21-02-2019, 10:05 AM
दीदी की जेठानी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery दीदी की जेठानी
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21-02-2019, 10:05 AM
दीदी की जेठानी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 10:06 AM
मैं अपनी चचेरी बहन के पास उसके ससुराल में गया था और तभी यह सब हो गया। मेरा इंटरव्यू था वहाँ। सुबह जल्दी नहीं पहुँच सकता था तो मैं एक दिन पहले ही वहाँ पहुँच गया। जब मैं पहुँचा तो बारिश हो रही थी और मैं उनके घर पहुँचते पहुँचते बहुत भीग गया था।
वैसे तो मैंने एक दिन पहले ही फोन करके उनको मेरे आने का बता दिया था पर जब मैं पहुँचा तो हैरान रह गया। उनके मकान पर ताला लटका हुआ था। ताला देख कर मैं बेचैन हो गया क्यूंकि उस शहर में मैं पहली बार आया था और मेरी बहन और जीजा के अलावा मुझे यहाँ कोई जानता भी नहीं था। मैं उनके घर के आगे खड़ा हुआ भीग रहा था कि तभी पास वाले मकान से आवाज लगाई किसी ने। वो एक खूबसूरत सी औरत थी जो मुझे बुला रही थी। मैं उनका गेट खोल कर अंदर चला गया। तभी वो बोली- तुम राज हो क्या..? उसके मुँह से अपना नाम सुन कर हैरानी भी हुई और संतुष्टि भी कि चलो कोई तो जानता है मुझे यहाँ। मैंने जब हाँ में सर हिलाया तो वो मुझे लेकर घर के अंदर गई। अंदर पहुँच कर उसने मुझे तौलिया दिया और बाथरूम में जाकर कपड़े बदल कर आने को कहा। मैं भी चुपचाप बाथरूम में चला गया। मुझे अभी तक घर में किसी और के होने का एहसास नहीं मिला था। बाहर आने के बाद वो मुझसे बात करने लगी और उसने बताया कि मेरे जीजा को एक बेहद जरूरी काम से बाहर जाना पड़ गया है। वो जाते हुए उसको बता कर गए थे मेरे आने के बारे में और इसी लिए वो बाहर खड़ी मेरा ही इन्तजार कर रही थी। बातें करते करते ही मुझे पता चला की यह जीजा के चचेरे भाई की बीवी थी या दूसरे शब्दों में कहें तो मेरी दीदी की जेठानी थी। अब मैं बिल्कुल निश्चिंत था क्यूंकि अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी। उसने मेरे लिए चाय बनाई और फिर हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे। मेरे कपड़े गीले हो गए थे तो मैंने अब सिर्फ एक बनियान और लोअर पहना हुआ था जो मैं रात को सोते समय पहनने के लिए साथ में लाया था। चाय पीने के बाद वो अंदर गई और मशीन में डाल कर मेरे कपड़े पानी में से निकाल कर सुखा दिए। जब वो मेरे कपड़े धो रही थी तो मेरी नजर उस पर पड़ी। वो अपनी साड़ी को ऊपर करके मशीन पर झुकी मेरी कपड़े खंगाल रही थी। सबसे पहले मेरी नजर उसकी गोरी गोरी टांगों पर पड़ी जिन्हें देखते ही मेरे दिल में हलचल होने लगी। थोड़ा ऊपर देखा तो दिल धाड़ धाड़ बजने लगा। दीदी की जेठानी जिसका नाम शर्मीला था जब वो झुकी तो उसकी चूचियों का आकार देखकर मेरा लण्ड लाव खाने लगा। मैंने लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था क्यूंकि वो गीला हो गया था। ढीले से लोवर में जब लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ तो तम्बू सा बन गया। मुझे इसका एहसास जब हुआ तो मैं बहुत असहज सा हो गया। मैं दूसरी तरफ मुँह करके लण्ड को बैठाने की कोशिश करने लगा पर जितना मैं कोशिश कर रहा था उतना ही वो और अकड़ कर खड़ा हो रहा था। कुछ देर बाद वो कपड़े सुखा कर फिर से मेरे पास आ कर बैठ गई। मैंने उससे पूछा- तुम घर में अकेली हो? तो उसने बताया कि उसके पति भी जीजा और दीदी के साथ गए हुए हैं और उसका बेटा जो 6 साल का है वो पास के घर में टयूशन पढ़ने गया है। बारिश के कारण वो अभी तक नहीं आया है। कपड़े धोते हुए उसके खुद के कपड़े भी गीले हो गए थे। गीले कपड़े उसके गदराए बदन से चिपक गए थे। मेरी हालत खराब होती जा रही थी। पर कुछ कर नहीं सकता था। कुछ देर बाद वो उठ कर रसोई में चली गई रात का खाना बनाने के लिए, मैं बाहर सोफे पर बैठा टीवी देखता रहा और रसोई में खड़ी शर्मीला की गाण्ड जो साड़ी में बुरी तरह से कसी हुई थी देख रहा था। लण्ड वैसे फड़क रहा था जैसे खाना देख कर भूखे के पेट में चूहे कूदते हैं। तब तक उसका बेटा भी आ गया और फिर जल्दी ही मेरी और उसकी दोस्ती भी हो गई। रात को खाना खाने के बाद सोने की तैयारी होने लगी। शर्मीला ने मुझे मेहमानकक्ष में सो जाने को बोला और वहीं मेरा बिस्तर ठीक कर दिया। मेरे दिल में चुदाई करने की बेचैनी हो रही थी पर इज्ज़त के डर से मैं कुछ कर नहीं सकता था। वो मेरे दीदी की जेठानी थी, रिश्ता ही कुछ ऐसा था। मैं भी कुछ देर टीवी देख कर कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया और अपने लण्ड महाराज को समझा-बुझा कर बैठाने की कोशिश करने लगा। तभी मुझे लगा कि दरवाजे पर कोई था। मैंने लण्ड पर से अपना हाथ हटाया और करवट बदल कर लेट गया। तभी दरवाजे पर खट खट हुई, मैंने देखा तो शर्मीला थी, वो मुझे दूध देने आई थी। मैंने उसकी तरफ करवट ली तो मेरा लण्ड ऊपर को सिर उठा कर खड़ा हो गया। मैंने जानबूझ कर उसके सामने ही लण्ड को हाथ से नीचे दबाया। मैं चाहता था कि उसका मेरे लण्ड पर ध्यान पड़े। पर वो तो पहले ही मेरे लण्ड को घूर रही थी। जब मैं दूध का गिलास उसके हाथ से लेने लगा तो मैं ताड़ गया कि उसका ध्यान लण्ड पर है। मैंने उसको छेड़ते हुए उसके दिल को टटोला और पूछ लिया- क्या देख रही हैं आप? वो सकपका गई और दूध मुझे पकड़ा कर एकदम से कमरे से बाहर चली गई। मैंने दूध पिया, गर्म दूध पीकर और शर्मीला की गदराए बदन को देख कर मेरा लण्ड पूरे शवाब पर आ गया। कुछ देर बाद मैंने लण्ड को पजामे से बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगा। मुझे एक बार फिर ऐसा लगा कि कोई दरवाजे पर है। पर अब तो मैं भी उसको अपना लण्ड दिखाना चाहता था। तभी दरवाजे पर दुबारा खटखट हुई तो मैंने लण्ड को पजामे में अंदर करने की कोशिश की पर वो खड़ा हो कर अकड़ गया था तो अंदर नहीं गया। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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21-02-2019, 10:06 AM
शर्मीला मेरे पास आई और बोली- दूध पी लिया तुमने?
