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मैं - हम्म, तो पिंकी भाभी ने फिर तो बिना मूड्स के करवाया होगा , सुमन भाभी कि बात मान कर, क्या इतना बड़ा लिया होगा, उनके पति का भी क्या इतना बड़ा होगा , मूवी के जैसा,
तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा, बोली - कहाँ खो गयी , निहारिका ?
मैं - नहीं कुछ नहीं, वो भाभी। ......... कुछ नहीं। ... बस ऐसी ही। ...........
सुमन भाभी - हम्म, बोल न , रोटी बनाते हुए सब बात हो जाएँगी। ......
मैं - हम्म.
...................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
हम्म , से आगे कुछ निकल ही नहीं रहा था मेरे मुह से , और बोलती भी क्या - भाभी बताओ कैसे करते हैं? क्या होता है , क्या इतना बड़ा , वैसे तो नहीं दिखाई देता और अगर इतना बड़ा हुआ तो उफ़ मेरा क्या होगा , क्या सबका इतना ही बड़ा होता हैं,..... सवाल ही सवाल पर पूछने कि हिम्मत नहि हुई.
सुमन भाभी - लड़की कहाँ कोई हुई है, क्या हुआ, सब ठीक कही पीरियड्स का चक्कर तो नहीं बड़ी गुमसुम है?
मैं - अरे नहीं ऐसा नहीं, पीरियड्स मैं तो टाइम है .
सुमन भाभी - ह्ह्म्म, तो क्या हुआ, रोटी सेंकते हुए बोली, कोई लड़के का चक्कर, प्यार तो नहीं हुआ तुजे ? करू तेरी माँ से बात तेरी शादी कि उस लड़के से .
मैं - उफ़ , नहीं भाभी कोई लड़का नहीं, हाँ सब देखते तो हैं मगर मैं ध्यान नहीं देती .
सुमन भाभी - सिर्फ देखते हैं, या घूर के जोबन का रस लेते हैं, अब जवानी आई है तो घूरने वाले भी तो आयेंगे और तुझ पर तो ख़ूबसूरती निखर के आई है, सब तेरे बारे मैं पूछ रही थी, प्रोग्राम के बाद, कौन है, कैसी है, चाशनी कैसी है इसकी.
मैं - कुछ समझी नहीं भाभी, मेरे बारे मैं कौन , अब यह कैसी बात चाशनी, मेरे पास कौन सी चाशनी ?
अन्दर से शक सा हो रहा था कि, हो न हो सुमन भाभी "उस" चाशनी कि बात कर रही है, जो मेरी सहेली चाट गयी थी मेरी पेंटी से, उफ़, अब मेंरा मुह लाल शरम से और भाभी को लगा कि मुझे गर्मी लग रही है, फिर वो बोली -
सुमन भाभी - लगता है तुजे गर्मी लग रही है, किचन मैं, और रोटी भी बन ही गयी हैं एक- दो और बनानी रह गयी हैं तू चल टेबल पर मैं आती हूँ रोटी सब्जी लेकर.
मैं - जी भाभी , अपने दुपट्टे से पसीना पोंछते हुए बहार आ गयी. और टेबल पर बैठ गयी .
गर्मी, किचन मैं नहीं , अन्दर से लग रही थी चाशनी कि बात से मैंने अपना हाथ नीचे वाली पर लगाया तो वो गर्म और गीली लगी. उफ़ पेंटी तो पहेनी ही नहीं थी लेगिन्ग्न्स के अन्दर, स्कर्ट उतारी और लेगिगिंग्स डाल ली थी माँ के डर से . चेयर पर बैठे कुर्ती ठीक कर ली, फिर सोचा कि बाथरूम जा आती हूँ, अगर गीली भी हो गयी तो बहाना मिल जायेगा , हम्म यही ठीक है.
मैं - सुमन भाभी, बाथरूम जाना है, अभी आई मैं .
सुमन भाभी - अन्दर से, हाँ , ठीक है मैं भी आ रही हूँ बस हो गया यहं सब.
कुछ सुना और कुछ नहीं , सीधा भागी बाथरूम मैं, अन्दर से बंद कर के , लेगिगिंग्स नीचे करी, उफ़, साली "नीचे वाली" भी बगावत पर आई हुई थी, सीट पर बैठ गयी और हात लगाया एकदम चिकना जैसे दो तार कि चाशनी , हंसी आ गयी सुमन भाभी सही कह रही थी, फिर एक अलग मादक खुशबू आई मेरी नाक मैं, मैंने अपना हाथ नाक के पास लायी और बस खो सी गयी , एक अजब खुशबू ऐसी पहेले नहीं आती थी अचनक मुझे मेरी "नीचे वाली" पसंद आने लगी थी खासकर वो मूवि देखने के बाद .
सुमन भाभी - निहारिका , अरे अन्दर ही बैठी रहेगी क्या, क्या कर रही है. सही बता कोई प्रॉब्लम , वो पीरियड्स वाली तो नहीं. अरे घर समझ .
मैं - आई भाभी, कुछ नहीं कोई पीरियड्स वाली बात नहीं है.
फिर मैं जल्दी से सु - सु करके और अपनी नीचे वाली को अच्छे से धो कर बाहर आई , अब गीलापन लग रहा था, हाँ पर अब पानी का था, चाशनी का नहीं .
सुमन भाभी - आजा , ले खाना खा नहीं तो तेरी माँ बोलेगी कि , मेरी बेटी को भूखा रख दिया, हा हा हा ..
मैं - जी भाभी , खाती हूँ.
फिर हम दोनों बैठ गये टेबल पर और खाने लगे, सुमन भाभी तो तारीफ कर रही थी भरवा भिन्डी कि और मैं चुप सुने जा रही थी, दिमाग मैं यह चल रहा था कि कैसे पुछू इस से बढ़िया मौका फिर नहीं मिलेगा.
