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रुक , तुझे दिखती हु, उसने अपना मोबाइल निकला और कुछ खोजने लगी उसमें। वो कुछ दिखा पाती, उससे पहले , एक लड़की आँखों पर चश्मा लगाए , चार किताबो से अपने जोबन दबाये हमारे पास आ गयी, बोली -
बॉस, एक काम था, आपसे।
हमारी जूनियर थी। .....
मैं - हम्म, बोलो। क्या काम है.....................
.............................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी विनिती। ..... इस फोरम की और भी औरतो लड़कियों से जो चुप चाप सब पढ़ के चली जाती हैं, अपनी बातो और इच्छाओ को अंदर ही दबा लेती हैं, अरे .यही तो हमलोग करती आयी हैं जीवन भर , चुप रहो - .सब सहो.
हाँ , कुछ लोग हिम्मत कर के कुछ कह सके हैं यहाँ, जो की कबीले तारीफ है, दिल मैं दबी हुई बात भीगे कपडे की तरह होती हैं, दर्द टपकता रेहता है, और कपडा सुख नहीं पाता वो भरा ही रेहता है - भारी ही रहता है.
यह आपका अपना आँगन है , कर दो दिल हल्का, जीवन मैं नई बातो के लिए जगाह बनाओ, पुराणी बातो को दिल मैं भर के बैठे रहोगे तो नई बाते के लिए जगह नहीं मिलेगी।
हजारो लोग इस फोरम पर आते है, सुबह - से शाम तक , भटकते हैं, इस थ्रेड से उस थ्रेड पर अपने मन को शांत करने, पर अकेले हैं, सब। मेरी कोशिश यही है की सभी आपस मैं जुड़ जाए, बात करे , अनुबह्व बांटे। ....... यादो को ताज़ा करें।
हम्म, वो जूनियर आयी हमारे पास , मेरे बात करने का उससे कोई मूड नहीं था मूड तो "मूड्स" देखने का था। पर क्या कर सकते थे सर पर ही आ मरी थी वो.
जूनियर - बॉस, एक काम था। .............
हम्म ,
मैं बोली - हां , बोलो क्या काम है? कोई नोट्स या
जूनियर - बॉस, ऐसा है की , वो मैं , अब कैसे कहु ,
सहेली - अब बोल भी दे, कौन सा आई लव यू बोलना है, ही. ही।
जूनियर - नहीं, बॉस ऐसा नहीं है, वो
सहेली - किसने कहा तुझे, सीनियर ने, क्या काम बोलै जल्दी बता , ब्रा की साइज , पैंटी का कलर ? क्या ?
जूनियर एकदम घबरा गयी थी, माथे पर पसीना , होंठ सुख चुके थे , किताबे बस गिरने वाली थी.
मैं - अरे , बोल न कुछ नहीं होगा, तू सेफ है , हम कुछ नहीं करेंगे। चिंता मत कर.
फिर वो किताबे टेबल पर रख देती है, उसके जोबन उसके जिस्म की साइज से बड़े थे , हाइट काम थी उसकी हमारे हिसाब से पर लग मस्त रही थी, हम दोनो की हाइट अच्छी थी वो हमारे कंधे तक ही आती, लगभग।
जूनियर - बॉस , मेरा पीरियड आ गया है, और मेरे पास पैड्स नहीं है, क्या आप.....
मैं - उफ़, कुछ न बोल पायी, बस उसे देखती रही.
सहेली - साली, नाटक करती है, किसने बोलै तुझे। हम से पैड्स लेने के लिए. बता जल्दी।
जूनियर - नहीं , बॉस किसी ने नहीं बोला।
सहेली - झूठ , बिलकुल नहीं।
मैं - रुक तो, सहेली को रोकते हुए।
सहेली - अरे कुछ नहीं, इसे टास्क दिया होगा किसी ने. इधर आ.
सहेली, जूनियर को खींचते हुए अलग साइड मैं ले गयी, बुक्स की आखरी रैक के पास ,
मैं उसे देखती ही रह गयी, दोनों वहा खड़ी थी, फिर मेरी सहेली ने उसकी टैंगो के बीच मैं हाथ डाल दिया। मैं यह देखकर उठी और उनके पास गयी, साली यह क्या कर रही है, ओपन मैं।
वहां जाकर देखा, जूनियर की आँख बंद थी, सहेली का हाथ उसकी पैंटी मैं था , जब उसने हाथ निकला , तीन उंगलियॉं "लाल" थी.
मैं - उफ़, तुझे भी चैन नहीं है, ले अब, ठीक। यह क्या किया , बेचारी बोल तो रही थी.
सहेली - अब , जूनियर है, कोई परेशां कर रही होगी। मुझे क्या पता सही मैं, सॉरी यार.
जूनियर - ठीक है बॉस, होता है, कन्फूशन मैं।
मैं - जूनियर से, तू चल मेरे साथं।
मैंने अपने बैग लिया और उसके साथ बाथरूम मैं चली गयी. वहां, कई लड़कियॉं थी, कुछ "सीटी" की आवाजे भी आ रही थी. मैंने एक रूम खोला तो वो खली था, मैंने उसे अपने बैग मैं से पैंटी - पैड्स दोनों निकल के दिए और बोला ले चेंज कर ले.
जूनियर- बॉस, आपकी बड़ी मेहेरबानी , आज आपने बचा लिया , नहीं तो घर जाने तक की मुश्किल हो जाती।
तभी मुझे बस वाली औरत की बात याद आयी, एक औरत ही दूसरी औरत के काम आती है.
मैं - कोई नहीं, अब से कोई बॉस, नहीं। फ्रेंड्स बस.
कुछ देर मैं वो बाहर आयी, क्या बताऊ, उसकी आँखों मैं जो ख़ुशी थी , वो हजारो रुपए देने से भी नहीं मिलती। वो आयी और मुझ से गले लग गयी, बोली , थैंक्स।
तभी मेरी सहेली हमे खोजती हुई बाथरूम तक आ गयी थी.
सहेली - ओह, ओ बड़ा प्रेम निकल रहा है. दोनों मैं. कुछ सेट तो नहीं हुआ दोनों मैं. कॉलेज के बाद. ही ही।
मैं- तू कमिनी ही रहेगी। कुछ नहीं हुआ ऐसा. अब यह छोटी बेहेन तरह है, मेरी।
जूनियर - थैंक्स , दी।
मैं - अच्छा अब जा। कुछ काम हो तो बता देना आगे से , शर्माने की कोई जरूरत नहीं है.
फिर वो चली गयी बाहर, सहेली बोली - अब मैं कुछ कर लू. तू रुकेगी या जा रही है उसके पास।
मैं - कर ले, साली।
फिर वो गयी अंदर, वो "सीटी" की आवाज आयी, इसकी कुछ अगल सी थी, खुली हुई. यह तो पूरी बेशरम है.
बाहर से - मैं बोली नल तो चालु कर ले , पागल।
नहीं किया, उसने, मज़ा आ रहा था, मूज़े चिढ़ाने मैं. फ्लश चालू करके हँसते हुए बाहर आयी। पागल।
सहेली - चल अब। ..
मैं - हम्म, फिर बोली , कितनी बेशर्म हो गयी है आज कल तू.