मैंने दोनों हाथों से लण्ड को छुपाने की कोशिश करते हुए हाँ में सर हिला दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं। गिलास बिस्तर के दूसरी तरफ रखा था तो शर्मीला ने मुझे गिलास पकड़ाने को कहा। पर मेरे दोनों हाथ तो लण्ड को छुपाने में लगे थे तो गिलास कैसे पकड़ाता। जब शर्मीला ने दूसरी बार गिलास देने को कहा तो मैंने एक हाथ बढ़ा कर गिलास उठाने के लिए मुड़ा तो मेरा लण्ड कूद कर बाहर आ गया और सिर उठा कर खड़ा हो गया। शर्मीला ने शरमाने का नाटक करते हुए अपनी आँखें हाथों से ढक ली। पर वो वहाँ से गई नहीं थी। मैंने मौका देख कर उसका हाथ पकड़ा तो वो हाथ छुड़वा कर कमरे से बाहर चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया। वो रसोई में थी और एक कोने में खड़ी थी। मैं भी रसोई में चला गया। उसकी साँसे तेज तेज चल रही थी, वो बोली- राज, तुम जाओ अपने कमरे में...प्लीज ! पर मैं चूत का रसिया ऐसे कैसे उसको छोड़ देता। मैंने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया। उसने झटके से अपना हाथ छुड़वा लिया और रसोई से जाने लगी। जब वो जाने लगी तो मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी कमर को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया। अब वो मेरी बाहों की जकड़ में थी और छुटने के लिए छटपटा रही थी। मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए और उसको चूमने लगा। गर्दन को चूमने के बाद उसके कंधे और फिर उसके कान की लटकन को मैंने अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया। वो कुछ बोल नहीं रही थी बस अपने आप को मेरे बाहों के घेरे से छुड़वाने की कोशिश कर रही थी। उसकी साँसें तेज हो गई थी। तभी मैंने उसको घुमा कर दीवार के साथ लगा कर खड़ा कर दिया। उसने आँखें बंद की हुई थी। पसीने पसीने हो चुकी थी वो। मैं अब भी उस से चिपक कर खड़ा था। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे तो वो सिहर उठी। उसने गर्दन झटक कर अपने होंठों को मेरे होंठों से अलग किया और बोली- राज... मत करो ऐसा... मैं बहक रही हूँ... प्लीज मत करो... मैं जवाब में कुछ नहीं बोला बस मैंने दुबारा अपने होंठों से उसका मुँह बंद कर दिया और एक हाथ से उसकी गोल गोल चूची को पकड़ कर मसलने लगा। वो बदहवास सी होती जा रही थी। मैंने मन ही मन कुछ सोचा और एकाएक उसको छोड़ कर अलग हो गया। वो मेरी इस हरकत से हैरान हो गई और अचम्भित निगाहों से मेरी तरफ देखने लगी। मैं भी उसकी आँखों में देख रहा था। तभी मैंने दोनों बाहें फैला कर उसको आने का इशारा किया तो पहले तो वो चुपचाप खड़ी रही पर फिर वो अपने आप को रोक नहीं पाई और मेरी बाहों में समा गई। मैंने एक बार फिर से उसके होंठों का रसपान शुरू कर दिया। अब वो भी इस चुम्बन में मेरा सहयोग कर रही थी। मैंने उसको अपनी बाहों में उठाया और कमरे में ले गया। जब उसको बिस्तर पर लेटाया तो उसका पल्लू बगल में गिर गया, उसके ब्लाउज में कसे दो खरबूजे के आकार की चूचियाँ देख मेरा लण्ड सलामी देने लगा। मैं उसके बगल में लेट गया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूमने लगा। "राज... मत करो ऐसा... मैं बहक रही हूँ राज... रोक लो अपने आप को... प्लीज..." वो बड़बड़ा रही थी पर उसके हाथ अब मेरे सिर पर बालों को सहला रहे थे और मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा रहे थे। मैंने एक एक करके उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए, उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी। ब्लाउज खुलते ही उसके दोनों खरबूजे ऊपर को तन कर खड़े हो गए। मैंने देर नहीं की और उसकी बाईं चूची को अपने मुँह में ले लिया और उसके चुचक को अपने दांतों से काटने और जीभ से सहलाने लगा। दाईं चूची को मेरा हाथ मसल रहा था। शर्मीला पलंग पर जल बिन मछली की तरह छटपटा रही थी। वो वासना की आग में जल रही थी अब। वो मेरे लगभग आठ इंच लम्बे लण्ड को अपनी चूत में लेने को बेचैन हो रही थी। पर मुँह पर अभी भी ना ही थी। मैंने अगले पाँच मिनट में शर्मीला के सारे कपड़े उतार कर एक तरफ़ रख दिए और उसके नंगे बदन को चूमने लगा। क्लीन शेव चूत देख कर मज़ा आ गया। शर्मीला की चुत का रंग थोड़ा काला सा था पर अंदर से लाली झलक रही थी। मैं उसकी नाभि क्षेत्र को चूमते-चूमते नीचे बढ़ रहा था। और जब मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रखे तो उसके शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। उसने बाद में बताया कि यह उसके लिए बिल्कुल नया मज़ा था। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 10:06 AM
मैं जीभ को अंदर डाल डाल कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी सीत्कारें कमरे के मौसम को रंगीन करने लगी,"आह्हह्ह... ओह्ह्ह आऊचच्च्च... खा जा.... आह्ह्ह मैं मर गयी ईईईइ.... आःह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़.... तू तो बहुत मस्त है रे...ओह्ह्ह आह्हह्ह !"
मैंने दोनों हाथ बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ ली और मसलने लगा और जीभ को जितना अंदर जा रही थी चूत में घुसा घुसा कर उसकी चूत चाट रहा था। वो इस अनोखे आनन्द को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाई और जोरदार ढंग से झड़ गई। उसकी चूत के नमकीन पानी का स्वाद मेरे मुँह में घुल गया। अब वो मेरे लण्ड को पकड़ पकड़ कर मसल रही थी, साँस तेज तेज चल रही थी उसकी। मैंने अब लण्ड जैसे ही उसके मुँह की तरफ किया तो उसने थोड़ी सी झिझक के साथ उसको मुँह में ले लिया और चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद वो चुदवाने के लिए बेचैन हो गई। मेरा लण्ड भी अब पूरा अकड़ कर खड़ा था। मैंने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के मुहाने पर रखा तो वो बोली- राज.. आज तुमने मुझे लूट लिया... मैं कुछ नहीं बोला बस एक झटका लगा कर आधा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। "आह्हह्ह.... आराम से राज... तुम्हारा बहुत मोटा है...!" लण्ड की तारीफ़ सुन कर मैं मुस्कुराया और एक जोरदार धक्के के साथ ही पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक गाड़ दिया। लण्ड सीधा उसकी बच्चादानी से जाकर टकराया और वो उछल पड़ी। मैंने बिना देर किये धक्के लगाने शुरू कर दिये। हर धक्के के साथ शर्मीला के मुँह से “आह्ह्ह... ओह्ह्ह... उफ्फ्फ्फ्फ़. उईई... मम्म्म...