तभी सुमन भाभी बोली -
सुमन भाभी - निहारिका , कल तेरी सहेली बड़े मजे ले कर आई थी.
मैं - हम्म, खाते हुए बोली, कह रही थी कोई पार्टी मैं थी डांस , खाना, और शायद ड्रिंक्स भी.
सुमन भाभी - बस इतना ही बताया , असली बात तो बताई ही नहीं उसने.
मैं - सुमन भाभी , वो तो है ही कामिनी , कभी पूरी बात नहीं बताती बस सब गोल मोल ही.
सुमन भाभी - ही ही , हँसते हुए , हम्म , अब समझदार को तो इशारा ही काफी है, और जो न समझे उसे कैसे बताई जाये.
मैं - अब मैं सुमन भाभी को देख रही थी, और मेरी शकल पर साफ़ बेवकूफ बना हुआ दिख रहा था .
सुमन भाभी - अरे क्यों चिंता करती हैं, सब आ जाता है, टाइम से .
मैं , मन मैं मेरा टाइम कब आएगा , आज टाइम हैं तो मुझे भरावा भिन्डी खानी पड़ रही है, बताओ न सुमन भाभी .....
खाना लगभग ख़तम होने पर था , मैं टेंशन मैं कि अब जाना होगा घर, और बात आधी रह जाएगी ,
मैं - सुमन भाभी , आप पिंकी भाभी से क्या बोल रही थी , एक और कर ले ... क्या कर ले .....
सुमन भाभी - हम्म, मुझे देख कर स्माइल देती हैं ....
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मैं - सुमन भाभी , आप पिंकी भाभी से क्या बोल रही थी , एक और कर ले ... क्या कर ले .....
सुमन भाभी - हम्म, मुझे देख कर स्माइल देती हैं ....
...................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
सुमन भाभी खेली खायी औरत थी, और मैं एक नाजुक , कच्ची कलि जिसे कुछ पता न था . और जो पता चला उसने मेरी नींद उड़ा दी थी, न सो पाओ और न खा पाओ और किसी से बोलो तो कैसे . सुमन भाभी भी मेरे मजे ले रही थी, फिर मैंने दोबारा पूछ ही लिया हिम्मत कर के .
सुमन भाभी, वो पिंकी भाभी के बारे मैं क्या फिर थोड़ी चालाकी दिखाई और साथ मैं मेरी सहेली के बारे मैं भी पूछ लिया “ कि वो किस मजे के बारे मैं मुझे बताना भूल गयी” ?
सुमन भाभी- बड़े आराम से बोली, अरे वो पिंकी को बोल रही थी मैं कि एक और बच्चा कर ले उसका एक बच्चा हो गया तीन – चार साल का , अब दो बच्चे तो होने ही चाहिए औरत पूरी हो जाती है बच्चो के बाद.
मै- सुमन भाभी हाँ , यही वो भी बोली थी ,
सुमन भाभी- अब तुजे कौन बोली यह बात , कौन मिल गयी ?
मैं – अरे , सुमन भाभी वो बस मैं एक औरत मिल गयी थी , उसे हॉस्पिटल जाना था और उसने मेरी मदद मांगी थी , उसका पेट काफी निकला हुआ था हम्म, कल के प्रोग्राम के जैसा , उफ़ कैसी हालत हो जाती हैं, कैसे संभाल लेती हैं औरते ?
सुमन भाभी – हम्म, प्रॉब्लम तो होती हैं पर हो जाता है समय सब सिखा देता हैं.
मैं – हम्म, सुमन भाभी क्या मेरा भी ऐसा होगा ........
सुमन भाभी – हम्म, सबका होता हैं, आखिर औरत इसलिए तो बनी है , पागल ! अगर औरत न हो तो यह दुनिया ही न हो, समझी.
अब मैं थोड़ी खुलने लगी थी, थोडा डर कम हुआ, फिर मैंने पुछा सुमन भाभी, वो आप पिंकी भाभी को क्या बोल रही थी, कि आज बिना ......
सुमन भाभी – हम्म, बिना मूड्स के ले लेना , यही .
मैं – हम्म, और फिर मैं नीचे देखने लगी जमीन पर , माथे पर पसीना और नीचे वाली गीली . उफ़ क्या हालत थी मेरी , क्या बताऊ, अब सब जानने कि बेताबी कुछ कर ही न पाओ.
सुमन भाभी – निहारिका, क्या हुआ, सब लेते हैं, यही नियम है, तुजे कुछ नहीं पता क्या, ?
मैं – नहीं , जयादा नहीं , बस कुछ – कुछ ....
सुमन भाभी – देख निहारिका , सीधी बात , तूने तो सुना ही होगा – “खुद मरो तो तभी स्वर्ग दिखे”, मतलब जब तू खुद कर्वायागी तभी क्या मजा आता है, कितना दर्द होता है, कैसा लगता है सबका अपना अह्सास है, जो किसी दुसरे के बातो से नहीं आ सकता, हाँ , चासनी टपक सकती है.
मैं - सुमन भाभी, चाशनी ? कैसी चाशनी और आप कह रही थी कि वो पिंकी भाभी भी पूछ रही थी मेरी चाशनी के बारे मैं .
सुमन भाभी – हम्म, वो पिंकी नहीं, शीतल पूछ रही थी तेरे बारे मैं, तू पसंद आ गयी उसे.
उफ़, शीतल भाभी – उफ़, सच्ची , क्या गजब का माल थी, पतली कमर, 36 C के जोबन 38 साइज़ के खरबूजे उफ़ एकदम जानमारू और बाद मैं पता चला कि “कन्या – रस” कि प्रेमी वो भी गजब कि. एक बार जिसे शीतल भाभी काट ले वो पानी न मांगे, और कच्ची कलि कि खास शौकीन.