सहेली - मेरी चिड़िया , चल तू भी देख ले। .... आजा।
[b]..................[/b]
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Good evening niharika ji, apka latest update abhi padha aur padhte padhte thoda sa jhatka laga, aisa laga jaise sleep se ekdum jaag gaya hu, apki saheli ka size 38 c padh kar main hairaan reh gaya, ye baat nahi ki ye impossible hai, lekin kisi college girl ka itna size, married ladies ka to possible hai, kyu ki main jab college mein tha to mere hisaab se us time shayad hamare college mein 38 size wali koi ladki nahi thi shayad haa lady professor koi ho sakti hai, koi koi ladki 36 size wali thi, 34 wali bhi thi lekin kam thi, mostly 32 size wali thi and flat chested girls bhi thi jinhe sahmne se ata dekh main narazgi se face dusri taraf kar liya karta tha, dusri baat aapne likha aapke bhi apki saheli se sirf thode hi kam the, iska matlab aapke kam se kam 36 ya 37 the college time mein, hey bhagwan main to behosh ho jaunga aaj, waise aapke is update se mujhe mere college ki 2 girls yaad aa gayi, wo dono saheliya thi, dono meri hi Class mein thi, wo dono us time poore college ki sabse sundar girls thi, baaki girls ke muqable physically thoda adheek mature lagti thi, poora college marta tha un par, roj unhe ladke propose karte the lekin sabko no bol deti thi, mera bhi unmein se 1 par bahut dil tha lekin mujh mein to usko propose karne ki himmat hi nahi thi bas dooor se dekh leta aur raat ko neend mein dreams mein us se shaadi bhi karta aur dreams mein hi use apne 2 bacho ki maa bhi bana deta hmm waise un dono girls ka size bhi 34 se le kar 36 tak hi hoga 38 bilkul nahi haa piche se tarbooz kamaal ke the, aapke is update ne mujhe meri 20 saal purani college life ki yaad taaza karwa di
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(27-04-2020, 05:42 PM)ghost19 Wrote: Good evening niharika ji, apka latest update abhi padha aur padhte padhte thoda sa jhatka laga, aisa laga jaise sleep se ekdum jaag gaya hu, apki saheli ka size 38 c padh kar main hairaan reh gaya, ye baat nahi ki ye impossible hai, lekin kisi college girl ka itna size, married ladies ka to possible hai, kyu ki main jab college mein tha to mere hisaab se us time shayad hamare college mein 38 size wali koi ladki nahi thi shayad haa lady professor koi ho sakti hai, koi koi ladki 36 size wali thi, 34 wali bhi thi lekin kam thi, mostly 32 size wali thi and flat chested girls bhi thi jinhe sahmne se ata dekh main narazgi se face dusri taraf kar liya karta tha, dusri baat aapne likha aapke bhi apki saheli se sirf thode hi kam the, iska matlab aapke kam se kam 36 ya 37 the college time mein, hey bhagwan main to behosh ho jaunga aaj, waise aapke is update se mujhe mere college ki 2 girls yaad aa gayi, wo dono saheliya thi, dono meri hi Class mein thi, wo dono us time poore college ki sabse sundar girls thi, baaki girls ke muqable physically thoda adheek mature lagti thi, poora college marta tha un par, roj unhe ladke propose karte the lekin sabko no bol deti thi, mera bhi unmein se 1 par bahut dil tha lekin mujh mein to usko propose karne ki himmat hi nahi thi bas dooor se dekh leta aur raat ko neend mein dreams mein us se shaadi bhi karta aur dreams mein hi use apne 2 bacho ki maa bhi bana deta hmm waise un dono girls ka size bhi 34 se le kar 36 tak hi hoga 38 bilkul nahi haa piche se tarbooz kamaal ke the, aapke is update ne mujhe meri 20 saal purani college life ki yaad taaza karwa di
ghost19 जी ,
शुक्रिया आपका, "दो " लाइन से जायदा ही हो गया रिप्लाई।मुझे उम्मीद तो बस "दो" लाइन की होती है यहाँ , पर अच्छा है.
और अच्छा इसीलिए भी लगा की, आपकी कुछ सुनहरी यादे ताज़ा हो गयी, अब रही बात सहेली के साइज की, बस उसकी शादी नहीं हुई थी पर वो शादी के बाद के सारे काम करवा चुकी थी.
उसकी जवानी और जोबन पर निखार इसीलिए आ रहा था.
दिल के अरमान दिल मैं नहीं रखने चाहिए , कह देते, जायदा से जायदा क्या होता, मना कर देती वो. पर न कहने का मलाल न होता।
इसी का नाम जिंदगी है, और इस कहानी मैं मेरी भी यही कोशिश है की अपनी पुरानी यादो को ताज़ा कर पाउ और साथ ही कुछ और की भी।
अब यूँ तो न कहूँगी की मैं कॉलेज की जान थी, मुज़से अधिक सुन्दर और भी थी, वो टाइम ही ऐसा होता है, जवानी अपने पुरे उफान पर होती हाँ और क्या कहे.
मुझे अच्छा लगा की एक मर्द होते हुए आपने , इस महिला मंच पर अपनी बात रखी। वो भी एकदम दिल से.
पुनः ध्यानवाद।
उम्मीद है , साथ बना रहेगा।
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28-04-2020, 11:17 AM
(This post was last modified: 28-04-2020, 12:23 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
फिर वो गयी अंदर, वो "सीटी" की आवाज आयी, इसकी कुछ अगल सी थी, खुली हुई. यह तो पूरी बेशरम है.
बाहर से - मैं बोली नल तो चालु कर ले , पागल।
नहीं किया, उसने, मज़ा आ रहा था, मूज़े चिढ़ाने मैं. फ्लश चालू करके हँसते हुए बाहर आयी। पागल।
सहेली - चल अब। ..
मैं - हम्म, फिर बोली , कितनी बेशर्म हो गयी है आज कल तू.
सहेली - मेरी चिड़िया , चल तू भी देख ले। .... आजा।
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प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी सहेली एक औतरत बन चुकी थी, एक लड़की औरत शादी के बाद बनती है पर वो शादी के बाद के सारे काम कर चुकी थी, थोड़ा बदमाश और बोल्ड या यु कहो "खुल" गयी थी. उसे पता चल गया था की उसके "पास" क्या है.
होता तो हर लड़की के पास "वो" ही है पर उसे मालूम शादी के बाद ही चल पता है.जब साजन धीरे - धीरे एक के बाद एक सरे "छेद" खोल देते हैं. फिर बच्चे के बाद औरत सम्पूर्ण हो जाती है. एक अलग एहसास होता है, बचे के बाद, उसे उसका घर और बच्चे ही दीखते हैं, आदमी जरूरी होता है पर मन, घर और बचो मैं ही लगा रहता है.
औरत की पहचान कभी होती ही नहीं, मायके मैं, फैलाने की बेटी, ससुराल मैं इसकी बहु, उसकी पत्नी, मिसेज *** मैं यहाँ कोई सुर्नामे नाही लुंगी ताकि किसी को कोई आपत्ति न हो, बाद मैं गुड़िया की मम्मी। .. और बस।
हम्म, यह बाते तो होती ही रहेंगी अब आगे की कथा.
मैं, भी उत्सुक थी की वो मोबाइल मैं क्या दिखाने वाली है, हम्म, अंदाजा तो था की कुछ गरम ही होगा मेरा आधा - अधूरा ज्ञान और उस पर सवालो का पहाड़ बैचनी बढ़ा रहा था. अब मई आगे होकर कैसे बोलती उसे. तो मैंने बात बनायी
मैं - यह जूनियर भी न, पागल है, साली को पता नहीं चला की पीरियड्स आने वाले हैं, दर्द नहीं हुआ था क्या। और एक आध पैड्स साथ रख ले तो क्या बिगड़ जायेगा उसका।
सहेली - अरे जाने दे न, हो गया न उसका काम , दे दिया न तूने पैड्स। अब मेरा मूड मत बिगाड़, साली की "च **" मस्त थी. एकदम टाइट। करारी।
मैं - साली, क्या बोल रही है. पागल है , बेचारी की प्रॉब्लम थी और तुझे मज़ा आ रहा है.
