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(15-05-2020, 08:48 PM)Bhavana_sonii Wrote: निहारिका,
परीक्षा सिर पर होने की वजह से आजकल ज्यादा ऑनलाइन नहीं रह पा रही हूँ फिर भी आपकी स्टोरी खिंच ले आती है गोसिपी पर ,इंतजार रहेगा अगली हाॅट अपडेट का।
परीक्षा सिर पर होने की वजह से आजकल ज्यादा ऑनलाइन नहीं रह पा रही हूँ फिर भी आपकी स्टोरी खिंच ले आती है
भावना जी,
परीक्षा के लिए शुभ कामना, वैसे भी हम महिलाओं कि परीक्षा हर समय चलती रहती है, "वो हर महीने वाली" फिर दुसरे काम, आती रहिये जब भी समय मिले ......
[b]आपकी दो लाइन अच्छी लगती हैं ....... [/b]
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(16-05-2020, 07:01 AM)Poonam_triwedi Wrote: निहारिका जी बहुत मस्त अपडेट waahh दिल एक दम खुश हो गया
कुसुम केसी हो
कुछ मेरी परेशानी का हल भी तो बताओ
बहुत बेकरार हूँ
कल या परसो नोकरानी का संगम मेरे पति से करवा रही हूं अब वो नहीं रुक रहे है
ओर वो भी अपनी स्वीकृति दे चुकी है
एक सौतन ओर सही
कन्या रस की शौकीन जो ठहरी
तो चाहूंगी अपना समय निकाल के कुछ सुझाव लिखें यहां या फिर व्यक्तिगत
पूनम जी ,
जब सब राजी ... तो क्या करेगा काजी .......
सबसे जरूरी आप ....... क्यूंकि आप ही वो कड़ी हैं जो सब जोड़ रही हैं ...... जब आप राजी हैं , फिर दुनिया से क्या पूछना .... आखिर "कन्या - रस " विजेता रहा ..
आनद उठाओ ...... जम के ...... फुर्सत मिले तो कुछ बताना ...... हम लोग भी चाशनी टपका सके .....
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सुमन भाभी ने मेरे होंटो पर एक "लिटिल किस" दी , बस लिप्स से लिप्स टच कर के ..... फिर बोली अब जा ..... और कण्ट्रोल नहीं हो रहा है मुझसे .....
मैं --[ मन मैं ] सुमन भाभी कण्ट्रोल तो मुज से भी नहीं हो रहा और सबूत तो आपके हाथ मैं ही है "मेरी चाशनी" .. रोक लो न ......
एक ही शब्द निकल पाया मुह से . "जी "
..................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
हम्म, सबूत सुमन भाभी के हाथ मैं छोड़ कर निकली घर कि और आज लग रहा था कि घर कितना दूर है, चला नहीं जा रहा था सुमन भाभी के घर से दूर, जी चाह रहा था कि वापस चली जाऊ सुमन भाभी के पास और ..........
एक - एक कदम भारी था, घर से आधी दूर आ कर कुछ होंश आया कि अब माँ को क्या जबाब देना हैं सोच ले निहारिका कुछ जायदा ही लेट हो गयी आज तो , बता देना क्या खाने वाली थी और क्या चख के आई हैं - "चाशनी" फिर आई एक स्माइल और आया ध्यान कि वो आधी मूवी भी तो देखनी है और सबूत भी साफ़ करना है. "चल जल्दी निहारिका" - कहा अपने आप से
तेजी से चलते हुए, घर तक तो पहुँच गयी थी पर , दोनों जांघो तक टपक क्र रिस आई थी मेरी "चाशनी" मैं ही जानती हूँ कि उस दिन अपनी टपकती हुई चाशनी के साथ कैसे चली हूँ घर तक उस पर हाथ भी नहीं लगा सकती रस्ते मैं चलते हुए , लोग देख लेंगे तो सोचंगे "लौंडिया गरम हो रही है " ..... सही सलामत घर भी न पहुंच पाती.
घर के गेट पर पहुंच कर कुछ जान मैं जान आई और दो ऊँगली सीधी "नीचे वाली" पर रगड़ दी "साली ने आज तो जान ही ले ली", एक हाथ से घंटी बजायी कुछ देर मैं माँ ने गेट खोला और बोला "आ गयी तू, अभी सुमन से बात हुई" बोली आने वाली होगी निहारिका
मैं - हम्म, थोडा लेट हो गयी न ..... [ अब डर तो थी ही, अब यह अंदाजा लगाना था कि माँ कितना गुस्सा है]
माँ - हम्म, खा किया खाना , भर गया पेट बातो से, सुमन भी न कितनी बातूनी हैं उसके पास तो चोबीस घंटे भी कम पड़े ...
माँ - अरे तेरे दुपट्टे कि यह स्टाइल सुमन ने बनायीं , है न ... सुमन को बहुत अच्छी लगती है, मेरे भी बना देती थी फिर हम दोनों मार्किट मैं एक जैसे लगते ..... हा हा हा , क्या दिन थे ... आज तुजे उसी स्टाइल मैं देख कर पुरानी यादे ताजा हो गयी ....
मैं - हम्म, ठीक कहती हो माँ ,अच्छी हैं सुमन भाभी .
फिर धीरे से निकल पड़ी , माँ को बीती यादो मैं छोड़ के , न जाने कौन सी यादो मैं डूबी थी .... मुझे जाना था बाथरूम तक ... ताकि मैं सबूत से साथ खिलवाड़ कर सकु और मीठी खुजली को मिटा सकू ... फिर मुड के नहीं देखा माँ को , न जाने क्या पूछ लेती .
बाथरूम मैं आ कर , अब चैन मिला . जब साँस मेरी काबू मैं आई तब देखा, "v" शेप दुपट्टा, फिर ध्यान आई माँ कि बात वो भी ऐसी ही दुपट्टा लगा कर निकला करती थी , एक स्माइल आ गयी ....
अब "नीचे वाली" कि खबर साली ने परेशान कर दिया , खोली लेगिगिंग्स मैंने पूरी उतार दी, यो तो मैं सिर्फ नीचे ढलका कर सु - सु कर लेती हूँ जैसा आम तौर पर हर लड़की करती है पर आज तो मुझे देखना था कि "नीचे वाली " ने क्या काण्ड किया है, सुमन भाभी के घर से मेरे घर तक.
कुर्ती ऊपर करी और सीट पर बैठ गयी , पहेले देखा कि मेरी जांघे ऐसी चिपचिपी उफ़ जैसी "सच्ची" दो तार कि चाशनी लगा दी हो. एक हाथ से कुर्ती पकड़ी , साली वो भी बगावत पर, खुल के एक कोना नीचे आ गया , उफ़, अब यह भी शामिल ....