शीतल भाभी , किसी फ़िल्मी हीरोइन से कम नहीं थी, और उनका रुतबा कमाल का था , सबसे बड़ी बात सुमन भाभी कि खास सहेली इस बात से दूसरी औरते चिढ जाती थी पर बोलने कि हिम्मत किसी मैं नहीं थी.
शीतल भाभी जयदतर साड़ी ही पेहेना करती थी, एकदम, सॉफ्ट , शिफोन, क्रेप, और ब्लाउज के डिजाईन ऐसी कि औरते कम – से कम दो चार बार मुड के देखते और मुह से हाय निकल जाता उनके . उस रात प्रोग्राम मैं शीतल भाभी ने गजब ढाया हुआ था, और मैं मेहँदी लगवाने मैं बीजी थी.
सुमन भाभी – निहारिका कहाँ खो गयी , शीतल के पास . ही ही
मैं – जी सुमन भाभी , वो है ही इनती खुबसूरत. क्या करे कोई .
सुमन भाभी - हम्म, तो मिलवा दू चख लेगी वो भी तेरी चाशनी.
अब मैं परेशान हो गयी थी , चाशनी से , अब नहीं रहा गया इस बार मैंने पूछ ही लिया , सुमन भाभी आज तो बता ही दो क्या है यह , चाशनी, और कहाँ मिलती हैं, मेरे पास कौन सी है, ?
सुमन भाभी – उफ़, तुजे नहीं पता क्या ? ओह मैं तो यही सोच रही थी कि तुजे सब पता है, आछा हुआ तूने बता दिया अब तुजे सब बताना होगा शुरू से लड़की कि चाशनी कब , कहाँ और कैसे बनती है?
आजा ... हम सोफे पर बैठ कर बात करते हैं,
हम्म, ठीक हैं भाभी .
सुमन भाभी – एक काम करते हैं , बेडरूम मैं चलते हैं .......
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उफ्फ्फ निहारिका जी क्या कमाल लिख रही हो
सच मे मजा आ गया अपडेट पढ़ के
बेडरूम में लगता है भाभी धक्के मारेगी ही, ही,ही,ही,
बेसब्री से अगली कड़ी का इंतजार है
कोमल जी भी आ गयी है,लम्बा इंतज़ार आखिरकार खत्म हुआ और वो एक दम मस्त है बस सुकून मिल गया
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(10-05-2020, 09:16 AM)@Kusum_Soni Wrote: उफ्फ्फ निहारिका जी क्या कमाल लिख रही हो
सच मे मजा आ गया अपडेट पढ़ के
बेडरूम में लगता है भाभी धक्के मारेगी ही, ही,ही,ही,
बेसब्री से अगली कड़ी का इंतजार है
कोमल जी भी आ गयी है,लम्बा इंतज़ार आखिरकार खत्म हुआ और वो एक दम मस्त है बस सुकून मिल गया
जी, कुसुम जी
कमाल तो नहीं बस , चाशनी टपक जानी चाहिए , अब नीचे वाली एक तो बिना पेंटी के तंग करती है और फिर ये जनाब, जब चाहे जोबन दबाना और नीचे वाली को तंग करना, इनका तो एक बार का तंग करना रह जाता है, फिर नीचे वाली रस टपका - टपका कर परेशान कर देती है, जाना पडता है, मजबूर हो कर, हाथ के काम छोड़ कर - " करवाने "
हम्म, कोमल जी के आगमन कि आपार ख़ुशी हुई , जान मैं जान आ गयी हो जैसे कोमल जी, मस्त रहो , बस आ जाया करो कोई जरूरी नहीं उप्दतेस बस दो लाइन आपके प्यार कि , फुहार कि ......
कुसुम जी, गयी तो थी मैं बेड रूम मैं सुमन भाभी के साथ ..... आगे लिखती हूँ कुछ देर मैं ....
Ufff... dear niharika aapki lekhan kala ko pad kar bina chue hi meri muniya paniya jati haii... agli update ka besabri se intezar rahega. Aapki lekhan kala ki fan bhavana :*
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(10-05-2020, 05:54 PM)Bhavana_sonii Wrote: Ufff... dear niharika aapki lekhan kala ko pad kar bina chue hi meri muniya paniya jati haii... agli update ka besabri se intezar rahega. Aapki lekhan kala ki fan bhavana :*
भावना जी,
आपका शुक्रिया , तहे दिल से .
यह तो सिर्फ मेरी अपनी कहानी है जो अमूमन काफी लड़कियों कि होती है , और रही बात मुनिया के गीले होने कि अब औरतो कि बातो मैं रस तो टपकता ही है.
आपका स्वागत है, यह आपका अपना आँगन है अपने दिल कि बात करो , कुछ शेयर करो कुछ चटपटा , कुछ मीठा और भी सहेलियां हैं यहाँ , कुसुम जी, कोमल जी , पूनम जी, विद्या जी.
भावना जी, बस दो लाइन , जब भी समय मिले .
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अब तुजे सब बताना होगा शुरू से लड़की कि चाशनी कब , कहाँ और कैसे बनती है?
आजा ... हम सोफे पर बैठ कर बात करते हैं,
हम्म, ठीक हैं भाभी .
सुमन भाभी – एक काम करते हैं , बेडरूम मैं चलते हैं .......
.........
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
हम्म , तो हिम्मत कर के बोल तो दिया था मैंने , अब क्या था ओखली मैं सर दिया है तो मूसलो से क्या डरना , होगा जो देखा जायेगा. चल दी मैं सुमन भाभी के पीछे बेड रूम मैं.
गर्मी शुरू हो ही गयी थी , पंखा चलाना पड़ ही जाता था , आज तो गर्मी बहार कि नहीं अन्दर से थी, अजीब सी बैचनी ... बेड रूम मैं जाने के बाद मेरे जोबन बदमाशी पर उतर आये, लगे तंग करने , खोलो हमे .