सहेली - मेरी भोली चिड़िया , तुझे नहीं पता कच्ची जवानी और टाइट "वो" जायदा दिन तक नहीं टिकती , लूट जाती है. और उसके जोबन देखे थे देखना , क्या मस्त मर्द मार बनेगी कुछ दिनों मैं.
मैं - पागल, कुछ भी बोलती है, अरे अभी आयी है कॉलेज मैं। हँ। .
सहेली - अब चल कही बैठते है, फिर , , , ही , ही
मैं - अच्छा चल, और हसना बंद कर.
सहेली - अच्छा मेरी माँ, चल।
फिर हम दोनों कैंपस के गार्डन मैं जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गए, कुछ स्टूडेंट्स थे वहां पर दूर , आस - पास कोई नहीं था।
मेरी सहेली ने अपना मोबाइल चालू किया, उसमे एक मूवी थी, कोई इंग्लिश मूवी थी अब नाम तो याद नहीं रहा, उसमे एक लड़की जो शायद हेरोइन थी मूवी की, रेड ड्रेस मैं थी सिंगल पीस वाओ कितनी अच्छी ड्रेस है मैं बोली, फिर कुछ देर मैं एक आदमी आया वो उसके साथ चल दी , रास्ते मैं उस आदमी ने रेड फ्लावर का गुदस्ता खरीद के दिया उसे कितना रोमांटिक था सब. फिर लड़की ने लिप किस किया उसे.
इतना देख कर, मेरा मुह लाल, शर्म से , उसने किस करते हुए उसके जोबन दबाये , फिर तो मेरी हालत देखने लायक थी. मैंने अक्सर इतना ही देखा था और इस से ही गरम हो जाती थी, सोच के कभी मेरे साथ भी ऐसा होगा। रेड ड्रेस - रेड फ्लावर और सपने।
आगे, वो दोनों कार मन बैठ गए और फिर किस, अगले सीन मैं दोनों बैडरूम मैं थे , लड़की के हाथ मैं फ्लावर्स फिर वो दोनों किस कर रहे थे. किस करते हुए आदमी ने लड़की की ज़िप खोल दी पीछे से और ब्लैक ब्रा दिखने लगी कुछ ही देर मैं वो लड़की ब्रा - पैंटी मैं थी, वाओ पतली सी पैंटी जिसमे लैस लगी थी ब्लैक उसके गोर जिस्म पे बालक कलर कितना फब रहा था, फिर उस आदमी ने फ्लावर हाथ मैं लिए और झट के सारे फ्लावर्स तोड़ के बिस्तर पर फैला दिए देख कर लड़की हंसने लगी और दोनों एक बार फिर किस करने लगे.
उफ़, लिखते हुए आज भी मेरी हालत उस दिन जैसे ही हो रही है, मौका था जब मैं कोई "गरम" मूवी देख रही थी , नहीं तो मैं फिल्मो मैं हीरोइन के बाल, उसकी ड्रेस , सारी , ब्लाउज की डिज़ाइन , लिपस्टिक का कलर बस यही सब देखा करती थी.
फिर लड़की आगे बढ़ कर बेड पर लेट गयी सिर्फ ब्रा - पैंटी मैं, आदमी अपनी शर्ट उतारने लगा, उसे देख कर लड़की ने अपनी एक ऊँगली अपने होटों मैं दबा ली, आदमी का मस्त चौड़ा सीना था, शायद कसरत करता होगा, फिर उसने अपनी बेल्ट खोली, लड़की उठ के बेड के किनारे आ गयी और उसे देखने लगी स्माइल देते हुए,
मैंने सहेली को कहा , बंद कर इसे, अब नहीं देखा जा रहा , मुझे कुछ हो रहा है.
सहेली - उफ़,यह क्या तू तो पूरी लाल हो गयी है, पसीना, और तेरा जोबन - तेरी साँसे एकदम चढी हुई है, क्या हुआ तुझे। तू ठीक है न।
मैं - पता नहीं, कुछ हो रहा है, नीचे भी गीला है , कही पीरियड्स तो नहीं।
सहेली - पागल , ऐसा कुछ नहीं , तू गरम हो गयी है. होता है. तूने पहले कभी देखि नहीं यह मूवी।
मैं - दुपट्टे से पसीना पोंछते हुए , नहीं।
मेरा हाल, न उठते बना जाए , न बैठे रहा जाये। कुछ देर मैं , ठंडक हुई, कुछ देर मैं फिर मैं बोली, यार अब घर जाती हूँ. हो गया आज का कॉलेज।
सहेली - हम्म, ठीक है. एक काम कर, इसे मोबाइल मैं ले ले बाद मैं देख लेना , रात को।
मैं, खुद भी यही चाहती थी, पर बोलती कैसे , पर उसने ही बोल दिया यह अच्छा हुआ। किया मैंने "नाटक", औरतो की आदत जो है, नहीं, नहीं मुझे नहीं चाहिए , घर मैं ऐसा हुआ तो माँ मार ही डालेगी।
सहेली - मेरे सर पर हाथ फेरते हुए , मेरी भोली चिड़िया , इसमें सब है, तेरा "मूड्स" भी. ,ही ही
और क्या तू अपनी माँ के साथ देखने वाली है यह ?
मैं - पागल है क्या , मरना है।
सहेली - ला, तेरा फोन दे.
फिर मेरी सहेली ने मेरा फोन लिया और कुछ करने लगी, और मैं यह सोचने लगी की कब देखूंगी इसे , कही माँ को पता चल गया तो. कुछ देर बाद मेरी सहेली बोली -
सहेली - ले , बन्नो, आराम से देखना , कुछ गलत नहीं है, लड़की को पता होना चाहिए सब.
मैं - हाँ, बड़ी आयी मास्टरनी।
सहेली - पर अब घर कैसे जाएगी , बस मैं ?
मैं हाँ, और क्या ? हवाई जहाज थोड़ी न आएगा मुझे लेने।
सहेली - मेरी जान, मैं हु न , मैं छोड़ देती हूँ तुझे। चल
मैं - हम्म, ठीक है. पर ठीक से , शैतानी नहीं बिलकुल।
मेरी सहेली माँ को भी अच्छी लगती है, दोनों मैं खूब पटती है, बाते - ही बाते सुबह से शाम तक`करवा लो दोनों नहीं थकती।
फिर मैं और मेरी सहेली उसकी स्कूटी पर बैठ गए और घर की और चलने लगे, रास्ते याद आया की,यह कुछ बताने वाली थी, आज लेट क्यों आयी?
मैं - साली, तू कितनी चालक है, अपनी बात गोल कर दी. बताया नहीं तू लेट कैसे आयी आज?
सहेली - हम्म, अच्छा याद दिलाया, तूने, देख कही मेरे घर से कोई फ़ोन आये तो कहना मैं तेरे साथ कल से। समझी।
मैं - नहीं समझी , क्या मतलब मेरे साथ , कल कहाँ थी तू मेरे साथ, और कल तो मैं एक फंक्शन मैं थी.