किया फोल्ड कुर्ती को और डाल दिया ब्रा के बीच मैं, जोबन पर , टिक गयी अबकी बार मेरी कुर्ती. अब ध्यान से देखा कि, चाशनी और ऊँगली लगा के नाक के पास लायी .... उफ़ नशीली खुशबू .... यकीं नहीं होता .... यह मेरी खुशबू हैं ?
फिर मैंने अपनी ऊँगली को अपनी नीचे वाली पर रगडा और फिर याद आया कि मूवी मैं उस लड़की ने तो अन्दर डाल दी थी ,
मैंने कोशिश करी पर डर था कि कुछ हो न जाये, पर दिल नहीं मान रहा था, आखिर ... अन्दर टच कर ही लिया , गरम - लावा था रिसता हुआ .......अन्दर तो जगह ही नहीं थी, सो निकल ली मैंने वापस और सुंघ ली .... क़यामत सी नशीली ....
"दोनों ऊँगली - "चाट" गयी " -- सच्ची .
अपनी दोनों ऊँगली मुह मैं रख कर अपनी जीभ से उस रस को चाटती रही और इधर मेरा "सु -सु" निकल रहा था, धीरे - धीरे और मेरी आँख बंद मुह मैं ऊँगली और ऊँगली मैं चाशनी और उस चाशनी में "मैं" खोयी हुई..........
न जाने मेरा सु - सु बंद हो गया , और ऊँगली कि चाशनी ख़तम हो गयी .... और मैं बैठी रही ....... करीब दस मिनिट के बाद जब मेरी उँगलियाँ फीकी लगी , तब अहसास हुआ कि मैं क्या कर रही थी,......
"सुमन भाभी" - एक ही शब्द निकला मुह से. और हंसी आ गयी ..... क्या कर दिया भाभी आप ने ........
आज मुझे मेरी "नीचे वाली" पर बड़ा प्यार आ रहा था, इतना तंग करने के बाद भी .... न जाने क्यों .....
फिर उठी मैं , फ्लश ओन किया और हाथ - मुह धोये , तोवेल से पोंछ कर हटी तो ध्यान आया .... अब क्या पहने ? लेगिगिंग्स
न - वो तो सबूत हैं ....... फिर मन मैं आया कि इस लेगिग्न्स को जब तक हो सके धोऊगी नहीं .......
क्या हो रहा था मुझे ............ कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था,
फिर लिया हाथ मैं लेगिग्न्स और कुर्ती नीचे कर के बाथरूम का दरवाजा खोला और ... दबे पाऊँ अपने कमरे तक ......
ओह ... मोबाइल .... वो तो रह गया बाथरूम मैं ...... कही माँ ने देख लिया तो ....... भागी वापस .....
उफ़, माँ ने देख लिया .......
माँ - उफ़, निहारिका .... क्या है यह .... नीचे कुछ हैं या नहीं ....... और ऐसे जोबन उछालते हुए क्यों भाग रही है, क्या हुआ ...
मैं - माँ , वो मेरा मोबाइल रह गया था बाथरूम मैं ....... बस वो ही लेने जा रही थी ....
माँ - हमम , बिना कुछ पहेने ...... पागल लड़की अब तू बड़ी हो गयी है ....... देख अपने जोबन , काया - शरीर सोच कर काम किया कर ...
[b]मैं - मन मैं -- उफ़, सारी सोच तो बह गयी आज तो माँ ...............[/b]
उम्म्म्म वो पहली बार चखा चाशनी का स्वाद ऊफ्फ आज भी उसका स्वाद मुंह मे है। बस पुछो मत कितनी हसीन यादे कैद है नीचे वाली की गहराई मे।
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• rahulgoku1008, RajV
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(17-05-2020, 12:45 AM)Bhavana_sonii Wrote: उम्म्म्म वो पहली बार चखा चाशनी का स्वाद ऊफ्फ आज भी उसका स्वाद मुंह मे है। बस पुछो मत कितनी हसीन यादे कैद है नीचे वाली की गहराई मे।
भावना जी,
सही कहा अपने , वो पहली बार चखा चाशनी का स्वाद ऊफ्फ आज भी उसका स्वाद मुंह मे है। " उसका कोई मुकाबला नहीं, अब तो कई बार हो चूका है , स्वाद तो आज भी आता है, पर "वो अल्हड जवानी और वो चाशनी का पानी " कोई तोड़ नहीं .....
एक निवेदन - अपनी पहेली चाशनी के स्वाद कि कहानी अगर समय मिले तो .... हम लोग भी कुछ चटकारे ले सके ... क्यों सहेलिओं क्या ख्याल है ....
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मैं - माँ , वो मेरा मोबाइल रह गया था बाथरूम मैं ....... बस वो ही लेने जा रही थी ....
माँ - हमम , बिना कुछ पहेने ...... पागल लड़की अब तू बड़ी हो गयी है ....... देख अपने जोबन , काया - शरीर सोच कर काम किया कर ...
मैं - मन मैं -- उफ़, सारी सोच तो बह गयी आज तो माँ ...............
..................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
उफ़, सारी सोच तो बह गयी आज तो माँ ...... मन मैं यही सोचा और मन ही मन हंस दी .......
मेरा सारा ध्यान तो नीचे वाली के गीलेपन मैं था माँ क्या कह कर गयी सुना ही नहीं कुछ बस अब तो मूवी देखने कि तलब थी, आज पता चला कि "तलब" क्या होती हैं, क्यों सारी लड्कियें ऊपर से कुछ नहीं बोलती पर जब आपस मैं मिलती हैं तो लडको के नाम जोड़ कर सताने का पहेला काम होता है और जो "डिप्लोमा धारी" और "डिग्री धारी' होती हैं उनसे सारी डिटेल मैं बाते उगलवाना और मजे लेना ....... अब वो लड़कियां जिनका " न्यू एडमिशन " था उनकी सब जानने कि तलब उफ़ देखते ही बनती थी ....
हमम.
यहाँ मैं कुछ बता ही दू नहीं तो सब अपने - अपने मतलब निकाल लेंगे ....
"न्यू एडमिशन " - मतलब वो लड़कियां जो अभी - अभी जवानी के उस दौर मैं आई हैं जब खुजली शुरू हो ती है, पर पता कुछ नहीं होता , आधी - अधूरी जानकारी के साथ भटकती हैं. [ जैसे मैं थी - इस समय कहानी मैं ]
"डिप्लोमा धारी" - मतलब वो लड़कियां जो थ्योरी सिख चुकी हैं और ऊपर - ही ऊपर करवा चुकी हैं, जैसे किस, जोबन दबवाना, खरबूजे मिस्वाना , खरबूजे कि दरार मैं ऊँगली डलवाना, और कुछ जो "वो' चूस भी चुकी हैं.
