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आदमी आया और उसकी पैंटी उतार दी और नीचे वाली , उफ़ एकदम गीली जैसे मेरी थी, तभी याद आया पैंटी भी नहीं पहनी हुई,मेरा गया नीचे।
उफ़ , ..... गीला। ....
,,,,,,,,,
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
हम्म मेरा सब गीला हो चूका था फिर से एकदम चिकना मैं पहेली बार इतनी चिकनी हुई थी उत्तेजना से , यह मेरा पहेली बार था जब मैं पानी दो तार कि चाशनी से खेल रही थी . मेरा एक हाथ मोबाइल पर और दूसरा हाथ नीचे मेरी "उस" पर था.
उफ़ क्या कहू मेरी प्यारी सहेलिओं क्या हुआ था मुजे कुछ पता ही नहीं था , बस सब हुए जा रहा था .
उस आदमी ने उस लड़की कि दोनों पैर फैला कर अपना मुह बीच मैं लगा दिया तो ऐसा लगा कि मेरे दोनों पैरो के बीच किसि ने मुह लगा दिया है .
मेरी सांस तेज़ी से चल रही थी मेने अपने जोबन को देखा उफ़ कुछ जायदा ही बढ़ गए थे कुर्ती मैं से निकल ही जायेंगे जैसे .
फिर उस आदमी ने अपना मुह हटाया तो उका मुह पूरा गीला हो गया था और लड़की हंस रही थी, जैसे उसे मजा आ गया हो इधर मैं कितनी बैचैन हो रही थी सोच रही थी कोई मेरे भी ऐसा ही करे , जवानी का उफान और गर्म मूवी क्या बताऊ जैसे जल बिन मछली तड़प रही थी.
मेरी उँगलियाँ पूरी भीग चुकी थी जवानी के रस मैं.
फिर उस आदमी ने अपने "उस" को जो एकदम खड़ा था हिलाया और पास मैं पड़े एक पैकेट को उठाया और उसमे से कुछ निकला जो कि गोल सा था उसे उसने अपने "उस" पर गोल गोल घुमा कर लगा लिया . वो एक कवर के जैसे उस पर चढ़ गया था. अब मुजे अहसास हुआ कि हो न हो यही मूड्स होगा .
पर इसका क्या करेगा, "उस" पर चढ़ा कर ? यही सवाल था जो मुझे परेशान कर रहा था.
तभी उसने लड़की के दोनों पैर फैला कर अपना "वो" "नीचे वाली" जगह जहाँ से आज तक मैं सिर्फ सु - सु और पैड्स लगाती आई थी , जो मुजे कभी पसंद नहीं थी, क्यूंकि जब से मैं जवान हुई थी सारी परेशानी कि जड़ यही थी, दर्द , पीरियड्स , पैड्स , बैचनी, और न जाने क्या क्या .
पर वो लड़की उतेजित लग रही थी, स्माइल दे रही थी , अब उसने अपने ब्रा खोल कर आदमी के मुह पर फेंक दी , आदमी ने उस ब्रा को सुंघा और "उस" पर रगड़ दिया जो खड़ा था एकदम.
मेरे जोबन मेरी ब्रा से बगावत पर उतर आये थे , मजबूरी मैं कुर्ती ऊपर कर के ब्रा का हुक खोलना पड़ा नहीं थो सांस लेने मैं तकलीफ हो रही थी. अब जाकर कुछ चैन आया जब जोबन ब्रा से आजाद हो गए और ब्रा मैं से बहार आ गए.
जब से मैंने ब्रा पेहेनना शुरू किया था कभी इतनी परेशानी नहीं हुई थी, रात को भी ब्रा पेहेन कर आराम से सो जाती थी, हाँ कभी कोई टाइट ब्रा होती तो नार्मल कॉटन वाली पेहेंन कर सोती थी, पर बिना ब्रा कभी नहीं.
पर आज तो क़यामत ही हो गयी जोबन ने बगावत ही कर दी, मैंने ब्रा ऊपर कर के देखा तो मेरे निप्पल एकदम कड़क फूले हुए थे उफ़ यह कैसे इतने बड़े तो नहीं देखे कभी, हाँ नहाते हुए कही यह कड़क जरूर होते थे पर इतने बड़े और फूले ही नहीं. उनको हाथ लगाया तो एक करंट सा दौड़ पड़ा "नीचे" तक.
दिल ने कहा और कर , ऐसे ही, अपनी भीगी उन्ग्लिओं से जोबन और निप्पल को मीसना चालू किया तो नीचे वाली ने और रस टपका दिया , ओह माँ अब क्या करू .
तभी ध्यान आया बाकि पिक्चर भी देखनी है, मोबाइल देखा तो वो मूवी रुकी हुई थी शायद हाथ लग गया होगा मेरा , फिर से शुरू करी,
उस आदमी ने दोनों पैर अपने कंधे पर रख लिए थे उस लड़की के और अपना "वो" उसकी "नीचे वाली" पर रगड़ रहा था, फिर एकदम उसने उसे अन्दर डाल दिया और लड़की कि एक कामुक आवाज आई, फिर वो आगे -पीछे होने लगा, बीच -बीच मैं वो लड़की कामुक आवाजे निकल रही थी जैसे उसे मज़ा आ रहा हो.
मैं यह सोच कर हैरान थी, साली इतना बड़ा अन्दर कैसे ले रही है, मेरी तो ऊँगली डालने कि हिम्मत नहीं होती , मेरे तो जगह भी नहीं है, एक बार मैंने देखा था आईने मैं अपनी "नीचे वाली" को जब मेरे पीरियड्स आये हुए थे कि इतना खून कहाँ से आता है, जब देखा था कि एक नन्हा सा होल है, बीच मैं और नर्म होंठ जैसे पंखुड़िया ही थी, उस लड़की कि पंखुड़िया भी बड़ी थी और सब खुला था, उफ़ यह क्या है, क्या मेरी भी ऐसी ही हो जाएगी. इतनी बड़ी होने पर दर्द भी जायदा होगा , पर इसे तो मजा आ रहा है.
अगर मजा नहीं आता तो इतना सब कसे करवा लेती, और यह दुष्ट को देखो कैसे डाल रहा रहा है अन्दर, बिचारी दर्द से मर ही न जाये .
कुछ देर मैं अचानक सब रुक गया , आदमी जोर जोर से सांस लेने लगा और उस लड़की पर गिर गया फिर उठा और उनसे अपना "वो" उसकी "नीचे वाली" मैं से निकला, अब वो पहेले जितना बड़ा नहीं था, कुछ कम हो गया था , वो जो उसने लगाया था , अब भी उस पर था, पर थोडा ढीला सा, और उस मैं कुछ भरा भी था , सफ़ेद सा ? पता नहीं क्या था ?