सहेली - पागल, मैं भी तेरे साथ थी, फंक्शन मैं, बस इतना समझ ले. बाकी बात मैं बाद मैं आराम से बाटूंगी।
मैं - प्रसाद है, जो बाटना।
इतने मैं हम लोग घर पहुंच गए, माँ बहार ही थी, कुछ कपडे सूखाती हुई दिखी , अरे **** [मेरी सहेली का नाम ] कैसे आयी आज. कैसी है , .कॉलेज कैसा है.
सहेली - हम्म, ऑन्टी सब ठीक. क्या बनाया है आज, बड़ी भूक लग रही है.
मैं - हाँ, माँ, आगयी आपकी सहेली, खिलाओ इसे , सदियों से भूकी है. भुक्कड़ कही की.
सहेली - तू क्यों इतना जलती है, माँ है मेरी। क्यों। है न माँ.
मैं - वाह , आ गयी तेरी एक और बेटी माँ. कितनी खुशनसीब है, ही, ही.
माँ - सही तो बात है, मेरी बेटी है, और बेटी वाले खुशनसीब ही होते हैं. समझी।
सहेली - यह तो ऐसे ही जलती है, और सुनाओ, सुमन भाभी कैसे है.
माँ - हम्म, सुमन भी याद करती है तुझे। ठीक ही वो. आयी .थी कल।
मैं - लो , अब हो गयी शुरू दोनों। अब तो मरे। .. भूके हो ली इन दोनों की बाते ख़तम.
इतना कह कर मैं बाथरूम मैं जाने लगी। ........
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माँ - हम्म, सुमन भी याद करती है तुझे। ठीक ही वो. आयी .थी कल।
मैं - लो , अब हो गयी शुरू दोनों। अब तो मरे। .. भूके हो ली इन दोनों की बाते ख़तम.
इतना कह कर मैं बाथरूम मैं जाने लगी। ........
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प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी सहेली और माँ आपस मैं खूब बाते करते थे, दोनों औरते थी एक मंगलसूत्र के साथ एक बिना मंगलसूत्र के. दोनों मुझे बच्ची समझती थी. और थी भी मैं उनके सामने। मेरी सहेली सुमन भाभी के बारे मैं खूब पूछती थी , और वो भी. जाने क्या था.
मैं इस दुनिया से अनजान , जोबन में डूबी रहती - दीखते जो थे , अब तो "नीचे वाली" तंग करने लगी थी. पर क्या कर सकती थी इस जादुई दुनिया से अनजान थी. कुछ ऐसा ही सोचते हुए बाथरूम तक जा पहुन्ची।
दुपट्टा निकला और टांग दिया खूंटी पर अक्सर हम लड़कियां ऐसा ही करती हैं. बाथरूम मैं.
आप लोगो ने नोटिस किया होगा की दो लड़किया एक साथ बाथरूम जाती हैं क्यों?
एक लड़की दूसरी लड़की की हेल्प करने जाती हैं, दुपट्टा और पर्स संहभालने ताकि वो फ्री होकर "कर" सके. जब अकेले जाना हो थो थोड़ी मुश्किल होती है, पर्स और सुपटटे के साथ फिर सलावार या जीन्स खोलने का झंझट फिर सीट देखो की साफ़ हैं या नहीं, अक्सर कमान बाथरूम मैं कुछ साफ़ नहीं मिलता , उफ़ कितनी परेशानी हो जाती है, अक्सर लड़कियां साफ़ बाथरूम की तलाश मैं "सु -सु" रोक कर रख लेती हैं, मैं तो अक्सर ऐसा ही करती हूँ.
यहाँ, अपनी महिला मित्रो से विनती की बाताये की क्या आप भी ऐसा ही करा करती हैं?
हम्म, फिर मैंने अपने जोबन को देखन, एकदम उभर के आ रहे थे मेरी सहेली की तरह एकदम फट के नहीं, कुछ कम, पर मैं संतुष्ठ थी अपने जोबन के आकार से.
हम लड़कियां अक्सर अपने जोबन के आकार को लेकर चिंतित ही रहती है,
शादी से पहले की कम तो नहीं हैं ?
और बड़े कैसे होंगे ?
मर्दो को तो अक्सर बड़े ही अच्छे लगते हैं.
मेरी शादी मैं कोई रुकावट तो नहीं होगी छोटे जोबन से ?
इस तरह की तमाम बाते अक्सर हमारे दिमाग मैं घूमती रहती हैं.
जोबन दर्शन से मेरा ध्यान हटा तो याद आया की "सु- सु" करना हैं, पागल। और गीला पैन भी चेक करना है, उफ़ वो ही तो देखने आयी थी मैं.
सलवार खोल कर पैंटी नीचे करि तो देखा, उफ़, कितनी गीली थी, कुछ चिपचिपा भी था एक तार की चाशनी जैसा। पहले भी देखा था यह मैने पर आज कुछ जायदा था, पैंटी की बीच वाली जगह लगभग भीग सी गयी थी. मैंने सोचा इसे क्या हो गया आज, "सु-सु" तो किया नहीं मैंने ? फिर.
क्या करती उतारी पैंटी और सलवार, और कोई चारा नहीं था, पैंटी निकल के साइड मैं रख दी फिर "सु-सु", सीटी की आवाज के साथ. बड़ी शर्म आती थी मुझे सीटी की आवाज से, पर करना तो था ही. किया। अपने घर थी तो जयादा टेंशन नहीं था.
अब, प्रॉब्लम, पैंटी तो गीली थी, उसे दुबारा पहनने का कोई विचार नहीं था, और दूसरी थी नहीं। सलवार हाथ में लिये बैठी थी और सोच रही थी अब क्या करू, माँ को आवाज दू? नहीं।।।।
माँ मेरी सहेली के सामने सारी बात उगल देगी, मेरी बेवकूफी की, कैसे मैं बिना कपड़ो के बाथरूम मैं गयी थी, फिर सिर्फ टॉवल मैं पुरे घर मैं भाग रही थी.
फिर मेरी सहेली मेरा रोज़ मजाक बनाएगी। उफ़, क्या है, साली इसको आज ही गीली होना था.
यह सोचते हुए "नीचे वाली" को साफ़ करने लगी, पानी डाला ऊपर से तो हाथ लगते ही एकदम चिकना , "लिप्स" कितने सॉफ्ट हे हलके बाल आ ही गए थे -सो तो आने ही थे पर अच्छे लग रहे थे , पता नहीं क्यों? अक्सर मुझे "नीचे -वाली" पर बाल अच्छे नहीं लगते, पर महीने मैं दो बार सब साफ़ कर लेती हूँ, वीट से , सुना है कुछ स्किन काली हो जाती है जयादा इस्तेमाल से।
सहेलियों, क्या आप भी वीट या कुछ और इस्तेमाल करती हैं तो क्या स्किन पर कोई असर हुआ, प्लीज बताइये , अगर हैं तो क्या इसका कोई उपाए है ? नीचे की स्किन का कलर काला न पड़े. सब मर्दो के लिए करना पड़ता है, उन्हें सब साफ़ ही चाहिए , अब तो हर संडे या दो - एक दिन आगे - पीछे साफ़ करना ही पड़ता है, क्या करे "पतिदेव" हैं.
हम्म्म, मेरा हाथ और उँगलियाँ एकदम चिकनी हो गयी थी, कुछ टेंशन हुई, कोई गड़बड़ तो नहीं, क्या ये सब नेचुरल है, क्या यह सबके साथ होता है?
फिर जल्दी से पानी डाला और रगड़ के साफ़ किया, तेज़ी से रगड़ने से, कुछ अलग अहसाह हुआ था, पता नहीं कुछ अच्छा सा था, पर टेंशन भी था की सब ठीक हो, शादी नहीं हुई थी, क्या होगा, अगर कुछ हुआ थो, कैसे बोलूंगी माँ को?