"डिग्री धारी'- मतलब वो लड़कियां जो सब करवा चुकी हैं, न जाने कितनी बार और कितनो से [ मेरी सहेली थी यहाँ इस दौर मैं]
डिग्री धरी लड़कियां कुछ "कन्या रस" कि भी शौकीन थी उनका एक अलग वातावरण था, एकदम चिपक कर बैठना, धीरे - धीरे बोलना, मुह से कम और आँखों से बोलना, दुपट्टे कि ओट मैं जोबन दबाना , और हंस देना, फिर साथ मैं बाथरूम जाना ..... बिलकुल अलग.
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(16-05-2020, 07:01 AM)Poonam_triwedi Wrote: निहारिका जी बहुत मस्त अपडेट waahh दिल एक दम खुश हो गया
कुसुम केसी हो
कुछ मेरी परेशानी का हल भी तो बताओ
बहुत बेकरार हूँ
कल या परसो नोकरानी का संगम मेरे पति से करवा रही हूं अब वो नहीं रुक रहे है
ओर वो भी अपनी स्वीकृति दे चुकी है
एक सौतन ओर सही
कन्या रस की शौकीन जो ठहरी
तो चाहूंगी अपना समय निकाल के कुछ सुझाव लिखें यहां या फिर व्यक्तिगत नौकरानी संग पति का संगम, एक सौतन और सही ।लेकिन पुनमजी पति के लगाम को संभालकर रखियेगा, कभी एसी परिस्थिति वे पैदा कर दे जब एक पति आपको और सही।
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"तलब" कि बात है तो सब स्टेज कि अपनी अलग तलब होती है कुछ कि - जानने कि - और कुछ कि करवाने कि ......
तो , अब वापस अपनी कहनी मैं चलते हैं.....
अपने रूम का दरवाजा बंद किया और सबसे पहेले कुर्ती उतारी अहा क्या आराम आया था, जोबन कि कसावट को, फिर देर न करते हुए अपने जोबन को भी आज़ाद कर दिया ब्रा कि कैद से ........ अलमारी मैं लगे शीशे मैं खुद को नंगा देख कर शरम भी आई और अच्छा भी लगा फिर अपने दोनों हाथो से अपने जोबन को दबाया एक करंट गया नीचे दोनों टांगो के बीच मैं और रस टपका गया फिर से,
अब कोई डर नहीं था रूम मैं अकेली थी और बिना कपड़ो के मेरी उँगलियाँ अपने आप नीचे चली गयी और डूब गयी चाशनी मैं कुछ देर "नीचे वाली" के साथ खेल लेने के बाद एक बार फिर चाशनी चाटने कि तलब लग गयी, कोई तो था नहीं रोकने वाला सो "चाट" गयी उसकी खुशबू और एकदम नया स्वाद एकदम बोरा दिया दिमाग को. आँख बंद किये हुए और एकदम नंगी शीशे के सामने खड़ी थी कोई पांच मिनिट तक जब रस का स्वाद कम हुआ तो होंश आया और ध्यान आया कि मैं बिना कपड़ो के हूँ, जो कि कभी रही नहीं इतनी देर ..... क्या हो रहा है मुझे ...... अब क्या पहेनु ....
ह्म्म्म
एक ढीली सी टी शर्ट निकल ली और स्कर्ट जो घुटने तक आती थी जल्दी से पेहेंन ली इस बार बिना ब्रा के और बिना पेंटी के ... यह भी जब याद आया जब मैं मोबाइल ले कर बेड पर बैठ गयी और मूवी चला दी थी .... एक स्माइल आ गयी और अपने
आप से बोली "निहारिका - आज तेरी ब्रा और पेंटी कहाँ हैं, तू तो गयी ...... हो गया है कुछ तुजे "
हो तो गया था कुछ मुझे ... पर क्या ? कौन बताता ? सोचा कि अब मूवी देखि जाए .......बैठ गयी अपने दोनों घुटने मोड़ के और अपनी पीठ टिका के पीछे तकिया लगा के ........ सबसे पहेले मोबाइल कि आवाज कम करी और मूवी "ओंन" फिर तो फॉरवर्ड कर के वहां जा पहुची जहाँ से छोड़ कर आई थी सुमन भाभी के यहाँ ....
सुमन भाभी "वो क्या कर रही होंगी अब ..... वो भी तो गीली थी मेरी जैसी ?" क्या पता .... मैं तो देखू मूवी ......
वो ही सीन ..... जहाँ वो लड़की दूसरी वाली कि चाशनी चाट रही थी , दोनों कि आँख बंद वो लड़की अपनी टांगे खोल कर अपनी
"नीचे वाली" को फैला कर ऊँगली डलवा रही थी मैंने मोवी रोक कर देखा उफ़. इतनी बड़ी होती हैं, या हो जाती है आदमी के "उससे" मेरी तो इस मुकाबले मैं छोटी है, पता नही कैसे मेरी ऊँगली नीचे थक पहुँच गयी और "चिकनी लकीर " पर चलने लगी
और उसे नापने लगी, फिर चाशनी लपेट कर सीधा मेरे मुह मैं ...... इस बार यह अपने आप हो गया था ..... फिर वो लड़की
झुकी और अपना मुह लगा दिया उस लड़की के "चाशनी कि दुकान" मैं. अब हुई मेरी धड़कन तेज़ और मेरे निप्पल कड़क होने
लगे और कुर्ती से रगड़ लगने लगी - साली रगड़ जोबन पर लगती और चिंगारी "नीचे वाली" में से निकलती और जब हाथ लगाओ तो चाशनी के दो तार उन्ग्लिओं पर .... मुश्किल हो रही थी मुवी देखना .
फिर मैंने सोच लिया "अब नहीं" "नीचे हाथ नहीं" , एक स्माइल के साथ, अब मूवी मैं दोनों लड़कियां नंगी थी, एक दुसरे से चिपकी हुई , लिप किस करती हुई , जोबन दबाती , हलके से काटी - कटी करती , उफ़, जैसे वो काटी काटी करती वैसे ही मुझे
कुछ होता ........ अपना हाथ बड़ी मुश्किल से रोके रखे था "नीचे" जाने से .
फिर एक लड़की लेट गयी और दूसरी वाली ने अपनी ऊँगली को उसकी "नीचे वाली" मैं अन्दर - बाहर करना शुरू किया और साथ मैं चाट भी रही थी , अब यह अन्दर - बाहर तो कल वाली मोवी से समझ आ रहा था उस मैं "वो" जा रहा था यहाँ पर ऊँगली
.... चलो जो भी हो आछा लग रहा था, फर्स्ट टाइम लड़की के साथ कुछ होता हुआ देख रही थी और कर भी एक लड़की रही थी.