वो बेशरम लड़की फिर बेड से नीचे उतरी और एक बार फिर उस आदमी का "वो" जो कुछ हद तक खड़ा ही था, फिर चूस रही थी , गिला, चिकना और कुछ चाट भी रही थी.
अब अजीब सा लग रहा था, पर अब उत्तेजना नहीं थी, पर सवाल का ढेर था, यह सब क्या था, हाँ अच्छा लगा था मुझे भी पर यह सब, फिर दोनों एक दुसरे से चिपक कर लेट गए और लिप किस करने लगे.
मेरे होंठ भी सुख चुके थे यह सब देख कर , मैंने अपनी जीभ निकली और होंठो पर फिरने लगी, कुछ अच्छा लगा , फिर पता नहीं कैसे मेरी उँगलियाँ भी होठो से जा लगी,
एक चिकना अहसास,
और एक्दम अलग स्वाद ,
जो अच्छा भी न लगे और छोड़ा भी न जाये,
उसकी खुशबू जानी पहचानी लगी,
फिर याद आया मेरी पेंटी मैं भी ऐसी ही खुशबू आ रही थी, तभी मेरी सहेली ने सब साफ़ कर दिया.
मुझे हंसी आ गयी, और मेरी सहेली पर प्यार , अब गुस्सा नहीं थी उस पर , सही कह रही थी "एटम बम" आज फट ही गया , गजब रस निकला था, सब देख कर.
चादर पर भी कुछ गीला हो गया था , हल्का दाग सा , स्कर्ट तो अच्छी गीली हो गयी थी , पर अब उसे बदलने कि इच्छा नहीं हुई, न जाने क्यों ? गीला अच्छा लग रहा था.
फिर मोबाइल बंद किया मैंने और अपना एक हाथ जोबन पर और एक हाथ नीचे वाली पर रखा तो एक अजीब - अलग अहसाह हुआ, कुछ देर तक मेरे हाथ अपने आप मेरे जोबन पर चलते रहे और निप्पल को दबाते रहे और दूसरा हाथ नीहे वाली पंखुड़ियों से खेलता रहा . जो एकदम भीगी हुई, एकदम चिकनी दो तार कि चासनी से सराबोर थी.
कुछ तो था , पर आच्छा लगा. फिर याद आया कि वो लोग आते होंगे सब साफ़ कर लू, बिस्तर से उठी, तो एकदम चक्कर सा आ गया , सब घूम सा गया था, फिर बैठ गयी बिस्तर पर, उफ़ यह क्या था ?
फिर मैंने अपने जोबन को देखा अभी भी दोनों शैतान बदमाशी पर तुले हुए थे निप्पल एकदम कड़क, जोबन फूले हुए . मैंने अपने दोनों हाथो से अपने दोनों जोबन को दबाया , उफ़ क्या होगया था मुझे इतने नर्म, मुलायम, प्यारे कि दोबारा छोड़ने का मन ही न करे , और साथ ही नीचे वाली फिर टपका चुकी थी. फिर जल्दी से मैंने अपनी ब्रा को टटोला उसका हुक ढूंढ कर अपने जोबन को उसमे कैद किया, तो हुक बंद ही न हो, लगे ही न, उफ़, यह क्या हुआ, अभी तक तो यह सही फिटिंग मैं आती थी, दुसरे हुक तक अब क्या हुआ. कही बड़े तो नहीं हो गए, ?
पागल, निहारिका, कुछ भी बोलती है तू, अपने आप से ही बात करने लगी थी उस समय.
फिर मैंने हार कर सबसे पहेले हुक मैं कस दिए जोबन को , हम्म, अब अन्दर गए सालो ने परेशान कर दिया था.
मेरी नीचे वाली भी तैयार थी मुझे परेशान करने को, एकदम गीली जैसे मैंने सु - सु कर दिया हो, हाँ हाथ लगते ही हंस दी मैं, और बोली, पागल हो गयी है तू, अब शादी कर ले.
फिर उठी मैं और चल दी बाथरूम मैं , बैठ गयी सीट पर और आ गयी सीटी कि आवाज सु -सु के साथ. आज मुझे वो सीटी कि आवाज भी अच्छी लग रही थी न जाने क्यों, और मैंने फ्लश भी नहीं चलाया ,
बस सुनती रही जब तक सब खतम नहीं हुआ,
जी हाँ "सु-सु", बस.
अब पेंटी तो थी नहीं सोचा ऐसे ही निकल जाउंगी. तभी बाथरूम का गेट खोलने कि कोशिश हुई,
मैं डर गयी.
[b]यह कौन ?[/b]
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प्रिय सहेलिओं ,
एक गुजारिश , यहाँ जो मैंने उस समय फील किया था , करीब - करीब सब लिख दिया है, सभी महिलाओं से विनती है कि आप सब ने क्या ऐसा कभी महसूस किया हो तो कुछ शब्द अपने सुखद अनुभव के पहेली बार के जरूर बताये .
यह अहसास , पहेली बार का एकदम अलग होता है , आज मैं अपने उन सुनहरी यादो मैं वापस चली गयी थी, और यक़ीनन गीली हुयी थी, अभी भी हूँ, इस लॉक डाउन मैं पेंटी पेहेनना तो गुन्हा है, अब मेरा साया और साडी दोनों उस जगह से गीले है.
[b]अपन एहसास शेयर करे, प्लीज.[/b]
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लाजवाब उपडेट निहारिका जी
जब भी उपडेट देती हो
मन मचल जाता है,भले ही रात भर लिया हो
बहुत मस्त अगले अपडेट के इंतज़ार में
कुसुम सोनी
•
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जी कुसुम जी,
कुछ समय नहीं मिल प् रहा , इनके ऑफिस के काम और घर के काम, महिना ख़तम होते ही नए टारगेट, अब लॉक डाउन मैं करे तो काया करे , मीटिंग मैं जब यह जायदा परेशां होते हैं तो मुजे टेबल ने नीचे बैठा लेते हैं , ऊपर मीटिंग और , नीचे - मेरा होम वर्क, अभी करके फ्री हुई हूँ, सोचा कुछ देख ही लू, कोई सहेली फ्री हो तो, आज तो मीटिंग जायदा ही चल गयी इनकी, पहेले तो मैं घर के काम कर रही थी, फिर हम्म, लगभग एक घंटे से उनका काम, धीरे -धीरे , तडपाते हुए .....
बाकि बाते बाद मैं .....
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(06-05-2020, 12:58 AM)Niharikasaree Wrote: जी कुसुम जी,
कुछ समय नहीं मिल प् रहा , इनके ऑफिस के काम और घर के काम, महिना ख़तम होते ही नए टारगेट, अब लॉक डाउन मैं करे तो काया करे , मीटिंग मैं जब यह जायदा परेशां होते हैं तो मुजे टेबल ने नीचे बैठा लेते हैं , ऊपर मीटिंग और , नीचे - मेरा होम वर्क, अभी करके फ्री हुई हूँ, सोचा कुछ देख ही लू, कोई सहेली फ्री हो तो, आज तो मीटिंग जायदा ही चल गयी इनकी, पहेले तो मैं घर के काम कर रही थी, फिर हम्म, लगभग एक घंटे से उनका काम, धीरे -धीरे , तडपाते हुए .....