अचानक , दरवाजा बजा...... बाथरूम का।
मेरे हाथ से पानी का मग नीचे गिर् पड़ा, और एक आवाज निकल गई, डर से. बाहर मेरी सहेली थी दरवाजे पर , बोल रही थी -
सहेली - निहारिका, अरे सो गयी क्या ? कितनी देर से अंदर है, क्या कर रही है? बाहर आ मुझे भी सु -सु करना है.
मैं - चिल्ला मत, आ रही हूँ, साली तू ने मुझे डरा ही दिया।
अब , क्या पहेनू पैंटी तो गीली थी, आखिर हार के , सिर्फ सलवार ही पहनी और खोल दिया दरवाजा।
सहेली - क्या कर रही थी तू,, हंसती हुई बोली।
मेरा चेहरा देखने लायक था, तभी वो मुझे बाहर ढलती हुई बोली, जा आ रही हूँ मैं, या रुकेगी, देखना है. ही, ही, ही,
मैं - जी, नहीं। जा रही हूँ , जल्दी आना.
बाहर जाते हुए , उफ़ पैंटी तो अंदर ही रह गयी, और यह पूरी कमीनी है, इसे अच्छी से जानती हूँ, पक्का देख लेगी। अब. उफ़ क्या परेशानी है....
तभी माँ की आवाज आयी, निहारिका हो गया तेरा , और वो कहाँ है?
मैं - आयी , माँ। वो भी आ रही है, सु -सु करके।
माँ - इतनी बड़ी हो गयी, इतना जोर से बोलते हैं क्या , सबको सुंनना है, की एक जौवन लड़की सु-सु कर रही है. पागल, कुछ ध्यान रखा कर. आजा. खाना लगा.
मैं - हम्म, [और क्या बोलती] पैंटी का टेंशन दिमाग मैं चल रहा था की वो आ गयी बाहर। जैसे कुछ हुआ ही नहीं, उसे कुछ दिखा ही नहीं।
बैठ गयी टेबल पर खाने के लिए , हम भी बैठ गए ,फिर शुरू हुई दोनों की बाते , खाना कम बाते जयादा।
हम औरतो का पेट तो बातो से ही भर जाता है. अब क्या करे अगर बाते न करे तो. आप ही बताइए आखिर हम औरते हैं न..... और यह थ्रेड भी तो बातो के लिए ही बनाया गया है....... जी भर के बाते , चुगलियां, खट्टे - मीठे - चटपटी , एकदम बघार डाल कर.
हम्म, तो दोनों बाते कर रही थी, और मैं चुपचाप खाना खा रही थी, और मैं टेंशन - ए - पैंटी मैं थी. अचानक , सहेली बोली -
सहेली - निहारिका, तू बोलती क्यों नहीं कुछ, अरे कल के फंक्शन के बारे मैं, सुमन भाभी के बारे मैं ,
मैं - हम्म, बड़ी याद आ रही है "सुमन भाभी" की.
.......................
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Niharika ji namaskar, suman bhabhi pinky bhabhi ko yaad karti hai, saheli suman bhabhi ko bahut yaad karti hai, kabhi kuch bata dijiye ki andar ki baat kya hai in bhabhiyo ki
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(29-04-2020, 05:48 PM)ghost19 Wrote: Niharika ji namaskar, suman bhabhi pinky bhabhi ko yaad karti hai, saheli suman bhabhi ko bahut yaad karti hai, kabhi kuch bata dijiye ki andar ki baat kya hai in bhabhiyo ki
ghost19 जी ,
नमस्कार,
यह सब औरतो की आपस की बात है जी । साथ बनाए रखे आ ही जायेगी सामने , जवानी और खुशबू कहाँ देर तक छूप पाती है.
मेरी दुनिया मैं यही लोग थे उस समय , सुमन भाभी तो मस्त चटकारे लेने वाली थी, कोई भेद नहीं किसी मैं. आ जायेगा सब खाता - मीठा।
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निहारिका जी आज सिर्फ अपडेट पढूंगी
आप की तारीफ कल करूंगी
वो भी जी भर के
आप मेरी जान से ज्यादा प्यारी है
इतना तो माफ करेंगी ना
आप को पता है ना आप के पूरे 4 अपडेट बिना पढ़े मतलब कितनी खुजली मची हुई है मेरे ऊफ़्फ़
क्या क्या हुआ है अभी देखती हूँ
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(29-04-2020, 09:19 PM)Poonam_triwedi Wrote: निहारिका जी आज सिर्फ अपडेट पढूंगी
आप की तारीफ कल करूंगी
वो भी जी भर के
आप मेरी जान से ज्यादा प्यारी है
इतना तो माफ करेंगी ना
आप को पता है ना आप के पूरे 4 अपडेट बिना पढ़े मतलब कितनी खुजली मची हुई है मेरे ऊफ़्फ़
क्या क्या हुआ है अभी देखती हूँ
पूनम जी,
तारीफ न भी करे तो चलेगा , बस आप आ गयी यही बहुत है, आप आयी और चांदनी बिखर गयी और अँधेरा दूर हो जायेगा।
आप एक अपडेट ही पढ़े कोई नहीं, चलेगा। पर प्यार की बौछार मैं कमी न हो. और रही बात माफ़ी की - आप मेरी जान से ज्यादा प्यारी है, इस प्यार के बाद माफ़ी जैसी चीज़ की कोई जगह नहीं रह जाती।
खुजली तो "मिट" ही रही है सबकी देर - सवेर। आज -कल तो कोई फिक्स टाइम नहीं है, आप आ,गयी है इतना ही बहुत है, इस फोरम मैं जैसे महिलाओं का आकाल ही पढ़ गया था.
साथ बनाये रखिये
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हम्म, तो दोनों बाते कर रही थी, और मैं चुपचाप खाना खा रही थी, और मैं टेंशन - ए - पैंटी मैं थी. अचानक , सहेली बोली -
सहेली - निहारिका, तू बोलती क्यों नहीं कुछ, अरे कल के फंक्शन के बारे मैं, सुमन भाभी के बारे मैं ,
मैं - हम्म, बड़ी याद आ रही है "सुमन भाभी" की.
.......................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
हम्म, मेरा ध्यान खाने मैं नहीं था , उस कमिनी की बातो पर था कही वो बातो - बातो मैं मेरी पैंटी की बात न कह दे. कोई भरोसा नहीं था. और जब माँ या सुमन भाभी के साथ मिल जाती तो उफ़, घंटो बीत जाते, उस दौरान मुझे कम ही साथ बैठते थे , बच्ची जो थी उन सब के लिए.
हाँ , बचपना गया तो नहीं था , पर जवानी आ गयी थी, पूरी। जो एक बार देख ले उसकी नज़र दुबारा पड ही जाती थी, और यही देख कर इतरा कर हंसती और दुपट्टा ठीक कर लेती, जोबन पर.
पर जो आज हुआ , मैं पैंटी उतरने पर मजबूर हो गयी थी , इतना गीला पन वो भी एकदम एक - तार की चाशनी जैसा ऐसा पहेली बार ही हुआ है. हाँ, कुछ तो निकलता था ही , चिकना सा। पैंटी की बीच वाली जगह गीली रहती थी अक्सर।
फिर वो मूवी, मूड्स। और मेरा ध्यान टुटा, और मैं बोली - बड़ी याद आ रही है "सुमन भाभी" की.