अब याद आया कि "निहारिका तू एटम बम है" सहेली कि बात , फिर कभी सोचेंगी कि क्यों कहा था, ह्म्म्म, अंदाजा तो हो ही गया था अब तक.
फिर उसने एक बैग उठाया और उसमे से एक प्लास्टिक के "वो" निकला , उफ़ , मुझे लगा कि यह असली का है, था ही इतना आछे से डिजाईन कि कोई भी धोका खा जाए , और मैं तो पहेली बार देख रही थी, अब क्या करेगी इसका ....
और उसने "वो" प्लास्टिक वाला अपने मुह मैं डाला और उसे चिकना किया फिर उस लड़की कि नीचे वाली मैं डाल दिया मैं देख कर दंग रह गयी यह क्या किया, काफी बड़ा था और सारा डाल दिया अन्दर, अब मेरे हाथ ने कर दी बगावत .... पहुंच गया नीचे
वाली पर और रगड़ दिया उसे, अह ....... माँ ......... मेरे मुह से निकल गया ......
और मोबाइल मेरे हाथ से नीचे गिर गया , एक हाथ मेरे जोबन को दबा रहा था और एक मेरी "नीचे वाली" पर मस्ती कर रहा था, आंख बंद और मेरे होंठ सुख रहे थे ... न जाने क्यों बदन गर्म हो रहा था ...... जैसे बुखार मैं होता है..... फिर मेरे हाथो कि
रगड़ तेज़ हो गयी मेरी नीचे वाली पर .... न जाने क्यों आछा लग रहा था ऐसा करना और साथ मैं जोबन दबाना , फिर ध्यान आया कि मूवी ...... मोबाइल उठाया ... तोवो लड़की तड़प रही थी जिसके अन्दर "वो" डाला हुआ था , आवाज निकल रही थी,
जोबन दबा रखे थे उसने दोनों हाथो से ...... एक होंठ नीचे वाला दबा हुआ था, कुछ देर मैं सब शांत ..... नीचे पड़ी लड़की स्माइल दे रही थी जैसे कुछ मिल गया हो ..... कुछ सुकून सा उसकी आँख नशीली हो गयी थी, और दूसरी "वो" जो एकदम
चिकना था शायद चाशनी मैं चाट रही थी और उसे भी चटा रही थी...... फिर अपनी ऊँगली दाल दी अन्दर उसकी नीचे वाली मैं .... और चाट गयी ..... इधर मैं भी यही कर रही थी ...... अपनी चाशनी कि दुकान से ..... चंशनी चाट रही थी.....
और मूवी ख़तम हो गयी ......... एक नशा सा था मेरी आँखों मैं ....... बदन गरम था ....... नींद आ रही थी ..............
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(19-05-2020, 10:06 PM)Niharikasaree Wrote: "तलब" कि बात है तो सब स्टेज कि अपनी अलग तलब होती है कुछ कि - जानने कि - और कुछ कि करवाने कि ......
तो , अब वापस अपनी कहनी मैं चलते हैं.....
अपने रूम का दरवाजा बंद किया और सबसे पहेले कुर्ती उतारी अहा क्या आराम आया था, जोबन कि कसावट को, फिर देर न करते हुए अपने जोबन को भी आज़ाद कर दिया ब्रा कि कैद से ........ अलमारी मैं लगे शीशे मैं खुद को नंगा देख कर शरम भी आई और अच्छा भी लगा फिर अपने दोनों हाथो से अपने जोबन को दबाया एक करंट गया नीचे दोनों टांगो के बीच मैं और रस टपका गया फिर से,
अब कोई डर नहीं था रूम मैं अकेली थी और बिना कपड़ो के मेरी उँगलियाँ अपने आप नीचे चली गयी और डूब गयी चाशनी मैं कुछ देर "नीचे वाली" के साथ खेल लेने के बाद एक बार फिर चाशनी चाटने कि तलब लग गयी, कोई तो था नहीं रोकने वाला सो "चाट" गयी उसकी खुशबू और एकदम नया स्वाद एकदम बोरा दिया दिमाग को. आँख बंद किये हुए और एकदम नंगी शीशे के सामने खड़ी थी कोई पांच मिनिट तक जब रस का स्वाद कम हुआ तो होंश आया और ध्यान आया कि मैं बिना कपड़ो के हूँ, जो कि कभी रही नहीं इतनी देर ..... क्या हो रहा है मुझे ...... अब क्या पहेनु ....
ह्म्म्म
एक ढीली सी टी शर्ट निकल ली और स्कर्ट जो घुटने तक आती थी जल्दी से पेहेंन ली इस बार बिना ब्रा के और बिना पेंटी के ... यह भी जब याद आया जब मैं मोबाइल ले कर बेड पर बैठ गयी और मूवी चला दी थी .... एक स्माइल आ गयी और अपने
आप से बोली "निहारिका - आज तेरी ब्रा और पेंटी कहाँ हैं, तू तो गयी ...... हो गया है कुछ तुजे "
हो तो गया था कुछ मुझे ... पर क्या ? कौन बताता ? सोचा कि अब मूवी देखि जाए .......बैठ गयी अपने दोनों घुटने मोड़ के और अपनी पीठ टिका के पीछे तकिया लगा के ........ सबसे पहेले मोबाइल कि आवाज कम करी और मूवी "ओंन" फिर तो फॉरवर्ड कर के वहां जा पहुची जहाँ से छोड़ कर आई थी सुमन भाभी के यहाँ ....
सुमन भाभी "वो क्या कर रही होंगी अब ..... वो भी तो गीली थी मेरी जैसी ?" क्या पता .... मैं तो देखू मूवी ......
वो ही सीन ..... जहाँ वो लड़की दूसरी वाली कि चाशनी चाट रही थी , दोनों कि आँख बंद वो लड़की अपनी टांगे खोल कर अपनी
"नीचे वाली" को फैला कर ऊँगली डलवा रही थी मैंने मोवी रोक कर देखा उफ़. इतनी बड़ी होती हैं, या हो जाती है आदमी के "उससे" मेरी तो इस मुकाबले मैं छोटी है, पता नही कैसे मेरी ऊँगली नीचे थक पहुँच गयी और "चिकनी लकीर " पर चलने लगी
और उसे नापने लगी, फिर चाशनी लपेट कर सीधा मेरे मुह मैं ...... इस बार यह अपने आप हो गया था ..... फिर वो लड़की
झुकी और अपना मुह लगा दिया उस लड़की के "चाशनी कि दुकान" मैं. अब हुई मेरी धड़कन तेज़ और मेरे निप्पल कड़क होने
लगे और कुर्ती से रगड़ लगने लगी - साली रगड़ जोबन पर लगती और चिंगारी "नीचे वाली" में से निकलती और जब हाथ लगाओ तो चाशनी के दो तार उन्ग्लिओं पर .... मुश्किल हो रही थी मुवी देखना .