बाकि बाते बाद मैं .....
निहारिका जी मजे लूटो जी भर के
हाँ अपडेट का आज इंतज़ार रहेगा सब को
रात की कहानी कुछ ऐसी ही है मेरी भी।।
पूरे सवा दिन घंटे आज तो मैं 7 बजे उठी हूँ
चाय तक इन्होंने बनाई है
रात को थोड़ी सी पिला दी इन्होंने
ओर फिर इन की उल्टी सीधी गोलियां लेने की आदत ऊफ़्फ़
1 घंटे में सिर्फ 1 बार गिरता है वो
मैं तो थेथर हो जाती हूँ
बेशर्म बना के रखा है भगवान ना जाने क्या क्या उल्टे सीधे काम करवाते है
। बाकी सहेलियां भी इंतज़ार में होगी अपडेट के
हो सके तो सुमन भाभी ओर मम्मी सहेली की कुछ आपबीती हो जाती
मीठा इंतज़ार
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निहारिका जी एक मस्त बढ़िया सा गर्मागर्म अपडेट दे दो ना कन्या रस प्रेमिकाओं के लिए
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निहारिका जी एक बढ़िया सा अपडेट दे दो ना
हम कन्या रस की प्रेमिकाओं के लिए
क्या गुल खिला रही है वो औरतें ??
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bohat mast likhti ho jitna bhi pado kam lagta mann karta hai bas padte rahe ho very nice bas apse ek request hai ho sake to update thoda jaldi and lambi dena thanx
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(06-05-2020, 07:07 AM)@Kusum_Soni Wrote:
निहारिका जी मजे लूटो जी भर के
हाँ अपडेट का आज इंतज़ार रहेगा सब को
रात की कहानी कुछ ऐसी ही है मेरी भी।।
पूरे सवा दिन घंटे आज तो मैं 7 बजे उठी हूँ
चाय तक इन्होंने बनाई है
रात को थोड़ी सी पिला दी इन्होंने
ओर फिर इन की उल्टी सीधी गोलियां लेने की आदत ऊफ़्फ़
1 घंटे में सिर्फ 1 बार गिरता है वो
मैं तो थेथर हो जाती हूँ
बेशर्म बना के रखा है भगवान ना जाने क्या क्या उल्टे सीधे काम करवाते है
। बाकी सहेलियां भी इंतज़ार में होगी अपडेट के
हो सके तो सुमन भाभी ओर मम्मी सहेली की कुछ आपबीती हो जाती
मीठा इंतज़ार
कुसुम जी ,
मेरा प्यार भरा नमस्कार .
असली मज़ा तो आप ले रही हैं, शराब - शबाब और "नीली" वाली चीज का. उलटे - सीधे काम या उल्टा - सीधा कर के "काम".
जो भी हो, मज़ा तो आता ही हैं , हम्म, कुछ लेट हूँ उप्दतेस के लिए पर क्या करू , इनके मीटिंग्स और घर के काम फिर ......
मैंने बताया था न , इनका आज कल नया शौक मुजे टेबल के नीचे बैठा कर जब तक मीटिंग चलती है तब तक मुह चलता है , इस वजह से उप्दतेस नहीं दे पा रही हूँ, जब ये सो जाते हैं, या दुसरे काम मैं बुसी होते हैं तब थोड़ी कोशिश करती हूँ.
आशा है, आप और मेरी दूसरी सहेली भी रस भरी हो रही होंगी .
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(06-05-2020, 01:02 PM)@विद्या_शर्मा Wrote: निहारिका जी एक बढ़िया सा अपडेट दे दो ना
हम कन्या रस की प्रेमिकाओं के लिए
क्या गुल खिला रही है वो औरतें ??
विद्या जी ,
कहाँ हो आज कल जी दिखाई ही नहीं देती हो, माना कि सब बिजी हैं पर कुछ टाइम निकालो जी, इस गरीब के लिए भी जो तरस जाती हैं आप लोगो के दर्शन को , इस फोरम पर महिलाओं का आकाल है, आप और कुछ और जैसे कुसुम जी , कोमल जी , पूनम जी बस लगता हैं कि और कोई महिला है ही नहीं उस पर आप नहीं आते हो तो एकदम खाली सा लगता है जैसे आजकल शहर कि सड़के हो रही हैं.
रहि बात कन्या रस कि , जो वो तो टपकेगा ही, एक जरा प्यारा सा इंतज़ार .
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(06-05-2020, 01:33 PM)Sameer517 Wrote: bohat mast likhti ho jitna bhi pado kam lagta mann karta hai bas padte rahe ho very nice bas apse ek request hai ho sake to update thoda jaldi and lambi dena thanx
Sameer517 जी,
मेरा ध्यांवाद कबूल करे जी ,
आपके द्वारा लिखी गयी दो लाइन ही बहुत हैं , मुझे ख़ुशी हुई कि मेरे द्वारा लिखा गया कुछ आपको पसंद आया, जुड़े रहिये और मज़ा लेते रहिये महिलाओं के आँगन का.
कुछ दिल से जुडी , कुछ खट्टी - मीठी यादो का .