और जोर से मेरे राजा... आह्ह.. जोर से... मजा आ गया...” निकल रहा था। वो चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी। वो बहक चुकी थी और अब और बहकना चाहती थी। वो दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ पकड़ कर खिंच रही थी और मेरे हर धक्के को अंदर तक महसूस करना चाहती थी,"चोद मेरे राजा.. अह्ह्ह... आह्हह्ह... ओह्ह्ह. चोद जोर जोर से चोद... फाड़ दे इस को... लण्ड देख कर बहक गई... इसकी सजा तो मिलनी ही चाहिए इसको... फाड़ दे जोर जोर से चोद कर फाड़ दे...." वो मस्ती के मारे लगभग चीख रही थी। उसके मस्त होने से मुझे भी भरपूर मज़ा आ रहा था। सच कहूँ तो उसकी चूत थी भी बहुत मस्त और कसी। लगता ही नहीं था कि इस चूत से कोई बच्चा भी निकला होगा छह साल पहले। चूत मस्ती के मारे पानी पानी हो रही थी, फच्च फच्च की आवाज मादकता का संगीत सुना रही थी। अब लण्ड सटासट चूत में आ-जा रहा था। बेहद मस्ती का माहौल था। रात पूरी तरह से बहक चुकी थी। बिस्तर पर जैसे भूचाल आ गया था था। जोरदार धक्कों से शर्मीला की चुदाई हो रही थी और वो भी गाण्ड उठा उठा कर मेरा लण्ड अंदर तक ले रही थी। लगभग बीस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद शर्मीला तीन बार झड़ कर पस्त हो गई थी और अब मेरा लण्ड भी शर्मीला की चूत पर अपने प्यार की बरसात करने को बेताब था। मेरे धक्कों की गति कई गुणा बढ़ गई थी। लण्ड शर्मीला की चूत का भुरता बना रहा था और फिर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। लण्ड से वीर्य की बौछार शुरू हो गई। गर्म गर्म वीर्य जब शर्मीला की चूत में गिरा तो वो तड़प कर मुझसे लिपट गई। लण्ड चूत को वीर्य से भरने में लगा था। मैं भी अब पस्त होकर शर्मीला के गदराए बदन पर लेटा हुआ था।शर्मीला ने भी अपनी बाहों में मुझे जकड़ रखा था। हम दोनों ने परमसुख की प्राप्ति कर ली थी। चुदवाने के बाद शर्मीला उठ कर अपने कमरे में चली गई। मैं कुछ देर के बाद उठ कर उसके कमरे में गया तो देखा वो गुमसुम सी ड्राइंगरूम में सोफे पर बैठी थी। मैं उसके पास बैठ गया तो वो परेशानी वाली आवाज में बोली- राज हमें यह सब नहीं करना चाहिए था... मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और मुझे उन्हें धोखा नहीं देना चाहिए था.! "शर्मीला, जो जो जब जब होना है हो कर रहता है... तुम सोचो कि क्यों भगवान ने हम दोनों को अकेले में मिलवाया और क्यों तुम्हारे और मेरे दिल में एक दूसरे के प्रति आकर्षण जगाया... तुम अपने आप को दोष ना दो, जो हुआ वो ऊपर वाले की मर्जी थी।" वो सुबक पड़ी तो मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठाया और उसकी आँखों को चूम लिया। मैंने उसको अपनी बाहों में भरा और अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए। उसने एक बार तो अपने होंठ मेरे होंठों से हटाये पर फिर एकदम से मेरे गले लग गई और फिर तो आप सब समझ ही सकते हो कि क्या हुआ होगा। कुछ ही देर बाद हम दोनों एक बार फिर कमरे में बिस्तर पर थे बिना कपड़ों के। फिर तो कमरे में सुबह तक भूचाल मचा रहा। कब सुबह हुई पता ही नहीं चला। अगले दिन इंटरव्यू के बाद मैं वापिस घर पहुँचा तो पता लगा की शर्मीला के पति आज नहीं आ रहे हैं। मुझे वापिस आना था पर शर्मीला ने मुझे आने ही नहीं दिया और फिर वो रात भी बहक गई। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-11-2020, 02:14 PM
मेरी दीदी की जेठानी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-11-2020, 02:16 PM
मेरी दीदी की जेठानी
दीदी की जेठानी को गाँव से बुला लिया था उन्हें दीदी कहके ही पुकारता था. सो अब स्टोरी पर आता हु. मेरी उनके साथ बहुत पटती थी और हम दोनों हमेशा ही आपस में मजाक करते थे. जब भी मैं गाँव जाता था. तो वो मुझसे मेरी गर्ल फ्रेंड के बारे में पूछती थी और मैं उनको मनगडथ कहानी सुना देता था. मेरी कोई गर्ल फ्रेंड तो थी नहीं. फिर भी उनको मेरी कहानी सुनने में मज़ा आता था. एक दिन तो उन्होंने मेरे गाल पर किस कर दिया. मैं शॉक रह गया था. फिर उन्होंने हंसी में बात को टाल दिया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-11-2020, 02:16 PM