फिर मैंने सोच लिया "अब नहीं" "नीचे हाथ नहीं" , एक स्माइल के साथ, अब मूवी मैं दोनों लड़कियां नंगी थी, एक दुसरे से चिपकी हुई , लिप किस करती हुई , जोबन दबाती , हलके से काटी - कटी करती , उफ़, जैसे वो काटी काटी करती वैसे ही मुझे
कुछ होता ........ अपना हाथ बड़ी मुश्किल से रोके रखे था "नीचे" जाने से .
फिर एक लड़की लेट गयी और दूसरी वाली ने अपनी ऊँगली को उसकी "नीचे वाली" मैं अन्दर - बाहर करना शुरू किया और साथ मैं चाट भी रही थी , अब यह अन्दर - बाहर तो कल वाली मोवी से समझ आ रहा था उस मैं "वो" जा रहा था यहाँ पर ऊँगली
.... चलो जो भी हो आछा लग रहा था, फर्स्ट टाइम लड़की के साथ कुछ होता हुआ देख रही थी और कर भी एक लड़की रही थी.
अब याद आया कि "निहारिका तू एटम बम है" सहेली कि बात , फिर कभी सोचेंगी कि क्यों कहा था, ह्म्म्म, अंदाजा तो हो ही गया था अब तक.
फिर उसने एक बैग उठाया और उसमे से एक प्लास्टिक के "वो" निकला , उफ़ , मुझे लगा कि यह असली का है, था ही इतना आछे से डिजाईन कि कोई भी धोका खा जाए , और मैं तो पहेली बार देख रही थी, अब क्या करेगी इसका ....
और उसने "वो" प्लास्टिक वाला अपने मुह मैं डाला और उसे चिकना किया फिर उस लड़की कि नीचे वाली मैं डाल दिया मैं देख कर दंग रह गयी यह क्या किया, काफी बड़ा था और सारा डाल दिया अन्दर, अब मेरे हाथ ने कर दी बगावत .... पहुंच गया नीचे
वाली पर और रगड़ दिया उसे, अह ....... माँ ......... मेरे मुह से निकल गया ......
और मोबाइल मेरे हाथ से नीचे गिर गया , एक हाथ मेरे जोबन को दबा रहा था और एक मेरी "नीचे वाली" पर मस्ती कर रहा था, आंख बंद और मेरे होंठ सुख रहे थे ... न जाने क्यों बदन गर्म हो रहा था ...... जैसे बुखार मैं होता है..... फिर मेरे हाथो कि
रगड़ तेज़ हो गयी मेरी नीचे वाली पर .... न जाने क्यों आछा लग रहा था ऐसा करना और साथ मैं जोबन दबाना , फिर ध्यान आया कि मूवी ...... मोबाइल उठाया ... तोवो लड़की तड़प रही थी जिसके अन्दर "वो" डाला हुआ था , आवाज निकल रही थी,
जोबन दबा रखे थे उसने दोनों हाथो से ...... एक होंठ नीचे वाला दबा हुआ था, कुछ देर मैं सब शांत ..... नीचे पड़ी लड़की स्माइल दे रही थी जैसे कुछ मिल गया हो ..... कुछ सुकून सा उसकी आँख नशीली हो गयी थी, और दूसरी "वो" जो एकदम
चिकना था शायद चाशनी मैं चाट रही थी और उसे भी चटा रही थी...... फिर अपनी ऊँगली दाल दी अन्दर उसकी नीचे वाली मैं .... और चाट गयी ..... इधर मैं भी यही कर रही थी ...... अपनी चाशनी कि दुकान से ..... चंशनी चाट रही थी.....
और मूवी ख़तम हो गयी ......... एक नशा सा था मेरी आँखों मैं ....... बदन गरम था ....... नींद आ रही थी ..............
बहुत ही कामुका चित्रण आकर्षक शब्दों में, यह कुंआरो लड़को उनकी आनेवाली पत्नी की यौन संसर्ग की इच्छा को समझने और पुरा करने मे मदद करेगा
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(16-05-2020, 11:09 PM)Niharikasaree Wrote: सुमन भाभी ने मेरे होंटो पर एक "लिटिल किस" दी , बस लिप्स से लिप्स टच कर के ..... फिर बोली अब जा ..... और कण्ट्रोल नहीं हो रहा है मुझसे .....
मैं --[ मन मैं ] सुमन भाभी कण्ट्रोल तो मुज से भी नहीं हो रहा और सबूत तो आपके हाथ मैं ही है "मेरी चाशनी" .. रोक लो न ......
एक ही शब्द निकल पाया मुह से . "जी "
..................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
हम्म, सबूत सुमन भाभी के हाथ मैं छोड़ कर निकली घर कि और आज लग रहा था कि घर कितना दूर है, चला नहीं जा रहा था सुमन भाभी के घर से दूर, जी चाह रहा था कि वापस चली जाऊ सुमन भाभी के पास और ..........
एक - एक कदम भारी था, घर से आधी दूर आ कर कुछ होंश आया कि अब माँ को क्या जबाब देना हैं सोच ले निहारिका कुछ जायदा ही लेट हो गयी आज तो , बता देना क्या खाने वाली थी और क्या चख के आई हैं - "चाशनी" फिर आई एक स्माइल और आया ध्यान कि वो आधी मूवी भी तो देखनी है और सबूत भी साफ़ करना है. "चल जल्दी निहारिका" - कहा अपने आप से
तेजी से चलते हुए, घर तक तो पहुँच गयी थी पर , दोनों जांघो तक टपक क्र रिस आई थी मेरी "चाशनी" मैं ही जानती हूँ कि उस दिन अपनी टपकती हुई चाशनी के साथ कैसे चली हूँ घर तक उस पर हाथ भी नहीं लगा सकती रस्ते मैं चलते हुए , लोग देख लेंगे तो सोचंगे "लौंडिया गरम हो रही है " ..... सही सलामत घर भी न पहुंच पाती.