मेरी सहेली और मेरी माँ दोनों एक दूसरे को देखने लगे, फिर हंस दिए। और मैं झल्ली कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था.
मैं - क्या हुआ , क्यों हंस रही हो दोनों।
माँ - कुछ नहीं, तू खाना खा.
मैं - हम्म, बस हो गया , खा लिया।
सहेली - अब तो तुझे नींद आ रही होगी, हैं न. ऐसा कर तू जा , और जा कर सो. मैं जा रही हूँ सुमन भाभी से मिलने।
माँ - रुक , न। मैं भी चलती हूँ.
मैं - अच्छा जाओ.
मैंने सोचा , अच्छा है, दोनों गए , एक तो मैं पैंटी वहां से हटा दू, और दूसरी पेहेन लेती हूँ, नहीं तो फिर मौका न मिले।
दूसरा अगर यह दोनों अगर सुमन भाभी के साथ बातो मैं लग गए तो मुझे काफी समय मिल जायेगा , वो मूवी देखने का.
यह सोच कर मैं अपने कमरे मैं चल दी, और हल्का दरवाजा बंद कर लिया। अब जोबन और जवानी ढक कर ही रखी जाती हैं न.
मैं मुझे दरवाजा बंद होने की आवाज आयी और दोनों के जाने की भी. फिर भी मैंने उठ कर चेक किया की गयी या नहीं, देखा तो कोई नहीं था. कुछ शांति मिली।
मैं, भागकर गयी बाथरूम मैं अपनी पैंटी लेने , उफ़ कहाँ गयी? यही तो थी.
ओह, साली कमीनी , उसका ही काम है. अब ?
तभी मेरी सहेली वापस आयी, और मैं बस बाथरूम से निकली ही थी, मुझे देखा और हंसने लगी.
मैं - ला दे, मुझे।
सहेली - क्या, दू? मूवी डाल तो दी तेरे मोबाइल मैं, "निहारिका " फोल्डर मैं है.
मैं - जायदा भोली मत बन, जल्दी ला. मुझे धोना भी है.
पैंटी को.
सहेली - फिर तो नहीं मिलेगी।
मैं - तू पागल है क्या , पता है कितनी गीली हैं. कहाँ रखी है. बता।
तब सहेली ने अपनी ब्रा मैं से , मेरी पैंटी निकली और दिखाई।
यह मैं तो तुझे नहीं देती अगर मैं सुमन भाभी के नहीं जा रही होती, और सुमन भाभी ने अगर इसे देख ली होती तो मेरे साथ यहाँ आ जाती और तेरी खैर नहीं थी फिर.
मैं - समझी नहीं।
सहेली - समझ जाएगी। ही, ही,
ले , मेरी पेंटी को खोल कर उसे सूंघते हुए बोली, क्या नशा है, निहारिका तू एटम बम्ब है. बस तुझे नहीं पता.
मैं - पागल, गन्दी, ला, जल्दी दे। पता नहीं क्या कर रही है.
सहेली - साली, सच्ची, पागल तो कर ही दिया है. इस खुशबू ने.
मैंने उसके हाथ से पानी पैंटी ली और सीधा बाथरूम मैं, सहेली जाते हुए बोली -
सहेली ० - जा रही हूँ, अभी दो - चार घंटे लग जायेंगे हमे सुमन भाभी के यहाँ, तू देख लेना "वो"।
मैं - तू जा तो सही, सोचूंगी।
फिर वो हँसते हुए निकल जाती है, दरवाजा बंद करने की आवाज से कुछ शांति मिली, और अब मैंने पैंटी को खोल कर देखा तो सारी चाशनी गायब थी. बस हल्का निशान ही बाकी रह गया था.
अरे , "वो" सब कहाँ गया ? इतनी जल्दी तो नहीं सूखता , ...........
-----
. एक पहेली -
कोई महिला पाठक बता सकती हैं की क्या हुआ होगा मेरी पैंटी के साथ?
----
वैसे सवाल तो बचकाना है, आज के हिसाब से। पर उस समय। ..... एक सवाल था मेरे लिए।
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02-05-2020, 07:54 AM
(This post was last modified: 02-05-2020, 08:01 AM by @Kusum_Soni. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
निहारिका जी ऊफ़्फ़ क्या आग लगा दी है आप ने तो...
इस से बेहतर और कामुक कोई लिख ही नहीं सकता
खास कर आप की सहेली को जिस तरह से आप ने प्रस्तुत किया है और फिर आप की माँ और सहेली की मीठी ओर खास दोस्ती है ऊफ़्फ़ क्या लिखूं जब आप एक टीन ऐज लड़की आप की सहेली जो इतनी कामुक है कि एक परिपक्व ओरत आप की मम्मी के साथ वो वाली मस्ती लिखेंगी ऊफ़्फ़ क्या कयामत आएगी और फिर माँ और सहेली मिली हुई है तो निहारिका कब तक बचेगी, सहेली मम्मी को मना के निहारिका को भी
सुमन भाभी ओर आप की मम्मी आप की सहेली इन तीनों के बीच की खास मस्ती ऊफ़्फ़
निहारिका जी जब ये थर्ड आप ने शुरू किया था इस कि इतनी सफलता की उम्मीद नहीं थी पर आप की प्रतिभा ने सब को चकित कर दिया है
आप को कमाल का हुनर हासिल है
लाजवाब लेखन कर रही हो
खास कर आप की मम्मी ओर सहेली की मस्ती का
इंतज़ार रहेगा उस का कहानी में बड़ा महत्व है क्यों ना हो सहेली निहारिका की जो है
अगले अपडेट में भाभी के यहां तीनों क्या करती है देखते है अब रोचकता बढ़ गयी है निहारिका जी
खेर आप अपने प्लानिंग के हिसाब से ही कहानी लिखे
हम सहेलियों के सुझाव तो हमारी उत्सुकता को दर्शाते हैं
पेंटी के साथ वो हुआ जो अब पति देव उतारते ही हमारे सामने चटखारे ले ले कर करते है ओर फिर हमारे होटों पर अपने होंठ ओर वो स्वाद हमारे हलक तक ऊफ़्फ़
बहुत बहुत धन्यवाद मेरी प्यारी निहारिका जी
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02-05-2020, 08:19 AM
(This post was last modified: 02-05-2020, 08:30 AM by Poonam_triwedi. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
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02-05-2020, 08:37 AM
(This post was last modified: 02-05-2020, 08:40 AM by Poonam_triwedi. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
इंतज़ार
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(02-05-2020, 07:54 AM)@Kusum_Soni Wrote: निहारिका जी ऊफ़्फ़ क्या आग लगा दी है आप ने तो...