पर मैं उस वक्त कुछ नहीं कर सकता था. बस समय की प्रतीक्षा में था, जोकी मुझे अब मिलने वाला था. जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी. तो मुझे घर आये ११ दिन के ऊपर हो चुके थे. इस बीच मैंने खूब छेड़ा उन्हें. इधर-उधर हाथ मारता, वो कुछ भी नहीं बोलती थी, उल्टा मुझे चिड़ा देती थी. १२ दिन के बाद, दादी जी का सब क्रियाकर्म ख़तम हुआ और फिर आई वाज अलाउड तो स्लीप ओं बेड, अब तक मैं नीचे जमीन पर ही सो रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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17-11-2020, 02:17 PM
मारे घर में दो बेडरूम और एक गेस्टरूम है. मैं अपने रूम में सोता था और उसी रात को माँ ने अंजू से कहा की वो मेरे कमरे में सो जाए. बारिश का मौसम था, थोड़ी ठण्ड भी थी. तो माँ ने एक बड़ा मोटा चादर हमको दे दिया और बोला – रात को अगर ठण्ड लगे. मैं तो बहुत ही एक्साइट था. जिस कारण मेरे लंड महाराज ख़ुशी से फुला और खड़ा था. ऐसी फीलिंग मुझे पहले कभी नहीं हुई थी. सभी दरवाजे बंद करके वो कमरे में आई और मेरे साइड लेट गये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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17-11-2020, 02:17 PM
वो मेरे साइड में लेटी थी और सोने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मेरे आँखों में नीद नहीं थी. मैं तो बस उनको पेलने की फ़िराक में था. मैं उन्हें जकड़ लिया और मेरी ओर खीच लिया, मानो कामदेव ने कृपा की हो. वो मना करने लगी, कि माँ जाग जायेगी. ये सब ठीक नहीं है, पर ज्यादा फोरस नहीं कर रही थी. मैंने थोड़ा जोर दिया, कि कुछ नहीं होगा, कोई नहीं जानेगा. मैं तो बस तुम्हे पकड़कर सोना चाहता हु. वो मना कर रही थी और मैं उसको पकड़कर सोने की जिद कर रहा था. थोड़ी सी जिद के बाद उसने भी प्रोटेस्ट करना बंद कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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17-11-2020, 02:17 PM
हाथ के ऊपर हाथ को रखने सोने की एक्टिंग करने लगा. मैंने सोचा, अच्छा मौका है हाथ साफ़ करने का और मैंने अपना हाथ खीच के उसके साड़ी के अन्दर उसके पेट पर रख दिया और कसके जकड़ लिया. वो थोड़ी सी मेरे बदन से चिपक गयी और कहने लगी, कोई जाग जाएगा. माँ उठ जायेगी. तो मैंने थोडा कन्वेंस किया, तो वो मान गयी और मैं अपना हाथ थोडा-थोडा ऊपर लेता गया और फाइनली उसके रसीले आम को मैंने पकड़ लिया. एक अजीब सी करंट मेरे शरीर में दौड़ गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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17-11-2020, 02:17 PM
मेरे बदन का रोम-रोम सिहर उठा. शायद फर्स्ट टाइम ऐसा ही होता होगा, ये मैंने मन ही सोच लिया. वो मन करने लगी, पर मैं कहाँ मानने वाला था. मैंने वैसे ही उसके चूची को पकड़ा और थोड़ी देर के बाद एक-एक करके उसकी ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खोल दिए. अब मैंने अपना हाथ ब्लाउज के अन्दर घुसा दिया. वह मानो जन्नत की कोई हसीन चीज़ मेरे हाथ लग गयी हो. इसके पहले मैंने बहुत साड़ी ब्लू फिल्म देखी और मुझे पता था, कि इसके आगे क्या करना है. सो मैंने अंजू के दूध को मसलना शुरू कर दिया.