घर के गेट पर पहुंच कर कुछ जान मैं जान आई और दो ऊँगली सीधी "नीचे वाली" पर रगड़ दी "साली ने आज तो जान ही ले ली", एक हाथ से घंटी बजायी कुछ देर मैं माँ ने गेट खोला और बोला "आ गयी तू, अभी सुमन से बात हुई" बोली आने वाली होगी निहारिका
मैं - हम्म, थोडा लेट हो गयी न ..... [ अब डर तो थी ही, अब यह अंदाजा लगाना था कि माँ कितना गुस्सा है]
माँ - हम्म, खा किया खाना , भर गया पेट बातो से, सुमन भी न कितनी बातूनी हैं उसके पास तो चोबीस घंटे भी कम पड़े ...
माँ - अरे तेरे दुपट्टे कि यह स्टाइल सुमन ने बनायीं , है न ... सुमन को बहुत अच्छी लगती है, मेरे भी बना देती थी फिर हम दोनों मार्किट मैं एक जैसे लगते ..... हा हा हा , क्या दिन थे ... आज तुजे उसी स्टाइल मैं देख कर पुरानी यादे ताजा हो गयी ....
मैं - हम्म, ठीक कहती हो माँ ,अच्छी हैं सुमन भाभी .
फिर धीरे से निकल पड़ी , माँ को बीती यादो मैं छोड़ के , न जाने कौन सी यादो मैं डूबी थी .... मुझे जाना था बाथरूम तक ... ताकि मैं सबूत से साथ खिलवाड़ कर सकु और मीठी खुजली को मिटा सकू ... फिर मुड के नहीं देखा माँ को , न जाने क्या पूछ लेती .
बाथरूम मैं आ कर , अब चैन मिला . जब साँस मेरी काबू मैं आई तब देखा, "v" शेप दुपट्टा, फिर ध्यान आई माँ कि बात वो भी ऐसी ही दुपट्टा लगा कर निकला करती थी , एक स्माइल आ गयी ....
अब "नीचे वाली" कि खबर साली ने परेशान कर दिया , खोली लेगिगिंग्स मैंने पूरी उतार दी, यो तो मैं सिर्फ नीचे ढलका कर सु - सु कर लेती हूँ जैसा आम तौर पर हर लड़की करती है पर आज तो मुझे देखना था कि "नीचे वाली " ने क्या काण्ड किया है, सुमन भाभी के घर से मेरे घर तक.
कुर्ती ऊपर करी और सीट पर बैठ गयी , पहेले देखा कि मेरी जांघे ऐसी चिपचिपी उफ़ जैसी "सच्ची" दो तार कि चाशनी लगा दी हो. एक हाथ से कुर्ती पकड़ी , साली वो भी बगावत पर, खुल के एक कोना नीचे आ गया , उफ़, अब यह भी शामिल ....
किया फोल्ड कुर्ती को और डाल दिया ब्रा के बीच मैं, जोबन पर , टिक गयी अबकी बार मेरी कुर्ती. अब ध्यान से देखा कि, चाशनी और ऊँगली लगा के नाक के पास लायी .... उफ़ नशीली खुशबू .... यकीं नहीं होता .... यह मेरी खुशबू हैं ?
फिर मैंने अपनी ऊँगली को अपनी नीचे वाली पर रगडा और फिर याद आया कि मूवी मैं उस लड़की ने तो अन्दर डाल दी थी ,
मैंने कोशिश करी पर डर था कि कुछ हो न जाये, पर दिल नहीं मान रहा था, आखिर ... अन्दर टच कर ही लिया , गरम - लावा था रिसता हुआ .......अन्दर तो जगह ही नहीं थी, सो निकल ली मैंने वापस और सुंघ ली .... क़यामत सी नशीली ....
"दोनों ऊँगली - "चाट" गयी " -- सच्ची .
अपनी दोनों ऊँगली मुह मैं रख कर अपनी जीभ से उस रस को चाटती रही और इधर मेरा "सु -सु" निकल रहा था, धीरे - धीरे और मेरी आँख बंद मुह मैं ऊँगली और ऊँगली मैं चाशनी और उस चाशनी में "मैं" खोयी हुई..........
न जाने मेरा सु - सु बंद हो गया , और ऊँगली कि चाशनी ख़तम हो गयी .... और मैं बैठी रही ....... करीब दस मिनिट के बाद जब मेरी उँगलियाँ फीकी लगी , तब अहसास हुआ कि मैं क्या कर रही थी,......
"सुमन भाभी" - एक ही शब्द निकला मुह से. और हंसी आ गयी ..... क्या कर दिया भाभी आप ने ........
आज मुझे मेरी "नीचे वाली" पर बड़ा प्यार आ रहा था, इतना तंग करने के बाद भी .... न जाने क्यों .....
फिर उठी मैं , फ्लश ओन किया और हाथ - मुह धोये , तोवेल से पोंछ कर हटी तो ध्यान आया .... अब क्या पहने ? लेगिगिंग्स
न - वो तो सबूत हैं ....... फिर मन मैं आया कि इस लेगिग्न्स को जब तक हो सके धोऊगी नहीं .......
क्या हो रहा था मुझे ............ कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था,
फिर लिया हाथ मैं लेगिग्न्स और कुर्ती नीचे कर के बाथरूम का दरवाजा खोला और ... दबे पाऊँ अपने कमरे तक ......
ओह ... मोबाइल .... वो तो रह गया बाथरूम मैं ...... कही माँ ने देख लिया तो ....... भागी वापस .....
उफ़, माँ ने देख लिया .......
माँ - उफ़, निहारिका .... क्या है यह .... नीचे कुछ हैं या नहीं ....... और ऐसे जोबन उछालते हुए क्यों भाग रही है, क्या हुआ ...
मैं - माँ , वो मेरा मोबाइल रह गया था बाथरूम मैं ....... बस वो ही लेने जा रही थी ....
माँ - हमम , बिना कुछ पहेने ...... पागल लड़की अब तू बड़ी हो गयी है ....... देख अपने जोबन , काया - शरीर सोच कर काम किया कर ...
[b]मैं - मन मैं -- उफ़, सारी सोच तो बह गयी आज तो माँ ...............[/b]
निहारिका जी ,मै भी परीक्षा के मुहाने पर खड़ा हु, स्वयं को xossipy से दूर रखता हूँ, लेकिन आपकी लेखनी विवश कर देती है ,कि एक बार xossipy को निहार( देख) लु।
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(20-05-2020, 03:44 PM)Chandan pushpak Wrote: निहारिका जी ,मै भी परीक्षा के मुहाने पर खड़ा हु, स्वयं को xossipy से दूर रखता हूँ, लेकिन आपकी लेखनी विवश कर देती है ,कि एक बार xossipy को निहार( देख) लु। Chandan pushpak जी
आपका तहे दिल से शुक्रिया ,
आप परीक्षा के लिए दिमाग लगाए और दिल से यहाँ पर आते रहने का कष्ट करे ..... दिल और दिमाग दोनों का का हो जायेगा .