इस से बेहतर और कामुक कोई लिख ही नहीं सकता
खास कर आप की सहेली को जिस तरह से आप ने प्रस्तुत किया है और फिर आप की माँ और सहेली की मीठी ओर खास दोस्ती है ऊफ़्फ़ क्या लिखूं जब आप एक टीन ऐज लड़की आप की सहेली जो इतनी कामुक है कि एक परिपक्व ओरत आप की मम्मी के साथ वो वाली मस्ती लिखेंगी ऊफ़्फ़ क्या कयामत आएगी और फिर माँ और सहेली मिली हुई है तो निहारिका कब तक बचेगी, सहेली मम्मी को मना के निहारिका को भी
सुमन भाभी ओर आप की मम्मी आप की सहेली इन तीनों के बीच की खास मस्ती ऊफ़्फ़
निहारिका जी जब ये थर्ड आप ने शुरू किया था इस कि इतनी सफलता की उम्मीद नहीं थी पर आप की प्रतिभा ने सब को चकित कर दिया है
आप को कमाल का हुनर हासिल है
लाजवाब लेखन कर रही हो
खास कर आप की मम्मी ओर सहेली की मस्ती का
इंतज़ार रहेगा उस का कहानी में बड़ा महत्व है क्यों ना हो सहेली निहारिका की जो है
अगले अपडेट में भाभी के यहां तीनों क्या करती है देखते है अब रोचकता बढ़ गयी है निहारिका जी
खेर आप अपने प्लानिंग के हिसाब से ही कहानी लिखे
हम सहेलियों के सुझाव तो हमारी उत्सुकता को दर्शाते हैं
पेंटी के साथ वो हुआ जो अब पति देव उतारते ही हमारे सामने चटखारे ले ले कर करते है ओर फिर हमारे होटों पर अपने होंठ ओर वो स्वाद हमारे हलक तक ऊफ़्फ़
बहुत बहुत धन्यवाद मेरी प्यारी निहारिका जी
कुसुम जी,
"इस से बेहतर और कामुक कोई लिख ही नहीं सकता"
"निहारिका जी जब ये थर्ड आप ने शुरू किया था इस कि इतनी सफलता की उम्मीद नहीं थी पर आप की प्रतिभा ने सब को चकित कर दिया है
आप को कमाल का हुनर हासिल है
लाजवाब लेखन कर रही हो"
यह जो पंकितिया हैं, मेरे जीवन की अनमोल पंकितिया हैं, जैसे मोती पिरोये हो प्यार के धागे मैं.
शुक्रिया आपका, बस आपका प्यार मिलता रहे , इतना ही काफी है. नहीं तो मैं कहाँ एक अदना सी भावनात्मक लेखिका और यहाँ सरे दिग्गज लेखक। मेरा कहाँ इन सब से मुकाबला।
कुछ दिनों से यहाँ महिलाओं का आकाल हुआ पड़ा था , आप सब आ गयी हैं तो अब धमाल ही होगा, "कन्या -रस" की प्रेमिकाओ।
मेरी कोई प्लानिंग नहीं होती बस जो कुछ याद आता है वही सब उकेर देती हूँ, मजे लेते रहिये चटकारे के साथ.
हम्म, आपने सही कहा , वो ही होता है आजकल हमारी पैंटी के साथ, अब तो वो भी पतिदेव की टीम मैं शामिल हो गयी है, जोबन और "नीचे वाली" के साथ. उन्ही का साथ देती है.
बने रहिये साथ, देते रहिये प्यार की फुहार जब भी समय मिले तब.
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02-05-2020, 02:16 PM
(This post was last modified: 02-05-2020, 02:21 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(02-05-2020, 08:19 AM)Poonam_triwedi Wrote: बड़ी याद आ रही है "सुमन भाभी" की.
मेरी सहेली और मेरी माँ दोनों एक दूसरे को देखने लगे, फिर हंस दिए। और मैं झल्ली कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था.
मैं - क्या हुआ , क्यों हंस रही हो दोनों।
माँ - कुछ नहीं, तू खाना खा.
निहारिका जी क्या मस्त उपडेट दिया है
ओर ये दो लाइन सुमन भाभी का नाम लेने पर आप की सहेली ओर आप की मम्मी की कामुख मुस्कान वाह दिल खुश कर दिया मुझ जैसी कन्या रस की प्रेमी महिलाओं का तो
ये थर्ड यकीनन इस फोरम का बेस्ट थर्ड बनेगा जिस अदित्य प्रतिभा और कौशल के साथ आप लिख रही है
बहुत से दृश्य आप ने सूचित कर दिए है
सहेली की मस्ती,सहेली ओर भाभी की मस्ती,सहेली ओर आप की मम्मी की मस्ती,इन तीनो की आपसी मस्ती जो शायद अगले अपडेट में होगी
फिर आप की एंट्री कैसे होती है जब आप की मम्मी इस खेल में शामिल है क्या सहेली पटायेगी मम्मी को आप को लाने के लिए
इस से कामुख कुछ हो नहीं सकता
कोमल जी की कहानियों की तरह ये थर्ड ये कहानी दिल को छू गया है
निहारिका जी आप की कोई क्या तारीफ करे
आप अदित्य हुनर की मालकिन हो
बस इसी तरह लिखती रहो
पाठक पाठिकाएँ अपने आप जुड़ते जाएंगे
हम सहेलियों का ये आंगन यूँही हमेशा आबाद रहेगा
पेंटी के सवाल में कुसुम ने बिल्कुल ठीक लिखा है
निहारिका जी सहेली ने अच्छे से चाटी है चासनी।
जैसे आज कल पति हमें दिखा दिखा के चाटते है
ओर फिर सारा थूक हमारे मुँह मे जब तक अंदर उतार नहीं लेती मझाल हमारी जो नखरे कर ले
सहेली कहीं आप की मम्मी से इस चटखारे का जिक्र ना कर ले
ऊफ़्फ़ क्या लिख बैठी
Love u निहारिका जी
पूनम जी,
"दिल खुश कर दिया मुझ जैसी कन्या रस की प्रेमी महिलाओं का तो
ये थर्ड यकीनन इस फोरम का बेस्ट थर्ड बनेगा जिस अदित्य प्रतिभा और कौशल के साथ आप लिख रही है"
" कोमल जी की कहानियों की तरह ये थर्ड ये कहानी दिल को छू गया है
निहारिका जी आप की कोई क्या तारीफ करे"
शुक्रिया, आभार, कुछ कहने के लिए अब बच ही नहीं मेरे पास.
कोमल जी तो आसमान का वो सितारा हैं, जहाँ तक मैं शायद कल्पना मैं ही पहुँच पाउ. आपके प्यार की ज़रूरत है, कहानी को जो मेरी अपनी ही हैं, हाँ कुछ गैर जरुरी चीज़े हटा ली गयी हैं, पर चटकारे वैसे ही हैं, खट्टे - मीठे व् चटपटे। कुछ भी अनुचित बड़लाव नहीं किया है जी.
"कन्या - रस" का कोई मुकाबला नहीं है, सारी दुनिया को पागल कर रखा हैं इसने।
पेंटी के सवाल में कुसुम ने बिल्कुल ठीक लिखा है
निहारिका जी सहेली ने अच्छे से चाटी है चासनी।
जी, सही. मैं तो बहुत हैरान थी, ुउस दिन की क्या किया था उसने। अब चढ़ती जवानी मैं इतनी अकाल नहीं थी. वो तो शादी के बाद आयी, हाँ मैं हूँ झल्ली, आज भी कई बातो मैं. पतिदेव की तो बहुत प्यारी है मेरी पैंटी , उन्ही की तरफ है, साली न जाने कैसी साथ - गाँठ है दोनों की, इधर चाशनी निकली उधर पता चला. नज़ारे मिलने की देर होती है और पैंटी उनके हाथ मैं, और सब मेरे ही सामने, दिखा - दिखा के और फिर एक राउंड तो बनता ही है. आखिर पतिदेव जो हैं.
माँ, सहेली, सुमन भाभी, पिंकी भाभी सब साथ होंगी आगे , साथ बनाये रखिये , बस आपके प्यार की चाहत मैं.
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(02-05-2020, 11:20 AM)@विद्या_शर्मा Wrote: मेरी पेंटी को खोल कर उसे सूंघते हुए बोली, क्या नशा है, निहारिका तू एटम बम्ब है. बस तुझे नहीं पता.
मैं - पागल, गन्दी, ला, जल्दी दे। पता नहीं क्या कर रही है.