अब यह क्या नयी परेशानी , पहेले नहीं होता था ऐसा, बाकि जायदा धयान ही नहीं जाता था जोबन पर बाहर तो बस दुपट्टा ठीक करते हुए हाथ लगता था और घर मैं ऐसा कुछ नहीं था कि जोबन बगावत पर आये.
हाँ ,मूवी देखने के बाद से ही कुछ होने लगा है, अब मैं खुद को कोस रही थी, क्यों देखि वो मूवी, अब फंसी तू, निहारिका एक तो जोबन, और सुमन भाभी भी ले आई मुझे अपने बेड रूम मैं जाने क्या करेगी, आखिर वो भी एक औरत थी तो कोई डर नहीं था पर बैचनी थी, पसीना आया हुआ था माथे पर .
सुमन भाभी - निहारिका , तू तो पूरी भीग गयी है, पसीने मैं, मेरी बगल से पसीना साफ़ दिख रहा था और साथ ही ब्रा कि लाइन भी जो कुछ कुछ भीग सी गयी थी,
मैं - हम्म, भाभी , पता नहीं आज कुछ जायदा गर्मी है, या मुझे कुछ हो रहा है.
सुमन भाभी - आजा , बैठ मैं एयर कंडीशनर चला देती हूँ, आराम आएगा तुजे .
फिर मैं बेड पर बैठ गयी , दुपट्टा संभाले , और एक हाथ से उन्ग्लिओं मैं दुपट्टे के सिरे को लपेटना और खोलना चालू था . एयर कंडीशनर के चलने कि वजह से अब कुछ आराम मिल रहा था ऊपर कि गर्मी को, पर अन्दर तो गर्मी वैसी ही थी , जोबन पर एयर कंडीशनर कि ठंडी हवा और अन्दर पसीने से भीगी ब्रा दोनो चीजे मिलकर मेरी नीचे वाली को बगावत के लिए उकसा रहे थे , अब यह भी नहीं कह सकती कि एयर कंडीशनर बंद करो और यह भी नहीं कि मुझे नीचे कुछ हो रहा है, बस बैठी थी एकदम चुप.
सुमन भाभी - निहारिका , फिर चुप, अरे कुछ बोल. अब तो एयर कंडीशनर भी चला दिया तेरे लिए , अब तो ठीक हैं न तू.
मैं - जी, भाभी .
सुमन भाभी - आछा एक काम कर , अपना दुपट्टा निकल दे और आराम से तकिया लगा कर बैठ दोनों पैर ऊपर कर के .
और सुमन भाभी भी मेरे पास दोनों पैर ऊपर कर के बेड पर बैठ गयी, उनका पल्लू जोबन से हट गया था , और उन्हें कोई चिंता भी नहीं थी , जैसे एक औरत घर मैं अकेली हो एकदम फ्री, मेरे होने का कोई फरक ही नहीं था.
मेरे जोबन से दुपट्टा हट चूका था , और भीगी ब्रा कि लाइन साफ़ दिख रही थी, हाँ अब पसीना नहीं आ रहा था एयर कंडीशनर कि वजह से पर जो भीग चूका था उसे सुखंने मैं टाइम तो लगना ही था, अब सुमन भाभी का ब्लाउज और उनकी रेड ब्रा कि स्ट्रप साफ़ दिख रही थी.
मैं - भाभी , आपकी ब्रा ....
सुमन भाभी - अरी देख ले , कोई नहीं, जोबन तेरे पास भी तो हैं, हाँ मेरे साइज़ थोडा जयादा बढ़ गया है , तेरे भी हो जायेंगे, चिंता न कर.
मैं - शर्मा कर , जी भाभी . आप कुछ कह रही थी ....
घर भी जाना था, और अब तक कुछ ठीक से पता न चल पाया था , सोच मैं ही पूछ लू कही भाभी का मूड न बदल जाये .
सुमन भाभी - हम्म, बड़ी जल्दी हैं तुजे चाशनी कि . फिर वो उठ कर मेरे सामने लेट सी गयी, एक हाथ को अपने सर के नीचे लगा कर , और बोली -
निहारिका तुजे देख नहीं पा रही थी, हम्म, अब ठीक है, हम्म तो तुजे चाशनी का राज पता करना है.
मैं - जी , भाभी .
सुमन भाभी - निहारिका , मैं गोल -मोल नहीं बात करती , सीधा पॉइंट पर आती हूँ, चाशनी हम औरतो कि च *** मैं बनती है. और कच्ची उम्र कि लड़की मैं तो अलग नशा होता है शीतल तो दीवानी है इस चासनी कि और मैं भी.
और जब, शादी के बाद जब औरत खुल जाती हैं सब तरफ से इसका स्वाद भी बदल जाता है , औरत कि कामुकता का भी फरक पड़ता है, चाशनी के स्वाद पर.
मेरी सांस उपर - नीचे , जोबन और धड़कन मैं जैसे कोई प्रतियोगिता चल रही हो कि कौन आगे निकलेगा . अब नीचे वाली भी बगावत पर आई, आखिर अब उसकी बारी थी.
हो गयी एक बार फिर गीली मेरी नीचे वाली , अब कुछ न था जिससे उसे छुपा सकू, दुपट्टा तो पहेले ही अलग हो गया था , और कुर्ती को ठीक करते हुए पैर मोड़ के बैठी ..... बस हो गयी यही मेरी गलती,
सुमन भाभी थी मेरे सामने और मेरी नीचे वाली "गीली" एकदम उनके नजरो के सामने थी, उनकी आँखों कि चमक देख कर अपनी गलती का अहसास हुआ, और मैंने अपने पैर सीधे किये , उफ़, गीलापन ... जैसे कि मैंने सु सु कर दिया हो, चिकनापन था , मेरा हाथ चला ही गया "वहां" "नीचे वाली" पर .... मेरी दूसरी गलती.