वैसे परीक्षा के लिए शुभकामनाये ...... आते रहेयिए जब भी समय मिले .....
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(20-05-2020, 03:39 PM)Chandan pushpak Wrote: बहुत ही कामुका चित्रण आकर्षक शब्दों में, यह कुंआरो लड़को उनकी आनेवाली पत्नी की यौन संसर्ग की इच्छा को समझने और पुरा करने मे मदद करेगा
Chandan pushpak जी
यह कुंआरो लड़को उनकी आनेवाली पत्नी की यौन संसर्ग की इच्छा को समझने और पुरा करने मे मदद करेगा......
जी धन्यवाद्
हुम सभी इसी दौर से गुजेरे है या गुजर रहे हैं, मेरी यही कोस्शिश हैं कि मेरी कहानी से कुछ बाते जो हम अक्सर जान नहीं पाते या हिचक रहती हैं पूछने मैं जान पाए और साथ ही चटपटी - मसालेदार बाते होती रहे.
यह लडकियों के लिए काफी उपयोगी हो सकता है .... हमारे समाज मैं आप सभी जानते ही हो क्या हालत हैं ,, हमारे .... हम पूछे तो भी किस से हाँ , हम औरते - लडकिया कर लेती हैं गुटर -गू पर खुल कर नहीं और घर मैं तो उफ़......
मेरा निवेदन सभी महिला पाठको से कि खुल कर आये बाते करे , अपने आँगन का ................
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एक नशा सा था मेरी आँखों मैं ....... बदन गरम था ....... नींद आ रही थी ...........
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
नशा सा भरा था मेरी आखो मैं, मेरे हाथ से मोबाइल कब छूट गया पता ही न चला और एक हात तो था
ही नीचे "चाशनी कि दुकान मैं" पलके भारी हो रही थी फिर मैंने जोबन दबाये आज जायदा रस भरे लग रहे
थे , मुझे वैसे भी मेरे जोबन और दुसरो के उभरे हुए जोबन पसंद आते थे पर आज अपने जोबन दबा कर
लगा , मैं भी कुछ कम नहीं हूँ....
फिर अपना हाथ निकला "नीचे " से और "चाट" गयी चाशनी न जाने क्या हो गया था मुझे रोके न रुका
जाये .. उफ़ क्या करू हाय ...........
अब नींद ने मारा जोर , डर था कि मेरा हाथ "नीचे वाली" मैं न रह जाये और मैं सो जाऊ ... कोई देख न
ले ..... पर हाथ न हटाने कि तलब परेशां कर रही थी , क्या करती स्कर्ट के उपर से ही अपनी "नीचे वाली"
को दबा कर सो गयी, और जब तक नीद नहीं आई तब तक अपनी नीचे वाली कि नर्म पंखुडियो से खेलती
रही, ...........
फिर न जाने कब सो गयी, "भरी चाशनी" ले कर
अब मैं नींद मैं थी .... वो सपना क़यामत था , आज भी याद है ,..... काफी कुछ करती हूँ कोशिश ......
जायदा से जायदा याद कर लिखने कि .......
मिलती हूँ जल्दी ......... सपने के साथ ......
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21-05-2020, 03:40 PM
(This post was last modified: 21-05-2020, 03:42 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
वो सपना क़यामत था , आज भी याद है ,....
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
जब भी अकेले समय मिलता हैं वो चद्ती जवानी का सपना याद आ जाता है, एक कच्ची कंवारी कलि कैसे मीठी नींद मैं "जागी" हुई थी.
हम्म,
अब मेरे सपने से -------------
सबसे पहेले एक लड़की जो लाल ड्रेस मैं थी , आइने के समे कड़ी हो कर लाल लिपस्टिक लगा रही थी जी वो मैं ही थी , मेरी सहेली ने जो मूवी दी थी वही लड़की मैं अपने आप को समझ रही थी फिर मैं भी उसी लड़की कि तरह एक बेड पर बैठी थी और मेरे सामने कोई था जो बिना शर्ट के खड़ा था और मुझे देखा रहा था फिर वो आगे आया और मुझे पकड़ लिया और मेरे लाल होंठो पर कब्ज़ा कर लिया और उसके हाथ मेरे जोबन से खेल रहे थे मेरे निप्पल को निचोड़ रहे थे फिर लिप किस से अलग होकर मुझे घुमा दिया और मेरे गर्दन पर किस करने लगा उम्म्म कितना अच्छा लग रहा था फिर मेरी ड्रेस कि ज़िप खोल दी एक झटके मैं और मेरी ड्रेस मेरे हाथो से सरकती हुई मेरे पैरो मैं जा गिरी,
अब मैं सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी मैं खड़ी थी अपना सब लुटवाने को ..
फिर उसने मुझे अपने पास बैठा लिया मेरा मुह ठीक उसके जहाँ "वो" होता है वाही था, कुछ बड़ा सा लग रहा था उसकी पेंट मैं फिर उसने धीरे से अपनी पेंट उतार दी और एक बड़ा सा "वो" मेरे सामने था उसने मेरे सर पर हाथ रखा और न जाने कैसे मेरा मुह अपने आप खुल गया और "वो" गर्म सा था मेरे मुह मैं, मेरी आख खुल कर बड़ी हो गयी, और मैं उसे देखने लगी वो मुझे देख रहा था उसे कितना मजा आ रहा होगा यह उसका "वो" जो मेरे मुह मैं था बता रहा था.
उसका "सामने वाला " हिस्सा मेरे रह - रह कर फूल रहा था, साथ मैं वो आदमी "उसको" आगे - पीछे कर रहा था लेकिन धीरे धीरे कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने "वो" मेरे मुह से निकल लिया और मेरी ब्रा खोल दी और मेरे जोबन पर अपने मुह कि मोहर लगा दी न जाने कैसा सुख मिल रहा था ....
. जब लड़की अपने जोबन प्यार से और दिल से चाह कर चुसवाती है तब उसे एक असीम सुख मिलता
है, जोर - जबरजस्ती से करने पर वो मजा नहीं आता , और चूसने वाला भी ऐसे चुस्त है जैसे बबलगम
का स्वाद ख़तम हो गया हो और बस चबाये जा रहे हो ....