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निहारिका जी,कुसुम, विद्या खूब मझे ले रही हो सब की सब
निहारिका जी नया शौक पसंद आया मुझे भी
ये ज्यादा नहीं पर 4 5 बार मैंने भी किया है
इस मे उन का टारगेट अपनी मलाई हमें पिलाने का होता है
तो ज्यादा काम हमारा ही होता है,जब ज्यादा मजा आने लगता है पैरों से हमारी गर्दन कस के पकड़ लेंगे और धक्के पे धक्के ऊफ़्फ़ मुँह तक दुखने लगता है
ओर रबड़ी भी जब उड़ेलते है पूरे कटोरी भर तो होती ही है ऊपर से उबाल पे उबाल मुँह क्या करे ब्लाऊज साड़ी सब रबड़ी से लथपथ
ओर कभी ओर मन हो गया तो हम कुर्सी पे वो निच्चे फिर हमारी कटोरी वाली आइस क्रीम और वो भी कटोरी भर तो होती ही है कभी प्रेशर बन गया तो उन की ड्रिंक भी हो जाती है निहारिका जी अब मैं भी ज्यादा नहीं सोचती
जब वो खुद उल्टा सीधा करवाते है जबरदस्ती हम से तो फिर हम भी क्यों ना हो जाये शामिल
कुसुम रात रात भर जाम ओर फीमेल वियाग्रा ले के ऊफ़्फ़ मत पूछो जब वो गोली उतरती है पेट मे
ऊफ़्फ़ कमाल का असर करती है हम औरतों पे
खुद भुगत रही हूं रोज रात रात भर
विद्या लो जम के मजे इस जवानी के
खूब मस्तियाँ करो साजन संग बिस्तर में
निहारिका जी तो हो जाये आज एक अपडेट अगर फ्री हो तो
वेसे जब भी समय मिले तीनो ओरतो का कार्यक्रम लिखना
थोड़ा लंबा बस गीली हो जाएं सब
इंतज़ार एक मीठी फ़ुहार का
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(06-05-2020, 03:37 PM)Poonam_triwedi Wrote: निहारिका जी,कुसुम, विद्या खूब मझे ले रही हो सब की सब
निहारिका जी नया शौक पसंद आया मुझे भी
ये ज्यादा नहीं पर 4 5 बार मैंने भी किया है
इस मे उन का टारगेट अपनी मलाई हमें पिलाने का होता है
तो ज्यादा काम हमारा ही होता है,जब ज्यादा मजा आने लगता है पैरों से हमारी गर्दन कस के पकड़ लेंगे और धक्के पे धक्के ऊफ़्फ़ मुँह तक दुखने लगता है
ओर रबड़ी भी जब उड़ेलते है पूरे कटोरी भर तो होती ही है ऊपर से उबाल पे उबाल मुँह क्या करे ब्लाऊज साड़ी सब रबड़ी से लथपथ
ओर कभी ओर मन हो गया तो हम कुर्सी पे वो निच्चे फिर हमारी कटोरी वाली आइस क्रीम और वो भी कटोरी भर तो होती ही है कभी प्रेशर बन गया तो उन की ड्रिंक भी हो जाती है निहारिका जी अब मैं भी ज्यादा नहीं सोचती
जब वो खुद उल्टा सीधा करवाते है जबरदस्ती हम से तो फिर हम भी क्यों ना हो जाये शामिल
कुसुम रात रात भर जाम ओर फीमेल वियाग्रा ले के ऊफ़्फ़ मत पूछो जब वो गोली उतरती है पेट मे
ऊफ़्फ़ कमाल का असर करती है हम औरतों पे
खुद भुगत रही हूं रोज रात रात भर
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खूब मस्तियाँ करो साजन संग बिस्तर में
निहारिका जी तो हो जाये आज एक अपडेट अगर फ्री हो तो
वेसे जब भी समय मिले तीनो ओरतो का कार्यक्रम लिखना
थोड़ा लंबा बस गीली हो जाएं सब
इंतज़ार एक मीठी फ़ुहार का
पूनम जी ,
आहा आप आ गयी , बस "जी" खुश हो गया , हम्म, टेबल इ नीचे वाला काम, आज कल हो रहा है, ऊपर फॉर्मल मैं और नीचे कुछ नहीं अब लैपटॉप मैं नीचे नहीं दीखता बस, इनके मजे .
कुसुम जी तो तगड़े मजे ले रही है, लगता है हम अब महिलाओं मैं सबसे जायदा वो ही ले रही हैं, आछा है जी.
लागता है कि आप भी नीले रंग मैं खोई हुई हैं, लगे रहो और मजे लो।
हाँ जी मान लिया की देर होगइ अभी देती हु अपडेट। .
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बस सुनती रही जब तक सब खतम नहीं हुआ,
जी हाँ "सु-सु", बस.
अब पेंटी तो थी नहीं सोचा ऐसे ही निकल जाउंगी. तभी बाथरूम का गेट खोलने कि कोशिश हुई,
मैं डर गयी.
यह कौन ?
.................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मैं डर गयी. यह कौन ? इस वक़्त माँ और मेरी सहेली तो सुमन भाभी के यहाँ हैं तो यह ...? कही कोई आ तो नहीं गया , अब मेरा क्या होगा , कही कोई कुछ कर तो नहीं देगा, अभी तो शादी भी नहीं हुई , मेरे ही घर मैं मेरा बलात्कार ..... उफ़ न जाने कितने डरावने विचार आ - जा रहे थे, मैं चुप अपनी नीचे वाली को पकड़ कर बैठी थी, तभी मेरी सहली कि आवाज आई
सहेली - निहारिका क्या तू हैं अन्दर ?
अब मेरी जान मैं जान आई , और मैं बोली -
मैं - साली आज क्या तूने मुझे डराने का ठेका लिया हैं, जान ही निकल दी तूने , आ रही हूँ , मर मत.
सहेली - उफ़, आ न बहार , नहीं तो खोल दे गेट , दोनो साथ ही कर लेंगे ऐसा क्या है तेरे पास जो मेरे नहीं हैं.
मैं - धीरे बोल साली माँ सुन लेंगी तो क्या सोचेंगी ?
सहेली - तब तो मैं और जोर से बोलती हूँ, ही ही ,
मैं - तू तो कमीनी ही रहेगी , रुक.
अन्दर, मैं बिना पेंटी के थी, इसलिए थोडा अजीब लग रहा था . फिर मैं उठी और गेट खोल दिया , वो शिधा आदर आई और सलवार उतारी पेंटी के साथ और सु -सु करने बैठ गयी , वो ही मधुर सिटी कि आवाज , आज अच्छी लग रही थी, उस आवाज मैं मैं खो सी गयी, वो मुझे देख रही थी और मैं उसे सु - सु करते हुए , वो हंसी और बोली, देख लिया या और दिखाऊ ?
मेरा महू शर्म से लाल था, उसे यह अच्छे से पता था कि , जब मैं शर्मा जाती हूँ तो मैं लाल हो जाती हूँ. और मन भाग कर अपने रूम मैं आ गयी. कुछ देर बाद वो भी आ गयी. और बोली -
सहेली - निहारिका क्या देख रही थी तू, मेरी च **** , साली सीधा ही बोलती थी , और मैं आज तक नहीं बोल पाती, और वो भी मेरे मजे लेते हैं, जब तक मैं नहीं बोलती कि मेरी च *** मैं डालो जब तक तडपाते हैं, मेरे निप्पल उमेठ देते हैं , पीछे से ऊँगली उफ़ न जाने क्या क्या फिर जब मैं बोल देती हूँ तब , लिप किस वो भी लम्बी वाली फिर उनका चोकोबार फिर आगे का कार्क्रम ......
उफ़ , फिर वही चलते हैं उन यादो मैं ......
हम्म,
मैं - नहीं , कुछ नहीं देखा . मेरी आँखे नीचे , साँसे तेज़ , जोबन पूरी रफ़्तार से ऊपर नीचे , उफ़ मैंने अपने दोनों हाथ अपने जोबन पर रख लिए .
सहेली - अरे डर मत, तेरे जोबन खा थोड़ी जाउंगी . हाँ और कुछ तो कर ही सकती हूँ इनके साथ खाने के आलावा , ही ही ...