अब भाभी समझ चुकी थी कि आ गयी चाशनी ....... निहारिका कि च*** मैं.
मैं - भाभी ....
कुछ बोल पाती , कि वो बोली
सुमन भाभी - निहारिका , तू आराम से बैठ, अगर पसीना आ रहा हो तो पोंछ ले, वैसे एयर कंडीशनर तो चल रहा है, हम्म, पसीने से खुजली हो जाती है, मैं तो कर लेती हूँ खुजली अब कोई देखे तो देखे .
मैं - जी भाभी, मेरी नीचे खुजली हो रही थी, पर शरम कि वहज से ...
सुमन भाभी - पागल, मुझसे क्या शर्मना , तेरे पास भी तो वो ही है, च *** इसमें क्या शर्मना, मैं खुजा दू , ही ही ही
मैं - नहीं, मैं कर लुंगी,
सुमन भाभी - आछा अब शर्मा मत, कर ले .
फिर मैंने हलके से कुर्ती उठा कर सिर्फ दो ऊँगली से खुजा ली , शरम से मुह एकदम लाल, पर क्या करू खुजाना तो था ही, साली बगावत पर आई हुई थी, मेरी नीचे वाली.
[b]सुमन भाभी उठी और बोली, रुक तुजे कुछ दिखाती हूँ ....[/b]
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Ufff निहारिका जी
आज तो आप ने सांझ को मूड बना दिया है
कैसे बीतेगी ये बेरन रात
जल्दी ही कन्या रस बरसाओ बहुत इंतज़ार है मुझे
आप की जादुई लेखनी दिल मे कई अरमान जगा देती है
Uff ek or garam update... ise pad kar ab meri vali bhi bgawat karne par aa gayi hai dear...
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• rahulgoku1008
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• @Kusum_Soni
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(10-05-2020, 09:39 PM)Bhavana_sonii Wrote: Bilkul sahi kha saheli.. niharika ki lekhni hmare komal nari dilo me armaan jaga deti hai
भावना जी स्वागत है आप का इस हमारे नन्हें से आंगन में
आप जैसी सह्रदय पाठिकाएँ सहेलियां ही रौनक है यहाँ की
निहारिका जी,कोमल जी ये अप्रतिम कौशल प्राप्त लेखिकाओं में से है
जो भी लिखती है दिल मे समा जाता है
फिर तो अरमान मचलना वाजिब है ना
बस इसी तरह स्नेह प्यार बरसाती रहे भावना जी
पुनः स्वागत है
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Quote:@Kusum_Soni Wrote:
आज तो आप ने सांझ को मूड बना दिया है [image]
कैसे बीतेगी ये बेरन रात
जल्दी ही कन्या रस बरसाओ बहुत इंतज़ार है मुझे
आप की जादुई लेखनी दिल मे कई अरमान जगा देती है [image]
Bilkul sahi kha saheli.. niharika ki lekhni hmare komal nari dilo me armaan jaga deti hai
//////////////////////////////////////
(Yesterday, 09:39 PM)Bhavana_sonii Wrote: Wrote:Bilkul sahi kha saheli.. niharika ki lekhni hmare komal nari dilo me armaan jaga deti hai
भावना जी स्वागत है आप का इस हमारे नन्हें से आंगन में
[b] आप जैसी सह्रदय पाठिकाएँ सहेलियां ही रौनक है यहाँ की[/b]
[b] निहारिका जी,कोमल जी ये अप्रतिम कौशल प्राप्त लेखिकाओं में से है[/b]
जो भी लिखती है दिल मे समा जाता है
फिर तो अरमान मचलना वाजिब है ना
बस इसी तरह स्नेह प्यार बरसाती रहे भावना जी
पुनः स्वागत है
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(11 hours ago)@Kusum_Soni Wrote: Wrote:[b] भावना जी स्वागत है आप का इस हमारे नन्हें से आंगन में[/b]
आप जैसी सह्रदय पाठिकाएँ सहेलियां ही रौनक है यहाँ की
निहारिका जी,कोमल जी ये अप्रतिम कौशल प्राप्त लेखिकाओं में से है
जो भी लिखती है दिल मे समा जाता है
फिर तो अरमान मचलना वाजिब है ना [image]
बस इसी तरह स्नेह प्यार बरसाती रहे भावना जी
Bilkul sahi kaha saheli.. bahut kam lekhak hai jo humare baare m sochte hai.. niharika ki baate armaan machlati hai sath hi mahol me garmi bhi bada deti h..
कुसुम जी, भावना जी,
आपके प्यार कि फुहार के लिए शुक्रिया ,
आप लोगो से आँगन मैं एक रोनक सी आ गयी , जैसे शादी - पार्टी मैं बिना माहिलाओं के रोनक नहीं आती ठीक वैसे ही .
"सांझ को मूड बना दिया है" - तो कुसुम जी इसमें सोचना क्या है करवा लो न मुनिया कि सेवा , फिर नीला रंग चढ़ के बोलेगा.
भावना जी , अपने सही कहा जो भी लिखने वाले हैं, यहाँ पर सभी अपना सम्पूर्ण प्रयास कर रहे हैं और मैंने कई कहानियिओं मैं पढ़ा है कि नारी को सिर्फ एक भोग वास्तु के रूप मैं प्रस्तुत किया जाता रहा है, कोमल जी ने बखूबी रूप से नारी के एक अलग रूप को प्रदर्षित किया है, औरत कुछ भूलती नहीं है, कोमल जी कि कहानी मैं एक अलग भाव है,
मैं सिर्फ लिख देती हूँ जो मन मैं आता है, उन सुनहरी यादो के बारे मैं . जीवन कि भाग दौड़ मैं कई यादे अब यादे ही बन चुकी हैं, जो कुछ टुकड़ो मैं ही बच पायी है, आशा है आपके प्यार कि फुहार ऐसी ही बनी रहेगी ........