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17-11-2020, 02:17 PM
वो अपनी आँखे बंद किये हुए कुछ बडबडा रही थी. शायद वो मोअनिंग कर रही थी. मैं उस तरफ ध्यान ना देते हुए, बाकि के बचे हुक को भी खोलने लगा. मैंने उसके ब्लाउज को उतार फेंका. वो यार क्या नज़ारा था. आज तक मैंने जो चीज़ ब्लू फिल्म में ही देखी थी वो आज मेरे सामने थी. मैं खुद पर कण्ट्रोल नहीं कर सका और टूट पड़ा उन प्यारे कप साइज़ दूध के ब्राउन निप्पल पर. वो एकदम इरेक्ट हो चुके थे. अंजू ने मुझे हटाया और मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए.
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17-11-2020, 02:18 PM
मैं मान ही मान खुश हुआ, कि चलो आखिर में साली माँ की लौड़ी जो इतने दिनों से मुझे परेशान किये हुई थी, आज मेरे सामने अर्ध नंगी हो के लेटी है. खूब जोर से हमारी किस चल रही थी. मैं उसकी जीभ चूस रहा था और वो मेरी. मैंने उसे नीचे बेड पर गिरा दिया और उसको सर से लेकर पेट तक चूमने लगा. अंजू बस मोअन किये जा रही थी. आहाहाहः हहहहः आआआआआआ ऊऊऊ बस करो विराज आहाहाह..मर जाउंगी .. बस करो . और मैं भी कहाँ रुकने वाला था. एक हाथ से उसके दूध को दबाता रहा. मैंने अपनी जीभ से उसकी नाभि चाटे जा रहा था. मुझे उसकी नाभि चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था, वो मानो मछली की तरह उछल रही थी. फिर मैंने उसके निप्पल को मुह में भरा और जोर से चूसने लगा.
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17-11-2020, 02:18 PM
अंजू – खा जा इसे. चबा डाल. बहुत हैरान किये हुए है और तेरे लिए ही बचाकर रखे है. सक इट हार्डर. मोर हार्डर हहहहः ऊऊऊऊऊ म्मम्मम्मम एस बेबी. सक इट.. अहहः हहहः एस मोर मोर एस एस डार्लिंग . एस ..ऊऊऊ . ऊऊऊओ उसकी आवाज़े तेज होने लगी थी. अब मुझे डर लगने लगा था, कि ये आवाज़े माँ ना सुन ले. इसलिए, मैंने उसके मुह में एक कपड़ा ठूस दिया और उसके मुह को बंद कर दिया. लेकिन मैंने अपने काम को जारी रखा और उसके चूचो को चूस-चूसकर लाल कर दिया और अपने दांत भी गडा दिए. उसके चूचो पर मेरे दांत के निशान आ गये.
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17-11-2020, 02:18 PM
सने मेरे पेंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ लिया और दबाने लगी. मैंने उसे पेंट उतारने को कहा और उसने झट से मेरी पेंट को नीचे कर दिया. उसने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर से बाहर निकाल लिया और उसको देखने लगी. मेरा लंड एवरेज ६” का है और अच्छा मोटा भी है. कोई भी चूत को संतुष्ट करने के लिए ठीक है. तो उसे देखते ही उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी. उसे पता था, कि ये मेरा पहली बार है. इसलिए उसने जल्दी ना करते हुए, धीरे – धीरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू किया. काफू सीखी हुई खिलाडी थी. मैं अपने पर कण्ट्रोल नहीं रख पा रहा था और मैंने उसे जड़ से तेज हिलाने को कहा. तो उसने तेजी से हिलाना शुरू कर दिया और ४-५ मिनट में ही मैं झड़ गया. ये जो लम्हा था, क्या बताऊ स्वर्ग था, बड़ा सुख मिला मुझे. मुझे पता था, कि ये तो शुरुवात थी. फिर उसने सारा माल अपने हाथो से साफ़ किया. इतना सारा कम आज पहले कभी नहीं निकली थी. उसके बाद उसने मुझे फिर से किस करना शुरू किया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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17-11-2020, 02:18 PM