मैं - चुप कर , बेशरम हो गयी हैं तू, अच्छा ये बता आज तू लेट कैसे आई थी और मेरे घर रुकने कि क्या बात थी .
अब मैंने बात बदलने कि कोशिश करी,
सहेली - हम्म, तो यह पूछना है मेरी रानी को, पर पहेले ये बता तूने "वो" देख ली क्या ?
मैं - क्या "वो" , अपनी आँखे नाचते हुए बोली , हम लड़कियां अक्सर ऐसा ही करती हैं जब इतरा के बोलना होता हैं
सहेली - आछा जी , कौन सी मूवी, चुद*** वाली और कोन सी ? मालूम पड़ा न "मूड्स" क्या होता है ?
मैं - मुझे काटो तो खून नहीं , उफ़ सब याद आया गया एकसाथ , वो लड़की, उसकी गीली "नीचे वाली" , जोबन , उस आदमी का इतना बड़ा ? मेरी हालत फिर ख़राब, जोबन बगावत पर , और नीचे वाली एकदम रसभरी .
सहेली - उफ़, कितनी नशीली है तू , तेरी आँखे उफ़ क्या बताऊ मेरे पास अगर "ल ***" होता तो अभी कर देती , लुट लेती सब . फिर एकदम उसने लिप किस कर ली, दो सेकंड्स कि ही होगी, मेरे नीचे वाली से पानी निकल गया , मेरा हाथ मेरी नीचे वाली के पानी से भीग गया था , उसने देखा तो वो लपक पड़ी और सब चाट लिया मेरे सामने .
मैं एक जिन्दा लाश के जैसे सब देख रही थी , मैं अपने जिस्म मैं नहीं थी ऐसा लग रहा था कि, यह सब मैं अपने साथ होते हुए देख रही हूँ, फील कर रही हूँ, न जाने क्या हो गया था मुझे.
.....
फिर मन होन्स मैं आई, और बोली -
मैं - साली, पागल हो गयी है क्या , पर न जाने बोलने मैं गुस्सा नहीं था, मुझे भी अच्छा लगा था शायद.
सहेली - उफ़, निहारिका , तू चीज ही इतनी नशिली है मैं तो क्या कोई भी बहेक जाए, क्या तुजे आछा नहीं लगा ?
मैं - अब चुप , क्या बोलू ? हाँ बोला तो मरे , फिर कुछ नहीं बोला ..... बात बदल दी , सुमन भाभी के क्या हुआ . बता न .
सब बतौंगी मेरी जान रुक तो , हम्म,
वो मेरे सामने बैठ गई , दुपट्टा निकल के अलग रख दिया बेड पर, और मुझे देखने लगी, फिर बोली -
सहेली - वाह , मेरी जान क्या ड्रेस कॉम्बिनेशन पहेना है , अब देखा मैंने तो ध्यान से , कुर्ती और स्कर्ट मस्त लगी रही है.
मैं - हाँ जी , अब ड्रेस पर कौन ध्यान देता हैं गरीबो कि , आँख नचा के बोली .
सहेली - आछा बाबा , सुन ध्यान से , मैं कल से अपने घर नहीं गयी हूँ, और अगर घर से फ़ोन आया तो बोल देना कि मैं यही पर थी. तेरे साथ .
मैं - क्यों , तू कहाँ थी ?
सहेली - रुक तो, बताती हूँ , मैं शहर से बाहर एक रिसोर्ट मैं थी, एक पार्टी मैं फिर वहां शराब - शबाब और फिर वाही एक रूम मैं रुक गयी था कोई पर साले ने तोड़ दिया रात भर .
मैं - कुछ समझी नहीं , पार्टी तक तो ठीक है, बाद मैं क्या तोड़ दिया ?
सहेली - अरी भुद्धू जान , वो ही हुआ जो तूने देखा आज मूवी मैं ,
मैं - वो सब ,सच्ची
अब फंस गयी, बोल तो दिया कि सब, मतलब मैंने मूवी देखि थी, और भोली बन रही थी . पकड़ी गयी.
सहेली - ओह हो , तो तभी इतनी नशीली हो रही है, यह बोलते हुए उसने अपने पैर लम्बे किये तो मेरी स्कर्ट थोड़ी सी उठ गयी .
सहेली - उफ़, तूने पेंटी नहीं पेनेही , अन्दर से नंगी है दिखा तो.
मैं - पागल , कुछ भी, नहीं .
फिर सहेली उठी, और उसका हाथ मेरी स्कर्ट पर था जो गीली थी मेरे काम रस के कारन. फिर उसने अपना मुह सीधा मेरे गोद मैं रख दिया और सूंघने लगी, जैसे कुत्ता सुन्घ्ता है, मैं बोली -
मैं - क्या कर रही है, पागल हट .
सहेली - अरे यार , क्या खुशबू आ रही है , एकदम मादक. नशीली . तू तो पूरी एटम बम है. कमाल है .
फिर मैंने उसे धक्का दिया , और बोला , तू अपनी बता गीली तो तू भी लग रही है.
सहेली - मैं तो रात से ही गीली और भरी हूँ , और थक भी गयी हूँ, अब मुझे सोने दे.
थक तो मैं भी गयी थी , फिर हम दोनों लेट गए और पता नहीं कब , आँख लग गयी, सपने मैं फिर वो ही मूवी , मूड्स और "वो" काम. यह सब नया था मेरे लिए और एक लड़की दूसरी लड़की को देख कर इतनी उत्तेजित कैसे हो सकती हैं, जैसे मेरी सहेली हुई थी आज, और लिप किस उफ़, यही सब चलता रहा नींद मैं .......
तभी माँ कि आवाज आई,
माँ - अरे लड़कियों उठ जाओ , आओ चाय पि लो, उठो......
हम दोनों एक दुसरे पर हाथ डाल कर सो रहे थे , मेरी स्कर्ट घुटनों से थोडा उप्पर हो रखी थी, माँ ने देख लिया , और बोली उफ़, इस को थो कुछ भी समझ नहीं है , पागल देखो तो फिर मेरी स्कर्ट नीचे करी तो देख लिया कि नीचे वाली नंगी है, तब तक मैं उठ गयी थी पर आँख नहीं खोली थी, जानकार.
माँ, कुछ देर देखती रही,, फिर धीरे से बोली, अब शादी करवानी ही पड़ेगी. पूरी जवान हो गई है.
फिर कुछ देर मैं, आँख मलते हुए उठ गई , और सहेली को उठाया , उठ न साली, कैसे गधे बेच के सो रही है.
सहेली - उठ रही हूँ न, रुक तो.
माँ सामने ही खड़ी थी , उठो पागलो.