लिखती हूँ आगे का हाल ..... सच मैं .... सुमन भाभी उफ़ .
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फिर मैंने हलके से कुर्ती उठा कर सिर्फ दो ऊँगली से खुजा ली , शरम से मुह एकदम लाल, पर क्या करू खुजाना तो था ही, साली बगावत पर आई हुई थी, मेरी नीचे वाली.
सुमन भाभी उठी और बोली, रुक तुजे कुछ दिखाती हूँ ....
////////////////////////
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
अब नीचे वाली को खुजाने का मजा आ ही रहा था कि सुमन भाभी बोल पड़ी, "कुछ दिखाती हूँ" , अब क्या दिखाएगी भाभी , साला एक तो मैं वो मूवी देख कर वैसे ही परेशां हूँ.
भाभी उठी, और अपनी साडी खोलने लगी . जब तक मैं कुछ कह पति उनकी साडी उतर चुकी थी अब वो सिर्फ ब्लाउज और साये मैं ही थी .
मैं - भाभी , आपने साडी ......
सुमन भाभी - हम्म, अरे वो क्या हैं न साडी मैं थोड़ी परेशानी होती हैं , वैसे तो मैं बदल लेती हूँ गाउन दाल लेती हूँ नहीं तो कभी सिर्फ ब्रा - पेंटी मैं ही सो जाती हूँ . आज तो तू थी न , तो साडी इतनी देर टिक गयी बस अब और नहीं .
मैं - सुमन भाभी को देखे ही जा रही थी , एकदम भरा हुआ मांसल बदन , पीछे से कसावट वो भी उभार लेकर. उनका साया भी थोडा टाइट था , मेरी माँ के जैसा नहीं उनका थोडा खुला था - ढीला था. अब जब दिखा तो पूछ लिया ..
मैं - भाभी ,
सुमन भाभी - हम्म, निहारिका क्या हुआ बोल.
मैं - जी, वो आपका साया थोडा अलग सा है , टाइट सा मैंने नहीं देखा और इसमें घेर भी नहीं है, क्या आपने सिलवाया , अच्छी लग रही हो.
सुमन भाभी - हम्म, तू सह बोल रही है, यह आम साया नहीं है जो कॉटन के कपडे का होता हैं , यह मिक्स कपडे का होता हैं, दुसरे शहर से मंगवाया है , इस से कमर के नीचे के भाग कि शेप मैं रहती हैं, और साडी भी आछी लगती हैं.
मैं - जी, भाभी तभी सब लोग आप को बार - बार देखते हैं , और औरते तो खास कर . ही ही
सुमन भाभी - जलने दे सालिओं को , तू इधर आ मेरे पास .
मैं - जी , भाभी .
फिर मैं उठ कर सुमन भाभी के पास आ गयी और बैठ गयी, सुमन भाभी अपने पेट के बल लेटी हुई थी उनका ब्लाउज और उसमें से बाहर आते हुए गदराये जोबन , मेरी तो उन्हें हाथ लगाने कि इच्छा हो गयी एकदम
मैं सुमन भाभी के जोबन को देख रही थी एकदम पास से और सुमन भाभी मुझे देख रही थी अपने जोबन को घूरते हुए .
सुमन भाभी - हंस कर बोली, देख ले , हाथ लगा कर मेरे जोबन तुजे काट थोड़ी न लेंगे फिर मेरा हाथ पकड़ कर जोबन के बीच मैं रख दिया वही जहाँ अक्सर लाइन बन जाया करती हैं , मेरी हालत फिर ख़राब.
फिर सुमन भाभी ने पुछा कैसे हैं मेरे जोबन निहारिका ?
मैं - उफ़, सुमन भाभी यह तो मस्त हैं, इतने नरम और आपकी यह लाइन जो दोनों जोबन के बीच मैं बन जाती है, उफ़ के बताऊ सुमन भाभी आपकी साडी के पल्लू मैं से जब इस लाइन को देखती थी इसे छूने का मन होता था, आज तो आपने मेरी इच्छा ही पूरी कर दी .
सुमन भाभी - ले देख ले, आछे से फिर न कहना बहभी ने दिखाए नहीं.
फिर सुमन भाभी ने एक और बटन खोल दिया ब्लाउज का अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था, मेरी हाथ कि पकड़ थोड़ी टाइट हुई.
सुमन भाभी - आराम से निहारिका , नर्म और मुलायम है तेरे दबाऊ क्या ?
ऐसा कह कर मेरे एक जोबन पर हाथ रखा और थोडा दबा दिया . और मेरी नीचे वाली तो एकदम पागल हो गयी , साली बेकाबू हो कर चाशनी निकल रही थी.
सुमन भाभी - क्या हुआ , निहारिका . तू ठीक है.
मेरी चढ़ती हुई सांस और जोबन को देखते हुए सुमन भाभी बोली .
मैं - सब ठीक हैं सुमन भाभी - पर खुजली हो रही है नीचे , बस
सुमन भाभी - तो खुजा ले न, ला मैं देखू
ऐसा कह कर एक हाथ सिधा मेरी नीचे वाली को छु गया , वो तो पूरा ही गीला था .
सुमन भाभी - निहारिका , क्या तूने सु - सु किया ? इतनी बड़ी बच्ची और सु - सु ही ही
मैं - नहीं भाभी , बस मैं इस से ही परेशां हूँ. यह नीचे वाली आज तो बहुत तंग कर रही हैं, क्या हो गया हैं इसे आज पता नहीं .
सुमन भाभी - देख , होता हैं हर लड़की के साथ, मेरे साथ भी होता हैं, सब नेचुरल है.
अब तक भी सुमन भाभी का हाथ नीचे वाली पर था , यह पहेला मौका था जब किसी और का हाथ मेरी नीचे वाली पर था . उनकी उँगलियाँ मेरी चाशनी से खेल रही थी.