हम्म, अब आगे,
एक के बाद दूसरा जोबन हाय , यही सोच रही थी कि ऐसा ही चलता रहे और कभी रुके ही न उसने जब कर मेरे जोबन खाए और मैंने खिलाये - सच्ची . फिर वो थोडा नीचे हुआ, और मैं समझ गयी आ गयी मेरी "नीचे वाली " कि बारी मेरी आँख बंद हो गयी और मरे हाथ जोबन पकड़े इंतज़ार कर रहे थे कि अब मेरी पेंटी मेरे बदन से आजाद होगी और वो मेरे "नीचे वाली" पर अपने होठो से कब्ज़ा कर लेगा, और मेरा इंतज़ार ख़तम हुआ और उसके गर्म होंठ मेरी "चाशनी कि दुकान" का रस पीने लगे और मेरी सांस तेजी से चलने लगी. मेरा जिस्म हलका होना लगा और मैं किसी और ही दुनिया मैं खो गयी , फिर वो अपने चाशनी से भरे होंठ पर जीभ फेरता हुआ उठा और "मूड्स" का पैकेट निकल लिया और उसमे से एक पैक निकला और उसे फाड़ कर वो निकल लिया और अपने खड़े हुए "उस" पर थोडा हिलाते हुए लगा लिया फिर उसने मेरी टांगे फैला कर .........
बस जी, इतना ही .... आगे नहीं था, पर सपने मैं आगे थी सुमन भाभी ......
जब तक मेरे साथ "सब कुछ" नहीं हो गया तब तक दिल मैं इच्छा थी कि वो जब करे तब "मूड्स" लगा कर करे , और जब किया तब तक और भी कई आ गए थे मूड्स जैसे , रोज रात नया और फ्लेवर
वाला भी .... लीची , चॉकलेट ...... उफ़ मैं भी क्या बताने लग गयी ....
मिलती हूँ जल्दी .... सपने मैं --- सुमन भाभी के साथ ...........
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24-05-2020, 12:29 PM
(This post was last modified: 24-05-2020, 12:32 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं वापस आ गयीं हूँ बस पहले तो आपकी सारी पोस्टें पढ़ीं , ' चाशनी ' की बात पढ़कर चासनी निकल आयी और इलाज करने वाला पास हो तो , चासनी के साथ रबड़ी मलाई भी कटोरी भर ,...
सुमन भाभी वाले प्रसंग तो जबरदस्त हैं , असल में सबसे रसीला रिश्ता तो ननद भौजाई का ही है , ... अभी थोड़ी फ्री हुयी हूँ , तो सोचा दरवाजा खटखटा दूँ , ... में जान रही थी आप सब की गालियां तो बहुत पड़ेंगी ,... लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होतें हैं न , ननद भाभी के , सहेलियों के जिनमें बिना गाली के बात करना ही गाली देने जैसा लगता है ,
पूनम जी , कुसुम जी , चाशनी की बात पढ़कर आप लोगों की भी यही हालत होती होगी जो मेरी आज हुयी ,
हम सब लोग ठीक हैं , ' काम धाम ' में व्यस्त ,अब कल से इनका आफिस पार्ट टाइम खुल रहा है , हफ्ते में तीन दिन , चार चार घंटे के लिए नौ दस बजे जाकर दोपहर के खाने के लिए घर पर ,... और उसके बाद ,... आप सब सहेलियां सोच सकती हैं स्वीट डिश में क्या होगी ,...
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(24-05-2020, 12:29 PM)komaalrani Wrote: मैं वापस आ गयीं हूँ बस पहले तो आपकी सारी पोस्टें पढ़ीं , ' चाशनी ' की बात पढ़कर चासनी निकल आयी और इलाज करने वाला पास हो तो , चासनी के साथ रबड़ी मलाई भी कटोरी भर ,...
सुमन भाभी वाले प्रसंग तो जबरदस्त हैं , असल में सबसे रसीला रिश्ता तो ननद भौजाई का ही है , ... अभी थोड़ी फ्री हुयी हूँ , तो सोचा दरवाजा खटखटा दूँ , ... में जान रही थी आप सब की गालियां तो बहुत पड़ेंगी ,... लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होतें हैं न , ननद भाभी के , सहेलियों के जिनमें बिना गाली के बात करना ही गाली देने जैसा लगता है ,
पूनम जी , कुसुम जी , चाशनी की बात पढ़कर आप लोगों की भी यही हालत होती होगी जो मेरी आज हुयी ,
हम सब लोग ठीक हैं , ' काम धाम ' में व्यस्त ,अब कल से इनका आफिस पार्ट टाइम खुल रहा है , हफ्ते में तीन दिन , चार चार घंटे के लिए नौ दस बजे जाकर दोपहर के खाने के लिए घर पर ,... और उसके बाद ,... आप सब सहेलियां सोच सकती हैं स्वीट डिश में क्या होगी ,...
कोमल जी ,
जान आ गयी हो जैसे , आपके आने कि खुशबू से तो सारा फोरम महक जाता है.
सब ठीक है, और आप भी कुछ फ्री हो गयी हैं, टेंसन कि वजह से मूड भी ख़राब रहता है. कोई नहीं जी, अपडेट न सही , हम औरतो वाली चुहल बजी तो कर ही सकते हैं.
जी सही कहा आपने ननद - भाभी का रिश्ता एक कोमल और महकदार रिश्ता होता है, जरा सी बात और मुह फुला लेना "मेरा क्या है - आज नहीं तो कल चली जाउंगी इस घर से, आप ही संभालना......" और भी कई नोक - झोंक फिर वापस एक साथ .... दिल नहीं लगता तेरे बिना ..............
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मेरी सहेलिओं
निकलती हूँ समय , घर के काम मैं ही व्यस्त हो रही हूँ ....... और सुमन भाभी रोज "कर" रही हैं सपनो मैं ...... बताती हूँ जल्दी
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(25-05-2020, 04:23 PM)Niharikasaree Wrote: मेरी सहेलिओं
निकलती हूँ समय , घर के काम मैं ही व्यस्त हो रही हूँ ....... और सुमन भाभी रोज "कर" रही हैं सपनो मैं ...... बताती हूँ जल्दी
इंंंइंतजार रहेेेगा
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निहारिका जी लाजवाब अपडेट दिए है दिल खुश कर दिया आप ने तो
आप की लेखनी के जादू से भला कौन बच पाया है
खुद कोमल जी कायल है आप के लेखन की
कोमल जी फिर से हाज़िर हो गयी है मैं बता नहीं पा रही हूं कितनी ख़ुशी हो रही है
कोमल जी के बिना सब सुना_सुना एक दम नीरव सा लगता था
अब कोमल जी को देख के फिर से मस्ती सी छा गयी है
निहारिका जी जल्दी से आ जाओ आप भी थर्ड पे
ओर कोमल जी से भी आग्रह है अब देर ना करो
सभी कहानियों में अपडेट शुरू हो जाते तो मजा आ जाता
एक लम्बा इंतज़ार बिता है, अब कोमल जी देर ना करना
निहारिका जी अगले अपडेट के इंतज़ार में हूँ
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