अं सोच रही थी कि इसने रिसोर्ट मैं क्या किया, वो मूवी वाला, इतना बड़ा कैसे लिया अन्दर ? साली मरी नहीं . और रात भर उफ़, कैसे पुछु .... सुमना भाभी के क्या हुआ आज,
फिर मेरी सहेली चाय पी कर चली गयी, और मेरे सवाल रह गए, अब माँ के सामने क्या और कैसे पूछती .....
ह्म्म्म, सुमन भाभी .....
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06-05-2020, 05:14 PM
(This post was last modified: 06-05-2020, 05:16 PM by @Kusum_Soni. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
निहारिका जी क्या कमाल का अपडेट दिया है ऊफ़्फ़ लाजवाब
पढ़ते पढ़ते टपक गयी आज तो
ओर उन कि जो बात लिखी है बिल्कुल सोलह आने सच लिखी है ?
उस समय जो तड़पातें है सताते है ऊफ़्फ़
ऊपर ऊपर रगड़ते रहेंगे और हमारे मुँह से बुलवाएँगे
जब तक डालने के लिए खुद नहीं कहेंगी बस ऊपर से रगड़ाई होंगी साथ मे निप्पल्स पिंच करते है रोना आ जाता है
ओर बीच बीच मे थप्पड़ अलग से
कभी कभी तो हमारी परी पे भी चटाक aaaahhhhh दर्द से उछल जाती हूँ याद कर के ही
ऊफ़्फ़ क्या बोलना है क्या सुनाने लग गयी
निहारिका जी सुमन भाभी मम्मी सहेली सब खेली खाई थी हां पिंकी भाभी भी
तो आप क्या क्या ओर कैसे देखती थी
मम्मी को कब देखा ,सुमन भाभी को कब देखा
मीठा सा वर्णन करना और कैसे फिर आप इस खेल में शामिल हुई वो सब बताना पर पहले कल क्या हुआ ये
अगले अपडेट में जरूर बताना
कमाल के अपडेट के लिए बहुत आभार
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06-05-2020, 05:34 PM
(This post was last modified: 06-05-2020, 05:37 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(06-05-2020, 05:14 PM)@Kusum_Soni Wrote: निहारिका जी क्या कमाल का अपडेट दिया है ऊफ़्फ़ लाजवाब
पढ़ते पढ़ते टपक गयी आज तो
ओर उन कि जो बात लिखी है बिल्कुल सोलह आने सच लिखी है ?
उस समय जो तड़पातें है सताते है ऊफ़्फ़
ऊपर ऊपर रगड़ते रहेंगे और हमारे मुँह से बुलवाएँगे
जब तक डालने के लिए खुद नहीं कहेंगी बस ऊपर से रगड़ाई होंगी साथ मे निप्पल्स पिंच करते है रोना आ जाता है
ओर बीच बीच मे थप्पड़ अलग से
कभी कभी तो हमारी परी पे भी चटाक aaaahhhhh दर्द से उछल जाती हूँ याद कर के ही
ऊफ़्फ़ क्या बोलना है क्या सुनाने लग गयी
निहारिका जी सुमन भाभी मम्मी सहेली सब खेली खाई थी हां पिंकी भाभी भी
तो आप क्या क्या ओर कैसे देखती थी
मम्मी को कब देखा ,सुमन भाभी को कब देखा
मीठा सा वर्णन करना और कैसे फिर आप इस खेल में शामिल हुई वो सब बताना पर पहले कल क्या हुआ ये
अगले अपडेट में जरूर बताना
कमाल के अपडेट के लिए बहुत आभार
"निहारिका जी क्या कमाल का अपडेट दिया है ऊफ़्फ़ लाजवाब
पढ़ते पढ़ते टपक गयी आज तो "
कुसुम जी ,
टपकना तो बनता था न आज तो, देर जो हो गयी थी उपदटेस मैं , सच्ची मैं खुद भी गीली ही थी, अपडेट दे कर।
लगता है , यह सितम तो हम औरतो पर होता ही है, की जब कबूल न करो वो भी बता के, पनिशमेंट चलता ही रहता है, साथ "वो" करते हुए कुछ पूछ लेते हैं, जैसे मज़ा आया, अब करवाते हुए आँख बंद हो और अपने दोनों हाथ से जोबन मसल रही हूँ तब कहाँ सुनाई पड़ता है, बस फिर तो "उनका वो" मेरी नीचे वाली से बाहर और "चटाक" और जब तक न बोलो तब तक तड़पते रहो.
हाय जालिम आदमियों , कुछ तो तरस खाया करो , नाजुक, मुलायम, गीली , "नीचे वाली पर"
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सोच रही थी कि इसने रिसोर्ट मैं क्या किया, वो मूवी वाला, इतना बड़ा कैसे लिया अन्दर ? साली मरी नहीं . और रात भर उफ़, कैसे पुछु .... सुमना भाभी के क्या हुआ आज,
फिर मेरी सहेली चाय पी कर चली गयी, और मेरे सवाल रह गए, अब माँ के सामने क्या और कैसे पूछती .....
ह्म्म्म, सुमन भाभी .....
.................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी सहेलिओं, उस वक़्त मेरी हालत मैं ही जान सकती थी, वो देखा जो कभी नहीं देखा था , बार बार मेरा हाथ "नीचे वाली" पर जाता था टटोलने के लिए उफ़ इतना बड़ा कैसे अन्दर गया होगा , उस लड़की तो दर्द तो हुआ होगा पर साली हंस -हंस के ले रही थी, उसे अपने पर चिपका के यह सोच के ही रोंगटे खड़े हो जाते थे।
अब परेशानी यह थी कि पुछु किस से , मेरी सहेली तो गयी, अब कौन ? सुमन भाभी उफ़ वो तो डाकिया हैं पुरे मोहल्ले कि, पर बैचनी ऐसी थी कि कल रिजल्ट आने वाला है बोर्ड का और रात को नींद नहीं आ रही है. कुछ जानकारी कि कमी और कुछ जवानी का जोर दिमाग ने काम ही करना बंद कर दिया था , खैर चाय तो पी ही ली थी मैंने और वापस अपने रूम मैं आ गयी थी बिना किसी से बोले - बात किये।
पर चुप बैठना कोई हल नहीं था मेरी परेशानी का , जोबन बवागत पर आये हुए थे , आखिर मुझे ब्रा खोलनी ही पड़ी अब मैं पहेली बार बिना ब्रा के सिर्फ कुर्ती मैं थी आराम मिल रहा था आज और नीचे वाली तो वैसे ही खुली थी चाशनी टपकाती हुई।
फिर मैं थोडा लेट गयी , नींद तो आणि थी नहीं , सो जो चुकि थी, मेरा दिमाग प्लान बनाने लगा कि कैसे सुमन भाभी से जानकारी लू. पर कोई रास्ता नजर ही नहीं आ रहा था, माँ भी किचिन मैं बिजी थी और मैं परेशां, आँख बंद करू तो "वो" दिखे अन्दर जाता हुआ , फिर मोबाइल निकला और सोचा एक बार फिर से देखू अबकी जरा ध्यान से , चलाई मूवी मैंने और वहा रोक के देखा कि वास्तव मैं "वो" उस लड़की के "नीचे वाली" मैं जा रहा था. मेरी फिर टपक गयी और धड़कन तेज़. आखिर बंद करनी पड़ी मुझे मूवी , देख तो ली ही थी पहेले पर "वो" अन्दर जाता है तो एक लड़की को कैसा लगता है, वो अहसास , वो मजा, दर्द, उफ़ कुछ भी नहीं पता था.