[b]और मेरी आँख बंद , आगे जो होने वाला था , उसके इंतज़ार मैं ..... अपने जोबन धडकती बैठी थी .[/b]
ऊफ्फ एक और उमदा लेख, निहारिका आपकी और सुमन भाभी की ये नौंक झोंक और आपकी नीचे वाली सखी पर सुमन भाभी का हाथ लगाना, शब्दो में बयान करना मुश्किल है।
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(11-05-2020, 08:44 PM)Bhavana_sonii Wrote: ऊफ्फ एक और उमदा लेख, निहारिका आपकी और सुमन भाभी की ये नौंक झोंक और आपकी नीचे वाली सखी पर सुमन भाभी का हाथ लगाना, शब्दो में बयान करना मुश्किल है।
भावना जी,
शुक्रिया आपका.
यह औरतो कि द्दुनिया है, इसमें अहसास कि अहम भूमिका है, हम औरतो कि खुशिया छोटे - छोटे अहसास ही पूरी कर देते हैं. हमारी पूरी जिन्दगी सबकी सेवा करने मैं निकल जाती हैं, यह आपका अपना अंगन है खुल कर जिओ और अपने अहसास अपनी फीलिंग अपनी पुरानी यादे सब ताजा कर लो .
सुमन भाभी का वो पहेली बार मेरी नीचे वाली पर हाथ का अहसास आज भी याद है , किती कोरी थी - कच्ची थी उस समय उनकी वो उँगलियाँ मेरी लेगिगिंग्स के बीघे भाग पर फिसलती जा रही थी.....
कुछ और इन्तजार जैसे भी समय मिलेगा उप्दतेस देती रहूंगी. अब तो समय नहीं है , आप सब जानती हैं, सांज से ही मेरी नीचे वाली ने टपका रखी है. अब जो करेंगे वो ही करेंगे .........
जल्दी मिलती हूँ ......
(11-05-2020, 11:23 PM)Niharikasaree Wrote: भावना जी,
शुक्रिया आपका.
यह औरतो कि द्दुनिया है, इसमें अहसास कि अहम भूमिका है, हम औरतो कि खुशिया छोटे - छोटे अहसास ही पूरी कर देते हैं. हमारी पूरी जिन्दगी सबकी सेवा करने मैं निकल जाती हैं, यह आपका अपना अंगन है खुल कर जिओ और अपने अहसास अपनी फीलिंग अपनी पुरानी यादे सब ताजा कर लो .
सुमन भाभी का वो पहेली बार मेरी नीचे वाली पर हाथ का अहसास आज भी याद है , किती कोरी थी - कच्ची थी उस समय उनकी वो उँगलियाँ मेरी लेगिगिंग्स के बीघे भाग पर फिसलती जा रही थी.....
कुछ और इन्तजार जैसे भी समय मिलेगा उप्दतेस देती रहूंगी. अब तो समय नहीं है , आप सब जानती हैं, सांज से ही मेरी नीचे वाली ने टपका रखी है. अब जो करेंगे वो ही करेंगे .........
जल्दी मिलती हूँ ......
हाहाहहाहाहा जी बिल्कुल निहारिका आप अपने उनसे जाकर नीचे वाली की सेवा करवाइए बाकी हमारी नीचे वाली की सेवा फिलहाल हमे ही करनी है।
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• Chandan pushpak
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अब तक भी सुमन भाभी का हाथ नीचे वाली पर था , यह पहेला मौका था जब किसी और का हाथ मेरी नीचे वाली पर था . उनकी उँगलियाँ मेरी चाशनी से खेल रही थी.
और मेरी आँख बंद , आगे जो होने वाला था , उसके इंतज़ार मैं ..... अपने जोबन धडकती बैठी थी .
..................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी आँख बंद, जोबन और धडकनो का मुकाबला उफ़ क्या हो रहा था मुझे हाथ - पैर ठन्डे हिलने कि हिम्मत नहीं थी. फिर सुमन भाभी ने कहा -
सुमन भाभी - निहारिका , एक काम कर तू जा और सु -सु कर ले और साफ़ भी नहीं तो तू ऐसी ही रह जाएगी.
मैं - जी, भाभी. उफ़ जान मैं जान आई हो जैसे मैं जल्दी से उठ कर बाथरूम मैं भागी , और भाभी मुझे देख कर हंस रही थी.
मैं शरम से लाल , आँख झुका कर सीधी बाथरूम मैं. बाथरूम मैं जाकर सीट पर बतिः गयी अपनी लेगिगिंग्स नीचे कर के फिर मैंने नीचे देखा तो फिर वो ही चाशनी और नीचे वाली पर हाथ लगाया एकदम चिकना, पर मजा आ रहा था न जाने क्यों ? कुछ देर ऐसे ही उँगलियाँ चलती रही जैसे सुमन भाभी चला रही थी. फिर ध्यान आया चल निहारिका बाहर नहीं तो सुमन भाभी आ जाएँगी.
जब मैं बाहर आई तो सुमन भाभी से नजर नहीं मिला पा रही थी , फिर हिम्मत कर के देखा तो सुमन भाभी अपनी उँगलियाँ चाट रही हैं यह नया था , हम्म मेरी सहेली ने भी ऐसा ही कुछ किया होगा मेरी पेंटी के साथ पर वो जो भी हो मेरे आँखों के सामने नहीं हुआ था पर यहाँ तो मेरी आखो के सामने ही सुमन भाभी चटकारे ले रही थी.
मैं - सुमन भाभी , आप , उफ़ आगे नहीं बोल पायी थी .
सुमन भाभी - हम्म, तो क्या हुआ , औरत कि बेस्ट चीज खा रही हूँ. मुझे पसंद है, और उस शीतल को भी, अगर वो होती तो सीधा "वही" से खाती.