मैं भी धीरे-धीरे मूड में आने लगा था और लंड फिर खड़ा होने लगा. इस बार लंड कुछ ज्यादा बड़ा और फुला हुआ था. अंजू की आँखों में चमक आने लगी थी और वो अपने होठो पर अपनी जीभ फेर रही थी. मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी और मुझे समझ आ गया था, कि मुझे क्या करना है? मैंने उसे झट से सुलाया और उसके सुंदर ब्राउन चुचियो को मसलने लगा. वो मोअन कर रही थी अहहहः हहहः विराज ..कुछ करो ना .अब सहन नहीं हो रहा .. जल्दी करो ना . और नहीं सहा नहीं जा रहा. अब मैं उसे चुमते हुए, धीरे-धीरे उसके पैरो तक पहुच गया और वहां उसको किस करने लगा. फिर धीरे-धीरे उसकी साड़ी को उठाने लगा और किस करता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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17-11-2020, 02:18 PM
देर ना करते हुए, मैंने साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया और पेटीकोट साड़ी को निकाल फेंका. क्या गजब लग रही थी वो. आँखों पर यकीं नहीं हो रहा था. उसकी पेंटी भीगी हुई थी. शायद उसने पानी छोड़ दिया था. वो शर्मा रही थी और अपने हाथो से उसकी पेंटी को छुपा रही थी. मैंने उसके हाथो को चूमा और हटा दिया और फिर साइड से थाई को खूब चाटा और चूमा. फिर उसकी पेंटी को भी निकाल फेंका.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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17-11-2020, 02:19 PM
त पर हलके ब्राउन बाल थे, शायद १-२ दिन पहले ही काटे होंगे. मैंने उसके ऊपर लगे हुए जूस को साफ़ किया. मैं उसकी चूत के ऊपर किस कर रहा था. उसने मुझे कहा, कि ये गन्दा है. पर मैंने कहा – कि मैं इसे टेस्ट करना चाहता हु. वो मना कर रही थी और मेरी बड़ी जिद करने पर मुश्किल से मानी. फिर क्या था, मैं तो टूट ही पड़ा उसकी चूत पर. मैंने उसकी चूत पर किस कर रहा था और धीरे से मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में डाल दी. क्या गरम थी उसकी चूत ..अहहहः . म्मम्मम्मम . हहहहहः … आआआआ .भट्टी जैसी .. चूत को मैं चूमता गया और फिंगर से फक करता रहा. मर गयी .ओगोगोगो .मर गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-11-2020, 02:19 PM
अंजू – धीरे करो अहहहः हहहहः हहहहः . प्लीज धीरे करो ना .ऊऊऊओ .. म्मम्मम और मेरे सिर को उसकी चूत पर दबा रही थी. शायद उसे मज़ा आने लगा था. मुझे भी उसके जूस का टेस्ट एकदम मलाई के जैसा लग रहा था, लकिन थोडा नमकीन था. उसके बाद मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दिया. तो वो सिस्कार उठी और अपना अपनी मेरे मुह पर छोड़ दिया. फिर मुझे खीच के मेरे मुह पर लगा जूस चाटने लगी और देर ना करते हुए, उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने चूत के पास ले आई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-11-2020, 02:19 PM
और धक्का लगाने को कहा. मैंने एक ही बार में आधे से ज्यादा लंड घुसा दिया. तो वो चिल्ला उठी .. ऊऊऊऊउईईईईईइ माँआआआआआअ . मार डाला. आहाहहहः आहाहहहः ऊऊऊओ. मार डाला कमीने, बहनचोद .. बहुत टाइट पुसी थी उसकी. बहुत दिनों से चूत में शायद कोई लंड नहीं डलवाया था उसने, इसलिए उसकी चूत बहुत टाइट थी. फिर, मैंने एक और जोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लंड का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया.
अंजू – चोद साले . चोद . जान. चोदो ना अहहः हहहः हहहहः म्मम्मम मैं – हाँ जान ये लो मेरा लंड .. और मैं और भी जोर से धक्के लगाने लगा. अंजू – फाड़ डाल, इसे फाड़ डाल. हहहः म्मम्मम अहहहहः. . बहुत दिनों से परेशान किया हुआ था इसने. इऐऐऐअ इसिसिसिसिस म्मम्मम्मम आज इसे फाड़ डाल. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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