तभी माँ कि आवाज,
माँ - निहारिका , आ तो जरा।
मैं - आई माँ, अब ब्रा तो निकाल दी थी अगर बिना ब्रा के माँ के सामने जाऊ तो फिर भजन और गयी एक घंटे कि फिर जल्दी से कुर्ती उतारी और देखा निप्पल एकदम कड़क, फूले हुए थे मैंने बोला सालो तुमने आज तो परेशां कर दिया है, आओ ब्रा मैं दोनों. फिर ब्रा पेहेन कर कुर्ती डाली और गयी माँ के पास.
माँ - लड़की इतनी देर लगती है क्या आने मैं?
मैं क्या बोलती, बस हम्म.
माँ - आछा यह ले , भरवा भिन्डी कि सब्जी सुमन के लिए , उसे पसंद है. जा दे आ उसे।
मुझे मेरे कानो पर भरोसा नहीं हो रहा था, मैं बस माँ को देख रही थी, फिर माँ बोली -
माँ - पागल लड़की, क्या हुआ, जा दे आ जल्दी नहीं तो सब ठंडी हो जाएगी.
मैं - हा, माँ अभी जाती हूँ, फिर मन मैं सोचा वाह निहारिका तेरे तो मजे हो गए , मिल गया बहाना सुमन भाभी के पास जाने का।
माँ - ऐसी जाएगी , या तो कुर्ती उतार या फिर स्कर्ट , यह घर मैं ठीक है, पर बाहर ठीक से जाया कर, सबकी नज़रे जवान लड़की पर ही होती हैं , जरा ठीक से निकला कर घर से.
फिर अपने रूम मैं जाकर स्कर्ट उतारी और लेग्गिंग्स पहन लिया , पिंक कलर का था, एकदम कसा हुआ, फिर लाइट ब्लू कलर कि प्लेन कुर्ती निकाली और पेहेन ली, उफ़, यह काली ब्रा साफ़ दिख रही है, कोइ नहीं सुमन भाभी के ही तो जा रही हूँ, फिर दुपत्त्ता भी तो है न चल जायेगा.
फिर मैंने बाल बनाये , आँखों मैं काजल हल्का सा , और पोनी बना कर , एक कला दुपत्त्ता ले लिया जोबन पर फिर आ गयी माँ के पास और बोली -
मैं - अब जाऊ मैं , सुमन भाभी के।
माँ ने मुझे देखा , हम्म, ठीक है, जा , और इधर आ, कला टिका लगा दू , नजर न लगे मेरी बेटी को.
मैं शर्मा गयी, और हंस दी.
फिर लिया टिफिन और चल पड़ी सुमन भाभी के , यु तो कम ही जाना पसंद करती थी उनके यहाँ एक तो वो मुझे बच्ची ही समझती थी और दूसरी औरतो जैसे बात भी नहीं करती थी, बस पढाई और घर कि बात और बात ख़तम. पर आज न जाने क्यों मेरी सहेली कि बात याद आ रही थी, अगर सुमन भाभी ने तेरी पेंटी देख ली होती तो तू नहीं बचती, और कुछ तो हैं नहीं तो वो साली मेरी पेंटी वापस नहीं देती , चाट तो गयी थी पूरी, रख लेती वो मुझे परेशान करने को , हो सकता है कि सुमन भाभी ही रख लेती मेरी पेंटी को.
उफ़, पागल है तू निहारिका क्या सोच रही है, सुमन भाभी क्यों रखेगी मेरी पेंटी , उनको क्या काम, अब गीली तो वो भी होती होंगी आखिर औरत हैं वो भी मुझे मैं ऐसा क्या है, तभी मुझे याद आया "एटम बम्ब " और मेरी हंसी निकल गयी।
ऐसी ही कुछ सोचते हुए और खुद से ही बात करते हुए मैं सुमन भाभी के पास आ गयी, घर कि दूर बेल बजाई और दुपट्टा को देखा वो तो कब से जोबन का साथ छोड़ चूका था उफ़, इतनी देर से मैं बिना जोबन ढके चलती आ रही हूँ, मेरा ध्यान ही नहीं गया खयालो मैं डूबी थी, पता नहीं कितनी नजरो ने जोबन के रस का मजा लिया होगा , पागल ही हूँ सच्ची.
तभी सुमन भाभी ने गेट खोला , तब तक मैंने अपने जोबन पर दुपट्टा डाल लिया था ठीक से, फिर सुमन भाभी बोली -
सुमन भाभी - अरे निहारिका , तू, सच्ची आज तो मैं भगवान से कुछ और मांग लेती तो वो भी मिल जाता। आ अन्दर आ।
मैं - जी भाभी , वो माँ ने कुछ भिजवाया हैं, भरवा भिन्डी आपके लिए।
सुमन भाभी - अरे वाह , यह तो मेरी मन पसंद है, मजा आ गया आज तो , आज मेरा मन भी नहीं था कुछ बनाने को। आछा हुआ कि तू ले आई , आजा।
तूने खाना खा लिया क्या , निहारिका ? सुमन भाभी बोली।
मैं - नहीं , भाभी अभी नहीं, घर जा कर खा लुंगी।
सुमन भाभी - रुक सब्जी तू ले ही आई हैं , रोटी मैं बना लेती हूँ दोनों साथ ही खा लेंगे।
मैं - पर भाभी , वो, मैं घर पर नहीं बोल कर आई, मैं तो बस यह सब्जी देने आई थी.
सुमन भाभी - हँसते हुए , बस इतनी सी बात , अभी तेरी माँ को फोन कर देती हूँ, कि निहारिका मेरे यहाँ से खाना खा कर आएगी।
फिर सुमन भाभी ने माँ को फ़ोन लगा कर बोल दिया, कि नहारिका खाना खा कर आएगी. और माँ ने बोला ठीक है, जल्दी भेज देना , और फ़ोन काट दिया।
सुमन भाभी - बस अब तो ठीक है, तू खड़ी क्यों हैं, बैठ न, फिर मैं पास ही पड़े सोफे पर बैठ गयी.