मैं - उफ़, सच्ची सुमन भाभी , मैं नहीं मानती , ऐसा भी कही होता है, और यह जो कुछ हो रहा है आज पहेली बार है मेरे साथ .
सुमन भाभी - अरे मेरी जान , पहेली धार का मजा ही अलग होता हैं. आजा बैठ.
मैं - जी, सुमन भाभी .
फिर सुमन भाभी ने अपना मोबाइल निकला और एक मूवी चलाई जो एक बड़े से महल और आलिशान घर से शुरू हुई फिर गार्डन मैं एक स्विमिंग पूल था जिसे पास एक बहुत ही खूबसूरत जवान लड़की सिर्फ ब्रा और पेंटी मैं एक बेंच पर बैठी थी और एक और लड़की देखि जो पानी मैं थी, उसने भी वाइट ब्रा और पेंटी पेहन रखी थी.
कुछ देर पानी वाली लड़की पानी से खेल कर बाहर आई उस बेंच वाली लड़की के पास उसके जिस्म से टपकता हुआ पानी उफ़, आग लग गयी मेरे तो, "आह" कि आवाज निकल गयी मुह से , आवाज सुनकर सुमन भाभी मुस्कुरायी पर बोली कुछ नहीं . मैं भी बिना पलक झपकाए मूवी देख रही थी.
फिर वो लड़की जो पानी से भीगी थी, उसने अपने बाल झटकाए और पानी कि बुँदे उस लेटी हुई लड़की पर आ गिरी , वो लड़की सिगरेट पी रही थी, मैं बोली सुमन भाभी देखो तो इसे ...
हम्म, तो क्या हुआ , आजकल सब चलता है, तू देख ....
मेरा ध्यान फिर मूवी पर गया तो वो लड़की जो सिगरेट पी रही थी उस भीगी हुई लड़की को पकड़ने भागी और वो भीगी लड़की आगे भागी . यह देख कर मुझे हंसी आ गयी, हम लड़कियां भी अक्सर एक दुसरे को भीगा कर भाग जाते थे फिर पकडम - पकडाई और जोबन भी दब जाते थे खेल - खेल मैं.
अबकी बार सुमन भाभी भी हंस दी, और बोली -
सुमन भाभी - आ गयी याद बचपन कि , क्यों निहारिका ?
मैं - जी, भाभी .
फिर पानी मैं भीगी हुई लड़की एक पेड़ के पास रुक गयी, और दूसरी लड़की भी वहा तक आ पहुंची अचानक वो गीली लड़की ने भागने कि कोशिस करी तो उसकी ब्रा कि डोरी दूसरी के हाथ मैं आ गयी, मैंने सुमन भाभी से पुछा कि यह कौन सी ब्रा है, तो सुमन भाभी ने बोला यह बिकनी होती है, ब्रा जैसी ही होती हैं पर थोड़ी खुली और सेक्सी और डोरी जो आसानी से खुल जीये , ही ही
वहां, उस लड़की कि ब्रा खुल चुकी थी, उसके जोबन एकदम गोरे, गोल, भूरा निप्पल जो अलग चमक रहे थे गीले होने से. उसने अपने दोनों हाथ से अपने जोबन को ढका नहीं बल्कि नीचे से उठा कर परोस दिया जैसे , मैं यह देख कर हैरान थी, और मेरे जोबन अब बगावत पर उतर आये थे , अब मैं सुमन भाभी के सामने कैसे खोलती उन्हें , मेरी कसमसाहट को देखकर सुमन भाभी बोली-
सुमन भाभी - क्या हुआ निहारिका ? आछा नहीं लग रहा क्या ?
मैं - नहीं सुमन भाभी, ऐसा नहीं है, यह तो मैं पहेली बार ही देख रही हूँ, और मुझे पता नहीं क्या हो रहा है, कुछ अजीब सा , ऊपर भी और नीचे भी, उफ़. जोबन बिलकुल टाइट हो गए हैं कुर्ती मैं . बस जी चाह रहा है कि ब्रा और कुर्ती खोल दू. बोल ही दिया ... साफ़ - साफ़.
सुमन भाभी - हम्म, होता हैं ऐसा , नार्मल है, मैं भी गीली हूँ नीचे से , अपना हात साला साये मैं और दो उँगलियाँ चाशनी मैं भीगी थी , फिर ले आये मेरी नाक के पास देख.
मैं , चुप, पर उस रस , उस चाशनी कि खुसबू मेरी वाली से अलग थी, मैं फिर बोली.
सुमन भाभी , इसकी स्मेल तो मेरी जैसी नहीं आ रही है, मैं तो यही सोच रही थी कि सबकी एक जैसी ही होती हैं.
सुमन भाभी- हम्म, तो तूने अपनी चाशनी को टेस्ट किया , सच बताना.
[b]मैं - नहीं , मैं , वो , बस ऐसी ही, सूंघ लिया था वो क्या हैं न कि एक अलग सी खुसबू थी और अच्छी भी लग रही थी. आपकी तो अलग है ....[/b]
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सर्वप्रथम आप सभी को प्राणिपात, द्वितीय गुस्ताखी पर क्षमा चाहूँगा, कि मै यहाँ प्रश्न पुछ रहा हु,किंतु प्रश्न की प्रकृति इस तरह की है ,कि आप ही सभी इसका सर्वश्रेष्ठ उत्तर दे सकती है ,जैसे निहारिका जी ,कुसुमजी आदि स्नेही महिलायें
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प्रश्न यह है कि कोमलजी की कहानी मे सास -दामाद का संसर्ग मुझे अपनी सास से संसर्ग के लिए उतावला कर रहा है,किंतु इस नियती का मै साक्षी मै बिना उचित परामर्श के नहीं बनना चाहता हु,तो क्या उचित रहेगा और क्या आप अपने पति को मा के साथ संसर्ग मे सहयोग करती और इस तरह का सहयोग अपनी पत्नी से कैसे प्राप्त करुँ
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