सहेली - साली, सच्ची, पागल तो कर ही दिया है. इस खुशबू ने.
ऊफ़्फ़ निहारिका जी सहेली की बात एकदम सही है जरा बच के रहना सहेली से सहेली सुमन भाभी ओर मम्मी की खास है तो उसे कोई रोकने वाला नहीं है
सब सपोर्ट करेंगी
निहारिका जी मेरा प्यार भरा प्रणाम
इतना मस्त लिख रही हो बता ही नहीं सकती
पूनम जी और कुसुम जी की तरह में भी चाहूंगी
आप लेस्बियन पर बहुत लिखे
वेसे भी आप से हम सीखती है
आप को क्या राय मशवरा दे
आप तो काम कला की एक अनहद लेखिका हो
निहारिका जी बहुत ही सेक्सी होगा जब आप की ये कामुख सहेली मम्मी ओर सुमन भाभी के साथ मजे करेगी आप की मम्मी आप की सहेली के साथ मजे करेगी और फिर मम्मी ओर सहेली मिल कर...Ufff
इतना सेक्सी कैसे लिखती है आप
निहारिका जी छा गयी आप तो
इतने कम समय मे ही आप ने अपनी उपस्थिति का दमदार अहसास करवाया है सभी रीडर्स को
बहुत बहुत सुभकामनाएँ
बस दिल खोल के बरस जाओ
बहुत इंतज़ार है अगले अपडेट का
सब को मेरा नमस्कार
विद्या जी,
"निहारिका जी सहेली की बात एकदम सही है जरा बच के रहना सहेली से सहेली सुमन भाभी ओर मम्मी की खास है"
जी सही कहा आपने, ख़ास थी वो , आज भी है.
"आप तो काम कला की एक अनहद लेखिका हो"
विद्या जी , शुक्रिया आपका, बस एक कोशिस ही है, सबको एक सूत्र मैं जोड़ पाउ, आखिर हम औरते यही करती हैं, सबको साथ लेकर चलना।
आपकी उपस्थिति ही बहुत हैं, बस दो लाइन ही लिख दिया करे जब भी समय मिले तो.
यह आपका अपना आँगन है, हम सब एक ही कश्ती मैं सवार हैं, और कन्या - रस का तो क्या कहना, एक औरत ही जान सकती है इसका मज़ा.
विद्या जी, आते रहिये। प्यार बिखेरते रहिये। आप सब आ गयी हैं तो मस्ती फिर चालू।
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अभी कुछ व्यस्त हूँ, कुछ देर मैं आगे का हाल लिखती हूँ. चाय की फरमाइश आयी है। देनी पड़ेगी चाशनी के साथ.
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फिर वो हँसते हुए निकल जाती है, दरवाजा बंद करने की आवाज से कुछ शांति मिली, और अब मैंने पैंटी को खोल कर देखा तो सारी चाशनी गायब थी. बस हल्का निशान ही बाकी रह गया था.
अरे , "वो" सब कहाँ गया ? इतनी जल्दी तो नहीं सूखता , ...........
-----
. एक पहेली -
कोई महिला पाठक बता सकती हैं की क्या हुआ होगा मेरी पैंटी के साथ?
----
वैसे सवाल तो बचकाना है, आज के हिसाब से। पर उस समय। ..... एक सवाल था मेरे लिए।
,,,,,,,,,
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी प्यारी सहेलिओं ने बिलकुल सही जबाब दिया है ,चाशनी के गायब होने का. साली कमीनी पूरा चाट गयी थी. और मैं यह सोच मैं थी कि क्या मज़ा आया होगा उसे इसमें , अब क्या धोऊ पैंटी को, सब साफ़ कर दी थी उसने , सुमन भाभी का क्या चक्कर है उनको मेरी पैंटी से क्या मतलब, आखिर वो यही पहनती होंगी। शायद उनका भी रस निकलता होगा. मुझे क्या।
फिर ध्यान आया कि "वो" मूवी देख लेती हूँ, कही ये लोग वापस आ गए तो, फिर जल्दी से धो कर सूखा दी, और वापस अपने रूम मैं आ गयी , दरवाजा बंद किया और देखा कि मेरी सलवार भीग गयी थी पैंटी धोते हुए , उफ़ इसे होना था ?
मैंने सलवार उतारी और टांग दी, सूखने के लिए , फिर अलमारी खोली तो जो सबसे पहले दिखी वो ही निकाल ली, आखिर जल्दी जो थी। एक स्कर्ट थी जो हाथ लगी थी , सोचा यही सही फिर कुर्ती के नीचे स्कर्ट डाली और लेट गयी अच्छा कॉम्बिनेशन बन पड़ा था कुर्ती - स्कर्ट का जोबन टाइट और नीचे खुला - खुला। फिर उठाया मैंने फ़ोन को देखा की कहाँ डाली है उस कमीनी ने मूवी.
एक फोल्डर मिला "निहारिका" नाम का , उसे खोला तो एक ही फाइल थी , मूवी की.
एक तो पुरे घर मैं अकेली , रूम मैं भी सिर्फ मैं , मेरी धड़कन मुझे सुनाई दे रही थी , जोबन ऊपर - नीचे हो रहे थे , पसीना आ रहा था, उंगलियां काँप रही थी, उस मूवी को शुरू करने के लिए. पांच मिनिट्स तक हिम्मत ही नहीं हुई , क्या करू, थोड़ी सी देख लेती हूँ, आगे बढ़ा के जहाँ तक कॉलेज मैं देख ली थी उससे आगे. हम्म,
चल गयी मेरी उंगलियां , आवाज फुल थी मेरे फोन की, जल्दी से कम करि, कोई सुन न ले. फिर मूवी आगे बढ़ा दी, जहाँ पर वो लड़की ब्रा - पैंटी मैं बेड के कार्नर पर बैठी थी , आदमी अपनी पैंट खोल रहा था , फिर लड़की बैड से उतर कर नीचे बैठ गयी , क्यों इसको क्या हुआ? ऊपर आराम से थी, पागल।
आदमी ने सब खोल दिया था, वो पूरा नंगा था पीठ की तरफ से , फिर लड़की के दोनों हाथ उसकी पीठ पर सरके और एकदम कसे हुए कड़क "खरबूजे" के बीच की दरार मैं उँगलियाँ फिरने लगी, एक हाथ आगे आ गया था और वो हिल रही थी.
मुझे कुछ समझ नहीं आया , की वो क्या कर रही थी, मैं आँखे गड़ाए हुए देखे जा रही थी की मेरे हाथ से फ़ोन गिर गया , वापस उठा कर देखा तो यकीं नहीं हुआ।
"लड़की " आदमी का "वो" चूस रही थी , जो की एकदम तना हुआ था और बड़ा भी, इस तरह और इतना बड़ा मैंने नहीं देखा था, और यह चूस क्यों रही है? फिर मैंने आदमी को देखा उसे बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा फिर वो लड़की उठी और बेड पर लेट गयी।
आदमी आया और उसकी पैंटी उतार दी और नीचे वाली , उफ़ एकदम गीली जैसे मेरी थी, तभी याद आया पैंटी भी नहीं पहनी हुई,मेरा गया नीचे।
उफ़ , ..... गीला। .........
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निहारिका जी लगता है आप भी थोड़ी बहुत व्यस्त चल रही है
अपडेट बहुत छोटा दिया है
उम्मीद है अगली बार खुल के बरसोगी
जैसे भी समय मिले आपबीती साझा करती रहे
बहुत अच्छा लिख रही हो
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