सुमन भाभी अन्दर पानी लेने गयी, मैं अब भी उस मूवी के बारे मैं सोच रही थी , कैसे पुछु , क्या बोलू, मेरा ध्यान दुपट्टे पर फिर नहीं था, एक साइड से ढलक कर मेरा एक जोबन साफ़ दिख रहा था और कंधे से काली ब्रा का स्टैप भी।
सुमन भाभी आ गयी थी पानी ले कर , मेरे सामने बैठ गयी और कुछ पुच रही थी या बोल रही थी, मुझे उनके होंठ हिलते हुए दिख रहे थे पर आवाज सुनयी नहीं दे रही थी, तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड कर बोला
सुमन भाभी - निहारिका , क्या हुआ , ठीक है सब.
अब मैं होंश मैं आई, क्या हुआ था पता नहीं , फिर बोली -
मैं - कुछ नहीं भाभी।
अब भाभी हंस दी, और बोली - होता हैं जवानी मैं, जब जोबन परेशां करते हैं, मेरे जोबन को देख कर।
मैंने अपने जोबन को देखा , उफ़, एक तो बाहर ही निकला हुआ है, दुपट्टे से और सुमन भाभी किए नजरो के पीछा करते हुए एकदम अहसास हुआ कि कुछ और भी गड़बड़ है, मेरा हाथ मेरे कंधे पर जा पहुंचा दुपट्टे के लेकर हम्म, ब्रा भी निकली पड़ी है, आज तो न जाने क्या हो रहा है,
सुमन भाभी - निहारिका, क्यों चिंता करती हैं, तू घर मैं ही है, और जो तेरे पास हैं वो सब ही मेरे पास ही है इसमें क्या , तू मस्त रह. ले पानी पी।
फिर मैंने पानी पिया , और कुछ देर वो ही इधर उधर कि बात कॉलेज , पढाई और फिर चुप्पी. फिर मैंने देखा कि सुमन भाभी का ब्लाउज काफी डीप था, एक लाइन सी थी बीच मैं पीली साडी शीफ़ोन कि और मैचिंग का ब्लाउज था उसमे लाल ब्रा के स्त्रपेस दिख रहे थे , पर उनको कोई चिंता नहीं थी , दिखे तो दिखे।
मुजसे रहा नहीं गया, और बोल पड़ी, भाभी आपका ब्लाउज तो बहुत आछा है.
सुमन भाभी, अपने जोबन को देखती हैं और बोली , बस ब्लाउज और मेरी ब्रा वो नहीं दिखी तुजे ? ही ही ही
मैं शर्म से लाल, चुप क्या बोलती, बस सर हिला दिया।
फिर सुमन भाभी बोली - आजा चल किचन मैं चलते हैं, वही बात करेंगे रोटी बनाते हुए।
मैं - हम्म, ठीक है.
फिर अपना दुपट्टा ठीक करते हुए सुमन भाभी के साथ चल दी, फिर सुमन भाभी बोली , अरे आज तेरी सहेली भी आई थी मजा आ गया , कितने दिनों के बाद मुलाकात हुई उस से।
मैं - हम्म , वो भी कितनी खुश थी आप से मिल कर, पुच रही थी कल के गोद भराई के प्रोग्राम के बारे मैं, आपने के बता दिया होगा उसे.
सुमन भाभी - हम्म, खूब बात करी , पिंकी के बारे मैं भी।
मैं - हम्म, तो पिंकी भाभी ने फिर तो बिना मूड्स के करवाया होगा , सुमन भाभी कि बात मान कर, क्या इतना बड़ा लिया होगा, उनके पति का भी क्या इतना बड़ा होगा , मूवी के जैसा,
तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा, बोली - कहाँ खो गयी , निहारिका ?
मैं - नहीं कुछ नहीं, वो भाभी। ......... कुछ नहीं। ... बस ऐसी ही। ...........
सुमन भाभी - हम्म, बोल न , रोटी बनाते हुए सब बात हो जाएँगी। ......
[b]मैं - हम्म. ...................[/b]
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आप सहेलियों के प्यार स्नेह और दुलार से मैं और ' ये ' हम लोग दोनों ठीक हैं , बस दो बातों के कारण मैं कुछ दिनों से फोरम से गायब हूँ , आप लोगों की याद आती है , लेकिन,...
पहली बात तो ये है की हम दोनों ( मैं और मेरे ये ) जिस शहर में हैं वहां हालत अच्छी नहीं है , आप सब अखबार में रोज पढ़ती होंगी , ... और हम लोगों की सोसायटी भी एकदम रेड जोन में है , ... उससे बढ़कर कन्टेनमेंट जोन भी एकदम पास में हैं , .... बस उस सब चक्कर में कुछ लिखने का पोस्ट करने का मन नहीं बन रहा था , हाँ मैंने तय कर लिया है जिस दिन लाकडाउन का ये तीसरा फेज़ ख़तम होगा न पक्का , बस उसके बाद से रोज बिना नागा ,... अगर रोज पोस्ट न भी कर पायी तो आकर गप्प तो जरूर मारूंगी , सब से हाल चाल पूछूँगी ,... बस हफ्ते दस दिन की बात है ,
और एक बात और ,... जिस कारण और ,... लाकडाउन में आप सब समझती हैं न , ' एक काम ' और बढ़ जाता है ,... और आप ने तो मोहे रंग दे कहानी मेरी पढ़ी है , वो काफी कुछ मेरी ही ,... तो पहले दिन से ये न दिन देखते हैं न रात ,... और जब घबड़ाहट हो परेशानी हो तो 'वो सब और '
कुछ प्राइवेट कम्पनी खुलने लगी हैं , और लाकडाउन हटने के बाद इन्हे भी रोज नहीं हफ्ते में तीन दिन ,... वो भी चार घंटे के लिए ,... बस कहानी का अपडेट भी हो जाएगा और आप लोगों के संग मस्ती भी
आप सब सहेलियों की और दोस्तों के पोस्ट पढ़कर बहुत अच्छा लगा ,
मैं ठीक हूँ , एकदम ठीक हूँ , ... आप लोग का स्नेह प्यार दुलार , मुझे कुछ नहीं होने देगा ,...
बस ये प्यार दुलार बना रहे
और हम सब इस संकट से जल्द से जल्द उबर जाएँ
बस आप सब अपना और ' अपनों ' का ध्यान रखिये
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कोमल जी ,
बस एक लाइन ही बहुत है , " जी" खुश हो गया सुकून मिल गया. यहाँ तो जैसे महिलाओं का आकाल ही पड गया था कई बार आती थी फोरम पर और कोई न मिले, दो मिनिट मैं ही बंद कर देती।
आप आ गयी हैं , अब फुल मस्ती एक बार फिर से। ......
आपके इंतज़ार मैं, ........ एक सूनापन था यहाँ , पूनम जी, कुसुम जी , विद्या जी ने बहुत साथ दिया।
अब आप आ गयी हैं न , जब भी टाइम मिले। ...... बस एक - दो लाइन ही बहुत हैं.
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