के हँसे पड़े , मैंने माम से कहा ,
" मम्मी आपने तो इन्ही को चढ़ा दिया , मेरी सास के ऊपर। "
" और क्या ,पूरे गाँव देहात को बाँटती रहती हैं ,समधन जी और मेरा मुन्ना बिचारा भूखा प्यास मुंह देखता रहता है , अच्छी बात है क्या। फिर उनको भी तो मजाआएगा एक जवान मर्द चढ़ के हचक हचक के , दोनों जुबना पकड़ पकड़ के , .... "
फिर मम्मी ने सवाल का रुख उनकी ओर किया ,
" क्यों मुन्ना लेगा न मेरी समधन की ,दिलवाने की जिम्मेदारी मेरी। "
और जवाब उनके बदले मैंने दिया। आखिर सब पावर आफ अटार्नी , उन्होंने लिख दी थी मेरे नाम।
" अरे मम्मी आप की कोई बात आज तक टाली है उन्होंने जो ये टालेंगे , एकदम। "
मम्मी खुश और अपने समधन के लिए दूसरा गाना उन्होंने शुरू कर दिया ,
एक से एक ,
अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में , अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में ,
सब का काटे अगली बगली ,सब का काटे अगली बगली
अरे मुन्ना के अम्मा को , हमरी समधन को काटे भोसड़िया में।
अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में , अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में ,
सब का काटे अगली बगली ,सब का काटे अगली बगली।
.......
मुन्ने की अम्मा छिनार , हमार समधन छिनार ,
जो तेल लगाए वो भी छिनार , जो दूध पिलाये वो भी छिनार
अरे तोरी अम्मा छिनार , तोरी बहना छिनार ,
....
अरे कहाँ से आई सोंठ ,कहा से आया जीरा ,
अरे किसने चोदी जच्चा रात मेरी गोइयां।
मुन्ने के मामा ने चोदी जच्चा , रात मेरी गोइयाँ।
....
एक के बाद एक , माम के पास तो ऐसे गानों का जखीरा था।
और फिर मैं भी शामिल हो गयी बहती गंगा में हाथ धोने में , अपनी सास और ननदों का हाल चाल बताने में ,
कामदानी दुपट्टा हमारा है ,कामदानी ,
अरे मुन्ने की अम्मा ने हमारी सासु ने , एक दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया ,तुर्क पठान किया ,
भंगी ,चमार किया ,सारा पाकिस्तान लिया।
अरे नौ सौ ,हो जी नौ सौ , पण्डे बनारस के,
अरे नौ सौ छैले लखनऊ के , नौ सौ।
( लखनऊ हमारा शहर था )
मुन्ने की बहनी ने , गुड्डी छिनार ने
ननदी छिनार ने , एक किया दो साढ़े तीन किया
हिन्दू * किया ,तुर्क पठान किया ,
अरे नौ सौ भडुवे बनारस के , नौ सौ गदहे ऐलवल के
( ऐलवल , मेरी ननद का मोहल्ला )
उनकी हालत खराब थी ,लेकिन मम्मी इत्ती आसानी से छोड़नी वाली नहीं थी और हम दोनों ने , हम दोनों का ज्वाइंट भजन शुरू हुआ ,
गंगा जी तुम्हरा भला करे , गंगा जी तुम्हरा भला करे ,गंगा जी।
तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,
पोखरवा जैसी , तालवा जैसे ,गढ़हिया जैसी ,
ओहमें ९०० गुंडे नहाया करे , डुबकी लगाया करें ,
गंगा जी
तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,
बटुलिया जैसी , पतिलवा जैसी जिसमें ९ मन चावल पका करे
गंगा जी …
फिर मैंने एक शुरू किया , मम्मी का फेवरिट ,
हमरी सासु जी की बिलिया में क्या क्या अमाये,क्या क्या समाये ,
मुन्ने की अम्मा की बुरिया में क्या क्या जाए , क्या समाये।
गदहा जाए ,घोड़ा जाए ,ऊंट बिचारा गोता खाए ,
मुन्ने के मामा जांय ,कमर पकड़ के धक्का लगाएं
मुझसे ज्यादा जोश से मम्मी उन्हें छेड़ छेड़ के गा रही थीं ,
और मैंने उन्हें और चिढ़ाया ,
" क्या मम्मी इनके मामा भी मेरी सासु के साथ ,… "
मम्मी ने मेरी बात अनसुनी करते हुएजैसे वो कुछ सोच रहीं हों , फिर अचानक बोली ,
" वो जो इसकी ममेरी बहन आई थी ,मस्त माल , जिसके टिकोरे देख के सारे लौंडे दीवाने हो रहे थे ,क्या नाम था उसका ,?"
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ,
" मम्मी ,गुड्डी। "
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